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बादीपनका इलाज
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है। जिन पेड़ोंको प्रातःकालीन सूर्यका प्रभाव नहीं प्राप्त होता उनमें या तो बहुत कम फल लगते हैं या बिलकुल ही नहीं लगते। अगर सवेरेका सूर्य पेड़के सिर्फ कुछ ही हिस्सोंपर अपना प्रकाश डालता है तो आम तौरपर यह देखा जाता है कि सिर्फ उन्हीं हिस्सोंपर फूल लगते हैं। इसी तरहसे मनुष्य कितना ही चाहे तब भी सूर्य के प्रभावसे दूर नहीं रह सकता। अगर वह प्राकृतिक नियमोंका पालन करे और सवेरे उठकर खुली हवामें चला जाय तो उसे फौरन मालूम होगा कि सूर्य्यकी किरणोंका कितना अच्छा और कितना उल्लास देनेवाला प्रभाव पड़ता है।
इसी तरह वह दिनके दूसरे अर्थात् शांति देनेवाले भागके प्रभावको भी अवश्य देखेगा। दिनका दूसरा भाग उसी क्षणसे प्रारम्भ होता है जिस क्षणमें सूर्य प्रकाश मध्यको पारकर पश्चिमकी ओर जाने लगता है अर्थात् दिनका यह भाग्य मध्याह्नसे प्रारम्भ होता है। इस भागका प्रभाव यह है कि तेजी और फुरतीलापन धीरे-धीरे कम होने लगता है यहांतक कि सूरज डूबते डूबते बिल्कुल शांति मा जाती है और जानवरोंकी तरह मनुष्य भी सोनेकी इच्छा प्रकट करता है।। ____ उत्तेजना देनेवाले भागमें काम और परिश्रम करनेकी इच्छा हममें पैदा होती है और हमारे बदन में तेजी और फुरनीलापन
आ जाता है। शांति देनेवाले भागमें हमारा शरीर शिथिल पड़ जाता है और बदनमें थकावट आ जाती है और हम भाराम.
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