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कुछ जन्म से स्तन तक, तो कुछ छेदन से स्तन तक, कुछ जन्म से स्कन्ध तक, तो कुछ छेदन से स्कन्ध तक, कुछ जन्म से वाहु तक, तो कुछ छेदन से वाहु तक, कुछ जन्म से हाथ तक, तो कुछ छेदन से हाथ तक, कुछ जन्म से अंगुली तक, तो कुछ छेदन से अंगुली तक, कुछ जन्म से नख तक, तो कुछ छेदन से नख तक, कुछ जन्म से गर्दन तक, तो कुछ छेदन से गर्दन तक, कुछ जन्म से ठुड्डी तक, तो कुछ छेदन से ठुड्डी तक, कुछ जन्म से होठ तक, तो कुछ छेदन से होठ तक, कुछ जन्म से दांत तक, तो कुछ छेदन से दांत तक, कुछ जन्म से जीभ तक, तो कुछ छेदन से जीम तक, कुछ जन्म से तालु तक, तो कुछ छेदन से तालु तक, कुछ जन्म से गले तक, तो कुछ छेदन से गले तक, कुछ जन्म से गाल तक, तो कुछ छेदन से गाल तक, कुछ जन्म से कान तक, तो कुछ छेदन से कान तक, कुछ जन्म से नाक तक, तो कुछ छेदन से नाक तक, कुछ जन्म से आँख तक, तो कुछ छेदन से आँख तक, कुछ जन्म से भौंह तक, तो कुछ छेदन से भौंह तक, कुछ जन्म से ललाट तक, तो कुछ छेदन से ललाट तक, कुछ जन्म से शिर तक, तो कुछ छेदन से शिर तक,
५१. कोई मूछित कर दे, कोई वध कर दे ।
[ जिस प्रकार मनुष्य के उक्त अवययों का छेदन-भेदन कप्टकर है, उसी प्रकार जलकाय के अवययों का। 1.
५२. वही, मैं कहता हूँ
अनेक प्राणधारी जीव जल के आश्रित हैं ।
'५३. हे पुरुप! इस अनगार जिनशासन में कहा गया है कि जल स्वयं जीव रूप
५४. इस जलकायिक शस्थ [हिंसा पर विचार कर देख । शस्त्र-परिक्षा
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