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अहिंसक व्यक्तित्व का निर्माण
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की भी नहीं है पास में इतना खालीपन है तो व्यक्तित्व का निर्माण कैसे हो सकेगा ?
मैं सोचता हूं, इस दिशा में एक नई विचार - क्रान्ति की जरूरत है । आज अहिंसक व्यक्तित्व निर्माण की बहुत बड़ी आवश्यकता है और उस आवश्यकता को सारा संसार अनुभव कर रहा है । उसके लिए एक पद्धति की जरूरत है । प्रेक्षाध्यान का एक प्रयोग उसकी पूर्ति कर सकता है । इससे संभव है निर्विचार ध्यान का विकास, विधायक भावों का विकास, निषेधात्मक भावों को दिमाग से निकालना । प्रशिक्षण का यह प्रयोग चले तो मस्तिष्क काफी प्रशिक्षित हो सकता है और नए व्यक्तित्व का निर्माण हो सकता है | अहिंसक व्यक्तित्व के निर्माण की दिशा में कुछ लोग इस सचाई को समझ पाएं और कदम आगे बढ़ाएं। अगर इस दिशा में कोई प्रयत्न होता है. तो सारे संसार के लिए यह बहुत कल्याणकारी प्रयत्न होगा ।
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