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आकृति निदान क्या है किया, पर चंगे होनेकी आशा बहुत ही कम बल्कि बिलकुल ही नहीं रहती। अस्तु, यह बात बहुत कुछ आयु और शक्तिपर भी निर्भर है। इस तरह के बहुतसे लोगोंमें इतनी काफी ताकत रहती है कि वे विजातीय द्रव्यको अपने शरीर के बाहर निकाल सकें। पर जिन लोगों में जीवन-शक्ति कम रहती है उनके लिये ऐसा करना प्रायः असम्भव होता है।
भीतरी अंगोंकी बीमारियां मिन पारिभाषिक शब्दों का साधारणतः डाक्टर उपयोग करते हैं उनसे आकृति-निदानका कुछ भी सम्बन्ध नहीं है, इसलिये इस निदान में प्रत्येक रोगका पृथक्-पृथक् कोई विशेष नाम नहीं रक्खा जा सकता। हां, इस निदानद्वारा यह जाना जा सकता है कि शरीर के भीतरवाली इन्द्रियों में से कौन सी इन्द्रियां सबसे अधिक रोगले चङ्गुल में फंसी हुई है। यहाँ हा रोगका पता लगाने में सहाय 5 लक्षणों का कुछ विशद वर्णन करेंगे। उन लक्षणोंसे जो बात अनुमान की जाती हैं । उनके संबन्धमें भी कुछ व्योरेवार हाल विशेष रूपसे लिखा जायगा। __पीछे के कुल वर्णनसे आपको यह पता लग गया होगा कि चाहे किसी किस्मका बादीपन क्यों न हो उससे पचानेवाले अङ्गों में जरूर गड़बड़ी हो जाती है और हानिमा बिगड़ जाता है। इन्हीं अङ्गोंसे रोग प्रारम्भ होता है। ज्यों-ज्यों सड़ा गला विजातीय द्रव्य उनमें व्यापता जाता है त्यों-त्यों उनकी शक्ति
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