________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
८८
- आकृति निदान जरूरी है जो अपनी तन्दुरुस्ती सुधारना और अपनी ताकत बढ़ाना चाहते हैं।
कब खाना चाहिये ? इस प्रश्न के बारेमें विस्तारके साथ लिखना परम आवश्यक है। माम तौरपर आप इस प्रश्न के उत्तर में यह कह सकते हैं कि जब भूख लगे तभी खाना चाहिये। पर हममें वह शक्ति है जिसकी बदौलत हम अपने जीवनको इस तरहसे नियमित कर सकते हैं कि हम अपनी भूखको दूसरे समयके लिये टाल सकें। अधिकतर लोग ऐसो अप्राकृतिक रीतिपर जीवन व्यतीत करते हैं कि उन्हें भूख अनुचित समयोंपर लग भाती है। इसके अलावा जो भूख अनुचित समयपर लगती है वह तन्दुरुस्ती देनेवली नहीं है । अमर हम जानवरोंकी जिन्दगीपर नजर डालें तो हमें पता लगेगा कि उनमें से प्रायः सबके सब भूखके अधिकतर चिह्न सबेरे ही प्रगट करते हैं और उसी समय अपना प्रधान चारा खाते हैं। इसका कारण सूर्यका प्रभाव है।
दिन दो हिस्सों में बांटा गया है पहला हिस्सा उत्तेजना देनेवाला और दूसरा हिस्सा शांति देनेवाला है। उत्तेजना देनेवाला भाग सूर्योदयसे प्रारम्भ होता है । सूरज ही उदय होकर कुल प्रकृतिको फिरसे कार्यमें लगाता है। हर एक माली और प्रामके रहनेवाले मनुष्यको यह अच्छी तरहसे विदित है कि प्रात:कालीन सूर्यका कितना प्रभाव पेड़ पौधोंपर पड़ता
For Private And Personal Use Only