Book Title: Kuvalayamala Part 1
Author(s): Udyotansuri, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिं घी जैन ग्रन्थं माला. *-*-*-**[ ग्रन्थांक ४५ ]********************* संस्थापक ख श्रीमद् बहादुर सिंहजी सिंघी संरक्षक श्री राजेन्द्र सिंह सिंघी तथा श्री नरेन्द्र सिंह सिंघी प्रधान सम्पादक तथा संचालक आचार्य जि न विजय मुनि RA SINGH PAN AA ALAA -3 दाक्षिण्यचिह्नाङ्क -श्रीमद् -उयोतनसूरिविरचिता कुवलयमा ला (प्राकृतभाषानिबद्धा-चम्पूखरूपा महाकथा) प्रथम भाग-मूल कथा ग्रन्थ संपादनकर्ता डॉ. आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये, एम्. ए., डी. लिट्. प्राध्यापक, राजाराम कॉलेज, कोल्हापुर (दक्षिण) .....*******[प्रकाशनकर्ता ] remedien***** सिंघी जैन शास्त्र शिक्षा पीठ भारतीय विद्या भवन, बम्बई. ७ वि.सं. २०१५] [मूल्य रू. १५/५० Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्वर्गवासी साधुचरित श्रीमान् डालचन्दजी सिंघी बाबू श्री बहादुर सिंहजी सिंघीके पुण्यश्लोक पिता जन्म-वि. सं. १९२१, मार्ग. वदि ६ स्वर्गवास - वि. सं. १९८४, पोष सुदि ६ PS winelibrary.org Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दानशील साहित्यरसिक संस्कृतिप्रिय ख० बाबू श्री बहादुर सिंहजी सिंघी Jain Education international जन्म ता. २८-६-१८८५ ] अजीमगंज-फळकत्ता - सा. क्र.. [ मृत्यु ता. ७-७-१९४४ आ.श्री. कैलासनगर हरि ज्ञान मंदिर श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा For Private & Palma (Ult Only! Ubraneling 45 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिं घी जैन ग्रन्थ मा ला * * * * * * * * * * * * [ ग्रन्थांक ४५ ]* * * * * * * * * * * दाक्षिण्यचिह्नाङ्क-श्रीमद्-उद्द्योतनसूरि- विरचिता कुवलयमाला (प्राकृतभाषानिबद्धा चम्पूस्वरूपा महाकथा ) प्रथम भाग - मूल कथाग्रन्थ SRDCHAND JI SINGH UnivitiTERTICAL FOR SINGHI JAIN SERIES * * * * * * * * * * * *[ NUMBER 45]******************** KUVALAYAMALA OF UDDYOTANA SÜRI (A Unique Campū in Präkrit) Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कलकत्ता निवासी साधुचरित-श्रेष्ठिवर्य श्रीमद् डालचन्दजी सिंघी पुण्यस्मृतिनिमित्त प्रतिष्ठापित एवं प्रकाशित सिंघी जैन ग्रन्थ मा ला जैन आगमिक, दार्शनिक, साहित्यिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक, कथात्मक-इत्यादि विविधविषयगुम्फित प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, प्राचीनगूर्जर, राजस्थानी आदि नानाभाषानिबद्ध सार्वजनीन पुरातन वाङ्मय तथा नूतन संशोधनात्मक साहित्य प्रकाशिनी सर्वश्रेष्ठ जैन ग्रन्थावलि] प्रतिष्ठाता श्रीमद् डालचन्दजी-सिंघीसत्पुत्र स्व. दानशील - साहित्यरसिक - संस्कृतिप्रिय श्रीमद् बहादुर सिंहजी सिंघी AGRA ADHA AcadSROINES Teca SRABARATUR SGA SINGH IMIUM LIST UDHA प्रधान सम्पादक तथा संचालक आचार्य जि न वि जय मुनि अधिष्ठाता, सिंघी जैन शास्त्र शिक्षापीठ ऑनररी डायरेक्टर राजस्थान ओरिएण्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, जोधपुर (राजस्थान) निवृत्त सम्मान्य नियामक भारतीय विद्या भवन, बम्बई ऑनररी मेंबर जर्मन ओरिएण्टल सोसाईटी, जर्मनी; भाण्डारकर ओरिएण्टल रिसर्च इन्स्टीट, पूना (दक्षिण); गुजरात साहित्यसभा, अहमदाबाद (गुजरात); विश्वेश्वरानन्द वैदिक ___शोध प्रतिष्ठान, होसियारपुर (पञ्जाब) संरक्षक श्री राजेन्द्र सिंह सिंघी तथा श्री नरेन्द्र सिंह सिंघी ____प्रकाशनकर्ताअधिष्ठाता, सिंघी जैन शास्त्र शिक्षा पीठ भारतीय विद्याभवन, बम्बई प्रकाशक - जयन्तकृष्ण ह. दवे, ऑनररी डायरेक्टर, भारतीय विद्या भवन, चौपाटी रोट, बम्बई,. ७ मुद्रक- लक्ष्मीबाई नारायण चौधरी, निर्णयसागर प्रेरा, २६-२८ कोलभाट स्ट्रीट, वम्बई, नं २ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दाक्षिण्यचिह्नाङ्क -श्रीमद् -उद्द्योतनसूरिविरचिता कुवलयमाला (प्राकृतभाषानिबद्धा चम्पूस्वरूपा महाकथा) अतिदुर्लभ्यप्राचीनपुस्तकद्वयाधारेण सुपरिशोध्य बहुविधपाठभेदादियुक्तं परिष्कृत्य न संपादनकर्ता डॉ. आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये, एम्. ए., डी. लिट्. प्राध्यापक, राजाराम कॉलेज, कोल्हापुर (दक्षिण) प्रथम भाग - मूल कथाग्रन्थ प्रकाशनकर्ता अधिष्ठाता, सिं घी जैन शास्त्र शिक्षा पीठ भा र ती य विद्या भवन, बम्बई विक्रमाब्द २०१५] प्रथमावृत्ति [ख्रिस्ताब्द १९५९ ग्रन्थांक ४५] सर्वाधिकार सुरक्षित [ मूल्य रु. १५-५० Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SINGHI JAIN SERIES A COLLECTION OF CRITICAL EDITIONS OF IMPORTANT JAIN CANONICAL, PHILOSOPHICAL, HISTORICAL, LITERARY, NARRATIVE AND OTHER WORKS IN PRAKRIT, SANSKRIT, APABHRAMSA AND OLD RAJASTHANIGUJARATI LANGUAGES, AND OF NEW STUDIES BY COMPETENT RESEARCH SCHOLARS ESTABLISHED IN THE SACRED MEMORY OF THE SAINT LIKE LATE SETH SRI DALCHANDJI SINGHI OF CALCUTTA BY HIS LATE DEVOTED SON DANASILA-SAHITYARASIKA-SANSKRITIPRIYA SRI BAHADUR SINGH SINGHI DIRECTOR AND GENERAL EDITOR ACHARYA JINA VIJAYA MUNI ADHISṬHATA, SINGHT JAIN SASTHA SIKSHA PITHA Honorary Founder-Director, Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur; General Editor, Rajasthan Puratan Granthamala; etc. (Honorary Member of the German Oriental Society, Germany; Bhandarkar Oriental Research Institute, Poona; Vishveshyra naud Vaidic Research Institute, Hosiyarpur; and Gujarat Sahitya Sabha, Ahmedabad.) PUBLISHED UNDER THE PATRONAGE OF SRI RAJENDRA SINGH SINGHI AND SRI NARENDRA SINGH SINGHI BY THE ADHISTHATĀ SINGHI JAIN SHASTRA SHIKSHAPITH BHARATIYA VIDYA BHAVAN BOMBAY Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ UDDYO TANA-SURI'S KUVALAYAMALA (A Unique Campū in Prakrit) Critically Edited from Rare Mss. Material for the First Time with an Introduction, Various Readings, Notes etc. AND RATNAPRABHA-SURI'S KUVALAYAMALA-KATHA (A Stylistie Digest of the Above in Sanskrit) Critically Edited with various Readings etc. BY Professor A. N. UPADHYE, M. A., D. Litt. RAJARAM COLLEGE, KOLHAPUR Part I KUVALAYAMĀLĀ PRÄKRIT-TEXT & VARIOUS READINGS PUBLISHED BY Adhisthata, Singhi Jain Sastra Siksapitha BHARATIYA VIDYA BHAVANA BOMBAY V. E. 2015 1 [A. D. 1959 First Edition Vol. No. 45) [Price Rs. 15-50 Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ सिंघीजैनग्रन्थमालासंस्थापकप्रशस्तिः ॥ 1 1 अतिबादे सुप्रसिद्धा मनोरमा मुर्शिदाबाद इत्याख्या पुरी वैभव ॥ बहवो निवसन्त्य जैना उकेशवंशजाः । धनास्वा नृपसम्मान्या धर्मकर्मपरायणाः ॥ श्रीटालचन्द इत्यासीत् तेष्वेको बहुभाग्यवान् साधुवत् सरिया पीभाकरः || वाक्य एव गतो यच कर्तुं व्यापारविस्तृतिम् । कलिकातामहाय धर्मार्थनिश्रयः ॥ कुशामीचया सद्या सद्वृत्या च सनिष्ठया उपाय विपुलां लक्ष्मीं को उपधिपोऽजनिष्ट खः ॥ तस्य मनुकुमारीति सन्नारीकुलमण्डना । जाता पतिव्रता पत्नी शीलसौभाग्यभूपणा ॥ श्रीबहादुरसिंहाख्यो गुणवाँस्तनयस्तयोः । सञ्जातः सुकृती दानी धर्मप्रियश्व धीनिधिः ॥ प्राप्ता पुण्यवता तेन पत्नी तिलकसुन्दरी । यस्याः सौभाग्यचन्द्रेण भासितं तत्कुहाम्बरम् ॥ श्रीमान् राजेन्द्रसिंदोऽस्य ज्येष्ठपुत्रः सुशिक्षितः । यः सर्वकार्यदक्षत्वात् दक्षिणावत् पितुः ॥ नरेन्द्रसिंह इत्याख्यस्तेजस्वी मध्यमः सुतः । सूनुवीरेन्द्रसिंहश्च कनिष्टः सौम्यदर्शनः ॥ सन्ति त्रयोsपि सत्पुत्रा आप्तभक्तिपरायणाः । विनीताः सरला भव्याः पितुर्मार्गानुगामिनः ॥ अन्येऽपि बहवस्तस्याभवन् स्वस्त्रादिबान्धवाः । धनैर्जनैः समृद्धः सन् स राजेव व्यराजत ॥ अन्यच - 1 सरस्वत्यां सदासको भूत्वा लक्ष्मीप्रियोऽध्ययम् । तत्राप्यासीत् सदाचारी तचित्रं विदुषां खलु ॥ नाकारोन दुर्भावो न विलासो न दुर्व्ययः । दृष्टः कदापि यद्गेहे सतां तद् विमवास्पदम् ॥ भको गुरुजनानां स विनीतः सज्जनान् प्रति । कन्युजनेऽनुरकोऽभूत् प्रीतः पोष्यगणेष्वपि ॥ देश-काल स्थितिशोऽसौ विद्या-विज्ञानपूजकः । इतिहासादि-साहित्य-संस्कृति सरकलाप्रियः ॥ समुत्यै समाजस्य धर्मोत्कर्ष हेतवे । प्रचाराय च शिक्षाया दर्त्त तेन धनं धनम् ॥ गत्या सभा समित्यादौ भूत्वाऽप्यक्षपदान्वितः । दच्या दानं यथायोग्यं प्रोत्साहिताश्च कर्मठाः ॥ एवं धनेन देहेन ज्ञानेन शुभनिष्ठया । अकरोत् स यथाशक्ति सत्कर्माणि सदाशयः ॥ अथान्यदा प्रसङ्गेन स्वपितुः स्मृतिहेतवे । कर्तुं किञ्चिद् विशिष्टं स कार्यं मनस्यचिन्तयत् ॥ पूज्यः पिता सदैवासीत् सम्यग् ज्ञानरुचिः स्वयम् । तस्मात् तज्ज्ञानवृद्ध्यर्थं यतनीयं मवाऽप्यरम् ॥ विचार्येवं स्वयं पिते पुनः प्राप्य सुसम्मतिम् । श्रदेयानां स्वमित्राणां विदुषां चापि तादृशाम् ॥ जैनज्ञानप्रसारार्थ स्थाने शान्ति निकेतने संपदा जैन ज्ञानपीठ मतिष्ठियत् ॥ श्रीजिनविजयः प्राज्ञो मुनिनाना च विश्रुतः । स्वीकर्तुं प्रार्थितवाियकं पदम् ॥ तस्य सौजन्य-सौदाई-स्वयौदार्यादिगुणैः। वशीभूय मुदा येन स्त्रीकृतं तत्पदं वरम् ॥ कवीन्द्रेण रवीन्द्रेण स्वीयपावनपाणिना । रसै-नागा-चन्द्राब्दे तत्प्रतिष्ठा व्यधीयत । प्रारब्धं मुनिना चापि कार्य तदुपयोगिकम् पाठनं ज्ञानलिप्सूनां प्रथानां प्रथमं तथा । तस्यैव प्रेरणां प्राप्य श्रीसिंचीकुहकेतुना । स्वपितृश्रेयसे चैषा प्रारख्या प्रन्यमालिका ॥ उदारचेतसा तेन धर्मशीलेन दानिना । व्यवितं तत्तत्कासि ॥ छात्राणां वृतिदानेन नैवेषां विदुषां तथा ज्ञानाभ्यासाय निष्कामसाहाय्यं स प्रदत्तवान् ॥ जलवावादिकानां तु प्रतिकृत्यादौ मुनिः कार्यत्रिवार्थिकं तत्र समाप्यान्यत्रावासितः ॥ तत्रापि सततं सर्व साहाय्यं तेन यच्छता प्रन्थमालाप्रकाशाय महोत्साहः प्रदर्शितः ॥ नन्दे-निध्ये चन्द्रोदे कृता पुनः सुयोजना | ग्रन्थावल्याः स्थिरत्वाय विस्तराय च नूतना ॥ ततो मुनेः परामर्शात् सिंघीवंशनभस्वता । भा विद्या भवना येयं ग्रन्थमाला समर्पिता ॥ आसीतस्य मनोवान्छा पूर्वग्रन्थप्रकाशने। तदर्थं व्ययितं तेन लक्षावधि हि रूप्यकम् ॥ दुर्विलासा विधेत ! दीर्भाग्याचाय्मबन्धूनाम् स्वल्पेनेवाथ कालेन स्वर्ग स युकृती ययी विधु -शून्यं खं नेत्रा-ब्दे मासे भाषाढसके । कलिकातानगर्यां स प्राप्तवान् परमां गतिम् ॥ पितृभवत्पुत्रैः प्रेयले पितुरात्मनः । तथैव पर प्रकाश्यतेऽधुना स्वयम् ॥ सेवा प्रन्धावलिः श्रेष्ठा प्रेष्ठा प्रज्ञावतां प्रथा भूषाद भूयै सतां सिंधीकुलकीर्तिकारिका ॥ विद्वज्जनकृताद्वादा सचिदानन्ददा सदा चिरं नन्दत्वियं लोके श्रीसेंची प्रन्यमालिका * M q १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८ १९ २० २१ २२ २३ २४ २५ २६ २७ २८ २९ ३० ३१ ३२ ३३ ३४ ३५ ३६ ३७ ३८ ३९ ४० Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ सिंधी जैनग्रन्थमालासम्पादक प्रशस्तिः ॥ ROCCOO स्वति श्रीमेदपाठायो देशो भारतविश्रुतः । रुपालीत साक्षी पुरिका यत्र सुस्थिता ॥ सदाचार-विचाराभ्यां प्राचीननृपतेः समः । श्रीमचतुरसिंहोऽय राठोडाम्यभूमिपः ॥ तत्र श्रीवृद्धिसिंहोऽभूद् राजपुत्रः प्रसिद्धिभाक् । क्षात्रधर्मधनो यश्च परमारकुलाप्रणीः ॥ मु-भोजमुखा भूपा जाता यस्मिन् महाकुले । किं वर्ण्यते कुलीनत्वं तत्कुलजातजन्मनः ॥ पली राजकुमारीति तस्याभूद् गुणसंहिता । चातुर्य रूप लावण्य सुवाक्- सौजन्यभूषिता ॥ क्षत्रियाणीं प्रभापूर्णां शौर्योद्दीप्तमुखाकृतिम् । यां दृष्ट्वैव जनो मेने राजन्यकुलजा त्वियम् ॥ पुत्रः किसनसिंहाख्यो जातस्तयोरतिप्रियः । रणमल्ल इति चान्यद् यन्नाम जननीकृतम् ॥ श्रीदेवी हंसनामात्र राजपूज्यो यतीश्वरः । ज्योतिषज्यविद्यानां पारगामी जनप्रियः ॥ आगतो मरुदेशाद् यो भ्रमन् जनपदान् बहून् । जातः श्रीवृद्धि सिंहस्य प्रीति-श्रद्धास्पदं परम् ॥ तेनाथाप्रतिमप्रेरणा स तत्सूनुः स्वसनिधी रक्षितः शिक्षितः सम्यक, कृतो जैनमतानुगः ॥ दौर्भाग्यात् तच्छिशल्ये गुरु-ताती दिवंगतौ । विमूढः स्वगृहात् सोऽथ यच्छया विनिर्गतः ॥ । तथा च ॥ आम्वा नैकेषु देशेषु संसेव्य च बहून् नरान् । दीक्षितो मुण्डितो भूत्वा जातो जैनमुनिस्ततः ॥ ज्ञातान्यनेकशाखाणि नानाधर्ममवानि च मध्यस्थवृचिना तेन तत्वावरचगवेषिणा ॥ अपीता विविध भाषा भारतीया युरोपजाः । अनेका हिषयोऽप्येवं नूतनकालिकाः ॥ येन प्रकाशिता नैके प्रन्वा विप्रशंसिताः । लिखिता बहवो लेखा ऐतिह्यवगुम्फिताः ॥ बहुभिः सुविद्भिस्तन्मण्डलैख स सत्कृतः । जिनविजयनाम्नाऽयं विख्यातः सर्वत्राभवद् ॥ तस्य तां विश्रुतिं ज्ञात्वा श्रीमद्गान्धीमहात्मना । आहूतः सादरं पुण्यपत्तनात् स्वयमन्यदा ॥ पुरे चाहम्मदाबादे राष्ट्रीयः शिक्षणालयः । विद्यापीठ इति व्याख्या प्रतिष्ठितो यदाऽभवत् ॥ आचार्यत्वेन तत्रोच्चैर्नियुक्तः स महात्मना । रस-मुनि-निधीन्द्वेदे पुरातत्त्वाख्य मन्दिरे ॥ वर्षाणामष्टकं यावत् सम्भूप्य तत् पदं ततः । गत्या जर्मन राष्ट्रे स तत्संस्कृतिमधीयान् ॥ तत आगत्य समो राष्ट्रकार्ये च सक्रियम् । कारावासोऽपि सम्प्राप्तो येन स्वाम्म्य क्रमात् ततो विनिर्मुक्तः स्थितः शान्ति निकेत ने । विश्ववन्द्यकवीन्द्रश्रीरवीन्द्रनाथ भूषिते ॥ सिंघीपदयुतं जैन ज्ञान पीठं तदाश्रितम् । स्थापितं तत्र सिंघीश्री डालचन्दस्य सूनुना ॥ श्रीबहादुरसिंहेन दानवीरेण धीमता । स्मृत्यर्थं निजतातस्य जैनज्ञानप्रसारकम् ॥ प्रतिष्ठित तस्यासी पदेऽधिष्ठातृसके। अध्यापयन् वरान् शिध्वान् प्रन्धवन् जैनवाकययम् ॥ तस्यैव प्रेरणां प्राप्य श्रीसिंघीकुलकेतुना । स्वपितृश्रेयसे होषा प्रारब्धा ग्रन्थमालिका ॥ अथैवं विगतं तस्य वर्षाणामष्टकं पुनः । ग्रन्थमालाविकासादिप्रवृत्तिषु प्रयस्यतः ॥ बाणेर - नवे द्वेदे मुंबाईनगरीस्थितः । मुंशीति बिरुदख्यातः कन्हैयालाल - धीसखः ॥ प्रवृत्तो भारतीयानां विद्यानां पीठनिर्मितौ । कर्मनिष्टस्य तस्याभूत् प्रयत्नः सफलोऽचिरात् ॥ विदुषां श्रीमतां योगात् पीठो जातः प्रतिष्ठितः । भारतीय पदोपेत विद्याभवन सय ॥ आहूतः सहकार्या स मुनिस्तेन सुहृदा। ततः प्रभृति तचापि तत्कार्ये सुचवान् ॥ सद्भवनेऽन्यदा तस्य सेवाऽधिका ह्यपेक्षिता स्वीकृता च सद्भावेन साऽप्याचार्यपदाश्रिता ॥ नन्दे-निध्य के - चन्द्राब्दे वैक्रमे विहिता पुनः । एतद्ग्रन्थावली स्थैर्यकृते नूतनयोजना ॥ परामर्शात् ततस्तस्य श्रीसिंघीकुलभास्वता । भा विद्याभ व ना येयं ग्रन्थमाला समर्पिता ॥ प्रदत्ता दशसाहस्त्री पुनस्तस्योपदेशतः । स्वपितृस्मृतिमन्दिरकरणाय सुकीर्तिना ॥ दैवादल्पे गते काले सिंघीवर्यो दिवंगतः । यस्तस्य ज्ञानसेवायां साहाय्यमकरोत् महत् ॥ पितृकार्यप्रगत्यर्थं यत्नशीलैस्तदात्मजैः । राजेन्द्र सिंहमुख्यैश्च सत्कृतं तद्वचस्ततः ॥ पुण्य ठोकपितुनांना प्रन्थागारकृते पुनः । बन्धुयेष्टो गुणश्रेष्टो हा धनं ददौ ॥ प्रन्थमाला सिद्धार्थ पितृवत् त कांक्षितम् । श्रीसिंघीसपुत्रैः सर्व तदूगिराऽनुविधीयते ॥ निकृताङ्गदा सचिदानन्ददा सदा चिरं नन्दस्यियं लोके जिन विजय भारती ॥ -- * ३ 2 g ६ ७ ८ ९ १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८ १९ २० २१ २२ २३ २४ २५ २६ २७ २८ २९ ३० ३१ ३२ ३३ ३४ ३५ ३६ ३७ ૨૮ ३९ ४० Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मेरुतुज्ञाचार्यरचित प्रबन्धचिन्तामणि मूल संस्कृत ग्रन्थ. २ पुरातनप्रबन्धसंग्रह बहुविध ऐतिह्यतथ्यपरिपूर्ण अनेक निबन्ध संचय. ३ राजशेखरसूरिरचित प्रबन्धकोश. ४ जिनप्रभसूरिकृत विविधतीर्थकल्प. ५ मेपविजयोपाध्यायकृत देवानन्द महाकाव्य. ६ यशोविजयोपाध्यायकृत जैनतर्कभाषा. ७ हेमचन्द्राचार्यकृत प्रमाणमीमांसा. 4 भट्टालदेवत ९ प्रबन्धचिन्तामणि- हिन्दी भाषांतर. १० प्रभाचन्द्रसरिरचित प्रभावकचरित. SINGHI JAIN SERIES Works in the Series already out. * अद्यावधि मुद्रितग्रन्थनामावलि ॐ सिद्धिचन्द्रोपाध्याय रचित भानुचन्द्रगणिचरित १२ यशोविजयोपाध्यायविरचित ज्ञानबिन्दुप्रकरण. १३ हरिषेणाचार्यकृत बृहत्कथाकोश. १४ जैन पुस्तकप्रशस्तिसंग्रह, प्रथम भाग, ११ हरिभद्रसूरिविरचित धूर्ताख्यान. ( प्राकृत ) १६ दुर्गदेवकृत रिष्टसमुच्चय. ( प्राकृत ) १७ मेघविजयोपाध्यायकृत दिग्विजयमहाकाव्य. १८] कवि अब्दुल रहमान सन्देश सक. (अप) 2 Shri Bahadur Singh Singhi Memoirs Dr. G. H. Bühler's Life of Hemachandrāchārya. Translated from German by Dr. Manilal Patel, Ph. D. स्व. बाबू श्रीबहादुरसिंहजी सिंधी स्मृतिग्रन्थ [ भारतीयविद्या भाग ३] सन १९४५. Late Babu Shri Shri Bahadur Singhji Singhi Memorial volume. BHARATIYA VIDYA [Volume V] A. D. 1945. Literary Circle of Mahamatya Vastupala and its Contribution to Sanskrit Literature. By Dr. Bhogilal J. Sudesara, M. A., Ph. D. (S.J.S.33.) 4-5 Studies in Indian Litary History. Two Volumes. विविधगच्छीय पट्टावलि संग्रह. २ जैनपुस्तकप्रशस्तिसंग्रह, भाग २. ३ विशसिंह विज्ञप्ति महालेख विज्ञप्ति त्रिवेणी आदि अनेक विज्ञप्तिलेख समुच्चय. Works in the Press. संप्रति मुद्यमाणग्रन्थनामावलि १९ भर्तृहरिकृत शतकत्रयादि सुभाषितसंग्रह . २० शान्याचार्यकृत न्यायावतारवार्तिक-वृत्ति. २१ कवि वाहिलरचित पउमसिरीचरिउ ( अप० ) २२ महेश्वरस्कृित नाथपंचमी कहा. (प्रा० ) २३ श्रीभद्रबाहु आचार्यकृत भद्रबाहु संहिता. २४ जिनेश्वरसूरिकृत कथाकोषप्रकरण. ( प्रा० ) २५ धर्माभ्युदयमहाकाव्य. २६ जयसिंहरिकृत धर्मोपदेशमाला. (प्रा० ) २७ फोकलपरचित लीलावई कहा. (प्रा० ) २८ जिनदत्ताख्यानद्वय. ( प्रा० ) २९ स्वयंभूविरचित पउमचरिउ भाग १ ( अप० ) ३० २ ३१ सिद्धिचन्द्रकृत काव्यप्रकाशखण्डन. ३२ दामोदरपण्डित कृत उक्तिव्यक्तिप्रकरण. ३३ भिन्नभिन्न विद्वत्कृत कुमारपालचरित्रसंग्रह. ३४ जिनपालोपाध्यायरचित खरतरगच्छ बृहद्गुर्वावलि. ३५ उद्द्योतनसूरिकृत कुवलयमाला कहा. ( प्रा० ) ३६ गुणपालमुनिरचित जंबुचरियं. ( प्रा० ) ३७ पूर्वाचार्यविरचित जयपायड - निमित्तशास्त्र. (प्रा० ) २८ धनसारगणीकृतभर्तृकटीका. By Prof. P. K. Gode, M. A. (S. J. S. No. 37-38.) · ४ कीर्तिकौमुदी आदि वस्तुपालप्रशस्तिसंग्रह ५ गुणचन्द्रविरचित मंत्री कर्मचन्द्र वंशप्रबन्ध. ६ नयचन्द्रविरचित हम्मीर महाकाव्य. ७ महेन्द्रसूरिकृत नर्मदा सुन्दरीकथा. ( प्रा० ) ८ कौटिल्यकृत अर्थशास्त्र - सटीक ( कतिपय अंश ) "" "3 ९ गुणप्रभाचार्यकृत विनयसूत्र ( बौद्धशास्त्र ) १० भोजनृपतिरचित शृङ्गारम अरी. (संस्कृत कथा ) १५ रामचन्द्रकविरचित-मल्लिका मकरन्दादिनाटकसंग्रह. १२ तरुणप्राभाचार्यकृत षडावश्यकबालावबोधवृत्ति. १३ प्रद्युम्नसरिकृत मूलशुद्धिप्रकरण- सटीक १४ हेमचन्द्राचार्यकृत छन्दोऽनुशासन १५] खयंभुकविरचित पउमचरिउ मा ३ १६ ठकुर फेरूरचित ग्रन्थावलि ( प्रा० ) Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ To Pandit Dr. Sukhalalaji Sanghavi and Acharya Sri Jina Vijayaji Muni Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PREFACE AFTER working for the last six years and more on the critical edition of this unique Prākrit Campū, the Kuvalayamālā of Uddyotanasūri (A. D. 779), it is a matter of pleasure and relief for the Editor that the Text with the Various Readings is being placed before the world of scholars, in this Part I. The Second Part will include the Introduction which gives a description of the Mss, along with the principles of Text-constitution and presents an exhaustive study of the various aspects of the Kuvalayamālā. In it is included a critical edition of Ratnaprabhasūri's Kuvalayatmālā-kathā which is a stylistic digest in Sanskrit of Uddyotana's Prākrit work. All this material is nearly ready, and it is hoped that the Second Part also will be published soon. The Prākrit Text is edited according to the best standards of critical scholarship. Only two Mss. of this Prākrit Campū are available one written on paper in Poona (P) and the other on palm-leaf in Jaisalmer (J): both of them are used for this edition. Muni Shri JINAVIJAYAJI had undertaken a critical edition of this work; and, as early as 1931, he had even printed the first form of it. The students of Prakrit literature have to regret that due to various preoccupations and multifarious duties this great savant could not continue his work on this important Prakrit Text. A kalyāna-mitra as he is, he generously placed the Jaisalmer material at my disposal; and it is out of great respect for his wish that I undertook to edit this work. But for his help and constant encouragement I would not have been able to complete this arduous task. Words are inadequate to express my sense of gratitude towards him. My sincere thanks are due to the ex-Government of Kolhapur and the University of Poona for their research grants which enabled me to continue my work on the Kuvalayamála. Two years back some unexpected developments were about to dislocate my work on the Kuvalayamālā. Thanks to Pt. Dr. Sukhalalji Sanghavi, Ahmedabad, Dr. Hiralal Jain, Muzffarpur, and other wellwishers that I could complete the text-constitution of this Kuvalayamiilā which by its publication has positively enhanced the greatness of Indian literature in general and Prākrit literature in particular. Karmanyevádhikaras te. Rajaram College Kolhapur: 1-5-59. A. N. UPADHYE Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किञ्चित् प्रास्ताविक । (कुवलयमाला कथाके प्रकाशनकी पूर्व कथा।) * अनेक वर्षों से जिसके प्रकाशित होने की विद्वानोंको विशिष्ट उत्कण्ठा हो रही थी, उस दाक्षिण्य चिह्नाङ्कित उद्द्योतन सूरिकी बनाई हुई प्राकृत महाकथा कुवलयमाला, सिंघी जैन ग्रन्थमाला के ४५ वें मणिरतके रूपमें, आज प्रकट करते हुए मुझे अतीव हर्षानुभव हो रहा है । इस कथा ग्रन्थको इस रूपमें प्रकट करनेका आजसे कोई ४५ वर्ष पूर्व, मेरा संकल्प हुआ था। विद्वन्मतल्लिक मुनिवर्य श्री पुण्यविजयजीके स्वर्गीय गुरुवर्य श्री चतुरविजयजी महाराजने रत्नप्रभसूरिकृत गद्यमय संस्कृत कुवलयमाला कथाका संपादन करके भावनगरकी जैन आत्मानन्द सभा द्वारा (सन् १९१६) प्रकाशित करनेका सर्वप्रथम सुप्रयत्न किया, तब उसकी संक्षिप्त प्रस्तावनामें प्रस्तुत प्राकृत कथाका आद्यन्त भाग उद्धृत करने की दृष्टिसे, पूनाके राजकीय ग्रन्थसंग्रह (जो उस समय डेक्कन कॉलेजमें स्थापित था) में सुरक्षित इस ग्रन्थकी, उस समय एकमात्र ज्ञात प्राचीन हस्तलिखित प्रति, मंगवाई गई । हमारे खर्गस्थ विद्वान् मित्र चिमनलाल डाह्याभाई दलाल, एम्. ए. ने उस समय 'गायकवाडस् ओरिएन्टल सिरीझ' का काम प्रारंभ किया था। प्रायः सन् १९१५ के समयकी यह बात है। उन्हींके प्रयत्नसे पूना वाली प्रति बडौदामें मंगवाई गई थी। मैं और श्री दलाल दोनों मिल कर उस प्रतिके कुछ पन्ने कई दिन टटोलते रहे, और उसमेंसे कुछ महत्त्वके उद्धरण नोट करते रहे । श्री दलालके हस्ताक्षर बहुत ही अव्यवस्थित और अस्पष्ट होते थे अतः इस ग्रन्थगत उद्धरणोंका आलेखन मैं ही स्वयं करता था। ग्रन्थका आदि और अन्त भाग मैंने अपने हस्ताक्षरोंमें सुन्दर रूपसे लिखा था। उसी समय कथागत वस्तुका कुछ विशेष अवलोकन हुआ और हम दोनोंका यह विचार हुआ कि इस ग्रन्थको प्रकट करना चाहिये । मैंने श्री दलालकी प्रेरणासे, गायकवाड सीरीझके लिये, सोमप्रभाचार्य रचित कुमारपालप्रतिबोध नामक विशाल प्राकृत ग्रन्थका संपादन कार्य हाथमें लिया था; और उसका छपना भी प्रारंभ हो गया था। मैंने मनमें सोचा था कि कुमारपालप्रतिबोधका संपादन समाप्त होने पर, इस कुवलयमालाका संपादन कार्य हाथमें लिया जाय । श्री दलाल द्वारा संपादित गायकवाडस् ओरिएन्टल सीरीझका प्रथम ग्रन्थ राजशेखरकृत 'काव्यमीमांसा' प्रकट हुआ। इसके परिशिष्टमें, कुवलयमालाके जो कुछ उद्धरण दिये गये हैं उनकी मूल नकल सर्वप्रथम मैंने ही की थी। पूना वाली प्रतिका ऊपर ऊपरसे निरीक्षण करते हुए मुझे आभास हुआ कि वह प्रति कुछ अशुद्ध है। पर उस समय. जेसलमेरकी प्रति ज्ञात नहीं थी। उसी वर्ष जेसलमेरके ज्ञानभंडारोंका निरीक्षण करनेके लिये, स्वर्गवासी विद्याप्रिय सयाजीराव गायकवाड नरेशका आदेश प्राप्त कर, श्री दलाल वहां गये और प्रायः तीन महिना जितना समय व्यतीत कर, वहांके भंडारोंकी ग्रन्थराशिका उनने ठीक ठीक परिचय प्राप्त किया। तभी उनको जेसलमेर में सुरक्षित प्राकृत कुवलयमालाकी ताडपत्रीय प्राचीन प्रतिका पता लगा। पर उनको उसके ठीकसे देखनेका अवसर नहीं मिला था, अतः इसकी कोई विशेषता उनको ज्ञात नहीं हुई। बादमें बडौदासे मेरा प्रस्थान हो गया। सन् १९१८ में मेरा निवास पूनामें हुआ। भांडारकर ओरिएन्टल रीसर्च इन्स्टिट्यूटकी स्थापनाके काममें, जैन समाजसे कुच्छ विशेष आर्थिक सहायता प्राप्त करानेकी दृष्टिसे, इन्स्टिट्यटके मुख्य स्थापक Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४ कुवलयमाला विद्वान् स्वर्गवासी डॉ० पाण्डुरंग गुणे, डॉ० एन्. जी. सरदेसाई और डॉ० एस्. के. बेल्वलकर आदिके आमंत्रणसे मैं पूना गया था । मेरा उद्देश इन्स्टिट्यूट की स्थापनामें जैन समाजसे कुछ आर्थिक सहायता दिलाने के साथ, स्वयं मेरा आन्तरिक प्रलोभन, पूनाके उस महान् ग्रन्थसंग्रहको भी देखनेका था जिसमें जैन साहित्यके हजारों उत्तमोत्तम ग्रन्थ संग्रहीत हुए हैं। पूनामें जा कर मैं एक तरफसे इन्स्टिट्यूटको अपेक्षित आर्थिक मदत दिलाने का प्रयत्न करने लगा, दूसरी तरफ मैं यथावकाश ग्रन्थसंग्रहके देखनेका भी काम करने लगा । उस समय यह ग्रन्थसंग्रह, डेक्कन कॉलेजके सरकारी मकानमेंसे हट कर, भांडारकर रीसर्च इन्स्टिट्यूट का जो नया, पर अधूरा, मकान बना था उसमें आ गया था । अहमदाबादकी वर्तमान गुजरात विद्या सभाके विशिष्ट संचालक, प्रो० श्री रसिकलाल छोटालाल परीख, जो उस समय पूनाकी फर्गुसन कॉलेजमें रीसर्च स्कॉलरके रूपमें विशिष्ट अध्ययन कर रहे थे, मेरे एक अभिन्नहृदयी मित्र एवं अतीव प्रिय शिष्यके रूप में, इस महान् ग्रन्थसंग्रहके निरीक्षण कार्यमें मुझे हार्दिक सहयोग दे रहे थे । सन् १९१९ के नवंबर मासमें, भांडारकर रीसर्च इन्स्टिट्यूटकी तरफसे, भारतके प्राच्यविद्याभिज्ञ विद्वानोंकी सुविख्यात ओरिएन्टल कॉन्फरन्सका सर्वप्रथम अधिवेशन बुलानेका महद् आयोजन किया गया । मैंने इस कॉन्फरन्समें पढनेके लिये महान् आचार्य हरिभद्रसूरिके समयका निर्णय कराने वाला निबन्ध लिखना पसन्द किया । इन आचार्य के समय के विषयमें भारतके और युरोपके कई विख्यात विद्वानोंमें कई वर्षोंसे परस्पर विशिष्ट मतभेद चल रहा था जिनमें जर्मनीके महान् भारतीयविद्याविज्ञ डॉ० हेर्मान याकोबी मुख्य थे । जैन परंपरामें जो बहु प्रचलित उल्लेख मिलता है उसके आधार पर आचार्य हरिभद्रसूरिका स्वर्गमन विक्रम संवत् ५८५ माना जाता रहा है । पर डॉ० याकोबीको हरिभद्रके कुछ ग्रन्थगत उल्लेखोंसे यह ज्ञात हुआ कि उनके स्वर्गमनकी जो परंपरागत गाथा है वह ठीक नहीं बैठ सकती । हरिभद्रके स्वयंके कुछ ऐसे निश्चित उल्लेख मिलते हैं जिनसे उनका वि० सं० ५८५ में स्वर्गमन सिद्ध नहीं हो सकता । दूसरी तरफ, उनको महर्षि सिद्धर्षिकी उपमितिभवप्रपंचा कथामें जो उल्लेख मिलता है, कि आचार्य हरिभद्र उनके धर्मबोधकर गुरु हैं, – इसका रहस्य उनकी समझ में नहीं आ रहा था । सिद्धर्षिने अपनी वह महान् कथा विक्रम संवत् ९६२ में बनाई थी, जिसका स्पष्ट और सुनिश्चित उल्लेख उनने स्वयं किया है । अतः डॉ० याकोबीका मत बना था कि हरिभद्र, सिद्धर्षिके समकालीन होने चाहिये प्रमाण उनको मिल नहीं रहा था । अतः वे हरिभद्रका समय विक्रमकी १० वीं । इसका विरोधी कोई स्पष्ट शताब्दी स्थापित कर रहे थे । जैन विद्वान् अपनी परंपरागत गाथा का ही संपूर्ण समर्थन कर रहे थे । 1 मेरे देखने में प्राकृत कुवलयमालागत जब वह उल्लेख आया जिसमें कथाकारने अनेकशास्त्रप्रणेता आचार्य हरिभद्रको अपना प्रमाणशास्त्रशिक्षक गुरु बतलाया है और उनकी बनाई हुई प्रख्यात प्राकृत रचना 'समराइच्चकहा' का भी बडे गौरवके साथ स्मरण किया है, तब निश्चय हुआ कि हरिभद्र कुवलयमालाकथाकार उद्द्योतनसूरिके समकालीन होने चाहिये । उद्द्योतनसूरिने अपनी रचनाका निश्चित समय, ग्रन्थान्तमें बहुत ही स्पष्ट रूपसे दे दिया है; अतः उसमें भ्रान्तिको कोई स्थान नहीं रहता । उद्योतनसूरिने कुवलयमालाकी रचनासमाप्ति शक संवत् ७०० के पूर्ण होनेके एकदिन पहले की थी । राजस्थान और उत्तर भारतकी परंपरा अनुसार चैत्र कृष्णा अमावस्याको शक संवत्सर पूर्ण होता है । चैत्र शुक्ल प्रतिपदाको नया संवत्सर चालू होता है । उद्द्योतनसूरिने चैत्रकृष्णा चतुर्दशी के दिन अपनी ग्रन्थसमाप्ति की, अतः उनने स्पष्ट लिखा Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किञ्चित् प्रास्ताविक कि एक दिन न्यून रहते, शक संवत्सर ७०० में यह ग्रन्थ समाप्त हो रहा है। शक संवत्सर ७०० की तुलनामें विक्रम संवत् ८३५ आता है। इस दृष्टिसे हरिभद्रसूरि, विक्रमकी ९ वीं शताब्दीके प्रथम पादमें हुए यह निश्चित होता है। न वे जैसा कि परंपरागत गाथामें सूचित वि० सं० ५८५ में ही खर्गस्थ हुए, और न सिद्धर्षिके समकालीन वि० सं० ९६२ के आसपास ही हुए। मैंने इस प्रमाणको सन्मुख रख कर, हरिभद्रसूरिके समयका निर्णायक निबन्ध लिखना शुरू किया था । पर साथमें पूनाके उक्त ग्रन्थसंग्रहमें उपलब्ध हरिभद्रसूरिके अन्यान्य विशिष्ट ग्रन्थोंके अवलोकनका भी मुझे अच्छा अवसर मिला। इन ग्रन्थोंमें कई ऐसे विशिष्ट अन्य प्रमाण मिले जो उनके समयका निर्णय करनेमें अधिक आधाररूप और ज्ञापकखरूप थे। डॉ० याकोबीके अवलोकनमें ये उल्लेख नहीं आये थे, इस लिये मुझे अपने निबन्धके उपयोगी ऐसी बहुत नूतन सामग्री मिल गई थी, जिसका पूरा उपयोग मैंने अपने उस निबन्धमें किया। ___मैंने अपना यह निबन्ध संस्कृत भाषामें लिखा । और उक्त 'ऑल इण्डिया ओरिएन्टल कॉन्फरन्स'के प्रमुख अधिवेशनमें विद्वानोंको पढ कर सुनाया । उस कॉन्फरन्सके मुख्य अध्यक्ष, स्वर्गस्थ डॉ० सतीशचन्द्र विद्याभूषण थे, जो उन दिनों भारतके एक बहुत गण्य मान्य विद्वान् माने जाते थे। उनने भी अपने एक प्रन्थमें हरिभद्रसूरिके समयकी थोडीसी चर्चा की थी। मैंने अपने निबन्धमें इनके कथनका भी उल्लेख किया था और उसको असंगत बता कर उसकी आलोचना भी की थी। विद्याभूषण महाशय स्वयं मेरे निबन्धपाठके समय श्रोताके रूपमें उपस्थित थे । मेरे दिये गये प्रमाणोंको सुन कर, वे बहुत प्रसन्न हुए। मेरी की गई आलोचनाको उदार हृदयसे बिल्कुल सत्य मान कर उनने, बादमें मेरे रहनेके निवासस्थान पर आकर, मुझे बडे आदरके साथ बधाई दी। ऐसे सत्यप्रिय और साहित्यनिष्ठ प्रखर विद्वान्की बधाई प्राप्त कर मैंने अपनेको धन्य माना। पीछेसे मैंने इस निबन्धको पुस्तिकाके रूप में छपवा कर प्रकट किया और फिर बादमें, 'जैन साहित्य संशोधक' नामक संशोधनात्मक त्रैमासिक पत्रका संपादन व प्रकाशन कार्य, स्वयं मैंने शुरू किया, तब उसके प्रथम अंकमें ही "हरिभद्रसूरिका समयनिर्णय" नामक विस्तृत लेख हिन्दीमें तैयार करके प्रकट किया। ___ मैंने इन लेखोंकी प्रतियां जर्मनीमें डॉ० याकोबीको भेजी जो उस समय, आधुनिक पश्चिम जर्मनीकी राजधानी बॉन नगरकी युनिवर्सिटीमें भारतीय विद्याके प्रख्यात प्राध्यापकके पद पर प्रतिष्ठित थे । डॉ० याकोबीने मेरे निबन्धको पढ कर अपना बहुत ही प्रमुदित भाव प्रकट किया । यद्यपि मैंने तो उनके विचारोंका खण्डन किया था और कुछ अनुदार कहे जाने वाले शब्दोंमें भी उनके विचारोंकी आलोचना की थी। पर उस महामना विद्वान्ने, सत्यको हृदयसे सत्य मान कर, कटु शब्दप्रयोगका कुछ भी विचार नहीं किया और अपनी जो विचार-भ्रान्ति थी उसका निश्छद्म भावसे पूर्ण स्वीकार कर, मेरे कथनका संपूर्ण समर्थन किया। __ हरिभद्रसूरिकी समराइच्चकहा नामक जो विशिष्ट प्राकृत रचना है उसका संपादन डॉ० याकोबीने किया है और बंगालकी एसियाटिक सोसाइटी द्वारा प्रकाशित 'बिब्लियोथिका इन्डिका' नामक सीरीझमें वह प्रकट हुई है । इस ग्रन्थकी भूमिकामें डॉ० याकोबीने मेरे निबन्धकी प्रशंसा करते हुए वे सारी बातें बडे विस्तारसे लिखी हैं जिनका संक्षिप्त परिचय मैंने ऊपर दिया है। डॉ० याकोबीके विचारोंको जब मैंने पढा तो मुझे जर्मनीके महान् विद्वानोंकी सत्यप्रियता, ज्ञानोपासना एवं कर्तव्यनिष्ठाके प्रति अत्यन्त समादर भाव उत्पन्न हुआ । मेरे मनमें हुआ कि कहां डॉ० याकोबी जैसा महाविद्वान् , जिसको समग्र भारतीय साहित्य और संस्कृतिका हस्तामलकवत् स्पष्ट दर्शन हो रहा है, और कहां Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला मेरे जैसा एक अतीव अल्पज्ञ और यथाकथंचित् पुस्तकपाठी सामान्य विद्यार्थी जन, जिसको अभी संशोधन की दिशाकी भी कोई कल्पना नहीं है वैसे एक सिखाऊ अभ्यासीके लिखे गये लेखके विचारोंका स्वागत करते हुए, इस महान विद्यानिधि विद्वानने कितने बडे उदार हृदयसे अपनी भूलका स्वीकार किया और मझे धन्यवाद दिया। मेरे मनमें उसी समयसे जर्मन विद्वत्ता और विद्याप्रियताके प्रति अतीव उत्कृष्ट आदरभाव उत्पन्न हुआ और मैंने उन्हींके प्रदर्शित मार्ग पर चल कर, अपनी मनोगत जिज्ञासा और ज्ञानपिपासाको तृप्त करते रहनेका संकल्प किया। मैं मान रहा हूं कि मेरी यह जो अल्प-खल्प साहित्योपासना आज तक चलती रही है उसमें मुख्य प्रेरक वही संकल्प है। इस कुवलयमालाके अन्तभागमें जहां हरिभद्रसूरिका उल्लेख किया गया है वह गाथा पूनावाली प्रतिमें कुछ खण्डित पाठवाली थी। मैंने त्रुटित अक्षरोंको अपनी कल्पनाके अनुसार वहां बिठानेका प्रयत्न किया। इसी प्रसंगमें पुनः कुवलयमालाकी प्रतिको वारंवार देखनेका अवसर मिला और मैं इसमेंसे अन्यान्य भी अनेक इतिहासोपयोगी और भाषोपयोगी उल्लेखोंके नोट करते रहा जो आज भी मेरी फाईलोंमें दबे हुए पडे हैं । पूनामें रहते हुए ख० डॉ० गुणेसे घनिष्ठ संपर्क हुआ । वे जर्मनी जा कर, वहांकी युनिवर्सिटीमें भारतीय भाषाविज्ञानका विशिष्ट अध्ययन कर आये थे और जर्मन भाषा भी सीख आये थे। अतः वे जर्मन विद्वानोंकी शैलीके अनुकरण रूप प्राचीन ग्रन्थोंका संपादन आदि करनेकी इच्छा रखते थे । वे प्राकृत और अपभ्रंश भाषा साहित्यका विशेष अध्ययन करना चाहते थे। मुझे भी इस विषयमें विशेष रुचि होने लगी थी, अतः मैं उनको जैन ग्रन्थोंके अवतरणों और उल्लेखों आदिकी सामग्रीका परिचय देता रहता था। उनकी इच्छा हुई कि किसी एक अच्छे प्राकृत ग्रन्थका या अपभ्रंश रचनाका संपादन किया जाय । मैंने इसके लिये प्रस्तुत कुवलयमाला का निर्देश किया, तो उनने कहा कि- 'आप इसके मूल ग्रन्थका संपादन करें; मैं इसका भाषाविषयक अन्वेषण तैयार करूं; और अपने दोनोंकी संयुक्त संपादनकृतिके रूपमें इसे भांडारकर रीसर्च इन्स्टीट्यट द्वारा प्रकाशित होने वाली, राजकीय ग्रन्थमालामें प्रकट करनेका प्रबन्ध करें।' इस विचारके अनुसार मैंने स्वयं कुवलयमालाकी प्रतिलिपि करनेका प्रारंभ भी कर दिया। सन् १९१९-२० में देशमें जो भयंकर इन्फ्लुएंजा का प्रकोप हुआ, उसका शिकार मैं भी बना और उसमें जीवितका भी संशय होने जैसी स्थिति हो गई। ३-४ महिनोंमें बडी कठिनतासे स्वस्थता प्राप्त हुई। इसी इन्फ्लुएंजाके प्रकोपमें, बडौदानिवासी श्री चिमनलाल दलालका दु:खद स्वर्गवास हो गया, जिसके समाचार जान कर मुझे बडा मानसिक आघात हुआ। मैं गायकवाड ओरिएन्टल सीरीझके लिये जिस कुमारपालप्रतिबोध नामक प्राकृत विशाल ग्रन्थका संपादन कर रहा था उसमें भी कुछ व्याघात हुआ। श्री दलाल खयं धनपालकी अपभ्रंश रचना भविस्सयत्तकहा का संपादन कर रहे थे। उसका कार्य अधूरा रह गया । सीरीझका इन्चार्ज उस समय जिनके पास रहा वे बडौदाके ओरिएन्टल इन्स्टीट्यूटके क्युरेटर डॉ० ज. स. कुडालकर मेरे पास आये और दलाल संपादित अधूरे ग्रन्थोंके कामके बारेमें परामर्श किया। भविस्सयत्तकहा का काम डॉ० गुणेको सोंपनेके लिये मैंने कहा और वह स्वीकार हो कर उनको दिया गया । ____ महात्माजीने १९२० में अहमदाबादमें गुजरात विद्यापीठकी स्थापना की, और मैं उसमें एक विशिष्ट सेवकके रूपमें संलग्न हो गया। मेरे प्रस्तावानुसार विद्यापीठके अन्तर्गत 'भांडारकर रीसर्च इन्स्टीट्यूट'के नमूने पर 'गुजरात पुरातत्त्व मन्दिर की स्थापना की गई और मैं उसका मुख्य संचालक बनाया गया। ___ मेरी साहित्यिक प्रवृत्तिका केन्द्र पूनासे हट कर अब अहमदाबाद बना। मैंने गुजरात पुरातत्त्व मन्दिर द्वारा प्रकाशित करने योग्य कई प्राचीन ग्रन्थोंके संपादनकार्यकी योजना बनाई। इन ग्रन्थोंमें यह Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किञ्चित् प्रास्ताविक कुवलयमाला भी सम्मीलित थी। डॉ० गुणे पीछेसे क्षयरोगग्रस्त हो गये । उनके साथ जो इसके सहसंपादन का विचार हुआ था वह अब संभव नहीं रहा । पर मेरी इच्छा इस ग्रन्थको प्रकट करनेकी प्रबल बनी हुई थी, उसके परिणामस्वरूप मैंने अहमदाबादमें एक उत्तम प्रतिलिपि करने वाले कुशल लेखकसे पूरे ग्रन्थकी प्रेस कॉपी करवा ली । इसी बीच में ख० पूज्यपाद प्रवर्तकजी श्री कान्तिविजयजी व श्री चतुरविजयजी महाराजके प्रयत्नसे जेसलमेर की ताडपत्र वाली प्राचीन प्रतिकी फोटो कॉपी उतर कर आ गई। इसके आधार पर अब ग्रन्थका संपादन कार्य कुछ सुगम मान कर मैंने दोनों प्रतियोंके पाठभेद लेने शुरू किये। गुजरात पुरातत्त्व " मन्दिर की ओरसे अनेक ग्रन्थोंका संपादन - प्रकाशन कार्य चालू किया गया था, इस लिये इसका कार्य कुछ मन्द गति से ही चल रहा था । इतनेमें मेरा मनोरथ जर्मनी जानेका हुआ और जिन जर्मन विद्वानोंके संशोधनात्मक कार्यों के प्रति मेरी उक्त रूपसे विशिष्ट श्रद्धा उत्पन्न हो गई थी, उनके कार्यकेन्द्रोंका और उनकी कार्यपद्धतिका, प्रत्यक्ष अनुभव कर आनेकी मेरी इच्छा बलवती हो गई । इंग्रेजी भाषाके प्रति मेरी कुछ विशेष श्रद्धा नहीं थी और मुझे इसके ज्ञानकी प्राप्तिकी कोई वैसी सुविधा भी नहीं मिली थी । पर जब मुझे ज्ञात हुआ कि जर्मन भाषामें, हमारी भारतीय विद्या और संस्कृति पर प्रकाश डालने वाला जितना मौलिक साहित्य प्रकाशित हुआ है उसका शतांश भी इंग्रेजी भाषामें नहीं है; तब मेरी आकांक्षा जर्मन भाषाके सीखने की बहुत ही बलवती हो ऊठी । मेरे जैसी परिस्थिति और प्रकृति वाले व्यक्तिके लिये, इस देशमें बैठे बैठे जर्मन भाषाका विशेष परिचय प्राप्त करना कठिन प्रतीत हुआ । क्यों कि जर्मन सीखनेके लिये पहले इंग्रेजी भाषाका अच्छा ज्ञान होना चाहिये; उसके माध्यमसे ही जर्मन भाषा जल्दी सीखी जा सकती है । मेरे लिये वैसा होना संभव नहीं लगा, अतः मैंने सोचा कि जर्मनीमें जा कर कुछ समय रहनेसे अधिक सरलता साथ, जर्मन भाषा सीधे तौरसे सीखी जा सकेगी; और साथमें वहांके विद्वानों, लोगों, संस्थाओं, कारखानों, विद्यालयों, पुस्तकालयों एवं प्रदेशों, नगरों, गांवों आदिका साक्षात् परिचय भी प्राप्त हो सकेगा । मैंने अपना यह मनोरथ महात्माजीके सम्मुख प्रकट किया, तो उनने बडे सद्भावपूर्वक मेरे मनोरथको प्रोत्साहन दिया और मुझे २ वर्षके लिये गुजरात विद्यापीठसे छुट्टी ले कर जा आनेकी अनुमति प्रदान कर दी। इतना ही नहीं परंतु अपने युरोपीय मित्रोंके नाम एक जनरल नोट भी अपने निजी हस्ताक्षरोंसे लिख कर दे दिया । उधर जर्मनीसे भी मुझे प्रो० याकोबी, प्रो० शुत्रींग आदि परिचित विद्वानोंके प्रोत्साहजनक पत्र प्राप्त हो गये थे - जिससे मेरा उत्साह द्विगुण हो गया । सन् १९२८ के मई मासकी २६ तारीखको मैं बंबईसे P. and O की स्टीमर द्वारा विदा हुआ । जर्मनी में जाने पर प्रो० याकोबी, प्रो० शुत्रींग, प्रो० ग्लाजेनाप, डॉ० आल्सडोर्प, प्रो० ल्युडर्स और उनकी विदुपी पत्नी आदि अनेक भारतीय विद्याके पारंगत विद्वानोंका घनिष्ठ संपर्क हुआ और उन उन विद्वानोंका स्नेहमय, सौजन्यपूर्ण, सद्भाव और सहयोग प्राप्त हुआ । जर्मन राष्ट्र मुझे अपने देशके जितना ही प्रिय लगा। मैं वहांके लोगों का कल्पनातीत पुरुषार्थ, परिश्रम और विद्या एवं विज्ञानविषयक प्रभुत्व देख कर प्रमुदित ही नहीं, प्रमुग्ध हो गया । हांबुर्गमें डॉ० याकोबीसे भेंट हुई। उनके साथ अनेक ग्रन्थोंके संपादनसंशोधन आदिके बारेमें बात-चीत हुई । उसमें इस कुवलयमालाका भी जिक्र आया । उनने इस ग्रन्थको प्रसिद्ध कर देनेकी उत्कट अभिलाषा प्रकट की । मैंने जो पूना वाली प्रति परसे प्रतिलिपि करवा ली थी उसका परिचय I दिया और साथमें जेसलमेरकी ताडपत्रीय प्रतिकी फोटू कापी भी प्राप्त हो गई है, इसका भी जिक्र किया । मैंने इन दोनों प्रतियोंके विशिष्ट प्रकारके पाठभेदों का परिचय दे कर अपना अभिप्राय प्रकट किया कि Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला कुवलयमालाकी आज तक ये दो ही मूल प्रतियां उपलब्ध हो रही हैं। तीसरी प्रति अभी तक कहीं ज्ञात नहीं है । ये दोनों प्रतियां बिल्कुल स्वतंत्र हैं। इनमें जो पाठभेद प्राप्त हो रहे हैं वे ऐसे हैं जो स्वयं ग्रन्थकार ही के किये हुए होने चाहिये । डॉ० याकोबी इस बातको सुन कर चकित हुए । उनने स्वयं कुवलयमालाके इस प्रकारके पाठभेद वाले १०-२० उदाहरण देखने चाहे । पर मेरे पास उस समय इसकी प्रतिलिपि थी नहीं। मैंने पीछेसे उनको इसके भेजनेका अभिवचन दिया। जैन भण्डारोंमें ऐसे कुछ ग्रन्थ मेरे देखनेमें आये हैं जो इस प्रकार स्वयं ग्रन्थकार द्वारा किये गये पाठान्तरोंका उदाहरण उपस्थित करते हैं । प्रो० वेबरके बर्लिन वाले हस्तलिखित ग्रन्थोंके विशाल केटेलॉगमें से धर्मसागर उपाध्यायकी तपागच्छीय पट्टावलिका मैंने उल्लेख किया, जिसको उनने अपनी नोटबुकमें लिख लिया। प्रो० याकोबीने वार्ताके अन्तमें अपना अभिप्राय पुनः दौराया कि आप भारत जा कर कुवलयमालाको प्रकट कर देनेका प्रयत्न अवश्य करें। हाम्बुर्गमें मैं ३-४ महीने रहा और जैन साहित्यके मर्मज्ञ विद्वान् प्रो० शुब्रींगके और उनके विद्वान् शिष्य डॉ० आल्सडोर्फ वगैरहके साथ प्राकृत और अपभ्रंश भाषा विषयक जैन साहित्यके प्रकाशन आदिके बारेमें विशेष रूपसे चर्चा वार्ता होती रही। डॉ० ऑल्सडोर्फ उस समय, गायकवाडस् ओरिएण्टल सीरीझमें प्रकाशित 'कुमारपालप्रतिबोध' नामक बृहत् प्राकृत ग्रन्थका जो मैंने संपादन किया था उसके अन्तर्गत अपभ्रंश भाषामय जो जो प्रकरण एवं उद्धरण आदि थे उनका विशेष अध्ययन करके उस पर एक स्वतंत्र ग्रन्थ ही तैयार कर रहे थे । हाम्बुर्गसे मैं फिर जर्मनीकी जगद्विख्यात राजधानी बर्लिन चला गया । वहांकी युनिवर्सिटीमें, भारतीय विद्याओंके पारंगत विद्वान् गेहाइमराट्, प्रो० हाइनीश ल्युडर्स और उनकी विदुषी पत्नी डॉ० एल्जे ल्युडसे घनिष्ठ स्नेहसंबन्ध हुआ । मैं वारंवार उनके युनिवर्सिटी वाले रूममें जा कर मिलता और बैठता । वे भी अनेक वार मेरे निवासस्थान पर बहुत ही सरल भावसे चले आते। उस वर्षकी दीवालीके दिन मैंने उन महामनीषी दम्पतीको अपने स्थान पर भोजन के लिये निमंत्रित किया था जिसका सुखद स्मरण आज तक मेरे मनमें बडे गौरवका सूचक बन रहा है। डॉ० ल्युडसकी व्यापक विद्वत्ता और भारतीय संस्कृतिके ज्ञानकी विशालता देख देख कर, मेरे मन में हुआ करता था कि यदि जीवनके प्रारंभकालमें-जब विद्याध्ययनकी रुचिका विकास होने लगा था, उस समय,-ऐसे विद्यानिधि गुरुके चरणोंमें बैठ कर ५-७ वर्ष विद्या ग्रहण करनेका अवसर मिलता तो मेरी ज्ञानज्योति कितनी अच्छी प्रज्वलित हो सकती और मेरी उत्कट ज्ञानपिपासा कैसे अधिक तृप्त हो सकती। डॉ० ल्युडर्स भारतकी प्राग्-मध्यकालीन प्राकृत बोलियोंका विशेष अनुसन्धान कर रहे थे । मैंने उनको कुवलयमालामें उपलब्ध विविध देशोंकी बोलियोंके उस उल्लेखका जिक्र किया जो प्रस्तुत आवृत्तिके पृष्ठ १५१-५३ पर मुद्रित है। उनकी बहुत इच्छा रही कि मैं इस विषयके संबन्धका पूरा उद्धरण उनको उपलब्ध कर दूं । पर उस समय मेरे पास वह था नहीं, और मेरे लिखने पर कोई सज्जन यहांसे उसकी प्रतिलिपि करके भेज सके ऐसा प्रबन्ध हो नहीं सका। जर्मनीसे जब वापस आना हुआ तब, थोडे ही समय बाद, महात्माजीने भारतकी स्वतंत्रताप्राप्तिके लिये नमक-सत्याग्रहका जो देशव्यापी आन्दोलन शुरू किया था उसमें भाग लेने निमित्त मुझे ६ महीनेकी कठोर कारावास वाली सजा मिली और नासिककी सेंट्रल जेलमें निवास हुआ। उस समय मान्य मित्रवर श्री कन्हैयालालजी मुन्शीका भी उस निवासस्थानमें आगमन हुआ। हम दोनों वहां पर बडे आनन्द और उल्हासके साथ अपनी साहित्यिक चर्चाएं और योजनाएं करने लगे। वहीं रहते समय श्री मुन्शीजीने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'गुजरात एण्ड इटस् लिटरेचर' के बहुतसे प्रकरण लिखे, जिनके प्रसंगमें गुजरातके प्राचीन साहित्यके Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किञ्चित् प्रास्ताविक विषयमें परस्पर बहुत ऊहापोह होता रहा और इस कुवलयमाला कथाके विषय और वर्णनोंके बारेमें भी इनको बहुत कुछ जानकारी कराई गई । नासिकके जेलनिवास दरम्यान ही मेरा संकल्प और भी अधिक दृढ हुआ कि अवसर मिलते ही अब सर्वप्रथम इस ग्रन्थके प्रकाशनका कार्य हाथमें लेना चाहिये। जेलमेंसे मुक्ति मिलने बाद, बाबू श्री बहादुर सिंहजी सिंघीके आग्रह पर, गुरुदेव रवीन्द्रनाथके सानिध्यमें रहनेकी इच्छासे, मैंने कुछ समय विश्वभारती-शन्तिनिकेतनमें अपना कार्यकेन्द्र बनानेकी योजना की । सन् १९३१ के प्रारंभमें शान्तिनिकेतनमें सिंघी जैन ज्ञानपीठकी स्थापना की गई और उसके साथ ही प्रतुत सिंघी जैन ग्रन्थमालाके प्रकाशनकी भी योजना बनाई गई। अहमदाबादके गुजरात विद्यापीठस्थित गुजरात पुरातत्त्व मन्दिरकी ग्रन्थावलि द्वारा जिन कई ग्रन्थोंके प्रकाशनका कार्य मैंने निश्चित कर रखा था, उनमेंसे प्रबन्धचिन्तामणि आदि कई ऐतिहासिक विषयके ग्रंथोंका मुद्रणकार्य, सर्वप्रथम हाथमें लिया गया। प्रबन्धचिन्तामणिका कुछ काम, जर्मनी जानेसे पूर्व ही मैंने तैयार कर लिया था और उस ग्रन्थको बंबईके कर्णाटक प्रेसमें छपनेको भी दे दिया था। ५-६ फार्म छप जाने पर, मेरा जर्मनी जानेका कार्यक्रम बना और जिससे वह कार्य वहीं रुक गया । मेरे जर्मनी चले जाने बाद, गुजरात पुरातत्त्व मन्दिरका वह कार्य प्रायः सदाके लिये स्थगित-सा हो गया। इस लिये शान्तिनिकेतनमें पहुंचते ही मैंने इसका कार्य पुनः प्रारंभ किया और बंबईके सुविख्यात निर्णयसागर प्रेसमें इसे छपनेके लिये दिया । इसीके साथ ही मैंने कुवलयमालाका काम भी प्रारंभ किया। शान्तिनिकेतनमें विश्वभारतीके मुख्य अध्यापक दिवंगत आचार्य श्री विधुशेखर भट्टाचार्यके साथ इस ग्रन्यके विषयमें विशेष चर्चा होती रही । उनको मैंने इस ग्रन्थके अनेक अवतरण पढ कर सुनाये और वे भी इस ग्रन्थको शीघ्र प्रकाशित करनेका साग्रह परामर्श देते रहे। इस ग्रन्थको किस आकारमें और कैसे टाईपमें छपवाया जाय इसका परामर्श मैंने प्रेसके मैनेजरके साथ बैठ कर किया। और फिर पहले नमूनेके तौर पर १ फार्मकी प्रेसकॉपी ठीक करनेके लिये, पूना और जेसलमेर वाली दोनों प्रतियोंके पाठभेद लिख कर उनको किस तरह व्यवस्थित किया जाय इसका उपक्रम किया। - पूना वाली प्रति परसे तो मैंने पहले ही अहमदाबादमें उक्त रूपमें एक अच्छे प्रतिलिपिकारके हाथसे प्रतिलिपि करवा रखी थी और फिर उसका मिलान जेसलमेरकी प्रतिके लिये गये फोटोसे करना प्रारंभ किया । जैसा कि विज्ञ पाठक प्रस्तुत मुद्रणके अवलोकनसे जान सकेंगे कि इन दोनों प्रतियोंमें परस्पर बहुत पाठभेद हैं और इनमें से कौनसी प्रतिका कौनसा पाठ मूलमें रखा जाय और कौनसा पाठ नीचे रखा जाय इसके लिये प्रत्येक शब्द और वाक्यको अनेक बार पढना और मूल पाठके औचित्यका विचार करना बडा परिश्रमदायक काम अनुभूत हुआ । इसमें भी जेसलमेरकी जो फोटोकॉपी सामने थी वह उतनी स्पष्ट और सुवाच्य नहीं थी, इस लिये वारंवार सूक्ष्मदर्शक काचके सहारे उसके अक्षरोंका परिज्ञान प्राप्त करना, मेरी बहुत ही दुर्बल ज्योति वाली आंखोंके लिये बडा कष्टदायक कार्य प्रतीत हुआ। पर मैंने बडी साइझके ८-१० पृष्ठोंका पूरा मेटर तैयार करके प्रेसको भेज दिया और किस टाईपमें यह ग्रन्थ मयपाठभेदोंके ठीक ढंगसे अच्छा छपेगा और सुपाठ्य रहेगा, इसके लिये पहले १-२ पृष्ठ, ३-४ जातिके भिन्न भिन्न टाईपोंमें कंपोज करके भेजनेके लिये प्रेसको सूचना दी और तदनुसार प्रेसने वे नमूनेके पेज कंपोज करके मेरे पास भेज दिये । मैंने उस समय इस ग्रन्थको, डिमाई ४ पेजी जैसी बडी साइझके आकारमें छपवाना निश्चित कु. प्र. २ Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० कुवलयमाला किया था । क्यों कि सिरीझके मूल संरक्षक ख० बाबू बहादुर सिंहजी सिंघी, ग्रन्थमालाके सुन्दर आकार, प्रकार, मुद्रण, कागज, कवर, गेट-अप आदिके बारेमें बहुत ही दिलचस्पी रखते थे और प्रत्येक बातमें बडी सूक्ष्मता और गहराईके साथ विचार-विनिमय करते रहते थे। ग्रन्थमालाके लिये जो सर्वप्रथम आकार. प्रकार मैंने पसन्द किया, उसमें उनकी पसन्दगी भी उतनी ही मुख्य थी। प्रेसने जो नमूनेके पृष्ठ भेजे उसमें से मैंने निर्णयसागर प्रेसके स्पेशल टाईप ग्रेट नं. ३ में ग्रन्थका छपवाना तय किया । क्यों कि इस टाईपमें ग्रन्थकी प्रत्येक गाथा, पृष्ठकी एक पंक्तिमें, अच्छी तरह समा सकती है और उस पर पाठ-भेद और पादटिप्पणी के लिये सूचक अंकोंका समावेश भी अच्छी तरह हो सकता है । प्रेसने मेरे कहनेसे इसके लिये बिल्कुल नया टाईप तैयार किया और उसमें २ फार्म एक साथ कंपोज करके मेरे पास उसके प्रुफ भेज दिये। जिन दिनों ये प्रुफ मेरे पास पहुंचे, उन दिनोंमें मेरा स्वास्थ्य कुछ खराब था और उसी अवस्थामें मैंने प्रुफ देखने और मूल परसे पाठभेदोंका मिलान करके उनको ठीक जगह रखनेका विशेष परिश्रम किया । खास करके जेसलमेर वाली फोटोकॉपीको, प्रतिवाक्यके लिये देखने निमित्त आंखोंको जो बहुत श्रम करना पडा उससे शिरोवेदना शुरू हो गई और उसका प्रभाव न केवल मस्तकमें ही व्यापक रहा पर नीचे गर्दनमें भी उतर आया और कोई २-३ महिनों तक उसके लिये परिचर्याकी लंबी शिक्षा सहन करनी पडी। तब मनमें यह संकल्प हुआ कि कुवलयमालाका ठीक संपादन करनेके लिये, जेसलमेर वाली प्राचीन ताडपत्रीय प्रतिको स्वयं जा कर देखना चाहिये और उसकी शुद्ध प्रतिलिपि स्वयं करके फिर इसका संपादन करना चाहिये । विना ऐसा किये इस ग्रन्थकी आदर्शभूत आवृत्ति तैयार हो नहीं सकती । इस संकल्पानुसार जेसलमेर जानेकी प्रतीक्षामें, इसका उक्त मुद्रणकार्य स्थगित रखा गया और ग्रन्थमालाके अन्यान्य अनेक ग्रन्थोंके संपादन-प्रकाशनमें मैं व्यस्त हो गया । सन् १९३२--३३ का यह प्रसंग है उसके प्रायः १० वर्ष बाद ( सन १९४२ के अन्तमें ) मेरा जेसलमेर जाना हुआ और वहां पर प्रायः ५ महिनों जितना रहना हुआ। उसी समय, अन्यान्य अनेक अलभ्य-दुर्लभ्य ग्रन्थोंकी प्रतिलिपियां करानेके साथ इस कुवलयमालाकी सुन्दर प्रतिलिपि भी, मूल ताडपत्रीय प्रति परसे करवाई गई। द्वितीय महायुद्धके कारण बाजारमें कागजकी प्राप्ति बहुत दुर्लभ हो रही थी, इसलिये ग्रन्थमालाके अन्यान्य प्रकाशनोंका काग भी कुछ मन्द गतिसे ही चल रहा था। नये प्रकाशनोंका कार्य कुछ समय बन्द करके पुराने ग्रन्थ जो प्रेसमें बहुत अर्सेसे छप रहे थे उन्हींको पूरा करनेका मुख्य लक्ष्य रहा था । पर मेरे मनमें कुवलयमालाके प्रकाशनकी अभिलाषा बराबर बनी रही। कुवलयमाला एक बडा ग्रन्थ है एवं पूना और जसेलमरेकी प्रतियोंमें परस्पर असंख्य पाठभेद हैं, इसलिये इसका संपादन कार्य बहुत ही समय और श्रमकी अपेक्षा रखता है। शारीरिक स्वास्थ्य और आयुष्यकी परिमितताका खयाल भी बीच-बीचमें मनमें उठता रहता था। उधर ग्रन्थमालाके संरक्षक और संस्थापक बाबू श्री बहादुर सिंहजीका स्वास्थ्य भी कई दिनोंसे गिरता जा रहा था और वे क्षीणशक्ति होते जा रहे थे। उनके स्वास्थ्यकी स्थिति देख कर मेरा मन और भी अनुत्साहित और कार्य-विरक्त बनता जा रहा था। इसी अर्से में, सुहृद् विद्वद्वर डॉ० उपाध्येजी बंबईमें मुझसे मिलने आये और ४-५ दिन मेरे साथ ठहरे । उन दिनोंमें, डॉ० उपाध्येने मेरे संपादित हरिभद्रसूरिके धूर्ताख्यान नामक ग्रन्थका इंग्रेजीमें विशिष्ट ऊहापोहात्मक विवेचन लिख कर जो पूर्ण किया था, उसे मुझे दिखाया और मैंने उसके लिये अपना संपादकीय संक्षिप्त प्रास्ताविक वक्तव्य लिख कर इनको इंग्रेजी भाषनुवाद करनेको दिया । इन्हीं दिनोंमें इनके साथ कुवलयमालाके प्रकाशनके विषयमें भी प्रासंगिक चर्चा हुई । कुवलयमालाको सुन्दर रूपमें प्रकाशित Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किश्चित् प्रास्ताविक ११ करनेका मेरा चिरकालीन उत्कट मनोरथ बना हुआ है पर शारीरिक दुर्बलावस्था, कुछ अन्य कार्यासक्त आन्तरिक मनोवृत्ति और चालू अनेक ग्रन्थोंके संपादन कार्यको पूर्ण करनेका अतिशय मानसिक भार, आदिके कारण, मैं अब इस ग्रन्थका अति श्रमदायक संपादन करनेमें समर्थ हो सकूंगा या नहीं उसका मुझे सन्देह था । अतः डॉ० उपाध्येजी- जो इस कार्यके लिये पूर्ण क्षमता रखते हैं, यदि का इस भार उठाना स्वीकार करें तो, मैंने यह कार्य इनको सौंप देनेका अपना श्रद्धापूर्ण मनोभाव प्रकट किया । डॉ० उपाध्ये अपने प्रौढ पाण्डित्य और संशोधनात्मक पद्धतिके विशिष्ट विद्वान् के रूपमें, भारतीय विद्याविज्ञ विद्वन्मंडल में सुप्रसिद्ध हैं । इतःपूर्व अनेक महत्त्वके ग्रन्थोंका, इनने बडे परिश्रमपूर्वक, बहुत विशिष्ट रूपमें संपादन एवं प्रकाशन किया है। इसी सिंघी जैन ग्रन्थमाला में इनके संपादित 'बृहत्कथाकोप' और 'लीलावई कहा' जैसे अपूर्व ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं । इनके द्वारा 'कुवलयमाला' कहा का संपादन सर्वथा उत्तम खरूपमें होनेकी मुझे पूर्ण श्रद्धा थी । अतः मैंने इनको इसका भार उठानेके लिये उत्साहपूर्वक प्रेरित किया । इनने बडी नम्रता एवं आत्मीयता के साथ मुझसे कहा कि 'यदि आपको मेरे कार्य से पूर्ण सन्तोष हैं, तो इस सेवाका सहर्ष स्वीकार करने में मैं अपने जीवनका एक बहुत ही श्रेयस्कर कार्य समझंगा' इत्यादि । चर्चाके परिणामस्वरूप इनने बडे उत्साह और सद्भावपूर्वक इस कार्यका स्वीकार किया । कुछ दिन बाद, कुवलयमालाकी जो प्रतिलिपि आदि सामग्री मेरे पास थी, उसको मैंने कोल्हापुर डॉ० उपाध्येजीके पास मेज दी । पर उस समय इनके हाथमें, 'लीलावई कहा' का संपादन कार्य चालू थाजो सन् १९४९ में जा कर समाप्त हुआ । उसके बाद सन् १९५०-५१ में, वास्तविक रूपसे इस ग्रन्थका मुद्रण कार्य प्रारंभ हुआ । बंबईके नि० सा० प्रेसके मैनेजर के साथ बैठ कर, मुझे इसके टाईप आदि के बारे में फिरसे विशेष परामर्श करना पडा । क्यों कि २० वर्ष पहले जब मैंने ( सन् १९३१ - ३२ में ) इस ग्रन्थका मुद्रण कार्य प्रारंभ किया था तब इसके लिये जिस साईझके कागज आदि पसन्द किये थे उनकी सुलभता इस समय नहीं रही थी । अतः मुझे साईझ, कागज, टाईप आदि के बारेमें समयानुसार परिवर्तन करना आवश्यक प्रतीत हुआ और तदनुसार ग्रन्थका मुद्रणकार्य प्रारंभ किया गया - जो अब प्रस्तुत खरूपमें समापन्न हुआ है । जैसा कि मुखपृष्ठ परसे ज्ञात हो रहा है - यह इस ग्रन्थका प्रथम भाग है । इसमें उदयोतन सूरिकी मूल प्राकृत कथा पूर्ण रूपमें मुद्रित हो गई है । इस विस्तृत प्राकृत कथाका सरल संस्कृतमें गद्य-पद्यमय संक्षिप्त रूपान्तर, प्रायः ४००० लोक परिमाणमें, रत्नप्रभसूरि नामक विद्वान् ने किया है जो विक्रमकी १४वीं शताब्दी के प्रारम्भमें विद्यमान थे। जिनको प्राकृत भाषाका विशेष ज्ञान नहीं है, उनके लिये यह संस्कृत रूपान्तर, कथावस्तु जाननेके लिये बहुत उपकारक है । अतः इस संस्कृत रूपान्तरको भी इसके साथ मुद्रित करनेका मेरा विचार हुआ और उसको डॉ० उपाध्येजीने भी बहुत पसन्द किया । अतः उसका मुद्रण कार्य भी चालू किया गया है । इसके पूर्ण होने पर डॉ० उपाध्येजी ग्रन्थके अन्तरंग - बहिरंग परीक्षण, आलोचन, विवेचन वगैरेकी दृष्टिसे अपना विस्तृत संपादकीय निबन्ध लिखेंगे जो काफी बडा हो कर कुछ समय लेगा । अतः मैंने इस ग्रन्थको दो भागों में प्रकट करना उचित समझ कर, मूल ग्रन्थका यह प्रथम भाग सिंघी जैन ग्रन्थमालाके ४५ वें मणिरत्न के रूपमें विज्ञ पाठकों के करकमलमें उपस्थित कर देना पसन्द किया है । आशा तो है कि वह दूसरा भाग भी यथाशक्य शीघ्र ही प्रकाशित हो कर विद्वानोंके सम्मुख उपस्थित हो जायगा । ग्रन्थ, ग्रन्थकार और ग्रन्थगत वस्तुके विषय में डॉ० उपाध्येजी अपने संपादकीय निबन्धमें सविस्तर लिखने वाले हैं, अतः उन बातोंके विषयमें मैं यहां कोई विशेष विचार लिखना आवश्यक नहीं समझता । Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ कुवलग्नमाला यह जो मैंने अपना किञ्चिद् बक्तव्य लिखा है वह केवल इसी दृष्टिसे कि इस ग्रन्थको वर्तमान रूपमें प्रकट करने के लिये, मेरा मनोरथ कितना पुराना रहा है और किस तरह इसके प्रकाशनमें मैं निमित्तभूत बना हूं । 非 प्रायः १२०० वर्ष पहले ( बराबर ११८० वर्ष पूर्व) उद्द्योतनसूरि अपर नाम दाक्षिण्यचिह्न सूरिने वर्तमान राजस्थान राज्यके सुप्रसिद्ध प्राचीन ऐतिहासिक स्थान जाबालिपुर ( आधुनिक जालोर) में रहते हुए, वीरभद्रसूरिके बनवाए हुए, ऋषभदेव के चैत्य (जैनमन्दिर) में बैठ कर, इस महती कथाकी भव्य रचना की । ग्रन्थकारने ग्रन्थान्तमें अपने गुरुजनों एवं समय, स्थान आदिके बारेमें जानने योग्य थोडी-सी महत्त्वकी बातें लिख दी हैं । शायद, उस समय इस ग्रन्थकी १०-२० प्रतियां ही ताडपत्रों पर लिखी गईं होंगी। क्यों कि ऐसे बडे ग्रन्थों का ताडपत्रों पर लिखना - लिखवाना बडा श्रमसाध्य और व्ययसाध्य कार्य होता था । इस ग्रन्थकी प्रतियोंकी दुर्लभता के कारण अनुमान होता है कि पीछेसे इस कथाका वाचन - श्रवणके रूपमें विशेष प्रचार नहीं हुआ । कारण, एक तो कथाका विस्तार बहुत बडा है । उसमें पत्तेके अन्दर पत्ते वाले कदली वृक्षके पेडकी तरह, कथाके अन्दर कथा, एवं उसके अन्दर और कथा - इस प्रकार कथाजालके कारण यह ग्रन्थ जटिल-सा हो गया है । दूसरा, ग्रन्थ में इतने प्रकार के विविध वर्णनों और विषयोंका आलेखन किया गया है कि सामान्य कोटिके वाचक और श्रोताओंको उनका हृदयंगम होना उतना सरल नहीं लगता । अतः विरल ही रूपमें इस कथाका वाचन श्रवण होना संभव है । यही कारण है कि इस ग्रन्थकी पीछेसे अधिक प्रतियां लिखी नहीं गई । हरिभद्रसूरिकी समराइच्चकहा की एवं उससे भी प्राचीन कथाकृति, वसुदेवहिंडी आदिकी जब अनेक प्रतियां उपलब्ध होती हैं तब इस कथाकी अभी तक केवल दो ही प्रतियां उपलब्ध हुई हैं । इनमें जेसलमेर वाली ताडपत्रीय प्रति विक्रमकी १२ वीं शताब्दी जितनी पुरानी लिखी हुई है और यद्यपि पूना वाली कागज की प्रति १६ वीं शताब्दीमें लिखी गई प्रतीत होती है, पर है वह प्रति किसी विशेष प्राचीन ताडपत्रीय पोथीकी प्रतिलिपिमात्र । ये दोनों प्रतियां परस्पर भिन्न मूलपाठ वाली हैं । हमारा अनुमान है कि ये जो भिन्न भिन्न पाठ हैं, वे स्वयं ग्रन्थकार द्वारा ही किये गये संशोधन - परिवर्तन के सूचक हैं । ग्रन्थकारने जब अपनी रचनाके, सर्वप्रथम जो एक-दो आदर्श तैयार करवाये होंगे, उनका संशोधन करते समय, उनको जहां कोई शब्द विशेष में परिवर्तन करने जैसा लगा वहां, वह वैसा करते गये। एक आदर्श में जिस प्रकारका संशोधन उनने किया होगा उसकी उत्तरकालीन एक प्रतिलिपिरूप जेसलमेर वाली प्रति है, और दूसरे आदर्शमें उनने जो संशोधन-परिवर्तन आदि किये होंगे, उसकी उत्तरकालीन प्रतिलिपिरूप वह प्राचीन ताडपत्रीय प्रति है जिस परसे पूना वाली कागज की प्रतिका प्रत्यालेखन किया गया है । प्राचीन ग्रन्थोंके संशोधनकी दृष्टिसे कुवलयमालाकी ये दोनों पाठभेद वाली प्रतियां बहुत ही महत्त्वकी जानकारी कराने वाली हैं । इन दो प्रतियोंके सिवा और कोई प्रति उपलब्ध नहीं हुई है, अतः यह कहना कठिन है कि कौनसी प्रतिका विशेष प्रचार हुआ और किसका कम । पर इससे इतना तो ज्ञात होता ही है कि इस कृतिका प्रचार विशेष रूपमें नहीं हुआ । * ग्रन्थकारको अपनी रचनाके महत्त्वके विषयमें बड़ी आत्मश्रद्धा है । वे ग्रन्थके अन्तिम भागमें कहते हैं कि - " जो सज्जन भावयुक्त इस कथाको पढेगा, अथवा वंचावेगा, अथवा सुनेगा, तो, यदि वह भव्य जीव होगा तो अवश्य ही उसको सम्यक्त्वकी प्राप्ति होगी, और जिसको सम्यक्त्व प्राप्त है, तो उसका वह सम्यक्त्व अधिक स्थिर - दृढ होगा। जो विदग्ध है वह प्राप्तार्थ ऐसा सुकवि बन सकेगा । इस लिये प्रयत्नपूर्वक सब जन इस कुत्रलयमालाका वाचन करें । जो मनुष्य देशी भाषाएं, उनके लक्षण और धातु आदिके भेद जानना चाहते हैं, तथा वदनक, गाथा आदि छन्दोंके भेद जानना चाहते हैं, वे भी इस कुवलयमालाको अवश्य पढ़ें । Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किञ्चित् प्रास्ताविक जो इन बातोंको नहीं जानते, वे भी इसकी पुस्तक ले कर उसका वाचन करावें जिससे उनको कविताकी निपुणताके गुण ज्ञात होंगे- इत्यादि । जिस भगवती ह्री देवीने मुझे यह सब आख्यान कहा है उसीने इसकी रचना करवाई है-मैं तो इसमें निमित्तमात्र हैं। यदि इस ग्रन्थके लिखते समय, ही देवी मेरे हृदय में निवास नहीं करती, तो दिनके एक प्रहरमात्र जितने समयमें सौ-सौ श्लोकों जितनी ग्रन्थरचना कौन मनुष्य कर सकता है ।" इत्यादि-इत्यादि । सचमुच ग्रन्थकार पर वाग्देवी भगवती ही देवीकी पूर्ण कृपा रही और उसके कारण आज तक यह 'रचना विद्यमान रही । नहीं तो इसके जैसी ऐसी अनेकानेक महत्त्वकी प्राचीन रचनाएं, कालके कुटिल गर्भमें विलीन हो गई हैं, जिनके कुछ नाम मात्र ही आज हमें प्राचीन ग्रन्थों में पढने मिलते हैं, पर उनका अस्तित्व कहीं ज्ञात नहीं होता। पादलिप्त सूरिकी तरंगवती कथा, गुणाढ्य महाकविकी पैशाची भाषामयी बृहत्कथा, हलिक कविकी विलासवती कथा आदि ऐसी अनेकानेक महत्त्वकी रचनाएं नामशेष हो गई हैं। __ प्राकृत वाङमयका यह एक बडा सद्भाग्य समझना चाहिये कि ही देवीकी कृपासे इस दुर्लभ्य ग्रन्थकी उक्त प्रकारकी दो प्रतियां, आज तक विद्यमान रह सकीं; और इनके कारण, अब यह मनोहर महाकथा शतशः प्रतियोंके व्यापक रूपमें सुप्रकाशित हो कर, केवल हमारे सांप्रदायिक ज्ञानभंडारोंमें ही छिपी न रह कर, संसारके सारे सभ्य मानव समाजके बडे बडे ज्ञानागारोंमें पहुंच सकेगी और सैंकडों वर्षों तक हजारों अभ्यासी जन इसका अध्ययन-अध्यापन और वाचन-श्रवण आदि करते रहेंगे। जिस तरह ग्रन्थकार उद्दयोतन सूरिका मानना है कि उनकी यह रचना हृदयस्थ ही देवीकी प्रेरणाके आध्यात्मिक निमित्तके कारण निष्पन्न हुई है; इसी तरह मेरा क्षुद्र मन भी मानना चाहता है कि उसी वागधिष्ठात्री भगवती ह्री देवीकी कोई अन्तःप्रेरणाके कारण, इस रचनाको, इस प्रकार, प्रकट करने-करानेमें मैं भी निमित्तभूत बना होऊंगा। कोई ४४-४५ वर्ष पूर्व, जब कि मेरा साहित्योपासना विषयक केवल मनोरथमय, अकिश्चित्कर, जीवन प्रारंभ ही हुआ था, उस समय, अज्ञात भावसे उत्पन्न होने वाला एक क्षुद्र मनोरथ, धीरे धीरे साकार रूप धारण कर, आज जीवनके इस सन्ध्या-खरूप समयमें, इस प्रकार जो यह फलान्वित हो रहा है, इसे अनुभूत कर, यह लघु मन भी मान रहा है कि उसी माता ही देवीकी ही कोई कृपाका यह परिणाम होना चाहिये। यद्यपि इस कथाको, इस प्रकार प्रकाशित करनेमें, मैं मुख्य रूपसे निमित्तभूत बना हूं; परन्तु इस कार्यमें मेरे सहृदय विद्वत्सखा डॉ० उपाध्येजीका सहयोग भी इतना ही मुख्य भागभाजी है । यदि ये इस कार्यको अपना कर, संपादनका भार उठानेको तत्पर नहीं होते, तो शायद यह कृति, जिस आदर्श रूपमें परिष्कृत हो कर प्रकाशमें आ रही है, उस रूपमें नहीं भी आती । मैंने ऊपर सूचित किया है कि जेसलमेर वाली ताडपत्रीय प्रतिकी प्रतिलिपि खयं करा लेने बाद, सन् १९४३-४४ में ही मेरा मन इसका संपादन कार्य हाथमें लेनेको बहुत उत्सुक हो रहा था; पर शारीरिक शिथिलता आदिके कारण कभी कभी मेरा मन उत्साहहीन भी होता रहता था । पर डॉ० उपाध्येजीने जब इस भारको उठानेका अपना सोत्सुक उत्साह प्रदर्शित किया तब मेरा मन इसके प्रकाशनके लिये द्विगुण उत्साहित हो गया और उसके परिणामखरूप यह प्रकाशन मूर्त स्वरूपमें आज उपस्थित हो सका। डॉ० उपाध्येजीको इसके संपादन कार्यमें कितना कठिन परिश्रम उठाना पडा है वह मैं ही जानता हूं। जिन लोगोंको ऐसे जटिल और बहुश्रमसाध्य ग्रन्थोंके संपादनका अनुभव या कल्पना नहीं है, वे इसके श्रमका अनुमान तक करने में भी असमर्थ हैं। 'नहि वन्ध्या विजानाति प्रसूतिजननश्रमम्' वाली विज्ञजनोक्ति Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला इसमें सर्वथा चरितार्थ होती है। पिछले ७-८ वर्षोंसे डॉ० उपाध्येजी इस ग्रन्थके संपादन कार्यमें सतत व्यग्र बने रहे हैं। कई बार इनको इसमें अनुत्साह उत्पन्न करने वाले प्रसंग भी उपस्थित होते रहे । ज्यों ज्यों समय बीतता जा रहा था, उसे देख कर, मैं भी कभी कभी व्याकुल होता रहा हूं कि क्या यह रचना मेरे जीते-जी प्रसिद्धिमें आ सकेगी या नहीं । पर माता ही देवीकी कृपासे आज मेरा चिर मनोरथ इस प्रकार सफल होता हुआ जान कर अन्तर्मन एक प्रकारकी 'कुछ' सन्तोषानुभूतिसे समुल्लसित हो रहा है। १ इस आवृत्तिका अन्तिम फार्म जब मेरे पास आया तब मुझे एका-एक इस ग्रन्थका, प्रस्तुत- मूलप्रन्थात्मक प्रथम भाग, तुरन्त प्रकट कर देनेका विचार हो आया और उसको मैंने डॉ. उपाध्येजीको सूचित किया। इनने भी इस विचारको बहुत पसन्द किया और ता. २९, अप्रेल, ५९ को, मुझे नीचे दिया गया भावनात्मक पत्र लिखा। इस पत्र द्वारा विज्ञ पाठकोंको इसका भी कुछ इंगित मिल जायगा कि इस कथाके संपादन कार्यमें डॉ. उपाध्येजीको कितना शारीरिक और मानसिक - दोनों प्रकारके कठोर परिश्रमका सामना करना पड़ा है। I obey you and accept heartily your suggestion to issue the Part First of the Kuvalayamālā. As desired by you, I am sending herewith by return of post, the face page, the Preface and the page of Dedication. You alone can appreciate my labours on this works: .. I have tried to be very brief in the Preface. The Notes for the longer Preface were ready, and I just took those items which could not and should not be omitted. If you think that I have left anything important, please give me your suggestions so that the same can be added in the proofs. Dr. Alsdrof. Dr. A. Master and others in Europe are very eager to see the work published. From June I can difinitely start drafting the Intro.; and you will please do your best to start printing of the Sanskrit Text. I have spent great lobour on that too. Unless this text is printed soon, some of my observations in the Notes cannot be sufficiently significant. So let the printing start early. You may approve of the types etc. and send to me the speciman page. I shall immediately send some matter. I send the press copy in instalments, because now and then I require some portion here for reference. I fully understand your sentiments and thrilling experience on the publication of the Kuvalayamālā. You know, I paid my respects to Girnar on my way back from Somanāth. That early morning Dr. Dandekar, Dr. Hiralal and myself started climbing the hill at about 3 o'clock: If I had seen the height before climbing I would not have dared to undertake the trip. Luckily the dark morning did not disclose the height. Well the same thing has happened in my working on the Kuvalayamālā. If I had any idea of the tremendous labour the text-constitution demanded, perhaps I would not have undertaken it. It is really good that you also did not tell me that, from your own experience. There is a pleasure in editing a difficult text. I enjoyed it for the last six or seven years. The work was heavy, cxacting and irritating; still I could do it using all my leisure for the last six or seven years. I really wonder what sustained my spirits in this strenu. ous work - at least you know how strenuous it is: it must be something spiritual, perhaps the same Hreedevi behind the scene! I know, the Second Part is still to come; but I find all that within my reach, within a year or so. Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किञ्चित् प्रास्ताविक यहां पर यह 'कुछ' शब्दका प्रयोग इसलिये हो रहा है कि यदि आज इस महतीप्रतिष्ठाप्राप्त और युग-युगान्तर तक विद्यमान रहने वाली सिंघी जैन ग्रन्थमालाके संस्थापक और प्राणपोषक ख० बाबू श्री बहादुर सिंहजी सिंघी विद्यमान होते तो उनको इससे भी अधिक आनन्दानुभव होता, जितना कि मुझको हो रहा है । पर दुर्भाग्यसे वे इस प्रकाशनको देखनेके लिये हमारे सम्मुख सदेह रूपमें विद्यमान नहीं हैं। इस लिये मेरी यह सन्तोपानुभूति 'कुछ' आन्तरिक खिन्नतासे संमिश्रित ही है। योगानुयोग, इन शब्दोंके लिखते समय, आज जुलाई मासकी ७ वीं तारीख पड रही है। इसी तारीखको आजसे १५ वर्ष (सन् १९४४ में) पूर्व, बाबू श्री बहादुर सिंहजीका दुःखद स्वर्गवास हुआ था। उनके स्वर्गवाससे मुझे जो आन्तरिक खेद हुआ उसका जिक्र मैंने अपने लिखे उनके संस्मरणात्मक निबन्धमें किया ही है। सिंघी जैन ग्रन्थमालाका जब कोई नया प्रकाशन प्रकट होता है और उसके विषयमें जब कभी मुझे 'यत्किञ्चित् प्रास्ताविक' वक्तव्य लिखनेका अवसर आता है, तब मेरी आंखोंके सामने खर्गीय बाबूजीकी उस समय वाली वह तेजोमयी आकृति आ कर उपस्थित हो जाती है, जब कि उनने और मैंने कई कई बार साथ में बैठ बैठ कर, ग्रन्थमालाके बारेमें अनेक मनोरथ किये थे। दुर्दैवके कारण और हमारे दुर्भाग्यसे वे अपने मनोरथोंके अनुसार अधिक समय जीवित नहीं रह सके । इन पिछले १५ वर्षोंमें ग्रन्थमालामें जो अनेक महत्त्वके ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं और जिनके कारण आज यह ग्रन्थमाला आन्तरराष्ट्रीय ख्यातिको प्राप्त कर, विश्वके अनेक विद्वानों एवं प्रतिष्ठानोंका समादर प्राप्त करने वाली जो बनी है, इसके यदि वे प्रत्यक्ष साक्षी रहते, तो मैं अपनेको बहुत ही अधिक सन्तुष्ट मानता । पर, बाबूजीकी अनुपस्थितिमें, उनके सुपुत्र बाबू श्री राजेन्द्र सिंहजी सिंघी और श्री नरेन्द्र सिंहजी सिंधी अपने पूज्य पिताकी पुण्यस्मृतिको चिरस्थायी करनेके लिये, उनकी मृत्युके बाद, आज तक जो इस ग्रन्थमालाके कार्यका यथाशक्य संरक्षण और परिपोषण करते आ रहे हैं, इससे मुझे बाबूजीके अभावके खेदमें अवश्य 'कुछ' सन्तोष भी मिलता ही रहा है । यदि इन सिंघी बन्धुओंकी इस प्रकारकी उदार सहानुभूति और आर्थिक सहायता चालू न रहती, तो यह कुवलयमाला भी, आज शायद, इस ग्रन्थमालाका एक मूल्यवान् भणि न बन पाती । इसके लिये मैं इन सिंघी बन्धुओंका भी हृदयसे कृतज्ञ हूं। मैं आशा रखता हूं कि भविष्यमें भी ये बन्धु अपने पूज्य पिताकी पवित्रतम स्मृति और कल्याणकारी भावनाको परिपुष्ट करते रहेंगे और उसके द्वारा ये अपने दिवंगत पिताके खर्गीय आशीर्वाद सदैव प्राप्त करते रहेंगे। अन्तमें मैं कुवलयमालाकारकी अन्तिम आशीर्वादात्मक गाथा ही को यहां उद्धृत करके अपनी इस कुवलयमालाके प्रकाशनकी कथाको पूर्ण करता हूं। इय एस समत्त चिय हिरिदेवीए वरप्पसाएण । कइणो होउ पसण्णा इच्छियफलया य संघस्स ॥ अनेकान्त विहार, अहमदाबाद जुलाई ७, सन् १९५९ आषाढ शुक्ला १, सं. २०१५ -मुनि जि न विजय Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आभार प्रदर्शन प्राकृत भाषाकी इस अद्भुत महाकथाके प्रकाशनमें जो मुद्रण संबन्धी व्यय हुआ है, उसका अर्ध भाग, भारत सरकारने देनेकी कृपा की है । तदर्थ सरकारके प्रति हम अपना धन्यवाद पूर्वक सादर कृतज्ञ भाव प्रकट करना चाहते हैं । - मुनि जिनविजय * Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 9 12 15 18 ॥ ॐ नमो वीतरागाय ॥ 1 52) पढमं णमह जिनिंद जाए गति जम्मि देवीओ उहिर-बाहुलया-रणंत मणि-वलय- वालेहिं ॥ पुरिस कर धरिय- कोमल-गलिनी-दल-जल-तरंग-रंगत वित्त-राय-मनन-विवं जेणप्पणो दिहं ॥ बसि चिरं कुलहरे कला-कलाब सहिया गरिंदेखु धूय व जस्स लच्छी अज वि य सर्ववरा भ्रमइ ॥ जेण कम गुरु-गुरुणा गिरिवर-गुरु-नियम - गहण समयम्मि स-हरिस-हरि वास-भूषणो फेस-पन्भारो ॥ तव तविय- पाव - कलिगो भाणुण्पत्ती जस्स सुर-शिवहा संसार-मीरणाहं तरिय ति पणचिरे तुट्टा ॥ जस्स य तित्थारंभे तियस वइत्तण-विमुक्त-माहप्पा | कर-कमल-मउलि-सोहा चलणेसु णमंति सुर-वणो ॥ तं पढम पुइ पालं पढम-पवत्तिय- -सुधम्म-वर-चक्कं । णिव्वाण-गमण-इंद पढमं पणमह मुणि-गणिंदं ॥ अहवा । उभिण्ण-चूय-मंजरि-रय मारय-विलुलियंवरा भणइ मादव सिरी सहरि कोइल-कुल-मंजुला ॥ अहिणवसिरीस सामा आर्थचिर-पाइलच्छ बलिष्ठा दीहुण्ड-पवण-णीसासणी सहा गिन्हुच्छी वि ॥ उष्णय गरूय- पलोहर-मणोहरा सिहि फुरंत धमिला। उभिषण णवंकुर पुलय- परिगया पाउस सिरी वि ॥ वियसिय- तामरस-मुही कुवलय-कलिया विलास- दिट्ठिल्ला । कोमल - मुणाल - वेल्लहल बाहिया सरय-लच्छी वि ॥ हेमंत-सिरी विस-शे-ति-ली गालि सहलियालइया महिय परिमल-मुहमा निरंतरुभिण्ण-रोमंचा ॥ क्षणचरय भमिर-महुयरिपियेगु मंजरि कयावयंसिला विष्फुरिय कुंद-दसणा सिसिर- सिरी सावरं भगइ ॥ दे सुदय कुण पसायं पसीय एसेस अंजली तुज्झ । णव- पीलुप्पल-सरिसाएँ देव दिट्ठीऍ विणिएसु ॥ इय जो संगमवामर-कय-उ- सिरि-राय-रस-भणिभो विशाणाहि पेय चलिनो तं वीरं णमह भतीए ॥ अहवा जाह-जरा-मरणावत- खुत्त- सत्ताण जे दुहत्ताणं भव जरूहि तारण-सहे सम्बे चिय जिणवरे णमह ॥ सव्वा, बुज्झति जत्थ जीवा सिज्ांति य के वि कम्म- मल-मुक्का । जं च गमियं जिणेहि वि तं तित्थं णमह भावेण ॥ ६२) इस को-को-माण- मावा-मय-मोह-महाणुत्य-मह-गोलगावडण- चमढणा-मूढ-हिययस्स जंतुणो तह संकिलिङ्गपरिणामायास- सेय-सलिल-संगहमा-कम्म-पोग्लुमा जाय पण कसिण- कलंक काणुलेवणा-गरुय भावस्य गुरु-लोह- पिंडरस A उज्जोयणसूरिविरइया कुवलयमाला 卐 The references 1, 2 ), etc. are to the numbers of the lines of the text, put on both the margins. 1 ) JP उं नमो after the symbol of bhale which looks like Devanagari ६०. 2 ) P नमह, P नचंति, .P जंमि, उब्विलरवाहु, P -नालेहिं. 3 ) विम्बं 4 ) P सहिआ, धूअ. 5) गुरुगहणणियम समयं मि, P - नियम, P "यंमि, द्धन्त. 6 ) णाणुप्पत्तीए P नाणुष्पत्ती, JP निवहा, JP नीरनाहं 8 ) पवित्तिय, उ णेव्वाण P नित्र्वाण, इद्धं or इड्ढे, उ पढमं for पणमह, Jow. अहवा. 9 ) P उब्भिन्न, चूभयम्बरा भमर सहरिस वसंतलच्छी कोइल. 10 ) P आयंवर Pन्छ, नीसास- 11 J धम्मेला, P उब्भिन्ननवं 12 ) वाहिया 13 ) P लीलालि, सललिआलइआ, मल्लिअ P निरंतरुभिन्न. 14 ) महुअरि, पिअंगु, रिअ 15 ) P नवनीलु, P दिट्ठिए विनिषसु. 16 ) कयऊसिरि, झाणाउ P नमइ, Joth. अवा. 17 ) Pणावत्तरिय (वित्त ) स P दुहत्ताण, P सव्वे विय, चित्र, Pनमह, P अहवा for सब्बा, 3 repeats here दे सुहय कुण पसायं पसीय एसेस अंजली तुज्झ. 18 ज्झन्ति P अ for य, P कंम, कलि for मल P तं च नमिउ, P नमह भत्तीए ।. 19) 20 ) P 'णाम आ, गरुव, 2 रमढणा. पिण्ड 3 6 12 15 18 Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6 उज्जोयणसरिविरइया 1व जलम्मि झति णरए चेव पडण । तत्थ वि अणेय-कस-च्छेय-ताव-ताडणाहोडण-घडण-विहडणाहिं अवगय-बहु-कम्म- किस्स । जच्च-सुवण्णस्स व अण?-जीव-भावस्स किंचि-मेत्त-कम्म-मलस्स तिरिय-लोए समागमणं । तत्थ वि कोइल-काय-कोल्हुयाकमल-केसरी-कोसिएसुवग्घ-वसह-वाणर-विच्चुएसु गय-गवय-गंडय-गावी-गोण-गोहिया-मयर-मच्छ कच्छभ-णक्क-चक्क-तरच्छ- ३ च्छभल्ल-भल्लंकि-मय-महिस-मूसएसुं सस-सुणउ-संबर-सिवा-सुय-सारिया-सलभ-सउगेसु, तहा पुहइ-जल-जलणाणिल-गोच्छगुम्म-वल्ली-लया-वणस्सइ-तसाणेय-भव-भेय-संकुल भव-संसार-सागरमाहिंडिऊण तहाविह-कम्माणुपुष्वी-समायविभो कह-कह 6 वि मणुयत्तणं पावइ जीवो त्ति । अवि य । ६३) बहु-जम्म-सहस्स-णीरए बहु-बाहि-सहस्स-मयरए । बहु-दुक्ख-सहस्स-मीणए बहु-सोय-सहस्स-णक्कए । एरिसए संसारऍ जलहि-समे हिंडिऊण पावऍहिं । पावइ माणुस-जम्मय जीवो कह-कह वि पुव-पुण्णऍहिं ॥ 9 तत्थ वि सय-जवण-बब्बर-चिलाय-खस-पारस-भिल्ल-मुरंडोडु-बोकस-सबर-पुलिंद-सिंघलाइसु परिभमंतस्स दुलह चिय १ सुकुल-जम्मं ति । तत्थ वि काण-कुंट-मुंट-अंध-बहिर-कल्ल-लल्लायंगमो होइ । तओ एवं दुलह-संपत्त-पुरिसत्तगेण पुरिसेण पुरिसत्थेसु आयरो कायव्वो त्ति । अवि य । 12 रुद्दम्मि भव-समुद्दे तुलग्ग-लद्धम्मि कह वि मणुयत्ते । पुरिसा पुरिसत्थेसु णिउणं अह आयरं कुणह ॥ 12 ६४) सो पुण तिविहो । तं जहा । धम्मो अत्थो कामो, केसि पि मोक्खो वि । एएहिं विरहियस्स उण पुरिसस्स महल्ल-दसणाभिरामस्स उच्छु-कुसुमस्स व णिप्फलं चेय जम्म ति । अवि य । 15 धम्मत्थ-काम-मोक्खाण जस्स एक्कं पिणस्थि भुयणम्मि । किं तेण जीविएणं कीडेण व दङ्ग-पुरिसेण ॥ 15 एए चिय जस्स पुणो कह वि पहुप्पंति सुकय-जम्मस्स । सो चिय जीवइ पुरिसो पर-कज-पसाहण-समत्थो ॥ इमाणं पि अहम-उत्तिम-मज्झिमे णियच्छेसु । तत्थत्थो कस्स वि अणत्यो चेव केवलो, जल-जलण-णरिंद-चोराईणं साहा18 रणो । ताण चुक्को वि धरणि-तल-णिहिओ चेव खयं पावइ । खल-किविण-जणस्स दुस्सील-मेच्छ-हिंसयाणं च दिण्णो 18 पावाणुबंधओ होइ ।कह वि सुपत्त-परिग्गहाओ धम्म-कलं पावह काम-कलं च । तेण अत्थोणाम पुरिसस्स मज्झिमो पुरिसत्थो। कामो पुण अणत्यो चेव केवलं । जं पि एयं पक्खवाय-गब्भ-णिब्भर-मूढ-हियएहिं भणियं कामसत्थयारेहिं जहा 'धम्मत्थ21 कामे पडिपुण्णे संसारो जायइ' त्ति, तेसिं तं पि परिकप्पणा मेत्तं चिय । जेण एयंत-धम्म-विरुद्वो अत्थ-क्खय-कारओ य कामो, A तेण दुग्गय-रंडेकल-पुत्तओ विव अटु-कंठयाभरण-वलय-सिंगार-भाव-रस-रसिओ ण तस्स धम्मो ण अत्यो ण कामो ण जसो ण मोक्खो त्ति । ता अलं इमिणा सबाहमेण पुरिसाणत्येणं ति। धम्मो उण तुलिय-धणवइ-धण-सार-धण-फलो। तहा 24 णरिंद-सुर-सुंदरी-णियब-बिंबुत्तंग-पओहर-भर-समालिंगण-सुहेल्लि-णिभरस्स कामो वि धम्माणुबंधी य । अत्थो धम्माओ चेव, 24 मोक्खो वि । जेण भणियं । लहइ सुकुलम्मि जम्मं जिणधम्म सव्व-कम्म-णिज्जरणं। सासय-सिव-सुह-सोक्ख मोक्खं पि हु धम्म-लामेण ॥ 27 तेण धम्मो चेव एत्थ पुरिसत्थो पवरो, तहिं चेव जुज्जइ आयरो धीर-पुरिसेण काउं जे । अवि य । 27 अस्थउ होइ अणत्थउ कामो वि गलत-पेम्म-विरसों य । सम्वत्थ-दिण्ण-सोक्खउ धम्मो उण कुणह तं पयत्तेण ॥ ५)सो उण गोविंद-खंद-रुंदारविंदणाह-गइंद-णाइंद-चंद-कविल-कणाद-वयण-विसेस-वित्थर-विरयणो बहुविहो लोय. 1) P जलंमि ज्झत्ति, P चिअ णेयकयच्छेय, Jहोडणाधण. 2) मुवन्नरस वाणह, J तत्थ कोइला, J कोल्हुआ. 3) । गण्ड, P गाय for गावी, I गोहिआ P गोहिय, P तरछाछ. 4) Jमअ, " मूसप, सुणउ संपर P ससस उणसंबर, J सुअ, P सउणेसु सउणसिप्पई नु, Pणानिल J -गोच्छ P गुच्छ.5) J"स्सई, भवसयभेय, P संकुलम्, P om. सागर,J हिण्डि', वि तहाविह, J समाअहिओ. 6) J मणुअत्तणं, J अवि अ. 7) Jणरए नीरए, J बहुसोयमहासमुदए बहुमाणतरंगए संसारए जल हि सम हिण्डि'. 8) P हिंडिऊण य पावइ, J माणुस्स, वि पुण्णएहि P वि पुन्वपुन्नएहिं. 9) मुरुडोण्टबोकस, I दुलहं चेव आरियखेत ति।. 10) J काणकोण्टभण्टअन्ध, Pकलल्लल्ला, संपत्तारियत्तणे पुरिसेग. 12) P रुंदमि, लद्धं मि,J मणुअत्त, P निउणं, तह for अह. 13)J सो उण, Jएएहि रहियस्त पुण. 14) Jणाहिरा', P जंमं. 15) Pएकं. भुअणमि P भुयणमि, J डड़पुरिसेण. 16) J कहउ पहुप्पन्ति सुक्य, P जंमस्स. 17) J मज्झिमे वियारेसु । P om. चेव केवलो, P नरिंद, P राईण. 18) J -यलणिहितं P तलनिहिओ, वचs for पावइ, J किमिण, दिणं! 19) Jधम्मकालं. 20) कामा उण, P केवलम्, J एअं, P एगंतपक्खवायगंतनिन्भर, हियएहि. 21)J पडिपुण्ण, । संपावइ for संसारो जायर, P om. तेसिं,J "कम्मणा, J चिअ,J जेण एअंतधम्म Pण अत्थो धम्म. 22) J रण्डेकल पुत्तउ विअ, I has a marginal note thus : विचित्तरुप्पयाम पाठांतर with a reference to अट्ठह, J कंट्ठया ।' कंठिया, P न तस्स. 23) Pन मोक्खो, J अलमिमिणा, Jण त्ति ।। छ ।।, Pघणप्फलो, J सव्वहा for तहा. 24) नरिंद, "णिअंब, Pमुहेल्लि, P om. य, J मोक्खो वि for अत्थो, J चेय. 25) Jom. मोक्खो वि. 26कुसलम्मि P सुकुलंमि, धम्मे, P निज्ज. 27) P om. एत्थ, J धीराण काउं. 28) Here in Jउ look like ओ. " अत्थो, 'अणत्थ ओ, - विभलंत, P पेम्मं, " दिन्न, J मोक्खउ for सोक्खउ. 29) 1 रुंदारविंदणार्गिदगइंदवंदकविलकणाय, लोअ. Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६] . कुवलयमाला 1 पसिद्धो । ताणं च मज्झे मणीण व कोत्थुहो, गयाण व सुर-गओ, समुदाण व खीरोवही, पुरिसाण व चक्कहरो, दुमाण व कप्प- 1 पायवो, गिरीण व सुरगिरी, सुराण व पुरंदरो, तहा सव्व-धम्माणं उरि रेहइ जिणयंद-भासिओ धम्मो त्ति । सो उण चउविहो । तं जहा । दाणमइओ, सीलमइओ, तवोमइओ, भावणामइओ त्ति । तत्थ पढम चिय पढम-तित्थयर-गुरुणा इमिणा 3 चेव चउब्विह-धम्म-कमेण सयल-विमल-केवलं वर-णाण पि पावियं । जेण अविभाविय-णिण्णुण्णय-जल-थल-विवराइ-भरियभुवणेणायाल-काल-जलहरेण विय वरिसमाणेण णीसेस-पणइयण-मणोरहन्भहिय-दिण्ण-विहव-सारेण पवत्तिओ पढम तेलोक6 बंधुणा 'भो भो पुरिसा दाणमइओ धम्मो' त्ति । पुणो 'सुर-सिद्ध-गंधव्व-किण्णरोरय-णर-दइच्च-पच्चरखं सव्वं मे पावं अकर- 6 णिज' ति पदण्णा-मंदरमारुइंतेण पयासिओ तेलोक-गुरुणा सीलमइओ धम्मो त्ति । पुणो छट्ठम-दसम-दुवालस-मासद्धमास-संवच्छरोववास-परिसंठिएण पयासिओ लोए 'तबोमइओ धम्मो' त्ति । तहिं चिय एगत्तासरणत्त-संसार-भाव-कम्म9 वग्गणायाण-बंध-मोक्ख-सुह-दुक्ख-णारय-णरामर-तिरिय-गइ-गमणागमण-धम्म-सुक ज्झाणाइ-भावणाओ भावयतेण भासिओ 9 भगवया 'भावणामइओ धम्मो' त्ति । तओ ताव अम्हारिसा तारिसेहिं दाण-सील-तवेहिं दूरओ चेव परिहरिया, जेण धण सत्त-संघयण-वजिया संपयं । एसो पुण जिणवर-वयणावबोहओ जाय-संवेग-कारणो भावणामइओ सुह-करणिजो धम्मो त्ति । 11 कह । जाव महा-पुरिसालिय-दोस-सय-वयण-वित्थराबद्ध-हलबोल-वड्डिय-पहरिसस्स दुजण-सत्थस्स मज्झ-गया पर-मम्म-12 मग्गण-मणा चिट्ठम्ह, ताव वरं जिणयंद-समण-सुपुरिस-गुण-कित्तणेण सहलीकयं जम्मं ति । अवि य । जा सुपुरिस-गुण-बित्थार-मइलणा-मेत्त-वावडा होमो । ता ताव वरं जिणयंद-समण-चरियं कयं हियए॥ 16 इमं च विचिंतिऊण सुब्भे वि णिसामेह साहिज्जमाणं किंचि कहावत्थु ति । अवि य । मा दोसे चिय गेण्हह विरले वि गुणे पयासह जणस्स । अक्ख-पउरो वि उयही भण्णइ रयणायरो लोए ॥ ६) तओ कहा-बंधं विचिंतेमि त्ति । तत्थ वि 18 पालित्तय-सालाहण-छप्पण्णय-सीह-णाय-सद्देहिं । संखुद्ध-मुद्ध-सारंगओ व्व कह ता पयं देमि ॥ णिम्मल-मगेण गुण-गरुयएण परमत्थ-रयण-सारेण । पालित्तएण हालो हारेण व सहइ गोट्टीसु॥ चक्काय-जुवल-सुहया रम्मत्तण-राय-हंस-कय-हरिसा । जस्स कुल-पव्वयस्स व वियरइ गंगा तरंगवई॥ " भणिइ-विलासवइत्तण-चोल्लिके जो करेइ हलिए वि । कव्वेण किं पउत्थे हाले हाला-वियारे व्व ॥ पणई हि कइयणेण य भमरेहि व जस्स जाय-पणएहिं । कमलायरो व्व कोसो विलुप्पमाणो वि हु ण झीणो । सयल-कलागम-णिलया सिक्खाविय-कइयणस्स मुहयंदा । कमलासणो गुणड्डो सरस्सई जस्स वडुकहा ॥ जे भारह-रामायण-दलिय-महागिरि-सुगम्म-कय-मग्गे । लंघेइ दिसा-करिणो कइणो को वास-वम्मीए॥ छप्पण्णयाण किं वा भण्णउ कइ-कुंजराण भुवणम्मि । अण्णो वि छेय-भणिओ अज वि उवमिज्जए जेहिं ॥ लायण्ण-वयण-सुहया सुवण्ण-रयणुजला य बाणस्स । चंदावीडस्स वणे जाया कायंबरी जस्स ॥ 27 जारिसयं विमलंको विमलं को तारिसं लहइ अत्यं । अमय-मइयं व सरसं सरसं चिय पाइयं जस्स ॥ ति-पुरिस-चरिय-पसिद्धो सुपुरिस-चरिएण पायडो लोए । सो जयइ देवगुत्तो से गुत्ताण राय-रिसी ॥ बुहयण-सहस्स-दइयं हरिवंसुप्पत्ति-कारयं पढमं । वदामि वंदियं पिहु हरिवरिसं चेय विमल-पय ॥ संणिहिय-जिणवरिंदा धम्मकहा-बंध-दिक्खिय-णरिंदा । कहिया जेण सुकहिया सुलोयणा समवसरणं व ॥ सत्तण जो जस-हरो जसहर-चरिएण जणवए पयडो। कलि-मल-पभजणो चिय पभजणो आसि राय-रिसी ॥ 30 1) P "गयो. 2) J "म्माण, P om. भासिओ, J om. धम्मो. 3) J तओम', मईओ ( last three) "ढमं ति". 4) कम्मेण, Pom. वरणाण. 5) Pभुयणे काल, J विअ, I "माणेण सेस P "समाणे णीसेस विविह for विहव, पढमं तेलोक पढमतेलक. 6) भोहो पु, Pपुरिस, P किन्नरोरयणायर. 7)P मंदिर, P"मईओ, पुणो च्छ. 8) तओ, for तवो, P"मईओ, चिअP तिय, P"सरणत्ता, P सहाव for भाव. 9)P नरामर, P धंम, झाणाईभावणाउ, "यन्तेण, P भाविओ. 10) ति। छ।, I चेय for वेव. 11) Pसंघयं, I उण, बोह for बोहओ, P जाइ-, Pमईओ, J सुर for सुह, त्ति । छ।. 12)P"रावद्ध, वद्रिय य हरिसदुजण. 13)चिट्ठम्हं, P ता वरं. 14) Jगुणु, P वित्थर, I om. ता. 15) च विचिन्ति' P च चिंतिऊणं, P निसा, बत्थु त्ति. 16) पंससा जिणरस, J उअही. 17) J कहाबद्धं, J om. त्ति. 18) साहलाहण, च्छप्प", P सदेण ।, JP गउ. 19) P निम्मलगुणेण, J गरुअण, P गुरुयण्यण. 20) J जुअल, Pरंम', P कुलप्पब्व', P तरंगमई. 21) भणिई P भणिय, वो (चो) लिके P चोक्किले, J has a marginal gloss मदिरा on the word हाला. 22) Pई हिं, I कइअणेण, P"रेहिं, P न for ण. 23) P -निलया, P कश्यणो समुह , Pसणा गुणड्डा. 24) Pom. कय, J धम्मीए P मीए. 25) P छप्पन्न", P भन्नइ, P कय for कइ, भुअणंमि P भुवर्णमि, P अन्नो. 26) लायन्न, P सुयण, P"वीणस्स. 27) J को अण्णो ( = हुअणो on the margin) for the 2nd विमलं को, मइव Pमश्यं च, चिय पाययं P विय पाइयं. 28) P ति उरिस. 29) J दइअं, P हु हरिवंसं चेव. 30) J सण्णि हिय P सन्निहिय, P नरिंदा, J सुकहियाउ सु, हवा for al. 31P जसहरिचरिएहि, P मलयमंजणो, P पहंजणो. Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 उज्जोयणसरिविरइया जेहि कए रपणिज्जे वरंग-पउमाग चरिय-वित्थारे । कह व ण सलाहणिजे ते कइणो जडिय-रविसेणे ॥ जो इच्छइ भव-विरहं भवविरहं को ण वंदए सुयणो । समय-सय-सत्थ-गुरुणो समरमियंका कहा जस्स ॥ ३ अण्णे वि महा-कइणो गरुय-कहा-बंध-चिंतिय-मईओ। अभिमाण-परकम-साहसंक-विणए विईतेमि ॥ एयाण कहा-बंधे तं णत्थि जयम्मि जं कह वि चुकं । तह वि अणतो अस्थो कीरद एसो कहा-बंधो॥ ७) ताओ पुण पंच कहाओ । तं जहा । सयलकहा, खंडकहा, उल्लावकहा, परिहासकहा, तहा घरा कहिय त्ति । 6 एयाओ सव्वाओ वि एत्थ पसिद्धाओं सुंदर-कहाओ। एयाण लक्खण-धरा संकिण्ण-कह त्ति णायब्वा॥ कत्थइ रूवय-रइया कत्थइ वयणेहि ललिय-दीहेहिं । कत्थइ उल्लाहिं कत्थइ कुलएहि णिम्मविया ॥ कत्थइ गाहा-रइया कत्थइ दुवईहि गीइया-सहिया । दुवलय-चकलएहिं तियलय तह भिण्णएहिं च ॥ कत्थइ दंडय-रइया कत्थइ णाराय-तोडय-णिबद्धा । कत्थइ वित्तेहि पुणो कत्थइ रइया तरंगेहिं ॥ कत्थइ उल्लावेहिं अवरोप्पर-हासिरेहि वयगेहिं । माला-चयहिँ पुणो रइया विविहेहि अण्णेहिं ॥ पाइय-भासा-रइया मरहट्ठय-देसि-वण्णय-णिबद्धा । सुद्धा सयल-कह चिय तावस-जिण-सत्थ-वाहिल्ला ॥ कोऊहलेण कत्थइ पर-वयण-वसेण सक्कय-णिबद्धा । किंचि अवब्भंस-कया दाविय-पेसाय-भासिल्ला ॥ सव्व-कहा-गुण-जुत्ता सिंगार-मणोहरा सुरइयंगी। सव्व-कलागम-सुहया संकिपण-कह त्ति णायचा ॥ एयाणं पुण मज्झे एस चिय होइ एत्थ रमणिज्जा । सव्व-भणिईण सारो जेण इमा तेण तं भणिमो॥ 15६८) पुणो सा वि तिविहा । तं जहा । धम्म-कहा, अत्थ-कहा, काम-कहा । पुणो सब्व-लक्खणा संपाइय-तिवग्गा 15 संकिण्ण त्ति । ता एसा धम्म-कहा वि होऊण कामत्थ-संभवे संकिण्णत्तणं पत्ता। ता पसियह मह सुयणा खण-मत्तं देह ताव कण्णं तु । अब्भस्थिया य सुयणा अवि जीयं देति सुयणाण ॥ अणं च । 18 सालंकारा सुहया ललिय-पया मउय-मंजु-संलावा । सहियाण देइ हरिसं उव्वूढा णव-बहू चेव ॥ 18 सुकइ-कहा-हय-हिययाण तुम्ह जइ विहु ण लग्गए एसा। पोढा-रयाओ तह वि हु कुणइ विसेसं णव-वहु ब्व ॥ अण्ण च। णजइ धम्माधम्म कज्जाकज हियं अणहियं च । सुब्वइ सुपुरिस-चरियं तेण इमा जुज्जए सोउं ॥ ६९) सा उण धम्मकहा जाणा-विह-जीव-परिणाम-भाव-विभावणथं सव्वोवाय-णिउगेहिं जिणवीरें देहिं चउबिहा 21 भणिया। तं जहा । अक्खेवणी, विक्खेवणी, संवेग-जणणी, णिव्वेय-जणणि त्ति । तत्थ अक्खेवणी मणोणुकूला, विक्खेवणी मगो-पडिकूला, संवेग-जणणी णाणुप्पत्ति-कारण, णिवेय-जणणी उण वेरग्गुप्पत्ती । भणियं च गुरुणा सुहम्म-सामिणा । 24 अक्खेवणि अक्खित्ता पुरिसा विक्खेवणीऍ विक्खित्ता । संवेयणि संविग्गा णिव्विण्णा तह चउत्थीए । 24 जहा तेण केवलिणा अरणं पविसिऊण पंच-चोर-सयाई रास-णयण-च्छलेण महा-मोह-गह-हियाई अक्खिविऊण इमाए चञ्चरीए संबोहियाई । अवि य । 2] संबुज्झह किं ण बुज्झह एत्तिए वि मा किंचि मुज्झह । कीरउ जं करियव्वयं पुण ढुक्कइ त मरियम्वयं ॥ इति धुवयं । श कसिण-कमल-दल-लोयण-चल-रेहंतओ। पीण-पिहुल-थण-कडियल-भार-किलंतओ। ताल-चलिर-वलयावलि-कलयल-सद्दओ। रासयम्मि जइ लब्भइ जुवई-सत्थओ॥ 30 संबुज्झह किं ण बुज्झह । पुणो धुवयं ति । तओ अक्खित्ता । असुइ-मुत्त-मल-रुहिर-पवाह-विरूवयं । वंत-पित्त-दुगंधि-सहाव-विलीणय । 1)जेहिं, P न, J जटिअ-, P सेणो. 2) P को न वंधए, सुअणो, J सवर. 3) P अन्ने, गरुअ-, चिन्तिअमईआ, P अहिमाण, संकवियणे. 4) बद्धे, P नत्थि जयंमि कवि, कविवि चुकं, कहाबद्धो. 5) P puts numbers after each kaha, J खण्ट', P वरकहिय, कहिअत्ति. 6) Pएयाउ सम्वाउ एत्थ, एआण P पयाण, P संकिन्न, ति व नायव्या ॥छ।।. 7) P कत्थय (in both the places), P क्यणेहिं, ' -दियएहिं ।, adds कत्थर उल्लावेहिं on the margin in a later hand [उलालेहिं ], P कुलप.हि निम्म विआ. 8) P रइआ, दुवतीहिं, Pतियलिय, भिन्न. 9) J दण्टय (?), P नाराय, J चित्तेहि P वित्तेहि. 10) Pासिएहिं, J अणेहिं P अन्ने हिं. 11) I पायय, बण्णयविद्धा, J बाहिला. 12) P निबद्धा, का, दो विय. 13)P कलागुण, J इअंगी, P संकिन्न, P नायब्वा, भणिमो । छ।. 15) संपादिअ P संपाईय. 16) J कामअस्थ, P संकिन्न. 17) पसिय महह सुअणा P पसियह महासुयणा, P देसु, कण्ण त्ति । कन्नं तु, J सुअणा, I जीवं देन्ति सुअणाण, P अन्नं. 18) मउअ, P मंजुलल्लावा, P नव, येव for 'चेव. 19) सकय, " जय वि हुन लग्गए, । पोढ. P नव, P अन्नं. 20) P नजद, J धम्माहम्नं, J हिअं,J "हिअं. 21) Pसो उण, P नाणा, P विभावणसव्यो', P जेण'. 22) भणिआ, J संवेयणी, J णिब्वेयणी ।, P निव्वेय, P मणाणुकूला 23) संवेय, P"जण उण, J भणिअं, P सुहम. 24)J विक्खेवणीय P किक्खेवणीए, P निबित्रा, संजमइ त्ति ॥ for तह etc. 25) अरणं पइसि', ' अरन्नं, चणकलेग, J हिआई, P मोहग्गहरगहि. 26 'हियाणि. 27) JP किण्ण, I एत्तिल्लए, P बुक्कद, J मरिअ. 28) लोयण वलारहंतओ, P पिहुलघणकहियल, J कडिअल, " किरंतओ. 29) J -वलिर, P बयलावलि, P रासयंमि, J जुअतीसस्थओ. 30) JP किण्ण, Jom. ति, P तत्तो for तओ. 31) J मंस for वंत, P पित्तं , P विरूवयं । Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जानि -६११] कुवलयमाला मेय-मज-वस-फोफस-हहु-करंकयं । चम्म-मेत्त-पच्छायण-जुवई-सत्थयं ॥ संबुज्झह किं ण बुज्झह । तओ विक्खित्ता । कमल-चंद-णीलुप्पल-कति-समाणयं । मूढएहि उवमिज्जइ जुवई-अंगयं । थोवयं पि भण कत्थइ जइ रमणिजयं । असुइयं तु सब्वं चिय इय पच्चक्खयं ॥ संबुज्झह किं ण बुज्झह । तओ संविग्गा । जाणिऊण एवं चिय एत्थ असारए । असुइ-मेत्त-रमणूसव-कय-वावारए। __ कामयम्मि मा लग्गह भव-सय-कारए । विरम विरम मा हिंडह भव-संसारए ॥ संबुज्झह किं ण बुज्झह । एवं च जहा काम-णिब्बेओ तहा कोह-लोह-माण-मायादीण कुतित्थाणं च । समकालं चिय सव्व-भाव-वियाणएण गुरुणा 9 सवण्णुणा तहा तहा गायतेण ताई चोराणं पंच वि सयाई संभरिय-पुव्व-जम्म-वुत्तताइं पडिवण्ण-समण-लिंगाई तहा कयं जहा संजमं पडिवण्णाई ति । ता एत्तियं एत्थ सारं । अम्हेहि वि एरिसा चउब्विहा धम्म-कहा समाढत्ता । तेण किंचि [2 काम-सत्थ-संबद्ध पि भणिहिइ । तं च मा णिरत्थयं ति गणेजा। किंतु धम्म-पडिवत्ति-कारण अक्खेवणि त्ति काऊण 12 बहु-मयं ति । तो कहा-सरीरं भण्णइ । तं च केरिसं। 6१०) सम्मत्त-लंभ-गरुयं अवरोप्पर-णिब्वडत-सुहि-कर्ज । णिवाण-गमण-सारं रइयं दक्खिण्णधेण ॥ 5 जह सो जाओ जत्थ व जह हरिओ संगएण देवेण । जह सीह-देव-साहू दिवा रणम्मि सुण्णम्मि । जह तेण पुव्व-जम्मं पंचण्ह जणाण साहियं सोउं । पडिवण्णा सम्मत्तं सग्गं च गया तवं काउं॥ भोत्तूण तत्थ भोए पुणो विजह पाविया भरहवासे । अण्णोण्णमयाणता केवलिणा बोहिया सव्वे ॥ 8 सामण्णं चरिऊणं संविग्गा ते तवं च काऊण । कम्म-कलंक-विमुक्का जह मोक्खं पाविया सब्वे ॥ एवं सव्वं भणिमो एएण कमेण इह कहा-बंधे । सव्वं सुणेह सुयणा साहिजतं मए एहि ॥ एयं तु कहा-करणुज्जयस्स जह देवयाएँ मह कहियं । तह वित्थरेण भणिमो तीऍ पसाएण णिसुणेह ॥ । तत्थ वि -याणिमो चिय केरिस-रूवं रएमि ता एयं । किं ता वंक रइमो किं ता ललियक्खरं काहं ॥ जेण, मुन्द्वो ण मुणइ वकं छेओ पुण हसइ उज्जुयं भणियं । उजुय-छेयाण हियं तम्हा छेउजुयं भणिमो ॥ अलं च इमिणा विहव-कुल-बालियालोल-लोयण-कडक्ख-विक्खेव-विलास-वित्थरेण विय णिरत्थएणं वाया-पवित्थरेणं । एयं । । चियं कहावत्थु ता णिसामेह । अस्थि चउसागरजल-मेहला। ६११) अहह, पम्हुटुं पम्हुई किंचि, पसियह, तं ता णिसामेह । किं च तं । हूं, समुहमइसुंदरो चिय पच्छा-भायम्मि मंगुलो होइ । विंझ-गिरि-वारणस्स व खलस्स बीहेइ कइ-लोओ ॥ तेण बीहमाणेहिं तस्स थुइ-वाओ किंचि कीरह ति । सो व दुजणु कइसउ । हूं, सुणउ जइसउ, पढम-दसणे चिय 27 भसणसीलो पट्टि-मासासउ व्व । तहेव मंडलो हि अपञ्चमिण्णायं भसइ, मयहिं च मासाई असइ । खलो घई मायाहि वि भसइ । चडप्फडंतहं च पढ़ि-मासाई असइ त्ति । होउ काएण सरिसु, णिच्च-करयरण-सीलो छिडु-पहारि व्व। 30 तहेव वायसो हि करयरेंतो पउत्थ-वइया-यणहो हियय-हरो, छिडेहिं च आहार-मेत्तं विलुपद । खलो घई पउत्थ-वइया 30 कुल-बालियाण विज्झ-संपयाणेहिं दुक्ख-जणउ, अच्छिड्डे वि जीवियं विलुप्पइ । जाणिउ खरो जइसउ, सुयण-रिद्धि-दसणे 1) मय, I वसप्फो', J पच्छाअणजुअती-- 2) J किण्ण, P किं न बुज्झहा- 3) P नीलु', 'एहिं, जुवती4) P भणहद तत्थ जइ, P नु for तु, I इअ. 5) I किष्ण किन्न बुज्झहा, संविग्गाउ P संकिग्गा. 6) J चिभ एत्थ P चियस्थ, रमण्णसवधावारए । 7) JP "यमि, J हिण्डह. 8) Iom. किं न बुज्झह of P. 9) P निब्बेओ, P मायाईणं तु ति', J चिअ, विआण. 10) P"बनुणा, P गाइएण, J ताण चोराण, J om. वि, P सयाणि,J 'रिअ-, P 'बन्नPलिंगाणि. 11) P संयम, पवण्णाइ त्ति, P पवन्नायं ति, J एत्तिअं, वि एसा. 12) F "सत्यपडिबद्धं, P भणिहिई, Pमा निर', P भाण जा. 14) I गरुअं, P -निव्व",Jणेव्वाण P णि', J रइ, J दकिवण्णइद्धेणं P दक्खिन्न । छ ।. 15) P च for व, I जह परिओसं, P जह हिओ व सं', J रणम्मि सुण्णम्मि P रन्नंमि सुन्नं मि. 16) P पंचन्ह, J 'हिअं, P 'वन्ना, P संमत्तं. 17F अन्नोन्नमयागंतो, बोदिआ. 18) Pसामन्नं, Jच कातूण व काऊणं, P पाविआ. 19)बद्ध, J मुअणा साहिप्पंतं. 20) F कहं, P तत्थ for तह, निसुणेसु. 21) P विन, ललिअक्खरं. 22) Pन याणइ, J तसह, J हुँ। उज्जुन, हि, J"उज्जुअं. 23) वि for विइव, J बालिआ, Jलोअण, विअP चिअ, P वायाप वि. 24) Jएयं चिन पत्थुरंयं, P ति निसा' ॥ छ ।, for ता etc., P सागरजल. 25) Iom. one पम्हुटुं, J पसिअह, P निसामेह, P व for च, हुं. 26) Jच्चिअ, I भावंमि भायंमि, P विज्झ, P कयलोओ।. 27) Pसो ब्व, उ in Jat times looks like ओ, Pणो कइसओ, " हुं, P जइसुओ. 28) P"सालो, तहे मण्ड', om. हि, J 'चभिण्णा Pवभिन्नाहयहं, P 'मयाहिं स मा', P घयं मायहे. 29) Jफडं P फडताहं, मट्टिमासई, P सरिसओ निच. 30) J तहे, P यरंतो, P वइयाण होइ हिययरो, P घयं,J वश्या...बालिआण P बालियण. 31) P सपयाणेहिं, P जणओ (even in J sometimes उ looks like ओ), J जीविअं P जीविय विलुंपओ, P जाणिओ, P जइसइओ, J सुअण. 24 Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६११1 झिजइ, जिल्लजो. महल्लेणं च सदें उलवइ । तहेव रासहो हि इमं तण-रिद्धि-महलं असिङ ण तीरइ ति चित्तए झिजइ, । अविभाविजत-अक्खरं च उल्लवइ । खलो घई आयहो किर एमहल्ल-रिद्धि जायल्लिय त्ति मच्छरेण झिज्जइ, पयड-दोसक्ख3राला च उल्लवइ । अवि कालसप्पु जइसउ, छिड-मग्गण-वावडो कुडिल-गइ-मग्गो ब्व । तहेव भुयंगमो हि पर-कयाई 3 छिड्डाई मग्गइ, सव्वहा पोट्टेणं च कसइ । खलो घई सई जे कुणइ छिड्डाई, थट्टो ब्व भमइ । चिंतेमि, हूं, विसु जइसउ, पमुहरसिउ जीयंतकरो वि। तहेव महुरउ मुहे, महुरं मंतेहिं च कीरइ रसायणं । खलो घई मुहे जे कडुयउ मंतइ, 6 घडियइ वि विसंघडइ । हूं, बुज्झइ, वदृइ खलु खलो जि जइसउ, उज्झिय-सिणेहु पसु-भत्तो य । तहेव खलो वि वराओ । पीलिज्जतो विमुक-णेहु अयाणंतो य पसूहिं खज्जइ । इयरु घई एकपए जे मुक्क-णेहु, जाणतो जे पसु तह वि खजइ । किं च भण्णउ । सव्वहा खलु असुइ जइसउ, विसिट्ट-जण-परिहरणिजो अपरिप्फुड-सदाबद्ध-खुडु-मंडली-गिणिगिणाविउ ब्व । ५ तहे सो वि वरउ किं कुणउ अण्णहो जि कस्सइ वियारु । खलो घई सई जे बहु-वियार-भंगि-भरियलउ ति ॥ सव्वहा ! मह पत्तियासु एयं फुडं भणंतस्स संसयं मोत्तुं । मा मा काहिसि मेत्तिं उग्ग-भुयंगेण व खलेण ॥ जेण, जारज्जायहो दुजणहो दुटु-तुरंगमहो जि । जेण ण पुरओ ण मग्गओ हूं तीरइ गंतुं जि ॥ अवि य । 12 अकए वि कुणइ दोसे कए वि णासेइ जे गुणे पयडे । विहि-परिणामस्स व दुजणस्स को वा ण बीहेइ ॥ अहवा। 13 कीरउ कहा-णिबंधो भसमाणे दुजणे अगणिऊण । किं सुणएहि धरिजइ विसंखलो मत्त-करिणाहो ॥ ६१२) होति सुयण च्चिय परं गुण-गण-गरुयाण भायण लोए । मोत्तण णई-णाहं कत्थ व णिवसंतु रयणाई॥ 16 तेण सज्जण-सत्थो श्वेय एत्थ कहा-बंधे सोउमभिउत्तो त्ति । सो व सजणो कइसउ । रायहंसो जइसउ, विसुद्धो-भय- 18 पक्खो पय-विसेसण्णुओ च । तहेव रायहंसो वि उब्भड-जलयाडंबर-सदेहि पावइ माणसं दुक्ख । सज्जणु पुण जाणइ जि खल-जलयहं सभावाई॥ 18 तेण हसिडं अच्छइ । होइ पुण्णिमाइंदु जइसउ, सयल-कला-भरियड जण-मणाणंदो व्व । तहे पुण्णिमायंदो वि कलंक- 18 दूसिओ अहिसारियाण मण-दूमिओ व। सज्जणो पुण अकलंको सव्व-जण-दिहि-करो ब्व । अवि मुणालु जइसउ, खंडितो वि अक्खुडिय-णेह-तंतु सुसीयलो व, तहेव मुणालु वि ईसि-कंडूल-सहाउ जल-संसग्गि वढिओ व्व । सजणु पुणु महुरसहावु । वियड-वडिय-रसो ब्व । हूं, दिसागो जइसउ, सहावुण्णउ अणवरय-पयट्ट-दाण-पसरो व्व । तहे दिसागओ वि मय-21 वियारेण घेप्पइ, दाण-समए व्व सामायंत-वयणो होइ । सजणु पुणि अजाय-मय-पसरु देंतहो व्व वियसइ वयण-कमलु। होउ मुत्ताहारु जइसउ, सहाव-विमलो बह-गुण-सारो व । तहेव मुत्ताहारो वि छिड-सय-णिरंतरो वण-वडिउ व्व। सज्जणो 24 पुण अच्छिड्ड-गुण-पसरो णायरउ व्व । किं बहुणा, समुद्दो जइसओ, गंभीर-सहाओ महत्थो व्व । तहेव समुद्दो वि 24 उक्कलिया-सय-पउरो णिच्च-कलयलारावुव्वेविय-पास-जणो व्व दुग्गय-कुडुबहो जि अणुहरइ । सजणु पुण मंथर-सहाओ महुमहुर-वयण-परितोसिय-जणवउ ब्व त्ति । अवि य । 1) हिजइP ज्झिज्जर नि', P सद्देण, तहे, हिइमुत्तगरिद्धिमहल असिउंण, P वा इमं नूगरिद्धिमलं पासिंउ न, चिंतए. 2) तक्खरं, J खलु एई, Pom. आयहो, किं एमहल Pकिर महल, J जायल्लिा जाएलए, P दोसाखरलादं च. 3) P जइसओ, Pom. गइ, J व for ब, J तहे भुअंगनो हि Pभुयंगो वि. 4) P छिद्दाइ मग्गई, J सम्बई, पोदेणे व कसई, Pघइ सय जे छिदइ कुणइ ।, Pथद्धो, J व for ब्व, P नितेहुं, P जइसओ (in Jउ looks like ओ). 5) P 'रसिओ, जीअंतकरो वि P जीयंतहरो ब, P मुहरु for मदुरं, P व for च, P रसायण, Pघयं मुहे जे कडुयउं, कडुअउ भंत व. 6)P घडियई वि विसंघडति, Pटो for हूं, P om. बुज्झइ, P खलो for खलु, Pom. जि, P जइसओ, P सिणेहो, व for य,J तह खलो, P om. वि, वरउ. 7) P पीडिजतो, हो, I व for य, P एमुहिं for पसूहि, J इअरु Pइयरो, I घई Pघर्य, P एक्पयमुक्कणेहो, जाणइ जे, जे एसु. 8) Jom. सव्वहा, P खलो, P जइसओ, P परहरणिज्जो, P°फुड, गद्ध for खुट्ट, मण्डली, व for व्व. 9) Pअण्णहेव कस्सइ, विआरु, विार, P भंगभरिलउ, J भरिअल उ. 10) पत्तिआसु, Pसुयणा for एय, भणन्तस्स, भुअंगण, P वि (for व) खलणेण. 11)Jज्जाअहो, P जेण नरायहो, P जि for ज्जि, P2nd line thus: ह ण अग्गिएण पच्छिए गंतुं हुं तीरइ ।. 12) Pन for ण. 13)P कीरइ, णिबद्धो P निबंधो, P"माणो, णाहो ॥ छ ।. 14) J होन्ति सुअण चिय, J गरुआण भाअण, P निव, Pरयाणाई. 15) Jच्चा P चेय, "बद्ध, P 'मभिमउत्तो, सोव, P कइसओ (in Jउ and ओ look alike), P जइसओ. 16) P°ण्णुउ व्व, J तहे. 17)P माणस, P सज्जगो, पुणु, Pजे for जि, J सहावई P सभावाहि. 18) JP होउ, J 'मायंदु P माइंदो जइसयल, P हरिओ for भरियउ, Jadds ज गाण जण', om. ब्व, P तहेय पु", P"माइंदो. 19) P अहिसारियाजणदूसिउब, P जइसओ. 20) J"डियनरतंतु सुसीतलो, "ज्य for व, तहे, P ईसकंदुलसहावो, J वट्टिो व P वडिउ व्व, P सज्जणो पुण, P सहावो. 21) I वियड, J रसो व, P हु, J सहाउण्णओ P सहावुन्नउ, J व for व्व. 22) J विभआरेण, J व for ब्ब, P सज्जणो पुण, व for व्व, विअसइ. 23) P होइ, P"हारो, P"सओ, P गुणसीरो, Ja for व्ब, J तहे, Jom. सय, JP निरंतरो, व for ब. 24) 'अच्छिदुगुणपयरो णोय', ब हिं for ब्व किं, समुद, P सहावो, व for ब, J तहे. 25) I'लिआ, जिच्चु । निच्च, 'बुवेविषयासजाणो, व for व्व, न कुटुंबहो, Pom. जि, P सज्जणो, पुणिमथिर. 26) Jom. व्व. Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला 1 सरलो पियंवो दक्खिण्णो चाई गुणण्णुओ सुहवो । मह जीविएण वि चिरं सुयणो चिय जियउ लोयम्मि ॥ महवा । । गुण-सायरम्मि सुयणे गुणाण अंतं ण चेव पेच्छामि। रयणाई रयण-दीवे उच्चउं को जणो तरह ॥ एथं च उण ण कोइ दुजणो, उपेक्खह सजणं च केवलयं । तहे णिसुणेतु भडरय त्ति। १३) अस्थि दढ-मेरु-णाहिं कुल-सेलारं समुद्द-मिल्लं । जंबुद्दीवं दीवं लोए चक्कं व णिक्खित्तं ॥ अवि य । तस्सेय दाहिणद्वे बहुए कुल-पव्वए विलंघेउं । वेयड्डेण विरिकं सासय-वासं भरहवासं ॥ 6 चेयक-दाहिणेणं गंगा-सिंधूय मज्झयारम्मि । अस्थि बहु-मज्झ-देसे मज्झिम-देसो त्ति सुपसिद्धो ॥ सो य देसो बहु-धण-धण्ण-समिद्धि-गब्धिय-पामर-जणो, पामर-जण-बद्धावाणय-गीय-मणहरो, मणहर-गीय-रव-रसुक्कंठियसिहिउलो, सिहिउल-केया-रवाबद्ध-हलबोलुभिजमाण-कंदल-णिहाओ, कंदल-णिहाय-गुंजत-भमिर-भमरउलो, भमरउल. भमिर-झंकार-राव-वित्तत्थ-हरिणउलो, हरिणउल-पलायंत-पिक्क-कलम-कणिस-कय-तार-रवो, तार-रव-संकिउड्डीण-कीर-पंखा- 9 भिवाय-दलमाण-तामरसो तामरस-केसरुच्छलिय-बहल-तिगिच्छि-पिंजरिज्जत-कलम-गोवियणो, गोवियण-महुर-गीय-रव-रसाखिप्पमाण-पहिययणो, पहिययण-लडह-परिहास-हारि-हसिजमाण-तरुणियणो, तरुणियणाबद्ध-रास-मंडली-ताल-वस-चलिर12 वलय-कलयलाराबुद्दीविजंत-मयण-मणोहरो त्ति । अवि य। 12 बहु-जाइ-समाइण्णो महुरो अत्थावगाढ-जइ-जुत्तो। देसाण मज्झदेसो कहाणुबंधो व्व सुकइ-कओ ॥ १४) तस्स देसस्स मज्झ-भाए दूसह-खय-काल-भय-पुंजियं पुण्णुप्पत्ति-सूसमेक्क बीयं पिव, बहु-जण-संवाह-मिलिय15 हला-हलारावुप्पाय-खुहिय-समुद्द-सद्द-गंभीर-सुन्वमाण-पडिरवं, तुंग-भवण-मणि-तोरणाबद्ध-धवल-धयवडुडुग्वमाण-संखुद्ध-15 मुद्ध-रवि-तुरय-परिहरिजंत-भुवण-भागं, णाणा-मणि-विणिम्मविय-भवण-भित्ति-करंबिजंत-किरणाबद्ध-सुर-चाव-रम्म-णयलं, महा-कसिण-मणि-घडिय-भवण-सिहर-प्पहा-पडिबद्ध-जलहर-वंद्र, णिय-करयल-ताडिय-मुरव-रविजंत-गीय-गजिय-णिणाय, 18 तविय-तवणिज्ज-पुंजुज्जल-ललिय-विलासियण-संचरंत-विज्जु-लय तार-मुत्ताहलुद्ध-पसरंत-किरण-वारि-धारा-णियरं णव-पाउस- 18 समयं पिव सब्व-जण-मणहरं सुव्वए णयरं । जं च महापुरिस-रायाभिसेय-समय-समागम-वासवाभिसेय-समणंतर-संपत्त णलिणि-पत्त-णिक्खित्त-वारि-बावड-कर-पुरिस-मिहुण-पल्हत्थिय-चलण-जुयलाभिसेय-दसण-सहरिस-हरि-भणिय-साहु-विणीय21 पुरिस-विणयंकिया विणीया णाम णयरि ति। 21 १५) सा पुण कइसिय । समुई पिव गंभीरा महा-रयग-भरिया य, सुर-गिरी विय थिरा कंचणमया य, भुवणं पिव सासया बहु-वुत्तता य, सग्ग पिव रम्मा सुर-भवण-णिरतरा य, पुहई विय वित्थिण्णा बहु-जण-सय-संकुला य, पायालं 24 पिव सुगुत्ता रयण-पदीवुजोइया यत्ति । अवि य । चंद-मणि-भवण-किरणुच्छलंत-विमल-जल-हीरण-भएण । घडिओ जीए विहिणा पायारो सेउ-बंधो ब्व ॥ जत्थ य विवणि-मग्गेसु वीहीओ वियव-कामुय-लीलाओ विय कुंकुम-कप्पूरागरु-मयणाभिवास-पडवास-विच्छडाओ। 27 काओ वि पुण वेला-वण-राईओ इव एला-लवंग-कक्कोलय-रासि-गभिणाओ । अण्णा पुण इन्भ-कुमारिया इव मुत्ताहल- 27 सुवण्ण-रयणुजलाओ । अण्णा छेछइओ इव पर-पुरिस-दसगे वित्थारियायब-कसण-धवल-दीहर-णेत्त जुयलाओ । अण्णा खलयण-गोटि-मंडली इव बहु-विह-पर-बसण-भरियाओ । तहा अण्णाओ उण खोर-मंडलिओ इव संणिहिय-विडाओ 1). "वउ, J दक्खिण्णायचाई, J सुहमओ, J च्चिय जिअउ, J लोअंमि P लोयंमि, J अवि य for अह्वा. 2) JP "रमि, J सुअणो, JP न, चेय, पेक्वामि, उच्च यं. 3) Pएत्थ पुण,J उक्खह, केवला, तह, P निसुणंतु, JP ति॥॥ 4) P णाही, P नेमिलं, P चकं, Pom. अवि य. 5) P बहुविहकुल, P अ for विP वेयडनगवि. 6) यारंभि, J मज्झदेसो, P य for सु. 7) Jपभूत for बहु, गजिअ P गद्दिय. 8) P°उलासमयकेया, P-निहाओ, P-निहाय, P उर for उल. 9) P उहरि'. 10) पक्वाभिघायलण, J गोवियणो गोविअण, Pरसखिप्प. 11) पहिअयणो पहिअयण, Pहासिज, णिअणो, Jणअणा, मण्ड. 12) Jहरो बत्ति, P माणहरो. 132 कव्बाबंधो, कउ ।। छ ।1. 14)P काले, वंचियं P पुंजिया, P पुण्णप्पत्ति, बीड, पिवा. 15) P"हलहला,J°बुप्पय . P पडिरवा, P संखुद. 16) P भाया, P नाणामणिनिम्मविय,J विज, P कराविज्जत, Pणावबद्ध, P नयला. 17) Pom. महा, J घडिअ, J has a danda after "प्पहा, बद्धा for वंद्रं J करअल, P ताडियसुरवर गिजंत, निनाया. 18) P°सिणीयण, P लया, J ताल-, P हलुट्टप', Pणघरवारि, Pणियरा, P महा for णव. 19) Jom. सब, Pमणोहरा, P सुबइ, P नयरी, P जा य महारिस, P"सेयमणंतर. 20) Jom. नलिणि of P, P निक्खि, I om. कर, पल्हथिअ. 21) Fविणीयंकिया, P नाम, P नयरि. 22) P"सिया, P समुद्दो विय, I गिरि वित्र, च for य. 23)Pबुत्ता च, P निरं', व for विय, P विच्छन्ना. Jom. सय. 24)J सगुत्ता, P पईवु, I जोइय त्ति ॥छ ।.25) P लंधण for हीरण, Pघडिय व जीय, J7 || छ।.26)Jom. य. विमणि, वीहिओ विअडकामुअP वीहीविय त्ति कामुग, विय, वयणाहिवास, P पडिवासविच्छद्धाओ. 27) P चिय for इव, P कंकोलय, P गत्तणाउ, P कुमारियाउ चिय. 28) P विव for श्व, P दंसणस्थ for दंसणे. J वित्थारियअवकसण, P "रियायं च कसिण, P नेत्त, जुम P अन्ना. 29) J गण्ड', Pमंडलीओ इय, विविहबहुयर for बहु etc., J "याओ॥ छ॥, P अन्ना उण, मण्ड', सणि , P सन्निहिय. Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 उज्जोयणसूरिविरइया 1 कच्छउड-णिक्खित्त-सरस-णहवयाओ य। अण्णा गाम-जुवईओ इव रीरिय-संख-वलय-काय-मणिय-सोहाओ कच्चूर-चयण- 1 जिम्महंत-परिमलाओ य । अण्णा रण-भूमीओ इव सर-सरासणभसं-चक्क-संकुलाओ मंडलग्ग-णिचियाओ य । अण्णा मत्त3 मायंग-घडाउ इव पलंबत-संख-चामर-घंटा-सोहाओ ससंदूराओ य । अण्णा मलय-वण-राईओ इव संणिहिय-विविह-ओसहीओ 3 बहु-चंदणाओ य । अण्णा सज्जण-पीईओ इव सिणेह-णिरंतराओ बहु-खज-पेज-मणोहराओ य । अण्णा मरहटिया इव उद्दाम हलिही-रय--पिंजराओ पयड-समुग्गय-पओहर-मणोहराओ य । अण्णा गंदण-भूमिओ इव ससुराओ संणिहिय-महुमासाओ त्ति। 6 8१६) अवि य । जं पुहईऍ सुणिजइ दीसइ जं चिंतियं च हियएण । तं सर्व चिय लब्भइ मग्गिजंतं विवणि-मग्गे ॥ जत्थ य । जुवईयण-णिम्मल-मुह-मियंक-जोण्हा-पवाह-पसरेण । घर-बावी-कुमुयाई मउलेडं णेय चाएंति ॥ जिम्मल-माणिक-सिहा-फुरंत-संकंत-सूर-कंतेहिं । दिय-रा-णिब्विसेसाइँ णवरि वियसंति कमलाई॥ जल-जंत-जलहरोत्थय-णहंगणाहोय-वेलविजंता । परमत्थ-पाउसे वि हु ण माणसं जति घर-हंसा ॥ कर-ताडिय-मुरव-रखुच्छलंत-पडिसद्द-जिउक्कंठा । गिम्हम्मि वि हलबोलेंति जत्थ मत्ता घर-मऊरा ॥ णेउर-रव-रस-चलिया मग्गालगंत-रेहिरा हंसा । जुबईहि सिक्खविजंति जत्थ बाल व्व गइ-मग्गे ॥ भणिए विलासिणीहिं विलास-भणियम्मि मंजुले वयगे । पडिभणिएहि गुणेइ व घर-पंजर-सारिया-सत्थो ॥ जत्थ य पुरिसो एकेकमो वि मयरद्धओ महिलियाण । महिला वि रई रइ-वम्महेहिं ठाणं चिय ण लद्ध। 15 इय जं तत्थ ण दीसइ तं णत्थि जयम्मि किंचि अच्छरियं । जं च कहासु वि सुव्वइ त संणिहियं तहिं सव्वं ॥ 15 अह एक्को चिय दोसो आउच्छ-णियत-बाह-महलाई । दइया-मुहाइँ पहिया दीणाई ण संभरंति जहि ॥ १७) जत्थ य जणवए ण दीसइ खलो विहलो च । दीसह सजणो समिद्धो व, वसणं णाणा-विण्णाणे व, उच्छाहो 18 धगे रणे व, पीई दाणे माणे व, अब्भासो धम्मे धम्मे व त्ति । जत्थ य दो-मुहर णवर मुइंगो वि । खलो तिल-वियारो वि।18 सूयओ केयइ-कुसुमुग्गमो वि। फरुसो पत्थरो वि। तिक्खओ मंडलग्गो वि । अंतो-मलिणो चंदो वि । भमणसीलो महुयरो वि । पवसइ हंसो वि । चित्तलओ बरहिणओ वि । जलु कीलालो वि । अयाणओ बालओ वि । चंचलो वाणरो वि। 21 परोवयावी जलगो वित्ति । जस्थ य पर-लोय-तत्ती-रय णवर दीसंत साहु-भडरय । कर-भग्गई णवर दीसंति वर-करिहिं महमई ॥ दंडवायाइं णवरि दीसंति छत्ताण य गचणहं । माया-वंचणाई णवरि दीसंति इंदियालिय-जण ॥ 24 विसंवयंति णवर सुविणय-जंपियई । खंडियई वरि दीसंति कामिणियणहो अहरइं । दढ-बद्धई णवरि दीसंति कणय-24 संगहेहिं महारयणई । वलामोडिय घेण्पति णवर पणय-कलह-कय-कारिम-कोव-कुविय-कंत-कामिणियणहो अहरई वियव कामुएहिं ति । अहवा। 27 कह वणिजइ जा किर तियसेहिं सक्क-वयणेण । पढम-जिण-णिवासत्थं णिम्मविया सा अउज्झ ति ।। ९१८) तम्मि य राया दरियारि-वारण-घडा-कुंभ-स्थल-पहर-दलिय-मुत्ताहलो । मुत्ताहल-णिवह-दलंत-कंत-रय-धूलि-धवल-करवालो॥ 1) P निक्वित्त, P अन्ना, Pरीरीया, J क्या for वयण. 2) P निम्प, P अन्ना, सरासणभस P सराणम्भसं, मण्ड', Jणिचिआउ P निचिलाओ, P अन्ना. 3) P चिय for इव, अ for य, अन्ना, मल अ, राइउ, सण्णि° P सन्नि', P विविहोस. 4) P अन्ना, पीतीओ इव P पाईतो यव, Pनिरं', पेम्म for पेज्ज, P अन्ना, मरहट्रिआ r मरह ट्ठियाओ. 5) Jadds य before पयट, P समुग्ग for समुग्गय, सण्णि P सनि. 7 I हिअरण || छ ॥, 'जीए च for जत्थ य. 8) J जुबईअण P जुईयण, P निम्मल, कुमुआई P नेय चायंति. 9) P गिम्मल, P संकंतरविकरग्गेहिं ।, J कन्तेहिं ।, J दिअ, P निन्धि", Jणवरं P नवरि, विअसंति. 10) Pणभंगणामोय, P न. 11) JP गिम्हंमि, P जत्त. 12) P नेउर, सं for रस, P जुयईहिं. 13) विलाण, भणियं पि F वश्यंमि, सारिआ. 14) J चिअ, P न. 15) P न, P नत्थि, JP जयंमि, Jण for वि, JP सण्णि ". 16) P चियं, P नियत्तवाह, P न. 17) Pa for व, P व for व, J वसणु णाणा, P वसणन्नाणे विन्नाणे च, उच्छाहु. 18) पीती, JP माणे च, J धम्मे । धम्मे च त्ति ॥ छ ।।, P धम्मे धम्मे च, P नवर, P तिलवयारो. 19> I सूअउ' P सूअओ, केअइP केइ, Pकुसुम", J फरुस, J तिक्खउ । तक्खओ, J मण्ड' P मंडलो वि, सीलु. 20) I वरहिणउ P विरहिणो, वालउ वालउ वि, रवि for वि, चवलु बी (य)णवो वि for चंचलो etc., P वानरो. 21) PR for वि, त्ति ॥ छ ।।, Jom. य. 22) Jलोअ, P भरय ।, P भगई नवर, P करहिं, P महादुमई. 23) P दंडवायईनवरि, J adds on the margin छत्ताण...नवर दीसंति, P नच्चणहं, बंचणयं,J नवर P नवरि. 241 जंपिअई, खण्टिअई, P नवरि, J "णिअणहो, Pणीणहहो, I णवर P नवरि. 25) P रयणाई, वलयामोडिय घेप्पति, P वलामोडिए, P नवर, P°म कारियकोव, J कुविअ, J कामिणिअणहो P कामिणीअणहो. 26) J ति ॥ छ ।, P "एहि त्ति27) Pनिवा", P निम्म', P सा विउ, त्ति ॥ छ || Pत्ति ॥ छ।. 28) तंमि,J om. य. 29) P वारणाघट, Pनिवह, P धूलिचवल. Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२१] कुवलयमाला 1 करवाल-सिहा-णिज्जिय-महंत-सामंत-णिवह-णय-चलणो । चलण-जुग्रल-मणि-विणब्विय-कंत-महा-मउड-घडिय-सुपीढो॥1 ति। णवरं पुण ससि-बंस-संभवो वि होऊण सयं चेय सो चोरो मुद्धड-लडह-विलासिणि-हियय-हरणेहिं, सयं चेय पर-कलत्त-रओ 3 दरिय-रिवु-सिरी-बलामोडिय-समाकणेहिं, सयं चेय सो वाडो पडिवक्ख-णरिंद-चंद्र-वाडणेहिं ति । जो य दोग्गच्च-सीय-3 संतावियाण दहणो, ण उण दहणो। णियय-पणइणि-वयण-कुमुयायराणं मयलंछणो, ण उण मय-लंछणो। विणिजयासेसपुरिस-रूवेणं अणंगो, ण उण अणंगो। दरियारि-महिहर-महावाहिणीर्ण जलही, ण उण जलही। सुयण-वयण-कमलायराण 6 तवणो, ण उण तवणो त्ति । जो य घण समओ बंधुयण कयंबयाणं, सरयागमो पणइयण-कुमुय-गहणाणं, हेमंतो पडि- 6 वक्ख-कामिणी-कमलिणीणं, सिसिर-समओ णिय-कामिणी कुंद-लइयाणं, सुरहि-मासो मित्तयण-काणणाणं, गिम्हायवो रिवु-जलासयाणं, कय-जुओ णियय-पुहइ-मंडले, कलि-कालो वइरि-णरिंद-रजेसु ति । अण्णं च । सरलो महुरो पियंवओ चाई दक्खो दक्खिणो दयालू । सरणागय-वच्छलो संविभागी पुव्वाभिभासि त्ति ॥ • संतुट्ठो सकलत्तेसु, ण उण कित्तीसु । लुद्धो गुणेसु, ण उण अत्थेसु । गिद्धो सुहासिएसु, ण उण अकजेसु । सुसिक्खिओ कलासु, ण उण अलिय-चाडु-कवड-वयणेसु । असिक्खिओ कडुय-वयणेसु, ण उण पणईयण-संमाणणेसु त्ति । अहवा। 12 गहिय सगाह-दलम्मि तम्मि अचुण्णए वियड-वच्छे । णंदण-वणे व्व कत्तो अंतो कुसुमाण व गुणाणं ॥ 12 अह सो णिय-साहस-खग्ग-मेत्त-परिवार-पणय-सामंतो । वच्छत्थल-दढ-वम्मो दढवम्मो णाम णरणाहो ॥ १९) तस्स य महुमहस्स व लच्छी, हरस्स व गोरी, चंदस्स व चंदिमा, एरावणस्स व मय-लेहा, कोत्थुहस्स व 15 पभा, सुरगिरिस्स व चूला, कप्पतरुणो इव कुसुम-फल-समिद्ध-तरुण-साहिया, पसंसिया जणेणं अवहसिय-सुर-सुंदरी-वंद्र-15 लायण्ण-सोहस्स अंतेउरिया-जणस्स मज्झे एक चिय पिययमा पियंगुसामा णाम सयंवर-परिणीया भारिय त्ति । अह तीए तस्स पुरंदरस्स व सईए भुंजमाणस्स विसय-सुहे गच्छइ कालो, वचंति दियहा य । 18 २०) अह अण्णम्मि दिवसे अब्भंतरोवत्थाण-मंडवमुवगयस्स राइणो कइवय-मेत्त-मंति-पुरिस-परिवारियरस पिय-18 पणइणी-सणाह-वाम-पासस्स संकरस्स व सव्व-जण-संकरस्स एक्क-पए चेय समागया पिहुल-णियंब-तडपिफडण-विसमंदोलमाण-मंडलग्ग-सणाह-वामंस-देसा वेल्लहल-णियय-बाहु लइया-कोमलावलंबिय-वेत्तलया पडिहारी । तीय य पविसिऊण कोमल21 करयलंगुली-दल-कमल-मउलि-ललियंजलिं उत्तिमंगे काऊण गुरु-णियंब-बिंब-मंथरं उत्तंग-गरुय-पओहर-भरोवणामियाए 21 ईसि णमिऊण राइणो विमल-कमल-चलण-जुवलयं विण्णत्तं देवस्स । 'देव, एसो सबर-सेणावइ-पुत्तो सुसेणो णाम । देवस्स चेय आणाए तइया मालवणरिंद-विजयत्थं गओ । सो संपयं एस दारे देवस्स चलण-दसण-सुहं पत्थेइ त्ति सोउं देवो 24 पमाणं' ति । तो मंतियण-वयण-णयणावलोयण-पुव्वयं भणियं राइणा 'पविसउ' त्ति । तओ 'जहाणवेसि' त्ति ससंभम-24 मुट्ठिऊण तुरिय-पय-णिक्खेवं पहाइया दुवार-पाली उयसप्पिऊण य भणिओ 'अज पविससु' त्ति ।। २१) तओ पविट्ठो सुसेणो। दिट्टो य गरवइणा वच्छत्थलाभोय-मंडलग्गाहिघाय-गस्य-वणाबद्ध-दीहर-धवल-खोम27 वण-पट्टओ त्ति, तियस-णाहो इव पांडरीय-वयणोवसोहिओ, पहरिस-बस-वियंभमाण-वयण-सयवत्तणं साहंतो इव सामिणो 27 जय-लच्छि सेणावइ-सुओ त्ति । उवसप्पिऊण य पणमिओ णेण राया । राइणा वि 'आसणं आसणं' ति आइसमाणेण पसारिय-दीहर-दाहिण-भुया-दंड-कोमल-करयलेणं उत्तिमंगे छिविऊण संमाणिओ । तओ कय-देवी-पणामो असेस-मंतियण30 कय-जहारुह-विणओ य उवविट्ठो आसणे । सुहासणत्यो य हिययभंतर-घर-भरिय-उव्वरंत-पहरिसामय-णीसंद-बिंदु-संदोहं 30 1)J corrects मणि into मण and adds हर on the margin in a later hand, P विणिम्मविय, सुवीढो. 2) P संभमो, ' होउ, सिणी, Pणेहिम् , P चेव. 3) J दरियारिउंसि', I यमाकड', वीडो for वाडो सयमेव वाडो. J वड़णेहि त्ति, दोगच्च. 4) P पणइणी- 5) "भाएण for रूवेण. 6) Jom. त्ति, J बंधुअण P बंधूयण, P कयंबाणं, सरयगमो, गयाणं. 7) J कामिणि-, J कामिणीणं, P लयाणं. 8) P किय, J "सु त्ति. 9) दक्खिन्नो, P पुवातिभासी वे त्ति. 10) P'हो कल', P लुद्धा, J सुहासिए, P मुसुक्खिओ. 11) P अलिया, J कवड for कदुय, पणईणसम्मा', ' संमायण. 12) P संगाह, P -फलं मि, P तंमि । अवुण्णए, P नंदणवणं व. 13) Pढधम्मो दढधम्मो. 14) महुस्स. 15) P पहा, P समिद्वा, J पव' for अव. 16) P सोग्ग , J °रियाण-, P एके चिय, P पिया for पिययमा, J परिणिया, J तीय. 17) सुहेहि य, P दिहहा, P om. य. 18) P अन्नंसि दियहे, P मंटलमु, । पुरिपरि , J वारयस्स, J वियप्पिय for पिय. 19) P जणपए, चेय, J पिहुण-, णियंवयदुप्फि, P विसअंदोलण. 20) J देसे, निययनि भय, P om. य, P सित्तण. 21) P करयंगुली, P मउलललियमंगे, P गरुय नियंब, J -गुरुय, " भारावणा'. 22) P अब for ईसि, P om. कमल, P जुयलं विन्नत्तं, Pom. देवरस, J om. देव, विश्णो उत्तो, " मसेणे नामा ।, ' देवपासे चेव. 24) पमाणो, Jom. ति।, P वयणलीलावणोवणा;, P om. भणियं, P जं आण'. 25) Jभमुट्टि', J पयणुक्खेवं P निक्खें, दुआर', JP उअस, P अजउत्त- 26) I स्थलोभयसमण्ड', P -गुरुय. 27) P दियस, विससमाण, P वन्नेणं, P विय for इव. 28) P'वइओ तो त्ति, P om. य, P रायणो वि, J आसणहि आई. 29) I 'रिया दीहं दा, J भुअदण्ट, I करेणं, J सम्मान समा', P देवि.. 30) Jom. कय, P व for य, P उपविट्ठो, P या for य, P om. घर, P भरिउव्व', I णिसंद. Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [$२१1 पिव मुंजमाणेणं णिद्ध-धवल-विलोल-पम्हल-चलंत-णयण-जुवलेणं पलोइऊण राइणा 'कुमार, कुसलं' ति पुच्छिओ। सविणयं 1 पणमिऊण उत्तिमंगेण 'देवस्स चलणे-जुयल-दसणेणं संपर्य खेम' ति संलत्तं कुमारेण । २२) पुच्छिओ राइणा 'मालवणरिंदेण सह तुम्हाणं को वुत्तंतो' त्ति । भणियं सुसेणेण । 'जयउ देवो। इओ 3 देव-समाएसेणं तहिं चेय दिवसे दरिय-महा-करि-तुरय-रह-णर-सय-सहस्सुच्छलंत-कलयलाराव-संघट्ट-घुट्ठमाण-णयलं गुरुभर-दलंत-महियलं जण-सय-संबाह-रंभमाण-दिसावहं उइंड-पोंडरीय-संकुल संपत्तं देवस्स संतियं बलं । जुझं च समाढत्तं । 6तओ देव, सर-सय-णिरंतरं खग्गग्ग-खणखणा-सद्द-बहिरिय-दिसिवहं दलमाण-संणाह-च्छणच्छणा-संघटुंत-जलण-जाला- 8 कराल-भीसणं संपलग्गं महाजुद्धं । ताव य देव, अम्ह-बलेणं विवडेंत-छत्तयं णिवडत-चिंधयं पडत-कुंजरं रडत-जोहयं खलंत आसयं फुरंत-कोतयं सरंत-सर-वरं दलंत-रह-वरं भग्गं रिउ-बलं ति । तओ घेप्पंति सार-भंडारयाई सेणिएहिं । ताणं च मज्झे 9एको बालो अबाल-चरिओ पंच-वरिस-मेत्तो तस्स राइणो पुत्तो ससत्तीए जुज्झमाणो गहिओ अम्हेहिं । तओ देव, एस सो , दुवारं पाविओ अम्हेहिं' ति । राइणा भणियं 'कत्थ सो, पवेसेसु तं' । 'जहाणवेसु' त्ति भणमाणो णिग्गओ, पविटो य तं घेत्तुं । भणियं च 'देव, एस सो' त्ति । 12 २३) कुमारो वि भविस्स-महा-गंधगओ विय अदीण-विमणेहिं दिटि-वाएहिं पलोएंतो सयलमत्थाण-मंडलं उवगओ 12 राइणो सयासं । तओ राइणा पसरंततर-सिणेह-णिब्भर-हियएण पसारिओभय-दीहर-भुया-दंडेहिं गेण्हिऊण अत्तणो उच्छंगे णिवेसिओ, अवगूढो य एसो । भणियं च णरवइणा 'अहो वज-कढिण-हियओ से जणओ जो इमस्स वि विरहे जियइ'त्ति। 15 देवीए वि पुत्त-णेहेणमवलोइऊण भणियं 'धण्णा सा जुयई जीए एस पुत्तओ, दारुणा य सा जायस्स विरहम्मि संधीरए15 अत्ताणयं' ति । मंतीहिं भणियं 'देव, किं कुणउ, एरिसो एस विहि-परिणामो, तुह पुण्ण-विलसियं च एयं । अवि य। कस्स वि होति ण होंति व अहोंति होति व कस्स वि पुगो वि। एयाओं संपयाओ पुण्ण-वसेणं जणवयम्मि ॥ 18६२४) पुत्थंतरम्मि हिययभंतर-गुरु-दुक्ख-जलण-जालावलि-तत्तेहिं बाह-जल-लवेहिं रोविडं पयत्तो कुमारो । तओ18 राइणा ससंभमेण गलिय-बाह-बिंदु-प्पवाहाणुसारेणावलोइयं से वयणय जाव पेच्छइ जल-तरंग-पव्वालियं पिव सयवत्तयं । तओ 'अहो, बालस्स किं पि गरुयं दुक्खं' ति भणमाणस्स राइणो वि बाह-जलोल्लियं णयण-जुवलयं । पयइ-करुण-हिययाए 21 देवीओ वि पलोट्टो बाह-पसरो। मंतियणस्स वि णिवडिओ अंसु-बाओ। तओ राइणा भणियं । 'पुत्त कुमार, मा अद्विई 21 कुणसु' त्ति भणमाणेण णियय-पटुंसु-अंतेण पमज्जियं से वयण-कमलयं । तओ परियणोवणीय-जलेण य पक्खालियाई णयणाई कुमारस्स अत्तणो देवीय मंतियणेणं ति ।। 24 ६ २५) भणियं च राइणा 'भो भो सुर-गुरु-प्पमुहा मंतिणो, भणह, किं कुमारेण मह उच्छंग-गएण रुग्णं' ति । 24 तओ एकेण भणियं 'देव, किमेत्थ जाणियब्वं । बालो खु एसो माया-पिइ-विउत्तो विसण्णो । ता इमिणा दुक्खेण रुण्णं' ति। __ अण्णेण भणियं 'देव, तुम पेच्छिऊग णियए जणणि-जणए संभरियं ति इमिणा दुक्खेण रुणं' ति । अण्णेण भणियं 'देव, 7 तहा जं आणियं ति, कत्थ राया देवी य कं वा अवत्थंतरमणुभवंति, इमिणा दुक्खेण रुपणं' ति । राइणा भणियं 'किमेत्थ 27 वियारेण, इमं चेव पुच्छामो'। भणिओ य राइणा 'पुत्त महिंदकुमार, साहह महं कीस एयं तए रुण्णय' ति । तओ ईसि ललिय-महुर-गंभीरक्खर भणियं कुमारेण । 'पेच्छह, विहि-परिणामस्स ज तारिसस्स वि तायस्स हरि-पुरंदर-विक्कमस्स एयस्स 30 एरिसे समए अहं सत्तुयणस्स उच्छंग-गओ सोयणिज्जो जाओ त्ति । ता इमिणा मह मण्णुणा ण मे तीरइ बाह-पसरो रुभि-30 1) Pणेण नि, P पम्हलं-, नयणजुयलेणं, P सविणय पणउत्ति. 2) P has जुयल twice. 4) एसेण, " चेव दियहे, P सहसु, P फुट्ठमाण. 5) संवाह, P कडमाणदिसी', " देवसत्तियं, P जुद्धं. 6) P दरल', 'सन्नाह, P च्छणसं'. 7) J देवम्हबलेण, J om. विवडेंतछत्तयं, P बलिंतर्विधयं. 8) P रिपुः, P भंडायाराई, ताणिएहि for सेणिएहिं. 9) P चरिउ, ससूत्ती. 10) P पवियो, I हि त्ति, P पवेससु, P वेस त्ति, I a for य which ' om. 11) णियं व for भणियं च. 12) P गंधराओ, I विअ P विव, P om. दिद्विवाए हिं, ' पलोयंतो, P उवागओ. 13) Iom. तओ, राइणा वि, P "रंत सिणेह, P गिन्हि'. 14) P च राहणा, कढिणो से. 15) देवीय, J जीय, सा जा इमरस, P तं धीरे for संधीरए. 16) P मंतीहि, P विहसियं. 17) Pइ for वि, वि for व, P अह होंति व कस्स वी पुणो हुँति ।, P पुन्न-- 18) वली, I तत्तेहि. 19) J वाहा, P -पवाहा', P 'लोवियं, वयणं, P तरलजलरंपञ्चा'. 20) I तओ बालस्स अहो किं, P जुयलयं, P पइ for पयइ. 21) देविय, P पलोडिओ बाहु, P निवाओ for वाओ, P ततो, P अद्धियं. 22) P अर्द्धतेण, P om. य. 23) P नयणीह. 24) P -पमुद्दा, I om. मह. 25) वि भणिों ,J-पितिवि. 26) P 'भरिए त्ति, J त्ति ता इमिणा. 27) P तहा तंमि समए ण याणीयइ कत्थ, देवी वा कं P देवी य वा, P अवत्थंतरं अणुवंति. 28) Pपुच्छा मि, P om. य, I ताय for पुत्त, P साहमहं, Jom. महं, एयन्तप, P रुव्वा त्ति, Pइसि. 29) Pमहुयर, P तारिसयस्स, P om. एयस्स. 30) P-गणरस उत्संग, ए मन्नुणा, P om. मे, P भंति for रंभि. Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२८] कुवलयमाला ११ । ऊणं' ति । तओ राइणा विम्याबद्ध-रस-पसर-खिप्पमाण-हियएण भणिय । 'अहो, बालस्स अहिमाणो, अहो सावटुंभत्तणं, 1 अहो वयण-विण्णासो, अहो फुडक्खरालावत्तणं, अहो कजाकज-वियारणं ति । सव्वहा विम्हावणीयं एयं, जं इमाए वि अव3 स्थाए एरिसो बुद्धि-वित्थरो वयण-विण्णासो यत्ति भणमाणेण राइणा पलोइयाइं मंति-वयणाई । तओ मंतीहिं भणिय। 3 'देव, को एत्थ विम्हओ । जहा गुंजाहल-फल-प्पमाणो वि जलणो दहण-सहावो, सिद्धत्थ-पमाणो वि वइर-विसेसो गुरू सहावो, तहा एए वि महावंस-कुल-प्पसूया रायउत्ता सत्त-पोरुस-माण-प्पमाण-प्पभूय-गुणेहिं संवडिय-सरीरा एव होति । 3 अण्णं च देव, ण एए पयइ-पुरिसा, देवत्तण-चुया सावसेस-सुह-कम्मा एत्थ जायंति' त्ति । तओ राइणा भणियं 'एवं 6 चिय एयं, ण एत्थ संदेहो' ति। २६) भणिओ य साणुणयं कुमारो राइणा 'पुत्त महिंदकुमार, मा एवं चिंतेसु जहा अहं तुम्हाणं सत्त । जं सच्चं ) आसि ण उण संपयं । जत्तो चेय तुम अम्हाण गेहे समागओ, तओ चेव तुह दंसणे मित्तं सो राया संवुत्तो। तुम च मम 9 पुत्तो त्ति । ता एवं जाणिऊण मा कुणसु अद्धिई, मुंचसु पडिवक्ख-बुाई, अभिरमसु एत्थ अप्पणो गेहे। अवि य जहा सव्वं सुंदर होहिद तहा करेमि' ति भणिऊण परिहिओ से सयमेव राइणा रयण-कंठओ, दिण्णं च करे करेणं तंबोलं । 2 'पसाओ' त्ति भणिऊण गहियं, समपिओ य देव-गुरुणो। भणिओ य मंतिणो 'एस तए एवं उवयरियव्वो जहा ण कुलहरं 12 संभरइ त्ति । सवहा तहा कायव्यो जहा मम अउत्तस्स एस पुत्तो हवइ' ति । तओ कंचि कालं अच्छिऊण समुट्रिओ राया आसणाओ, कय-दियह-वावारस्स य अइकतो सो दियहो । २ ७) अह अण्णम्मि दियहे बाहिरोवत्थाण-मंडवमुवगयस्स दरिय-महा-णरिंद-चंद्र-मंडली-परिगयस्स परवइणो 15 सुर-गिरिस्स व कुल-सेल-मज्झ-यस्स आगया धोय-धवल-दुगुल्ल-जुवलय-णियंसणा मंगल-गीवा-सुत्तमेत्ताहरण-रेहिरा ललियमुणाल-धवलुजल-केस-कलाविया सरय-समय-ससि-दोसिणा-पवाह-पूर-पव्वाल-धवला इव छण-राई सुमंगला णाम राइणो 3 अंतेउर-महत्तरि त्ति । दिवा य राइणा पोढ-रायहंसी विय ललिय-गइ-मग्गा । आगंतूण य ताए सविणयं उवरिम-वत्थद्धत- 18 ठहय-वयणाए वर-रयण-कोंडलालंकिए विविह-सत्थत्थ-वित्थर सयपणे दाहिण-कपणे किं पि साहियं । साहिऊण णिक्खता । तओ राया वि किंचि विभाविजमाण-हिययभतर-वियंभंत-वियप्पणा-सुण्ण-णयण-जुयलो खणं अच्छिऊण विसज्जियासेस। णरिद-लोओ समुट्रिओ आसणाओ, पयट्टो पियंगुसामाए वास-भवणं । २८) चिंतियं च णरवइणा 'अहो इमं सुमंगलाए साहियं जहा किर अज देवीए पियंगुसामाए सुबई पि रुण्णमाणाए अलंकारो विय ण गहिओ आहार-वित्थरो, अमाणो विय अवलंबिओ चिंता-भारो, परिमलिय-पत्त-लेक्ख पिव विच्छाय * वयण-कमलयं, माणसं पिव दुक्खं अंगीकयं मोणयं ति । किं पुण देवीए कोव-कारण हवेज' त्ति । महवा सयं चेव चिंतेमि। 24 'महिलाणं पंचहिं कारणेहिं कोवो संजायइ । तं जहा । पणय-खलगेण, गोत्त-खलणेणं, अविणीय-परियणेणं, पडिवक्खकलहणेणं, सासु-वियत्थणेणं ति । तत्थ ताव पणय-क्खलणं ण संभाविज्जइ त्ति । जेण मह जीवियस्स वि एस चेय सामिणी, 7 अच्छउ ता धणस्स त्ति । बह गोत्त-खलणं, तं पि ण । जेण इमीए चेय गोत्तेण सयलमंतेउरिया-जणमहं सद्देमि त्ति । अहा परियणो, सो वि कहिंचि मम वयण-खंडणं कुणइ, ण उण देवीए त्ति । पडिवक्ख-कलहो वि ण संभाविज्जइ । जेण सव्वो चेय मम भारियायणो देवयं पिव देवी मण्णइ ति, तं पि णस्थि । सेसं सासू-भंडणं, तं पि दूराओ चेव णस्थि । जेण अम्ह जणणी महाराइणो अण्णारुहिय देवी-भूय त्ति ता किं पुण इमं हवेज'। चिंतयंतो संपत्तो देवीए वास-भवणं, ण उण 30 5 21 1) रायणा वयणवि', I om. रस, P वस for पसर, J -क्खिप्प'. 2)P विन्नासत्तणं, रालवत्तण, P'वणीयमेयं, P इमाए व उवत्था रिए परिसी बुद्धी-- 3) I om. य, P पुलों, P ततो. 4) P om. हल, Pथप्प. 5) प्पसूता। रायपुत्ता । संते पोरुसे। माणप्पभूतीहिं सह संवड्डिय, P चेव for एव, होंति त्ति ।. 6) Jom, ण, चुआ एव, P सुभ-.8) P ता for पुत्त, P अम्हं, तुम्हाण, JP सत्तु. 9) जाउ चेव तुम्हं अम्हाणं, P मित्तत्त, P संवुत्तं . 10) अद्धेदुं, P पडिवज्जा, अहिर',dom. एत्थ, गेहं for गेहे, I om. अवि य. 11) Pसव्वसुं, होहि त्ति, J करीद्दामो, राइणा वयणे, J करें करेण Pकरं का. 12) Pom. त्ति, Pom. य, [भणिओ] added by Ed., P जहणं. 13) P हवउ, किंचि. 14) J य after आसणाओ, Pom. य, Pom. सो. 15) P नरिंदचंद्र. 16) र for व, P दुगूल, Pom. जुवलय. 17) Pom. समय, P पच्छालण-. 18) J महंतेउर महंतारिअत्ति ।, P om. य. 19) ठश्य in i looks like a later correction, P-टुझ्य, Pणाए व वर, कोण्डला' Pकुंडला. 20)F किं for वि, Jom.वि, विभंत omitted by P, P 'प्पणसुन्न . 21) F समुवडिओ. 22) J इमं मम सु', P भत्त for रुण्ण. 23) यमाणो विअP मोणो चिय, P om. परि, P लेख. 24) J कयंमाण त्ति । ता किं, "जं ति।, Jom. चेव. 25) संजायइ त्ति | P जायइ।, P चखलणेण, P क्वल', Pणीयं. 26) J सासवि,J चखलणं P जलणं, P 'वियइ, Pom. वि, P व or व्वेव. 27) P ता वण्णरस, P णो for ण, I इमीय, 1 अहवा for अह. 28) J कह वि मम, P देवीउ, P खलणं पि for कलहो वि, विजा त्ति P संभावीयइ. 29) P om. चेय, J om. देवी, Pom. त्ति, Jom. तंपि णस्थि, P नत्थि ससं, P दूरओ, जेणम्ह. 30P 'राइणा, P अणुरुभिय, P एयं for इमं, देवीवास, P तओ ण for ण उण. Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसूरिविरइया [६२८1 दिदा देवी। पुच्छिया एक्का विलासिणी 'कत्थ देवि' त्ति। तीए ससंभमं भणिय 'देव, कोवहरयं पविट्ट' त्ति । गओ कोव- 1 हरयं । दिट्टा य णेश देवी उम्मूलिया इव थल-कमलिणी, मोडिया इव वण-लया, उक्खुडिया इव कुसुम-मंजरी। पेच्छमाणो 3 उवगओ से समीवं । तओ पहुंसुय-मसूरद्धंत-णिमिय-णीसह-कोमल-करयला गुरु-घण-जहण-भरुव्वहण-खेय-णीसास-णीसहा ३ सणियं सणियं अलसायमाणी अब्भुढिया आसणाओ । दिणं च राइणो णिययं चेय आसणं ति । उवविट्ठो राया देवी य । ६२९) तओ भणियं च राइणा 'पिए पिए अकोवणे, कीस एयं अकारणे चेय सरय-समयासार-वारि-धारा-हयं पिव 6 पल्हत्थं कोमल-बाहु-लइया-मुणाल-णालालीणं समुव्वहसि वयण-कमलयं ति । कीस एयं अणवरय-बाह-जल-पवाह-णयण- 6 प्पणाल-णाल-वस-पव्वालियं पिव थणवढे समुव्वहसि । णाहं किंचि अवराह-ट्ठाणमप्पणो संभरामि त्ति । ता पसिय पिए, साह किं तुभ ण संमाणिओ बंधुयणो, किं वा ण पूईओ गुरुयणो, किं ण महिओ सुर-संघो, किं वा ण संतोसिओ पणइ9 वग्गो, अहवाविणीओ परियणो, अहवा पडिकूलो सवत्ती-सत्थो त्ति । सव्वहा किं ण पहुप्पइ मए भिश्चम्मि य पिययमाए, ७ जेण कोवमवलंबिऊण ठियासि ति । अहवा को वा वियड-दाढा-कोडि-कराल-भीम-भासुरं कयंत-वयण-मज्झे पविसिऊण : इच्छह । अहवा णहि णहि, जेण तुमं कोविया तस्स सुवण्णद्ध-सहस्सं देमि । जेण कोवायंब-णयण-जुवलं सयवत्त-संपत्ता12 इरित्त-सिरी-सोहियं किंचि णिवोल्लियाहर-दर-फुरंत-दंत-किरण-केसरालं कजल-सामल-विलसमाण-भुमया-लया-भमर-रिछोलि-12 रेहिरं चारु-णयण-कोस-बाह-जल-महु-बिंदु-णीसंदिरं अउव्व-कमलं पिव अदिट्ठ-उब्वयं मम दंसयंतेण अवकरेंतेणावि उवकय तेण । 15६ ३०) तओ ईसि-वियसिय-विहडमाणाहरउडतर-फुरंत-दंत-किरण-सोहियं पहसिऊण संलत्तं देवीए । 'देव, तुह पसा-15 एण सव्वं मे अस्थि किंतु णवर सयल-धरा-मंडल-णरिंद-वंद्र-मंडली-मउड-मणि-णिहसण-मसणिय-चलण-जुयलस्स वि महा राइणो पिय-पणइणी होऊण इमिणा कजेण विसूरिमो, जं जारिसो एस तीए धण्णाए कीए वि जुयईए पिय-पुत्तओ सिणेह18 भायणं महिंदकुमारो तारिसो मम मंद-भागाए तइयं पि णाहेण णस्थि । इमं च भावयंतीए अत्ताणयस्स उरि णिब्वेओ,18 तुह उवीरें मम कोवो संजाओ' त्ति । तओ राइणा हियएण पहसिऊण चिंतियं । 'अहो पेच्छह अविवेइणो महिलायणस्स असंबद्ध-पलवियाई। अहवा, A एरिसं चेव अलिया-मलियासंबद्ध-प्पलाविएहिं । हीरंति हिययाइं कामिणीहिं कामुययणस्स' त्ति ॥ चिंतयंतेण भणिय 'देवि, जं एयं तुह कोव-कारणं, एत्थ को उवाओ । देब्वायत्तमेयं, ण एत्थ पुरिसयारस्स अवसरो, अण्णस्स वा । भण्णइ य। । अस्थो विजा पुरिसत्तणाई अण्णाइँ गुण-सहस्साई । देब्वायत्ते को सब्वाइँ जणस्स विहडंति ॥ ता एवं ववस्थिए कीस अकारणे कोवमवलंबसि। ३१) तओ भणियं देवीए 'णाह, णाहमकजे कुविया, अवि य कजे च्चिय । जेण पेच्छह सयल-धरा-मंडलब्भंतरे जोय-जोयणी-सिद्ध-तंत-मंत-सेवियस्स महाकालस्स व तुज्झ देव-देवा वि आणं पडिच्छंति, तह वि तुह ण एरिसी चिंता संपजइ । किं जइ महाराओ उजमं च काऊण किंपि देवयं आराहिऊण वरं पत्थेइ, ता कहं मम मणोरहो ण संपजइ ति। ता पसीय मम मंद-भागिणीए, कीरउ पसाओ' ति भणमाणी णिवडिया से चलण-जुवलए राइणो । णिवडमाणी चेव अवलं30 बिया दीहरोभय-बाहु-डंडेहिं पीणेसु भुवा-सिहरेसु। तओ वण-गएण व कर-पब्भार-कलिया मुणालिणि व्व उक्खिविऊण 30 1) P पुच्छिया य, P चेडिया for विलासिणी, भणियं ति, P पवितुत्ति. 2) Pom. थल, Pइव चलयणया, "डियाउ. 3) I om. से, सूरयर्द्ध , P करलया, Jom. धण, P खेय, Pणीसास twice. 4) P"णियमल', Jणियं, Pom. चेय, P om. ति. 5) J_om. च, J कोवणे. 6) P -नालालीलं, P कयण, यन्ति । । -पवाहप्पवाह. 7)-प्पणाल, P नालयसरपव्वा', P बट्टमुव्व', Pरावि त्ति. 8) J तुभ ण P तुह् न, अणो न जणो for यणो in both places, Jy किण्ण, P सुरं, P ता for वा, P पणय- 9)P आउण for अहवा', P अह प", P सवत्ति, किण्ण P किं वा ण, P om. य. 10) P om. त्ति, चियड, P"मज्ज. 11) J सुवण्णट्ट, कोवासंयंवण" P "यंचण', P जुयलं, सयपत्त. 12) सिरि, Jहरहर P हरंत for हर, P om. दर, P विमलस, Pनुमया लिया, JP रिच्छोलि. 13) Pकोवसवाह, 'निसं", P पुवं for उच्वयं, J अपकरेंते° P अवकारते. 15) विह सिय,J उटुंतर. 16)P किंतु एकं नवर, J मण्डव, नरिंदचंद्र.. हसणा. 17) Pवि होऊग, तीअ, P की, P जुवईपिय, पियय-. 18) 'दयकु, तए व for तइयं पि, Pणाहे णित्थि तिI, P om. च. 19) P उवरि, J om. मम, J संजाओ P जाउ, P अविवेगिणो. 20) P om. अहवा. 21)P "याहिं कामिणीहिं कामुअजणस्स य त्ति for the whole stanza: एरिसं...त्ति।। 22) Pचिंतियं, जं तए एवं om. तुह, कोष ओवा, Pदेवाय. 24) J some marginal addition of missing words, Pसत्तणं च अन्नाई. 26) Pom. णाह, 'पेच्छ, P'मंतर. 27) जोयणी P जोयणो, Pवि न तुह. 28) Pमहाराउ, Pom. च, P om. वरं. 29) Pपसिय, P भाइणीए, गणिअटिआ, P निवडिया, Pom. से, P जुवयले. 30) J डण्डे हिं P दंडेहिं, P भयासिह, करिमार, Pउक्खुवि . Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३३] कुवलयमाला । आरोविया वामम्मि ऊरुयम्मि । तओ ससज्झस-सउक्कंप-लज्जावणय-वयण-कमला भणिया राइणा । 'पिए, जं तुम भणसि । तं मए अवस्सं कायव्वं । तेण विमुंच विसायं, मा कुणसु अद्विई, णिब्भच्छेहि सोगं, परिहरसु संतावं, मंजसु जहिच्छियं, भुजसु भोयणं ति। ३२) सव्वहा जइ वि पिए, णिसियासि-छेय-धारा-गलंत-रुहिर-लव-छिमिछिमायंतं । तिणयण-पुरओ हुणिऊण णियय-मंसं भुय-प्फलिहा ॥ जइ वि तिसूल-णिवडिय-महिसोवरि-णिमिय-चारु-चलणाए । कच्चाइणीऍ पुरओ सीसेण बलिं पि दाऊण ॥ जइ वि दर-दड-माणुस-पहरिस-वस-किलिकिलेत-वेयाले । गंतुं महा-मसाणे विकेऊणं महामंसं ॥ डझंत-बहल-परिमल-फुरंत-सिर-सयल-मिसिमिसायंतं । धरिऊण गुग्गुलं सुयणु जइ वि साहेमि भत्तीए ॥ णियय-बहु-रुहिर-विच्छडु-तप्पणा तुट्ठ-भूय-सुर-संघं । आराहिउँ फुडं चिय रोई जइ माइ-सत्थं पि॥ इय सुयणु तुज्झ कजे पत्थेऊण पुरंदरं जइ वि । तह वि मए कायव्वो तुज्झं पिय-पुत्तओ एक्को' । इय गरवइणा भणियं सोऊणं हरिस-णिब्भरा देवी । भणि 'महा-पसाओ' ति णिवडिया चलण-जुवलम्मि ॥ ३३) तओ समुट्रिओ राया आसणाओ देवी य । कय-मजण-भोयणा य संवुत्ता। णरवइणा वि आइट्टा मंतिणो 12 'सिग्घमागच्छह' ति । आएसाणंतरं आगया उवइठ्ठा उवविठ्ठा जहारुहेसु आसणेसु सुहासणस्था य । भणिया य राइणा 'भो हो सुर-गुरु-पमुहा मंतिणो, अज्ज एरिसो एरिसो य वुत्ततो' । देवीए कोव-कारण अत्तणो पइज्जारुहणं सव्वं साहियं । 'तओ एयम्मि एरिसे वुत्तंते किं करणीयं ति मंतिऊण साहह तुब्भे किं कीरउ' त्ति । तओ मंतीहिं भणियं 'देव, तण-मेत्तं पिव कजं गिरि-वर-सरिसं असत्तिमंताणं । होइ गिरी वितण-समो अहिओय-सकक्कले पुरिसे ॥ तेण देव, जं तए चिंतियं । तं कुविय-कयंतेण वि हु अण्णहा णेय तीरए काउं । कुविओ वि जंबुओ कुणइ किं व भण तस्स केसरिणो ॥ भण्णइ य देव, जाव य ण देंति हिययं पुरिसा कज्जाई ताव विहडंति । अह दिण्णं चिय हिययं गुरुं पि कज परिसमत्तं ॥ .तओ देव, जं तए चिंतियं तं तह चेय । सुंदरो एस एरिसो देवस्स अज्झवसाओ। जेण भणियं किर रिसीहिं लोय-सत्थेसु 21 'अउत्तस्स गई णत्थि' त्ति । अण्णं च देव, सब्वाई किर कज्जाई पिइ-पिंड-पाणिय-पयाणाईणि विणा पुत्तेण ण संपडंति पुरिसाणं। तहा महा-मंदर-सिहरोयरि-परूढ-तुंग-महावंसो विय उम्मूलियासेस-तरु-तमाल-साल-मालेण पलय-कालुग्घायमारुष्ण विय रिवुयणेण राय-वंसो बहूहिं णाणुण्णामण-वियस्थणाहिं उम्मूलिजइ, जइण पुत्तो दढ-मूल-बंधण-सरिसो हवइ24 त्ति । भण्णइ य। जस्स किर णत्थि पुत्तो विजा-विक्कम-धणस्स पुरिसस्स । सो तह कुसुम-पसिद्धो फल-रहिओ पायओ चेव ॥ 7 ता देव, सुंदरो एस देवस्स परकमो, किंतु किंचि विण्णवेमि देवं । चिटुंतु एए ससिसेहर-सामि-महामास-विक्कय-कच्चायणी-27 समाराहण-प्पमुहा पाण-संसय-कारिणो उवाया । अस्थि देवस्स महाराय-वंस-प्पसूया पुच-पुरिस-संणेज्झा रायसिरी भगवई कुल-देवया । तं समाराहि पुत्त-वरं पत्थेसु'त्ति । तओ राइणा भणियं 'साहु, हो विमल-बुद्धि साहु, सुंदरं संलत्तं ति । जेण भण्णा 30 1) वामयंमि, सेउकंप. 2) अवरस, Puवं ति।, P अधिई, णिभत्थेहि न निब्भच्छे हिं, P सोयं, P जहिच्छं. 4) P पिए जइ वि.5) Jच्छेय, "-च्छिमिच्छिमायंतं, "यंत, J पुरओ, Pऊण हुयासणं नियमासं, "मांसं (१), P भुयफलिया। 6) "निवाडिय, Jणियय. 7) वेयालो. 8) P फुटुंत, J -सिहर, P-सिमिसिमायंतं, न सुयलणु, P वि वागंमि भित्तीए. 9) P नियबाहु, विच्छडत', 'हियं, " माणसत्थं. 10) कए। for कजे. 11) Pजुयलंमि. 12) भोयणो, P om. य, P "वुत्तो।. 13) "गच्छंति ।, rom. उवइट्ठा, सहास'. 14) P भो for हो, P -प्पमुहा, P-अज्जरि एरिसो वु, पइण्णारु P om. सव्वं. 15) Jom. तुब्भे, देवा. 16) P gives here the verse जाव...परिसमत्तं instead of तणमेतं... पुरिसे, ।' 'त्तिवन्नाणं, । होति गि", Pa for वि, P तणसोमो, सहिउध्वस P अहिओगस, P पुरिसो. 17) P तओ for तेण. 18) " om. हु, I अणहा, जंबुओ किं कुणइ किं व भणह, च for व, om. तस्स P तसि. 20 P has here the verse तणमेतं......पूरिसे | instead of जाव......परिसमत्तं।", P य नादंति, P ताई वि. 21) Pएसो, rom. एरिसो,J 'स्सावसाओ, ।' सत्येसु जहा अ". 22) J देव किर सव्वाई कज्जाई,J पिति- P पिई, डंति त्ति पुरि'. 23) सिहोअरोअरिपहमतुंग, "रोयरप, वि for विय, P तमालमाल, Pपेलय-, J कारुप्पय. 24 रिवुअणेण P रिवुजणेणा, P नामुन्नामण, वियङ्कणाहि, ' om. ण, J गूढ for मूल. 26) P समिद्धो for पसिद्धो, P पावयं चेव. 27) P तेण for देव, P सुंदरो देवस्स एस पर, एससिसिर (some corretion seen), P सामिहामंस, विक्रय कच्चाइणि. 28) P°मारहण, , om, प्पमुद्दा, भगवइ. 29) 'राहिय, P भणिओयं, J om. साहु (second ). Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६३३1 पुव-पुरिसाणुचरियं जं कम्ममाणदियं हवइ लोए । पुत्तेण विकायब्वं तं चिय एसो जणे णियमो॥ __ अण्ण च सयल-तेलोक-गरिंद-वंग-पत्थणिज-दरिसणाए भगवईए रायसिरीए दसणं पि दुलहं, अच्छड ता वरो त्ति । दसणेण ३चेय तीए सव्वं सुंदर होहि' त्ति भणिऊण समुट्टिओ राया महासणाओ मंतियणो य। ६३४) अह अण्णम्मि पूस-णक्खत्त जुत्ते भूय-दियहे असेस-तिय-चउक-चचर-सिंघाडग-सिवाणं खंद-रुंद-गोविंद-चंदतियसिंद-गईद-णाईदारविंदणाहाणं तहा जक्ख-रक्खस-भूय-पिसाय-किंणर-किंपुरिस-महोरगाईण देवाणं बलिं दाऊण 6 तहा चरग-परिवायय-भिक्खभोय-णिग्गंथ-सक्क-तावसाईणं दाउं जहारुहं भत्त-पाण-णियंसणाईयं, तहा दुग्गय-दुक्खिय-पंथ-8 कप्पडियादीणं मणोरहे पूरिऊणं, तहा सुणय-सउण-कायल-प्पमुहे पुण्ण-मुहे काऊण, आयंत-सुइ-भूओ धोय-धवल-दुगुल्लयणियंसणो सिय-चंदण-सुमण-मालाहरो पासट्टिय-परियणोधरिय-कुसुम-बलि-पडलय-णिहाओ पविट्ठो राया देवहरयं । तत्थ य 9 जहारिहं पूइऊण देवे देवीओ य, तओ विरइओ मणि-कोट्टिमयले चंदण-गोरोयणा-दोब्वंकुर-गोर-सिद्धृत्य-सस्थियक्खय- 9 सिय-कुसुमोवयार-णिरंतरो परम-पवित्तेहिं कुसुमेहिं सत्थरो त्ति । तओ पेसियासेस-परियणो राया णिसण्णो कुस-सत्थरे, णिसमिऊण य कमल-मउल-कोमलेहिं अणवरय-महाधणु-जंत-समायड्ढण-किणक-कढिणिएहिं करेहिं अंजलिं काऊण इम 12थुइ-कुलयं पढिउमारद्धो। 12 ३५)'जय महुमह-वच्छत्थल-हारंदोलिर-ललंत-दुल्ललिए । जय कोत्थुह-रयण-विसहमाण-फुड-किरण-विच्छुरिए॥ जय खीरोय-महोवहि-तरंग-रंगत-धवल-तणु-वसणे । जय कमलाथर-महुयर-रणत-कल-कणिर-कंचिल ॥ 15 जय खग्गग्ग-णिवासिणि णरणाह-सहस्स-वच्छ-दुल्ललिए । जय कोमल-कर-पंकय-गंधायड्डिय-भमंत-भमरउले ॥ देवि णिसुसु वयणं कमला लच्छी सिरी हिरी कित्ती । तं चिय रिद्धी व्वाणी णिव्वुइ-संपया तं सि ॥ ता दायव्वं मह दसणं ति अभंतरे ति-रत्तस्स । अहवा पडिच्छ्यिव्वं सीसं मह मंडलग्गाओ'। 18त्ति भणिऊण य अवणउत्तिमंगेणं कओ से पणामो । काऊण य णिवण्णो कुस सत्थरे, ठिओ य रायसिरीए चेय गुण-गहण-18 वावड-हियओ एकमहोरत्तं दुइयं जाव तइयं पि । तइय-दियहे य राइणा अदिपण-दसणामरिस-वस-विलसमाण-कसिण कुडिल-भुमया-लएणं आबद्ध-मिउडि-भंगुर-भीम-वयणेणं ललिय-विलासिणी-कमल-दल-कोमल करयलालिहण-दुल्ललिओ A कवलिओ दीहर-कसिण-कुडिल-कंत-कोतल-कलावो, गहियं च पउर-वइरि-करि-कुंभ-मुत्ताहलुद्दलणं दाहिण-हत्थेण खग्ग-रयण। 1 भणियं च 'किं बहुणा जइ सग्गे पायाले अहवा खीरोयहिम्मि कमल-वणे । देवि पडिच्छसु एयं मह सीसं मंडलग्गाओ' ॥ 24त्ति भणिऊण समुक्करिसिओ णियय-खंधराभोए पहारो। ताव य हा-हा-रव-सद्द-गम्भिणं काउं मिओ से दाहिणो भुयादंडो। 4 उण्णामिय-वयणेण णियच्छियं राइणा, जाव पेच्छइ वयण-मियकोहामिय-कमलं कमल-सरिच्छ-सुपिंजर-थणय । थणय-भरेण सुणामिय-मझं मज्झ-सुराय-सुपिहुल-णियंबं ॥ पिहुल-णियंब-समंथर-ऊरूं ऊरु-भरेण सुसोहिय-गमणं । गमण-विराविय-णेउर-कडयं णेउर-कडय-सुसोहिय-चलणं ॥ ति । अवि य । 30 भसलालि-मुहल-हलबोल-चाउलिज्जत-केसरुप्पीले । कमलम्मि पेसियञ्छि लच्छी अह पेच्छइ णरिंदो॥ दट्टण य भवणउत्तमंगेण कओ से पणामो। 1) Jसाण च,P मंणदियं सहइ, Pय for वि, P जणो. 2) P -तश्लोक, P-चंद्र, P om. भगवईए, P वावारो for ता वरो, Pणेणं तीए चेव सवं. 3) P होहिइ त्ति, समुवट्टिओ, सीहा for महा. 4) P अन्नंमि दियहे पू', P दियहो, । चच्चरे, P खंड-, I om. चंद. 5) J गईदारविं, भूत for भूय, P देवाणं, P दाऊणं. 6) चरयपरिव्वाय भिक्खु', P पाणं, P दुग्गह-. 7) P °डियाणं, J सुणया, P कायप्प', P परितुढे for पुण्णमुहे, सुच्चीहोउ, दुग्गल्लय- P दुगुलनि'. 8) P हरणो, पास परिअणधरिअ, I om. य. 9) Pom. देवे, P थिरईओ, P गोरोयणो, P°वंकुरु,सिद्धसस्थियकयसिय. 10) J पेसिओ परिअणो, P य राया, कुसुम for कुस. 11) महाकट्टण, किणकढि', JOL. करेहि. 13)P बस्थल, P -लुलंत, P किरण repeated. 14) Pमहोयहि, P रुणत. 15)P'नाहस्स. 16) F कमलच्छी सिरिहिरी तहा कित्ती, P णिवाणि निन्तुई. 18) P भाणिऊग, Pom. य, P निसण्णो, P सत्थरो, P om. य, "सिरी तीए, P चेवागुण. 19)" तब for तइय, I राइणो, P नरिस for मरिस, प रस for रिस. 20) भंगुरु, J "सिणि, Pलाणिहण. 21) कवलीओ, P 'दलण. 23) P सग्गो. 24) P om. काउं. 25) य नियच्छियं, P जा for जाव. 26) P भिणयको", P-सपिंजर. 28) P सुमंथरऊरं. 29) P विराइय. 30)J भमरालि, P रुप्पीलो. 31) Jअवणवुत्त. Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 ___12 - ६३८] कुवलयमाला ३६) भणियं च रायलच्छीए 'भो भो णरिंद, अणेय-पडिवक्ख-संदणुद्दलण-पउर-रिउ-सुंदरी-चंद्ग-चेहव्व-दाण-दक्खं 1 कीस एयं तए खग्ग-रयण जयसिरि-कोमल-भुय-लयालिंगण-फरिस-सुह-दुललिए णिय-खधराभोए आयासिज्जइ' । तओ णरवहणा-भणियं देवि, जेण तिरत्तं मम णिरसणस्स तह वि दंसणं ण देसि' त्ति । तओ ईसि-वियसिय-सिय-दसण-किरण- 3 विभिजताहर-राय भणियं रायसिरीए 'अहो महाराय दढवम्म, तिरत्तेणं चिय एस एरिसो तवस्सी असहणो संवुत्तो' । भणियं च राइणा 'देवि, 8 मण्णा ह तण-समाणं पिपरिभवं मेरु मंदर-सरिच्छं । को वि जणो माण-धणो अवरो अवरो चिय वराओ' ॥ तभो भणियं रायलच्छीए 'सब्वहा भणसु मए किं कज' ति । राइणा भणियं 'देवि, सव्व-कलागम-णिलओ रज-धुरा-धरण-धोरिओ धवलो । णिय-कुल-माणक्खंभो दिजउ मह पुत्तओ एक्को' ॥ तो सपरिहासं सिरीए संलत्तं । 'महाराय, किं कोइ मम समप्पिओ तए पुत्तओ जेणेवं में पत्थेसि'। भणियं च राइणा 'ण . समप्पिओ, णिययं चेय देसु' त्ति । लच्छीए भणियं 'कुओ मे पुत्तओ' त्ति । तओ राइणा ईसि हसिऊण भणियं 'देवि, भरह-सगर-माहव-णल-णहुस-मंधाइ-दिलीम-प्पमुह-सव्व-धरा-मंडल-पत्थिव-सत्थ-वित्थय-वच्छत्थलाभोय-पलंक-सुह1 सेजा-सोचिरीए तुह एको वि पुत्तो पत्थि' त्ति । संलत्तं सिरीए 'महाराय, कओ परिहासो। रूएण जो अणंगो दाणे धणओ रणम्मि सुरणाहो । पिहु-वच्छो मह वयणेण तुज्झ एक्को सुओ होउ'॥ त्ति भणिऊण अदसणं गया देवी । ३७) गरवई वि लाद्ध-रायसिरी-वर-पसाओ णिग्गओ देवहरयाओ । तओ पहाय-सुइ-भूओ महिऊण सुर-संघ, पण-15 मिऊण गुरुयणं, दक्खिऊण विप्पयणं, संमाणिऊण पणइयण, सुमरिऊण परियणं, के पिपणामेणं, कं पि पूयाए, के पि विण एण, के पि माणेणं, कं पिदाणेणं, कं पि समालिंगणेणं, के पि वायाए, के पि दिट्टीए, सव्वं पहरिस-णिब्भरं सुमुहं काऊण 18 णिसण्णो भोयण-मंडवे । तत्थ जहाभिरुह्यं च भोयणं भोत्तण आयंत-सुइ-भूओ णिग्गओ अभंतरोवत्थाण-मंडवं । तत्थ 18 य वाहिता मंतिणो । समागया कय-पणामा य उवविढा आसणेसुं । साहिओ य जहावत्तो सयलो सिरीए समुलावो। तओ भणिय मंतीहिं 'देव, साहियं चेय अम्हेहिं, जहा 21 जावय ण देंति हिययं पुरिसा कजाई ताच विहडंति । अह दिण्ण चिय हिययं गुरुं पि कज परिसमत्तं ॥ 21 तं सम्बहा होउ जं रायसिरीए संलत्तं' ति । ३८) तओ समुडिओ राया । गओ पियंगुसामाए मंदिरं । दिट्ठा य देवी णियम-परिदुब्बलंगी । अब्भुट्ठिऊण दिण्ण भासणं, उवविट्ठो राया । साहियं च राइणा सिरि-वर-प्पयाण । तओ पहरिस-णिभराए भणियं च देवीए 'महापसाओ' त्ति | 24 तमो समाइट्ठ वद्धावणयं । जाओ य णयरे महसवो । एवंचिह-खज-पेज-मणोहरो छणमओ विय वोलीणो सो दियहो । तावय, कुंकुम-रसारुणंगो अह कत्थ वि पत्थिओ त्ति जाउं जे । संझा-दूई राईएँ पेसिया सूर-मग्गेणं ॥ 7 णिचं पसारिय-करो सूरो अणुराय-णिब्भरा संझा । इय चिंतिऊण राई अणुमग्गेणेव संपत्ता ॥ संझाएँ समासत्तं रत्तं दट्ठण कमल-वण-णाहं । वहइ गुरु मच्छरेण व सामायंतं मुहं रयणी ॥ पञ्चक्ख-विलय-दसण-गुरु-कोवायाव-जाय-संतावे । दीसंति सेय-बिंदु ब्व तारया रयणि-देहम्मि ॥ 1) P -मद्दलुहलणः, P चंद्रलेहत्व. 2) P जयसिरी, P लुय' for भुय,J फरस, P om. सुह, P नियकंधरा'. 3) P जेणं, Pom. मम, P तहा वि, विहसियदसण. 4)P विहिज्जता, Pom. राय', दढधंम तिरत्तेरणं चिय परिसो तं सि असहणो जाओ। 6)Pय for हु, 'तणय-, P जीवियं for परिभवं, P मंदिर. 7) Pदेवि सुणसु सब. 8) P-धारिओ, P मह पोत्तओ. 9) P कोवि, र तओ for तए, J ममं for i. 10)P चेव, P पुत्तिउ, विह सिऊण. 11) मद्दवि for माहव, ३ मंधाई P मंधाय, P दिलीपपमुह. 12) Pसेज्जो, P तु for तुड, P om. त्ति, P हासो। अह्वा. 13) Pरूवेण, P दाणेण धणउरंमि, P वच्छ मज्झव, होहि. 15)P सिरि-. 16)P किं for क (throughout). 17) Jom.कं (P किं) पि दाणेणं. 17)P-निम्मरसमुहं काऊणं. 18)P रुइजहारुदंच भुत्तूण भोयण, सुभूई. 19) तत्थ वाहराविता, Pय आसीणा आसणेसु ।, साहियं च जहावित, Pom. सयलो, P सिरिए, J सहमुलावो. 20) Pom. देव, P चेहि for चेय. 21) P नंदेति, P विय for चिय. 22) P ता for तं, om. ति. 23) Pसमुवडिओ. 25Pच्छणमओ व्विय. 26) I रसायणंगो P 'रसारुणंगे, अकत्थव प, P मा for णार्ड, P पिसिया सूरि-27) Pराई श्यमग्गेणं व. 28) संझासमोसरंतं, मुहूं for मुहं. 29) -विलियः, P°यास जायसंतावा. Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 3 6 9 उज्जोयणसूरिविरइया उचार-तारयाए विलुलिय-तम-नियर-करिण केसीए बंद-कर-ल-दसणं राई समच्छर हसियं ॥ पुच्त्र-दिसाएँ सहीय व दिष्णा जैव-चंद्र-चंद्र-शिडाली। रवि-विरह जलण-संतावियम्मि वयणम्मि रथणीए ॥ ससियर-पंडर-देहा कोलिय- हुंकार-राव-नियामा अह झिवि पचन्ता रण राई विणा रविणा ॥ अरुणारुण पीडा भवंचिर-तारयं सुरय-क्षीणपुण्य-संशं राई रोखेण व विलीणा ॥ इय राई -रवि-संझा-तिन्हं पि हु पेच्छिउं इमं चरियं । पल्हत्थ-दुद्ध-धवलं अह हसियं दियह लच्छीए ॥ १६ 27 ३९) तो यम्मि एरिसे अवसरे धोय धवल-पडच्छाइए सुविधि पके पसुता दुद्ध-धवल-जल-तरल कलोल माला पालिए खीरोय-साय व लच्छी पिरंगुसामा देवी सुविणं पेच्छतं च फेरिर्स जोहा - पवाह-णी रोरु-पूर-पसरंत भरिय- दिसियक्कं । पेच्छइ कुमुयाणंद सयलं पि कलंक-परिहीणं ॥ अह बहल - परिमलायडियालि- हलबोल- णिब्भर - दिसाए । कुवलयमालाएँ दर्द अवगूढं चंदिमा- नाहं ॥ राजो जावय हमें पेच्छ तावव पहय-पद-पद-परिव-संबुद्ध-विन्द्ध मंदिरुजाण यात्री कंठारावरविअंतसविसेस - सुइ- सुहेणं पडिबुद्धा देवी । पाहाउय- मंगल तूर-रवेणं पडिवुज्झिऊण य गियय-भावाणुसरिस-सुमिण-दंसण-रस12 वस-पहरिसुच्छलंत रोमंच-कंचुब्वहण पहाए देवीए भगतूण विणओणय- उत्तमंगाए साहियं महाराइणो जहा दिट्ठ महा-15 सुविण ति तो राया व दियय-द्वि-संवत देवी-पर-पसाओ अमय- महासमुद्दे विय मनमाणो इमं भणितमावतो । 'पिए, जो सोरायसिरीए भगवईए तुह दिष्णो पुत्त-वरो सो भग गं तुह उदरस्यो जाओ' विभो देवी सं 1 15 'महाराय देवचाणं अणुग्गणं लच्छीए वरप्यखापुर्ण गहाणं सानुकूलचणं गुरुवण-आसीसाए तुह व पभावणं एवं चेय 10 एवं भए पढिच्छिवं मए अणुमयं भए पसाओ महं' ति भणमाणी विडिया राइनो चलन तुचि । 7 1 , ४०) तनो राया कवावस्य करणीनो महिऊण सुर-संघ दक्षिण यखिणिजे पूऊण पूर्याणि संमाणिऊण 18 संमाणणि बंदिण दणजे कितो वाहिरोवत्या भूमिं णिसण्णो तबियतयभिज्ञ रयण-त्रिणिम्मविए महरिदे सीहास | 18 आसीणस्व च भगवा सुर-गुरु-सरिसा मंतिनो उपविट्टा कण-दिस्स व महाणारंदा पणमंति दुग्गइय-सरिसा महावीरा, उग्गादेति भाऊ सधं धणंतरि-समा महावेजा, सत्धिकारैति पययण समा महारंभणा सुदासगाथा वास महरिखि-समा 21 महाको, विष्णवैति उम्मुह-समा महासेगावहूणो पत्रिसंति सु-सरिसा महापुरोहिया विकम्म वावडाओ भवहरिय- 21 सुर-सुंदरी-चंद्र-लायण्णाओ वारविलासिणीओ त्ति | केएत्थ पायय- पाठ्या, केइत्थ सक्कय पाठ्या, अण्गे अवभंस- जाणिणो, अण्णे भारह-सत्थ- पत्तट्ठा, अण्गे विसाहिल-मय- णिउणा, अण्णे इस्सत्थ-सत्थ- पाढया, अण्णे फरावेडु उवज्झाया, अण्णे 24 छुरिया-पवेस-पविट्ठा, नवरे बाणय-सत्तिक-मंडिमल पास-द- णिउणा भने पत् तेज-पट्टा, अग्ने चित्यम्म-कुलला, 24 अण्णे हय-लक्खण-जाणिणो, अण्णे गय-लक्खणण्णू, अण्णे मंतिणो, अण्णे धाउ-वाइणो, अण्णे जोइसिणो, अगे उण सउणसध-पाढया, अण्णे सुविणय-वियाणया, अण्णे णेमित्तिय चि । अविव । सा णत्थि कला तं णत्थि कोडयं तं च णत्थि विष्णाणं । जं हो तत्थ ण दीसह भिलिए अत्थाणिया- मज्झे ॥ [ ९३८ 3 ( ४१ ) तो तम्मि एरिसे वासव-सभा-संणिहे मिलिए महत्थाणि-मंडले भणियं राइणा । 'भो भो मंतिणो, अज्ज एरिसो एरिसोय सुविणो देवीए दिट्ठो पछिम आमे वा एयरस किं पुण फलं वि तो भणि सुविण सत्थ- पाइएहिं । 30 'देव, एवं सुविणय-सत्थेसु पटिजइ जहा किर महा-पुरिस-जणणीओ ससि-सूर-वसह सीह-गय-प्पमुहे सुमिणे पेच्छेति, 30 " 27 10 ) P जाव 1) P विलुलिसय, J चंद्र P थंद P -दंसण. 2 ) P सहियं व, चिर for रवि. 3 ) पंडुर, P णिच्छामा 4 ) p पाणो मायंचिरसंशा से ऐसे लो 5 ) उ for हु, । इच्छीए [ इत्थीए ? ]. 6 ) P धोइन्, P पढबच्छाइइए P सुविच्छिण 7 P सुमिणं. 8 ) P -सीरो, P सयणं पि. 9 ) P अइ for अह अव इमं J om. पथ, P विउद्धसुद्धमंदिरुज्जाणो वावि. 11) P पहाओ य ।, P "सरस. 12) P कंउव्वणरोहाए, P गंतूण विगयावणउत्तमाण- 13 ) हियअट्ठियमहासंवयंत वर, P पसाउ त्ति, P मज्जमाणा, भणिउं समादत्तो. अनुत्तरस्यो, संचि 15) अणुग्गहोणं लच्छीव वरप्पहाणेगं मदमा सा" गुरु for भए, पसाओ त्ति महं, Jom राइणो, जुवलत्ति 17 ) Jom य, P दक्खी गिज्जे, P पूरणिजे तविणिच्छो, P विणम्मविद महरिह. 19 ) P नरिदसमा महा", P महा for महावीरा 20 ) P आउसत्यं 22 JP विंद, गीयण्णाओ, P केदय पाइय, Pom. के इत्थ सक्कयपाढया, P अवस. ईसत्थत्थपाढया, Jom. अण्णे फराड्डउवज्झाया 24 ) कय for बाण, P भिंडिला. 25 ) P गयलक्खणं अन्ने, Jom. उण. 26 ) P - वाढया अन्ने सुविणसत्थ, वीणया for विया, P नेमित्तय मंडत्रे. 29 ) Jom. य, P देवीए पच्छिमजामे दिट्टो, पुण हलन्ति, 14 ) P भगवईए, P चैन- 16 ) P मे 18 ) P भूमी, P भणो महारिसि, P 23) P भरह, P om. समा 27 ) P हो जत्थ, P अत्थाणमज्झमि 28 ) P सन्निगे, P सुमिण, 3 om. सत्थ 30 P सुमिणसत्थे. Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ४४] कुवलयमाला । तेण एयस्स एरिसस्स सयल-चंद-दसणस्स महापुरिस-जम्मं साहेति' ति । राइणा भणियं 'देवीए पुत्त-जम्म-फलं सिरीए । चेव साहियं भगवईए । जो पुण सो ससी कुवलयमालाए अवगूढो तं किंचि पुच्छिमो' । तओ भणियं सुमिण-सत्थ-पाढएहिं 3 'देव, सेण एसा वि तुह दुइया धूया भविस्सइ' त्ति । तओ देव-गुरुणा भणियं 'देव, जुजइ एयं, जइ कुवलयमाला 3 केवला चेय दीसेज भिण्णा चंदाओ, ता होज इमं । एसा पुण तं चेय मियंक अवगूहिऊण ठिया, तेण एसा का वि एयस्स राय-पुत्तस्स पुव्व-जम्म-णेह-पडिबद्धा कुवलयमाला विय सव्व-जण-मणोहरा पिययमा होहि त्ति । तीए चेय 3 समालिंगिओ एस दिट्टो' त्ति । भणियं च राइणा 'एयं संभाविजइ'। तओ ठिया किंचि कालं विविह-णरिंद-केसरि- 6 कला-कलाव-सत्थ-विण्णाण-विज्जा-कहासुं । समुट्टिओ राया कय-दियह-वावारो कय-राइ-वावारो य अच्छिउं पयत्तो । ४२) अह देवी तं चेय दियहं घेत्तूण लायण्ण-जल-प्पडिया इव कमलिणी अहिययर रेहिउँ पयत्ता । अणुदियह-पवमाण-कला-कलाव-कलंक-परिहीणा विय चंदिमा-णाह-रेहा सव्व-जण-मणोहरा जाया। तहा परिवड्डमाण-दाण- 9 दया-दक्खिण्ण-विजा-विण्णाण-विणय-णाणाभिमाणा सुसंमया गुरुयणस्स, पिययमा राइणो, सुपसाया परियणस्स, बहुमया सवत्ति-सत्थस्स, दाण-परा बंधु-वग्गस्स, सुमुहा पउर-जणस्स, अणुकूला साहुयणस्स, विणीया तवस्सीण, साणुकंपा सव्व-पाणि-गणस्स जाव गभं समुव्वहइ त्ति । भह तीऍ डोहलो सुंदरी' जाओ कमेण चित्तम्मि । जो जं मग्गइ त चिय सव्वं जइ दिजए तस्स ॥ संपुण्ण-दोहला सा पणइयणब्भहिय-दिण्ण-धण-सारा । लद्ध-रइ-प्पसरा वि हु सुपुरिस-गभं समुन्वहइ ॥ ४३) सब्वहा महा-पुरिस-ब्भमुवहिउमाढत्ता । कह । अतो-णिहित्त-सुपुरिस-मुणाल-धवलुच्छलंत-जस-णिवहो । धवलेइ व तीऍ फुडं गब्भ-भरापंडु-गंडयले ॥ मंदर-गिरि-वर-गरुयं तमुच्वहंतीय भार-खिण्णाए । अलसायति अलंबिय-मुणाल-मउया अंगाई॥ तुंग समुब्भडयरं तीय वहंतीय अप्पणो गब्भं । सामायति मुहाई ऊणिस-गहियाण व थणाण ॥ आपूरमाण-गब्भा अणुदियहं जह पवढ़ए देवी । तह सरय-जलय-माल व्व रेहए पुण्णयदेण ॥ अह दल-थवणं पि कयं संमाणिजंत-गुरुयण रम्मं । णच्चिर-विलासिणीयण-जण-णिवहुद्दाम-पूरंतं ॥ अह तिहि-करणम्मि सुहे णक्खत्ते सुंदरम्मि लग्गम्मि । होरासुदू-मुहासु उच्च-स्थाणम्मि गह-चके ॥ वियसंत-पंकय-मुहो कुवलय-कलिया-दुरंत-णयण-जुओ। सरय-सिरीए सरो इव जाओ रुइरो वर-कुमारो ॥ ४४) अह तम्मि जाय-मेत्ते हरिस-भरिजंत-वयण-कमलाण । अंतेउर-विलयाणं के वावारा पर्यटेति ॥ 'हला हला पउमे, विरएसु मरगय-मणि-भित्ति-स्थलुच्छलंत-कसिण-किरण-पडिप्फलंत-बहलंधयार-पत्थार-रेहिरे मणि-पईवय-24 णिहाए । पियसहि पुरंदरदत्ते, सयं चेव किं ण पडियग्गसि सयल-भवण-भित्ति-संकंत-कंत-चित्तयम्म-संकुलाओ पोषिणमायंदरिंछोलि-रेहिराओ मंगल-दप्पण-मालाओ ति । हला हला जयसिरि, किं ण विरएसि सरय-समय-ससि-दोसिणा-मऊहोहा7 मिय-सिय-माहप्पे महाणील-कोट्टिम-तलेसु णलिणी-दलेसु धवल-मुणालिया-णिवहे ब्व भूइ-रक्खा-परिहरंतए । पियसहि 27 हंसिए, हंसउल-पक्खावली-पम्ह-मउइयं किं ताण गेण्हसि चामरं । वयंसि सिद्ध थिए, गोर-सिद्धत्थ-करंबियाओ दे विरएसु अहिणवक्खय-णंदावत्त-सयवत्त-पत्तलेहाओ। तुमं पुण सुहडिए, रिउ-सुहड-करि-वियड-कुंभयड-पाडण-पडं गेण्हसु बालयस्स 0 देवीए य इमं रक्खा -मंडलग्ग' ति । 30 1) तेणेयरस, P व for चंद,Joru. दंसणस्स, P साहइ, Jom. त्ति,J राहणो, जम्महलं. 2) P भगवतीए, P अवऊढो P किंपि, सुविमणयपसत्थ. 3) देवत्तेणं P देवत्तण, P तुह दइया, I जुज्जए. 4) दिसेज्ज, P एसा उण, चेयं, मियंक P मियंका,J ट्रिया. 5)P-उत्तरस, Pमणहरा, होहिइ ति,J writes त्ति twice, P चेव. 6) Pom. पस, P संभारिज्जइ, P कंपि for किंचि. 7) कहासु, P राईवावारो. 8) चेव, P अह्यवर. 9)J परियडमाग. 11) सत्थरस य दाण, P वरा for परा, P समुहा, साधुअणस्स. 12) पाणिअणस्स, I om. त्ति. 13)P दोहलो, सुंदरीय. 14) P संपत्तदो, 'भइय, P -यसरा, P सपुरिस. 15) तहा for महा, कह. 16) जहा (for जस) corrected as मह, तीय, 'वंदुगण्डअले P पंढगंटयरे ।. 17) Pom. य, मउआई P समउयाई. 18) P अत्तणो, P भूनिय for ऊणिस. 19) P आऊरमाण, " हे देवी, P जलइ. 20) P फलट्ठवणं व कयं सामाणिज्जंत. 21) Pसुहो, P भग्गंमि, P होरासुद्धसुहासु उब्भत्थाकमि गहसत्थे. 22) P -फुरंत, रुहिरो अह कु, has three letters after कुमारो || which look like the Nos. ६ and ३ with छ in the middle. 23) P बहु for के, P पवठ्ठति. 24) Jथलच्छलंतकिरण, मणिमईवय. 25) P निवहे, पुरंदरयत्ते, J -भुअण, P कंतिः, चित्तयम्मस्स संकुला. 26) एरंछोलि, P जयसिरी, ससिणामऊहोहामियमाहप्प ।। 27) P -लए for तलेसु, I om. णलिणीदलेसु, मुणालिया इन्व, भूई. 28) Jहंसीए, P मऊयं, P किन्न for किं ता ण, J तु मुरदेहा for दे, has a marginal note in a later hand : किं न विरएसि रक्खायुट्टलियाओ। पाठांतर. 29) खयणंदावत्ता, Jom. सयवत्त, P वियारण for वियड, P पदुयं for पडु. Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 12 उजोयणसूरिविरहया [४५६४५) इय जा विलासिणियणो पडिहारीए णिउंजए ठाणे । वद्धाविया सरहसं उद्धावइ ता णरिंदस्स ॥ कहं। 1 रहसुद्दाम-विसंतुल-मणं गमण-खलंत-सुणेउर-चलणं । चलण-चलतुत्तावल-हिययं हियउत्तावल-फुरिय-णियंबं ॥ फुरिय-णियंब-सुवजिर-रसणं रसण-विलग्ग-पओहर-सिचयं । सिचय-पडत-सुलजिर-वयण वयण-मियंकुजोइय-भवणं ॥ ति । अवि य । 6 वित्थय-णियंब-गुरु-भार-मंथरुव्वहण-खेय-सुढिया वि । उद्धाचइ णरवइणो विलया वद्धाविया एका ॥ ताव य सा संपत्ता णरवइणो वास-भवणं। भणियं च णाए 'देव, पियं पियं णिवेएमि सामिणो, सुह-सुहेणं वो देवी संपयं कुमारं पसूय' त्ति । ताव य राइणो पियंवइया-वयण-परितोस-रस-वस-रोमंच-कंचुओव्वण-समूससंत-भुयासु सविसेसं गाठ9इए वि समोयारिऊण सयं चेव विलएइ पियंवइयाए कडय-कंठय-कुंडलाइए आहरण-णिहाए । समाइट च राइणा वदावणयं । ' आएसाणंतरं च, पवण-पहय-भीसणुब्वेल्ल-संचल्ल-मच्छ-च्छडाघाय-मिजंत-गंभीर-धीरुच्छलंताणुसद्दाभिपूरंत-लोयंत-संखुद्ध-कीलाल-णाहाणुघोसं समुद्धाइयं तूर-सई [तहा] 112 पवर-विलय-हस्थ-पम्मुक गंधुदुरुगुब्वमाणुल्लसंतेण कप्पूर-पूरुच्छलतेण कत्थूरिया-रेणु-राएण संछण्ण-सूरं दिसा-मंडलं तक्खणं चेय तं रेहिरं राइणो मंदिरं । 15 मय-रस वस-घुम्मिरं णच्चमाणाण पीण स्थणाभोग-घोलंत-हाराण तुटुंत-मुत्तावली-तार-मुत्ता-गलंतेक्क-बिंदु ब्व लायण्णयं 15 ___णञ्चमाणाण विक्खिप्पए कामिणीणं तहा। सरहस-विलया-चलंतावडतेहि माणिक्क-सारंतराणेउरेहिं तहा तार-तारं रणतेहिँ कंची-कलावेहि ता किंकिणी-ताल-माला रवारद्ध-गंधव्व-पूरंत-सई दिसा-मंडलं ॥ अवि य 118 णञ्चत-विलासिणि-सोहणय मल्हंत-सुखुजय-हासणयं । गिजंत-सुसुंदर-मणहरयं इय जायं तं वद्धावणयं ॥ ६४६) तावय खग्गग्ग-धारा-जलण-जालावली-होमियाई णीसेस-डय़ाई वइरि-वंस-सुहुमंकुराई ति । तेण णत्थि 21 बंधणं । तह वि विमुक्काई पंजर-सुय-सारिया-सउण-सस्थाई । दिजंति मय-जलोयलिय-बहल-परिमलायड्डियालि-गुंजत-कोव-1 गुलेगुलेताओ वियरंत-महामायंग-मंडलीओ। पणामिजति सजल-जलय-गंभीर-सई हेसा-रवहे हसंतीओ इव दरिय-वर-तुरयवंदुर-मालाओ। उवणिजति महासामंताण गुरु-चक्क-ओमी-घणघणाराव-बहिरिय-दिसिवहाओ हारि-रहवर-णियर-पत्थारीओ।. 24 समप्पिजंति सेवयाणं महापडिहारेहिं गाम-णयर-खेड-कब्बड-पट्टणाणं पत्तलाओ त्ति । अचि य । सो पत्थि जस्स दिजइ लक्खं ऊणं च दिजए णेय । तह णरवइणा दिण्णं जह गेहंत श्चिय ण जाया ॥ तह वि दिजति महामणि-णिहाए, विक्खिप्पिजति थोर-मुत्ताहले, अवमण्णिजंति दुगुलय-जुवलए, उज्झिजंति रल्लय-कवलए, 27 फालिजति कोमले णेत्त-पट्टए, णियसिजति चित्त-पडिणिहाए, पक्खिविनंति सुवण्ण-चारिमे, पसाहिति कडय-कोंडले, 27 अवहत्यिजति कणय-कलधोय-थाल-संकरे, कणच्छिज्जति चाम-लोयणद्धंत-कडच्छिएहिं दीणार-णाणा-रूवय-करंबय-कयारुकेर त्ति । अविय। 30 तं णस्थि ज ण दिजह णूणमभावो ण लब्भए जं च । ण य दिजइ ण य लब्भइ एक चिय णवर दुव्वयणं ॥ 30 णञ्चइ णायर-लोओ हीरइ उवरिल्लयं सहरिसाहिं । अण्णोण्ण-बद्ध-रायं रायंगणयम्मि विलयाहिं॥ 18 1) विलासिणीअणो P विलासिणी य लेणो, P पडिहारी निलंजए ढाणे, P उहावइ ता, Jom. कई. 2) P "सुद्धाम P चरण. 3) हिययुत्ता. 4) P-सलज्जिर. 5) P"कुज्जोविय-. 6) वद्धावइ. 7) " य संपत्ता स नर", J पियं only once, P cm. वो. 8) J पसू अत्तत्ति, J राइणा, "तोसवसरसरों", P भुयासविसे पमाढइए वि समोआयरि'. 9) विलइए I om. कडयकंठयकुंडलाइए, P निवहाए. 11) P भीसण्णवेल्लसंचसमन्छुत्थडा, P मिजंतभंगीरवीरु. 13) विलया, प्यमुक्क P -पमुक्क, J°माणल संतेण, I om. कत्थूरियारेणुराएण. 14) P रेहिरे राहणा. 15) I मयवसरस, P नच्चमाणेण, ? भोयघोलत्त. 16)J विक्खिप्पइ. 17) P वडन्ना for चलंता, P सारंतरं, किंकिर्णि, P ताला. 19) P-सुसुंदरुमणुहरयं. 20) P खग्गयधारा, P-भोमियाई, P -दढाई, P°कुराइ वि।. 21) P तहा वि विमुक्कई पंजरि-, P जलोआलिय, कोवगुणेताउ विय मत्तमहा. 22) J जलयरः, P सद्दहंसारवहसंतीओ. 23) Pउवणिज्जत. 24)P पडिहारिहिं गामानयर. 25) P जहा, ' गेण्हते. 26) P विक्खियंति, -कंबलय. 27) कोमल, P नेत्तवहए तियसिजति, P चित्तवति', P सुवण्णवारिमे 28) Pकणयकणाहायथालसकारे, रुकेरोत्ति P -क्यारुफेवंति. 30) P जिजइ, J "मभावे, एकचिय, P नवरि. Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६४८] कुवलयमाला ४७) जावय एस वुत्तंतो तावय राइणा सद्दाविओ सिद्धत्थ-संवच्छरिओ।आएसाणंतरं च समागओ धवल-जुवलय- 1 णियंसणो वंदिय-सिद्धत्थ-रोयणा-रेहिर-मुह-मियको हरियाल-हरिय-(हरियाले फुडं दुव्वंकुर)पवित्तुत्तमंगो । आगतूण य उण्णामिय-दाहिण-करयलेणं सत्थिकारिओ राया, वद्धवाविओ पुत्त-जम्मब्भुदएणं । उवविट्ठो य परियणोवणीए आसगे त्ति । तओ 3 भणियं राइणा 'भो भो महासंवच्छर, साह कुमारस्स जम्म-णक्खत्तस्स गहाणं दिहि'ति । संवच्छरेण भणियं 'देव, जहाणवेसि त्ति, णिसुणेसु संवच्छरो एस आणंदो, उदू सरय-समओ, मासो कत्तिओ, तिही विजया, वारो बुहस्स, णक्खत्तं हत्थो, रासी कण्णो, सुकम्मो जोगो, सोम-गह-णिरिक्खियं लग्गं, उच्च-ट्ठाण-ट्ठिया सव्वे विगहा । उड्ड-मुहा होरा, एक्कारस-ठाण-ट्ठिया 6 सुहयरा पाच-गय त्ति । अवि य ।। गह-रासि-गुणम्मि सुहे जाओ एयम्मि पुरिसे जेण । होइ कुमारो चकी चकि-समो वा य राय' ति॥ १) अह गरवइणा भणियं 'अहो महासंवच्छर, काओ रासीओ के वा रासि-गुण त्ति, ज भणसि एरिसे रासि- 9 गुणम्मि जाओ कुमारो' त्ति । भणियं संवच्छरेणं 'देव, रासीओ तं जहा । मेसो विसो मिहुणो कक्कडो सिंघो कण्णो तुलो विच्छिओ धणू मगरो कुंभो मीणो त्ति । एयाओ रासीओ, संपयं एयासु जायस्स गुणे पुरिसस्स महिलाए वा णिसामेह । मेसस्स ता वदंते । 12 णिच्चं जो रोग-भागी गरवह-सयणे पूइओ चवखु-लोलो, धम्मत्थे उज्जमंतो सहियण-वलिओ ऊरु-जंघो कयण्णू । सूरो जो चंड-कम्मे पुणरवि मउओ वल्लहो कामिणीर्ण, जेट्टो सो भाउयाणं जल-णिचय-महा-भीरुओ मेस-जाओ ॥ अट्ठारस-पणुवीसो चुक्को सो कह वि मरइ सय-वरिसो । अंगार-चोहसीए कित्तिय तह अड्ड-रत्तम्मि ॥१॥ भोगी अत्थस्स दाया पिहुल-गल-महा-गंड-वासो सुमित्तो, दक्खो सच्चो सुई जो सललिय-गमणो दुट-पुत्तो कलत्तो। तेयंसी भिच्च-जुत्तो पर-जुवइ-महाराग-रत्तो गुरूणं, गंडे खंधे व्व चिण्हं कुजण-जण-पिओ कंठ-रोगी विसम्मि ॥ चुक्को चउप्पयाओ पणुवीसो मरइ सो सयं पत्तो । मग्गसिर-पहर-सेसे बुह-रोहिणि पुण्ण-खेत्तम्मि ॥२॥ मिट्टण्णू चक्खु-लोलो पडिवयण-सहो मेहुणासत्त-चित्तो, कारुण्णो कण्ण-वाही जण-णयण-हरो मज्झिमो कित्ति-भागी। गंधब्वे णट्ट-जुत्तो जुवइ-जण-कए भट्ट-छाओ धणड्डो, गोरो जो दीहरंगो गुण-सय-कलिओ मेहुणे रासि-जाओ। जइ किर जलस्स चुक्कइ सोलस-वरिसो मरेज्ज सो ऽसीती । पोसे मिगसिर-वारे बुहम्मि जलणे जले वा वि ॥३॥ । रोगी सीसे सुबुद्धी धण-कणग-जुओ कज्ज-सारो कयण्णू, सूरो धम्मेण जुत्तो विबुह-गुरु-जणे भत्तिमंतो किसंगो। जो बालो दुक्ख-भागी पवसण-मणसो भिच्च-कजेहिँ जुत्तो, खिप्पं-कोबी सधम्मो उदय-ससि-समो मित्तवंतो चउत्थे ॥ जइ कह वि वीसओ सो चुक्कइ पडणस्स जियइ सो ऽसीती । पोसे मिगसिर-सुक्के राईए अड-जामम्मि ॥ ४ ॥ माण-माणी सुखती गुरुयण-विणओ मज्ज-मास-प्पिओ य, देसादेस भमंतो वसण-परिगओ सीय-भीरू किवालू । खिप्पं-कोवी सुपुत्तो जणणि-जण-पिओ पायडो सव्वलोए, सिंघे जाओ मणूसो सुर-गिरि-सरिसो णाण-विज्जाण पुज्जो ॥ जइ जीवइ पंचासो मरइ वसंते सएण वरिसाण । णक्खत्तम्मि मघासुं सणिच्छरे पुण्ण-खेत्तम्मि ॥५॥ भ धम्मिट्ठो वुड-भावे धण-कणग-जुओ सव्व-लोयस्स इट्टो, गंधब्वे कन्व-गट्टे वसण-परिगओ कामिणी-चित्त-चोरो। दाया दक्खो कवी जो पमय-जण-कए छाय-भंसेण जुत्तो, इट्ठो देवाण पुज्जो पवसण-मणसो कण्ण-जाओ मणूसो ॥ सत्थ-जलाणं चुक्को तीसह वरिसो जिएज्ज सो ऽसीती । मूलेणं वइसाहे बुह-चित्ता-पुण्ण-खेत्तम्मि ॥ ६॥ 30 तओ देव, एरिस-गुण-जुत्तो रायउत्तो । एसो ण केणइ पाव-गहेण णिरिक्खिओ, तेण जहा-भणियं रासि-गुण-वित्थरं पावइ । जेण सुह-गुण-णिरिक्खिओ तेण अच्चंत-सुह-फलोदओ भवइ' त्ति । 1) Pom. सिद्धत्थ, I om. च, आगओ P समागतो, P धोयधवलंसुय- for धवल etc. 2) वंदिया, P सिद्धरोवणा, J हरिताल हरिआले फुडं दुव्वंकुरं । अवित्तुत्त P हरियालहरियदरियालिया फुलं कुरु पवितुत्त", P एन्ना मिय. 3) I वणिए. 4) P जहाणवसे त्ति.5) P संवत्सरो, उज,P कत्तिगोत्तिही, P बुद्धवारो for बुहस्स. 6) J सुकम्मो, P निरक्खियं, P सब्वगहा, P-ट्ठाण. 7) P-गह त्ति. 8)J चकीसमो जहा राय, P महाराय for राय. 10) P संवत्सरेण. 11) Pविच्छिओ, P त्ति । अवि य । एसो उरासीओ 12) P जा for ता. 13)P धम्मथि, सहिणयवलिओ P महेणव चलिओ. 14) J कम्मो, P जो for सो. 15) ॥छ ॥ ॥१॥. 16) P लद्ध for दुटु. 17) P तेजस्सी, P जुयइ, J कण्णे खद्धे व for गंडे etc., P विध for चिण्हं. 19) P मिढण्णो, I मेहुणासन्तु, P नयणधरो. 20) I कूए for जुत्तो, " भट्टः, JP च्छाओ. 21) जम्मस्स, JP सो सीतो (अवग्रह is put here because I puts it once below), P मियसिर. 22) P कणयः, P भत्तिवतो. 23) P निच्च for खिप्पं, सुधम्मो. 24) Pकिर जम्मस्स for कह वि वीसओ सो, P पडमेस्स, P सो सीति ।, P पत्तो for पोसे. 25) मांस, P परिगतो. 26) P सिंहो जाओ, P गिरिसुर; P नामधेजण for णाणविजाण. 27) वसंतोसतेण. 29) J दक्खेक्कविज्जो, च्छायभंसेण, P मणुस्सो. 30) I जएज्ज सोऽसीती (note Juses अवग्रह here) P सोसीई, J वेसाहे, P तुहचिंता. 31) Pगुणो for गुणजुत्तो, J om. रायउत्तो, P निर क्खिरओ, J य for जहा, परासी 32) निरक्खिओ, P हवउ for भवइ. Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 उजोयणसूरिविरइया [६४९४ ९) भणिय च राइणा 'अह केण एस एरिसो गुण-वित्थरो भणिओ' त्ति । भणियं च संवच्छरिएण 'देव, आसि 1 किर को विसवण्णू भगवं दिव्व-गाणी, तेण एवं सुसिस्साणं साहियं तेहि वि अण्णेसिं ताव, जाव वंगाल-रिसिणो। संपर्य ३ तेहिं एवं भणियं । तेण एवं वंगाल-जायगं भण्णइ' त्ति । भणियं च राइणा 'सुंदर एयं, ता सेस पिउदाहरण णिसुमि' 3 त्ति । संवच्छरेण भणिय 'देव णिसुणेसु । अत्थागे रोसमंतो फुड-वियड-वओ सोय-दुक्खाण भागी, पत्तट्ठो जो वणिज्जे णिय-घर-महिला सूर-चित्तो विरागी। देवाणं भत्तिमंतो चिर-सुहिय-महा-मित्त-वच्छल्ल-जुत्तो, णिच्च-क्खंती-पवासो चल-णयण-धणो बाल-भावे तुलम्मि ॥ कुडाईणं चुक्को वीसइ-बरिसे मरेज्ज सो सीती । जेटे सिव-खेत्तम्मि य अणुराहंगार-दियहम्मि ॥ ७ ॥ कुरो जो पिंगलच्छो पर-घर-मणसो साहसा साहियत्थो, सूरो माणेण जुत्तो सयण-जणवए णिट्टरो चोर-चित्तो। बालो जो विप्प-पुत्तो जणणि-परिजगे दुट्ठ-चित्तो मणूसो, भागी अत्थस्स जुत्तो पुणरवि विहलो विच्छिए होइ जाओ॥ । अट्ठारस-पणुवीसो जइ चुकइ चोर-सत्थ-सप्पाणं । जेट्ठम्मि सिवे खेत्ते अंगारे सत्तरो मरइ ॥ ८ ॥ सूरो जो बुद्धि-जुत्तो जण-णयण-हरो सत्तवंतो य सच्चो, सिप्पी उण्णवंतो धण-रयण-धरो सुंदरा तस्स भजा। माणी चारित्त-जुत्तो सललिय-वयणो छिड्ड-पाओ विहण्णू, तेयस्सी थूल-देहो णिय-कुल-महणो होइ जाओ धणम्मि॥ ॥ पढमट्ठारस-दिवसे चुक्को सो सत्तसत्तरो मरइ । सवणे सावण-मासे अणसणएण मरइ सुक्के ॥९॥ सीयालू दंसणीओ जण-जणणि- पिओ दास-भूओ पियाणं, चाई जो पुत्तवंतो पर-विसय-सुही पंडिओ दीह-जीवी । 15 मण्णे कोऊहलो जो पर-महिल-रओ लंछिओ गुज्झ-भागे, गजेसु जुत्त-चित्तो बहु-सयण-धणो काम-चिंधम्मि जाओ॥ ॥ वीसइ-वरिसो चुको सत्तरि-वरिसो मरेज सूलेणं । भदवयम्मि य मासे सयभिस-णक्खत्ते सणि-दियहे ॥१०॥ दाया दिट्टीऍ लोलो गय-तुरय-सणो थद्ध-दिट्ठी कयग्धो, आलस्सो अत्थ-भागी करयल-चवलो माण-विजाहि जुत्तो। पुण्णो सालूर-कुच्छी पर-जण-धणदो णिभओ णिञ्च-कालं, कुंभे जाओ मणूसो अवि पिति-जणणी-विक्किो सत्तिवंतो॥ 14 सो चुक्को वग्घाओ अट्ठारसओ जिएज चुलसीति । रेवइ अस्सिणिमासे आइञ्च-दिणे जले जाइ ॥११॥ सूरो गंभीर-चेटो अइपडु-वयणो सजणाणं पहाणो, पण्णा-बुद्धी-पहाणो चल-चवल-गई कोव-जुद्ध-प्पहाणो। A गब्वेणं जो पहाणो इयर-जणवयं सेवए णेय चाई, मीणे जाओ मणूसो भवइ सुह-करो बंधु-वग्गस्स णिचं ॥ १२॥ देव, एए गुणा थिरा, आउ-प्पमाणं पुण काल-भेएणं जं सुयं ति भणियं । तं तिणि पल्लाई, दुवे पल्ले, एक पलं, पुष्व-कोडीओ, पुव्व-लक्खाई, वास-कोडीओ, वास-लक्खाई सहस्साई सयाई वा । णियय-कालाणुभावाओ जं जहा भणियाई तं तहा 24 भवंति । तओ देव, एरिसं एयं वंगाल-रिसी-णिद्दिडं । जइ रासी बलिओ रासी-सामी-गहो तहेव, सव्वं सच्च । अह एए ण A बलिया कूरग्गह-णिरिक्खिया य होंति, ता किंचि सच किंचि मिच्छं' ति । ६५०) तओ भणियं राइणा 'एवमेयं ण एत्थ संदेहो त्ति । 'ता वीसमसु संपर्य' ति आइटुं च राइणा संवच्छरस्स 27 सत्त-सहस्सं रूवयाणं । समुट्टिओ राया कय-मजणो उवविट्ठो आवाणय-भूमी। सजिया से विविह-कुसुम-वण्ण-विरयणा आवाणय-भूमी, सजियाई च अहिणव-कंदोट्ट-रेणु-रंजियाइं महु-विसेसाई, दिण्णाइं च कप्पूर-रेणु-परिसप्पंत-धवलाई आसवविसेसाई, पिजति अहिणव-जाई-कुसुम-सुरहि-परिमलायट्टियालि-रुयाराव-रुणरुणेताओ णिभर-रसमुकंठियाओ सुराओ 30 त्ति । पाऊण य जहिच्छ संलीणो भोयणत्थाणि-मंडवं । तत्थ जहाभिरुइयं भोत्तूण भोयणं उवगओ अस्थाण-मंडवं ति । एवं 18 1) पुण for एस, P संवत्सरेण, J om. देव. 2) कोइ, J भगवान् P भयवं, P सुसीसाणं, P साहितेण अन्नेसि, P वंगालं. 3) Pom. एयं, P वंगाल एयं जायंगं भन्नइ ति, I om. त्ति, P सिस, J उद्दाह. 4) Jom. त्ति, P संवत्सरेण. 5) अत्थोणे, P फुडवयणवचो, J रओ for वओ, P सोग-, P जो सविज्जो. 6) P भत्तिवंतो, P सुहिद-, P निचखंती. 7)P कुडीदीणं, P वीस तिवरिसो, सीतो P सीओ, I स for य, P अणुरायंगाए, J "गारा- 8) J कूरोजो, Pom. घर, सातिभत्थो. 9)P पिय for परि, P मणुस्सो, P जुत्तो for पुत्तो, Pविच्छिए. 10) अट्ठारप", Pजेटुंमि व सिवखेत्ते. 11) -धणो for धरो. 12) छिद्द (ड्ड?) पातो, P-पावो, P होति जाओ धगुंमि. 13) P -दियहे, J मरति, P सुक्को. 14) कुजणजण पिओ, चाइत्तो पुत्त, परवसय. 15) P मल्ले कोऊहले, J कोतूहलो, P भावे for भागे I बहुजण सुधणो होइ मगरम्मि ।, P कामविधेमि. 16)P बीसति, सत्तरिवासो, Jणक्खत्त P तक्खत्ते, P दियहो. 17) दिट्ठीय लोलो, Pणसणो घडदिट्टी. 18) Pषणओ, P मणुस्सो, जणणो णिक्खिवो सत्तवतो. 19) P धम्माओ for वग्धाओ, P रेवति, P "दिण जले जाई. 20) सूरी, गंभीरकोट्टो, P अतिपडपवणो सेज्ज 21) JP सेवते, P मणुस्सो, P सुहयरो. 22) Pएते, धिता for थिरा, Pसतंति for सुयं ति, Pदुच्चे for दुवे, दुवे पलं पुव्वं. 23) Pom. वासकोडीओ, सहस्सा सयाई, P तं for जं. 24) P भवणं ति, P om. एयं वंगालरिसी, P रासिचलिओ रासीसानीसगहो, तदेव Pता देव, PM for एप. 253 कूरगह, P निरक्खिया, J om. य. 26) P तओ राइणा भणियं, P om. एवमेयं. 27) J सयसहस्सं, P विरयणी. 28) P om. च, J परिअप्पंत P धरपंत, P आसविसेसाई पिज्जइ. 29) P कुमयसुरहिपरि',J om. रुया P-रूया, I रुणुरु', णिभरंकठियाओ. 30)P पाऊणयं, P अल्लीणो for संलीणो, J भोअणत्थाणमण्डवं ति एवं च P"मड़वंमि. Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - $५२] कुवलयमाला २१ विवि-खज-पेज-दाण-विष्णाण परियणालाब कहासुं भइतो सो दियो । एपुर्ण चेय कमेण सेस-दिवसा वि ताव जान 1 संपुष्णो बारसो दियो । तत्थ राहणा सदाविया यास-मद्दारिसिसमा मद्दा-वंभणा | संपूऊण भणियं राइणा 'एयस्स बालस किं णार्म कीर'ति । तेहिं भणियं 'जं शेष महाराइणो शेयइति । भणियं राइणा 'जद एवं ता शिसामेद्द 3 दियो । कुवलयमाला चंदो दोणि वि दिट्ठाई जेण सुमिणम्मि । णामं पि होउ तम्हा कुबलयचंदो कुमारस्स ॥ जेण य सिरी दिष्णो गुरु- साहस- तोसियाएँ रहसेणं । सिरिदत्तो चि य तम्हा णामं विइयं पि से होउ ॥ ५१) एवं च कथ-णामधेभो पंच-धाई - परिक्खित्तो अणेय णरवइ-विलया सहस्स-धवल- लोयण-माला- कुमुय-वण-संडमुड-मियंक विय वडिउं पयत्तो । अवि य । व्याप्पि पिन जयहिं वसद् हिवयम्मि अमयमइओ व घडिओ एसो पूर्ण पयावइमा ॥ अह ललियक्खर - महुरं जं जं कुमरस्स णीइ वयणाओ । सुकइ भणियं व लोए तं तं चिय जाइ वित्थारं ॥ किं बहुणा, चकमिएहिं तह पुलइएहिँ हसिएहिँ तस्स ललिएहिं । चरिएहिँ राय- लोओ गयं पि कालं ण लक्खेइ ॥ अणुदियह- वडमाणो लायण्णोयर - समुद्द-णीसंदो । भट्ठ-कलो व्व मियंको अह जाओ अट्ठ-वरिसो सो ॥ अह तिहि करणम्मि सुहे णक्खत्ते सुंदरम्मि लग्गगम्मि । सिय-चंदण- वासहरो लेहायरियस्स उवणीओ ॥ जब्ध ण दीसह सूरो ण य चंदो घोष परियणो सगलो तम्म पएसम्म कथं विजा घर कुमारस्य ॥ लेहायरिय-सहाओ तम्मि कुमारो कलाण गहणट्टा । बारस वरिसाइँ ठिओ अदीसमाणो गुरुयणेणं ॥ अह बारसम्मि वरिसे गहिय-कलो सयल-सत्थ- णिम्माओ । उक्कंठियस्स पिउणो णीहरिओ देव घरयाओ ॥ वो कय-मज्योवयारो धोय-धवल-हंसगम्भ-नियंसणो सिय-पंदण-पश्चिय सरीरो सुपसत्ध-सुमण-माला / धरो नियय-येस- सरिसपसादण-प्पसाहिय-गुरु-वण-मग्गाग्यो आगओ पिडगो चलण-बल-समीवं कुमारो । उयसप्पिकणय गरूप सिणेह-भि- 18 खंड-पूरमाण-हियय-भर गरुण विय कजो से राइणो पणामो तओ राहणा वि सरिस-मेह-चिरविरह-विषभमाण-बादजल-णिब्भर-णयण-जुवलएणं पसारिय दाहिण-बाहु-दंडेण संलत्तं 'उवज्झाय, किं अभिगओ कला-कलाओ कुमारेण ण व' त्ति भणियं च उवज्झाएण देव, फुटं भणिमो, ण गहिजो कला-कलावो कुमारेण' ति तो राइणा गुरु-ब-पहार- 21 जिउदलिय-कुंभत्यलेण विय दिसा-कुंजरेण आउत्रिय थोर-दीहर-करेण भणियं 'कीस ण गहिओ'। उवज्झापूण भणियं 'देव, मा विसायें गेण्ड, साहिमो जहा ण गहिओ' । | 1 1 I 1 ५२) 'आसि किर एत्य पदम पत्थवो कय- धम्मादम्म ववत्थायारो भववं पचावई तेण किर भरह गरिंद- प्मुहस्स 26 णियय- पुत-सयस्स साहिओ एस कला कलावो । तेहिं वि महा-मईहिं गहिलो । तल तेहि वि अण्णोष्ण-नियय- पुत्त-णनुवाणं । एवं च देव, कमेण णरणाह सहस्सेसु रायपुत्त-सएस राय - कुमारिया - णिवहेसु य महामईसु संचरमाणो पारंपरेण एस कलाकलायो एवं कालंतरसुवागओ ओ अणुदिय दाणीए कालस्स ण कोइ तारिखो कहा-कळाव-गण-धारण-समत्यो पुर 27 पुहइ-मंडले भत्थि त्ति । तओ देव, असरणेण पलीण-कुल-वंस-णाहेण दुस्सील - महिला - सत्थेण विय कला-कलावेणं चेव संपयं सर्ववरं गहिल कुमारो ति । तेण शाह, भणिमो ण गहिओ कुमारेण कला-कलायो' ति तो सविसेस जाय-पदरिसेण गहिजो कुमारो राइणा, ठविभो व उच्छंगे, उनको यो भिरं विभो उत्तिमंगे, पुच्छिओ य 'पुत्त कुमार, कुसल 30 तुह सरीरस्स' । तनो सविणय- पणउत्तमंगेण 'देवस्स चलण- दंसणेणं संपर्व कुस' ति संलतं कुमारेण ति । भणियं च राणा 'उवज्झाय, काओ पुण कलाओ गहियाओ कुमारेणं' ति । उवज्झाएण भणियं 'देव, गिसुणिज्जंतु । तं जहा । 1 J " 1) P दिवसो एतेणं चेव, P सेसदियहा. 2 ) P महरिसि, P महावंतणा, P भणिया 3 ) P चेव सं महा एयं for एवं 5 ) P कुवलयमाला वंदी कुमारस्स for the entire verse कुवलयमाला etc., J नाममि. 6 ) P जेणे य सिरीय, P रहसेणा, सिरिपुत्तो वि य, P त्रीयं for बिइयं. 7 ) P किय for कय, P धाइ, P आणेश्नरवई. 9 ) P हत्थाहत्याहत्थं, P अमइम, P पयावरणो. 10> P वयणीओ, P च for व, P वित्थरमुवेइ for जाइ वित्थारं. 11 ) J चकमिएहिं वक्कमि 12 ) P वट्टमाणो लायण्णोदर. 13 ) 3 वासघरो- 14 ) परियणे सयणे, P विज्जाहर हं. 15 ) P वासाई for वरिसाई, ट्ठिओ, P असीसमाणो16 ) P बारसमे, F कला. 17 ) १ घोषचव, १ गम्मिणि सुपसल्बो, समणमालाहरो विपवेस सरियस 18 ) पसाहणसमाहियगुरूणमग्गा', 3 om. जुयल, कुमारो त्ति उवस, Pom. य, P गुरुय, J णिब्भरकंठ P निम्भरुकंठा. 19 ) P हिययभगरण त्ति य. 20 ) P संलत्तत्तम्, P गहिओ for अभिगओ, कुमारेण त्तिय ।- 21 कलाओ, P पहरनिद्दलियकुभ (22) J°रेण विय आउट्टियं, Pom. थोर, P दीह for दीहर, P कीस न कहिओ. 23 ) जह for जहा, गहिआओ. 24) J पत्थिओ P पढमत्थिवो, P धम्म for हम्म हम्मघवत्थारो, P पमुहस्स तिययरस साहिओ. 25 ) P तेहिं मित्तेहिंमिमहामइगहिओ, P तैर्हि मि अन्नाणनियय. 26 ) P नरनाह ससोमुरायउत्त, P महामइसु, परंपरेण, एक्क for एस. 27 ) एवं for एयं मुवगओ, न कोई, Pधारणा- 28 ) P दुसील, P कलावे य संपयं. 30 Jom. उवरूढो य. 31) J -पणतुत्त", Pसविण संपणामित्रो उत्तिमंगेण, P कुमारेण त्ति. for पुण निमुणेन तुमं for णिणिज्वंतु. व 32) P 12 15 Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ उज्जोयणसूरिविरइया [$५२1 मालेक्ख णटुं जोइसं च गणियं गुणा य रयणाणं । वागरण वेय-सुई गंधव्वं गंध-जुत्ती य॥ संखं जोगो वारिस-गुणा य होरा य हेउ-सत्थं च । छंद वित्ति-णिरुत्तं सुमिणय-सत्थं सउण-जाणं ॥ आउजाणं तुरयाण लक्खणं लक्खणं च हत्थीणं । वत्थु वट्टा खेडं गुहागयं इंदजालं च ॥ दंत-कयं तंब-कयं लेप्पय-कम्माई चेय विणिओगो । कव्वं पत्त-च्छेज फुल्ल-विही अल्ल-कम्मं च ॥ धाउवाओ अक्खाइया य तंताई पुष्फ-सयडी य । अक्खर-समय-णिघंटो रामायण-भारहाई च ।। कालायस-कम्म सेक्क-णिपणओ तह सुवण्ण-कम्मं च । चित्त-कला-जुत्तीओ जूयं जंत-प्पओगो य ॥ वाणिज्ज मालाइत्तणं च खारो य वत्थ-कम्मं च । आलंकारिय-कम्म उयणिसयं पण्णयर-तंतं ॥ सव्वे णाडय-जोगा कहा-णिबंधं फुडं धणुव्वेओ। देसीओं सूव-सत्थं आरुहयं लोग-वत्ता य॥ ओसोवणि तालुग्घाडणी य मायाओँ मूल-कम्मं च । लावय-कुकुड-जुद्धं सयणासण-संविहाणाई॥ काले दाणं दक्खिण्णया य मउयत्तणं महुरया य । बाहत्तरि कलाओ वसंति समयं कुमारम्मि ॥' ५३) तओ भणिय राहणा 'उवज्झाय, एताणं कलाण मज्झे कयरा पुण कला विसेसओ रायउत्तेण गहिया परिणया 12वा, कहिं वा अहिओ अब्भासो' त्ति । भणियं च उवज्झाएण 'देव, 12 जज दावेइ कलं हेलाएँ कह वि मंथरं राय-सुओ । जइ तहिं तहिं चिय अहिययरं एस णिम्माओ ॥ तह वि सोहग्ग-पढम-इंधं सयल-कला-कामिणीण मण-दइयं । सुपुरिस-सहाव-सुलहं दक्खिण्ण सिक्खियं पढमं ॥ तो देव, 15 णियय-कुल-माण-पिसुणं गुरु-कुल-वासस्स पायर्ड कर्ज । लच्छीऍ महावासं दुइयं विणयं अदुइयं से॥ 15 __ जाणइ काले दाउं जाणइ महुरत्तणं मउयया य । एक णवरि ण-याणइ सं पिहु अप्पियं भणिउं ॥ सब्ब-कला-पत्तटे एको दोसो णारंद-कुमरम्म । पणइयण-अमित्ताण य दाउं पि ण-याणए पट्टि ॥' 18 ताव य राइणा 'सुंदर सुंदर' ति भणमाणेण जलहर-पलय-काल-वियलंत-कुवलय-दल-ललिय-लायण्णा वियारिया रायउत्त-18 देहम्मि दिट्ठी । दिवो य अणवरय-वेणु-वायणोग्ग-लग्गंत-लंछणा-लंछिओ महासेल-सिहर तो विय तुंगो वामो अंस-सिहरो त्ति। तहा अणुदियह-बाहु-जुद्ध-जोगा समय-भुया-समप्फोडण-किण-कढिणियं दिटुं लच्छीय मंदिरं पिव वच्छयलं, तहा अणवरयधणुजत-कणा-कहिण-गुण-घाय-ककसं वाम भुया-फलिहं, दाहिणं पि विविह-असिघेणु-अविसेस-बंधण-जोग्गालक्खिजमाण-21 किणकियं पेच्छइ त्ति । तहा अणवरय-मुरय-ताडण-तरलियाओ दीह-कढिणाओ पुलएइ अंगुलीओत्ति । अगेय-ण-करणंगहार चलण-कोमलाई सेसयाई पि से पलोएइ अंगयाइं । सिंगार-वीर-बीहच्छ-करुण-हास-रस-सूययाई णयणाणि वि से 24 णिज्झाइयाई, अणेय-सत्थत्थ-वित्थर-हेऊदाहरण-जुत्ति-सावटुंभं वयणयं ति । अवि य । 24 दीसंति कला कोसल-जोग्गा संजणिय-लंछणं पयडं । पेच्छइ मुणाल-मउयं रायंगं अह कुमारस्स ॥ ६५४) दट्टण य णेह-णिभरं च भणियं राइणा 'कुमार पुत्त, तुह चिर-विओग-दुब्बलंगी जणणी तुह दसणासा27 विमुझंत-संधारिय-हियया दढं संतप्पइ । ता पेच्छसु तं गंतूणं' ति । एवं च भणिय-मेत्ते राइणा 'जहाणवेसि' त्ति भणमाणोश समुट्रिो राइणो उच्छंगाओ, पयट्टो जणणीए भवणं । ताव य पहावियाओ बब्बर-वावण-खुजा-वडभियाओ देवीए वद्वावियाओ त्ति । ताव य कमेण संपत्तो जणणीए भवणं । दिट्ठा य णेण जणणी । तीए वि चिर-विओग-दसणाणंद-बाह-भर30 पप्पुयच्छीए दिलो। संमुहं उयस प्पिऊण य णिवडिओ से राय-तणओ जणणीए चलण-जुयलए । तीए वि अवयासिओ सुह-30 सिणेह-णिब्भर-हिययाए, परिउंबिओ उत्तमंगे, कयाई सेस-कोउयाई। उयारिऊण य पलोटिओ से पाय-मूले दहि-फल 1) P चू for णट्ट, Pom. च, P वायरणं वेयसुती. 2) P यंखजोगो वरिसणगुणा, P वित्ती, P समणसत्थं. 3) आउजाणं तुरअलक्खणं, P वत्थुवड्डाखड़े. 4) J दंतजालं दंतकर्य P दंतकम्मं तंवकम्म, कयं लेप्पयं लेप्पयक','च्छेज्ज अस्स (ल.) कम्मं च फुल्लविहिं धाउव्वायं, P फुल्लविही. 5)P अक्खाइयाई तं", P पुप्फुसडी, पय for समय. 6) Pसुवन्नकरणं च,J-पओगो Pप्पओगा. 7) I अल्ल for वत्थ, P"कारियं, पल्लग for पण्णयर. 8) Jणागर for णाडय, नाडयजोगो कहानिउद्धं, लोअवत्ता P लोगजुत्ता. 9) Jओसोवणी तालूघाडणी, P तालुग्धाटणा य पासाओ, P कुक्कड. 10) बाहत्तरी- 11) P om. एताणं,J om. पुण, P रायपुत्तण. 12) P च for वा, P अव्वासो. 13) P हेलाय विकह व, P नेज्जइ. 14) Pतदो for तओ. 15) P नियकुलकम्माण, P लच्छीय, सहावासं, J अइदुइअं. 16) Pमडझरत्तणं समउ, P नवर न जाणइ, P वेसि पि, P अपिउं. 17) पत्तदो, पणिईयण P पणई पणमित्ताण, P दाउं चिय नयण एपहि. 18) Pom. ति,J लायण्ण. 19) P वायणलग्गंतलंछण, वासो for वामो. 20) जुज्झजोग्गो, P समलुया समप्फोडणंकेग, J मंदिरयं, वच्छलयं. 21) P कड्डिणा, Pग्द्याय, I वामभुआदलिह, भुयफलिहं, असिघेणुं भविसेस, P पवेस for अविसेस. 22) तदा for तहा, Pमुखताटण, वलिअउ for तरलियाओ, नदीहर for दीह, कढिणीओ, P पुलइए, P नट्टकरणमहावहावरलक्खण. 23)P पि सेसयाई से, J पुलएइ, P अंगाइ, P बीभत्स, P सूझ्याई, वि सेस निज्झा'. 24)P सत्थरस्था, जुत्तीवयणं अत्ति, I om. अवि य. 25) P -मुइयं रायां अंगं कुमा. 26) P नेय for णेह, ' णिब्भरं भणियं च, P विरह विउलियं for चिरविओग. 27) एवं भणियमेत्तो. 28) Pताविय, P वामणयखुज्जा. 29) P विओय. 30) P भरहपणुयच्छीए, J पप्फुयच्छीए, P समुहं, Pom. य,P वियवयासिया, अs for सुद्द. 31) Pपरिचुंबिओ उत्तिमंगे, उसे for सेस, Pom. य, फलक्खय. Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३ -६५६] कुवलयमाला अक्खय-णियरो। तओ कयासेस-मंगलो परिसेस-माइ-जणस्स जहारिहोवयार-कय-विणय-पणामो णिवेसिओ जणणीए णिय- 1 उच्छंगे। भणिओ य 'पुत्त, दढ-वज-सिलिंका-णिम्मवियं पिव तुह हिययं सुपुरिस-सहाव-सरिसं, ता दीहाउओ होहि' । 'माऊण सईणं रिसीणं गाईणं देवाणं बंभणाणं च पभावेणं पिउणो य अणुहरसु' त्ति भणिऊणं अहिणंदिओ माइ-जगेणं तु। ५५) ताव य समागओ पडिहारो णरवइणो सयासाओ । आगंतूण य पायवडणुट्टिएणं विण्णत्तं महा-पडिहारेणं 'कुमार, तुमं राया आणवेइ जहा किर संगाम-समय-धावण-वहण-खलण-चलण-पडिहत्थ-जोग्गाणिमित्तं थोवं-थोचेसुं चेय दियहेसु णाणा-तुरंगमा आवाहिजति, ता कुमारो वि आगच्छउ, जेण समं चेव वाहियालीए णिग्गच्छामो' त्ति । तओ 'जं 6 आणवेइ ताओ'त्ति भणमाणेण पेसिया कुवलय-दल-दीहरा दिट्ठी जगणीए वयण-कमलम्मि । तओ भणियं च से जणणीए । 'पुत्त, जहा मेहावीओ आणवेइ तहा कीरउ' त्ति भणमाणीए विसजिओ, उवागओ राइणो सयासं । भणियं च राइणा । 'भो भो महासवइ, उयवेह तुरंगे । तत्थ गरुलवाहणं देसु महिंदकुमारहो, रायहंसं समप्पेह वोप्परायहो, रायसुयं 9 सूरसेणहो, ससं पुणं देवरायहो, भंगुरं रणसाहसहो, हूणं सीलाइच्चहो, चंचलं चारुदत्तहो, चवलं बलिरायहो, पवणं च भीमहो, सेसे सेसाणं उवट्ठवेह तुरए रायउत्ताणं, महं पि पवणावत्तं तुरंगमं देसु त्ति । अवि य कणयमय-घडिय-खलिणं रयण-विणिम्मविय-चारु-पल्लाणं । तुरियं तुरंगम देह कुमारस्स उयहिकल्लोलं ॥' ताव य आएसाणंतरं उवट्ठविओ कुमारस्स तुरंगमो। जो व केरिसओ । वाउ-सरिसओ, गमक्क-दिण्ण-माणसो। मणुजइसओ, खण-संपत्त-दूर-देसंतरो। जुवइ-सहावु-जइसओ, अइणिरह-चंचलो। खल-संगइ-जइसओ, अत्थिरो। चोरु-जइसओ, णिञ्चविग्गो ति । अवि य खलु-णरिंद-जइसेण णिस्थद्धेण कण्ण-जुवलुल्लएण, पिप्पल-किसलय-समेण चलच्चलंतेण सिर- 15 चमरेण, महामुरुक्खु-जइसियए खमखमेंतियए गीवए, परिहव-कुविय-महामुणि-जइसएण फुरफुरतेण णासउडेण, महादहुजइसएण गंभीरावत्त-मंडिएण उरत्थलेण, विमणि-मग्गु-जइसएण माणप्पमाण-जुत्तेण मुहेण सुपुरिस-बुद्धि-जइसियए थिर-विसालए पट्ठियए, वेस-महिल-पेम्म-समेण अणवट्टिएण चलण-चउक्केण । अवि य 18 जलहि-तरंग ब्व चलं विजुलया-विलसियं व दुल्लक्ख । गजिय-हेसा-रावं अह तुरयं पेच्छए पुरओ ॥ ५६) दट्टण य तुरंगमं भणिय राइणा 'कुमार, किं तए णजए तुरय-लक्खणं' । ताहे भणियं कुमारणं 'गुरु-चलण। सुस्सूसा-फलं किंचि णजइ' त्ति । भणियं च राइणा 'कइवय तुरयाणं जाईओ त्ति, किं वा माण, किं वा लक्खणं, अह 21 अवलक्खणं' ति । कुमारेण भणियं 'देव, णिसुगेसु। तुरयाण ताव अट्ठारस जाईओ। तं जहा। माला हायणा कलया खसा कक्कसा टंका टंकणा सारीरा सहजाणा हूणा सेंधवा चित्तचला चंचला पारा पारावया हंसा हंसगमणा वत्थव्वय त्ति । एत्तियाओ चेव जाईओ। एयाणं जं पुण वोल्लाहा कयाहा सेराहाइणो तं वण्ण-लंछण-विसेसेण भण्णइ । अवि य। 