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। २० ] कर ली जाय तो रोगीके चंगा होनेकी बहुत अधिक संभावना
रहती है।
होमियोपेथी एलोपेथोसे निकली है। होमियोपेथीके अधिकतर डाक्टर पुराने तरीकेपर ही रोगकी परीक्षा करते हैं। वास्तवमें वे एलोपेथिक डाक्टरोंकी अपेक्षा खास-खास रोगोंमें अधिक विशेषता प्राप्त करने का यत्न करते हैं। हां, यह सच है कि होमियोपेथिक चिकित्साप्रणालीमें बीमारियोंकी पहचान बाहरी लक्षणोंसे की जाती है। बहुत-सी बातोंमें तो इस प्रणालीको रोग-परीक्षा हमारे नवीन चिकित्साप्रणालीसे की हुई रोग-परीक्षा. से बहुत कुछ मिलती-जुलती है। पर हामियोपेथीकी चिकित्साप्रणाली सष्ट और निश्चित नहीं । रोगी या उसके घरवाले बीमारीके बारेमें जो कुछ बयान करते हैं उसीके आधारपर बहुधा होमियोपेथिक डाक्टर इलाज करना शुरू कर देते हैं।
चिकित्साके सम्बन्धमें एक बात होमियोपेथी में अच्छी है कि इस चिकित्सा प्रणालीके अनुसार बहुत थोड़ी मात्रामें औषधिका प्रयोग किया जाता है। इससे शरीरको उतना नुकसान नहीं पहुँचता जितना कि अधिक मात्रामें औषधिका प्रयोग करनेसे शरीरको हानि पहुँचती है; बल्कि स्वल्प मात्रामें औषधिका प्रयोग करनेसे एक प्रकारकी उत्तेजना आ जाती है। प्रभाग्यसे ऐसे होमियोपेथिक डाक्टर भी हैं जो रोगियोंको जहरीली औषधियाँ अच्छी मात्रामें देते हैं। .
"मैग्नेटोपेथी" में रोगकी कोई परीक्षा नहीं की जाती। इसका
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