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आकृति निदान चेहरा देखनेमें चमकदार न होना चाहिये। आर्य लोगोंका कुदरती रङ्ग हलका गुलाबी है। चाहे श्यामता लिये हो चाहे गोराई। चेहरे में बुढ़ापेतक ताजगी और तेजी बनी रहनी चाहिये।
(३) गति-शरीरकी दशाके विचार के साथ उसकी गतिपर भी विचार करना आवश्यक है। यदि किसी प्राकृतिक गतिमें रुकावट पड़े तो समझ लेना चाहिये कि उस शरीरमें कुछ गड़बड़ी अवश्य है।
यदि कोई शरीर स्वच्छन्दताये अपना काम नहीं कर सकता तो समझ लेना चाहिये कि उसके अन्दर मल इकट्ठा हो गया है
और उसके काम में रुकावट डालता है। भाकृति-निदानके अनुसार किसी रोगकी पहचान सिरकी हरकतोंके ऊपर ध्यान देना विशेष
आवश्यक है । स्वस्थ मनुष्यका सिर इच्छानुसार जब चाहे तब दाहिने बायें घुमाया जा सकता है। सिर उठाने में हलकके पास कोई तनाव न होना चाहिये।
इस प्रकार हम रूप, रङ्ग और गतिके अनुसार इस बातकी जांच करते हैं कि शरीरकी दशा कैसी है ।
शरीरका बादीपन यदि शरीरकी आकृति या रङ्गत प्राकृतिक ढङ्गकी न हो या उसकी गतिमें रुकावट पड़ती हो तो यह समझ लेना चाहिये कि शरीर मलके बोझसे लदा हुआ है। शरीरके अन्दर किसी
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