Book Title: Aakruti Nidan
Author(s): Lune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
Publisher: Hindi Pustak Agency

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Page 104
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org ८० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चाकृति निदान आम तौरपर लोग इन सब चीजोंको फजूल समझते हैं, क्योंकि जीवन के नियमोंको बिलकुल नहीं जानते । एक चीजका नाम मैं यहां खास तौरपर लेना चाहता हूँ जो मनुष्य शरीर के लिये बहुत जरूरी है । पर जिसे लोग बिलकुल बेफायदा समझते हैं। यह चीज और कुछ नहीं सिर्फ बालू है । बालूसे पाचन शक्ति में निस्सन्देह सहायता पहुँचती है । प्राकृतिक दशा में खानेकी चीजोंके साथ हमेशा कुछ न कुछ कालू जरूर मिली रहती है। खाने की चीजें कितनी ही ज्यादा क्यों न धोयी जायँ पर उनमें से बालू पूरी तरहसे दूर नहीं हो सकती। बहुत सी बातों में तो पानी से धोना फायदेमन्द है पर धोने से एक ऐसी चीज निकल जाती है जो बदन के लिये बहुत ही जरूरी है । खुरे हो जायें । शुतुर वे रेगिस्तान के ही रहने जानवर लोग कुदरती तौरपर बालू खाया करते हैं। बालू उन्हें नहीं मिलती तो बीमार हो जाते हैं। उदाहरण के तौरपर मुर्गियोंको लीजिये | अगर बालू उन्हें खानेको न मिले तो उनके पर बहुत जल्द भदे और खुर मुर्गके पर कितने बढ़ियां होते हैं, पर वाले है। जिन जगहों में बालू ज्यादा मुर्गके पर अधिक सुन्दर नहीं होते। उन्हें कितना ही बढ़िया से बढ़िया खाना क्यों न दिया जाय मगर बिना बालूके उनके पर नहीं सुधर सकते । इसी तरह से मनुष्य के लिये भी थोड़ासा बालू बहुत ही जरूरी है । इसलिये महोन आटे और मैदेकी बनी नहीं होती वहां शुतुर For Private And Personal Use Only

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