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आकृति निदान
विजातीय द्रव्यके बटवारेका काम बहुत धीरे-धीरे जारी रहता है। विजातीय द्रव्य साधारणत: शरीर के एक सिरेसे दूसरे सिरे. तक जाने की कोशिश करता है। शरीरके एक सिरेसे दूसरे सिरे तक जानेमें विजातीय द्रव्यको गलेके तग रास्तेसे होकर गुजरना पड़ता है। गलेके रास्ते में जमा हुआ विजातीय द्रव्य सबसे अधिक अासानीके साथ दिखलाई पड़ सकता है। पहले तो मलके वहां जम जानेके बाद ऐसा मालूम पड़ता है कि मानों वह हिस्सा कुछ बढ़ गया हो, इसके बाद वहां सूजन या गांठ सी पड़ जाती है। नाड़ी आदमी इस विषयमें सहज ही धोखेमें आ सकता है, उसे वहां कोई भारीपन या सूजन न मालूम होगी, पर परीक्षासे पता लगेगा कि गलेपर कड़ी लकीरें सी षड़ी हुई हैं जिनसे गला टेढ़ा या बेडौल हो गया है। इस दशामें सिरकी. गति विशेषरूपसे अस्वाभाविक होगी, रंगत भी अप्राकृतिक अर्थात् साधारणतः भूरी, बादामी या उचितसे अधिक लाल होगी।
प्रायः साधारण प्राकृतिसे भी शरीरके बादीपनका बहुत कुछ ठीक-ठीक अनुमान हो सकता है पर और दशाओं में प्रत्येक बातको होशियारीसे देखे बिना बिमारीका स्पष्ट रूप नहीं मालूम होता!
गले और सिरकी सूजन पेटकी सूजन सी होती है और वह दोनों हिस्सोमें समान रूपसे बढ़ती है। पर कभी-कभी पेटका विजातीय द्रव्य घट जाता है और गलेवाला बढ़ जाता है।
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