24 आसस्स पुण पमाणं पुरिसंगुल-णिम्मियं तु जं भणियं । उक्किटुवयस्स पुरा रिसीहिँ किर लक्खणण्णूहिं ।। बत्तीस अंगुलाई मुहं णिडालं तु होइ तेरसयं । तस्स सिरं केसं तो य होइ अट्ठ विच्छिपणं ॥ चउवीस अंगुलाई उरो यस्स भणिभो पमाणेण । असीति से उस्सेहो परिहं पुण तिउणियं बेंति ॥ तओ देव, 27 एयप्पमाण-जुत्ता जे तुरया होंति सव्व-जाईया । ते राईण रजं करेंति लाहं तु इयरस्स ॥ अण्णं च । रंधे उवरंधम्मि य आवत्ता णूण होंति चत्तारि । दो य पमाण-णिडाले उरे सिरे होति दो दो य ॥ 0 दस णियमेणं एए तुरयाणं देव होति आवत्ता । एत्तो ऊणहिया वा सुहासुह-करा विणिहिट्ठा ॥ 1) J परिसमागयस्स जगस्स जहारिहोवयारा, P जणसीए उत्संगे. 2) वज्जले for वज्ज, P हियवयं सपुरिस, दीहाउयं होह. 3) P सतीणं, J माइजणेण । ताव. 4) P रो त्ति नर', णरवइसया'. 5) Pom. तुमं, P महाराया for राया, Pom. वहण, Jom. चलण, P चचलण परिहत्थ, Pथोयथोएसं, बिश्य for चेय. 6) P वाहयालीए, P तहाओं जहाणवेइ. 7J°वेत्ति ताओ त्ति, J णिवेसिया for पेसिया, Pom दल. 8) I जहाणवेइ तहा, 3 उवगओ, P राइणा सगासं. 9) P अवह तुरंगमे, रायहंस, Jom. रायसुयं. 10) सेसं for ससं, P रणसाहसहूण, सिला", P चारुयत्तहो, P om. च. 11) सेसो सेसाण उवट्ठवेहा, P पवणवेत्तुं. 12) P खलणं, P 'गमं तु देय कुमरस्स य उअहिं. 13) I उवढिओ, P जो ताव सो केरिसो वाओ जइसओ. 14) J सहाउ, P om. अइ, P संगो for संगइ, P अथिरचोरो. 15) Pom. अवि य, जइसेणा P जासएण, निश्चत्थद्धपणं, जवलल', P किसलजइसंपणं सीसेण चलचलं', P om. सिरचमरेण. 16) P महामुरुक्खुरुक्खुजइसिआए खमंखमंतीए गीवाए, J जइसिए, P पुरुपुरतेण, P महद्दहो. 17) P विवणि, P जुत्तण अंगेण खु पुरिस, P जइसियाए थिरविलासीए पट्रीए. 18) P महिला, P पेमं for पेम्म, P चउकएण. 19) Pचं for व्व, P हसारावं, I तुरिओ for पुरओ. 20) P नज्जइ किंचि तुरंगलक्खणं। तओ भणियं, Jom. चलण. 21) P सुस्सूसाराणफलं, P कइ for कइवय, P om. त्ति, P om. वा before लक्खणं, P om. अह. 22) P च त्ति for ति, P सुणेसु, I तुरियाणं, P अट्ठारसु, J साला for माला, P भाइला कलाया for हायणा etc. 23) P साह जाणा, P सैंधवा, P चित्ता, P पैरा पैरावत्ता. 24) Pom. एत्ति, P वत्तलंधणं, भणति for भण्णद. 25) J सुण for पुण, P°गुणनिम्मयं, P कर for किर. 26) P तेरसया, दस for य. 27) Pऊरो, ह य for प. P अस्सीति.J om. से. Pom. तओ देव. 28) J एयपम्माण, P जाईओं, 29) Pव for य,J has a marginal note प्रपान उपरितनोष्ठ: possibly for the word आवत्ता, उर. 30) एते, P आवत्तो, अहिया वा Pऊणहिया य वसुहा Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया पोइरिम होयणाण व माले घोणाएँ जस्स आवतो रूस अवस्स सामी अकारणे बंधु वग्गो य ॥ भुयायण-मजायारे भावतो होइ जस्स तुरयस्स सामी घोडव-पालो व तरस भत्तं ण अजेइ ॥ णासाऍ पास लग्गो भावत्तो होइ जस्स तुरयस्स । सो सामियं च णिहणइ खलिय- प्पडिए ण संदेहो ॥ जाणूसु जस्स दोसु वि आवत्ता दो फुडा तुरंगस्स । खलिय-पडिएन हिणइ सो भवारं रण-मुहम्म] ॥ कण्णे जरस दो वि सिप्पीओ होंति वह शुलोमाओ सो सामियस्स महिलं दूमेट् ण एव संदेहो ॥ 6 ता देव, एते असुद-लखणा, संपर्व सुद्ध-लक्खणेमे णिसामेहि ति । । संघाड जइतिष्णिसु डिया रोमया णिडालम्मि । जण्णेहिँ तस्स पहु दक्खिहिँ णिचं जयइ सामी ॥ उबरंधा उपरि आवत्तो जस्स छोइ तुरयस्स बइ कोट्टयारं धनं च पणो ण संदेदो ॥ बासु जस्स दोसु वि आपणा दो फुढा तुरंगस्स मंडेइ सामियं भूसगेहिं सो मेहली तुरभो ॥' 1 3 9 21 २४ 27 'कुमार, पुणो वि § ५७) जाव व एवं एत्तियं आस-लक्खर्ण उदादरद कुमारो कुवलयचंदो ताव राइणा भणियं सत्था सुणिहामो' त्ति भणमाणो आरूढो पवणावत्ते तुरंगमे राया । कुमारो वि तम्भि चेव समुद्दकलोले वलग्गो तुरंगमे । 12 सेसा वि महा- सामंता केइत्य तुरंगमे, केत्य रहबरे, केत्य गणवरे, के एत्थ वेसरेसुं, अण्णे करदेसुं, अबरे रेसुं, 19 अवरे जैपाणेसुं अवरे जंगएसुं, अण्णे झोलियासुं ति । अविव । 30 य-गय-रह- जोहेव बहु-जाण सहस्स वाहणादण रागणं विराय मेदं पि हु मदद-संचारं ॥ 15 1 15 तत्र उद- मुंडरीय सोहिओ च-सिव-वार-चामरागव- हंस-सनादो दर-हार-संख-ण-वल-नियंसण-सलिल-समोत्थओ || सरय-समय- सरवरो विय पयट्टो राया गंतुं । तस्स मग्गाणुलग्गो कुमार कुवलयचंदो वि । तम्मि पयट्टे से पि उद्धाइयं बलं । तो दिय-पव-णिक्खेव चमडणा-भीवा नराणं णरा, खराणं खरा, बेसरा बेसरा, तुरयाणं तुरया, करहाणं करदा, रहवरार्ण 18 रहयरा, कुंजराणं कुंजरा वि पहाविया भीया गिषय-हत्यारोहाणं ति ताव म फेरि च तं दीसितं पयतं व नवि व 18 तुंग- महागय-सेलं चलमाण महातुरंग पवणिलं । णज्जइ उप्पायम्मि व पुढवीए मंडलं चलियं ॥ तओ पुरंव-खाये पत-कुंजरि सुचारुचिं कुठे रंगमियं ॥ सुसेय-छत्त-संकुलं खलंत - संदणिल्लयं । तुडत हार-कंठयं पहावियं ति तं बलं ॥ ओसरद देह अह रे कह जिरो सि मा तूर कुयिहि मज्झ राया देह पसाएण मगं मे ॥ जा-जाहि तूर पसरसु पयट्ट वच्चाहि अह करी पत्तो । उच्छलिय- कलयल-वं मग्गगालगं बलं चलिये ॥ 24 तमो एवं च रह-गय-नर-तुरय-सहस्स संकुले कमेण पत्तो राय-म ताव व महाणई-पूरो चित्र उत्थरि पयत्तो महा-राय- 94 मग्ग-रच्छाओ ति । अह गयऍ कलयलो परियइ जिय समुद्दणिग्घोसो । कुवलयचंद - कुमारे चंदम्मि व णीहरंतमि ॥ fiers किर कुमारो जो जत्तो सुणइ केवलं वयणं । सो तत्तो चिय धावइ जहुज्जयं गो-गहे व्व जणो ॥ अइकोउय रहस भरंत हियय परियलिय लज्ज-भय-पसरो । अह धाइ दंसण-मणो णायर-कुल- बालिया-सरथो ॥ ताव य कुमारो संपतो धवलट्टालय-सय-सोहियं णयरी-मज्झद्देसं रायंगणाओ त्ति । ६ ५८) ताव य को वृत्तंतो णायरिया-जणस्स वहिउं पयत्तो । एक्का नियंब-गरुई गंतुं ण चएइ दार-देसम्मि । सहियायणस्स रुस्सह पढमं चिय दार-पत्तस्स ॥ अण्णा धावति चिय गरुव थणादार भोय सुठियंगी। जीससइ चिव नवरं पिययम-गुरु-बिरद्द-तविय व्य ।। [ ५६ 1 3 21 27 J 11) P 1 ) Jसुआवत्ता P होइ आवत्तो, P आकरणे. 2 ) P भुययाणे मज्झयाए, P तो जस्स होइ तु", " बालो for पालो, सज्जे P अज्जेंति. 3 ) J सासाय P नाहीए पासग्गो, तो जस्स होइ तु, १ तो for सो, Pom. च, P निणए. 4 ) वडण 5 ) P वि सिप्पिओ होंति आणुलो ं, P दूसेइ. 6 ) P सुहलक्खणा मेति निसामेव त्ति 7) सिंघाड, द्विता, ता जाण for जण्णेहिं बहु for पहु, P जयति. 8 ) J उबरंगाणं, आवत्ता, P होति, P वडइ कोट्ठायारं, P पइण्णो. 9 ) P यस्स, for दुडा फुडा, P मंडेहिं, P भूषण। हिं, तुरगो. 10 ) P एयं च एत्तियं, P उआदर कुमार, P पुणो वीसत्थासमारूढो for आरूढो, P य for चेव. 12 > Pom. केइत्थ रहवरेसुं, 3 om. केइत्थ गयवरेसुं के एत्थ वेसरेसुं. 13 ) P झोलियासु ति. 14 ) P वारुणान्नं, P वियारह 15 ) P पुंडरिय, P चामररायहंस, समत्थओ 16 ) तम्मि पयट्टो, P सेसं पसेसं पि. 17 ) P निद्धय, Pom. णराणं, वेगसराणं वेगसरा 18 ) P य for भीया णियय, P हत्थि for हत्था 19) P उप्पायं पिव पुहईए. 20 ) P खग्गग्गयं, Jom. चलंतकुंजरिलयं. 21 ) सदिणिलयं P सं gap, J तुरंत P उत पहावियं तं बलं ति P चलति for बर्रुति 22 ) P कुप्पिदी. 23 ) रवो for रवं, तओ (on the margin) for बलं 24 ) P संपत्तं for पत्तो, उ महाणइपहो. 25 ) P मग्गच्छाउ 26 ) P -कुमारो 27 ) r जुत्तो for जत्तो. 28 ) रहभरंति, इय for अह 29 ) P सयलसाहिअं नयरिमग्गुद्देसं. 30 ) P बड्डियो 31 ) Pन एक्का नियंबगरुयी तुंगं न, P रूस 32 ) P धावंत, P थणाभायभोय. 30 Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला 1 एक्का लजाए घरं आणिजइ कोउएण दारद्ध । अंदोलइ व्व बाला गयागएहिं जण-समक्ख ॥ अण्णा गुरूण पुरओ हियएणं चेय णिग्गया बाहिं । लेप्पमइय ब्व जाया भणिया विण जंपए किंचि गुरुयण-वंचण-तुरियं रच्छा-मुह-पुलयणे य तल्लिच्छं । एक्काए णयण-जुयलं सुत्ताइद्धं व घोलेइ ॥ गमण-रय-खुडिय-हारा थणव-लुदंत-मोत्तिय-पयारा । अण्णा विमुंचमाणी धावह लायण्ण-बिंदु व्व ॥ पसरिय-गईए गलिया चलणालग्गा रसंत-मणि-रसणा । मा मा अगणिय-लज्जे कीय वि सहिय ब्व वारेइ ॥ 8 वियलिय-कडि-सुत्तय-चलण-देस-परिखलिय-गमण-मम्गिल्ला । करिणि व्व सहइ अण्णा कणय-महा-संकलं-दुइया । इय जा तूरंति दढं णायर-कुल-बालियाओ हियएणं । ता णयरि-राय-मग्गं संपत्तो कुवलयमियको ॥ ताव य का वि रच्छा-मुहम्मि संठिया, का वि दार-देसद्धए, का वि गवक्खएसु, अण्णा मालएसु, अण्णा चौपालएसु, अण्णा रायंगणेसु, अण्णा णिजहएसु, अण्णा वेड्यासु, अण्णा कमोलवालीसु, अण्णा हम्मिय-तलेसु, अण्णा भवण-सिहरेसु, 9 अण्णा धयग्गेसु ति । अवि य । जत्तो पसरइ दिट्टी गजइ पुर-सुंदरीण वयणेहिं । उप्पाउग्गम-ससि-बिंब-संकुलं दीसए भुयण ॥ 2 तओ के उण आलावा सुविडं पयत्ता । 'हला हला, किं णोल्लेसि इमेणं दिसा-करि-कुंभ-विभमेणं मम पओहर-भारेणं' | 12 'सहि, दे आमुच सुपट्टि-देसम्मि तडुविय-सिहंडि-कलाव-सच्छह केस-भारं'। 'अइ सुत्थिए, मणयं वालेसु कणय-कवाडसंपुड-वियर्ड णियंबयड । पसीय दे ता अंतरं, किं तुह चेय एक्कीए कोउयं' । 'अइ अहब्वे, उक्खुडियाए हारलयाए दारुणे 5 मा मोडियाई कणय-तल-वत्ताई'। 'मइ वज मे मुसुमूरियं कुंडलं' । 'हा अवडिय-णिग्धिणे, जियउ कुमारो। अलजिए, 16 संजमेसु थण-उत्तरिज' ति। भह सो एसो श्चिय पुरओ मग्गेण होइ सो च्चेय । कत्थ व ण एस पत्तो णूणं एसो चिय कुमारो॥ 8 इय जा महिला-लोओ जंपइ अवरोप्परं तु तुरमाणो । ता सिरिदत्तो पत्तो जुवईणं दिटि-देसम्मि ॥ ताव य, एक्कम्मि अणेयाओ सलोणए तम्मि दीह-धवलाओ। सरियाओ सायरम्मि व समयं पडियाओ दिट्ठीओ ॥ ६५९) तओ केरिसाहिं उण दिट्ठीहिं पुलइओ कुमार-कुवलयचंदो जुवईयगेणं ।। णिद्दय-सुरय-समागम-राई-परिजग्गणा-किलंताहिं । वियसंत-पाडलापाडलाही काणं पि सवियारं ॥ दइयाणुराय-पसरिय-गंडूसासव-मएण मत्ताहिं । रत्तुप्पल-दल-रत्ताहिं पुलइओ काण वि विलक्ख ॥ पिययम-विदिण्ण-वासय-खंडण-संताव-गलिय-बाहाहिं । पउम-दलायंबिर-तंबिराहिँ काणं पि दीणाहिं ॥ साहीण-दइय-संगम वियार-विगलंत-सामलंगीहिं । णीलुप्पल-मालाहिँ व ललिय विलयाण काणं पि ॥ ईसि-पसरंत-कोउय-मयण-रसासाय-घुम्ममाणाहिं । णव-वियसिय-चंदुजय-दल-मालाहि व काणं पि ॥ रहस-वलंतुम्बेल्लिर-धवल-विलोलाहि पम्हलिल्लाहिं । णव-वियसिय-कुंद-समप्पभाहिँ सामाण जुवईणं ॥ 27 दिलिदिलियाण पुणो पसरियमासण्ण-कोउहल्लाहिं । कसगोयय-तारय-सच्छहाहि ताविच्छ-सरिसाहिं ॥ एवं च णाणा-विह-वष्ण-कुसुम-विसेस-विणिम्मविय-मालावलीहिं व भगवं अइहउव्वो विव विरूव-विरूविय-रूवो ओमालिओ दिहि-मालाहिं कुमारो । अवि य । 30 णीलुप्पल-मालियाहि कमल-दलेहि सणेहयं वियसिय-सिय-कुसुमएहिँ अहिणव-पाडल-सोयं । रत्तुप्पल-णिवहएहिँ तह कुंद-कुसुम-सोहयं अच्चियओ णयणएहिँ कुसुमेहि व सो मयणओ ।। अंगम्मि सो पएसो पत्थि कुमारस्स बाल-मेत्तो वि । भुमया-धणु-प्पमुक्का णयण-सरा जम्मि णो पडिया ॥ 13 तओ कुमार-कुवलयचंदं उद्दिसिय किं भाणिउं पयत्तो जुवइ-जणो । एक्काए भणियं 'हला हला, रूवेण णजइ अणंगो कुमारो । ३३ अण्णाए भणियं 'मा विलव मुद्धे, 1) Pलज्जाइ, P दारंतं for दारद्ध. 2) Pगुरुयण, Pचेव. 3) P पुलयणेण तच्छिला, P नमणजलं. 4) J (ग) मणिरयण, P रइ for रय, I वट्ठा, लुठंत, P लावण्ण. 6) P विडिय, P खलियतुरियगमणिला, P करणि, P कणयमयं संखलं. 8) Pमुहं संठिया, P दारमदेसद्धंतपसुं, P आलएसुं. 9) Pरायासण्णेसु, P कवोलवासीसुं, P अमियपलेसुं for हम्मिय", Pom. अण्णा before भवण-. 10) Pधयग्गएसु त्ति. 11) J मुर for पुर, P दीसइ भुवणं. 12) Pom. तओ, J विभवेणं, P om. ममं. 13) देयासुं च, P पट्टदेसंमि, सुथिए, एकवाडसंपुडं नियंबयर्ड. 14) Pतादे for दे ता, Pणय for चेय, Pउक्खडिया हारलया दारुणो मोडियाई कणयवत्ताई. 15) P वजा मे, P हा हा यवडिया. 16) संजमसु थणुत्तरिजयं ति. 17) P चेय for श्वेय. 18) Pom. तु, P तुरयमाणो, जुवईयण. 19) P धवलो. 20) पुण पुलइओ दिट्ठीहिं, यणेण । अवि य ।. 21) Pपरिजग्गिणा किलंतीहिं, को for काणं. 22) Pमयण for मएण,J कोवि व for काण वि. 23) P विइत्त, गंडण, J -खलियवासाहि, काहिं for काणं. 24) P-विलयंतसामलत्ताहिं, विलयाहि काहिं पि. 25)P विलियचंदुज्जल, काहिं for काणं. 26) P पम्हलीलाहिं, समप्पहाहि. 27) दिहिंदियाण, P पसरियमासंतु कोउयहिल्लाहिं, P कसिणोअइतरेय, P तापिच्छ. 28)P अदिट्ठपुग्यो, P विरूववियरूवो. 30) णिलुष्पलमाली आहिं, P बि सिय, P कुमुयएहि. 32) Pय देसो for पएसो, J -पम्मुक्का. 33. P जुवईयणो, मए कीए भणियं. 34) P लव for विलव. Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ उज्जोयणसूरिविरइया [ ५९1 होज्ज अणंगो जइ पहरह दीण-जुवइ-सत्थम्मि । एसो पुण वहरि-गइंद-दंत-मुसुमूरणं कुणह' ॥ अण्णेकाए भणि 'सहि, पेच्छ पेच्छ णजइ वच्छत्थलाभोगेण णारायणो' त्ति । अण्णाए भणियं । ३ 'सहि होज फुड णारायणो त्ति जइ गवल-कज्जल-सवण्णो । एसो पुण तविय-सुवण्ण-सच्छहो विहडए तेण ॥' अण्णेक्काए भणियं 'कंतीए णज्जइ हला, पुण्णिमायंदो' त्ति । अण्णाए भणियं । 'हूँ हूँ घडइ मियको सामलि जइ झिजइ जइ य मय-कलंकिल्लो। एसो उण सयल-कलंक-वजिओ सहइ संपुण्णो ।' 8 अण्णेकाए भणियं सत्तीए पुरंदरो य जइ' । अण्ण्क्काए भणियं ।। 'ओ ए पुरंदरो चिय जइ अच्छि-सहस्स-संकुलो होज । एसो उण कक्खड-वलिय-पीण-दढ-सललिय-सरीरो॥' अण्क्काए भणियं 'अंगेहिं तिणयणो णजइ' । अण्णेक्काए भणियं 'हला हला, मा एवं अलियं पलवह । 9 होज हरेण समाणो जइ जुवई-वडिय-हीण-वामद्धो । एसो उण सोहइ सयल-पुण्ण-चउरंस-संठाणो ॥' अण्णेकाए भणियं 'सहि, णजद दित्तीए सूरो' त्ति । अण्णाए भणिय ।। 'सहि सञ्च चिय सूरो चंडो जइ होज तविय-भुवणयलो । एसो उण जण-मण-णयण-दिहियरो अमयमइओ व्व ।।' 12 अण्णाए भणियं 'हला हला, णज्जइ मुद्धत्तणेण सामिकुमारो' । अण्णाए भणियं । 'सच्चं होज कुमारो जइ ता बहु-खंड-संघडिय-देहो । रूवाणुरूव-रूवो एसो उण कक्कसो सहइ ॥' इय किंचि-मेत्त-घडिओ देवाण वि कह वि जाव मुद्धाहिं । विहडिजइ ता बहु-सिक्खियाहि जुबईहिँ सिरिणिलओ ॥' 15६६०) ताव य कुमार-कुवलयचंद-रूव-जोवण-विलास-लायण्ण-हय-हिययाओ किं किं काउमाढत्ताओ णायर-तरुग- 18 । जुवाणीओ त्ति । एक्का वायइ घीणं अवरा वन्बीसय मणं छिबइ । अण्णा गायइ महुरं अण्णा गाहुल्लियं पढइ ॥ 18 देइ मुरवम्मि पहरं अण्णा उण तिसरियं छिवइ । वंसं वायइ अण्णा छिवइ मउंदं पुणो तहा अण्णा ॥ उच्च भासइ अण्णा सद्दावइ सहियण रुणरुगेइ । हा ह त्ति हसइ अण्णा कोइल-रडियं कुणइ अण्णा ॥ जइ णाम कह वि एसो सदं सोऊण कुवलय-दलच्छो । सहसा विलोल-पम्हल-ललियाई णिएइ अच्छीणि ॥ 21 तओ कुमार कुवलयचंदस्स वि जत्तो वियरइ दिट्ठी मंथर-धवला मियंक-लेह व्व । अव्वो वियसंति तहिं जुवईयण-णयण-कुमुयाई ॥ तओ कुमार-कुवलयचंद-पुलढ्याओ के अवत्थं उवगयाओ णायरियाओ त्ति। 24 अंगाइँ वलंति समूससंति तह णीससंति दीहाई । लजति हसंति पुणो दसहिँ दसंति अहराई ॥ दंसेंति णियंबयर्ड विलियं पुलएंति ईसि वेवंति । अत्थक-कपण-कंडूयणाइँ पसरंति अण्णाओ ॥ आलिंगयति सहियं बालं तह चुंबयंति अण्णाओ। दसेंति णाहि-देसं सेयं गेण्हंति अवराओ ॥ 27 इय जा सुंदरिय-जणो मयण-महा-मोह-मोहियाहियओ। ताव कमेण कुमारो वोलीणो राय-मग्गाओ ॥ त्ति । श कमेण संपत्तो विमणि-मग अणेय-दिसा-देस-वणिय-णाणातिह-पणिय-पसारयावद्ध-कोलाहलं । तं पि वोलेऊण पत्तो वेगेण चेव वाहियालिं । अविय। 30 सखलिय-आस-प्पसरं समुजय णिबिलीय-परिसुई । दीहं सजण-मेत्ति व्व वाहियालि पलोएइ॥ दट्टण य वाहियालिं धरियं एक्कम्मि पदेसे सयल-बलं । णीहरिओ पवणावत्त-तुरंगमारूढो राया, समुद्द-कल्लोल-तुरयारूढो कुमारो य । ताव य 33 धावति वलंति समुच्छलति वग्गंति तह णिमजति । पलय-पवणोवहि-समे महि-लंघण-पञ्चले तुरए॥ तओ णाऊण तूरमाणे तुरंगमे पमुक्को राइणा कुमारेण य । णवरि य कह पहाइ पयत्ता । पवणो देव तुरिय-गमणो सरो ब्व दढ-धणुय-जंत-पम्मुक्को । धावइ पवणावत्तो तं जिणइ समुद्दकल्लोलो ॥ 36 तं तारिसं दट्ठण उद्धाइयं बलम्मि कलयलं । 1) P होजणंगो, Pउण. 2) Pom. पेच्छ पेच्छ गज्जइ, P सहिच्छत्थलाभोएण नजरणारा. 3) P गवलस्स वनो. 4) P पुण्णिमाइंदो. 5P जय अमय, P सयलं. 6) Jom. य. 7) P होज्जा. 8) P नज्जत्ति, पलवह अलियं. 9) JP जुवइ, P एसो पुण. 10) Pom, सहि, णजइ दित्तीए etc. to सामिकुमारो। अण्णाए भणियं । 11) दीहियरो. 14) Pom. वि alter देवाणं. 15) Pकुवलयचंदो, Pom. हय, Pon, one किं. 16) P जुवई इत्ति. 17) वायई, J अण्णा for अवरा. 18) Pमुरयंमि, P अण्णाउ तिसरियं, P छिवइ मुद्धा ।, Pom. तहा. 19) P सद्दावेद, P रुणरुणेति, हा, हंति. 20) Pनिमेह. 22) Pरेह for लेह, J जुवइयण. 25) Pदंसेइ, J निअंबतडं, P दुलाएंति, J अत्थकण्टकण्डुअणाई P कडुयाई पकरेंति, P अवराओ for अण्याओ. 26) अण्णाओ for अवराओ. 27) P जाव सुंदरियणो, Jom. मोह, J मोहिय'. 28) Pविवणि, P अन्ने य, P वणियान,P पणय, वोलेऊणा, Pएण, I on. चेव. 30)P अक्खलिय आसपसरं. P मेत्तिं वाहयालिं. 31) Pom. य, P वाहयालिं, धारिs, P पएसे, P सयलंबणनीह', P कल्लोलयारूढो.33) J पच्चर, 34) Pom. णाऊण, P तुरभाणो, P पहाइयं पयत्तो. 35) तिरिय for तुरिय, JP पमुको. 36) Jom. कलयलं. Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला . .२७ जय जय जयइ कुमारो कुवलयचंदो समुद्दकल्लोले । लच्छि-सहोदर-तुरए आरूढो तियसणाहो ब्व ॥ $६१) जावय जय-जय-सद्द-गब्भिणं जगो उल्लवइ तावय पेच्छंताण तक्खणं समुप्पइओ तमाल-दल-सामलं गयणयलं तुरंगमो। धावइ उप्पइओ विय उप्पइओ एस सच्चयं तुरओ । एसेस एस वच्चइ दीसइ असणं जाओ ॥ इय भाणिरस्स पुरओ जणस्स उच्छलिय-बहल-बोलस्स । अक्खित्तो तुरएणं देवेण व तक्खणं कुमरो ॥ अह णह-लंघण-तुरिओ उद्धावइ दक्खिणं दिसा-भाग । पहि-णिवेसिय-चक्की गरुलो इव तक्खणं तुरओ ॥ धावंतस्स य तुरियं अणुधावंति व्व महियले रुक्खा । दीसंति य धरणिधरा ओमंथिय-मल्लय-सरिच्छा। पुरिसा पिपीलिया इव णयराइं ता ण णयर-सरिसाइं। दीसंति य धरणियले सराय-अद्दाय-मेत्ताओ ॥ । दीसंति दीहराओ धवलाओ तंस-बंक-वलियाओ। वासुइ-णिम्मोयं पिव महा-णईओ कुमारेणं ।। तो एवं च हीरमाणेणं चिंतिय कुमार-कुवलयचंदेण । 'अव्वो जइ ता तुरओ कीस इमो णयलम्मि उप्पइओ। अह होज कोइ देवो कीस ण तुरयत्तणं मुयइ ॥ है ता जाव णो समुई पावइ एसो रएण हरि-रूवो । असिधेणु-पहर-विहलो जाणिजउ ताव को एसो॥ जइ सञ्च चिय तुरओ पहार-वियलो पडेज महि-पीढे । अह होज को वि अण्णो पहओ पयडेज णिय-रूवं ॥' एवं च परिचिंतिऊण कुमारेण समुक्खया जम-जीह-संणिहा छुरिया। णिवेसिओ य से णियं कुच्छि-पएसे पहरो कुमारेण । तो 16 णिवडत-रुहिर-णिवहो लुलंत-सिरि-चामरो सिढिल-देहो । गयणयलाओं तुरंगो णिवडइ मुच्छा-णिमीलियच्छो । थोवंतरेण जे चिय ण पावए महियलं सरीरेण । ता पासम्मि कुमारो मा ब्व तेण से पडिओ ॥ 3 तुरओ विणीसहंगो धरणियलं पाविऊण पहरंतो । मुसुमूरियंगमंगो समुझिओ णियय-जीएण ॥ तओ तं च तारिसं उज्झिय-जीवियं पिव तुरंगमं पेच्छिऊण चिंतियं कुमारण। 'अव्वो विम्हयणीयं जइ ता तुरओ कहं च णह-गमणो । अहवा ण एस तुरओ कीस विवण्णो पहारेण ॥' । ६२) तओ जाव एवं विम्हय-खित्त-हियओ चिंतिउं पयत्तो, ताव य णव-पाउस-सजल-जलय-सह-गंभीर-धीरोरल्लि- 21 महुरो समुद्धाइओ अदीसमाणस्स कस्स वि सहो । 'भो भो, णिम्मल-ससि-वंस-विभूसण कुमार-कुवलयचंद, णिसुणेसु मह वयणं । 4 गंतव्वं ते अज वि गाउय-मेत्तं च दक्खिण-दिसाए । तत्थ तए दट्टव्वं अइट्ठ-पुच्वं च तं किं पि॥' इमं च सोऊण चिंतियं कुमार-कुवलयचंदेण । 'अहो, कहं पुण एस को वि णाम गोतं च वियाणइ महं ति। अहवा कोइ एस देवो अरूवी इह-टिओ विय सव्वं वियाणइ । दिव्व-णाणिणो किर देवा भवंति' त्ति । भणियं च इमिणा 'पुरओ ते गंतवं । तत्थ तए कि पि भविट्ठ-पुच्वं दट्ठवं' ति । ता किं पुण तं अदिट्ठ-पुब्वयं होहि त्ति । दे दक्षिण-दिसाहुत्तो चेय 27 वञ्चामि । 'अलंघणीय-वयणा किर देवा रिसिणो य होति' त्ति चिंतियं च तेण । पुलइया णेण चउरो वि दिसि-विदिसीविभागा, जाव पेच्छइ अणेय-गिरि-पायव-वल्ली-लया-गुविल-गुम्म-दूसंचारं महा-विझाडविं ति । जा व कइसिया। पंडव0 सेण्ण-जइसिया, अजणालंकिया सुभीम व्व । रण-भूमि-जइसिया, सर-सय-णिरंतरा खग्ग-णिचिय व्व । णिसायरि-जइसिया, 30 भीसण-सिवारावा दव-मसि-मइलंगा व । सिरि-जइसिया, महागइंद-सणाहा दिव्व-पउमासण व्व । जिणिंद-आण-जइसिया, महन्वय-दूसंचारा सावय-सय-सेविय व्व । परमेसरस्थाणि-मंडलि-जइसिया, रायसुयाहिटिया अणेय-सामंत व्व । महाणयरि-जइसिया, तुंग-सालालंकिय सप्पागार-सिहर-दुलंघ ब्व । महा-मसाण-भूमि-जइसिया, मय-सय-संकुला जलंत-33 24 1) P"कलोलो, P सहोयर. 2) P जाव जयासद- 4) P वच्चद for धावद चेय for एस. 5) P भामिररस, P हल for बहल, P om. व. 6)Pउउद्धावइ, P भायं, P गरुडो. 7) Pवि for य तु , J मच्छिय but मंथिय is written on the margin. 8) P पिवीलिया, यव for इव, Jणरयाई (corrected as नयराइं on the margin) P नयणाई, सराय (ह) 11) Pनह्यलं समुप्पइओ, I कोवि. P दिवो for देवो. 12) P नएण for रएण, J विअलो. 13) P विहलो, P वीढे, P कोइ. 14) P जमह for जम, P विवेसिओ सो नियं, P पहारो. 16) Jललंत सिअचा', J गयणाओ. 17) Pथोयंतरेण इच्चिय २. P मच्छु, JP 'त्तेण. 18) P वी for वि, P पहहरत्तो. 19) P जीयं, P om. पिव, Pom. चिंतियं. 20) ताओ for ता, Jom. तुरओ. 21) Pएव, P repeats पयत्तो. 22) P अदीणमा', P om. कस्स, P सद्दा, P बीस for वंस, P निमुणे सुहवयणं. 24) P तत्थु तप, अदिट्ठ. 25) J कुमारेण for कुमार, P एयं for एस, कोवि for कोइ. 26) P अरूई रूहटिओढवे सब्वं," एविहा for देवा. 27) I om. तए, P पुष्वं for पुव्वयं, त्ति होहिति त्ति, P दढक्खिणा for teto. P विय for चेय. 28) P अलंघणिय, P देवया for देवा, द य हवंति, Pom. tण, Pom. वि, P दिसीविभाया. 29)P पेच्छा किर पायवाणेय, Pom. गिरिपायव, P गुहिलगुंमदुरसंचारा, P विज्झाडवि ति, P om. कासिया. 30) सेण्णो, अज्जण्णालंकियसुभीमं च P अज्जणोल', P सिरनिरंतर, णिचिअंच P निचय ब.31) P सिवारावदवदमसिमइलंगव, JP सणाह, JP पउमासणं च. 32) संचारय P दुस्संचारा, P सा साविया सवियं वा, I सेवियं च,J सामंतं च.33) Pहेसागारसीदुलंघं च, संकुलं च P संकुल. Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८ उज्जोयणस्रिविरइया [8] ६२ 1 घोराणलं ध्व । लंकाउरिजइसिया, पवय-चंद्र-भज्जत महासाल- पलास संकुल व्वति । अवि य कहिंचि मत्त मायंग- 1 भजमाण- चंदण-यण-जिम्मव सुरहि-परिमला, कहिंचि घोर-वग्ध-चवेडा-बाय-णिय-वण-महिस रुहिरारुणा, कर्हिचि दरिय 3 हरि-हर-पहर-करि-सिर-णीहरंत- तार-मुत्तावयर - निरंतर - रेहिरा, कहिंचि पक्कल-महा - कोल-दाढाभिघाय घाइजेत-मत्त-वण- 8 महिसा कर्हिचि मत-मदा-महिस-त-गवड-संघट्ट- सद्-भीसणा, कहिंचि पुलिंद- सुंदरी-चंद्र-समुचीयमाण- गुंजाहला, कहिंचि दच दज्झमाण- वेणु-वण- फुडिय- फुड-मुत्साहलुजला, कहिंचि किराय-विहाणुहम्ममाण-मय-कुला, कर्हिचि पवय6 वंद्र - संचरंत बुक्कार - राव भीसणा, कहिंचि खर- फरुस - चीरि- विराव - राविया, कहिंचि उद्दंड तड्डविय सिहंडि-कलाव- रेहिरा, कहिंचि महु-मत्त मुइय-भमिर- भमर झंकार- राव-मणहरा, कहिंचि फल-समिद्धि-मुद्दय कीर - किलिकिलेंत - सद- सुंदरा, कहिंचि वाल- मेत्त-मुज्झंत- हम्ममाण- चमर-चामरि-गणा, कहिंचि उद्दाम संचरंत-वण-तुरंग- हेसा-रव-गभिणा, कर्हिचि किराय-डिंभ9 हम्ममाण - महु-भामरा, कहिंचि किंगर-मिहुण-संगीय-महुर- गीयायण्णण-रस- वसागय-मिलंत णिच्चल-ट्ठिय-गय- गवय-मयउल त्ति । अवि य । सललिय-वण-किंकिराया वहा साई वेणु-हिवाल तालाउला साव- सज्जजुणा-र्णिव- बबूल-बोरी-कर्यबंद- जंगू- महापाडलासोग- पुण्णाग - नागाउला। कुसुम-मर- विभग्ग फुलाहिं साठाहिं सचच्छयामोय-मनंत-गाना-बिहंगेहिं सारंग-बंद्रेहिं कोलाहलुद्दाम शंकार- विद्दाव माणेहिं ता चामरी सेरि- सरपेहि रम्माउला । पसरिय- सिरिचंदणामोय-लुद्दा लि-झंकार- रावाणुबज्झत-दप्पुद्धुरं सीह साचेहिँ हम्मंत-मायंग-कुंभत्थलुच्छल-मुत्ताहलुग्वाय- 15 पेरंत - गुंजत-तारेहिं सा रेहिरा । सवर-नियर-सद्-गद्दभ-पूरंत बोकार-बीइच्छ-सारंग धाव-वेयाणिलुदय फुलित साहीण- साधा-विलगावडते हि फुलेहिंसा सोहिय चि । भवि य । 18 बहु- सावच सेविय भी सण बहु-ख-सहरस- समाउलवं बहु-सेल-नई सब-दुमामयं इव पेच्छतं कुमरो वणवं ॥ ति ६३) तं च तारिखं छतो महा-भीसणं वर्णतरं कुमारो कुवलयचंदो असंभंतो मयवइ किसोरओ इव जान पोवंतर 21 वच्चइ ताव पेच्छइ " । I खेति वग्ध-यस मुद्दए कीहंति केसरि गईदे । मय-दीविए वि समयं विहरति असंकिय-पयारे ॥ पेच्छइ य तुरय- महिसे संगग्गुलिहण-सुह-निमीलच्छे कोल-वराहे राहे अवशेप्पर-फेलि-कय-हरिसे ॥ हरि-सर की पेच्छइ रणं-दुरेह-मजारे । अहि-मंगुले व समय कोलिय-काए य रुक्सग्गे ॥ अणोण-विरुद्वाइँ वि इय राय-सुओ समं पलोएइ । वीसंभ-णिब्भर-रसे सयले वण-सावए तत्थ ॥ समो एवं चरितं पुलोइऊण चिंवियं कुमार-कुवलयचंदेण । 'अय्यो, किं पि विम्हावणीयं एवं ति । जेण 1 12 15 18 24 21 27 अण्णोष्ण-विरुद्वाइँ वि जाइँ पढिज्जति सयल-सत्थेसु । इह ताइँ चिय रह-संगयाइँ एयं तु भच्छरियं ॥ 21 ता केण उण कारणेण इमं एरिसं ति । अहवा चिंतेमि ताव । हूं, होइ विरुद्वाण वि उपाय-काले पेम्मं, पेम्म-परवसाण कलहो चि । जहवा ण होइ एसो उप्पाओ, जेण सिद्धि-स्सरा अवशेप्परं केलि-मुइया संत-दिसिद्धाणेसु चिठ्ठति, उप्पायर पुण 30 दिस-सरा दित्त द्वाण-ट्टिया व अणवरयं सुइ-विरसं करपरैति सठण-तावय-गणा। एए पुण एवं ति । तेण जाणिमो न उपाओत्ति । ता किं पुण इमं होजा । अहवा जाणियं मए । कोइ एत्थ महारिसी महप्पा संणिहिओ परिवसइ । तस्स भगवओ उवसम-प्पभावेण विरुद्वाणं पि पेम्मं अवरोप्परं सउण- सावयाणं जायइति । एवं च चिंतयंतो कुमार - कुवलयचंदो 33 जाव वच्चइ थोवंतरं ताव अद्द-गिद्ध-बहल-पत्तल-णीलुब्वेलंत- किसलय-सणाहं । पेच्छइ कुवलयचंदो महावर्ड जलय-वंद्र व ॥ 24 1 ) व for व्व, P चंदु for वंद्र, संकुलं च. 2 ) P सुरभि, हद्द for घाय, J om. णिद्य. 3 ) P नियर for णिरंतर, Pom. मत्त. 4 ) P गुंजाफला 5 ) P घेणुधण for वेणुवण, कहिं किराय, P "णुगम्ममाणगय उला. 6 ) चिरिविराय, तद्दृषि, P तडवियट 7 > Pom. भमिर, दल for फल, P किलिगिलंत. 8 ) P तुरंगमहिंसारव 9 ) P ट्टियागय. 11)P नव for वण, JP किंकिराय, P माउला for तालाउला, P सज्जुज्जणा, P वब्भूलया, P कथंबजंबूयहवाच्या सोयपुण्णायनायाउला. 13 ) विहग, फुले for मज्जत, P झंकारादियमणिहो. 14 ) P सरि for सेरि. 15) P -बुज्झतदुप्पुद्धरं, मुत्ताहलप्पाय, P मुत्ताफलुग्धाया फेरंतकुज्जतारहिं च सा. 16 > Jom तारेहिं सा. 17 ) P वोक्काहिं वी मच्छ, वेताणिलुठ्ठा, वलीलया for फुलिल, P विवग्गावड, Pom. फुलेहिं, सु for सा. J 18 ) Pom. अवि य. 19 > P सहस्सउ समा, om. ति. 20 ) P कुमारकुव, Pमयमवई किसोरोउविजइ जाव. 22P खेति श्यामेवदीवहिं समयं पयारो 23 ) P तुरियमहिसो P लेहणा, P वराहराहे- 24 ) P कीलंतो, दुरेय P दुरेहि, 26) एयं for एवं, P पुलइऊण, P इमं ति । तेण for एयं etc. एसो, जेण ण, P जेणासनिद्ध, P ट्ठाणे महप्पा, Pom. सु चिट्ठति, सउण, P जायति एयं for एवं, P विचितयंतो मंगुसेहि, Pom. य. 25 व for वि, P रायमुयमुयं पलों 27 > कह for रइ. 28 ) P हुं. 29 ) P एरिसों for उप्पायए to एत्थ महारिसी. 32 ) भगवतो, सवण for 34 ) P निद्धता, नीलवेलंत, J चंदु व्व P चंदं व. 31 Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला । बद्ध-जडा-पब्भार लंबत-कलाव-कुंडिया-कलियं । पवण-वस-थरथरंतं तावस-थेरं व वड-रुक्खं ॥ बहु-दिय-कय-कोलाहल-साह-पसाहा-फुरंत-सोहिलं । बंभाणं व णियच्छइ पढम कप्पाण पारोहं ॥ तओ ते च पेच्छिऊण तं चेव दिसं चलिओ त्ति अचलिय-चलंत-लोयणो राय-तणओ। ६६४)ता चिंतियं च 'अहो इमो वड-पायवो रमणीओ मम णयण-मणहरो, ता एयं चेय पेच्छामो' । चिंतयतो संपत्तो वड-पायव-पारोह-समीर्व, जाव पेच्छा 3 तव-णियम सोसियंगं तहा वि तेएण पज्जलंत च । धम्म व सरूवेणं रूविं पिव उवसम साहुं ॥ अवि य आवासं पिव लच्छीए, घरं पिव सिरीए, ठाणं पिव कंतीए, आयरं पिव गुणाण, खाणि पिव खंतीए, मंदिरं पिव बुद्धीए, आययणं पिव सोम्मयाए, णिकेयं पिव सरूवयाए, हम्मियं पिव दक्खिण्णयाए, घरं पिव तव-सिरीए त्ति । किं बहुणा, , मय-कत्तण-रहिए अउव्व-चंदे व्व तम्मि दिट्टम्मि । चंद-मणियाण व जलं पज्झरइ जियाण कम्म-रयं ॥ जावय कुवलयचंदो णिज्झायइ तं मुणिं पुलइयंगो। ताव बिइयं पि पेच्छइ दिब्वायारं महा-पुरिसं ॥ णिवण्गेइ य णं सो तं पुरिसं वाम-पासमल्लीणं । चंदाइरेय-सोम्म कतिल्लं दियह-णाहं व ॥ र चलणंगुलि-णिम्मल-णह-मऊह-पसरंत-पडिहय-प्पसरो । जस्स मियंको पूर्ण जाओ लजाएँ रमणियरो॥ ललिउण्णय-णिम्मल-णिकलंक-सोहेण चलण-जुयलेण । कुम्मो वि णिजिओ णूण जेण वयणं पि गुप्पेइ ॥ दीहर-थोर-सुकोमल-जंघा-जुयलेण णिजिओ वस्सं । सोयइ करिणो वि करो दीहर-सुंकार-ससिएहिं ॥ अइकक्कस-पीण-सुवट्टिएण ओहामिओ णियंबेण । वण-वासं पडिवण्णो इमस्स गूणं मयवई वि॥ अइपीण-पिहुल-कक्कड-कणय-सिलाभोय-रुइर-वच्छेण । एयस्स विणिजिओ हामिएण सामो हरी जाओ ॥ पिहु-दीह-णयण-वंत फुरंत-दिय-किरण-केसर-सणाहं । दट्टण इमस्स मुहं लजाएँ व मउलियं कमलं ॥ 8 अइणिद्ध-कसिण-कुंचिय-मणहर-सोहेण केस-भारेण । णूणं विणिजिया इव गयणे भमरा विस्टंति ॥ इय ज ज किंचि वणे सुंदर-रूवं जणम्मि सयलम्मि । अक्खिविणं तं चिय सो श्चिय गुणं विणिम्मविओ॥ एवं च चिंतयतेण कुमार-कुवलयचंदेण मुणिगो दाहिण-पासे वियारिया कुवलय-दल-सामला दिट्ठी । जाव य 1 आवलिय-दीह-लंगूल-रेहिरं तणुय-मज्झ-रमणिज । उद्धय-केसर-भारं अह सीहं पेच्छए तइयं ॥ तक्खण-गइंद-विद्दविय-कुंभ-णक्खग्ग-लग्ग-मुत्ताहं । भासुर-मुह-कुहरंतर-ललंत-तणु-दीह-जीहालं ॥ भीसण-कराल-सिय-दंत-कंति-करवत्त-कत्तिय-गईद । णह-कुलिस-घाय-पञ्चल-पल्हत्थिय-मत्त-वण-महिसं ॥ 4 इय पेच्छद सो सीह कराल-वयणं सहाव-भीसणयं । तह वि पसंत-मुह-मणं रिसिणो चलण-प्पहावेण ॥ ६६५) तओ तं च दट्टण चिंतिय रायउत्तेण । महो धम्मो भत्थो कामो इमिणा रूवेण किं च होजाउ । अहवा तिण्ह वि सारं लोयाण इमं समुद्धरियं ॥ 7ता जारिसं पुण लक्खेमि एयं तं जे भणियं केणइ देम्वेण जहा। गंतव्वं ते अज वि गाउय-मेत्तं च दक्षिण-दिसाए । तत्थ तए दट्ठवं अदिट्ठ-पुवं व तं किं पि॥ एत्थ य एस को वि महरिसी, दोण्ह वि णार द-मईदाणं मज्झटिओ तव-तेएण दिप्पमाणो साहंतो विय 10 अत्तणो मुर्णिदत्तणं दीसइ। सुब्बइ य सत्थेसु जहा किर देवा महारिसिणो य दिव्व-णाणिणो होति । ता इमं 30 सयल-तेलोक-वंदिय-वंदणिजं बंदिय-चलण-जुवलं गंतूण पुच्छिमो अत्तणो अस्सावहरणं । केणाहं अवहरिओ, केण वा कारणेण, को वा एस तुरंगमो त्ति चिंतयतो संपत्तो पिहुल-सिलावट्ट-संठियस्स महामुणिणो सयासं । आयरिओ य सजल-जलय33 गंभीर-सह-संका-उड्डेड-तंडविय-सिहंडिणा धीर-महुरेणं सरेणं साहुणा 'भो भो ससि-वंस-मुहयंद-तिलय कुमार-कुवलयचंद, 33 1) कुलाव, Pथरेंत. 2) कल for कय, P सीहा for साहपमाहा, -पसाहा, P -भेडलं, P पारोव्वं. 3) चेय, I तियवलिय for त्ति भचलिय. 4) P om. ता, I णयणमणोरहो, P चितंयतो. 6)P धम्मं रूवसरूवेण रूवं पिव चउसमंसाहू। 7) Pट्ठाण, P आयरयं, P खाणी विय, J कित्तीए for खंतीए, P मंदर. 8) P णिकेवणं पिव. 9)P मयं, P रहियं. 10) ताव वितियं । ताव य बिइयं, P om. पि. 11)P सोम. 12) J मउह P मयूर. 13) णिन्वण for णिम्मल, P कम्मो वि णिव्बउत्तण, P गुत्तइ. 14) Per for वि, P रसिएहिं. 15) Pसुवंकिएण. 16) I अइपिडुलपीणकक्कड, P सिलालोय, P वत्थेण, P विजिओ हामणाए. 17)P-वत्त, P लजाए मउ. 18) विरुदृति P विरंदंति. 19)Pएसो for सो, P नूण निम्मविओ. 20) Pचिंतिय तेण, P चंदेणल for दल, P om. य. 21) P नंगूल, I तणूय, । उहअ P अद्भुय, P सीहं अह inter. 22) मुत्तोह, P लुलंत. 23) P वत्तिय for कत्तिय, P कुलियः, P पम्ह स्थिय. 24)P पसरंतमणहरं रिसिणा, P -पभावेण. 26) किंच होजाओ P किंचि होज्जाणु, P तिण्ण, P सारो, P "द्धरिलं. 27) P एतं for एयं तं. 28) P सुहं for व तं. 29) P महारिसि, P -गइंदाणं, P साहेतो विअत्तणो. 30) Pom. य, P किरि, P महि रिसिणा. 31)P चलणग्गजुयल, P आसावहरणं, केण अहं. 32) Pom. त्ति, P चितियं तो,J om. संपत्तो, P आयासिओ, Pom. य, Pom. जल. 33) Pउइंटतद्दविय, I सिहि ण्डिणा P विहंडिणा, P कुवलय for कुमार. Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 ३० उजोयणसूरिविरइया [९६५1सागयं तुह, आगच्छसु' त्ति । तओ णाम-गोत्त-कित्तण-संभाविय-णाणाइसएण रोमंच-कंचुव्वहण-रेहिरंगेण विणय-पणएण 1 पणमियं णेण सयल-संसार-सहाव-मुणिणो महामुणिणो चलण-जुयलयं ति। भगवया वि सयल-भव-भय-हारिणा सिद्धिसुह-कारिणा लंभिओधम्मलाह-महारयणं ति। तेण वि दिव्व-पुरिसेण पसारिओ ससंभमं सुर-पायव-किसलय-कोमलो माणिक- 3 कडयाभरण-रेहिरो दाहिणो करयलो। तओ राय-सुएणावि पसारिय-भुय-करयलेण गहियं से ससंभम करयल, ईसि विणउत्तमंगेण कओ से पणामो । मयवइणा वि दरिय-मत्त-महावण-करि-वियड-गडयल-गलिय-मय-जलोल्लणा-णिम्महंत-बहल6 केसर-जडा-कडप्पेण उब्वेल्लमाण-दीह-गंगूलेणं पसंत-कण्ण-जुयलेण ईसि-मउलियच्छिणा अणुमण्णिओ राय-तणओ। कुमारेण 8 वि हरिस-वियसमाणाए सूइज्जतंतर-सिगेहाए पुलइओ गिद्ध-धवलाए दिट्ठीए । उवविट्ठो य णाइदूरे मुणिणो चलण-जुवलयसंसिए चंदमणि-सिलायले त्ति । सुहासणत्यो य भणिओ भगवया 'कुमार, तए चिंतिय, पुच्छामि ण एयं मुणिं जहा केणार्ह 9 अवहरिओ, किं वा कारण, को वा एस तुरंगमो ति । एयं च तुह सव्वं चेय सवित्थर साहेमो, अवहिएण होयब्वं' ति। " भणियं च सविणयं कुमारेण । 'भयवं, अइगरुओ ञ्चय पसाओ जं गुरुणा मह हियइच्छिय साहिजइ' त्ति भणिऊण कर- . यलंगुली-णह-रयण-किरण-जाला-संवलियंत-कयजली ठिओ रायउत्तो । भगवं पि 12 अविलंबिओ अचवलो वियार-रहिओ अणुब्भडाडोवो । अह साहिउँ पयत्तो भब्वाणं हियय-णिव्ववणं ॥ ६६६) संसारम्मि अणते जीवा तं णत्थि जण पावेति । णारय-तिरिय-णरामर-भवेसु सिद्धिं अपार्वता ॥ जस्स विओए सुंदर जीयं ण धरेंति मोह-मूढ-मणा । तं चेय पुणो जीवा देसं दट्ट पि ण चयति ॥ कह-कह वि मूढ-हियएण वढिओ जो मणोरह-सएहिं । तं चिय जीवा पच्छा ते चिय खयर व्व छिंदति ॥ जो जीविएण णिचं णियएण वि रक्खिओ ससत्तीए । तं चिय ते चिय मूढा खग्ग-पहारेहि दारेति ॥ जेणं चिय कोमल-करयलेर्हि संवाहियाई अंगाई । सो च्चिय मूढो फालइ अव्वो करवत्त-जंतेहिं । 18 आसा-विणडिय-तण्हालुएहिँ पिय-पुत्तओ त्ति जो गणिओ। संसारासार-रह-भामिओ सो भवे सत्त ॥ पीय थणय-च्छीरं जाणं मूढेण बाल-भावम्मि । विसमे भव-कंतारे ताण चिय लोहियं पीयं ॥ जो चलण-पणामेहिं भत्तीऍ थुओ गुरु त्ति काऊणं । णिद्दय-पाय-प्पहरेहि चुण्णिओ सो चिय वराओ॥ जस्स य मरणे रुब्बइ बाह-भरंतोत्थएहि णयणेहि । कीरइ मय-करणिजं पुणो वि तस्सेय मंसेहिं । भत्ति-बहु-माण-जुत्तेण पूइया जा जण जणणि त्ति । संजाय-मयण-मोहेण रमिया एस महिल त्ति ॥ पुत्तो वि य होइ पई पई वि सो पुत्तभो पुणो होइ । जाया वि होइ माया माया वि य होइ से जाया । 84 होइ पिया पुण दासो मरिउं दासो वि से पुणो जणओ। भाया वि होइ सत्तू सत्तू वि सहोयरो होइ । भिच्चो वि होइ सामी सामी मरिऊण हवइ से भिच्चो । संसारम्मि असारे एस गई होइ जीवाणं ॥ _इय कुमार, किं वा भण्णउ । 27 खर-पवणाइद्धं विसमं पत्तं परिभमइ गिरि-णिउंजम्मि । इय पाव-पवण-परिहडिओ वि जीवो परिब्भमइ ॥ तेण कुमार, इमं भावेयव्वं । ण य कस्स वि को वि पिया ण य माया णेय पुत्त-दाराई। ण य मित्तं ण य सत्तू ण बंधवो साभि-भिच्चो वा ॥ 30 णिययाणुभाव-सरिसं सुहमसुहं जे कयं पुरा कम्मं । तं वेदंति अहण्णा जीवा एएण मोहेण ॥ बद्धति तत्थ वि पुणो तेसिं चिय कारणेण मूढ-मणा । भव-सय-सहस्स-भोज पावं पावाए बुद्धीए॥ अहवा । जह वालुयाए बाला पुलिणे कीलंति अलिय-कय-घरया । अलिय-वियप्पिय-माया-पिय-पुत्त-परंपरा-मूढा ।। 33 कलह करेंति ते चिय भुंजंति पुणो घराधरि जंति । बाल ब्व जाण बाला जीवा संसार-पुलिणम्मि ॥ 1)P कंचउव्वण, P विणयप्पण. 2) जुवलयं, सय for भय. 3) P धम्मलाभिओ for लंमिओ, P धम्मलाभ. 4) P कडयाहरण, P पसारिउभय. 5)P विणिमिउत्त, P मइवयणा, Pom. गंड. 6) Pजदाजटप्पेण, नदीहरलंगलेणं पसमंत, P अणुमओ, P कुमारणा. 7) Jहरी वियसमाण सूह,P पुलोइओ,Jom. धवलाए, Pदिद्राए । उयविदिदो, P मुणिणा, P जुयलसं. 8)Jhas a marginal note: समीवे-पा. on the word संसिए, P सिलायलए त्ति, P भयवया. 9) Pom. त्ति, Pएयं वा तुरंगमाहरणापेरंवलंत कयंजली for एयं च तुह सव्वं etc. to संवलियंतकयंजली. 10) चेए for चेय. 11)Pरायपुत्तो,' adds something like भगवं पि in later hand, 12) P अवलंबिओ, P साहियं, P निव्वर्ण. 13) Pपावंति, अपावंता. 14) P जायं for जीयं. 15) Pom. two lines: तं चिय जीवा to रक्खिओ ससत्तीए. 16)Pचिय जीवा मूढा. 17) Pom. three lines from य कोमल to गणिओ सं. 20) P चलयण-, P -पहारेहिं. 21) Pथएण वयणेण. 22) P जगणणिणि, P मिहल for महिल. 23) Pसो for विय, P होई, Pसे for सो, P विय से पुणो जाया. 24)" पुण दोसो. 25)P सो भवे for हवा से, I om. संसारम्मि to जीवाणं ।. 27)Pपवणाईई, वसमं, P परिहि हिओ. 28) Pइमं संभावे'. 29) सत्तं. 30) वेयंती अन्ने जीवा. 31)P बंधति. 320P बाले, J अणियकयघरए, J पिदि for पिय. 33) P भंजंति, Pघरि घरि जति, बालो व्व. Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६६९] कुवलयमाला तओ कुमार कुवलयचंद, एयम्मि एरिसे असारे संसार-वासे पुण कोह-माण-माया-लोह-मोह-मूढ-माणसेहिं अम्हेहिं.चेय जं 1 समणुभूयं तं तुम तुरंगावहरण-पेरंतं एगमणो साहिजतं णिसामेहि त्ति । .६६७) अस्थि बहु-जण्णवाड-जूय-संकुलो अणवरय-होम-धूम-धूसर-गयणगणो महिसि-वंद्र-सय-संचरंत-कसिण-च्छवी 3 गो-सहस्स-वियरंत-धवलायंबिर-पेरंतो णील-तण-घण-सास-संपया-पम्हलो लोयण-जुयलं पिव पुहई-महिलाए वच्छो णाम जणवओ। जत्थ य पवण-पहलिर-पुंडच्छु-पत्त-सिलिसिलिय-सह-वित्तत्थं । पसरइ रण्णुदेसं मय-जूहं पुण्ण-तरलच्छं ॥ पुण्ण-तरलच्छ-दसण-णिय-दइया-संभरंत-णयण-जुओ। अच्छइ लेप्प-मओ विय सुण्ण-मणो जत्थ पहिययणो ॥ पहिययण-दीण-पुलयण-विम्हय-रस-पम्हुसंत-कायब्यो । अच्छइ पामरि-सत्थो चल-णिञ्चल-धरिय-णयण-जुओ ॥ णिञ्चल-णयण-जुयं चिप कुवलय-संकाए जत्थ अहिलेइ । अगणिय-केयइ-गंधा पुणो पुणो भमर-रिंछोली ॥ महुयर-रिछोलि-मिलत-भमर-रुणुरुणिय-सद्द-जणिएण । मयणेण जुवाण-जणो उकंटुलय रुणुरुणेइ ॥ इय किंचि-मेत्त-कारण-परंपरुप्पण्ण-कज-रिंछोली । जम्मि ण समप्पइ चिय विम्हय-रस-गभिणा णवरं । जत्थ य पिसुगिजति सालि-तृण-महाखलेहिं कलम-रिद्वीओ, साहिति सुर-भवण-मंडवेहिं जणस्स धम्म-सीलत्तणाई, सीसंति 12 उच्छिट्ठाणि?-मल्लएहिं गाम-महा-भोजाई, उप्पालिजति उद्ध-भुय-दंड-जुवल-सरिसेहिं केवल-जंतवाएहिं उच्छुवण-सामग्गीओ, लंघिजति महा-समुद्द-सच्छमेहिं तलाय-बंधेहिं जणवय-विहवई पि, सूइज्जति जत्थ पडिप्पवा-मंडवासत्तायारेहिं दाणवइत्तणाई, बजरिजति खर-महुर-फरुस-महाघंटा-सद्देहि गोहण-समिद्धीओ त्ति । जहिं च दिय-वर-खडियाई दीसंति कमल-15 केसरई विलासिणीयण-अहरयं व, राय-हंस-परिगयाओ दीसंति महत्थाण-मंडलीओ दीहियाओ व, कीलंति राय-सुया पंजरेसु रायंगणे व, दीसंति चक्कवायाई सरिया-पुलिणेसु रहवरेसुंव, सेवंति सावया महारण्णाई जिण-भवणई व त्ति । अवि य । सरिया-जल-तरलच्छ सरोद्ध-तिलयं तमाल-धम्मेल्लं । सुद्ध-दिय-चारु-सोहं व वहइ धरणी' तं देसं ॥ ति ९६८) तत्थथि पुरी रम्मा कोसंबी सग्ग-णयर-पडिबिंबा । तुंगहालय-मंदिर-तोरण-सुर-भवण-सोहिल्ला ॥ धवलहर-सिहर-काणण-भममाण-पवंग-जणिय-लच्छीए । कीलासेल ति इमं जीय णिसम्मति गयणयरा ॥ गंभीर-णीर-फरिहा-समुद्द-पायार-वेइया-कलिया। जंबुद्दीवं मण्णे सहसा दिवा सुरेहिं पि॥ वि-तुरय-गमण-संताव-जाय-मुह-फेण-पुंज-धवलइए। कोडि-पडागा-णिवहे जा मारुय-चंचले वहइ ॥ जम्मि भवणग्ग-लग्गं णह-लंघण-णीसह-णिसम्मतं । अहिसारियाओं चंद पणय-सगब्भं उवलहंति ॥ हम्मिय-तलेसु जम्मि य मणि-कोट्टिम-विप्फुरंत-पडिबिंबा । पडिसिहि-जायासंका सहसा ण णिलेंति सिहिणो वि॥ इय केत्तियं व भणिमो जं जं चिय तत्थ दीसए णवरं । अण्ण-णयरीण तं चिय णीसामण्ण हवइ सव्वं ॥ जत्थ य फरिहाओ वि णत्थि जाउ ण विमल-जल-भरियो । विमल-जलइँ जे णथि जाइँ ण सरस-तामरस-विहूसियई ॥ सरस-तामरसई जे णत्थि जाई ण हंस-कुल-चंचु-चुण्णियई । हंसउलई जे णस्थि जाइँ ण णीलुप्पल-दल-भूसियई ॥ 27 णीलुप्पल, जे णस्थि जाई ण भमिर-भमरउल-चुबियइं । भमरउलई जे णत्थि जाई ण कुसुम-रेणु-पिंजरियइं॥ कुसुम जे णस्थि जाइँ ण णिम्महंत-बहल-मयरंद-परिमलाई ति । अवि य। जलहि-जलोयरम्मि रेहेज व महु-मद्दणस्स वल्लहा । अहव तिकूड-सेल-सिहरोयरि लंका-णयरिया इमा ॥ 30 अहव पुरंदरस्स अलया इव रयण-सुवण्ण-भूसिया । इय सा अमरएहि पुलइजइ विम्हियएहिँ णयरिया । ६६९) तं च तारिसं महाणयरि पिय-पणइणि पिव परिभुंजइ पुरंदरदत्तो णाम राया । तुंग-कुल-सेल-सिहरे जो पणई-सउणयाण विस्सामो । जह-चिंतिय-दिण्ण-फलो दढ-मूलो कप्प-रुक्खो व्व ॥ 1) P संसारे. 2) P तुरंगमापहरण, णिसाहेमि. 3) जन्नवाडुच्छुआसंकुलो. 4) P वियलंत, धवलायंपिर P धवलायंचिर, J बहलो for पम्हलो, जुवलं, P पुहइ, बच्छा P बच्छ. 5) Jom. य. 6) पुण्णुच्छु, P सिलिसिय, ' पइसइ, P चुन्न for पुण्ण. 7) Pचुन्न for पुण्ण, P सुन्नजणो. 8) P पुलइयः, पामरी. 10) Pमहुरवर, I भमिर, P उक्कुट्ठलयं रुणरुणेइ, 12) P तत्थ for जत्थ, P तण for तृण (a line is added here on the margin), P सीलत्तणई. 13) P मलेहिं सि गाम, P भोजई, P उप्फालिजंति उद्द, P कंबल for केवल, P उत्थुरयणसमग्गिओ संधिज्जंति. 14) P om, पि, J सुणिज्जति, P तत्थ for जत्थ, P मंडवसापायारेहितो पावइत्तण. 15) P वयरिजंति, P घंट, P जहिं विदियखरखंडियई. 16) P विलासिणी अहरई,J om. व, परिगयओ, P महत्थाणि, P दीहिअउच्च, J य for व, F सुयसु पंजरोयरेसु रायंगणेसु. 17) P चकवाइयई, P पुलणीसु, P सावयमहारन्नई, I om. अवि य. 18) I सोहन्य, P सुहं च for व वह्इ. 19) J कोसंबि, P भवणे. 20) P सिण-- 21) दरिहा for फरिहा. 22) J धवलाए, P पढाया. 23) P सारियतो, P उयलहंति. 24) P हमिययलेसु. 25) P दीसए, P नीसमण्णं वहइ. 26) J जत्थ व फरिहर,J भरियाओ, P विभूसियई. 27) P नवहंसउल, चुण्णिआई, P हंसउलयं, Jom. ण, P दलदूसियई. 28) P भमर for भमिर, P नव for ण. 29) P कुसुमयं, P परिमलयं. 30) P किं होज for रेहेज, 3 तिउड. 31) रवण for रयण, P पलहज्ज विम्हयएण णय'.32) P पीयपणइणी, Jom. णाम. 33) P पणईधयण सउण,P वीसम्मो।, P जय for जह, P मूढो for मूलो. Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ उजोयणसूरिविरइया [६६९। जो आकविय-करवाल-किरण-जालावली-करालो रिउ-पणइणीहिं जलओ सुदुस्सहो पिय-विभोयम्मि, दरिय-पुरंदर-करि-कुंभविब्भम-त्थण-कलसोवरि मुणाल-मध्य-बाहा-लया-संदाणिओ णियय-कामिणि-जणेण, पञ्चक्ख-मंतु-दसण-कय-कोव-पसायणउचलणालग्गो माणसिणीहिं, णिच-पयत्तिय-दाण-पसारिय-करो पणईयण, सम्भाव-णेह-परिहास-सहत्थ-ताल-हसिरो,मित्तमंडलेणं, सव्व-पसाय-सुमुहो भिच्च-वग्गेण, सविणय-भत्ति-पणओ गुरुयण । तस्सेय गुण-सायर-परिपयत्त-खेय-सुढिय-पसुत्तेहिं सुविणतरेसु वि एरिसो एरिसो य दीसइ त्ति । जस्स य अत्ताणं पिव मंतियणो, मंतियणो इव सहिययणो, सहिययणो विय 6 महिलायणो, महिलायगो विय विलासिणियणो, विलासिणियणो इव परियणो, परियणो विय परिंद-लोओ, णरिंद-लोओ इव सुर-सस्थो, सुर-सस्थो इव जस्स सव्व-गओ गुण-सागरो, गुण-सागरो इव जस-प्पभावो त्ति । अह एक्को च्चिय दोसो तम्मि णरिदम्मि गुण-समिद्धम्मि । ज सुह-पायव-मूले जिण-वयणे णत्थि पडिवत्ती॥ 9 तस्स य राइणो पारंपर-पुव्व-पुरिस-कमागओ महामंती। चउबिहाए महाबुद्दीए समालिंगिय-माणसो सुरु-गुरुणो इव गुरू सव्व-मंति-सामंत-दिण्ण-महामंति-जय-सहो वासवो णाम महामंती । तं च सो राया देवयं पिव, गुरुं पिव, पियरं पिव, मित्तं पिव, बंधु पिव, गिद्धं पिव मण्णइ त्ति । अवि य 12 विजा-विण्णाण-गुणाहियाइ-दाणाइ-भूसणुकरे । चूडामणि ब्व मण्णइ एक चिय णवर सम्मत्तं ॥ जिण-वयण-बाहिरं सो पडिवजह कास-कुसुम-लहुययरं । मण्णइ सम्मदिहिँ मंदर-भाराओं गरुययरं ॥ तस्स य राइणो तेण मंतिणा किंचि बुद्धीए किंचि दागेणं किंचि विक्रमेण किंचि सामेण किंचि भेएणं किंचि विण्णाणेणं किंचि 15 दक्खिण्णेणं किंचि उवयारेणं किंचि महुरत्तणेण सव्वं पुहइ-मंडलं पसाहिय पालयतो चिट्ठइ त्ति । ६७०) तओ तस्स महामंतिणो वासवस्स अण्णम्मि दियहे कयावस्सय-करणीयस्स पहाय-सुईभूदस्स अरहंताण भगवंताणे तेलोक-बंधूणं पूया-णिमित्तं देवहरयं पविसमाणस्स दुवार-देसम्मि ताव णाणा-विह-कुसुम-परिमलायड्डियालि-माला18 गुंजंत-मणहरेणं खंधावलंबिणा पुप्फ-करंडएणं समागओ बाहिरुज्जाण-पालओ थावरो णामं ति । आगंतूण य तेण चलण-पणाम-1 पञ्चुट्टिएणं उग्घाडिऊण पुप्फ-करंडयं 'देव, वद्धाविजसि, सयल-सुरासुर-णर-किंणर-रमणीय-मणोहरो कुसमबाण-पिय-बंधवो संपत्तो वसंत-समओ' ति भणमागेण महु-मय-मत्त-भमिर-भमर-रिछोलि-पंखावली-पवण-पक्खिप्पमाणुद्धय-रय-णियरा समप्पिया महामंतिणो सहयार-कुसुम-मंजरि त्ति । अण्णं च 'देव, समावासिओ तम्मि चेइय-उजाणे बहु-सीस-गण-परिवारो धम्मणंदणो आयरिओ' ति । तं च सोऊण मंतिणा अमरिस-वस-विलसमाण-भुमया-लएणं आबद्ध-भिउडि-भीम-मासुर-वयगेण 'हा अणज' त्ति भणमाणेणं अच्छोडिया स चिय विसत-मयरंद-बिंदु-णीसंदिर-सहयार-कुसुम-मंजरी, शिवडिया य सेय लओवरि कय24 रेणु-लछणा । भणियं च मंतिणा रे रे दुरायार, असयण्णाणिविवेय सञ्च थावरय, वहावेसि मं पढम, पहाणं सायरं च : वसंतं साहसि, भगवत पुण धम्मणदणं पच्छा अप्पहाणं अणायरेण साहसि । कत्थ वसंतो, करथ वा भगवं धम्मणंदणो। जो सुरभि-कुसुम-मयरंद-लुद्ध झंकार-मणहर-रवेण । भमरावलीहि हिययं मयणग्गि-सगभिगं कुणइ ॥ 27 भगवं पुण तं चिय मयण-जलण-जालावली-तविजतं । णिव्ववइ णवरि हिययं जिण-वयण-सुहासिय-जलेणं ॥ १ संसार-महाकंतार-केसरी जो जणइ रे रायं । मूढ वसंतो कत्थ व कत्थ व भगवं जिय-कसाओ ॥ ता गच्छ, एयरस अत्तग्मे दुबुद्धि-विलसियस्स जे भुंजसु फलयं' ति । 'रेरे को एत्थ दुवारे' । पडिहारेण भणियं 'जिय देव' । 30 मंतिणा भणियं । 'दवावेसु इमस्स चम्म-रुक्खस्स दीणाराणं अद्ध-लक्ख, जेण पुणो वि एरिसं ण कुणइ' ति भणमाणो : महामंती घेत्तण तं चेय सहयार-मंजर आरूढो तुरंगमे, पत्थिओ य राय-पुरंदरदत्तस्स भवर्ण, कजस्थिणा-जण-सय-सहस्सेहिं अण्णिजमाणो ताव गओ जाव राइणो सीह-दुवारं । तत्थ य अवइण्णो तुरंगाओ। पइट्रो य जत्थच्छइ पुरंदरदत्तो। उक्सप्पिऊण य 33 'कुसुम-रय-पिंजरंगी महुयर-झंकार-महुर-जंपिल्ला । दूइ ब्व तुज्झ गोंदी माहव-लच्छीए पेसविया ॥' 1) किरिउ for रिउ, P om. जलओ सुदुस्सहो पियविओयम्मि (which is added in J on the margin perhaps later). 2) Jथणयरसोवरि, P वाहालिया. 4) P -समुहो, P परिपयंतक्खेय. 5) Pomits one परिसो, P repeats जस्स,J सुहिययणो इव. 6) J व for विय throughout, P विलासिणिजणो (in both the places). 7J सूर (in both the places), P सव्वंमओ, Pom. गुणसागरो, P जसपन्भारो. 8) विय for चिय. 9) P वि for महा, 10) P मंतिसामंतिसामंत, P om. मंति, P & for तं, P गुरुय] for गुरुं, Padds सहोयर पिव before मित्तं. 11) P om. बंधुं पिव, Pom. त्ति. 12) Pणुक्केरो, P नवरि. 13) P "दिट्ठी, P गुरुय". 14) Pom. य. 15) Jदविखणेणं, P छ for त्ति. 16) P om. महा, Pण्हाइसुईभूयस्स. 17) भयवं", P जाव for ताव. 18) P पुष्प, P वालओ, P पुष्प. 19) Pom. णर. 20) P महुमत्तयमेत्त, Jom. भमिर, नरिंछोलीपक्खावली. 21) P निवासिओ, P चेव for चेझ्य, P सस्स for सीसगण, P 'नंदणो नाम. 22) P वियसमाण, I भुमलयालएण. P भिउडिभगमीमभासुयणेणं. 23) P विसट्टमयरंद बिंदुनीसंदिरा, P सेअलिओ for सेयलउवार. 24) P असयिण्ण, 1 पढमं for i. 25) P साहेमि for साहसि, P भगवं, P अप्पहाणेणं अणायणेणं अणा". 26) P सुरहि, वलीहिययं, 27) P तविज्जति, P नयर for णवरि. 28) J भयवं. 29) P एयरस बुद्धी, P om. जं, P फलं for फलयं ति, Jom.:दुबारे. 30) I om. मंतिणा भणियं, दवाएसु, P सुरुक्खस्स केआरणे अद्ध', Jom. वि. 31) Pघेत्तंचेय, P मंजरी, तुरंगमो, P om. य, P राइणो पुरंदरयत्तस्स- 32) P om. य, P तुरंगमाओ, P पविट्ठो, Pom. य,P जत्थच्छप राया पुरंदरयत्तो उयस पिऊण या ।.33) Pदूव्व, P तुज्झ गंदी. बमओ, m. मंति, करो, १ नवरिहाइसुईभूयस्स: Mom भनि Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला 1 एवं भणमागेण राइणो समप्पिया सहयार कुसुम-मंजरी । राइगा वि सहरिसं गहिया । भणियं च । 'अहो सव्व-जिय-सोक्ख-जगमो वम्मह-पिय-बंधयो उऊ-राया । महुयर-जुवइ-मणहरो अव्वो किं माहवो पत्तो ॥' भणिकं च मंतिणा 'जहाणसि देव, एह वच्चामो बाहिरुजाण-काणगं । तत्थ गंतूण पुलएमो जहिच्छं बाल-माहव-लच्छि' ति। 3 राया वि एवं होउ' ति भणमागो समुष्ट्रिजओ, आरूढो य एवं वारआसज कारेनिं । अणेय-जग-सय-सहस्स-संवाह-संकुलं फालेंतो राय-मग संपत्तो बेगेणं तं चेय काणणं । तं च करिसं। 6 सहरिस-णरवइ चिर दिण्ण-दसग-पसाय-गारवग्यवियं । उजाण-सिरीएँ सनं सहसा हिययं व ऊससियं ॥ अवि य णच्चंत पिव पवणुव्येल-कोमल-जया-भुयाहिं, गायंत पिव जागा-विहंग-कलयल-रवेहिं, जयजयावंतं पिव मत्त-कोइलाराव-कंठ-कूविएहिं, तज्जतं पिव विल समाग-चूएक्क-कलिया-तजगोहिं, सदावतं पिव रत्तासोय-किसलय-दलग्ग-हत्थए हिं, 9पणमंत पिव पवण-पहय-विणमंत-सिहर-महासालुत्तमंगेहि, हसंतं पिव णव-वियसिय-कुसुमट्टहासेहि, यंतं पिव बंधण-खुडिय- णिवडंत-कुसुमंसु-धाराहिं, पढंत पिव सुय-सारिया-फुडक्खरालावुल्लावहिं, धूमायंतं पिव पवगुदुय-कुसुम-रेणु-रय-णिवहेहिं, पजलंत पिय लक्खा रस राय-सिलिसिलेंत-मुद्ध-णव-पल्लवेहिं, उकंठियं पिव महु-भत्त-माहवी-मयरंदामोय-मुइय-रुणरुणेत2 महु-भत्त-भहुयर-जुयागहिं ति । अवि य । 12 उम्गाइ हसइ णचइ रूयइ धूमाइ जलइ तह पढइ । उम्मत्तो ब्व दिवो णरवइणा काणणाभोओ ॥ ७१)तं च तारिसं पेच्छमाणो गरवई पविट्ठो चेय उजाणे । वियारिया य पेण समंतो कुवलय-दल-दीहरा 5 दिट्ठी, जाव मावि-मंडवम्मि परिमुज्झइ, धावइ बउल-रुक्खए, रत्तासोययभिम आरोहइ, सजइ चूय-सिहरए, दीहर-15 तालयम्मि आरोहद, खिजद सिंदुवारए, णिवडइ चंदणम्मि, वीसमइ खगे एला-वणुल्लए । इय णरवइणो दिट्टी णाणा-विह-दुभ-सहस्स-गहणम्भि । वियरइ अप्पडिफलिया महु-मत्ता महुयराण पंति व्व ॥ पेच्छद य णव-कुसुम-रेणु-बहल-मयरंद-चंद-णीसंद-बिंदु-संदोह-लुद्ध-मुद्धागपालि-हलबोल-चाउलिजंत-उप्फुल्ल-फुल्ल-सोहिणो 18 साहिणो । तं च पेच्छमागेण भणियं वासव-महामंतिणा । 'देव दरियारि-सुंदरी बंद-वेहव्व-दामेक-वीर, पेच्छ पेच्छ, एए महुयरा णाणावत्यंतरावडिया महु-पाणासव-रस-वसणा विणडिया। अवि य । । उय माहवीय कुसुमे पुणरुतं महुयरो समल्लियइ । अहवा कारण-वसया पुरिसा व पि सेवंति ॥ पत्त-विणिगृहियं पि हु भमरो अल्लियइ कुजय-पसूर्य । दुजण-णिवहोत्थइया णजति गुणेहि सप्पुरिसा ॥ चंपय-कलियं मयरंद-वजियं महुयरो समल्लिया । आसा-बंधो होहि त्ति णाम भण कत्थ णो हरइ ।। धवलेक कुसुम-सेसं हुँदै णो गयइ महुयर-जुवाणो । विमलेक-गुणा वि गुणण्णुपुहिँ णूणं ण मुंचंति ॥ अल्लीण पि महुयरिं पवणुब्वेल्लंत-दल-हयं कुणइ । अहव असोए अइणिद्दयम्मि भण केत्तिथं एयं ॥ चूय-कलियाए भमरो पवणाइद्धाइ कीरए विमुहो। णूणं रुंटण-सीलो जुवईण ण वल्लहो होइ॥ 7 मोत्तूग पियंगु-लयं भमरा धावंति बउल-गहगेसु । अह्वा वियलिय-सारं मलिण चिय णवरि मुंचंति ॥ भम रे भम रे अइभमिर-भमर-भमरीण सुरय-रस-लुद्वो । इय पणय-कोव-भणिरी भमरी भमरं समल्लियइ ॥ एवं साहेमाणो णरवइणो वासवो महामंती । महुयरि-भमर-विलसियं लोव-सहायं च बहु-मग्गं ।। 30 एवं च परिभममागणं तम्मि काणणे महामविणा वियारिया सुहभत्थ-दसणा समंतओ दिट्टी। चिंतियं च वासवे । 'सब्वं 30 इमं परिभमियं पिव काणणं, ण य भगवं सो धम्मगंदणो दीसइ, जं हियए परिविय एस मए इहाणिओ राया। ता कहिं पुण सो भगवं जंगमो कप्प-पायबो भनिस्सइ । किं वा सुत्तत्थ-पोरिसिं करिय अण्णत्थ अइकतो होहिइ त्ति । ता ण 13 सुंदरं कयं भगवया। 33 1) J त्ति for एवं. 2)सबजिय, ऊराया for उऊराया, P जुयइ. 3) P 'देव जहाणवेति एहि, I रुज्जाणे, P जहित्यप. 4) " पकं नारुपसज्जिय करिणी, P om. सहस्स. 5) P वेएणं, P चेक. 6) P दसणा, J सिरीय समयं, 7) J पवणुओलं P पवणुरेल, P लयाहिं, P कलर विहेिं, P कोइलकलाकलाराव. 8) P कोविएहिं तज्जत, P सद्दावंत, P हत्थेहिं, 9)P वणमंत, J रूअंतं,J विव बद्धण. 10) J कुनुमंसुएहिं, J सूझ-, । "लाविए हिं. 11) सिलिसेलेत, Pमास for मत्त. 12) "जुवाणपहि ति, J om. ति. 14) P नरवई तंमि चिय पविठ्ठो उ, Pom. य, नदीहदिट्ठी. 15) P माहवमंडवं ति, आगेहए. 16) विज्जर for खिजर, P वीसम खगं एलावण्णुलए. 17) दिहिया, P गहणमि, अप्फडिफलिअया. 18) Jom. णवकुसुम etc. to विण डिया । अवि य उ, P गयरिदचंदनीसंदा-, P बलबोलवाउलिजति उष्फल', P फुलसाहिणो सोहिणो. 19) ।' पिच्छमाणेण, P "मंतिणो. 20) Pमहुरा. 21) P पुणारुत, समुल्लियइ. 23) नाम तण किंच नो, भर for हर. 24) कुंद णा कुंदं तो, जुआणो, P गुणा वि twice. 25)P पिव महुयरि, पवणुवेलिंग, P असोए इथ जिंदयंगि. 26) मारो for भमरो, कंटण P रुंढण, I चेय for होइ. 27) Pमलिणि, Jणवर मुचति. 28) P सुरयसुरलोलो।। 29) J पासओ, लोय-- 30) Jom. च, J परिभवमाणेण P परिब्भममा, मुहमसत्थ', 'दंसमणा, P सव्वमिमं. 31) परिभवियं,Jom. पिव, Pकाणेणं, P परिट्ठाविया. 32) P सुत्तत्तत्थपोसिसी, P होहि त्ति, Pण य सुंदरयं. Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [$७१ - 1 कपणाणं अमय-रसं दाऊण य दसणं अदेंतेणं । दावेऊणं वर-णिहि मण्णे उप्पाडिया अच्छी ॥ अहवा जागिय भए । एत्थ तण-वच्छ-गुम्म-वल्ली-लया-संताणे सुपुप्फ-फल-कोमल-दल-किसलयंकुर-सणाहे बहु-कीडा3 पयंग-पिवीलिया-कुंथु-तस-थावर-जंतु-संकुले भगवंताणं साधूणं ण कप्पइ आवासिउँ जे । ता तम्मि सव्वावाय-निरहिए 3 फासुए देसे सिंदूर-कोहिम-तले सिस्स-गण-परिवारो होहिइ भगवं' ति चिंतयंतेण भणिओ महामंतिणा णरवई। 'देव, जो सो तए कुमार-समए सिंदूर-कोट्टिमासपणे सहत्यारोविओ असोय-पायवो सो ण-याणियइ किं कुसुमिओ ण व' ति। राइणा 6 भणियं । 'सुंदरं संलतं, पयट्ट तहिं चेव, वञ्चामो' त्ति भणमाण गहियं करं करेण वासवस्स । गंतु जे पयत्तो णरवई 8 सिंदूर-कोट्टिमयलं, जाव य थोवंतरमुवगो ताव पेच्छइ साहुणो । ६७२) ते य केरिसे । 9 धम्म-महोवहि-सरिसे कम्म-महासेल-कढिण-कुलिसत्थे । खति-गुण-सार-गरुए उवसग्ग-सहे तरु-समागे ॥ पंच-महब्बय-फल-भार-रहिरे गुत्ति-कुसुम-चेंचइए । सीलंग-पत्त-कलिए कप्पतरू-रयण-सारिच्छे ॥ जीवाजीव-विहाण कज्जाकज-फल-विरयणा-सारं । साधूण समायारं आयारं के वि झायति ॥ स-समय-पर-समयाणं सूइज्जइ जेण समय-सब्भावं । सूतयडं सूयगडं अण्णे रिसिणो अणुगुणेति ॥ अण्णेस्थ सुटिया संजमम्मि णिसुणेति के वि ठाणगं । अण्णे पढ़ति धष्णा समवायं सव्व-विजाणं ॥ संसार-भाव-मुणिणो मुणिणो अपणो वियाह-पण्णत्ती । अमय-रस-मीसियं पिव वयगे चिय णवर धारेति ॥ 15 णाया-धम्म-कहाओ कति अण्ण उवासग-दसाओ । अंतगड-दसा अवरे अणुत्तर-दसा अणुगुणेति ॥ जाणय-पुच्छं पुच्छइ गणहारी साहए तिलोय-गुरू । फुड पण्हा-चागरणं पदंति पण्हाइ-वागरण ॥ वित्थरिय-सयल-लिहुयण-पसत्थ-सत्थत्थ-अत्थ-सत्थाहं । समय-सय-दिहिवायं के वि कयत्था अहिजति ॥ जीवाणं पण्णवणं पण्णव पण्णवेति पण्णवया । सूरिय-पण्णरि चिय गुणेति तह चंद-पण्णत्तिं ॥ अण्णाइ य गणहर-भासियाई सामण्ण-केवलि-कयाई । पञ्चेय-सयंबुद्धहिँ चिरड्याइँ गुणेति महरिसिणो ॥ कत्थइ पंचावयव दसह ञ्चिय साहणं परूवेति । पञ्चक्खणुमाण-पमाण-चउक्कयं च अण्णे वियारेति ॥ 21 भव-जलहि-जाणवत्तं पेम्म-महाराय-णियल-णिद्दलणं । कम्मट्ठ-गठि-बज अणणे धम्म परिकहेंति ॥ मोहंधयार-रविणो पर-बाय-कुरंग-दरिय-केसरिणो । णय-सय-खर-णहरिले अण्णे अह वाइणो तत्थ ।। लोयालोग-पयासं दूरंतर-सण्ह-वत्थु-पजाय । वलि-सुत्त-णिबद्धं गिमित्तमणणे विद्यारंति ॥ णाणा-जीउप्पत्ती-सुवण्ण-मणि-रयण-धाउ-संजोयं । जागति जणिय-जोणी जोणीणं पाहुडं अण्णे ॥ अहि-सय-पंजरा इव तव-सोसिय-चम्म-मेत्त-पडिबद्धा । आबद्ध-किडिगिडि-रवा पेच्छइ य तवस्सिणो अण्णे ॥ ललिय-वयणथ-सारं सवालंकार-णिवडिय-सोहं । अमय-प्पवाह-महुरं अण्णे कव्वं विइंतंति ॥ 27 बहु-तंत-मंत-विजा-वियाणया सिद्ध-जोय-जोइसिया । अच्छंति भणुगुणेता अवरे सिद्वत-साराई ॥ मण-बयण-काय-गुता णिरुव-णीसास-णिच्चलच्छीया । जिण-वयणं झायंता अण्णे पडिमा-गया मुणिणो । अवि य कहिंचि पडिमा-गया, कहिंचि णियम-ट्ठिया, कहिंचि वीरासण-ट्ठिया, कहिंचि उक्कडयासण-हिया, कहिंचि गोदोह30 संठिया, कहिंचि पउमासण-ट्ठिय त्ति । अवि य । 30 इय पेच्छइ सो राया सज्झाय-रए तवस्सिणो धीरे । णिस्थिण्ण-भव-समुद्दे रुंदेण जिणिंद पोएणं ॥ ७३) ताणं च मज्झे सव्वाणं चेय णक्खत्ताणं पिव पुण्णिमायंदो, रयणाणं पिव कोत्थुभो कंतीए, सुराण पिव 33 पुरंदरो सत्तीए, तरूण पिव कप्पपायवो सफलत्तणेणं, सव्वहा सव्व-गुणेहिं समालिंगिओ चउ-णाणी भगवं भूय-भविस्स-33 18 1)सदसणं for दंसणं, P णिही, I अच्छि. 2) Pन पत्थ, सणाह, कीढपयंग. 3) साहू, आवसिंउ, I om. जे, P सव्वावयरहिया. 4) Jom. देसे, P कोट्टिमयलो, J यण for गण, JP चितियंतेग, J भणियं. 5)।संभनए for समए, P सदत्थरो, न याणइ. 6) P पयट्टा, चेय, P om. जे. 7) Pom. य, थोवंतरं गओ. 8)" केरिसो. 9) महोयहि, Pउयसग्ग. 11) P साहूण, I आयारे. 12) सूयजइ, P सूयगर्ड, I सूअयर्ड सूयगडं. 13) I हाणंगं । ठाणाम, P। पढंति अन्ने धणा. 14) P विवाहः, पि for पिव, रनवरि. 15) P कहंति. 16) "जाणद, I तिलोय, वागरण, " पण्हाए, वागरण. 17) Pसत्थसत्थरथ for सत्थत्थ, P सत्थ for अत्थ, P वि वयत्था, अभिज्जेंति. 18) पन्नत्ति चिय, -पन्नत्ति. 19) J पञ्चयइसयबुद्धेहि विरयाई, P पत्तेय, महारि सिगो. 20) साहारणं for साहणं, पच्चक्खाणु', चउक्कमपणे. 22) P वाइ for वाय, P-नयरिले, वाहणा. 23) Pलोबालोय, P पज्जत, गिबंध, P वियारेति. 24) गीचुप्पती, जाणिति. 25) P अद्विमय, पच्छइ. 26) P धगयच्छ for वयणस्थ, P निवडिया, P विइंतेति, I has a marginal note: च विरई पा. (which means that च विरईति is a पाठान्तर). 27) Pजोईसा, P अच्छेति अणुगुणेंसा. 28) " विरुद्ध for णिरुद्ध, Pझाएंता. 29) Pपडिम ठिया, नियमं ठिया, P वीरासणं ठिया कहिं उडियासणं ठिया. 30)।' पोगासगं दिया।, Pom. ति. 31) सिज्झाय, 1 विच्छिन्नतवसमुद्दे. 32) Pom, च, चेव, " पुणिमाइंदो, 'कोत्थुझो. 33)" om. सधहा. Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -७४ ] कुवलयमाला 1 भव्व-वियाणओ दि@ो णरवदणा धम्मणदणो णाम आयरिओ। दट्टण य पुच्छियं णरवणा 'भो भो वासव, के उंग इमे 1 एरिसे पुरिसे'। भणियं च वासवेणं 'एए सयल-तेलोक-वंदिय-वंदणिज-चलण-जुयले महाणुभावे महाणाणिणो मोक्ख-मग्ग3 मुणिणों भगवंते साहुणो इमे' ति । भणियं च राइणा 'एसो उण को राया इव सस्सिरीओ इमाण मज्झ-गओ दीसइ' त्ति । ३ भणियं च मंतिणा 'देव, एसो गं होइ राया देसिओ। कहं । संसाराडवीए जर-मरग-रोगायर-मल-दोग्गञ्च-महा-वण-गहणे मूढ-सोग्गइ-दिसि-विभागाणं णिद्दय-कुतित्थ-तित्थाहिव-पाचोवएस-कुमग्ग-पत्थियाण कंदुग्धुसिय महा-णयर-पंथ-देसिओ भव्व6 जीव-पहियाणं भगवं धम्मणदणो णाम आयरिओ त्ति । ता देव, देवाणं पि बंदगीय-चलण-जुयलो इमो, ता उव- 6 सपिऊण वंदिमो, किंचि धम्माहम्म पुच्छिमो' ति । एवं होउत्ति भगमाणो राया पुरंदरदत्तो वासवस्स करयलालग्गो चेय गंतुं पयत्तो । गुरुणो सयासं उवंगतूण य मंतिणा कय-कोमल-करयल-कमल-मउलेण भणियं । 9 जय तुंग-महा-कम्मट्ठ-सेल-मुसुमूरणम्मि वज्ज-सम । जय संसार-महोवहि-सुघडिय-वर-जाणवत्त-सारिच्छ ॥ • जय दुजय णिजिय-काम-बाण खंतीय धरणि-सम-रूव । जय घोर-परीसह-सेण्ण-लद्ध-णिद्दलण-जय-सद्द ॥ जय भविय-कुमुय-वण-गहण-बोहणे पुण्ण-चंद-सम-सोह । जय अण्णाण-महातम-पणासगे सूर-सारिच्छ । 2 देव सरणं तुम चिय त णाहो बंधवो तुमं चेव । जो सव्व-सोक्ख-मूलं जिण-वयणं देसि सताण ॥ ति भणमाणो तिउण-पयाहिणं करऊणं णिवडिओ से भगवओ चलण-जुवलयं वासयो त्ति राया वि पुरंदरदत्तो। दरिसण-मत्तेणं चिय जण-मणहर-वयण-सोम्म-सुह-रूव । सइ-वंदिय-बहुयण-चलण-कमल तुझं णमो धीर ॥ त्ति भणिए, भगवया वि धम्मणदणेणं सयल-संसार-दुक्ख-क्खय-कारिणा लंभिओ धम्मलाह-महारयगेणं ति । ७४) भणियं च भगवया 'सागयं तुम्हाण, उवविसह' त्ति । तओ 'जहाणवेह' त्ति भगमाणो पणउत्तमंगो। भगवओ णाइदूरे तम्मि चेय पोमराय-मणि-सरिसुल्लसंत-किरण-जाले सिंदूर-कोट्टिमयले णिसण्णो राया। वासबो वि अणु 8 जाणाविडं भगवंतं तहिं चेय उवविहो । एयम्मि समये अण्णे वि समागया णरवर-चट्ट-पंथि-कप्पडियाइणो भगवते 18 णमोकारिऊण उवविट्ठा सुहासणत्था य । गुरुणा वि जाणमाणेणाचि सयल-तिहुयण-जण-मणोगय पि सुह-दुक्ख तह वि लोयसमायारो त्ति काऊणं पुच्छियं सरीर-सुह-वट्टमाणि-वुत्तंतं । विणय-पणय-उत्तमंगेहिं भणियं 'भगवं, अज कुसलं तुम्ह 1 चलण-दसणं' ति । चिंतियं च राइणा । 'इमस्स भगवओ मुर्णिदस्स असामण्ण रूवं, अणण्ण-सरिसं लायण्ण, असमा हि 21 कित्ती, असाहारणा दित्ती, असमा सिरी, सविसेसं दक्षिण, उद्दामं तारुणं, महंता विजा, अहियं विण्णाणं, साइसयं णाणं । सवहा सच्च-गुण-समालिंगण-सफल-संपत्त-मणुय-जम्मस्स वि किं वेरग्ग-कारणं समुप्पणं, जेण इमं एरिसं एगत-दुक्खं पध्वज पवण्णो त्ति । ता किं पुच्छामो, अहवा ण इमस्स एत्तियस्स जणस्स मज्झे अत्ताणं गाम-कूडं पिव हियएणं हसावेस्सं' 24 ति चिंतयंतो गुरुणा भणिओ। 'एत्थ णरणाह णवरं चउगइ-संसार सायरे घोरे । वेरग्ग-कारण चिय सुलह परमत्थ-रूवेणं । 7 जं जं जयम्मि मण्णइ सुह-रूवं राय-मोहिओ लोओ । तं तं सयलं दुक्खं भणति परिणाय-परमत्था । तिण्हा-छुहा-किलंता विसय-सुहासाय-मोहिया जीवा । जे चिय करेंति पावं तं चिय णाणीण बेरग्गं ॥ जेण पेच्छ, भो भो णरणाह, 10 जे होंति णिरणुकंपा वाहा तह कूर-कम्म-वाउरिया। केवहा सोणहिया महु-घाया गाम-घाया य॥ णरवइ-सेणावइणो गाम-महाणयर-सत्य-घाया य । आहेडिया य अण्णे जे विय मासासिणो रोहा ॥ देंति वणम्मि दवग्गिं खणंति पुहई जलं पि बंधंति । धाउं धर्मति जे चिय वणस्सई जे य छिंदति ॥ १ अण्णे वि महारंभा पंचेंदिय-जीव-घाइणो मूढा । विउल-परिग्गह-जुत्ता खुत्ता बहु-पाव-पंकम्मि ॥ 1) आयरिओ त्ति, "श्मे केरिसा पुरिसा. 2) Pom. च, P एए. तियलोकं सयलं वंदिय, सोग्गइ for मोक्ख. 3) मज्झे गओ. 4) om. णं होय राया देसिओ । कहं । , P संसाराटईए, रोगरयमल. 5) दिसी, P निद्धय, P तित्थाहिवोवएस, J कडुज्झसियमहान कंइयं सिवगहा. 6) P पयाहिण for पहियाणं, नवंदणिय, ताओ अवसप्पिऊण, P उस्सपिऊण चंदामो. 7) कंचि धम्माधमां, I एवं ति होउ, P पुरंदत्तो, P करयललग्गो. 8) Pमंतिगि. 9) Jसमा P स, P महोयहि, Pom. वत्त. 10) खंतीय,J रूवा "रूवं, सेग. 11) समसोहे, सारिच्छा. 12) Pवि तं for the second तुमं. 13) 'तिउणं, वासओ, Pom. ति. 14) 'दसण for दरिसण, P सुयणसोम, सुहरूले, सई सय. 15) P om. वि, ।' धम्मलाभ, P om. ति. 16) Pउपविसमु, " जहाणवेल, P पणयउत्तिमंगो. 17) नारद दूरंमि चेव, सरसुलसंत, P जाले कोट्रिगसिंदूरमयले नीषणो. 18) Pचेव, P नरवईचट्टपंथ, P भगवंतं. 19) Jom. वि after गुरुणा, Pom. जण. 20)P पुछिओ, चट्टगाणी, J पणमुत्त. 21) नरवदणा for राइणा, P असामन्नरूवं, JP अण्णण्ण-, P om. सरिसं, P om. हि. 22) हि कन्ती (?), P असाधारणा, अविसेस, कारुणं for तारुणं, विण्गागं ति,Jom. साइसयं णाणं P साइसणं नाणं. 23) J समालिंगणं, दुरुत्तरं for दुक्ख- 24) Pom. त्ति, P पुच्छिमो, P एयरसय एत्तियमझे अत्तागयं गामउड, हसएस्सं. 26) P सागरे. 28) P तण्हा, P नाणेण. 29) P पिच्छा- 30) P कोवट्टा सोणिया. 31) P नरवर-, Pमंसासिणो. 32)P ददगी for दयनिंग, P खणं च पु, PR for पि, P जे विय वणस्सयं.33) P च for वि, P मूला. Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणरिविरइया यहु-कोहा बहु-लोहा माइला माण- मोह परिवदा निंदण-गरण-रहिया झालोयण- नियम परिहीणा || एए करेंति कर्म मह कुलगीत मिडिय मईया अवरे भगति वित्ती अहान कया पावणा ॥ अपरेविरहिया भवरे धम्मो सितं चिय पवण्णा अवरे अवरं दाति मूढयं श्रेय सूद-मणा ॥ जीवियदे एवं करेंति अम्हाण होहिह सुई ति ण य जाति वरावा दुक्लमसाहारण गिरए ॥ पित्र-पुत-भाइ भइणी माया भगाण जाकर कुणइ ते बिवडे चिय व्हाया भुंजइ एकमो दुक्खं ॥ गुरु-वेयण- दुक्खत्तो पुरओ चित्र सयल-बंधु-वग्गस्स । मरिऊण जाइ णरयं गरुणं पाव- कम्पेणं ॥ § ७५ ) फेरिसा ते पुण णरया । अवि व । णक्खत- सूर-रहिया घोरा घोरंधयार-दुप्पेच्छा । अइउण्हा अइसीया सत्तसु पुढवीसु बहु-रूवा ॥ 9 कहिंचि मेज-मज-वस-फेकसाउ कहिंचि रक्त पित्त-पूर-पसरंत मिण्णया कर्हिचि मास-खेल पूय पूरिया कर्हिचि वज्ज-तुंड - पक्खि-संकुला । कहिंचि कुंभीपाय-पञ्चंत जंतुया । कहिंचि संचरंत वायसाउला । कहिंचि घोर-सीह-सुणय- संकुला । कहिंचि चलमाण चैक-भीसणा कहिंचि निवडत सरथवाहसंकुला कहिंचि कट्टमाय-तंत्र राज्य-ताविया कर्हिचि 12 पञ्चमाण-पाणि- दुगंध-गंध-गमिणा । कहिंचि करवत्त-जेन फालिनमाण जंतुया कहिंचि पिन-पोर कसिण-पत्थरा । 12 कहिंचि णरयवालायड्डिय-छुब्भमाण- जलण-जालालुक्खिय- दुक्ख-सह-सय- संकुल त्ति । भवि य । जं जं जयम्मि दुक्खं दुक्ख-द्वाणं च किंचि पुरिसाणं । तं तं भणति णरयं जं णरयं तत्थ किं भणिमो ॥ अह तम्मि भणिय-गुण्ये पत्ता सत्ता वजेण दुफ्लत्ता पसंति क्लु संकट-कुढिले दुफ्लेण ॥ जह किर भव मितीय होइ घडियाल मदहन्दारं । णरयस्मि तह शिवणिक्खुडा वीरेण भणियाई ॥ मुस जल जलु सोहि पूर्व बसा वच्च खेळ-बीहच्छा। दुदंसण-वीणाया चिलीणया होति दुग्गंधा ॥ अह तेसु बिक्खुडे गेण्डर अंतमुत्तमेते काले कम्म यसओ देहं तुझ्याण भावासं ॥ अइभीम-कसिण- देहो अच्छी-कर-कण्ण-णासिया - रहिओ । होइ णपुंसग रूवो अलक्खियक्खो कह वि किंचि ॥ जह जह पूरई अंग वह वह से णिरखुदे ण माए कह कह 1 चल करेमाणो अण्जेहिं णरय पाहिं जह जह ण माइ अंगं तद वह विणाउरो होइ ॥ । अपि पत्तो कुकुछा तुच्छानो ॥ धाति ते वि तुट्टा कलल-सदं करेमाणा ॥ गेण्टद गेण्टह एवं पार्न पाहिं पाए ॥ वा दिडो परमाहुम्मि मादलेह जिंह कद फालेह मिंदर सरेहिं एवं भणमाण चिव एके कुंतेहिं तत् भिदेति । अवरे सरेहिं एतो जवरे छिंति सम्गेहिं ॥ एवं विलुप्पमाणो कङ्क्षितो वि काल-पासेहिं । णिवडतो वज्ज - सिलायलम्मि सय- सिक्करो जाइ ॥ निवडतो च्चिय अण्णे लोह - विणिम्मवियतिक्ख-सूलासु । भिज्जइ अवरो णिवडइ धस त्ति घोराणले पाओ ॥ विडिय मे एवं सहसा हिंदेति तिक्ख-खग्गेहिं भवरे सरेहिं वह पुण अवरे कोतेहिं भिति ॥ मुसुमूर्रेति य अण्णे वज्जेणं के वि तत्थ चूर्रेति । के वि णिसुंभंति दृढं गय- पत्थर-लउड-घाएहिं ॥ जंतेसु के वि पीलंति के वि पोति तिक्ख-सूलासु । कर-कर-कर त्ति छिंदंति के वि करवत्त- जंतेहिं ॥ छमछमछमस्स अण्णे कुंभीपागेसु णवर पच्चंति । चडचडचडस्स अण्णे उक्कत्तिज्जति बिलवंता ॥ 1 3 6 15 18 21 24 27 30 33 ३६ ९ ७६) एवं च कीरमाणा हा हा विलवंति गरुय दुक्खत्ता । कह कह वि बुडबुडेंता सणियं एवं पर्यपंति ॥ पसिवह] पसियह सामिय दुक्खत्तो विष्णवेनिजा किं चि किं व मए अवर साहह किं वा कर्य पार्व ॥ दाऊण सिरे पहरं अह ते जंपंति णिहुर-सरेण । रे रे ण-यणइ मुडो एस बराओ समुज्जूओ ॥ P 1 ) P नयण for नियम 2 ) कुलणीति त्ति, P मईय. 3 ) Pom. अवरे वि व्वयरहिया, रविवय, धम्मति, दाणं ति for दाएंति 4 ) P हेऊ, J एयं, P तम्हान for अम्हाण, P नरए. 5 ) P जं for जा 6 ) P गुरुएणं पुन 7 > ए उण ते for ते पुण. 8 ) Pउथ सीया for अइसीया 9 ) Pवसापुष्कसा, मंभ (१) खेल. 10 P कुंभ for कुंभी. 11) P कहि वि बलमाणचंचुकंक, विणिवडंत P निवडंत, तमय 12)परि for पाणि, P दुध, Pom. गंध. 13 > रयवालो थियछुम्भमाण, P छत्तमाण for छुब्भमाण, P सय for सद्द• 15) P निकडेसुं संकल- 16 ) P वारं नयरंमि तह चिय निकुटा पीरेहि 17) Pom. बच 18 ) निक्कुडेसुं. 19 ) Pom. कृष्ण, P नपुंसय 20 > P निकडे गाया. 21 ) P वेयणिलो चलचलवेलयं, ए अव for अह, P कुच्छाओ for तुच्छा. 22 > अह रोद्द for अणेहिं । विरय for णरथ, P पावंति ते य तुट्ठा. 23 ) P छिंद्रह for मिंदह, P तं for एयं, P पाडेसु for पाएसुं. 24 ) भगवाणे, P एकेकं तेहिं, Padds सरे before सरेदि, Pom. एतो. 25 ) Pय for वि, P जायइ. 26 > P अन्नो for अण्णे, पावो for पाओ. 27 ) P मेत्तो एक्को, Pom. तह पुग, P मिति 28 ) P अवरे for अण्णे, P पूरंति for चूरेंति. 29 ) पीलेंति अवरे, for पीलंति के वि, P पूयंति for पोपंति, P सृले करेंति for कर ति 30 Jछति for छपरस, P कुंभीपासु नवरि, P रिसंता for बिलवंता. 31) P विलर्वेति गुरुय. 33 ) P अवरे for अह ते, P सरेहिं, JP यागइ for यणइ ( emended ). समुजूओ. [8] ७४ 3 15 18 21 24 27 30 33 Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -$७६] कुवलयमाला 1 जीवे मारेसि तुम जइया रे पाव णिद्दओ होउं । तइया ण पुच्छसि च्चिय कस्स मए किंचि अवरद्धं ॥ मंसं खाइसि जइया जीवाणं चडचडस्स फालेउं । तइया ण पुच्छसि ञ्चिय कस्स मए किंचि अवरद्धं ॥ ३ अलियं जपसि जइया रे पावय पावएण हियएणं । तइया मुद्ध ण-याणसि भणसि मए किं कथं पावं ॥ गेण्हसि अदिण्णयं चिय जइया रे मूढ णिग्घिणो होउं । तइया ण पुच्छसि चिय कस्स कयं किं व अवरद्धं ॥ परदार-मोहिय-मणो जइया रे रमसि अण्ण-जुवईहिं । तइया मूढ ण-याणसि भणसि मए किं कयं पावं ॥ गेण्हसि परिग्गहं रे जइया असराल-लोह-पडिबहो। तइया मूढ ण-याणसि भणसि मए किं कयं पावं ।। रे रे खेलसि जइया रत्तो आहेडयं सराय-मणो । तइया मूढ ण-याणसि एकस्स कए बहुं चुको ॥ आलप्पाल-पसत्तो सुयणे पीडेसि रे तुमं जदया। तइया मूढ ण-याणसि एक्कस्स कए बहुं चुक्को ॥ णिय-जाइ-मओम्मत्तो जिंदसि रे सेसयं जणं जइया । तइया मूढ ण-याणसि एकस्स कए बहुं चुक्को ॥ रोद्दाणुबह-चित्तो मारेमि इमं ति परिणओ जइया । तइया जाणसि सव्वं संपइ मुद्धो तुम जाओ। मोत्तण हरि-हराई जइया तं भणसि को व सव्वण्णू । तइया सव्वं जाणसि एहि रे मुद्धओ जाओ ॥ वेय-विहाण-विउत्तो जइया तं भणसि णत्थि सो धम्मो । तइया सव्वं जाणसि हि रे अयाणओ जाओ ॥ पावारंभ-णियत्ते जिंदसि ते साहुणो तुम जइया । तइया तं चिय जाणसि अण्णो पुण अयणओ सन्चो ॥ ण य संति के वि देवा ण य धम्म मूढ जंपसे जइया । तइया चिंतेसि तुमं में मोत्तं ण-यणए अण्णो॥ 15 मारेह पसुं दारेह महिसयं णस्थि पाव-संबंधो । तइया चिंतेसि तुमं मं मोत्तं ण-यणए अण्णो । इय भणमागेहिं चिय फाडेउं चडयउस्स सम्बंगो । विक्खिप्पंति बलीओ मासम्मि सरुहिर-माँसाओ । सो वि बहु-पाव-वसओ छिपणो खइरं व खंडखंडेहिं । संगलइ गलिय-देहो पारय-रस-सरिस-परिणामो ॥ 18 हा ह त्ति विलयमाणो छुब्भइ जलणम्मि जलिय-जालोले । खर-जलण-ताव-तत्ते सामिय तिसिओ त्ति वाहरइ । अह ते वि णरय-पाला आगे आणे जलं ति जपंता । आणति तंब-तउयं कढमाण-फुलिंग-दुप्पेच्छं ॥ अह तम्मि दिण्ण-मेत्ते गुरु-दाह-जलंत-गलय-जीहालो । अलमलमलं ति सामिय णट्ठा णट्ठा हु मे तण्हा॥ अह ते वि णिरणुकंपा मास-रसो वल्लहो त्ति पंता । अक्कमिऊण गलए संडास-विडंबिओढाणं ॥ धगधगधगेंत-घोरं गलिय गलयम्मि देति ते लोहं । तेण य विलिजमाणा धावंति दिसादिसी तत्तो ॥ खर-जलण-गलिय-तउ-तंब-पूरियं तंब-ताविय-तडिलं । वेयरणिं णाम णई मण्णता सीयल-जलोहं ॥ धावति तत्थ धाविर-मग्गालग्गत-घोर-जम-पुरिसा। हण णिहण भिंद छिंदह मारे मारे त्ति भणमाणा ॥ अह वेयरणी पत्ता झस त्ति झपाउ देंति धावंता । तम्मि विलीणा लीणा पुणो वि देहं णिबद्धंति ॥ तो तस्मि हीरमाणा डझंता कलुणयं विलवमाणा। कह कह वि समुत्तिण्णा परिसडिय-लुलंत-सव्वंगा ।। अह जलण-ताव-तवियं पेच्छंति कलंब-वालुया-पुलिणं । सिसिरं ति मण्णमाणा धावता कह वि पेच्छंति ॥ तत्थ वि पउलिज्जता उध्वत्त-परत्तयं करेमाणा । डझंति सिमिसिमेंता रेणूए चम्म-खंड व्व।। असि-चक्क-सत्ति-तोमर-पत्तल-दल-सिलिसिलेंत-सदाल । छायं ति मण्गमाणा असिपत्त-वणम्मि धावति ॥ 30 जाव य धावंति तहिं सहसा उद्वाइओ महावाओ । खर-सकर-वेय-पहार-पत्थरुग्घाय-वोमीसो ॥ अह खर-मारुय-पहयं असि-पत्त-वणं चलंत-साहालं । मुंचइ सत्थ-प्पयरं भिंदंति अंगमंगाई। छिण्ण-कर-चरण-जुयला दो-भाइजंत-सिर-कवालिल्ला । कांत-विणिभिण्ण-पोट्टा दीह-ललंतंत-पब्भारा ॥ 33 गुरु-डाह-डज्झमाणा पेच्छंति तमाल-सामलं जलयं । किर णिव्ववेइ एसो सीयल-जल-सीय-रोहेण ॥ 1) Pyr for रे, P has some additional lines aftor अवरद्धं like this: गेह सि अदिन्नयं चिय जइ वा रे मूढ़ निग्धिणो हो । तश्या न पुच्छसि थिय करस मए किंचि पारद्ध ।।. 2) Iom. the gatha: मंसं etc., P फालिउं 3) Pom. ten lines from तश्या मुद्ध etc. to पीडेसि रे तुम जझ्या. 9) J जाइमयम्मत्तो, P संजणं for सेसयं. 10) P मारेसि. 11) Jहरिहरा, अयाणओ for गुद्धओ. 13) P अयाणओ. 14) P धम्मो, P तझ्या for जइया, P मम for मं, P न याणए. 15) Jण आणए P न याणए. 16) P बड़चडरस, P मंसामि for मासम्मि, मांसाओ P मीसाउ. 17) P य हु for बहु, खरो व्व. 18) जालउले, P तत्तो. 19) आगह आग जलं, P जंपति, आणति तउअंतंवं कढ'. 20) JP गलंत for जलंत (emended ), P जीहाला, P सामिय सामिय नट्टाउ मे. 21) P तह for अह, P भणमाणा for जंता, र देती for गलए, P विडिदि. 22) गलयं, J गलियंमि, J ते सित लोहं, P से लोई, P तेण वि विभिन्नमाणा, P दिसादिसिं. 23) P निवड for संब, कटिल for लडिल, P नेति for णाम. 24) P "लग्गंति ज घोर. 25) देंति तावंता, णिबंद्धति P निबंधति. 26) ते for तो, ललंत for लुलंत. 28) P सिमिसिमंता रेणूए मंसखंड वा. 29) P धावंतं. 30) P पावंति for धावंति, P सरसा, Pउद्धावई,J -प्पहार, Pवामीसो. 31) P पयारं छिदंति.32) ललंतं च गुरुभारा. 33) P सीयजल. Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६७६1 जावं असि-चक्क-तोमर-पूरे पूय-वसा-रुहिर-मुत्त-विच्छिड्डे । अग्गिंगाला-मुम्मुर-णिवहे अह वरिसए जलओ ॥ तह तेण ते परद्धा वेयालिय-पञ्चए गुहाहुत्ता । धावंति धावमाणा दीणा सेल्लेहिँ हम्मंता ॥ ३ पत्ता वि तत्थ केई गुरु-वज-सिलाभिघाय-दलियंगा । पविसंति गुहाएँ मुहं बितियं णरयं व घोर-तमं ॥ ७७) अह पलय-काल-जलहर-गजिय-गुरु-राव-दूसह सई । सोऊण परं भीया पडिवह-हुत्तं पलायति । तत्थ वि पलायमाणा भीम-गुहा-कडय-भित्ति-भाएहिं । सुसुमूरियंगमंगा पीसते सालि-पिटुं व ॥ कहकह वि तत्थ चुक्का णाऊगं एस पुव-वेरि त्ति । बेउब्बिय-सीह-सियाल-सुणय-सउहिँ घेति ॥ तेहि वि ते खजंता अंछ-वियछं खरं च विरसंता। कहकह वि किंचि-सेसा वज-कुडंग अह पविट्ठा ॥ अह ते वियण-परद्धा खण-मेतं ते वि तत्थ चिंतेति । हा हा अहो अकजं मूळेहि कयं तमंधेहिं ॥ 9 तइओ चिय मह कहियं णरए किर एरिसीओ वियणाओ। ण य सद्दहामि मूढो एहि अणुलोमि पञ्चक्खं ॥ हा हा भणिओ तइया मा मा मारेसु जीव-संघाए । ण य विरमामि अहण्णो विलयामिस-मोहिओ संतो ॥ मा मा जंपसु अलियं एवं साहूण उवइसंताणं । को व ण जंपइ अलियं भणामि एयं विमूढ-मणो ॥ 12 साहंति मज्झ गुरुणो पर-दबं णेय घेप्पए किंचि । एवमहं पडिभणिमो सहोयरो कत्थ मे दव्वं ॥ साहति साहुणो मे पर-लोय-विरुद्धयं पर-कलत्तं । हा हा तत्थ कहंतो पर-लोओ कैरिसो होइ ॥ जइ णे भणंति गुरुणो परिग्गहो णेय कीरए गुरुओ । ता कीस भणामि अहं ण सरइ अम्हं विणा इमिणा ॥ 15 जइ णे भणंति साधू मा हु करे एत्तियं महारंभं । ता कीस अहं भणिमो कह जियउ कुडंबयं मज्झ ॥ संपइ तं कत्थ गयं रे जीव कुडंवयं पियं तुज्झ । जस्स कए अणुदियहं एरिस-दुक्खं कयं पावं ॥ तइया भणति गुरुणो मा एए णिहण संबर-कुरंगे । पडिभणिमो मूढप्पा फल-साग-सरिच्छया एए॥ 18 इय चिंतेंति तहिं चिय खण-मेत्तं के वि पत्त-सम्मत्ता । गुरु-दुक्ख-समोच्छइया भवरे एवं ण चाएंति ॥ अह ताण तक्खणं चिय उद्धावइ वण-दवो धमधमेंतो। पवणाइड-कुडंगो दहि चिय तं समाढत्तो॥ अह तत्थ डज्झमाणा दूसह-जालोलि-संवलिय-गत्ता । सत्ता वि सउम्मत्ता भमंति णरयम्मि दुक्खत्ता ॥ अवि य। 2l सर-कोत-समागम-भीसणए दुसहाणल-जाल-समाउलए । रुहिरारुण-पूय-वसा-कलिए सययं परिहिंडइ सो णरए ॥ इय दुक्ख-परंपर-दूसहए खण-मेत्त ण पावइ सइ सुहए । कय-दुक्कय-कम्म-विमोहियया भम रे सुह-वज्जिययं जियया ॥ सव्व-त्थोवं कालं दस-वास-सहस्साई पढमए णरए । सव्व-बहुं तेत्तीसं सागर-णामाण सत्तमए ॥ 24 एयं च एरिसं भो दिटुं वर-णाण-दसण-धरेहिं । तं पि णरणाह अण्णे अलियं एयं पयंपंति ॥ ६७८) अण्णे भणति मूढा सग्गो गरओ व्व केण भे दिट्रो। अवरे भणति णरओ वियन-परिकपिओ एसो॥ जे च्चिय जाणंति इमं णरयं ते चेय तत्थ वच्चंति । अम्हे ण-याणिमो च्चिय ण वञ्चिमो के वि जंपंति ॥ 27 अण्णाणं अगणाणं ण-याणिमो को वि एस णरओ ति । अवरे भणंति अवरा जं होही तं सहीहामो ॥ संसार-णगर-कयवर-सूयर-सरिसाण णस्थि उब्वेओ । किं कोइ डोंब-डिंभो पडय-सद्दस्स उत्तसइ ॥ अणुदियहम्मि सुणता अवरे गेण्हति णो भयं धिट्टा । भेरी-कुलीय पारावय व्व भेरीऍ सदेणं ॥ 30 णरय-गइ-णाम-कम्म अवरे बंधंति णेय जाणति । ता ओदिसंति मूढा अवरे जस्सोवरि रोसो ॥ अवरे चिंति इमं कलं विरमामि अज विरमामि । ताव भरंति अउण्णा रहिया ववसाय-सारेणं ॥ दे विरम विरम विरमसु पावारंभाओ दोग्गइ-पहाओ । इय विलवंताणं चिय साहणं जंति णरयस्मि ॥ 33 ताणरणाह सयण्णो जो वा जाणाइ पुण्ण-पावाई । जो जाणइ सुंदर-मंगुलाई भावेइ सो एयं ॥ णरए णेरइयाण जं दुक्खं होइ पच्चमाणाणं । अरहा तं साहेज व कत्तो अम्हारिसा मुक्खा ॥ 1 24 1) J कुंत for तोमर, P पूर for पूय, Pom. मुत्त, P अञ्चिगाला, गियरे for णिवहे. 3) P गुहाभिमुई वायंतरयं च घोर-. 4) J भीता P भीया. 5) P'यंगवंगी, पिस्संते, P सालिपिंडं. 6) P गुयणेहिं for सउणेहि. 7) तह मिते खज्जता अच्छिविअच्छक्खरं, P वज्जकुडंगेसु पइसंति ॥ वज्ज कुटंगपविठ्ठा खणमेत्तं तत्थ किंचि पितेति ।. 8) P अहा for अहो, धम्मे हिं for मंधेहि.9) P तत्तो for तइओ. 10) P संघायं, न विसथाविस, P संते. 11) Pमूढ़ for एयं. 12) Pom. "ए किंचि, P सहोअरं. 13) Pom. पर, P भणागो for करतो. 14) नो for णे, परिग्गओ,J गरुओ," तरइ for सरइ. 15) Pणो for णे, P साहू साहुकारे, P जियइ. 17) P सायरससिच्छया एते. 18) P चितति, P गुरुदत्तसमो. एतेच्छ', P चायंति. 19) Pउवावा. 20) ""माणो, P संपलित्तंगा, P निरयंगि. 21) Jहीसणए भीसणाण, पूअसमा P पूइवसा. 22) Pपाविय, P भमिरे, P वज्जिय जं. 23) P त्थोयं, P सहस्साई मं. 24) Jएरिसो, P दिहि, नारनाह, P एयं ति जति. 25)J वियढपरियप्पिओ. 26) Pचुच्चंते. 27) Pहोहि त्ति तं. 28) Pनयर, Propeats वयवर, P उब्वेवो, P के वि for कोइ, Pपडियसद्दसउब्धियइ. 29) J दवा for चिट्ठा, P कुलाय पारावइ ब भीरीय सद्धेण. 30) I गई, P ता for ताओ, I अइसंति P उद्दिसंतु, Jउज रसोवरी P जस्सावरि.31) P नितंति इमो, P थिरमागि सकयसंकेया।, P ववसारेयसारेण. 32) Pom. विरम.33) जे वा जाणंति, P जो जीणइ, सो एवं. 34) Pj for जं, Pमुका. Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 । - ८०] कुवलयमाला ३९ ७ ९) कह-कह वि आउयंते उबट्टो किंचि-मेत्त-कम्म-मलो । पइसइ तिरिक्ख-जोणि मणुओ वा जो इमं कुणइ ॥ तव-भंग-सील-भंग काम-रई-राग-लोह-कूदत्त । कूड-तुल-कूड-माणं कूड टंकं च जो कुणइ ॥ पमु-महिस-दास-पेसा जे य किलिस्संति दुक्ख-तण्हत्ता । पर-लोय-णिरावेक्खा लोयं खाएंति दुस्सीला ॥ एए सब्वे मरिउ अकय-तवा जति तिरिय-जोणिम्मि । तिरियाणुपुचि-रज्जू-कहिजता बइल व्ध ॥ तत्थ तस-थावरत्ते संपुण्णापुण्ण-थूल-सुहुमते । वियलंदिय-पंचंदिय-जोणी-भेए बहु-वियप्पे ॥ जल-जलणाणिल-भूमी-वणस्सई चेय थावरे पंच । विय-तिय-चउ-चदिय-भेए य जंगमे जाण ॥ दुवय-चउप्पय-भेया अपयापय-संकुला चउ-वियप्पा । पसु-पक्खि-सिरीसिव-भभर-महुथराई बहु-वियप्पा ॥ जल-थल-उभय-चरा वि य गयण-चराई य होंति बहु-भेया । णरणाह किंचि सोक्ख इमाण सव्वं पुणो दुक्खं ॥ खोडुण-खणण-विदारण-जलण-तह-द्धमण-बंध-मोडेहिं । अवरोप्पर-सत्थेहि य थावर-जीवाण तं दुक्ख ॥ छिजति वणस्सइणो चंक कुहाडेहि णिय-जणेणं । लुब्बति ओसहीओ जोवण-पत्ता दुहत्ता य ।। छुब्भंति कढयदंते उया जीवा उ बीय-जोणिम्मि । मुसुमूरिजंति तहा अवरे जंत-प्पओगेणं ॥ णिय-समत्थ-दढ-बाहु-दंड-पविद्ध-असि-कुहाडेहिं । णरणाह तरुयरत्ते बहुसो पल्हथिओ रण्णे ॥ खर-पवण-वेय-पविद्ध-गरुय साला-णमंत-भारेण । भग्गो वगम्मि बहुसो कडयड-सई करेमाणो ॥ पजलिय-जलण-जाला-कराल-डझंत-पत्त-पब्भारो। तडतडतडस्स डड्डो णरवइ बहुसो वण-दवेण ॥ कथइ वजासणिणा कथइ उम्मूलिभो जल-रएणं । वण-करि-करेण कथइ भग्गो णरणाह रुक्खत्ते ॥ 8.) गंतूणमचाएंतो लोलंतो कठिण-धरणिवट्ठम्मि । कत्थइ टस त्ति खइओ दुइंदियत्तम्मि पक्खीहिं ।। खर-णर-करह-पसूहि य रह-सयड तुरंग-कठिण-पाएहिं । दिदि-विहूणो तेइंदियएसु बहुसो णिसुद्धो हैं । उरग-भुयंगम-कुक्कुड-सिहि-सउण-सएहि असण-कजम्मि । विलवंतो च्चिय खइओ सहसाहुत्तो भय-विसण्णो । खर-दिणयर-कर-संताव-सोसिए तणुय-विरय-जंबाले । मच्छत्तणम्मि बहुसो कायल-सउणेहि खइओ ई॥ बहुसो गलेण विद्वो जाल-परद्धो तरंग-आइ हो । जलयर-सएहि खदो बहो पावेण कम्मेण ॥ मयर-खर-णहर-दाविय-तिक्खग्ग-कराल-दंत-करवते । कत्थइ विसमावत्ते पत्तो णिय-कम्म-संततो॥ कत्थइ अहि ति दटुं मारे-मारेह पाव-पुरिसेहिं । खर-पत्थर-पहरेहि जिहओ अकयावराहो वि॥ कत्थइ सिहीहिँ खइओ कत्थइ णउलेहि खड-खंड-कओ। ओसहि-गद्धाइद्धो बद्धो मंतेहि उरयत्ते ॥ णि?र-वग्घ-चवेडा-फुड-णहर-विदारिओ मओ रणे । महिसत्तणम्भि कत्थइ गुरु-दूसह-भार-दुक्खत्तो ॥ हरि-खर-णहर-विदारिय-कुंभत्थल-संगलंत-रुहिरोहो । पडिओ बणम्मि कत्थइ पक्खि-बलुत्तो सउणएहिं ॥ गुरु-गहिर-पंक-खुत्तो सरवर-मज्झम्मि दिणयर-परद्धो । ताव तहिं चिय सुक्को तावस-थेरो व्व जुण्ण-गओ ॥ कत्थइ वारी-बद्वो बद्वो घण-लोह-संकल-सएहिं । तिक्खंकुस-बेलु-पहार-तजणं विसयिं बहुसो॥ अइभारारोहण-णिसुढियस्स रण्णे बइल्ल-रुवस्स । जीय-सणाहस्स वि कोल्हुएहिँ मासं महं खइयं ॥ कत्थइ विसमावडिओ मुसुमूरिय-संधि-बंधगो दुहिओ । तण्हा-छुहा-किलंतो सुसिऊण मओ अकय-पुण्णो ॥ कत्थइ जंगल-जुत्तो सयड-धुरा-धरण-जूरण-पयत्तो । तोत्तय-पहर-परयो पडिऊण टिओ तहिं चेय ॥ डहर्णकण-बंधण-ताडगा। वह-छेज-णत्थणाई च । पसु-जम्ममुवगएणं परवइ बहुसो वि सहियाई॥ हरिणत्तणम्मि तक्खग चियायई-मय-तगं पमोत्तणं । सावय-सहस्स-पउरे वणम्मि विवलाइयं बहुसो ॥ 3 कत्थइ य जाय-मेत्तो मुद्धत्तणएण जणणि-परिहीणो । दढ-कोडंडायड्डिय-बाणं वाहं समल्लीणो ॥ 1) Pाव आउणंते, पइसति, P जोणी, Ji for जो, P कुणए. 2)P कामरती, Pकुटुंतं. 3) J जे किलिस्संति P जोइ किलेसेश, निरापेक्खा, Fखायंति. 4) सिरियागपुब्बिरज्जा. 5) P थावरत्तो ते पुन्नापुन्न. 6) P ते य for चेय, विद, एणं for मेए य. 7) दुप्पय, J अपयापद, P सिरीसवभमराम हुयरबहुविवियप्पा ।. 8) P गयणचरा चेय. 9) P खोण, P वियारणजालणतहधमण. 10) P"स्सहलो कुहाडियाएण लिइय, P लुं अंति, P वि for य. 11) P कढकढेंते उदए जीवा तु बीय. 12) पविद्ध, " सिय for असि. 13) P पविद्ध, Pसाला निमंतभावेण. 14) Pदड्रो. 15) रयेणं, P करकरेण. 16) 'चायतो, P वसत्थि for टस त्ति, विइंदियं तम्मि. 17) P रहसड. 18) P om. भुयंगम, P विवलाश्त्तो खरगो. 19) विअर for विरय, द जंबोले, काइल- 21) P दारिप for दाविय. 23) P ओस हिं गंधाइट्टो, P उपरते. 24) P वियारिओ, P सार for भार. 25) J कर for खर, P चियारिय, P पत्थिपलुत्तो. 26) P गुरुपग'. 27) P कत्थर वीराबंधो, P तिक्कु साबलपहार, P विसहिउँ पयसो. 28) P गयं for महं. 29) असिऊण for सुसिऊण. 30) P नंगलहुजुत्तो, P चेव for चेय. 31) Pतहा for वह. 32) हरितगंमि, J विआयमयतणयं, P मयतणयं, P विवला इओ. 33) Pom. य, P कोयंडा, बाणवाहं. Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४० उजोयणसूरिविरइया [$ ८०1 गेय.स दिण्ण-कण्णो कत्थइ णिहओ सरेण तिक्खेणं । कत्थइ पलायमाणो भिण्णो सेल्ल-प्पहारेहिं ॥ कत्थइ धावतो च्चिय पडिओ विसमम्मि गिरि-वर-झसम्मि । कत्थइ वण-दव-जालावलीहिँ डडो णिरुच्छाहो ॥ णो णिभएण चिणं तणे पिणो चेय पाणियं पीयं । ण य णिभएण सुत्तं णरणाह मयत्तणम्मि मए । सस-संबर-महिस-पसुत्त गम्मि पुरिसेहि मंस-लोहेणं । मंसं बहुसो खइयं फालेउं अंगमंगाई ॥ सर-सत्ति-सेल-सब्बल-जिदय-णिक्खित्त-सर-पहारेहिं । बहुसो अरण्य-मझे जीएण णिएण वि विमुको । सुय-सारिय-सउणते लावय-तित्तिर-मयूर-समयम्मि । पंजरय-पास-भइयं बहुसो मे बंधणं पत्तं ॥ तण्हा-छुहा-किलतेहि णवर वच्चं पि वैफियं बहुसो । जो उण णिवसइ गब्भे आहारो तस्स तं चेय ॥ कजाकजं बहुसो गम्मागम्मं अयाणमाण । णरवइ भक्खाभक्ख परिहरियं णो भमंतेण ॥ अवि य । दुक्खं जं णारयाणं बनु-विविह-महा-घोर-रूवं महंतं, होज्जातं तारिसं भो तिरिय-गइ-गयाणं पि केसि चि दुक्ख । छेजे बंधे य वाए जर-मरग-महावाहि-सोगुद्दयागं, णिचं संसार-वासे कह-कह वि सुई साह मज्झं जियाण ॥ अंतोमुहुत्त-मेत्तं तिरियत को वि एत्य पायेइ । अण्णो दुह-सय-कलिओ कालमणतं पि वोलेइ ॥ 12 तिरियत्तणाउ मुको कह पि णिच्छुब्भए मणुय-जम्मे । मणुओ व्व होइ मणुओ कम्माइ इमाइ जो कुणइ ॥ ६८१) ण य हिंसओ जियाणं ण य विरई कुणइ मोह-मूढ-मगो। पयइ-मिउ-मदवो जो पयइ-विणीओ दयालू य ॥ तणु-कोह-माण-माया जीया विरमति जे कसाएसु । मूढ-तव-णियाणेहि य जे होति य पाव-परिणामा ॥ दट्टण य साहुयणं ण वंदिरे णेय जिंदिरे जे य । रंडा दूभग तह दुक्खिया य बंभं धरेमाणी ॥ सीउण्ह-खुप्पिवासाइएहि अवसस्स णिजराए उ । तिरियाण य मणुयत्तं फेसि पि अकाम-वसयाणं ॥ दारिदेण वि गहिया धणिय-परद्धा तहा सया थद्धा । सणियाण पडिऊणं मरंति जलणे जले वा वि ॥ जे पर-तत्ति-णियत्ता णधि थद्धा गेय दोस-गहण-परा । ण महारंभ-परिग्गहण-डंभया णेय जे चोरा ॥ ण य वंचया ण लुद्धा सुद्धा मुद्धा जगे ण दुस्सीला । मरिऊण होति एए मणुया सुकुले समि य ॥ जे उण करेंति कम्मं णरय-तिरिक्खत्तणस्स जं जोग्गं । पच्छा विरभति तर्हि कुच्छिय-मणुया पुणो होति ॥ 21 मणुयाउगं णिव पुब्धि पच्छा करेंति जे पावं । ते णरय-तिरिक्ख-समा पुरिसा पुरिसत्थ-परिहीणा ॥ णरणाह इमे पुरिसा तिरिया वा एय-कम्म-संजुत्ता । देवाणेरड्या वा मरि मणुयत्तणे जति ॥ जायंति कम्म-भूमीसु अहम भूमीसु के वि जायंति । जारिय-जणम्मि एके मेच्छा अवरे पुणो होति ॥ 24 सक-जवण-सबर-बब्बर-काय-मुरुडोडु-गोंड-कप्पणिया । अरवाग-हण-रोमस-पारस-खस-खासिया चेय ॥ डोंबिलय-लउस-बोकस-भिल्ल-पुलिंदध-कोत्थ-भररूया। कोंचा य दीण-चंचुय-मालव-दविला कुडक्खा य ॥ किक्कय-किराय-हृयमुह-गयमुह-खर-तुरय-मेंढगमुहा य । हयकण्णा गयकण्णा अण्णे य अणारिया बहवे ॥ 27 पावा पयंड-चंडा अणारिया णिग्घिणा जिरासंसा । धम्मो त्ति अक्खराई णवि ते सुविणे वि जाणंति ॥ एए णरिंद भणिया अण्णे वि अणारिया जिणवरेहिं । मंदर-सरिसं दुक्ख इमाण सोक्खं तण-समाण ॥ चंडाल-मिल्ल-डोंबा सोयरिया चेय मच्छ-बंधा य । धम्मत्थ-काम-रहिया सुह-हीणा ते वि मेच्छ व्व ॥ 30६८२) आरिय-कुले वि जाया अंधा बहिरा य होंति लल्लाया । रुला अजंगम चिय पंगुलया चलण-परिहीणा ॥ धणमंतं दट्टणं दूरं दूमेति दुक्खिया जे य । रूविं च मंद-रूवा दुहिया सुहियं च दट्टणं ॥ णरणाह पुरिस-भावं महिला-भावं च के वि वञ्चति । मोहग्गि-सिमिसिमेंता णपुंसयत्तं च पार्वति ॥ 33 दीहाउया य अप्पाउया य आरोग्ग-सोक्ख-भागी य । सुभगा य भगा वि य अवरे अयसाई पावेंति ॥ 18 1) दिण्णयण्णो, P कत्था धाययमाणो. 2) Pणइ for वर, Pदड़ो. 3) J णिचण for णिभण्ण. 4) मांस लोभेण, P मांसं. 5) J पहारेहि, P मज जीए नीएण. 6) Pसउगतो, पासाई, Jणे for मे,J पत्तो. 7) Pणाम for णवर, P भक्खियं for वंफिय, P जो पुण, P गत्तो for गम्भे. 9) P गमाणं for गयाणं. 10) महाबोहिसोगद्ययाणं. 12) Pतिरियत्तणओ चुको, उ कहिं पि, P पिनच्छुब्भए, P अणुउ for मणुगो, Pom.होइ. 13) J विरई, P न विरई, J पयइम्मि मद्दवो, P निउ for मिउ. 14) J अइ for तणु, J लोहेण कया वि for जीया, I णि णहि. 15) P साहुणयं, ' रंडायरदुब्भगा दु. 16) Pवासाइयाउ अवसरस, वि for य. 17) J K for चि, इदा for थद्धा. 18) J परिन्ग हद भया.. 19) Pसुकुले सुमिद्धे. 20) Pजे पुण. 21) मणु आउज, P पुच्छी पुच्छा करेंति. 23) J अकम्म for अहम. 24) सय for सक, P खसखोसिया, र वेव. 25) P डोंबय, J बोकस P बोकरस, पुलिंध अंध, " पुलिव्यको भमररूया, Pय वीण, P कुलक्खा . 26) P किरयकराय, P यमुहा गयमुहा, JP तुरया. 27)P दंटा for टा. 28) Pमंदिर. 29)P मेअ for चेय. 30) Jहोति कल्लाय P हो ललाया, I रुलायंरामच्चिय, P कल्ला for रुला- 31) Jदूमेह, रूवं for रूपिं. 32) P मोह पि मिसिमिसंता, वचंति for पावेंति. 33) Pउ for य in the first two places. Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६८३] कुवलयमाला अकय-पुण्ण तत्थ विव ल्लिर ससा 1 खुजा य पंगुला वामगा य अवरे य होंति हीगंगा । मूया बहिरा अंधा केई वाहीहि अभिभूया। संजोय-विप्पओगं सुह-दुक्खाई च बहु-पगाराई । बहुसो णरवर जम्मण-मरणाणि बहूणि पावति ॥ है एवं चिय पजत गरवर वेरग्ग-कारणं पढ । जं असुइम्मि वसिज्जइ णव-मासे गन्भ-वासम्मि ॥ असुइ-मल-मुत्त-पउरे छिवाडिया-मास-पेसि-समयभिम । बहुसो अहं विलीगो उबरे चिय पाव-कम्मेहिं ॥ बहुसो पवुत्थवइया-गयवइयाणं च गब्भ-संभूओ । खर-खार-मूल-डड्डो गलिओ रुहिरं व णिक्खंतो ॥ अण्णो गब्भ-गो चिय जगणीऍ मया जीवमाणो वि । डज्झइ चडफडतो दुसह च्चिय जलण-जालाहिं ॥ अवरो संपुण्णंगो कह वि विवण्णो तहिं अकय-पुण्णो । परिछेइयंगमंगो कङ्किजइ जणणि-जोणीए ॥ कह-कह वि विणिक्खंतो अंतो-संतोस-सासमुज्झंतो । वुण्णो तत्थ विवण्णो बहुसो रुण्णो अकय-पुण्णो ॥ , जायतेण मए च्चिय अणंतसो गरुय-वेयणायल्ला । णीया जणणी णिहणं चलचलुब्वेल्लिर-ससल्ला ॥ कत्थइ य जाय-मेत्तो पंसुलि-समणी-कुमारियाहिं च । चत्तो जीवंतो चिय फरिहा-रच्छा-मसाणेसु ॥ तत्थ वि विरसंतो चिय खइओ बहु-साण-कोल्हुयाईहिं । थणयं च अलभमाणो कथइ सुसिओ तहिं चेय ॥ 19 कथइ जायतो चिय गहिओ बालग्गहेण रोदेण । तत्थ मुओ रुयमाणो माऊए रोयमाणीए ॥ कत्थइ कुमार भावं पडिवण्णो पुण्ण-लक्खणावययो । सयण-सय-दिण्ण-दुक्खो विहिणा जम्मतरं णीओ ॥ कय-दार-संगहो हं बहुसो बहु-सयण-मणहरो पुत्विं । दुग्गय-मणोरहो इव सय-हुतं मच्चुणा णीओ ॥ 16 जुवईयण-मणहरणो बहुसो दढ-पीण सललिय-सरीरो । सिद्धत्थ-कंदली विय टस त्ति भग्गो कयंतेण ॥ पर-दार-चोरियाइसु गहिओ रायावराह-कज्जेण । छेयण-लंछण-ताडण-डहणंकण-मारणं पत्तो ॥ दुभिक्ख-रक्ख-खइए जणम्मि णरणाह मे खुहत्तेण । खइयं माणुस-मंसं जण-सय-परिणिदिय बहुसो ॥ 18 बहु-रइय-चीर-मालो उच्छिटाणि?-खप्पर-करग्गो। कय-डिंभ-कलयलो है बहुसो उम्मत्तओ भमिओ ॥ खदुया-मोत्थय-पहराहओ वि दीणत्तगं अमुंचतो । सरणं अविंदमाणो जणस्स पाएसु पडिओ है॥ कत्थइ महिलत्तणए दूसह-दोहग्ग-सोय-तवियाए । दालिद्द-कलह-तवियाएँ तीऍ रुणं धव-मणाए । 21 वेहब्ब-दूमियाए दूसह-पइ-णेहमसहमाणीए । उर-पोट-पिट्टगेण णिरत्थयं तं कयं बहुसो ॥ पिययम-विलीय-दसण-ईसा-वस-रोस-मोहिय-मणाए । णरणाह मए अप्पा झस त्ति अयडम्मि पक्खित्तो ॥ दुस्सीलत्तण-चिंधं पाव-फलं कुसुम-पलवुडमेयं । णासाहर-कपणाणं छेयं तह भेयणं सहियं ॥ 24 विसम-सवत्ती-संतावियाएँ पइणा अलीढ-गणियाए । णरणाह मए अप्पा विलंबिओ दीण-वयणाए॥ बहुली व परिगयाए सिसिरे जर-कंथ-उत्थय-तणूए । दुग्गय-घरिणीऍ मए बहुसो तण-सत्थरे सुइयं ॥ वसियं विसमावत्ते हल्लिर-कल्लोल-बीइ-पउरम्मि । तिमि-मयर-मच्छ-कच्छव-भमंत-भीमे समुद्दम्मि ॥ 97 एयाणि य अण्णाणि य णरवर मणुयत्तणम्मि दुक्खाई । पत्ता. अणताई विसमे संसार-कंतारे॥ सिर-दुह-जर-वाहि-भगंदराभिभूएहिँ दुक्ख-कलिएहिं । सास-जलोदर-अरिसा-लूया-विष्फोड-फोडेहिं ॥ णिभच्छण-अवमाणण-तज्जण-दुव्वयण-बंध-घाएहिं । फेडण-फाडण-फोडण-बोलण-घण-धंसणाहिं च ॥ 30 साणप्फोडण-तोडण-संकोयण-डहण-झाडणाहिं च । सूलारोवण-बंधण-महण-करि-चमढणाहिं च ॥ सीस-च्छेयण-भेयण-लंबण-तडिवडण तच्छणाहिं च । खल्लकत्तण-बोडण-जलणावलि-डहण-वियणाहिं ॥ णरवइ णरय-सरिच्छं बहुसो मणुयत्तणे वि णे दुक्ख । सहियं दूसहणिजं जम्मण-मरणारहम्मि ॥ अवि य । 38 ८३) दूसह-पिय-विओय-संताव-जलण-जालोलि-ताविय । अप्पिय-जण-संगमेण गुरु-वजासणिए व्व ताडियं ॥ अझ्दारिद्द-सोय-चिंता-गुरु-भार-भरेण भग्गयं । भीसण-खास-सास-बाही-सय-वेयण-दुक्ख-पउरय ॥ 33 1) Jय मंगुला, J अद्धा केई," अहिहूया. 2) संजोग, P 'ओगा मुहुदु', P पयाराई, p मरणाणि य पावर बहि । 3) P अमुयमिवज्जद. 4) P मासविलि, Pउयरे. 5) P पउत्थवआगश्वयायाणं, मूलदडो, रुहिरं. 6) J जणणीय मयाय जणणीइ समाइ. 7) Jउण्णो for पुण्णो, कढिज्जा. 8) P संत for सास, F बुब्यो for वुण्णो. 9) J वेयणायहो, P चलवेल्लिर. 10) 'कुमारियाणं च, P रच्छा सुसाणे य।. 11) P कोल्हुयादीहिं, " चेव. 12) P तत्थ मओ. 14) Fमणहरो चिय सय. 15) Pमुललिय, P विय ढस त्ति. 16) राहावराह, दहणं'. 17)Pजणिम्मि Pणाह रे मे. 18) Pउचिट्ठा. 19) "खडया, P पहगहओ. 20) P परिपूरियाए for तवियाए, I तीय रुपणं, J धवि (?) for धव, रुपण चि विणोउ।. 21) P पइणोहम', उरपोद्द पिट्टणमनिर. 22) P निक्खित्तो for पविखत्तो. 