Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust

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Page 334
________________ २७६ श्रीरायचन्द्र-जिनागमसंप्रहे शतक २५.-उद्देशक .. १०४. [प्र०] से किं तं बाहिरए तवे ? [उ०] बाहिरए तवे छविहे पन्नत्ते, तंजहा-अणसणं, ओमोदेरिया, मिक्वायरिया, रेसपरिचाओ, कायकिलेसो, पैडिसलीणता । १०५. [प्र०] से किं तं अणसणे ? [उ०] अणसणे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-इत्तरिए य आवकहिए य । १०६. [प्र०] से किं तं इत्तरिए ? [उ०] इत्तरिए अणेगविहे पन्नत्ते, तंजहा-चउत्थे भत्ते, छठे भत्ते, अट्ठमे भत्ते, दसमे भत्ते, दुवालसमे भत्ते, चोइसमे भत्ते, अद्धमासिए भत्ते, मासिए भत्ते, दोमासिए भत्ते, तेमासिए भत्ते, जाव-छम्मासिए भत्ते । सेत्तं दत्तरिए। १०७. [प्र०] से किं तं आवकहिए ? [उ०] आवकहिए दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-पाओवगमणे य भत्तपञ्चपखाणे य । १०८. [प्र०] से किं तं पाओवगमणे ? [उ०] पाओवगमणे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-नीहारिमे य .अणीहारिमे य, नियम अपडिकम्मे । सेत्तं पाओवगमणे । १०९. [प्र०] से किं तं भत्तपञ्चक्खाणे ? [उ०] भत्तपञ्चक्खाणे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-नीहारिमे य अनीहारिमे य, नियमं सपडिकम्मे । सेत्तं भत्तपञ्चक्खाणे । सेत्तं आवकहिए । सेत्तं अणसणे । ११०. [प्र०] से किं तं ओमोदरिया ? [उ०] ओमोदरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-दधोमोयरिया य भावोमोयरिया य। १११. [प्र०] से किं तं दधोमोयरिया ? [उ०] दयोमोयरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-उवगरणदरोमोयरिया य भत्तपाणदधोमोयरिया य । ___ ११२. [प्र०] से किं तं उवगरणदच्चोमोयरिया ? [उ०] उवगरणदधोमोयरिया तिविहा पन्नत्ता, (तंजहा-) पगे वत्थे, एगे पादे, चियत्तोवगरणसातिजणया । सेत्तं उवकरणदधोमोयरिया । अमशनना प्रकार. इत्वरिक भनानना प्रकार. यावत्कथिक अनशनना प्रकार. पादपोपगमनना प्रकार. १०४. [प्र०] बाह्य तपना केटला प्रकार छे! [उ०] बाह्य तपना छ प्रकार छे–१ अनशन-आहारत्याग, २ ऊनोदरीकंइक ओछो आहार करवो, ३ भिक्षाचर्या, ४ रसनो त्याग करवो, ५ कायक्लेश-शरीरने कष्ट आप, अने ६ प्रतिसंलीनता-इन्द्रियकषायादिनो निग्रह करवो. १०५. [प्र०] अनशनना केटला प्रकार छे! [उ०] अनशनना बे प्रकार छे, ते आ प्रमाणे-इत्वरिक-अमुक काळ सुधी आहार त्याग अने यावत्कथिक-जीवनपर्यन्त आहारत्याग. १०६. [प्र०] इत्वरिक अनशनना केटला प्रकार छे! [उ०] इत्वरिक अनशन अनेक प्रकारचें कह्यं छे, ते आ प्रमाणेचतुर्थ भक्त-एक उपवास, षष्ठ भक्त-बे उपवास, अष्टम भक्त-त्रण उपवास, दशम भक्त-चार उपवास, द्वादश भक्त-पांच उपवास, चतुर्दश भक्त-छ उपवास, अर्धमासिक भक्त-पक्षना उपवास, मासिक भक्त-मासना उपवास, द्विमासिक भक्त-बेमासना उपवास, त्रिमासिक भक्त-त्रण महीनाना उपवास, यावत्-षट्मासिक भक्त-छ महीनाना उपवास. ए प्रमाणे इत्वरिक अनशन कर्यु. १०७. [प्र०] यावत्कथिक अनशनना केटला प्रकार छे ! [उ०] यावत्कथिक अनशनना बे प्रकार छे.-पादपोपगमन अने भक्तप्रत्याख्यान. १०८. [प्र०] पादपोपगमनना केटला प्रकार छे! (उ०] पादपोपगमनना बे प्रकार छे, ते आ प्रमाणे-निर्हारिम (जेमा मृत शरीर उपाश्रयादिथी बहार काढवानुं होय ते) अने अनिएरिम (जेमां मृत शरीर बहार काढवानुं न होय ते). तेमा अनिर्झरिम अनशन अवश्य सेवादि प्रतिकर्मरहित छे. ए रीते पादपोपगमन अनशन संबन्धे कह्यु. . १०९. [प्र०] भक्तप्रत्याख्यान केटला प्रकारचें छे! [उ०] भक्तप्रत्याख्यानना बे प्रकार छ-निर्झरिम अने अनिहरिम. ते बन्ने अवश्य सेवादि प्रतिकर्मवाळां छे. ए प्रमाणे भक्तप्रत्याख्यान कह्यु. एम यावत्कथिक अनशन कह्यु, अने ए रीते अनशन पण कद्यु. ११०. [प्र०] ऊनोदरिकाना केटला प्रकार छे ! [उ०] ऊनोदरिकाना बे प्रकार छे, ते आ प्रमाणे-द्रव्यऊनोदरिका अने भावऊनोदरिका. १११. [प्र०] द्रव्यऊनोदरिकाना केटला प्रकार छे ! [उ०] द्रव्यऊनोदरिकाना बे प्रकार छे, ते आ प्रमाणे-उपकरणद्रव्यऊनोदरिका अने भक्तपानद्रव्यऊनोदरिका. ११२. [प्र०] उपकरण द्रव्यऊनोदरिकाना केटला प्रकार छे! [उ०] उपकरणद्रव्यऊनोदरिकाना त्रण प्रकार छे, (ते आ प्रमाणे-) एक वस्त्र, एक पात्र, चियत्तोपकरणखदनता-संयतोए त्याग करेला वस्त्र पात्र सिवायना उपकरणोनो उपभोग करवो. ए रीते उपकरणद्रव्यऊनोदरिका कही छे. भक्तप्रत्याख्यान- ना प्रकार. ऊनोदरिकाना प्रकार. द्रव्यऊनोदरिका ना प्रकार. उपकरण द्रव्य नोदरिकाना प्रकार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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