Book Title: Aakruti Nidan
Author(s): Lune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
Publisher: Hindi Pustak Agency

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Page 48
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आकृति निदान पन प्रायः दो तीन अठवारोंमें दूर हो सकता है । यहाँ शायद बहुतसे लोग आश्चर्यमें भाकर यह पूछेगे कि मेरी चिकित्साप्रणाली के अनुसार एक रोगी ऐसा जल्दी और दूसरा रोगी बहुत धीरे-धीरे क्यों चंगा होता है। ___ इस तरहसे सिर्फ कुछ हो अठवारोंमें मैंने एक ऐसे रोगीको जो १८ वर्षोंसे खुजलीसे पीड़ित था लगभग बिलकुल चंगा कर दिया। उसे यह गेग सामनेके बादीपनसे पैदा हुआ था। - यह स्वाभाविक है कि जो अङ्ग बिलकुल ही नष्ट हो जाते हैं वे फिर बनाये नहीं जा सकते । जैसे जो दांत गिर जाते हैं उनकी जगह फिर नये दांत नहीं निकाल सकते, पर प्राय: यह देखा गया है कि जो मनुष्य कई सालतक गञ्जा रहा है उसके सिरपर बाल फिरसे उग आये। (ख) बगलवाला बादीपन (तस्वीर नं०८, १५, १६, १७, १८ और १६) बगलवाले बादीपनमें जिधर बादीपन रहता है उधर गरदन स्पष्ट रूपसे बढ़ी हुई दिखलाई देती है। प्राय: उधरके कुल भाग अधिक चौड़े होते है जिससे सारा शरीर बेडौल सा मालूम पड़ता है । चित्र नं. १७ में यह बात स्पष्टरूपसे दिखलायी गयी है। इसमें कुल बायीं बगल दाहिनी बगलसे अधिक चौड़ी है । चित्र नं० १६में चेहरेका कुल दाहिनी-भोरवाला हिस्सा बायीं ओरवाले हिस्सेसे कितना अधिक लम्बा और चौड़ा है। यह बात टांगों में For Private And Personal Use Only

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