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६. आर्थिक जीवन और सापेक्षता
जीवन के अनेक पहलुओं में आर्थिक पहल संभवत: सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण और सबसे अधिक जटिल है। आर्थिक जीवन-यह वाक्य अनेक शब्दों की परिक्रमा कर रहा है । उसके दस पहलु हैं :१. इच्छा
६. शोषण २. आवश्यकता
७. अपराध ३. उपार्जनवृत्ति
८. हिंसा ४. स्वामित्व
६. अशान्ति ५. भोग
१०. युद्ध इच्छा : प्राणी का लक्षण
आर्थिक जीवन का पहला पहल है- इच्छा। प्रत्येक प्राणी के साथ जुड़ी हुई जो सबसे पहली समस्या है वह है इच्छा । इच्छा प्राणी का एक लक्षण है। अप्राणी और प्राणी में भेदरेखा खींचने का सबसे पहला माध्यम है-इच्छा। अप्राणी में इच्छा नहीं होती। जिनमें मानसिक चेतना नहीं होती, उनमें भी इच्छा होती है। वनस्पति के जीव अविकसित हैं, उनमें भी इच्छा होती है। इच्छा जीव का ऐसा सामान्य लक्षण है जो अत्यन्त अविकसित जीव से लेकर विकसित जीव तक-सबमें उपलब्ध होता है। इच्छा जीव का लक्षण है तो इच्छा एक समस्या भी है । जब इच्छा असीम बन जाती है, तब वह स्वयं एक समस्या का रूप ले लेती है। असीम इच्छा : एक समस्या
पति ने पत्नी के पूछा-क्या तुम्हें कभी अपनी बात पर भी गुस्सा आता है ?
पत्नी ने कहा-आता है । पति - कब आता है ? क्यों आता है ?
पत्नी-- जब मैं तुम्हें साड़ी खरीदने के लिए कहती हूं और तुम तत्काल खरीद देते हो, तब मुझे अपनी बात पर बड़ा गुस्सा आता है ।
पति-मैं इस बात को नहीं समझ सका । गुस्सा तो तब आना चाहिए जब मनचाही वस्तु नहीं मिलती। जब तुम्हारी मनचाही बात हो जाती है, तब गुस्सा क्यों आता है ?
पत्नी ने अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा- उस समय मैं सोचती हूं,
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