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बादीपनका इलाज घूमता हूँ। ७ बजे फिर एक बार मेहन-स्नान करता हूं और ६ बजे सो जाता हूँ। हर मङ्गल और बुधको साढ़े सात बजेसे लेकर साढ़े नौ बजेतक मुझे शामको एक दरजेमें ड्राइङ्ग सिखलानी पड़ती है। दोनों दिन मास लेनेके पहले और क्लास लेनेके बाद मैं आध घंटेके लिये मेहन-स्नान करता हूँ। १८६० की जनवरीसे लगाकर १८६२ की पहली अगस्ततक मैं हर रोज तीन बार भोजन करता था। सवेरे और शाम मोटे आटेकी रोटी दलिया और फल खास करके सेब और अंगूर खाता था। दोपहरको साग, तरकारी, दलिया और फल खाता था। फल मैं हमेशा बिलकुल पका हुभा नहीं बल्कि गदरा खाता था। पहली अगस्त १८६२ से लेकर मैं खाता तो तीन बार था पर हर चीज बिना आगपर पकी हुई खायी जाती थी। सवेरे और शामको पहलेकी तरह भोजन होता था। दोपहरको हर एक तरहकी तरकारी बिना पकी हुई स्नायी जाती। हाँ पालु आधे पका लिये जाते थे और उनमें नीबूका रस छोड़ दिया जाता था। रोटीकी जगह मैं कच्चा दलिया खाता था पहली जनवरी १८६३ से लेकर पहली अगस्त १८६३ तक हर रोज दो बार भोजन करता था। सवेरे में कुछ भी न खाता था, क्योंकि मैं पहलेसे कम परिश्रम करने लगा था। दोपहरको नीबूके रसके साथ कच्ची तरकारी दलिया, या दाँतमें कभी-कभी दर्द हो जानेसे मोटे आटेकी रोटी और कच्चा कक्ष खाता था। शामको कच्चा दलिया और कच्चा फल लेता
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