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अहिंसा और आसन
जरूरत है और न पैर की मांसपेशियों को श्रम देने की ज़रूरत है। इतने सुविधा के साधन बन गए कि मांसपेशियां अच्छी तरह से आराम करें। व्यावसायिक, औद्योगिक तथा दूसरे-दूसरे चिंतन के प्रकारों से तनाव, भय आदि इतने ज्यादा व्याप्त हैं कि नाड़ी-तंत्र पर सीमा के अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। यह एक उलटी समस्या हो गई और २१वीं शताब्दी की जो कल्पना की जा रही है, उसमें यह समस्या और अधिक भयंकर वन जाएगी। कम्प्यूटर का युग आएगा, रोबोट का युग आएगा तो मांसपेशियों को बिलकुल तनाव देने की जरूरत नहीं रहेगी। यह यन्त्र-मानव घर का सारा काम कर देगा। कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। न पंखे के लिए बटन दबाने की जरूरत, न बिजली जलाने की जरूरत। कुछ भी करने की जरूरत नहीं है । कैसा अच्छा युग है ! कितनी सुविधा का युग है कि कुछ भी करने की जरूरत नहीं है । यह स्वर्गीय कल्पना जैसी बात लगती है। कितना आराम होगा आदमी को। इस कल्पना के आधार पर आदमी का भविष्य कितना जटिल होगा, यह नहीं सोचा । यदि ऐसा होगा तो मांसपेशियां बिलकुल निकम्मी हो जाएंगी। एक ओर मांसपेशियों का निकम्मापन होगा तो दूसरी और चिंतन, विचार और नाड़ी-तन्त्र पर अत्यधिक दबाव बढ़ जाएगा। पहला दबाव निठल्लेपन का होगा। आदमों फिर करेगा क्या ? कल्पना इक्कीसवीं शताब्दी को
हम लोग आगम संपादन के काम में बहुत वर्षों से लगे हुए हैं। लगभग ३२ वर्ष हो गए प्राचीन ग्रन्थों का संपादन करते करतें। काम करते-करते, चिंतन करते-करते मानसिक थकान जैसी आ जाती है। दो घंटा, चार घण्टा काम में उलझ जाते, नहीं सुलझते तो थकान जैसी
आं जाती। तत्काल एक प्रयोग करते। जैसे ही थकान आती, १०-२० मिनट के लिए कोई शारीरिक श्रम करते । थकान बिलकुल शांत । शारीरिक श्रम स्वस्थ जीवन के लिए बहुत आवश्यक होता है। आज के युग की यह बहुत बड़ी विशेषता है । उसमें शरीरिक श्रम की कमी है और मानसिक श्रम की बहुलता है, मानसिक तनाव की बहुलता है।
- मैं मानता हूं-२१ वीं शताब्दी की जो कल्पना की जा रही है, शायद वह मनुष्य के लिए वरदान नहीं होगी। अगर वैसा हुआ तो आदमी भी एक यंत्र का पुर्जा बन जाएगा। इससे ज्यादा उसका मूल्य नहीं होगा।
___ इस सारी स्थिति और प्रकृति को बदलने के लिए, संतुलन बनाने के लिए, शारीरिक श्रम और मानसिक श्रम -- दोनों में संतुलन बना रहे। यह आवश्यक है मस्तिष्क को सक्रिय रखने के लिए मानसिक श्रम बहुत आवश्यक है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए मांसपेशीय-श्रम बहुत आवश्यक है। दोनों
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