Book Title: Aakruti Nidan
Author(s): Lune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
Publisher: Hindi Pustak Agency

View full book text
Previous | Next

Page 138
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आकृति-निदान चित्र १२-सामने और बगलवाला बादीपन सिर बहुत कुछ स्वाभाविक प्रकारका है। माथा, आँख, नाक और मुहकी आकृति स्वाभाविक प्रकारकी है । चेहरेको गरदनसे जुदा करनेवाली लकीर भी स्वाभाविक प्रकारकी हे गरदन बहुत बड़ी, सूजी और कड़ी है। बादीपन सिर्फ गरदन तक पहुँचा है जिससे घेघा पैदा हो गया है। सिर बादीपनसे करीब करीब बिलकुल हो खाली है। चित्र १३-सामने और बगल वाला बादीपन (जिस स्त्रीकी तस्वीर नं०१२ में दी गयी है उसीकी लड़की ) सिर कुछ ज्यादा बड़ा है। माथेमें चरबी होनेसे वह कुछ कुछ गद्दीकी तरह मालूम पड़ता है। आंखें संकु. चित हैं। नाककी आकृति स्वाभाविक प्रकारकी है। मुह कुछ कुछ खुला है। चेहरेको गरदनसे जुदा करनेवाली लकीर स्वाभाविक प्रकारकी है । गरदन बढ़ा हुई है और उसमें घेघा भी दिखलाई पड़ता है। बादीपन आम तौरपर जितना मांके बदन में है उतना ही इसके बदन में भी है, पर कुछ कुछ विजातीय द्रव्य इसके सिर में भी पहुंच गया है। For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160