________________
अहिंसा के अछूते पहलु.
हर उद्योग को चलाने वाला मैनेजर- व्यवस्थापक है तो वह क्वालिटी कन्ट्रोल र भी है। वह इस बात का ध्यान रखता है कि हमारे माल की क्वालिटी कैसी है ? कहीं ऐसा न हो कि दुनिया में हमारी क्वालिटी कमजोर बन जाए । क्वालिटी पर और क्वालिटी कन्ट्रोल पर निरंतर प्रशिक्षण चलता है। उस प्रशिक्षण का परिणाम है-आज जापान औद्योगिक क्षेत्र में, व्यावसायिक क्षेत्र में और अपने माल के निर्यात में संसार पर हावी हुए बैठा
क्या कभी हमने सोचा कि अहिंसा के लिए भी क्वालिटी कन्ट्रोल की बात करें ? गुणवत्ता की बात करें ? शायद नहीं सोचा। फिर कैसे अहिंसा की बात कर पाएंगे ? आंच में पकाएं
मैं मुनि हूं। मैंने अहिंसा व्रत को स्वीकारा है । मुझे इसमें विश्वास भी है, किन्तु अहिंसा की यह कमजोर अवस्था देखता हूं तो मुझे भी पीड़ा होती है । मैं बहुत बार साधु-साध्वियों तथा धार्मिक लोगों के बीच यह बात रखता हूं कि हमने अहिंसा के संकल्प को स्वीकारा है किन्तु उसे आंच में पकाने का प्रयत्न अभी नहीं किया है । जब तक कोई चीज आंच में पक नहीं जाती तब तक वह सिद्ध नहीं होती।
चाल भाषा में कहा जाता है-चावल सीझ गया। संस्कृत में कहें तो सिद्ध हो गया, सीझ गया । वह सीझता है जब आंच हो । सिझाना है दस-बीस किलो चावल को और आंच धीमी है तो कुछ होगा ही नहीं। जितना पकाना हो उतनी तेज आंच चाहिए। जब तक यह आंच नहीं लगेगी, परिपाक नहीं होगा, सिद्ध नहीं होगा। अहिंसा को सिद्ध करने के लिए गंभीर प्रशिक्षण कोर्स की आवश्यकता है। इतना गहरा प्रशिक्षण, जिससे व्यक्ति का मस्तिष्क अहिंसा के प्रति सघन आस्थावान् और तन्मय बन जाए। जरूरत है विचार क्रांति को
कुछ लोग हिन्दुस्तान से विदेशों में गए। वे विश्वशांति की यात्रा पर गए । जाने से पूर्व कुछ हमारे पास आए । मैंने जाने वालों से एक प्रश्न पूछाविश्वशांति की यात्रा पर जा रहे हैं। पहले यह तो बताएं, जो जाने वाले हैं, उन्होंने अहिंसा की कोई ट्रेनिंग ली है ? क्या अहिंसा का प्रशिक्षण पाया है ? क्या अहिंसा के प्रति उनका कोई प्रयोग है ? क्या अहिंसा के लिए उन्होंने कोई नई बात खोजी है ? न कोई अनुसंधान, न कोई प्रयोग और न कोई प्रशिक्षण। सारी सामग्री से शून्य । कहावत तो यह है कि सियार का शिकार करने जाएं तो भी तैयारी शेर को मारने जितनी होनी चाहिए। बड़ा अजीब है हमारा अहिंसा का जगत् कि शेर को मारने जाता है और सामग्री सियार को मारने
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org