Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
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श्री रायचन्द्र-जिनागमसंप्रद्दे
शतक २०. - उद्देशक ५.
जइ
फासे देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे १, देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा २, देसे सीए देसे उसने देखा ना देखे लुक्खे ३, देसे सीए देसे उलिणे देसा निद्धा देखा लुफ्ला ४, देखे सीए देखा उसिणा देखे निदे देसे लुक्खे ५, देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसा लुक्खा ६, देसे सीए देखा उसिणा देसा निद्धा देसे लुक्ने ७, देखे सीए देखा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा ८, देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ९, एवं एए उफासे सोलस भंगा भाणियष्ट्वा जाव - देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा । सधे पते फासेसु छत्तीसं भंगा ।
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५. [प्र० ] पंचपपसिए णं भंते! धंधे कतिपत्रे० १ [४०] जहा अट्ठारसमस जावसिय चडफासे पद्मतेज एग बजे एगवदुचना जहेच चढप्पपसिए । जइ तिने सिय कालए नीलए लोहिया व १, सिय कालय नीलए लोहिया व २, सिय काल नीलगाय छोहिए य ३, सिय कालर नीलगाय लोहिया व ४ सिय कालगा व नीलए य लोहियए ५, सिय कालगाय नीलए य लोहियगा य ६, सिय कालगा य नीलगाय लोहियर य ७ सिय कालर नीलर हालिइत्यपि सत्त भंगा ७ एवं कालगनीलम सुकिलपसु सन्त भंगा, फालगलोहियहालिदेसु ७, कालमहोदयसुकिल्ले ७,
देश शीत अने एक देश उष्ण होय ४. (४) अथवा सर्व रुक्ष होय अने एक देश शीत अने एक देश उष्ण होय ४. ए प्रमाणे बधा मळीने त्रण स्पर्शना सोळ भांगा थाय छे १६. कदाच चार स्पर्शवाळो होय तो तेनो एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय १. अथवा एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने अनेक देशो रुक्ष होय २. अथवा एक देश शीत, एक देश उष्ण, अनेक देशो स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय २. अथवा एक देश शीत, एक देश उष्ण, अनेक देशो निग्ध अने अनेक देशो रुक्ष होय ४. अथवा एक देश शीत, अनेक देशो उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय ५. अथवा एक देश शीत अनेक देशो उष्ण, एक देश स्निग्ध अने अनेक देशो रुक्ष होय ६. अथवा एक देश शीत, अनेक देशो उष्ण, अनेक देशो स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय ७. अथवा एक देश शीत, अनेक देशो उष्ण, अथवा अनेक देशो शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय ९. ए प्रमाणे चार स्पर्शना *सोळ भांगा कहेवा.
अनेक देशो स्निग्ध अने अनेक देशो रुक्ष होय ८.
यावत् तेना अनेक देशो शीत, अनेक देशो उष्ण, अनेक देशो स्निग्ध अने अनेक देशो रुक्ष होय १६. ए बधा मळीने [ द्विक संयोगी
चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध- ४, त्रिकसंयोगी १६, अने चतु:संयोगी १६] स्पर्श संबंधे छत्रीश भांगा थाय छे. [ चतुष्प्रदेशी स्कंधने आश्रयी वर्णना ९०, गंधना ६,
ना २२२ भांगाओ.
रसना ९०, अने स्पर्शना ३६ मळी २२२ भांगाओ थाय छे. ]
पांच प्रवेशिक स्कन्ध.
५. [प्र०] हे भगवन् ! पांच प्रदेशवाळो स्कंध केटला वर्णवाळो होय - इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गौतम ! अढारमां शतकर्मा कह्या प्रमाणे यावत्- 'से कदाच चार स्पर्शया को छे' यां सुधी जाणवु, जो से एक वर्णवालो के वे वर्णवाळो होय तो चार प्रदेशबाळा स्कन्धनी पेठे तेना (५, ४०) भांगा जाणवा जो ते श्रम वर्णवाल होय तो (१) कदाच तेनो एक देश काळो, एक देश लीलो भने एक देश रातो होय १. कदाच एक देश काळो, एक देश लीलो अने अनेक देशो राता होय २. कदाच एक देश काळो, अनेक देशो लीला अने एक देश रातो होय १. कदाच एक देश काळो, अनेक देशो ढीला अने अनेक देशो राता होय ४. अथवा तेना अनेक देशो काळा, एक देश लीलो अने एक देश रातो होय ५. अथवा अनेक देशो काळा, एक देश लीलो अने अनेक देशो राता होय ६. अथवा अनेक देशो काळा, अनेक देशो लीला अने एक देश रातो होय ७. अथवा कदाच (२) तेनो एक देश काळो, एक देश लीलो अने एक देश पीळो होय. आ त्रिकसंयोगमां पण सात भांगा कहेबा ७. एम (३) काळो, लीलो अने धोळो. अहिं पण सात भांगा समजवा ७. (४) अथवा काळो, रातो अने पीळो होय ७. (५) अथवा काळो, रातो अने धोळो होय ७. (६) अथवा काळो, पीळो अने धोळो होय ७. (७) लीलो, रातो अने पीळो ७. (८) अथवा लीलो, रातो अने धोळो ७. (९) अथवा लीलो, अथवा रातो पीळो भने धोलो होप ७. ए प्रमाणे दश त्रिकसंयोगना सीतेर भांगा थाय छे. हवे जो ते कदाच एक देश काळो, एक देश लीलो, एक देश रातो अने एक देश पीळो होय १. अथवा एक देश काळो, लीलो, रातो अने अनेक देश पीळा होय २, अथवा एक देश काळो, लीलो, अनेक देशो राता अने एक देश पीळो होय ३, अथवा एक देश काळो, अनेक देशो लीला, एक देश रातो अने एक देश पीळो होय ४. अथवा तेना अनेक देशो काळा, एक देश लीलो, एक देश रातो अने एक देशो पीलो दोष ५. ए प्रमाणे एक चतुःसंयोगमां पांच मांगा जागवा, बळी ए रीते (२) कदाच एक देश काळो, लीडो, रातो अने धोळो ५. (३) एक देश काळो, लीलो, पीळो अने घोळो ५. (४) अथवा काळो, रातो, पीळो अने धोळो होय ५. (५) अथवा कदाच लीलो, रातो, पीळो भने घोळो होय ५. ए प्रमाणे पांच चतुःसंयोगना पचीश भांगा थाय छे. बळी जो ते पांच वर्णवाळो होय तो काळो, सीटो
पीळो अने धोळो ७. (१०)
चार स्पर्शवाळो होय तो (१)
४ * अनेक देशो शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध अने अनेक देशो रूक्ष होय १०. अनेक देशो शीत, एक देश उष्ण अनेक देशो स्निग्ध अने एक देश रूक्ष होय ११. अथवा अनेक देशो शीत, एक देश उष्ण, अनेक देशो स्निग्ध अने अनेक देशो रूक्ष होय १२. अथवा अनेक देशो शीत, अनेक देशो उष्ण, एक देश स्निग्ध अने एक देश रूक्ष होय १३. अथवा अनेक देशो शीत, अनेक देशो उष्ण, एक देश स्निग्ध अने अनेक देशो रूक्ष होय १४. अथवा अनेक देशो शीत, अनेक देशो उष्ण, अनेक देशो स्निग्ध अने एक देश रूक्ष १५. अने छेलो भांगो मूळमां कहेलो छे.
५ भग० नं० ४ श० १८ उ० ६ पृ० ६३ सू० ६.
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