23) विर्द्ध for चिंध, J छेयम छएण मे सहियं, तह भोयणं. 24) पइणो. 25) P बहुलीए परिमग हियाए, J कंथरोत्थय. 26) P भीमावन्ने for विसमावत्ते, कच्छभममंति-- 28) P जल for जर, P भगंदराहिंभू', P सूल for सास, P जलोयर हरिसालूयाहिं वि. 29) P निब्भच्छगाव, तह for धण. 30) P साटणफोटण, P संकोडण, झाडणाई P ज्झोडणाहिं, J चमढणा किंच. 31)P च्छेदणभेदण, तत्थहाणि च, P खलकत्तण, P दहण. 32) P बहुसो व मणु', Pमए for विणे. 33) J जालोलिअतदिअयं, " ताविश्यं, P वजाअस , J ताडिअP ताडिअयं. 34 "गिरि for गुरु, J सोस for सास, P वाहि. | Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 13 उजोयणसूरिविरइया [६८३। णरवर एरिस-दुक्खयँ मणुयत्तणयं पि णाम जीवाण । वीसमउ कत्थ हिययं वायस-सरिसं समुद्द-मज्झम्मि ॥ एक्को मुहत्त-मत्तं सव्व-त्थोवं तु भुंजए आऊ । पल्लाइँ तिणि पुरिसा जियति उकोस-भावेण ॥ तम्हा देवत्तणयं इमेहि कम्मेहि पावए मणुओ। तिरिओ व्व सम्मदिट्ठी सुर-णारइया ण पार्वति ॥ जल-जलण-तडीवडण रजू-विस-भक्खग च काऊणं । कारिसि-बाल-तवाणि य विविहाइँ कुगंति मूढ-मणा ॥ सीउण्ह-खुप्पिवासाय सकाम-अकाम-णिज्जराए य । मरिऊण होंति देवा जइ सुद्धा होति भावेण ॥ जे उण सणियाण-कडा माया-मिच्छत्त-सल्ल-पडिवण्णा । मरिऊण होंति तिरिया अज्झाणम्मि वदंता ॥ तत्थ वि वंतर-देवा भूय-पिसाया य रक्खसा अवरे । जे मणुयाण वि गम्मा किंकर-णर-सरिसया होंति ॥ सम्मत्त-बद्ध-मूला जे उण विरया व देस-विरया वा । पंच-महव्वय-धारी अणुव्वए जे य धारेति ॥ 9 कम्म-मल-विमुक्काणं सिद्धार्ण जे कुगंति वंदणय । पूर्व अरहंताण अरहताणं च पणमंति ॥ पंचायार-रयाणं आयरियाणं च जे गया सरगं । सुत्तत्थोज्झायाणं उज्झायाणं च पणमंति ॥ सिद्धि-पुरि-सायाणं संजम-जोएहि साहु-करणाणं । पयईए साहूणं साहूण जे गया सरणं ॥ ते पुरिस-पोंडरीया देहं चइऊण कलमलावासं। दिय-लोय-विमाणेसु मणहर-रूवेसु जायंति ॥ चल-चवल-कोंडल-धरा पलंब-वण-माल-रेहिर-सरीरा । वर-रयणाहरण-धरा हवंति देवा विमाणम्मि ॥ ताण वि मा जाण सुहं सययं णरणाह कामरूवीगं । होइ महंत दुक्खं देवाण वि देव-लोयम्मि ॥ जे होंति णाडइल्ला गोजा तह किंकरा य पडिहारा । भिच्चा भडा य भोज्जा अभिओगाणं इमं दुक्खं ॥ अइतिक्ख-कोडि-धारा-फुरंत-जालावली-जलायंतं । तं एरिस-वजहरं वज हरते सुरा द॥ पच्छायाव-परद्धा हियएण इमाई णवरि चिंतेति । हा हा अहो अकजं विसयासा-गोहिएण कयं ॥ जइ तइया विरमंतो अधिराहिय-संजमो अहं होंतो। इंदो व्व होज इहई इंद-सरिच्छो व्व सुर-राया । अब्बो संपइ एसो किंकर-पुरिसो इमाण हं जाओ । तव-सरिसं होइ फलं साहू सच्चं उवासंति ॥ सरिसाण य सम्मत सामण्णं सेवियं सम अम्हे । अज्झवसाय-गुणेणं एसो इंदो अहं भिच्चो॥ विसयासा-मोहिय-माणसेण लो जिणिंद-वयणम्मि । ण कओ आयर-भावो चुक्को एयं विसय-सोक्ख ॥ बहु-काल-संचिओ मे जो वि को संजमो बहु-वियप्पो । सो वि अकारण-कुविएण णासिओ णवर मूढेण ॥ लोए पूया-हेर्ड दाण-णिमित्तं च जो तवो चिण्णो । सो धम्म-सार-रहिओ भुस-सरिसो एरिसो जाओ। तडि-जलण-वारि-मरगे बाल-तवे अजियं च ज धम्मं । तं कास-कुसुम-सरिसं अवहरिय मोह-वाएण ॥ स चिय संजम-किरिया तं सीलं भाव-मेत्त-परिहीणं । तं कीड-खइय-हिरिमिंथ-सच्छहं कह णु णीसारं ॥ विबुह-जण-णिदिएसुं असार-तुच्छेसु असुइ-पउरेसु । खण-भंगुरेसु रजइ भोएसु विडंबण समेसु ॥ 27 जीवो उण मणुयत्ते तइया ण मुणेइ विसय-मूढ-मणो । जइ एयं जाणतो तं को हियएण चिंततो॥ इय ते किंकर-देवा देवे दट्टण ते महिड्डीए । चिंताणल-पजलिया अंतो-जालाहिँ डझंति ॥ ९८४) जे तत्थ महिदीया सुरवइ-सरिसा सुरा सुकय-पुण्णा । छम्मास-सेस-जीविय-समए ते दुखिया होंति ॥ 30 कुसुमं ताण मिलायइ छाया परिमलइ आसणं चलइ । विमणा य वाहणा परियणो य आणं विलंघे ॥ एरिस-णिमित्त-पिसुणिय-चवणं णाऊण अत्तणो देवो । भय-वुण्ण-दीण-वयणो हियएण इमाई चिंतेइ । हा हंस-गब्भ-भउए देवंग-समोत्थयम्मि सयणम्मि । उववजिऊण होहिइ उप्पत्ती गठभ-वासम्मि । 33 वियसिय-सयवत्त-समे वयणे दट्टण तियस-विलयाणं । हा होहिइ दहवं थुडुक्रियं पिसुण-वग्गस्स ॥ तामरस-सरस-कुवलय-माले वावी-जलम्मि ण्हाऊण । हा कह मजेयव्वं गाम-तलाए असुइयम्मि ॥ 24 1) Jजीवयाण. 2) मेत्तयं, Pथोयं, आउं. 3) Pमुर नेरझ्या न पावंति. 4) तवावि य. 5) Iवासासकामसकामाणि' Pवासाअकामसक्काम, P हियपणं for भावेण. 6) P सलपरिभित्ता।. 7) P भूया य पिसाय रक्खसा. 8) Pविरियन्व, P धारंति. 9) P विप्पमुक्का जे सिद्धाणं कु. 10) Pउवज्झायागं. 11) पुरसाधयाणं. 12) पोंडराया,' रूए.सु. 13) P धण for वण. 14) P सययं य नरनाह कामरूवाणं, P लोगंमि. 15) Pअभिउयाणं. 16) " अतितिक्ख, P जलयलेंतं. 17) P चिंतंति, विसयाविसमो. 18) णिस्संको for विरमतो, P महं for अहं. 20) सामj. 21) J भाओ. 23) " पूयाहिलं, P तुस for भुस. 24) तडिजालानलमरणे. 25) I हिरिमिच्छ P हिरिमंथ, ' णु निस्सार 27) P जीवो पुण, P मोह for विसय. 28) P पज्जलिए, P उज्जल for अंतो. 29) P तो for जे, P महिडिया. 30) P परियणा. 31) P चलणं for चवणं, J भयदीणपुण्णवयणो P भयचुन्नदीणविमणो. 33) P सिय for सय, " बियलाणा for विलयाणं, Pथुईंकियं. 34) Pमालो वावी Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३ -६८५] कुवलयमाला 1 मंदार-पारियायय-वियसिय-णव-कुसुम-गोच्छ-चंचइए । वसिउं दिव्वामोए हा कह होहं असुइ-गंधो ॥ फालिय-मणि-णिम्मविए जलंत-वेरुलिय-मंडिए भवणे । वसिऊण वसियध्वं जर-कडय-कए उडय-वासे ॥ तेतोक-तुंग-चिंता-दुमे व्व णमिऊण जिणवरे एत्थ । णूण मए णवियव्वं मूढाणं अण्ण-पुरिसाणं ॥ वित्थय-णियब-पुलिणे रमिउं हंसो व्व तियस-विलयाण । हा मणुय-लोय-पत्तो होहं महिलो कुमहिलो व्व ॥ वर-पोमराय-मरगय-ककेयण-रयण-रासि-विक्खित्तो। णूणं किविणो घेच्छ वराडियं धरणिवटाओ॥ गंधव-ताल-तंती-संवलिय-मिलंत-महुर-सद्देणं । बुझंतो होही सो संपइ खर-णिढर-सरेहिं ॥ सुर-सेलम्मि पयासं जिण-जम्मण-मंगलम्मि वते । तं तत्थ णच्चियं मे तं फेण ण सलाहियं बहुसो।। हा दिणयर-कर-परिमास-वियसियंबुरुह-सरिस-मुह-सोहं । सुरगिरि-सिर-मउड-सम कइया उण जिणवरं दच्छं ॥ 9 दर-दलिय-कुवलउप्पल-विसट्ट-मयरंद-बिंदु-संदुमियं । थण-जुयलं हो सुर-कामिणीण कइया पुणो दच्छं । तियसिंद-विलासिणि-पणय-कोव-पब्विद्ध-कमल-राइलं । पउम-महापउमाइसु दहेसु मह मजणं कत्तो । तं णवर खुडइ हियए जं तं गंदीसरे जिणिंद-महे । तीय महं पेसबिया दिट्ठी धवलुज्जल-विलोला ।। " सुंदरयर-सुर-सय-संकुले वि रंगम्मि णञ्चमाणीए । सहि-वयण-णिवेसिय-लोयणाएँ तीए चिरं दिवो ॥ समवसरणम्मि पत्तो विविह-विणिम्मविय-भूसणावयवो । सुरलोय-णिमिय-लोयण-धवलुज्जल-पम्हलं दिटो॥ हा सुर-णरिंद-गंदण हा पंडय रुद्द-भद्द-सालवण । हा वक्खार-महागिरि हिमवंत कहिं सि दट्टव्वो ॥ 5 हा सीए सीओए कंचण-मणि-घडिय-तीर-तरु-गहणे । हा रम्मय धरणीहर फुरंत-मणि-कंचण-धराण ॥ हा उत्तर-देव-कुरू हा सुर-सरिए सरामि तुह तीरे । रयणायर-डीवेसुं तुझं मे कीलिय बहुसो ।। इय विलबंतो चिय सो थोवत्थोवं गलंत-कंतिल्लो । पवणाहओ व्व दीवो झत्ति ण णाओ कहिं पि गओ ॥ अवि य । ४ एवं पलावेहिँ दुहं जणेतो, पास ट्ठियाणं पि सुराण णिचं । बजासणी-घाय-हओ ब्व रुक्खो, पुण्णक्खए मच्चु-वसं उवेइ ॥ 18 दस वास-सहस्साई जहण्णमाउं मुराण मज्झम्मि । उक्कोसं सव्वढे सागर-णामाई तेत्तीसं ॥ ८५) तओ भो भो पुरंदरदत्त महाराय, जं तए चिंतिय 'एयस्स मुणिणो सयल-रूव-जो व्वण-विण्णाण-लायण्ण1 संपण्ण-सफल-मणुय-जम्मस्स वि किं पुण घेरग्गं, जेण एवं एरिसं एयंत-दुक्खं पध्वज पवण्णो' ति । ता किं इमं पि एरिसंथ संसार-दुक्ख अणुहविऊण अण्णं पि वेरग्ग-कारणं पुच्छिजद त्ति । णरणाह सव्व-जीवा अर्णतसो सव्व-जाइ-जोणीसु । जाया मया य बहुसो बहु-कम्म-परंपरा-मूढा ॥ 4 एवं दुह-सय-जलयर-तरंग-रंगत-भासुरावतं । संसार-सागरं भो णरवर जइ इच्छसे तरि ।। भो भो भणामि सब्वे एयं जं साहियं मए तुज्झ । सद्दहमाणेहि इमो उवएसो मज्झ सोयव्वो ॥ अवि य । मा मा मारसु जीए मा परिहव सजणे करेसु दयं । मा होह कोवणा भो खलेसु मत्तिं च मा कुणह ॥ अलिए विरमसु रमसु य सच्चे तव-संजमे कुणसु रायं । अदिण्णं मा गेण्हह मा रजसु पर-कलत्तम्मि ॥ मा कुणह जाइ-गव्वं परिहर दूरेण धण-मयं पावं । मा मजसु णाणेणं बहु-माणं कुणह जह-रूवे ॥ मा हससु परं दुहियं कुणसु दयं णिश्चमेव दीणम्मि । पूएह गुरुं णिचं वंदह तह देवए इहे ॥ संमाणेसु परियणं पणइयण पेसवेसु मा विमुहं । अणुमण्णह मित्तयणं सुपुरिस-मग्गो फुडो एसो॥ मा होह णिरणुकंपा ण वंचया कुणह ताव संतोसं । माण-त्थद्धा मा होह णिक्किवा होह दाण-परा ॥ मा कस्स वि कुण जिंदं होजसु गुण-गेण्हणुजओ णिययं । मा अप्पयं पसंसह जइ वि जसं इच्छसे धवलं ॥ बहु-मण्णह गुण-रयणे एक पि कयं सयं विचिंतेसु । आलवह पढमयं चिय जइ इच्छह सज्जणे मेति ॥ पर-वसणं मा गिदह णिय-वसणे होह वज-घडिय व्व । रिद्वीसु होह पणया जइ इच्छह अत्तणो लच्छी ॥ 1) चिचइए, P वसिओ. 2)J तडय for उदय. 3) Pom. तुंग, P नमियव्वं, P अन्नदेवाणं ।।. 4) होहम for होहं. 5) Pपउम for पोम, P कंकेयण, P किमिणो घेत्थं बटाणियं. 6) P बोहिस्सं for होही सो. 7) P साहियं for सल हि यं 8) दाहिणकरपरि* for हा दिणयर कर परि", मुहहोहं, Pom. सिर, Pसमं से कश्याओ जिणवरिंदत्थे। 9) दरि for दर Pमिंदु for संदु,Poin. हो, P सुरं वरकामि'. 10) दूहेसु महु गज्जणं. 11)P नरवर for णवर, Pमहं for महे. 12) P oin, सुरसय, नचमाणीओ, Pनिमेसिय. 13) I "लोयणिम्मिय. 14)P नंदण for परिंद, गंदण पडय तरुक्कपभूदसालवणे. 15) सीतोदे, P धरणियरा सोहिय फुडकंचण. 16) P तुज्झ मए कीलियं. 17) Pथोवंथोवं, Pचि for पि. 18) 'दुई जुगेंतो, वज्जासणिं, P रुस्सो पुणक्खए वचुवसं. 20) Pपुरंदरयत्त. 21) P पण्णा for संपण्ण, सफलजम्ममणुयरस वि, बेरयं for वेरगं, P एतं for एयं, P पवन्नो त्ति । तो किं. 22) P अणुभविऊणं अन्नंमि . 24) P तुरंग, for तरंग, तो for भो.25) Jसं for जं, J तुभं for तुज्झ, P मज for मज्झ.26) Pमारेसु जिए, P कोहणाहो खले हिं. 27) "तह for तव, P अगिन्न for अदिणं. 28) Pमाणेणं बहुमायं मा कुणसु रूवे for the 2nd line. 29) Pपयं for पर, दयं णिच णिच्च दी, Pगुरू for गुरुं. 30)J फुडं for फुडो. 31) JP -थद्धा. 32) कस्सइ कुण णि होज्ज गुण,P गेण्हस जुओ, P नइ सि for जर वि. 33) P मण्णय for मण्णह, P पि चिंतेसु for विचिंतेसु. 34 P लच्छि ।. Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया 1 अहि धम्म - सीलं गुणेसु मा मच्छरं कुणह तुब्भे । बहु-सिक्खिए य सेवह जइ जाणह सुंदरं लोए ॥ माकडुवे भजते महुरं पडिभगद कटुव भणिया विज गेहिकण इच्छह लोए सुहयत्तण- पडावं ॥ हासेण विमा भण्ण्ड णवरं जे सम्म चे वय सर्व भणामि पुसो दोहगां णरिध लोयम्मि ॥ धम्मम्म कुह व रामो सत्सु णिउण भणिए । पुणरुतं च कला वा गणणिनो सुवण-मज्ये ॥ इय णरवइ इ लोए एवं विय शूज होइ कीरंतं धम्मत्थ-काम-मोक्वाण साहयं पुरिस कजार्ग ॥ ता कुणलु आयरं भो पढाइ भणियं । ततो सावय-धम्मं करेसु पच्छा समण-धम्मं ॥ ता कलि-मल-ल-क-जिओ विमल याण-ति । चिहि सिद्धि-बसी सयल-किलेसाण योच्छे ॥ जत्य ण जरा ण म ण वाहिणो व सच्च- दुखाई तिहुयण- सोक्खाण परं वरं पुण अणुवमं सोक्वं ॥ अयि । 9 संसारे दूर-पारे जलहि-जल-समे भीखणावदुक्ादिपीडा जर मरण-मयावद-दुक्साइ-चके । मजंताणं जियाणं दुह-सय-पउरे मोह-मूढाण ताणं, मोतुं तं केवलं भो जिणवर चयणं णत्थि हत्थावलंबी ॥' ६) तर कसर जाणिकण आबद्ध करयलेज ला पुच्छि भगवे धम्मणो वासव महामंतिणा, भणियं 12 च णेण । 'भगवें, जो एस तर अम्ह एवं तं दुक्ख-रूवो साहिओ चउ-गइ-लक्खगो संसारो, एयस्स पढमं किं णिमित्तं, जेण एए 18 जीवा एवं परिभमंति' त्ति । भणियं च गुरुणा धम्मणंदगेण । 'भो भो महामंति, पुरंदरदत्त महाराय णिसुणेसु, संसार-परिभ्रमणस्स जे कारण भयं जिणवरेहिं ति । 3 6 24 177 27 30 ४४ 15 कोहो य माणो य अणिग्गहीया, माया य लोहा य पवढमाणा । चत्तारि एए कसिणा कसाया, सिंचंति मूलाइँ पुणब्भवस्स ॥ 15 अण्णाधो जीवो पडिवज्जइ जेण विसम-दोग्गई मग्गे । मूढो कजाकजे एयाणं पंचमो मोहो ॥ । तत्थ कोहो णाम जं केणइ अवरदे वा अणवरद्वे वा मिच्छा वियप्पेहिं वा भावयंतस्स परस्स उचरिं बंध-घाय-कस-च्छेय18 तजणा-मारणाइ-भावो उन तस्स कोहो ति णामं जो उण अहं एरिसो एरिलो ति तारसोत्ति य जाइ कुबल-विद्या- 18 चणाई एसो उन ममाहमो किं एवरस अहं बिसहामि ति जो पुरियो अज्झबसाओ अनि णाम सो माणो ति भण्णइ । जो उण इमेणं पओगेणं इमेण वयण विष्णाणेणं इमेणं वियपेणं एयं परं वंचेमि त्ति, तं च सकारणं णिक्कारणं वा, सव्वहा 21 पंचणा - परिणामो जो एसो सव्व-संसारे माया मायत्ति भण्णइ । जो उण इमं सुंदरं इमं सुंदरयरं एयं गेहामि इमं ठावेमि 21 एयं रक्खामि त्ति सव्वहा मुच्छा परिणामो जो सो लोहो ति भण्णइ । तत्थ जो सो कोवो सो चउप्पयारो सव्वष्णूहिं भगतेहिं परुविभो । तं जहा अर्णताणुबंधी, अप्पचखाणवरणो, पञ्चवाणावरण, संजळणो चेय तत्य य पचय राई सरसो पढमो वीज उ पुढच भेय-समो वालुव-रेहा तो हो त्यो य जल-रेहा ॥ 1 पव्वय - राइ- सरिच्छो कोवो जम्मे वि जस्स जो हवइ । सो तेण किण्ह-लेसो णरवर णरयं समल्लियइ ॥ खर- पुढवी- मेय-समो संवच्छर-मेरा कोह- परिणामो मरिण णी-सो पुरसो तिरियत जाइ ॥ वालय-रेहा- सरिखो मास-चडकेण कोह-परिणामो मरिण काउसो पुरसो मणुयत्राणमुवे ॥ जल - रेहा - सारिच्छा पुरिसा कोहेण तेउ-लेस्साए । मरिऊण पक्ख-मेत्ते अह ते देवत्तणमुर्वेति ॥ माणो विच विषयो जिगेहि समयस्मि णवर पण्णविओ णामेहि पुण्य-भणिओ जं गातं तयं सुमह ॥ ण णमइ सेलथंभो ईसिं पुण णमइ अस्थिओ थंभो । कह-कह वि दारु-घडिओ सक्सो श्चिय होइ वेत्तमओ ॥ सेलत्थंभ सरिच्छेण णवर मरिऊण वच्चए णरए । किंचि पणामेण पुणो अट्ठिय-थंभेण तिरिएसु ॥ दारुय-भ-सरिच्छेण होइ माणेण मणुय-जम्मम्मि । देवत्तणम्मि वच्चइ वेत्तलओ णाम सम-माणो ॥ माया विचउ - वियप्पा वंस कुडगी य मेंढग-विसाणा । धणुओरंप- सरिच्छा ईसि वंकाउ गप्पडिया ॥ 1 33 , [8] ८५ जं. 1 ) P अअज्झिहिय for अलियह, P ह for य before सेवह. 2 ) P जणं for जणे, P पढायं 3 ) P व for वि, नरवर 5 ) P नरवर for णरवर, उ चिय होइ णूण कीरंतं, P साहसं for सायं. 6 ) P तो for भो, जइ for जं. 7) P वसई for बसदी 8) P व रायोक्ला पर 9 दिसम्म हामी यतिस्थाई-10) से for तं. 11 > Pom. कतरं, उभयवं 12 ) P एसो for एस, J om. अम्ह, Pom. एयंतं, P लवखणं, एरण for एए. 13 > Jom. एयं, P. पुरंदरयत्त, P परिभवणस्स. 14 ) P बंधू for बंधूहिं, Pom. "हिं जिणवरेहिं etc. to अणवरद्धे वा. 15 अणिग्गिहीया. 17 ) P बधधाय तज्जणमा 18 ) P कोवो for कोहो, Pom. त्ति तारिसों ति. 19 ) कीस for किं, Pom. अहं विसहमि P विसहामो, एरिस अज्झबसाओ सो माणो. 20 ) जो पुण, P वयणभिन्नासेणं, P एयं परपंचमित्ति. 21) सा for जो एसो, JP संसारमाया, P इमं न सुंदरं इमं च न सुंदरं एयं, P ठावेमि इमं न देमि एयं. 22 ) P लोभो, Jom. भगवंतेहिं. 23 ) J अप्पचक्खाणो, Pom. तत्थ य. 24 ) P बिइओ, J adds उ later, पुढवीभेय, जलरेहो. 25) राई for राह, " जस्स नो घटइ ।. 26 ) P तिरियत्तणं, J जाई Pजायद. 27 ) सरिसा सास, P परिणामा, P कोउलेसा, मणुयत्तणे जंति - 28 ) जलहासरसो उण पुरेसा कोण त तेउ, P-सारिच्छा कीलंतपणटु कोवसब्भावो । मरिऊण तेउलेसा पुरिसा देवत्तणे जंति। 2-9 ) P नामेग for णामेहि, गाणं तं for णाणतं. 30 P उण for पुण. 31 ) P उणो for पुणो 32 ) P दारुत्थंभ, J सममाणे 33 मे परिच्छा इसि च काउ सप्पाटिया, सरिच्छो ईसी 1 3 24 27 30 33 Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६८९] कुवलयमाला 6 1 वंस-कुडंगो अइवंक वलिय-समाओँ अवस्स गरयम्मि । जाइ तिरिएसु णवरं मय-सिंग-समाएँ लेसाए॥ धणुओरंप-सरिच्छो माया-बंधेहिँ होइ मणुयत्तं । होइ अवस्सं देवो ईसी-वंकाएँ मायाएं ॥ लोहो विचउ-वियप्पो किमि-राओ होइ णीलि-राओ य । कद्दम-राय-सरिच्छो होइ चउत्थो हलिहि व्व ॥ पढमेण होइ णरयं बीएण भणति णवर तिरियत्तं । तइएण मणुय-जोणि होइ चउत्थेण देवत्तं ॥ कोवो उव्वेयणओ पिय-बंधव-णासणो णरवरिद । कोचो संतावयरो सोग्गइ-पह-रुंभओ कोवो ॥ ८७) अवि य कुविओ पुरिसो ण गणेइ अत्थं णाणत्थं, ण धम्म णाधम्म, ण कम्मं णाकम्म, ण जसं णाजसं, ण 6 कित्ती पाकित्ती, ण कजं णाकजं, ण भक्खं णाभक्ख, ण गम्मं णागम्म, ण वच्चं णावच्च, ण पेयं णापेय, ण बलं णाबलं, ण दोग्गई ण सोग्गई, ण सुंदरं णासुंदरं, ण पच्छं णापच्छं ति । अवि य ।। बुहयण-सहस्स-परिणिंदियस्स पयई पाव-सीलस्स । कोवस्स ण जंति वसं भगवंते साहुणो तेण ॥ जेण, मिच्छा-वियप्प-कुविओ कोव-महापाव-पसर-पडिबहो । मारेइ भायर भइणियं पि एसो जहा पुरिसो॥' भणियं च णरवइणा 'भयवं, ण-याणिमो को वि एस पुरिसो, केरिसो वा, किं वा इमेण कयं' ति । भणिय च गुरुणा । 12 “जो एस तुज्झ वामे दाहिण-पासम्मि संठिओ मज्झ । भमरंजण-गवलाभो गुजाफल-रत्त-णयण-जुओ ॥ तिवलि-तरंग-णिडालो-भीमण-भिउडी-कयंत-सारिच्छो । भुमयावलि-भंगिलो रोस-फुरंताहरोह-जुओ ॥ दढ-कढिण-णिहरंगो बीओ कोवो व एस संपत्तो । एएण कोव-गहिएण जं कयं तं णिसामेहि ॥ 1584) अस्थि बहु-कणय-घडिय फुड-रयण-फुरंत-विमल-कंतिल्लं । दमिलाण कंचि-देसं पुहईय व कोडलं एकं ॥ 15 उत्तत्त-कणय-मइया फरिहा-पायार-रुचिर-गुण-सोहा । तम्मि पयासा णयरी कंची कंचि व्व पुहईए॥ तीए चि य महाणयरीए पुव्वदक्खिणा-भाए तिगाउय-मेत्ते रगडा णाम संणिबेसो । सो य केरिसो। विंझाडइ-जइसओ दरिय.8 मत्त-महिस-संकुलो, हर-णिलओ जइसओ उदाम-वसह-ढेकंत-रेहिरु, मलय-महागिरि-जइसओ दीहर-साहि-सय-संकुलु, 18 णहंगणाभोउ जइसओ पयड-गहवइ-सोहिओ त्ति । अवि य । धण-धण्ण-सालि-कलिओ जण-सय-वियरंत-काणणो रम्भो । रगड त्ति संणिवेसो गोउल-सय-मिलिय-गोटयणो ॥ । तम्मि य जम्म-दलिदो बहुलीय-रुयंत-परिगओ चंडो। कलहाबद्ध-कलयलो सुसम्मदेवो त्ति वसइ दिओ॥ तस्स य भद्दसम्मो णाम जेढउत्तो । सो य बालत्तणे चेय चंडो चचलो असहणो गविओ थडो णिटुरो णिद्वर-वयणो सब्वडिभाणं चेय दुःद्वरिसो अणवराहिणो अपणे डिंभे य परिताडयतो परिभमइ । तस्स तारिसस्स दहण सब्भावं पयई व डिंभेहि 4 कयं णामं चंडसोमो ति गुण-णिप्फण्ण णाम । ता णरणाह, सो उण एसो। इमस्स य गुरुयण सरिस-गुण-कुल-सील-माण- 24 विहव-विण्णाण-विजाणं बंभण-कुलाणं बालिया बंभण-कण्णया पाणिं गाहिया । ते वि तस्सेव कुटुंब-भारं णिक्खिविऊण मूढ लोग-वाया-परंपरा-मूढा दूसह-दालिद्द-णिव्येय-णिविण्णा गंगाए तित्थयत्ता-णिमित्तं विणिग्गया माया-पियरो त्ति । एसो वि 27 चंडसोमो कय-णियय-वित्ती जाव जोव्वर्ण समारूढो । सा वि दिणी इमस्स महिला तारिसे असण-पाण-पावरण-णियंसणा- 27 दिए असंपडते विविह-विलासे तहा वि जोव्वण-विसदृमाण-लायण्णा रेहिउँ पयत्ता । अवि य । भुंजउ ज वा तं वा परिहिज्जउ जं व तं व मलिणं वा । आऊरिय-लायण्ण तारुणं सव्वहा रम्मं ॥ 30 तओ तम्मि तारिसे जोवणे वट्टमाणा सा दिणी केरिसा जाया । जत्तो जत्तो वियरइ तत्तो तत्तो य कसिण-धवलाहिं । अचिजइ गाम-जुवाण-णयण-णीलुप्पलालीहिं॥ ६८९) तो इमो चंडसोमो तं च तारिसं पेच्छमाणो अखडिय-कुल-सीलाय वि तीय अहियं ईसा-मच्छरं 33 समुव्व हिउमाढत्तो । भण्णइ य, 33 21 1) अइबंगवलियओवचार अवस्स, P जाति for जाइ, P संग for सिंग, P मायाए for लेसाए. 2)P धणउरंव-, J मायाबद्ध उ होइ, Pईसि--3) राइ for राय, P हलिद व्व. 4) बितिएण for बीएण, P भवत्ति for भणंति, P तइए माणुसजोणी. 5)3 कोहो, Pउव्वेवणओ, रंभओ कोओ. 6)Jण अणत्थं P नाणेत्थं,Jom. णाधम्म,P न कामं for ण कम्म, णाअकम्मं P नोकामं, P न यसं, Jणा अजसं Pणोयसं. 7)Jणा अकित्ती, Jणा अकजं, णा अभक्ख, Jणा अगम्ग. 8)P सोयई for सोग्गई, P न पंथं नापंथं ति. ) Pबहु for वुह. 10)J मेच्छा मिअप्प,J पावपटलपसरद्धो. 11) P om. केरिसो वा, किमेण for किं वा इमेण. 12) JP वामो (?), J वासंगि for पासम्गि, P गबलातो for गवलाभो. 13) भुमयावल- 14) P रूवी for बीओ, Pव्व for व, दहियएण for गहिएण, निसामेह. 15) द मिलोण कंपि देसं पुवीय P दमिलाकंति निवेसं पु. 16) रुइय for रुचिर. 17)Jतीय य कंचीय महा",J दक्खिणे P पुव्वभक्खिणा-. 18) Pउम्मत्त for मत्त, P हरिणलओ, P वसभढेंकंतरेहिरो, Pसहि for साहि. 19)P नहंगनाहोउ. 20)P वियरत्तकाणरणारामो, P ओल for गोउल. 21)P बहुलीव, कलहोवबद्ध. 22) रुद्दसोगो for भद्दसम्मो, चेव चंडो. 23) Pणो वि अण्णे, P om. य,P तस्स य तारिसयरस, P सभावपइयं च डिभेहिं. 24) P निप्फन्नं नामं ।, P ताण for ता, P om. य, Pसील नाणविहव विज्जाविन्नाणं. 25) Pपाणी गहिया, J तस्सेय P तस्सेवि. 26) P वाय for चाया, दारिद्दनिव्वेय, तित्थयत्ताए निमित्तं, मापियरो. 27 P सो for सा, P पाणे for पाण, J णिअंसणादि अ असं". 28) Pवि विहवः, P -बोसट्टमाणलायण्ण रेहिउं पयते ।, Jom. अवि य. 29) P भुज्जउ, P परिहि जिउ हं व वत्थं वा ।, Pnj for रां. 30) वट्टमाणे, P सो for सा. 31P वत्तो for the first तत्तो. 32) अक्खंडिय, - कुलसीलाय वितीय यहि अयं । कुलसीलयवित्तीय अहियं. 33) om. भण्णइ य. Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६८९। जे धणिणो होंति णरा वेस्सा ते होंति णवरि रोराण । दट्टण सुंदरयरं ईसाए मरंति मंगुलया ॥ णरवर, अहिओ इमाणं अहम-णर-णारीणं ईसा-मच्छरो होइ । अवि य । 3 अत्थाणाभिणिवेसो ईसा तह मच्छर गुण-समिद्धे । अत्ताणम्मि पसंसा कुपुरिस-मग्गो फुडो एसो ।। तओ एवं णरणाह, तीय उवार ईसं समुव्रहमाणस्स वच्चइ कालो । अह धवल-कास-कुसुमो जिम्मल-जल-जलय-रेहिर-तरंगो । सरएण विणिम्मविओ फलिय-मइओ व्व जिय-लोओ॥ 6 जोण्हा-जलेण पच्चालियाइँ रेहंति भुयण-भायाइ । पलओव्वेल्लिर-भीसण-खीरोय-जलाविलाई व ॥ दर-लुब्वमाण-कलमा दर-कुसुमिय-सत्तिवण्ण-मयरंदा । दर-वियसमाण-णीमा गामा सरयम्मि रमणिजा ॥ णिफण्ण-सव्व-सासा आसा-संतुट्ट-दोग्गय-कुटुंबा। ढेकंत-वसह-रुइरा सरयागम-मुद्दिया पुहई ॥ 9 तओ एयं च एरिसं पुहई अवलोइऊण परितुट्ठा णड-गट्ट-मुट्टिय-चारण-गणा परिभमिडं समाढत्ता । तम्मि य गामे एकं . णड-पेडयं गामाणुगामं विहरमाणं संपत्तं । तत्थ पहाण-मयहरो हरयत्तो णाम । तेण तस्स णडस्स पेच्छा दिण्णा, णिमंतियं च णेण सव्वं गामं । तत्थ छेत्त-बइल-जुय-जंत-जोत्त-पग्गह-गो-महिस-पसु-वावडाण दिवसओ अणवसरो दट्टण 12 तेण राईए पढम-जामे पस्संते कलयले संठिए गो-वग्गे संजमिए तण्णय-सत्थे पसुत्ते डिंभयणे कय-सयल-घर-वावारा गीय- 11 मुरय-सह-संदाणिया इव णिक्खंतुं पयत्ता सव्व-गामउडा । अवि य। गहिय-दर-रुहर-लीवा अवरे वच्चंति मंचिया-हत्था । परिहिय-पाउय-पाया अवरे डंगा य घेत्तण ॥ 15६९०) एसो वि चंडसोमो णिय-जाया-रक्खणं करेमाणो। कोऊहलेण गवरं एयं चिंतेउमाढत्तो ॥ 'अव्वो जइ णडं पेच्छओ वञ्चामि, तओ एसा मे जाया, कहं अह इमं रक्खामि । ता णडो ण दट्टव्वो । अह एयं पिणेज, ण जुजइ तम्मि रंगे बहु-सुंदर-जुवाण-सय-संकुल-णयण-सहस्स-कवलियं काउं जे । सो वि मम भाया तहिं चेव तं गई 18 दढ़ गओ त्ति । ता जं होउ तं होउ । इमीए सिरिसोमाए भेणीए समप्पिऊण वच्चामि णडं दह । समप्पिऊण, कोंटिं 10 घेत्तण गओ एसो चंडसोमो सो । चिर-णिग्गए य तम्मि सिरिसोमाए भणिय 'हला दिणि, रमणीओ को वि एसो णश्चिउं समाढत्तो, ता किं ण खणं पेच्छामो' । शंदिणीए भणियं 'हला सिरिसोमे, किं ण-याणसि णिययस्स भाउणो चरिय। चेट्टियं जेण एवं भणसि । णाहं अत्तणो जीएण णिविण्णा । तुमं पुण जं जाणसि तं कुणसु' त्ति भणमाणी ठिया, सिरिसोमा । पुण गया तं णडं दढणं ति । तस्स य चंडसोमस्स तम्मि रंगे चिरं पेच्छमाणस्स पट्टीए एक जुवाण-मिहुणगं मंतेडे समाढत्तं । भणियं च जुवाणेणं। 24 'सुंदरि सुमिणे दीससि हियए परिवससि घोलसि दिसासु । तह वि हुमणोरहेहिं पञ्चक्ख अज दिवासि ॥ तुह सोहग्ग-गुणिंधण-वडिय-जलणावली महं कामो । तह कुणसु सुयणु जह सो पसमिजइ संगम-जलेण ॥' एवं मंतिजमाणं सुयं चंडसोमेण आसण्ण-संठिएणं । दिण्णं च ण कपणं । एत्थंतरम्मि पडिभणिओ तीए तरुणीए सो जुवाणो 7 'बालय जाणामि अहं दक्खो चाई पियंवओ तं सि । दढ-सोहिओ कयण्णू णवरं चंडो पई अम्ह' ॥ ११) एयं च सोऊण चंड-सहायण्णणा जाय-संकेण चिंतियं चंडसोमेणं । 'णूर्ण एसा सा दुरायारा मम भारिया। ममं इहागयं जाणिऊण इमिणा केण वि विडेण सह मंतयंती मम ण पेच्छह । ता पुणो णिसुगेमि किमेत्य इमाणं णिप्फण्ण 30 दुरायाराण' ति । पडिभणियं च जुवागेण । _ 'चंडो सोम्मो व्य पई सुंदरि इंदो जमो व्व जइ होइ । अज महं मिलियब्धं घेत्तवा पुरिस-वज्झा वा ॥ 1) P वेसातो for वेस्सा ते, I inter. णवरि होति, P नवर रोराण, P सुंदरयणं. 2) Pइमाणमहम, J -णारीणं इमाणं ईसा. 3) J अत्याण अभि'. 4) एयं for एवं, P वच्चए. 5) J फलियमइय P फालिहमइउ. 6) P पज्जालियाई, P पलओवेल्लिर, J व्व for व. 7) P कलमाणकलमादर कुसुमयसत्तिवण्णे मरंदा, J गीवा for णीमा. 8) P निप्पन्न, P संतुट्ठदाणयकुडुंगा । कतवसहिः, गद्दिया for मुद्दिया. 9) Pमुद्धिय for मुट्ठिय, P मासे for गामे. 10) Jणडवेटयं, P 'गामवियरमाणं, P तम्मि य for तत्थ. 11) Jच से णेण सबगामं, P ते य for तत्थ, इलजयं । छयलजुय, P om. जोत्त, P महि सि-, P अवसरो. 12) Pपसंते, Pवावारो. 13) J ईय for इव. 14) P पागा for पाया, Pउ for य. 15) P चिंतिउ'. 16) P नट for णडं, कह, P इमं च रक्खामि, P om. ता, णेज्जा. 17)? -जायाणसयसुकुले, Jom. तहिं चेव. 18) Pसंहोउं for तं होउ, P भइणीए for भेणीए, P दद्वगं for दटुं, J om. समप्पिऊण, J कोंगी P कोंटि. 19) I om. सो, Jom. य, P नंदिणी, J को वि च (य?) एसो को विउ एसो. 20) Pणविउमाढतो, J भाउअस्स चरिमचेदि. 21) P जीविएण, I om. पुण, P ट्ठिओ for ठिया. 22) Pउण for पुण, P पट्टी एक ति जवाणमिणयं मंते समाढत (Jaddst after पदि ]ater and it has some letter, not easily identified. between एक and जु, समाढतो. 25) Pजाला for जलणा', P महङ्कामो, Pकुण for कुणसु. 26) P पयंच, मंति', J आसण्णट्टिएण. 27) बालय जणोमि, P मज्झ for अम्ह. 28) Jom. चंडसहायण्णणा, P जाया से केण. 29) Pमममिहागयं, मिणा य नो केग. 30) P om. च, P जुपाणेग. 31) P सोमो, JP जसो for जमो, इह होज for जइ होइ, P adda नो before घेत्तब्वा, Pom. वा. Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला 6 1 भणिय च तरुणीए । 'जइ एवं तुह णिच्छओ ता जाव महं पई इह कहिं पि णड-पेच्छणयं पेच्छइ ता अहं णिय-गेहं गच्छामि, 1 तत्थ तए मम मग्गालग्गेणं चेय आगंतव्वं' ति भणिऊण णिग्गया, घरं गया सा तरुणी। चिंतियं च चंडसोमेणं 'अरे, स 3 चिय एसा दुरायारा, जेण भणिय इमीए 'चंडो मह पइ' त्ति । अण्णं च 'इह चेय पेच्छणए सो कहिं पि समागओ' त्ति । 3 ण तीए एस्थ अहं दिटो ति । ता पेच्छ दुरायारा दुस्सीला महिला, एएणं चेय खगेणं एमहतं आलप्पालं आढतं । ता किं पुण एत्थ मए कायव्वं' ति । जाव य इमं चिंतेइ चंडसोमो हियएणं ताव इमं गीययं गीयं गाम-णडीए । 8. जो जसु माणुसु वल्लहउँ तं जइ अण्णु रमेह । जइ सो जाणइ जीवइ व सो तहु प्राण लएइ ॥ ९९२) एयं च णिसामिऊण आबद्ध-तिवलि-तरंग-विरइय-भिउडी-णिडालवट्टेणं रोस-फुरफुरायमाणाहरेणं अमरिस-वसविलसगाण-भुवया-लएणं महाकोव-कुविएगं चिंतियं । 'कहिं मे दुरायारा सा य दूसीला वच्चइ अवस्सं से सीसं गेण्हामि' त्ति चिंतेंतो समुट्रिओ, कोंटिं घेत्तण गंतुं च पयत्तो। महा-कोव-धमधमायमाण-हियओ णियय-घराहुत्तं गंतूण य बहल- 9 तमोच्छइए सयले भूमि-भागे घर-फलिहस्स पट्ठि-भाए आयारिय-कोंटी-पहार-सजो अच्छिउं समाढत्तो । इओ य उक्खेड्डे पेच्छणए सो तस्स भाया भइणी य घर-फलिय दुवारेण पविसमाणा दिट्ठाणेणं चंडसोमेणं । दट्ठण य अवियारिऊण पर2 लोयं, अगणिऊण लोगाववाय, अयाणिऊण पुरिस-विसेसं, अबुझिऊण णीई, अवहस्थिऊण सुपुरेिस-मगं, सब्बहा कोव-विस- 12 वेय-अंधेण विय पहओ कोंकीए सो भाया भइणी वि सिरिसोमा। ते य दुवे वि णिवडिया धरणिव। 'किर एसो सो पुरिसो, एसा वि सा मम भारिय' त्ति 'आ अणज' ति भणमाणो जाव 'सीसं छिंदामि' ति कोंटी आभामिऊण पहाविओ ताव 5 य झण ति फलिहए लग्गा कोंटी । तीय य सद्देण विउद्धा सा कोट्टय-कोणाओ दिणी इमस्स भारिया। भणियं ससंभमाए 15 तीए ‘हा हा दरायार, किमेयं तए अज्झवसियं' ति घाइया ते णियय-बहिणि त्ति भाया वि' । तं च सोऊण ससंभमेण णिरूविया जाव पेच्छइ पाडियं तं भइणीय ति तं मि भाउयं ति । तओ संजाय-गरुष-पच्छायावेणं चिंतियं णेण । s 'हा हो मए अकजं कह णु कयं पाव-कोव-वसएणं । मिच्छा-वियप्प-कप्पिय जाया अलियावराहेण ॥ हा बाले हा वच्छे हा पिइ-माया-समप्पिए मज्झ । अह भाउणा वि अंते केरिसयं संपयं रड्यं ।।' एयं च विंतिऊणं हा हतोम्हि' त्ति भगमाणो मुच्छिओ, पडिओ धरणि-वढे । णंदिणी वि विसण्णा । ? हा मह देयर वलह हा बाले मह वयंसि कत्थ गया। हा दइय मुंच मा मा तुमं पि दिण्णं मम पावं ।। ५३) खण-मेत्तस्स य लद्ध-सण्णो विलविङ पयत्तो चंडसोमो। हा बालय हा वच्छय कह सि मए णिग्घिगेण पावेणं । भाउय वच्छल मुद्धो णिवाइओ मूढ-हियएणं ॥ १. हा जो कडियल-बूढो बालो खेलाविओ सगेहेणं । कह णिद्दएण सो च्चिय छिण्णो सत्थेण फुरमाणो ॥ हा भाउय मह वल्लह हा भइणी वच्छला पिउ-विणीया । हा माइ-भत्त बालय हा मुद्धय गुण-सयाइण्ण ॥ चलियस्स तित्थयत्तं मग्गालग्गो जया तुमं पिउणो । पुत्त तुम एस पिया भणिऊण समप्पिओ मज्झ॥ जणणीए पुण भणिओ ओ अंतालुहणो मम एसो । पुत्त तुमे दब्बो जीयाओ वि वल्लहो वस्सं ॥ ता एवं मझ समप्पियस्स तुह एरिसं मए रइयं । पेच्छ पियं पिय-वच्छय कोव-महारक्ख-गहिएणं ॥ वीवाहं वच्छाए कारेंतो संपयं किर अउण्णो। चिंतिय-मणोरहाणं अवसाणं केरिसं जायं ॥ किर भाउणो विवाहे णव-रंगय-चीर-बद्ध-चिंधालो । परितुट्टो णच्चिस्सं अफोडण-सद्द-दुल्ललिओ॥ जाव मए चिय एयं कुविएण व पेच्छ कयं महकम्मं । अण्णहय चिंतियं मे घडियं अण्णाए घडणाए । 30 1) P कई for कहिं, Pण for णट, Pताब for ता,Jणिजअ for णिय, P वच्चामि for गच्छामि. 2) Jom. घरं गया, J अवरे for अरे. 3) ह पेक्खणए चेय कहि. 4) अहमेत्य for एत्थ अहं, तो for ति । ता, महिलाए for महिला, एमहतं आलपालं P महंतं एयं आलप्पालं, P समाढतं for आवतं.5) Jinter. मए एत्थ, P गायनडीए. 6)P माणस for माणुसु, Pom. सो, रवि for a, J सो looks like तो, P तहो पाण. 7) Pएवं च, P तिवली-, P विलइय, JP'बढेणं, फुरुफुरा", P om. -वस. 8) विलस for विलसमाण, P भुमया, कोवेण कुविए चिंतियं च ।, P om. सा, P दुस्सीला, Pom. से.9) Pom.त्ति, P चिंततो, कोंकी P कोंट्ठीं, P om. च, Pहियो आगो निययधराहुत्तो. 10)P तमोत्थईए, J भूमिभाए, P फलिह्यपट्टि', कोंकी for कोटी, अजिउँ for अन्छि, उक्खिडिए पेच्छणए. 11) P भइणीया घरफरिदय, I ददुणं अविं', P परिलोयं. 12) Jऊण य पुरिस, I अवउज्झिऊण य णीई, Pणी, P कोवि विसवेयंधण विय. 13) Pom. कोकीए, P पहणी for भइणी, " सिरिसेएमा, Pविनिचिडिया. Pएस for एसो. P repeats परिसो. 14) Jom. आ. J अणजे ति, J कोंकी for कोटी, P आभाविऊण 15) Jom. य, P खण for झण, कोंकी for कोटी, P om. य, P om. सा. 16) किमयं तए अज्जवसियं, Jए for ते, J भइणीए, ति, Jom. भाया वि. 17) P पाटिय तं भइणिभायर ति।. 18) P हा हा मए, J कयं पेच्छ पाववसएणं। मिच्छा वियप्पियं पिय जाया. 19) P पिय for पिड, P पियं ते for वि अंते, J रमियं for रइयं. 20) Prepeats हा. 21) मुंच इमामा, P दीणं मए पावं. 22) Pविलविउं पलविउं पयत्तो. 23) हा बाला य, P बच्छ न नाओ निवाडिओ. 24) P कड़ियड, P सिणेहेणं, Pफरु for फर. 25) पिउविणीए, J माए for मार, P गुणसमाइन. 26) J मग्गाभग्गो. 27) P पुणो for पुण, Jएसो for वरसं. 29) Pपुब्बा for वीवाहं, अवसारणं. 30) चिद्धालो, J णच्चीसं, P उप्फोढण. 31d om. कयं, पेच्छह एथं कर्यतेग। हा अण्णह चिंतिघडाविअंअण्णाए (the page has its ink rubbed very much). Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६९३1 जइ वि पडामि समुद्दे गिरि-टंके वा विसामि पायाले । जलणे व्व समारुहिमो तहा वि सुद्धी महं णस्थि ॥ कह गोसे च्चिय पढमं कस्स व हलियस्स णवर वयणमहं । दसेहामि अहण्णो कय-भइणी-भाइ-णिहणं तो ॥ ता णवरं मह जुत्तं एयं चिय एत्थ पत्त-कालं तु। एएसिं चेय चियाणलम्मि अप्पा विछोडूं जे ॥ इय जाव विलविए चिय ता दूसह-कलुण-सह-विहाणो । जल-ओदारं दाउं अवर-समुई गओ चंदो ॥ सोऊण रुण्ण-सई महिलत्तण-थोय-मउय-हिययाए । बाह-जलं-थेवा इव तारा वियलंति रयणीए ॥ 6 ताव य कोवायबो दुजय-पडिवरख-पडिहय-पयायो । पाडिय-चंडयर-करो उइओ सूरो णरवइ व्व ।। ६९४) तओ मए इमाए पुण वेलाए णाइदूरमुग्गए कमलायर-पिय-बंधवे चक्काय-कामिणी-हियय हरिसुप्पायए सूरे समाससिया मुच्छाए तो भणि जगणं । 'मा एवं विलवसु, जइ वि मया इमे' त्ति । तह वि पच्छायाव-परद्धो जलणं 9 पविसामि त्ति कय-णिच्छ भो इमो चंडसोमो दीण-विमणो मरण-कय-ववसाओ गुरु-पाव-पहर-परद्वो इव णिकतो गामाओ, 9 गओ मसाण-भूमि, रइया य महती महा-दारुएहिं चिया। तत्थ य तिल-घय-कप्पास-कुसुभ-पभार-बोच्छाहिओ पजलिओ - जलिओ जलण-जलावली-पब्भारो । एत्थंतरम्मि चंडसोमो आबद्ध-परियरो उद्धाइओ जलियं चियं पविसिउं । ताव य 18 गेण्हह गेण्हह रे रे मा मा वारेह लेह णिवत । इय णिसुय-सह-समुहं बलिय-जुवाहिँ सो धरिओ ॥ भणियं च ण 'भट्टा भट्टा, किं मए पाव-कम्मेण जीविएणं । अवि य । धम्मस्थ-काम-रहिया बुहयण-परिणिदिया गुण-विहणा । ते होंति मय-सरिच्छा जीवंत-मयल्लया पुरिसा ॥ 15 ता ण कज्ज मह इमिणा पिय-बंधव-णिहण-कलुसिएणं बुहयण-परिणिदिएणं अणप्पणा इव अप्पणा' । भणियं च हल-18 गोउल-छल-संवड्डिएहिं पिय-पियामह-परंपरागएकेक्कासंबद्ध-खंड-खंड-संघडिय-मणु-बास-वम्भीय-मक्कंड-महरिसि-भारह-पुराण गीया-सिलोय-वित्त-पण्णा-सोत्तिय-पंडिएहिं 'अस्थेत्थ पायच्छित्तं, तं च चरिऊण पाव-परिहीणो अच्छसु' ति। भणियं च 18 चंडसोमेणं 'भगवंतो भट्टा, जइ एवं ता देसु मह पायच्छित्तं, जेण इमं महापावं सुज्झइ' त्ति । ता एकेण भणियं । 'अका- 18 मेन कृतं पापं अकामेनैव शुद्धयति'। अण्णेण भणियं असंबद्ध-पलाविणा । 'जिघांसंतं जिघांसीयान्न तेन ब्रह्महा भवेत् । अपणेण भणियं । 'कोपेन यत्कृतं पापं कोप एवापराध्यति'। अण्ण भणियं । 'ब्राह्मणानां निवेद्यात्मा ततः शुद्धो भविप्यति' । अण्णेण भणिय । 'अज्ञानाद्यत्कृतं पापं तत्र दोषो न जायते'। 21 ६९५) एवं पुवावर-संबंध-रहियवरोप्पर-विरुद्ध-बयणमणुगाहिरेहिं सव्वहा किं कयं तस्स पायच्छित्तं महा-बढरभट्टेहिं । सयलं घर-सव्वस्सं धण-धण्ण-वत्थ-पत्त-सयणासण-डंड-भंड-दुपय-चउप्पयाइयं बंभगाणं दाऊण, इमाई च घेत्तुं, जय 24 जिय त्ति अहव अट्ठिताई भिक्खं भमंतो कय-सीस-तुंड-मुंडणो करंका-हत्यो गंगा-दुवार-हेमंत-ललिय-भद्देस्सर-वीरभद्द- 24 सोमेसर-पहास-पुक्खराइसु तित्थेसु पिंडयं पक्खालयंतो परिभमसु, जेण ते पावं सुज्झइ त्ति । तं पुण ण-यणते च्चिय जेण महा-पाव-पसर-पडिबद्धो । मुच्चइ एस फुडं चिय अप्पा अप्पेण कालेण ।। 27 जइ अप्पा पाव-मणो बाहिंजल-धोवण किं तस्स । जं कुंभारी सूया लोहारी किं घयं पियउ ॥ सुज्झउ णाम मलं चिय णरणाह जलेण जं सरीरम्मि । जं पुण पावं कम्मं तं भण कह सुज्झए तेण ॥ किंतु पवित्त सय-सेवियं इम मण-विसुद्धि-करयं च । एत्तिय-मेत्तेण कओ तत्थ भरो धोय-वत्तीए । 30 जंतं तित्थम्मि जलं तं ता भण केरिसं सहावेण । किं पाव-केडण-परो तस्स सहावो अहण व त्ति ॥ जइ पाव-फेडण-परो होज सहावेण तो दुवे पक्खा । किं अंग-संगमेणं अहवा परिचिंतियं हरद ॥ जइ अंग-संगमेणं ता एए मयर-मच्छ-चक्काई । केवट्टिय-मच्छंधा पढम सगं गया जंता ॥ ___1) P विसाम for विसामि, Pमहं नत्थी.2) गोस, वयणमुहं. 3) मह जतं, कालंमि ।, Pएतेसिं चेय चियालगंमि,J विछोडु P विछोडं. 4) Pजाव विलबउ चिय ता, जलओयार. 5) I'थोव, P जलत्थेवा, J इय for श्व. 6) "दुजण for दुज्जय. 7) पुण for मए, Pपहरिसु for हरिसु. 8) Pसमासासिओ पुच्छिओ । तओ, P भणियं for भणियो, P विलवेस जीविया इमे, J मेत्ती for इमे ति, Pom. तड् विपच्छायाव......पविसामि त्ति. 9) Jइय णिक्खतो. 10)Jom. गओ, P भूमी for भूमि, P वारेह for महंती, बोच्छहिओ. 11) Pom. जलिओ, P जलिय for जलण, P उद्धाइयं, 'चिई पइसिउं. 12) गेण्ड गेण्ह रे, P हंती for मा मा, णिसुणिय, P निमुयद, J सम्मुहं. 13) P भद्दा भद्दा, P कमेण. 14)' जीयंती मलया. 15) इवप्पणो. 16)J थल for छल, P संवट्रिएहिं, गएकेकोसबद्ध गए एकेकासंबंध, Pom. खटखट, "मणुय for मणु, 'मीय. 17) वित्त, P विडंबणा for वित्तपण्णा, पडिएदि, p om. च after भणियं. 18) Pताए for ता, P मे for मह, P repeats महापायच्छितं जेण इम, P तओ for ता. 22) Pसंबद्धेहि अवरोप्पर, वयणामणुमाहिरेहि बयणमेतुनादिरहिं, न वट्ट for बढर. 23) सयलघर, P पत्थ for पत्त, I प्पयाईयं "प्पयादियं, J णिक्खंतो for इमाईच वेत्तुं जय जिय ति व अद्विताई भिक्खं. 24) J मुण्ड for मुंडणो, P हत्थे, ललियाभदेसरवीरभद्दा- 25) Jom. सोमेसर, P पभासपु करा", पिड for पिंढयं, Pएयं for ते, P सुज्झय त्ति. 26) P नयणंत च्चिय, P पडिबद्धो. J मुंचइ. 27) P बाहिरमलथाभणण, P जइ for जं, P पियइ ।. 28) P जलेण तं सरीरं ति, P जेण for तेण. 29) Pom. here the verse किंतु पवित etc. but gives it below, included in the foot-notes. 30) J यरो for -परो, " पहावो for सहावो. 31) I सहावो तओ दुवे. 32) P तो for ता, P चकाया। J केवटिया, JP मच्छद्धा. Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१९६] कुवलयमाला 1 अव परिचित चित्र कीस इमो दो आगच्छ जेण ण चिंतिऊब सग्गं समारुहद्द ॥ अह पावणो त्तिण इमो विसिद्ध-बुडीऍ होज परिगहिओ । तत्थ वि विसिद्ध-बुद्धी - परिगहियं होज कूव जलं ॥ भगसि हो पि दुतित्वे गम णिरत्यय होन वह ते ण होज विश्वं पुण होहिद्द एत्थ को हेऊ ॥ जुति-वियारण जोगं तदा एवं ण होइ विहाण सूद-जण पयण- वित्धर-परंपराए गये सिद्धी ॥ पुणमवस्स अंगट्टियाइँ दुर्मति जत्री-सलिले । से वस्त्र होइ धम्मं एत्थ तुम केण वेळविधो ॥ तात्थ वर णरवर एस बराओ अयाणुओ मुझे पाव-परिवेदिनो चिय भामि मंदबुद्धीहिं ॥" एवं च सोऊण सव्वं सच्चयं तं नियय- पुण्त्र-वुत्तंतं पुणो वि 6 3 12 गियरअंजलिउडो भक्ति भराकर मान-सम्भावो । संवेग-ल-बुद्धी देर से समलीणो ॥ 9 उद्वाइओ भगवओ चलण-जय-हुतं, घेत्तृण भगवओ चलण-जुयलं करयलेहिं, अवि य, संवेग-बाद-जोयल घोष-गुरु-बलगी गुणियो चलणालो अह एवं भणिउमटतो || । 'भय से कहिये मह दुच्चरिवं इमे भउण्णस्स अक्बर-मेण चितं ण य विड तुम्ह भणिया ॥ ता जह एवं जागसि तह णूण वियाणसे फुडं तं पि । जेण महं पावमिगं परिसुज्झइ अकय-पुण्णस्स ॥ तामह कुणसु पसायं गुरु-पाव-महा-समुद्र-पडियस्स । पणिवइय वच्छल च्चिय सप्पुरिसा होंति दीणमि ॥' चामा गुरुणा भणओ 'भहमुद, णिसुसु मञ्झ चयणं एवं किल भगवंतेहिं सम्यहि सव्व 15 तत्रेहिं पण खिलु भो कडा कम्मार्ग दुष्पटिकवणं यत्ता मोक्लो, णत्थि अवेयइसा, ससा 15 वा सोसत्ता' तेण तु कुणसु तवं गेण्ट्सु दिक् पचिल सम्म, दिसु चरिवं, विरमधु पाणि बदाम, उज्झसु परिग्ग, मा भणसु अलियं, णियत्तसु पर दब्बे, विरमसु कोवे, रजसु संजमे, परिहरसु मायं, मा चिंतेसु लोहं, अवमण्णसु 18 अहंकार होस् विनोति । अयि । 2 एवं चिय कुणमागोण हु णवर इमं ति जं कयं पावें । भव-सय-सहस्स-रइयं खगेण सव्र्व्व पणासेसि ॥' एवं च सोऊण भणिये चैडसोमेग 'भयवं जदिखा जोगो है, वा मर्द दे दिख' ति गुरुणा विगाणाइसपुर्ण उवसंत1 सवय कम्मो जाणिकण पत्रवण भणिय- समाधारेण दिति ॥ ७ ॥ 27 33 ४९ ९६) मणि च पुणो विगुरुणा धम्मणंदणं । 'माणो संतावयरो भागो जत्वस्व णासणो भगिनो मागो परिव-मूलं पिय-बंधवासो माग ॥ 1 24 माणत्यो पुरियो ण-पाणइ अपर्ण गाणप्यर्ण, ण पित्रं णापि ण बंधुं गावंडे, ण स णासनुं, ण मितं णामितं, ण 24 सणास व सामिवं णासामियं ण नियं णाभिर्थ, ण उपचारिणं णाणुवयारिणं, णपियंवयं णापिर्यवयं ण पणयं णापणयं, ति । अवि य लहुयत्तणस्स मूलं सोग्गइ-प-णासणं अणत्थरं । तेगं चिय साहूहिं माणं दूरेण परिहरियं ॥ माण-महा-गह-गहिओ मरमाणो पेच्छए ण वारेइ । अवि मायरं पिये भारियं पि एसो जहा पुरिसो ॥' भणिय च राइणा 'भयवं, बहु-पुरिस संकुले ण-याणियों को विएस पुरिसो' त्ति । भणियं च धम्मणंदणेण । 30 "जो एसर पामे दाहिनासम्म संडिज तुझ एकुष्णामिव भुमवित्वारि-पिपच्छ गव्य-भर-मलिच्छ पाउडाडोवो तातो घरले पुणे पुणो वामपाण ॥ उत्तत्त-कणय-बण्यो आविरदीहर रीटा पेसविषाए तुम पि दिट्ठीए विज्झाई ॥ इमिणा रूपेण इमो माणो व्व समागओ इहं होज । एएण माण- मूढेण जे कयं तं णिसामेह ॥ 1 1 3 12 18 21 2 ) बामणो for पावगो, बुद्धीय होज्ज होऊण for होज्ज, उतत्थ विसिडा बुद्धी होउ for होज (sometime 3 und ज्ञ look similar ) 3 ) गंगा for तित्थे णिरत्थओ P गंगं for तित्थं 4 ) P गय, P has here the verse किंतु पवित्तं तियसिंदसेवियं मणविवृद्धिकरयं च । एत्तियमेत्तेण कभी तरस भरो वो अवंतीए -compare the readings with the verse in J noted above, p. 48, foot-note, 29. 5 ) एस. 6 ) Pom. णवर, P अयाणओ सुद्धो, P परिवेडिओ, पाव for मंद. 7) सवयं सम्मयं P तिययं for शियय, om. वि. 8 ) रइयविगय अंजलीउडो, संब्वेयलद्ध 9 ) Pजुयलहुत्तो, Pommits अवि य- 10 J संत्रेय, Pom. घोय, P चलणजुयललग्गो. 11) P भगवं, P तेहिं for ते, 12 ) मि for f 14 > P भद्द मह गुणेसु मह वयणं, P फिर for किल. वा जोसरता. 17 P भणे, विरज्जतु. 18 अहंकारो om. वि, P नागारसए उब 21 ) P खइय 22 J for च 24 ) P माणथद्धो, P अध्वयं नाणप्ययं न बंधू नाबंधू, ण रात्तू णासत्तू. places 27 ) P पणनास अणत्थकरे. 28 ) Pमारियं for मायरं, for वामे, एकुन्नामियमभिभोवत्यारिय, P वत्थयलो. मत्तेण for मेते. 15)दुता, P वैश्चा- 16) Ja for 20 > P भगवं, P दिखाए जोगो अहं ता महं, P before पुगो. 23 ) P मूलो, P बंधुविणासगो. 25 )P नाउवारिणं, P पिय for पिय in both पिया for पियें. 29 ) P भगवं 30 ) P वामो 31 ) 3 खंध for गव्व, P उत्तठाडोवो, P -प्पारण. 32 ) P वेत्त for बत्त, 33 ) J इहं for इमो, P समागमो, P होज्जा, P निसामेहि. P निज्झायइ. 7 27 30 33 Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [ ६९७ I ९९७) अस्थि र णारि बहुलो उववण-चण-पउम-संड-रमणिज्जो । गाउयमेत्त-ग्गामो गामासण्ण-द्विय-तलावो ॥ जो सूसम-पडम गरिंद- णिवय-सुख-रिण-नाम- चिंचा उलंड-भरह सारो णाममवंती जणवओति ॥ 3 सोय फेरियो अति-जण जत्थ य पहिएहिं परिभ्रममा गेहं सयले देखे बिट्टई एक व दोण्णि व तलाई जा । 1 ५० पण घडि कसण-पत्र बिडई, दोण्णिव तिष्णिव दिई रुखई जाई ण सरल-साउ-महल-पिक-घण- फलई, तिष्णि व चारिव दिई गाई जाई ण गणिति यो-वीडियई चारे व पंच व दिई देवउलई जा पण सुंदर चिहासिणी6 यणाबद्ध - संगइ - गीयई, पंच व छ व दिउ विलासिणिओ जाओ ण धरिय-धवलायवत्त-माऊर छत्त चामराडंबराओ ति । 6 अवि य । " बहु-रवण- गियर भरिजो विवरंतुद्दाम मुय संखउलो गिम्मल-मुत्ता-पउरो मालव- देखो समुझे व ॥ 9 तस्स देसस्स मज्झ-भाए धवलहर जिम्मलभा फुरंत मगि- त्रिमल-किरण-तारइया । सरयु थ्व गवण- लच्छी उजेगी रेहिरा णयरी ॥ जाय गिम्ह-समए जल-जंव-जलहर भरोरलिणिय-सह रिस उद्देड- तडविय- पाव निर्जत घर-सिडि कुछ संकुला फु:-पोमराय12 इंदोवय - रेहिरिव्व पाउस - सिरि-जइसिय । पाउस-समए उण फलिह-मणि-विणिम्म विय- घर - सिहरब्भ-धवला विमलिंदणील- 12 फुरमाणी इंदीवर संकुल व सरय-समय-सिरि-जइसिय सरय-लमए उण दूसह रविकिरण-नियर-संतानिय पजलत-सूरतजणिय तियायया आसार वारि-धारा घोष-निम्मल- सिय-कसिण रयण-किरण-संवलिय- सिरीस कुसुम-गोच्छ-संकुल व गिम्ह 16 समय - सिरिहि अणुहरइ ति । जहिं च णयरिहिं जुवइ जुवाण-जुवलेहिं ण कीरंति सुह-मंडणई । केण कज्जेण । सहाब - लायण्ण- 15 पसरंत चैदिमा लुत्तण भएन । जहिं च कामिणियणेण ण पिजेति विविहासवई केण कमेण सहाव-सुरव-विलासवित्थर-भंग भएन । जहिं च विलासिणीहिं विवरीय-रमिरीहिं ण बज्झति रगत महामणि मेहलउ । केण कजेण सहाव18 कलकंठ - कुविय सद्दामयासा-लुदेहि त्ति । अवि य । अइतुंग - गोउराई भवणुजाणाइँ सिहर- कलियाई । एक्केकमाइँ जीए णयरि-सरिच्छाइँ भवणाई ॥ 24 1 ९८) तीए य महाणथरीए उजेणीए पुन्वुत्तरे दिसाभाग विभाए जोयण-मेते पएसे कूत्रवंद्र णाम गामं अणेय-वण21 घण्ण समिन्द्रियपामर-जर्ग महाभयर सरिसं तत्थ मुझे पुत्र-राय-वैस-पसूनो कई पि भागहेज-परिहीणो सयण- 21 संपूया-रहिजो खेभो नाम गुण्ण-उकुरो परिवस एरिस बिय एसा मुगाल-दल-जल- तरल चंचला सिरी पुरिसा । अवि य । होऊण होइ कस्स वि ण होइ होऊण कस्सइ णरस्स । पढमं ण होइ होइवि पुण्णकुल-कड़िया लच्छी ॥ तस्स य एक्को चि पुत्तो वीरभडो णाम णियय-जीयाओ वि वल्लहयरो । सो तं पुत्तं घेत्तूण उज्जेणियस्स रण्णो ओलग्गिउं पयत्तो । दिवं च राइणा भोलग्गमाणस्स तं चैव कूबचंद्र गामं । कालेन य सो खेत्तभडो अगेय-रण-सय-संघट्ट-वइरि-वीर27 तरवार दरियावयवो जरा-गुण-सरीरो परिसक समस्यो धेय पुतं बीरभ रायले समपिकण घरे चेय चिट्टिश पयत्तो । रायउले वि तस्स पुत्तो चेय अच्छिउं पयत्तो । तस्स य से पुत्तस्स सत्तिभडो णाम । सो उण सहावेण थद्धो माणी अहंकारी रोखणो हिम्मतो जोगबनो रुव-माणी विलास-मइयो पुरिसामिमाणी तस्स व एरिसर स देव 30 उज्जे राय-जणे सतिभडो ति अवमणिय माणभडो त्ति से कर्ष णानं सेण णरगाह, सो उण एसो माणभडो | 30 अह अण्णम्मि दियहे उवविडे सयले महाराय - मंडले मिय-णिय स्थानेसु समागओ माणभडो । तओ राइणो अवंतिवद्वणस्स कय - ईसि - णमोक्कारो यियासण-द्वाण- पेसियच्छि-जुओ जाव पेच्छइ तम्मि ठागे पुलिंद रायउत्त उववि । तओ वलिओ तं 33 चे दिसं । भणियं च गेण 'भो भो पुलिंद, मज्झ संतियं इमं आसणट्टाणं, ता उट्टसु तुमं । पुलिंदेण भणियं 'अहं भयाणतो 33 1 18 J 1 ) P गामोसण्ण, तलाओ. 2 ) J जा for जो, चिद्धालो. 3 ) P अवंती, परिभवमा, सयले चिय दोस दिट्ठई, P तलायइम जाई. 4 ) P कसिणपत्थर सिलोहबद्धई, दोणि वि तिण्णि, दो for दोणि, डियई for दिट्ठ, सरसाउ, मह for धण, फलई. 5 ) चत्तारि गामाई, J om. जारं, Pom. ण, P गणिज्जंत, चयरि, पंच वि (for व), व दिडुरं देवल P वि देवउलई न दिई 6 ) Jयणबद्धसंगीय P संगरंगीयई, एव छ विणिदिट्ठिउ विलासिणी ओ P धवयायवत्त, उमापूर for माऊर 8 ) सुपर for मुश्य, वयारो for पूउरो, " सालवदेसो. 10) 1 निम्मलत्ता. 11 ) जो for जा य, सहरिसह रिसउदंड, उझुंड, P तंडविय, J-पीडिज्जत पोमराईदोवय पोमरायसिंदूरेहिं च पाउस. 12 ) व for व्व (emended ), "जसिया, Pom. मणि, धवलबिमल 13 ) । फुरमाणींदीवरासंकुल, P "सिरिं जइसिया, सूर for सूरकंत 14 ) तिब्वायव्व | P तिब्वायव आसार, सकुलं व 15 ) ति for त्ति, Pom. सुह. 16 ) P कुलुसण, P कामिणीयणेण, Pom.. 17 ) रमरीहिं, P मेहलाओ. 18 ) P सद्दासायलु, लुद्धेहिं, Jom. त्ति. 19 ) P गोयरार, P णयर- 20 Jतीय य, Jom. उज्जेणीए, P दिसाभार. 21 ) P सरिच्छं for सरिसं उप्पसूओ, कहिं नि भागधेज्ज, १ सयल for सयण. 22 ) सत्तो for खेत्तभड़ो, Jom. परिवसह, एरितु, P एस for एसा P तरललवचंचला, om. सिरी. 24 ) P होउं न होर, कस्सर न हो, पुण्णुंकुस, P कुट्टिआ for कड्डिया 25 ) उ एक्को चेय, P पुरित्तो for पुत्तो, Jom वीरभडो णाम, P निय for णियय, P उज्जेयस्स. 26 ) दिण्णों for दिगं, Pom. य, P सो खत्त इडो, P स for सूय. 27 ) दरिया, P तं चैव सत्तिभ for वीरभई, P चेव. 28 ) P राउले, om. वि, Poin. चेय, om. तरस य से पुत्तरस सत्तिभडो णाम ।. 29 तो, भवमाणी for रूत्रमाणी, मुइओ P मईओ, P पुरिसादिमाणी, ए एरिस्यस्स. 30 > Pom. first त्ति, Pom. तेग. 31) J om. दियहे, महाराइ, P नियनिययठाणे, P राणा अवितिवद्धणस्स य कय-- 32 ) Pom. ट्ठाग, P पेसियच्छीओ तं जाव, रायउत्ति, P तओ चलिओ. 33 ) Pom, चेय, Jom इमं, आसणत्थाणं. P 24 Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६१००] कुवलयमाला 1 इहोवविट्ठो, ता खमसु संपयं, ण उणो उवविसिस्सं' । तओ अण्गेण भणियं 'अहो, एवं परिभवो कीरइ वरायस्स' । चिंतियं । च माणभडेण 'अहो, इमिणा मह पुलिंदेण परिहओ को । ताव जीवियं जाव इमाण परिभवं सहिजइ त्ति । अवि य। 3 जाव य अभग्ग-माणं जीविजइ ताव जीवियं सफलं । परिहव-परिमलिय-पथावस्स भण किं व जीवेगं । अण्णं च। ताव य मंदर-गरुओ पुरिसो जा परिहवं ण पावेइ । परिभव-तुलाएँ तुलिओ तणु-तणुय-तणाओं तणुययरो ॥' एवं एरिसं चिंतिऊण समुक्खया जम-जीहा-संणिहा छुरिया। ताव य अवियारिऊण कजाकज अयाणिऊण सुंदरासुंदर 6 अचिंतिऊण अत्तणो मरणामरणं 'सब्वहा जं होउ तं होउ' त्ति चिंतिऊग पहओ वच्छस्थलाभोए पुलिंदो इमिणा रायउत्तो 6 त्ति । अवि य । ण गणेइ परं ण गणेइ अप्पयं ण य होंतमहाहोंतं । माणमउम्मत्त-मणो पुरिसो मत्तो करिवरो व ॥ तं च विणिवाइऊण णिक्खतो लहुं चेव अत्थाणि-मंडवाओ । ताव य गेण्हह गेण्हह को वा केण व मारह लेह रे धाह । उद्धाइ कलयल-रखो खुहियत्थाणे जलणिहि व्व ॥ ९९९) एत्थंतरम्मि एसो माणभडो उद्धाइओणियय-गामहुत्तं । कयावराहो भुयंगो इव झत्ति संपत्तो णियय-घरं 12 भणिओ य तेण पिया 'बप्पो बप्पो, मए इमं एरिसं वुत्तंतं कयं । एवं च णिसामेलं संपयं तुम पमाणं किमेत्थ कायब्वं' ति । 12 भणियं च वीरभडेणं 'पुत्त, जं कयं तं कयं णाम, किमेत्थ भणियव्वं । अवि य । कर्ज जं रहस-कयं पढम ण णिवारिय पुणो तम्मि । ण य जुज्जइ भणिऊगं पच्छा लक्खं पि वोलीग ॥ 15 एत्थ पुण संपयं जुत्तं विदेस-गमण तयणुप्पवेसो वा। तस्य तयणुप्पवेसो ण घडद । ता विदेस-गमणं कायब्वं । अण्णहा 15 णस्थि जीवियं । ता सिग्धं करेह सज जाण-वाहणं' । सज्जियं च । आरोवियं च णेहिं सयल सार-भंडोवक्खरं । पत्थिया य णम्मया-कूलं बहु-वंस-कुडंग-सक्ख-गुम्म-गुविलं । इमो पुण कइवय-पुरिस-परिकय-परिवारो वारिजतो वि पिउणा कुलउत्तयाए 18 पुरिसाहिमाण-गहिओ तहिं चेव गामे पर-बलस्स थक्को । 18 अन्यो दुहा वि लाहो रणगणे सूर-बीर-पुरिसाण । जइ मरइ अच्छराओ अह जीवह तो सिरी लहइ ॥ एवं चिंतयंतस्स समागय पुलिंदस्स संतियं बलं । ताव य, A एसेस एस गेण्हह मारे-मारेह रे दुरायारं । जेणम्ह सामिओ ञ्चिय णिहओ अकयावराहो वि ॥ एयं च भणमाणा समुद्धाइया सव्वे समुत्थ-रिउ-भडा । इमो य आयड्डिय-खग्ग-रयणो कह जुज्झिउं समाढत्तो। वेल उप्पइओ चिय पायालयलम्मि पइसए वेलं । कइया वि धाइ तुरियं चक्काइट्ठो ब्व परिभमइ ॥ 24 ००) एवं च जुज्झमाणेणं थोवावसेसियं तं बलं इमिणा । तह दूसह-पहरतो-गुरु-क्खय-णीसहो पाडिओ तेहिं 24 उच्छूढो य तस्स णियएहिं पुरिसेहिं मिलिओ णियय-पिउणो। ते वि पलायमाणा कह कह वि संपत्ता णम्मया-तीर-लग्गं अणेय-बेलुया-गुम्म-गोच्छ-संकुलं वण-महिस-विसाण-भजमाण-वइ-वेढं उद्दाम-वियरंत-पुल्लि-भीसणं एकं पञ्चंतिय-गामं । तं 27 चेय दुग्गं समस्सइऊणं संठिया ते तत्थ । इमो य माणभडो गुरु-पहर-परद्धो कह कह वि रूढ-वणो संवुत्तो । तत्थ तारिसे 27 पच्चंते अच्छमाणाणं बोलिभो कोइ कालो । ताव य कड्डिय-मुहल-सिलीमुह-दुप्पेच्छो कोइला-कलयलेणं । चूय-गइंदारूढो वसंत-राया समल्लीणो॥ 30 अल्लीणम्मि वसंते णव-कुसुमुब्भेय-रक्ष्यमजलिया। सामंता इव पणया रुक्खा बहु-कुसुम-भारेण ॥ रेहइ किंसुय-गहणं कोइल-कुल-ोजमाण-सद्दालं । णव-रत्तंसुय-परिहिय-णव-बर-सरिसं वणाभोयं ।। साहीण-पिययमाणं हरिसुप्फुल्लाई माहव-सिरीए । पहिय-घरिणीण णवरं कीरंति मुहाई दीणाई ॥ सुब्बइ गामे गामे कय-कलयल-डिंभ-पडहिया-सद्दो । विविह-रसत्थ-विरइओ चचरि-सद्दो समुट्ठाइ ॥ पिजइ पाणं गिजइ य गीययं बद्ध-कलयलारावं । कीरइ मयणारंभो पेसिजइ वल्लहे दूई॥ 1) Pअन्नेहिं for अण्णेण, परिहवो कवरायस्स. 2) Pom. च, P परिहवो, Pता जीवितं जाब, J परिहवं परिभवो 3)P परिमलया, पयावयस्स, P भण करस जीरण. 4)Pमंदरगुरुओ, P परिदय-, P तणुयाउ for तणुयतणाओ. 5) Jएयं च एरिसं, Pउक्बया for समुक्खया, I जमजीड्सपिणह, P अवयारिऊण, सुदरं नितिऊण. 6)P सम्बहा जं होउ त्ति, P रायपुत्तो 8) अप्पयं णो य होन्तमइहोतं, P दांत for होतं, Jमाणमए उम्मत्त P मागं मउम्मत्त.. 9) Jच णिवाइऊण, P रायस्थणे for अत्थाणि. 10) J धावह P धाय, खुहि मो अस्थाणे. 11) P सो for एसो, गामाहुत्तो, Jछअंगो for भुयंगो, P अत्ति for झत्ति. 12) P om. य, Pणेण for तेण, P बप्पो बप्प, Pom. एरिस, Pएवं च. 13) भणि for भगियन्वं. 14)" जं कह बि रहसरइयं पढ़मं. 15)पस्थं पुण, विएस for विदेस, P तणुयपवेसो वा. 16)P आहोहियसयलसार,J भंटारबक्खरं 17) Jणमायाकुलं, । कुडुंग, Pom. परिकय, Pकुणउत्तया पुरिसाभिमाण. 187 चेय गामे. 19) लाभो, P रणंगणो धीरवीर, J सिरिलहद. 20) Pबितियंतरस, P पुलिदसतियं. 21)om. रे. 22) चिय for च, P संमरितु for समुत्थरिउ, P वि for य, पयत्तो for समाढत्तो. 23)Pइव for च्चिय, P पायालइलंमि, चकार व. 24) Jom. तं,J पयरंतो गुरु, पहरंतो खुरप्पणं नीसहा पाडिओ तेहिं उन्बूढो तस्स. 25) P om. पुरिसेर्दि, P मिलिय- for मिलिओ, P तीरं लगं. 26) वेसळया for वेलुया, नियरंत for वियरंत,J पच्चंतियागामं. 27) Pदुग्नें, P Q for य after इमो),J पहरपारद्धो, तारिसो. 29)J'मुहरपेच्छि ओइला.30P नवकुमुच्छेयरइय संजलिया. 31) J सुअगदर्ण, P -गिज्झमाण, P नव. रत्तसुरलसपरिहिय, P वणाभोय. 32) 'सीहीण, पिययमाणीहरिसु, घरिणी वरं. 33) Pom. कय, P भिजणपडिया, P विरईओ,J समुद्धाइ. 34) Pom, य, Pवलहो. 33 Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 3 उज्जोयणसूरिविरद्दया [६१०१ १०१) तो एवम्मि एरिसे वसंत समय तरुवर सादाविद इद दी माला-कल-शेला हिंदोलमाण- बेलद्दल- 1 विलासिणी - विलास-गिजमाण- मणहरे महु-मास-माहवी-मयरंदामोय-मुइय-मउम्मत्त महुयर- रुइराराव -मण हर-रुणरुणंत जुवलजुवइ-3 -जये सो माणभडो गाम- जुवाण बंद समग्गो अंदोलए अंडोलेउमाढतो । भणियं च जुवाण-जगेण तालं दाऊण 'भो भो : गाम योद्दा जिमुव 'जो जस्स हियय - दइओ णीसंकं अज तस्स किर गोतं । गाएयव्वगवस्सं एत्थ हु सवहो ण अण्णस्स ॥' 1 6 पडिवणं च सच्णं चेय गाम- जुवाण जगेणं । भणियं च सहत्थ ताल - हसिरेहिं 'रे रे सच सचं सुंदरं सुंदरं च संलत्त । जो 8 जस्स पिओ तस्स इर अज गोतं गाएयन्त्रं अंदोलयारूढएहिं ण अण्णस्स । अवि य । सोदग्ग-मम्मत्ता ज थिय जा दूवाओ महिलाओ ताणं इमाण नवरं सोही पाय होई ॥' ५२ 9 एवं च भणिए गियय-पियाणं चेय पुरओ गाइडं पयत्ता हिंदोलयारूढा । तओ को वि गोरी गायइ, को वि सामलियं, 8 को चितरंगी को विलुप्पी को वि पडम दलछति । १०२) एवं च परिवाडी समारुडो माणभडो अंदोर, अस्खितो व अंदोल वाण जगेण वो विव12 जायाए गोरीए मय-सिवच्छी पुरओ गार्ड पयतो इनं च दुबइ-खंड 15 परहुय-महुर-सह-कल- कूविय-सयल वर्णतरालए। कुसुमामोय- भुइय-मत्त भमरउल- रंगत-सणाहए ॥ बहु-मयरंद-चंद-णीसंदिर - भरिय - दिसा विभायए । जुवइ जुवाण- जुवल-हिं दो लिर - गीय-रवाणुरायए ॥ एरिसम्म वसंतऍ जइ सा गीलुप्पलच्छिया परें । आलिंगिज्जइ मुद्रिय सामा विरहूसुएहिँ अंगेहिं ॥ एवं सामाए गोजिमा सुणिऊ सा तस्स जाया सरिस-गाम- जुबई तरुणीहिं जुम्मसुरा-पान-मडम्मत्त-विलालावअपरीहिं काहिं वि हसिना, काहिं वि गोलिया, काहिं वि पहया, कार्डि विव्शिाया, काहिं वि बिंदिया, काहिं विजिया, 18 काहिं चि अणुसोइयत्ति भणिया य हलाहला, अम्हे चिंतेमो तुझ जोवण-रूप हायण्ण-पण्ण-विष्णा-गाण-विलास- 18 लास-गुण-वियक्खित्त-हियओ एस ते पई अगं महिलियं मणसा विण पेच्छइ । जाव तुम गोरी मयच्छि च उज्झि अण के पि साम-सुंदरं गाइड समाहत्तो, ता संपर्क तुझ मरेिडे जुन' ति भणमानीहिं पोलिज्माणी । 21 ते लावि पत्ता इमे च णिसामिऊ चिंति पयत्ता हिषए णिहित्त-सहा चित्र वसणी 'अहो इमिणा मम पिययमेण 21 सहियरस व पुरजो ण छाया-रखने की अहो हिणिया, अहो मिलनया, अहो जिगेहया, अहो वा सया, अहो भिय्या, अहो णिग्विणया, जेण पडिवक्ख-वण्ण-खलण-पडिभेयं कुणमाणेण महंतं दुक्ख पात्रिया । ता 24 मई एवं त्रियानिय सोहगाए ण जुतं जीवि । अधि य । । 24 पवित्र गोविनाणि-पद-पाय-दुनिया दोहमा दूमियाए महिलाए किं व जीर्ण ॥ इमे च चिंतिकण वस्त्र महिला चंद्रस्व मज्झालो णिक्खमिडं इच्छ, ण य से अंतरं पाव वा व 27 बहु-वण-कुंकुम वास-रद्वय पूलि-मइगो । बच्चइ उणम्मि पहाउं अवर-समुद-वहं सूरो ॥ 30 जह जह अल्लियइ रवी तुरियं तुंगम्मि अत्थ- सिहरम्मि । तह तह मग्गालग्गं धावइ तम-नियर-रिव-सेण्णं ॥ सयल - णिरुद्ध - दिसिव हो पूरिय-कर-पसर- दूसह-पयावो । तिमिरेण णरिंदेण व खगेण सूरो वि कह खविओ ॥ अत्थमिय-सूर - मंडल-सुण्णे णयल-रणंगणा भोए । वियरइ कज्जल-सामं रक्खस चंद्र व तम-विहं ॥ १०३) एयम्मि एरिसे अवसरे दरिउम्मत दिसा करि-कसिण-महामुडे विष पलंचिए अंधारे गाव सत्याओ सा इमरस महिला चिंतियं च जाए। 'कहिं उण इमे दोहा-ककदूसि अत्ता बाबाइया होई । 33 अहवा जाणियं सए, इमं वण-संड, एत्थ परिसिऊण बाबाइस्सं अहया ण रथ, जेण सम्यं चेय अन उज्जाणवत 1 ) तरुयर, P टोला for दोला. 2 ) 3 मगहरो, Jom. मुख्य मयुम्मत्त, P मुश्यमणुत्त for गउम्मत्त, रुश्रावमण, रुरुर्णेत. 3 ) जो for जगे, P अंदोलिए, P भो भो भो. 4 ) J गागवोदुहा. 5) हियश्दो, समहो. 6) य डिवण्णं for पटवणं, P जुवाणवणेण, सहत्थयाल, P हसिएहिं, 3 om. च. 7 ) P तस्स किर, Pom. अज, अदोलयारूढेहिं. 8) P मओम्मत्ता. 9 ) P चेव, J पवत्ता P पयत्तो, P हिंदोलयारूढो कं कोवि गोरियं, J कोई for कवि, गाय, सामलिं 10) सामलंगिं for तणुयंगी. 11 ) Jom च, P अक्खित्त, 3 अंदोलउ 12 ) P जाए for जायाए, सिलिचडीए 13 ) P वगंतरालोए, P भमरालि for भमरडल, रणंतसयसगाइए. 14 ) P मंद for चंद्र दिसाविहायए । रवाणुराईए. 15) P जहया for जइ सा, णिलुप्पलच्छिया P नीलुप्पलच्छिया, उपयतएण P पयत्तगए for पमएँ (emended ), JP मुखिया, विरहूस अंगहिं, P विहसुए हिं, 16 ) P एयं च सा, P om. सा, सरिसा व मयुम्भत्त, P पाणमत्तविलालीव. 17 )काहिं विin all places, P काहिं मि in all places, Pom. काहिं वि पया, गिज्याइया, Jom. काहिं विनिंदिया काहि वय18) ? अणुसोचिय, अहिं विमो, "तु for विभाग यावयवि हियया अन्नं. 19 ) P तुमं गोरिं, P उज्झिय अन्नं किंपि समासुंदरि 20 ) P पयतो for समाढत्तो. P नोलिजमाणी खेल्ला. 21) P पत्ता for पत्ता, P मम विषण सहियायणस्स पुरओ 22 ) निक्लिन्नया अहो निलच्छया. 23) निधिणयया. 24) J एयं. 26) P निक्खिविओ for क्खिमिउं, P निय for ण य. 27 ) वासरभुभूलिमइलंग्गो (note the form of अ ), P रइद्भूय. 28 ) P निवु for रिवु. 29 ) अयल for सयल, P मर्रिदेश, P सूरो कह 30 P सुण for सुष्णे, P रणंगणोहोए, P रक्खसं. 31 ) Jom. दरि, P दरियुमत्त, P महामुढवडे विलंबिए अंध, Jom. अंध्यारे, उ ताओ before जुवद- 32 ) P इ only for इमस्स, P विचितियं, P कई पुण दूसिउं हृत्ताणं for अत्ताणं. 33 ) P अवि य for अहवा. om. अज J Pom, उज्जाण. 12 15 27 30 Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१०४] कुवलयमाला ' उववणं पिव बहु-जण-संकुलं । एत्थ मह मणोरहाणं विग्धं उप्पजइ त्ति । ता घरे चेय वासहरयं पविसि जाव एस एत्थ 1 बहु-जुवईयण-परिवारो ण-याणइ ताव अत्ताणयं वावाएमि ।' चिंतयंती आगया गेहं । तत्थागया पुच्छिया सासुयाए 'पुत्ति, कत्थ पई । भणियं च तीए । एस आगो चेय मह मग्गालग्गो त्ति' भणमाणी वासहरयं पविट्ठा । तत्थ पविसिऊण गुरु- 3 दूसह-पडिवक्ख-गोत्त-वज-पहर-दलियाए य विरइओ उवरिलएण पासो, णिबद्धो य कीलए, समारूढा य आसणेसु, दाऊण य अत्तणो गलए पासयं भणिय इमीए । 3 'भो भो सुमेह तुब्भे तुब्भे चिय लोग-पालया एत्थ । मोत्तण गियय-दइयं मगसा विण पत्थिओ अण्णो ॥ तुम्मे चिय भणह फुड जइ णो एत्थं मए जुधाणाणं । धवलुव्वेल्लिर-पंभल-णयण-सहस्साई खलियाई ॥ मज्झं पुण पेच्छसु वल्लहेण अह एरिसं पिजं रइयं । पिय-सहि-समूह-मज्झ-ट्ठियाए गोत्तं खलंतेण ॥ ता तस्स गोत्त-खलणुल्लसंत-संताव-जलण-जलियाए । कीरइ इमं अउण्णाएँ साहसं तस्स साहेजा ॥' भणमाणीए चलण-तलाहयं पक्खित्त आसणं, पूरिओ पासओ, लबिउं पयत्ता, णिग्गया णयणया, णिरुद्ध णीसासं, वकीकया गीवा, आयष्ट्रिय धमणि-जालं, सिढिलियाई अंगयाई, णिचोलियं मुहं ति। एस्थंतरम्मि इमो माणभडो तं जुवई-बंद्रे 2 अपेच्छमाणो जायासंको घरं आगओ। पुच्छिया य गेण माया 'आगया एत्थ तुह बहु' त्ति । भणिय च तीए 'पुत्त, आगया। सोवणयं पविठ्ठा' । गओ इमो सोवणयं जाव पेच्छइ दीवुजोए तं वीणं पिव महुरक्खरालाविणी णिय-उच्छंग-संग-दुललियं वील-कीलयावलंबिणी । तं च तारिसिं पेच्छिऊण ससंभम पहाविओ इमो तत्तोहुत्त । गतूण य ण छर त्ति टिपणो पासओ 5 छुरियाए । णिवडिया धरणिवठे, सित्ता जलेण, वीझ्या पोत्तएण, संवाहिया हत्येण । तओ ईसि णीससियं, पविठ्ठाइं 15 अच्छियाई, चलियं अंगण, वलियं बाहुलयाहिं, फुरियं हियएणं । तओ जीविय ति णाऊण कहकह वि समासस्था । १०४) भणियं च णेणं । 8 'सुंदरि किं किं केण व किं च वरद्धं कया तुम कुचिया। कह वा केण व कत्थ व किं च कयं केण ते होज ॥ 18 जेण तए अत्ताणं विलंबयंतीऍ सुयणु कोवेणं । आरोवियं तुलग्गे मज्झ वि जीयं अउण्णस्स ॥' एवं च भणिया पिययमेणं ईसि-समुवेल्लमाण-मुणाल-कोमल-बाहुलइयाए ईसि-वियसंत-रत्त-पम्हल-धवल-विलोल-लोय। णाए द?ण पिययमं पुणो तक्खणं चेय आबद्ध-भिउडि-भंगुराए विरजमाण-लोयणाए रोस-वस-फुरमाणाधराए संलत तीए 121 'अब्बो अवेहि णिलज वञ्च तत्थेव जत्थ सा वसइ । कुवलय-दल-दीहर-लोल-लोयणा साम-सामलंगी ॥' इमं च सोऊणं भणियं माणभडेणं । । 'सुंदरि ण-याणिमो च्चिय का वि इमा साम-सुंदरी जुवई । कत्थ व दिट्ठा कइया कहिं व केणं व ते कहियं ॥' 24 इमं च णिसामिऊण रोसाणल-सिमिसिमंत-हिययाए भणिय तीए । ___अह रे ण-याणसि च्चिय जीए अंदोलयावलग्गेण । वियसंत-पम्हलच्छेण अज गोत्तं समणुगीय ॥' 7 एवं च भणिऊण महासुग्णारण्ण-मुणी विय मोणमवलंबिऊण ठिय त्ति । 'अहो मे कुविया एसा, ता किमेत्थ करणीयं । श अहवा सुकुविया वि जुवई पायवडणं णाइवत्तइ त्ति पडामि से पाएसु' चिंतिऊण भणिय च णेणं । 'दे पसिय पसिय सामिणि कुणसु दयं कीस मे तुम कुविया । एयं माणत्थदं सीसं पाएसु ते पडइ ॥' ०त्ति भणमाणो णिवडिओ से चलण-जुवलए । तओ दुगुणयरं पिव मोणमवलंबियं । पुणो वि भणिया गेण । 'दे सुयणु पसिय पसियसु णराहिवाणं पिजं ण पणिवइयं । तं पणमइ मह सीसं पेच्छसु ता तुज्झ चलणेसु ।' तओ तिउणयरं मोणमवलंबियं । पुणो वि भणिया गेण । 3 'दरियारि-मंडलग्गाहिघाय-सय-जजरं इमं सीसं । मोत्तण तुज्झ सुंदरि भण कस्स व पणमए पाए ॥' 30 1) गम for मह, वासवरयं. 2) जुवई अणपरिअणयाण ताव य अत्ता, P परिवारा य ण-, I तथागया, P सासूए J पुत्तय for पुत्ति. 3) P चेय महालगो त्ति. 4) Pालिया इव चिर',J उवरिलयेण, P खीलए., P om. य in both places. P गले पास भणियमिमीए. 6)J गिरणह for सुणेह, P तुब्मे तुब्मि, Jलोअपालया, Jणिअअदझ्यओ. 7) धवलुवेल्लिरपम्हरनयण. 8)J विअंपियं (पि ed.). 9) खलणलसंताव, Jजवियाए, न कह विता for साहस, J साहे जो. 10) पक्खिअं, P आसणं, णिग्गया गणपणया, निरुद्धो नीसासो। वकीगया. 11 P आयष्टियं धगिजालं, J धम्मगिजालं सिढिलयाई, P अंगाई, I णियोलि मुां मि। P नियोल्लिमहं ति ।, P जुवइ, J वंदे for वंद्रे. 12) Pom. य, P बहुय त्ति, पुत्तय for पुत्त, 13) J गगो य इमो, मदुरालाविणीं गिययुच्छंग, P-उत्संग. 14) Pलील for वील, P तारिसं, P पहाइओ, P तत्ताहुत्तो,Jom, णेण, P ज्झट for छर, पासाओ. 15) P बीया पोत्तेणं, P हत्थेहिं।. 16) P अंगेहिं, P बाहुलइयाहिं. 18) J केण व, करसव किम्न अवरहं कत्थ वा किं,J होज्जा. 19) Jविलबिअतीए, P विलंबयंतीय सयण कोण. 20) Jom. च, P समवेलमाण, P-धक्यल-. 21) P आवद्वान, J फुरतमाणधराए P फुरमाणावसाएहराए, P om. संत तीए. 22) तत्थ य for तत्थेव, दीदकलोल. 24) । कत्थ वि दिट्ठा, J कहि व्ब, P कहं व तेगं. 26) J याणइ for याणसि, समणुगोयं ।। 27) P हिय ति, ।' गम for मे. 28) J जुआई, णाहिवत्त त्ति P नाइवत्तय ति. 29) Pमाणथळू, P तं for ते. 30) Jom. ति, ।'जुयलए, J तेग for णेग.31) Pom. सुयणु, P यं for जं, P पगाद। जं तं for पणिवल्यं । जं तं, तुज्झा. 32) "गुणतरं भोणमवलबिऊण पुणो. 33) Pमंडलग्गाभिघायसयजुज्जर, P पणवए. Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 उजोयणसुरिविरइया [६१०५६१०५)ता एवं भणियाण किंचि जंपइ । तओ समुद्धाइओ इमस्स माणो महंतो । 'अहो, एसा एरिसी जेण : एवं पि पसाइजमाणी वि ण पणाम-पसायं कुणइ । सवहा एरिसाओ चेय इमाओ इस्थियाओ होंति त्ति । अवि य । ४ खण-रत्त-विरत्ताओ खण-रूसण-खण-पसजणाओ य । खण-गुण-गेण्हण-मणसा खण-दोसग्गहण-तलिच्छा ॥ सध्वहा चल-चवल-विजु-लइयाग पिव दुब्विलसियं इमाणं । तं वच्चामि गं बाहिं । किमेसा ममं वच्चतं पेच्छिऊण पसज्जइ ण व' त्ति विचिंतिऊण पयट्टो माणभडो, णिक्खतो वास-घराओ। णीहरंतो य पुच्छिओ पिउणा 'किं पुत्त, ण दिण्णं से पडि6 वयणं । णिग्गओ बाहिं गंतुं पयत्तो । तओ चिंतियं इमस्स महिलाए 'अहो, एवं वज-कढिण-हियया अहं, जेण भत्तुणो तहा पाय-पडियस्स ण पसण्णा । ता ण सुंदरं कयं मए । अवि य । अकय-पसाय-विलक्खा पुणरुत्त-पणाम-सब्बहा-खवियओ वि । अवो मज्झ पियल्लओण-याणिमो एस पत्थिओ कहिं पि॥ 9 ता इमस्स चेय मग्गालग्गा वञ्चामो' त्ति चिंतिऊण णीहरिया वास-घरयाओ। पुच्छि या य सासुयाए 'पुत्ति, कत्थ चलिया। तीए भणियं । 'एसो ते पुत्तो कहिं पि रुटो पत्थिओ' त्ति भगमाणी तुरिय-पय-णिक्खेवं पहाइवा । तओ ससंभमा सा वि थेरी मग्गालगा । चिंतियं च तेण इमस्स पिउणा वीरभडेणं । 'अरे सव्वं चेय कुडंबयं कत्थ इमं पत्थिय' ति चिंतयतो 12 मग्गालग्गो सो वि वीरभडो । इमो य घण-तिमिरोस्थइए कुहिणी-मग्गे वच्चमाणो कह-कह वि लक्खिओ तीए । बहु-पायव-1 साहा-सहस्संधयारस्स पञ्चंत-गाम-कूवस्स तडं पत्तो । तत्थ अवलोइयं च णेण पिट्ठओ जावोवलक्खिया णियय-जाय त्ति । ते च पेच्छिऊण चिंतियमगेण । 'दे पेच्छामि ताव ममोवरि केरिसो इमीए सिगेहो' ति चिंतयंतेण समुक्खित्ता एक्का गाम-कूव15 तड-संठिया सिला । समुक्खिविऊण य दढ-भुय-जंत-पविद्धा पक्खित्ता अयडे । पक्खिविऊण य लहुं चेय आसण्ण-संठियं । तमाल-पायवं समल्लीणो । ताव य आगया से जाया । सिला-सह-संजणिय-संकाए अवलोइयं च इमीए तं कूयं । जाव दिद विस्थिपण-सिला-घाउच्छलत-जल-तरल-वेविर-तरंगे । कूवं तं पिव कूवं सुव्वंतं पडिसुय-रवेण ॥ 18 तं च तारिसं दहण पुलइयाई तीए पासाई । ण य दिट्टो इमो तमाल-पायवंतरिओ । तओ चिंतियं । 'अवस्सं एत्थ कूचे मह 1 दइएण पक्खित्तो अप्पा होहिइ । ता किमेत्थ करणीयं । अहवा सो मह पसाय-विमुहो अगणिय-परिसेस-जुवइ-जण-संगो । एत्थ गओ गय-जीवो मज्झ अउण्णाए पेम्मंधो॥ १ सयणे परिभूयाओ दोहग्ग-कलंक-दुक्ख-तवियाओ । भत्तार-देवयाओ णारीओ हाति लोयम्मि ॥' चिंतिऊण तीए अप्पा पक्खित्तो तहिं चेय अयडे । दिट्ठा य णिवडमाणी तीए थेरीए । पत्ता ससंभमंता । चिंतियं तीए 'अहो, णूण मह पुत्तओ एत्थ कूचे पडिओ, तेण एसा वहू णिवडिय त्ति । " हा हा अहो अकज देव्वेण इमं कयं णवर होजा । दावेउं णवर णिहि मण्णे उप्पाडिया अच्छी ॥ ___ता जइ एवं, मए वि ता किं जीवमाणीए दूसह-पुत्त-सुण्हा-विओय-जलण-जालावलि-तवियाए' त्ति भणिऊण तीए थेरीए पक्खित्तो अप्पा । तं च दिहूँ अणुमग्गालग्गेण थेर-वीरभडेग । चिंतियं च णेणं । 'अरे, णूणं मह पुत्तो सुण्हा महिला य 7 णिवडिया । अहो आगओ कुलक्खओ । ता सव्वहा वइरि-गईद-दंत-मुसलेसु सुहं हिंदोलियं मए, उन्भड-भड-सहस्स-असि2 घाय-घणम्मि वि वियारियं, पुणो धणु-गुण-जंत-पमुक्क-सिलीमुह-संकुले रणे । एम्हि एत्थ दड-दइवेण वसाणमिण णिरूवियं । ता मह ण जुज्जइ एरिसो मञ्चू । तहा वि ण अण्णं करणीयं पेच्छामि' त्ति चिंतिऊण तेण वि से पक्खित्तो अप्पा । एयं च 30 सव्वं दिटुं वुत्ततं इमिणा माणभडेणं । तहा वि माण-महारक्खस-पराहीणमणिवारियं, ण गणिओ पर लोओ, ण संभरिओ धम्मो, ण सुमरिओ उवयारो, अवहथिओ सिणेहो, अवमाणिओ से पेम्म-बंधो, ण कया गुरु-भत्ती, वीसरियं दक्खिण्णं, पम्हुद्दा दया, परिचत्तो विणओ त्ति । ते मए जाणिऊण संजाय-पच्छायाओ विलविउं पयत्तो । सान 1) P एवि. for एवं, J अहो एरिसा जेण. 2) P कुणइ त्ति सम्वद्वा, चेव इमाइओ अस्थियाओ, P om. त्ति. 4) सच्वद्धा, I ता for तं, 1 किमेस. 5)त्ति चिंतिऊण, P गम्भवरयाओ for वासवराओ. Jom. य, "पुच्छिउणो किं. 6)"हं for अहं, Jण for जेण, तदा वि पा. 7) मे for मए. 8) पणरुत्त, P सबहु for सव्वहा, P खविओ, J पिपलमो, P एस कयं चिपत्थिओ. 9) J वासहरयाओ, P सासूए, J पुत्त for पुत्ति. 10) वि से थेरी. 11) "पिउगो, कुटुंबयं, Pom. कत्थ, Pपस्थिय ति, Jom. चिंतयंतो मग्गालग्गो etc. to णिययजाय त्ति।. 13) Pपाया for साहा (ed.), P अवलोइउं च णेणापिट्रिओ, निययजार त्ति ।. 14) Pदे पच्छागि, Jom. इमीए, P वितिय तेग, Jएगाम- 15) Pसंसिप for संठिया, Jom. य, P भुया for भुय, P पविट्ठा for पविद्धा, P adds य before अयडे. 16)P संका for संकाए, J कूवं । जावय दिटुं. 17) Pघायउच्छलंत, J तं पि कूवसुव्वत्तयटासुअ-, Pसुव्वंतं. 18) J तीय, P एत्थं. 19) J पविट्ठो for पक्खित्तो, P होहीई. 20) गयजीओ, J पेम्मद्धो P पेमंधो. 21) P देवयाए. 22) P वितियं for घितिऊण, P तेहिं चेव, " दिट्ठो, Pतीय थेरीय, P ससंमंतो म्तियंती. 23) Pसा for एसा. 24) P दब्वेण, P दाबेऊर णवर निही मण्ण उप्पाडिऊण अच्छीणि. 25) Pएव, P om. वि, P जलणजातवियाएउ त्ति, P om. थेरीए. 26)P परिक्लित्तो. 27)"ताव for ता. 28) P जंतु for जंत, J जंतमुकपमोक, J दएण, P वसणमिणं, P निरू वियमहं. 29) Pता हा for तहा वि. 30) P om. वृत्तंतं, Pमाणमाणरक्खसा पराहीगेण न निवारिया, J परलोगो. 31) Pउवयारहरो, J पेम्माबद्धो पेमाबंधो. 32) J "चत्तो विणओ ते य मए जाणि'. Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . वडिओ विसयाओ पितारसं तुलग्गेण के पि गुरुं परिभामऊण संपत्तो महुराउलय मदुलय मध्य वामणय -६१०९] कुवलयमाला १०६) 'हा ताय पुत्त-वच्छल जाएण मए तुम कहं तविओ । मरणं पि मज्झ कजे णवरं णीसंसय पत्तो ॥ धी धी अहो अकजं आयर-संवटियस्स मायाए । वुडुत्तगम्मि तीए उवयारो केरिसो रइयो । । हा हो जीए अप्पा विलंबिओ मज्झ णेह-कलियाए । तीऍ वि दइयाएँ मए सुथुरिस-चरियं समुन्बूढं । वज-सिलिंका-घडियं णूण इमं मज्झ हियवयं विहिणा । जेगेरिसं पि दटुं फुइ सय-सिक्करं जेय ॥ ता पुण किमेत्थ मह करणीयं । किं इमम्मि अयडे अत्तागं पक्खिवामि । अहवा णहि णहि, । जलणम्मि सत्त-हुत्तं जलम्मि वीसं गिरिम्मि सय-हुतं । पक्खित्ते अत्ता तहा वि सुद्धी महं णस्थि ।। १०७) 'ता एयं एत्थ जुत्तं कालं । एए मएलए कूवाओ कड्डिऊण सकारिऊणं मय-करणिजं च काऊण वेरग्ग-मग्गावडिओ विसयाओ विसर्य, जयराओ जयरं, कब्बडाओ कब्बडं, मडंबाओ मडब, गामाओ गाम, मढाओ मढं, विहाराओ विहारं परिभममाणो कहिं पितारिसं तुलग्गेणं कं पि गुरुं पेच्छिहामो, जो इमस्स पावस्स दाहिइ सुद्धिं' ति चिंतिऊण तम्हाओ । 'चेय ठाणाओ तित्थं तित्थेण भममाणो सयलं पुहई-मंडलं परिभमिऊण संपत्तो महुराउरीए । एल्थ एक्कम्मि अणाह-मंडवे पविट्ठो। अवि य तत्थ ताव मिलिएल्लए कोट्टीए वलक्ख खइयए दीण दुग्गय अंधलय पंगुलय मंदुलय मडहय वामणय ठिण्ण-णासय तोडिय-कण्णय छिण्णोदय तडिय कप्पडिय देसिय तित्थ-यत्तिय लेहाराय धम्मिय गुग्गुलिय भोया । किं च 12 बहुणा । जो माउ-पिउ-रुहेल्लो सो सो सब्यो वि तत्थ मिलिएलओ ति । ताहं च तेत्थु मिलिएल्लयहं समाणहं एकेकमहा आलावा पयत्ता । 'भो भो कयरहिं तित्थे दे चेवा गयाहं कयरा वाहिया पावं वा फिदृइ' त्ति । एक्केण भणियं । 'अमुक्का वाणारसी कोढिएहिं, तेण वाणारसीहिं गयहं कोढो फिट्टइ' त्ति । अण्ण भणिय । 'हुँ हुँ कहिओ वुत्ततो तेण जंपि- 15 एल्लउ । कहिं कोढं कहिं वाणारसि । मूलस्थाणु भडारउ कोढई जे देइ उद्दालइजे लोयहूं।' अणोण भणियं । रे रे जइ मूलत्थाणु देइजे उद्दालइजे कोढई, तो पुणु काई कजु अप्पाणु कोढियल्लउ अच्छह ।' अण्गेण भणिय । 'जा ण कोढिएल्लड अच्छइ ता ण काई कज्ज, महाकाल-भडारयहं छम्मासे सेवाण कुणइ जेण मूलहेजे फिट्टइ' । अण्णेण भणिय । ' काई 18 इमेण, जत्थ चिर-परूद्ध पावु फिट्टइ, तं मे उद्दिसह तित्थं'। अण्ण भणियं । 'प्रयाग-वड-पडियहं चिर-परूढ पाय वि हत्थ वि फिटुंति' । अण्गेण भगियं । 'पाव पुच्छिय पाय साहहि' । अण्णेण भणिय । 'खेडु मेल्लहं, जइ पर माइ-पिइ-बह-कयई पि महापावाई गंगा-संगमे पहायई भइरव-भडारय-पडियहं णासंति ।' 21 १०८) तं च सुयं इमेणं माणभडेणं । तं सोऊण चिंतियं मगेण । 'अहो सुंदरं इमिगा संलतं । ता अहं माइ-पिइवह-महापाव-संतत्तो गंगा-संगमे पहाइऊण भइरवम्मि अत्ताणयं संजिनो जेण इमस्स महापावस्स सुद्धी होइ' ति चिंतयंतो महुरा-णयरीओ एस एयं कोसंबी संपत्तो त्ति । ता णरवर ण-याणइ चिय एस वराओ इमं पि मूढ-मणो । जं मूढ-बयण-वित्थर-परंपराए भमइ लोयं ॥ पडियस्स गिरियडाओ सो विहडइ णवर अष्टुि-संघाओ । जे पुण पावं कम्नं समयं तं जाइ जीवेण ॥ पडण-पडियस्स पत्थिव पावं परियलइ एत्थ को हेऊ । अह भणसि सहावो च्चिय साहसु ता केण सो दिवो ॥ पच्चक्खेण ण घेप्पइ किं कजं जेण सो अमुत्तो त्ति । पञ्चक्खेण विउत्ते ण य अणुमाणं ण उवमाणं ॥ अह भगसि आगमेणं तं पुण सवण्णु-भासिये होज । तस्स पमाणं वयग जइ मण्णसि तो इमं सुणसु ॥ पडण-पडियरस धम्मो ण होइ तह मंगुल भवह चित्तं । सुद्ध-मगो उण पुरिसो घरे वि कम्मक्खयं कुणइ । तम्हा कुणह विसुद्ध चितं तब-णियम-सील-जोएहिं । अंतर-भावेण विणा सव्वं भुस-कुटियं एयं ॥" $१०९) एवं चणिसामिऊण माणभडो विउडिऊण माण-बंधं णिवडिओ से भगवओ धम्मणंदणस्स चलण-जुवलए। भणियं च ण । 'भगवं 33 1) महा for कहं. 2) F घिद्धी, J तहया for आयर. 3) P जीए अप्पो, P तीय for तीए, P om. मए, ' सन्चुरिस, P समवूढं. 4) P सिलका, P एरिसं, J दटुं हुइ, P सियसकर निय ।.5) ता उण, P मओ for मह, P करणीयं ति, तो for किं. 6) P सप्तहुतं. 7) J जत्तं कालं P जुत्तकालं, P कूयाओ, P om. च, P मगपटिओ. 8) P नरयाओंगरयं. 9)P बि पि गुरुवं पे", Pom. पावस्स. Pदाहीय for दाहिद, J सद्धि त्ति (?) Pदि त्ति, P तओ चेय दाणाओ. 10) 'पुहरमंडलं, तत्थ for पत्थ. 11) J मिलियालए, P मिलिएलय कोढियवलक्खइए दीणदगार्य, P मंडहय. 12) P -नासियताटियकन्नप, J देविय for देसिय, Fलेदारिय, P गुम्मलियाभोय. 13) P माउपीउ, P om. सो सो, P चिय for वि, P मिलियलओ, P तत्थ for तेत्थु, मिलिएलय सहसमाणह, Pएकेकाई. 14) J देवा for दे चेवा, J वाहिं for वाहिया, P व for वा, पिर. 15) J वाणारसी गयाणं कोद फिर त्ति, Pom. त्ति, P कहिं उव उत्तुंनओतणए जंपिअहए. 16) Pथाण भराडओ कोढई देइ जो, J कोढई जे देइ, J उद्दालि लोअर्ड, P लोयहं । अण्णेण्ण. 17) P मूलुद्धत्थाणु, J देइ उद्दालइज्ज, J ता for तो, पुण, P कज्ज अणणु कोढएल उ छ । ताणं काई कज्जउ. 18) महाकाल भडारउ छम्मास, P भटारहयह छम्मासे सेव न करइ, P मूलहीण. 19, 'तत्थ for जत्थ, J चिरपरूढ पाउ, J तब्भे for तं मे, J तित्थ, P प्रयागवडे पडियं चिरं. 20) अरे पाव, पाच पुच्छिउं पाए सोहसि, खदुमेलिंदु जद परमायपियवहुकयाई शिपावा, J माई पिर. 21)P फिट्टति before गंगा, पिडियं, Jणासह त्ति. 22) Pच निमयं, दतं च सोऊण, Pता अलं माइपियवइपावमहासंतत्ता. 23) Jअत्तागं, P अत्ताणयमि भजिमो, होउ, वितियंतो. 24)Jएय for एयं. 25) Jइमं विमूढ- 26) J पडिअस्सइ गिरि, P महिह (ड्ड) for अट्रि. 27) सिस्थिव. 28)Jकजे. विउत्तो. 29) Pभणि for भणसि. P होज्जा. P repeats वयणं. 30) P पडणवडियरस, P जइ for तह, "कह वि for भवइ, Pवि पावक्खयं करइ. 31) P जोगे हिं, Pसम्वं तुसमुट्ठियं एय. 327 एयं च, P विउट्ठिऊण, माणवधं माणबंधे, Pसेस भगवओ. P जुवणए. 33) J तेण for णेण. Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया 1 दुक्ख-सय-णीर-पूरिय-तरंग-संसार-सागरे घोरे । भव्व-जण-जाणवत्तं चलण-जुयं तुज्झ अल्लीणो ॥ जं पुण एवं कहियं मह वुत्तंत तए अपुण्णस्स । तं तह सयलं वुतं ण एत्थ अलियं तण-समं पि ॥ 3 ता तं पसियसु मुणिवर वर-णाण-महातवेण दिप्त । पाव-महापंक-जलोवहिम्मि धारेसु खिप्पंतं ॥' __ भणियं च गुरुणा धम्मणदणेणं । 'सम्मत्तं णाण तवो संजम-सहिया. ताई चत्तारि । मोक्ख-पह-पवण्णाणं चत्तारि इमाई अंगाई ॥ 6 पडिवज्जइ सम्मत्तेण जं जह गुरु-जगेण उवइटुं । कजाकजे जाणइ णाण-पईवेण विमलेणं ॥ जे पावं पुव्व-कयं तवेण तावेइ तं गिरवसेस । अण्णं ण ण बंधइ संजम-जमिओ मुणी कम्मं ॥ ता सयल-पाव-कलिमल-किलेस-परिवजिओ जिओ सुद्धो । जत्थ ण दुक्खं ण सुहं ण वाहिणो जाइ तं सिद्धिं ॥' 9 इमं च सोऊण भणिय माणभडेणं । 'भगवं, कुणसु मे पसायं इमेहिं सम्मत्त-णाण-तप-संजमेहिं जइ जोग्गो' त्ति । गुरुणा वि णाणाइसएणं उवसंत-कसाओ जाणिऊण पव्वाविओ जिग-बयण-भणिय-विहीए माणभडो ति ॥॥ ६११०) भणियं च पुणो वि गुरुणा धम्मणंदणेण । 12 'माया उब्वेययरी सजण-सस्थम्मि जिंदिया माया। माया पावुप्पत्ती वंक-विवंका भुयंगि व्य ।। माया-परिणाम-परिणओ पुरिसो अंधो इव बहिरो विव पंगू इव पसुत्तो विय अयाणओ विय बालो विय उम्भत्तो विय भूय-गहिओ इव सव्वहा माइल्लो । किं च । 15 सजण-सरल-समागम-बंचण-परिणाम-तग्गय-मणाए । मायाए तेण मुणिणो णरणादण अप्पयं देति ॥ माया-रक्खसि-गहिओ जस-धण-मित्ताण णासगं कुणइ । जीयं पि तुलग्गं मिव णरवर एसो जहा पुरिसो॥' भणियं च णरवइणा 'भगवं, ण-याणिमो को वि एस पुरिसो, किं वा इमेण कयं' ति । भणिय च धम्मणंदगेण गुरुणा। 18 "जो एस तुज्झ वामे पच्छा-भायम्मि संठिओ मज्झ । संकुइय-मडह-देहो मंदो कसण-च्छवी पावो ॥ जल-बुब्बुय-सम-णयणो दिवो जो कायरो तए होइ । णिज्झाइ य गच्छतं बगो व्य जो कुंचिय-ग्गीओ ॥ कम-सजो मज्जारो माया इव एस दीसए जो उ । माया-मोण एएण जे कयं तं णिसामेहि ॥ १११) अस्थि बहु-गाम-कलिओ उज्जाण-वणंतराल-रमणिज्जो । आढत्त-महाभोजो भोज-सउग्गीय-गोजयणो ॥ 2 जो य रेहइ णिरंतर-संठिएहिं गामेहिं, गामई मि रेहति तुंग-संठिएहिं देव-कुलेहि, देवउलई मि रेहति धवल-संठिएहिं तलाएहि, तलायई मि रेहति पिहुल-दलेहिं पउमिणी-संडेहिं, पउमिणि-संडई मि रेहंति वियसिय-दलेहिं अरविंदेहिं, 24 अरविंदई पि रेहति महु-पाण-मत्त-मुइय-महुयर-जुवाणएहिं ति । ___ इय एकेक्कम-सोहा-संघडिय-परंपराए रिछोली । जम्मि ण समप्पइ च्चिय सो कासी णाम देसो त्ति ॥ तम्मि य णयरी अइ-तुंग-गोउरा कणय-घडिय-वर-भवणा । सुर-भवण-णिरंतर-साल-रोहिया सग्ग-णयरि व्व ॥ 7 जहिं च णयरिहिं जणो देयणओ अत्थ-संगह-परो य, कुणति विलासिणीओ मंडणई अमय-वियारइं च, ण सिक्खविज्जति? कुलयण-लजियवई गुरुयण-भत्तिओ य, सिक्खविजति जुवाणा कला-कलावई चाणक-सत्थई च । अवि य । जा हरिस-पणय-सुरवइ-मउड-महा-रयण-रइय-चलणस्स । वम्मा-सुयस्स जम्म-णयरी वाणारसी णाम ॥ 30 ११२) तीय य महाणयरीए वाणारसीए पच्छिम-दक्खिणे दिसा-विभाए सालिग्गामं णाम गाम । तहिं च एको 3 वइस्स-जाई परिवसइ गंगाइच्चो णाम । तम्मि य गामे अगेय-धण धण-हिरण-सुधा-समिद्ध-जगे चिसो पेय एको जम्म दरिदो । कुसुमाउह-सरिसमसारेस-रूव-पुरिसयगे वि सो च्चेय एको विरूभो । महु-महुर-थयण-ग्गाहिरे वि जणम्मि सो चेय 33एको दुव्वयण-विसो। सरय-समय-संपुण्ण-ससि-सिरी-सरिस-दसण-सुहस्स वि जणस्स सो चेय एको उब्येयणिज-दसणो 13 1) भवजलहि for भवजण. 2) p अउण्णरस, P वत्तं for वत. 3) | om. महा, ) जलोयहि गम्मि , ।' खुप्पत. 5) Jसंजमस मियाई. 6) JP जहा, "गुरुयणेण, कज्जाकजसं. 8) J सयलकलिकिलेस, जीउ, तत्थ for जत्थ, सुक्ख for दुक्खं. 9) P भणियं for भगवं, Jom. मे, P नाणसाव. J जोगो. 's for वि. 10) णाणाईसएणं, J पवाविओ, P माणमढो त्ति । प्रवजितो माणभट । भणियं. 11) P om. च, P om. गुरुणा. 12) Jऊब्धेवयरी, J पातुपत्ति 131 1 अंधी इवा बहिरो विवा पंगू इवा, P बहिरो श्व पसू, विय पसुत्तो, Pइव for विय thrice, Pउम्मत्तओ. 14) P भूयगहिलो, P माइलओ। किंचि. 16) जीयं च तलगंगीनरवर. 17) J भय, एमे for इमेग. 18) JP वामी, र कसिणच्छवी. 19) P जिट्टो for दियो, र पेच्छतो, किंचियग्गीवो. 20) Pमायामपण. P निसामेह. 21) J भोजसयागीय, P गोजइणो. 22) J गामइम्मि, P गामाइंमि चिय रहिंति, Jom. रेहंति, P देवउलेहि देवलई चिय रेइंति तलसिंठिएर तलाएहिं तलाई चिय रेइंति. 23) Pसंबई वि, P अरवंदेहिं. 24) Pमश्य for मध्य. J जवाणेदि. 26) Jणारीए नयराए or णयरा, J गोपुरा. 27) Pजेहं चिय for जहि च, P मंडणई मयणवियारियं च सिक्खंति कुल'. 28) P भतिय सिमख,"जुवाणकला, P माणिक for चाणक, P om. अवि य.29) P नरवर for सरबह, Jणामा. 30)"om. य, ।' दिसाभाग. 31) 'वहसजाई, P om. य, 'अण्णेय, J Om. सुबण्ण, 'समिद्धे जिणे सो. 32) कुसुमसरिस,Join. "मसरिस, 'पुरिसया , 'चय एका, P'गहिरे, P व for वि, P om. जणम्मि, P सो चिय. 33) J सरयसमय सण, सो चय. Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ –$११४ ] कुवलयमाला ५७ 1 सरस-सरल-संलाबि पि सो को जरड-कुरंग-सिंग-भर-भंगुर-जैपिरो वण-मेनुववारि-दिष्ण जी विवाणं पि मझे 1 सो पेय कग्यो सम्बहा सण सब संकुले वितम्मि गाने सोचएको दुलो ति तरस व वारियरस असंवद्र 3 पलविंग कयस्स मिस्त्र निण्णस्स णिविवस्त्र गिरणुकंपस्थ बहु-जग- पुणरुत-विप्पल-जणस्स समाण- गाम अ जुवाणएहिं बहुसो उबलक्खिय- माया-सीलस्स गंगाइच्चो त्ति अवमण्णिऊण मायाइच्चो कथं णामं । तओ सव्वत्थ पट्टिय सदा च बहुसो जो उवह मायाइयो मायाइयो त्ति सो उण णरवर, इमो जो मए तुन्दा साहियो थि। मह तम्मि पेय ● गामे एको वाणियम पुण्य परियलिय विवो धाणू णाम तरस तेण सह मावाइचेण कवि सिनेहो संलग्गो । सो य सरको मिउ-मवो दयाल कयण्णू मुझे अचल कुलुमाओ दीण बच्छतो चि वहां निरीय-सी-वापि अवशेष्यरं देव-वसेण बहु-मण-सय-पडिसेहिनमाणेणावि अन्त्तनो चित्त-परिया कया मेती । भवि व सुयणो ण याणइ चिय खलाण हिययाइँ होंति विसमाई । अत्ताण-सुद्ध-हिययत्तगेण हिययं समप्पेइ ॥ जो खल- तरुयर - सिहरम्मि सुबइ सब्भाव णिडभरो सुयणो । सो पडिओ चिय बुज्झइ अहव पडतो ण संदेहो || १३) एवं च वर्ग सजण दुजणाने सम्भाव-कवण निरंतरा पीई व पत्ता अष्णम्मि दियहे बीसत्था12 लाव - जंपिराणं भणियं थाणुणा । 'वयस्स, .5 24 धम्मयो कामो वि व पुरिसत्या तिथि निमिया होए। वाणं जस्स ण एकं पि तस्स जीवं भजीय-समे ॥ अम्हाण ताव धम्मो णत्थि च्चिय दाण-सील-रहियाणं । कामो वि अत्थ-रहिओ अत्थो वि ण दीसए अहं ॥ ता मित्त फुडं भणिमो तुलग्ग-लगगं पि जीवियं काउं । तह वि करेमो अर्थ होहिइ अस्थाओ से पि ॥' भणियं च माबादचेण 'जइ एवं मित्त, ता पयट्ट वाणारसिं बच्चामो तत्थ जूयं खेलियो, खतं खणिक पं मूसिमो हि डिनो कुरो जग बंचिमो सम्वहा वहा वहा कुणिमो जहा जहा अय-संपत्ती होहिद' ति । 8 एवं च विसामिण महा-ईद-दंत-वल-जमलापुर्ण विय तस्यरेण पर्कपियाई कर-पलवाई थागुणा । भणिदं च गेण । अच्छा णीसंकं मद्द पुरओ परिसं भणितं ॥' तोडिमो, 18 'तुज्झण जुन एवं हियपूर्ण मित्त ताव चिंते एवं च भणिएण चिंतियं मायाइचेगं 'अरे अजोग्गो एसो, ण लक्खिओ मए इमस्स सब्भावो, ता एवं भणिस्सं' । हसिऊण भणिदं च णं णाहि यहि परिहासो भए फल मा एथ पत्तियायसुचि अत्योवार्थ पुण तुमं भणिहिसि 21 करेहामो' ति । भणियं च धाणुणा । , 17 'परिहासेण वि एवं मा मिस तुम कपाइ जपेजा। होइ महंतो दोसो रिसोर्ट एवं पुरा भणिर्य ॥ अत्थस्स पुण उवाया दिसि गम होइ मित्त करणं च । णरवर-सेवा कुसलत्तणं च माणष्पमाणेसुं ॥ धाउब्याओ मतं च देवयाराहणं च केसि च । सायर-तरणं तह रोहणम्मि खणणं वणिज्जं च ॥ विच कम्मं विजा-सिध्याएँ व रुवाई | अत्यस्स साहयाई अणिदियाई एवाई ॥ १४ ) ता वचिमो दक्खिणावहं । तत्व गया जं देख-काल-बेस-तं करिदामो' ति सम्मं मंतिऊण अण्णम्मि 27 दिय कय-मंगलवारा आउच्छिऊन सयण द्वि-ब गयि पच्छयणा णिग्या दुवे तिथ अय-गिरि-सरिया सबसंकुलाओ अडईओ उल्लंघिऊण कह कह वि पत्ता पइद्वाणं णाम णयरं । तहिं च णयरे अणेय घण घण्ण-रयण-संकुले महा10] सग्ग-गयर सरिसे णाणा-वाणिलाई कमाई, पेसणाई करेमा कह कह दिएकेक मेहिं बिताई पंच पंच सुवण-सह- 30 स्साइं । भणियं च णेहिं परोप्परं । 'अहो, वित्तं अम्हेहिं जं इच्छामो अत्यं । एवं च चोराइ उवद्दवेहिं ण य ोउं तीरह सस हुतं तातं इमेण अत्येण सुवण्ण-सहस्स-मोलाई रवणाई पंच पंच हिमो ताई सदे गयाणं सम-मोहाई 13 अदिय-मोलाई वा वचाहिं ति भणिऊण गहिये एकेर्क सुवण्य-सदस्य मोह एवं च एवाई के पंच पंच रयणाई | 33 " for कपडे, पीनी पडओ for वढि बिवनिरंतरा 1) सरलसरस र सो चेष, Po.. एको, Pom. भर, P मे तूवयरी, Pom. मज्झे सो चेय ete to तस्य य तारिसस्प 3) यदि मिक्सिस्स निरण्युपस्स, विप्पलुद्ध उ माया" सोक for सोउण, P चेव 6 ) P संपग्ग 72 कुलगाओ, सीलरयणाणं, P अवरोपहरं देववसेग. 7) सीमा अवरोसे 8 ) P अपणो चिय पडिसुद्धयाए. 1011) पीइं जंपि 13 P पुरिसत्थो 14 ) P तम्हा न for अम्हाण. 15 ) जर जिअ for जीवियं, P जीविउं for जीवियं, P अत्थो होही. 16 ) Pom. च, P खेलिमो, P कण्णं. 17 ) मुसिमो, P छिंदिनो for हिण्णिमो, Pom. one तद्दा, होहिति त्ति. 18) तरुवरेग, P तरुयरेगं एवं पियाई करयलपलवालई. 19 ) P हियएण वि ताव मित्त चिंते. 20 P मणिऊण, J लक्खितो. 21 ) Jom. त्ति, अत्थोपायं जंण पुण तुमं, P एत्थोपायं पुण जं तुमं भणसि तं. 23 ) P एयं सा मित्त. 24) P उण 25 ) " मंत देव, केसि चि for च केसिंच. 26 > P सवाई ग, P साहणाई. Jom. अर्गदियाई च. 27 ) P गयाणं जमं कालदेसवेसजुत्तं तं करीहामो त्ति समं. 28 ) P सयलनिद्धवग्गो गच्छिहिय, Jपच्छेया for पच्छयणा, P सिरि for गिरि29 > P विलंधिऊण, P नयणं for णयरं, Jom. णयरे, Pom. अणेय, Jom. घण्ण. 30 J वणिज्जाई, P वरणिज्जाई कम्मं च करेमाणेहिं पेसणेण कह. 31 ) Pom. अहो, P जहिच्छाए for जं इच्छामो, P एवं च चोराउद्दवेहिं, P तीरइ विसयाहुतं. 32 ) J ततो for ता तं, rom one पंच, सरसं गयाई, P सरिस for सम, सममोलाई चकित 33 ) P वचीहिंति आई for एयाई, ए पंचपं for second पंच. 8 9 12 15 24 Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८ उज्जोयणसूरिविरइया [$११४ i 9 1 ताईं च दोहि मि जगेहिं दस वि रवणाई एक्कम्मि चेय मल-धूली- धूसरे कपडे सुबदाई । कथं च णेहिं वेस-परियतं । 1 कयाई मुंडावियाई सीसाइं । गहियाओ छत्तियाओ । लंत्रियं डंडयग्गे लावुयं । घाउ-रत्तयाई कप्पडाई । विलग्गाविया सिक्कए 3 करंका । सम्या विरओ दूर- वित्ययत्तिय वेलो ते य एवं परियत्ति बेला अलक्खिया चोरेहिं भिक्खं भ्रममाणा पयट्टा । कहिंचि मोले कहिंचि सागारेसु कर्हिचि उद-रत्वा भुजमाणा पत्ता एकम्मि संणिवेसे तत्थ भणियं वागुणा 'भो भो मित्त ण पारेमो परिसंता भिक्ख भमिकर्ण, ता अन मंडए कारावेडं आहारेमो ́ भगिंय च माषाइभेगे 'जइ एवं ता 6 पवस तुमं । अहं समुज्जु ण-पाणिमो कय-विक्रयं तुमं पुण जागसि । तुरियं चतए भगत थे। भणियं च थाणुणा 'एवं होउ, किं पुण रयण-पोत्तडं कहूं कीरउ' त्ति । भणियं च मायाइचेण 'को जागह पर पट्टणाण थिई । ता मा अवाओ को वि होहि त्ति तुह पविट्ठस्स मह चेव समीवे चिट्ठउ रयण- कप्पड' ति । तेण वि एवं भणमाणेण समपियं तं रयण-कप्प | समपिऊण पचिट्टो पट्टणं चिंतियं च मावाइये। 'अहो, इमाई दस रयणाई ता रथ महं पंच जइ पुण एवं कर्हिचिज वा दस विमहं चैव हवेज' ति चिंतयं वस्स बुद्धी समुप्पण्णा 'दे घेतृण पलायामि। जहवा ण महंती वेला गयस्स, संपर्यं पावइति । ता जहा ण-याणइ तहा पलाइस्सामि' त्ति चिंतिऊण गहिओ णेण रच्छा-धूलि धूसरो अवरो 12 वारिसो पेय कपडो बिदाई लाई रयणाई | तम्मि य चिरंत स्व-कपडे विदाई तप्यमाणाई बट्टाई दस पाहाणाईं । तं च तारिसं कूड कवर्ड संघर्डतस्स सहसा आगओ सो थाणू । तस्स य हलफलेण पाव-मणेण ण णाभ कत्थ परमत्थ-रण- कप्पडो, करथ या अलिब-रयण-कप्पो ति तभो णेण भणियं 'वयंस, फीस एवं समाउलो ममं दहति । 15 भणियं मायाइणं । 'वयंस, एस एरिसो अत्थो णाम भओ चेय पञ्चक्खो, जेण तुमं पेच्छिऊण सहसा एरिसा बुद्धी जाया 1 'एस चोरो' ति । ता इमिणा भएणं अहं सुसंभंतो' । भणियं च थाणुणा 'धीरो होहि' त्ति । तेण भणियं 'वयंस, गेह एवं रयण-कप्पड, अहं बीहिमो । ण कर्ज मम इमिणा भएण' त्ति भणमागेण अलिय-रयण-कप्पडो त्ति काऊण सच्च रयण18 कपडो वंचण बुद्धीए एस तस्स समपिओ । तेण वि अवियप्पेण चेय चित्तेण गहिओ । अवि य, 1 18 वंचेमि त्ति सयं वग्घी अलियइ मय- सिलिंबस्स । अणुधाइ मय- सिलिंबो मुद्दो थणयं विमग्गंतो ॥ ११५) तो च समुज्ज्य- हियवं पाव-हियएण वंचिग भणियम गेण 'वयंस, वच्चामि श्रहं किंचि अंकि 21 मग्गिऊण आगच्छामि' त्ति भणिकण जंग तंग, ण वि तह इमेण व जोयणाई बारस-मेत्ताई दियहं राई च गंण णिरूवि णेण रयण-कम्पई जाय पेच्छ ते जे पाहाणा राज्य बढ़ा किरकिप्पडे सो चेय इमो अडिय-रनकपडो । तं च दण इमो चिनो इस चिनो इन पदओ इव तत्यो इव मत्तो इन सुणे इव मनो इव तहावि भणा । 1 चितिवं च गेय 'अहो, एरिसो भई मंदभाग 1 24 क्सणी महंत मोहमुगाओ। खयमेतं च अणि समासो मए चिंतिये किर एवं चिम जान अहमेव वेचिलो' । भवि य जो जस्स कुणइ पार्व हिय वि कह वि सूद-मणो । सो तेणं चिय हम्मद परफिडि व सरेण ॥ 27 चिंतियं च णेण पाव- हियए । 'दे पुणो वि तं वंचेमि समुज्ज्य - हिययं । तहा करेमि जहा पुणो मग्गेण विलग्गइ' सि चिंतयंतो पयट्टो तस्स मग्गालग्यो । इयरो वि थाणू कुलउत्तओ तत्थेव य पडिवालयंतो खणं मुहुतं अपहरं पहरं दिव पि जाव ण पत्तो ताव चिंतिउं पयत्तो । 30 'अव्यो सो मह मित्तो कत्थ गओ णवर होज्ज जीय-समो । किं जियइ मओ किंवा किं वा देव्वेण अवहरिओ ॥' तं च वितिकण भण्णेसि पयत्तो कत्थ । रच्छा- चउक्क-तिय-चच्च रेसु देवउल तह तलाए 33 जया एवं पि गवेसमा गेण ण संपत्तो तया विलविडं पयत्तो । । सुष्ण-घरेसु पवासु य आराम-विहार-गोट्ठेसु ॥ 1 ) P ताई दोहिं निजणेहिं, P एकम्मी, धूलि, P बद्धाई for सुबढाई, Jom. कथं, Jom. वेस परियतं 2 ) Pom, कयाई, मुंडावि सिरं, Pछत्तीओ, P दंडगे, 3 घाउरतया P धाउरत्ताई, कप्पटाई च. 3 ) P विरिइओ P ते एवं, P चोरिहिं, Jom.] पयड्डा. 4 ) Jom. कहिं चि उद्धरत्थातु, पयत्ता for पत्ता. 5 ) P मंडवे काराविडं. 6 ) P पविस तुमं, J om. तुमं. J अहमुज्जुओ P समुज्जओ. 7) पुणे इमं रयण, रयणपोत्तकप्पडं कह, P जाणउ परपट्टगाणं का वि द्वीति । 8 ) P को तुह होइ तुह 9 ) P adds य before पविट्ठो, P जइ उण अहं कर्हिचि 10 J वंचेजा, दस वि चैव मह् हवेज्ज ति चितियंतस्स 11 ) Pom. गयस्स, ता for तहा, P पलाइस्सं ति. 12 ) P चेव कपडो । बज्राई, 13 > P -कवडं घडें तरस, थाणुं, हल्लम्फलेण, पावमाणेण, P om. ण. 14 ) परमत्थप्पडो, before माया, Pom. एन. 16 ) P ससंतो, P होहिय त्ति, P गेण्ह for वयंस. 17) बीहोमो 18 J om. एस. 19 ) अणुद्धा. 20) भणिअं अण. P दियहराईए गंतूण. 22) पेच्छे, ते पाहणा तत्थ किर बद्धा, P कपडो P ओड इव, अणाविक्खणीयं. 24 ) P महंत, P चिय for च, P एरिसं मंद हियण, P केण for कह, P मोहमूद. 27 ) पुणे for पुगो, उ 28 ) P पट्टो, थाणुं P धाण, I om. य, पडिवालयंता, P अद्वपहरं. मओ वा. 32 > J inter. तिय and चउक्क, P चउक्के for तलाएसुं. दसप्पहाणाई " दसपाहणारं. व for वा. 15) च add a before 3, P 21 P तं गओ जंगओ, गंतूण for इमेण य, 23 ) Pom. लुंचिओ इव, "दड्डो for तत्थो, 25 ) Pचितियं एयं किर वंचेमि. 26 ) वंचेमित्ति समुजाय, P समुज्जय, Padds वि after पुणो. 29 ) P णो for ण. 30 ) सो कोइ मह, P जीयह 33 ) Jom. पि. J 蹢 Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६११७] कुवलयमाला तुरियं ॥ 1 'हा मित मित्त-बच्छल छल-पत्रिय जिय- जियाहि वास सर्व कत्थ गो काय गमो पविव देस अन्वो केइ दिट्ठो सरल-सहाओ गुणाण आवासो । मज्झ वयंसो सो सो साहसु वा केण वा दिट्ठो ॥' 3 एवं व विलवमाणस्स सा राई दियहो य अइकंतो । राईए पुण कहिं पि देवउले पडिऊण पत्तो । राईए पच्छिम जामे केण वि गुज्जर-पहियएण इमं धवल दुवहयं गीयं । अवि य । जो वि विहुरे विभज्जणउ धवलउ कढइ भारु । सो गोटुंगण -मंडणउ सेस व्व जं सारु ॥ 6 इमे च गिजमाणं सोऊण संभरिया मा गाहुलिवा थागुणा । पिय- विरहे अप्पिय-दंसगे य अत्थक्खए विवत्तीसु । जेण विसण्णा ते चिय पुरिसा इयरा पुणो महिला ॥ ता एत्थ विसानो ण कायम्बो सम्पदा जइ कहिंचि सो जीवद् तो अवस्सं गेहूं आगमिस्स । अह ण जीवइ, वो तस्स य 9 माणुसणं समुप्पेस्सं रयणाणि ति चिंतिकण पयट्टो असणो णयराभिमुो, वचमाणो कमेण संपतो णम्मबा-तीरं ताव सो त्रि माषाइलो बिलक्यो दीण-विमणो भट्ट-देह-लच्छीओ संपत्तो पिट्टो दिले गेण । दहूण व पसारिओोभय-बाहुणा गहिंओ कंठे रोर्ड पयो । 12 हा मित्त सरल सज्जण गुण-भूसण मज्झ जीय वर-दइय । कत्थ गम में मोत्तुं साहसु ते किं व अणुभूयं ॥ 1 ११६) इमो वि कवड-कय-रोवणो किं पि किं पि अलियक्खरालावं रोइऊण गाढयं च अवगूहिऊण उवविट्ठो पुरम, पुच्छिओ थाणुणा । 'भणसु ता मित्त, कत्थ तुमं गओ, कत्थ वा संठिओ, किं वा कथं, कहं व मज्झ विउत्तो, जेण 15 मए तहा अण्णेसिजमाणो वि ण उवलहो' ति । भणियं च गड-पडिसीसय-जडा- कडप्प-तरंग-भंगुर -चल-सहावेण इमिणा 15 मायाइच्चेणं । 'वर-वर्षस, णिसुगेसु जं मए तुह विओोए दुख पाविषं वइया गओ तुह सयासाओ अहं घरं परेण भममाणो पनि एकम्म मते पासा तथ मए ण क किंचि तो अच्छउं के पि वेलं णिग्गंतुं पयतो जाब पिटुलो 18 पहाइएहिं रोस- जलण- जालावली-मुज्झतेहि धूमंधयार-कसिणेहिं भीसणायारेहिं जम- दूवेहिं व खुड्डया-पहार- कील-चवेडा- 18 घाय ढंढप्पदारेहिं दम्ममाणो 'किं किमेयं' ति 'किं वा मए कप' ति भणमानो, 'हा मिच, हा मित्त, कत्य तुमं गो, मद्द इमा अवस्थ' ति विलयमाणो तो 'पोरो' वि भणमाणेहिं णीओ एकस्स वम्मि घरे घर-सामिणो सगासं । तत्थ तेण भणियं 21 'सुंदरी एस गहिओ, सो चेय इमो चोरो, जेण अम्हाणं कोंडलं भवहरियं । ता सव्वहा इमम्मि उवघरए णिरंभिऊण 21 धारेह जाव रायडले गिवेएम त अहं पि चिंति पयत्तो। 