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आकृति निदान क्या है
१७ फिर बाहर फेंक देगा। साधारणतः जहाँ टीका लगाया जाता है वहींसे जहर बाहर निकल जाता है । जिस हिस्सेपर टीका लगाया जाता है वह हिस्सा सूज जाता है और वहांपर कुछ पीप मा जाती है। लेकिन कुछ थोड़ा बहुत विष प्रायः शरीरमें रह जाता है। यदि शरीरमें शक्ति बहुत कम हुई तो वह जहरीले पदार्थको कठिनतासे बाहर निकाल सकता है। इसलिये उस बहरीले पदार्थका अधिकांश शरीरके भीतर हो बना रहता है। इस तरहके लोग फिर दूसरी या तीसरी मर्तबा टीका लगवाते हैं क्योंकि डाक्टरों की समझमें उनका पहला टीका "असफल" गिना जाता है। असलमें जो बात टीका लगानेमें "सफलता" के नामसे गिनी जातो है वह अभाग्यसे लाभदायक नहीं बल्कि हानिकारक है क्योंकि जो ( बाहरी चीजें 'विजातीय द्रव्य" शरीरके अन्दर हैं लनमें नया विजातीय द्रव्य जाकर और भी मिल जाता है।
__मलजनित विकार जैसा कि ऊपर कह आये हैं विजातीय द्रव्य शरीरके भीतर नयी चीज होनेसे उचित स्थानपर पहुँचनेका यत्र करता है। इस तरह का विजातीय द्रव्य पहिले पाखाना और पेशावके रास्तेके पास पेटमें जमा होता है। पर ज्यों ही यह क्रिया प्रारम्भ होती है, त्यों ही सड़ा हुमा विजातीय द्रव्य अधिक दूरके अङ्गोंमें जैसे कि सिर और बाजुओंमें अपना घर करने लगता है। अगर कोई खराब हालत नहीं होती तो
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