Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
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शतक २०.-उद्देशक ५.
भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र. लुक्खे । एवं उसिणेण वि समं चउसटुिं भंगा कायचा । सवे निद्ध देसे कक्खडे देसे मउप देसे गरुए देसे लंहुए देसे सीए देसे उसिणे । एवं निद्धण वि चउसद्धिं भंगा कायश्वा । सवे लुक्खे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे । एवं लुक्खेण वि समं चउसर्टि भंगा कायवा जाव-सवे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा । एवं सत्तफासे पंच बारसुत्तरा भंगसया भवंति । १५ . जइ अट्टफासे. देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुर देसे लहुए देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, एए चत्तारि चउक्का सोलस भंगा । देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्ध देसे लुफ्खे, एवं एते गरुएणं एगत्तएणं लहुएणं पुहत्तएणं सोलस भंगा कायया । देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४ । एए वि सोलस भंगा कायवा । देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्ध देसे लुफ्खे। एते वि सोलस भंगा कायवा । सच्चे वि ते चउसटुिं भंगा कक्खड-मउपहिं एगत्तपहिं । ताहे कक्खडेणं एगत्तएणं मउएणं पुहत्तेणं एते चउसटुिं भंगा कायचा । ताहे कक्खडेणं पुहत्तएणं मउएणं एगत्तपणं चउसद्धिं भंगा कायवा । ताहे पतेहिं चेव दोहि वि पुहुत्तेहि चउसहि भंगा कायवा जाव-'देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा' एसो अपच्छिमो भंगो। सवे ते अट्ठफासे दो छप्पन्ना भंगसया भवंति । एवं पते बादपरिणए अणंतपएसिए खंधे ससु संजोएसु बारस छन्नउया भंगसया भवति ।
शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय. ए प्रमाणे 'लघु'नी साथे पण चोसठ भांगा कहेवा. (५) कदाच सर्व शीत, एक देश कर्कश, एक देश मृदु, एक देश गुरु, एक देश लघु, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय. ए प्रमाणे 'शीत'नी साथे पण चोसठ भांगा कहेवा. (६) कदाच सर्व उष्ण, एक देश कर्कश, एक देश मृदु, एक देश गुरु, एक देश लघु, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय. ए प्रमाणे 'उष्ण'नी साथे पण चोसठ भांगा कहेवा. (७) कदाच सर्व स्निग्ध, एक देश कर्कश, एक देश मृदु, एक देश गुरु, एक देश लघु, एक देश शीत, अने एक देश उष्ण होय. ए प्रमाणे 'स्निग्ध'नी साथे पण चोसठ भांगा कहेवा. (८) कदाच सर्व रुक्ष, एक देश कर्कश, एक देश मृदु, एक देश गुरु, एक देश लघु, एक देश शीत अने एक देश उप्ण होय. ए प्रमाणे 'रुक्ष' साथे पण चोसठ भांगा करवा. यावत्-सर्व रक्ष, अनेक देशो मृदु, अनेक देशो गुरु, अनेक देशो लघु, अनेक देशो शीत अने अनेक देशो उष्ण होय ६४. ए रीते बधा मळीने सात स्पर्शना पांचसोने बार भांगा थाय छे.
जो ते आठ स्पर्शवाळो होय तो (१) कदाच एक देश कर्कश, एक देश मृदु, एक देश गुरु, एक देश लघु, एक देश शीत, एक भाठ स्पर्शना भगो. देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय ४. [अहिं चार भांगा करवा.] (२) कदाच एक देश कर्कश, एक देश मृदु, एक देश गुरु, एक देश लघु, एक देश शीत, अनेक देशो उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय ४, (३) कदाच एक देश कर्कश, एक देश मृदु, एक देश गुरु, एक देश लघु, अनेक देशो शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय ४. [ अहिं पण चार भांगा करवा ]. (४) कदाच एक देश कर्कश, एक देश मृदु, एक देश गुरु, एक देश लघु, अनेक देशो शीत, अनेक देशो उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय ४. ए प्रमाणे चार चतुष्कना सोळ भांगा करवा. (२) कदाच एक देश कर्कश, एक देश मृदु, एक देश गुरु, अनेक देशो लघु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय. ए प्रमाणे 'गुरु' ने एक वचनमा भने 'लघु'ने बहुवचनमा राखी (उपरना ज) सोळ भांगा करवा १६. (३) कदाच एक देश कर्कश, एक देश मृदु, अनेक देशो गुरु एक देश लघु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय. ए प्रमाणे अहिं पण सोळ भांगा करवा. (४) कदाच एक देश कर्कश, एक देश मृदु, अनेक देशो गुरु, अनेक देशो लघु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक 'देश रुक्ष होय. अहिं पण सोळ भांगा करवा. ए बधा मळीने चोसठ भांगा 'कर्कश अने मृदु' ने एक वचनमा राखवाथी थाय. (२) तेमां कर्कशने एक वचनमा अने मृदुने अनेक वचनमा राखी एज प्रमाणे बीजा चोसठ भांगा करवा. वळी तेमा (३) कर्कशने बहुवचनमा अने मृदुने एक वचनमा राखी पुनः चोसठ भांगा करवा. वळी पण (४) कर्कश अने मृदु बन्नेने बहुसंख्यामा राखी बीजा चोसठ भांगा करवा. यावत्-अनेक देशो कर्कश, अनेक देशो मृदु, अनेक देशो गुरु, अनेक देशो लघु, अनेक देशो शीत, अनेक देशो उष्ण, अनेक देशो स्निग्ध अने अनेक देशो रुक्ष होय ६४. ए छेल्लो भांगो छे. ए बधा मळीने आठ स्पर्शना बसो ने छप्पन्न भांगा थाय छे. ए प्रमाणे बादर- पादर स्कन्धना
स्पर्शने भाषयी परिणामवाळा अनंतप्रदेशिक स्कंधमा स्पर्शना सर्व संयोगोने आश्रयी [चतुःसंयोगी १६, पंचसंयोगी १२८, छसंयोगी ३८४, सप्तसंयोगी
१९९५ मंगो. ५१२ अने अष्टसंयोगी २५६-] बधा मळीने १२९६ भांगा थाय छे.
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