'अहो, । पेच्छह विहि परिणामं अण्णह परिचिंतियं मए कजं । अण्णह विहिणा रइयं भुयंग-गइ-वंक-हियएण ॥ 24 तमो वयंस, वह हि चोर-कलंकेण जीय-संदेहे । जह तुज्झ विरह- जालोलि-दीवियं जलइ णिडूमं ॥' तो 'अहो अकयावराहो अकयावराहो' त्ति विलवमाणो णिच्छूढो एक्कम्मि घर-कोट्ठए, ण य केणइ अण्गेण उवलक्खिओ 27 तत्थ वयंस, तुद्द सरीरे मंगुलं चिंतेमि जह अण्णहा भणिमो एत्तियं परिचितेमो । जइ होइ णाम मरणं वा कीस जमो इमं विलमे । पिय-मिस-विप्पउत्तस्स मज्झ मरणं पिरमणि ॥ ५९ 9 ) 1) Pom. मित्त, Jom. छल, Pom. जिय, P पडिवयणं for the 2nd कत्थ गओ 2 > P फेण वि, P सहावो, 3 inter. सो सो and साहसु. 3 ) राइ, P उण for पुग, P राईप, Pinter. केण & जामे- 4 ) J - पहिएण, P - दुब्वयं. 5 ) P सज्जणओ (for ज्ज) धवलओ कट्टर भारो, P मंडणओ सेसओ, P तड्डिय for वं जं ( ? ). 7) P इयरे for इयरा. 8) Pपि for चि, आगच्छरिसर, तो तओ तस्स य माणुस्साणं, P om. य. 9 ) P for असो. 10 P पडीओ for पिओ, अब्भणो अत्तणो. P पसारिणोभयवाहुणा. 11) P राइड 12 ) P मज्झ हिययदश्या 1, J अणुहूअं 13 ) P - रोइणो, रोतृण गाढं अब.. 14) P आ for ता, J कत्थ व, P कह व 15) P तहा वि, P रुद्धो for उवलद्धो, P मडिणियं for भणियं, P पडिसीसया. 16) P om. णिसुणेसु, P तुहं. 17) P किंपि कालं निग्गंतुं, जा for जाव. 18 ) P पहाविएहिं, P मुज्झत धूमं जमदूएहि, P व खड्डया, P कीड नवेढपायदंड पहारेहिं हंसमागो 20 सयास- 21 ) P एस तए गर्दिओ, P जे गम्हाणं, P उवरए निरुंभिऊण धारेहि. 23) P विहिपरिणामो 25 ) P संदेहो, P अह् for जद. 26 ) विलवमागो for अहो, P om. 2nd अकयावराहो, Pघरं for घर, P अन्त्रेण उ उव. 27 ) P वितेमो । लइ अन्नहा भणिन्नो, P परं for पर 28 ) P होज, P पिवमणिज्जं. 29 ) P सो for सा, P मुमुत्वियस्स. 30 ) P वोलिणो, P मज्झण्मए 31 ) Pom. सुंदरं, Pom. सुंदरि, P पुच्छामो, Padds मह before फुडं. 32) r adds अ before कीस, P om. अहं, J अणावराही 33 ) P उभट्ठा for ओरुद्धा, P काहिहीति for काहिइ, P चोर 12 § ११७) एवं च चिंतयंतस्स गओ सो दियहो । संपत्ता राई । सा वि तुह समागम - चिंता सुमिण-परंपरा-सुह-सुत्थि 30 यस्स शति वोलीना संपतो अवरो दियहो तत्थ मज्झन्द-समए संपत्ता मम भने पेचूर्ण एका मेस-विलया। तीय व 90 ममं पेच्छिऊण सुंदर रूवं अणुराओ दया य जाया । सा य मए पुच्छिया 'सुंदरि, एकं पुच्छिमो, जइ साहसि फुडं' । तीए भणिवं 'दे सामसुंदर पुच्छ वीसर्थ, साहिमो' मए भणियं 'कीस अहं अणवराही गाहियो' त्ति तीए संत्तं 'सुहय, 33 इमाए नवमीए अहं च भोरुद्वा देवयाराहणं काहिइ । तीए तुमं बली की रिहिसि, चोरं-कारेण य गहिओ मिसं दाऊण' | 33 24 27 Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरड्या [६.११७1 तओ सविसेस-जाय-जीविय-भएण Hए पुच्छिया 'सुंदरि, ता को उण मम जीवगोवाओ' ति । तीए भणियं । 'णत्थि तुह । जीवणोवाओ। सामिणो दोज्झं ण करेमो । तहा चि तुम्ह मज्झेण मह महंतो सिगेहो । ता मह वयण णिसुणेसु । अस्थि 3 एक्को उवाओ, जइ तं करेसि'। मए भणियं 'साह, केरिसो' । तीए संलतं 'हिजो णवमीए सव्वो इमो परियणो सह ३ सामिणा हाइडं बच्चीहि त्ति। तओ तम्मि समए एकट्टय-मेत्ते रक्खवाले जइ कवाडे विहडेउं पलायसि, तओ चुक्को, ण अण्णह' त्ति भणंती णिग्गया सा। मए चिंतियं । 'णीहरतो जइ ण दिट्टो, तो चुको । अह दिट्ठो, तो धुवं मरण' ति चिंतिऊण तम्मि 6 दियहे णिक्खंतो । तनो ण केणइ दिटो। तओ मित्त, तम्हा पलायमाणो तुमं अण्णेसिंउ पयत्तो। ताव एक्केण देसिएण 6 साहियं जहा एरिसो एरिसो य देसिओ एक्को गओ इमिणा मग्गेण । एयं सोऊण तुह मग्गालग्गो समागओ जाव तुम पुत्थ दिट्ठो णम्मया-कूले । ता मित्त, एयं मए अणुहूयं दुख, संपयं सुहं संवुत्तं ति । अवि य । ५ मित्तहिँ जाव ण सुयं सुहं व दुक्खं व जीव-लोयस्मि । सुयणाण हियय-लग्गं अच्छइ ता तिक्ख-सल्लं व ॥' एयं च णिसामिऊण बाह-जल-पप्पुयच्छेण भणियं थाणुणा । 'अहो ____ अज चिय जाओ हं अज रयणाई णवर पत्ताई । जं सच-सोक्ख-मूलं जीवंतो अज संपत्तो ॥' 12 8 ११८) एवं च भणिऊण कथं मुह-धोवणं । कयाहार-किरिया य उत्तिण्णा जल-तरल-तरंग-रंगत-मत्त-मायंग-मज्ज- 19 माण-मयरेहाहोय-दाण-जल-णीसंद-बिंदु-परिप्पयंत-चित्तल-जलं महाणई णम्मयं ति । थोवंतरं च जाव वञ्चति ताव अणेय वेल्लि-लया-गुविल-गुम्म-दूसंचाराए महाडबीए पणटो मग्गो भव-सय-सहस्स-गुविल-संचारे संसार-कंतारे अभवियाण पिव 15 णिम्मलो जिणमग्गो। तओ ते पण?-मग्गा मूढ-दिसिवहा भय-वेविर-गत्ता उम्मत्तगा विय अणिरूविय-गम्मागम्मा तं 15 महाडविं पविसिउं समाढत्ता । जा पुण कइसिय । अवि य । बहु-विह-कुसुमिय-तरुवर-कुसुमासव-लुद्ध-भमिर-भमरउला । भमिर-भमिरोलि-गुंजा-महुर-सरुग्गीय-मिलिय-हरिणउला ॥ हरिणउल-णिञ्चल-ट्टिय-दसण-धावंत-दरिय-वण-वग्धा । वण-बग्ध-दसणुप्पित्थ-हत्थि-णासंर-वण-महिसा ॥ 18 वण-महिस-बेय-भजंत-सिंग-सण्हावडत-तरु-णिवहा । तरु-णिवह-तुंग-सदुच्छलत-पडिसुत्त-बुद्ध-वण-सीहा ॥ वण-सीह-मुक-दीहर-परिकुविओरल्लि-हित्थ-हस्थिउला । हुत्थिउल-संभमुम्मुक्क-भीम-सुकार-कुविय-वण-सरहा ॥ वण-सरह-संभम-भमंत-सेस-सय-सउण-सेण्ण-बीहच्छा। सउग-सय-सावयाराव-भीम-सुव्वंत-गरुय-पडिसहा ।। अवि य । कहिंचि करयरेंत-वायसा कुलुकुलेंत-सउणया रणरणेत-रण्णया चिलिचिलेंत-वाणरा रुणुरुणत-महुयरा धुरुधुरुंतवग्घया समसमेंत-पवणया धमधमेंत-जलणया कडकडेंत-साहिया चिरिचिरेत-चीरिया दिट्ठा रण्णुद्देसया। अवि य । A बहु-वुत्तत-पयत्तिय-भव-सय-संबाह-भीम-दुत्तारं । संसाराडइ-सरिसं भमंति अडई अभविय व्व ॥ ६११९) तओ एवं च परिभमंताण तम्मि समए को कालो वहिउँ पयत्तो । अवि य । वित्थिण्ण-भुवण-कोट्टय-मज्झ-गयं तविय-पवयंगारं । उय धम्मइ पवणेणं रवि-बिंब लोह-पिंडं व ॥ श सयल जण-कम्म-सक्खी भुवणभंतर-पयत्त-वावारो । गिम्हम्मि रवी जीए कुविय-कयंतो व्च तावेइ ॥ एयारिसे य गिम्ह-समए वहमाणे का उण चेला वहिउँ पयत्ता । अवरोवहि-वेला-वारि-णियर-तणु-सिसिर-सीयरासत्ता । णहयल-गिरिवर-सिहरं रचि-रह-तुरया वलग्गति ॥ 30 सिसिर-णरिंदम्मि गए दूसह-घण-सिसिर-बंधण-विमुक्को । तावेइ अवर-णिकरे संपइ सूरो णरवइ व्व ॥ 18 1) सुंदरी, P ता का मम जीवणोउवाउ, P तुम for तुह. 2) I om. ण, P वि ममं तुज्झ मज्शेण महतो, " महं. 3) P होज्जा णवमी सव्वो. 4) J सामिणो, I बच्चीहिति P बचिहिसि, P तंमि ससए एकंदुयमेत्ते, P जइ वाडे विहटाविलं. 5) P भणि for भणंती, J जइ णिक्खतो ता चुक्को, P om. ति. 6) P ता for ताव. 7) J सो for एयं सोऊण, P तुमं न दिलो एत्थ नम्मया. 8) P एवं for एयं. 10) J-पप्पुअच्छेग, P adds a before थाणुणा. 12) Pएयं for एवं, P कयमुहधावणकयाहारा तुरिया, I जलयरतरंग. 13) Pमयरहाधाय, चित्तलजला महागइणम्मय, P मलं for जलं, Pom. च, P तावय, J ताव अणय. 14) J गुहिल, P दुस्संचारा महादईए, उ पणट्ठमग्गा, Pom, सय, I गुहिल, 7 संसारे. 15) तेग for ते, P मूढदिसि बिहाया भयः, P उम्मत्तगो विय निरूविय, Pom.तं. 16) Pमहाडई, पुण केसिया. 17) Pकुसुमयत रुयर, Jom. भमिर, P भमिरोल-, P सरग्गीय. 18) P धोवंत, Pदसणुविच्छ, J मत्त (on the margin) for हत्थि. 19) P मेयमजतसंग, णिवट्ठ for णिवह, P भत्तु for तुंग, P वणसीह. 20) सभमुमुक्क न संभममुक्क, J सहरा for सरहा. 21) J सेस for सेससय, 1 वीरुच्छा for बीहन्छा. 22) P करयरंत, Jadds कहिंचि before कुलकुलेंत, P रुणरुणतभमरया, J धुरुधुरेंत. 23) 'कटयडंत, Pरण्णुदेसिया, J om. अवि य.24) Pबुहु for बहु. 26) विच्छिन्नभवण, पिण्डब. 27J सयल जल सयजण, जीवे for जीए. 28) Pom. य, P गिण्हसमए का उण. 29) Pअवरोअहि. 30) तावेद य धरणिधरो संपर, नरिंदो for णरवर. Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -$ १२०] कुवलयमाला 1 बालो दसण-सुहवो परिवतो तवेइ कह सूरो । सव्वो च्चिय गुण वणे जोव्वण-समयम्मि दुप्पेच्छो । तओ एयम्मि एरिसे समए वहमाणे ते दुवे वि जणा दूसह-रवि-किरणपरद्धा अहो-गिम्ह-तत्त-वालुया-डज्झमाणा दूसह-तण्हा3 भर-सूसमाण-तालुय-तला दीहद्धाण-खेय-परितत्ता छुहा-भर-क्खाम-णिण्णोयरा मूढ-दिसिवहा पण?-पंथा पुलिंद-भय-वेविरा ३ सिंघ-वग्घ-संभंता मयतण्हाजल-तरंग-वेलविजमाणा जं किंचि णिण्णयं दट्टण जलं ति धावमाणा सम्वहा अणेय-दुक्ख-सय संकुले पविट्ठा तम्मि कतारे इमं पिण-याणति कत्थ वञ्चिमो, कत्थ वा आगया, कहिं वा वहामो त्ति । एयम्मि अवसरे 8 बहु-दुक्ख-कायर-हियएणं भणियं थाणुणा । मित्त-गरुय-दुक्ख-भर-पेल्लिजमाण-हियवओ भणिउं पयत्तो। 'ओसरह य मे 6 छुहा-तणु-उदरस्स दढ-ब द्वो वि णियंसणा-बंधो। ता इमं रयण-कप्पडं गेण्ह, मम कहिंचि णिवडिहइ त्ति । ता तुम चेय गेण्हसु, जेण णिव्वुय-हियओ गमिस्सं' ति । चिंतियं च मायाइच्चेण । 'अहो, जं मए करियव्वं तं अप्पणा चेय इमिणा कयं, समप्पियाई मज्झ रयणाई । ता दे सुंदरं कयं । संपयं इमस्स उवायं चिंतिमो' त्ति णिरूवियाई पासाई जाव दिट्ठो अणेय- 9 वरिस-सय-सहस्स-परूड-साहा-पसाह-विस्थिण्णो महंतो वड-पायवो । वालेया य तं चेय दिसं । जलं ति काऊण संपत्ता कहकह वि तत्थ, जाव पेच्छति । अवि य, ? तण-णिवहोच्छइय-मुहं ईसिं लक्खिजमाण-परिवेढं । विसम-तडुट्टिय-रुक्ख गहिरं पेक्खति जर-कूचं ॥ 12 ___ बंधुं पिव चिर-णटुं रजं पिव पावियं गुण-समिद्धं । अमय-रसं पिव लद्धं द8 मण्णंति जर-कूवं ॥ पलोइयं च णेहिं सव्वत्तो जाव " कहिंचि पेच्छंति रज्जु अण्णं वा भंडयं जेण जलं समाहरंति कूवाओ । तओ चिंतिय 5 इमिणा दुटु-बुद्विणा मायाइचेणं । 'अहो सुंदरो एस अवसरो। जइ एयम्मि अवसरे एवं ण णिवाएमि, ता को उण 15 एरिसो होहिइ अवसरो त्ति । ता संपयं चेय इमं विवाडेमि एत्थ कूवे, जेण महं चेय होंति दस वि इमाई रयणाई'। चिंतयंतेण भणिओ थाणू इमिणा मायाइच्चेणं । 'मित्त, इमं पलोएसु । एत्थ जुण्ण-कूवे के-दूरे जलं ति, जेण तस्स पमाण } वेल्ली-लया-रज्जू कारेमि' त्ति । सो वि तवस्सी उज्जुओ, एवं भणिओ समवलोइउ पयत्तो जुण्ण-कूवोवरं । इमिणा वि माया- 18 इच्चेण पाव-हियएणं माया-मूढ-मणेणं अणवेक्खिऊण लज, अवमाणिऊण पीई, लोविऊण दक्खिणं, अवहत्थिऊण पेम्बे, अयाणिऊग कयण्णुत्तण, अजोइऊण परलोयं, अवलोइऊण सजण-मग, सब्बहा मायाए रायत्त-हियएण णियं णोलिओ । इमिणा सो वराओ । णिवडिओ सो धस त्ति कूवे । पत्तो जलं जाव बहु-रुक्ख-दल-कट्ठ पूरियं किंचि-सेस-जंबालं दुग्गं व 1 थोय-सलिलं पेच्छह कूचोदरं थाणू । णिवडिओ य तम्मि जंबाले, ण पीडा सरीरस्स जाया । १२०) तओ समासस्थेणं चिंतियं णेण थाणुणा । अब्बो, । पढम चिय दारिदं पर-विसओ रण्ण-मज्झ-परिभमण । पिय-मित्त-विप्पओगो पुण एवं विरइयं विहिणा ॥ 24 एयं पुण मम हियए पढिहायइ जहा केण विणियं णोलिओ हं एस्थ णिवडिओ । ता केण उण एस्थ अहं णोलिओ होज । अहवा किं एत्थ वियप्पिएण । मायाइच्चो चेय एत्थ संणिहिओ, ण य कोइ अण्णो संभावीयइ। ता किं मायाइञ्चेण इम । कयं होजा महासाहसं । अहवा णहि णहि, दुटु मे चिंतियं पाव-हियएणं । 7 ___ अवि चलइ मेरु-चूला होज समुहं व वारि-परिहीणं । उग्गमइ रवी अवि वारुणीए ण य मित्तो ऍरिसं कुणइ ॥ ता धिरत्थु मज्झ पाव-हिययस्स, जो तस्स वि सजणस्स एय एरिसं असंभावणीय चिंतेमि । ता केण वि रक्खसेण वा भूएण ) वा पिसाएण वा देब्वेण वा एत्थ पक्खित्तो होजा । एवं चिंतिऊण ठिओ । पयई चेय इमा सजणाण । अवि य । मा जाणण जाणइ सज्जणो त्ति जं खलयणो कुणइ तस्स । णाऊण पुणो मुज्झइ को वा किर एरिसं कुणइ ॥ अवरखं ति वियाणइ जाणइ काउं पडिप्पिय सुयणो। एक णवरि ण-याणइ दक्खिण्णं कह वि लंघेउं । । तओ एयं जाणमाणो वि सो मूढो तं चिय सोइडं समाढत्तो। 1) सणाहओ, P परियट्टतो. 3) Pसूसमाणा, तालुअयला P तालुयतलो, खाम for क्खाम, P णिक्खोयरा. 4)P सिंह for सिंघ, Pom. सय. 5) inter. तंमि and पविट्ठा, P न याति कत्थ वागया कहिं वा वच्चामो ति. 6) गुरुय, P उत्थुरइय for ओसरइ य. 7) उभररस, P दढबंधो, गिण्ड्सु for गेण्ड, P कहं वि णिवडीहइ, P चेव. 8) J पिच्छुअहिअओ, Pom. ति, P जे for जं. 9)P om. दे, चिंतेमि for चिंतिमो. 10) Jom. सय, P om. य, Pतिसं for दिसं, P om. one कह. 12) होत्थश्य, ईnि for ईसिं, J तदुट्रिया तडच्छिय, P पेच्छंति. 13) P दिलृ for णटुं, Pलढुं. 14) P पलोवियं, सव्वं तो सवतो, Jण किंचि पेच्छति ताव रजु वा अण्णं P न पेच्छंति कहिंचि रज्जु अन्नं. 15) J दुट्ठदुबुद्धिणा, P एव for एस, I एयंमि for एयं. 16) Pom. first चेय. 17) P चिंतियंतेण भणियं,J थाण,J om. इमिणा मायाइचणं etc. to थोयसलिल पेच्छद कूवोदरं थाणू ।, मित्तं. 18) उज्जओ. 20) Pकयणतणं. 21) सा बराओ. 22) Poin. य. 23) Pom. णेण..24)P परिवसओ, "परितवणं, J विओओ P विप्पओगे, P एवं. 25)P हिययरस पडिहाइ जहा केणावि, णोलीओ, P om. हे एत्य to आई पोलिओ. 26)J किमेत्थ. J एय (?) for चेय, Pण कोइ उणो संभावियइ. 27)P होज, Pom. one णहि. 28)Jom. मित्तो. 29) मम for मज्झ, Pवाए for वा. 30)P विक्वित्तो for पक्खितो, P हिआ, P चेव. 31)Jम जाणमयाणद. 32)पडिपिउं सयण्णो, Jणवर. 33) Pतं चेव य सोहउँ. Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२ उज्जोयणसूरिविरइया [$१२०1 हा कह मित्तो होहिइ वसणावडिओ अरण्ण-मज्झम्मि । पिय-मित्त-विप्पहूणो मओ व्व णिय-जूह-पन्भट्ठो॥ १२१) एवं च सो सजणो जाव चिंति पयत्तो, ताव णरणाह, इमो वि मायाइच्चो किं काउमाढत्तो। चिंतियं च णेण 'अहो, करियव्वं तं कर्य । संपर्य णीसंको दस वि इमाई रयणाई अत्तणो गेण्हिमो, फलं च भुजिमो' । चिंतयंतस्स : "हण हण हण' त्ति 'गेण्हह गेण्हह' त्ति समुद्धाइओ महंतो कलयलो । पुरओ भय-वेविर-हियपण य से णिरूवियं जाव दिट्ठो अणेय-मिल्ल-परिवारो सबरसेणो णाम पल्लिवई । तं च दट्ठण पलाइडं पयत्तो । पलायमाणो य धणु-जंत-पमुक-सरेहिं (समाहओ णिवडिओ गहिओ। णिरूवियं च दि8 रयण-पोत्तयं, समप्पियं च णेहिं चोर-सेणावइणो। णिरूवियं च णेण जाव । पेच्छह दस रयणाई महग्ध-मोल्लाई । भणियं च ण 'अरे, महंत कोसल्लियं अम्हाण इमेणं आणियं, ता मा मारेसु, बंधिऊण पक्खिवह एकम्मि कुडंगे। कर्य च हिं चोर-पुरिसेहिं जहाइटुं । १२२) सोय चोर-सेणावई णियय-पल्लीए ससंमुहं वचतो संपत्तो तमुद्देसं । तत्थ भणियं च णेणं 'अरे अरे, तण्हा बाहिउँ पयत्ता । ता किं इमम्मि पएसे कहिंचि जलं अस्थि । भणियं च एकेण चोरेण । 'देव, एत्थ पएसे अत्थि जुण्ण कूर्व, ण-याणीयइ तत्थ केरिसं जलं' ति । भणियं च सेणावइणा । 'पयट्ट, तत्थेव वच्चामो' त्ति भणता संपत्ता तम्मि पएसे । उव12 विट्रो य वड-पायवस्स हेटुओ सेणावई । भणियं च णेण 'रे, कड्ढह पाणियं, पियामो' । आएसाणंतरं च वित्थिण्ण-सायवत्तेहिं पलास-दलेहि य सीविभो महंतो पुडओ। दीह-दृढ-वल्ली-लयाओ य संधिऊग कया दीहा रज्जू । पत्थर-सगब्भो ओयारिओ पुडओ तम्मि कूवे जाव दिट्ठो थाणुणा । भणियं च थाणुणा । 'अहो, केण इमं ओयारियं । अहं एत्थ पक्खित्तो देब्वेणं । ता 15 मम पि उत्तारेह' । साहियं च सेगावइणो । 'एल्थ कूध को वि देसिओ णिवडिओ। सो पद 'ममं समाकगृह'।' सेणाव-1॥ इणा भणियं 'अलं अलं ता जलेणं, ते चेय कह वरायं। उत्तारिओ य सो तेहिं । दिद्यो य सेणावइणा । भणिो य 'भण हो कत्थ तुम, कह वा इहागओ, कहं वा इह णिवडिओ' त्ति । भणियं च णेण । 'देव, पुष्व-देसाओ अम्हे दुचे जणा 18 दक्षिणावहं गया। तत्थ दोहिं वि पंच पंच रयणाई विढत्ताई। अम्हे आगच्छमाणा इमं अडई संपत्ता, पंथ-पन्भट्टा । तण्हा-छुहा-परिगय-सरीरा इमं देसंतरमागया । तण्हाइएहि य दिवो इमो जुण्ण-कूचो । एत्थ मए णिरिक्खियं के-दूरे जलं ति । ताव केण वि पेएग वा पिसाएग वा रक्खसेण वा गिद्दयं णोलिओ गिवडिओ जुण्ण-कूये । संपयं तुम्हेहिं उत्तारिओ' आत्ति । इमं च सोऊण भणियं सेणावइणा । तेण दुइएण तुमं पक्खित्तो होहिसि'। भणियं च थाणुणा 'संत पावं । कहं सोश जीयाओ वि वल्लहस्स मज्झ एरिसं काहिह'। भणियं च सेणावणा 'संपयं कत्थ सो वहइ' त्ति । थाणुणा भणियं 'णयाणामो' । तओ हसिय सव्वेहिं चोर-पुरिसेहिं । 'अहो समुजुओ मुद्धो बराओ बंभणो, ण-याणह तस्स दुटुस्स दुटु-भावं वा अप्पणो चित्त-मुद्धत्तण वियाणतो । भणियं च सेणावणा 'सो चेय इमस्स सुमित्तो होहिह जस्स इमाई रयणाई अम्हेहिं अक्खित्ताई'। तेहिं भणियं 'सव्वं संभावियइ' ति । भणिो य 'बंभण, केरिसो सो तुह मित्तो' । भणिय च थाणुणा । 'देव, 7 कसिणो पिंगल-णयणो मडहो वच्छ-स्थलम्मि जीरोगो। णिम्मंसुओ य वयणे एरिसओ मज्झ वर-मित्तो ॥' तो सब्वे वि हह त्ति हसि पयत्ता चोर-पुरिसा । भणियं च सेणावइणा । 'अहो सुंदरो भट्टो दसण-सुहओ सध्व-लक्खणसंपुण्णो मित्तो तए लद्धो । एरिसो तुम्भेहिं पि मित्तो काययो । सव्वहा बंभण, तेण चिय तुम पक्खित्तो । ता जाणसि 30 दिहाई अप्पणाई रयणाई' । तेण भणियं 'देव, जाणामि' । दसियाई से सेणावइणा पच्चभिण्णाणियाई। तेण भणियं 'इमाणि ॥ मज्झ संतियाणि । पंच इमाई तस्स संतियाई । कत्थ तुम्हेहिं पावियाई । ण हु मित्तस्स मे णिवाओ को होहिइ' । तेहिं भणियं । 'तस्स इमाई भम्हेहिं अक्खित्ताई। सो य बंधेऊण कुडंगे पक्खित्तो । ता गेण्हसु इमाई अप्पणाई पंच । जाई 33 पुण तस्स दुरायारस्स संतियाई ताई ण समप्पिमो' त्ति भणमाणेण पंच समपियाई । भणिओ य 'वच इमाए वत्तिणीए । 1) P होही, पणिअजह P नियजूय. 2) Pon. जाव, ता for ताव, P om. वि. 4) भगंति for हणत्ति, गेण्ह गेण्ह, P समुहाइओ.5 P परियरो सबरो नाम,Join. य,J धणुज्जत्त. 6) P निवडि,J om. च. 7)" अम्ह इमेण.8)P बंधेऊण पकाह. 9) P पल्लिए, P on. च, P अरे रे. 10) ता किमि पि पएसे किंपि चि वि जलं, P भएणियं for भणियं, Pom. अस्थि, I जुण्णकूवं P जुन्नं कूव न याणिमो य तत्व. 12)P कन्हह for कड़ा. 13Join. महंतो, " om. य,P पत्थररस,J उआयरिओ. 14) P फुडओ फुओ तंमि, P दिट्टा धु थाणुगा । अहो केण, J केश मओसारियं, P दवेणं. 15)P om. पि, P इमं for ममं. 16)P om. one अलं, P ताव for ता, P चेव, P भणिहो. 17) P वा गइहागओ, गओ for णिवडिओ, जाणा for जणा. 18) Pमि for वि, P संपत्तो, पंथभट्टा. 19)P तण्डाएहि, P om. य, P inter. गिरि क्खियं and के दुरे जलं. 20P om. ति, J तुब्मे for तुम्हेहिं. 21)Jच after भणियं (first),Jएत्थ for तुम, होहिति. 22)P जीयवल्लइस्स, Jom. एरिसं. 23) P अहो अहो उज्जुओ वराहो मुद्धो बंभणो, P om, दुस्स,J om. दुट्ठभावं. 24) P सेणावइणो, P होही, P बयणाई for रयणाई. 25)P संभावीय त्ति, Jom. त्ति, P om. य, केविसो, " तुह सुमित्तो. 27) I पिडुल for पिंगल, गिल्लिमो for णीरोगो, Pसो for वर. 28) Pजओ for तओ, J वि ह्ह् स्थि हत्ति P विय हटट त्ति, P भट्ठा, दंसहमुहय भद्दलक्वग (letters not clearly readable). 29) तुम्हे हिं for तुमहिं, जेणे for तेणं. 30) ण इमाई मज्झ संताई। पंच, Pon. भणियं. 31)J संताई for संतियाई, P कत्थ तुमे पावियागि, मित्तस्सस्स से णिवाओ, होहिउद (०). 32)J om. अम्हेहिं, Jवि for य, Pinter. पक्वित्तो and कुडंगे, P गेनहाइ पु. 33) Pom, ताई ण,Jom, पंच, Pom. वच्च, P वत्तणीए. Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - $१२४ ] एकं पुण भणिमो । जारिओ सो मिचो भण्णो वि हु तारियो जह हवेल उग्ग-विलं व भुरंगं दूरं दूरेण परिदर ॥' चिणि सिजि । कुवलयमाला १२३) सो विथाणू कुडंगे कुडंगेण तं अण्णिसमाणो परिभ्रमइ । ताव दिट्ठो पण एक्कम्मि कुडेंगे । केरियो । दढ-वल्ली- संदाणिय- बाहु-जुओ जमिय-चलण- जुवलिलो । पोट्टलओ व्व णिबद्धो अहोमुहो तम्मि पक्खित्तो ॥ चहा-हा-श्व-गभि 'मित्त का इमा शुद्ध अवस्थ' सि भगमाणेण सिडिडिबाई बंधाई, संवाहिवं अंग, बढाई च 6 वण-मुद्दाई कथा- कपडेहिं, साहियं च णिय वृत्ततं । पंच मए स्थणाई पावियाई । तत्थ मित्त, अट्ठाइज्जाई तुज्झ भडाइज्जाई मज्झ । तह विपज्जत्तं, ण काइ अद्धिई कायव्व' त्ति भणमाणेण ताव णीओ जाव अडई-पेरंत - संठियं गामं । तत्थ ताव ) पडियरिओ जाव रूढव्वणो । तम्मि य काले चिंतियं णेण मायाइचेण । 'अहो, । हिम-सीय-द-मिलो पर पर खंडिओ वहा सुगणो कोमल मुणाल सरिसो सिणेह तंतू खुद ॥ ण उक्खुडइ ता एरिसस्स वि सज्जणस्स मए एरिसं ववसियं । धिरत्थु मम जीवियस्स । भवि य । पिय-मिचचणा-जाय दोस- परिषलिय- धम्म-सारस्स किं मज्झ जीविपुर्ण माया-निवडी - विमूढस्स ॥ ? 15 ता संपयं किमेत्य करणीयं । लहवा दे जल पविसामि सिमेलिया बच्चे गाम-महवरा कोडव-रस-गभिगो य मिलिनो सगलो गाम-जो तत्थ मूलियं तं सम्यं जदा व साहियं सयल-गाम-जगस्त्र, जहा णिग्गया पराओ, जदा विदत्ताई रयणाई, जहा पढमं वंचिओ थाणू, जहा य कुत्रे पक्खित्तो, जहा चोरेहिं गहिओ, जहा पण्णविओ थाणुणा । २४) भो एवं साहिऊण भणि मावाइचेग । 'अहो गाम महत्तरा महापात्रं मए कर्म मित्त-दो णाम । ता अजलि दुवास पविसामि देव, मज्श पसियह, कट्ठाई जलणं च चि । तओ भणियं एकेण गाम- महत्तरेणं । } 'एहु हउं दुम्मणस्सहुं । सव्वु एउ भायरिउ, तुज्झण उ वैंकु चलितउं । प्रारद्वउं एवु प्रइ सुगति । प्रोतु वर भ्रति संप्रतु ॥' 18 तम भण्गेण भणिवं । 3 成果 'जं जि विरइदु धण- लवासाए । सुह-लंपडेण तु भई । दुत्थ-मण-मोह-लद्वरं । तुं संप्रति बोलितउं । एतु एतु प्रारद्ध भल्लउं ॥ ' तभो भण्णेण भणियं चिर-जरा-जुण्ण देहेण । 21 । 'त्य सुज्झति किर सुचणं पि वदसाणर-मुह-गरा कडे प्रायु मित्तल बंचण कावालिय-व्रत धरणे । एड एउ सुसेन हि ॥' | तो सलग सामिना भणिय जेड-महामपहरेण । 24 'धवल-वाहण-धवल- देहस्स सिरे अमित जा विमल-जल धवलुज सा भडारी । यति रोग प्रावेसि तु मित्र दो तो णाम सुज्झति ॥ ' " 7 एवं भणिए सम् िचेष भणि 'नहो, सुंदरं सुंदरं संततं वा मुंच जहण-पवेस-मिच्छये वचसु गंगे तत्थ हायंतो 27 अणसणेणं मरिहिसि तया सुनसहिसि तुई पार्व' ति विसजिलो गाम-महय रेहिं सिणेह रुपमाणेण च धाणुना अणुणिनमाणो वि पत्थिओ सो । अणुदिग्रह-पयाणेण य इहागओ, उवविट्ठो" ति । एवं च साहियं णिसामिकण ) विडिओ चलण जुषलए भगवओो धम्मणंदणस्स भणियं च पोणं मायाइणं । 'माया मोहिव-हिवपुण जाह सच्चे मए हमें रहने । मोचूण तुमं अण्णो को वा एवं बियाणेज ॥ ता सव्वदा माया-मय-रिव-सूयण-मूरण-गुरु-तिक्ख कोव कुंतस्स । सम्ब-जिय-भाव-जाणय सरणमिणं ते पवण्णोमि ॥ ता दे कुणसु पसार्थ इमस्स पावरस देसु पछि अण्णह ण धारिमो चिय अप्पार्ण पाव-कम्मं वा ॥' 1 ) मगामो 4 ) Pom. कुडंगे, एजाब for ताव 5 ) वल्लि, ए बाद, संजमिय for जमिय. 7 ) णिअअ for गिय, P तुह् for तुज्झ. 8 ) मग्ग for मज्झ, P तुह for तह, र काई, P अत्यद्वितीया for अद्धिई, J आणिओ for णीओ, P for अढई. 9 ) पडियरओ, काले for काले. 11 ) P वि मए जगस्स एरिसं बिल सेयं ।, Jom. मए 12 ) पाव for दोस. 13 उपविसामो चिंतियंतेग 14 ) P सवहा for सव्वं, J जहावित्तं, P जहा पविदत्ताई. 15) P घोरेहिं for चोरेहिं. 16 > P गयहरा for महत्तरा. 17) कवाई for कट्ठाई. 18 ) र दुम्मणस्सा (1), P एउ पछउं होउ मणुस्साहं सन्दु एउ आयरिडं तुज्झान बंकु वलियउं । सवं जे पुंजाअरिदु ( letters rubbed ) तुज्झाणउं वंक चलित्तउं ।, पारद्धउं, P प्रारद्धओ एउ प्रई सुगइ प्रोतु वररप्रा (भ्रा ? ) ति संप्रतु, P भ्रातु वर, P संप्रइ 1. 20 > थु जे for जं जि, P विररइओ for विरइदु, घणव. सात सुहलंप्पडेए, 'ou. तुम्भहं, Pदु तुट्टमाणमोडिएयुं मणुरसेगं लद्धउं ।, P बोल्लियउं एउ एउ पारड्डु- 21 ) P जुन्न. 22 ) P सुज्झर, सुवणं व वसा, P सुवन्नं, P'नरमुद्गयउं । रेसुं प्रावु, पाउ for प्रावु र कामालियव्रतधरणे एतु पाउ दुज्झे पणादिय, P त्रयधरणे, P सुज्झेज्ज नाहिं- 24 ) P भणियं for भगिअर, Pom. जेट्टमहामयहरेण (रेणी ?). 25 > P देवरस for देहस्स, P भ्रमती धवलजलधव, विमलजलधवलुज्जल सा, P यदि गंगा, P तुं हुं मित्रुद्रोज्झ तो नाम सुज्झइ । एवं च भणिए. 27 ) Pom. one सुंदरं, Jपवेणि, P निष्यं, P हो पत्तो for ण्हायती. 28 ) P तदा सुज्झिहित्ति तुह, Jom. ति. 29 ) P अणुमणिज्ज माणो, P एसो एवं च. 30 P चलणकमलए. 31 Jinter. इमं and मए, J om. ता सव्वहा 32 > P 33 ) P कम्मं तु . J for सो, P व before त्ति, मूयण for मूरण, P पवन्नोहं 12 30 33 Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3 १२५) इमं च णिसामिरुण गुरुणा धम्मणंदणेण भणियं । 'जे पिययम-गुरु-विरह- जडण-पत्र लिय-वायवधिवंगा । कत्तो ताणं वा मोनुं आगे जिनिंदणं ॥ जे दूसह गुरु- दारिद्द- विदुया दलिय सेस-धण विहवा । कत्तो ताणं ताणं मोत्तुं आणं जिनिंदाणं ॥ दोगञ्च्च-पंक-संका-कलंक-मल-कलुस - दूमियप्पाणं । कत्तो ताणं ताणं मोत्तुं आणं जिनिंदाणं ॥ सच्च-जण-निंदियाणं बंधु-जणोहसन- दुक्ख तत्रियाणं कसो ताणं ताणं मोनुं म जिनिंदा ॥ जे जम्म-जरा-मरणोह- दुक्ख सय भीसणे जए जीवा । कत्तो वार्ग ताणं मोतुं आगे जिनिंदणं ॥ कण वाढण-वाहण-गुरु- दुक्ख सायरोगाढा कत्तो वा ताणं मोज़े आगे जिनिंदणं ॥ संसारम्मि असारे दुह-सय-संवाह - बाहिया जे य । मोत्तुं ताणं ताणं कत्तो वयणं जिनिंदाणं ॥ 1 6 जे 1 9 तओ एवं सच्च जण जीव-संघायस्स सम्ब- दुक्ख-दुक्खियस्स तेलो के कल-पायवाणं पिव जिणाणं आणं पमोचूण र असर लोकेति । इमं च वयणं आराहिकण पुणो 15 ६४ जत्थ ण जर। ण मच्चू ण वाहिणो णेय सव्व दुक्खाई । सासय-सिव-सुह-र ह-सोक्खं अरा मोक्खं पि पाविहिसि ॥' 12 एवं च भणिये णिसामिकण भणियं कथंजलिङडेणं मादाइशेणं । 'भगवं जह एवं वा देसु मे जिगिंद-वयणं, जइ भरिहो मि' | भगवया विधम्मगंदगेण पलोइऊण णाणाइसएणं उवसंत-कसाओ त्ति पत्राविओ जहा- विहाणेण गंगाइच्चोति ॥ * ॥ उज्जोयणस्त्रिविरइया 24 27 १२६) भणियं च पुणो वि गुरुणा धम्मदगेणं । 'लोहो करेइ भेवं लोहो पिय-मित्तणासणो भणिनो छोटो कम-विणासो लोहो सधं विणासेइ ॥ इस असमंजस पडणा-सजण- परिदार - पपड-दोसस्स लोहस्स तेण मुणियो क्षेत्र पि ण देति भवयासं ॥ लोह-परायत्त-मणो दव्वं णासेइ वायए मित्तं । णिवडइ य दुक्ख-गहने पत्थिव एसो जहा पुरिसो ॥" 21 भणियं च राणा पुरंदरदत्तेण भगवं बहु पुरिस संकुलाए परिसाए ण-वाणिमो को विएस पुरिसो, किंवा इमे क ति । भणियं च भगवया । भवि य लोह-महा-गह-गहिओ पुरिसो अंधो वियण पेच्छइ समं व विसमं वा, बहिरो विय ण सुगेइ हियं अणहियं वा, उम्मतो विय असंबद्धं पलवइ, बालो इव अण्णं पुच्छिओ अण्णं साहेद, सलद्दो विय जलंतं पि जलणं पविसद्, झसो विय 18 जलणिहिम्मि वियरइति । 11 [१२५ । "जो तुझ पट्टि भाए वामे जो वासवस्त उपवि मंस-विवजिय-देहो उथो सुको व वालदुमो ॥ अहि-मय-पंजरो इव उवरिं तणु-मेत चम्म-पडिबढो । दीसंत पंमुलीओ तणु-दीहर-चवलगीवाल ॥ खल्लइय-चम्म-वयणो मरु- कूव सरिच्छ गहिर-णयण-जुओ । अच्छइ वेयालो इव कम-सज्जो मंस-खंडस ॥ लोहो व्व सरूवेणं णरवर पत्तो इमो इहं होजा । एएण लोह-मूढेण जं कथं तं णिसामेह ॥ १२७) अस्थि इमम्मि चेय लोए जंबूदीवे भारहे वासे वेयढ-दाहिण-मज्झिम-खंडे उत्तरावहं णाम पहुँ । तत्थ तक्खसिला णाम णयरी । जा पम-पया पत्थव पुत्त पथावुच्छलंत जस भारं । धनलहर सिहर सपिंडियं व एवं समुच्चदद ॥ 30 जहिं च यरिहिं एक विण दीसह महल कुपेसो व एक तण्डाभिभू व दोणि वि अवि, सूरज देयणओ व चोवलब्भंति, सज्जणु वियट्टो बीसत्यो वत्ति । जहिं च ॐ क्षणवयारत्तणेण व सण-दुजण समो वि पावा अण्ण असंखेजो परमाण-विरथरो वत्ति अवि य । कह सा ण वणिजा विधिण्णा कणय घडिय-पायारा पदम जिण-समवसरणेण सोहिया धम्म चका ॥ वि दीसह सुंदर-बध-गियो व बेणि ण अत्थि, जो कायरो तिथिण व लदर्भति खलो मुक्खु ईसालुओ वि । तिपि णयरिहिं फरिहा-बंधो सजण दुज्जहं अणुहरइ, गंभीरतणेण बैंक चलिय-गमणो व जहिं च वसिमु दीव-समुद्रजइसको 1 ) inter. भणियं and गुरुणा धम्मनंदणेण. 3 ) P repeats गुरु. 5 ) व बंधुजनस्यणदुक्ख 6 ) P मरणाण नाह दुक्ख, JP भीसगो, Pom. जए. 7) दहणंकण, व वयणं for आणं. 8 ) J बोहिया. 9 ) P तिलोक्केकपराय 10 वि य नत्थि त्ति ।, Pom. वयणं. 11 ) P सासयं. 12 ) P adds इच्चणं after जइ, P त्ति for मि. 13) r adds जहाविओ after पन्वाविओ. 16 ) P लोभगहिओ य पुरसो 17 ) P उम्मत्तओ, P साहइ सलसो, P पिव for पि, P ऊसो for झसो. 19 ) P थोवं, P उवयार्ण for अवयासं. 20⟩Pom. य, P दुक्खग्गहण 22 ) Pom. ति. 23 ) वामो, P विसज्जियदेहो बच्चो सुक्को व्व तावदुमो. 24 ) P धवल for चवल. 25 ) Pचम्ममणो, मास for मंस. 26 ) P एतेण. 27 ) P जंबुद्दीवे, मज्झिमे खंडे उत्तरा नाम- 29 ) 2 जो for जा, P संपिडियव्य तेरियं समु 30 ) P एकु न दीसर एक दीसह मयलकुचेलो सुंदर, एको वि दीसइ सुंदर, " व्व for व. 31 ताहूओ P तण्हाविभूओं, P सूरो देउणउ वि, P नोवलंभंति, " मुक्खो ईसालुओ वत्ति 32 ) P चोवलंभंति सज्जणो वियो वीसत्थो, चि for च, फरिह, बंडो. 33 ) P अणोवयार, P om. व, P पारो अव्वुण्णओ, P चिfor च, P -जयसओ. 34 ) P परिवहमाण, वित्थारो 35 ) P सो for सा, P समवसरणोव. 3 8 ม Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - १२९] कुवलयमाला ६५ | तीए य णयरीए पच्छिम-दक्खि दिसा-भाए उच्चत्थलं णाम गामं, सग्ग-णयरं पिव सुर-भोहिं, पायाले पिव विविह-रयणेहिं, 1 गोपगोपगा, धणव-पुरी विषाणु ति तम्मि गाने सु-जाईलो धणदेवो नाम सात तत्थ 1 3 तस्स सरिस सत्यवाहिं सह कीलंतस्स यच कालो सो पुग लोह-परो अत्य-गण- तलिन्छो मायावी पंचनो अलिय- 9 वयणो पर व्यावहारी । तओ तस्स एरिसस्त तेहिं सरिस-सत्थवाह - जुवाणएहिं धणदेवो त्ति अवहरिडं लोहदेवो त्ति से पट्टि जा तो कोदेवाभिहान दिवस वचने महाबुवा जोग्गो संतो तो उदाइनो इमरस लोभो बाहि 3 पयतो, I 1 [, लम्हा भणिओ य ोण जगओ 'ताय, तुरंगने चेतून दखणाय वचामि तत्थ बहुअर्थविदवेमो, जेण 6 सुहं उवभुजामो 'ति । भणियं च से जणएण 'पुत्त, केत्तिएण ते अत्थे । अत्थि तुहं महं पि पुत्त-पोताणं पि विउलो अत्य-सारो वादे किवणाणं विभवसु वणीमवाण, दक्ले भगे कारावेतु देवडले, खाणे सहाय- बंधे, बंधावे वीओ पाल तायारे, पत्ते आरोग्य-सहान उद्धरेदी-बिले ति ता पुरा न देतर गएहिं भणियं चलो 'ताय, चिह्न साहीणं चित्र अ अ अ हरामि बाइबले ति तो ते तिथे सत्यवादे सुंदरी व एस उच्छाद कामि, जुतमिण, सरसमि, धम्मो चेय अदागं, अत्यागमण 2 कीरइति । ताण कायव्यो मए इच्छा-भंगो, ता दे वचउ' त्ति चिंतिउं तेण भणिज । 'पुत्त, जइ णट्ठायसि, तओ वच्च' | 12 3 " , १२८) एवं भणिओ पयत्तो । सज्जीकया तुरंगमा, सज्जियाहूं जाण-वाहणाई, गहियाई पच्छयणाई, चित्तविया आडियचिया, संविभो कम्मर-जो आउछिनो गुरुयणो, बंदिया शेवगा, पयतो सवो चलियाओ तो भणिओ सो पिउणा 'पुत दूरं देनंतरं, बिसमा पंथा जिरो लोजो, बहुए दुजगा चिरला सजणा दुष्परियलं भंड, 10 दुद्धरं जोव्वणं, दुललिओ तुमं, विसमा कज्ज-गई, अणत्थ-रुई कयंती, अणवरद्व-कुद्रा चोर ति । ता सव्वहा कर्हिचि पंडिपुर्ण कवि गुरु कर्हिचि दखिणे, कहिंचि नि, कहिंचिदा कहिंचि णिकिये, कहिंदि सूरेण कर्हिचि * काय रे, कहिंचि चाइणा, कहिंचि किमणेणं, कहिंचि माणिणा, कहिंचि दीणेणं, कहिंचि वियद्वेणं, कहिंचि जडेणं, सव्वहा 18 -डंड- सिराहय-भुयंग-कुडिलंग चंक- हियएणं । भवियन्त्रं सजण दुज्जणाण चरिएण पुत्त समं ॥' एवं भणिण नियतो सो जणनो इमोबिलोदेवो संपतो दाव केण विकारेण । समावासिनो सोप्या 1 नवरे भसेड़ी नाम जुण्ण-लेडी वस्स गेहम्मि त केण विकारेण महग्य मोला दिष्णा ते तुरंगमा बिम अव्य-संचयं च पेण संदेस-हु मंतुमणो सो सत्यवाह-पुतो चि वय सोप्या पुरवरे इमो समायारो देखियवाणिय- मेलीए । 'जो कोइ संतरागओ वत्थव्वो वा जम्मि दिसा देखे वा गभ जं वा भंडं गहियं जं वा आणियं जं वा विदेसिय हिंसध्वंसादेव, गंध-तंत्रोल-मच घेत, तो 'ति । यो पारंपर-पुराण- 24 पुरिस पुणेो जयागंतुमणो तथा सो संय भासह तत्ध देसिय-मेलीए गति देखिय-वाणियमेलिए गंतून उपविट्टो दिश च गंध-मलं तंबोलाइयं । णिङ्कुर-डंड 1 I 7 1 " (१२९) तभ पत्तो परोप्परं समुल्लावो देसिय-वणियाणं । भणियं च णेहिं । 'भो भो वणिया, कत्थ दीवे देसे वा 27 को गोवा किं मं आणि, किंवा बिले किंवा पचाणि ति तो एकेण भणि 'अग कोसलं तुरंगमे पेचूर्ण कोसल-रणा मह दिण्णाई मलाई भाइल-तुरंगेहिं समं गय पोया तो तुम् पभावेण समागतो काहो' ति । भणि 'अहं गो उत्तराव-फलाइ भई पेण तत्थ -डाभो तुरंगने पे आगो नि | 30 अण्गेण भणियं । 'अहं मुत्ताहले घेत्तूण पुच्व-देसं गओ, तओ चमरे आणिओो' ति । अगेण भणियं । 'अहं बारवई गओ, तत्थ संखयं समाणियं' ति । अण्गेण भणियं । 'अहं बब्बरउलं गओ, तत्थ चेलियं घेत्तूणं, गय-दंबाई मोतियाई च घेत्तुं 1) तीय, Pom. य, उ णयरीय. 2 > Pom. धणयपुरी विय घणसंपयाए, P तम्मिय गामे राजाओ. सो उण, अत्थग्गण 4 ) Pति से अब, P लोभदे 5 देवादिदा 7) P उवभुंजामि, P केत्तिए ते, तुरंगे पेनू "प्रभू for बहु ि ए विमवसुवणियमयागं भणाणं कारा करावे. 9 ) P आरोगसालासालाओ. 10 साहीगं चिट्ठर चिय, आराहामि, Pom.ति. 11 एसो om. जुत्तमि गं, P अग्हागं तादे, वितयंते, पुत्ति for पुत. 13) चिंतविया 14 ) P कंमारयजणो. 15 ) 'निडवरो. 16 ) । अणगुरूत्री को 17 ) P दक्खिन्ने कहिं चिय वियद्देणं कहिंचि, P निक्कोणं. 18 ) P किविणेणं, P om. कर्हिचि माणिणा, वियद्देगं. 19 ) इंटसिराघायभुवंग कुडिलवंक, ए दुज्जणचरिएणं, P सम्मं । एवं 20 P से जगउ, P लोभदेवो, 1 सेमावासिओ 21 ढिा for दिण्णा ते 22 ) P घेनू देसत्तं, उत्तो, Pom. त्ति 23 ) P कोइ देसिओ देस", दिलासादायादिदेवा ने 24 ) P Inter. साहेव & 3) P बच्चई, जोगो उद्धारय 6 ) Pom. य, पपोत्ताणं विउलो. 8 P किमणाणं, Jom, P लोभदेवेगं, P जं एयं तं अंजं अउच्चअत्था- 12) P त दे for भणिअं से, P पिउणो, P दूरे, P तओ, ततो for तओ, एसा for एसो. 25 ) पुरिसत्थ इत्ति, ए तेण य भसेट्ठिणा, देसिमेलीए, देसियमेलए गंतूण. 26) P उवधिट्ठोत्ति, Jom. व. 27 ) Pom. भगियं, P भो भो देसियवणिया 28 ) r inter. भंड & किं, P तुरंगे घेत्तणं. 29 > Pom. मह, om. महंताई, भाइलतुरंगमेहिं, P समं मयोत्तयाई, P तुम्हा. 30 P पूयफाई, P, J घेतू, P समागओ for आगओ. 31 ) ममुत्ताफले, उ तत्थ for तओ, आणिय त्ति P बारवई 32 ) P inter. बब्बरऊलं & अहं, P तत्थ before गयदेसाई, P गयदंता मोत्ति', P वेत्तृण for घेत्तुं . 9 Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [$१२९1 समागओ' त्ति । अण्णेण भणियं 'अहं सुवण्णदीवं गओ पलास-कुसुमाई घेत्तणं, तत्थ सुवण्णं घेत्तण समागओ' ति।। अण्ण भणियं । 'अहं चीण-महाचीगेसु गओ महिस-गवले घेत्तण, तत्थ गंगावडिओ णेत्त-पट्टाइयं घेत्तण लद्ध-लाभो णियत्तो 3 ति । अण्ण भणियं । 'अहं गओ महिला-रजं पुरिसे घेत्तण, तत्थ सुवण्ण-समतुले दाऊण आगो' ति । अण्णेण भणियं ।। 'अहं गो रयणदीव णिब-पत्ताई घेत्तण, तत्थ रयणाई लद्धाई, ताई घेत्तण समागो' ति । एवं च णिसामिऊण सव्वेहिं चेय भणियं । 'अहो, सुंदरो संववहारो, णिब-पत्तेहिं रयणाई लभंति, किमण्गेण वणिजेण कीरह' ति । तेण भणियं । 6 'सुंदरो जस्स जीयं ण वल्लई' ति । तेहिं भागेयं किं कर्ज । भाणेयं च ण । 'एवं तुडभेहिं भणियं 'किं कजं' ति । जेण 8 दुत्तारो जलही, दूरे रयगदीवं, चंडो मारुओ, चवला वीईओ, चंचला तरंगा, परिहत्था मच्छा, महता मयरा, महग्गहा गाहा, दीहा तंतुणो, गिलणो तिमिंगिली, रोहा रक्खसा, उद्धाविरा वेयाला, दुलक्खा महिहरा, कुसला चोरा, भीमं 9 महासमुई, दुल्लहो मग्गो, सव्वहा दुग्गम रयणदीवं ति, तेण भणिमो सुंदरं वणिजं जस्स जीदियं ण वल्लहं' ति । तओ सम्वेहि वि भणियं । 'अहो दुग्गम रयणदीवं । तहा दुक्खेण विणा सुई णस्थि' त्ति भणमाणा समुट्टिया वणिया। ६१३०) इमं च तस्स हियए पइष्टियं लोहदेवस्स । आगओ गेहं, कयं भोयणाइ-आवस्सयं । तओ जहा-सुह 12 उवविठ्ठाणं भणियं लोभदेवेण । 'वयंस भइसेट्टि, महंतो एस लाभो जंणिब-पत्तेहिं रयणाई पाविति । ता किं ण तत्थ 12 रयणदीवे गंतुमुजमो कीरइ' त्ति । भद्देण भणियं । 'वयंस, जेत्तिय-मेत्तो कीरइ मणोरहो णवर अत्थ-कामेसु । तत्तिय-मेत्तो पसरइ ओहहह संधरिजंतो ॥ 15 ता विढतं तए महंत अत्थ-संचयं, वेत्तूण सएसं वच्च । किं च, भुजसु देसु जहिच्छं सुयगे मागेसु बंधवे कुणसु । उद्धरसु दीण-विहलं दबेण इमं वरं कर्ज ॥ ता पहुत्त तुह इमिणा अत्थेणं' ति । इमं च सोऊण भणियं इमिणा लोहदेवेणं । 'अवि य, 18 जइ होइ णिरारंभो वयंस लच्छीऍ मुच्चइ हरी वि । फुरिओ च्चिय आरंभो लच्छीय य पेसिया दिदी । आलिंगियं पि मुंचइ लच्छी पुरिसं ति साहस-विहूणं । गोत्त-क्खलण-विलक्खा पिय व्व दइया ण संदेहो ।। कर्जतर-दिण्ण-मणं पुरिसं णाउं सिरी पलोएइ । कुल-बालिया णव-वह लजाएँ पियं व वक्खित्तं ॥ जो विसमम्मि वि कजे कज्जारंभ ण मुंचए धीरो । अहिसारिय व्व लच्छी णिवडइ वच्छत्थले तस्स ।। जो णय-विकम-बई लछि काऊण कजमारुहइ । तं चिय पुणो पडिच्छ पउत्थवइय व सा लच्छी ॥ काऊण समारंभ कर्ज सिढिलेइ जो पुगो पच्छा । लच्छी खंडिय-महिल व्व तस्स माणं समुन्वहइ । 24 इय आरंभ-विहूण पुरिसं णाऊण पुरिस-लच्छीए । उज्झिजइ णीसंकं दूहव-पुरिसो ध्व महिलाहिं ॥ _तओ वयंस, भणिमो 'पुरिसेण सव्वहा कज्ज-करगेक-वावड-हियएण होइयव्यं, जेण सिरी ण मुंचइ । ता सव्वहा पयह, रयण दीवं बच्चामो' त्ति । भद्दसेट्टिणा भणियं 'वयंस, 27 'जइ पायाले वसिमो महासमुदं च लंघिमो जइ वि । मेरुम्मि आरुहामो तह वि कयंतो पुलोएइ ॥ ता सव्वहा गच्छ तुभं । सिज्झउ जत्ता । अहं पुण ण वच्चामि' त्ति । तेण भणियं 'कीस तुम ण वचसि । भद्दसेटिणा। भणियं । 'सत्त-हुत्तं जाणवत्तेण समुद्दे पनिट्ठो । सत्त हुत्तं पि मह जाणवतं दलियं । ता णाई भागी अस्थस्स । तेण भणिमो 30 ण वच्चिमो समुई' ति । लोहदेयेण भणियं । ___'जइ घडिय विहडिजद घडियं घडियं पुणो वि बिहडेइ । ता घडण-विहडणाहिं होहिइ विहडप्फडो देवो ॥ तेण वयंस, पुणो वि करियव्वो आयरो, गंतव्वं ते दीवं' ति । तेण भणियं । 'जइ एवं ता एक भणिमो, तुम एत्थ जाणवत्ते 33 भंडवई, अहं पुण मंदभागो त्ति काऊण ण भवामि' त्ति । इमेण य एवं' ति पडिवण्णं । 2) P तत्थ संगावडिओ णेत्तपट्टाई. 3) inter. गो and अहं, ' पुरिसं,' सुवन्नसमतलं, . समतुलं दाऊणागओ. 4)P on. गओ, P adds गओ after घेत्तूण, एयं for एवं. 5) J किमण्णेहि कीर इ. 6) Jom. जेण. 7)दुत्तरो, J रयणदीवं, P चवलाओ वीएओ, P परियच्छमच्छा. 8) " गिलिणो, 1' उहाविरा. 9) 'दुग्गमरयण. 10)" तहा दुक्खेहि विणा, I om. वणिया. 11) Pलोभदेवस्स, J आगया गेहं. 12) लोहदेवेण, P पावीयंति, किण्ण ।' किन्न. 13) रयणद्दीवं, P गंतुमुज्जम,J om. त्ति. 14) जत्तिय, P सरिजंतो. 15)P गच्छ for वच. 16) नवर for परं. 17) ता पुहत्तं. P लोहदेवेणं, P om. अवि य. 18) P आरंभो रंभो लच्छीअ य. 19) विमुञ्चर, ' विहीणं । गोत्तलक्षण, I विलक्खो. 20) दाउ for णा, बालिआ णववहु P बालिया व नववहु, पिय व वजानिवतं. 21) विसमं वि, निववटद. 22) लमही, P पयच्छद, " सो for सा. 24)P विहीणं, J -लच्छीअ. 25) J कारणेक, P सिरीप न. 27) P आहरुहामो, P पलोएड. 28) पुण न चामो. 29) P inter. पविद्धो & समुदं (for समुद पविट्ठो), " सतउत दलिय जाणवतं मह ।। 30) Pom, ण वञ्चिमो, Pसमु मि । लोमदेण, 31)Pहोहीति रिफटो दिग्धो।32) ' करेयवो आयारो, Jadds after गंतव्वं. Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 -६१३२] कुवलयमाला १ ३१) तओ रयणदीव-कय-माणसेहिं सजियाई जाणवत्ताई । किं च करिउं समाढतं । घेप्पंति भंडाई, उवयरिजति । णिजामया, गणिजए दियह, ठावियं लग्गं, णिरूविजंति णिमित्ताइं, कीरंति अवसुईओ, सुमरिजति इट्ठ-देवए, 3भुंजाविनंति बंभगे, पूइज्जति विसिट्ठयणे, अच्चिजंति देवए, सजिजंति सेयवडे, उब्भिजति कुवा-खंभए, संगहिजंति 3 सयणे, वद्धिजति कंट-संचए, भरिजति जल-भायणे ति । एवं कुणमाणाणं समागमो सो दियहो । तम्मि य दियहे कय-मज्जणा सुमण-विलेवण-वस्थालंकारिया दुबे विजणा लपरियणा जाणवत्तं समारूढा । चालियं च जाणवतं । तओ 6 पयाई तूराई, पवादियाइ संखाई, पगीयाई मंगलाई, पढंति बंभण-कुलाई आसीसा, सुमुहो गुरुयणो, दीण विमणो । दइयायणो, हरिस-बिसण्णो मित्तयणो, मणोरह-सुमुहो सजण-जणो त्ति । तओ एवं च मंगल-थुइ-सय-जय-जया-सह-गद्दडभपूरंत-दिसिवहं पयर्ट जाणवतं । तओ पूरिओ सेयवडो, उक्खित्ताई लंबणाई, चालियाई आवेल्लयाई, णिरूवियं कण्णहारेण, 9 लग्गं जाणवतं वत्तणीए, पवाइओ हियइच्छिओ पवणो । तओ जल-तरल-तरंग-रंगत-कल्लोल-माला-हेला-हिंदोलय- 9 परंपरारूढं गंतुं पयत्तं जाणवत्तं । कहं । कहिंचि मच्छ-पुच्छच्छडाहउच्छलंत-जल-बीई-हिंदोलियं, कहिंचि कुम्म-पट्टि-संठि उच्छलंतयं, कहिंचि वर-करि-मयर-थोर-करायड्डिय, कहिंचि तणु-तंतु-गुणाबझंतयं, कहिंचि महा-विसहर-पास-संदाणिजंतय 12 गंतुं पयत्तं । केण वि कालंतरेण तम्मि रयण-दीवे लग्गं । उत्तिण्णा वणिया। गहियं दंसणीयं । दिवो राया। कओ 12 पसाओ । वट्टियं सुंकं । परियलियं भं । दिण्णा हत्थ-सण्णा । विकिणीयं तं । गहियं पडिभंड । दिणं दाणं । पडिणियत्ता णियय-कूल-हुत्तं । पूरिओ सेयवडो। लग्गो हियइच्छिओ पवणो । आगया जाव समुद्द-मझ-देसं । तओ चिंतिय ण 15 लोह-मूढ-माणसेण लोहदेवेण । 'अहो, पत्तो जहिच्छिओ लाहो, भरियं णाणा-विह-रयणाणं जाणवतं, ता तडं पत्तस्स एस 15 मज्झ भागी होहिइ त्ति । ता ण सुंदरं इम' ति चिंतयंतस्स राईए बुद्धी समुप्पण्णा । 'दे, एयं एत्थ पत्त-कालं मए कायव्वं' ति संठावियं हियाण । समुटिओ लोहदेवो । भणियं च णेण 'वयंस, पावक्खालयं पविसामो, जेण विगणेमो आयव्वयं 18 केत्तियं' ति । तं च सोऊण समुरिओ भद्दसेट्ठी, उवविटो णिजहए । तत्थ इमिणा पावेणं लोह-मूढ-माणसेणं अवलंबिऊण 18 णिक्करुणत्तग, अवमगिणऊण दक्खिण्णं, पडिवज्जिऊण कयग्धत्तणं, अणायरिऊण कयण्णुत्तणं, अवियारिऊण कज्जाकज, परिचइऊण धम्माधम्म णिद्दयं णोल्लिओ गेण भद्दसेट्ठी । तावय बोलीणं जाणवतं । १३२) खणेण य ति-जोयण-मेत्तं वोलीणं । तओ धाहावियं ण। अवि धाह धाह धावह धावह एसो इहं मम मित्तो । पडिओ समुद्द-मज्झे दुत्तारे मयर-पउरम्मि ॥ हा हा एसो एसो गिलिओ चिय भीसणेण मयरेणं । हा कत्थ जामि रे रे कहिं गओ चेय सो मयरो ॥ 24 एवं अलियमलियं पलवमाणस्स उद्धाइओ णिज्जामय-लोओ परियणो य । तेहिं भणियं 'कस्थ कत्थ सो य णिवडिओ'। 24 तेण भणियं । 'इहं णिवडिओ, मयरेण य सो गिलिओ । ता मए वि किं जीयमागेण । अहं पि एत्थ णिवडामि' त्ति भणमाणो उद्धाइओ समुद्दाभिमुहं महाधुत्तो । गहिओ य महल्लएहिं परियणेण य । तेहिं भणियं । 'एक एस विणटो, 27 पुणो तुम पि विणस्सिहिसि, इमं तं जं पजलिए तण-भारयं पक्खित्तं । ता सव्वहा ण कायब्वमेयं । अवि य । 27 ___ मा रूसह पुरिसाणं इमो णओ एस दुण्णओ व्व कओ। अवि जस्स कम्म-णिवहे पढम चिय देव्व-णिम्मविए ॥' एवं च भणमाणेहिं संठाविओ इमो । गंतुं पयत्तं तं जाणवतं । सो उण भद्दसेट्ठी इमिणा पाव-हियएणं णिहयं णोल्लिओ :0 णिवडिओ अहोमुहो जलरासिम्मि । तओ शत्ति णिम्मग्गो, खणेण य उम्मग्गो । तओ जल-तरल-तरंग-वीइ-कलोल-माला- 30 हिंदोलयारूढो हीरिउं पयत्तो । तओ कहिंचि जल-तरंग-पव्वालिओ, कहिंचि बीई-हेलुल्लालिओ, कर्हि चि तुंग-तरंगोयरवग्गिरो महा-मयरेण आसाइओ । तओ वियड-दाढा-करालं महा-मयर-वयण-कुहरंतराल पविसंतो चिय असणं पत्तो। 1) कीरिउं. 2)P दियहो, Jom. ठावियं लग्गं, P विलिग्गाई for णिमित्ता. 3) Pसीयवडे उमिजं वि कूवार्थभए. 4) जलसंपए, Jएवं च कुण', ' कुणमाणेणं, Pom. सो, P दियउहो, Poin. य. 5) चलियं. 6) पवाइयाइ, P समुहो, P om. दीणविमणो दइयायणो. 7)P मियत्तयणो दीणविमणो महिलायणो मणोरहसमुहो, P जयजय-, गब्भ P गंदब्म. 8) P om. जाणवतं, " सियवडो, न आवलयाई, J बण्डभारेण. 9)P पवाओ, P रंगता, P हिंदोलिय-- 10) पुंच्छ, हयुच्छलंत जलहिंदोल " -संदिउ'. 11) Pom. करि, P करायट्टिय, P -गुणावत्त ज्झत्तयं, J वास for पास. 12) Jहीवे. 13) 'सुंकु, P विकीयं तं गहियं । गहियं तमंट। 14)P पुरिओ, चितियं च. 15) लोहमूढेणं for लोहदेवेण, P पत्तो हियइच्छिओ लामो भरियं, rom. णाणाविह. 16) J भविसति for होहिइ. Jom. मए. 17) P संहावियं, पविसिमो, J विगणिमो, विगगोमो आयवयं फेत्तिय अजिय ति. 18) Jom. समुडिओ, Jएत्थ for तत्थ. 19)P निरु करुणत्तणं, कयग्यणतं, कअणुअत्तर्ग।। कयण्णुतरं. 20) धम्म for धम्माधम्म. 21)P तिजोयति भोयणः, J थाहाविओ य णेण, P अवि य after णेण. 22) Jom. one धावह, थाह पावह पावह, J महं for मर्म. 23) P आ for हा (कत्थ), P जासि for जामि, कहं for कटिं. 24) उद्धाय for उद्धाइओ, Pom. परियणो य, Pom. य. 25) Pom. य सो, P जीवमाणेणं. 26) Pउत्थारओ समुद्धाभिमुझो, " पिस for एस. 27) पुणो वि तुमं, J पि विणिस्सिहिइ P पि से विणिरिसह सि, Pom. जं, P तणहारं पक्वितं. 28) अवि जमकम्मनिहणे. 29)Jom. च, Pसंद्रविओ इमं च गंत, Pसोऊण. 30) निडिओ अहो जलरासिं, न जत्ति for झत्ति, I णिमुग्गो, उमुग्गो, ' inter. तरंग and तरल, J वीई. 31) जलतरलतरंग, P कहिं तुंग-- 32) Pom. मयर. Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६१३२ ३ 19 1 दुजण-जण-हत्थ-गओ विय णिक्खेतो कइयडाविओ णणं । तओ अकाम-णिज्जराए जलणिहिम्मि महा-मयर-चयण-कुहर-दाढा- 1 मुसुमूरण बेइयं बहुयं वेयणिज । तेण मओ संतो कत्थ गंतूण उववण्यो । १३३) अस्थि रयणप्पभाए पुढवीए पढमे जोयण-सहस्से तत्थ वंतराणं भवणाई, तेसु अप्पिटिओ रक्खसो ३ समुप्पण्णो । पउत्तं च णेणं विभंग-णाणं । 'अहो, केण उण तवेण वा दाणेण वासीलेण वा इमा एरिसा देव-रिही मए पाविय' त्ति । जाव दिटुं गेण अत्ताणं मयरेण गिलियं । दिटुं च जाणवत्तं । जाणिय च ण । 'अरे, इमेणं अहं पक्खित्तो एत्थ लोह-मूढ-माणसेणं' ति । तो चिंतिऊण पयत्तो। 'अहो पेच्छ पेच्छ, इमस्स दुरायारस्स साहसं । ण गणिओ णिहो । त्ति । ण मणिओ उवयारि त्ति । ण जाणिओ सज्जगो त्ति । ण चिंतिथं सुकयं ति । ण इच्छिओ पिय-मित्तो त्ति । ण-विओ अणुवगय-वच्छलो त्ति । सव्वहा 9 जो घडइ दुजाणो सजशेण कह-कह वि जइ तुलग्गेण । सो तक्खणं विरजइ तारेण हलिद्दि-रागो व्व ॥' इमं च चिंतयंतस्स उद्धाइओ तस्स कोवाणलो। चिंतियं च ण । 'अरे इमिणा चिंतियं जहा पुयं विणिवाइऊण एको चेय एवं अत्थं गेहामि । ता कहं गेण्हइ दुरायारो । तहा करेमि जहा ण इमस्स, अण्णस्स हवइ' त्ति चिंतिऊण समागओ 12 समुदं । तत्थ किं काउमाढत्तो । अवि य । सहस च्चिय खर-फरुसो उद्धावइ मारुओ धमधमेंतो । उच्छलिओ य जलणिही णच्चइ व तरंग-हत्थेहिं ॥ तो किं जायं । समोत्थरिया मेहा । उल्लसंति कल्लोला । धमधमेति पवणा । उच्छलंति मच्छा । उम्मुग्गवंति कच्छभा। मजति 15 मयरा । अंदोलद जाणवत्तं । भग्गं कूचा-खंभयं । णिवडंति पत्थरा। उत्थरंति उपाया। दीसए विज । णिवडंति उक्काओ । 15 गजए भीम । फुदृइ अंबरं । जलइ जलही । सबहा पलय-काल-भीसणं समुद्धाइयं महाणत्थं । तओ विसण्णो सत्थवाहो, विमणो परियणो, असरगो जणो, मूढो गिजामय-सत्यो त्ति । तओ को वि णारायणस्स थथं पढइ । को वि चंडियाए पसुं 18 भणइ । को वि हरस्स जत्तं उवाइएइ । को वि बंभणाणं भोयणं, को वि माईणं, को वि रविणो, को वि विणायगस्स, 18 को वि खंदस्स, को वि जक्खस्स, को वि रेमंतस्स, को वि बुद्धस्स, अण्णाणं च बहुविहं बहुविहे उवाइय-सहस्से भणइ । सत्यवाहो उण अदण्णो अह-पड-पाउरणो धूय-कडच्छुय-हत्थो विष्णवेडं पयत्तो 'भो भो, देवो वा दाणवो वा जक्खो वा 21 रक्खसो वा, किमम्हेहिं कयं पावं, किं वा तुमं कुविओ । सब्बहा दिट्टो कोवो, संपयं पसायं पेच्छिमो' त्ति । तओ पहाइओ 1 पलय-पवण-संखुद्-मयरहर-भीसणो महासहो । किलिकिलेति धेयाला । णञ्चति जोइणीओ । पयत्ता बिहीसिया-संघाया। ताणं चाणंतरं 24 मुह-कुहर-विणिग्गउरिगण्ण-जाला-करालाचलंतंत-पब्भार-पच्चंत-गंधुक्कडं दीह-दंतावली-डक्क-रोवंत-डिंभं सिवाराव-भीमं भउम्वे-24 वियासेस-लोयं महाडाइणी-णञ्चणाबद-हासं । विरइय-णर-सीस-मालावयं तंडयं गच्चमाणस्स वेयाणिलुद्धय-संघट्ट-खट्टक्खडाराव-पूरंत-मुज्झत-वेयाल-जालावली-रुद्ध-संचार मग्गं णहं दीसए । पहसिय-सिय-भीम-दीहट्ट-हासुच्छरुत-बद्धंधयारम्मि णासंतमच्चत्थ-दीहंकरं कंक-माला-महामास लुद्धा गिद्धावलीए समं सेवियं । 30 खर-णहर-महा-पहाराहयद्दारियासेस-खजत-जंतू-रवाराव-भीम महा-हास-संसह-गद्दब्भ-पूरंत-बीभच्छ-पेच्छं महा-रक्खसं । ति । 30 १३४) तेण य मुह-कुहर-विणिग्गय ग्गि-जालावली-संवलिज्जतक्खरं पलय-जलहर-समेणं सद्देणं भणियं । 'रेरे दुरायार पाव कूर-कम्म गिद्दय णिक्करुण, भद्दसेटिं बरायं अणवराहं वावाइऊण एवं वीसत्थं पत्थिओ' त्ति भणमाणेण 33 समुक्खितं दाहिण-दीह-भुया-डंडेणं तं जाणवतं । समुद्धाइओ गयण-हुतं । तओ तं उप्पइयं जाणवतं के रिसं दीसिउं पयत्तं । 27 1) P -जलहत्य- 2) P विश्यं, J बहुबेयणिजं. 3) J"पहाए, पढगो, " भवणे. 4) J विगंणागं, " om. उण, P om. वा after तवेण. 5)r brings एत्थ after इमेणं. 6) Jय पत्तो for पयत्तो. 7) अवधारो for उपयारि, P पियमत्तो. 8) P अणवगय-. 9) Pघडइ सज्जणो दुजणंमि, P जद for जर, विरइज्जः, न हलिदिराओ, "इलिद्द-. 10)F उहाइओ, J कोआणलो. 11) P जहा इमस्स, इमरसण अस्स. 13)P उच्छिलिओ. 14) विafter तओ, रामोत्थया, P उम्मगंति, J कच्छवा. 15) P भग्गर कूया-. 16)पुटर य अंबरं । दलइ जलनिही, महाअगत्यं. 17) Jणारायणट्ठस्सयं नारायणसत्ययं. 18) ण for भणइ, Pउवाएइ, J om. को पि before विणायगस्स, "विणागयस्स. 19) "रेवंतस्स, P भणइ. 20) Jom. अदगो, P अद्ध for अद्द, P विनविउं, Jom. जवखो वा. 21)पेच्छामो, Jom. ति. 22) पयत्तो. 24)P चलंतपदभार- 25) Pमहालाइणी-. 26) 'वयंसतंटयं, न यानिलुद्धसंघट्टजट्ट पहारा:. 27)" दीसते। 28) P हासुच्छलंबधयारविणासेंत". 30)P कर for खर, P repeats नहर, Pखर्जत जियंतजंपूर', Pाससमगद्दम. 31) Pसंचलिजतिबरपलय. 33)P भुयारंडेणं, J उप्प P समुप्पइयं, Pअविय after पयतं ।. Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६१३६] कुवलयमाला 1 पायालयलाओं समुट्टियं व गयणंगणे समुप्पइयं । असुर-विमाण-सरिच्छं व दीसए जाण-वरवत्तं ॥ ताव उप्पइयं जाव जोयण-सयं दुरुत्तरं । तओ रोस-वस-सिमिसिमेंत-हियएण अच्छोडियं कह दीसि पयत्तं । अवि य। 3 णिवडत-रयण-णिवह मुताहल-धवल-सोहिओऊलं । धुवंत-धया-धवल कीला-सेलस्स खंड व ॥ तं च तारिसं णिद्दय-असुर-कर-णोलियं गिवडियं । आवडियं विस्थिण्णे महा-समुद्च्छंगे तं जाणवतं । अवि य । तह तं वेयावडियं समुद्द-मज्झम्मि जाण वरवत्तं । णिवडतं चिय दिटुं पुणो ण णायं कहिं पि गयं ॥ 6 पेच्छ मणि-णिम्मल-गुर्गतम्मि समुदम्मि कत्थ वि विलीग । अहव गुण-भूसियाण वि संबंधो णस्थि जलहिम्मि॥ 6 तओ पलीगं भंड, मया णिज्जामया, विणटो परियणो, चुणियं जाणवतं । एत्थंतरे एस कह-कह वि णासग्ग-पत्त-जीविओ जल-तरंग-बीईए किर भंडवई समुदेण विवजइ त्ति । तेण कह-कह वि तरल-जल-पेल्लण-घोल-णिबोलिजतो वि एक्कम्मि 6 मुसुमूरिय-जाणवत्त-फलहयम्मि विलग्गो । गहियं च ण तं फलहयं । कह। कोमल-दइयालिंगण-फस-सुहासाय-जाय-सोक्खाहिं । बाहाहिँ तेण फलयं अवगूढं दइय-देहं व ॥ तं च अवगृहिऊण समासत्थो । चिंतियं च णेण । 'अहो, 12 जं जं करेंति पावं पुरिसा पुरिसाण मोह-मूढ-मणा । तं तं सहस्स-गुणियं ताणं देवो पणामेइ ।। 12 अण्णहा कत्थ समुदे विणिवाइओ भद्दसेट्ठी, कत्थ व समुद्धाइओ रक्लस-रूबी कयंतो । ता संपयं ण-याणाभि किं पावियवं' ति चिंतयंतो जल-तरल-तरंगावली-हेला-हिंदोलय-मालारूढो फलहए हीरिडं पयत्तो । ता कहिंचि मच्छ-पुच्छ-च्छडा-छोडिओ, 15 कहिंचि पक-णक-संकिओ, कहिंचि तणुय-तंतु-संजमिजंतओ, कहिंचि धवल-संखउलावली-विलुलिजंतओ, कहिंचि घण-विद्दम-15 दुम-वण-विमुज्झतओ, कहिंचि विसहर-विस-हुयास-संताविजंतओ, कहिंचि महाकमढ-तिक्ख-णक्खावली-संलिहिजतओ। १३५) एवं च महाभीगे जलगिहिम्मि असरणो अबलो अमाणो उज्झिय-जीवियवो जहा भविस्स-दिण्ण-हियओ 1s सत्तहिं राइदिएहिं तारद्दीवं णाम दीवं तत्थ लग्गो । आसत्यो सीयलेण समुद्द-वेला-पवणेणं । समुट्टिओ जाव दिसं पलोएइ 18 ताव य गहिओ कसिण-च्छवीहिं रत्त-पिंगल-लोयगेहिं बद्भुद्ध-जूडएहिं जम-दूय-संणिहेहिं पुरिसेहिं। इमेण भणिय 'किं मम गेण्हह' । तेहिं भणियं । 'धीरो होहि, अम्हाणं एस णिोओ। जं को वि एरिसो गेहं णेऊण मज्जिय-जिमिओ कीरइ' त्ति । एवं भणमाणेहिं णीओ गियय-घरं, अब्भंगिओ मजिओ जिमिओ जहिच्छं । उवविट्ठो आसणे समासत्थो। तओ चिंतियं च णेण । 21 'अहो अकारण-वच्छलो लोओ एत्थ दीवे । किं वा अहं सभग्गो'त्ति चिंतयंतो चिय सहसा उहाविएहिं बहो। पच्छा बह पुरिसेहिं बंधिऊण य मासलेसु पएसेसु छिदिउं समाढत्तो। मासं च चडचडस्स वए। छिपणं मासं, पडिच्छियं रुहिरं। वियणा24 उरो य एसो चलचल्ल-पेल्लणयं कुणमाणो विलित्तो केण वि ओसह-दव्य-जोएण, उवसंता वेयणा, रूढं अंगं ति । एत्थंतरम्मि पुच्छियं 24 वासवेण महामंतिणा भगवं धम्मगंदणो । 'भगवं, अह तेण महामासेण रुहिरेण य किं कुणति ते पुरिस'ति । भणिय च भगवया धम्मणदणेणं । 'अस्थि समुद्दोयर-चारी अग्गियओ णाम महाविडो ऊरुगो उरुग-संठाणो वेलाउलेसु पाविजइ त्ति । 27 तस्स परिक्खा मधुसित्थयं गंधरोहयं च मत्थए कीरइ । तओ तं पगलइ। तं च गेण्हिऊण ते पुरिसा महारुहिरेण महामंसेण 27 विसेण य चारेति । तओ एक्को सो महाविडो सुव्वं सहस्संसेण पाविऊण हेमं कुणइ त्ति । तेण भो महामंति, तेहिं पुरिसेहिं सो गहिओ। तओ पुणो वि भक्ख-भोज-खज्ज-सएहिं संवड्डिय तस्स मासं जाव छम्मासे । पुणो पुणो उक्कत्तिय मंसं रुहिरं च 30 गालियं । वेयणत्तो पुणो वि विलित्तो ओसह-व्वेहिं । पुणो वि सत्थो जाओ ति । एवं च छम्मासे छम्मासे उक्कत्तिय-मास- 30 खंडो वियलिय-रुहिरो अटि-सेसो महादुक्ख-समुद-मज्झ-गओ बारस संबच्छराई वसिओ। ११३६) अह अण्णम्मि दियहे उत्तिय-देहेण चिंतिथं अगेण लोहदेवेण । 'असरणो एस अहं णस्थि मे मोक्खो । ता 33 सुंदर होइ, जइ मह मरगण वि इमस्स दुक्खस्स होज वीसामो' ति । चिंतयण पुलइयं ण गयणयलं जाव दिवो 33 2) उप्पाउं, J सिमिसिमिसिमेंत । 'सिमित,J कई अदीसिउं. 3) P-सोहि ऊलं । धूयंत, खण्डलब, P च for व, 4)J गिअंगरकर, करु for कर. 5)Jinter.तं तह, P कहिं चि. 7)P रुंड for भंड. 8)P वीचीए, P भंढव्व तीए स समुदेग, " पेच्छगुवालनिब्योदि. 10) J सुहापाम:, Pजाई for जाय, J दलयं for फलयं, P अवरूदं, Pinter. देह and दश्यं. 11) अपऊहिऊण, समासस्थेण. 12)P करंति, देवो पणासेई. 13) Jom. व, P संपयं न याणिमो पा किं. 14) Pतरंगावलिउजतो कहिचि चिदम etc. (portion from below) संताविज्जंतओ कहिवली हेलाहिंदोलयमालारूढ. फलहजओ, JPटाच्छोडिओ. 15) कहिं पकणक, तंत. 16) P-सलिहिज्जंतओ. 17)Pजीवियवओ भविस्स. 18)P रायंदिल, "नाए वणेण. 19)rom. य, J कासग, J वट्टद्ध (?) Pबद्ध for बबुद्ध (emended), P सन्निभेहिं. 20)P कोई for को वि, नजिओ for मजिय. 21) अभिगिय जिमिउं, Pउविविठ्ठो आसणो, 3 om. च. 22) J सरुग्गो, P बाहु for बहु. 23) 'बघेऊण गांसलेमु, समादत्ता, Pom. प, J चदुए P बडए, P भंसं पडिच्छ गं. 24) Pom. य, P चलुचल्लचेल्लर्ण कुणमाणो. 25) वासवगहा , om. भगवं before अह, P -मंसेण, Pom. ते. 26) P°विडो जरुगोजरसंठाणो. 27) P तत्थ for तरस, गंधरोह, om. तमो. 28) Pचारंति, J सोम for सो, P सुंच for मुन्वं, P कुणंति ।. 29) Pom. तओ, " भोजपति, मंसं, I om. one पुणो, भासं. 30) Jom.' पुणो, P-दब्वेणं ।, P om. त्ति, I om. च, J -मांसं खंतो. 31)। वसि ।। 32)P अहो अन्नं मि, Jण for अणेण, P एत्य for एस, I गो for मे. 33) Prepeats सुंदरं, Pचितियंतेण. . Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [S] १३१ 1 रुहिर - मास - गंधायडिओ उवरि भम्माणो भारंड-महापक्खी । तं च दट्ठण आउलमाउले परियणे णिक्खतो बाहिं आयास-तले 1 दिट्ठो य तक्खणुक्कत्तिय वहंत रुहिर- णिवहो भारंड-महापक्खिणा, झड त्ति विडिऊण गहिओ । हा-हा-रव-सह-गभिणस्स 3 परियणस्स समुदाइओ पुरओ चिय गयणंगण-हुतं । तओ णिसियासि सामलेणं गयण-मग्गेणं पहाइओ पुव्युत्तर - दिसा- 3 विभावं । तत्थ किं काटमारतो । अविव । पिय खर्ण रुहिरो पद मास पुणो खणं पाणी भेज भट्टिय-विहं णं णं पट्टए मम्मे ॥ 6 एवं च विलुप्पमाणो जाव गओ समुद्दुच्छंगे ताव दिट्ठो अण्गेण भारंड-पक्खिणा । तं च दहूण समुद्राइओ तस्स हुत्तं । सोय पलाइ पत्तो । पलायमाणो य पत्तो पच्छा पहाइएणं महापक्खिणा । तओ संपलगं जुई । गिर- चंचु-पहर-खरहर मुद्र-विचारणेदिय उज्झमाणानं चुको चंचु-पुडालो तो विडिर्ड पत्तो । 1 गिर चंचुपारावत-संजाय-जीय-संदेहो भासासिनो पडतो गणय सीय-पवगेण ॥ विडियो प स ति समुद-जले तो तम्म अहिचिमे दे चिंधु-पहर-परते व समुह कह हिउं पयत्तं । अवि य । 9 ७० 12 जद जह लग्गइ सलिलं तह तह णिमयं उहह अंग दुजण दुच्चयण- बिसं सजण दियएव्य संपतं ॥ 7 । तो इमो सम्म सलिले अणोरपारे तो जले खतो जलयरेहिं जलतरंग-बीई-दयेहिं व गोलिन माणो समुरेणावि मित्त-वह- महापात्र - कलुसिय हियओ इव णिच्छुभंतो पत्तो के पि कूलं । तत्थ य खण- मेत्तं सीयल-समुद्द-पवण- पहओ ईसि 16 समूससि । णिरुवियं च गेर्ण कह-कह विजय के पि लावणं तं च वेरिसं । एला-ग-पायव-कुसुम भरोण मिय-रुद्र संचारं कप्पूर-पूर-पसरंख-बल-मयरंद-गंध ॥ चरण-बाहरेसुं किंणर-विलयाओ राथ गायति साहीण-पिययमाओं विभणिमिडियाओ ॥ कयली-वणेसु जत्थ य समुद्र- मिउ-पवण हल्लिर-दलेसु । वीसंभ-णिमीलच्छा कणय-मया णिच्च संणिहिया ॥ । 18 1 ( १३७) तस्स य काणणस्स विणिग्गएणं बहु-पिक्क-फल-भर- विविह सुरभि - कुसुम - मासल-मयरंद-वाहिणा पवणेण समासासिनो समुहको समुद्र-तटाओ परिभमिउमादत्तो तम्म व काणणे तो करयल- दलिय चंदण-किसलय-रसेण विलित21 मग अंगे । कवाहारो य संकुत्तो पिक-सुरहि-सुबह- साउ-फलेहिं दो व गेण परिभमाणं काणणस्स मज्झ देसे महंतो वड- पारोहो । तत्थ गमो जाय पेच्छ मरगय-मणि- कोमियल गाणाविद-कुसुम- गियर रेहिरं सरय- समए विय बहुल-पभोसे हंगणेच हिऊण चिंतिये अगे 'अहो, एवं फिर सुम्ब सत्सु जहा देवा सग्गे वसंत ता ते सुंदरासुंदर21 विसेस जाणया । अण्णा हमे पसे लोक-सुंदरं परिवण सग्गे शिवसंत' चिंतत उपविट्टोम्मिड-पाव ति । तत्थ निसगेण य देव-नाम- कित्ता-सण्या-विष्णा चितिषमण लोहदेवे 'अहो, अथि को विधम्मो जेण 1 " 1 देवा देव- लोएस परिवसंति दिव्व-संभोग ति । अत्थिय किं पि पावं जेण णरए पेरइया अम्ह दुक्खाओ वि अहियं दुक्ख27 मुव्वर्हति । ता किं पुण मए जीवमाणेण पुण्णं वा पावं वा कथं जेण इमं दुक्खं पत्तो' त्ति चिंतयंतस्स हियए लग्गो सहस ति तिक्ख-सर-सलं पिव भदसेट्ठी । तभ चिंतिउं पयन्तो । 'अहो, J 1) P उवरि कमनाणो भारुंड आयासअले । P तले य 1. 2 ) P तक्खणकत्तिय, P भारंट, J inter. महा and भारंड, उ झस P उझट. 3 ) P गयणांगण, Pom. पहाइओ P दिसाभायं. 5 ) P खणं घोट्टए रुहिरं ॥ 6 ) विलुंपमाणो, P समुद्दुच्छंगो तावदिट्ठो समुद्दुच्छंगे ताव दिट्ठो अनेन भारुंड P सपुट्ठाई तरस 7 ) P संलग्गं, प्पहार 8 ) । कुहर for मुह, P निवडियं. 9 ) P -प्पहारा, उ घुयधरिय for संजाय, P गयणयले सीय, सीयल- 10 ) P om. तओ P हिणवत्तिय, P निद्दयं, P परजेयं, P सलिलं अह दहि ं. 12) P दह, P -हिययं व । 13 ) P अगोरपासे, P पुगो लिज्ज for व गोलिज, P समुत्तिद 14 ) J कलुसिओ इव, P निब्भच्छंतो, P ईसी. 17 P सीहीण, अणुस्त्तुकंठ । अणमि तुकण्ण- 18) P कणे for वणे, कणयमाया- 19 पद 20 P समुद्दिओ P करयलयदलिय P विलित्तनागेणं. (21) कयाभारो, P -प्फलेहिं ।, JP वणेण for य णेण । परिब्भम 22 ) वटयारोहो, P कोमियले नियरेहिरं, P विआ for विय. 23 ) J णेण for अगं, P किर after जहा, P निवसति, inter. ते and . 24 ) P बिस for विसेस, JP परिचरऊण 25 ) णिसुत्रेण, P त्रितयमप्पे, P धमो for धम्मो 26 ) सभोगो, P नारश्या । अहं दुक्खाओ. 27 ) P संपतो for पत्तो, P सहस्स for सहस 28 > चिंतियं for चितिडं. om. पि Pom. अत्ताणयं, P अत्थत्थाणंमि. 31 ) Pom. त्ति, ताओ for तओ, कुमुगयरंद 32 ) Pom. जलहि, तरंगा रंगा', P तरेणं for जडेणं. 33 ) Pom. य, P विभाविज्जतखरन्हुर, Padds ताणयंति before दिनं च Jom.. 30 ) 12 अम्हारिसा किं जीविण पिय-मित्तद्दिण-हाण जेण कयग्येण मए भदो हि समुवणीओ ॥ 30 ता धिरथु मम जीविएणं । ता संपयं किं पि तारिसं करेमि, जेण पिय-मित्त वह कलुसि अत्तायं तित्यत्थाणम्मि वावाएमि, 30 जेण सव्वं सुज्झइति चिंतयंतो णिवण्णो । तओ सुरहि-कुसुम-मयरंद - बहल - परिमलुग्गार वाहिणा ममासासिज्जैतो सिसिरजलहि-ज-तरंग-रंगावली- विविसप्पमान-जल-लब-जणं दाहिं पेय मुले वढ-पायय-तलम्मि खण-मेलस्स 33 य विबुद्धो ईसि विभासितखर-महुर मुहुमेणं सरेण 1 दिष्णं च णेण सविसेसं कृष्णं । 15 18 88 Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 9 -$ १३९] कुवलयमाला ७१ 8१३८) आयण्णिऊण य चिंतियं पेण । 'अरे, कयरीए उण भासाए एवं उल्लवियह केणावि किं पि । हूं, अरे सक्कयं । ताव ण होइ । जेण तं अणेय-पय-समास-णिवाओवसग्ग-विभत्ति-लिंग-परियप्पणा-कुवियप्प-सय-दुग्गमं दुज्जण-हिययं पिव विसमं । इमं पुगण एरिसं । ता किं पाययं होज्ज । हं, तं पि णो, जेण तं सयल-कला-कलाव-माला-जल-कलोल-संकुलं । लोय-युत्तंत-महोयहि-महापुरिस-महणुग्गयामय-णीसंद-बिंदु-संदोहं संघडिय-एकेक्कम-वण्ण-पय-णाणारूव-विरयणा-सह सज्जणवयणं पिव सुह-संगयं । एयं पुण ण सुह। ता किं पुण अवहंसं होहिह । हूं, तं पि णो, जेण सक्कय-पायओभय-सुद्धा8 सुद्ध-पय-सम-विसम-तरंग-रंगत-वग्गिरं णव पाउस-जलय-पवाह-पूर-पव्वालिय-गिरि-णइ-सरिसं सम-विसमं पणय-कुविय-पिय- 6 पगइणी-समुलाव सरिसं मनोहरं । एयं पुण ण सुट्ट। किं पुण होहिइ ति चिंतयं तेण पुगो समायणियं । अरे, अस्थि चउत्था भासा पेसाया, ता सा इमा होहित्ति । एत्थ वड-पायत्रोयरे पिसायाण उल्लाबो होहइ' ति। १३९) 'ता पुण को इमाणं समुल्लावो वइ' त्ति चिंतयतो हिओ । भणियमण्णेण पिसाएण णियय-भासाए। 9 'भो एतं तए लप्पिय्यते यथा तुडभेहिं एतं पव्यय-नती-तीर-रम्म-वन-काननुय्यान-पुर-नकर-पत्तन-सत-संकुलं पुथवी-मंडलं भभमानकेहिं कतरो पतेसो रमनिय्यो निरिक्खितो त्ति । एत्यं किं लपिय्यं । तं अभिनवुभिन्न-नव-चूत-मंजरी-कुसुमोतर-लीन-पवन-संचालित-मंदमंदंदोलमानमुपांत-पातपंतरल-साखा-संघट्ट-वित्तासित छच्चरन-रनरनायमान-तनुतर-पक्ख- 12 संतति-विघट्टनु भृत-विचरमान-रजो-चुन्न-भिन्न-हितपक-विगलमान-विमानित-मानिनी-सयंगाह-गहित-विय्याथर-रमनो विय्याथरोपवनामोगो रमनिय्यो' त्ति । अण्ण भणियं । 'नहि नहि कामचार-विचरमान-सुर-कामिनी-निगिय्यमान-दइत-गोत्त5 कित्तनुल्लसंत-रोमंच-सेत-सलिल-पज्झरंत-पातालंतरक-रतुप्पल-चित्त-पिथुल-कनक-सिलंतलो तितस-गिरिवरो पव्वत-राजो 15 रमनिय्यतरो ति । अण्ण भणियं । 'कथमेत लपित सुलपित भोति । विविथ-कप्पतरु-लता-निबद्ध-दोलक-समारूढ सुर-सिद्ध-विय्याथर-कंत-कामिनी-जनंदोलमान-गीत-रवाकन्नन-सुख-निब्भर-पसुत्त-कनक-मिक-युगलको नंदनवनाभोगो रमनि५ य्यतरो' त्ति । अवरेण भणियं । 'यति न जानसि रमनिय्यारमनिय्यानं विसेसं, ता सुनेसु । उद्दाम-संचरंत-तिनयन-वसभ. 18 ढेकंता-खुप्पित्य-नुज्झंत-गोरी-पंचानन-रोस वस-वितिन्न-विक्कम-निपात-पातित-तुंग-तुहिन-सित-सिसिर-सिला-सिखरो हिमवतो रमनीयतमो' त्ति । अण्ण भभियं । 'नहि नहि वेला-तरंग रंगत-सलिल-घेवुद्धत-सिलिर-मारुत-विकिरिय्यमानेला-लवंक। कक्कोलक कुसुम-बहल-मकरंदामुतित-मथुकर-कलकलाराबुग्गिय्यपमाने के कम-पातप-कुसुम-भरो इमो य्येव बेला-वनाभोगो । रमनिय्यतमो' त्ति । अवरेण भागेयं । 'अरे, किं इमकेहिं सव्वेहिं ययेव रामनीयकेहिं । यं परम-रमनीयकं तं न उल्लपथ तुब्भे । सग्गावतार-समनंतर-पतिच्छित-नव-तिभाग-नयन-जटा-कटापोतर-निवास-ससि-कला-निद्धतामत-निवह-मथुर-धवल। तरंग रंगावली-वाहिनि पि भगवति भगीरथि उझिऊन जम्मि पापक सत-दुटुप्पमो पि, किंबहुना मित्त-वथ-कतानि पि 24 पातकानि सिन्नान-मेत्तकेनं येव सत-सक्करानि पनस्संति । ता स च्चेय रमनीया सुरनति' त्ति । तओ सव्वेहिं भणियं । 'यदि एवं ता पयट्टथ तहिं चेय वच्चामो' त्ति भगमाणा उप्पइया धोय-खग्ग-णिम्मलं गयणयलं पिसाय त्ति । इमस्स वि णरणाह, हियवए जहा दिव्वाणं पि पूयणीया सव्व-पावहारी भगवई सुरसरिया तम्मि चेय वच्चामो जेण मित्त-वह-कलुसियं अत्ताणयं 27 1) " om. य, " तेग for tण, J कयलीए, ' अणु for उण, P उल्लवीय त्ति केग कि, P हुं. 2) Pतम अ°, P समासनिवाओवसयविभक्ति. 3)Jom. ण, पायं for पाययं, सकुला. 4) महोयही, P गुहणुग्गया, P संदोर संघ", संघडिए एके, -वनपायनाणारूव, 'सुई for सह. 5) Pवणं for वयणं,J किं अवहंसं, P अवमंसं होहिई । हुँ, P addso belore सकय. 6) Jom. विसम, J जलयर (bulo perhaps struck off), P जलरय for जलय, P पणयकुषियं पिव पण. 7) Pतहा for सुह, सम्मायनियं. 8) वडपायो, | om. होहर ति । ता पुण कोरमाणं समुलावो. 10 एयं for एतं, P लपिप्पते, I om. पतं, पणती, नदी for नती, Pom. तीर, रंग,J वण " चन, P कानतुप्पान, नकर पत्तइसत्त, P पुत्तन for पत्तन, J मण्डलं. 11) के किं for केहिं, J निरिक्खित्तो P तिरिक्खि दो, P लम्पिज्जते for लपिय्यं, P om. तं, P om. नक, P भूतपंजरी. 12) -लीणा, J adds पवनसंचालित on the margin which is omitted in P. J°दोलमानामुपात्तयातरुसंघट्ट P'दोलमानन्नवपातपं, J तरु for तरल, Jom. साखा, ' संघचचित्तासित्तच्छच. 13) J-संतती, P विघटनु, JP चुपण, J भिण्ण, P भिन्नाहतपंकावि, विय्याधरो". 14) रमनिज्जो, अक्षण, भणिअं, P कामकामचारविचारमान, P-निचमान उदितगोत्त. 15) P रोमंचा, J सेय for सेत, " पजरंत, J पायालंतरक पातालनूक-, चिन for चित्त, P सिलातले. 16) रमनिय्यातरो P रमनिज्जतरो, P अण्णेण्ण, मणिअं, Pom. लागतं,J त्ति for ति (in भोति), P विविधः, Jadds तर before लता. 17)P विज्जाधर,J कन्नाना-, J-णिभर, Pयुगलके नंदनो वना, रमनियोतरो P रमनिज्जतरो. 18) मणि, P रमनिज्जारमनिज्जानां तानु तेसु विसेसं उद्दाग-. 19J ढेंकेंता Pटेकना, I पंचाननं,J वास for रोस, J वितिण्ण P वित्तिन, P -पतित, J om. सिला, हेमंतो रमणीयलमो " हिमवंतो नामनीयतमो. 20) अजेण, J भणिअं, I लेवुदुत, P विरूत,J मारु for मारुत, P विकरिप्पमानेला लवंग. 21) बगुलमकरंदमतितमधुकरराफलाकलाराबुगिप्यमाने', मथुकरतलकलारावुग्गिय्यमाने के पातकुसुम- 22) I रमनिय्योतमो P रमनिज्जतमो, Pइमं क हिं, I om. सोहिं, P प्पेब for य्येव. 23) P पतीच्छितनभनवः, J भट्टा for जटा, I कटाघात for कटापोतर, निहतामननिवह, P मधुर. 24) तरंगा, वाहिनी । भगवति भागीर थि Pवाहनि पि भगवती भगीरथी उज्झितुन जगि, रुद्धपसोfor दुप्पमो, ' कांतानि for वतानि. 25) सिज्जानमेत्तकेनं P सिशानमेत्तकेनप्पेवासत, पतरसंति, 'सब्चे य रम्मयासुरत ती ति, J सव्येहि शिभणियं, J जइ for यदि. 26)P खगनिम्मलं, JP नरनाह. 27) पूअणीयावहारी, P पूयणीया। सवपापहरी भगवती,I adds ता before तम्मि, P ताईमि for तम्मि. Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसूरिविरड्या [१३९1 सोहेमो त्ति चिंतयंतो समुट्ठिओ सुरणई-संमुहो । तओ कमेण आगच्छमाणो इह संपत्तो, उवविछो य इमम्मि जण-संकुले 1 समवसरणे ति । इमं च सयलं वुत्तंत भगवया साहियं णिसामिऊण लज्जा-हरिस-विसाप-विमुहिज्जतो समुदिओ णिवडिओ 3य भगवओ धम्मणदणस्स चलण-जुवलए । भणियं च णेण । 'जं एयं ते कहियं भगवं सर्व पि तं तह चेय । अलिय ण एत्थ वर-जस तिल-तुस-पेत्तं पि ते अस्थि ॥ ता भगवं दे जंपसु एत्थ मए किं च णाह कायवं । किं ता सुरसरिय च्चिय अहव। अण्णं पि पच्छितं ॥' 6 ६१४०) भणियं च गुरुणा धम्मगंदगेणं । 'जलणो डहइ सरीरं जलं पितं चेय णवर सोहेइ । अंगठियाई भंजइ गिरी वि णवरं शिवडियाणं ॥ देवाणुपिया जे पुण घण-कसिणं विरइयं पुरा कम्मं । तं पर-तवेण तप्पइ णियमा सम्पत्त-जुत्तेणं ॥ ता उज्झिऊण लोहं होसु विणीओ गुरूण सय-कालं । कुणसु य वेयावचं सज्झाए होसु अहिउत्तो। खतीए देसु चित्तं काउस्सग्गं च कुणसु ता उग्गं । विगई परिहर धीरो चित्ती-संवा कुणसु ॥ पालेऊण वयाई पंच-महासह-पढम-गरुयाई। गुरुयण-दिटेण तओ अणसगएणं सुयसु देहं । 12 जत्थ ण जरा ण मञ्च ण वाहिणो णेय सव्व-दुक्खाई। सासय-सिव-सुह-सोक्खं अहरा मोक्खं पि पाविहिसि ॥" इमं च णिसामिऊण पहरिस-वियसमाण-वयमेणं भणियं लोहदेवेणं । 'भगवं जइ ता जोग्गो इमस्स तव-संजमस्स ता देसु । मित्त-बहं मम पावं परिसुज्झइ जेण करणं ॥' 15 भगवया वि धम्मणंदणेण । पायवडियस्स सुइरं बाह-जलोलिया-मइल-गंडस्स । उवतंत-तिब्व लोहे सामणं तेण से दिणं ॥ एवं च णाणाइसएण णाऊण उवसंत-कसाओ पव्वाविभो लोह-देवो ति ॥ ७ ॥ 18६१४१) भणियं च पुगो वि गुरुणा धम्मणदण । ___'मोहो कज-विणासो मोहो मित्तं पणासए खिप्पं । मोहो सुगई रुंभइ मोहो सधं विणासेइ ॥ अवि य मोह-मूढ-मणो पुरिसो अकज पि कुणइ कज्ज पिण कुणइ, अगम् पि वच्चइ गम्म पि ण वच्चइ, अभक्खं पि 21 असइ भक्खं पि णासइ, अपेयं पि पियइ पेयं पि ण पियइ, सव्वहा हियं पि णायरइ अहियं पि आयरइ ति । अवि य । । गम्मागम्म-हियाहिय-भक्खाभक्खाण जस्स ण विवेगो । बालस्स व तस्स वसं मोहस्सण साहुणो जति ॥ जेण, भइणि पि कुणइ भज्ज जणयं मारेइ पेच्छ ईसाए । मोह-विमोहिप-चित्तो णरवर एसो जहा पुरिसो॥' 24 भणियं च णरवइणा । 'भयवं बहु-पुरिस-संकुलाए परिसाए ण-याणिमो को वि एस पुरिसो' त्ति । भणियं च गुरुणा धम्म- 24 णंदणेणं । "जो एस तुज्झ दूरे दाहिण-देसम्मि वासवस्स भवे । ण सुणइ भणियं वयणं सुयं पि सम्म ण-याणाइ । 27 पुरओवटिय-कज्ज ण पेच्छइ कि पि मउलियच्छीओ। जूय-जिओ जूययरो व्व ओ अह किं पि चिंतेइ ॥ थ लेप्पमइउ व्व धडिओ बाहिर-दीसंत-सुंदरावयवो । कज्जाकज्ज-वियारण-विमुहो थाणु व्व एस ठिओ ।। जो सो सुबइ मोहो तं च सरूवेण पेक्ख णरणाह । एएण मोह-मूढेण जं कयं तं णिसामेह ॥ 30 १ ४२) अस्थि भुयो पयासो कोसल-णरणाह-पुत्त-मोतंको । कोसल-जगो जणाग कोसल-जण-णिवह पूरंतो ॥ 30 जहिं च ससूयाओ सालीओ कुटुंबिणीओ य, सवाणियई गामाइं संबोलई च, सासाउलई पउत्थवइया-मुरूई छेत्तई च, असणसंकुलई वणई भोजई च, दियवरा हिहियओ सालीओ वात्रिओ य, सहलई तरु-सिहरई सीमंतरइंच, धम्म-महासाहणुजुवा 33 जुवाणा महामुणिंदा य त्ति । अवि य । सालिवण-उच्छु-कलिए तम्मि य देसम्मि महियलब्भइए । अस्थि पुरी पोराणा पवरा पर-चक्क दुखंघा ॥ तहिं च तुंगई धवलहरई ण गुरुयण-पणामई च, दीहरई पेम्माबंधई ण कोवारंभई, क-विवंकई कामिणी-केस 33 1) P सुरनई, जओ for संमुहो, Pइ, Jom. जण. 2) "सरण ति, सयल', विसया for विसाय, Pom. णिवडिओ. 3) P जुबलये. 4) J या for ते (after nि). 5) Pom. च. 7) Pदाहर, कोहोरं for सोहेल, P नवरं विनाडियाण. 8) Padda जीवेण बई before घग, P जत्तेग 1. 9)J गुरुमणरस सयकालं, J अभियुत्तो. 10) संतीय, काउसगं, P विगई, धीरो विरो वित्ती-. 11) Pप उमगुरुवाई, J अगसरणं. 12) तो तत्व जत्थ for the first lino जत्थ ण जरा etc., J पावेसि. 13) P भणियं च लोभदेवेणं. 16) I जलोलि- जलोपालि, पसंत तिव्यकोहो त्ति सा, "सो for से. 17) P repeats पन्चाविओ, Pत्ति ।। छ। प्रवजितो लोभदेवः चतुर्थों धर्मनंदनाचार्येण । माग ete. 18) Pom. दि. 19) P सुगई. 20) Jon, कजं मिण कुगइ. 21) असई, P नासेई, Pinterchanges the places of पेयं and अपेयं, पण पियर, I पि णायरद त्ति ।, P om. ति. 22) विवेओ।. 23) विमुंजइच्छद जण, पेच्छा सार. 24) Pom. धम्मणदणेणं. 26) J om. three verses जो एस तुज्झ etc. to थाणुव्व एस डिओ1.27) Pपूरओपहिलं, पेच्छई or मउलियअच्छीओ] P अह किं किं. 29) सु for सो, J मिसामहि. 31) J ससूअउ समुआओ, P व for य. 32) राहि ष्टिय भो, P सालाओ,J व for य, P अव्या for य, P"साङ्गजुवाणमा 33) Pom. जुगाणा, J मुर्णिद च त्ति, 'मुणिम त्ति. 35)P तुंगारं,Jom, च, Pom. ण कोवारं वंक for कविका, कामिाण-,J केसद (इ) मरई. Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -११४३] कुवलयमाला 1 टमरई ण चरियई, थिरो पीइ-पसाओ ण माण-बंधो, दीहरइं कामिणी-लोयणई ण खल-संगई ति । अवि कामिणियण-मुहयंद-चंदिमा-दुमिय-तुंग-धवलहरा । पडम-पुरी पोराणा पयडा अह कोसला णाम ॥ 3 तम्मि ये पुरवरीए कोसलो णाम राया, जो चंडो, चंड-सासणो, विणय-पणिमइय-सामंतो, सामंत-पणय-चलणो, चलण- 3 चलंताचालिय-महिवीढो, महिवीढ-णिवज्जियासेस-महिहरो वजहरो ब्व । अवि य जस्स ___ संभम-पलाण-वण-मज्झ-रोइरे तुरिय-भीय-विमणाहिं । रिउ-पगइणीहि लीये मूलिजति णामेण ॥ सो य राया कोसलो सामण्ण उड्डो घि पारदारियाणं विसेसओ चंडो। अह तस्स पुत्तो विज्जा-विण्णाण-गुणातिहि- 6 दाग-विक्कम-णीइ-रूव जोव्वण-विलास-लास-णिब्भरो तोसलो णाम अणिवारिओ वियरइ पियय-णयरीए । वियरभाणो य संपत्तो एकस्स महाणयर-सेट्रिणो धवलहर-समीवं । तत्थ य गच्छमाण दिट्ट जाल-गवक्ख-विवरंदरेण जलहर-विवर-विगिरगयं ) पिव ससि-बिंब बयण-कमलं कीय वि बालियाए । तो पेसिया गेण कुवलय-दल-दीहरा दिही रायउत्तेण। तीए वि 9 धवलायंविर-रोहर कज्जल-कसणुजला चियसमाणी । पेसबिया णिय-दिट्ठी माला इव कसण-कमलाण ॥ प्रत्यंतरम्मि सहसा परदारालोव जणिय-कोवेण । पंच सरा पंचसंरेण तस्स हिययम्भि पक्खित्ता ॥ रतओ गिद्दय-सर-णियर-पहर-वियणा-विमुहेण परिमलियं वच्छयलं दाहिण-हत्थेणं । वामेण य अणभिलक्खं उद्वीकया तज्जणी- 12 अंगुलि त्ति राय-तणपुगं । तीए य दाहिण-हत्थेणं दसिया खग्ग-चत्तणी । ओ रायउत्तो गर्नु पयो । चिंतियं च णेणं । 'अहो, रुवाणुरूवं इमीए वणिय-दुहियाए वियवृत्तण' । चिंतयंतो संपत्तो णियय-धवलहरं । तत्थ य तीए चेयड्व-रूव-गुणविमाण-विलासावहरिय-माणसो तीए संगमोवायं चिंतिउं समाढत्तो। ताव य कुसुंभ-णिग्गयय-राय-रत्तंबरो रवी रुइरो । णव-वर-सरिसो रेहइ सेवंतो वारुणि णवरं ॥ वारुणि-ग-पमत्तो पलहत्थिय-रुइर कमल-वर-चसओ । अत्थइार-पीढग्राओ रवी समुहम्मि कह पडिओ ॥ ताव य, । सुपुरिस-पयाव-वियले कुपुरिस-जण-विष्ण-पयड-पसरस्मि । कलि-जुय-समे पलोसे खल व्व पसरंति तम-णिवहा ।। ६१४३) तमो जामिणी-महामहिला-गवलंजण-भमर-कसिण-दीह-विस्थिण्ण-चिहुर धम्मेल्ल-विरल्लणावडंत-पयड-तारासिय-मलिया-कुसुमोवयार-सिरि-सोहिा गयणंगजे बहले तमंधयारे चिंतिवं रायउत्तेण । राई बहलं च तमं विसमा पंथा य जाव चिंतेमि । ताव वरं वितिजउ दुक्खेण विणा सुहं गत्थि ॥ 21 त्ति चिंतयंतो समुदिओ । कय गण सुणियत्थं णियंसणं । णिबहा गेण कुवलय-दल-सामला छुरिया । गहियं च दाहिण-हत्येण वइरि-वीर-सुंदरी-माण-गिसुंभण खग्ग-रयणं । पूरियं पट्टे वसुणदयं । सव्वहा को आहिसारण-जोगह वेसग्गहो । संपत्तो धवलहरं । दिणं वितरिखतं करणं । वलग्गो मत्त-वारणए । समारूढो पासाए । दिट्ठा य गेण सयल-परियग-रहिया णिम्मल- 24 पजलत-लट्रि-पईवुजोइयासेस-गब्भहरयावराहुत्ता किं किं पि दोग-चिमणा चिंतयंती सा कुल-बालिय ति । तं च द?ण सणिय रायउत्तेण णिक्खित्तं वसुगंदयं वसुमईए, तस्सुवरि खग्ग-रयणं । तओ णिहुय-पय-संचारं उवगंतूण पसारिओभय-दीह-भुया• डंडेण ठड्याई से लोयणाहं राय उत्तेण । तओ फरिस-वस-समूससिय-रोमंच-कंचुयं समुन्वहंतीए चिंतिथं तीए कुलबालि- 27 याए जहा मम पुलइयं अंगं, पउम-दल-कोमल-दढिणाई च करयलाइं, सहियणो ण संणिहिओ, तेण जाणिमो सो चेय इमोमह हियय चोरो त्ति चिंतिऊण संलत्तं तीए । । 'तुह फंसूसव-रस-वस-रोमंचुच्चइय-लय-राएहिं । अंगेहिं चिय सिष्टुं मण-मोहण मुंच एत्ताहे ॥' इय भणिए य हसमाणेण सिविलियं णयण-जुवलयं राय-तणएग । अब्भुट्टिया य सा ससंभमं कुलबालिय ति । उवविट्ठो राय 15 .30 1) पिपसाओ, माणबद्धो, P संगयं ति. 2) अविय कामिणि", J चंद for तुंग, P पुराणा. 3)P transposes राया beforo कोसलो, - पणि for विणय, J om. पणिश्य. 4) चलंचा, P om. महिवीढ, P-विणिज्जियासेस, Pव्वजहरो, Pom. जरस. ) गज्शे, P लाये [लीवे हि]. 6) सामलेण उग्गदडो वि, J पर for पार, P चिनाणगुणाहियादाण. 7) भव for रूब, वारिओ वियर वियइ नियय- 8) Pसेठिगा, तत्थ अच्छमाणेण. 9) Jतीय वि. 12) Padds व after चिमुहेण, Jउ.मनाया. 13) रायउत्तेण for रायतणपणं, तीय य, rom. य, दाहिणं, Jहत्थे for हत्थेणं, Pom. गंतु पयत्तो. 14)P on. इमीए, P वियहत्तर्ण, P ती य वियगुण-. 15) P विलासालावह रिय, P तीय for तीए. 16) P ताव य मलियकुसुंभराय तबरा रवी, जिगया, P रहइ, सेतो, P वारुणी नवरं. 17) P संगममित्तो, " रुहिरयमलकरवसओ अस्थिहरि. 18) Pकुबुरिस, J जल for जग, पयर for पयड, P कालिजयसमे पउसो. 19) P विक्तिछन्न for वित्थिपण. 20) J सिह for निरि. 21) नितेमो. 22) P समुपटिओ, J कयण्णेण णियत्थं, Pणेण सुणियत्थ, J सामलफलाच्छुरिया, Jom. न. 23) गाणं for माण, I अहिसारिआण, P वेसगणे. 24)P किरणं for करणं. 25) P पजलंत, P 'पराहुत्ता, ' om. मि, दीगविमणं, I on. सा. 26) P निय for णिहुय, P om. दीद, Jom. भुया. 27)P दंडेण, । हरिस for फरिस, मूसलिअ for समूससिय, कंचुक्य, P समव्यहंती विय बि', J om. जितियं तीप. 28) कोमलकढिणाई P कमलदहिणाई, J सायणोऽणिहिओ, .om. सो. 29) Pसंलत्तीए for संलतं. 30) Pom. वस, P सेयराहेहि.. Here, after एताहे, Prepcats इय भणिए पहसाणेण सिविलयं नयगजुवलयं रायतणण्यण । भुट्टिया य सा ससंभमं कुलराहेहिं अंगेहिं सिटुं मणमोहण मुंच पत्ताहे. 31) Pइसमणेण. 10 Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४ उज्जोयणसूरिविरइया [६१४३1 तणओ । भणियं च णेण । 'सामणि, मह जीएण साविया, तं साह फुडं किं विचिंतेसि' । तीए भणियं । 'सुहय, एयं 1 विचिंतेमि । रायउत्त, ३ सीलं सलाहणिज ते पुण सीलाओ होज दुगुणं व । सीलेण होइ धम्मो तस्स फलं तं चिय पुणो वि॥ सीलेण विणा किं जीविएण तुमए विणा वि जीएण । इय चिंतती' तुमं वर-जस डोलायए हिययं ॥' इमं च सोऊण भणिय रायउत्तेण । 'सुंदरि, जइ एवं तुभ सीलवई सील-भंग-विमणा य, ता अच्छ तुम जहासुहं, वच्चामि' 6त्ति भणमाणो घेत्तुं खग्गं समुष्ट्रिओ, गहिओ य ससंभम उवरिम-पट्टेसुयते कुलबालियाए । भणियं च तीए । 'हरिऊण मज्झ हिययं वचसि रे चोर तं मुहा कतो। कंटे सुणाल-कटिणं बाहु-लया-पासयं देमि ॥' १४४) एवं भणिओ उपविट्ठो आसणे रायउत्तो। भणिय च कुलबालियाए । 'रायउत्त, जं एत्थ परमत्थं तं ता णिसामेसु, पुणो जहा-जुत्तं करिहिसि । अस्थि इमीए चेय कोसला-पुरीए णंदो णाम महासेठी । रयणरेहा णाम तस्स भजा।। तीए उयरे अहं समुप्पण्णा । णामं च मे कयं सुवण्णदेवी । वल्लहा य जणणि-जणयाणं । तओ तेहिं दिण्णा विण्हुयत्त-पुत्तस्स हरिदत्तस्स । सो य में परिणेउं दिसादेस-वणिज्जेणं जाणवत्तमारुहिउं लंकाउरि गओ । तस्स अज्ज दुवालसमो वरिसो 12 सातिरेगो, गयस्स ण य से पउत्ती वि सुणीयइ त्ति । इमं च कुवियप्प-सय-भंगुरं विसय-मच्छ-कच्छवुक्कई इंदिय-महामयर-19 समाउलं काम-महावत्त-दुत्तारं जोव्वण-महासागरं तरंतीए अवहरियं विण्णाणं, गलिओ गुरुयण-विणओ, परिमुसियं विवेग रयणं, पम्हुष्टुं गुरु-बयणं, बीसरिओ धम्मोवएसो, अवहत्थिय कुलाभिमाण, उक्खुडिया लज्जा, अवगयं दक्खिणं, पण? 15 सील, सव्वहा अगेय-रिंद-सुर-सुंदरी-पिहु-पीण-णियंब-बिंबयड-णिवास-सुह-दुल्ललिओ भगवं कुसुमाउहो बाहिउँ पयत्तो। 18 तेण य बाहिजमाणीए समुप्पण्ण हियए बियप्पंतरं । अहो, ___ जर-मरण-रोग-रय-मल-किलेस-बहुलम्मि णवर संसारे । कत्तो अण्णं सोक्खं अव्यो पिय-संगमाहितो ।। 18 ममं च मंद-भाइणीए सो णस्थि । ता णिरत्थयं मय-समं जीवियं जोवणं च धारेमो । चिंतिऊण मरण-कय-ववसाया। 18 १४५)तओ सुदि, जीव-लोयं करेमि त्ति चिंतयंती आरूढा जाल-गवक्खए । तत्य य संपत्तीए तुम मए दिट्रो । तओ रायउत्त, तुमं च दट्ठण ण संका, ण भयं, ण लज्जा, ण मागो, ण गयो, णाहंकारो,ण सुहं, ण दुक्ख,ण राई,ण दियहो। सव्वहा 21 मूढा इव, सुत्ता इत्र, मत्ता इव, परायत्ता इव, मया विव,ण-याणिमो,ण सुणिमो,ण जंपिमो, ण फंदिमो,ण घेइमो, ण चेइमो, इमं पि ण-याणामि का मम अवल्य' त्ति । एयावस्थाए य तए परामुसियं वच्थ लं, अत्तगो उहीक्रया एक्का अंगुली । तओ मए पडिवणं जहा रायउत्तेण कया तहा मह सण्णा कया । हियय-परिमासेण ताव कहियं जह पडिहायसि मे हिययस्स। अंगुलीय य साहियं 24 देसु एक संगम ति । तओ मए वि रहस्स-भेय-भीरुणीए तुझं दंपिया खग्गवत्तिणी जहा किर खग्ग-सहाओ पावेसि, तओ 24 सागयं ण अण्णह त्ति । तओ रायउत्त, तप्पभुइं तुह संगमासा-विणडिया विणियत्त-मरण-णिच्छया सील-भंग-विमणा सज्झस-वस वेवमाणा किं पिसुमिणतर-बुत्तंत पिव मण्णमाणी ठिया जाव तुम आगओ त्ति । तओ एल्थ ताव जुत्तं जइ मह कुलहरे दुस्सील 27 त्ति परिहवो ण होइ । अण्णं च तहाविह-संविहाणएण जइ तुम णाहो अवहत्थिय-लोयाववाओ संगच्छसि तओ तुह पच्छा, अण्णहा वरं मम मरणं ति भणमाणी समालिंगिया वण-गय करेण व वणलया । एत्थंतरम्मि पयत्तिय तं किं पि जं बुहयण सय-परिणिदियं तरुणीयण-मण-मोहणं मोहणं ति । तओ तहा-सब्भाव-ह-णिब्भराण य परोप्पराणुराओ विय समुग्गओ 30 पुव्व-संझाराओ, गुरुयणोवएसा विय वियलंति तारया, अवरोप्पर-हिययाई व घडंति चकवाय-जुवलयाई, लजा विव थोयाव-30" लेसा रयणी, सूर-पुरिस-कय-संगमा इव रयणी-चिलया कंचुइएण बिय बुक्कारियं जाम-संखेण । एत्थंतरम्मि रायउत्तो अवइण्णो मंदिराओ रज्जु-पओएण, जहागयं च पडिगओ त्ति । एवं च अणुदिण तस्स तहा परिवसंतस्स संपत्तो अट्टमो मासो। तहिं च कहिं 1) सामलि for सामिणि, J किं विदंतेसि. 2) विइंतेभि. 3) दुगुणं वा. 4) चितेंतीय, P दोलाय. 6) F गर्दि, ससंभम उवरिपट्टमय 7)Pमहं for मुहा, J बाहुलय, Pदेसि for देमि. 8).Jadds after एवं, भणिओवविट्ठा. 9)J करिहसि । करीहिसि, P चेव. 10) ओवार (वरे ?) for उयरे, ' om. अहं, गुवर्णदेवा, P adds नामं च before जणणि, P जणिणि. 11) J हरि अत्तरस, P om. य, P जाणवतं समारुहिउं लंकाउरी, " दुपारसमो. 12) | om, ति, P कच्छभुकडं. 13) गुरूण for गुरुयण. 14)P पम्हटुं, P कुलाहिगाणं. 15) Jom. सुर, सुंदर, ।' वियढ for "यढ. 16) Pबाहिजमारीए, P होज for अहो. 18) Pम fo" ममं च, निरत्थयस च for च, " धारेमि. 19) P adds य before आरूढा, P om. य, P तूमं विदिहो. 20)P दट्ठग before रायउत्त, " om. - दहण, ' स वाहा. 21) P सुत्ता दिव, Pom. मया विव, J याणिमोण मुणिमो ण सुणिमो, J फसिमो 'or फंदिगो, "वेतिमो for वेगो. 22) | om. य, P मियं वच्छलयं बच्छयलं अत्तणो, बुद्धीकया, P ततो for तओ. 23) उत्तण कयं ता महासण्णा, " जहा, ' adds य before मे. 24) J अ for वि, भय for मेय, कुज्झं for तुज्झ, J रागवत्तणी. 25) जगह ति, तप्पभूई, P संगमासाय. 26) P कं पि, JP हिया, J om. जाव तुमं etc. to संगच्छसि तो तुर पन्छा. 29) सहरस for सय, J तरुणियण, P °णुरागो. 30)J संझागओ गुरुअणोरएसो, हियय, पि for व, थोवासेसी. 31) नु for सर, य forस्व, repent.रयणी, P विलयाप, J य for विय, J जायसंखेश. 32) ' मंदरागो, ।' om. after th, '' om. व (before कहिं ). Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - १४७] कुवलयमाला 1 पि तहाविह-कम्म-धम्म-भवियबयाए तीए उयरे गम्भो जाओ। अणुड़ियहोवहुत्त-लक्लण-दसणेण गब्भेण य पयडीभूया, 1 जाणिया सहियगण, पयडा कुलहरम्मि, वियाणिया बंधुयणं । एवं च कण्ण-पारंपरेण विण्णायं णंदसेटिणा । तेणावि संजायकोवेण को एवं मए परिहावइ ति णिवेड्यं कोसलस्स महारणो । 'देव, मह दुहिया पउत्थवइया । सा य रक्खिजती वि 3 केणावि अणुदियह उवभुजिजइ त्ति । तं च देवो दिव्वाए दिट्टीए अणिसउ' त्ति । राइणा भणियं 'बच्च, अणिसावेमि' । आणत्तो मंती। उबलड च मंतिणा। दिदो तोसलो रायउत्तो । णिवेयं तेण जहा 'देव, तोसलो रायउत्तो मए उवल दो' त्ति । तओ गुरु-कोव-फुरफुरायमाणाहरेणं आइटो राइणा मती । 'बच्च, सिग्धं तोसलं मारसु' त्ति । मती वि'जहाणवेसि' ति । भगिऊण रायउत घेतं उवगओ मसाण भूमि । तत्थ य कज्जाकज-वियारणा-पुवयं भणिओ मंतिणा । 'कुमार, तुह कविओ राया, वज्झो आणत्तो, ता तुमं मह सामी, कह विणिवाएमि । कजं च तए । ता वञ्च, जत्थ पउत्ती विण सुणीयहाण तण साहियव्वं जहा 'अहं तोसलो' त्ति भणिऊण विसजिओ । सो वि य कयावराहो जीविय-भय-भीरुओ पलाइओ, पत्तो । पलयमाणो य पाडलिउत्तं णाम महाशयरं, जत्थच्छए सयं राया जयवम्मो । तत्थ इयर-पुरिसो विय ओलग्गिडं पयत्तो। ६१४६) इओ य कोसलापुरीए तम्भि सा सुवण्णदेवा उवल द्ध-दुस्सीलत्तण-चिंधा परिखिसिज्जमाणी बंधु-वग्गेण णिविजमाणी जगणं राय उत्त-विरहुग्विग्गा य गब्भ-भर-विणडिया चिंतिउं पयत्ता 'कत्थ उण सो रायउत्तो' त्ति । तओ कह कह विणायं 12 जहा मम दोसेण मंतिणा जिवाइओ त्ति । तं च णाऊण कह बि छलेण णिग्गया बाहिं घरस्स, तओ णयरस्स । राईए पच्छिमजामे पाडलिउत्तं अणुगामिओ सत्थो उवलद्धो । तत्थ गंतुं पयत्ता । सणियं सणियं च गब्भ-भर-णीसहगी गंतुं अचाएंती 5 पिट्ठओ उज्झिया सत्थस्स अणेय-ताल-हिंताल-तमाल-सज्जज्जुण-कुडय-कयंबंब-जंबू सय-संकुले वगंतराले। तओ कमेण य वच्चंती 15 मढ-दिसा-विभाया पणट-पंथा तण्हाभिभूया छुहा-खाम वयणा गब्भ-भर-मंथरा पह-सम-किलंता सिंघ-सद-विद्या बग्घ-बायवेविरा पुलिंद सह-भीरुया गिम्ह-तत्त वालुया-पउलिया उवरि-दूसह-रवियर-संताविया, किं च बहुणा, दुक्ख-सय-समुद्दविडिया इस्थि-सहाव-कायर-हिययत्त गेण देवमाणी, थाणु पि चोर मण्णमाणी, रुक्ख पि गय-वरं विकप्पयंती, हरिण 18 पि वग्धं, ससयं पिसीई, सिहिण पि दीविय, सव्वहा तणिए वि चलिए मारिय त्ति, पत्ते वि चलते गिलिय त्ति, भय वेविर-थणहरा विलविढं पयत्ता । 1 'हा ताय तुज्झ दइया आसि अहं बाल-भाव-समयम्मि । एहि कीस अधण्णाएँ तं सि जाओ विगय-णेहो ॥ हा माए जीयाओं वि वल्लहिया आसि ह तुहं दइया । एहि में परितायसु विणडिज्जति अरगणम्मि । हा दइय कत्थ सि तुम जस्स मए कारणे परिच्चत्तं । सीलं कुलं कुलहरं लजा य जसं सहियणो य ।। । हा माए हा भाया हा दइया हा सहीओ हा देवा । हा गिरिणइ हा विंझा हा तरुवर हा मया एस ॥' त्ति भणमाणी मुच्छिया, धस त्ति णिवडिया धरणियले ।। एत्थंतरम्मि सूरो मय त्ति णाऊण गरुय-दुक्खत्तो । परिवियलियंसुवाओ अवर-समुद्द-दहं पत्तो॥ 7 थेरीइ व दिण-लच्छीय मग्ग-लग्गो रवी रइय-पाओ । रत्तंबर-णव-वहुं व संझं अणुवइ वरो व्व। तीय य मग्गालग्गा कसणंसुय-पाउया पिय-सहि व्व । तिमिरंजणजियच्छी राई रमणि व्व संपत्ता ॥ ६१४७) तओ एवं च विंझ-गिरि-सिहर-कुहरंतराल तरुण-तमाल-मालाणिमे पसरिए तिमिर-महा-गइंद-वंदे एयम्मि एरिसे ) रयणि-समए णाणाविह-तरुवर-कुसुम-रेणु-मयरंद-बिंदु-मासल-सुह-सीयलेणं समासत्था सुरहि-वण-पक्गेण सा कुलबालिया। 30 समासस्था य ण-याणए कत्थ वच्चामि कत्थ ण वच्चामि, किं करेमि किं वा ण करेमि, किं सुंदरं किं वा मंगुलं, किं कयं सुकर्य 1) तीय for तीए, " बहुय for "बहुत्त, P om. य (after गब्भेण), पयडीहूआ. 2) अवियाणिया for विवाणिया, रकमपरंपरेगा. 3)Jom. एवं परिव त्ति गिवे कोइयं, J पउत्थवई. 4)P उव जह, J दिव्वा (ए added on the margin) दिवोर, अणिसामि. 6) फुरुकुरा', Pरायणा, Jom. मंती वि. 7) J भणियं for भगिऊग, J थियारिणा, P पुब्वं तं भगिओ, I भणितो. 8)तुs for तुम, J कहिं for कहा, न सुणियइ त्ति, Jadds य before तए. 9) J भाणिऊण, 7 om. य. J जीवियभित्रो, पलाउं, ' पलाओ पयत्तो। 10 Pom. य, पाइलिपुत, जयधम्मो, J -पुरिस इन कस्स उलग्गिउं. 11) इवओ, p om. य, P inter. तम्गि and कोसलापुरीए, I om. सा, सुअण्णदेवा ओलदुसीलत्तणचिट्ठा. 12) विणिडिया. 13) Pगिव्यासिउ ति, P पुरस्स for घरस्स. 14) पाटलिपुत्त, ' सत्थो लो, " तत्वं 15) सज्जज्जा ।। स जुज्जण, J कयंब जंबू, ' जंबुय. 17) J वालु अपउत्तिआ, P om. च. 18) P कायरा, P adds चेव before वेवमाणी, था| for चोरं, P चियप्पयंती for विकप्पयंती. 19) P पिव for पि, P ससं for ससयं, P पिव दीवयं, P तणे वि चिटिए, बलेते. 20) Pथणाहरावलंबिउं. 21) अण्णाए. 22)P om. वि, P निवदिपजंती अरनं मि. 24) J ताया for पाया, ।' गिरणद, हो विज्ञ, J तरुवरा P तरुयर. 26) P नय for मय, P गुरुय. 27) J थेरी वि P लच्छीमग्ग,J -वाओ, P रन्नंवर, " om. व. 28)"राई मगि. 29) Jशरि for गिरि, J मालाणिले. 30P रुअर for तरुवर, I om. रेणु, P मांसल, Pom. य. 31) Pणयाए, Pom. कत्थ ण वच्चामि, P करोमि, Pom. किं वा ण करेमि. Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया 1 होहिइ त्ति । एत्यंतरम्भि गभस्स पवमो मासो अइकतो, अट्ठ य राईदिणाई । णवम-राई-पढम-जामे तम्मि य समए वट्टमाणे । वियसिय णियंत्रेण, वियणाइयं णाहि-मंडलेण, सूलाइयं पोट्टेणं, थंभियं ऊरु-जुयलेण, चलियं अंगेहिं, उच्छलियं हियएण, ३ मउलियं अच्छीहिं, सब्वहा आसण्ण-पसव-चिंधाई वहिउँ पयत्ताई। तओ तम्मि महाभीमे वर्णतरे राईए असरणा अंचवला: भीया विसण्णा परिचत्त-जीवियासा जहा-भविथब्ब-दिण्ण-माणसा किमेयं ति पढम-पसूया कह वि कम्म-धम्म-संजोएण दर त्ति लीव-रूव-जुवलयं पसूया । पच्छा जाव पेच्छइ ता एका दारिया, दुइजो दारो त्ति । तं च पेच्छिण हरिस6 विसाय-विणडिजंत-हियवया पलविङ पयत्ता । 'पुत्त तुमं गब्भ-गओ तेण विवण्णा ण एत्थ वण चासे । अणयह अबला-बालय अबला अबला फुई होइ । पुत्त तुम मह णाहो से सरणसं गई तुमं बंधू । दइएण विमुक्काए माया पिइ-विप्पउत्ताए । 9 होइ कुमारीऍ पिथा गाहो वह जोव्वणम्मि भत्तारो । थेरत्तणम्मि पुत्तो णथि अणाहा फुडं महिला ॥ ताव पिउम्मि सिहो जा दइओ गेय होइ महिलाण । संपिडियं पियाओ वि जाए पुत्तम्मि संचरइ ॥' । एवं च जाव पलवइ ताव करयरेंति वायसा, मूयलिजंति घूया, चिलिचिलेंति सउणया, बुक्करेंलि वाणरा, विरवंति रोहा 12 सिया, वियलंति तारया, पणस्सए तिमिरं, दीसए अरुणारुणा पुव-दिसा । णियत्तंति णिसियरा, पसरंति पंथिया । एयम्मि12 एरिसे समए चिंतियमणाए । 'किं वा मए करियव्वं संपयं । अहवा ण मए ताव मरियव्वं, पडियरियब्यो एस पुतो, अण्णहा बाल-वज्झा संपज्जइ । कयाइ इमाओ चेय इमस्स दुक्खस्स अंतो हवा त्ति । ता कहिंचि गामे वा गोट्टे वा गंतूगं आसपणे 15 पडियरियव्वं बाल-जुवलय'ति चिंतेमाणीए तोसलि-णामा रायउत्त-णामका मुद्दा सा परिहिया कंठे बालयस्स । बालियाय 15 वि णियय-णामंका । तं च काऊण मियय-उवरिम-धण-वत्थदंतए णिबहो दारयो, दुइय-दिसाए य दारिया। कयं च उभयवास-पोट्टलयं । तं च काऊण चिंतियमिमीए । 'दे इमम्मि आसण्ण-गिरि-णिज्झरे अत्ताणयं रुहिर-जरु-पूय-वसा-विलित 18 पक्खालिऊण बच्चामि' । चिंतयंती तम्मि चेय पएसे तं वासद्धत-णिब बाल-जुवलयं णिक्खिविऊण उवगया णिज्झरणं । 18 ११४८) एत्यंतरम्मि वग्घी णव-पसूया मणम्मि भममाणी छाउब्वाया पत्ता मासत्थं डिंभ-रूवाणं राई-भमण-विउला पसूय-रुहिरोह-गंध-गय-चित्ता। वासोभयंत-बड़े गहियं तं बाल जुवलयं तीए । सा य घेत्तण तं ललमाणोभय-पोट्टलं 21 जहागयं पडिगया। वच्चंतीय य तीए वणंतराले उज्जयाण-पाडलिउत्ताणं अंतराले महामग्गो, तं च लंघयंतीए कहं पिसिढिल-4 गंठि-बंधण-बद्धो उक्खुडिओ सो दारिया-पोहलो । णिवडिया मग्गम्मि सा दारिया । ण य तीए वग्घियाए सुय-सिणेहणिन्भर-हिययाए जाणिया गलिय त्ति । अइगया सा । तेण य मग्गेण समागओ राइणो जयवम्मस्स संतिओ दूओ । तेण 24 सा दिट्ठा मग्गवडिया, गहिया य सा दारिया । घेत्तण य णियय-भारियाए समप्पिया । तीए वि जाय-सुय-सिगेह-भर-गिब्भरं ५ परिवालि पयत्ता । कपेण य पत्ता सा पाडलिउत्तं । कयं च णाम से वणदत्त त्ति । संवटिउं पयत्ता। इओ य सा वग्धी थोवंतरं संपत्ता णियय-गुहा, पारद्वि-णिग्गएणं दिट्ठा राइणो जयवम्मस्स संतिएण रायउत्त-सबरसीहेण । तेणावि दंसणाणतरं 27 वग्यो त्ति काऊण गुरु-सेल्ल-पहर-विहुरा णिहया, धरणिवढे दिट्ट च तं पाहलयं । सिविलियं रायउत्तेण, दिवो य तत्थ । । कोमल-मुणाल-देहो रत्तुप्पल-सरिस-हत्थ-कम-जुयलो । इंदीवर-वर-णयणो अह बालो तेण सो दिवो ॥ तं च दट्टण हरिस-णिभर-माणसेण गहिओ। घेत्तूण य उवगओ धरं । भणिय च तेण । 'पिए, एसो मए पाविओ तुह पुत्तो' 30त्ति समपिओ, तीर गहिओ । कयं च वद्धावणयं 'पच्छण्ण-गब्भा देवी पसूय' ति । दुवालसमे दियहे णाम पि से विरइयं 30 गुण-णिप्फण्णं वग्घदत्तो त्ति । सो वि तेण बालएण समयं सबरसीहो पाडलिउत्तं पतो। तत्थ य सरिस-रायउत्तेहिं समं कीलतस्स मोह-पउरस्स से कयं णाम तेहिं मोहदत्तो त्ति । एवं च मोहदत्त-कयाभिहाणो संवडिउं पयत्तो। 1) J राई दिणाई, P राईदिणा । नवमणई दिणे नवमराईपढमे. 2) विदणायं नाभी मंडलेणं, बलियं for चलियं, J उच्चलियं. 3) पसवण for पसव, I व (च?) before पट्टिउं, P असरणे अवला. 4) कहिं पि for कह वि, Pom. कम्म. 5) Pत्ति लीजवलयपसूया, J om. पच्छा, P adds पेच्छति before जाब, P om. पेच्छद ता. 6) विनडिजंतीडिया विया पलविउ पयत्ती. 7) P गभगवो, P विविन्नाग, अबला for बालय अचला for अबला अबला. 8) गयं for गई, P घिय for पिड, J विप्पमुकाए । 9) Pथेरत्तणमि पु and repeats महनाहोतंसरणं etc. to जोवन भता. 10) ता पिउमित्तसिणेहो जो,J विज्जाए P वि जाउ, 11) P पलवई, P करयतंति, धूयया, " बुकारेंति. 12)।' बियरंति for वियति, P दीरुए for दीसए, P adds णियधो after पुत्वदिसा ।, P om. णियत्तं ति जिनियस etc. to गरियब्वं पटियरियवो. 14) P बालबज्झा संपति, P चेय for चेय, P गोहे for गोटे, P आसपणे परिवालियब्वं. 15) तोसणिो राय उत्तरस नायंका. J बालिया वि. 16) Pom. गियय after काऊण, P उवरि for उवरिम. Jom, घण. ॥ तेण for "त. बद्धो for णिबद्धो, Jom. य, P on. च. 17) P उमवास,J नितियं इमीप, " जर for जरु. 18) चेव, पासबार, बालय जवलयंमि णि, P ओउवगया. 