Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
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१०० श्रीरायचन्द्र-जिनागमसंग्रहे
शतक २०.-उद्देशक ५. पंचमो उद्देसो । १. [प्र०] परमाणुपोग्गले णं भंते ! कतिवन्ने, कतिगंधे, कतिरसे, कतिफासे पन्नत्ते ? [३०] गोयमा ! एगवन्ने, एगगंधे, एगरसे, दुफासे पन्नत्ते, तंजहा-जइ एगवन्ने सिय कालए, सिय नीलए, सिय लोहिए, सिय हालिद्दए, सिय सुकिल्लए, जह एगगंधे सिय सुम्भिगंधे, सिय दुन्भिगंधे, जइ एगरसे सिय तित्ते, सिय कडुए, सिय कसाए, सिय अंबिले, सिय महुरे, जह दुफासे सिय सीए य निद्धे य १, सिय सीए य लुक्ने य २, सिय उसिणे य निद्धे य ३, सिय उसिणे य लुक्खे य ।।
२. [प्र.] दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे कतिवन्ने ? [उ०] एवं जहा अट्ठारसमसए छट्ठद्देसए जाव-सिय चउफासे
जइ एगवन्ने सिय कालए जाव-सिय सुकिल्लए, जइ दुवन्ने सिय कालए य नीलए य १, सिय कालए य लोहितए य २, सिय कालए य हालिइए य ३, सिय कालए य सुकिल्लए य ४, सिय नीलए य लोहियए य ५, सिय नीलए य हालिइए य ६, सिय नीलए य सुकिल्लए य ७, सिय लोहियए य हालिइए य ८, सिय लोहियए य सुकिल्लए य ९, सिय हालिद्दए य सुकिल्लए य १० । एवं एए दुयासंजोगे दस भंगा । जइ एगगंधे सिय सुन्भिगंधे १, सिय दुन्भिगंधे य २, जइ दुगंधे सुन्भिगंधे य दुन्भिगंधे य । रसेसु जहा वन्नेसु । जइ दुफासे सिय सीए य निद्धे य, एवं जहेव परमाणुपोगले ४ । जइ तिफासे सवे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे १, सच्चे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे २, सधे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे ३, सधे लुक्ने देसे सीए देसे उसिणे ४ । जब चउफासे देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्ध देसे लुक्ने १, पर नव भंगा फासेसु।
पंचम उद्देशक. परमाणु वगेरेमा १. [प्र०] हे भगवन् ! परमाणुपुद्गल केटला वर्णवाळो, केटला गंधवाळो, केटला रसवाळो अने केटला स्पर्शवाळो छे ! [उ०] हे वर्णादि
गौतम ! ते एक वर्णवाळो, एक गंधवाळो, एक रसवाळो अने बे स्पर्शवाळो छे. ते आ प्रमाणे-जो ते एक वर्णवाळो होय तो, कदाच परमाणु.
