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आकृति निदान क्या है टांगोंकी बनावट मजबूत है । न अन्दर झुकी हैं और न बाहर।
स्वाभाविक रूपसे स्वस्थ मनुष्यके यह विशेष गुण भी ध्यान देने योग्य हैं। माथेमें सिकुड़न न होनी चाहिये। माथा चिकना होना चाहिये। कोई ऐसा माहा न होना चाहिये कि वह गद्दीकी तरह दिखाई पड़े। आँखें साफ होनी चाहिये। उनमें नसोंका दीखाना ठीक नहीं है। नाक चेहरेके बोच और सीधी होनी चाहिये । न तो बहुत मोटी हो न बहुत पतली। दिन में और रातके समय भी मुंह सदा बन्द रहना चाहिये । ओठ सुन्दर और पतले ।
ओठका मोटा होना भदापन है। चेहरा कोनेदार नहीं बल्कि गोल अण्डाकार होना चाहिये। कानके ठीक नीचे एक ऐसी साफ लकीर होनी चाहिये जिससे चेहरेकी गोल बनावट साफ तौरपर मालूम पड़ सके । उसी लकीरके कारण आदमीके चेहरेकी सुन्दरता और सुडौलपन बढ़ता है। अधिकतर लोग स्वाभाविक रीतिसे इस तरह के चेहरेकी सुन्दरतापर विशेषतः आकर्षित होते हैं पर सष्टरूपसे बतला नहीं सकते कि उस चेहरे में क्या सुन्दरता है।
टुड्डी नुकीली नहीं बल्कि गोल होनी चाहिये । सिरके पीछेवाले हिस्से और गर्दन के बीचमें एक ऐसी साफ लकीर होनी चाहिये जिससे सिरका पीछेवाला हिस्सा गर्दनसे अलग मालूम पड़े।
(२) रक्त-चेहरेका रङ्ग न तो पीला न हलका न जर्द और न बहुत लाल होना चाहिये। सबसे ऊपर यह बात है कि
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