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Harmanan
आकृति निदान प्रकार के बादीपनके समान हो सकती है पर शरीरके पोषण में कोई विशेष बाधा नहीं पड़ती। ऐसी दशामें या तो किसी नैरुज्य परमावसर या मेरी बतलायी स्नान-विधि तथा नियम-पूर्वक जीवन व्यतीत करनेसे आदमी चङ्गा हो सकता है। ___ पाचनेन्द्रियों से एक इन्द्रिय 'यकृत" (जिगर भी है जो दाहिने भागने है। दाहिनी ओरके बादीपन में प्रायः सर्वदा यकृतपर बुरा प्रभाव पड़ता है। शरीरका रङ्ग पीला पड़ जाता है, क्योंकि यकृत रक्तसे पित्तको पृथक नहीं कर सकता। शाहिनी ओरके बादीपनके साथ ही साथ त्वचाका भी रङ्ग पीला होना यकृतकी बीमारीका लक्षण हैं। यकृत के रोगों और दाहिनी धोरके बादीपनका मुख्य लक्षण बहुत अधिक पसीना भाता है। इस तरह के बाहीपनवालोंको बहुत जल्दो पसीना आ जाता है जिसने उन्हें बड़ा फायदा होता है। प्रायः ऐसे लोगों को पैर पसीजनेकी बीमारी होती है, जिससे उन्हें कष्ट तो होता है लेकिन उन्हें इससे तबतक बड़ा फायदा होता है अबतक कि विजातीय द्रव्य उनके शरीरके अन्दर रहता है। कुल विजातीय द्रव्यके निकल जानेर पैरोंका पसोजना आप ही
आप बन्द हो जाता है पर इसके बन्द होनेसे कोई बुराई नहीं होती। पर यदि पैरका पसीजना दवाइयोंसे रोका जाय तो
* नैरुज्य परमावसर रोगीकी उस दशाको कहते हैं जिसमें दारीर स्वभावसे ही तीव्ररूपसे मल विसर्जन होने लगता है और प्राणशक्ति यदि होन न हुई तो इसी कार्य की सफलताके साथ मनुष्य नीरोग हो जाता है । इस विष-विसर्जनकी क्रियाको चतुर वैद्य नहीं रोकते ।
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