Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 218
________________ १२५. शाश्वत को निमन्त्रित करे। दिव्य माया पर श्रद्धा न करे। माहन-पुरुप इसे समझे और सभी प्रकार के छल-कपट को छोड़ दे। १२६. सभी अर्थो/विपयों से अमूछित आयुकाल का पारमामी होता है । तितिक्षा को परम जानकर हितकारी अनन्य विमोह को स्वीकार करे। -ऐसा मैं कहता हूँ। विमोक्ष २०६

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