Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 16 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

Previous | Next

Page 27
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२५ उ.५ सू०१ पर्यवादिनिरूपणम् रूपत्वमिति । 'पोग्गलपरियट्टा णं भंते ! किं संखेज्ना समया पुच्छा' पुद्गलपरिवर्ताः खलु भदन्त ! किं संख्यातसमयरूपा असंख्यातसमयरूपा अनन्तसमयरूपा वेति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! 'णो संखेज्जा. समया णो असंखेज्जा समया' नो संख्यातसमयरूपाः पुद्गलपरिवर्ताः नो वा असं. ख्यातसमयरूपाः किन्तु 'अर्णता समया' तेषु अनन्ताः समया भवन्ति, अनन्तसमयस्वरूपास्ते भवन्तीति अथा:ऽवलिकामधिकृत्य एकवचनेनाह 'आपापाण्णं भंते ! कि संखेज्जाओ आवलियाओ पुच्छा' आनमाणः खलु भदन्त ! कि संख्यातावलिकारूपः किं वा असंख्यातावलिकारूपः अथवा अनन्ताबलिकारूप इति पृच्छा-प्रश्नः । भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! संख्यात स्वरूप कभी नहीं होते हैं । 'पोग्गलपरियट्टा णं भते ! कि संखे ज्जा रूमया पुच्छा' हे भदन्त ! बहुत पुद्गल परिवर्तक्या संख्यात समय रूप होते हैं ? अथवा असंख्पात समयरूप होते हैं ? अथवा अनन्त समयरूप होते हैं ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-गोयमा ! हे गौतम ! 'णो संखेज्जा समया णो असंखेज्जा समया अणंता समया' बहुत पुद्गल परिवर्तन संख्यात समय रूप होते हैं न असंख्यात समय रूप होते हैं किन्तु अनन्त समय रूप होते हैं। ___ अब आवलिकापद को लेकर एक बचन से कहते हैं-'आणापाणू गंभंते ! कि सखेज्जाभो आवलियामो पुच्छा' हे भदन्त ! श्वासो. च्छवास क्या संख्यात आवलिकारूप होता हैं ? अथवा असंख्यात आवलिकारूप होता है ? अथवा अनन्त आवलिका रूप होता है ? इस प्रश्न के उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-गोयमा संखेज्जाओ સમય રૂપ હોય છે સઘળી આવલિકાઓથી લઈને સઘળી ઉત્સર્પિણી સુધીને १ सेप्यात समय ३५ ध्या३५ डात नयी पोग्गलपरियट्टा णं भंते कि संखज्जा समया पुच्छा' बसवन सघा पुगत परिवत ३५ णशुसण्यात समय રૂપ હોય છે ? અથવા અસંખ્યાત સમય રૂપ હોય છે ? અથવા અનંત સમય રૂપ હોય છે, આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી ગૌતમસ્વામીને કહે છે કેगोयमा ! है गौतम ! 'णो संखेज्जा समया णो असंखेज्जा मया पणता समया' સઘળા પુદ્ગલ પરિવર્ત રૂપ કાળ સંખ્યાત સમય રૂપ હોતા નથી, અસંખ્યાત समय ३५ ५५ हात नथी. परंतु सनत समय ३५ हाय छे. 'आणापाणण भंते ! किं संखेज्जाओ आवलियामओ, पुच्छा' में मगन् सपा वासछासो શું સંખ્યાત આવલિકા રૂપ હોય છે? અથવા અસંખ્યાત આવલિકા રૂપ હોય છે ? અથવા અનંત આવલિકા રૂપ હોય છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી, શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧

Loading...

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 ... 698