काळो, कदाच लीलो, कदाच रातो, कदाच पीळो अने कदाच धोळो होय (५). जो ते एक गंधवाळो होय तो कदाच सुगंधी अने कदाच दुर्गधी होय (२). जो ते एक रसवाळो होय तो कदाच कडवो, कदाच तीखो, कदाच तूरो, कदाच खाटो अने कदाच मधुर (मीठो) होय (५). जो ते "बे स्पर्शवाळो होय तो कदाच शीत अने स्निग्ध १, कदाच शीत अने रुक्ष-लुखो २, कदाच उष्ण अने स्निग्ध ३, कदाच
उष्ण अने रुक्ष होय ४. [ए प्रमाणे परमाणुमा वर्णना ५, गंधना २, रसना ५, अने स्पर्शना ४ मळीने १६ भांगा थाय छे ]. द्विप्रदेशिक स्कन्ध. २. [प्र०] हे भगवन् । द्विप्रदेशिक स्कंध केटला वर्णवाळो होय-इत्यादि प्रश्न. [उ०] अढारमा शतकना छट्ठा उद्देशकमां कह्या
प्रमाणे कहे, यावत्-'ते कदाच चार स्पर्शवाळो होय.' जो ते एक वर्णवाळो होय तो कदाच काळो होय अने यावत्-कदाच धोळो होय ५. जो ते बे वर्णवाळो होय तो १ कदाच काळो अने लीलो, २ कदाच काळो अने रातो, ३ कदाच काळो अने पीळो, ४ कदाच काळो अने धोळो, ५ कदाच लीलो अने रातो, ६ कदाच लीलो अने पीळो, ७ कदाच लीलो अने धोळो, ८ कदाच रातो अने पीळो, ९ कदाच रातो अने धोळो अने १० कदाच पीळो अने धोळो होय. ए प्रमाणे द्विकसंयोगी दश भांगा जाणवा. जो ते एक गंधवाळो होय तो कदाच सुगंधी होय अने कदाच दुर्गधी होय २. जो ते बे गंधवाळो होय तो सुगंधी अने दुर्गन्धी बन्ने गंधवाळो होय ३. जेम वर्णोमां भांगा कह्या, तेम "रसोमा पण १५ भांगाओ जाणवा. हवे जो ते बे स्पर्शवाळो होय तो कदाच शीत अने स्निग्ध होय-इत्यादि चार भांगा परमाणुपुद्गलनी पेठे समजवा. जो ते (द्विप्रदेशिकस्कंध) त्रण स्पर्शवाळो होय तो ते कदाच सर्वशीत होय अने तेनो एक देशभाग स्निग्ध अने एक देश रूक्ष होय १; कदाच सर्व उष्ण होय अने तेनो एक देश स्निग्ध अने एक देश रूक्ष होय २, अथवा कदाच सर्व स्निग्ध होय अने एक देश शीत अने एक देश उष्ण होय ३, अथवा कदाच सर्व रुक्ष होय भने एक देश शीत अने एक
देश उष्ण होय ४. हवे जो ते चार स्पर्शवाळो होय तो तेनो एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष प्रदेशिक स्कम्भमा होय १. ए प्रमाणे स्पर्शना नव भांगा जाणवा. [ ए रीते द्विप्रदेशिक स्कंधमा वर्णना १५, गंधना ३, रसना १५, अने स्पर्शना ९ R भोगा मो. सर्व मळीने ४२ भांगा थाय छे].
१* परमाणुमा शीत, उष्ण, स्निग्ध अने रूक्ष-ए चार स्पर्शमांना अविरोधी बे स्पर्श होय छे. २१ भग० सं०४ श०१८ उ०६पृ०६३ सू०६.
द्विप्रदेशिक स्कन्धमा ज्यारे बन्ने प्रदेशोनो एकवर्णरूपे परिणाम थाय छे त्यारे तेना काळो वगेरे पांच विकल्प थाय छे, अने ज्यारे बग्ने प्रदेशोयो भिन्न भिल वर्णरूपे परिणाम थाय छे त्यारे तेना द्विकसंयोगी दश विकल्प थाय छे. गन्धमा एकगन्धरूपे परिणाम थाय त्यारे बे भांगा अने बन्ने गन्धरूपे परिणाम पाय त्यारे एक भांगो, रसना एक रसरूपे परिणाम थाय त्यारे पांच भांगा अने बे रसरूपे परिणाम थाय त्यारे दश अने स्पर्शना पूर्व कहेला चार भांगा मळीने ४२ भांगाओ थाय छे. तेमा रसना असंयोगी १ तीसो, २ कडवो, ३ तूरो, ४ खाटो, ५ मीठो-ए पांच भांगाओ अने द्विकसयोगी दश भागा छ१ तीखो अने कडवो, २ तीखो भने तूरो, ३ तीखो अने खाटो, ४ तीखो अने मीठो, ५ कडवो अने तूरो, ६ कडवो अने खाटो, ५ कडवो भने मीठो, “तूरो अने खाटो, तूरो अने मीठो, अने १० खाटो अने मीठो. बन्ने मळी रसना पंदर भांगा थाय छे.
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