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आकृति निदान
हमें चाहिये कि हम केवल आंखोंकी ही दवा न करने लगें । बल्कि हमारा उद्देश्य यह होना चाहिये कि हम उस विजातीय द्रव्यको निकाल दें जो पेटमें जमा हुआ है । उसके साथ ही साथ आखोंकी दशा सुधरने लगेगी और कुछ समय में आंखों की बीमारी बिलकुल जाती रहेगी।
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पाठकों को उसके हाथमें कुछ घाव सा देखकर आश्चर्य होगा | यह घाव कृत्रिम रीतिसे टीका लगानेसे पैदा हुआ था । इस बालिकाका रक्त भी "ट्य वरक्युलिन” नामक दवाकी टीका लगाने से बिलकुल विषेला हो गया है । पर यह बात परीक्षा से निश्चित नहीं हो सकती । यह बात उसकी माँसे मालूम हुई है । इससे हम इतना पता अवश्य लगा सकते हैं कि उसके चंगे होने में देर लगेगी।
इस बाधा होते हुए भी उसकी आँखें कुछ ही सप्ताह में अच्छी हो गयीं और उसके सिरका बादीपन बहुत कुछ दूर हो
गया !
[ २ ]
जिस लड़केकी शकल चित्र नं० ३८ में दी गयी है उसे साधारण रूपसे देखनेसे हमें कोई बात ऐसी दिखलाई नहीं दे सकती कि जिससे उसका रोग प्रकट हो । वास्तव में अधिकतर मनुष्य तो उसे स्वस्थ ही समझेंगे । उसकी ऊपरी चाल-ढाल अच्छी है और देखने में भी उसकी रङ्गतसे यह नहीं पता लगता कि वह बीमार है । हाँ, यह बात अवश्य है कि उसकी रङ्गतसे
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