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आकृति-निदान क्या है
२३ जिस आदमीके सिर्फ सामनेवाले हिस्से में बादीपन होगा उस आदमी के दिशगमें कभी कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती। । प्राय: सामनेकी ओर बादीपन होनेपर भी शरीरके भीतर मर्म-स्थान बहुत दिनोंतक अच्छी दशा में बने रहते हैं, क्योंकि विजातीय द्रव्य विशेषतः गालोंमें और माथेके अन्दर जमा रहता है । इसलिए इन अंगों में कोई न कोई बीमारी खासकर सिरदर्द, फुन्सी, मुहांसे और दाद वगैरह हो जाता है। इन रोगवालोंको गर्मी या सर्दीकी कमी बेशीमें विशेषरूपसे कष्ट होता है।
विजातीय द्रव्य शरीरमें शायद बहुत धीरे-धीरे जमा होता है। इसलिए बहुतसे लोगोंको वर्षोंतक उपयुक्त कोई न कोई रोग लगा रहनेपर भी वे कोई कड़ा कष्ट नहीं अनुभव करते । लेकिन एकाएक दूसरे अंगोंपर जो अबतक बादीपनसे खाली थे, असर पड़नेपर उन्हें तकलीफ होने लगती है। ___ इन सब रोगोंका सिर्फ एक ही इलाज है कि रोगोंकी उत्पत्तिके कारण दूर किये जायें क्योंकि विजातीय द्रव्य के दूर हो जानेसे ही बीमारीके कुल लक्षण दूर हो जायेंगे।
और अंगोंकी अपेक्षा शरीरके सामनेके भागके बादीपनका इलाज अधिक सरलतासे हो सकता है। प्रायः इस बादीपनसे पैदा हुए रोग उतने भयंकर नहीं होते। बच्चोंको बुखारके साथ पैदा होनेवाले दूसरे रोग सामनेके बादीपनके कारण पैदा होते हैं। यह अधिक भयंकर नहीं होते। जल-चिकित्सासे सामनेका बादी
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