19) P छाउद्धाया, P राईभममाणं विलोयापसूय. 20) रुहिरोगंध, वंध for व 21) P पडिदया। तीए वर्णतवणंतराले उज्जयणीपाडलिपुत्ताणं, P repents महा, Jच संघयंतीए, Pचि forf. 22)Jणिवडिओ, Pतीय वग्घीय. 23) J -हियाए, P om. य, P जयधम्मस्स. 24) P om. य in both the places, Jतीय fo" तीए, P om. -भर शिव्मरं परिवालिउं etc. to पारद्धिजिग्गएण. 26) गिट्ठिा for ट्ठिा , P सबलसीलेण 1. 27)। दिद्रिय for दिदच,J सिढिलयं. 28) P बाहो for मुणालदेहो, J सयलचलण for सरिसहत्य, कय for काग. 29) "हसिfor हरिस, द स for एसो. 30)P समयंपिओ, P om. च. 31) P सबरसीलो पाटलिपुत्तं, 'om. य, P रायत्तिहिं. 32) Jom. तेहिं, J adds एवं च मोड्दत्तो ति ।। before एवं च. Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 -६१५०] . कुवलयमाला | ৩৩ १४५)इमा य से माया तम्मि वगे आगया णिज्झराओ जाच ण पेच्छइ-तं बालय-जुवलयं । अपेच्छमाणी 1 य मुच्छिया गिवडिया धरणिवठे। पुणो समासत्था य विलविङ पयत्ता । 3 'हा पुत्त कत्थ सि तुमं हा बाले हा महं अउण्णाए । कत्थ गओ कत्थ गया साहह दे ता समुल्लावं ॥ एत्थं चिय तं पत्तो कह सि मए दुक्ख-सोय-तवियाए । एत्थं चिय में मुंचसि अव्यो तं कह सि णिक्करुणो ॥ पेच्छह मह देव्वेण दंसेऊण महाणिहिं पच्छा । उप्पाडियाइँ सहसा दोणि वि अच्छीणि दुहियाए ॥ 6 पेच्छह दइय-विमुक्का वर्ण पि पत्ता तहिं पि दुक्खत्ता । पुत्तेणं पि विउत्ता आडत्ता कह कयंतेण ॥' एवं च विलवमाणीए दिहें तं वग्घीय पयं । अह वग्घीय गहियं ति तं जाणिऊण, 'जा ताणं गई सा ममं पि' तं चेय वग्घीपयं अणुसरंती ताव कहिं पि समागया जाव दिटुं एक्कस्मि पएसे के पि गोटुं । तत्थ समस्सइया एक्कीए घरं आहीरीए । तीए वि धूय त्ति पडिवजिऊण पडियरिया । तत्तो वि कह पि गामाणुगाम वञ्चती पत्ता त चेव पाडलिउत्तं णगरं । तत्थ " कम्म-धम्म-संजोएणं तहाविह-भवियवयाए तम्मि चेय दूयहरे संपत्ता, जत्थच्छए सा तीए दुहिया। तीए साहु-धूय त्ति काऊण समप्पिया । तं च मजयंती कीलावती य तहिं चेय अच्छिउँ पयत्ता ता जाव जोवणं संपत्ता। जोवणे य 12 वट्टमाणी सा केरिसा जाया। अवि य ।। जं जं पुलएइ जणं हेलाएँ चलंत-णयण-जुवलेणं । तं तं वम्मह-सर-वर-पहार-विहुरं कुणइ सवं ॥ १५०) इमम्मि एरिसे जोव्वणे वट्टमाणीए वणदत्ताए को उण कालो वट्टिउं पयत्तो । 15 तरुवर-साहा-बाहा-णव-पल्लव-हत्थ-कुसुम-णह-सोहो । पवणुव्वेल्लिर-हल्लिर-णच्चिर-सोहो णव-वसंतो ॥ 15 तओ तम्मि सुरवर-णर-किंगर-महुयर-रमणी-सणहरे वसंत-समयम्मि मयण-तेरसीए वट्टमाणे महामहे संकप्प-वेहिस्स काम देवस्स बाहिरुज्जाण-देवउल-जतं पेच्छिउँ माइ-समग्गा सहियण-परियरिया तहिं उज्जाणे परिभममाणी मयणूसवागएण दिट्ठा 18 मोहदत्तेण । जाओ से अणुराओ । तीय वि वणदत्ताए दिदो सो कहिं पि पुलइओ। भा-वस-वलिउब्वेल्लमाण-पव-कणइ-तणुय बाहाए । तह तीऍ पुलइओ सो लेप्पय-घडिओ ब्व जह जाओ। खणंतरं च सुण्ण-णयण-जुयलो अच्छिऊण चिंति पयत्तो । सव्वहा 21 धगो को चि जुयाणो जयम्मि सो चेव लद्ध-माहप्पो । धवलुब्वेल्लिर-णयणं जोवणयं पाविहिइ मीए॥ चिंतिऊण सब्भावं परियाणणा-णिमित्तं च पटिया एका गाहुल्लिया मोहदत्तेण । 'वयंस, पेच्छ पेच्छ, कह-कह वि दसणं पाविऊण भमरो इमो महुयरीए । रुंटतो च्चिय मरिहिइ संगम-सोक्ख अपावेतो ॥' 24 इमं च सोऊण चिंतियं वणदत्ताए । 'अहो, गिययाणुराओ सिट्ठो इमिणा इमाए गाहाए । ता अहं पि इमस्स णियय-भावं 24 पयडेमि' त्ति चिंतयंतीए भणियं । 'अत्ता भमर-जुवाण कह वि तुलग्गेण पावित्रं एसा । होंत-विओगाणल-ताविय व्व भमरी रुणुरुगेइ ।' 27तीय य सुवण्णदेवाए अणुहूय-णिययाणुराय-दुक्खाए जाणिओ से अणुराओ। भणियं च तीए । 'पुत्ति, अइचिरं वदृइ इहाग-27 याए, मा ते पिया जूरिहिइ, ता पयट्ट घरं बच्चामो । अह तुह गरुयं कोउहलं, ता णिवत्ते मयण-महूसवे णिजणे उजाणे आगच्छिय पुणो वीसत्थं पुलोएहिसि उजाण-लच्छि भगवंतं अणंग च' त्ति भणमाणी णिग्गया उजाणाओ। चिंतियं च 30 मोहदत्तेण । 'अहो, इमीय वि मभोवरि अस्थि हो। दिण्णं च इमीए धाईए महं संकेयं जहा णिवत्ते मयण-महूसवे 30 णिजगे उजागे वीसत्यं अणंगो पेच्छियब्धो त्ति । सव्वहा तद्दियह मए आगंतव्वं इमम्मि उजाणम्मि'त्ति चिंतयतो सो वि णिग्गओ। सा य वणदत्ता कह-कह वि परायत्ता घरं संपत्ता देहेण ण उण हियएण । तत्थ वि गुरु-विरह-जलण-जालावली33 करालिजमाण-देहा केरिसा जाया । अवि य । 33 18 1)J वाल for बालय. 2) Jom. मुच्छिया, P पुच्छिया, Jom. य. 3)P साहसु दे, J दे ता असंल्लावं. 4)P संपत्तो for तं पत्तो, I inter. सोय and दुन. 5) पेच्छ मह, Pमहानिही, P मि for वि. 6) P वर्णमि पत्ता, P पत्तेण for पुत्तग. 7)" वग्धीग हियं, यंति for तं, Pचे for चेय. 8) J कहियं पि, P किं पि for कमि, Pएकीय घरं. 9) Pom. वि, न कहिं पि, Jom. तं चे, P पाटलिपुत्तं, Jणअरं, P adds य after तत्थ. 10) Pतहावियम्वयाए, भवियब्बताए य तमिमा, P adds गया before चेय, J अपरे, P om. संपत्ता, Jतीय for तीए in both the places, p om. साह. 11) " कीलावंती, ' ताव for ता, पत्तो for संपत्ता. 13) वलंतनयणजुयलेण, सरपहरवियणविहुरं. 14) P adds य before एरिसे, । धणदत्ताए. 15)तरयर, P-नवसोहा।. 16) Pom. वर, P-विहिरस कामपवस्स. 17) P जुत्तं for जतं, ।' सहियगिपरिमारया, "मयसवापण. 18) Pसो for से, P कहिं चि पुलइउं, J adds अधि य after पुलइओ. 19) P कायवणुव, P-जडियन जना. 21) जुवाणो, J -णायणो, J पाविहिद इमीए, P पाहिही इमीए. 22) Pऊण य सहावपरियणा निमित्त," om. one पेच्छ. 23) Jइमी (अ) for इमो, P संदतो, P मरिहद, P आवतो. 24 Pom. इमाए, P om. पि, P नियमावं. 25)JOB. ति, Pतियं भणियं. 26) P विओयाल, J भाविअव्व for तावि, रुणरुणेइ. 27) Pवि for य, P -निययाणुरादुकवाय, Pndds राया after से, J पुत्त for पुत्ति, 'चिरं च इहागया माए पिया. 28) Pom. मा ते, P जूरिही ता, तुमं for तुह, बोऊयं निबत्त तामयण, I मयणे. 29) J विसाथाए पलो', P -लच्छी, P अणंगवत्ति, उज्जाणओ. 30) धाइए, 'om, मद, जह. 31) Jom. त्ति, Jom. सो. 32)J वि वरायत्त. 33) P"जमाणमदेहा. Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८ उज्जोयणसूरिविरइया [६१५० ३ 1 ता झाइ हसइ सूसइ सिज्जइ तर पुलय-परिगया होइ । ता रुयइ मुयइ देहं हुं हुं महुरक तरं भणइ ॥ ता खलइ वलइ जूरइ गायइ ता पढइ किं पि गाहदं । उम्मत्तिय व्व बाला मयण-पिसाएण सा गहिया ॥ ६ १५१) एरिसावत्थाए य तीए अइक्कतो सो मयण-महाकंतार-सरिसो मयण-महसवो । गरुय-समुकंठ-हलहला 3 पयत्ता तम्मि उज्जाणे गंतु, ओइण्णा रच्छामुहम्मि । थोवंतरं च उवगया राय-मग्गतराले य वट्टमाणी दिवा ण तोसलिणा रायउत्तेण । देसंतर-परियत्तिय-रूव-जोव्वण-लायण्ण-वण्णो ण पञ्चभियाणिओ सुवण्ण-देवाए । सा वि तेण दूर-देसंतरासंभाव6 णिज्ज-संपत्ती -याणिया । केवलं तीए वणदत्ताए उवीरें बहाणुराय-गय-दिढिल्लो महा-मयण-मोह-गहिओ इव ण कज 6 मुणइ णाकज, ण गम्म णागम्मं । सव्वहा तीय संगमासा-विडिओ चिंतिउं पयत्तो । 'अहो, सो च्चिय जीवइ पुरिसो सो चिय सुहओ जयम्मि सयलम्ति । धवलुबेल्लिर-लोयण जुबलाएँ इमी' जो विट्रो ॥ 9 ता कह पुण केण वा उवाएण एसा अम्हारिसेहिं पावियव्व त्ति । अहवा भणियं च कामसत्थे कण्णा-संवरणे । रूव-जोव्वण- १ विलास-लास-णाण-विण्णाण-सोहग्ग-कला-कलावाइ-सएहिं धणिय साम-भेय-उवप्पयाणएहि य कण्णाओ पलोहिजति । अह ण तहा वसीभवंति, तओ परक्कमेणावि परिणीयवाओ, छलेण बलामोडीए णाणा-वेलवणेहि य वीवाहेयव्वाओ । पच्छा कुल12 मइलणाए तस्सेय समप्पिजति बंधुवग्गेणं । ता सव्वहा जइ वि फुलिंग-जलण-जालावलि-भासुर-बज-हत्ययं । सरणं जाइ जइ वि अह्वा विफुरत-तिसूल-धारयं ॥ पायालोयरम्मि जइ पइसइ ससि-रवि-तेय-विरहियं । तह वि रमेमि अज पीणुण्णययं थण-भार-सिहरयं ॥ 15 अज्ज इमं मह सीसय इमीऍ बाहु-उवहाण-ललियाए । दीसइ अहवा जिद्दय-खग्गपहाराहय धरणियाए ॥ ता सुंदर चिय इम, जे एसा कहिं पि बाहिरं पइरिक पत्थिया । ता इमीए चेय मग्गालग्गो अलक्खिज्जमाण-हियय-गय-वव साओ वच्चामि' ति चिंतयंतो मग्गालग्गो गंतु पयत्तो। सा वि वणदत्ता करिणि व्व सललिय-गमणा कमेण संपत्ता उजाणं । 18 पविट्ठा य चंदण-एला-लयाहरंतरेसु वियरिङ पयत्ताओ । एत्यंतरम्मि अणुराय-दिण्ण-हियवएणं अणवेक्खिऊण लोयाववायं 18 गलत्थिऊण लज, अवहत्थिऊण जीवियं, अगणिऊण भय, चिंतिय ण 'एस अवसरो' ति । चिंतयंतो पहाइओ णिक्कडियासिभासुरो । भणियं च णेणं मोह-मूढ-माणसेण । अवि य। A 'अहवा रमसु मए च्चिय अहवा सरणं च मग्गसु जियती । धारा-जलण-कराला जाणिवडइ णेय खग्ग-लया ॥' तं च तारिसं वुत्तंतं पेच्छिऊण हा-हा-रव-सह-णिब्भरो सहियणो, धाहावियं च सुवण्णदेवाए। ___ 'अवि धाह धाह पावह एसा केणावि मा ऍमह धूया । मारिजइ बिरसंती वाइण मइ व्व रणम्मि ॥' 24 एत्थंतरम्मि सहसा कड्डिय-करवाल-भासुर-च्छाओ । बग्यो ब्व वग्घदत्तो णीहरिओ कयलि-घरयाओ॥ भणियं च णेण । 'किं भायसि वण-मइ-लीव-वुण्ण-तरलच्छि लच्छि धरमाणे । रिउ-गयवर-कुंभत्थल-णिद्दलणे मज्झ भुय-दंडे ॥' 27 आयारिओ य णेण सो तोसलो रायउत्तो। रे रे पुरिसाधम, वुण्ण-मय-लीव-लोयण-कायर-हियाण तं सि महिलाण । पहरसि अलज लज्जा कत्थ तुम पवसिया होज्जा ॥ ता एहि मज्झ समुह'ति भणमाणस्स कोवायविर-रत्त-लोयणो मयवइ-किसोरओ विय तत्तो-हत्तं वलिओ तोसलो रायउत्तो। 30 भणियं च णेण । ___'सयल-जय-जंतु-जम्मण-मरण-विहाणम्मि वावड-मगेण । पम्हुसिओ चिय णवरं जमेण अजं तुम भरिओ ॥' त्ति भणमाणेण पेसिओ मोहदत्तस्स खग्ग-पहारो। तेण य बहु-विह-करण-कला-कोसलेण वंचिओ से पहरो। वंचिऊण य पेसिओ 33 पडिपहारो । णिवडिओ खंधराभोए खग्ग-पहरो, ताव य णीहरियं रुहिरं । तं च केरिसं दीसिउं पयत्तं । अवि य । 1)P गायद for झाइ, P झिजर for सिज्जद, J हूं हूं. 2) बलइ लइ for बलइ, P तो for ता, ' गण for मयण. 3) 'वत्थाअ य, P सो मयणमहाकंतारसरिसो, P हलहला य पत्ता तम्मि. 4) P adds य before णेण. 5)J पब्धियाणिओ, P सुवन्नदेवयाए, 6)P संपत्तीर ण,J -गहिटिलो, P inter. मयण and महा, कयं for कज. 7)Jण कर्ज for णाकजं, P संगमासायविणडिओ. 8) P जीवो for जीवइ, P चइ for चिय, P इमीए सो जा दिट्टो. ) पासियद त्ति, i om, च, P संठाणे for संवरणे 10) om. लास, P om. कला, P कलावाणिसपाहि सपहिं धणेहि य साग', उयप्पयाणेहि, कन्नाओ उपपलोभिजति, P अह तहा नत्थि अवसीहेंति तओ. 11) J परिक्कमेणावि परिणिय व्याओ, परिणीयब्बा, नाणाविलंबणेहि य विवाहेयन्वा ।. 12) P तस्सेयमपि. 13) P जयण for जलण, P -वज्जयं,J अज्ज for जइ वि, J विफुलंत ' विप्फुरत. 14)P पयसति, P व्विरमेमि. 15) J बाहुवहाणललि एण, P निद्दयं, P "हय व, J धरणिया 1. 16) वाई पि, P इमाए, P अलक्खिज्जमाणेहिं अइगय.. 17) गंतूर्ण for गंतुं, P उज्जाणवणं ।. 18) पविठ्ठाओ य, P om. य,radds वंदण after चंदग, Pहियएणं अविवेक्खिऊण. 19) P उज्जं for लज्ज, Pom. अगणिऊण भयं, तेग for tण, P निकादियासि. 21) P -जणकराला. 22)P सुवण्णदेवयार. 23)P धावह for धा धाह, P वरिसंती. 24) Pनीहलिओ कयलिहरयागो. 26) J मय for मइ, J पुण्ण P चुण्ण, P रितु:. 27) पुरिसाहम. 28) J पुण्ण for चुग, J हिजयाण, लज्जो, " पवसिओ. 29)P मज्ज for मज्झ, कोवायंबिरत्त, P -रत्तं न लोयणो मन किसों. 31) जग for जय, J तु संभरिओ. 32) P कोसलेग जं वाचिओ से पवाणो।. 33) P खग्गपहारो तवयनीहनीहरियं. Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६१५३] . कुवलयमाला 16 1 खग्ग-पहार-णिरंतर-संपत्तो रत्त सोशिओप्पंको । हियय-गओ विव दीसइ पियाणुराओ समुच्छलिओ ॥ १५२) तओ तं च विणिवाइऊण वग्घदत्तो वलिओ वणदत्ता-हुत्तं । । तीय वि पिओ त्ति का अह जीविय-दायओ त्ति पडिवगणो । मिटुं च ओसह चिय कुंभंड-घय व णारीणं ॥ समासस्थो सहिसत्यो, तुट्टा सुवण्णदेवा, समासासिया वणदत्ता, भणियं च ण । 'सुंदरि, अज्ज वि तुह वेवए उरु-जुवलयं, थरहरायइ हियवयं । ता ण अज्ज वि समस्ससहि, एहि इमम्मि पवण-पहल्लिर-कयली-दल-विजमाण-सिसिर-मारुए बाल6 कयली-हरए पविसि वीसत्था होहित्ति भणमाण करयल-गहिया, पवेसिया तम्मि आलिंगिया मोह-मूढ-माणसेण । जाव 6 य रमिउमाढतो ताव य उद्धाइओ दीह-महुरो सहो । अचि य ।। मारेऊणं पियरं पुरओ जणणी' तं सि रे मूढ । इच्छसि सहोयार भइणियं पि रमिऊण एत्ताहे ॥ १ इमं च गिसामिऊण पुलइया चउरो वि दिसावहा । चिंतियं च गेण । 'अरे, ण कोइ पुत्थ दिदि-गोयरं पत्तो, ता केण उण 9 इमं भगिय किं पि असंबई वयणं । अहवा होति ञ्चिय महाणिहिम्मि धेप्पमागे उप्पाट त्ति । पुणो वि रमिउं समाढत्तो । पुणो वि भणिओ। 12 मा मा कुणसु अकज जगणी-पुरओ पिई पि मारेउं । रमसु सहोयर-भइणिं मूढ महामोह-ढयरेण ॥' 12 इमं च सोऊण चिंतियं च णेण । 'अहो, असंबद्ध-पलायी को बि, कहं कत्थ मम पिया, कहं वा माया, किं वा कयं मए, ता दे अण्णो कोइ भण्णइ णाई' ति भणमा गेणं तं चिय पुणो वि समाढत्त । पुगो वि भणियं । 15 'गिल्लज्ज तए एक कयं अकजं ति मारिओ जणओ । एहि दुइयमकजं सहोगरि इच्छसे घेतुं ॥' तं च सोऊण सासंको कोव-कोऊहलाबद्ध-चित्तो य समुटिओ खग्गं घेत्तूण मग्गिउं पयत्तो सद्दाणुसारेण । जाव णाइदूरे दिट्टो रत्तासोय-पायवयले पडिमा-सटिओ भगवं पच्चक्खो इव धम्मो तव-तेएण पज्जलंतो व्व को वि मुणिवरो । दट्टण य चिंतिय 8 गेण । 'अरे, इमिणा मुगिणा इमं पलतं होहिइ त्ति । ण य अण्णो कोइ एल्थ एरिसे उज्जाणे । एरिसो एस भगवं 18 वीयरागो विय उवलक्खीयइ, ण य अलिय मंतेहिइ । दिव्व-णाणिगो सच्च-वयणा य मुणिवरा किर होंति' ति चिंतयंतो उवगओ मुगियो सयासं । अभिवंदिऊग य चलग-जुवलयं उबविट्ठो णाइदूरे मोहदत्तो त्ति । एत्यंतरे समागया सुवण्णदेवा, 21 वणदत्ता, सहियणो य । णमिऊण य चलणे भगवओ उवविट्ठा पायमूले । भगियं च मोहदत्तेण । 'भगवं, तए भणियं जहा। मारेऊण पियरं माऊए पुरओ भइणिं च मा रमेसु । ता मे कहिं सो पिया, कहिं वा माया, कत्थ वा भइणि त्ति । १५३) भणियं च भगवया मुगिणा । 'भो रायउत्त, णिसुगेसु । अस्थि कोसला णाम पुरी । तत्थ य गंदगो णाम । महासेट्ठी । तस्स सुवगणदेवा णाम दुहिया पउत्थवइया दिवा रायउत्तेण तोसलिणा, उवहुत्ता य । णायं रणा जहा य तीय 24 गब्भो जाओ । सव्वं जाणियं मंतिणा । जहा णिवासिओ तोसलो पाडलिउत्तं पत्तो । जहा य गुरुहारा सुवण्णदेवा वगं पविट्ठा, तत्थ बालय-जुवलयं पसूया । जहा अवहरिओ दारओ दारिया य वग्धीए । पडिया पंथे दारिया, गहिया दूएणं, वणदत्ता य से 7णाम कयं । सो वि दारओ गहिओ सबरसीहेण पुत्तो त्ति संवट्टिओ, वग्यदत्तो त्ति से णाम कयं । एवं च सव्वं ताव साहियं 27 जाव सुवण्णदेवा मिलिया धूयाए ताव जा मारिओ तोसलो त्ति । रायउत्त, इमा तुह सा माया सुवण्णदेवा । एसा उण भइणी सहोयरा वणदत्ता । इमो सो उण तुम्हाणं जणओ । अस्थि य तुह तोसलि-णाम-मुइंका एसा मुद्दा । इमाए सुवण्णदेवाए 10 मुहंका घरि चिट्ठद ति । ता सव्वहा मारिओ ते जणओ । संपर्य भइणी अभिलससि त्ति । सव्वहा धिरत्थु मोहस्स' । इमं च 30 सोऊण भगियं सुवण्णदेवाए । 'भगवं, एवं जं तए साहियं' ति । वणदत्ता विटिया अहोमुहा लजिया। मोहदत्तो वि गिविण्ण-काम-भोगो असुइ-सम माणुसं ति मणतो वेरग्ग-भग्ग-लग्गो अह एयं भणिउमाढत्तो । अभिवंदिऊण य च विट्ठा पायमूले । भाग वा माया, कत्थ वा में 1) पहाराणंतरं, सोणियको।, J को।, नविय for वि. 2) वरवदत्तो चलिओ. 3) J पियो त्ति. 4) "तुह चेव एस., उरु. 5) समरससिप समाससहिएहिं, वह लिर, विजमाण-. 6) JP होहिइ त्ति, J पवेसिवालिंगिया, P पेसिया for पवेसिया. 7) " on. य after ताप. 8) मारेऊण वि पियर, P सहोयरं. 9)P adds से before चउरो, P विसिवहा, P om. पत्थ. 10) असंबद्धवयण, न रनिउमादत्तो,J समाढता। 11) Jorm. दि. 12)P पियं गि, P भरणी. 13) अणे" forचणेण, " repeats कजं जगणीपुरओ etc. to असंबद्धपलानी को वि. 14) Pदेव for दे, 'को वि for कोइ, Jon. भागद, वि आढतं. 15) निल्लजकयमकजं एकं जं मारिओ तए जणओ।, P सहोयर. 16) । ससंको. 17)P रत्तासोयरस पायव', पाययले । पायवचेले. 18)P तेण for tण, P कोवि एएत्थ, P om. एरिसे, I. om. ए.स. 19)P रागो अउन्यो लक्खीय, बिय उवलक्खीअदि, P अलीयं, Prepeats सच, J om. किर. 20)P सगासं, P अमिव दिवदिऊण चलणजययं,JP एत्थंतरं, 21)J om. भगवओ, P उवविठो. 22) P पुरंऊ for पुरओ, J भइणी मा, P om. मे, ' मे for सो, " on. कहिं वा, P adds का वा before भाणि. 23) P मुगिणो, P repeats भो, I om. य, नंदो for गंदणो. 24) मुअण्णदेवा, Jon. दुहिया, वश्यावई दिवा, Jणाया for णायं, P om. य before तीय. 25) P साहियं मुगिणा for जागिय मंतिगा (Jis correcting मुगिणा into मंतिणा), Pपाढलिपुतं, P om. य. 26)P बालजुवलय, Jon. य, दूतेग, Jinter. णामं and से. 27) Pसवरसीलेण, P संवदिउ, P om. त्ति, Joim. से. 28)P जाव for जा, Jom. त्ति, " स सो for szा, rom. सा. 29) Jinter. उण and सो, P तोसो, Pमुद्धा for मुद्दा, Jएमाए P इमीए, P मुवन्नदेवा गुदं पर चिट्ठद. 30) परिfor परि, Padds ता समुद्दा before ता सबहा, Pom. ते, I अहिलसि त्ति ।. 31)Pom. सोऊण, सुवन्नदेवयाए, Pएवं मम जं, Jom. वि after मोहदत्तो. 32) Pअसुति इमं. For Private & Personal use only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 ८० 3 उज्जोयणसूरिविरद्दया 'धिक अण्णा अण्णा चेव टुत्तरं होए। अण्णा बेय भवं अण्णा दुक्ख-भय-मूळ ॥ ता भगवं मह साहस किं करिय मए अयेण जेण इस । यि सुन्दा ५ 12 १५४ ) भणियं च भगवया मुजिणा । 'चइऊण घरावासं पुत्त-कलत्ता हूँ मित्त-बंधुयं । वैरग्ग-मग्ग- लग्गो पव्वलं कुणसु भाउत्तो ॥ जो चंदणेण बाहं आलिंपइ वासिणा य तच्छेइ । संधुणइ जो य दिइ तत्थ तुम होसु समभावो ॥ 6 कुणसु दयं जीवाण होसु य मा गिओ सहावेण । मा होसु सढो मुत्तिं चिंतेसु य ताव अणुदियहं ॥ कुणसु सर्व जेण तु करी तासि भव-सव- गिब दोसु य संजम-जमिओ पेण ण अपि ॥ मा अलि भगस परिहर सर्व पि जीव-वह-जगये वहसु सुई पायविचिगो हो । पसु - पंडय महिला - विरहियं ति वसही णिसेवेसु । परिहरसु कहं तह देस-वेस - महिलाण संबद्धं ॥ माय निसीयसु समयं महिलाहिँ आसणेसु सयगेसु । मा तुंग-पओहर-गुरु-मियंब-बिंब ति णिज्झासु ॥ मा मिहुणं रममाणं णिज्झायसु कुड्डु ववहियं जइ वि । इय हसियं इय रमियं तीय स मा य चित्रेसु ॥ मा भुजसु अइ माप कुणाहारे मा व करेसु वि कामाहंकार-जण च ॥ इय दस-चिहं तु धम्मं णव चैव व वंभ-गुत्ति-नॅच जइ साथ करेसि तुमं तेण पाविहिसि ॥ जत्थ ण जर ण म ण वाहिणो णेय माणसं दुक्खं । सासप्रसिव-सुद-सोक्खं अइरा मोक्खं पि पाविहिसि ॥' 15 तओ भणियं च मोहदत्तेण । भगवं जइ अहं जोग्गो, ता देसु मह पव्वजं । भणियं च भगवया 'जोग्गो तुमं पव्वज्जाए, किंतु अहं पश्यामिति । तेण भणि 'भगवे, किं कर्म त भणियं च भगवा 'मर्द चारण-समगो, ण महं गच्छ परिग्गहो । तेण भणियं 'भगवं केरिसो चारण-समणो होइ' । भणियं च भगवया । 'भदमुह, जे विजाहरा संजाय बेरग्गा 18 समण-धम्मं पविनंति ते रायगंगण-चारिणो पुण्य-सिद्ध-विजा देव होति च पहिलो सेतुजे महागिरिवरे सिद्ध 18 वंदना- णिमित्तं । तत्थ गयणयलेण वच्चमाणस्स कहं पि अहो उवओगो जाओ। दिट्टो य भए एस पुरिसो तए घाइतो । णिरुवियं च मए अवहिणा जहा को विएस इमस्स होइ नि जाव इह भने चैव जण भए लिये 'अहो कहूं, जेण एसो वि पुरिसो जणवमिण मारे पुरनो थिय एस माइ भइणी मोहमो समणो हि मणिं पिच्छिल ॥ इमे च तस्स वाइओ ए एस चिंतियं च मए एकमका इयं पि कु ताव संबोि 24 भव्यो य एस धोपासेस- किंचि-कम्मो जं पुण इमं से चेड़िये किं कुप वरालो । अवि य गिविण्ण- भव-समुरा चरम सरीरा व होति तिव्यवरा कम्मेण ते असा गिम्मे होत सूट-मगा ॥ चिंतिऊण अवइण्णो संबोहिओ य तुमं भए' ति । भणियं च मोहदत्ते 'भगवं करूं पुण पव्वज्जा मए पावियव्य'त्ति । भगवया भणियं 'वच, कोसंबी दखिने पासे राहूणो पुरंदरदतस्स्स उजायेसुदासमेत सत्तमी समवसरिये में धम्मद णाम भावरि देखिदिसि तत्थ सो सर्व श्रेय णाऊ तुम्ही पावसति भणमानो समुहम कुवलय-दल-सामलं गयगयलं विज्जाहर- मुणिवरो त्ति । तओ भो भो पुरंदरदत्त महाराय, एसो तं चैव वयं मुनिणो 30 गेहिऊण च परावाणा इहागोति इमं च सबल बुलाऊण भगिष मोहण 'भगवे, 3 एवमेयं, ण एत्थ तण मेत्तं पि अलियं, ता देसु मे पव्वज्ज' ति । भगवया वि णाऊण उवसंत मोहोति पञ्चाविओ वग्घदत्तोति ॥ ॥ 1 21 1 / TAAAAA वर पाने ।' [8 १५३ 1 12 15 1 ) किं कटुं for विक, J चेय, P लाए for लोए, P चेत्र कथं for चेय सयं- 2 ) P for साहय. 4 P ते उगं for आउत्तो. 5 ) P बाहुं अणुलिप, व for 8 ) Pभव for भग, P जगणं, " 9 ) गटब विरहितं ति राईए सन्निवेसेसु । P संबंधं ॥ 10 ) Pच्छी for विसीय, र पहरा 11 ) P कुटुबवहियं, "तीयं. 12 ) आहारो, P विभूसं, P जणसं च. 13 14) repeata जय for अरा 15) P को 16 ) Pom. भगवं. 17 ) P भद्दमुह, P पेरग्ग. 18) गयणयले, Padds मज्झ before वच्चमाणस्स, Jom. अहो, Jom. 21) एरिसो for एसो, om. वि. 22) Jaf4 तए. for तओ, P भवगवं, P जोणा for जोग्गो, Pom. मह, P जोगो. सिद्धवेज्जा, पत्थओ P सेतुष्भे for सेत्तुंजे. 19 ) 20 > Pom. वि, Pinter. इमरस ad एस, om. तओ. हिइ P च्छिति 23 ) P सो for एसो, P तेज for श्रेण. 24 ) वगओ ।. 25 ) वित्थिष्ण-, P वरसरीरय. 26) Jom. च, P पज्जावियव्वज्जा for पव्वज्जा, Pom. ए. (27) Jom. भगवया भणियं, दक्खिणेण, P पुरंदत्तस्स, Pom. चेत्त. 28) P तुच्छ for तत्थ, Jom, त्तनं निसामिऊण तस्स राइणो पव्वावइस्स ति 29 ) चेय. 30 Jadis एस before मं, 3 मोहयतेण 31 ) एवं इमं for एवमेयं, ए तिनभेतं, P ताव for ता. 21 24 Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला । १५५) भणियं च पुणो वि गुरुणा धम्मगंदणेण । तओ भो भो वासवमहामंति; तए पुच्छियं जहा इमस्स चउ- 1 गइ-लक्खणस्स संसारस्स किं पढम णिव्वेय-कारण ति । तत्थ इमे महामल्ला पंच कोह-माण-माया-लोह-मोहा परायत्तं जीवं काऊण दोग्गइ-पहमुवणेति । तत्थ इमाणं उदय-णिरोहो कायच्चो उदिण्णाणं वा विहली-करण ति । तं जहा । जइ अक्कोसइ बालो तहा वि लाभो त्ति णवर णायव्यो । गुरु-मोह-मूढ-मणसो जं ण य ताडेइ मे कह वि ॥ अह ताडेइ वि बालो मुणिणा लाभो त्ति णवर मंतव्यं । जे एस णिरासंसो ण य मे मारेइ केणं पि ॥ अह मारेइ वि बालो तहा वि लाहो त्ति णवर णायब्वो । जं एस णिविवेओ महब्बए णेय गासेइ॥ इय पुव्वावर-लाभो चिंतेयव्वो जणेण णिउणेणं । रोद्दप्फलो य कोहो चिंतेयम्बो जिणाणाए ॥ माणं पि मा करेजसु एवं भावेसु ताव संसारे । आसि इमो अड्डयरो अहं पि दुहिओ चिरं आसि ॥ आसि इमो वि विभवो आसि अहं चेय अयणओ लोए । आसि इमो वि सुरूवो पुहईय वि मंगुलो अयं ॥ सुकुलम्मि एस जाओ आसि अहं चेय पक्कण-कुलम्मि । आसि इमो बलवंतो अहयं चिय दुब्बलो आसि ॥ आसि इमो वि तवस्सी होहिइ वा दीहरम्मि संसारे । एसो बहुं लहंतो अहयं चिय वंचिओ आसि ॥ 2 होऊण ललिय-कुंडल-वणमाला-रयण-रेहिरो देवो । सो चेय होइ णवरं कीडो असुइम्मि संसारे ॥ होऊण चिरं कीडो भव-परिवाडीऍ कम्म-जोएण । सो चिय पुणो वि इंदो वजहरो होइ सग्गम्मि ॥ सो णस्थि जए जीवो णवि पत्तो जो दुहाई संसारे । जो असुहं णवि पत्तो णिय-विरइय-कम्म-जोएण ॥ इय एरिसं असारं अथिरं गुण-संगम इमं गाउं । ता कयरं मण्णतो गुणं ति माणं समुबहसि ॥ माया वि कीस कीरइ बुहयण-परिणिदिय त्ति काऊण । कह वंचिज्जउ जीवो अप्प-समो पाव-मूढेहिं ॥ जह वंचिओ त्ति अयं दुक्खं तुह देइ दारुणं हियए । तह चिंतेसु इमस्स वि एस चिय वंचणा पावं ॥ । जइ वि ण वंचेसि तुमं माया-सीलो त्ति तह वि लोयम्मि । सप्पो ब्व णिब्वियप्पं णिचं चिय होइ बीहणओ ॥ तम्हा मा कुण मायं मायं सयलस्स दुक्ख-वग्गस्स । इय चिंतिऊण दोसे अजव-भावं विभावेसु ॥ लोभो वि उज्झियव्यो एवं हिययम्मि णवर चिंतेउं । णाणाविहं तु अत्थं आसि महंतं महं चेय ॥ वेरुलिय-पउमरायं कक्केयण-मरगया. रयणाई । आसि महं चिय सुइरं चत्ताई मए अवसएणं ॥ जइ ता करेसि धम्मं साहीणाणिं पुणो वि रयणाई । अहवा रजसि पावे एवं पि कडिल्लयं णस्थि ॥ जइ णव महाणिहीओ रज सयलं च भुंजए चक्की । ता कीस तुम दुहिओ पावय पावेण चित्तण ॥ कुणसु य तुम पि धम्म तुज्झ वि एयारिसा सिरी होइ । ता पर-विहव-विलक्खो ण लहिसि णि पि राईए॥ भालप्पालारंभ मा कुण विहवो त्ति होहिइ महं ति । पुव्व-कयस्स ण णासो ण य संपत्ती अविहियस्स ॥ मह परिचिंतेसि तुमै भत्तं पोतं व कह णु होज्जा हि । तत्थ वि पुब्ब-कयं चिय अणुयत्तइ सयल-लोयस्स ॥ महिलायणे वि सुव्वइ पयर्ड आहाणयं णरवरिंद । जेण कयं कडियलयं तेण कयं मज्झ वत्थं पि ॥ जेण कया धवल च्चिय हंसा तह बरहिणो य चित्तलया । सो मह भत्तं दाहिइ ण अण्णयारी तणं चरइ । इय चिंतिऊण पावं मा मा असमंजसं कुणसु लोहं । पडिहण संतोसेणं तह चेय जिणिंद-वयणेणं ॥ मोहस्स वि पडिवक्खं चिंतेयव्वं इमं सुविहिएहिं । असुई-कलमल-भरिए रमेज को माणुसी-देहे ॥ जं असुई-दुग्गंध बीभच्छं बहुयणेण परिहरियं । जो रमइ तेण मूढो अव्वो विरमेज सो केण ॥ जं जं गुज्झं देहे मंगुल-रूवं ठविजए लोए । तं चेय जस्स रम्म अहो विसं महुरयं तस्स ॥ जं असइ ससइ वेयइ मउलइ णयणाई णीसहा होइ । तं चिय कुणइ मरंती मूढा ण तहा वि रमणिज्जा ॥ 2) 1' om. णिवेय, लोभ-. 3) Pउयन्नाणं विहली. 4) लाहो नि, उ for य, P ताडेय में कह.5)P मुणिणो लोभो, मंतव्यो । जं निएस. 8) " संसारो, Prepeats अट्टयरो, P om. आसि. 9) P अयाणओ. 10) P सुकुलं पि, P चेव, P चिय. 11) P होही वा, P बहुं तो अहिये. 12) चेय. 13) P परिवाडीय. 14) Pजो यसुह, Jणय for णवि, पत्तो न य वियरह. 15) P संगमं च नाऊणं ।, P गुणाभिमाणं. 16) Pom. कीस, P वंचिज्जइ. 17) P अह for जह, ' दुहवेइ for तुहु देइ, P चिंतेद, P पावा ।. 18) P वंचेमि, P लि for व्व. 19) मिगस्स।, विलग्गासु for विभावसु. 20) लोहो. 21) J-पोमराए, J -मरगए य रयणाई. 22) साहीणाणं P साहीगावि, P एवं पि. 23), तुहं for तुम. 24) F कुज for तुज्झ, P मा for ता. 26) Pत्तइ सवलोगस्स ।।. 28) P तह वरहिलो य चित्तयला । 29) अमंजसं, P विमलेण for तह चेय. 30) Pइमं सुबुद्धीहिं ।, J कलिमल. 31) Pबीभत्सं. 32) P मंगलरूयं च विरमणिज्जा ।, P om. ठविज्जए लोए cte. to मूढाण तहा वि. 33) Jज for जं. 11 Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६१५५जण-लजणयं पि तहा बुहयण-परिणिदियं चिलीण पि । सोडीरा पुरिसा रमति तं पाव-सत्तीए ॥ जइ तीरइ काउं जे पडिहत्थो बिंदुएहिं जलणाहो । ता काम-राय-तित्तो इह लोए होज जीवो वि॥ कटिंधण-तण-णिवहेहिँ पूरिओ होज णाम जलणो वि । ता कामेहि वि जीवो हवेज तित्तो ण संदेहो ॥ उत्तुंग-पीण-पीवर-थण-भारोणमिय-तणुय-मज्झाहिं । सग्गे वि मए रमियं देवीहिँ ण चेय संतोसो ॥ माणुस-जोणीसु मए अह उत्तिम-मज्झिमासु णेयासु । रमियं तहा वि मज्झं रोरस्स व णस्थि संतोसो ॥ 6 इय असुई-संबंध मुंचसु मोहं ति पाव रे जीव । चिंतेसु जिणवराण आणं सोक्खाण संताणं ॥ इह कोह-माण-माया-लोहं मोहं च दुह-सयावासं । परिहरियव्वं बहु-सिक्खिएण एवं जिणाणाए ॥त्ति । ६१५६) एत्थंतरम्मि सूरो सोऊणं धम्म-देसणं गुरुणो । पच्छायाव-पर हो अह जाओ मउलिय-पयावो । 9 इमाए पुण वेलाए वट्टमाणीए अत्थगिरि-सिहर-संगमूसुएसु दिणयर-रह-वर-तुरंगमेसु अभिवंदिऊण भगवओ चलण-जुवलयं । राया पुरंदरदत्तो वासवो य महामंती पविट्ठा कोसंबीए पुरवरीए । सेस-जणो वि जहागओ पडिगओ । साहुणो वि भयवंते संपलग्गा णियएसु कम्म-धम्म-किरिया-कलावेसु । तओ 12 अथिइरि-णिहिय-हत्थो अहोमुहो गयण-हुत्त-पाइल्लो । मत्थुत्थलं दाउं वालो इव ववसिओ सुरो॥ संझा-बहूएँ णजइ गयणाहिंतो समुद्द-मज्झम्मि । णिय-कर-रज्ज-णिबद्धो सूरो कुडओ व्व ओयरिओ ॥ अह मउलिय-प्पयावो तम-पडलंतरिय-किरण-दिढिल्लो। संकुइय-करोइय-थेरओ व्व जाओ रवी एसो॥ जायस्स धुवो मच्च रिद्धी अवि आवई धुवं होइ । इय सातो ब्व रवी शिवडइ अत्थगिरि-सिहराओ॥ पाडिय-चंडयर-करो कमसो अद्द तविय-सयल-भुवणयलो । सहसा अत्थाओ चिय इय सूरो खल-णरिंदो व्व ॥ अह दिणयर-णरणाहे अस्थमिए णलिणि-मुद्ध-विलयाहिं । पल्हत्थ-पंकय-मुहं अन्यो रोउ पिव पयत्तं ॥ दट्ठण य णलिणीओ रुयमाणीओ व्व मुद्ध-भमरेहिं । अणुरुब्वइ बालेहि व सुइरं रुइरे जणणि-सत्थे॥ उय मित्तस्स विओए हंस-रखुम्मुक्त-राव-कलुणाणं । विहडइ चक्काय-जुयं अन्वो हिययं व णलिणीण ॥ सूर-णरिंदत्थवणे कुसुंभ-रत्तंबराणुमग्गेण । कुल-बालिय व्व संझा अणुमरइ समुद्द-मज्झम्मि ।। 21 अवि य खल-भोइयस्स व वहू-पणइयण-पत्थिजमाणस्स ईसि अंधयारिजंति मुहाइं तम-णिवहेण दिसा-वहूण, मित्त-21 विओयाणल-डज्झमाण-हिययाई व आउलाई विलवंति सउण-सत्थाई, ईसालुय-णरिंद-सुंदरीओ इव पडिहय-दूरप्पसराओ दिट्ठीओ त्ति । अवि य । ॥ अत्थं गयम्मि सूरे तिहुयण-घर-सामिए व्व कालगए। रोवंति दिसि-बहूओ जण-णिवहद्दाम-सहेण ॥ ११५७) ताव य को वुत्तंतो पयत्तो भुवणयले । अवि य पडिणियत्तई गोहणई, गिग्गयाइं चोर-बंगई, आवासियई पहिय-सत्थई, उक्कंठियई पंसुलि-कुलई, संझोवासणा-वावडई मुणिवर-चंद्रई, विरह-विहुरई चक्कवायई, समूससियई। 27 णारी-पुरिस-हियवयई, गायत्ती-जव-वावडइं बंभण-घरई। मूएलिहोंति कायल, पसरति घूय, चिलिचिलेंति पिंगलओ, __ संकुयंति सउणा, वियरंति सावया, किलिकिलेंति चेयाला, पणञ्चति डाइणीओ, परिक्कमंति भूया, रडंति भसुयओ। त्ति । अवि य । वच्छंतरेसु सउणे णिहा-भर-मंथरे णिमेऊण । कच्छंतरम्मि बाले सोवइ जणणि व वण-राई ॥ एरिसए समयम्मि के उण उल्लावा कत्थ सोऊण पयत्ता । डज्झिर-तिल-घय-समिहा-तडतडा-सद्दई मंत-जाय-मंडवेसु, गंभीर-वेय-पढण-रवई बंभण-सालिसु, मणहर-अक्खित्तिया-गेयई रुद्द-भवणेसु, गल्लफोडण-रवई धम्मिय-मढेसु, घंटा-डम१० रुय-सद्दई कावालिय-घरेसु, तोडहिया-पुक्करियई चच्चर-सिवेसु, भगवगीया-गुणण-धणीओ आवसहासु, सब्भूय-गुण-रइयई। 1) बहुयण- 2) P काओ for काउं, उ पडइच्छो, " तो for ता, ततो. 3)।' णाम जणाम जलणो, मि for वि, P जीवा, तित्ता. 4) Pudds घणपीवर before थणभारो. 5) अहमुत्तिम, J तहबी, " वि for व, संदेहो for संतोसो. 6) अनुदम संदोज्झ मुंच मोहो त्ति, Pसंबंधो.7) Pलोभ, जिणाणाएं ति. 9) adds य before पुण, Jom. कमाणीए., दिणवर, P अभिनंदिऊग भगवतो चलणजुयलं. 10) कोसंबीपुर', Jom. वि, P om. पटिाओ, P भगवंतो संपल याणियएसु. 12) Pअत्यगिरि, P om. मुहो, J मच्छुत्थलं P मछुत्थलं, P पवसिओ. 13) "संशाववहू णज्जइ, ' नियकर केया बद्धो सूरी कडओ, J ओसरिओ P ओयरिहो. 14) J -पयावो, पत्थोय for किरण, P repeat करोश्य, थेरय ब. 15)? इव for अवि, P उदयस्थ for अत्थगिरि. 17) P नलणि-, P मुहं अहो रोत्तं पिव. 18) J रुइरो जणणिसत्थो. 19) P हंसरवमुक, P चुकाय. 20) P नरिंदत्थमणे, P रत्तंबराणमम्गेण, P अणुसर समुज्झमि ।।. 21) Jहोत्यस्स, " बहू (बहु?), P पणईयण, J दिसावहूं. 22) J om. आउलाई, ईयालुनरिंद, दूरपसराओ, " दूरप्पसरा दिट्ठीओ. 25) " पडिनियत्ता गोहणारं, P चंद्राई आवसियाई पहरणसत्थाई । उक्कंठियाई. 26) P कुला, ' वावले for पावडर and repeuts अवि य पडिनियत्ताई etc. to संज्झोवासणावावडा. 27) P चोर for णारी, गायंति जाव वावटर, संधार for घर, सुयंती for मूएल्लि, Pघूया. 28) P सउणविरयरंति सावय, P परिभमंति, J भुसुओ for भन्यो . 30)। सउणा, J मय for भर, सोयद जइ जणणि. 31)P एरिसे य, P दज्झिर, P सद्दद. 32) Pबंभाण सालोमु, J अविवत्तिाअई, गेया, गलप्फोटण. 33) P कालालिय, P चुकरियई, J -सिसिवेसु, गुणणव्वउ आव, गुणरइअं. 30 Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६१५८] . कुवलयमाला 1 थुइ-थोत्तई जिणहरेसु, एयंत-करुणा-णिबद्धत्थई वयणई बुद्ध-विहारेसु, चालिय-महल-घंटा-खडहडओ कोट्टजा-घरेसु, 1 सिहि-कुक्कुड-चडय-रवई छम्मुहालएसु, मणहर-कामिणी-गीय-मुरय-रवई तुंग-देव-घरेसु ति । अवि य । ३ कत्थेइ गीयस्स रवो कत्थइ भुरयाण सुव्वए सहो । कत्थइ किं पि पढिजइ इय हलबोलो पओसम्मि ॥ कामिणीहरेसु पुण के उल्लावा सुब्विउं पयत्ता। हला हला पल्लविए, सजीकरेसु वासहरयं, पप्फोडेसु चित्त-भित्तीओ, पक्खिवसु मइराए कप्पूरं, विरएसु कुसुम-माला-धरयई, रएसु कोट्टिमे पत्तलयाओ, विरएसु कुसुम-सत्थरे, संधुक्केसु धूव-घडियाओ, संजोएसु महुर-पलावे जंत-सउणए, विरएसु णागवल्ली-पत्त-पडलए, ठवेसु कप्पूर-फडा-समुग्गए, णिक्खिव 6 कक्कोलय-गोलए, ठवेसु जाल-गवक्खए अत्थुर-सेज, देसु सिंगाडए, णिक्खिव वलक्खलए, पक्खिव चक्कलए, पजालेसु पईवे, पवेसेसु महुँ, कोंतलं काउं सुइरं णिमजसु मज-भायणे, पडिमग्गसु महरा-भंडए, हत्थ-पत्ते कुणसु चसए, णिक्विव 9 सयण-पासम्मि विविह-खज-भोज-पेज-पडलए त्ति । अपि य। एकेकयम्मि णवरं वर-कामिणि-पिहुल-वास-घरयम्मि । कम्मै तो ण समप्पइ पिय-संगम-गारवग्घविए । १५८) एयम्मि एरिसे समए को वावारो पयत्तो णायर-कामिणी-सत्थस्स । अवि य । ३ सहि संपइ मज्झ घरं पावइ दइओ ति मंडणं कुणसु । अहवा अलं ति मह मंडगेण अंगस्स भारेण ॥ दे तूर महं पियसहि तिलए भालं रएसु दइएण । इय विहलक्खर-भगिरी सहियाहि हसिजए अण्णा ॥ आसण्ण-दइय-संगम-सुहिल्लि-हल्लप्फला हलहलेति । अण्णा रसणं कंठे बंधइ हारं णियबम्मि ॥ होंत-जियणाह-संगम-मयण-रसासाय-सुण्ण-हिययाए । अदाए च्चिय रइओ तिलओ अपणाए घुसिणेण ॥ अण्णा जंपइ चिय आणेसु पियं ति दुइ-लज्जाए। पिय-वयण-गभिगेहिं जयण-पदाणेहिँ पयडेइ ॥ संचारिसाएँ अण्णा अप्पाहेती पियस्स संदेसं । अगणिय-मग्ग-बिहाया सहसा गेहं चिय पविट्ठा ॥ एहिद पिओ त्ति अण्णा इमिणा मग्गेण अंधयारम्मि । तं चेय णियच्छंती अच्छइ जोइ ब्व झाणत्था ॥ अजेकं चिय दियह अत्ता वच्चामि जइ तुम भणसि । अणुदियहं पि भणती अण्णा दइयं समल्लियइ । पढम चिय पिय-वसही गंतव्वं अजमेव चिंतेती । गुरु-सज्झस-तोस-विसाय-णिभरा होइ अण्णा वि ॥ तम-पडहत्था रच्छा कीय वि जो होइ संभमो हियए । सो होत-दइय-संगम-सुहेल्लि-पडिपेलिओ गलइ ॥ अणुराओ चेय फरो तस्स गुणा चेय णिम्मलं खग्गं । इय भणिउं एक चिय पिय-वसहिं पत्थिया अण्णा ॥ वण्णेति पोढ-महिला किर सो बहु-सिक्खिरो जुवाणो त्ति । णिव्वडइ तं पि अजं इय भणिरी वच्चए अण्णा ॥ वणिजइ महिलाहिं जा रयणाली कुमार-कंठम्मि । तं पेच्छह मह कंठे एव भणती गया अण्णा ॥ कसिण-पड-पाउयंगी दीवुज्जोयम्मि कुहिणि-मज्झम्मि । वोलेइ झत्ति अण्णा कयावराहा भुयंगि व्व ॥ अण्णा भय-भरियंगी अच्छिच्छोएहिं जाइ पुलयंती । णीलुप्पल-णियरेहि व अञ्चती पंथ-देवीओ ॥ अण्णा सहियण-भणिया पिय-वसहिं वच्च ताव मंडेउं । चलिय च्चिय णिय-सोहग्ग-गम्विरी का वि दइयस्स ॥ वच्चंतीय यकीय वि दिट्टो सो चेय वल्लहो पंथे । अह पडिमग्गं चलिया पिय त्ति गव्वं समुव्वहिरी ॥ दट्ठण काइ दइयं पियाएँ समयं सुणिब्भर-पसुत्तं । वञ्चइ पडिपह-हुत्त धोयंसुय-कजला वरई॥ अण्णा वासय-सज्जा अच्छइ जिय-णाम-दिण्ण-संकेया । अण्णाएँ सो वि हरिओ भूयाण य वाइओ वंसो ॥ इय एरिसे पओसे जुयईयण-संचरंत-पउरम्मि । मयण-महासर-पहर-णीसहा होति जुवईओ ॥ 1) थोत्तयं, -निबदथईवयई बद्धः, P महल्ला-, P घटडओ. 2) " सिहि कुडुचडय, P-गेयमुखरयई. 4) को for के, P repeats के अलावा, P om. one हला, I सज्जीअरेसु. 5) J पक्खि मइराए । पक्खिवइ मइराएसु कप्पूर, P मालाघराई, P repeats विरएसु कुमुममालाघरा। रएसु कोहिमे पत्तलयाओ, P विएभु कुसुमसत्थरो. 6) धूम for धूव, Jठएसु, P -प्फडा. 7) F कंकोलय, ' ठपगु, P सिंघाटए, J चक्कलए for वलक्खलए, P om. पक्खिव चकलए. 8) P मदुरकोंतलकाओ सहर, P om. गज्ज, JP have a danda after काउं, J अत्थपत्थेसु. 9) Pमयण, P inter. पेज and भोज. 10) adds nि before ण, "वग्यविओ. 11) " पहुत्तो for पयत्तो. 12) P सइ for सहि. 13) J सहि अहि P सहियाई. 14) संगमसुदलि., J हलफला. 16) P संदयदाणिहिं for णयणपदाहि. 17) P अप्पाहंती, P विभागा. 18) P एही for एहिए. 19) ' अणुदियहमि, समुलियइ 20) J पढमं चिय वसई चेय गंतव्वं, P चिंतंती, P सब्भस. 21) सहमो, J गहुलि. 22) J खरो for फरो, P भणियं, I पियवसइं. 23) P अण्ण त्ति for वण्णेति, P सिक्विओ. 24) P महिला, रयणीली रयणावली, J का वि for अण्णा. 25) P पाउरंगी, J adds जा before दीवु, I has a marginal note on कुहिणि thes: देशी कुणी कर्पूरो रथ्था च ।, P-मजमि. 26) अण्ण, I अछिच्छोहे हिद, P नयणेहिं व अचेती, पत्थ. 27) सहि for वसहि, P चविय for चलिय, J कियसोहगगविणी. 29) P दट्ठण कोइ, P पडिवह, P धोइंसुय, ' धरई for वरई. 30) " जितणाम, J हूआणं वाइओ. 31) P जुवईयणसंचरंमि मयणमहारहसर, पहरेहि नीसहा. Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 21 उज्जोयणसूरिविरइया [६१५९६१५९) ताव य अइकंतो पढमो जामो चउ-जामिणीए । अवि य। मयण-महाहव-वेला-पहार-समय व पजरंतो व्व । उद्धाइ संख-सदो वर-कामिणि-कणिय-वामिस्सो ॥ ३ एत्यंतरम्मि विविह-णरिंद-वंद्र-मंडली-सणाहं पाओसियं अत्थाण-समयं दाऊण समुट्टिओ राया पुरंदरदत्तो । विसज्जियासेस-3 णरिंद-लोओ पविट्ठो अभंतरं । तत्थ पडियग्गिऊण अंतेउरिया-जण, संमाणेऊण संमाणणिज्जे, पेच्छिऊण पेच्छणिज्जे, सव्वहा कय-कायच्व-वावारो उवगओ वास-भवणं । तत्थ य उवगयस्स समुट्टिओ चित्ते वियप्पो । 'अहो, एरिसा वि एसा संपया 6 खण-भंगुरा । एवं सुयं मए अज भगवओ धम्मणंदणस्स पाय-मूले । अहो, गुरुणा जणिय वेरग्गं, असारी-कओ संसारो, 6 विरसीकया भोगा, णिदिओ इत्थि-पसंगो । ता पेच्छामि ताव एत्थ मयण-महसवे एरिसे य पओसे किं करेंति ते साहुणो, किं जहा-वाई तहा-कारी आओ अण्णह' त्ति चिंतयंतेण राइणा पुरंदरदत्तेण गहिअं अद्ध-सवण्णं वत्थ-जुवलयं । जस्स य । 9 अद्ध ससंक-धवलं अद्ध सिहि-कंठ-गवल-सच्छाये । पक्ख-जुवलं व घडिय कत्तिय-मासं व रमणिज ॥ परिहरियं च राइणा धवलमद्धं कसिणायार-परिक्खित्तं । उवरिल्लयं पि कयं कसिण-पच्छायणं । गहिया य छुरिया । सा य . केरिसा । अवि य। 12 रयण-सुवण्ण-कंठ-सिरि-सोहिय-तणुतर-मुट्ठि-गेझिया। वइरि-णरिंद-वच्छ-परिचुंबण-पसर-पयत्त-माणिया । 12 रेहिर-घर-वरंग-सोहा णव-कुवलय-सामलंगिया। रिउ-जण-पणइणि व सा बज्झइ कडियलए छुरिल्लिया ॥ सा य उत्थल्लियए माणिक-पट्टियए दढ-णिबद्ध कयल्लिया। तओ सुयंध-सिणेहो एरिसो य सव्वायर-परियडिओ सीसेण 15 धरियल्लओ। तह वि वंक-विवंको पयइ-कसिणो सहावो य त्ति कोवेण व उद्घो विणिबद्धो केस-ढमर-पब्भारो । तओ णाणा-15 विह-कुसुम-मयरंद-बिंदु-णीसंदिर-कप्पूर-रेणु-राय-सुयंध-गंध-लुद्ध-मुद्धागयालि-रण-रणेत-मुहल परिहिय मुंडे मालुल्लिया । तओ अइविमल-मुहयंद-चंदिमा-पूर-पसर-परिप्फलणई कड्डियई उभय-गंडवासेसु बहल-कत्थूरियामयवद्दई । रंजियई च तीय 18 सेसई परियर-वलग्गई पसरंत-णिम्मल-मजहई रयणई। तओ कप्पूर-पूर-पउरहं कंकोलय-लवंग-मीसह पंच सोयंधियई 18 तंबोलह भरियइं गंडवासई । असेस-सुरासुर-गधन्व-जक्ख-सिद्ध-तंत-वत्तियए विरइओ भालचट्टे तिलओ। बहले वि तमंधयारे रह-रेणुवदंसावएण अंजण-जोएण अंजियई अच्छिवत्तई । पूरियं च पउटे पउर-वेरि-वीर मंडलग्गाभिघाय-णिवडंतआणिटुरत्तण-गुणं वसुणंदयं । गहियं च दाहिण-हत्थेण खग्ग-रयणं ति । तं च केरिसं । अवि य । वइरि-गईद-पिहुल-कुंभत्थल-दारणए समत्थयं । णरवर-सय-सहस्स-मुह-कमल-मुणाल-वणे दुहावहं ।। जयसिरि-धवल-णेत्त-लीला-वस-ललिउव्वेल्ल-मग्गयं । दाहिण-हत्थएण गहियं पुण राय-सुएण खग्गयं ॥ 24 तं च घेत्तण णिहय-पय-संचारं वंचिऊण जामइल्ले, विसामिऊण अंगरक्खे, भामिऊण वामणए, वेलविऊण विऊसए, छदिऊण 24 __ वडहे, सम्वहा णिग्गओ राया वास-घराओ, समोइण्णो दद्दर-सोमाण-पंतीए त्ति ।। १६०) इमम्मि य एरिसे समए केरिसावत्थो पुण वियड्ड-कामिणियणो भगवं साहुयणो य । अवि य । 7 एको रणत-रसणो पिययम-विवरीय-सुरय-भर-सिग्गो । वेरग्ग-मग्ग-लग्गो अण्णो काम पि दूसेह ॥ एको महुर-पलाविर-मम्मण-भणिएहिँ हरइ कामियणं । अण्णो फुड-वियडक्खर-रइयं धम्म परिकहेइ ।। एक्को पिययम-मुह-कमल-चसय-दिण्णं महुं पियइ तुट्ठो । अण्णो तं चिय गिदइ अणेय-दोसुब्भडं पाणं ॥ 30 एको णह-मुह-पहरासिय-दंतुल्लिहण-वावडो रमइ । अण्णो धम्मज्झाणे कामस्स दुहाई चिंतेइ ॥ एको संदट्ठाहर-वियणा-सिक्कार-मउलियच्छीओ । धम्मज्झाणोवगओ अवरो अणिमिसिय-गयणो य ॥ एक्को पिययम-संगम-सुहेल्लि-सुह-णिब्भरो सुहं गाइ । अण्णो दुह-सय-पउरं भीम णरयं विचिंतेइ ॥ 33 एक्को दइयं चुंबइ बाहोभय-पास-गहिय-वच्छयलं । अण्णो कलिमल-णिलयं असुई देहं विचिंतेइ ॥ 2)J वेणी for वेला, P वजरंतो. 3)P नरेंद्र, पुरंदरयत्तो. 4) Pलोतो for लोओ, P अभंतरो, J अंतेउरिजणं, P संमाणणिज्जो. 5) Prepeats वारो उवगओ, P तत्थ ववगयस्स, P om. वि. 7) Jom. एत्थ, P transposes ते before किं, P करंति. 8) P जहावाती, J अण्णहि त्ति, P चिंतियंतेण, पुरंदरयत्तण, J असुवणं अद्धसवन्नं जत्थ, P om. य. 9) ससंख-.J पक्खजवलेण घडिओ कत्तियमासो व रमणिज्जो 1. 10) Pपरिहियं च, धवल मर्छ कगाइ विपक्वित्तं, P om. पि, P गहियं जच्चच्छुरिया. 12) कण्ण for कंठ, P सोहिया, Pom. तर, गेण्ड्आि ।, P नरिंद्रचंद्रपरि. 13) Jरिउअण, छुरुल्लिया. 14) J सार for सा य, P सा च उच्छुल्लियाए माणिकपट्टियाए, J कडियल्लिा, परिवढिओ. 15) Jउबद्धो for व उद्धों, P उद्धो बद्धो केस तस्स तमर पब्भारो. 16)P मयरिंद, चंद for बिंदु, Pणी सिकप्पूर, P सुगंध, मुद्धासवालि, P परिहिया. 17) P पसरि, P कहिअई, रंजियं च, P च तिय. 18) Pom. रयणई, J ककोलय, repeats लय, Pom. मीसह पंचासो. पंच सअंधियई. 19) P तंबोलभरियई गंडवासयं. J रक्खा for जक्ख, सिद्धंतत. J कालवद्रो P भालबद्रे 20) P रेणुपयंसावएण, P अजियाई अत्थवत्तई, वहरि for वेरि, Pघाया. 21) Pणिट्ठरत्तगुण, Pom. हत्थेण, Jom.ति, 22) P गयंद, J दुहावयं. 23)P ललियुब्वेल्ल, P दाहिणथएण. 24) हामिऊण for भामिऊण. 25) P वासहराओ इमोइन्नो, P सोमणपत्तीए वि।. 26) Jom. य, उण for पुण, P कामिणीयणो भयवं साहुणो. 27) J पिययण-, J-करसिग्गो • P भरसित्तो, Pom. मग्ग. 28) P पलावीमम्मण, I हणिएहि for भणिपहि. 30)सिरंतुल्लि, J धम्मत्थाणे. 31) संदुद्वाहरविणोयसिक्कार, P अणिमेसणो जाओ. 32) J सुल्लि, JP गायइ, P संसारपई for भीमं णरयं, वितेइ. 33) वास for पास, P कलमल, असुइदेहं विईतेइ. Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 -६१६१] . कुवलयमाला | इय जे जे कामियणो कुणइ पओसम्मि णवर मोहंधो । तं तं मुणिवर-लोओ जिंदइ जिण-वयण-दिढिल्लो ॥ • तओ एयम्मि एरिसे समए णिक्खतो राया णियय-भवणाओ। ओइण्णो राय-मग्गं, गंतुं पयत्तो। वञ्चतेण य राइणा दिद्वं 3 एक तरुण-जुवइ-जुयलयं । दट्टण य चिंतियं 'अहो, किं किं पि सहास-हसिरं इमं तरुणि-जुवलयं, वच्चंता दे णिसामेमि 3 इमाण वीसत्थं मंतियं' ति । तओ एकाए भणिय 'पियसहि, कीस तुमं दीससि ससेउकंप-हास-वस-वेविर-पओहरा' । तीए भणिय 'अम्ह पियसहीए अउव्वं वुत्ततं वुत्त' । तीए भणिय 'सहि केरिसं' ति ।। 8 ६१६१) तीए भणियं । “आगओ सो पियसहि, एसो वल्लहो । तेण य समं सही-सत्थो सब्वो पाणं पाऊण 6 समाढत्तो। तओ एवं पयत्ते णिजंतणे पेम्माबंधे अवरोप्परं पयत्ताए केलीए कह कह पि महु-मत्तेण कयं णेण वल्लहेण गोत्तक्खलणं पियसहीए । तं च सोऊण केरिसा जाया पियसही । अवि य । . तिवलि-तरंग-णिडाला वग्गिर-विलसंत-कसिण-भुमय-लया। चलिया रणत-रसणा फुरुप्फुरेंताहरा सुयणू ॥ * तओ झत्ति विद्दाणो सही-सत्थो । आउलीहूओ से वल्लहो अणुगेउं पयत्तो । किं च भणिय णेण । 'मा कुप्पसु ससि-वयणे साह महं केण किं पि भणिया सि । अवियारिय-दोस-गुणाएँ तुझ किं जुज्जए कोवो ॥' 12 तं च सोऊण अमरिस-वस-विलसमाण-भुमया-लयाए भणिय पियसहीए । 'अवियाणिय-दोस-गुणा अलज्ज होज्जा तुमे भणतम्मि । जइ तुह वयण-विलक्खो ण होज एसो सही-सत्थो ।' तओ अम्हे वि तत्थ भणिउं पयत्ताओ । 'पियसहि, ण किंचि णिसुयं इमस्स अम्हेहिं एत्थ दुव्वयण' । तीए भणियं । 'हूं, 16 मा पलवह, णायं तुम्हे वि इमस्स पक्खम्मि' । भणिऊण ठइय-वयण-कमला रोविडं पयत्ता । तओ दइएण से पलतं । 15 ___'सुंदरि कयावराहो सच सच ति एस पडिवण्णो । एस परसू इमो वि य कंठो जं सिक्खियं कुणसु ॥' त्ति भणमाणो णिवडिओ चलणेसु । तह वि सविसेसं रोविडं पयत्ता । तओ अम्हेहिं कपणे कहिओ पिययमो किं पि, तओ 18 पविट्ठो पलंकस्स हेट्टए णिहुओ य अच्छिउं पयत्तो। पुणो भणिय अम्हेहिं । 18 __'अहण पसण्णा सि तुम इमस्स दइयस्स पायवडियस्स । अकय-पसाय-विलक्खो अह एसो णिग्गओ चेव ।। ता अच्छ तुम, अम्हे वि घराहरेसु वच्चामो' त्ति भणमाणीओ णिग्गयाओ वास-भवणाओ, णिरूविडं पयत्ताओ पच्छण्णाओ। 21'किं किं करेइ'त्ति पेच्छामो जाव पेच्छामो णीसह वासहरं जाणिऊण उग्घाडियं वयण, जाव ण स दइओ, ण सहीओ, तो 21 पच्छायाव-परद्वा चिंति पयत्ता । 'हा हा मए अहव्वाएँ पेच्छ दूसिक्खियाएँ जं रइयं । ण पसण्णा भग्गासा तह पइणो पाय-पडियस्स ॥ 4ता कहिं मे सहियाओ भणियाओ जहा 'तं आणेसु, ण य तेण विणा अज्ज जीवियं धारेमि' त्ति । ता किं करियव्वं । 24 अहवा किमेत्थ चिंतियव्वं' ति दढग्गलं कय दारं विरइओ य उवरिल्लएण पासो, णिबद्धो कीलए, वलग्गा आसणे, दिण्णो कंठे पासो । भणियं च णाए । अवि य । 27 'जय ससुरासुर-कामिणि-जण-मण-वासम्मि सुट्ट दुल्ललिय । जय पंचबाण तिहुयण-रण-मल्ल णमोत्थु ते धीर । एस विवजामि अहं पिययम-गुरु-गोत्त-वज्ज-णिद्दलिया। तह वि य देजसु मज्झं पुणो वि सो चेय दहओ' ति ॥ भणतीय पूरिओ पासओ, विमुकं अत्ताणयं । एत्थंतरम्मि 30 मह एसो दिण्णो चिय तुट्टेणं सुयणु तुज्झ मयणं । एवं समुल्लवंतेण तेण बाहाहिँ उक्खित्ता ॥ तमओ 'अहो, पसण्णो धण्णाए भगवं कुसुमाउहो' ति भणतीओ अम्हे वि पहसियाओ। विलक्खा य जाया पियसही। भवणीओ पासओ । समारोविया सयणे । समासत्था य पुणो पियसही। 38 तं तेहिं समाढत्तं णियंब-हेलुच्छलंत-रसणिलं । जंपियसहि पाव तुमं वाससयं भक्खया मज्झ ॥ 33 तो 'सुई वससु'ति भणंतीओ पविट्ठाओ अत्तणो घराहरेसुं।" 1) कामिजणो, J मोद्धो, । -लोतो निंदेइ. 2) ? ओयन्नो, ' om. य. 3) जुअरजुवलय, चितयं, पि सहासिर, 'लयं किं वच्चइ ता, Jon. दे. 4) J मंतेय त्ति, P दीससि उपहासवसाखोयवेविर. 5) I तीय for तीए, अउर्व, वतं for वुत्तं. 6) Jआगओ पियसहि सो अ वल्लदो, P शियसहीए सो, P om. सब्बो, I om. पाणं. 7) णित्तणे, P पयत्ता केली कई, मदुमित्तेण, कयण्णेण P कयन्तेण. 9) P तरंटनिटाला, P रणं व रसणा, JP फुरुफुरें', मुअण्णू P सतणू. 10) P अणुणिलं. 11) Pकुप्पसि, J महं किंपि केण किंपि, P कंथ तुहं for तुज्य किं. 13) P अवियारिय, P अज्जालज्ज, तुम for तुमे. 14) P एत्थ पुब्ववयणं, न हुं. 15) P तु अम्हे for तुम्हे, P ठिइय for ठइय, P रोइउं, P दइए से. 17) P भणिओ for कहिओ. 18) Pom. पविट्ठो, Pom. य. 19) चेय. 20) अच्छम, P अम्हे घरघरेस, P निरूवियं, P पेच्छन्नाओ. 21) Jom. one किं,Jom. स, Jadds य before सहीओ. 23) P दुरिसक्खियाए, P पायवडियस्स. 24) J कहं, J soores भणियाओ. 25) Jआसणा. 27) P जइ for जय, P वासंसि, I दूर for सुह, P दुललिया, J -मोल णमोत्थु ए वीर. 28) Pएव for एस, Pमजं पुणो य सो चेय. 30) P दिण्णा. 31) Pom. अहो, ए for धण्णाए, भणंतीप, J orn. विलक्खा य जाया. 32) Pउवणीओ, P समारोया सयणो, पुणो सहि. 34) Pघराघरेसुं. 30 Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18 तय- णियम सोसिवंग कसिणं मधूटि-धूसरावयवं दव-द-धाणु- सरिसं चचर-पडिम-द्वियं साई ॥ 9 तं च द विंति राइणा 'अहो धम्मणदणस्स भगवओ एस संतिओ लक्खीयइ तत्थ मए एरिया रिसिणो दि-गुण्या 1 अहवा अगो को वि दुङ-पुरियो इमेणे रुचेणं होहिए, ता दे परिवर्ध करेमि ततऊण अवाल- जलव-विजुज असिवरं आयतो पहाइओ 'हण हण' ति भणतो संपत्तो वेपुणं साहुणो मूलं । ण य भगवं ईसि पि चलिभो । तभ 12 जाणियं णरवइणा जइ एस दुट्टो होंतो ता मए 'हण हण' त्ति भणिए पलायंतो खुहिओ वा होंतो । एस उण मंदर- सरिसो 12 बिलत्तणेणे, सायरो व्व भवखोभतणेणे, हई-मंडल खेतीए, दिवायरो तब पूर्ण चंदो सोमत्त ति ता एस धम्मणदणस्स संतिओ होहिइ ण सुंदरं च मए कर्य इमस्स उवरिं महात्वरिणो खां कट्टिय ति वा समावेमि 15 एवं एवं चिंतिऊण भणिये । उज्जोयणसूरिविरइया [8१६२ 1 १६२) तिच राहणा 'अहो, पिभरो अणुराओ, निडणो सही-सत्थो विषो जवाणो' ति 'सम्वहा रम- 1 णीयं पेम्मे' ति चिंतयंतो तुं पयतो वग्मिय रायमग्गे बद्दल-मंधारे दि राइणा एकं णवर चचरं तत्थ य किं किं पि 5 [उदागारं चच्चर-संभ-सरिसं हविये । तं च दण चिंतियं णरवणा 'अहो, किमेत्य यर-बरे इमं लक् ता किं पुरिसो आउ थंभो त्ति । दे पुरिस लक्खणाई थंभ-लक्खणाई चेय णिरूवेमि' । ताव चिंतयंतस्स समागओ तत्थ गयर बसहो । सो व तत्थ तूण अवयसि पबत्तो, सिंगो य उलिहितं च दट्टण राणा चिंतिये 'अहो, ण होइ 6 एस पुरिसो, जेणेस वसहो एत्थ परिघसइ अंग ति । ता किं थंभो होही, सो विण मए दिट्टो दिवसभ । ता किं पुण B इमं ति चिंततो जाय धोतरं वच ताव पेच्छ । 1 24 ८६ 30 'जइ वि तुम सुसियंगो देव तुमं चैव तद वि बलिययरो जइ वि तुमं मइलंगो गाणेण समुज्जलो तह वि ॥ जह वि तु असहान गुण-गण-संसेविओ तह विसि जइ वि हुण दंसणिजो दंसण-सुहो तुमं चैव ॥ जइ वि तुमं अवहत्थो झाण-महा-पहरणो तह वि नाह । जइ विण पहरसि मुणिवर मारेसि तहावि संसारं ॥ जइ विवएस-वेसो देव तु चैव सच जग-गाहो जइ वि हु दीणायारो देव तुमं चैव सप्पुरियो । 21 ता देव समसुम अविनयमिणमो भयाण-माणस्स मा होड मज्जा पावे तु खग्गाकरिस जेति ॥' भणंतो ति पयाहिणं काऊण णिवडिओ चलण- जुवलए राया। गंतूण समाढत्तो पुणो णयरि-रच्छाए । जाव धोवंतरं वञ्चद् ता 21 पेच्छइ कं पि इत्थियं । केरिसिया सा । अवि य । कसिण-पड पाउयंगी मूयलिय - णेउरा ललिय-देहा । रसणा-रसंत भीरू सणियं सणियं पयं देती ॥ १६३) तोच दण चिंतियं रायउण दे पुण्छामि का चलिया एस' चितिर्यतो टिमोरभो। भणियं च णेणं । 'सुंदर घोरा राई हत्थे गहियं पि दीसए णेय । साहसु मज्झ फुर्ड चिय सुयणु तुमं कत्थ चलिया सि ॥ ' 27 भणियं च तीए । 1 'चलियामि तत्थ सुंदर जत्थ जो हियय हो बस भणसु व जं भणिय भणियं च रायतेण । 'सुंदर घोरा चोरा सूरा व भर्मति रक्खसा रोड़ा एवं मह खुद मणे कह वा तीए भणियं । 'णयणेसुदंसण-सुई अंगे हरिसं गुणा व हिवयम्मिदवाणुराय भरिए सुदव भयंकर 35 चिंतियं च राणा 'अहो, गुरुमो से अणुराओ, सम्बहा सलाहणीयं एवं पेम्मं ता मा अहवा मार्ग मर्म देसु ॥' तुमं ण वीटेसि ॥' 1 ) P सहिसत्थो, P वियट्टो. 2 ) P पेमं, J बहले, P om. य. 3) P, P adds a before aftri. 4) P किं वा for ता किं, P रे for दे, Pom. थंभलक्खणाई, P च for चेय. 5) तत्थामंतूग, उहि 6 ) वसओ, P repeats after एत्थ a portion from above beginning with गंतून व घसिउं पयतो सिंगग्गेण उलिहिडे etc. upto जेणेस वसओ एत्थ, P होहिंई for होही, P हियहओ for दिवसओ. 7) P जाव for ताव 9 ) P भगवतो, P लक्खियह त्ति. 10 ) ताहे for ता दे, P जल for जलय. 11 ) P आइतो, उ णं ति. 12) P मारेह for ता गए, खुभिओ. 13) Pom. व्व, P पुद्दई व मंडल खंतीओ. 14 ) J धम्मणंदणसंतिओ, Padds य् before सुंदरं, P उवरिगरिसणो खम्गं. 15) P om. एयं. 16 ) P ससियंगो, Pom. चेव, P तह वि धमवलियरो. 17 > संसेवि तह, सि for हु. 18 ) P संसारे. 19 सवजगवाहो सिfor . 20 ) P अयागणस्स, P खग्गुक्क रिसणं ति. 21) P तिपयाहिणी काऊण, P जुयलए, J adds य after जाव. 22 > किं पिइच्छियं, केरिसा य सा. 23 ) पाउरंगी मूउल्लिय, P रसंति for रसंत. 24 ) J adds च after चिंतियं, दे पेच्छामि, डिओ. 25 J adds अवि य after णेणं26 ) P सुयण तुमं. 28 ) P चलियान, Padds भणिय जं before भणियब्बं 30 ) P भवंति मणो कह 32 ) Pफरिसं for हरिसं, P सुकय for सुहय. 33 ) अहो गरुओ, Pom. एयं, P के इट्ठपुरिसिणं परिहविओ. अलिगड ॥' गइ दुइ पुरिसे परिभवीय 15 18 27 30 Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६१६४ ] . कुवलयमाला एसा। दे घरं से पावेमि' त्ति चिंतयतेण भणिया। 'वञ्च वञ्च, सुंदरि, जत्थ तुमं पत्थिया तं पएसं पावेमि । अहं तुज्झ । रक्खो, मा बीहेसु' ति भणिए गंतुं पयत्ता, अणुमग्गं राया वि । जाव थोवंतरं वञ्चति ताव दिवो इमीए ससंभमो एजमाणो सो चेये णिय-दइओ। भणियं च ण । 'दइए ण सुंदरं ते रइयमिणं जं इमी' वेलाए । चलिया सि मज्झ वसई अणेय-विग्याएँ राईए॥ ए-एहि, सागयं ते । ता कुसलं तुह सरीरस्स।' तीए भणियं 'कुसल इमस्स महाणुभावस्स महापुरिसस्स पभावेण'। दिट्ठो यण राया। भणियं च णेण । 'अहो, को वि महासत्तो पच्छण्ण-वेसो परिभमइ' त्ति चिंतयंतेण भणिय अगेण जुवाणेण ।। ___ 'ए-एहि सागयं ते सुपुरिस जीयं पि तुझ आयत्तं । जेण तए मह दइया अणहा हो पाविया एत्थ ॥' भणियं च राइणा। ____ 'तं सुहओ तं रूवी तं चिय बहु-सिक्खिओ जुवाणाण । एइ गुण-पास-बद्धा जस्स तुहं एस धवलच्छी ॥' त्ति भणमाणो राया गंतुं पयत्तो। राईए बहले तमंधयारे जयर-मज्झम्मि बहुए वियव-जुवाण-जुवलय-जंपिय-हसिओग्गीयविलासिए णिसामंतो संपत्तो पायारं । तं च केरिसं । अवि य । तुंगं गयण-विलग्गं देवेहि वि ज ण लंघियं सहसा । पायालमुवगएणं फरिहा-बद्धण परियरिय॥ तं च पेच्छिऊण राइणा दिणं विज क्खित्तं करणं । उप्पइओ महंगणे । केरिसो य सो दीसि पयत्तो । अवि य । विजुक्खित्ताइहो दीसह गयणगणे समुप्पइओ। अहिणव-साहिय-विजो इय सोहइ खग्ग-विजहरो ॥ ण हुणवर लंघिओ सो पायारो तुंग-लग्ग-णह-मग्गो । पडिओ समपाओ च्चिय फरिहा-बंध पि वोलेउं ॥ अणुत्तुणो चेय गंतुं पयहो । $१६४) किं बहुणा संपत्तो तमुजाण, जत्थ समावासिओ भगवं धंमगंदगो। पविट्ठो य अणेय-तरुयर-पायववल्ली-लया-सविसेस-बहलंधयारे उजाण-मज्झम्मि । उवगओ य सिंदूर-कोहिम-समीवम्मि । दिवा यण साहुणो भगवते । 18 कम्मि पुण वावारे वट्टमाणे त्ति । केइ पढंति सउण्णा अवरे पाढेंति धम्म-सत्थाई । अवरे गुणेति अवरे पुच्छंति य संसए केइ ॥ वक्खाणंति कयत्था अवरे वि सुणेति के वि गीयत्था । अवरे रएंति कव्वं अवरे झाणम्मि वढेति ॥ सुस्सूसंति य गुरुगो वेयावञ्च करेंति अण्णे वि । अण्णे सामायारिं सिक्खंति य सुत्थिया बहुसो ॥ दसण-रयणं अण्णे पालेति य के वि कह वि चारित्तं । जिणवर-गणहर-रइयं अण्णे णाणं पसंसंति ॥ अवि य । सुत्तत्थ-संसयाइ य अवरे पुच्छंति के वि तित्थेय । णय-जुत्ते वादे जे करेंति अब्भास-वायम्मि ॥ धम्माधम्म-पयत्थे के वि णिरूवेंति हेउ-वादेहिं । जीवाण बंध-मोक्खापयं च भावेंति अण्णे वि ॥ तेलोक्क-वंदणिजे सुक्कज्झाणम्मि के वि वस॒ति । अण्णे दोग्गह-णासं धम्मज्झाणं समल्लीणा ॥ मय-माण-कोह-लोहे अवरे जिंदति दिट्ठ-माहप्पा । दुह-सय-पउरावत्तं भवरे गिदंति भव-जलहिं ॥ इय देस-भत्त-महिला-राय-कहाणस्थ-वजियं दूरं । सज्झाय-झाण-णिरए अह पेच्छइ साहुणो राया ॥ तं च दट्टण चिंतियं राइणा । 'अहो, महप्पभावे भगवंते जहा-भणियाणुटाण-रए । ता पेच्छामि गं कत्थ सो भगवं धम्मणंदणो, किं वा करेई' त्ति चिंतयंतेण णिरूवियं जाव पेच्छइ एयंते णिविटुं। ताण तहियस-णिक्खताणं पंचण्ह वि जणाणं .. धम्मकहं साहेमाणो चिट्ठइ । चिंतियं य राइणा । 'दे णिसुमि ताव किं पुण इमाण साहिजइ' त्ति चिंतयंतो एक्कस्स तरुण-तमाल-पायवस्स मूले उवविट्टो सोउं पयत्तो त्ति । 1)। नितियंतेण, पञ्चावच.2) मंतु for गंतुं.3)P सो चेय नियय. 4) P सुंदरं तो इयमिण.5) Jom. एएहि सागयं ते, J तीय. 6) तेग for tण, एके पि, वितियतेण, र भणियमणेण, P om. जुवाणेण. 7) J सयुरिस. 9)Pईय for एइ, J जइ for जरस. 10) Jom. त्ति, Pराई बहले, Jणायरमॉमि, P वियः, P जुबलजंपियह रियं, P om. सिओग्गीयविलासिए. etc. to बद्धण परियरियं. 13) PIवं च दहण राणा, P किरणं for करणं. 14) P"क्खित्ताइट्ठा, P गयणंगणं, P साहियविज्जो. 15)'नवरं, तुंगमग्गणहलगो, J बंधम्मि. 16) अणुत्तरो चेय, J पयत्तो. 17) तरूपायव, P पायवल्ली. 18) बहुलंधयारे, Pom. य, समी।, Pom. भगवंते. 20) पठंति, P सुणंति for गुणेति, JP om. य, P संसर्य, I केई. 21) Pom. कयत्था अवरे वि सुर्णेति, P केर गीयत्था, रयंति. 22) P समायारी. 23) J सालेति (some portion written on the margin) F पालंति, Jom. अवि य. 24) संसयाई, P तत्थेय, P सहत्थोभयजुत्तो for णयजुत्ते, J वादे ये वादे य, P अन्भासं।. 25) F केइ, P हेउवाएहिं, ' मोक्खोगई च, पावेंति for भावेति. 26) P वंदणिज्जा. 27) 'माहप्पे. 28) P वज्जिया. 30) P om. ति, JP चिंति° for चिंत', P अंतो for एयंते, P तदियह दिक्खियाग पंचण्ह. 31Pom. चिट्ठद, Pदे सणियं सुणेमि. 32) P मूले उवरस मूले उवः Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१६४] . कुवलयमाला 1एसा । दे घर से पावेमि' त्ति चिंतयतेण भणिया। 'वञ्च वच्च, सुंदरि, जत्थ तुमं पत्थिया तं पएसं पावेमि । अहं तुज्झ 1 रक्खो, मा बीहेसु' त्ति भणिए गंतुं पयत्ता, अणुमग्गं राया वि । जाव थोवंतरं वच्चंति ताव दिवो इमीए ससंभमो एजमाणो १ सो चेय णिय-दइओ । भणियं च णेण । 'दइगु ण सुंदरं ते रइयमिण जे इमी वेलाए । चलिया सि मज्झ वसई अणेय-विग्घाएँ राईए॥ ए-एहि, सागयं ते । ता कुसलं तुह सरीरस्स ।' तीए भणियं 'कुसलं इमस्स महाणुभावस्स महापुरिसस्स पभावेण' । दिवो 6 य णेण राया। भणिय च ण । 'अहो, को वि महासत्तो पच्छण्ण-वेसो परिभमइ' त्ति चिंतयंतेण भणिय अणेण जुवाणेण। 'ए-एहि सागयं ते सुपुरिस जीयं पि तुज्झ आयत्तं । जेण तए मह दइया अणहा हो पाविया एस्थ ॥' भणियं च राइणा । 9 'तं सुहओ तं रूबी तं चिय बहु-सिक्खिओ जुवाणाण । एइ गुण-पास-बद्धा जस्स तुहं एस धवलच्छी ॥' त्ति भणमाणो राया गतुं पयत्तो। राईए बहले तमंधयारे णयर-मज्झम्मि बहुए वियत-जुवाण-जुवलय-जंपिय-हसिओग्गीयविलासिए णिसामंतो संपत्तो पायारं । तं च केरिसं । अवि य । 12 तुंगं गयण-विलग्गं देवेहि वि जण लंघियं सहसा । पायालमुवगएणं फरिहा-बद्धण परियरियं ॥ ___ तं च पेच्छिऊण राइणा दिण्णं विजुक्खित्तं करणं । उप्पहओ णहंगणं । केरिसो य सो दीसि पयत्तो । अवि य । विजुक्खित्ताइहो दीसइ गयणगणे समुप्पइओ । अहिणव-साहिय-विज्जो इय सोहइ खग्ग-विज्जहरो॥ 15 ण हु णवर लंघिओ सो पायारो तुंग-लग्ग-णह-मग्गो। पडिओ समपाओ च्चिय फरिहा-बंधं पि वोलेडं ॥ अणुत्तुणो चेय गंतुं पयहो। १६४) किं बहुणा संपत्तो तमुजाणं, जत्थ समावासिओ भगवं धमगंदगो। पविटो य अणेय-तरुयर-पायव18 वल्ली-लया-सविसेस-बहलंधयारे उजाण-मज्झम्मि। उवगओ य सिंदूर-कोट्टिम-समीवम्मि । दिवा यण साहुणो भगवते । 18 कम्मि पुण वावारे वट्टमाणे त्ति। केइ पढंति सउण्णा अवरे पाढेंति धम्म-सत्थाई । अवरे गुणेति अवरे पुच्छति य संसए केइ ।। 21 वक्खाणंति कयत्था अवरे वि सुणेति के वि गीयत्था। अवरे रएंति कब्बं अवरे झाणम्मि वहृति ॥ सुस्सूसंति य गुरुणो वेयावच्चं करेंति अण्णे वि । अण्णे सामायारि सिक्खंति य सुत्थिया बहुसो ॥ दंसण-रयणं अण्णे पालेंति य के वि कह वि चारितं । जिणवर-गणहर-रइयं अण्णे णाणं पसंसंति ॥ अवि य । सुत्तत्थ-संसयाइ य अवरे पुच्छति के वि तित्थेय । णय-जुत्ते वादे जे करेंति अब्भास-वायम्मि ।। धम्माधम्म-पयत्थे के वि णिरूवेंति हेउ-वादेहिं । जीवाण बंध-मोक्खापयं च भावेंति अण्णे वि ॥ तेलोक-चंदणिजे सुकज्झाणम्मि के वि बटुंति । अण्णे दोग्गइ-णासं धम्मज्झाणं समल्लीणा ॥ 7 मय-माण-कोह-लोहे अवरे जिंदति दिठ्ठ-माहप्पा । दुह-सय-पउरावत्तं अवरे गिदंति भव-जलहिं ॥ ___ इय देस-भत्त-महिला-राय-कहाणस्थ-वजियं दूरं । सज्झाय-झाण-गिरए अह पेच्छइ साहुणो राया ॥ तं च दट्टणं चिंतिय राइणा । 'अहो, महप्पभावे भगवंते जहा-भणियाणुट्टाण-रए। ता पेच्छामि णं कत्थ सो भगवं धम्म30 गंदणो, किं वा करेई' त्ति चिंतयंतेण णिरूवियं जाव पेच्छइ एयंते णिविटुं। ताण तहियस-णिक्खताणं पंचण्ह वि जणाणं .. धम्मकई साहेमाणो चिट्ठइ । चिंतियं य राहणा। 'दे णिसुमि ताव किं पुण इमाणं साहिजइ' त्ति चिंतयंतो एकस्स तरुण-तमाल-पायवस्स मूले उवविट्रो सोउं पयत्तो त्ति । 1) वितियंतेग, वच्चावच्च. 2) तु for गंतुं. 3)P सो चेय नियय. 4) P सुंदरं तो इयमिणं. 5) Jom. एएहि सागयं ते, I तीय. 6) तेण for tण, P के वि, P चिंतियतेण, P भणियाणेण, Pom. जुवाणेण. 7) J सुवुरिस. 9) ईथ for एइ, J जर for जरस. 10) Jom. त्ति, P राई बहले, Jणायरमज्झमि, P वियट्टः, P जुवलजंपियरियं, P om. सिओग्गीयविलासिए etc. to बद्धेण परियरियं. 13) P। वं च दहण राहणा, P किरणं for करणं. 14) P°क्वित्ताइट्ठा, P गयणंगणं, ' सायिचि जो. 15) नवरं, J तुंगमग्गणहलग्गो, J बंधम्मि. 16)P अणुत्तरो चेय, J पयत्तो।. 17) तरूपायव, P पायवल्ली. 18) बहुलंधयारे, P om. य, P समीवं 1, Pom. भगवते. 20) पठंति, P सुगंति for गुणेति, JP om. य, P संसयं, केई. 21) Pom. कयत्था अवरे वि सुणेति, P केइ गीयत्था, J रयंति. 22) P समायारी. 23) J सालेति (some portion written on the margin) पालंति, Jom. अवि य. 24) संसयाई, P तत्थेय, P सहत्थोभयजुत्तो for णयजुत्ते, वादे ये P वादे य, P अब्भासं ।. 25) P केइ, P हेउवाएहिं, P मोक्खोगई च, पावेंति for भावेति. 26) विंदणिज्जा. 27) 'माइप्पे. 28) P वजिया. 30) P om. ति, JP चिंति° for चिंत', P अंतो for एयंते, P तदियह दिक्खियाण पंचण्ह. 31)Pom. चिटूड, Pदे सणियं सुणेमि. 32)P मूले उवस्स मूले उवः' Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 ८८ उज्जोयणसरिविरइया [६१६५१ ६५) भणियं च भगव|| धम्मणदणेण । 'देवाणुप्पिया, पयर्ड जिणवर-मग पयर्ड णाणं च दंसणं पयर्ड । पयर्ड सासय-सोक्खं तहा वि बहवे ण पावेंति ॥ पुहवी-जल-जलणाणिल-वणस्सई-णेय-तिरिय-भेएसु । एएसु के वि जीवा भमंति ण य जंति मणुयत्तं ॥ मणुयत्तणे वि लद्धे अंतर-दीवेसु णेय-रूवेसु । अच्छंति भमंत चिय आरिय-खेत्तं ण पार्वेति ॥ आरिय-खेत्तम्मि पुणो णिदिय-अहमासु होति जाईसु । जाइ-विसुद्धा वि पुणो कुलेसु तुच्छेसु जायंति ॥ सुकुले वि के वि जाया अंधा बहिरा य होंति पंगू य । वाहि-सय-दुक्ख-तविया ण उणो पार्वति आरोग्गं । आरोग्गम्मि वि पत्ते बाल चिय के वि जंति काल-वसं । के वि कुमारा जीवा इय दुलह आउयं होइ ॥ वास-सयं पि जियंता ण य बुद्धिं देंति कह वि धम्मम्मि । अवरे अवसा जीवा बुद्धि-विहुणा मरंति पुणो ॥ 9 अह होइ कह वि बुद्धी कम्मोवसमेण कस्स वि जणस्स । जिण-वयणामय-भरियं धम्मायरियं ण पार्वेति ॥ अह सो वि कह वि लद्वो साहइ धम्म जिणेहिँ पण्णत्तं । णाणावरणुदएणं कम्मेण ण ओग्गहं कुणइ ॥ अह कह वि गेण्हइ च्चिय दंसण-मोहेण णवरि कम्मेण । कु-समय-मोहिय-चित्तो ण चेय सह तहिं कुणइ ॥ 12 अह कुणइ कह वि सद्धं जाणतो चेय अच्छए जीवो । ण कुणइ संजम-जोयं वीरिय-लद्वीएँ जुत्तो वि ॥ इय हो देवाणुपिया दुलहा सव्वे वि एत्थ लोयम्मि । तेलोक्क-पायड-जसो जिणधम्मो दुल्लहो तेण ॥ भणियं च भगवया सुधम्मसामिणा । 15 माणुस्स-खेत्त-जाई-कुल-रूवारोग्गमाउगं बुद्धी । समणोग्गह-सद्धा संजमो य लोगम्मि दुलहाई ॥ एके ण-यणंत च्चिय जिणवर-मग्गं ण चेय पावंति । अवरे लढे वि पुणो संदेहं गवर चिंतेंति ॥ अण्णाण होइ संका ण-याणिमो किं हवेज्ज मह धम्मो । अवरे भणति मूढा सव्वो धम्मो समो चेय ॥ अवरे बुद्धि-विहूणा रत्ता सत्ता कुतित्थ-तित्थेसुं । के वि पसंसंति पुणो चरग-परिव्वाय-दिक्खाओ । भवरे जाणति चिय धम्माहम्माण जं फलं लोए । तह वि य करेंति पावं पुवजिय-कम्म-दोसेण ॥ अवरे सामण्णम्मि वि वढ्ता राग-दोस-वस-मूढा । पेसुण्ण-णियडि-कोवेहिँ भीम-रूवेहिँ घेति ॥ 21 भण्णे भव-सय-दुलहं पावेऊणं जिणिंद-वर-मग्गं । विसयासा-मृढ-मणा संजम-जोए ण लग्गति ॥ ण य होति ताण भोया ण य धम्मो अलिय-विरइयासाण । लोयाण दोण्ह चुक्ता ण य सग्गे व य कुलम्मि ॥ अवरे णाणत्थद्धा सवं किर जाणियं ति अम्हेहिं । पेच्छंत चिय डड्डा जह पंगुलया वण-दवेणं ॥ 24 भवरे तव-गारबिया किर किरिया मोक्ख-साहणा भणिया। उज्झति ते वि मूढा धावंता अंधया चेव ॥ इय बहुए जाणता तह वि महामोह-पसर-भर-मूढा । ण करेंति जिणवराण आणं सोक्वाण संताणं ॥' एत्यंतरम्मि चिंतियं णरवइणा तमाल-पायवंतरिएण । 'अहो, भगवया साहियं दुलहत्तणं जिणवर-मग्गस्स । ता सम्वं 7 सच्चमेयं । किं पुण इमं पि दुल्लहं रज-महिला-घर-परियण-सुहं । एयं अणुपालिय पच्छा धम्म पेच्छामो' त्ति चिंतयंतस्स 27 भगवया लक्खिओ से भावो । तओ भणियं च से पुणो भगवया धम्मणदणेणं ।। जं एवं घर-सोक्ख महिला-मइयं च जं सुहं लोए । तमणिच्चं तुच्छं चिय सासय-सोक्ख पुणो णतं ॥ जहा । 30६१६६) अत्थि पाडलिपुत्तं णाम जयरं । तत्थ वाणियओ धणो णाम । सो य धणवइ-सम-धणो वि होऊण 30 । रयणद्दीवं जाणवत्तेण चलिओ। तस्स य वञ्चमाणस्स समुद्द-मज्झे महा-पवण-रूविणा देव्वेण वीई-हिंदोलयारूढं कह कह वि टस त्ति दलिय जाणवत्तं । सो य वाणियओ एक्कम्मि दलिय-फलहए बलग्गो, तरंग-रंगत-सरीरो कुडंगद्दीव णाम दीवं 33 तत्थ सो पत्तो । तत्थ य तण्हा-छुहा-किलतो किंचि भक्खं मग्गइ जाव दिट्ठो सो दीयो । केरिसो। अवि य । 39 1) Pदेवाणुपिया. 2) J बहुए for बहवे. 3) P जलणानिल, " मेदेसु, P कि वि जीवा. 4) P अञ्चति भमंतं चिय. 5) P निंदिययतमा य होति. 6) पंगू या, P वाहिय, P उनणो for ण उणो, r om. आरोग्गं. 8) P अवरे अवरे for अवसा, होवि होंति for होइ, P कस्सद जणस्स. 10) P कह कह for अह सो वि. 11) P कह for अह, P गेहिए for गेण्हा, P सविं. 13) अह for इय, दुलहं सव्वमि एत्थ. 15) P रोगमाउयं, I लोयंमि. 16) Jणयणंति, P थियं, P चेव, J पाति, P चिंतेति. 18) कुतित्थेसु, चरय for चरग. 1997 धमाधमाण, P पुवक्कियकम. 20) रायदोस. 21) दुलहं, मूढमणो. 22) J भोयाण for लोयाण, J य मग्गे खत्तिअकुलं मि. 23) P नाणं सव्वं एयं किर, पेच्छंति य चिय दट्टा ( हट्टा?) जह. 24) किरि for किर, P मूढो. 27) Iom. पि, Pदुलहरजं, P अणुपालियं, JP प्पेच्छामो. 28) P भावा। ततो भगिय पुणो पि भगवया. 30) P पाटलिउत्तं, P वणिओ. 31) P रयणदीवं, Pom. महा, P देवेण, P कहं कहं पि ढस त्ति स दलिय. 32) P फलिहए विलग्गो, P कुडंगदीवं, Jणाम दी. 33) P तत्थ य संपत्तो, Pom. तत्थ य, JP danda after मगइ. Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -- १६७ ] 1 3 I 9 1 1 1 अफल-कय-गोय-सर- फरास-ख-सय-पडसे हरि-पुलि-रिच्छ-दीवियसि सण-सहि परियरिओ मल-पंक- पूइ-पउरो भीम - सिवाराव- सुब्बमाण-रवो । दोस-सय-दुक्ख-प -पउरो कुडंगदीवो ति णामेणं ॥ तम्मियं तारिसे मद्दाभीगे उब्वियणिज्जे भमिउं सो समाढतो । तेण य तत्थ भमंतेण सहसा दिट्टो अण्णो पुरिसो । पुच्छिओ सो रोग 'भो भो तुमं त्वेत्थ दीये ते भणि 'मह सुत्रष्णदीवे पश्चियन्स जाणवर्स फुडियं फलवालोय पुर संपतो' । तेण भणिये 'पयट्ट, समं चेय परिभमामो' । तेहि य परिभ्रममाणेहिं अण्णो तइभो दिट्टो पुरिसो । तभो तेहिं 'भो भो तुम कथागमोदी' तेण भणि 'मह लंकारं वचमाणस्स जाणवल दलियं फलहाल एन्थ संपतो' भणि 'सुंदरं, दे समतुख-सहायार्ण मेसी अम्हाणे या मुख्य कहिंचि मुंगे पायये भिण्ण-वण-ि उम्मेमो' 'वह' ति परिवजिण उभयं तरुवर सिहरम्मितो दादा-हिंता अस अण्णेसिकणं पयता | णय किंचिच्छेति तारि रुक्लं जत्य किर फलं उपज ति वन एवं परिभ्रमणध्वएहिं दुक्ख-सय-विलेहिं कह कपि पाविवाई घरावराई तिष्णि कुगाई | तत् एकैकम्मि कुर्डगे एकेका काउंवरी पेरिससिदिए, भगिकण य समाता । 'अहो, पाचियं जे पावियन्वं, निन्युया संपर्य अम्हे, संपत्ता जहिच्छियं सोक्खं' ति भणमाणेहिं विरिकाई तेहिं 12 रोप्यरंगाई पाणि कार्डवरीहिं फलाई एकदि । तभो दीण-विमण-चुम्मणा फुट्ट मुद्दा 12 कायल लीव सरिसा पिवत्ता तओ केण वि कार्यतरेण मणोरद्द-सद्धिं गव-कक्स-सणाद्दानो जायाओ ताथो काउंबरीभो । तभ आसाइयं किंचि मेत्त फलं । तहा तत्थ णिबद्धासा तम्मणा तल्लेसा जीविय-वल्लहाओ ताभ काउंबरीओ 10 सउण कायलोवा रक्ता अच्छिउं पयताच्छंता य जंतं तेहिं कथं भिण्ण-वण-चिपेच्छिण काव्य- 10 करुणा-परिगपुर्ण केणानि वणिपुण दोनिं चेतृण पेसिया जिवामय पुरिसा ते व आतून तं दीवं अणिस्संति । दिट्टा ब तेहिं ते विणि पुरिसा कुडंग काउंबरी - बद्ध-जीवियासा । भणिया य तेहिं णिज्जामय - पुरिसेहिं । 'भो भो, अम्हे जाणवत्त18 वा पेसिया, ता पयवह, तर्ड णेमो, मा एत्थ दुक्ख सय-पउरे कुडंग-दीवे विवज्जिहिद्द' ति । तभ भणियं तत्थ एक्केण 18 पुरेसे 'किमेत्य एवं घरं, एसा काउंबरी फलिया पुणो पचीहिद एवं असणं पाप का भवति किं एव किं वा तत्थ तीरे अवरं सुदे ति ता जाई वच्चामि जलहि-मझे वट्टमाणस्स एवं पिश 21 हवीह' नि भणिण तत्थेय हिलो तलो तेहिं जामव-पुरिसेहिं बिनो भणिभो । सो वि वो पत्तो 'सम्यभि 21 दीवं दुह-सय-पउरं, ण एत्थ तारिसं मणुष्णं सुहं । किंतु इमाई उडयाई, इमा य वराइणी काउंबरी फलिया मए परिचत्ता सउण कायल-प्पमुहहिं उवद्दवीहिह त्ति । ता इमाए पिक्काए फलं उवभुंजिऊण पुणो को वि णिज्जामओ एहिद्द, तेण समय 24 बीहामि संप संपये गम' ति भणिण सो वि तम्मणो सत्येव द्विमो ति । तनो तेहिं तो पुरियो भणिनो 24 'पयट्ट, वच्चामो' । तेण भणिय । 'सागयं तुम्हाणं, सुंदरं कयं जं तुम्हे आगया । तुच्छमिणं एत्थ सोक्खं अणिञ्च च । बहु-पथवाओ व एस दीयो यह वचामो' ति भणमाणो पयट्टो तेहिं णिजामपुर्हि समर्थ भरूडो व दोणीए । गया व तथ पुत-मित्त-कलचाणं धन-धन-संपयाए व मिलिया सुदं अणुति । ता किं भो, देवापिया एसो दिहंतो तुम्ह ताय में दिष्णो जह एवं वह अण्णे उवणयमिणमो णिसामेहि ॥ 1 , 27 ६७) जो एस मदाजही संसारं ताय तं चियाणाहि जम्म-जरा-मरणावत-संकुलं सेपि दुत्तारं ॥ जो उन कुटंग- दीवो माणुस जम्मो सो गुणेो सारीर-माणसेहिं य दुक्खेहिं समाउलो सो वि ॥ जे सत्य तिष्णि पुरसा से जीवा होति तिप्पवास व जोणी लक्खाउ चुय मथुस्स- जम्मम्मि ते पत्ता ॥ तत्थ व उप-सरिच्छा लिग फुटंगा घरेहिं ते सरिसा काउंबरीनो जाओ महिलाओ वाण वा होंति ॥ जाई तत्थ फलाई ताई ताणं तु पुत्त-भंडाई । अलिय कयासा पासा तं चिय रक्खति ते मूढा ॥ 30 33 कुवलयमाला ८९ उ P पुट्ट. P 1) P कुढ for कडुय, P फरुसयपडसे, P. हरि फुल्लिरिंछ. 3 ) समिऊग, Pom. सहसा 4 ) Pom य, P अहं for मह, फला, Po.. 5 ) परिगानो, Pom य, Jom. तओ. 6 ) Jom. भो भो, P कत्थेत्थ दीने, P मम for म, फल्याविलग्गो 7 ) सुंदर, सुक्ख for दुक्ख, P पच्छा for एत्थ, चिद्धं (?) उचेमो. 8 ) P उभिउं. 9 ) P रुक्के, P उप्पट्ठाइ, om. तओ, P परिम, P कहिं for कहकई पि. 10 परागारा, एक पिकुने एकेको सांख्यं for ऊससियं. 11 ) Padds जं after अहो, जर्दच्छियं । कहिच्छियं, विरिक्कायाई. 12 ) Jom य, P विमणा 13 ) J काय for कायल, " सरीसा, तेण for केण, कक्कसणाहाओ. 14 >P कादंबरीओ, P आसाइय, Pom. मेत्त, फला, om. ता. 15) कहि for कयं चिद्धं. 16 ) P दोणी, अणिसंति. 17) P om. afe, J om. a, कुडुंगा व कार्ड, Pom. बद्ध, J अम्हेहिं for अम्हे. 18 ) J कुंटग, P विवज्जिह त्ति. 19 ) P पुणो वहि त्ति, बुट्टो देवो. 20 ) भविति ति किं चि P अवरिं सुह ति, P न भविधि त्ति. 21 ) P तत्थैव, P बीओ for बिरओ, सव्वं णिमं. 22 पउरंगन, इमाई वरा 23 ) P उवद्दविहि त्ति, om. त्ति, P इमीए पक्काए, P निजामए ओहिनं. 24 ) P वचीहामी विमणो for तम्मणो 25 ) P तुम्भे, तुच्छं णिमं एत्थ. 26 > Pom. ता, P पयट्ट, Jon. य. om. य before मिलिया, Pom. ता किं भो. 28 ) P देवाणुपिया एस, तुम्हाणं P अम्हं for तुम्ह ( emended ). माणुसेहिं 31 ) P वि भमिऊग जोगिलक्खाउ माणुसजंगंमि ते पयत्ता ॥ 32 ) य for वि, उ पुरिला for सरिसा, for जाओ, om. ताम- 33 ) P कया माया तं चिय 27 > P J 30 ) जावि 12 30 33 Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 3 6 9 12 15 18 21 ९० उज्जोयणसूरिविरइया दारिद्द-वाहि-दुह-सय-सउणाणं स्थखए उ तं मूढो । ताणं चिय सो दासो ण-यणइ जं अत्तणो कज्जं ॥ जे णिज्जामय पुरिसा धम्मायरिया भवंति लोगस्मि । जा दोणी सा दिक्खा जं तीरं होइ तं मोक्खं ॥ संसार- दुक्ख-तविए जीवे तारेति ते महासत्ता जंगम-तित्थ-सरिच्छा चिंतामणि- कप्परुख- समा ॥ तुच्छा एए भोया माणुस जम्मम्मि निंदिया बहुसो ता पावसु सिद्धि-सु इय ते मुणिणो परुति ॥ तत्येको भणइ इमं एवं चिय एध माणुसे दीवे जं सोक्सोक्खं मोक्ख सुद्देणावि किं तेण ॥ पुत्त- पिइ-दार बंधू- माया -पासेहिँ मोहिओ पुरिसो । तं चिय मण्णइ सोक्खं घर-वास-परेण धम्मेण ॥ साताण विधम्मं तीर-सुहं जह य ताण पुरिसाण । ण य तं मोतुं वच्चइ केण वि मोहेण मूढप्पा ॥ सो जर मरण-महाभय-परे संसार-यर-मज्झमि । गड्डा सूयर सरिसो रमइ चिन जो अभाव- जिओ ॥ बिओवि काल-भविभो परिवजइ गुणिबरेहिं जे कहिये तीरं तितुमिच्छ किंतु इमं तत्थ सो भइ ॥ भगवं घरम्मि महिला सा वि विणीया य धम्मसीला य मुचामि कस्स एवं वराइणिं नाह-परिदीगं ॥ पुत्तो वि तीय-जोग्गो तस्स विवाहं करेमि जा तुरियं । दुहिया दिण्ण चिय मे अण्णो पुण बालओ चेय ॥ ता जाव होइ जोग्गो ता भगवं पव्वयामि नियमेण । अण्णो वि ताव जाओ ते वि पलासा य ते दिग्घा ॥ णाऊणं जिण-वयणं जं वा तं वा वलंबणं काउं । अच्छंति घरावासे भविया कालेण जे पुरिसा ॥ तइओ उण जो पुरिसो सोडणं धम्म- देखणं सहसा संसार- दुक्ख भीरू चिंते वाहि भव-पाव कलिमल कंटय-फरसम्मि मणुयोगम्मि अच्छेया को खगं पि विमोक्ख-सुडं जाणमाणो वि ॥ घर-वास-पास बद्धा अलिय कयासावलंबण-मणा य । गेण्हंति णेय दिक्खं अहो णरा साहस- विहूणा ॥ सा पुण्णेहिं म चित्र संपता पुष्य सागो एए दिखा दोणि-वलग्गा वीर सुदं पाविमो अम्हे ॥ समाउ || 1 कणयं पि होइ सुलहं रयणाणि वि णवर होंति सुलहाई । संसारम्मि वि सयले धम्मायरिया ण लब्भेति ॥ ता होउ मह इमे जम्म-जरा-मरण- दुक्ख लिएणं पायेमि सिद्धि-वसई तक्खण भय्यो इमं भइ ॥ तामाचं इमं चिय एत्थ सुंदरं सोक्स उंवार कुडंग-सरिसं वीर सुहाओ विमोक्खाओ ॥ ति । I 1 ६८) एवंतरम्मि भयं सोमप्यमुदेहिं पंचहि वि जहिं । 'जह आणवेसि भगवं पडिवज्जामो तय तं सव्वं । जं पुण तं दुच्चरियं हियए सलं व पडिहाइ ॥' भणियं च भगवया धम्मगंदणेणं । 24 33 [S] १६७ जं कणयं कणयं चि ण होइ कालेण तं पुणो लोहं । इय णाण-विसुद्ध मणा जे साहू ते पुणो साहू || सम्बहा जं जं भणति गुरुणो अज पभायमि तं चिय करेमि को वा होज रायण्णो इमस्स भागं ण जो कुणइ ॥ ति । 'एयं पि मा गगेज्जसु जं किर अम्हेहिँ पाव-कम्मं ति । सो होइ पाव-कम्मो पच्छायावं ण जो कुणइ ॥ सो गाधि कोइ जीवो चढ-ग-संसार चारयावासे । माइ-पिइ भाइ भइणीओ तसो जेण णो दहिया ॥ ता मारिजण एको निंदण-गुरु-गरहणाहि सम्बाहि हुये करेह पायें अवशे तं देय गरुप ॥ 27 तुभे उण सप्पुरिसा कह वि पमाएण जे करेउं जे । पावं पुणो नियत्ता जेण विरत्ता घरासाओ ॥ तुभेहिं पायच्छिते करणीये' ति साहिये किंपि सविं धम्मणंदणं तं च राइणा ण सुर्य ति । एत्थंतरम्मि इंदिय-चोरेहिँ इमो पडिवजह इय मुसिजए लोए । जायम्मि अङ्क-रत्ते बुक्करियं जाम-संखेण ॥ इमे च 30 30 ताव य चिंतियं राइणा । 'डुडु में चिंतियं जहा इमम्मि मयण-मसवे किं करेंति साहुगो ता को जो माणं वावारो त्ति । अवि य । 1 18 15 18 21 24 दोसो for दासो, 1 ) उसो for तं, नयणं for णयगर. 2 ) । हवंति, J अम्मि, P जा for जं, ए होंति तं. 3 ) P तारंति, P मे for ते, P कप्प for तित्थ, Printer. रुक्ख & कप्प. 5 ) 6) यदा मावार for पासेहिं, P मग्गइ for मण्णइ. 7) P तीरसुजं जह. 8 ) P गत्ता for P रइमइ गड्डा, for रमइ, अहव्य. 9) J4 for वि, Pom. ति. 10 P सुच्चामि for मुंत्रामि, P वराइणी 11 ) P उण for पुण. 12 ) ता होइ जो व जोग्गो, ग्य त दिया. 15 मणुअलोअमि, जो for को- 16) कसायावलंबणगणा या ।. 17) P साहुगा, बिलग्गो. 18) गाई वर 19 ) r वसहिं. 20 > मुक्ख for सोक्ख, कुडुंग. 21) नि for वि. 22 ) तहेव, Pom. तं after पुण, P दुच्चरियाई, P सलि. 25 ) P को वि जीवो, माइपियि P माय पिय, P अनंतसो for तसो for एक्को, P गुरुएइ एत्यंतर मि. 29 ) P लोओ. 32 ) Pom.] सव्वहा. 26 ) एक्क सुतं ति । Pom 27 ) P तुम्हे for तुब्भे, P नियत्ता for विरता. 28 ) P भणियं for सर्णिय, 33) पदार्थमि 27 33 Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -8800] कुवलयमाला ९१ 1 अवि य चिंततो राया तुं पयत्तो चिंतियं च णरवणा 'अहो, ण याणीवह गुरुणः अहं जाणिओ ण व दिगो अवा किं किंचि अस्थि लोके न वाणइ भगवं धम्मगंदणो ता किं पव चिव वंदामि महवा नहि नहि, इर्म एवं 3 समुब्भंड-भीसणं मुणियण-चरिय- विरुद्धं बेस-गहणं भगवओ दंसयामि लज्जणीयं ति । ता माणसं चिय करेमि पणामं । जय संसार-महोवहि- दुक्ख-सयायत्त भंगुर सरंगे मोक्स-सुह-वीर-गामिय णमोर विनामय- सरिच्छ ।' ति चिततोणि उज्जाणाओ संपतो पायारं दिषणं विकिरणं धियं संपत्तो रायममी, पत्तो 6 आरूढो पासाए, पविट्ठो वासहरं, णिसण्णो पलंके, पत्तो य । 1 १६९) साहुको भगवंते कय-सज्झाय- बाबारे कयावस्थय करणे य खर्णवरं गिद्द सेविण विरयिं कालं काउमादत्ता । एत्थ य अवसरे किंचि-सेसाए राईए, अरुणप्पभा-रंजिए सयले गयणगणाभो, महु-पिंगले मुत्ताले व 9 तारया - गियरेसु, पढिये इमं पाहाउय- दुवइ-खंडयं बंदिणा । अवि य । अगर- समुद्र-तीर- पुलिणोयरए परिनंद-गमणियं । चिरदुब्वेष- दुक्ख परिपंडुरियं ससि चक्कवाइवं ॥ पुज्य हि तीरयाओं संगम-रहसुद्दीण- देहओ इच्छछ अहिलसिऊण दयं पित्र रचि- चक्रवायओ ॥ जोहा-जल-पडिए गयण सरे निम्मले पहायस्मि । मउलइ अरुणाइदड तारा- चंदुजयाण सथों वि ॥ गाणा- यण-मणो-हरिय तउ अंगेहिं विलसंत । मेलि भडारा णिद्र तुहुं अण्णु विइजिय कंत ॥ इमं च बंदिणा पटियं णिसामिऊण जंभा-वस- वलिउब्वेलमाण- बाहु-फलिहो गिद्दा घुम्मिरायंब-णयण- जुवलो समुट्ठिओ राया 15 सयणाओ । कयं च कायावस्सय करणीयं । उवगभो अत्थाण-मंडवं जाव जोक्कारिओ वासवेणं । भणियं च राहणा 'भो भो 15 वासव, कीस ण पश्चिमो भगवओ धम्मणंदणस्स पाय मूलं भणियं च वासवेणं 'जहा पहू आणयेद्द' ति । पवत्ता गंं, समारूढा य वाख्या-करिणि, णिग्गया य णयरीनो संपता तमुज्जाणं बंदिभो भगवं धम्मदणो साहुयणो , 18 पुच्छिया व भगवया पडत्ती, साहिया व हिं भणि च भगवया । 'भो भो महाराय पुरंदरदत, किं तुह बलर 18 किंचि हिययम्मि' | तओ राइणा चिंतियं । 'णिस्संसयं जाणिओ भगवया इहागओ' त्ति चिंतयंतेण भणियं च पणेण । 'भगवं, जारि तर समाइ तारिसं सव्वं पडिवण्णं । किंतु इमे कुडंग काउंबरी-फलाणि मोत्तुं ण चाएमि । ता इह४) द्वियस्स चेय देसु भगवं, किंचि संसार सागर तरंडयं' ति भगवया भणिवं 'जइ एवं ता गेण्ड इमाई पंचाणुब्वय- 21 स्वणाई, तिणि गुणव्ययाई, चत्तारि सिक्खाचयाई सम्मत मूलं च इमं दुबालस-विहं सावय-धम्मं अणुपालेस' ति । तेणावि 'जाणवेसि' ति भणमाणेण परिवण सम्म, गहियाई अशुन्नयाई, सम्बहा गहियाणुध्वम अण्ण-देवो जामो 24 राया पुरंदरदत्तो । वासवो वि तुट्टो भणिउमाढत्तो । 'भगवं, किंपि तुम्हाणं वृत्तंत अम्हे ण-याणिमो' । भगवया भणियं | 24 'इमो चेय कहइस्सइति । अम्हाणं सुत्तत्थ - पोरिसीओ अइक्कमति । गंतव्वं च अज्ज अम्हेहिं' । इमं च सोऊणं मण्णु-भरकंठ-गगार-गिरेहिं भणियमणेहिं । अनि य । - 1 12 1 ) Pom. चिंतयंतो राया गंतुं पयत्तो। P मोक्खस्स तीर 5 > P किरणं for करणं. विशुद्ध रग काले कामाढतो. etc. to ता माणसं चिव करेमि पणामं । 4 ) Pज संसारम होय हि दुग्गसयावत्त, 6 ) P वासहरंमि निवण्णो. 7 > adds वि before भगवंते, P सोविऊण 8 ) Po. P अरुणपहारं', J.अ for व. 9) दि. 10 ) P विरहु 27 'अम्हारिसाण कत्तो दिइय-संगम-सुहली एवं पिसाब बहु दिई तुम्ह चलण-तु ॥ ता पुणो वि भगवं, पसाओ करियच्वो दंसणेणं' ति भणमाणा विडिया चलण-जुल भगवओ अभिनंदिऊण व तिज पाहिणं काऊण पविट्ठा कोसंबीए पुरवरीए । भगवं पि सुत्तत्थ - पोरिसिं करिय तप्पभिईं च सिव- सुह- सुभिक्ख-खेत्ते सु 30 विहरिउं पयतो । भगवं गच्छ परिवारो । ते वि धोवेणं चिय कालेणं अधीय-सुत्तव्था जाया गीभत्था पंच वि जणा । ताणं च 30 ग- दियह-वेला समवसरण पव्वइयाणं ति काऊण महंतो धम्मागुराय सिणेहो जाओ ति । रिपंरिसेसि 11) P संगमरहं, JP "सुद्दीण, P पुच्छर अहिलिऊण दइयं, P चकवाइओ. अरुणा याग 14 ) P जंतावस, जुयलो. 13 ) P राहणा सयण मणो for णाणा etc., P अं for अंगेहिं 15 ) Pom. जाव, P जोकारिओ- 16 ) P जह, JP पयत्तो. before णेहिं, P महा for महाराय. 19 ) P निस्संदिट्टं जाणिओ, JP चितियंते . 12 ) पडिच्छए ह्नि (?), P अन्नद 17 ) सगारूढो. साहूणो. 18 ) Pom. वियज्जिय. P -किरिणि, 20 > कुटकाउंबरी, adds त्ति after वाएमि. 21) P ट्ठिय चेय 22 ) P दुवालसविध. 23 ) P जहाणत्रेसु P अपने देवो 24 ) P तुम्हाणं पुन्नवृत्ततं. 25 ) P कहिस्लर, P पोरिसीओ. 26 ) Pom. कंठ 27 ) Pom. दश्य, P एयंमि ताव. 28) After अभिगंदिऊण य P repeates डुं तुम्ह चलणजुयं etc. to अभिगंदिऊण य. 29) √ rightly restores पविट्ठा P पविट्ठो, Pom. पि, पोरिसी, तप्पभू, P च सुविसुहसुहेकखेते. 30 ) P परियालो, J अधीद 31 P एक for एग, P पव्यश्याण काऊण 32 ) J क्याई, Padds त्ति after मग्गो 33 ) Pom. ति, Padds य before भणिओ, P पायवडणु, चंडसोम्म 34) guit 3 १०० ) अह अण्णवा कवाइ ताणें सुहं सुद्देण अच्मणाणं जाओ संलायो । 'हो हो, दुखहो जिपवर मग्गो ता 33 हं पुण अण्ण-भवेसु पावेयब्वोत्ति । ता सव्वहा किमेत्य करणीयं' ति चिंतिऊण भणिओ पाय पडणुट्टिएहिं चंडसोम- 33 जेज्जो । अवि य । 6 9 12 27 Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९२ इसओ में तयं च चंडसोमेबहिय तं पडिवजय 12 उज्जोयणसूरिचिरइया [ १७०1 'जइ थोव-कम्मयाए अण्ण-भवेहोज अइसमो तुज्झ । ता जत्थ ठिया तत्थ तए संमत्तं अम्ह दायव्वं ॥ पुव्व-ठिईए एवं अम्ह सिणेहोवयार-पक्खेहिं । सुविहिय तं पडिवजसु इच्छा-कारेण साहूणं ॥' 3 णिवडिया भणमाणा पाएसु । भणियं च चंडसोमेणं । ___'जइ होज्ज अइसओ मे तुम्हे वि य होज मणुय-लोगम्मि । पंचिंदियव्व-सण्णी ता पडिवणं ण अण्णत्थ ॥' तओ तेहिमि चउहिमि जणेहिं भणिओ माणभडो ‘इमं चेय' । तत्थ तेणावि तह' त्ति पडिवणं । तो तेहिं चउहिं मि 6 भणिओ मायाइच्चो । तेणावि 'इत्थं' ति पडिभणियं । तओ लोहदेवो, पुणो मोहदत्तो त्ति । एवं अवरोप्पर-कय-समय-संकेय- 6 सम्मत्त-लंभब्भुयय-मगिरा अच्छिउँ पयत्ता । एवं च पध्वज-किरियाणाण-झाण-वावडाणं च ताणं वच्चइ कालो। किंतु सो चंडसोमो देस-सभावेणं चेय कहिंचि कारणंतरे कोवण-सहावो, मायाइच्चो बि मणयं माया-णिपडि-कुडिल-हियवओ। 9 सेसा उण पडिभग्ग-कसाय-पसरा पव्वजमणुपालेति । कालेण य सो लोभदेवो णिययाउयं पालिऊण कय-संलेहणा-कम्मो णाण- 9 दसण-चारित्त-तवाराहणाए चउक्खंधाए वि पाण-परिच्चायं काऊण तप्पाओग्ग-परिणाम-परिणय-पुव्व-बद्ध-देवत्तण-णाम-गोत्तो मरिऊण सोहम्मे कप्पे उवगओ। 12 8 १७१)जं च केरिसं । अवि य । णिम्मल-रयण-विणिम्मिय-तुंग-विमाणोह-रुद्ध-गयणवहं । रम्म-मणि-कूड-रइयं सिरि-णिलयं णंदणवणं व ॥ कहिंचि सुर-कामिणी-गीय-मणहरं, कहिंचि रयण-रासि-पजलिउज्जलं, कहिंचि वीणा-रव-सुव्वमाणुकंट्रलयं, कहिंचि तार15 मुत्ता-फलुजलं, कहिंचि मणि-कोटिमुच्छलंत-माणिक्य, कहिंचि फालिह-मणि-विरइय-अक्खाइय, कहिंचि पोमराय-15 मणि-वियसिय-तामरसं, कहिंचि चियरंत-सुर-सुंदरी-उर-रवाराविय, कहिंचि मुइउम्मत्त-सुर-कुमारप्फोडण-सुचमाण-पडिरवं, कहिंचि ताडिय-मुरय-रव-रविजंतय, कहिंचि तियस-विलया-णचण-खिप्पमाण-सुर-कुसुम-रयं, कहिंचि संचरंत-वजदेव1५ विजजोइयं, कहिंचि सुर-जुवाण-मुक-सीह-णाय-गटिभणं, कहिंचि सुर-पेक्खणालोबमाण बद्ध-कलयलं, कहिंचि चलमाण-18 वजहर-जयजया-सह-सुव्वमाण-पडिरवं, कहिंचि सुर-पायव-कुसुमामोय-णिम्महंत-गंधयं, कहिंचि दिव्व-धुइ-थुवमाण-जिणवरं, कहिंचि पवण-पसर-वियरंत-पारियाय-कुसुम-मंजरी-रेणु-उद्धुव्वमाण-दिसिवहं ति । अवि य । 1 जं जं णराण सोक्खं सोक्खहाणं व सुव्वइ जणम्मि । तं तं भगति सग्गं जं सग्ग तत्थ किं भणिमो ॥ एयम्मि एरिसे इयर-जण-वयण-गोयराईए सुइ-सुहए सग्ग-णगर-पुरवरे अस्थि पउमं णाम वर-विमाणं । ७२) तं च केरिसं । अवि य । ___ वर-पोभराय-णिम्मल-रयण-मऊहोसरंत-तम-णियरं । वर-मोत्ताहल-माला-धवल-पलबंत-ओऊलं ॥ पवणुट्टय-धुय-धयवड-किंकिणि-माला-रणत-सद्दालं । वर-वेजयंति-पंती-रेहिर-वर-तुंग-सिहरालं !! मणि-पोमराय-घडियं वियसिय-पोमं व पोम-सच्छायं । पउम-वण-संड-कलिय पउम-सणाहं वर-विमाण ॥ 27 तम्मि य पउमसणामे विमाण-मज्झम्मि फलिह-गिम्मवियं । ललमाण-मोत्तिओऊल-जाल-मालाहि परियरियं ॥ वर-वइर-घडिय-पाय मरगय-मणि-णिव्वडंत-पावीढं । कक्केयणुप्पल-दलं सयण-वरं कोट्टिमयलम्मि ॥ तस्स य उवरिं रेहइ तणु-लहु-मउयं सुवित्थयं रम्मं । गयणयलं पिव सुहुमं सुइ-सुहयं किं पि देवंग ॥ तस्स य उवरि अण्ण धवलं पिहुलं पलंब-पेरंतं । तं किं पि देव-दूसं खीर-समुदस्स पुलिणं व ॥ अह ताण दोण्ह विवरे आणिजइ कास-कुसुम-मउययरे। देवाणुपुब्वि-रज्जू-कविजंतो बहलो व्व ॥ अह कम्मय-तेओभय-सरीर-सेसो खणं अणाहारो । संपत्तो एक्केणं समएणं लोहदेव-जिओ ॥ तत्थ य संपत्तो च्चिय गेण्हइ वर-कुसुम-रेणु-सरिसाइं । वेउब्व-पोग्गलाई अगुरु-लहु-सुरहि-मउयाई ॥ जह तेल्ल-मज्झ-पत्तो पूयलओ गेण्हए उ तं तेल्लं । पुण मीसो पुण मुंचइ एवं जीवो वियाणाहि ॥ 1) P कंगताए, JP जत्थट्ठिया. 2) J -दिईए P -द्वितीर. 3) P adds य before मणमाणा. 4) तुल्मे, J मणुअलोअंमि. 5) P तेहिं चरहिं जिणेहिं, P ता for तो, चउहि वि. 6) J३च्छंति ।' इच्छियं, P om. समय- 7) P "ब्भुयप, J यच्छिउँ, P adds च after ताणं. 8) P सहावर्ण. 9) पसाय for कसाय, 1 पसरा, पन्नजमन्भुवगया पालेंति, J लोहदेवो. 10) चरित्तआराहणाए चउर्खधाए, J तप्पोग्ग, वट्ट for द्ध. 13) 'कुट्ट for कूड, Jच for व. 14) J कामिणि, P पज्जलियउज्जलं, I सुब्बमाणकंठुल्यं । शुक्माणुकंठुल. 15) F मुत्तादल', कोट्टिमुज्ज लंत, P विरइयक्खाडयं. 16) Pणेउरारावा, J कुमारफोडण. 17) P तालियरय, पिप्पमागसरकुमारयं, कुलमारुयं, J -विजदेव विजुजोइउं. 18) नरपेक्खणाबंधमाणकलयलं. 19) Pom. थुइ. 20) रेणुरय उच्च, Jom. ति. 21) P मि for p. 22)J गोयराई। तो सुइसुहए णियरा पुरवरे, I om. घर. 24) I गउहो'. 25) " पवावमुद्धयधय', P रसंत for रणंत,J तुरंग for तुग. 26)P पोमवण, पउमसणामं P पोमसणाई. 27) गोमसगामे, J.लि for फलिह, P मोत्ति उज्जलजाला. 28) J ककेअणुष्फल P ककेयगउप्प उप्पलदलसयण. 29) सुवित्थरं (in र is so frel and अ written alter that), P मिव for पिव, P सुइ नुहुमं. 31) पुब्बिर ज्जु पुर ज. 32)P सरीस for सरीर. 33) मऊयाई. 34) P पूलइओ, एयं, P विजाणाहिं ।। अखह. Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -११७३] . कुवलयमाला अह खणोत्तेणं चिय आहारण-करण कुणइ पजत्तिं । अणुमग चिय तस्स य गेहद स सरीर-पजातं । ठावेइ इंदियाई फरिस-प्पमुहाई कम्म-सत्तीए । ता अणुपाणं वाउं मणं च सो कुणइ कम्मेणं ।।। भासा-भासण-जोग्गे गेण्हइ सो पोग्गले ससत्तीए । इय सो सव्वाहिं चिय पजत्तीहिं हवइ पुण्णो ॥ एत्थंतरम्मि सम्वं मुहत्त मेत्तेण अत्तणो रूवं । अंगोवंग-सउण्ण गेण्हइ कम्माणुभाघेणं ॥ अह तं उवरिम-वत्थं उत्थलेऊण तत्थ सयणयले । जंभा-बस-बलिउध्येलमाण-बाहाण उक्खेवो ॥ आयंब-दीहरच्छो वच्छत्थल-पिहुल-पीण-भुग-सिहरो। तणु-मज्झ-रहिरंगो विम-सम-रहर-ओ-गुभो ॥ उपणय-जासा-वंसो ससि किंवायार-रुइर-मुह-कमलो । वर-कप्परक्ख किसलय सुटुब्वेदत-पाणियलो ॥ कोमल-मुणाल-बाहू चामीयर-घडिय-सरिस-वर-जंघो । ईसि-समुण्णय-कोमल-चलणग्ग-फुरंत-क्रांतल्लो॥ पिदु-वच्छत्थल-लंबिर-हार-लया-रयण-राय-चइओ। गंडस्थल-तड-ललमाण-कुंडलो कडय-सोहिहो । कप्पतरु-कुसुम-मंजरि-संताण-पारियाय-मीसाए । आजाणु-लंबिराए वणमालाए विरायंतो ॥ गिद्दा-खए विबुद्धो जह किर राई कुगारओ को वि । तह सयणाओ उट्ठा देवो संपुण्ण-सयलंगो॥ 12 इय जाव सो विबुद्धो ईसिं पुलएइ लोयण-जुएण । ता पेच्छइ सयलं चिय भत्ति-णयं परियणं पासे ॥ अवि य । करिसं च तं परियणं दिटुं लोहदेवेण । गायति के वि महुरं अण्णे वाएंति तंति-वजाइं। णचंति के वि मुइया अण्णे वि पढंति देव-गणा ॥ 15 पालेसु जियं जं ते अजियं अजिणसु परम-सत्तीए । विरइय-सिरंजलिउडा थुणन्ति एएहिँ वयहिं ।। जय जय गंदा जय जय भद्दा अम्हाण सामिया जयहि । अण्जे किंकर-देवा एवं जंपति तुट्ठ-मणा ॥ भिंगार-तालियंटे अण्णे गेण्हति चामरे विमले। धवलं च आयवत्तं अवरे वर-दप्पण-विहत्था ॥ वीणा-मुइंग-हत्था वत्थालंकार-रेहिर-करा य । अच्छंति अच्छर-गणा तस्साएसं पडिच्छंता ॥ सव्वहा, अह पेच्छइ तं सवं अदिउध्वं अउध्व-रमियं च । उव्वेल्ल-वेल्ल-मय-वल-विलारिणी-रेहिर-पयारं ॥ ६१७३) तं च तारिसं अदिउच्च पेच्छिऊण चिंतियं लोहदेवेणं । 'अहो, महला रिही, ता किं पुण मह इमा किं !! वा अण्णस्स कस्सइ' त्ति चिंतयंतस्स भणिय देव-पडिहारेण । अवि य। जोयण-सहस्स-तुंग रयण-महा-पोमराय-णिम्भवियं । पडिय-तिमिर-प्पसरं देवस्स इमं वर-विमाणं॥ वर-इंदणील-मरगय-कफेयण-पोमराय-वजेहिं । अण्णोपण-वण्ण-भिण्गो रयणुकेरो तुहं चेय॥ पीणुत्तुंग-पोहर-णियब-गरुओ रणत-रसणिल्लो । मयण-मय-वुम्मिरच्छो इमो वि देवस्स देवियणो ॥ लय-ताल-सुद्ध-गेयं सललिय-करणंगहार-णिम्माय । वर-मुरय-गहिर-सई देवस्स इमं पि पेक्खणयं ॥ असि-चक्क कोंत-पहरण-वर-तोमर-वावडा-हत्थेहिं । देवेहि तुज्झ सेणा अच्छइ बाहिं असंखेजा ॥ पल्हत्थेइ य पुहई मुट्ठि-पहारेण चुण्णए मेरुं । आणं सिरेण गेण्हइ इमो वि सेणावई तुज्झ ॥ सुर-सेल-तुंग-देहो गंडत्थल-पज्झरंत-मय-सलिलो । दसण-पलाण-दणुओ इमो वि सुर-कुंजरो तुज्झ ।। मंदार-सुरहि-केसर-कप्पतरूपादियाय-सय-कलियं । फल-कुसुम-पल्लविलं उजाणमिम पि देवस्स ॥ हियइच्छिय-कज्ज-पसाहयाई णिञ्च अमुक-ठाणाई । तुज्झं चिय वयण-पडिच्छिराई इय किंकर-सयाई ॥ देव तुमं इंद-समो बल-वीरिय-रूव-आउय-गुमेहिं । पउम-विमाणुप्पग्णो तुझं पउमप्पहो णाम ॥ इय रिद्वि-परियण-बले पडिहारेणं णिवेइए णाउं । अह चिंतिउं पयत्तो हियए पउमप्पहो देवो ॥ किं होज मए दिण्णं कम्मि सुपत्तम्मि केत्तियं विभवे । किं वा सील धरियं को व तवो मे अणुच्चियो । इय चिंतेंतस्स य से चित्थरियं झत्ति ओहि-वर-णाणं । पेच्छइ जंबुद्दीवे भरहे मज्झिल्ल-खंडम्नि ॥ पेच्छइ जत्थुप्पण्णो तुरए घेत्तण जत्थ सो पत्तो। चलिओ रयणदीवं जह पत्तो जाणवतेण ॥ 6 जह भरियं रयणाणं जह य णियत्तो समुद-मज्झम्मि । जह भदो पक्खित्तो लोह-विमूढप्पणा तेण ॥ ___ 1) Padds, after कुगर, f भासभासगजोलो गेहर तह पोग्गले ससत्तीए ॥ P शिय, P पज्जतं ।। णावेड. 2)। फारिसयपमुहाई तरस भत्तीप, 'om. ता, आणुपागुं, J वायु, P मगुं, P कुगइ इकंमेगं. 3) P जोग्गो गेन्हह तह पोग्गले, P पज्जतीहि. 4) 1 रूयं, P सउ. 5) P वच्छलेऊग, P चलिपुवेल्लमाणवाहालिपुक्खेवो. 6) पीवग, P -जुओ. 7) J बिबोगयणरु, वेलंतपाणितलो. 8) P समुलपकोमलणगग- 9) लयालन्तराय, J वर for तद. 10) J संताणय-. 11) विनद्धो, सगी . 12)। ईखि for ईसिं, P भत्तियणं. 14) वायंति. 16) Poin. one जय, सानिय जयाहि. 17) तालियंटो, न त for च. 18) P मुबंग, तर उवएसं, P om. सम्बदा. 19) P अदिट्टपुवं, P रसियव्वं । 20) अइट्ठरवं, । लोमदेवेश. 23) भिहो for भिगो. 24) P पी गतुंग, P रणतरमणि लो. 25) " गेहूं for गेयं. 29) J कप्पतरु, पारियायसंवलिया. 31) Jविव for रूब. 32) J परिहारेग. 33) Jद गवे for विभवं, P धरिउं. 34) विततरस, वित्धारियं, 'ज्झति, P खनि. 35) F जो for सो. 36) P भरिओ. Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . उज्जोयणसूरिविरइया [१७३1 जह फुट बोहित्थं तारद्दीवम्मि जह दुहं पत्तो। संपत्तो कोसंबिं जह दिट्ठो धम्मणदणो भगवं ॥ जह पब्वज्जमुवगओ संविग्गो जह करेउमाढत्तो। पंच-णमोकार-मणं काल-गयं चेय अत्ताणं ॥ 3 णायं तु जहा कम्मं बहुयसुहं सोसियं तु दिक्खाए । पंच-णमोक्कार-फलं जं देवत्तं मए पत्तं ॥ ६१७४) इमं च पेच्छिऊण सहसा वलिय-चलंत-कंत-कामिणी-गुरु-णियब-बिंब-मंथर-विलास-कणय-कमलाली-खलंतमणि-उर-रणरणारावं रसणा-रसंत-किंकिणी-जाल-माला-रणत-जयजयासद्द-परिस-संवलिउच्छलत-सपडिसद्द-पसरंत-पूरिय6 खुब्भमाण-सुरयणं समुट्टिओ सयणाओ, अभिगओ सत्तट्ट-पयाई जंबुद्दीवाभिमुहो, विरइओ य सिरे कमल-मउल-सरिसो8 अंजली । णिमियं च वामं जाणुयं । मणि-कोट्टिम-तलम्मि भत्ति-भर-विणमिउत्तिमंगेण भणियं च णेण। सुर-गंधव्व-सिद्ध-विजाहर-किंणर-गीय-वयणय । दणुवइ-वर-णरिंद-तियसिंद-पहुत्तण-लंभ-गरुययं । 9 भीसण-जणण-मरण-संसार-महोयहि-जाणवत्तयं । जयइ जिणिंदयाण वर-सासणयं सिव-सोक्ख-मूलयं ॥ तित्थ-पवत्तण-गरुयएँ णिम्मल-पसरंत-णह-मऊहयए । सयल-सुरासुर-णमिय' पणमामि जिणाण य चलणए । एरिसिया सुर-रिद्विया दिण्णा रयण-समिद्विया । जेण महं सुह-कम्मयं तं पणमामि सुधम्मयं ॥ ति। 12 समुट्टिओ य पणामं काऊणं, भणियं च णेण 'भो भो मए, किं करियव्वं संपर्य' ति। पडिहारेण विणतं 'देव, कीला-वावीए 12 मज्जिऊण देवहरए पोत्थय-वायणं' ति । तेण भणियं । 'पयह, कीला-वाविं वच्चामो' त्ति भणमाणो चलिओ सरहसं । पडिहारो ओसारिजमाण-सुर-लोओ संपत्तो मज्जण-वावि । 15६१७५) सा पुण केरिसा । अवि य । पेरंत-रयण-कोट्टिम-णाणा-मणि-किरण-बद्ध-सुरचावा । तीर-तरुग्गय-मंजरि-कुसुम-रउन्द्रय-दिसिचक्का ॥ मणि-सोमाण-विणिम्मिय-कंचण-पडिहार-धरिय-सिरिसोहा । कलधोय-तुंग-तोरण-धवलुद्धत-धयवडाइल्ला ॥ 18 पवण-वस-चलिय-किंकिणि-माला-जाला-रणंत-सुइ-सुहया । बहु-णिजहय-णिग्गम-दार-विरायंत-परिवेढा ॥ कंचण-कमल-विह्नसिय-सिय-रयण-मुणाल-धवल-सच्छाया। फलिह-मउज्जल-कुमुया णिक्ख विणिम्मविय-सुरहि-कल्हारा ॥ णीलमणि-सुरभि-कुवलय-विसह-मयरंद-बिंदु-चित्तलिया। वर-पोमराय-सयवत्त-पत्त-विक्खित्त-सोहिल्ला ॥ 4 वर-इंदणील-णिम्मल-णलिणी-वण-संड-मंडिउद्देसा । विच्छित्ति-रइय-पत्तल-हरिया बहु-पत्त-भंगिल्ला ॥ सुर-लोय-पवण-चालिय-सुरदुम-कुसुमोवयार-सोहिल्ला । अच्छच्छ-धवल-णिम्मल-जल-भर-रंगत-तामरसा ॥ इय कमल-मुही रम्मा वियसिय-कंदोट्ट-दीहरच्छि-जुया। मणि-कंचण-घडियंगी दिट्ठा वावी सुर-वहु व्व ॥ 