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चिकित्साका अभ्यास
मैंने पाठकों को कई ऐसे भिन्न-भिन्न लक्षण बतला दिये हैं जिनसे साधारणतः प्रत्येक रोग और विशेषतः उसके प्रधान प्रधान रूपोंकी पहचान की जा सकती है। अब मैं पाठकों को कुछ ऐसी बातें बतलाना चाहता हूँ जिनसे आकृति-निदान की सहायता से किसी आदमीका चेहरा देखते ही यह जान सकते हैं कि उसमें कौनकी बीमारी है। विशेषकर वे अपने और अपने कुटुम्बियों के रोगोंकी पहिचान तो बहुत जल्द कर सकते हैं ।
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अभ्यास से ही मनुष्य हर बात में होशियार हो सकता है, रोगकी पहचान में होशियारी तेजी के साथ तभी बढ़ेगी जब कि अभ्यास करनेवाले मनुष्यकी श्रांखें तेज और नजर पक्की है। साथ ही मैं पठकों को यह भी स्वरण दिलाना चाहता हूँ कि जो लोग अपने रोगकी चिकित्सा वा निदान नहीं कराना चाहते, उनको ध्यान पूर्वक देखकर वा घूरकर रुष्ट करना और अपने को अशिष्ट सिद्ध करना उचित नहीं है ।
मैं कई ऐसे आदमियोंका व्योरेवार हाल आपको सुनाना चाहता हूँ जिनकी चिकित्सा मैंने की है। इस प्रन्थ में जो चित्र दिये गये हैं उनका हवाला भी आपको दिया जाता है, पर कुछ बातें ऐसी हैं जो तस्वीरोंमें नहीं प्रगट की जा सकती जैसे शरीर की
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