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अहिंसा और अभय मूर्छा है कि एक बार चिपक गया तो फिर उसे छोड़ना नहीं चाहता । कुर्सी पर बैठ गया तो फिर उसे छोड़ना नहीं चाहता।
व्यक्ति न सत्ता को छोड़ना चाहता है और न धन को छोडना चाहता है। सब अपने हाथ में जमा करके रखना चाहता है।
केन्द्रित अर्थ-व्यवस्था और केन्द्रित सत्ता में स्वस्थ समाज रचना की बात सोची नहीं जा सकती। दोहरी समस्या
भगवान महावीर ने तीन प्रकार के लोग बतलाए। पहली श्रेणी के लोग ऐसे होते हैं कि परिग्रह भी महान् और हिंसा भी महान् । दूसरी श्रेणी के लोग होते हैं कि इच्छा अल्प, परिग्रह अल्प और हिंसा भी अल्प । तीसरी श्रेणी के लोग होते हैं कि इच्छा भी समाप्त और परिग्रह भी समाप्त । यानी अनिच्छा और अपरिग्रह । आज पहली श्रेणी के लोग ज्यादा हैं। इच्छा भी महान् और परिग्रह भी महान् । यह केन्द्रित अर्थ-व्यवस्था का स्वरूप है। विकेन्द्रित अर्थ व्यवस्था का स्वरूप है कि अल्प इच्छा यानी परिग्रह कम और हिंसा भी कम । कोई भी समाज का व्यक्ति इस श्रेणी में रहना पसंद नहीं करता । सब महत्त्वाकांक्षी बन गए, धन और सत्ता की ओर दौड़ रहे हैं । इस स्थिति में न तो अहिंसक समाज रचना की कल्पना की जा सकती और न अभय के वातावरण की बात सोची जा सकती।
हर व्यक्ति चाहता है-समाज में अभय का वातावरण रहे, आतंक न रहे, भय न रहे। सभी अपने आप में बिलकुल भयमुक्त और आतंकमुक्त रहे, अपने आपको स्वस्थ अनुभव करें। किन्तु यह सोच संभव नहीं बन सकती। क्योंकि जो अभय का वातावरण चाहते हैं, वे सत्ता पर कब्जा करने को तैयार हैं । जब यह विरोधी बात चल रही है तो कैसे संभव होगा ?
ऐसा लगता है कि समाज की प्रकृति या मानव की प्रकृति मूर्छा की प्रकृति बनी हुई है । वह उसे तोड़ना नहीं चाहता और अभय तथा अहिंसा का वातावरण भी चाहता है, विकास भी चाहता है। यह दोहरी समस्या है। बन्दर ने संकरे मुंह वाले चने के बर्तन में हाथ डाला, मुट्ठी में चने लिए और मुट्ठी को बाहर निकालने का प्रयत्न किया। बंदमुट्ठी उस संकरे मुंह से बाहर नहीं निकल पायी । वह फंस गया । न तो वह चने को छोड़ सकता है और न हाथ को बाहर निकाल सकता है । इतने में बंदर को पकड़ने वाले आते हैं और उसे पकड़ लेते हैं। ऐसा ही हो रहा है कि आदमी मुट्ठी बांधे हुए है। वह न चने का लोभ छोड़ रहा है और न हाथ बाहर निकल रहा है। वह इस सत्ता और भय के चक्र में फंस जाता है । बड़ी अजीब-सी स्थिति है। जब तक यह चने का लोभ नहीं छूटेगा और मुट्ठी नहीं खुलेगी, तब तक हाथ
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