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[ २२ ] एलोपेथिक रीतिसे करता है। प्राकृतिक चिकित्साप्रणालीके दूसरे अनुयायी रोगकी परीक्षा करने की कोई आवश्यकता नहीं समझते; क्योंकि इस प्रणालीके अनुसार चिकित्सा करनेवाला डाक्टर शरीरकी खास खास अंगोंकी नहीं, बल्कि संपूर्ण शरीरकी चिकित्सा करते हैं। इस तरहके हर डाक्टरने अन्तर देखा होगा कि कुछ हालतोंमें तो उसकी तजवोजसे फौरन और जरूर फायदा हुआ, पर कुछ हालतों में उसकी चिकित्सा असफल हुई। लेकिन अगर इस तरीकेके डाक्टर प्राकृति-निदानने सम्पूर्ण शरीरकी जांचकी रीति जानते होते तो अपनी असफलतापर कोई आश्चर्य उन्हें न होता।
अब हम आकृति निदानपर विचार करेंगे।
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