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[ २१ ] इलाज सब बीमारियों में एक ही सा रहता है। इसलिये एक प्रकारसे "मैग्नेटोपेथी" के डाक्टर यह सिद्ध करते हैं कि बीमारी एक ही है। मैग्नेटोपेथी" के डाक्टर रोगीका इलाज करने के वक्त यह जाननेकी भी कोशिश करते हैं कि बीमारीका स्थान कहां है अर्थात् बदनके किसी खास हिस्से पर बीमारी अपना असर डाले हुए है। लेकिन बहुतसे लोगोंपर इस प्रणालीके अनुसार बने हुए चुम्बक-पत्थरके यंत्रका असर नहीं पड़ता और बहुतोंपर सिर्फ बहुत ही थोड़ा असर पड़ता है। इसलिये इस प्रणालीके अनुसार रोगकी परीक्षा भी वैसी ही अनिश्चित है जैसी कि रोगकी चिकित्सा । हां, बहुत-सी दशाभों में इस प्रणाली द्वारा चिकित्सा करनेसे अच्छे नतीजे हासिल हो सकते हैं।
अन्तमें हम "नेचर क्योर सिस्टम" अर्थात् प्राकृतिक चिकित्साप्रणालीकी ओर आते हैं। इस प्रणाली में रोगकी परीक्षा करनेका कोई स्वास तरीका नहीं दिया गया है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि उचित भोजनके द्वारा रोगकी चिकित्सा करनेवाले डाक्टरमें धीरे-धीरे अभ्यास करते-करते श्राम तौरपर रोगीकी दशा मालूम करनेकी शक्ति आ जाती है। किन्तु यह ज्ञान उसे सिर्फ मोटे तौरपर बिना किसी आधार के पैदा होता है। यदि किसी डाक्टर के द्वारा पुगनी प्रणालीके अनुसार रोगीकी परीक्षा कर ली गयी हो तो प्रायः "प्राकृतिक चिकित्साप्रणाली” के डाक्टरको सन्तोष हो जाता है । यदि प्राकृतिक चिकित्साप्रणालीके अनुसार चिकित्सा करनेवाला स्वयं एक योग्य डाक्टर है तो वह रोगीकी परीक्षा
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