Book Title: Aakruti Nidan
Author(s): Lune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
Publisher: Hindi Pustak Agency

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Page 141
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आकृति निदान चित्र १७ - बगलवाला बादीपन बायीं ओर ११७ इस मनुष्यका बाईं ओर वाला हिस्सा दाहिनी ओरवाले हिस्से से ज्यादा चौड़ा है। सिर न बहुत ज्यादा बड़ा न बहुत ज्यादा छोटा । लेकिन वह बदन के बिलकुल बीचोबीचवाली लकीरकी सोध नहीं है। माथा, आँख, नाक और मुंहकी आकृति स्वाभाविक प्रकारकी है। चेहरेको गरदन से जुदा करनेवाली लकीर भी स्वाभाविक प्रकारकी है। गरदन बायीं ओर ज्यादा बढ़ी हुई है। बायाँ कन्धा दाहिने कन्धे से ज्यादा चौड़ा है। बदनका बाय मोरवाला हिस्सा दाहिनी ओरवाले हिस्से से ज्यादा चौड़ा है। बायीं जाँघकी बदन के ऊपरवाले हिस्से से जुदा करनेवाली लकीर गायब है। पेट के बायाँ ओर देखिये साफ तौरपर मालूम पड़ रहा है कि विजातीय द्रव्य वहीं अपना घर किये हुए है। बायाँ ओरवाली टांग दाहिनी ओरवालो टांगसे ज्यादा मोटी है । For Private And Personal Use Only

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