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रोग निदानकी और रीतियां
एलोपेथी उस चिकित्सा प्रणालीका नाम है जिसे पाश्चात्य राज्यों की ओर से सम्मान और प्रतिष्ठा मिली है । पच्छाहीं देशों में इन चिकित्सा प्रणालीका सबसे अधिक प्रचार है । इस प्रणाली में इस बातपर बड़ा जोर दिया जाता है कि रोगके सूक्ष्मसे सूक्ष्म कारणोंकी जाँच बड़े बिस्तार के साथ की जाय। इस मतलब से मुर्दों के ( एनाटोमी) चीरफाड़ के द्वारा शरीर के अवयवों की खूब अच्छी तरह जांच की जाती है। एलोपेथी के डाक्टर के लिये शरीरके हर एक सूक्ष्म से सूक्ष्म अङ्गका नाम हर इन्द्रियका ठीक ठीक स्थान और कार्य्य जानना बहुत आवश्यक है को टटोलकर, ठोककर, तथा यन्त्रोंके द्वारा जानकर शारीरिक अवयवोंके बारे में अपना मत निश्चित करता जाननेके लिये
। इसलिये वह शरीर
शरीरका भीतरी हाल
है । शरीर के भीतरवाली हालत निश्चित रूपसे बहुतसे विचित्र प्रकारके दन्त्र बनाये गये हैं। मनुष्यकी उस आविष्कारणी बुद्धिको देखकर चकित होना पड़ता है, जिसकी बदौलत ऐसे सूक्ष्म यन्त्र बनाये गये हैं ।
एलोपेथिक डाक्टर विस्तार के साथ रोगी की भिन्न-भिन्न परीक्षा करते हैं इनमें यदि पारस्परिक सम्बन्ध हो जाय तो आकस्मिक होगा। एलोपेथिक डाक्टर धाम तौरपर कुछ कुछ नीचे लिखे हुए ढङ्गपर रोगकी जाँच करते हैं। डाक्टर पहले तो रोगी से तरह तरह के प्रश्न करता है । इसके बाद वह उसकी
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