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अहिंसा के अछूते पहलु अहिंसा का प्राणभूत सिद्धान्त
सह-अस्तित्व का सिद्धांत विश्व शांति की समस्या का बहुत बड़ा समाधान है। सह-अस्तित्व का सिद्धांत अहिंसा का प्राणभूत सिद्धांत है। इस कथन में भी कोई अतिरंजना नहीं लगती कि सह-अस्तित्व के बिना अहिंसा सफल नहीं, अहिंसा के बिना सह-अस्तित्व सफल नहीं। सह-अस्तित्व और अहिंसा-दोनों को बांटा नहीं जा सकता। किन्तु आज हमारी बुद्धि इतनी भेद प्रधान बन गई है कि उसमें अभेद की बात को जोड़ना एक प्रश्न बना हुआ है। इन वर्षों में वैज्ञानिक परीक्षणों ने अनेक अवधारणाओं को बदल डाला । अतीत की पीढ़ी के किसी व्यक्ति से पूछा जाए-सूरज घूमता है या पृथ्वी ? उसका उत्तर होगा-सूरज घूमता है, पृथ्वी स्थिर है । वर्तमान विद्यार्थी इसी प्रश्न के उत्तर में कहेगा-पृथ्वी घूमती है, सूरज स्थिर है। यह एक बड़ा परिवर्तन है । प्राचीन व्यक्ति बीमारी का कारण बतलाएगा-वात, पित्त और कफ का वैषम्य । वर्तमान में कहा जाएगा-बीमारी किसी कीटाणु का परिणाम है। वैज्ञानिक क्षेत्र में निरन्तर चल रहे प्रयोग और परीक्षणों से बहुत कुछ असंभव लगने वाली बातें सभव बनी हैं। सह-अस्तित्व का व्यक्ति-व्यक्ति की चेतना में अवतरण असंभव नहीं है किन्तु वह प्रयोग और प्रशिक्षण साध्य है। आज तक सह-अस्तित्व के विकास की दृष्टि से आवश्यक प्रयोग और प्रशिक्षणदोनों नितांत उपेक्षित रहे हैं। भेद है उपयोगिता : अभेद है वास्तविकता
सह-अस्तित्व को व्यावहारिक बनाने की दिशा में सोचें तो यह दर्शन स्पष्ट होगा कि मनुष्य में भेद भी है, अभेद भी है । भेद यदि उपयोगिता है तो अभेद वास्तविकता है। एक जाति है ब्राह्मण। यह एक उपयोगिता है। ओसवाल एक जाति है और उसकी अपनी उपयोगिता है । अमुक आदमी सुजानगढ़ का है, अमुक आदमी लाडनूं का है--यह भी एक उपयोगिता से उपजा भेद है । किन्तु जब बच्चा जन्म लेता है तब न वह ब्राह्मण होता है, न वह ओसवाल होता है, न वह किसी गांव का होता है। न वह हिन्दु होता है, न वह मुसलमान होता है । बच्चा केवल बच्चा होता है। यह कह सकते हैं कि बच्चा मां-बाप से आनुवंशिक संस्कार लेकर आता है । भगवती सूत्र में बतलाया गया- बच्चा तीन अवयव माता से लेकर आता है, तीन अवयव पिता से लेकर आता है । आनुवंशिकता के साथ भी यह बात जुड़ती है । ये भेद निर्मित हुए थे उपयोगिता के लिए, किन्तु उन्हें वास्तविक मान लिया गया और यही मान्यता समस्याओं के उलझाव का कारण बनी । आज कहीं एक अन्तर्जातीय विवाह होता है, समाज में हलचल मच जाती है । एक राष्ट्र का आदमी दूसरे राष्ट्र में चला जाता है तो दंडित भी हो जाता है, बिना वीजा के
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