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प्राकृति-निदान कोई खास शकल अख्तियार करे तो मानसिक शक्तियां भी एक दूसरा रूप धारण करेंगी।
आम तौरपर मस्तिष्ककी बनावट ऐसी रहती है कि एक शक्ति दूसरी शक्तियोंसे बढ़ने नहीं पाती। इस प्राकृतिक नियमका भंग तभी होता है जब सिरमें विजातीय द्रव्य इकट्ठा हो जाता है। बच्चोंमें विजातीय द्रव्यके इकट्ठा होने का पहला नतीजा हमेशा यह होता है कि उनमें उत्तेजना पैदा हो जाती है । यह बात खास करके उन बच्चोंके बारेमें देखी जाती है जो उचित समयके पहले ही प्रौढ़ हो जाते हैं, पर बादको शरीरके अन्दर विजातीय द्रव्य सड़ जानेसे उनकी तेजी जाती रहती है। यहाँपर एक ध्यान देने लायक बात यह भी है कि बिन लोमों में सामनेकी
ओर बादीपन रहता है उनमें दया, भक्ति, उदारता, आशा और विश्वास यह सब गुण खास तौरपर दिखलाई पड़ते हैं। मस्तिष्कविद्याके अनुसार इन सब गुणोंका स्थान दिमागका सामनेवाला हिस्सा कहा जाता है। जिन लोगों में केवल सामनेहीकी ओर बादीपन रहता है वे बड़े चतुर और समाजके बड़े प्रेमी होते हैं पर जिन लोगोंमें पीछेकी ओर बादीपन रहता है वे उन कामों के करनेसे हिचकते हैं जिनके सम्बन्धमें उन्हें दूसरे लोगोंके साथ बहुत अधिक मिलना-जुलना पड़ता है। अगर ऐसे काम करनेके लिये वे मजबूर किये जाते हैं तो उन्हें हताश होना पड़ता है।
मस्तिष्क-विद्यावालोंकी समझमें यह बात आती ही नहीं
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