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प्राकृति निदान चिकित्साके अनुसार उसमें कितना बड़ा परिवर्तन हो गया है । इस सज्जनने मुझे जो पत्र भेजा है उसे नीचे छापता हूँ, पर मैं पहले यह कह देना चाहता हूं कि तस्वीर नं० ४६ में रोगी कुल शीरके बादीपनसे पीड़ित मालूम पड़ता है। उस समय वह बहुत कमजोर था और इस बातका डर नित्य रहता था कि कहीं वह किसी गहरी बीमारीका शिकार न हो जाय। चित्र नं०४७ में देखिये, उसका बादीपन कितना कम हो गया है। इस चित्रमें वह बहुत ही दुबला दिखलाई पड़ता है, लेकिन कुछ दिन बाद उसका मांस अवश्य भर आवेगा। उस समय बीमारीसे भरे हुए थलथल मांसके स्थानमें यह तन्दुरुस्त मांस आ जायगा।
मैं यहां यह भी कह देना चाहता हूं कि इस नीचेवाली चिट्ठीमें जिस चिकित्साका वर्णन लिखा गया है वह मैंने जबानी नहीं बतलाया था। अपनी जिस पुस्तककी चर्चा मैंने ऊपर की है उसे पढ़कर रोगी भाप ही आप अपनी चिकित्सा करने लगा था। इतनी बड़ी अवस्थावाले मनुष्य के लिये मेरी समझमें यह चिकित्सा बहुत ही कठिन थी। तथापि चिकित्साके बाद उसका शरीर बहुत कुछ चङ्गा दिखलायी पड़ने लगा।
पत्रकी नकल प्रिय मिस्टर कूने,
कई महीनेसे मैं भापको पत्र लिखनेको विशेष उत्सुक था, पर लगातार चिकित्सा और स्नानोंमें लगे रहने के कारण अब
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