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उपसंहार हमारे पाठक कदाचित यह विचार करें कि इस प्रन्थमें जो बातें लिखो गयी हैं वे काफी तौरपर वैज्ञानिक नहीं है । पर मेरा उद्देश्य यह था कि मैं इस तरहसे असली बातें सीधे सादे लफजोंमें लिखू कि जिससे सब लोग मेरी बातोंको समझ जायें । इससे यह नहीं कहा जा सकता कि मेरे प्रन्थका विषय ही अवैज्ञानिक है।
विज्ञान उन अनुभवोंके समूह के सिवाय और क्या है जिन्हें मनुष्योंने स्पष्ट सिद्धान्तोंके आधारपर नियमबद्ध कर दिया है ? पर हर एक मनुष्य अनुभव प्राप्त करनेके लिये स्वतंत्र है चाहे वह किसी खास सम्प्रदाय या विचारका हो अथवा न हो और चाहे वह किसी खास विषयकी शिक्षा पाये हो अथवा न पाये हो। हमारा यह ग्रन्थ तीस वर्षोंके अनुभवका परिणाम हैं । इस पुस्तकमें हम जिन नतीजोंपर पहुंचे हैं वे हजारों बार ठीक साबित हो चुके हैं । मैं यह नहीं कहता कि मैंने पूर्णता प्राप्त कर ली हैं पर कमसे कम मैं सच्चे अन्तःकरणके साथ यह कह सकता हूँ कि जो बातें मैंने इस ग्रन्थमें लिखी है खूब अच्छी तरहसे जांच ली गयी हैं और परीक्षामें पूरी उतर चुकी हैं।
tama
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