Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust

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Page 357
________________ एगणतीसतिमं सयं पढमो उद्देसो। १. [प्र०] जीवा णं भंते ! पावं कम्मं किं समायं पट्ठर्विसु समायं निट्ठविसु १, समायं पट्टविसु विसमायं निट्ठविंसु २, विसमायं पट्टर्विसु समायं निविंसु ३, विसमायं पट्टविंसु विसमायं निट्ठविंसु ? [उ०] गोयमा ! अत्थेगइया समायं पटुविसु समायं निविसु १, जाव-अत्थेगइया विसमायं पट्टविसु विसमायं निट्ठविसु । २. [प्र०] से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ-'अत्थेगइया समायं पटुर्विसु समायं निट्ठर्विसु'-तं चेव ! [उ०] गोयमा! जीवा चउधिहा पन्नत्ता, तंजहा-अत्थेगइया समाउया समोववन्नगा १, अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा २, अत्थेगइया विसमाउया समोववन्नगा ३, अत्थेगइया विसमाउया विसमोववन्नगा ४ । १ तत्थ णं जे ते समाउया समोववनगा ते गं पावं कम्मं समायं पट्टविसु समायं निविंसु । २ तत्थ णं जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते णं पावं कम्मं समायं पट्टविसु विसमायं निविसु । तत्थ णं जे ते विसमाउया समोववन्नगा ते गं पावं कम्मं विसमायं पट्टविसु समायं निविसु । तत्थ पंजे ते विसमाउया विसमोववनगा ते ण पावं कम्मं विसमायं पट्टाविसु विसमायं णिविसु । से तेणट्रेणं गोयमा! तं चेव । ओगणत्रीशमुं शतक प्रथम उद्देशक. १.प्र० हे भगवन् । १ शुं घणा जीवो पाप कर्मने भोगववानी शरुआत एक काळे करे छे अने तेनो अंत पण एक काळे पापकर्मना वेदननो करे छे ? २ भोगववानी शरुआत एक काळे करे छे अने तेनो अंत भिन्न काळे करे छे ? ३ भोगववानी शरुआत भिन्न काळे करे छे अने भार अंत एक काळे करे छे के तेने भोगववानी शरुआत भिन्न काळे करे छे अने तेनो अंत पण भिन्न काळे करे छे ? [उ०] हे गौतम! केटलाक जीवो पाप कर्मने भोगववानी शरुआत एक कादे करे छे अने तेनो अंत पण एक काळे करे छे. ए रीते यावत्कोइ जीवो तो पाप कर्मने भोगववानी शरुआत भिन्न काळे करे छे अने तेनो अंत पण भिन्न काळे करे छे. २. प्र०] हे भगवन् ! एम शा हेतुथी कहो छो के 'केटलाक जीवो पाप कर्मने भोगववानी शरुआत एक काळे करे छे अने तेम कहेवार्नु कारण. तेनो अंत पण एक काळे करे छे'-इत्यादि पूर्वमा कह्यु छे ते प्रमाणे कहेQ. [उ०] हे गौतम! जीवो चार प्रकारना कह्या छे. ते आ प्रमाणे-१ केटलाक जीवो समान काळे आयुषना उदयवाळा अने समकाळे भवान्तरमा उत्पन्न थयेला, २ केटलाक जीवो समान काळे आयुषना उदयवाळा अने जुदा जुदा समये परभवमा उत्पन्न थएला, ३ केटलाक जुदा जुदा काळे आयुषना उदयवाळा अने साथे उत्पन्न थयेला तथा ४ केटलाक जुदा जुदा काळे आयुषना उदयवाळा अने जुदा जुदा समये परभवमा उत्पन्न थयेला होय छे. १ तेमां समानकाळे आयुषना उदयवाळा अने परभवमा साथे उत्पन्न 'थयेला होय छे तेओ एकज काळे पाप कर्मने भोगववानी शरुआत करे छे अने तेनो अंत पण एक काळे करे छे. २ जे जीवो समान काळे आयुपना उदयवाळा अने जुदा जुदा समये परभवमा उत्पन्न थयेला होय छे तेओ पाप कर्मने भोगववानी शरुआत एक काळे करे छे अने तेनो अंत पण जुदा जुदा समये करे छे. ३ जे जीवो जुदा जुदा काळे आयुषना उदयवाळा अने साथे परभवमा उत्पन्न थयेला होय छे तेओ पाप कर्मने भोगवयानी शरुआत जुदा जुदा काळे करे छे अने तेनो अंत एक काळे करे छे ४ अने जे जीवो जुदा जुदा काळे आयुष्यना उदयवाळा अने जुदा जुदा समये परभवमा उत्पन्न थयेला छे तेओ पाप कर्मने भोगववानी शरुआत जुदा जुदा काळे करे छे अने तेनो अंत पण जुदा जुदा काळे करे छे..ए कारणथी हे गौतम !-इत्यादि पूर्व प्रमाणे कहेवू. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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