Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
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११० श्रीरायचन्द्र-जिनागमसंग्रहे
शतक. २०.-उद्देशक ५ पत्थ वि चउसहि भंगा। सवे कक्खडे सवे निद्धे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे १, जाव-सवे मउए सवे लुक्ने देसा गण्या देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा, एए चउसर्टि भंगा। सधे गरुप सधे सीए देसे कक्खडे देसे 'मउए देसे निद्धे देसे लुफ्खे, एवं जाव-सवे लहुए सधे उसिणे देसा कक्खडा देसा मउया देसा निद्धा देसा लुक्खा, एए. घउसदि भंगा। सवे गरुए सच्चे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे, जाव-सचे लहुए सवे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा सीया देसा उसिणा, एए चउसर्टि भंगा । सच्चे सीए सच्चे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए, जाव-सचे उसिणे सच्चे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया, एए चउसद्धि भंगा। सचे ते छफासे तिन्नि चउरासीया भंगसया भवंति ३८४ । ___जइ सत्तफासे सवे कवखडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे १, सवे कक्खडे देस गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिण देसा निद्धा देसा लुक्खा ४, सवे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, सन्चे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, सवे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे । सच्चे ते सोलस भंगा भाणियवा । सन्ने कक्खडे देसे गरुए देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं गरुएणं एगत्तेणं लहुएणं पुहुत्तेणं एते वि सोलस भंगा । सन्चे कक्खडे देसा गरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एए वि सोलस भंगा भाणियधा। सच्चे कक्खड़े देसा गरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एए वि सोलस भंगा भाणियचा। एवमेते चरसदि भंगा कक्खडेणं समं । सवे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्ने । एवं मउएण वि समं चउसर्टि भंगा भाणियवा । सवे गरुए देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे । एवं गरुपण वि समं चउसटुिं भंगा कायवा । सच्चे लहुए देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे । एवं लहुएण वि समं चउसाट्ट भंगा कायया । सच्चे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्ध देसे लुक्खे । एवं सीतेण वि समं चउसट्टि भंगा कायथा । सवे उसिणे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे
देश लघु, एक देश शीत अने एक देश उष्ण होय, यावत्-कदाच सर्व मृदु, सर्व रुक्ष, अनेक देशो गुरु, अनेक देशो लघु, अनेक देशो शीत अने अनेक देशो उष्ण होय. ए प्रमाणे अहिं पण चोसठ भांगा करवा. कदाच सर्व गुरु, सर्व शीत, एक देश कर्कश, एक देश मृदु, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय, ए प्रमाणे यावत्-सर्व लघु, सर्व उष्ण, अनेक देशो कर्कश, अनेक देशो मृदु, अनेक देशो स्निग्ध अने अनेक देशो रुक्ष होय. ए प्रमाणे चोसठ भांगा समजवा. कदाच सर्व गुरु, सर्व स्निग्ध, एक देश कर्कश, एक देश मृदु, एक देश शीत अने एक देश उष्ण होय, यावत्-कदाच सर्व लघु, सर्व रुक्ष, अनेक देशो कर्कश, अनेक देशो मृदु, अनेक देशो शीत अने अनेक देशो उष्ण होय. ए प्रमाणे अहिं पण चोसठ भांगा जाणवा. कदाच सर्व शीत, सर्व स्निग्ध, एक देश कर्कश, एक देश मृदु, एक देश गुरु अने एक देश लघु होय, यावत्-कदाच सर्व उष्ण, सर्व रुक्ष, अनेक देशो कर्कश, अनेक देशो मृदु, अनेक देशो गुन अने अनेक देशो लघु होय. ए प्रमाणे अहिं पण चोसठ भांगा जाणवा. ते बधा मळीने छ स्पर्श संबंधे ३८४ भांगा थाय छे.
सात सर्शना भगो.
हवे जो ते सात स्पर्शवाळो होय तो (१) सर्व कर्कश, एक देश गुरु, एक देश लघु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय १, कदाच सर्व कर्कश, एक देश गुरु, एक देश लघु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, अनेक देशो स्निग्ध धने अनेक देशो रुक्ष होय ४. [ए प्रमाणे चार भांगा करवा ]. (२) कदाच सर्व कर्कश, एक देश गुरु, एक देश लघु, एक देश शीत, अनेक देशो उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय ४. [अहिं पण चार भांगा करवा ]. (३) कदाच सर्व कर्कश, एक देश गुरु, एक देश लघु, अनेक देशो शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय ४. (४) कदाच सर्व कर्कश, एक देश गुरु, एक देश लघु, अनेक देशो शीत, अनेक देशो उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय ४. ए बधा मळीने सोळ. भांगा कहेवा. (२) कदाच सर्व कर्कश, एक देश गुरु, अनेक देशो लघु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय. ए प्रमाणे 'गुरु' पद एक वचनमा अने 'लघु' पदने अनेक वचनमा राखी उपरना ज सोळ भांगा अहिं पण कहेवा १६. (३) कदाच सर्व कर्कश, अनेक देशो गुरु, एक देश लघु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय १६. अहिं पण सोळ भांगा कहेवा. (४) कदाच सर्व कर्कश, अनेक देशो गुरु, अनेक देशो लघु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय १६. ए पण सोळ भांगा कहेवा. (१) ए प्रमाणे ए चोसठ भांगा 'कर्कश' साथे कह्या ६४. (२) कदाच सर्व मृदु, एक देश गुरु, एक देश लघु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय. ए प्रमाणे 'मृदु'नी साथे पण चोसठ भांगा करवा. (३) कदाच सर्व गुरु, एक देश कर्कश, एक देश मृदु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष. ए प्रमाणे 'गुरु'नी साथे पण चोसठ भांगा कहेवा..(४) कदाच सर्व लघु, एक देश कर्कश, एक देश मृदु, एक देश
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