24 तं च पेच्छिऊण दिण्णा झंपा वावी-जलम्मि । तस्साणुमग्गओ ओइण्णो सुर-कामिणी-सत्थो । किं च काउमाढतो । अवि य। 24 तुंग-थणवट्ठ-पेल्लण-हल्लिर-जल-वीइ-हरिय-णिय-सिचओ । कलुसेइ णिम्मल-जलं लज्जतो अंग-राएण ॥ वित्थय-णियंब-मंथण-धवलुग्गय-विप्फुरत-फेणोहं । अह मह इमं ति सिचयं विलुलिजइ जुवइ-सत्येण ॥ अवरोप्पर-ओल्लण-सोल्लणाहिँ णिवडत-णीसहगाहिं । पोढ-तियसंगणाहिं दइओ णिहोसमवऊढो ॥ पउमप्पहो वि खेल्लइ ससंक-णिवडंत-पउम-लहु-पहरो। अच्छोडिय-णिय-कमल-संग-जल-पहर-धाराहिं । अंगम्मि तस्स ताव य पहरंति मुणाल-णाल-पहरेहिं । मुद्ध-तियसंगणाओ बलिऊण ण जाव पुलएइ ।। 30 जा जा मुणाल-पहया होइ ससिक्कार-मउलियच्छीया । तं तं पउम-समाणा पोढा ण गणेइ खेलम्मि ॥ जल-जंत-णीर-भरिय लोयण-जुयलं पियस्स काऊण । चुंबइ दइयरस मुहं लज्जा-पोढत्तणुप्फालं ॥ इय मजिऊण तो सो तियस-बहू-वर-करेणु-परियरिओ । उत्तरिओ लीलाए दिसा-गइंदो व्व सवियारं ।। 33 पमज्जियं च रायहंस-पम्ह-मउएण देव-दूसेण से अंगं । समप्पियं च तस्स धोयवत्ति-जुवलयं । तं पुण केरिसं । 1) दुक्खं for दुई, Jom. संपत्तो, P कोसंबी, J भयवं. 2) Pसंवेग्ग, " करेउ आइत्तो, चेव व अत्ताणं. 3) P बहुमसुयं ज्झोसियं, J कारहलं. 4) P om. कंत, P रणरणारसणरसंत. 5) P "सद्दा, I om. परिस,J लेतपडिसद्दयसर पूरिय. 6) P रयणाओ for सयणाओ, P adds य before सत्तह, J विरश्य सिरे, P कालउल, सरिस अंजलि. 7) P निम्मियं, वामजाणुं, ३ कोट्टिमयलं मि, J विणेमिउP वियणमिउ'. 8) विज्जावर. 9) Pom. भीसण, P जमण, P adds विणास before संसार. ०) गरुण, मयूहए, P नमियपए, Pom. य. 11) J परिसा. 12) Pom. य,r om. भणियं न णेण. 13) देवहरय (यं?)P देवहरयं, चावणं च त्ति, की लावावी, Jom. ति, P पडिहारो सारि'. 15) Pजा for सा. 16)P रयद्धय, दिसिमका. 17)Pसोपाण, किलहोय, धवलुहुद्धंत. 18) जालमाला for मालाजाला. 19)P विगासिय, I om. धवल, फलिहविलुज्जकुमुयानिकवि, Pom. सुरहि, कल्लारा. 20) गुरहि, Padds मरगयस before सयवत्त, Pom. पत्त. 21 Pविच्छित्त, P पत्तलपत्तलयावत्तपत्त. 22) अचथधवल, जहर. 23)P हरिसा for रम्मा. 24)P तस्सालुमग्गो. 25) P घणवद्धपलण, P बीइतिय सानओ. 26) विष्फरतफेणाहं, P विलुलिज्जति. 27) P निद्दयसमवऊढो. 28) P खेलइ, P उच्छोडियनिद्दलकमल. 30) होहिइ, पउमसणामो पओसणामो, ' पोर्ट.32) P-परिओ ।, P गयंदो.33) पाओगेण for मउए, om. देव. Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -९ १७७ ] कुवलयमाला 1 किं होज तूल-मयं पढ़िये या कास-कुसुमपन्देहिं किं वा मुणाल-तंतू निम्मवियं देव-ससीए ॥ तं च तारिसं नियंसिऊण कय-उत्तरासंगो पडिहार- दाविय मग्गो पयतो गंतु, देवहरयं पत्तो य । उग्घाडियं च से दारं 3 णिओइण देव-घरयस्स । ताव य णिजियसेस मऊदा परिपेलिय-दूर-पाय-तम पसरा दिणयर सदस्य मध्य व्य शक्ति कंती समुच्छलिया ॥ १०६) साय व नव-विवसिव पारियाय- कुसुम-मंजरी रेहिरो सुर-मंदार-कुसुम-वावडी कणय-कमल-विसमा 6 दीवर भरिलो सव्वदा दसद्वण्ण-कुसुम-पथ-कणय-पदलणिद्दाम उबडविओो परियणेन । एस्थेवरम्मि पनि हो 'नमो जिगाति भागमाणो देवर पप्पी देवो पेच्छ व जिणहरं च केरिस अधिव 1 । गोण-वण-घडिए णिय-वण्ण-पमाण-माण-निम्माए । उपपत्ति णास - रहिए जिणवर-बिंबे पलोएइ ॥ 9 फलिह-मणि- णिम्मलयरा के वि जिणा पूसराय-मणि घडिया । के वि महाणीलमया कक्केयण- णिम्मिया के वि ॥ 15 मुत्ताहल-तारयरा अवरे वर-पोमराय सच्छाया । अवरे सामल-देहा मरगय-दल- णिम्मिया के वि ॥ ते या भगवंते पेच्छिऊण जिणवरे हरिस-बस नियमाण-वण- जुबलभो चलणेसु 'गमो सम्ब-जिणार्थ ति भणमाणो वि12 डिनो । वाव य दिव्य सुरहि जल भरिए समपि कणय-कलसे अहिसिंचिजण विलिते दिव्य-देवंगरापुण, उप्पादियं च 12 गोसीस - चंदण-गंध-गब्भिणं पवर-धूयं । आरोवियाणि य जं-जहावण्ण-सोद्दा- विण्णास-लायण्णाई जल-थलय- कुसुमाई । तओ विरइय- विविह-पूयं केरिसं तं तियस- देवहरयं दीसिउं पयत्तं । अवि य । वियसिय-कणय-कमल-सिरि-णिज्जिय- माणस लच्छि-गेहह्यं । णव-कंदोह - कुसुम- कल्हार- विराविय - केत-सोहयं ॥ व-मंदार गोच्छ-संताणय-कुसुम- पण राययं मंदिरयं जिणाण सोदइ तत्थ समत-पूययं ॥ चारिणि पहरिस-बस समूससंत रोमंच-कंचुओ थोऊण समासो भगवते जिनवरिंदे। अब य जय ससुरासुर - किंणर-मुणिवर-गंधव्व णमिय-चलण-जुया । जय सयल- विमल केवल- जिण-संघ णमोत्थु णं तुज्झ ॥ जइ देवो रइओ मणुओ वा कह वि होज तिरिओ हं । सयल-जय-सोक्ख-मूलं सम्मत्त मज्झ देजासु ॥ 21 $ १७७ ) एवं च थोऊण विडिओ पाएसु । दिट्ठे च पोत्थय-रयणं पीढम्म । तं च केरिसं । अवि य, वर-पोमराय गर्न फलिह-विणिम्मविष पचयं रं य-इंदणी लिहिये पोत्यय-रयणं पलोएइ ॥ तं च दण भति-भरणिटभर हियरण गहिये पोल्थ सिद्धाणं । सिटिलिये च, उम्बाडिय वाचिरं पयत्तो अवि य णमो सध्य 1 G 18 24 27 30 33 अविरहिय - णाण दंसण पारिच पयत-सिद्धि-वर- मग्गो सासव सिव-सुह-मूलो जिण मग्गो पाटो जय ॥ संसार - गहिर- सायर-दुत्तारुत्तार-तरण- कजेणं । तित्थ करणेक्क-सीला सध्ये वि जयंति तित्थयरा ॥ जलिय - झाण-यब-कम्मिंधण दाह वियलिय-भवोहा । अणागम-ठाण गया सिद्धा बि जयंति भगवंता ॥ गाणा-लहि- समिद्धे सुय - णाण - महोयहिस्स पारगए। आसण्ण- भव्व-सत्ते सव्ये गणहारिणो वंदे ॥ णाण-तव-विरिय - दंसण चारित्तायार-पंच-वावारे । पज्जलियागम-दीवे आयरिए चेव पणमामि ॥ सु-सुत्त गुणण-धारण-अज्झयणज्झायणेक्क-तलिच्छे । उवयार करण-सीले वंदामि अहं उवज्झाए ॥ पंच- मध्य-वि-गुति-गुले वित्तमिच्छते। वंदामि अप्पमते ते साहू संग पते ॥ इस धम्मारह-सिद्धे गणहर-आयरि तह उवज्झाए । साहुच णमिळणं जिणवर धम्मं पश्खामि ॥ दु-विहो जिणवर धम्मो गिहत्थ धम्मो य समण-धम्मो य । बारस-विहो गिहीणं समणाणं दस-विहो होइ ॥ पंचास्य जुत्तोति गुणम्यय-भूसिओ सप-सिक्खो । एसो दुबालस-विदो गिहि-धम्मो मूल सम्मत्तो ॥ ९५ J 1 ) " कि होज दूलाई मउअं किं वा विकास, पडियं वा (emonded घडियं वा ), तंतु P. 2 ) सेसि देवर साडि om से. 3 ) P देवहरयं 4 ) P पडिपेलिय, P कंति. 5 ) P वियसियाP' गंदर. 6 > J पडल्य, P उवद्धविउ, P repeats नमो. 7 > P पेच्छयरा के वि जिया पोमरायमणिघडिया । के वि महानील महाककेयणरयणनिम्माया । for पेच्छर व जिणहरं । etc. to कक्केयणणिमिया के वि, कयिणि- 10 ) P अवरोवर, P मरगयचलनिंगया. 11) r पूतिऊण for पेच्छिऊण. 12) P खीरोय for दिव्वसुरहि, Pom. समपिए 13 ) P जदावण्णा, P लावण्णाएं, P थल for थलय. 14 r विरइयं, Pom. तं, P पयत्ता. 15 ) P वयण for कणय, P राड्यं for गेयं. 16 ) P राइयं, Padds च before सोहइ. 17 J कंचुओ, 18 ) P गण for वर- 19 ) P जय देवो 20 ) Pom. च after एवं, P पोत्थयं रयणं पीढंगि (21) विणिम्मिय, दुअ for घुय, लियं for लिहियं. 22) Pom. गिब्भर, J om. पोत्थयं, P वाउं. 24 ) P अविरहियए नाग, P पायडो जियर. 25 ) P गहियसायर, P तरुणकज्जेण, P विजियंति 26 ) P पज्झलियज्झागहुयवद्दा, P दागतावियभवोहा, P अपुणागट्ठाण, P भगवंतो. 27) P मुयायणमुहोय, ए सव्व for भव्व, Pom. सत्ते. 29 ) P सुत for सुय, P-गणण, अज्झायण', P धारणसज्झावणेक्क. 30 Pom, मिच्छत्ते, P अप्पवमत्ते, P सिद्धो, P आयरिय, P साहूणं. 33 ) य च for सत्रउ, P गिधम्मो. पत्ता. 31> 6 15 18 21 24 27 30 33 Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसरिविरइया 15१७७ 1 खंती ये मद्दवजव-मुत्ती-तव-संजमे य बोद्धब्वे । सञ्चं सोय आकिंचणेच बंभं च जइ-धम्मो ॥ इय एयं चिय अइविस्थरेण अह तम्मि पोत्थए लिहियं । वाएऊणं मुंचइ भत्तीऍ पुगो रयण-पीटे॥ 3 णमिऊण य जिणवरे णीहरिओ देवहरयाओ। पुणो जहासुहं भोए भुजिङ पयतो पउमप्पभो देवो ति । एवं थोएसु घेय 3 दियहेसुं वच्चमासु माणभडो वि जहा-समयं पालेऊण आराहिऊण जिग-गतोकारं तेय कोण तम्मि चेय विमाणे अमेयजोयण-लक्ख-दित्यरे देवो उबवणो। तस्स विसाचेवावत्या, णवर पुण णाम पउावरो ति । तमो केश वि कालतरेण 6 जहा-संजस-विहीए आउय-कम्म-णिजर उप्पण्णो तम्मि चेय विमागे मायाइचो वि, गवरं पुण से णानं पउपसारो ति। 6 तओ ताणं पि दियहाणं परिवालिय-संजमो सो विसरिऊण चंडसोमो वि उपगो सम्नि वेय त्रिमाण-वरे, णवरं से पुण णामं पउमदो त्ति । तमो वेसुइ दियोसु कय-साराइय-कम्मो मरिऊग मोहदत्तो तम्ति चेष विमाणवरे उववण्यो, 9णवरं सणामं पउममे.सरो ति । तओ एवं चते पंच विजणा पउल-विभाणुप्पण्णा सव-विभव-परिवार-बल-पोरुस-प्पभावा- 2 उया अवरोप्परं च महा-सिगेह-परा जागति जहा क्रय-संध्य त्ति । एवं वञ्चइ कोइ कालो। एत्यंतरहिम सुर-शेणावइ-तालिय-घंटा-रावुच्छलंग-पडिसई । पडिसद-पोगालुग्घाय-घट्टणाचलिय-सुर-चंटं। 12 घंटा-रव-गुंजाविय-वजिर-सुर-सेस-विसर-आउजं । आउज्ज-सह-संभम-सहसा-सुर-जुवइ-मुफ हुंकारं ॥ हुंकार-सवण-विम्हिय-दइया-मुह-णिमिय-तियस-तरलच्छ । तरलच्छ-दसणुप्पित्थ-भग्ग-गंधव-गीय-रवं ॥ गीय-रव-भंग-णासिय-ताल-लउम्लग्ग-णच्चिरच्छरसं । अच्छरसायण-संखुहिय-कलयलाराव-रविय-दिसियकं ।। 16 इय ताणं सहस च्चिय आसण-कंपो सुराण भवणेसु । उच्छलिय-बहल-बोलो जाओ किं-किंचि पडिसहो । पुच्छिये 'ध जेहिं सुरवरेहिं 'भो भो किमेयं' ति । तो तेहिं विष्णतं पडिहारेहिं । 'देव, जंबुद्दीये भरहे दाहिण-मझिल्लुथरिम खंडम्मि । सम्मि य धम्म-जिणिदो विहरइ उप्पण्ण-णाणवरो ॥ 18 ता तस्स समवसरणे गंतव्वं तिअस-वंद-साहिएण । सुरणाडेण सम चिय भत्ति-भरोणमिय-सीसेण ॥ च सोऊण कयं सव्धेहिं वेय सुर-बरेहिं 'णलो भगवओ सुधम्म-धम्मस्स जिणस्स' त्ति । तं च काऊग पयवा सुरिंद-पमुहा सुरवरा । कह य । अवि य, 21 सहसुद्धाइय-रहबर-बहु-जाण-विभाग-रु-गयणवहं । परितुट्ठ-तियस-कलयल-हरिस-वसुम्मुक्क-बोल्लितं ॥ तियसिंद-पोढ-विलया-विलास-गिज्जत-संगलुग्गीयं । अवसेसच्छरसा-गण-सरहस-णञ्चंत-सोहिल्लं ॥ रयण विणिम्मिय-उर-चलमाण-चलत-किंकिणी-सह । वर-संख-पडह-मेरी-झलिरि-झंकार-पडिसई ॥ 24 णारय-तुंनुरु-वीणा-श्रेणु-रवाराव-महुर-सहालं। उकृष्टि-सीह-णायं कलयल सहुच्छलंड-दिसियकं ॥ इय एरिस-हलहलयं जिदियंदस्स समवसरणम्मि । वञ्चति हिट्ठ-तुहा अंगेसु सुरा अमायंता ॥ संपत्ता य चंपा-पुरवरीए । 27 %१७८) भणिओ य तियसिंदो पउमसारेणं तियसेण। 'देव, जइ तुब्भे अणुमण्णह, ता अहं चेय एको सामिणो धम्म- 27 जिणरस समवसरणं विरएमि' त्ति । भणियं च वासवेणं 'देवाणुप्पिया, एयं होउ' ति । भणियमेत्ते किं जायं ति । अवि य । सहस चिय धरणियले उहावइ भारुओ धमधमस्स । खर-सकर-तण-सय-रेणु-णासणो जोपणं जाय ॥ पवणुद्धय-रय-संताध-णासणो सुरसि-गंध-रिद्विल्लो । अहिष्ट-मेह-सुको णिवडइ जल-सीयल-तुसारो ॥ मयरंद-बिंदु-णीसंद-लुद्ध मुद्धागयालि हलबोलो । वेट-हिय-सुर-पायव-कुसुमुरो पडइ तत्तो॥ तो तस्स परियर णाणा-मणि-रयग-किरण-संवलिय । बर्-सुर-चाव-सोहं पायार-वरं विणिम्मवियं ॥ ४ तस्स य बाहिं सहसा बीयं वर-सियस-कणय-णिम्मधियं । रयणुजोविय-सिहरं रदयं तियसेण पायारं ॥ 1) Pबोधब्बे, P आलिंबणं 10 आकिंवणं. 2) Pom. अइ, Pमुच्चद. 3) rom. य, उगपदो, एयं. 4) P दियह for दियहेसुं, " ते गय. 5) सा चेय बवत्था, P पुगा for पुग, J प उमीर ति। पानसे त्ति, " केावि. 6) "संजमविही आ, Pinter. परमपरो (for पउमसारी) and से गा, उ से added on the margin, J. ति. 7) P काणं for ताणं, P चेव. 8) Pउण, J पउमचंडो, P उप्पण्यो. 9) Pom. से. 10)F सि. for सिगेट, P तहा for जहा, " के वि for कोइ. 11) सेणावई, Pघंटारयणुच्छ', पोग्ग उपाय, Jadds सेस before चलिय. 12)" गुंजाषिया. 13) Padds रव before सदण, J समण for सवण, निहिय for गि मय, गुपिन्छांधत्र, P repeats गीयरवं. 14) P भंगाणसिरतालज्जूगग्गणचिर', I "२च्छरयं, ह य for संखुड़िय, दिययक. 15) " उच्छलियहलापोला, P किति डिसद्दा. 17) Jणाणधरो. 18) Jगतंव्वन्ति अस, P तिअमरवंद्र, P समयं चिय. 19) देव, P मुहंमधंगजिगरस, P पमुहा. 20) कयहा lor कह य. 21) P om. हरिसवसुम्मुकबोल्लिक ete. to उक्कद्विसीहणायं. 24)Frepoats कलयल. 25) ? जिर्णिददस्स, P हट्ठतुहा. 26) om. य. 27) Pon. य, P om. तियसेण, " चेव. 29) 'गाओ, P सरविकमा, P जोयगे. 30) Pरव for रय, ' णालमा रहि, JP अदिट्ठ. 31) चंद for बिंदु, दु for वेंट. 32) P परियणेणं, P om. किरण, वारसाई पायार. 33) Pय बोहिं, दुइयं for बीयं, Padds कग before कणय, पागारं. Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला थोवंतरेण तस्स य कलधोय-मयं फुरंत कतिल्लं । उत्तंग-सिहर-राहं सहसा तइयं पि पायारं ॥ अह तुंग-कणय-तोरण सिहरोवरि-चलिर-धयवडाइलं । मणि-घडिय-लालभंजिय-सिरि-सोहं चामरिंद-सुह॥ वर-मगि वराल-वारण हरि सरह-ससेहि संवराइ । महमहमहेंत-धूयं वण-माला-रुइर-लंबिर पलबं ॥ वर-वेजयंति-सोहं मुत्ताहल-रुइर-दीहरोऊलं । तक्खण-मेत्ते चिय विणिम्मियं दार संघायं ॥ वर-कणय-पउम-राढा वियसिय-कंदोदृ-कुसुम-चंचइया । अच्छच्छ-वारि-भरिया रझ्या दारेसु वावीओ ॥ 6 पवणुव्वेलिर-पल्लव-वियसिय-कुसुम-सुरहि-गंधाई । वर-चूय-चंपयासोय-सार-गरुया. य वणाई ॥ एयस्स मज्झयारे रइयं देवेण मणिमयं तुंगं । कंचण-सेलं व थिरं वरासणं भुवण-णाहस्त ॥ तत्तो पसरिय-किरणं दित्तं भामंडलं मुणिवइस्स । वर-बुंदुही य दीसइ वर-सुर-कर-ताडिया सहसा ॥ कोमल-किसलय-हारं पवणुमेहंत-गोच्छ-चंचइयं । बारस-गुण-तुंगयरं असोग-वर-पायवं रम्मं ॥ तत्तो वि फलिह-मइयं तिहुयण-सामित्त गेक वर-चिंधं । चंदावलि ध्व रइयं छत्त-तियं धम्मणाहस्स ॥ पासेहिँ चामराओ सोसाणेहिँ दो विधरियाओ । उकुट्टि-सीह-णाओ णिवईति य दिव्व-कुसुमाई॥ एत्यंतर म भगवं पुवदारेण पधिसए धम्मो । तियस-पउमावलीए ठावंतो पाय-पउमाई ॥ अह पविसिऊण भगवं चेइय-रुक्खं पयाहिण काउं । णिसियइ पुव्वाभिमुहो थुव्वतो तियस-णाहेहिं ॥ तत्तो णिमियस्स य से जाया पडिरूवया तिय-दिसासु । जिणवर-सरिसा ते च्चिय तस्सेव पभावओ जाया ॥ तो तस्स दाहिणेणं णमिउं तं चेय ठाइ गणहारी। तस्लाणुमग्ग-लग्गा केवलिणो सेस-साहू य ॥ तत्तो विमाण-देवी समणी-सहियाउ ठंति अण्णाओ । बहु-जणवय-सय-कलियं तहा वि रुंद ति पडिहाइ ॥ कत्थइ विमाण देवा कत्थइ भवणाण सामिगो होति । कत्थइ जोइसिय च्चिय वंतर-देवा य अण्णस्थ ॥ कत्थइ य वंतरीओ कत्थइ देवीओं जोइसाण तु । कत्थइ णायर-लोओ कत्थइ राया सुरवरिंदो ॥ अवरोप्पर-वेर-विवजियाई सयलाई सावय-गणाई । पायारंतर-परिसट्टियाइँ चिटुंति णिहुयाई॥ एवं जोयण-मे ते धम्म-जिणिंदस्स समवसरणम्मि । अजंतणे अविकहे घेर-विमुके भय-विहीणे ॥ अह भाणिउं पयत्तो जोयण-णीहारिणीऍ वाणीए । गंभीर-मदुर-घोसो णमोत्थु तित्थरस वयणमिणं ॥ इय भणियम्मि समं चिय सव्वे वि सुरिंद-दणुवइप्पमुदा । कर-कमल-मउलि-सोहा पणया देवा जिणिंदस्स ॥ अह सुर-णर-तिरिएसु य सपणी-पंचिंदिएसु सव्वेसु । परिणमइ सभासाए एक चिय सव्व-सत्तेसु ॥ 4 जह बुज्झइ देव-गुरू सयल-महासत्थ-वित्थरुप्फालं । णउलाई वि तह च्चिय वियप्प-रहियं जिणाणं ति ॥ १७९) इमाए उण एरिसाए वाणीए सयल-सुरासुर-णर-तिरियामय-पाण-सरिसाए किं भणि पयत्तो भगवं धम्म-जिणिंदो। 7 लोयम्मि अस्थि जीवो अस्थि अजीबो वि आसवो अस्थि । अस्थि य संवर-भावो बंधो वि य अस्थि जीवस्स ॥ अस्थि य णिज्जरणं पिय मोक्खो वि य अस्थि णवर जीवाणं । धम्मो वि अस्थि पयडो अस्थि अहम्मो वि लोयम्मि । सद्दब्व-रोत्त-कालाभावेहि य अस्थि अप्पणो सव्वं । पर-दव्व-खेत्त-कालाभावेहि य णस्थि सव्वं पि ॥ जद विण घेप्पइ जीवो अप्पचक्खो सरीर-मज्झम्मि । तह धि अणुमाण-गम्भो इभेहि लिंगेहि णायव्वो ॥ उग्गह-ईहापूहा-नग्गण तह धारणा य मेहा य । बुद्धी मई वियका विण्णाणं भावणा सण्णा ॥ अक्खेवण-उक्खेवण-आउंच-पसारणा य गमणं च । आहार-भसण-दसण-पढण-वियारा बहु-वियप्पा ।। एयं करेमि संपइ एयं काहामि एस-कालम्मि । एवं कयं ति-काले तिणि वि जो मुणइ सो जीवो ॥ सो य ण सिओ ण कण्हो ण य रत्तो गेय णील-कावोओ। देहम्मि पोग्गल-मए पावइ वण्णकम णवरं ॥ ण य दीहो ण य तसो ण य चउरंसो ण वह-हुंडो वा । कम्मेणं देहत्थो संठाणं पावए जीवो ॥ 7 1) कतिले. 2) लियषय, ।' चापरि. 3) ! ससिहि, रश्य for रुइर. 5) कणयपोमराहा, P repeats रइया, J बाईओ. 6)। पवणुपेलिर, धूय for चूम. 7)P देवेश म. 8) P साहसा for सहसा. 9) राहं for हार, जिण for गुण. 11)।" उक्कडिसीसनीदो, ridds यहंति before य. 12) Pठावते. 13) P अह विसि, P चेतियरुक्ख, " वुत्ततो for शुतो . 14) " ततो, ' विय for चिय, P तरसेय पहायओ. 15)P नमियं. 16) I रुंदं ब्व पडि'. 17) विगाणा, ' भवणाण यासिनोहोर. 18) P देवीइ. 19) J°संठियाई P "संट्टियाई. 20) जोवणमेत्ते, न य विकहे for अविकहे. 23) ' परिणावर सहारा एक चिय सञ्चसत्थेसु. 25) Pom, वाणीए, P पयात्तो. 27) P लोअंमि य अस्थि, P॥ अस्थि जीवरस । अस्थि निजरणं पि यामो खिो. 28) P सुहमोय for अम्मो वि. 29) F कालाभावे च्चिय अत्थि. 30) Pजीबो क्ष्य पञ्चायो 31) "विगप्पा for वियका. 32) Jआउंट, P हसण for भसण, J सद्दण for दंसण, P वितारा. 34) किण्हो, नीय for णील. 13 Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसरिविरइया 1 ण य सीयलो ण उण्हो ण य फरुसो णेय कोमलप्फरिसो। गुरु-लहु-सिणिद्ध-भावं बच्चद देहम्मि कम्मेण ॥ म य अंबिलो ण महुरो ण य तित्तो कडु-कसाय लवणो ब्व । दुरही-सुगंध-भावं वच्चइ देहस्स मज्झ-गओ ॥ ____णय सो घडवड-रूवो अच्छइ देहस्स मज्झयारस्मि । ण य होइ सब-वावी अंगुटु-समो वि य ण होइ ॥ णिय-कम्म-गहिय-पोग्गल देह-पमाणो परोप्पराणुगओ। णह-दंत-केस-वज्जो सेस सरीरम्मि अवि भावो ॥ जह किर तिलेसु तेलं अहया कुसुमम्मि होइ सोरठभं । अण्णोण्णाणुगयं चिय एवं चिय देव-जीवाणं ॥ जह देहम्मि सिणिढे लग्गहरेणू अलक्खिओ चेय । रायबोस-सिणिद्धे जीवे कम्मं तह चेय ॥ जह वचंते जीवे वचइ देहं पि जत्थ सो जाइ । तह मुत्तं पिव कम्मं वच्चइ जीवस्स णिस्साए ॥ जह मोरो उड्डीणो वच्चइ घेत्तुं कलाव-पब्भारं । तह वच्चइ जीवो वि हु कम्म-कलावेण परियरियो । जह कोइ इयर-पुरिसो रंधेऊणं सयं च तं भुजे । तह जीवो वि सयं चिय काउं कम्म सयं भुंजे ॥ जह विस्थिपणम्मि सरे गुंजा-वायाहओ भमेज हढो । तह संसार-समुद्दे कम्माइद्धो भमइ जीवो ॥ जह वच्चइ को वि गरो णीहरिउं जर-घराउ णवयम्भि । तह जीवो चइऊणं जर-देहं जाइ देहम्सि ॥ जह रयणं मयण-सुगूहियं पि अंतो-फुरंत-कंतिलं । इय कम्म-रासि-गूढो जीवो वि हु जाणए किंचि ॥ जह दीवो वर-भवणं तुंगं पिहु-दीहरं पि दीवेइ । मल्लय-संपुड-छूडो तत्तिय-मत्तं पयासेइ ॥ तह जीवो लक्ख-समूसियं पि देहं जणेइ सज्जीवं । पुण कुंथु-देह-छूढो तत्तिय-मेत्तेण संतुट्टो ॥ 13 जह गयणयले पवणो वच्चंतो णेय दीसइ जगेण । तह जीवो चि भमंतो णयगेहि ण घेप्पइ भवम्मि ॥ जह किर घरम्मि दारेण पविसमाणो णिरुंभई वाऊ । इय जीव-घरे रंभसु इंदिय-दाराई पावस्स ॥ जह डाइ तण-कर्ट जाला-मालाउलेण जलणेणं । तह जीवस्स वि डझइ कम्म-रयं झाण-जोएण ॥ बीयंकुराण व जहा कारण-कजाइँ णेय जंति । इय जीव-कम्मयाण बि सह-भावो गंत-कालम्मि ॥ जह धाऊ-पत्थरम्मि सम-उप्पण्णम्मि जलण-जोएहिं । डहिऊण पत्थर-गलं कीरइ अह णिम्मलं कणयं ॥ तह जीव-कम्मयाण अणाइ-कालम्मि झाण-जोएण । शिजरिय-कम्म-किटो जीवो अह कीरए विमलो ॥ अह विमलो चंदमणी झरह जलं चंद-किरण-जोएण । तह जीवो कम्म-मलं मुंचइ ल दूण सम्मत्तं ॥ जह सूरमणी जलणं मुंचह सूरेण ताविओ संतो । तह जीवो वि हु णागं पावइ तव-सोसियप्पाणो ॥ जह पंक-लेव-रहिओ जलोवरि ठाइ लाउओ सहसा । तह सयल-कम्म-मुक्तो लोगग्गे ठाइ जीवो वि ॥ 24 इय जीव-बंध-मोक्खो आसव-णिजरण-संवरे सव्वे । केवलणाणीहिँ पुरा भणिए सव्वेहि वि जिणेहिं ॥ एवं च देवाणुप्पिया। लोयम्मि के वि सत्ता विसउम्मत्ता वहम्मि आसत्ता । मरिऊण जति णरयं दुक्ख-सयावत्त-पउरम्मि ॥ 27 णाणावरणुदएणं कम्मेणं मोहणीय-पउरेणं । अह-वसट्टा अण्णे मरिऊणं थावरा होति । मय-लोह-मोह-माया-कसाय-वसओ जिओ अयाणतो । मरिऊण होइ तिरिओ णरय-सरिच्छासु वियणासु ॥ को इत्थ होइ देवो विमाण-वासी य वंतरो अण्णो । अण्णो भवण-णिवासी जोइसिओ चेव तह होइ ।। भाणं रिंभिऊणं तवं च चरिऊण जिगवराणाए । कोइ तहिं चिय जीवो तियासंदो होइ सग्गम्मि ॥ अण्णे गणहर-देवा आयरिया चेव होंति अण्णे वि । सम्मत्त-णाण-चरणे जीवा अण्णे वि पावंति ॥ सयल-जय-जीव-वित्थर-भत्ति-भरोणमिय-संथुयप्पाणो। भब्व-कुमुयाण ससिणो होति जिजिंदा वि के वि जिया ॥ 33 अण्णे मोहावत्तं दुह-सय-जल-वीइ-भंगुर-तरंगं । तरिऊण भव-समुई जीवा सिद्धि पि पावंति ॥ तम्हा करेह तुब्भे तव-संजमणाण-दसणेसु मणं । कम्म-कलंक-विमुक्का सिद्धि-पुरं जेण पायेह ॥ 2) अंध. 3) P विड for बट, Pय न वि for विय ण. 4)P परोपणुगजओ, केसविज्जो से सरीरंमि, J भाओ. 5) Pकुसुमेसु देव सोरंभ, Pएयं चिय जीव देवाण. 6) P सिगिद्धो, अलक्खेओ, "सगिद्धे. 7) P जायद, J पिविकम्म. 8) P कलावभारं पि, P A for हु, विहु विहिकमाकलावपरि'. 9) रद्धेऊग रंधेसऊणं. 10) 'डो, P भ for ममइ. 11) कोर णरो, नवयंति, P नवतंमि ज किं चि जह दीवो चऊरूणं जद देई. 12) रयणमयणसुगूठियमि, 'रासिमूढो, नविन याणपइ, om. किंचि ॥ जह दीवो etc. to पि देहं जणेर. 15) जीवो for दीपो. 16) दारे पविरसमायो, P वाओ. 17)" ज्याजोगेण. 18) Pनीय कुराव जाव हा कारण. 19) पाउ ।' धाओ, पत्थरंभी, J उप्पण्ण मि. 20)अणावि काले पि ज्झाणजोगेहि, P जीवो अह कीर अह निम्मलं कणयं, P repeats तह जीवकन्भयाण etc. to अह कीरए विमलो. 21) जह for अह, सरद for झरह, P किरणसंगण. 22) P नाणं पर तह सोसि'. 23) पंकिव, जालोवरिगइलाउओ, P कम for कम्म. 24) Padds य after इय, J मि for वि. 26) J विसयुम्भत्ता, "समि for वहम्मि. 28) r repeats मोह, P होति for होर. 29) चेव तव होया. 30) Pमाणं निमुंमिऊगं, कोथितदि. 31) Pinter. होति चेव.32) P संठ्यप्यागो, PR for वि (first). 33) पार्विति. 34) तुम्हा for सम्हा, सिद्धिपुरि, P पाविहि ति for पावेह. Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3 -६१८१] कुवलयमाला 1 तओ पणया सव्वे वि वासवप्पमुहा देव-दाणव-गणा भगिडं च पयत्ता। 'अहो, भगवया कहिया जीवादओ पयत्था। 1 __ साहिओ जीवो, परूवियाई जीव-धम्माइं । पण्णवियं बंध-णिजरा-मोक्ख-भावं' ति । १८०) एत्थंतरम्सि कहंतरं जाणिऊण विरइयंजलिउडेण पुच्छिओ भगवया गणहर-देवेण धम्म-जिणवरो । ३ 'भगवं, इमीए स-सुरासुर-णर-तिरिय-सय-सहस्स-संकुलाए परिसाए को पढम कम्मक्खयं काउण सिद्धि-वसहिं पाविहइ' त्ति । भगवया भणियं । 'देवाणुप्पिया, 8 एसो जो तुह पासेण मूसओ एइ धूसरच्छाओ। संभरिय-पुटव-जम्मो संविग्गो णिब्भर-पयारो॥ मह दसण-परितुट्टो आणंद-भरंत-बाह-णयणिल्लो । तडुषिय-कण्ण-जुयलो रोमंचुच्चइय-सव्वंगो ॥ __ अम्हाणं सम्वाण वि पढम चिय एस पाव-रय-मुक्को । पाविहद सिद्धि-वसहिं अक्खय-सोक्खं अणावाहं ॥' 9 एवं च भगवया भणिय-मेत्ते सयल-णरिंद-बंद्र-तियसिंद-दणुवइ-पमुहस्स तियस-बलिय-वलंत-कोउय-रहस-वस-वियसमाणाई णिवडियाई रगणुदुरस्स उवरि दिहि-माला-सहस्साई । सो य आगंतूण भत्ति-भर-णिभरो भगवओ पायवीढ-संसिओ महियल-णिमिउत्तमंगो किं किं पिणिय-भासाए भागिउं पयत्तो । भणियं च तियस-णाहेण । 'भगवं, महंतं मह कोऊहलं 12 जे एस सव्वाहम-तुच्छ-जाईओ कोमल-वालुया-थली-बिल-णिवास-दुल्ललिओ रणुदुरो सव्वाण चेय अम्हाणं पढमं सिद्धि-पुरि 12 पाविहिइ ति । कहं वा इमिणा थोव-कम्मेण होइऊण एसा खुद्द-जाई पाविय' त्ति । १८१) भगवया भणिय। 'अस्थि विंझो णाम महीहरो। तस्स कुहरे विंझवासोणाम संणिवेसो विसमंतो य । तत्थ पञ्च15 तिओ महिंदो णाम राया। तस्स तारा णाम महादेवी। तीए पुत्तो ताराचंदो अट्ठ-बरिस-मेत्तो। एयम्मि अवसरे छिडण्णेसिणा 15 बद्ध-वेराणुसएण कोसलेण रण्णा ओक्खंद दाऊण भेल्लियं तं संणिवेसं । तहिं णिग्गदो महिंदो, जुज्झिउं पयत्तो, जुज्झंतो य विणिवाइओ। तओ हयं सेण्णं अणागयं ति पलाइउं पयत्त, सब्यो य जणो जीव-सेसो पलाणो। तत्थ तारा वि महादेवी तं पुत्त 18 ताराचंदं अंगुलीए लाइऊण जणेण समयं पलायमाणी य भरुयच्छं णाम णयरं तत्थ संपत्ता । तओ तत्थ वि ण-याणए कस्स 18 सरणं पवजामो । ण कयाइ वि कस्सइ अणिमितु थुईंकियं मुहं दिढें खलयणस्स । तओ तण्हा-छुहा-परिस्समुब्वेय-वेवमाणहियया कत्थ वच्चामि, कत्थ ण वच्चामि, किं करेमि, किं वा ण करेमि, कत्थ पविसामि, किं पुच्छामि, किं वा आलवामि, स कहं वा वट्टियव्वं' ति चिंतयंती तरला सुण्णा रण-कुरंग-सिलिंबी विय अहिणव-प्पसूया णियय-जूह-भट्ठा वुण्ण-कायर-हिय- 21 विया एक्कम्मि जयर-चच्चर-सिव-मंडवे पविसि पयत्ता । खगेण य गोयरग्ग-णिग्गयं साहुणीणं जुवलयं विटुं । तं च दहण चिंतियं तीए । 'अहो, एयाओ साहुणीओ महाणुभागाओ धम्म-णिरयाओ वञ्चतीओ य पुरा मम पेइयम्मि पूणिज्जाओ। 24 तत्थ ता इमाओ जइ परं मह सरणं काऊण अम्हारिसाण गह' ति चिंतयंती पुत्तं अंगुलीए घेत्तण समुट्ठिया, वंदियाओ णाए 24 साहुणीओ । आसीसिया य ताहिं, साणुणयं च पुच्छिया 'कत्तो सि आगया' । तीए भणिय 'भयवइओ विंझपुराओ' । ताहिं भणिय 'कस्स पाहुणीओ । तओ तीय भणिय 'इमं पि ण-याणामि' त्ति । तओ तीय रूव-लायण्ण-लक्खणादिसयं 27 पेच्छंतीहिं तं च तारिसं कलुणं भासियं सोऊण अणुकंपा जाया साहुणीणं । ताहिं भणियं 'जइ तुह इह णयरे कोइ णत्थि, 27 ता एहि पवत्तिणीए पाहुणी होहि । तीए वि 'अणुग्गहो'त्ति भणतीए पडिवणं । गंतुं च पयत्ता। मग्गालग्गा दिट्ठा य पवत्ति. णीए, चिंतियं च णाए 'अहो, इमाए वि आगितीए एरिसा आवइ' त्ति । तओ असरिस-रूब-जोव्वण-लायण्ण-लक्खण-विला. 30 सेहिं लक्खियं पवत्तिणीए जहा का वि राय-दारिय त्ति । इमो य से अइसुंदरो पाले पुत्तो त्ति । तीए वि उवगंतूण बंदिया 30 पवत्तिणी । आसीसिया, तीय पुच्छिया य 'कत्तो आगया। साहियं च णियय-वुत्ततं पवत्तिणीए। तओ सेज्जायर-घरे समप्पिया । तेहिं विणियय-धूय व्व विगय-समा सा कया । सो वि रायउत्तो अब्भगिउव्वत्तिय-मजिय-जिमिय-विलित्त33 परिहिओ कओ, सुह-णिसपणो य । भणिया पवत्तिणीए 'वच्छे, किं संपय तए कायव्वं' ति । तीए भणिय 'भयवइ, जो मह 33 Tradds या before सब्वे, " देवादाणव, Pom. च, J जीवातिओ P जीवादयो. 2) Pमोक्खो भावं. 3) P विरह अंजलिणा. 4) पाविधित्ति. 5)J देवाणुपिया. 6)P एय for एइ,J om. धूसरच्छाओ. 7)P भणंतबाहु- 8) पढमचिय, P पाविहि सि,J सिद्धिवस, सोक्खो अणाकाहिं. १)वंद for चंद्र, पमुहस्स, Pति for तियस, P वियसमणाई. 10) P रन्नंदुररस, दिही, पायपीढं. 11)P गहियलनिउत्त, P om. one किं, P नियय, P कोउहलं. 12) जाइओ, P थलिनिवास, हरणंदुरो, Pinter. अम्हाणं चेय, P सिद्धिफलं पुरि. 13) J पाविहि त्ति, P थोय for थोव, P होइऊणा P खुडू, जाई. 14) P गहिहरो, J कुलहरे for कुदरे, Jadds गहा before संणिवेसो. 15) तीय, P छिमेसेणा. 16) ओखंदं, से for तं, P सनिब्वेस, P निग्गओ, Pom. य. 17) J पयत्तो, P जीयसेसो. 18) Pजाणेण for जणेण. 19) P अणुमित्तथुटंकियं, "मुब्बेवमाण, वेअमाणहिअविआ. 20) Pon. कत्थ ण बच्चामि किं करेमि, P om. ण before करेमि, P आलसामि. 21) Jom. तरला, तरलारन्नकुरंगिसिलिंगी विय, P -पसूया. 23) P चिंतयंतीए, P वच्चंतीय, P पूणिज्जाओ. 24) Pom. ता, अम्हारिसा गइ ति चितयतीए पोतं. 25) Pतीए ताहिं भणियं धम्मलाभो ति for णाप साहुणीओ। आसीसिया य ताहिं, साणुणयं च, तीय for तीण, P भयवईओ. 26) ताहि for तीय, Pइमंमिन याण मि । तओ, Pरूयलावण्णलक्खणाइसयं पेच्छयंतीहिं. 27) P भाणियं, जाया जणीणं, Pom.ह. 28) P होह, तीय, भणंतीय, P°लग्गा विद्यायो पवित्तिणी. 29r om. वि, P अगीतीय, Pअवस्थ for आवद, P विलासाए. 30) Pपवित्तिणीए, P रायादारिय, P अगोसे for इमो य से, दाओ for पुत्तओ, तीय for तीण, P om. वि. 31)P पवित्तिणी य धगलाहिया। तीय, 1 णिअर्थ, पवित्त (त्ती?) णीय P पवित्तिणीप, P सेजायर.32) Pom.वि, P सायरं दिद्रा for विगयसमा सा कया, P अब्भंगिय-- 33) सुयनिसन्ना, P repents वत्तिणीए before वच्छे, J तीय for तीए. Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० उज्जोयणसूरिविरइया [S] १८२1 णाहो सो 'रणम्मि विणिवाइओ । बिटुं विंशपुरं । णट्टो परियणो । बंडो कोसल-णरिंदो | बालो पुत्तो अपरियणो य । ता । णत्थि रज्जासा । अह उण एत्थ पत्त-कालं तं करोमि, जेण पुणो वि ण एरिसीओ आवईओ पावेमि ति । सव्वहा तुमं जं 3 आदिससि तं चेय करेमि ति । तओ पवत्तिणीए भणियं । 'वच्छे, जइ एवं ते णिच्छओ, तओ एस ताराचंदो आयरियाणं 3 सम, तु अम्हा माहिति । एवं कटु सचे संसार वास दुक् टि होहिदू' सि तीए वि 'वह' ति प। समपिनो ताराचंद भगवो वर्णन जिणवर तिथे अणुवत्तमाणे सुदरस आयरियस ते वि जहा- बिहिणा 6 पव्वाविओ । १८२) तओ किंचि कालंतरं अइ जोन्त्रण-वस- बिलसमाण- रायउत्त-सहावो खग्ग-धणु-जंत-चक्क-गंधव्व-ह-वाइयविलासो उम्मग्गं काउमादत्तो । तओ पण्णबिओ आयरिएणं, भणिओ गणावच्छ्रेषण, सासिओ उवज्झाएण, संणविओ साहु9 यगेण । एवं च पोइजाणो य ईसि परिणाम-मंग का माहतो त्थ व अवसरे आयरिया बाहिर भूमिं गया सो य माओ ओ । तत्थ व अच्छमाने वप्यन्थलीए रंदुरा कीता दिट्टा तो चिंतियं णं 'अहो, घण्णा इसे पेच्छ खेति जहिच्छाए, फरसं गणेय खुणेति णेय पणमंति, चिचरंति हियय-रुदयं अय्यो रणुंदुरा पण्णा अम्हाणं गुण पशयत्त 12 जीविया मय-समं जीवि, जेण एको भणइ एवं करेहि, अण्णो ण भणइ इर्म करेहि, इमें क् इमे चाभवं इसे 12 पियसु इमं मा छिवसु, एत्थ पायच्छित्तं, एवं आलोएसु, विणयं करेसु, वंदणं कुणसु, पडिक्कमसु ति । ता सव्वहा एक पि खणं णत्थि ऊसासो ति । तेण रणुंदुरा घण्णा अम्हाहिंतो' ति चिंतयंतो वसई उबगओ । तं च तारिसं णियाण-सलं ण तेण 15 गुरूणं आलोयं ण सिंदियं, ण पायचि एवं दिवस पर्यत अकाल- म मरिऊण णमोकारेण जोरिया | किंचिग पलिया देवता उदयणो तो तत्थ एसो भए भुंजिऊण पुत्ध चंपाए पुल्वुत्तरे दिसा भाग मोस्थली थलीए रंदुर-कुले एक्काए रंदर-सुंदरीए कुच्छिसि उबवण्णो । तत्थ य जाओ मियय-समएणं, कमेण य जोन्वणमणुप्पत्ती । 18 तत्तो अणेय-रण्णुंदर-सुंदरी-वंद्र परियरिय-मंदिरो रममाणो अच्छिउं पयत्तो । तओ कहिंचि बाहिरं उवगयस्स समवसरण - 18 विरयण-कुसुम-बुद्धि-गंधो आगओ । तेण य अणुसारेण अणुसरंतो तहाचिह-कम्म- चोइज्नमाणो य एत्थ समवसरणे संपत्तो, सोउं च समादत्तो मह वयणं । सुर्णेतस्स य जीवाइए पयत्थे पेच्छतस्स य साहु-लोय तहाविह भवियव्त्रयाए ईहापूह-मग्गणं 21 करेमाणस्स 'एरिसं वयणं पुणो वि वि गुवं ति एवं पुण बेसं अणुहू पुति चिंतयंतस्य वस्त्र वद्याविह-गाणावरणीय 21 कम्म- खभवसमे जाई सरण उदवणं 'अहं संजय भावि, पुणेो जोइसिनो देवो, पुणे एस रदुरो जाओ' त्ति एवं सुमरिकण 'अहो, एरिसो णाम एस संसारो ति जेण देयो वि दोकण तिरिय-जाईए आई उबवण्णोति वा आस भगवमो 24 पाय - मूले गंतूण भगवंतं वंदामि । पुच्छामि य किं मए उंदुरत्तणं पत्तं किं वा पाविहामि ति चिंतयंतो एस मम सयासं 24 आगओ त्ति । बहुमाण- णिब्भर - हियओ य ममं हियएण थुणिऊण समादत्तो । 'अवि य, । भगवं जे तुह आणं लिहुयास्स कह वि खंडति ते मूढा जम्छे विय दूरं कुमईस वियरंति ॥ I 27 वा भगवं, किं पुण मए कर्म, जेणाशुभावेण एस एरिसो जाओ मि' एस पुन्छइ । 'ता भो भो महासरा, राम्मि काले 22 तए चिंतियं जहा रंडुरा धण्ण' त्ति । तओ तेण णियाण सल- दोसाणुभावेण देवत्तणे वि आउय-गोत्ताई रण्ंदुरत्तणे बिदाई | 30 1 1८३) तरे पुच्छि भगवया गणहारिणा । 'भगवं, किं सम्मदिड़ी जीवो तिरिवाज धरण व ति भणिये 30 च भगवचा 'सम्मदिदी जीवो विरिवाठयं वेदेद, ण उण बंधइ भण्णइ प after वि, 3 आवइओ, P adds न before पावे. 3 ) आइसि साप समुयिओ होती for 5 ) ि P विलासमाण, J धणुचक्क, P वातिय 8 ) P गणावच्छेआएण सासिया, Pom, 10 ) Pओ for गओ, P वरात्थलीए रनंदु 11 न for णेय, सुति. एवं for इमं P अणुट्टमाणे, P तेणावि 7 ) तओ कंचि, उवज्झाएण संणविओ etc. to अवसरे आयरिया. P विरयंति हियरुयं, P रण्णंदुरा, P अम्हाण पुणो before मा, P एवं for एयं णि खणण्णत्थि 16) पापयानो, एक्का रंदुदुंदरी कुच्छीए, P रणंदुर, P जोन्वणं P सवसरणवियरणा 19 ) वुट्ठी, Pom. य. 20 ) 12 ) Pom. पुण, तमं वरेह for इयं करेहि 13 ) 14 ) P रनंदुरा, Pom. ति, P वसहिं, सलं न चेय गुरुणोइयं न. एसो एवं प्यादिसाविभाष मोरकू 18) उतओ for तत्तो, P अणेयरं सुंदरसुंदरी, P परियंदिय जीवातीए पदत्थे, P ताहिविभविय र भवितव्यताए य 15) J 17 J संपत्तो. ईहा, P ईहानुहयमग्गणं. (21) करमाणस्स, Pom. ति, J om. तस्स. 22 > कम्मखयोव, संजोतो, " संज्झाओ, जोतिसिओ, P om. एस, Jom. त्ति. 23 ) P जेण दोवो बि. 24) 26) P खंडेंति, P विव दूरं कुगवीगु. 27 ) P सए for एस, कुरा Padds] निंदिया before निर्माण, रणदुरुसणेण 30 ) 31) P सम्मद्दिट्ठी, J वेतेति for वेदेइ, P बंधति, P वा for य. ममं पावीहामि, P सगासं. 25 ) P बहुनाग, Pom. hefore Pom. one भो / महासत्ता P महासत्तो. 28 ) एस्तरेण समादिट्ठी, Parlis before 1) P विज्झपुरं 2 > P पत्तयान्तं Pom. Pom, पेय, पर्वाचिगीय, तो for ते 4 Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -९८३] कुवलयमाला १०१ 12 1 सम्मत्तम्मि उ लाटे. ठड्याई णरय-तिरिय-दाराई । जइ य ण सम्मत्त-जढो अहव ण बद्धाउओ पुचि ॥ ता इमिणा देवत्तणम्मि वद्दमागेण सम्मत्तं वमिऊण आउयं तिरियत्ते बद्ध' ति । भणियं च तियसवइणा 'भगवं, कहं पुण। ३ संपयं एस सिद्धिं पाविहि' त्ति । भणियं च भगवया। 'इओ एस गंतूण अत्तणो वणथलीए वचतो चिंतिहिइ हियए। 3 'अहो दुरंतो संसारो, चलाई चित्ताई, चंचला इंदिय-तुरंगमा, विसमा कम्म-गई, ण सुंदरं णियाण-सलं, अहमा उंदुरजोणी, दुलहं जिणवर-मग्गं, ता वरं एत्थ णमोकार-सणाहो मरिउण जत्थ विरई पावेमि तत्थ जाओ' ति चिंतयंतो तम्मि चेय 8 अत्तणो बिल-भवणेक-देसे भत्तं पचाइक्खिय एयं चिय मह वयणं संसारस्ल दुग्गत्तणं च चिंतयंतो णमोक्कार-परो य 6 अच्छिहइ त्ति । तत्थ वि से चिटुंतस्स रगणुदुर-सुंदरीओ सामाय-तंदुल-कोद्दवाइए य पुरओ णिति । तओ चिंतेहिइ । 'भो भो जीव दुरंत-पंत-लक्खण, एत्तियं कालं आहारयतेण को विसेसो तए संपाविओ। संपयं पुण भत्त-परिच्चाएण तं पावसु जे संसार-तरंडय' ति चिंतयंतो तत्तो-हुतं ईसिं पि ण पुलएइ । एयारिसं तं दट्टण ताओ रणुदुर-सुंदरीओ चिंतिहिंति। " 'अहो, केण वि कारणंतरेण अम्हाणं एस साम सुंदरंगो कोविओ होहिइ । ता दे पसाएमो' त्ति चिंतयंतीओ अल्लीणाओ। तओ का वि उत्तिमंग कंडुयइ, अण्णा मंसु-से दीहरे संठवेइ, अण्णा रिक्खाओ अवणेइ, अण्णा अंग परिमुसइ । एवं च 12 कीरमाणो चिंतिहिइ । अवि य, ___णरओयारं तुब्भे तुब्भे सग्गग्गलाओ पुरिसस्स । संसार-दुक्ख-मूलं अवेह पुत्तीउ धुत्तीओ॥ त्ति मण्णमाणो ण ताहिं खोहिजिहि त्ति । तओ तत्थ तइए दियहे खुहा-सोसिय-सरीरो मरिऊण मिहिलाए णयरीए मिहिल्लस्स 16 रण्णो महादेवीए चित्तणामाए कुच्छीए गब्भत्ताए उववजिहिइ । गम्भत्थेण य तेण देवीए मित्त-भावो सव्व-सत्ताणं उवार 15 भविस्सइ । तेण से जायस्स मित्तकुमारो त्ति णामं कीरेिहिइ । एवं च परिवड्डमाणो कोत्तुहली बालो कुक्कुड-मक्कडए पसु-संबर-कुरंग-घोरुद्दयहिं बंधण-बंधएहिं कीलिहि ति । एवं च की तस्स अट्ठ वरिसाई पुण्णाई। समागओ वासारत्तो । 18 अवि य, गजति घणा गच्चति बरहिणो विजुला वलवलेइ । रुक्खग्गे य बलाया पहिया य घरेसु वञ्चति ॥ जुप्पंति णंगलाई भजति पवाओ वियसए कुडओ । वासारत्तो पत्तो गामेसु घराई छजति ॥ 21 एरिसे य वासारत्त-समए णिग्गओ सो रायउत्तो मित्तकुमारो णयर-बाहिरुहेसं । कीलंतो तेहिं सउण-सावय-गणेहिं बंधण-21 बद्धेहिं अच्छिहिइ । तेण य पएसेण ओहिणाणी साहू वञ्चिहिइ । बोलेंतो चेय सो पेच्छिऊण उवओगं दाहिइ चिंतेहिइ य 'अहो, केरिसा उण रायउत्तस्स पयई, ता किं पुण एत्थ कारणं' ति । उवउत्तो ओहिणाणेणं पेच्छिहिइ से ताराचंद-साहु-रूवं, 24 पुणो जोइस-देवो, पुणो रण्[दुरओ, तओ एत्थ समुप्पण्णो' त्ति । जाणियं च साहुणा जहा एसो पडिबुज्झइ त्ति चिंतयतो 24 भाणिहिइ । 'अवि य, भो साहू देवो वि य रण्णुदुरओ सि किं ण सुमरासि । णिय-जोणि-वास-तुट्टो जेण कयत्थेसि तं जीवे ॥' 27 तं च सोऊण चिंतिहिइ कुमारो 'अहो, किं पुण इमेण मुणिणा अहं भणिओ, साहू देवो रण्णुदुरओ' त्ति | ता सुय-पुव्वं पिव 27 मंतियं णेण । एवं च ईहापूहा-मग्गण-गवेसणं करेमाणस्स तहाविह-कम्मोवसमेणं जाई-सरणं से उववजिहिइ । णाहिइ य जहा अहं सो ताराचंदो साहू जाओ, पुण देवो, तत्तो वि तिरएसु रणुदुरो जाओ ति, तम्हा मओ णमोक्कारेण इहागओ 30 त्ति । तं च जाणिऊण चिंतिहिइ । 'अहो, धिरत्थु संसार-वासस्स । कुच्छिओ एस जीवो जं महा-दुक्ख-परंपरेण कह-कह वि 30 पाविऊण दुलहं जिणवर-मग्गं पमाओ कीरइ त्ति । ता सव्वहा संपयं तहा करेमि जहा ण एरिसाई पावेमि । इमस्स चेव मुणिणो सगासे पब्वइउं इमाइं तबो-विहाणाई, इमाई अभिग्गह-विसेसाई, इमा चरिया करेमि' त्ति चिंतयंतस्स अउव्व33 करणं खवग-सेढी अणंत-केवल-वर-णाण-दसणं समुप्पजिहिइ । 33 2) P च रियसवणा. 3) JF for त्ति, P प्रितिहि, J om. हियर. 4) P तुरंगा. 5) दुलहं, P विरइयं. 6) चेय for चिय, संसारदुग्ग, rom. य. 7) से चिटुं च सारंगंदुरदुंदुरीओ, I कोइवाईए P कोद्दवाथिए, P चिंतेइ. 8) Jवंत for पंत, "निलकना for लकण, Jआदारंतेग. 9)P तरंडयंतो हुसत्तो त ईसिं, P एतारिसं च तं, P रणदुर. 10) केणावि, P कालंतरेण, कुशिमोहोही। 11)J उत्तमंग, कंदुझ्य, P कोसे, अन्ना लिक्खाओ अवणेइ अ अन्ना. 13) Pinter. तुब्मे & नरओयारं, ' मुत्ती3 for पुत्तीउ. 14) rom. त्ति, P खोहिज्जद त्ति, P om. तओ, P महिलाए नयरीए महिरस्स. 15)P कुच्छीए गन्मे उपपन्नो। 'om. य, " भव्य for सब. 16) P जाओ for भविस्सर, I adds त्ति aftor भविस्सइ, P से जोयरस, P कीरडर, P भाणकोऊ ली, J पालो for नालो. 17) Pकुरंगमोरुदुरेहिं बंधणबद्धेण कीलि', 'ति for त्ति, P om. च. 19) " विजुला बलबलेइ. 21) Fom. य, P गणेशहि. 22) Pom. अच्छिहिद, P य तेएसे ग य ओहि', P वच्चियद, उ वोलेचेय, P om. घेय, I उवगोगं, 'दीदीइ, चितेहि दिन Pom. वितेहि य. 23) Jinter. पयई & राय उत्तरस, P पुण तेत्य, Pपेच्छद से. 24)रणदुर मो. 26)' रणदुरणो, किण P कि दिन- 27) F चिंतिहीद, P रणुदुरतो, P ति for पिव. 28)" से उप्पन्नं । जाणियं चणेगंजा से तारा', P पुणो, तिरिएसो रणुदुरो, Jउ for मओ. 30) I परंपरे. 31) P संपयत्तहा, r inter. एरिसाण, चेअ. 32) सयासे, J om. तयोविहाणाई इमाई. 33) समुप्पज्जिह त्ति. Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ उज्जोयणसूरिविरइया [६१८३ 1 एत्येतरमि से आय कम्मं ति तेण संगहिये । केवल-णाणुष्पत्ती तस्स सभी दो वि जावाई ॥ एवं च तक्खणं चेय तत्तिय-मेव-काळाओ अंतगड-केवली दोहिद नि ते भामो जहा एस अम्हा सच्चा वि पढने सिद्धिं चिहि । अम्हाणे पुणे दस-वास लक्खाउयाण को वञ्चति । १८४ ) इमं च रणेदुरखाये णिलामिसवाचे तियसिंदष्पमुहाणं सुरासुराणं मणुषाण व मतं कोडयं समुप्पणं । भत्ति बहु-माण-सिद्द कोडव-विध्भर-हिणं सुरिंदे भारोविनो यिय-करयले सो रणुदुरो । भविंच 6 वासवेणं । 'अहो, चिय जए कमरथ देवाण विसिवंदणेजो सि । अम्हाण पडम सिद्धो जिण जो तं समाइटो ॥ भो भो पेच्छह देवा एस पभावो जिनिंद-मग्गस्स । तिरिया विजं सउण्णा सिज्झति अनंतर भवेण ॥ 9 ते चिय बेंति जिणा अहह्यं सव्वेसु चेय सत्तेसु । जं एरिसा वि जीवा एरिस-जोणी समल्लीणा ॥' एवं जड़ा वासवेग वहा य सब सुरिंदेहिं दय-गाडेहि य नरवई-साहिं थाहा पेप्यमाणो राम कुमारो विव पसंसिजमाणो उवबूजितो विकरितो तो परिवेदिओ पूऊन पसिओ अहो पण्णो, अहो पुण्णवंत, अहो कयो, अहो 2 12 सलखो, अहो अम्हाण वि एस संपूर-मगोरहो ति जो अनंतर जम्मे सिद्धिं पाविहर ण अण्णा जिणवर-वयणं ति ॥12 एयम्मि अवसरे विरइयंजलिउडेण पुच्छियं पउमप्पह- देवेणं । भणियं च णेण 'भगवं, अम्हे भव्वा किं अभव्य' ति । भगवया भणियं ' भव्वा' । पुणो देवेण भणियं 'सुलह-बोहिया दुलह-बोहिय' त्ति । भणियं च भगवया 'किंचि 15 णिमित्तं अंगीकरिय सुलह-बोहिया ण अण्णह' ति । पउमप्यहेण भणियं 'भगवं, कइ भव- सिडिया अम्हे पंच चि जणा' । 15 भगवया भणियं 'इलो भने सिद्धिं पाविह पंच वि तुम्' ति । भणिषे पडसमे 'भगवं, इत्तो चुका कत्थ उप्पनिहामो' ति भगववा भवियं इस तुमं च वणियउत्तो, पडमवसे उण रायडतो, पठमसारो उण 18 रायच्या, पडमचंदो उण विंले सीहो, पडमसरो उण पडवर तो 'ति । इमे च भणमागो समुद्रो भगवं 18 धम्म- तित्थयरो, उवघरिये समवसरणं पवजिया हुंदुही, उडियो को पट्टो यासको बिहारि च पयझे भगवं कुमुद-संड-बोहओ वित्र पुष्णिमायंदो । अम्हे वि मिलिया, अवशेप्परं संलावं च काउमादत्ता । एकमेक्कं जंपिभो 'भो, 21 गिसुयं तुब्भेहिं जं भगवया आइटुं । तओ एत्थ जाणह किं करणीयं सम्मत्त लंभव्थं' ति । तओ मंतिऊण सव्वेहिं 'अहो, 1 को विवाणियउत्त, अण्णो रायउत्तो, अवरो वणे सीहो, अण्णो राय-दुहिय चि । ता सव्वहा निसंटुलं भावडियं इमं कर्ज | ताण याणामो कई पुन बोहि हामी अम्हाणं पुण समागमो व दोन' ति 'वा सव्वा इसे गुत्थ करणीयं तितिहिं 24 भणिये । 'अहो पउमकेसर, तुमं भगवया आइडो, 'पच्छा चविहिसि', ता तए दिव्वाए सत्तीए अम्हाणं जत्थ तत्थ गयाणं 24 सम्मतं दायव्वं, ण उण सगा सुंदरी-वंद्र तुंग-थण-थल-पेलणा-सुहलि-पम्हुट्ठ-सयल- पुण्व- जंपिएण होयव्वं' । तेण भणियं । 'देम अहं सम्मतं, किंतु तुम्मे मह तस्स वि मिच्छतोवहयमाणा ण पत्तियायहिद । ता को मए उबाओ कायप्यो' त्ति । 27 तेहिं भणिये । 'सुंदर संता एवं पुणस्य करणीयं । अन्तगोत्तणो रुवाई जे भविस्साई रवण-मयाई काऊण एकम्मिल ठाणे निखिति तय का वाई सिर्जति ताई कमाई पुण्य जम्म सरणं साहिष्णात्रेण धम्म-परिवत्ती वा भवेज' भिमाणेहिं निम्मविवाह असणो स्व-सरिसाई रवणे पढिरुपया ताई च विखाई गोवणे जन्य सीटो 30 उपजिहि चि तस्स य उरें महंती सिला दिष्णन्ति । तं च काउण उवगया शिवय विमानं तत्थ भोए झुंजता 30 जहा सुई अच्छि पयत्ता तओ कुमार कुमचंद्र जो सो ताण मन्दो पदमपो देवो सो एक चेय केरियो जाओ । अवि य, 3 2 ) Pom., 1) P, after तरस, repeats अउव्वकरणं खभगसेढी etc. to केवलनाणुपची तरस मेत्तकला(त) ओ Jom. त्ति, एसो for एस. (3) P सहरसाउ for लक्खाउ, बच्चिर Pवच्च उ. 5 ) करयलंजलि ( णे ? ) 8 ) P सहावो for पभावो, P भवेसु. 9 ) P तेयणं for तेगं, P अहियं. 10 ) P वावेण्ण for वासवेग, 3 om. य, नरवर, P हत्थाहस्थेहिं रायकुमारो. 11) P उवगूहिज्जंतो, Pom. वणिज्जं तो (of J ? ), विपरिअंदिओ P पसंसिऊ. 12 ) " सव्वधा for अहो before अम्हाण, P संपन्न for संपूर, जिगवयणं. 13 ) Padds य before अवसरे, विरइय पंजलि. 14 ) अम्हा for भव्वा after भणियं, Jom. पुणो देवेण भणियं, दुलहबोधिअत्ति 15 ) P अंगीकरी सु, P पमप्यभेण, कतिभव- 16 तो for इओ, पाविहित, J तुम्हेहिं | P तुभेति । इदो चुका P इतु चुया. 17 ) उपज्जीहामो, " संपज्जिहामो. J इतो for इओ, Pom. परमवरो उण रायउत्तो, Pढमसारो. 18) rom. उण before विज्झे सीहो ( in P ), उमवरस्स पुतो भगाओ 19 ) विरिहरिडं Pom. एतो कुगु 20 addit पुणिमादी 21)त. 22 ) अत्रे रायउत्तो, " दुहिओ त्ति, सिंधु 23 ) Pता एवं ण-, Pom. पुणे, om. ति 24> P पउमकेसरं, P विहसि 25) p adds दाऊण before सुंदरी-, र त्थलारूपेलणा 26 ) र मदिसंास्स मिच्छत्तो", P तं for ता. 27> p om. पुग before एत्थ, P अत्तिणो रुवाई, Pom. जं, J भविस्स. 28 ) थाणे निमंतिणिक्सिम्मंति 29 ) P वि for ताई च, P inter. जत्थ and वणे. 31 ) पमप्पभो 30 J विमाणे, P भुंजित्ता Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - १८६ ] कुवलयमाला वियत-देह-सोहो परियण- परिवजिओ सुदीण-मणो । पवणाहल य्य दीयो शति ण ओ कहिं पि गओ || तत्तो य चविऊण मणुयाणुपुत्री रज्जू-समायडिओ कत्थ उबवण्णो । 3 1 १८५ ) इहेव जंबुद्दीवे भारहे वासे दाहिण-मज्झिम-खंडे चंपा नाम गवरी । सा य केरिसा | अवि य, धवल-हर-तुंग-तोरण-कोडि पडाया- फुरंत सोहिल्ला । जण-निवहुद्दाम-रवा णयरी चंपति णामेणं ॥ तीए णयरीए तुलिय-वणवइ-धण-विवो धणदत्तो नाम महासेट्ठी । तस्स य घरे घर-लच्छि ध्च लच्छी णामेण महिला । ती व उपरे पुचा उपयो सो पदमप्यभो देयो गवन्द य मासाणं बहु-परिमाण व राईदिवाणं सुकुमाल - पाणिपाओ तुम्पल-दल-भारओ विय दारओ जाओ । तं च दण कयं वद्वावणयं महासेद्विणा जारिसं पुत्त-लंभस्सुद त्ति । कयं च से णामं गुरूहिं अणेय उवयाइएहिं सागरेण दत्तोति सागरदत्तो । तो पंचधाई-परिवुडो 9 कमेण य जोव्वणं संपत्तो । तो जोदण-पत्तरस य त रूव-घण-विहव- जाइ समायार-सीलाणं वणिय-कुलाणं दारिया सिरि 9 व्रूवेण सिरी णामा उपभोग-सहा युगा दिण्णा गुरुयगेणं । तत्र अगेय-शिद्ध-बंधु-भिच्च परिवारो अच्छिउं पयत्तो को य से कालो उपयो। अवि थ । 1 12 रेति हंस-मंडल-चाल माडिया विसाओ आण्ण-पराओ परियण-बड्याउ व गईभो ॥ रेहति वणे कासा जलम्भि कुमुयाइँ हयले भेहा । सत्तच्छयाइँ रण्णे गामेसु य फुल-णीयाई ॥ एरिसे य सरय-काले मत्त-पमत्ते णच्चिरे जणवए पुण्णमासीए महंते ऊसवे चट्टमागे सो सागरदत्तो सेट्ठिउत्तो गियय-बंधु-गिद्ध15 परियारो णिग्गओ णयरि-कोमुई दहूण | एकम्मि य णयरि-चच्चरे णडेण णच्चिरं पयत्तं । तत्थ इमं पढिर्यं कस्स वि को 15 सुद्धासियं । अनि य 18 १०३ : यो धीमान् पुजः क्षमीबिना चीरः कृतज्ञः कृती, रूपेश्वर्ययुत दयालुरशठो दाता शुचिः सपः । सोगी सीमा तो नीतिमान् बन्धूनां जन्म सफलं तस्येह चामुत्र च ॥ 1 चोले सागरदन तिमो सुहारिय-रसेण भणियं तेण 'भो भो भरद-पुत्ता, लिद सारद इमिणा सुहासिएण लक्खे दाय' ति । तो सच्चेहि वि णयरी-रंग-जग णावर एहिं सनियं । 'अहो रसिलो सायरदत्तो, अहो वियो, 21 अहो दाया, अहो चाई, अहो पत्थावी, अहो महासत्तो' ति । एवं पसंसिए जगणं, तभ एक्केण भणियं खल-णायरणं 'सच्चे 21 चाई विडोय जइणियय-दुक्खज्जियं अत्यं दिण्णं, जइ पुण पुग्व-पुरिसज्जियं ता किं एत्थ परदव्वं तस्स | भणियं च । दुइ-सप-समनिषं जो भु-ले सो फिर पल इयरो चोरो विय वराओ ॥" 'जो देइ 24 एवं च गिसामिण समाजेहिं भणियं सन्देहिं द्वि-बंधवेहिं 'सबं सबं संत' ति भणमाणेहिं पुलइयं तस्य वयणं । 1 १८६) सायरो पुण तं च सोकण चिंति समारो। 'अहो, पेच्छ कहं अहं हसिनो इमेहिं । किं जुनं इमाण मम सि ं जे अहवा हि नहि, सुंदरं संलचे जहा 'जो बाहु-बल-समजियं अत्यं देइ सो सप्ताहिओ, जो पुण परकीय देइ सो किं भणड' ति ता सय्यहा ममं च अचार्य णत्थि वर्ण, वा उपहासो चेय आई' ति चिंततरस हियए सह पित्र 27 लग्गं तस्स । भवि य, J 1 ) " सोभो, P परिवज्जिओ P तोरणुको डिपागा द्दामरया. अबुमा राईदिया सुकु J om. कथं च से etc. to सागर स्तो। राणिय for वणिय, दारियं. 10 12) भूख परिणय for परिय P नयर चच्चरे. 17 ) P कुलज्ञ for कुलज:, Pom. कृतज्ञः, I रूपेश्वर्य, r सत्रपः सद्भागीबोलते, om. तेण P सायरदन्तेण adds च after भणियं, र भरह उत्ता, सायरयत्तं. 20 P सचेहिं नयरि, 21) दाता, P repeats अहो before महासत्तो, 1 जिगाणं for जणेगं, P तओ भणियं एक्केण नायर एणं. मणिअयं । जो. 23) इव for विय. 24 ) P एवं च नियामऊण्ड, P ति for second सच्चे उण, J om. (later struck off), P दूतिओ for हसिओ, P अम्हाणं for इमाण. 26 P परकियं. I adds or before वर्ण, हियसलं. 29 ) वाला, दुबावे. 31 ) J किंपि for किंचि, Jतीय, P दुमाणा विय. 32 ) 1 आगारससंवरणं, न किंचि, P adds आसि before महूसवं 18 ) P तस्य वा चमुत्र. 12 1 थेवं पि खुडइ हिय अवमाणं सुपुरिसाण विमलाण । वायालाहय-रेणु पि पेच्छ अच्छि दुहाबेइ ॥ २० वह बिते महत्यत्तणेण ण पवदियं आगओ घरं, विरइया देखा, उबगल सम्म उपवन व सिरीए अ इंगियायार-कुसलाए जहा किंचि उगो विय क्लीयर एसो पण पसरा य भणिओ ती 'अब्ज तुमं दुम्मणो विय लक्खीयसि' । तेण य आगार-संवरणं करेंतेण भणिय 'ण-इंचि, केवलं सरय-पोण्णिमा -महूसवं पेच्छमाणस्स परिस्समो 18 2 ) Pom य, J चरण, P रज्जसमा 3 ) J जंबूद्दीवे, P नगरी, केरिसी. 4 ) 5 ) Pom. महा. Pom. य. 6 ) P तीय उयरे, उवरे, P नवहं मासाणं, P "पुण्णाई m. adds after कर्य, महसेडिणा. 8) पुत टूल, च P पुत्तलंभअए P उववाइएहिं सागरदत्तो त्ति, P पंचधावी. 9 ) तओ for तो अइ for जाइ P जाई, J उपभोगाइ य दिण्णा, Pom. अणेय, P निबद्ध for शिद्ध, P कोलो for को य से कालो. 13 > P फुलिया निंबा ॥ Pom. व सरयकाले etc. to णिग्गओ जयरि. 15) P 19) P सागरदत्तो P ot.] य, 22 ) 25 ) P सागरदत्तो 24 27 ) P किं न भन्नउ, लक्खीयति P लक्खियति, Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ उजोयणसृरिविरइया [१८७1 जाओ, णित्रजामि' ति भणमाणो णिवण्णो । तत्थ य अलिय-पसुत्तो किं किं पि चिंतयंतो चिट्ठइ ताव सिरी पसुत्ता।। सुपसुत्तं च तं णाऊण सणियं समुट्टिओ। गहियं च एकं साडयं, फालियं च । एक णियं सिथ, दुइयं कंटे णिबद्ध । 3 गहियं च खडिया-खंडलयं । वासहर-दारे आलिहिया इमा गाहुल्लिया। अवि य, ___ संवच्छर-मेत्तेणं जइ ण समजेमि सत्त कोडीओ। ता जलिइंधग-जालाउलम्मि जलणम्मि पविसामि ॥ त्ति लिहिऊण णिग्गओ वास-घराओ । उवगओ णयर-णिद्धमणं । णिग्गयो तेण, गंतुं पयत्ते दक्षिण दिसिवहं । तं च । 6 केरिसं । अवि य, बहु-रयणायर-कलिओ सुरूव-वियरंत-दिच-जुवइ-जगो । विबुहयण-समाइण्णो सग्गो इव दक्खिणो सहइ ॥ तं च तारिसं दक्षिणावह अवगाहेंतो संपत्तो दक्षिण-समुद्द-तीर-संसिय जयसिरि-णाम महाणयरिं ।जा य कहसिया। कंचणघडिय-पायार-कंची-कलाव-रेहिरा, बहु-रयणालंकारिया, भुत्ताहार-सोहिया, संख-वलय-सणाहा, दिव्व-मउय-सण्ह-णियसण- 9 मलय-रस-विलेवण-णाणा-विहुल्लाव-वेयट्ठि-मगोहरा, चारु-दियवर-रेहिर-कप्पूर-पूर-पसरत-परिमल-सुयंध-धूव-मवमतुग्गार कक्कोलय-जाइफल-लवंग-सुयंध-समाणिय-तंबोल व्व णजइ वासय-सज्जा चिय पणइणि महासमुद्द-णायग-गहिय त्ति । अवि य, 12 विरइय-रयणाहरणा विलेवणा-रइय-सुरहि-तंबोला । उयहि-दइयं पडिच्छइ वासय-सज्जा पणइणि व्व ॥ १८७) तीय य महाणयरीए बाहिरुद्देसे एक्कम्मि जुण्णुजाणे रत्तासोयस्स हेट्ठा दूर-पह-सम-किलतो णिसण्णो सो वाणियउत्तो । किं च चिंति पयत्तो । अवि य, 15 किं मयर-मच्छ-कच्छव-हल्लिर-वीई-तरंग-भंगिल्ले । उयहिम्मि जाणवतं छोदणं ताव वच्चामि ॥ किं वा णिद्दय-असि-पहर-दारियासेस-कुंभवीढाए । आरुहिडं कुंजर-मंडलीऍ गेण्हे बला लच्छि । किं वा पयंड-भुय-सिहर-वच्छ-गिच्छल्लणा-रुहिर-पंक । अजं चिय अजाए देमि बलिं मंस-खंडेहिं ॥ 18 किं वा राई-दियहं अवहत्थिय-सयल-सेस-बावारो । जा पायालं पत्तो खणामि ता रोहणं चेय ॥ किं वा गिरिवर-कुहरे खत्तं खणिऊण मेलिउं जोए । अवहत्थिय-सेस-भओ धाउब्वायं च ता धमिलो ॥ इय हियउच्छाह-रसो अवस्स-कायव्य-दिण्ण-संकप्पो । जावच्छइ वणिय-सुओ किं कायव्वं ति संमूढो ॥ एवं च अच्छमाणेण दिवो एकस्स मालूर-पायवस्स पसरिओ पायो । तं च दट्टण सुमरिओ अहिणव-सिक्खिो खण्णवाओ। अहो, एवं भणियं खण्णवाए। मोत्तण खीर-रुक्खे जइ अण्ण-दुमस्स पायओ होइ । जाणेज्जसु तत्थत्थो अस्थि महतो व थोओ व्व ॥ पता अवस्सं अस्थेत्थ किंचि । ण इमं अकारणं । जेण भणियं धुर्व बिल्ल-पलासयो । केत्तियं पुण होज अत्थो। तणुयम्मि होइ थोवं थूलम्मि य पादवे बहुं अत्थं । रयणीए जल-समाणे बहुयं थोवं तु उम्हाले । ता थूलो एस पादवो, बहुओ अत्थो । ता किं कणयं किं वा रययं किं वा रयणे त्ति । हूं, 7 विद्धम्मि एइ रत्तं जइ पाए तो भवेज रयणाई । अह छीरं तो रययं अह पीयं तो भये कणयं ॥ के-दूरे पुण होज्जा अत्थो। जेत्तिय-मेत्तो उवरि तेत्तिय-मेत्तेण हेट्टो होइ । ण-याणियइ तं दव्वं पावीयदि एस ण व ति ॥ ना जइ उवरि सो तणुओ हेतु उण होइ पिहुल-परिवेढो । ता जाणसु तं पत्तं तणुए उण तं ण होज्जा हि ॥ ता ण दूरे, दे खणामि, देवं णमामो ति । णमो इंदस्त, णमो धरणिंदस्त, णमो धगयरस, णमो धणपालस्स' त्ति । तं, पढमाणेण खयं पएसं । दिट्ठो य णिही । दे गेण्हामि जाव वाया। अवि य, 1) Jadds (on the margin) य before सिरी, P पत्ता पत्ता पत्तं च तं नाऊ. 2) समुवडिओ, " साख्यि Pom. दुश्यं. 3)P च खंडिया खंडिया खंडियं, दारे य लिहिया. 4) | जाणि ". 5)। नियवास, पर निद्धवणं, Padds च after पयत्तो. 7) J सुरूस, P सयानो. 8) J तीरं, "संलय, भगह for गहा, नाम जाप क-सिया. " P पार for पायार, J रेहिर, I'लकारिय, J सोहिय, J सणाह, J ५उज for भउय, P नियंसण. 10) मणोहर, रेहिरं, P सुर्यवधूव, Pom. मघ. 11) कोलय, Jadds संग before लपंध, J सनागिय P संगाणिय, तंबोल च तंबोलंच, वासवसज्जा P वासयसन पिअपणागि, Jणायगह त्ति P नायगहियत्ति. 12) J रहिम for रश्य. 13) P जंनुज्जाणे, " हेतु. 14) P किंचि चिंतिउं 15) P कच्छह, P वीची, J भगिलं P भंगिलो, P उवहिमि, 'छोहणं. 16) " आरुड़ियं, P बलावली 1. 17) Pपयडी for पयंट, P निच्छणा, P अज्जए देमि, P मास for गंस. 18) Jintor.सेस and सयल, जो for जा. 19Jखेत्तं for खत्तं. 20P अवस्ल, P कायव्य त्ति संमूहो. 21) Pom. च, सालुर, Prapeats पायवरस पसरिओ, Pपादओ, P अहिणाव, खण्णवओ. 22) Pएत्तो for अहो, Jखण्णवाते । अविय संनुवाम मोरण. 23) J पातओ, P पाइयो, Pथोव्य. 24) Pतावरसं, पिपलासयोः विल्पलासाया, JP अलि. 25) थो, पादये । पायवे, रयणीय जलणमाणे, Jथो. 26)P पायवो, उ किं वा for ता किं, P ९. 27) J पाते P पाने, अलह for अब, पीतं. 28) Pदूरे उण होज, J अस्थि for अत्थो. 29) J जत्तियमेत्तो Pजेत्तियमेले, तत्तिय", Jण याणी- ति पावीयदि, दव्वं पावियमिगाइ तं दबंन वाव त्ति 30) Jहेदो, P जद for उण, P om. तं, ओयणं for उण, तण. 31) " om. देखणामि, I on. देवं णमामो त्ति, Jणंदस्स for इंदस्स, P धणयपालस्म for धणयस्थ मी घणपालरस, J पत lor त. 32)P पढमाए खयं,J om. य. Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला 1 जइ वि तए उबल झा रविखजइ चक्कटिया एला । गेण्ड्सु य भंड-मोल्लं थोयं चिव अंजली मेत् ॥ १८.) एवं च सोऊण गहिया एक्का अंजली रूबयाणं । णिही बि झत्ति पायाले अइंसणं गओ।णि चणेण कंठकप्पडे तं पुद्दलयं । तओ धितियं वणियउत्तेण । 'अहो, पेच्छ चवलत्तग देवस्स । अवि य, दाऊण ण दि चिय पुगो वि दाऊण कीस अक्खितं । महिला-हियय-गई विय देव-गई सव्वहा चवला ॥' तहा वि कयमगेण भंड-मोलं । इमेणं चेय समजिउं समस्यो है सत्त कोडीओ। अवि थ, ६ एण चेय अहं णटु-दरिदं कुलं अह करेज । विवरीय-सील-चरिलो जइ देयो होज मज्झत्यो । चिंतयंतो पविठो तम्मि महाणयरी-विवणि-मम्गम्मि । तत्थ य चोलंण दिडो एकस्मि आमम्मि वाणियओ परिणय-वओ मिऊ मदवो उजय-सीलो । तो दट्टण दिति । 'एस साहु-वणिो परिणओ य दीसइ । इमस्स विस्ससनीयस्त सम9 ल्लियामि' ति। उवामो तस्स सनी भणियं चण 'साप, पायवड' । रोण विपुल, दीहाऊ होहि ति। तेणं दिणं. आसणं णिसम्णो य । तम्मि जयरे सम्मि दियग्नि महसवो । तो बहुको जगो एह, जय सो परिणय-वओ जरा-जुण्णजजर-गत्तो ता दाउं पि पारे । तं च जण संघर्ट दहण भणियं इमिणा 'ताय, तुस अभितराओ णीहि भंड अहं 12 दाहामि जणा'। भगमागो दाउं पयतो । तओ एस खिप्पं देइ त्ति तं चेय आवणं सब्दो जनो संपत्तो, खणेण य 12 पेसिओ गोण अमूढ-लक्षेण । जाव थोव-वेला ताव विकीयाई भंडाई, महंतो लाभो जाओ । वणिएग चिंति । 'अहो, पुण्णवंतो एस दारको, सुंदरं होइ जइ अम्ह घरं बच्चई' त्ति चिंतयंतेण भणियं । 'भो भो दीहाऊ, तुम को आगओ'। 16 तेण भणिय 'ताय, चंपापुरीओ' रोण भणियं 'कस्सेत्थ पाहुणओ' । तेण भगिय 'सजगाणं ' । धेरण भणियं 'अहो, अम्हे 15 कीस सजणा ण होमो' । तेण भणियं 'तुमं चेय सजगो, को अण्णो' ति । तओ तेण वणिएण तालियं आमण, पयट्टो घरं, उवगो संपत्तो तत्थ य । तथ गियय-पुत्तरस व कयं पण सवलं कायव्यं ति । पुणो अभंगिय मदिय-उच्चत्तिय-मजिय18 जिमिय-विलित्त-परिहियरस सुह-गिसपणस्स उवहाधिया अहिणवुभिजमाण-पओहर-भरा जिम्मल-मुह-मियंक-पसरमाण-18 कवोल-कंतिचंदिमा विसदृमाण-कुवलय-दल-णयणा सव्वहा कुसुमबाण-चिय-पणइणि व्य तस्स पुरओ वणिएण णियय-दुहिय त्ति । भणिओ योण थेरेण 'पुत्त, मह जामाओ तुम होहि' ति । भणियं चोण 'ताय, अहं वयं कुठं गुणा सत्तं वा 21 ण जाव जाणह ताव भिषय-दुहियं समप्पेह तुमे । भणियं च थेरेग 'किं तए ण सु कहिं चि पढिज्जतं । अवि य, 2। रूवेण णजइ कुलं कुलेण सील तहा य सीटेण । णति गुणा तेहि मि णज्जइ सत्तं पि पुरिसाण ॥ ता तुह बिणय-रूवेहिं चेय सिट्ठो अन्ह सील सत्तादि-गुण-वित्थारो । सव्वहा एसा तुज्झं मए समप्पिय' त्ति । तेण भणियं । 24 'ताय, अधि भगियव्वं । अहं पिउहराओ णीहरिओ केण वि कारमेण । ता जइतं मह मिफण, तओ जे तुम भणिहिसि 24 तं सव्वं काहामि । अह चिय णस्थि ता जलग मह सरणं ति । एवं सब्भावे साहिए मा पडिबंध कारेह' । तेण भणियं एवं ववत्थिए किं तुह मए कायचं' । तेण भणियं 'एथं मह कायव्वं । पर-तीर-गामुयं इमिणा भंड-मोल्लेण भंडं गहियवं, जाणवत्ताइं च भंडेयब्वाइं, पर-तीरं मए गंतव्वं' ति । तेण भणिय 'एवं होउ' ति । तओ तद्दियहं जेय घेत्तुमारद्धाइं पर-तीर- 27 __ जोम्गाई भंडाई । कमेण य संगहि भंडं । सजियं जाणवत्त, गणियं दियह, ठाधियं लग्गं, पयट्टिया णिज्जामया, गहिया आडियत्तिया, संगहियं पाणीयं, वसीकय धणं । सन्चहा, 30 तिहि-करणभिम पसत्थे पसत्थ-णखत्त-लग्ना-जोयम्मि । सिय-चंदग-वास-धरो आरूढो जाणवत्तरिम ॥ 30 १८९) तत्थ य से आरतस्स पहयाई पडल्याई, पवाइयाई संखाई, पदिय बंभोहिं, जय-जय-मारियं पणइयण। तओ दक्खिऊण दक्खणिजे, पूइऊण समुद्द-देवं, अभिवाइऊण वणियं, जोक्कारेऊण गुरुया कव-जंगल-णमोकारो पयहो। 3 तओ चालियाई अवल्लयाई, पूरिओ सेयवडो, पयह पवण, लदो अणुकूलो पवगो, ढोइओ इ-मुहम्मि पडिओ समुद्दे । 33 1) रखवाहिगो, था, 'अंजामेति. 2) Pएका अंगुली सणाणं, adds | before झत्ति, Pom. from कंठकप्पडेपुट्टलयं etc.toसभीवं । भणियं च शेगा। (in line 9). 9) J दीहाउओ, Padds भणियं तेग, after होहि त्ति. 10) निसयो य । भिणो य । तमि य रे तमि य दियहे महूसबो, P जुरजुन्न- 11) P तेगे for ताणं, Pom. पि, " जणराईम, अनंतरामो जीणे. (?). 12) P आवणं for आनणं, Jom. य. 13) पेसिओऽणेण, र ताव स्विकीयाई P लोगो for लागो 14) सुंदर, Jom, ति, P के for कओ. 15) Pom. ताय पापुरीओ। तेण भणियं, Jom. अहो 16)। आवर्ण for आमणं. 17) ' om. तत्थ य, Jadds य before णियय, P निवयपुत्तस्स वरणेण कयं सयल, Jom. ति, Pom. गदिय. 18) Join. सुहाणिसरस, उबढपिया, पओइरभारा. 19) कुमुनुमाउवाण, दुदिया. 203 om. त्ति, " भणिोsोण, जाभाओ (उ) ओ तुम होहि, Jहो ति, तेण for णेग, Pअम्ह, र गण for गुणा. 21) P पडिज्जतं. 22) I सीलंग for सीलेण, ' तेहिं मिशिजइ. 23) दिट्टो P सिद्धा for सिट्ठो, P वित्थरो. 24) नीओ for णीहरिओ, P केणावि, ।' ow. ता, जिनं, J भणीहसि. 25)।कारेहि।, P एवं वस्थिए. 26) गामियं मिणी. 27) P च ताडेयम्बाई. 28) Ion. भंटाई, J गहि for गगिय, r om. गहिया. 29) Pाव्यत्तिया. 30) P जोग्ग for लग्ग. 31) Pom. य, पटवाई, कारियं, " पणईयणेण.32) वणिए, 33) P आपल्याई, अणुकूलओ, P पडिसमुद्दे. 14 Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया । १८९। ताव य गर्नु पयतं पवहणं अणेय-मच्छ-कच्छह-भगर-करि-संघट्ट भिजमाण वीई-तरंग-रंगत-विद्दग-किसलए समुद्द-मज्झम्मि । थोएणं चेय कालेण संपत्तं जवण-दीवे तं जाणवतं, लग्ग कूले, उत्तारियाई भंडाई, दिण्णं सुंकं । विणिवट्टियं जहिच्छिएण ३ लाहेण गहियं पडिभंडं । तं च केत्तिय । अवि य, मरगय-मणि-मोत्तिय-कणय-रुप्प-संचाय-गडिभणं बहुयं । गण्णण गणितं अहियाओ सत्त-कोडीओ॥ तओ तुलो सायरदत्तो । 'अहो, जह देवस्स रोयइ, तो पूरिय-पइजो विय अजाओ' ति चलिओ य तीर हुतं । तत्थ य 6 चालथाई जाणवत्ताई, संपत्ताई समुह-मज्झ-देसम्मि । तत्थ य पंजर-पुरिसेण उत्तर-दिसाए दि एकं सुप्प-पमाणं । कजल-कसिण मेह-पडलं । तं च दट्टण भणियमगेण । 'एयं मेह-खंडं सब्बहा ण सुंदरं । अवि य । कजल-तमाल-सामं लहुयं काऊण परिहवावडियं । वढत देइ भयं पत्तिय-कण्हाहि-पोयं व ॥ 9 ता लंबेह लंबणे, मउलह सेयवर्ड, ठएह भंड, थिरीकरेह जाणवतं । अण्णहा विणट्टा तुब्भे' ति । ताव केरिसं जायं ति। ! अवि य, ___अंधारिय-दिसियकं विजजल-विलसमाण-घण-सई । मुसल-सम-वारि-धारं कुविय-कयंतं व काल-घणं ॥ 12 तं च तहा वरिसमाण दट्टण आउलीहूया वणिया । खगेण य किं जायं जाणवत्तस्स । अवि य, गुरु-भंड-भार-गरुयं उवरि वरिसंत-मेह-जल-भरियं । युण्ण-विसण्ण-परियणं झत्ति णिबुटुं समुम्मि ॥ तत्थ य लो एको वाणिय-पुत्तो कह-कह वि तुंग-तरंगावडगुब्योलं करेभागो निरिक-तेल-कुरुंठीए लग्गो । तत्थ य वलग्गो 15 हीरमाशो मच्छेहिं, हम्मंतो मयरहि, उल्लिहिज्जमाणो कुम्म-णक्खेहि, विलुलिजमाणो संखउलेहिं, अण्णिजमाणो कुंभीरएहिं, 15 फालिजमाणो सिंसुमारेहिं, मिजतो जल करि-दत-मुसलेहिं, कह-कह वि जीविय-मेत्तो पंचहिं अहोरत्तेहिं चंदद्दीव णाम दीवं तत्थ लग्यो। त्थ कह कह पि उत्तिण्णो । पुणो मुच्छा-चिणिमीलंत-सोयणो णिसण्णो एक्कस्स तीर-पायवस्स अधे समासत्थो। 18 तओ उट्ठाइया इमस्स छुहा । जा य फेरिस। । अवि य।। 18 चिण्णाण-ख्व-पोरस-कुल-धग-गव्वुत्तगे वि जे पुरेसा । नेवि करेइ खगेण खलयण-सम-सोयणिजयरे ॥ ६१९०) तओ तारिसाए छुहाए परिगओ समुडिओ तौर-तरुयर-तलाओ, परिभमिउं समाढत्तो तम्भि चंददीवे ।। 2 केरिसे । अवि य, 21 बउलेला-वण-सुहए गिम्मल-कप्पूर-पूर-पसरम्मि । अवहसिय-गंदणा किंगरा वि गायति संतुट्ठा ॥ वच्छच्छाशोच्छहए छप्पय-भर-भमिर-सउण-पउरम्मि । कय-कोउया वि रविणो भूमि किरणा ण पार्वति ॥ 24 तम्मि य तारिसे चंददीवे गारंग-फणस-माउलुंग-पमुहाई भक्खाइं फलाई। तो तं च साहरिऊण कय-पाणाहुई दियसंत-24 कोउओ तम्मि चेय विधरिडं पयत्तो । भममाण य दि एक्कम्मि पएसे बहु-चंदण-वण्ण-एला-लवंग लयाहरयं । तं च दट्टण आबद्ध-कोउओ संपत्तो तमुद्देस, जाव सहसा गिसुओ सहो कस्स वि।सं च लोऊण चिंति पयत्तो । 'अहो, सद्दो विय 27 सुणीवइ । कस्स उण होहिइ त्ति । जहा फुडक्खरालाबो वहा कस्स वि माणुसस्स ण तिरियस्स । ता किं पुरिसस्स किं वा 27 महिलाए । तं पि जाणिवं, ललिय-महुरक्खरालावत्तगोण णायं जहा महिलाए ण उण पुरिसस्स । ता किं कुमारीए आउ पोढाए। पिणायं, सलजा-महुर- पिओ साह-सुकुमारत्तोग अहो कुमारीए ण उण पोढाए । ता कत्थेत्थ अरण्णम्मि 30 मा गुस-संभयो, विलेसओ बाला-अबलाए ति । अहया अहं चिय कत्थेत्थ संपतो । सव्वहा, जण कहासुचि सुबइ सुवि वि ण दीसए ण हिययम्मि । पर-तत्ति-तग्गएणं तं चिय देव्येण संघडिय ।' चिंतयोण शिरूत्रि जाव दिदा कयलि-यंभ-गिउब-अंतरेण रत्तासोपस्स हे अप्पडिरूव-दंसगी सुरूवा का चि कग्णया 33 वणदेवया विय केट दिण्ण लया-पासा । पुणो वि भणियमणाए । अवि य । 30 1) मयर, J गत for रंगंत. 2) J -दीवे P दीवं, P adds कलियाई before दिi, Poin. विणियाट्रियं etc. to अवि य. 4) P विधाय for मरगयमगिमोत्तयकायरुप्पसंबाय. 5) Pom. तुट्टो, पुरिपइण्णो विअई,Pom. A before तीर. 6) om. मज्ज्ञ, P पंजयपुरिसेग, गुप्यमाणं. 7)P खंडं for पडल, P भाभियंऽणेण. 8)" साणं for मागं, ३ वटुंतं, किण्वाहि, J बोअम्ब for पोयं व. 9) माउले सथवडे, P तह for ताव, Pom. ति. 11) ' विजुल, पसल for धणस, Pom. मसठ. 12) Prevent a वनिया, Pom. य after खणेण. 13) J पण्ण for तुण्ण, 14) Pom. after गस्थ, पणियउत्तो, 'तुंगतहमानोलं, Pकुरंटीप. 15) Pहरमाणो मच्छहि, विलिज्जमाणो. 16) J सिमारेहिं, Pारकारेहिं का, पंचेंटिं, P चंददीवं, Jणापदी. 17) Padds य after तत्थ, पुण्णो, P अहो for अधे. 18) Jउद्धाश्या. 19) ।' सोयाणिजापरे. 20) संमिददीको केरिसो.22) Jउबलेला चउलेला, P कप्पूइपर, किण्णरादि किन्नरावे. 23वत्याछा", "पाति. 24) बददीवे नारिंग, भक्लियाई, Pच आहारिऊण, P वियसंत मियचेय. 25) भगाणेण याट्रिदिपकगि ५.मि, बहु, चंद्रण for वण. 26/paddsiafter जाक, P समुद्दो for सदो विध. 27) Jणीयदि सणियर, Jalds य after जहा, P om. ण तिरियरस, Jom. या. 28) Pतं मि for तं पि, rom. णा before जहा, 'om. उण, 'ताओ tor ता. 29) J सेलज्जा, P सलिलायमहुर भिओस कुमार , J पिउसण्ड, P तो for उण. 31) Jण्ण ।' जन्न. 32) J थंभणिरूविनरेगा रत्तासोअहेट्रो, P-विउरुंब, P°रूयंदसणीयरूवं किंपिकाणणवणदेवयं 33)लया एसा, Pon. अधिया Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७ म 15 -९१९१] कुवलयमाला 1 'भो भो वगदेवीओ तुब्भे वि य सुणह एत्य र गम्मि । अमम्मि वि मह जम्मतरम्भिमा एरिसं होज ॥' त्ति भणतीए पक्खित्तो अप्पा । पूरिओ पासओ, णिरुद्धं णीसासं । अग्ववियं पोर्ट, जिग्गयं वयगेण केण, णीहरियाई अच्छियाई, 3 संकुइयं धमणि-जालं, सिढिलियाई अंगाई। एत्थंतरम्मि तेण वणियउरोण सहसा पहाविऊण तोडिय लथापासं । गिवडिया 3 धरणियले । दिगणो पड-वाऊ। अहिणव-चंदग-किसलय-रसेग विलितं वच्छयलं । संवाहिओ कंठो । सटाणं गयाइं अच्छियाई । ऊससियं हियएणं । पुलइयं णयहिं । लद्ध-सण्णाए दिहोणाए य वणियउ तो। तं च ददृण लज्जा-सज्झसवसावणय-मुहयंदा उत्तरिजयं संजमिउमाढत्ता । भणिया य गेण । _ 'किं तं चम्मह-पिय-पणइणी सि किं होज का वि वण-लच्छी । दे साह सुयणु किं वा साहसमिणमो समाढतं ।।' तीए भणियं दीहुण्हमूससिऊणं । 9 ‘णाई हो होमि रई ण य वणलच्छी ण यावि सुर-धिलया । केण वि वुततेणं एत्थ वणे माणुसी पत्ता ॥' तेण भणियं 'सुयणु, साहसु तं मह वुत्तंतं जइ अकहणीयं ण होइ' । तीए भणियं 'अस्थि कोइ जणो जस्स कहणीय, जस्स य ___ण कहणीय' । तेण भणियं 'केरिसस्स कहणीय' । तीए भणियं । 12 'गुरुदिण्ण-हियय-वियणं किं कायव्वं ति मूढ-हियएहिं । दुक्खं तस्स कहिजइ जो कडइ हियय-सल्लं व ॥' सायरदत्तेण भणियं । __ 'जइ अहिणव-गजंकुर-सिण्हा-लव-लग्ग-चंचलयरेण । जीएण किंचि सिज्झइ सुंदरि ता साह णीसंकं ।' 15 तीए भणियं 'वोलिओ सव्वो अवसरो तस्स, तह वि णिसामेसु । १९१) अस्थि दाहिण-मयरहर-वेलालग्गा सिरितुंगा णाम णयरी । तीय य वेसमण-समो महाधगो णाम सेट्री । तस्स य अहं दुहिया अच्चंत-दइया घरे अणिवारियप्पसरा परिब्भमामि । तओ अण्णम्मि दियहे अत्तणो भवण-कोट्टिम18 तलम्मि आरूढा गिसण्णा पलं कियाए दावसमुवगया । विउद्धा अय-सउण-सावय-सय-धोर-कलयल-रवेण । तओ18 पबुद्धा णिद्दा-खएणं तत्थ हियएण चिंतेमि । 'किं मणे सुमिणओ होज एसो' त्ति चिंतयंतीए उम्मिल्लियाई लोयणाई । ताव य अगेय-पायव-साहा-णिरुद्ध-रवि-किरणं इभं महारण, तं च दट्टण थरथरेत-हियविया विलविरं पयत्ता । 21 'हा हा कत्थ गिरासा ताय तए उज्झिया अरण्याम्मि । हा कत्थ जामि संपइ को वा मह होहिइ सरणं ॥' ति। । एत्यंतरम्मि 'अहं तुह सरण' ति भणमाणो सहसा दिव्य रूवी को वि समुटिओ पुरिसो लयाहराओ । तं च पेच्छिऊण। दुगुणयर-लज्जा-सज्झसावणय-वयणा रोइउं पयत्ता । सो य पुरिसो में उवसप्पिऊण भणिउमाढत्तो । अवि य, 24 'मा सुयणु किंचि रोवसु ण किंचि तुह मंगुलं करीहामि । तुह पेम्म-रसूसव-लंपडेण मे तं सि अक्खित्ता॥' तीए भणियं को सि तुम, किं वा कारणं अहं तए अवरिहय' त्ति । तेण भणियं । 'अस्थि चेयड्ढो णाम पव्ययवरो । तस्स सिहर-णिवासिणो विजाहरा अम्हे गयण-गोयरा महाबल-परकमा तियस-विलयाणं पि कामणिज्जा । ता मए पुद्दइ-मंडलं 7भममाणेण उवरि-तलए तुम दिट्ठा, मम हियए पविट्ठा । विज्जाहरीणं पि तुमं रूविणि त्ति काऊण अवहरिया । अहवा 27 किं रूवेण । सव्वहा, सुंदरमसुंदरं वा ण होइ पेम्मस्स कारणं एयं । पंगुलओ वि रमिजइ वजिजइ कुसुमचावो वि ॥ 1 सो ञ्चिय सुहओ सो चेय सुंदरो पिययमो वि सो चेय। जो संधी-विग्गह-कारिणीऍ दिट्ठीए पडिहाइ ॥ ता सुंदरि, किं बहुणा जंपिएण । अभिरमइ मे दिट्टी तुमम्मि । तेण पसुतं हरिऊण संकेतो गुरूणं ण गओ विज्जाहर-सेदि । एत्थ उयहि-दीवंतरे णिप्पइरिके समागओ त्ति । एवं च टिए रमसु मए समयं' ति । तओ मए चिंतियं । 'अव्वो, इमे ते अविजाहरा जे ते मह सहीओ परिहासेण भणंतीभो, मा तुमं विजाहरेण हीरिहिसि । अहं च कण्णा, ण य कस्सइ दिण्णा । 33 पुणो वि केणइ लक्खवइएण किराडएण परिणेयव्वा । ता एस विजाहरो सुरूवो असेस-जुयइ-जण-मणहरो सिणेहवंतो य 30 1) " om. one भो, P तुम्हे निरणेह, " om. अण्णम्मि वि मह, J होज्जा. 2) J om. ति, P पोट्टम् , I वयणेण हेणं P क्यणे फेगं, अत्थीया. 3) " धवणि, P पढाविऊण. 4) P धरणितले, P पडिवाओ, P ररेणय for रसेण, J संठाणं. 5) P लोयाणाई for अच्छियाई, P पुलोइयं अच्छीहिं, I adds अ ।। before दिट्टो, Pou.. णाए. य. 6) P adds अवि य after tण. 7) P किं त मह, कह वि for का वि, F साहसु किं. 8) J तीअ, P दी कुणं ऊससिएणं. 9) Pom.हो, Padds केण विलया before केण रि. 10) Pसुयण, तीय, Pom. कहणीयं जस्स य. 11तीअ for तीए. 12) J दिगविअणहिअयं किंकायचं. 14) P गज्जंकुरु. 15) Jतीय. 16) P नगरी, P om. गाम, Padds वेसमणो नाम after सेट्ठी. 17) Jom. य, P परिभामि. 18) J यलंमि, P निदावसं उवगया, P adds य before अणेय, ' साव for सावय, ब.ललरवेण, J तओ झस त्ति गयं हि अवरण तत्थ. 19) J किमणे, होज्जा एसन्ति. 20) o). A, थरथरत. 22) P आ for अहं. 23) J दुगुणपर, P वरणा, J रोवि,Jom. मं, P भणिउं समा. 24) नि, लोढणसं सि पविख. 26) J महाबला. 27) J (perhaps) तुनं दिवा तुम च भग, Pए वणि, I om. अवहरिया. 29) Pom. मुं गु लिमो.30P चेय, य for वि.31) Pअहिरम दिट्ठी.32) Pनिप्पइरके, Pच ही", J ndds मप (Inter) after मितिय, P इमो ते. 33) P हीरशसि, P नइ for णय. 34) केणइ वा लक्खएण, P सरूवो. Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८ उज्जोयणसूरिविरइया [$१९१ 1 मं परिणेइ, ता किं ण लहूं' ति चिंतयंतीए भणियं मए । 'अहं तए एत्थ अरण्णे पाविया, जं तुह रोयइ तं करेसु' ति । तभो हरिस ब्भिरो भणिडं पवत्तो 'सुयणु, अणुग्गिहीओ म्हि' न्ति । प्रत्थंतरम्मि अण्णो कट्टिय मंडलग्ग भासुरो खग्ग-विज्जाहरो 3 अरे रे जग करथ यचसे ति भगवान पहरे पत्तो त यो वि दो अणुविग्गो कट्टिऊण मंड समुडिओ | भणियं च ग 'अरे दुदु दुब्बुद्धि कुविजाहर, दुग्गहिर्य करेमि तुह इमं कृष्णये' ति भणमाणो पहरि पथतो वो पहरंतान व गिय-असिवाय खणलगा-शोण वहिरिति द्विस- एवंम् सम-धाि 6 गया दो वि विजाहर जुवाणा । खगेण य लय-सीसा दुषे वि विडिया घरभित्र । सेय मुदगुणं गुरु- दुक्ख क्खित्त- । हियविया विलविडं पयत्ता | अवि य | गल को मोनुं रणे ॥ भव परं व मेसु ॥ 1 I हा सामिव गुण- णिहि जिव-गाह शाह वाह सि क अत्येक पराभरणे सोसण एवं एहि मा दयं वचसु तु १९२ ) पूर्व विलवाणी व से जो गुनसो कह पाये देइ ति । तत्रो दीण-विमणा संभम-यस-वियाँ जीविय - पिया इमामो दीवानो गंतु यचसिया परिभामि सव्यय भीमो जलनही तीरए लंबे जे तो मए 12 चिंतियं । 'अहो, मरियध्वं मे समावडियं एत्थ अरण्णम्मि । ता तहा मरामि जहा ण पुणो एरिसी होमि' त्ति चिंतिऊण 18 विरइओ मे इमम्मि लयाहरम्मि लया- पासो । अत्ताणयं च मिंदिउँ, सोइऊण सब्व-बुयण-परिणिदियं महिलिया - भावं, संभरण कुलहरं पगमिकण तार्य अम्मयं च एत्थ म अत्ता भोवति । एवंतरस्मि णयाणामि किं वर्ष व 15 तु तो पडेल दिसि तुमं पुण कामे 'ति साहियं च विनंती सागरदन पइष्णारु 15 जागवत-बिच तितो तीए भणियं एवं इस विकले किं संपर्क करणी' ति सायरत्रेण भणिये । 'जह होइ कलित कर पर्व च गणो वह वि पगा-भंगे सुंदर ण करें] सम्पुरिमा ॥' 18 सीए भणियं केरियो तु पण्णा-भंगो' सागरदतेण भणियं । । "संबर-मैसेज ण समनेमि सत्त कोडीओ तालिम जलणमि पविसामि ॥ 1 मर्म च एवं समुद्र-नशे भ्रममाणस्स संपुण्णा एकारस जाया अवष्णो एस दुवासभा मासो इमिणा एकूण मालेग 121 कहे पुण कोटी समगि अह समजियाओ नाम कई घरं पामि गाई सुदर भट्ट-पट्टष्णो जामो ण य 21 भट्ट - पण्णस्स मज्झ जीविर्य ति । ता जलगं पविसामि' ति । तीए भाषेयं 'जइ एवं, वा अहं पि पविसामि, अण्णेसियउ जल' ति । भणियं च तेण 'सुंदरि, कहं तुह इमं असामण्णं लायण्णं भगवं हुआासणो विणासिहिइ' । तीए भणियं । 'हूं, सुंदरमसुंदरे वा गुण-दोस- विचारणम्मि जबंधा । डहक्क-दिण्ण-हियओ देव्वो स्यणो य जलोय ॥ 1 वाम विकमेव रणम्मि काव' तो 'एवं' ति भणिऊण मग्रिं समाहत्ता हुवास दिडो व एवम पसे बहु स कुगासंग-संसग्गसंघागि पसरलो बहलो घुमुप्पीलो पत्ता य तं पएसं गहिवाई कटाई रहया महा27 चित्ती, लाइओ जलणो, पज्जलिओ य । केरिसा य सा चिई दीसिउं पयत्ता | अवि य, णिन्द्धूम-जलण-जलिया उबरिं फुरमाण- मुम्मुर कराला । णजइ रयणम्फसला तात्रिय-तवणिज्ज-णिम्मविया । तं च तारिसं चियं दट्टण भणियं सागरदत्ते । 'भो भो लोयपाला, सुिह । न 30 1 संवच्छर-मेरो जण श्रमनेमि सत्त कोरीओ वा लिन जलाउन जरुम्मि पविसामि ॥ एसा मए पढष्णा गहिया णु घराओ णीहरण । सा मज्ज्ञ ण संपुष्णा तेण हुयासं समुल्लीणो ॥ ' सीए विभवियं । 33 ' दइगुण परिवत्ता प्राया-पिइ-विरहिया अरण्णम्मि । दोहग्ग-भग्ग-साणा तेणाहं एत्थ पविसामि ॥' ति भणमाणेहिं दोहि विदिण्णान संपाओ तम्मि चिवाणले । 24 9 18 24 P कट्टिऊण 4 ) J कुव्विज्जाहर, इअं for इमं 1 ) ममं for मं, चिंतयतीय, I om. ए. 2 > Pमि for हि, om. अगो, P कढ़िय. 3 ) P रे for अरे, ततो सो माणा 5 पत्ता, ग्वायखणखणारत्रेण, खण्डचण्डि । खंडाखंड. 6 ) P विज्जाहरा । खशेण, P खित्तहियविय 8 ) P जियनाम मात्ति P om. one कत्थ गयो. 9 ) । इन्हि, 10 ) Pom. य में, पडिसलावं, विवसजीविआ इमाओ. 11 > महाजलही for जल मिट्टी. P से for मे, P व्याहरसि पासो, Pom. च, P निंदिऊ सोऊग. 14) P अंब for अम्मायं चेअ. 13) भणियं न निययवत्तंतं सायरते. 16 J तीय, Pom. किं, Jom. ति, सायरयत्तेण. 17) तीय, पन्ना मंत्री, सायरयतेग. 19 ) P जाणि. 20 J for मयं एत्थ for एवं 3 adds P om. एस. 21 ) कह घरं, P as for णय. 22) P om. भज्झ, P पविस्थापि तीय अन्नेसीय - 23 ) चलो ति, तुगं for तुछ, P भगवं जयसेणो, विगेसेहिति, तीय, हुं. 24 ) दहक्क. 25 ) समादत्तो य ए. 26 ) कु. संसग्ग, P "यगी, महावीई. 27 विनी बी.ई. 29 सायद तेण ग्लोबवास- 30 ) ताजालिबणजापि जणे पविस्तामि 31 ) Pom. वि. 33 ) P दइणं परिचता मायापिय रोगगाणमगा, P adds तेगा before 12) Jom. gitगए. अत्ता उबंधे ति. 15) " भेरुं, वरंचि 18) before मासा, णिसी अतु P सुंदरं, जबंधो। 28 ) । मुम्मेर समलीणो. 32 ) दोहिंग दिखाओ. J संपन्ना तेग हुयास गाई 34 ) 27 30 33 Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६१९४] कुवलयमाला ६१९३) तओ करिसा य सा चिई जाया। अवि य, दीहर-मुणाल-णालो वियसिथ-कंदोदृ-संड-चंचइओ। जाओ य तक्खणं चिय बर-पंकय-सत्थरो एसो॥ तं च दहण चिंतियं सायरदत्तेण । 'अहो, किं होजण्ण जम्मं किं वा सुमिग इमं मए दिटं । किं इंदयाल-कुहयं ज जलगो पंकए जाओ ॥' एत्थंतरम्मि, मणि-पोमराय-घडियं कणय-महाखंभ-णिवह-णिम्मवियं । मुत्ताहल-ओऊलं दिलं गयणे वर-विमाणं ॥ तत्थ य, वर-कणय-मउड-राहो गंडस्थल-घोलमाण-रयणोहो । लंब-वणमाल-सुहजो महिडिओ को वि देव-वरो॥ तेण य संलत्तं दर-हसिय-वियसमाणाहर-फुरंत-दंत-किरण-धवलिय-दिसिवहं 'भो भो सागरदत्त, किं तए इमं इयर-जणजिसेवियं बुहयण-परिणिदियं अप्प-वहं समाढतं ति । अनि य, दोहग्ग-भग्ग-भग्गा पइयो अवमाण-गिवडिया दुक्खे । लहुय-हियया वराई णवर इमं महिलिया कुणइ । तुज्झं पुण ण जुत्तं एरिसं ति । अह भणसि 'सस कोडीओ पइण्ण' त्ति, ता तं पि किं ण बुज्झसि सग्गे वसिऊण वर-विमाणम्मि । अम्हेहि सम सुहिओ चउहिं पि जणेहिं सोहम्मे ॥ तत्थ तए ककेयण-इंदणील-मणि-पोमराय-रासीओ । पम्मोक्कामुक्काओ कोसाहारो इमेहिं पि ॥ ता गेण्ह तुम णाणं सम्मत्तं चेय जिणवर-मयम्मि । पंच य महव्वयाई इमाओ ता सत्त कोडीओ ॥ अह इच्छसि किंचि धणं गेण्हसु तिगुणाओ सत्त कोडीओ। आरुह विमाण-मज्झे घरं पि पावेमि ता तुरियं ।' इमं सोऊण तं च देव-रिद्धिं णिएऊण ईहापूह-मग्गण-गवेसणं कुणमाणस्स जाई-सरणं समुप्पणं । णायं च जहा । अहं सो 15 पउमप्पहो, एत्थ चविऊण उप्पण्णो । एसो उण पउमसरो भणिओ य मए आसि जहा 'तए अहं जिणवर-मग्गे संबोहेयचो' । तं संभरमागेण इमिणा अहं मरणाओ विणियट्टिओ त्ति । 'अहो दढ-पइण्णो, अहो कओवयारी, अहो सिणेह-परो, अहो पेम्म-मइओ, अहो मित्त-वच्छलत्तणं । अवि य । 18 जीवत्तणमिम मणुओ सारो भणुए वि होइ जइ पेम्मं । पेम्मम्मि वि उवयारो उवयारे अवसरो सारो ॥' त्ति चिंतयंतेण पणमिओ शेण । तेणावि भणियं 'सुटू सुमरिओ से णियय-पुव्य-भयो' । भणिय च सायरदत्तेण 'अहो रक्खिओ अहं तए संसार-पडणाओ । अवि य, 21 __जइ जलणमि मरतो अट्टज्झाणेण दोग्गई णीओ। अच्छउ ता जिणधम्मो मणुयत्तणए वि संदेहो ॥ ता सुंदरं तए कयं । आइससु किं मए कायब्वं' ति । तेण भणियं 'अज वि तुह चारित्तावरणीयं कम्म अस्थि, तं भुजिऊण संजमो तए कायवो' त्ति । ता कुमार कुवलयचंद, जो सो सागरदत्तो सो है। तओ समारोविओ तेण विमाणम्मि । 24 गहिया य सा मए बाला । आरोविया विमाणम्मि एकवीसं च कोडीओ। तओ तम्मि य विमाणवरे समारूढा संपत्ता खगेणं चेय जयतुंगे नयरिं । तत्थ जग्णसेहिणो घरे अवइगणा। परिणीयाओ दोषिण वि दारियाओ मए । तओ विमाणारूढा गया चपा-पुरवरि । बहु-जण-संवाह-कलयलाराव-पूरंत-कोऊहलं अवइण्णा घरम्मि । पूइआ अग्घवत्तेणं । वंदिओ 27 गुरुयणो। १९४) तओ देवेण भणियं । 'भो भो, तुझं दस-वास-सहस्सं सव्वाऊ, तओ तिण्णि वोलीणाई, पंच य भोए भुंजसु, दुवे वास-सहस्साई सामण्णं पालेयव्यं' ति भशिऊण जहागय पडिगओ इमो सो देवो । मए वि उवठ्ठावियाओ 30 एक्कवीसं कोडीओ गुरूणं । तओ द्धि-बंधूहिं सहिओ तिहि य सुंदरीहिं भोए भुजिऊण, पणइयणं पूरिऊण, णिविण्णकाम-भोओ जाणिय-परमत्थो संभरिय-पुव्वजम्मो सुमरिय-देव-वयणो विसुज्झंत-चारित्त-कंडओ बेरग्ग-मग्गालग्गो पूइऊण अरहंते, वंदिऊण साहुणो, संविऊण बंधु-वग्नां, माणिऊण परियण, संमाणिऊण पणइयगं, अभिवाइउण गुरुयण, दक्षिण विप्पयणं, पूरिऊण भिचयण, सव्वहा कय-कायव्व-वावारो धणदत्त-णामाणं थेराणं अंतिए अणगारियं पव्वज्जमुवगओ। तत्थ य किंचि पदं तरिय-सयल-सत्थत्थो थोएणं चेय कालेणं गहिय-सुत्तत्थो जाओ । तओ तव-वीरिय-भावणाओ भाविऊण एक्कल्ल 1) " om. अवि य. 2) उ संदचे नइओ सिंडचिंबईओ. 3) J साथरयत्तण. 4) P अन्नजमो. 5) p inter. पोग and गणि, J मुत्तादलऊजणदिएं, P मुत्ताफलओ व लंगयणे दिवंबर. 6) P हारो for राहो. 7) J सायर दत्त. 8) "सिवियं बहुयण, अपव्वह. 9) P भग्गलग्गा, P अत्रमाणणाहि निव्वडिया ।. 10) तज्झा पुत्त .111 किमिन, मि for दि. 12)J पम्मोकं for मुकाओ, मि for पि. 14) J तिउणाओ. 15) adds च after हां, कुणरस for कुगमाणस. 16) Pइऊण. 17) Jadds वि before विणियटिओ. 18) " पेममः ओ. 19) 'जीअत्तणम्मि, " सामे for सारो, सारो हि ।।. 20) Pom. त्ति, मए for ते, J सायरयत्तेण. 22) 'दोग्गरी, and 'ती for ता. 23) Pए for तए, P। अइसनु. 24) Pom. तए, J सागरयत्तो, Jadds य before तेण. 25) Pom. य. 26) P inter. चेय & खणणं, तुंगनयरिं, P जुन्नसेट्टियो, J अवइण्णो. 29) P तुभं for तुजा । सहस्सा सम्बाउं, Poin. य. 30) " साहिं for 'सामj, Pom. पालेयब्धं etc. to तिहि य सुंदरीहिं. 31) P पूरियणं. 32) P करो, गग्गल गगो.33) P संठाविऊ, P बधुयणं for परियणं, J सम्माणिऊण य पणश्यणं दुविखऊण विणयां अभि', ' दिविसऊ. 34) J विपर्ण, J पूइऊग, धणउत्त, J om. य. 35) P सव्वत्थो. Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला 1 1 अहो कारुगियत्तण, अहो कओवयारित्तण, अहो णिकारण-वच्छलत्तगं, अहो सागुम्गहत्तणं भगवओ । भगवं, सञ्च-जग- 1 जीव-वच्छल, महंतो एस मे अणुग्गहो कओ, जेण अवहारापिऊण सम्मत्त मह दिणं ति । ता देसु मे महा-संसार-सायर3 तरंडयं जिणधम्म-दिक्खाणुग्गह' ति । मुणिणा भणियं । 'कुमार, मा ताव तूरसु । अज वि तुह अस्थि सुह-चेयणिज भोय- 3 फलं कम्मं । तो तं णिजरिय अणगारियं दिक्ख गेण्हहिह त्ति । संपयं पुण सावय-धम्म परिवालेसु' त्ति । इमं च भणिओ कुमार-कुवलयचंदो समुदिओ । भणियं च ण । 'भगवं णिसुगेसु, 6 उपह-पलोट्ट-सलिला पडिऊलं अविवहेज सुर-सरिया। तह वि ण णमिनो अण्णं जिणे य साह य भोत्तण : अण्णं च । । हंतूण वि इच्छंतो अगहिय-सत्यो पलायमाणो वि । दीर्ण विय भासंतो अवस्स सो मे ण इंतवो ॥' भगवया भणियं 'एवं होउ' त्ति । एत्तियं चेय जइ परं तुह णिव्वहई' ति। उवविठ्ठो य कुमारो । भणियं च मुणिणा । 9 'भो भो मइंद, संबुझो तुम । गिसुयं तए पुष्व-जम्म-वुत्ततं । ता अम्हे वि तुम्ह तं वयणं संभरमाणा इहागया। ता 9 पडिवजसु सम्मत, गेगहसु देस-विरई, उज्झसु णिसंसत्त, परिहर पाणिवह, मुंचसु कूरत्त, अवहरेसु कोवं ति । इमिणा चेय दुरपणा कोवेण इमं अवत्थंतरं उवणीओ सि । ता तह करेसु इमो कोवो जहा अण्णम्मि वि भवंतरम्मि ण .2 पहवई' ति । इमं च सोऊण ललमाण-दीह-गंगूलो पसत्त-कण्ण-जुयलो रोमंच-वस समूससंत-खधरा-फेसर-पब्भारो समुट्टिओ 12 धरणियलाओ, णिवडिओ भगवओ मुणियो चलण-जुयलयम्मि, उवविठो य पुरओ। अदूरे कय-करयलंजली पञ्चक्खाणं मग्गिउं पयत्तो । भगवया विणाणाइसएण णाऊण भणियं । 'कुमार, एसो मयवई इमं भणइ जहा । महा-उवयारो को 5 भगवया, ता किं करमि । अम्हागं अउण्ण-मिम्मियाणं णस्थि अणवजो फासुओ आहारो। मंसाहारिणो अम्हे । ण य कोइ । उवयारो अम्ह जीविय-संधारणेणं । ता ण जुत्तं मम जीविउ जे । तेण भगवं मम पञ्चाहिक्खाहि अणसणं ति ।' 'इमं च भो देवाणुप्पिया, कायव्वमिण जुत्तमिग सरिसमिग जोग्गमिगं ति सव्वहा संबुद्ध-जिणधम्मस्स तुज्झ ण जुज्जइ जीविजे' 8 भणमाणेण मुणिणा दि अणस । तेणा पडिवणे विणओणभंत-भासुर-वय । गंतूण य फासुए विवित्ते तस-थावर- 18 जंतु-विरहिए थंडिल्ले उववियो। तत्थ य माणसं सिद्धाण आलोयणं दाऊण पंच-णमोकार-परायणो भावेतो संसारं, चिंतेंतो कम्म-वसयत्त, पडिवज्जतो जीव-दुस्सीलत्तणं अच्छिउं पयत्तो। १ ९६) भणियं च कुमारेण 'भगवं, सा उण कुवलयमाला कहं पुण संबोहेयव्वा' । भगवया भणियं । 'सा विश तत्थ पुरवरीए चारण-समण-कहाणयुगं संभरिय-पुव्व-जम्म-वुत्ता पादवं लंबेहि ति । तत्थ य तुम तूण तं पादयं भिंदिऊण तुम धेय परिहिसि । तुज्झ सा महादेवी भवीहइ । ती गम्भे एस पउस सरो देघो पुत्तो पढमो उववजीहिह । ता वच्च 4 तुमं दक्षिणावह, संबोठेसु कुवलयमालं' ति भणमागो समुहिओ भगवं जंगमो कप्प-पायवो महामुणी । देवो वि 'अहं तए ! धम्म पडिबोहेयव्यो' ति भणिऊण समुप्पइओ णहंगणे । तओ कुमारेण चिंतिय। एयं भगवया संविट्ठ जहा दक्षिणावहं गंतूण कुवलयमाला संबोहिऊण तए परिणेयव्व त्ति । ता दक्षिणावह चेय वच्चामि । कायव्वमिति चिंतयतो चलिओ 7 दक्खिणा-दिसाहुत्त । दिवो य सो सीहो। तं च दट्टण संभारेयं इमिणा कुमारेण कुवलयचंदेण पुव्व-जम्म-पढियं इमं सुत्ततरं 27 भगवओ वयण-कमल-णिग्गयं । अवि य, जो मं परियाणइ सो गिलाणं पडियरइ। जो गिलागं पडियरइ सो ममं परियाणइ त्ति । सव्वहा, 0 साहम्मिओ त्ति का जिको अहे पुच्च-संगओ बंधू । एकायरियभुवगओ पडियरणीओ मए एलो ॥ अण्णहा सउण-सावध-कापलेहिं उबद्दवीयंतो रोई झार्ग अ वा पडिवजिहिइ । तेण य णरयं तिरियत वा पाविहि त्ति । तेण रक्खामि इमं जाव एसो देवीभूओ त्ति । पच्छा दक्षिणावह वच्चीहामि त्ति चिंतयंतो कण्ण-जावं दाउमादत्तो, धम्म३ कहं च । अवि य ।। 33 जम्मे जम्भे मयवइ मओ सि बहुसो अलद्ध-सम्मत्तो। तह ताव मरसु एहि जह तुह मरणं ण पुण होइ ॥ 1) Jom. अहो कारुणियत्तणं, ' साहु for अहो after वच्छलणं, P जय for जग. 2) P inter. मे & एस, J अपहरिऊण अवहराविऊण, 'मे संसायरत्तरंडयं जिणधम्म दुवसनिग्गर ति 1. 3) झूरसु for तूरसु, P भोयप्फलं. 4) Pता तमि निजरिए. 6) J पडिऊण P पडिकूलं अचि हज जुर. 7) P अन्न हिय. 9) J तुज्झ for तुम्ह, J वयणं भरमाणा10) नीसंस-तणं, अवहारे, P। इति मिणा. 11) Pअवत्थंतरमुव, तहा for तह, om. वि. 12)P पवहद, Jom. पसत्तकम्जुयलो. 13) जुवलयंमि. Pon. अदूरे ।, P करकरयंजली. 14) Pमयई इमं. 15) P फासुअ अहारो. 16) P om. अम्ह, J सुत्त for जुत्त, । पञ्चक्खादि. 17 जुत्तं णिमं सरीसं गिम जोग्ग , P संबुद्धा,J जिणधम्न तुज्झ, Pom. तुज्झ. 18) "दि। गिराया मणविपटिय विणउणमंत. 19) P डिह, P तत्थ for य, Pमाणसिद्धाण, Pचिंतयंतो. 20) Pपट्रिवज्जतो, "ठिमो for अच्छिउं पयत्तो. 22) J कुदाणपणं, पाययल बेहि तत्थ, F मंतूण for गंतूण, P पाययं. 23) I भवीहति । तीय, om. पढमो, J उपजिदिति । उववजिहिइ. 24) P भगवं जमपायवो. 25) P समप्पओ नहं । चिंतिउं । एवं च भगवया. 26). " चेव, ' om. ति. 27) सीहो । दट्ठण तं संभरियं कुवलय , J_om. कुवलयचंदेण. 28) J ममं परियाणति, J पडियरति in hoth places, J परियाणति ति P परियायण त्ति. 30) मज्झ for बंधू, J परिसरणीओ. 31)Pसावय कायकायलेटिं, "जि िति । J तिरियं सिरिअत्तं वा पावीदिति, P तिरियं ति वा. 32) P वचहामि चिंत", P दाउं समा, Jom. धम्मकलंच.34) P चरगु for मर, Pज for जह, P inter. पुण and ण (न in P)।. 30 Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२ उखोषणसूरिविरहया | एवं च धम्मक सिामंतो यदि छुहा- किलेत-देहो णमोकार-परायणो मरिण सागरोपमटि भोए भुंजतो अच्छिउं पयत्तो । तओ तं च मयवइ-कलेवरं उज्झिऊण कुमार कुवलयचंदो गंतुं पयसो 3 कहं | अवि य, लुंगा गयल सामला दाय-सोहाई 6 हिणव जलय-समाई तो विंशतिराई ॥ तो तागं च विंझ-सिहरागं कुहरंतरालेसु केरिसाओ पुण मेच्छ-पल्लीओ दिट्टाओ कुमारेणं । अवि य । अहिणव-निरुद्धबंदी- दाहा-रव-रुग्ण- करुणसाला सद्-विभिष-यल-समाउलुमंत जगा ॥ जुयई-जण-मण-संखोह-मुक्क- किंकिं-ति-गिसुय-पडिसदा । पडिसद्द मूढ-तण्णय रंभिर हो गलत -गोग्गा ॥ गोत्रग्ग-रंभिरुद्दाम-तण्णउत्रिब-धाविर जणोहा । इय एरिसाओ दिट्टा पछीओ ता कुमारेण ॥ " दिट्ठाई च कलधोय धोय सिहर- सरिसाई वण-करि-महादंत-संचयई, अंजण-सेल-समई च महिस-गवलुक्कुरुडई | त-महखल-समईच दिहाई चार चमरी-पुच्छ-परभार जहिं मकराइड ओर मुत्ता लोकल ि जहिं च थूरिएलय महिसा मारिएल्लय बइला, वियत्तिएलियाओ गाईओ, पडलिएलिय लय पकेलिय सारंग, बुत्थेल्लय 12 सूबर, वि सुय-सारिया-तिचिर-हाय सिह-संचय चिया [ $१९६ देवो जानो तथ दक्खिणं दिसाभायं । पहरण-विभिन्न जिय-हि- णिग्गउद्दाम रुहिर-पंवेण जन-चलन-चमदियं विरज कोहिले व ॥ जहिं च महामुणि जइसय धम्म- मेत्त-वावार-रसिय वसंत जुषाणय, अगे नारायण जसय सुरकक-चियावड, भण्णे 15 तिणयण- जइसय सर- मोक्खग्गि- णिडडू-तिउर- महानयर व अण्गे पुण मयवद-जइसय दरिउम्मत्त महा-वण- गइंद-विद्यारिय- 1 कुंभयड, अगे पुरा पुलिसमान मत-महा-महिसकरतिय जहिं च पत्त--समय-पाय-ई, अंदोल ला-सरिस उणई, सीहासन-सुहई सूडारोपण, अंगवालिया-कर करि-चल-चमदन पुलिया से गिरि 18 तडावडा, अहिय-मासावगत्तण-समई कण्ण-णासाहरोह - वियत्तणई, मज्जण-कीला- तुलणाई जल-विच्छुहाई, सीयावहरणई 1 जलण-पवेसण मण्णंति । अवि य । जे जे कीरह ता दुक्ख णिमितं ति मारण छलेगेसेसे मांति सुई देश चि पावेण कम्मेण ॥ 21 जहिं च पावकम्मर्ह चिलावहं दुहु-बोह इस बंभणु मारिवव्व भरा-सह-सरिसको गामाद-बहो, उप-सरि परदार परिवाहो पुरोडा-जसो सुरा-पाणु, ओंकारो जसो चोर- विष्णाणु गायति-जसि बहिणि गाल जहिं च स माई से भहिणं से पई मारेमि तओ लोहिउं पियमिति । इमेहिं एरिसंहिं चिलाएहिं दित्ति काऊण ससंभ्रमं णमिजंतो 24 पयतो रिसाई पुणे ताण वीसम्म मेतियई णिसाने अवि य , 1: हण हण हण त्ति मारे-चूरे- फालेह दे लहुं पयसु । रुंभसु बंधसु मुसु य पियसु जहिच्छं छगो अज्ज ॥ १९७ ) ताओ तारिसाओ विंझ-कुहर-पल्लीओ बोलिऊण कुमारो संपत्तो विंझ-रणे, तम्मि य वचमाणस्स को 27 कालो पडिवण्णो । अवि य । 87 फरुसो सहाव-कटिणो संताविय-सयल - जीव-संघाओ । गिम्ह-च्छलेण णजइ समागओ एस जम-पुरिसो ॥ जय पिय-गणी इष अवगृहिमंत गंध-जल-जलरियओ, सहसागओ पिय-मतो-पो कीर मुत्ता30 हारो, पिय- पुत्तो व्व अंगेसु लाइजइ चंदण-पंको, गुरुयणोवएसई व कण्णेसु कीरति णव- सिरीसई, माया- वित्तई जह उवरि- 30 जतिको ति अवि किंच होऊण पय वियतामा परिहरित रहयई । सेविनंति जलाई परिहरिनंति जलाईफ चूयम कमिवार व परिसदिय पत्त 33 अंकोल- रुक्खई ति । अवि य J 1 ) देहे for दियहे, सायरोवमठिती ओ 2 ) दिसामोअं. 3 ) P कहा for कह 4 ) व for जलय, ए पतो. 5 ) Pom. पुण- 6 ) Pom.रुण. 7 > जुई, विनुय ( einended ) रहिरनेही जगतयोग्गा 8) बुद्धाविर P तन्नडम्बेम्बधावि 9 ) Pom. धोय, P संवयम for संचय, कुरुटपं कुरुड. 10 P दिट्ठरं, P पुंछ, कहिं च मऊर, P " ३पल्लव, भंडवा, J मुत्ताहला ऊले. 11 ) P थूरएलएय, महिसय, एलिजओ, एलय, P पक्केलय, P गुच्छेलय सूयरे वोणि निपछालय 12 ) P सिहिसंवत्ति. 13 ) विभिण्णे, पिग्गमुद्दाम, तंजिरजद, कोमियले व 14 ) P वावार सिय, १ जुवाणा, नारायणु. J 15) P निट्ट, अणि विद 16 ) कुंभट अवि य अगि पनि पुलि. रसिया, जावं for जहिं च, ए समयं 17 ) P सरिसई उबंध, P अंगावालिया, नारकरचलण, चमडुरं संबुलिया, खेल, गिरिउडा- 18 J मासावगम, P कीलातुलई, हृणयं 19 Jप्पस, 1 पवेसणयं पद्मत्ति. 20) P Pता for ताणं, P मारणत्थेण ।. 21) जाहं च पावकम्य चिला चि for ए चिलाई दुड्डा, repeats बंभण मारियम्मत गोमाश्वहोरा सुरापाणकारी जइसओ। तुरापाणा उंकारो 22 > P विन्नाणो, रजाई for जहिं, P सबहिं माह से वर्दिण से पर 23 ) जे for से before पई. 24 ) Pता की साथमंतियाई. 25 ) Pom. one हरु संग P जच्छिणा 25 P om. तमि य. 27 ) Jom. अवि य. 29 ) च for य, P पण उज्जेति जो कंटळो 30 > P वित्तरं जह उवरियांति कोट्टितलं ति किं चि होऊ, जाति, सहि, हियई । सोविज्जति 32 ) P फलयई पूर्वई, P रुक्लयं. पुरोपदार परिव 31 24 33 Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१९८] कुवलयमाला ११३ मोत्तण चूय-सिहरं पइसइ णव-तिणिस-गुम्म-वण-गहणं । हूं हूं ति बाहरंती णिदाह-डड्ढा व वणराई ॥ कसु पुण पएसेसु किं किं कुणइ गिम्ह-मज्झण्हो । अवि य फुरफुरेइ णीलकंठ-कंटेसु, अंदोलइ मइंद-ललमाण-जीहंदोलणेसु, पीससई थोर-करिवर-करेसु, पज्जलइ दवाणलेसु, धूमायइ दिसा-मुहेसु, धाहावइ चीरी-रुएसु, णचइ मयतण्हा-जल-तरंग- 3 गेसु, संठाइ विंझ-सिहरेसु, मूयलिजइ महाणईसुं ति । अवि य । उग्गाइ हसह गायइ णयइ णीससइ जलइ धूमाइ । उम्मत्तआ ब्व गिम्हो ण णजए किं व पडिवणो । केसु पुण पएसेसु गिम्ह-मज्झण्हं वोलावेंति जंतुणो। अवि य महावण-णिउंजेसु वण-करि-जूहई, गिरिवर-गुहासु 6 प्रयवइणो, उच्चत्थलीसु सारंग-जूहई, वच्छ-च्छायासु पसु-वंदई, सरिद्दह-कूलेसु गाम-चडय-कुलई, सरवरेसु वण-महिसनूहई, पेरंत-खजणेसु कोलउलई, जालीयलेसु मोरह वंद्रई, पवा-मंडवेसु पहिय-सत्थई ति । अवि य । __सो णन्थि कोइ जीवो जयम्मि सयलम्मि जो ण गिम्हेण । संताविओ जहिच्छं एक चिय रासह मोत्तं ॥ तम्मि य काले पुरवर-सुंदरीओ कइसियओ जायल्लियओ। कप्पूर-रेणु-रय-गुंडियओ सिसिर-पल्लवत्थुरणओ पाडला-दामसणाह-कंठओ मल्लिया-कुसुम-सोहओ पओहर-णिमिय-मुत्ता-हारओ कोमल-तणु-खोम-णिवसणओ धाराहर-संठियओ तालियंटपवण-लुलियालयओ विइण्ण-चंदण-णेडालियओ दीहर-णीसास-खेइयओ साहीण-दइयो वि जइ पिययम-विरहायल्लय- 12 संताव-तवियओ त्ति । अवि य। किंसुय-लयाओ पेच्छह परिवियलिय-रत्त-कुसुम-जोग्गाओ। गिम्ह-पिय-संगमेणं बद्ध-फलाओ व्व दइयाओ ॥ दट्ठण तमाल-वणं देंतं भमराण कुसुम-मयरंदं । उयह विणओणयंगी भमरे पत्थेइ तिणिस-लया ॥ कंद-फलाई पुरओ पासम्मि पिया महुं च पुडएसु । पल्लव-सयणं सिसिरं गिम्हे विंझम्मि वाहाणं ॥ कह कह वि ऐति दियहं मज्झण्हे गाम-तरुण-जुवईओ । अवरण्ह-मज्जण-सुहं गामयलायम्मि भरिरीओ ॥ चिंतिज्जइ जो वि पियत्त गेण हिययम्मि णाम पविसेज । हुय-गिम्ह-तविय-देहो सो चिय तावेइ सुरयम्मि ॥ मज्झण्ह-गिम्ह-ताविय-पवणुद्धय-वालुयाएँ णिवहेण । हिरिमंथए वि जीवे पेच्छह पउलेइ कह सूरो ॥ इय मंडल-वाउली-धूलि-समुच्छलिय-जय-पडायाहिं । धवलुत्तुंगाहिँ जए गिम्हो राया पइविओ। जहिं च बहु-विडयणोवसेन्वो वेसओ जइसियओ होंति गाम-तरुवर-च्छायओ। किमण-दाणई जइसई तण्हाच्छेय-सहई । ण होंति गिरि-णइ-पवाहई । पिययम-विरह-संताव-खेइयओ पउत्थवइया-सरिसियओ होंति णईओ । महापहु-सरीरइं जइसई असुण्ण-पासई होति कुयडयडई। गयवइयओ जइसियओ कलुण-चीरि-विराधेहिं रुयंति महाडईओ। जुण्णधरिणियओ जइसियो बहुप्पसूयभो होति सत्तलियओ। जिणवरोवइट्ठ-किरियओ जइसियो बहुप्फलओ होंति सहयार 24 लयओ त्ति । अवि य । कुसुमाई कोट्टिमयलं चंदण-पंको जलं जलहीया । अवरह-मजणं महिलियाण गिम्हम्मि वावारा ॥ $१९८) एयारिसम्मि य गिम्ह समए तम्मि विंझगिरि-रणम्मि वट्टमाणस्स रायउत्तस्स का उण वेला वहिउँ पयत्ता ।27 अवि य । मयतण्हा-बेलविए तण्हा-वस-कायरे घुरहुरंते । वियरंति सावय-गणे कत्थ वि णीरं विमगते ॥ ओसरयइ डहणो विअ इंदाएँ दिसाएँ जोल्लिओ व्व रवी । ईसाएँ वारुणाएँ वि वइ दोण्हं पि मज्झम्मि ॥ एयारिसे य गिम्ह-मज्झण्ह-समए तम्मि महारग्णम्मि तण्हा-छुहा-किलंत-सरीरो गंतुं पयत्तो । जत्थ य चिरिचिरेंति चीरिओ, 30 1) परस नव-, टुंदु ति वाहारन्ती निदाहाडा व वणराई, णिआह ...बणसबई. 2) Pom. one किं, P किं पुणइ, । मज्मणो, नीलयंठ, मंडल for मयंद, जीहंदोलएसु. 3)P कहावे (for धाहावेद) भीरीरूवेसु, महतण्टाजलतरंगेसु. 4) om. संठाइ विझसिहरेसु, J मूलिजइ महाट इसं. 5) किं चि for किंव. 6) केतु उण, P गिम्हण्, पाणिणो for जंतुणो, P om. अवि य, P जहाई. 7)।" उचच्छली सारंगजहद, सिरिद्दह कुलेनु गामवियडकुलाई सरोवरे गुरणमहिस, सरबरोवरेसु. 8)P कोसल उलई, मोरचंद्रयं ति ( perhaps J too has ति). 9) P जगं मि, P को for जो. 10) P काले खरसुंदरीओ कयसिओ, P कण्णय for कप्पूर, Pगुंडियाउ, J पलवुत्थुरणओ P पलवत्थुरणओ. 11) P भल्लिय, P नमिय for णिमिय. 12) P पवणतुलिया, P वियच for विइण्ण, निढालियाओ, P खेड्ययओ, P दयओ वणिज्जइ विययम विरहाइल्लाय. 14) P केसुय for किंराय, P बहुप्फलाओ. 15) अz for उयह. 16) कंदप्फलाई, P जलं for महुं. 17) Pणेत. भरईओ. 18) P विय for चिय. 19) J हि रिमत्थएव्य जीवे, P सूरा. 20) P जमवडा, P धवलुत्तुगाई, पयट्ठाविओ. 21) P *णोवसेवओ, तरुयरच्छाइयो। किविण, P जइसययं तण्हाय. 22) P गितिनई, P खेइयपउत्थ, P after नईओ repeats किविणई जइसययं तण्हाछेय सहई न होति गिरिन पअओ, Pom. महापहुसरीरइं etc. to गयवइयओ. 23) P कलुणवीररावेहिं. 24) घरिणीओ, होति सल लिओ. 25) P लयाउ त्ति. 26) P वावारो. 27) Pom. य, P वट्टमाणराय', Pऊण for उण. 29) Pवसरकायरे फुरफुरेंते, P वयगते. 30) Jडपो सिय ईदाय दिसाथ, P ईसा घारुणीए, J ईसा (ए added ater) वारुणी. 31) P मज्झणसमए, चिरिचिरेंत चीरियओ झरज्झारेंति ज्झरलीओ। धमधमेति. 15 Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणटूरिविरइया 1 सरसरति सरलिओ, धमधमेति पवणया, हलहलेति तरुयरा, धगधगेंति जलणया, करयरेंति सउणया, रणरणेति 1 रणया, सरसरेंति पत्तया, तडतडेंति वंसया, धुरुधुरेति वग्घया, भगभगेति भासुया, सगसगेंति मोरय त्ति । अवि य।। 3 इय भीसण-विंझ-महावणम्मि भय-वजिओ तह वितोसो । वियरइ राय-सुओ चिय हिययं अण्णस्स फुटेजा ॥ तओ रायउत्तस्स अहियं तण्हा बाहिउँ पयत्ता । ण य कहिंचि जलासयं दीसइ । तओ चिंतियं रायउत्तेण । 'अच्छीसु णेय दीसइ सूसइ हिययं जगेइ मोहं च । आसंघइ मरणं चिय तण्हा तण्ह व्व पुरिसाणं ॥ 6 ता सब्वहा अच्छउ गंतव्वं । इमम्मि महारणम्मि जलं चिय विमग्गामि ।' इमं च चिंतेंतो उवगओ मयतण्हा-वेलविजमाण- 6 तरल-लोयण-कडक्ख-विक्खेयो के पि पएसंतरं। तत्थ य 'दिवाई एकम्मि पएसे इमिणा वण-करिवर-जूह-पयाई । दट्ठण य ताई चिंतियं गेण । 'अहो, इमं हस्थि-जूहं कत्थ वि सरवरे पाणियं पाऊण अरण्णे पविलु ति । कहं पुण जाणीयइ । 9 ओयरिय-कर-सलिल-सीयरोलाई भूमि-भागाइं । अह होज मय-जलोल्लियई । तं च णो । जेण इहेव जाई मय-जलोल्लियई 9 ताई भमिर-भमरउल-पक्खावली-पवण-पव्वायमाणाई लक्खिजति । अद्दद्द-कद्दमुप्पंक-चरणग्ग-लग्ग-णिक्खेव-कलंकियाई दीसंति इमाइं। चंचल-करि-कलह-केली-खडियाइं धवल-मुणाल-सामलाई दीसंति । इमाइं च ललिय-मुद्धड-करेणु कर12 संवलिय-मुणालेंदीवर-सरस-तामरस-गब्भ-कमलिणी-कवल-खंडणा-खुडियई मयरंद-गंध-लुद्ध-मुद्धागयालि-हलबोल-रुणुरुणेतई 12 उज्झियई च दीसंति णीलुप्पल-दलद्धई । ता अस्थि जीवियासा, होहिइ जलं ति । कयरीए उण दिसाए इमं वण-करि-जूह समागय ।' णिरूवियं जाव दिटुं। 'अरे इमाए दिसाए इमं वण-करि-जूह, जेगेत्थ पउर-सलिल-कद्दम-मुणाल-विच्छड्डो दीसइ'त्ति 15 चिंतयतो पयत्तो गंतुं । अंतरेण दिटुं णीलुब्वेल्लमाण-कोमल-सिगिद्ध-किसलयं वणाभोगं । तं च दद्दण लद्ध-जीवियासो सुट्टयरं 15 गंतुं पयत्तो। कमेण य हंस-सारस-कुरर-कायल-बय-बलाहय-कारंड-चक्कवायाणं णिसुओ कोलाहल-रवो। तओ 'अहो, महंतो सरवरो' ति चिंतयंतो गंतुं पयत्तो रायउत्तो। कमेण य दिढे कमल-कुवलय-कल्हार-सयवत्त-सहस्सवत्तुप्पल18मुणाल-कमलिणी-पत्त-संड-संछाइथ-जलं वियरमाण-महामच्छ-पुच्छच्छडा-भिज्जमाण-तुंग-तरंग संकुलं णाणा-वण्ण-पक्खि-संघ-18 मंडिय-तीरं माणस-सरवर-सरिसं महासरवरं ति । अवि य । वियसंत-कुवलयच्छं भमरावलि-भमिर-कसण-भुमइल । सुद्ध-दिय-चारु-हासं वयणं व सरं वण-सिरीए ॥ तं च दट्ठण ऊससियं पिव हियवएण, जीवियं पिव जीविएणं, पञ्चागयं पिव बुद्धीए, सव्वहा संपत्त-मगोरहो इव, संपत्त-सुविजो 21 विध विजाहरो, सिद्ध-किरिया-वाओ विव णरिंदो सहरिसो कुमारो उवगओ तं पएसं । तण्हा सुक कंठोटो ओयरिउं पयत्तो। तीरत्थेण य चिंतियमगेण । 'अहो, एवं आउ-सत्थेसु मए पढियं जहा किर दूसह-तण्हा-छुहा-परिस्सम-संभमायासेसु ण 21 तक्खणं पाणं वा भोयणं वा कायव्वं ति । किं कारणं । एए सत्त वि धायवो वाउ-पित्त-सिंभादीया य दोसा तेहिं तण्हाइयाहिं 24 वेयणाहिं ताविय-सरीरस्स जंतुणो णियय-ट्टाणाई परिच्चइय अण्णोण्णाणुवलिया विसम-ठाणेसु वटुंति । इमेसु य एरिसेसु विसमत्थेसु दोसेसु खुभिएसु धाउसु जइ पाणिणो आहारेति मज्जति वा, तओ ते दोसा धायवो य तेसु तेसु चेय -पर-ट्ठाणेसु थंभिया होति । तत्थ संणिवाओ णाम महादोसो तक्खग जायइ त्ति । तेण य सीस-वेयणाइया महावाहि-संघाया 27 उप्पज्जति । अण्णे तक्खणं चेय विवति । तम्हा ण मे जुजइ जाणमाणस्स तक्खग मजिउं।' उवविटो एक्कस्स तीरतमाल-तरुयरस्स हेटुओ, खणंतरं च सीयल-सरवर-कमल-मयरंद-पिंजरेण आसासिओ सिसिर-पवणं । तओ समुटिओ अवइण्णो य सरवरे अवगाहिउँ पयत्तो । कह । अवि य। 30 णिद्दय-थोर-कराहय-जल-वीइ-समुच्छलंत-सद्देण । पूरंतो दिसि-चकं भजइ मत्तो ब्व वण-हत्थी॥ 1) J जलणओ, P करयरैति. 2) P तडतडेति, P भगभंगति, P रुसुया, J मोरयं । मोरिय. 3) J विच्चरह. 4) P repeats दीलइ. 5) P भूसर for सूसइ. 6) J आगंतब्बं for गंतवं, " विमग्गावि, वितयंतो. 7) P om. तरल, P ट्ठियाई for दिद्वार, P वर for वण, P om. य. 8) P चितियमणेण, J जाणीयति, P जाणियद. 9) P ओयच्छिय, J सीलोरलाई भूमिभाया, P जलोल्लियाई in both places. 10) Prepeats ता, लगिबजर, कच्चमु" 'कमुप्पन्न चरणगलगं. 11) कलकेली, मुद्धकरेणू. 12) संचालियमुणाल दीयर, खटियमयरत, P सुटिया, I गंधलुद्धागयालि, P-मुद्दागयालि,J रुणरणेतरुणतरुणेता. 13) Pom. उशियर च, दलद्धता हाहिश, कदरीण. 14) Jom. गिरूवियं, J om. श्मं वणकरिजूह, पउम for पउर. 15) Iom. गंतुं, Pणीलुत्रेहमाण, वणामोअं, मुदतरं. 16) I कुरलकायअपयबलाय P कुरबयकायंवबलाय, P कोलाहलवो. 17) P om. रायउत्तो, सयव उसहस्सरतुप्पल 18) भंड for संड, P संकुलं माणावनयपरक्खसंघ. 19) सरसरिसं. 20) J भमरालीमिर कसिणभुमहिं. 21) " दट्ठयण, Pom. पिव, F हियएण, P पव for पिव, पच्छागयं, P विव for इव. 22) J किरिवातो, नरिंदसरसो,' उवगतं, Jओयरितुद्दत्येण य चितिअंग. 23) Pom. य, P संभमयाशेलु, Jadds य before m. 24) Jएते । एएस सत्त, Pom. वि, धातयो वायुवित्तसेंभादिअमायदोसो तेहिं तण्डातिआहिं. 25) P परिच्चयइ अन्नोन्नाणुष्वलिया, बलिअ विसम. 26) J धातुसु जति धाउस जद, P नजति for मज्जति, P om. वा, J ततो, दोसा वायवो, Pom. one तेसु. 27) P परिहाणेसु, J थंभिता, सन्निवातो, P महादोसा, J वेतणादिआ. 28) अम्हा for तम्हा, Pinter. मे जुज्जइ, जाणरस, J मज्जिऊग, उवविढो, 29) Padds पायवस्स before हेट्टयो, हेट्टाओ, P त for च, सीयरकमलमयरिद. 30) om. य before सरवरे. 31) J अर्क P चकं. Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ६ २००] कुवलयमाला १९९) तं च तहा मजिऊण कुमारेण पीयं कमल-रय-रंजणा-कसायं सरवर-पाणियं, आसाइयाई च कोमल-मुणाल- 1 णाल-सयलाई । तओ गय-तण्हा-भरो उत्तिण्णो सरवराओ। तओ तेसु य तीर-तरुवर-लया-गुम्म-गुविलेसु पएसेसु किंचि वण-पुप्फ फलं वा मग्गिउं पयत्तो। भममाणेण य दिटुं एक्कम्मि तीर-तरुण-तरु-लयाहरंतरम्मि महंतं दिव्व-जख-पडिमं । 3 तं च दहण शिरूविउं पयत्तो कुमारो जाव सहसा दिट्ठा तेलोक-बंधुणो भगवओ अरहओ मउडम्मि पडिमा मुत्तासेल-विणिम्मविया । तं च दट्टण हरिस-वस-वियसमाण-लोयणेणं भणियं च णेण । अवि य ।। 'सव्व जय-जीव-बंधव तियसिंद-रिंद-अच्चियच्चलण । सिद्वि-पुरि-पंथ-देसिय भगवं कत्थेत्थ रणम्मि ॥' । भणमाणेण वदिओ भगवं । वंदिऊण चिंतियं अणेण । 'अहो, अच्छरियं जं इमस्स दिव्वस्स जक्ख-रूवस्स मत्थए भगवओ पडिम त्ति । अहवा किमेत्थ अच्छरियं कायव्वमिण 'दिव्वाण पि जे भगवंता अरहता सिरेण धारिजति । इमं पि अरहंति भगवंता जं दिब्वेहिं पि सीसेहिं धारिजति ।' चिंतयंतो पुणो वि अवइयो कुमारो सरवरम्मि । तत्थ मजिऊण गहियाई 9 कमल-कुवलय-कल्हाराई सरस-तामरस-पब्भाराई। ताई च घेत्तण गहियं णलिणी-दलं भरिऊण सरो-जलस्स, पहाणिओ भगवं जिणवरिंदो, आरोवियाई च कुसुमाइं । तओ थुणिउमाढत्तो । अवि य । 'जय सोम्म सोम्म दंसण दंसण-परिसुद्ध सुद्ध जिय-सेस । सेल-विसेसिय-तित्थय तित्थ-समोत्थरिय-जिय-लोय ॥ 12 जिय-लोय लोय-लोयण जिय-णयण-विसट्टमाण कंदोह । कंदोट्ट-गब्भ-गोरय गोरोयण-पिंजरोरु-जुय ॥ णाह तुम चिय सरणं तं चिय बंधू पिया य माया य । जेण तए सासय-पुरवरस्स मग्गो पहढविओ ॥' त्ति भणमाणो णिवडिओ भगवओ चलण-जुवलएसु त्ति । २००) एत्थंतरम्मि उद्धाइओ महंतो कलयलो सरवरोयरम्मि । अवि य । उद्बुद्धाइय-बीई-हल्लिर-जल-णिवह-तुंग-भंगिलं । वदृइ णहयल-हुत्तं खुहियं सहस चिय सरं तं ॥ तं च तारिसं सरवरं वलिय-वलंत-लोयणो राय-तणओ पलोइऊण चलिओ तत्तो हुत्तो। चिंतियं च णेण । अहो अच्छरियं, ण-18 याणीयइ किं सरवरस्स खोहो जाओ ति । इमं च चिंतयंतस्स सरवर जल-तरंग-फलयाओ णिग्गयं वयण-कमलमेकं । तं च केरिसं । अवि य ।। वियसंत-णयणवत्तं णासाउड-तुंग-कणिया-कलियं । दिय-किरण-केसराल मुह-कमलं उग्गयं सहसा ॥ श तस्साणतरं चय। उत्तंग-थोर-चक्कल-गुरु-पीवर-बट्ट-पकलं सहसा । आसा-करिवर-कुंभत्थलं व थणयाण पन्भारं ॥ तं च दहण चिंतिय कुमारेण । 'अहो किं णु इमं हवेज । अवि य। कमलायरस्स लच्छी होज्ज व किं किं व जक्खिणी एसा । किं वा णायकुमारी णज्जइ लच्छि ब्व रण्णस्स ॥' इय चिंतेंतस्स य से कुमारस्स णिग्गयं सयलं सरीरयं । तीय य मग्गालग्गा दिध्व-सरस-सरोरुहाणणा कुसुम-सणाह-पडलय-विहत्था कणय-भिंगार-बावड-दाहिण-हत्था य खुजा समुग्गया सरवराओ। ताओ दट्टण चिंतिय कुमारेण । 'अहो, णिस्संसय दिवाओ27 इमाओ, ण उण जाणीयइ केण कारणेण इहागयाओ' ति चिंतयंतस्स वलियाओ कुमार-संमुहं । तं च दट्टण चिंतियं णेण । अहो बलियाओ इमाओ। ता कयाइ ममं दट्टण इत्थि-भाव-सुलहेण सज्झसेण अण्णत्तो पाविहिंति । ता इमाए चेव दिव्यजक्ख-पडिमाए पिट्टओ णिलुक्क-देहो इमाण वावारं उइक्खामि त्ति णिलुको पडिमाए पट्ठि-भाए, पलोइउंच पयत्तो जाव 30 समागयाओ दिव-पडिमाए समीवं । दिवो य भगवं दूरओ च्चिय सरस-सरोरुह-माला-परियरिओ। तं च दहण भणियं तीए 'हला हला खुजिए, अज केणावि भगवं उसहणाहो पूइओ कमल-मालाहिं'। तीए भणियं 'सामिणि, आम' ति । 'ण 1) J रंजणे, पाणिआई, J य for च. 2) P तन्हामारो, तरुअर, P लयाउगुंग. 3) P भणमाणे य, P तरुणलयाहरंमि. 4) Pom. कुमारो, Jadds सयल before तेलोक-5) P विणिम्मिया, P विसमाण. 6) Jभव for सच, J चलणा Pचलण, पथं, मय पणगामि तुह चलणे ॥. 7) P om. भणमाणेण बंदिओ भगवं,J बितिअंणेण, Pवितियमणेण. P Q for जं," भगवतो. 8) J अरहतो, Pom. इमं पि अरहंति etc. to धारिजंति. 9) Jom. पुणो वि, Pom. कुमारो. 10) P कल्हारयाई च सरसरसतामरस, P कमलिणी for लिणी, P सरसं जरलस्स. 11)J तओ for च. 12) P जय सोम सोमनंदन परिसद्धविमद्धमुद्धजयसेस । विसेसविसेसय. 13) P जयलोयडलोयलोयणजयणयण, J कंदोट्टा, जुआ. 14) P& for तं, Pमाया या। 15) J पडिओ for णिवडिओ, P on. भगवओ, P जुयले तु. 16) P उट्ठाइओ, सरवरं मि. 17) J Go(?) द्वाश्य P उदृद्वाश्य, खुहियं सन् चिय. 18) Jndds ति । अ before वलिय, Pom वलिय, J अच्छरीअंण याणीयति P अज्जरियंन याणइ. 19) काल 14. 20) rom. अवि य. 21) P पतं for वत्त. 23) J वट्टचक्कलं. 24) IP किण्ण for किंणु (emended), ।' किं न मावेज्जा, Jom. अवि य. 25) J किअ for किंव. 26) P चिंतयंतस्य, P मग्गल ग्गा, J सर for सरस, पट(ह) विहत्था. 27) ते य for ताओ, P निस्संसियं, दिब्वाइओमाओ. 28) J जाणीयंति केण, चिंतियमणेण, 29) Pi for गर्म, भापसलहेण, अण्णहो for अण्णतो, इमे for इमाए, Pदव्यजक्सं पडिमाउ पिट्रिओ.30Jom. जक्ख. J repeats पटिमाए, Pउद्दिक्वामि, P पलोपउं. 31) Judds ता तो before दिग्ध, J सर for सरस, P परिआरिओ. 32) भगवं तियसनाहो,J तीय. Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६२००1याणीयइ कण उण पूइओ भगवं' ति । तीए भणियं ‘सयल-तेलोक्क-वंदिय-वंदणिज-चलण-कमलाणं पि भगवंताणं एवं भणीयइ 1 केण वि पूइओ त्ति । किमेत्थ वणाभोए ण वियरंति जक्खा, ण परिसकंति रक्खसा,ण चिटुंति भूया, ण परिभमंति पिसाया, 3ण गायति किंणरा, ण वसंति किंपुरिसा, ण पार्वति महोरगा, ण उवयंति विजाहरा, जेण भगवभो वि पूया पुच्छियइ' त्ति 3 भणमाणी उवगया पडिमाए सगासं । भणियं च तीए ‘हला खुज्जिए, जहा एसा पय-पद्धई तहा जाणामि ण केणइ देवेण अच्चिो भगवं, किंतु माणुसेण । खुजाए भणियं 'सामिणि, परिसकंति एत्थ वणे बहवे सबरा पुलिंदा य' । तीए भणिय 6'मा एवं भण । पेच्छ पेच्छ, इमं पि सहिण-वालुया-पुलिणोयर-णिहित्त-चलण-पडिबिंब सुणिरूविय-प्पमाणं पमाण-घडिय- 6 गुट्टयं अंगुट्टाणुरूव-रुहिरंगुलीयं अंगुली-बद्ध-पमाण-पडिबिंब । तहा जाणिमो कस्स वि महापुरिसस्स इमं चलण-पडिबिंद । अवि य। ५ वर-पउम-संख-सोस्थिय-चकंकुस-छत्त-तोरणुक्किण । जह दीसइ पडिबिंब तह णूण इमो महापुरिसो॥' २०१) इमं च भणमाणी संपत्ता भगवओ सयासं, णमोकारिओ भगवं तीए । 'अणुजाणह' त्ति भणमाणीए सविणयमवणीओ कमल-पब्भारो भगवओ सिराओ। पहाविओ भगवं णियएणं कशय-भिंगार गंधोयएणं । पुणो वि रइया 12 पूया कोमल-विउल-दल-कणय-कमल-मयरंद-णीसंद-बिंदु-संदोह-पसरंत-लुद्ध-मुद्धागयालि-माला-वलय-हलबोल-पूरमाण-दिसि-12 यक्केहिं दिव्वेहिं जल-थलय-कुसुमेहिं । तं च काऊण णिब्भर-भत्ति-भरोणय-वयण-कमला थुणिउमाढत्ता । अवि य । 'जय ससुरासुर-किंणर-णर-णारी-संघ-संथुया भगवं । जय पढम-धम्म-देसिय सिय-झाणुप्पण्ण-णाणवरा ॥ 15 जय पढम-पुरिस पुरिसिंद-विंद-णागिंद-वंदियच्चलणा । जय मंदरगिरि-गरुयायर-गुरु-तव-चरण-दिण्ण-विण्णाणा ॥ णाह तुम चिय सरण तं णाहो बंधवो वि तं चेव । दसण-णाण-समग्गो सिव-मग्गो देसिओ जेण ॥' एवं च थोऊण णिवडिया चलणेसु । समुटिया य गाइउं समाढत्ता इमं दुवई-खंडलय । अवि य । 18 सुरपति-मुकुट-कोटि-तट-विघटित-कोमल-पल्लवारुणं सललित-युवति-नमित-सुरपादप-निपतित-कुसुम-रञ्जितम् । अभिनव-विकसमान-जलजामल-दल-लावण्य-मण्डितं प्रथम-जिन-चरण-युगलमिदं नमत गुरुतर-भव-भय-हरम् ॥ इमं च लय-ताल-सर-वत्तणी-मुच्छणा-मणहरं गिजमाणं णिसामिऊण गेय-अक्खित्त-माणसस्स पम्हुटुं अत्ताणयं कुमारस्स। 21 तो रहसेण भणियं । 'अहो गीय, अहो गीयं, भण भण, किं दिजउ' ति भणमाणो पयडीभूओ। तओ तं च तारिस । असंभावणीयं मणुय-जम्म-रूय-सोहा-संपयं दट्टण ससंभम अब्भुट्टिओ कुमारो जक्ख-कण्णगाए। कुमारेण वि साहम्मियवच्छलत्तणं भावयतेण पढम चिय वंदिया। तीय वि ससज्झस-लज्जा-भओकंप-वेवमाण-थणहराए सविणयं भणियं 'सागयं साहम्मियस्स, एहि, इम पल्लवस्थुरण पवित्तीकरेसु अत्तणो सरीर-फंसेण' ति । कुमारो वि सायरं णिसण्णो पल्लवत्थुरणे । 24 तओ तीए य तम्मि कालंतरम्मि को उण वियप्प-विसेसो हियए वट्टए । अवि य। किं मयणो चिय रूवी किं वा होज्जा णु कप्पवासि-सुरो । विजाहरो व्व एसो गंधव्वो चक्कवट्टी वा ॥ अइमं च चिंतयंतीए भणिओ कुमारो। देव, ण-याणामि अहं, मा कुप्पसु मह इय भणतीए 'को सि तुम, कत्थ व पत्थिओ27 सि, कम्हाओ आगओ तं सि' । तओ ईसि-वियसिय-दसणप्पभा-विभिजमाणाहरं संलतं कुमारेण । अवि य । 'सुंदरि अहं मणुस्सो कज्जत्थी दक्षिणावह चलिओ । आओ म्हि अओझाओ एस फुडो मज्झ परमत्थो । 30 एयम्मि महारपणे कत्थ तुमं कत्थ वा इमो जक्खो। केणं व कारणेणं इमस्स सीसम्मि जिण-पडिमा ॥ एयं महं महंतं हिययम्मि कुऊहलं चुलुवुलेइ । ता सुयणु साह सव्वं एत्तियमेत्तं महं कुणसु ॥' इमं च कुमारेण भणियं णिसामिऊण ईसि विहसिऊण भणिय इमीए । .. जइ सुंदर अस्थि कुऊहलं पिता सुणसु सुदरं भणियं । रणम्मि जिणस्स जहा जक्खस्स य होइ उप्पत्ती॥ 1) P केणइ for केग उण, J तीय, P om. पि. 2) Pom. केण वि, P परिब्भमंति. 3) महोरया, पुच्छियइ. 4)I'माणीओ उवगयागो, Pom. पडिमाए, P पद्धती. 5) Iom. वणे, P बद्धहवे .for बहवे, तीय, P भणह. 6) JP मि for पि (emended), P सुहिणवालुया पुणिलोयर, P सुनिरूवियप्पमाणपडियंगुहागुरूवर श्यं रंगुलीयं अंगुलियं अंगुलीबद्धमाण. 7) पिणिद्ध for बद्ध. 9) Pपउमचकसत्थिय, तोरणा क्खिअले (?). 10)P सगासं, 'माणीय सविणयं अवणीयओ. 11) सिहराओ पहाणिओ. 12) F कोमलदलवियलदल, P कोमल for कमल, संदोह. 13) om. दिवेहि. 14)'धम्मदेसयं, P नियज्झाणु . 15) पुरिसिंदचलणा इंदवंदियचलना, P गुरुयारिगुरुयतव, गरायर अतवचरणदिया. 16) P om. वि, P तुमं for तं, P विसुद्धो for समग्गो. 17) Pom. च, P ओ for य, गाइभो पयत्ता इम, J ndds च after इमं, P अखित्तियं for दुवईखंडलयं. 18) मकुट, P सुरपति for सल लित, जुवति, पादपरेणुरजोपरंजितं. 19) जल जामलरेणुरजोधरंजितं प्रथम, J लायण for लावण्य, P adds कमल after चरण, rom. गुरुतर, JP हरं. 20) "वत्तणामणः हरगिज', गेयक्खित्त. 21) P रहासेण, Jom. first गीयं, P दीयउ त्ति, J पायडीहूओ. 22) Judds तीए before जवख. P कन्नागाए. 23) J महउबंप P तओकंप, P सावयं for सागयं. 24) पलववत्थरणं, ।' पलवुत्थुरणं, P पल्लवुत्थरणो. 25) J तीअ य Pतीय तंमि, Pउय for उण. 26) P किं बीहोज्जा. 27) चिंतयंतीय, P गज्ज्ञ for गः, इमं for इय व for सि (after को). 28) सि कत्तो हुयाओ सि, P भाविजमाणाहर. 29) Jआउम्मि. 30) केणे for केणं. 31) कुतूहलं, P परिष्फुरइ for चुलुचुलेइ. 32) P भणियमिमीए. 33) J कुतूहलं मि ता मुअणु सुंदरं. Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२०२] कुवलयमाला 1 २ ०२) अत्थि इमम्मि चेय पुहइ-मंडले कणयमय-तुंग-तोरणालंकिया पिहुल-गोउर-पायार-सिहर-रेहिरो मायंदी 1 णाम णयरि त्ति । जहिं च तुंगई कुलउत्तय-कुलई देवउलई व, विमलई सुपुरिस-चरियई धवलहरई व, सिणेह-णिरंतरओ 3 वीहिओ सजण-पीइभो व, गंभीर-सहावओ परिहओ धरिणिओ व, रयण-रेहिरओ पायार-गोउर-भित्तिो विलासिणिभो व 3 त्ति । अवि य । वियरंत-कामिणीयण-णेउर-कल-राव-बहिरिय-दियंता । देवाण वि रमणिज्जा मायंदी णाम णयरि त्ति ॥ ता कुमार, तीय य महाणयरीए अणेय-णरवइ-सय-सहस्सुच्छलंत-हलहलारावाए अस्थि जण्णयत्तो णाम सोत्तिय-बंभणो। 8 सो य केरिसो । अचि य । ___ कसिणो दुब्बल-देहो खर-फरुसो रुक्ख-पंडर-सरीरो । दीसंत-धमणि-जालो जम्म-दरिदो तहिं वसइ ॥ 9 तस्स य बंभणी धम्म-घरिणी । सा उण केरिसा । अवि य । पोहम्मि थणा जीए पोहम्मि उरु-अब्भासं । एक णित्थाम चिय बीयं पुण फुल्लियं णयणं ॥ तीय य सावित्ती-णामाए बंभणीए तेण जण्ण-सामिणा जायाई तेरस डिभरूवाई। ताणं च मज्झे पच्छिमस्स जण्णसोमो 2त्ति णाम । तस्स जाय-मेत्तस्स चेव समागया अहमा वीसिया । तत्थ य काल-जुत्तो संवच्छरो। तेण य बारस-वासाई 12 अणावुट्ठी कया। तीय य अणावुट्टीए ण जायंति भोसहीओ, ण फलेंति पायवा, णणिप्फजए सस्सं, ण परोहंति तणाई। केवलं पुण वासारत्ते वि धमधमायए पवणो, णिवडंति पंसु-वुट्टीओ, कंपए मेइणी, गज्जति धरणिधरा, सुवंति णिग्घाया, 15 णिवडति उकाओ, पलिप्पैति दिसाओ, बारह-दिवायर-कक्कसो णिवडइ मुम्मुरंगार-सरिसो गिम्हो ति । एवं च उप्पाएसु 15 पसरमाणेसु किं जाय । अवि य। उध्वसिय-गाम-ठाणं ठाणं मुह करयरेंत-विसर-मुहं । विसर-मुह-बद्ध-मंडलि-मंडलि-हुंकार-भय-जणयं ।। 18 एरिसं च तं पुहइ-मंडलं जायं । अह णयरीओ उण केरिसा जाया। 18 खर-पवणुछय-ताडिय-धवल-धया-खंड-वंस-वाहाहिं । उद्धीकयाहिं घोसइ अद्धं भलं व दीहाहिं ॥ तओ एवं अणुप्पज्जमाणासु ओसहीसु खीयमाणासु पुव्व-गहियासु भपूरमाणेसु उयरेसु किं जाय । अवि य । ण कीरति । देवञ्चणई, वियलंति अतिहि-सक्कारई, विसंवयंति बंभण-पूयाओ, विहडंति गुरुयण-संमाणई, परिवडंति पणइयण-दाणई, वियलंति लजियव्वयई, पमाइजति पोरुसियइं, अवमण्णिजंति दक्खिण्णई ति । अवि य । वोलीण-लोय-मग्गा अगणिय-लज्जा पण?-गुरु-वयणा । तरुणि व्व राय-रत्ता जाया कालेण मायंदी ॥ 24 उज्झिय-अवसेस-कहा अणुदियहं भत्त-मेत्त-वावारा । जीएँ णरा महिला वि य पमोय-रहिया सुदीणा य ॥ 24 किं होज मसाणमिणं किं वा पेयाण होज आवासो। किं जम-पुरि त्ति लोए किं जं तं सुन्वए णरयं । एवं च हा-हा-रवीभूए सयल-जणवए पोह-विवर-पूरणा-कायरे खयं गएसु महंत-महापुरिस-कुलउत्तय-वणिय-सेट्ठी-कुलेसु सो 27 बंभणो जण्णसामीओ भूरु-भुवस्स-मेत्त-वज्झो जाओ जायणा-मेत्त-वावारो भिक्खा-वित्ती, तं च अलहमाणो खयं गओ सकु-27 दुबो । केवलं जो सो बंभणो सोमो सव्व-कणिटो पुत्तो सो कहं कहं पि आउ-सेसत्तणेण अकय-बंभणकारो अबद्ध-मुंज-मेहलो छुहा-भरुच्छण्ण-सयल-बंधु-वग्गो कहिंचि विवणि-मग्ग-णिवडिय-धण-कणेहिं कहिंचि बलि-भोथण-दिण्ण-पिंडी-पयाणेहिं 30 कहिंचि बालो त्ति अणुकंपाविएण कहिंचि बंभण-डिभो त्ति ण ताडिओ कहिंचि उचिट्ठ-मल्लय-संलिहणेणं कह कह पि तं 30 तारिसं महा-दुक्काल-कतारं अइकतो। ताव य गह-गईए णिवडिय जलं, जायाओ ओसहीओ, पमुइओ जणो, पयत्ताई 1) तोरणार्णकिया पिउहुल. 2) P"उत्तरं कुलयं, JP च for व in both places, P निरंतरुओ. 3) P पीईओ इव, P परिहाओ घरिणीओ, P भित्तीओ विलासिणीओ, P om. व. 4) Pom. अवि य. 5) P कलवरा-. 6) P जयण्णयत्तो. 7) Pom. अवि य. 8) P फरुससो. 10) विदिअं for बीयं, P पुल्लियं for फुल्लियं. 11) Pom. य, P सावित्ती-, J (उ) ओरस for तेरस. 12) Padds य before जाय, चेअ, P अह्ववी सिया. 13) निप्पज्जए, Jण य रोहंति. 14) J धमधमायाप धमधमायर, सु for पंगु. 15) P पलिप्पति रसाओ, I adds य atter ककसो, J णितडए for णिवटइ 17) Pउप्पुसियगामट्ठाणं हाण, P करयरत, P बिरस (for विसर) in both places, I मण्डलढुंकार. 18) P नयरं उण. 19) P पवणुट्टयतोडिय, J धयखण्ड, Pधुयारखंड, P उट्ठीकया हिं, उद्धीकयाविषोसह, J अच्चम्हणणं व P अद्धं भलं व दीहाई. 20) J उवएसु । उयरेहिं. 21) Pतिहिं for अतिहि, बंभणथूअओ, P गुरुयसम्माणई. 22) Jफरुसिअझं P पोरुसई. 23) P अवणियलज्जा, P रायउत्ती, " मायंदा. 24) Pनीसेस for अवसेस, P वावारो, जीअ, I या ॥. 25) मसाणमिमं, P पुरिस for पुरि. 26) Pom. न, ' सयले, P विवरपूरणा कायरे खयंगएसु, I सेट्ठिउलेसु. 27) P जन्न दत्तो भूरु, भूरुभुअस्स, Pom. मेत्तवज्यो जागो । जायणा, P मिक्खवित्ती, Pमुकुटुंबो. 28) J बंभसोमो, I बंभणो सकारो. 29) Pom. क हिंचि विवणि etc. to कोहिं. 30) ' बंबणो त्ति न ताडिन ताडिओ, । उचिट्ठामल्लसंल्लेहणेणं, P कहं कहिं पि, I om. तं. 31) दुक्खाल, गपईए, न पयआई for पयत्ताई. Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८ उज्जोयणसूरिविरइया [ ९२०२ 1 सवाई, परिहरियाई लज्जाई, उप्फुसियाई च विणयाइदाई इमम्मि य एरिसेकाले सो बंभ सोम बहुभो घोनूण- 1 सोलस वरिसो जाओ। अवि य । 3 सोहेइ वच-पर उस उचिट्ठ- मलय- णिहाए । लोएण उपहसिजह फिर एसो गणो आसि || २०३ ) त एवं उहसितस्स जणं णिदिजमाणस्स खिंसिजमाणस्स जोग्वण-वास-बहूमाणस्स एरियो चित्ते वियप्पो जाओ । अवि य । अहो, धम्मो भयो कामो जसो व लोयग्मि होति पुरिसन्धा । चत्तारि तिष्णि दोष्ण व एको वा करसह जगरस ॥ ता ता ताव धम्मो दूरे चेय मया बोलीणो । भगणिय-कज्जाको सम्मागम्मफलो जेण ॥ अत्यो वि दूरओ च्चिय णत्थि महं सुणय-सउण- सरिसस्स । दुष्पूरोयर-भरणेक्क-कायरो जेण तद्दियहं ॥ 6 9 कामो विदूरओ च्चिय परिहरइ य मह ण एत्थ संदेहो । सयल-जण- मिंदिओ मंगुलो य दिट्ठो य भीसणओ ॥ अह चिंतेमि जसो मे तत्थ वि जय-पेल्लिएण अयसेण । णिय-जोणी- करयंटय-ठाणं पिव णिम्मिओ अहयं ॥ ता हो धिरज्यं इमिणा जीएण दुक्ख-पउरेण जन-निवह-निंदणा लहुइपुण एवं असारेण ॥ 30 13 ता किं परिचयामि जीवियं, अहवा ण जुत्ते इमे ण व काऊण तीरइ दुध खु एवं ता इमं पुण पच-कार्य अवि य । धण-माण- विप्पमुक्का मुणिय परुद्धा जणम्मि जे पुरिसा । ताण सरणं विएसो वर्ण व लोए ण संदेहो ॥ " ता सव्वा विएसो मम सरणं ति चिंतर्वतो जिग्गओ तक्व चेय मादी-पुरवरी। चडिओ व दक्षिण-पच्छिमं 15 दिसाभोयं । तओ कमेण य अणवरय-पयाणएहिं कुच्छि मेत्त-संबलो अकिंचणो भिक्खा-चित्ती महा-मुणिवरो विय वच्यमाणो 15 संपत्ती विंश सिहर- पेरंत पइट्टिय महाविंझाडई । जा उण कइसिया । उद्दाम-रत्त-पीय लोहिय-मुह- महापलास - संकुला, वाणरकार-राय-वियंभमाण-भीसणा, देवेहिं अलं विय- पायवा, बहु-मब-सय-खजमाण-मयवइ आउल तुंग-सालाकिया सप्यायार18 सिहर-दुवा व काउरि जहसिया जीए अमेयइ भीसणई सावय-कुलई जाह नाम चि ण णर्जति । तस्मि व महाउइय 18 मम्मि सो भो जणसोमो गाई तु पयतो तम्मिय वचमाणस्स को उण कालो पहिलं पयतो अविव । धम-धम - धर्मेत-पवणो सल- हल-हीरंत-सुक्क - पत्तालो । धग धग धगत- जलणो सिलि-सिलि-णव-पल्लवुभेओ ॥ 21 बहुसो मय तदा पाणिण वैयारिये महिस-गृहं उप्पल-गुणाल- रहिए सरम्मि णवि पाणियं पियइ ॥ जत्थ पहियाण सत्यो पासो दुसह गिम्ह-मज्झन्दे अवरण्डे विण मुंचइ तोय-पना मंडवं सिसिरं ॥ सयल-जण कामणिर्ज कलस-घणाभोय-दिष्ण सोर्ग दण पवं पहिया दइया होति ॥ 1 । विवसंत कुबलउप्पल परिमल-संमिलिय भमिर भगर । भमर-बल-बोल पाउलिव-सव ॥ सयवत्त- पत्त- णिक्खित्त-पुंज इज्जत कंत-मयरंदं । मयरंद चंद-णीसंद-मिलिय-महु-बिंदु- बोंगिलं ॥ २०४ ) तभ कुमार, सो बंभ-सोमो ता एरिसं दट्ठण महासरवरं पत्तं जं पावियन्वं ति ओइण्णो मजिओ 3 24 तत्र तम्मि वारिले सयल-जय-जंतु संवाय-कारण गिम्ह-माण्ड समए सो वंभसोमो वम्म भीमे वर्णतराले चट्टमाणो 24 छुहा साम-वयणोयरो पण्डु-मग्गो दिसा-विमूढो सिंघ वग्ध-भय-बेविशे तण्हा वाहि पवतो तओ चिंतियं तेण 'अहो महंती मह खण्डा, वा करथ उण पाणिवं पावेय' ति चिंततो मग पयतो जात्र दिट्टो एकम्म पसे बहुल-पत्त27 सिणिद्धो महंतो वणाभोओ । चलिओ य तद्दिसं जाव णिसुओ हंस-सारस-चक्कवायाणं महंतो कोलाहलो । तं च सोऊण ऊस - 27 सियं पिव हियएणं जीवियं पिव जीविएणं अहिय-जाय-हरिसो तओ संपत्तो तं पएसं, दिटुं च तेण सरवरं । तं च केरिसं । भवि य । 6 12 21 1 ) P उप्पसियाई च चेयणाई ।, Pom. य, वंभसोम, P cm. थोवूण. 3) 1 वचहरए 4 ) P जणेणं निवडिज्जमाणस्स जोव्वण, J जोयमाणरस- 5 ) Pom. अहो. 6 ) P मोक्खो for जसो, P थ for व. 7) P फलो. 8 ) P नहि for णत्थि 9 ) परिहरद त्ति णत्थि संदेहो, P मर for मद्द, P वि for य. 10) विजस for विजय, P करकट्टयथाणु. 11 for हो, जीवेण. 12) J IGP पुत्तकालं, 13 ) धणिय for मुणिय 14 ) क्विओ. 15) P दिसाभागं P अणव्वयस्याहिं, कुच्छी- 16 J adds अवि य before उद्दाम 17 J पुकार for बुक्कार, P वियज्झामाणभासणा, पयाचा for पायवा, ए आउल चुंगमाला, P सपायार- 18) लंकाउरिसजइसिय जीअ य अणेय भीसगई, P सावणयं जाह, P महाडदमज्झमि. 19 ) सो वम्हसोमो, P एकाकी. 20) Pom. one धम, P सिलेंतनव. 21) नय for णवि. 22 ) P पासंतो for पासत्थो, धोञ for तोय. 24 ) कारये, रवमाणे P वट्टमाणा 26 > P महा तण्डा, Pom. ति P पत्तसिद्धिो. 27 J तं दिसं, P हंस, P om. ऊससियं to जीविविएणं. 28) J om. अदियजायह रिसो, Pom. तओ, P पत्तो for संपत्तो. 29 ) Padis, after अवि य, वियसंतकुवलउप्पलपरिमलसंदिठ्ठे च तेण सरवरं । तं च केरिसं । अवि य and then again वियसंत etc. 31 ) बहु for मधु, १ बोगिलं. 32 ) P सोमो तारिसं, P मज्जिउं. 33 ) P पीयपाणियं, सरं । उववणम्मि, P उववणं. 30 J कुवलयुप्पल, F सयपत्तंआसाइअ तडवडम्मि for 33 33 जहिच्छे पीर्ष पाणिवं नासाइबाई मुणाल-खंडाई उचिण्णो सरं । उबवणम्मि खुट्टा भर किलंतो य मग्रिं पयो : 3. 30 Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -९२०५] कुवलयमाला फलाई । परिभमतेग कत्थइ अत्रे कत्थइ अंबाडए कथइ णारंगे कथइ फणसे कत्थइ पिंडीरए त्ति पाविए। तो य कय- 1 दुप्पूरोयर-भरणो विहरि पयत्तो तम्मि तड-काणणम्मि । तत्थ य रायउत्त, परिब्भममाण दिलै एक्कम्मि पएसे चंदण। वंदण-लया-एला-लवंग-लयाहरयं । तं च दट्टण उप्पण्ण-कोउओ तहिं चेय पविट्ठो जाव तत्थ दिट्ठा तेण मुत्ता-सेल- 3 विणिम्मिया भगवओ सुरासुरिंद-कय-रायाभिसेयस्स पढम-जिणवरस्स पडिमा । तं च द?ण तस्स तहा-भवियब्वयाए भगवओ य सोम्म-दसण-प्पभावेण णिय-कम्माणं खओवसमेण तम्मि चेय जिण-बिंबे बहुमाणो जाओ। चिंतियं च णेण , 'अहो, दिमए मायंदीए पुरिसं इमं किंपि देवयं ति । ता जुत्तं इमस्स भगवओ पणामं काउं जे, ता करेमि । धम्मो किर 6 हवइ' । चिंतिऊण भणियमिमिणा । अवि य । 'भगवं जं तुह णामं चरियं व गुणा कुलं व सीलं वा । एयं ण-याणिमो च्चिय कह णु थुई तुज्झ काहामो ॥ ता तुह दसण-तुटो णमामि एमेय भत्ति-भर-जुत्तो । तं किं पि होउ मज्झं जे तुह चलणच्चगे होइ॥' चिंतयंतो णिवडिओ भगवओ पाएसु । पाय-पडणुट्टिएण चिंतियं णेण । 'अहो, रम्मो वणाभोओ, मणहरो सरवरो, रेहिरं लयाहरय, फलिया पायवा, सोमो य एस देवो त्ति । ता मए वि दूसह-दारिदावमाणणा-कलंक-दूसियप्पणा विएसं गंतूण 2 पुणो वि पर-पेसणं कायव्वं । का अण्णा गई अम्हारिसाणं अकय-पुव्व-तवाणं ति । अवि य। 12 दूरगओ वि ण मुश्चइ एत्तिय पुरिसो सपुव्व-कम्माण । जइ रोहणम्मि वच्चद दारिदं भग्ग-रहियस्स ॥ ता सव्वहा णस्थि पुव्व-विहियस्स णासो त्ति । ता वरं इह ञ्चय विमल-गंभीर-धीर-जले सजग-हियए ब्व मज्जमाणो इमाई 5 च जल-थलय-दिव्व-कुवलय-कल्हार-कुसुमाइं घेत्तूणं इमं किं पि देवयं अञ्चयंतो कय-कुसुम-फलाहारो, सारंग-विहंग-कय- 15 संगो, अणिवारिय-वण-प्पयारो, अकारण-कुवियाई खलयण-मुह-दसणाई परिहरंतो, सुह-सुहेण वण-तावसो विव किं ण चिट्ठामि' त्ति चिंतयंतस्स इमं चेय हियए पइट्टियं । तत्तो अच्छिउँ पयत्तो । कय-हाण-कम्म-वावारो भगवओ उसभसामिस्स 8 कय-कुसुमच्चणो इमं च णं पढमाणो त्ति । अवि य। 18 भगवं ण-याणिमो चिय तुम्ह गुणा जेण संथयं करिमो । तं किं पिहोउ मज्झं जं तुह-चलणच्चगे होइ॥ भणमाणो कय-कुसुम-फलाहारो अच्छिउं पयत्तो । एवं च अच्छमाणस्स वच्चए कालो। कालंतरेण य बहु-पुप्फ-फल-कयाहार1 किरियरस पोट्ट-सूल-रूवी उवडिओ सव्व-जग-जंतु-साहारणो मञ्च । अवि य। जइ पइसइ पायालं अडई व गिरि तरुं समुदं वा । तह वि ण चुक्कइ लोओ दरिय-महामञ्चु-केसरिणो । तओ कुमार, सो वराओ तत्थ ताए पोहसूल-वियणाए धणियं बाहिउँ पयत्तो। तओ तेण णायं णत्थि मे जीवियास त्ति 4 मण्णमाणो णिवण्णो भगवओ पुरओ । तत्थ तओ गुरु-वियणायल्लो णीसहो भगवओ उसभ-सामिस्स मुह-पंकयं णियच्छतो 24 भणिउं पयत्तो । अवि य । भगवं ण-याणिमो चिय तुज्झ गुगे पाव-पसर-मूढप्पा । जे होइ तुज्झ पणयाण होउ मज्झं पि तं चेय ॥ त्ति भणमाणो भगवओ पायवडिओ चेय णियय-जीविएण परिश्चत्तो। ६२०५) तओ कुमार, तत्तो य सो मरिऊण कत्थ गओ । अवि य । अत्थि रयणप्पभाए पुढवीए पढमे जोयणसहस्से वंतराणं भवणो, तत्थ य अणिगाया होति । तं जहा । जक्खा रक्खसा भूया पिसाया किंणरा किंपुरिसा महोरगा 30 गंधव ति । तत्थ पढमिलए णिगाए जक्खाणं मज्झे महिडिओ जक्ख-राया समुप्पण्णो । तस्स य रयणसेहरो णामं । तत्थ 30 समुप्पण्ण णियच्छियं तेण । 'अहो, महंतो रिद्धि-समुदओ मए पाविओ। ता केण उण तवेण वा दाणेण वा सीलेण वा एस मए पाविओ'त्ति चिंतयंतस्स झत्ति ओहि-वर-णाणं पसरिय । तेण य णागेण णिरूवियं जाव पेच्छइ तम्मि वणाभोए 33 सरवरस्स तीरम्मि लयाहरए भगवओ उसभ-सामिस्स पुरओ णिय-देहं उज्झिय-जीवियं ति । तं च दट्टण चिंतियं । 33 21 क्ष 1) Jom. अंबे कत्थद, अंबोडर, J कत्थविणारंगे, P पावाए. 2) Pom. तड, चंदवंदण. 3) Pom. वंदण, Pom. लया, P om. च, ' कोमो for कोउओ, ' तंमि for तहिं, P transposes तत्थ after तेण, P दिट्ठो. 4) J पडिमं ति. 5) । सोमदंसणत्तोण, Jखयो', Padds च अमुहकम्मागं before त म्मि, P वितियं तेण. 6) एमं for इमं, J काउं । दे ( for जे), P किर भव. 7) J भणियं इमिया. 10) P om. शिवडिओ, J पायवडणु', P वणो भोओ. 11) P पयावा for पायवा, । दारिद्दवमा, P दूसियप्पण. 12) Pom. वि after पुणो, P repeats काथव्वं, J कायण्णा. 13) मुचद पत्तिग, "कंमोहं । " भाग for भग्ग. 14) ताव परं for ता वरं, J इह चेम, P विमलं, P इमाणं च. 15) P repeats विहंग, P विहं, कायसंगो अणवारिय. 16) Jom. वण-, J विभ किं. 17) तओ for तत्तो, P ओसहसामिस्स. 18 J looks like इमण्व, P on. इमं च णं पढमागो ति. 19) J तुज्झ for तुम्ह, PM for तं, P होउ ।।. 20) P कालंतरेयण, J फलाहारकिरियरस, P कयादारो. 21) J जय for जग. 22) P गिरितरु.24) P om. णिवण्णो, भिवओ for भगवओ, तत्थ for तओ, " वियणालो. 26) J गुणा. 27) P नियजीविएण परिचत्तो. 29) Jसए, for सहरसे, P अट्ठ निकाया, P फिन्नपुरिसा. 30) P निकाप, Juddy य after तत्थ. 31) P adds यbefore णियछियं, J समुदयो, Jom, ता. 32) Pाति, Jadds tण before जाव. 33) Fउसहय, पुरओ उज्झियदेहं निययजीवियं. Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० उज्जोयणसूरिविरइया [२०५ 1 1 | 'अटो इमस्स भगवन पभावेण मए एवं पावियं' ति । 'णमो भगवओ उसभ सामि-जिणवरस्स महइ-महप्यभावस्स' चि अणमाणो पूर्ण संपतो इमं पए । दिट्ठो य भगवं उसभणाहो, दडूण य भत्ति-भरोणमिठ तिभंग-मउड- रक्षण- किरण संवत3 तार-मुत्ताहारो थोडं पयत्तो । अवि य । जब सयल सुरासुर-सिद्ध-कामिणी विजय पणय-चलण-जुब जय भुवईद-विलासिणि-सिर-मणि-किरणमा वियचलणा ॥ जय चैर्दिद-गर्मसिय जय रुंद-भवोद्द-तारण-समत्य । जय भुवण-सोक्ख कारण जय कम्म-कलंक-परिहीणा ॥ भगवंतं चि णाहोतं सरणंबंध तुमं चैव भव-संसार समुदे जिन-तिथं देखिये जेणं ॥ ति भणमाणो विडिओ भगवओ चलणेसु । पणाम पच्छुट्टिएण भणियं च णेण । 'भगवं, 6 गामं पिण वागतो गवरं तुह भक्ति-मिस-संतु ते चिय प्याह अहं एसो जनसाहियो जाओ || जे उण जाति तु णामं गुण-किन्त च चरिये च तुह वयण- चित्रव्ये सत्ये व अणेय-मादये ॥ ते पर- सुर-वर-भोए भोलू सयल-कम्म-परिहीणा सासय-सिव-सुदकं सिद्धिमविग्घेण पार्वति ॥' भणमागो विडिओ पुणो चलणे । भगिनो व ते वि-परियो । 'अहो देवाणुप्पिया, पेच्छ भगवओ णमोकार फलं । 12 अवि य । । 1 12 9 27 3) J 1 ) JP एवं P उसरसामि महति 2> P भगवओ उसहनाहो, उत्तमं । उत्तिमंगउट मुत्ताहारेण भणिअं । अवि य । 4 ) J जुआ, P विलसिणि. 5 ) P बंदिद for चर्दिद, परिहीणं- 7 Pom. भगवओ. 9 ) णामगुणे, P गुण कि तुह बयण- 10> Printer. वर and सुर, P परिहीगो, P चिरेण for विग्वेण. 11) P repeats पुणो, णिअओ for णियय. 14 जुन भगतं । विति 15 ) P भरिब्भरसरिसं Jom.] सत्र्वद्दा, विउब्विअ. 16) r adds मओ एस before मउलीए, तप्पभूई चेअ. 17 ) Pom. से, P महंतं पूर्व निव्वत्तेउण 18 ) P भणियमणेण, ससंभम, P करयलंजलि 19 ) Jom. अहं, P अह for अहं, आइट्टो, P adds न before मए 20 ) P परिवारिएण. 21 को for का 22 ) P एयरस for तस्स, P inter. किंकरी & अहं, J adds य after first दिय, Pom. ति. 23 ) J अच्छरीअं, P भत्तिब्भरनिब्भरो. 24 > कण्णेण, P फलमिमं P तुह वि केण वि. 25> P रुइरं for रुइयं णरंचि मह, तीय 26 J देवा होति त्ति P देवाहरति, P विय for वि, अण्णिसीअति ति. 28 Jतीय for तीए. 29) बहुरो, Jom. मग्गो, P सयलसुर, J om. किंगर, Pom. करिवर, Jom. वग्ध, हरिसभररुप्प. 30 J भणाणीय, P वच्छल ति. 31 ) Pom. भोयं, P विंज्झसिहराई 32 ) वच्चमाणेण य दिट्ठा P वचमाणेण दिट्ठो, P णेण for णेय, P वियज्जतं. 3 धारिडं जेण एक साथ सुरिंदा पि पुचो, वियं अलजजिो, 1 " तप्यभिई यसल महंती पूर्व वित्तिकण सयल - पुरिसत्थ-हीणो रंको जण-निंदिओ वि होऊण । एयस्स चलण- लग्गो अहयं एयारिसो जाओ ॥ ' अहो भगर्व महष्यभावो, ता जुतं शिवं भगवंत सीसे 15 तहये महाउववारी, चडर्थ भक्ति-भर- सरिसं पंचमं सिद्धि-सुह-कारणं ति काऊ सम्पदा विचिया लचणो महंता मुक्ता- 15 खेल-मई पडिमा । सा य एसा इमीय व उपरिं विवेसिबो एस मडलीए भगवं जिगवंदो ति जक्स-लोएण रयणसे भिवयि जिणलेरो से णार्म पट्टिये । तओ कुमार तं च काऊण 18 वैदिकण भोऊण नर्मणि व भणियं ण 'कणयध्यमे कणयति गए वि सभमे करयल जलाए भणियं 18 'आइस' ति । तभो तेण नहं आइट्टा जहा 'तर अणुदि इहागतूण भगवं दिव्य-कुसुमेहिं अथणीओ त्ति भए पुण अट्टमी- चउदसीए सम्ब-परियण- परियरिपुर्ण इहागत भगवतो पूयाणिमितं ति भणि उबगलो अत्तणो पुश्वरम्मि । 31 तभ कुमार तए पुच्छि को एसो जक्लो, किंवा इमरस मडडे पडिमा का वा तुति से एस सो जराया 21 इमा य सा पविमा, तस्स व अहं किंकरी दिव दिय भए एत्थ भगवति । एवं भणिए भणिये कुमारेण अच्छर महष्यभावो भगवं, भत्ति-भिरो जक्स- राया, विणीया तुमं रम्मो पएसो सम्बद्दा पन 21 जं । " 'अहो महत मह लोयणार्थ , 24 कण्णाण व फल इसे एरिसंयुतं दण सोऊण यति भणिए भणियं कणयप्पभाए 'कुमार, जाणामि ण द केणावि किंपि 24 कर्ज, वहा वि भणसु किंचि हियय-रु जे तुह देखि चि । कुमारेण भणि 'ण किंचि मह पत्थणिनं अथिति सीए भणियं 'तहा वि अवज्झ दंसणा किर देवहर'ति । कुमारेण भणियं 'सुंदरि, इमो वि उ फलं अण्णेसीयइति । अवि य । 1 27 1 एस भगवं जिनिंदो जिण-भत्तो एस जवस राया थ दिट्ठा सितं च सुंदर हावि बिलं ति बाहरसि ॥ ति । 'वंदामि ति भणमाणो समुद्रिओ कुमार कुवलयदो तो सीए भणियं 'कुमार, दूरे तएव बहु-पचवानो य एस बहु-रण- दुग्गगमो मग्गो वा गेह इमं सयल सुरासुर-र-र-किंणर-रिवर-वग्य-दरि-सरहरुरूप्यमुतेपि भचणीओ 30 ओसही वलय-विसेसोचि भगमाणीए करवलाओ समपिन कुमारस्स तो 'महंती साहम्मिय बच्छति भणमाणेन 30 गहिओ कुमारेणं ति । तं च घेत्तूण अब्भुट्टिओ कुमार कुवलयचंदो, पयत्तो दक्खिणं दिसाभोयं, वच्चइ य तुंग - विंझइरिसिहराई संघतो बच्चमाणो विट्टो व शेष-तस्वर- साहा बादा-पव-पोळमाणसाहुली बिर्जतं पिव मद्दाणई नम्मयं ति । 6 9 Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२०६ ] कुवलयमाला १२.१ २०६) जा व कइसिया । नवजोत कामिणि- जइसिय कुंकुम-र-पिंजर-चल-चाव-पोरसेला- 1 लुभिजमा रोम-राई- मगहरं च कहिंचि णय- बहु-जहसिया तद-तरुपर- पण साहा-लयावगुंठण-णीसह गइ पयारा व कहिंचि वेसा विलय जसिया हरि-हर निलिदिय-मच-मायंग-कामुय दंत जुयकिय व कर्हिचि वासय सज जसिया 3 मघमघेंत - सुरहि-कुसुम-गंध-फुरमाण- बिंदु-माहर व, कहिंचि पउत्थवइ- जइसिय पत्थिय-कमल- वयण आवंडर-पओहरय न्ति । अवि य । उच्छंगम विणं सुबह तड- पायवगा वयणेहिं गवि इ किं भूया किं दइया होज विंझस्स ॥ ; जीए य महामल सरिसई कर कत्तरी धाहिं दति मत्त-मायंग- जूहई, कहिंचित सरिस महा-कुलुम्मूलण वयसियई, कहिंचि गाम- डिंभरूच सरिसई जल-कीला वावड, कहिंचि तद-परिणय पाययडियई जति कुविय दइया पसायणोणयई ति । अवि य । वि जइ किं दइया सहोयरा होज किं व एयाण । किं जणणि च्चिय रेवा होज व धाई गय-कुलाण ॥ कहिंचि मच्छ-पुच्छ-च्छडा - घाउच्छलंत - पाणिया, कहिंचि तणुय-तंतु-हीरमाण-मत्त-हत्थि संकुला, कहिंचि महा-मयर-कराघायकुवियमन्त-वण-महिस कलुसिया, कहिंचि पहल-ग्गा हिडाउला, कहिंचि कुम्म-पट्टि उलसंत विहुम-किसलया- 12 किया, कहिंचि वेला-वसागय-पोमराय रयण-रंजिय-जला, कहिंचि परिप्पयंत चकवाय कंठ गिजिया, कहिंचि सर-सरसरत-कंत-सारसाउला, कहिंचि तुंग-तरंग-रंगत-सिप्पि-संपुडा, कहिंचि चंद्र-पवण-पय-कलोलमाल हेला-हीरमाण- पक्खिगणा, कहिंचि मत्त मायंग-मंडली मजमाण- गंडयल - गलिय-मय- जल-संदोह - बिंदु-बंद-णीसंद-परिप्पयंत चंदय-पसाहियति । 16 अवि य । 5 4 - धवल-बलाया- माला-वलया- हंसउल-पंति-कय-हारा । चलिया पइहर हुत्तं णजइ रेवा णव बहु व्व ॥ [3] अण्णं च । गाय व गय-मब-गंध-द-मत्त महुधर-महरुलावेहिं जप व णाणा-बिहंग- कल्यहारायेहिं, हसइ व हंस- 18 मंडली-धवल- दसण-पंतीहिं गच्चइ व पवण-चेच्छलिय-तुंग-तरंग- हत्थेहिं, पढइ व जलयर-दीरंव पत्थर--- खलिक्खर - गिराहिं, मणइ व तड़-विडवि-पिक्क-फलवडण- दुहुदुहारावेहिं, रुयइ च णिज्झर-झरंत-झरहरा-सदेहिं । अचि य । उग्गाइ हसह णच्चइ रुयइ व कलुणक्खरं पुणो पढइ । उम्मत्तिय व्व रेवा इमीए को होहिई वेज्जो ॥ जाइ समुद्दाभिमुहं रेवा पुण वलइ वेविर-सरीरा । पयइ च्चिय महिलाणं थिरत्तणं णत्थि कजेसु ॥ 21 अहवा ती ण दोस्रो महिला जीएसु रजेति ॥ अवादाओ चिप महिलाओ होंति पयईए ॥ । हुं पइणा एक्केण ण होइ महिलाण संतोसो ॥ 1 मोसू दिगं जलहिम्मि पत्थिया रेवा रयणायरभिम लीणा विंशं मोराण जम्मया पेच्छ किं ण सुहओ य दाणे रेवे जेणुज्झिओ तए विंझो अण्णा वि एस गई ते समुद पलिया रेवा होंति शिय कामिय-कामियान कामो वि महिलामो ॥ :7 उठवूढा विंझेण मद्दष्पमाणं च पाविया तेण । मोत्तूण तह वि चलिया अहो कयग्घा महिलियाओ ॥ इय साहेइ समुद्दो वियारणा णत्थि महिलासु ॥ महिला - सहाव- चडुलं अह रेवं पेच्छए कुमरो ॥ पयतो अविव जलही खारो कुग्गाह-सेविओ बहुमओ य रेवाए । इय जुवइ चरिय- कुडिलं गंभीरं महिलियाण हिययं व 30 तं च वारिसं महाण णम्मयं समोइण्णो रायठतो कह वरि 1 मिटर-कर-परा-जल-बी-समुच्छ जल-विहं । अह मज सिरिलो महादशे व उदामं ॥ एवं च मनमाणो कुमार कुवलयचदो समुत्तिष्णो से महाणई णम्मति 33 गुविल - गुम्म दुरसंचारे महाडई-मज्झयारे । गतुं च पवत्तो तम्मि तीर वरुवर पल्ली-लया 6 9 24 27 1 ) J कइसिअ, Pom. गावजोन्वणुम्मत etc. to मणहरं च कहिंचि, जसिअ 2 ) P नववहुसिया तड, 3 तरुण for तर, Pom. पण, P गुंठणानीसह, गयपयार व (3) P वियलिय for विलय, J जइसिन, दुलिहित्र for उल्लिहिय, " जुयलंकिथं कर्हि चि, उ जइसिय- 4 ) P ग्रंथ for गंधड्डू, फरसाण for फुरमाण, P पउत्थवइजइसियपलत्थियवयणकमल, आवडु P आवंदुरपओहर व्वति. 6 ) P उत्संगंमि, P तह for तड, P नयणेहिं for वयणेहिं, P नज्जिय for णज्जइ. 7) P वा for य, P कुलम्मूलण 8 ) r डिंभरुय, पायवडिअ । गज्जर, P पावडई | नज्जंति. 10 P दयया धाती for पाई. 11) मच्छपुच्छडा, वायुच्छलंतपाणि, तणुतंतु. 12 ) Jom. वण, J पज्जल for पक्कल, P गंडलाउला. 13) Jom. लेकिया, उ वेलोवसा, १ परिपर्यंत, Jजुअलुकुंठ, P सरसरत्तकंत. 14 Jom. कंत, P वेण्ड for चंड, माला for माल, om हेला. 15) बिंदुविंदसिंद. 17 ) P इंसउलं, J रज्जद P नज्जर, ए नर for णव. 18) P महुयरलावेहिं. 19 ) J inter. धवल & मंडली, J om. व, r चेवळालिय, JP य for व, P जलयलहीत. 20 ) P तडवेडसिपिक, दुहुदुहारवेहिं कुटारावेहिं, P निज्झरुज्झरंतझरासदेहिं, सरेहिं for सद्देहिं. 21 ) P for व, P व for व्व, P को हाहिई वेज्जा. 22 ) " पुण बिलइ. 23 ) तीय for तीऍ, P रचंति. 24 ) P अहवा लडाउ. 25 Jय दाणो रेवे जोणुज्झिओ, J हूं. 26) J पई for गई. 27 ) पि for च. 30 ) व महाणम्मयं, P तह for कह. 31 ) J सिरिअत्तो. 32 ) P तरुयर. 33 ) P गुहिल, दुसंचारे. 16 30 33 Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ उजोयणसरिविरइया [ २०७। २०७) एवं च वञ्चमाणेण कुमारेण दिटो एक्कम्मि पएसे विंझगिरि-पायवासणे बहल-सिणिद्ध-तरुयर-णियर- 1 __ संकुले एको उडओ। दहण तं चेय दिसं वलिओ त्ति अचलिय-चलंत-लोयणो राय-तणओ कयाइ कोइ एत्थ रिसी आसमे ३ होइ त्ति चिंतयतो संपत्तो त उडयंगणं । जाव दिटुं तरुण-तमाल-पायव-पंती-परंपरा-परियरियं अंगणं । अण्णं च । कुसुमिय- 3 बउल-रुक्खयं, आसपण-पिक्क करमद्दयं, पलंबंत-पिंडिरयं, ललमाण-माउलुंगं, समंतओ कुसुमिय-बहु-जाइ-कुसुम-मयरंदलुद्ध-भमर-रिंछोलि-रुणुरुणा-सह-संगीय-मणहरं पेच्छंतो पविट्ठो उडए । दिटुं च णेण पुत्तजीवय-घडिय-रुद्दक्ख-माला-वलयं । 6 दिट्ठाई च णाणा-सुक्क-फल-संचयाई । दिटुं च तियट्टिया-ठावियं कमंडलं । दिट्ट च उवट्ठवासणं । तं च दट्टण चिंतियं । 6 'अहो को वि एत्थ महामुणी परिवसइ'त्ति चिंतयंतेण दिट्ठा पंसुल-पएसे पय-पंती। तं च दट्टण 'अहो, जहा इमाई लहुयमउय-कोमलंगुली-ललिय-दलाई व दीसंति चलण-पडिबिंबाई, तेण महिलाए होयव्वं, ण उण पुरिसेण । ता कह तवोवणं कह वा महिल' त्ति चिंतयंतो तत्थेव उवविट्ठो। 'दे, पेच्छामिण को एत्थ परिवसइ' त्ति । थोव-वेलाए दिवा तेण तावसी। 9 सा केरिसा । अवि य । उन्भड-जडा-कडप्पा खर-फरुसा दीह-केस-णहरिल्ला । चक्कल-पीण-पओहर माईण व आगया एक्का ॥ तीय य मग्गालग्गा समागया तरुण-जुयइ-चंचल-णयण-सम-सोहा-लोयण-जुयला मुद्ध-मया, ताणं चाणुमग्गओ जुयइ. 12 हिययं व चंचला वाणर-लीवा, ताणं च पुरओ समागओ मण-पवण-वेओ झत्ति एक्को महाणील-सच्छामो महंतो राय-कीरो ति, तस्साणुमग्गं अण्णे य सुय-सारिया-णिवहा । ते य दट्टण चिंतियं राय-तणएण । 'अहो, उवसम-प्पभावो इमीए 15 तावसीए जेण पेच्छ एए वण-तण-जल-मेत्त-संतुटू-जीवणा अरण्ण-सावय-सउणया वि ण मुंचंति से पास सव्वहा । किं वा 15 तवस्सिणो असज्झ' ति चिंतयंतो विट्ठो तीए राय-उत्तो । दट्टण य केरिसा जाया। अवि य । भय-सज्झ -सेउकंप-कोउहलेहि विणडिया तो सा । इच्छद पलाइऊणं को उण एसो विचिंतेती ।। 18 तं च पलायंती दट्टण पहाइओ सरसइ-वरो महाकीरो। भणिया य ण 'सामिणि एणिए, किं तुमं पलाइउं पयत्ता' । तीए 1s भणिय 'इमो उण को इमम्मि मज्झ उडयम्मि वण-सावओ। तेण भणियं 'मा बीहसु, एस एल्थ को वि अरण्ण-मज्झम्मि पंथ-परिभट्ठो पंथिओ इमं पएसं समागओ। ता माणुसो एसो, अहं इमिणा सह भलीहामो ति । ता दे पावेसु, तुम । सागयं च इमस्स कुसु । महाणुभावो विय लक्खीयई' । एवं भणिया तेण कीरेण समागया सलज-वेवमाण-पओहरा ।। आगंतूण य तीए भणियं 'सागयं पहियस्स, कत्तो आगओ सि, कहिं वा पस्थिओ सि, किं वा कजं' ति । तेण भणियं 'आगओ हं महाणयरीओ अउज्झाओ, कज्जत्थी दक्षिणावह चलिओ' त्ति । तओ भणियं कीरेण 'सागय महाणुभावस्स, 24 उवबिससु एस्थ पल्लवत्थुरणे' । तओ उवविट्ठो राय-तणओ । एणियाए विणिक्खित्ताई विविह-तरु-वर-पिक-साउ-सुरहि-फल- 24 णियराइं। सुरहि-कुसुम-पत्त-पुडए य संठाविए एगंतम्मि उवविटो य । तओ चिंतियं कुमारेण ‘ण-याणीयइ का वि एसा, कहं वा केण वा कारणेण, केण वा बेरग्गेण, कत्थ वा आगय ति, ता किं पुच्छामि' । 'दे पुच्छामि त्ति चिंतिऊण भणियं । 27 अवि य । 'जइ तुम्ह णोवरोहो अकहेयव्वं च कह वि णो होइ । ता साह सुंदरि महं जं ते पुच्छामि ता सुयणु ॥ कत्थ तुमं पुत्थ वणे कम्हाओ केण वा वि कन्जेण । एयंत-दुक्करमिण वण-वासं जं पवण्णा सि ॥' 30 एवं च भणिया समाणी अहोमुहा ठिया । तओ कुमारो वि तीए पडिवयग उवेक्खंतो थोव-वेल विलक्खगे विय आसि । 30 तं च दट्टण भणियं तेण राय-कीरेण । 'भो भो महापुरिस, एस मणयं लजइ। ता कया उण तए एसा पत्थणा ण णिरत्थया कायव्व त्ति अहं साहेस्सं' ति । 1)P पायासण्णे, P repeats नियर. 3)J तरुतमाल, P परियं for परिवरियं, Jom. अंगणं, "om. अण्णच. 4)P पिंडीरयं, Padda कुजार after जार. 5) Pगरुगासद, सणाई for मणहरं, पुचजीवय पुत्तजीव, Jफानि for घटिय, P रुदक्खमालयं. .Jr for a before vणा, Jom. दिटुं च...कमंडल ।, Pट्ठाविय, J उपट्ठयासणं' उवद्दयासणं. 7)J दिट्ठो पंसुल, Jलहुमउ. 9) महिलय त्ति, Jom. णं, थोड for थोव. 10) Pom. सा, ' om. अवि य. 11)J णहरुक्खा ।, J पउहरा. 12) P जुवई, चमगाओ. 13) J हिययं पिव चला, Padds पुरओ उफिरता after लीवा, om. च, P सच्छमो. 15) Pपेच्छा for पेच्छ, संतुट्ठा, P जीविणो, पास। सव्वहा किं, P च for वा. 16) adds महंतो after तवस्मिणो, Pom. ति, तीय. 17) कोउहल्लेहि, विणरिआ, P om. तो, Pइत्थए, J वितेती विनितेइ. 18 P सरसवइरो, P महाकीरा,J om. य, P सामिणी, J वीय. 19) Pon. वणसावओ, Pom. एत्थ, P अरनंमि पंथं परिवूढो पंथिओ इमं परिसं. 20) Jएस for एसो. 21) J पि for च, Jलक्खीयति, Poin. तेण, J सलज्जं. 22) Jतीय, P कत्तो सि आगओ सि, JP कर वा, P om. सि, ति for किंवा कजं ति. 23) आगयोहं, "अज्जत्थी for कज्जत्थी. 24) P पलवुत्थरणं ति ।, Jom. तओ, Jएणिआय, J तरुयरपक. 25) J पुडए संठाविप पुटर य ठानिए, Jएअंतम्मि,J -याणीयति. 26) Pom. केण वा before वेरग्गेण, Pinter. वा& कत्थ, Pom. ता किं पुच्छामि. 28) Jअकहेयं वा वि कह, JI for ता. 29) Pom. तुम एत्थ, J कम्हाउ व केग, Pएं. for एयंत. 30)P अहोमुही, हिआ, Jतीय, Pथोयवलं.31PUसा for एस, I om. ता, Pom. उण, Pताए for तए. 32) J कायव्वं ति. Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 -६२०९] कुवलयमाला ६२०८) अस्थि एयम्मि चेय पुहइ-मंडले णम्मया णाम महाणई । अवि य। मत्त-करि-कामि-णिट्टर-घोर-कराघाय-चडण-सयण्हा । दंत-जुवलंकिओट्ठी पोढा इव कामिणी रेवा । ३ तीए दोक्खण-कूले दयाडई णाम महाडई । जा य कहसिया। बहु-तरुवर-सय-कलिया बहु-सावय-सेविया सुभीसणया । बहु-गिरिवर-सय-सोहा अडई देयाडई णाम ॥ तीए महाडईए मज्झ-भाए अत्थि महंतो बड-पायवो । सो य केरिसो । अवि य । 6 पत्तल बहल-विसालो साल-पलबत-चडय-घरयालो । बहु-सउण-सयावासो आवासो सव्व-सत्ताण ॥ तम्मि य महावडे बहुए कीर-कुले परिवसंति । तत्थ एक्को मणि-मंतो णाम महासुय-वंद-राया राय-कीरो अस्थि । तस्स एक्काए रायकीरीए उयरे गब्भो जाओ। सो य अत्तणो काल-कमेण पसूओ अंडओ जाओ। कण वि कालंतरेण फुडिओ 9 तओ जाओ मंस-पेसी-सरिसो किंचि विभाविजमाण-चुचु-खुर-णहावयवो अणुदियहं च पक्खाक्ली-पयावुम्हा-परिपोसिजमाण- 9 सरीरो किंचि-समुभिजमाण-मरगय-सामलंकुर-पक्खावली-कयावयवो पाउस-समओ इव मणोहर-च्छाओ। एरिसम्मि समए दर-जाय-पक्खाविखेव-डोहलो णिग्गएसु कहिं पि पोह-पूरण-तग्गएसु पिइ-माइ बंधव-जणेसु समुत्तिण्णो कुलयावासाओ। 12 थोवंतरेण य अपरिप्फुड-पक्ख-विक्खेवो गंतु अचाएंतो गिम्ह-महाताव-तविय-सरीरो तण्हा-सुक्क कंठो एकस्स तरुण-तमाल- 12 पायवस्स छायाए णिसण्णो अच्छिउँ पयत्तो। तहा य अच्छमाणस्स आगओ तम्मि पएसे एक्को वाह-जुवाणओ। तेण य तस्सेय तरुयरस्स अहे वीसममाणेण कह पि दिट्ठो सो कीरो। तं च दट्टण पसारिओ गेण कसिणाहि-भोग-भीसणो हत्थो । 15 गहिओ य सो पलायमाणो । घेत्तण य चिंतियं तेण । 'अहो, एस पाविओ राय-कीरो त्ति । ता सम्वहा ण एस वावाएयब्वो 15 त्ति य मए दसणीओ पल्लीवइणो होहिइ' त्ति घेत्तण असोय-तरुवर-पत्ताई णिबद्धो पुडए, धणुयर-कोडि-णिबद्धो ललमाणो य संपाविओ घरं, समप्पिओ य पल्लीवइणो, तेणावि राय-कीरो त्ति घेत्तणं पंजरए रुद्धो । तत्थ य वदिउं पयत्तो । ता अहो 18 महापुरिस, जो सो कीरो सो अहं । तओ अहं च तेण संवडिओ ति । 18 २०९) एत्थंतरम्मि भरुयच्छं णाम जयरं । तत्थ भिगू णाम राया। तं च दहण उवगओ सो पल्लीवई । तेण य तस्स अहं उवट्ठाविओ। ममं च दट्टण राइणा महंतो तोसो उव्वूढो, भणियं च 'रे रे, को पत्थ' । पडिहारीए भणिय 'आइससु' त्ति । 'वच्च सिग्धं, वच्छं मयणमंजर गेण्हिऊण पावसु' त्ति । आएसाणंतरं गया, पविट्ठा य मयणमंजरीए समं । । भणियं च राइणा। 'वच्छे मयणमंजुए, एस तए रायकीरो तहा करियव्वो जहा सव्व-कला-पत्तो हवइ' त्ति भणंतेण समप्पिओ पंजरो । तओ सा य रायसुया ममं सहिं पिव मित्तं पिव बंधुं पिव भायरं पिव सुयं पिव मण्णमाणी पाटि 4 पयत्ता । थोएण चेय कालेणं जाणियाई अक्खराई, गहियं णट्ट-लक्खणं, जाणियं विसाहिलं, गहियाई गय-गवय-मय-कुक्कुड- 4 आस-पुरिस-महिला-लक्खणाई। बुज्झियाई सब-सत्थाई । सव्वहा, सव-कलागम-कुसलो जिण-वयण-सुणिच्छिओ महाबुद्दी । तीऍ पसाएण अहं अह जाओ पंडिओ सहसा ॥ 7 तओ एवं च अच्छमाणस्स को कालो समागओ। अवि य । उण्हो उन्वेवणओ दीहर-खर-फरुम-पवण-णीसासो। संताविय-भुवणयलो गिम्हो कालो व्व वेयालो ॥ तम्मि य तारिसे गिम्ह-काले एक्कस्स मुणिणो आयावणं करेंतस्स णीसंगयं भावयतस्स एगत्तणं चिंतयंतस्स असरणत्तणं 0 झायंतस्स सुत्तं अणुगुणेतस्स संसारं जिंदमाणस्स जिण -वयण-दुल्लहत्तर्ण भावयंतस्स सुकज्झाणतरियाए वट्टमाणरस अउच्च- 30 करणं खवग-सेढीए अणतं केवल-वरणाण-दसणं समुप्पणं । सो य रिसी तस्स राइणो पिया अभिसिंचिऊण पव्वइओ. एक्कल्ल-विहार-पडिमं पडिवण्णो। भरुयच्छं समागओ विहरमाणो, तत्थ य केवल-णाणं समुष्पण्णं । तओ देवाण उप्पय13 णिवयं दट्टण जणेण साहियं राइणो पिउणो जहा 'महाराय, रिसिणो इहेव भरुयच्छे समागयस्स केवलणाणं समुप्पण' ति 133 2) काम for कामि, J कामिगिद्दारथोर, J वत्तण for चङ्कण, उ जुवलं किउट्ठी, रेहा for रेवा. 3) तीय, नई for महा डई,J जान जाव. 4)P तरुयर, P सेवया, J सुभीसणिया, P य for सय. 5)Jतीय महाडईमज्झ. 6) घरयाला। Pबहसयणिसयनिवासो. 7) कीर धुले कीलकुले. 8)P कालकमेण. 9) Pom. तओ, P चंचुखुरणुहा", P पयाउम्ह. 10) किंचि अभिज्जमाण, J सामलंकर P सामल कुरु, P तओ for कयावयवो, P समयं पिव मणहरच्छाओ. 11) P पक्खो तओ विक्खेव, J दोल्पा, " पिअ for पिइ, P कुलायावावसाओ। थोअंतरेण. 12) J अपडिप्फुड P अपरिफुड, P अचायतो, P तरुतमालपालपायवरस. 13) P सिसपणो for णिसण्णो, P अस्थिर्ड, P वाहवाणो. 14) P अहो वीसमाणेण कहिं पि, P कसिणाहमोग, भोअनीसणो. 15) Jणेण for तेण, P पायवो for पाविओ, Jएस विवाए अन्यो, P वावाएयव्यो मम दंसणो पल्ली. 16) J होहई, P adds य सोय before असोय, J पसाय for असोय, P तरुयरपत्तनिबद्धो. 17) P पल्लीवरणा, J तेग चि, Prepents ता सव्वा न वाचायन्बो etc. to तेणावि रायकीरोत्ति, पंजरओ. 18) Pom. तओ अहं च, Pसंवट्टिओ. 19) F नगरं for जयरं, P inter. सो उवगओ. 20) Pउवट्टविओ, P तं for ममं, P adds tण before रेरे. 21) P अइसस, P adds | before गया, P पयट्ठा, rom. य,J "मंजरीय P 'मंजरी । ससंभमं मणियं. 22) J होइ for हवई, Jadds य after भणतेण. 23) Pसमप्पिउं, P सा रायधूया मं सहिं, P बंधुं पिय. 24) I अहिआई for गहियाई, Pom. मय. 25) J -सत्थई. 26) कब for सम्ब, J सुणिच्छओ, तीय. 27) p om. च. 28) P उपहा. 29) गिम्दयाले, Jणीसंगं, Jom. एगत्तणं चिंतयंतस्स, चिंतयंतयंतस्स, J असरणअत्तणं. 30) Pom. सुत्तं अणुगुणेतस्स. 31) "रिरसी for रिसी, " पियाभिसिंचिऊण. 33)rom. इहेव, Pom. ति. Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ તમ उज्जोयणसूरिविरइया [$२०९ 1 [वं च सोऊणं हरिस-वस- वियसमाण- लोयण-बलो राया भणितं पयतो 'सजेह जाणवाहणाई, अंतेरिया जणस्स सम्ब- 1 रिद्धीए अज्ज भगवंतं तायं उप्पण्ण- केवल वर णाणं वंदामि'त्ति भणिऊण पयत्तो बहु-जाण-वाहण-पूरमाण-महियलो संपत्तो य ३ भगवओ यासं । थोऊण य पयत्तो | कह । जय धम्माण करवाल डियासेस-कम्म-रिङ सेण्ण जय जय अवय- जाणमणत जाणियालेस परमथ ॥ ति भणमाणेण बंदियो भगकेवली राहूणा राया जिसको य पुरओ, अण्णो वि य रामाणो भद-भोइया पणायर-जो 6 य राय-धूया वि ममं घेत्तुं चेत्र तत्थ उबगया । मए वि संधुओ भगवं स-बुद्धि-विवेणं । अविश्य । जय णिजिय-सयल परीसहोवसग्ग जय णिहय-मय-मोह । जय णिज्जिय- -दुज्जय-काम-बाण जय विमल-णाण-धर ॥ चि भणिऊण पणमिनो मए विभाग देवली मिसण्णा य राय दुहिया मर्म पुरनो मेकण केवलिया वि भगवया 9 कय- कायव्य-वावारेण वोलीण-लोय-मग्गेण तहा वि किं पि कर्जतरं पेच्छमाणेण भणियं । अवि य । जर मरण-रोग-र-मल किलेस बहुलम्म वर संसारे या मा कुह पमायं देवाशुपिया इमम्मि जिण मग्गे बिजारा 1 णिम्मल-करवाल-करा फुरंत मणि-रयण-किरण-सोहिल्ला । गयणाओ ओवइया सहसा विज्जाहरा दोण्णि ॥ 15 ते व भगवंत केवलिं पयाहिण करेमाना समोइण्णा वंदिजो य भगवं खविव-य-कर-ल-मंडलमंजलिमुत्तिमंगे 15 णिमेऊण गिरण्णा व पावले भगवओ सुह-सिहिं भणिये 'भगवं, का उन स'सि भणिय मेते राइगा मिगुणा सहि य णायरएहिं भणियं । 'भो भो विजाहरा, सा उण का जं तुब्भेहिं भणिय का स' त्ति भणिए, तेहि य पलत्तं । 15 'आम्हे बेय- गिरिराज सम्मेय-सिहर गया। तत्तो सत्तुंजयं चलिया तत्व वच्चमाणेहिं विंश गिरि-सिद-वर्ण भीमे 18 निम्माणुसे अरण-पसे, जन्ध अम्हे वि गयण गोयरा भीया शति पोलेमो, णम्मवाए दखिने कूले दिई समजू ताणं च मग्गालग्गा एक्का का वि मयलीव-वुण्ण-लोयणा समुभिज्झमाण-पओहर-भरा भउब्विग्ग-लोयणा मयाणं अणुमग्गेणं 21 वच्चंती बाला । तं च दण चिंतियं अम्हेहिं । 'अहो, महंतं अच्छरियं' चिंतयंता अवइण्णा । भणिया य अम्हेहिं । 'भो भो 21 वालिए, किं एत्थ अरणमि तु एका कत्थ वा तुमं जागय' ति भणिया य समाणी मुरतारण्ण-मय-सिलिंब बुण्ण-लोललोणा अयियरं पठाइडे पयता । ण य ते मया तीए उध्विति । तेहिं चेय समं सा संगयति । तो त 24 चिंता भणमाणा चेय असणं गया वर्णतराले तनो हेहिं वितिये 'अहो, किंपि अत्येत्य कारणं सव्वहा को वि असय गाणी म्हेहिंति तो भगयं एत्थ दिले तेण पुच्छिये अम्हेहिं 'भगर्व का उण सति भणियं च राहणा पिउणो 'भगवं, अम्हाणं पि कोउयं जायें । ता पसीयसु, साहेसु' ति । ', 27 २) भगवं साहि पयो । 12 3 I णधि सरण जयभिम वि धम्मं जिण- देखिये मोनुं ॥ संसार भव-समुई जह इच्छह अपणा तरिडं ॥ I २१० ) एतरमि समोवइया दोणि णील-पीय वाससा विष्फुरंत मणि-किरण-कणव भासुरालंकार-सोहिया 12 अधि पवडापुरीणं लोकग्मि विपयत जसहारा धवलुजुंगमणहरा उजवणी पुरवरी रम्मा || जीय य मणहर गीय-रव-रम्मई भवणई, भवण-माला-विभावियई रायवहई, रायवह सोहिओ विवणि मस्सु, विवनि-मग्ग30 रेहिरई गोउरदार, गोउरदार- विराइयई पागार सिहरई, पगार- सिहर उजिरई फरिहा-पंधई नि ध य रेहनि फरिहड 30 णिम्मल-जल- तरंगेहिं, जल-तरंगई पि सोहंति वियसिय-सुरहि-कुसुमेहिं, कमल वि अग्यंति भमिर भमरउलेहिं, भमर before नायर 6) 7) समल दाण for कणय. 1) P मंते for अंते. 2 ) P भगवओ तायरस उप्पन्नं, P om. य before पयत्तो. 4 ) P सूटतासेस, Padds अय after जय. 5) P om राहणा, J om राया, P अन्नो वि for य रायधूअवि, P om. ममं P जं, चेअ, P om. तत्थ, P बुद्धि for सबुद्धि. 8 ) मण्णो, P मं for ममं. 12) four () for u, a 14 > P उबईया. 15) Pom. य, P केवलि, सविणओणय, उत्तिमंगे for मुत्तिमंगे. णिमेऊन, J adds अ before भणियं, भिउणो for त्रिगुणा 17 ) Pom. one भो, कज्जं for का जं, तं का, Jom. य. 18 P तओ for तत्तो, P सेत्तुज्जं. 19 ) पसे तत्थ for जत्थ, P गोयरे, रणम्मयाय. 20) मल्लवपुलोया मानभरभरात चिंतता. 22 Jom. किं, P एक्को, J om. य. 23 समं सा संगया । समं समागय, om. त्ति, अपुब्वं. 24 ) चिंतेता, P भागमाणेणं. 25 ) P दि. 26 ) Jom. च, P भिगुणा for पिउणो, P adds अम्हा before अम्हाणं, पसिअसु. 27 ) adds भणिओ before भगवं. 28 ) P तिलोक्कमि, P जस्स पब्भारा for जसहारा 29 जिन for जीय रम्माई भवणारं विरवियरायनिवहई om. विवणमपि गोराई, गोउरदारा, 31 ) 1 मिfor पि, उ कमलेहिं for कुसुमेहिं, विग्ग 21) J अच्छरीयं, P P पयत्तो, Jom. तीए, विपणि 30 विराविअई पायार, पायार, छज्जिरवं परिहा, P कत्थ for जत्थ, P फरिहाउ P कमल विय अग्धंति, P भमर भलेहिं भमर कुलई विरायंति 9 om किरण, किणिय 16 ) P नमिऊण for भणितं का P भणियं P यत्ति for शत्ति, 27 Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2 -९२१२] कुवलयमाला 1 उलइँ वि विरायति णव-कुसुम-रेणु-रएणं ति । अवि य । उत्तुंग-धवल-तोरण-बद्ध-पडाय-च्छलेण भगइ व्व । उब्भेउँ अंगुलिं सा जइ अण्णा एरिसा णयरि ॥ त्ति । 3 तम्मि य पुरवरीए सिरिवच्छो णाम राया पुरंदर-सम-सत्त-वीरिय-विहवो। तस्स य पुत्तो सिरिवद्धणो णाम । धूया य एक्का 3 सिरिमई णाम । सा य विजय-पुरवइणो विजय-णराहिवस्स पुत्तो सीहो णाम तेण परिणीया । सो य सीहो जोव्वर्ण संपत्तो। केरिसो जाओ । अवि य । 6 मारेइ खाइ लुपइ णिरवेक्खो णिद्दओ णिरासंसो। वण-सीहो इव कुविओ पयईए एरिसो जाओ ॥ तं च तारिसं णाऊण राइणा विजएण णिविसओ आणत्तो। सो य तं राय-धूयं णियय-भारियं घेत्तण णिग्गओ विसयाओ।। एक्कम्मि पच्चंत-गामे आवासिओ, अप्प-दुइओ अच्छिउं पयत्तो । वच्चंति दियहा । ताव य एत्थंतरम्मि केण वि कालंतरेण 9 सो सिरिवद्धणो रायउत्तो धम्मरुइणो अणगारस्स अंतिए धम्म सोऊण दुरुत्तरं संसार-सागरं णाऊण दुलहं भगवओ वयणं 9 जाणिऊण सासयं मोक्ख-सुहं कलेऊण सव्वहा णिठिवण-काम-भोओ अणगारो जाओ। सो य केण वि कालंतरेण परिणिफण्ण-सुत्तत्थो एक्कलप्पडिम पडिवण्णो एक्को चेय विहरि पयत्तो। २१२) सो य भगवं विहरमाणो तं चेय गाम समागओ जत्थ सो भगिणी-पई भगिणी य । तम्मि अवसरे सो 12 भगवं मास-खमणट्टिओ पारणए य गाम पविट्ठो। भिक्खत्थं च गोयर-चरियाए विहरमाणो भगवं तव-तणुय-देहो खामणिण्णोयरो कमेण य तम्मि भइणीए घरम्मि संपत्तो। तीय य भगिणीए दूरओ चेय दिट्ठो, दहण य चिंतियं च तीए 'एस सो मह भाउओ त्ति, णिसुवं च मए किल एसो केण वि पासंडिएण वेयारिऊण पवाविओ। ता सव्वहा सो चेय इमो' त्ति । 15 तओ आऊरमाण-सिणेहाए भाउओ त्ति णिब्भर-बाहुप्पीलण-त्यंभिय-णयण-गग्गर-वयणाए चिर-दिक्कंठा पसर-पयत्त-फुरमाणबाह-लइयाए अयाणंतो सो रिसी अभिधाविऊणं कंटे गहिओ, आलिंगिओ जाव रोविडं पवत्ता तावागओ तीए भत्तारो सीहो बाहिराओ। दिवो य तेण आलिंगिजतो । तं च दुट्ठण चिंतियं तेण 'अरे, पर-पुरिसो को वि पासंडिओ मह जाय- 18 महिलसइ' ति । चिंतयंतो केरिसो जाओ । अवि य । ईसाणल-पज्जलिओ दढ-मूढो कोव-रत्त-णयणिल्लो । आयड्डिऊण खग्गं अह रिसिणो पहरइ णिसंसो ॥ 1 वओ गरुय-पहर-हओ णिवडिओ रिसी धरणिवढे। तं च दटूर्ण णिवडतं किं कियं से भइणीए । अवि य । दूसह-गुरु-भाइबह-दसण-संजाय-तिब्व-रोसाए । कट्ठण पई पहओ जह मुच्छा--भलो जाओ। णिवडमाणेण तेणावि किं कयं । अवि य । 4 णिटुर-कट्ट-पहारा वियणा-संताव-गरुय-मुच्छेण । खग्गेण तेण पहया जह जाया दोणि खंडाई ॥ 24 णिवडिओ तं णिवाएमाणो सो वि जीविय-विमुक्को जाओ। पुणो चंड-सहावयाए महारिसि-वह-पाव-पसर-परायत्तो पढमं रयणप्पभं णरयं रउरवे णरयावासे सागरोवमट्ठिई णेरइओ उववण्णो । सा वि तस्स [मुणिणो] भइणी गरुय-सिणेह7 मुच्छा-परिणया तक्खणुप्पण्ण-कोव-विणिवाइय-भत्तार-णिहण-पाव-संतत्ता, तहिं चेव णरय-पत्थडे उबवण्णा। सो उण रिसीश भगवं णिय-खग्ग-पहारा वियणायल्ल-सरीरो कहं कहं पि उवरओ, उववण्णो य सागरोवम-ट्टिई सोहम्म-विमाण-वरे, तओ चइऊण णिय-आउक्खएण गुत्थ भरुयच्छे राया जाओ। सो य अहं दिट्ठो तुम्हेहिं पच्चक्खं केवली जाओ। ० सो उण सीहो तम्मि महारउरवे णरए महंतीओ वियणाओ अणुभविऊगं कहं कह पि आउक्खए उवट्टिऊण शंदिपुरे 3) पुरवरे बंभगो जाओ। तत्य वि गारुहत्थं पालेऊग एग-डंडी जाओ। तत्थ य आसम-सरिसं संजम-जोयं पालिऊण मरिऊण य जोइसियाग मज्झे देवो उववण्णो । तत्थ य केवली पुच्छिओ णियय-भवंतरं । साहियं च भगवया दुइयं पि जम्मंतरं । 3तओ तं च सोऊण उप्पण्णो इमस्स कोवो । 'अरे, अहं तीए णियय-महिलाए मारिओ । ता कत्थ उण सा दुराया। 33 1) " रेणुरण. 2) पटायाछलेण, JP उब्भेउ. 3) Pसमू for सम, Pom. य. 4) P adds सा after तेण. 7) Pom. विजएण. 8) P om. after ताव. 9) P राउत्तो. 10) P कामभोगो, J परिणिप्फिण्ण P परि निष्पन्नो. 11) चेवलो for चेय विहरि पयत्तो. 12) P परागओ for समागओ, Jadds तत्थ before भगिणीः, सो पती भगिणीए. 13) r मासंक्खमण, P मिक्खलु, p चरिया विहरमाणा. 14) P निष्णोदरो, rom. दिट्ठो दट्ठण य. 15) महं भाय त्ति, ति for च, पासण्टिणा, P वियारिऊण for वेया', P om. पवाविओ. 16) J बाहुप्पील P बाहुपीलण, J मण्ण P मणु (for णयण emended), चिरु-, । चिर विटक्कंठपसरतपश्वत्त. 17) P अभिधाइऊणं, J पयत्ता । ताव आगओ तीय. 18)P om. तं च, J om. मह जायमहिलसइ. 20) Pईसानल. 21) J -पहरतो शिवडिओ, P धरणिवीढं ।, P निवडियं for णिवडतं. 22) P भाइवर. 23) J य तेण for तेणावि. 24) पहार, P खंडाई. 25) चंद for चंड, J महारिसी, I परयत्तो 26) P नयरं for णरयं, Pरओरवि नरयावासे, J णरयवासे, J सायरोवमठिती णारइओ, P नेरईए उवविन्नो, Jr om. [मुणिणो]. 27) चेय. 28) पहरा, 3-ठिती P द्विती, मोहम्मे 29Jom. चइऊण, P सोहं दिट्ठो तुब्मेहि, P om. जाओ. 30) P महारोरवे, P आउक्खएण. 31) जाओ। तो वि गार हत्थं, न तवसंजर्म for संजमजोयं. 32) J om. य after मरिऊण, Join. य before केवली, Jणि for णियय. 33) तीय, P निय for णियय. Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वोओ पक्खि भी भो। उज्जोयणसूरिविरइया 15२१२1 संपर्य' ति चिंतेमाणेण दिट्ठा सा वि तम्हाओ णरयाओ उव्वट्टिऊण पउमणयरं णाम जयरं । तत्थ पउमस्स रण्णो सिरीकंता । णाम महिला तीय उयरे धूयत्ताए उववण्णा । तम्मि य समए जाय-मेत्ता। तं च दट्टण जाइ-मेत्तं उद्धाइओ इमस्स रोसो इमाए 3 पुन्वं अहं विणिवाइओ' ति । 'ता कत्थ संपयं वञ्चह' त्ति चिंतयंतो गुरु कोव-फुरफुरायमाणाहरो समागमओ वेएणं । 3 गहिया य सा तेण बालिया । घेत्तण य उप्पइओ आगओ दक्खिणं दिसाभोयं । तत्थ विंझ-सिहर-कुहरंतराले चिंतिउं पयत्तो। किं ताव । अवि य। 6 'किं पक्खिमि समुद्दे किं वा चुण्णेमि गिरि-णियंबम्मि । किं खइरं पिव मो मलेमि किं वा करयलेहिं॥ अहवा णहि णहि दुट्ट मए चिंतियं । ण जुज्जइ मह इमं ति । जेण इत्थिय त्ति इत्थि-वज्झा, बाल त्ति बाल-वज्झा, अयाणिय त्ति भूण-वज्झा, असरण त्ति एकिय त्ति सव्वहा इमम्मि चेव कंतारम्मि उज्झामि । सयं चेव एत्थ माणुस-रहिए असेसोवाय9 विरहिया मरिहिइ, महा-पक्खीहिं वा विलुप्पिहिइ, सावएहिं व खजिहिइ' त्ति चिंतयंतेण उज्झिया गयणयले कमेण य " णिवडिया । अवि य । किं विजाहर-बाला अह णिवडइ चंदिमा मियंकस्स । विज व्व घणब्भट्ठा तारा इव णिवडिया सहसा ॥ 12 णिवडमाणी य आसासिया पवणेण । णिवडिया य तम्मि पएसे महंताए जालीए अणेय-गुविल-गुम्म-कोमल-किसलयाए । 12 ण य तीए विवत्ती जाया । तओ णिवडिया लोलमाणी जालिय-मज्झुद्देसे । ६२१३) एत्यंतरे य तहा-विह-धम्म-कम्म-भवियव्वयाए एयम्मि चेय पएसे समागया गब्भ-भर-वियणा-विब्भलंगी 15 वण-मय-सिलिंबी । सा य तं पएसं पाविऊण पसूया । पसव-वियणा-सुच्छा-विरमे य तीए णिरूवियं, दिटुं च तं मय- 15 सिलिंबयं बालिया य। चिंतियं च तीए इमं मह जुवलयं जायं ति । मुद्ध-सहावत्तणेण ण लक्खियं । दिण्णं थणं एक बालियाए दुइयं मयलीयस्स । तओ एएण पओएण सा जीवमाणी जीविया । सा य मई तम्मि चेय पएसे दियहे राईए 18 अच्छिउँ पयत्ता। जाव ईसि परिसक्किडं पयत्ता, तओ मिलिया मय-जूहस्स, किर मईए एसा जाय त्ति ण उब्वियंति सारंगया।18 ण य तीय तत्थ कोइ माणुसो दिट्ठो । तओ तत्थेय मय-दुद्ध-पुट्ठा वडिउं पयत्ता । तओ भो भो विजाहरा, तत्थ सा अरण्णम्मि भममाणी जोवणं पत्ता । तत्थ य अच्छमाणीए कुडंगाई घराई, णिद्धे पक्खिणो, बंधवे वाणर-लीवे, मित्तं 21 तरुयरा, असणं वण-फलाई, सलिलं णिज्झर-पाणियं, सयणं सिलायलाई, विणोओ मयउल-पट्टि-सिहरोलिहणं ति । अवि य,21 गेहं जाण तरु-तलं फलाइ असणं सिलायलं सयणं । मित्तं च मय-कुलाई अहो कयस्था अरण्णम्मि ॥ तओ सा मय-जूह-संगया माणुसे पेच्छिऊण मय-सिलिंबी इव उच्वुण्ण-लोयणा पलायइ । तेण भो, जं तुब्भेहिं पुच्छिय 24 जहा का उण एसा वणम्मि परिब्भमइ, ता जा सा मह भइणी पुव्व-भवे आसि सा णरयाओ उब्वट्टिऊण एल्थ उववण्णा ।24 ण य कयाइ माणुसो तीए दिट्ठो, तेण दट्टण तुब्भे सा पलाण त्ति । एत्थंतरम्मि भणियं विजाहरेहिं णरवइणा य 'अहो महावुत्ततं, अहो कटुं अण्णाणं, अहो विसम मिच्छत्तं, अहो भय-जणओ पमाओ, अहो दुरंता ईसा, अहो कुडिला 27 कम्म-ई, अहो ण सुंदरो सिणेहो, अहो विसमा कज-गई । सव्वहा अइकुडिलं देव-विलसियं । अवि य । 27 अकयं पि कयं तं चिय कयं पि ण कयं अदिण्णमवि दिणं । महिलायणस्स चरियं देव तए सिक्खियं कइआ॥ भणियं च तेहिं 'भगवं, किं सा भव्वा, किं वा अभब्व' ति । भगवया भणियं 'भव्वा' । तेहिं भणिय 'कहं वा सम्मत्तं 30 पावहिद' । भगवया भणियं 'इमम्मि चेय जम्मम्मि सम्मत्तं पायेहिइ' । तेहिं भणियं को से धम्मायरिओ होहिइ 130 भगवया भणिय मं उद्दिसिऊण 'जो एस राय-कीरो एसो इमीए धम्मायरिओ' त्ति । तेहिं भणियं 'कहं एसो सं वर्ण पावेहिइ' । भगवया भणियं 'इमा चेय राय-धूया पेसिहिइ' । इमं च वयणं णिसामिऊण पियामहस्स राय-धूयाए 33 कोमल-करयलंगुली-संवलंत-णह-मऊहाए भणियं । 'भगवं, समाइससु जइ किंचि कर्ज इमेणं कीरेणं, किं पेसेमि ।' 33 1) Pपउमनयरे, Pom. णाम जयरं । तन्थ, सिरीताए. 2) Pमहादेवीए for णाम महिला तीय उयरे, Jom. य after तम्मि, P om च. 3) P पुचमहं. 4) उत्तरं for दक्विगं. 5) Jom. किं ताव. 6) किं पक्खिवामि P किं वाखिवेमि [वमि], P वर for खरं, Pता for वा. 7) P मे for भए, Jom. ति. 8) P"किय,J चेअ, Jचेअ, P'आयससोवायरहिया. 9) मरीहिहापक्खीहिं, P पक्खिहि P विलुं पेइहिइ, वा for व, P गयणे कमेग- 11) Pon. अह, Padds किं before चंदिमा, P मयंकरस, 12) Jom. य before आसासिया, Pom. य, Pपएसं, J गुहिल. 13) से for ती, I on. लोलमाणी, P जालिमझदेसे । पत्थंतरो य. 14) Pom. कम्म, J भविअव्बताए, P विम्हलंगी. 15) " पयप वियण , J तीय. 16) सिलिबिंबा लिया, P जुवलं. 17)P मयलीवस्स, Pमती for मई, J दिअहे दिअहे राई एण अन्छि. 18) परिब्भमिओ सकिया, Pom. पयत्ता, तओ मिलिया etc. to वडिउं पयत्ता ।. 19)Jom. तओ before भो भो. 20) वानरलीवा. 21J वणहलाई P वणफला, सिरोहिदणंति. 22) J तरुअरे J मयउलाई, I कयत्थो. 23) Jy for इव, " उतुष्ण, ।' पलाइ, P om. भो. 24) J काऊण, P परिभमइ, P उवट्टिऊण, Jएत्थोवबण्णा. 25) Pom, य,J तीय, ' तुज्झेसा पुलाय त्ति. 26) Pom. महा, P वुत्तंतो, J भयावणओ. 27) P कम्मगती, P अइकुडिदलं देवविलसियं. 28) " देव तद. 29) अभवया for अभव्य त्ति, Pom. भगवया, P तेण for तेहिं. 30) P पाविहिन, पाविहि ति । तेहिं, P सो for से. 31) अहं for i, P om. एसो इमीए, P adds भहिं after तेहिं 32)P पावे।हिद, P भनिओ, 'राधूया, J पेसिहिति P पेसिइहिइ, P वयणं पियामद्दस्स संतियं सुणिऊण राय 33) P करयंगुली, मयूहाए, P किंपि कजं. Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२१४) कुवलयमाला १२७ । भगवया भणियं 'अविग्धं देवाणुपिए, मा पडिबंधं करेसु । कायव्वमिणं भवयाणं, किच्चमेयं भवियाणं, जुत्तमिणं भव्वाण, 1 ___जं कोइ कत्थइ भब्व-सत्तो अरहताण भगवंताणं सिव-सासय-सोक्ख-सुह-कारए मग्गम्मि पडिबोहिजइ' त्ति । इमम्मि य 3 भणिए 'जहाणवेसि' त्ति भणमाणीए अइप्पिओ तह वि भत्तीए 'अलंघणीय-वयणो भगवं' ति सिढिलियाई पंजरस्स ३ सलाया-बंधाई । भणिय च तीए । अवि य । वर-पोमराय-वयणा पूस-महारयण-णील-पक्ख-जुया । अब्भत्थिओ सि वर-सुय कइया वि हु दसणं देजा ।। अहं पिणीहरिओ पंजराओ । ठिओ भगवओ केवलिणो पुरओ। भणिय च मए । ___जय ससुरासुर-किंणर-मुणि-गण-गंधव-णमिय-पाय-जुया । जय सयल-विमल-केवल-जाणिय-तेलोक-सब्भाव ॥ त्ति भणमाणेण पयाहिणीकओ भगवं पणमिओ य । आउच्छिओ य णरवई । दिहा य रायधूया। बंदिऊण य सब्वे उप्पइओ 9 धोय-असि-सच्छहं गयणयलं, समागओ इमं वणंतरालं । एत्थ मग्गंतेण दिट्ठा मए एसा, भणिया य 'हला हला बालिए। इमाए य इमं सोऊण ससंकिओव्वेव-भीय-लोयणाए पुलइयाई दिसि-विभायाइं जाव दिट्ठो अहं । तओ एस वण-कीरो त्ति काऊण ण पलाइया । तओ अहं आसण्णो टिओ । पुणो भणिय 'हला हला बालिए' त्ति । इमाए य किं किं पि अव्वत्तं 12 भणियं । तओ मए गहियं एकं चंचूए सहयार-फलं । भणियं च मए 'गेण्ह एयं सहयार-फलं'। गहियं च तीए। 12 पुणो मए भणियं 'मुंच इमं सहयार-फलं' । तओ खाइउं पयत्ता । पुणो मए भणिया 'मा खायसु इमं सहयार-फलं' । पुणो भणइ 'किं किं पि अव्वत्तक्खरं तुम भणसि'।मए भणियं एयं सहयार-फलं भण्णइ । तं पुण बाला महिला भण्णसि । अहं । राय-कीरो भण्णामि । एसो रुक्खो भण्णइ । एयं वर्ण भण्णइ । इमं गहियं भण्णइ । इमं मुकं भण्णइ । एए वाणर-लीव 15 त्ति । एवं च मए बालो विव सव्व-सण्णाओ गाहिया । एवं च इमिणा पओगेण अक्खर-लिवीओ गाहिया । तओ धम्मत्थ काम-सत्थाई अहीयाई । सव्वहा जाणियं हियाहियं । अवगयं भक्खाभक्खं । सिटुं कज्जाकज ति । अण्णं च । 18 जति जेण भावा दृरे सुहमा य ववहिया जे य । ते मि मए सिक्खविया णिउणं वयणं जिणवराण ॥ 18 साहिओ य एस सयलो वुत्ततो जहा तुम पउमराइणो धूया, वेरिएण पुत्थ आणीय' त्ति । भणिया य मए एसा जहा 'एहि, वच्चामो वसिमं, तत्थ भोए वा भुजसु परलोयं वा करेसु' । इमीए भणियं 'वर-सुव, किमेत्थ भणियव्वं, । सव्वहा ण पडिहायइ महं वसिम' ति । किं कारण । जेण दुलक्खा लोयायारा, दुरुत्तरा विसया, चवला इंदिय-तुरंगा, जिंदिओ विसय-संगो, कुवासणा वासिओ जीवो, दुस्सीलो लोओ, दारुणो कुसील-पसंगो, बहुए रूला, विरला सजणा, पर-तत्ति-तग्गओ जणो, सब्वहा ण सुंदरो जण-संगो त्ति । अवि य ।। 4 पर-तत्ति-तग्गय-मणो दुस्सीलो अलिय-जपओ चवलो। जत्थ ण दीसइ लोओ वण पि तं चेय रमणिजं ॥' 24 भणिऊण इहेव रण्णुदेसे परिसडिय-फासुय-कुसुम-फल-कंद-पत्तासणा तव-संजमं कुणमाणी अच्छिउं पयत्ता । तओ जे तए पुच्छियं भो रायउत्त, जहा 'कत्थ तुम एत्थ वणम्मि, किं वा कारण' ति तं तुह सव्वं साहियं ति । ६२१४) एत्यंतरम्मि ईसि-पणय-सिरो पसारिय-करयलो उद्धाविओ रायतणओ । भणियं च ण 'साहम्मियं 27 वंदामि' ति । रायकीरेणावि भणिय 'वंदामि साहम्मिय' ति। तओ तीए भणिय 'भणियाए लक्खिओ चेय अम्हेहिं जहा तुमं सम्मत्त-सावओ त्ति । किं कारगं । जेण केवलि-जिणधम्म साहु-संजम-सम्मत्त-णाणाई किरिया-कलावेसु णामेण वि 10 घेप्पमाणेसु सरय-समय-राई-सयल-ससंक-लंछण-दोसिणा-पूर-पसर-पवाह-पवलणा-वियसियं पिव चंदुजय तुह मुहयंदं ति। 30 एत्थंतरम्मि सूरो पसढिल-कर-वलय-दिट्ठ-बलि-पलिओ। अह जोव्वण-गलिओ इव परिणमिउं णवर आढत्तो ॥ इमम्मि य वेले वट्टमाणे भणियं एणियाए 'रायउत्त, अइक्कतो मज्झण्ह-समओ, ता उट्टेसु, हाइडं वश्चामो' त्ति 1) देवाणुपिए, भवाणं " भवियाग, nfter कायम्वमिणं भवियाणं किच Padds a long passage कालंतरेण परिनिष्पन्नो etc to परपुरिसो को विपासं from the earlier context. p. 125, 11. 10-18. 2) P को वि कत्थ वि भव. 3) J जहाणवेदि (१) त्ति, ' om. तह, 1 om. भत्तीए, J भत्तीय भगवं अलंघणीओ त्ति सिदिलि', J पंजरसणाया. 4) J om. अवि य. 5) J महारायणील, J य वि for वि हु, 6) अह वि णीहरिओ, P ट्ठिओ. 7) P सभाव. 8) काओ for कओ, Pom. य after आउच्छिओ, दिट्टा and वंदिऊण. 9) Jउप्पइओ य धोआसिसच्छमं. 10) Pom. य before इमं, ससंकिओबिग्गलोयणाए, P दिसिवहाई. 11) P adds आसन्नो ठिओ before हला, बालिय, " om. य before किं. 12) चअ for चंचए, P om. भणियं च मए गेण्ह एयं सहयारफलं,J adds य before मण. 14) भणिया for भणद, अम्वत्तक्खरं, P adds कि before तुमं, Pएम for एयं. 16) Jom. 'च, J पओएण, P लिविओ. 17) J अहि आई, सिज्ज for सिटुं. 18)P सुहुमा य बायरा जे य । तं पि मए सिक्खकामसत्थाई अहीयाई सबद्दा जाणिय हियाहियं वियानि उणे वयणं जिणवराणं । साहिओ. 19) Pom. य, Pए for एस, P दुत्ततो for वुत्तंतो, जह, P तुई for तुमं, J वत्थु for एत्थ, ' आणिय. 20) J इमीय, परत्य. 21)P पडिहाइ मह, P लोयायारो, I दुत्तरा, P चंचला for चवला, तुरंगमा. 22) Jadds संगो before जीवो, J सीलो. 24) P वर for वणं, P चेव. 25) Pइहेवारनदेसे, Prepeats फामय, , पयत्त त्ति. 26) J repeats भो, Jadds कारण जेग after किंवा, P साहिय. 27) Pउहाविओ, P साम्पिय. 28) Jतीय, Pपणियाए for मणियाए. 29) Join. जेण, J केवल, P समत्त. 30) P सयलससिलंछणजो सिणा, Pom. पवाह, पवालणा, "तुझ्यंदं ति. 31)P वलियलिओ. Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८ उज्जोयणसूरिचिरया [$ २१४ । 1 समुडिओ व रायवणभो । उबगया य तस्सासम-पएसस्स दुखणं दिसा-भायं धोयंतरेण दिई एकम्मि ऊसिय- सिय-विंश- 1 गिरि-सिर-कुदतरालम्मि विमल-कलिया-लहरि - सील-जलो तत्थ य तीर-तरुयरस हेडन संडिओ संटियाणि 3 मियाई बकलाई कुसुम-गुडवाई गद्दियाई फलिद्दामलिणीय परियाई मुकामलाई ससाई सिलायम्मि उलियाई उत्तिमंगाई । मज्जिया जहिच्छं । परिहियाई कोमल धोय धवल-वक्कल-दुऊलाई । गहियं च पउमिणी- पुडए जलं । तं च घेत चलिया उत्तरं दिसाभोयं तत्थ य एकम्मि गिरि-कंदराभोए दिट्टा भगवओो पदम-तित्थ पवगस्स उस सामिस्स 6 फलिह - रयणमई महापडिमा । तं च दट्टण गिब्भर भत्ति-भरावणउत्तमंगेण 'णमो भगवओ पढम-तित्थयरस्स' त्ति भगमाणेण 6 कज कुमारेण पणामो । तभो पाणिभो भगवं विम-सलिले, आरोपियाई जल-थल कुसुमाई तो कब पूया महाविहिणा थोऊण पयत्ता | अवि य । 9 जय पढम-पया पत्थिय जय सयल-कला-कलाव - सत्थाह । जय पढम-धम्म- देसिय जय सासय सोक्ख-संपण्ण ॥ ति भणमाणेण णमिए चलणे तो नया विभणियं । I 'छण-लंड-बच्छाए पीण-समुण्णय भुय-जुयलाए । मत्त महागय गइ सरिसाए तुझ नमामि पर जिगवंद ' 12त्ति भणती पणमिओ भगवं । वंदिओ य रायतणओ । सुएण वि भणियं । 'तिरिया विजे उणयों तुवर्ण पाचिकण खोयम्मि पार्वति ते विसमये तेण तु पणमिमो पयरोणं ॥ ति इमाए य गीइयाए श्रुणिऊण णिवडिओ चलणेसु कीरो । पुणो वंदिओ कुमारो पुणियाए । तओ आगया तं पएसं 15 जत्थासमेत व पवियाई भय-सिबियाई संवग्गियाई वाणर-सीवाई, भोजियाई असेस सुब- सारिया सडा-सावय- 16 संघाई पणमियाई च कुमारस्स सुह-सीयल-साउ-सुरद्दि- पिक पीवर वण-फलाई पच्छा जिमियं पुणिया कीरेण व $ २१५ ) तओ आयत्त - सुई - सत्थेदिय - गामाण य विविह-सत्थ- कला - कहा- देसि भासा - णाण- दंसण चरित्त-तित्थादिसय18 बेरग्ग-कहासुं अच्छंताणं समागयं एकं पत्त-सबरि- सबर- जुवलयं । तं च केरिसं । अवि य । कोमल-दीदर बी-बन्द- जडा-का-सोहिलं गाणा-चिह-वण-तरुवर कुसुम- सयाद धम्मेलं ॥ गिरि-हर- वियड सामल धाउ-रसोयलिय सामलच्छाये सिय-पीय-रत्तवत्तर- चचिर-पश्चिक-परिकं ॥ अइयोर पण घोलमान गुंजावली पसाणवं सिय-सिहि-पिंड विणिग्मिय चूडालंकार-राइल | मंगल-मंडल-गत दाण-घण वह विरद्दयालेक्ख भवरोप्पर-सीविय. पण वकलुफेर-परिणये ॥ ति । अवि य कोलउल-कालयकं दाहिण हत्थम्मि दीहरं कंडं । वामे कयंत भुय-दंड- सच्छहं धणुयरं धरियं ॥ 1 1 24 तस्स य सबर - जुवाणस्स पासम्मि केरिसा वर जुवाणिया । अवि य । 21 - 30 एक्करस देहि विहवं रूवं अण्णरस भोइणो अण्णे । हय देव्व साहसु फुर्ड कोडिलं कत्थ ते घडियं ॥ ता धिर भावस्य ण क लक्खणेहिं विडियाई लक्खणाई, अप्यमाणाई सत्धाई, असारीच्या गुणा, अकारणं । वेसायारो, सव्वहा सव्वं विवरीयं । अण्णहा कत्थ इमं रूवं लक्खग- वंजण-भूसियं, कत्थ वा इमं इयर पुरिस विरुद्धं 1 > Jom. य before रायतणओ, पएसस्स पच्छिमदक्खिणदिसा, एक्कं for एक्कम्मि, ऊससियं विंझ, विझरि 2 ) J जलाले सीओ P संठिया निम्मियानं 3) P om. कुसुमपुडयाई, J फालिआमलिणीयलप डियाई. 4) परिहिआ कोमल, Jom. पउमिणी. 5 ) J वलिया for चलिया, Pom. पदम, पवत्तयस्स उसम रण, मत्तिम्भरावणयुत्तनंगेण णपुमंग 7ter पणाम and कुमारेण फलिद, 3 विहाणाई for महाविहिणा, P थुणिऊ for थोऊन. 9 ) J जय for सयल, Pom. कला, P सत्थाहं', Pom. तओ, एणिआय P पडियार. 11 ) P -लच्छिय, P भुयलाए, जिणयंदा त्ति. 12) P सूएण 6) J fear for कुमारं 8 ) P देसय. 10 > 13 ) P सवण्णया, P पयत्त एणं. 14 ) Jom ति, एमाए, पणिनाय P पणियाई, P आगया तं 15) डिग्गिआई, सेस for असेस. 16 ) P सीयलाओ साओ, वणहलाई P वणफलाई. 17 ) P देसिहासा, P तित्थाइसयवरग्ग 18 P पत्तं, Jom. सबरि. 19) Jदीहरपलीवड्ढद्ध P वलीवडुडु, P तरुयर, समाबद्ध 20 ) P पीव for पीय, रत्तवण्णर, " चचिय, सचिक for चचिक21 ) P राहिलं. 22 > Jom. धूण, J वट्ठ for वह, 23 ) P वाम. 24 > P वरजुयाणिय. 25 ) P सुयणु, J अयोज्झ. 26 > Pय तहिं, Pom. य. 27 Jपणयुत्तमं गेहिं, om. तं. 28. 29 > सिरगं. 30 P देश, P रूयं देव, P कोहेलं, ए for ते, पढिमं P पडियं 31) P रूवरस for भावरस, कलुणेहिं for लक्खणेहिं, J उप्पमाणाई. जिं. 32) 12 बहु-मुत्ताहल - रुइरा चंदण-गय-दंत वावडा सुयणू । सिय-चारु चमर-सोहा सबरी जयरी अयोज्झ व्व ॥ उवसप्पण व तेहिं कमी पणामो रामउत्तरस एणियाए कीरस्स व विसण्णा व एकम्मि दूर. सिलावलम्मि पुच्छिया य एणियाए सरीर-कुसल वहमानी सादिया व तेहिं पणउत्तमंगेहिं ण उण वायाए । णिविवरां से कालवडे धरणीए अ सुहासा जाना। कुमारेण व असंभावणीय-रूप-सोहा-विरुद्ध-सबर-वेस-कोहलुष्कुललोयण- ज्यले य नियच्छि पायग्गाओ जाव सिहति चिंतियं च हियण अवि य, 1 18 21 24 30 Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला १२९ 1 पत्तं सबरत्तण तिचिंतयंतेण भणियं 'एणिए, के उण इमेति । एणियाए भणियं 'कुमार, एए पत्त-सबरया, एत्थ वणे । णिवसंति, अणुदिणं च पेच्छामि इमे एत्थ पएसे' । तओ कुमारेण भणियं 'एणिए, ण होंति इमे पत्त-सबरय' त्ति । तीए ३ भणियं 'कुमार, कह भणसि' । 'भणामि समुह-सत्थ-लक्खगणं' ति । तीए भणियं किं सामुई कुमारस्स परिणयं' । तेण 3 भणियं 'किंचि जाणामि' । तीए भणियं 'अच्छंतु ताव इमे पत्त-सबरया, भणसु ता उवरोहेणं पुरिस-लक्खणं' ति । कुमारेण भणियं 'किं वित्थरओ कहेमि, किं संखेवओ' ति । तीए भागेयं त्तियं वित्थरो संखेवओ वा'। कुमारेण भणिय 6'वित्थरओ लक्खप्पमाण, संखेवओं परिहायमाणं जाव सहस्सं सयं सिलोगं पा' । तीए भणियं “संखेवओ साहसु'। 6 तेण भणियं । 'गतेर्धन्यतरो वर्णः वर्णादुन्यनरः स्वरः । स्वरादुन्यतरं सत्त्वं सर्व सत्त्वे प्रतिष्ठितम् ॥ 9 एस संखेवो' त्ति । २१६) भणियं च तीए ईसि विहसिऊग 'कुमार, एस असंखेवो, सकयं च एयं, ता भणयं वित्थरेण भणभु पायएणं' ति । तेण भागय 'जइ एवं ता शिसुणसु । अपि य । 12 पुच-कय-कम्म-रइयं सुहं च दुक्खं च जायए देहे । तत्थ वि य लक्खणाई तेणेमाई णिसामेह ।। अंगाई उवंगाई अंगोवंगाई तिमिण देहम्मि । ताणं सुहमसुहं वा लक्खणमिणमो णिसामेहि ॥ लक्खिजइ जेण सुदं दुक्खं च णराण दिष्टि-मेत्ताणं । तं लक्खणं ति भणिय सब्वेसु वि होइ जीवेसु ॥ रत्तं सिणिद्ध-मउयं पाय-तलं जस्स होइ पुरिसस्स । ण य सेयण ण चंकं सो राया होइ पुहईए॥ ससि-सूर-वज-चककुसे य संखं च होज छत्तं वा । अह बुङ्क-सिणिद्धाओ रेहाओ हति णरवइणो ॥ भिण्णा संपुण्णा वा संखाई देति पच्छिमा भोगा । अह खर-वराह-जंबुय-लक्खंका दुक्खिया होति ।। 18 वट्टे पायंगु अणुबूला होइ भारिया तस्स । अंगुलि-पमाण-मेत्ते अंगुट्टे भारिया दुइया ॥ जइ मज्झिमाएँ सरिसो कुल-वुड्डी अह अणामिया-सरिसो । सो होइ जमल-जणओ पिउणो मरणं कणिट्रीए । पिहुलंगुटे पहिओ विणयग्गेणं च पावए विरहं । भग्गेण मिच-दुहिओ जह भणियं लक्खणण्णूहिं॥ दीहा पपुसिणी जस्स होइ महिलाहि लंधिओ पुरिसो। सञ्चिय मडहा कलहपियस्स पिय-पुत्त-विरह वा ॥ अह मािमा य दीहा धण-महिलाणं विणासणं कुणइ । तइया दीहा विजाहिवाण मडहा पुणो कण्णा ॥ जइ दीहा तुंगा वि य पएसिणी पेच्छसे कणिट्टा वा । तो जगणी जणयं वा मारेइ ण एत्थ संदेहो ॥ उत्तुंग-णहा धण्ण। पिहुलेहि णरा सुहाइँ पार्वति । रुक्खेहि दुक्खिया वि य आयरिस-समेहि रायाणो ॥ तंबेहि दिय-भोगी सुहिओ पउमेहि गरवई-पुत्तो । समणो सिएहि पाएहिँ फुल्लिएहिं च दुस्सीलो॥ मज्झे संखित्त पायाणं इथि कजो महं भये । णिम्भंसा उक्कडा जे य पाया ते धण-वजिया ।। जे दाह-थूर-जंघा वराह-जंघा य काय-जंघा य । ते दीह-दुक्ख-भागी अद्धाणं णिच्च पडिवण्णा ॥ जे हंस-आस-वारण चक्काय-मोर-मयवइ-वसह-समा । ते होंति भोग-भागी गईहिँ सेसाहिँ दुक्खत्ता ॥ जाणू जस्स भरे गूढो गुप्फो वा सुसमाहिओ । सुहिओ सो भवे णिच घड-जाणू ण सुंदरो ॥ जइ दक्खिष्ण चलियं लिंग तो होइ पुत्तो पाउमं । अहवाम तो धूया भोगा पुण उज्जए होति ॥ दाहिण-पलब-बसणे पुत्तो धूया य होइ नामम्मि । होति लमेसु य भोगा दीहर-बट्टेसु तह पुत्तो॥ जइ होति तिष्णि बसणा सुहुमा वा बहिया तओ राया । उक्खुडुए थोवाऊ होइ पलंबम्मि दीहाऊ ॥ 23 हस्सो पउम-सवण्णो मणि-मझो उपणओ सुही लिंगो । वंक-विवण्ण-सुदीहे णिण्णयले होइ दोहग्गं । 1) [तसपरतणं], एते for ए. 2)J परासपरे त्ति P पत्तरसवरय ति, तीअ for तीय. 3) Padds सा before समुद्द, rom. सत्थ, कवणेहि ति, तीर, - परि-अंfr परिणयं. 4) तीन, ता for ताब, J लकवणं च ति. 5)चिन्थरतो, संखेवतो, ती गि, निस्परं for वित्थरओ. 6)P जाय for जाव, J तीअ. 8) P गते न्य'. JP चण्णः [वर्णो],.JP द्धन्यवर: ।। सत्वं, सने प्रतिछितमिति. 9) संखेओ. 10) P adds सि before ईसि. Jinter. Uta, Jalds u.belorenा. 12) J अहं च for दुखंच, J एगिशा for तेगेमा, णिसामेहि. 13) उबंगाइ य अंगों'. 15) Pसिणिझं, P होति for होइ. 16) P होद for होज, " बुद्धि. 17) Pसंखाई, e for:18) अंगुलपमाग. 19) अहमानामिभा सरिसा। ता होइ जमडजाओ. 20) लिंगुहो. 21) 'दहाप for दी1, हिलाईलंपि, विरहो व्य. 22)J om. य. 24 Jआयरिय- P आयंस. 25) Pदीह for दिघ, J मागी for भोगी, पाम हिं for पउमे हिं, J रत्ता for पुत्तो, P सिएहिं पीए.हिं बम्हहा दुस्सीलो पुल्लिं', J om. च, Pom. दुरसीलो. 26) म, कज्जे वस्त. 27) J यूल for थूर. 28) P हंसचायटवकागोरायायवश्समाहिं, मयवसह, P गतीहिं. 29) 'हु before सो. 30)लिंग विणयं for चलियं लिंगं, I भोगा उण, 31) विसणो for बसणे, P होति for होर, J एम (corrected as तह पुत्तो) Pएसु. 32) विसणा for वसणा, भा for बा, वड़िया, J उकडए. 33) Pउज्ओ for उण्णओ, P गज्झे, J सुदीडो. 17 Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 १३० उज्जोयणसूरिविरइया [६२१६1 जो कुणइ मुत्त-छद्दी बहु-बीयं मोत्तियप्प होइ । णीलुप्पल-दहि-मंडे हरियालाभे य रायाणो ॥ मंसोवइया पिहला होइ कडी पुत्त-धण्ण-लाभाए । संकड-हस्साएँ पुणो होह दरिदो विएसो य॥ वसह-मऊरो सिंहो वग्यो मच्छो य जइ समा उयरे । तो भोगी वट्टम्मि य सूरो मंडुक-कुच्छी य ॥ गंभीर-दक्खिणावत्ता णाभी भोगाण साहिया होइ । तुंगा वामावत्ता कुलक्खयं कुणइ सा णाही ॥ पिहुलं तुं तह उण्णयं च सुसिणिद्ध-रोम-मउयं च । वच्छयलं सुहियाणं विवरीयं होइ दुहियाणं ॥ सीह-सम-पटि-भाया गय-दीहर-पट्टिणो य ते भोगी। कुम्म-सम-पुट्टि-भाया बहु-पुत्ता अत्थ-संपण्णा ॥ उबद्ध-बाहुणो बद्धा दासा उण होति मडह-बाहुगो पुरिसा । दीहर-बाहू राया पलब-बाहू भवे रोगी॥ मेस-विस-दीह-खंधो जिम्मंसो भार-वाहओ पुरिसो। सीह-सम-मडह-मंसल-वग्घ-क्खंधे धणं होइ॥ दीह-किस-कंठ-भाया पेसा ते कंबु-कंठया धणियो। दीहर-णीमंस-णिहो बहु-पुत्तो दुक्खिओ पुरिसो॥ पीगोट्टो सुभगो सो मडहोट्टो दुक्खिओ चिरं पुरिसो। भोगी लंबोटो वि य विसमोटो होइ भीसणओ॥ सुद्धा समा य सिहरी घण-गिद्धा राइणो भये दंता । विवरीया पेस्साणं जह भणिय लक्खणण्णूहि ॥ बत्तीसं राईणं एक्कत्तीसं च होइ भोगीणं । मज्झ-सुहाण य तीसं ए ऊणा अउण्णाण ॥ अइ-बहु-थोवा सामा मूसय-दंता य ते णरा पावा । बीमच्छ-करालेहि य विसमेहि होंति पावयरा ॥ काला जीहा दुहिणो चित्तलिया होइ पाव-गिरयाग । सुहुमा पउम-दलाभा पंडिय-पुरिसाण णायब्वा । गय-सीह-पउम-पीया ताल य हवंति सूर-पुरिसाण । कालो णासेइ कुलं णीलो उण दुक्खओ होइ । जे कोंच-हंस-सारस-पूसय-सहाणुलाइणो सुहिआ। खर-काय-भिण्ण-भायल-रुक्ख-सरा होति धण-हीणा॥ सुहओ विसुद्ध-णासो अगम्म-गामी भवे उ छिपणम्मि । [.......... ......................... ... ... ... ... ] 18 दीहाए होइ सुही चोरो तह कुंचियाएँ णासाए । चिविडाएँ होइ पिसुणो सुयणो दीहाएँ रायाणो ॥ सूई-समाण-णासो पायो तह चेव वंक-णासो य । उत्तुंग-थोर-णासा हल-गोउल-जीविणो होति ॥ मयवइ-वग्ध-सरिच्छा णीलुप्पल-पत्त-सरिसया दिट्ठी । सो होइ राय-लच्छी जह-भणिय लक्खणण्णूहिं॥ महु-पिंगलेसु अत्यो मजार-सोहि पावओ पुरिसो। मंडल- णिमा चोरो रोद्दा उण केयरा होंति ।। गय-णयणो सेणबई इंदीवर-सरिसएहि पंडियया। गंभीरे चिर-जीवी अप्पाऊ उत्यलेहि भवे ॥ अइकसण-तारयाणं अच्छीण भगंति कह वि उप्पाड । थूलच्छों होइ मंती सामच्छो दुब्भगो होइ॥ 24 दीणच्छो धण-रहिओ विउलच्छो होइ भोग-संपण्यो । णिस्सो खंडप्पच्छो अइरत्तो पिंगलो चोरो । कोंगच्छो वह-भागी रुक्खच्छो दुक्खिो गरो होइ । अइविसम-कुकुडच्छो होइ दुराराहओ पुरिसो॥ कोसिय-णयणालोए पुज्जो महुपिंगलेसु सुहयं ति। [............. 7 काणाओ वरं अंधो वरं काणो ण केयरो। वरमंधो वि काणो वि केयरो वि ण कायरो ॥ एएहि सम सुंदरि पीई मा कुणसु तेहि कलह वा । पुरिसाहमाण पढमा एए दूरेण वजेसु ॥ सुत्त-विउद्घ व्व जहा अबद्ध-लक्खा अकारणे भमइ । रुक्खा गिलाण-रूवा दिट्ठी पावाण णायब्वा ॥ 30 उजुयमवलोएंतो तिरिय पुण कोवणो भवे पुरिसो । उहूं च पुण्ण-भागी अहो य दोसालओ होइ ।। हीण-भुमयाहि पुरिसा महिला-कजे य बंधया होति । दीहाहि य पिहुलाहि य सुहया ते माणिणो पुरिसा॥ मडहेहि य थूलेहि य महप्पमाणेहि होंति धण-भागी । मूसय-कण्णा मेहाविणो य तह रोमसेहि चिरजीवी ॥ 33 विउलम्मि भालवट्टे भोगी चंदेण सरिसए राया । अप्पाऊ संखित्ते हुंडे पुण दुक्खिया होति ॥ 1) मोत्तियं प P मोत्तियप्पभो. 2) J मंसोवचिया. 3) J मंडूक, कुक्खी य. 5) Jadds य befor रोम, पच्छत्थलं, विराय for सुहियाणं. 6) P पट्टि for पुट्ठि7) 'भोगी for रोगी. 8) I adds होइ after णिम्मंसो, P सामल for मंसल, Jखद्धे P खंडे, P होंति for होइ. 9) Jहाया for भाया, धमिणा, शिहू P विवू, दक्खिओ for दुक्खिओ. 10 बीभणमओ for भीसगओ. 11) विवरीता, Pसेसाणं for पेस्साणं. 12) होति for होइ. 13) Jथोआ, J मसादंता बीभत्स,J विसमेहि य होति. 14) P जीवा सुहिणो, P पाव for पाण. 15) पीता, तालुया हवंति, P दक्खिओ. 16) J जो for जे, सारसमूसय, J सहाणुणाइणो, सुहिजो, P भायणलखयरा. 17) F अमगामी, Jd for उ. 18Jom. होश, कुंचिताए, P चिविडीए. 19) Pसुई for सुही, I चेअ, वकणासो, Pथोरनासो. 20) सरिसआय जा दिदी. 21) पिंगुलेसु, P मंडलजुण्हा चोरो, न रोदो, P केयरो होइ ।।. 22)F सेणावई, गंभीरेहिं निर. 23) अइकसिण, P मई for मंती, J सावच्छो, P दुहवो. 24) संपुण्णो, अतिरत्तो. 25) कागच्छो for कॉगच्छो. 26) P नयणोलाए, J पुज्जामह, P सुहियं. 27) P वरअंधो काणो य वरं न. 28) Jएतेहिं, पीति. 29) सावित P सचविउदो व्व. 30) Pउज्जुयमवलायतो, Jadds उच्च before तिरियं, I om. पुण, Jou. भवे, Pउद्धं, J भाई अधो य, P त for य. 31) कज्जे हिं बंधया, ह य कद्धया, P पुरिसो ॥.33) भालवट्ठो, र सरिसओ. Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ममह भावे पुहई केसा हा -६२१७]. कुवलयमाला १३१ । दीह-वयणा य णीया पिहले उण होंति के वि कंतारा । चक्कागारे णीया वयणे पुण लक्खणण्णू हिं॥ बाम-दिसाए वामा आवत्तो जस्स मत्थए विट्ठो। कुल-धण-धणिया-रहिओ हिंडउ बीसत्थओ भिक्खं ॥ दाहिण-दिसाए सब्बो आवत्तो होइ कह बि पुरिसस्स । तस्स धण-धण्ण-सोक्खा लच्छीए भायणं होइ॥ वामावत्तो जइ दाहिणम्मि मह दाहिणो व्व वामम्मि । तो होइ सोक्ख-भागी पच्छा पुरिसो ण संदेहो ॥ जइ होंति दोण्णि सव्वा आवत्ता तो भवे पुहइ-भत्ता । सब्बावत्तो सुहओ वामो उण दूहवो होइ॥ माया णिद्वा सुहया अणलामा कलह-कारया होति । केसा रुक्खा मलिणा छुडिया दारिदवंताणं ॥ उर-मुह-माला पिहला गंभीरा सह-सत्त-णाभीया । णह-दंत-तया-केसा सुहुमा पुहईवई होंति ॥ जइ णास-वच्छ-कंठो पिट्ठ-मुहं च अइउण्णय होइ । अह पाणि-पाय-लोयण-जिब्भा रत्ता सुही राया ॥ कंठं पिट्ठी लिंग जंघे य हवंति हस्सया एए । पिहला हत्था पाया दीहाऊ सुत्थिओ होइ ॥ चक्खु-सिणेहे सुहमओ दंत-सिगेहे य भोयण मिटुं। तय-णेहेण उ सोक्खं गह-णेहे होइ परम-धणं ॥ केस-णेहेण मल्लाई भोए भुंजति सव्वहा । मंसलं णवत्तं च सव्वं तं सुह-भायण ॥ होइ गईए गॉरवं विट्रीऍ णरीसरो सरेण जसो । गोरो सोमो णिद्धो होइ पभू जण-समूहस्स ॥ होइ सिरी रत्तच्छे अत्थो उण होइ कणय-पिंगम्मि । होइ सुहं मासलए पलंब-बाहुम्मि इस्सरियं ।। अण्णाणी ण सुणासो ण वहइ भारं सुसोहिय-क्खंधो । सत्थेण णत्थि सुक्खं ण य ममाइ सुस्सरो किंचि ॥ भइदीहा भइहस्सा भइथूला अइकिसा य जे पुरिसा । अइगोरा अइकसिणा सम्बे ते दुक्खिया होति ॥ जे कोसिय-रत्तच्छा कायच्छा होंति ददरच्छा य । अइकायर-कालच्छा सव्वे ते पाव-संजुत्ता ॥ तय-रोम-णहा दंता केसा ओट्टा तहा य णयणेसु । जइ णस्थि तेसु णेहो भमिया मिक्खा वि णो तस्स ॥ पावेइ उर-विसालो लच्छि तह पुत्तए कडी-पिहलो। पिहुल-सिरो धण-धणं पिहु-पाभो पावए दुक्ख ॥ जइ होति भालवट्टे लेहाओं पंच दीद-पिहुलाओ। तो सुत्थिओ धणडो वरिस-सय जीवए णिययं ॥ चत्तारि होति जस्स य सो गवई जीवए असी वा वि । अह तिणि सट्ठि वरिसा मह दोणि य होंति चालीसा ॥ अह कह वि होइ एका रेहा भालम्मि कस्स वि णरस्स । वरिसाइँ तीस जीवइ भोगी धण-धण्ण-संपण्णो । होइ भसीइ अधम्मो णवई पुण अंगुलाई मज्झिमओ। अट्ट-सयं जो पुरिसो सो राया णिच्छिओ होइ॥ एसो संखेवेणं कहिझो तुह पुरिस-लक्खण-विसेसो। जइ वित्थरेण इच्छसि लक्खेहि वि त्थि णिप्फत्ती॥ ६२१७)सीए भणियं 'कुमार , सुंदरं इम, ता किं तए जाणियं इमस्स पुरिसस्स' । तेण भणिय 'एणिए, जहा 21 इमस्स सुहाई लक्खणाई दीसंति, तेण जाणिमो को वि एस महासत्तो पत्त-सबर-वेस-पच्छाइय-णिय-रूवो एत्थ विंझवर्णतराले कि पि कमतरं अणुपालयतो अच्छिउँ पयत्तो। भणियं च । । सागैति किंपिकाल भमरा भधि कुडय-बच्छ-कुसुमेसु । कुसुमेति जाव चूया मयरंदुद्दाम-णीसंदा । 7 इमिणा ॥ होइयध्वं पस-सवरेण' ति । इमं च सुणिऊण सबर-पुरिसेण चिंतिय । 'अहो, जाणइ पुरिस-लक्खणं । ता। ण जुलै अम्ह इह अच्छिडं, वच्चामो भम्हे जाव ण एस जाणइ जहा एस भमुगो' त्ति चिंतयंतो समुट्टिओ पत्त-सबरो 0 सबरीय सि । तमो तेसु य गएसु भणियं एणियाए 'कुमार, अहो विण्णाणं ते, अहो जाणियं ते, जे एस तए जाणिओ' 30 त्ति । तेण भणियं 'जाणिओ सामण्णेणं, ण उण विसेसेण । ता के उण इमे त्ति फुडं मह साहसु' त्ति । भणियं च एणियाए 'कुमार, एए विज्जाहरा' । तेण भणियं 'कीस इमो इमिणा रूवेण' । तीए भणियं 'इमाणं विजाहराण जाणहि 3 चिय तुमं । भगवओ उसम-सामिस्स सेवा-णिमित्तं तुटेण धरणिंदेणं णमि-विणमीणं विजाओ बहुप्पयाराओ दिण्णाओ 138 1) वदणा, P होइंति, P वयणा पुण. 2) Pवामो, P om. धण. 3) Jinter. कह वि and होइ. 4) Pदाहिणो वि वाम ति। ते होर. 5) होइ for होति, J पुह for पुहइ, P दूरवो. 6)P कारिया, P महिला for मलिगा, P फुडिया for छुडिया. 7)P मुहलाला, J नाभीय ।. 8) Jadds कक्खा before कंठो, पिटुं, अति उणयं । अहव णिपातलोयण, P रत्ता for लोयण. 93 कंठं पट्ठी, दीहाउ सुस्थितो. 10) Jण for य, P भोयणं दिटुं, तु for उ. 11) मल्लोदी, P सुंजइ for भुजंति, J मासालं. 12) JP गतीए, दिट्ठीय, गोरवं ट्ठिर नर सरो, गोरो सामो, P पहू. 13) Pसुई सामलए, Pईसरियं. 14) P अन्नाणं सुगर्यसो न हवर तार, J दुक्खं for सुक्ख. 15) I अदिदीहा अदिहरसा अतिथूला अति किसा, अतिगोरा अतिकसिणा, ' दुक्खिता. 16) P या ।, I अतिकायर. 17) ओट्ठा P उद्धा, I भमिता. 18) उरविलासो, P कडिपिडुलो, J विहुवातो for पिटुवाओ. 19) भालबट्टे, मालबलेटाओ, P ते for तो. 20) Jतु for य, P सो नउयं, णवर्ति जीवाओ असीति वा, J om. अह दोणि य होंति चालीसा- 21) Jinter. होइ and कह वि, P एक्को, I जीवति. 22) Jहोति असीति, I णवर्ति, P निच्छओ. 23) Jadds तुह after एसो, P लक्खेण. 24) I तीय, नि । for ता, P किं तयए, P मुह for जहा इमरस सुहाई. 25) I णिअय. 26) चिट्ठइ for अच्छिउँ पयत्तो. 27) Jआउलीय for कुडयवच्छ. 28) P om. इमिणा ण toसपरेणं ति ।, J च सोऊण सबरेण चिंतियं. 29) P अम्हाण इहाच्छिउं, P om. अम्हे, J अमुओ for अमुगो, P अग्भुट्टिओ for समुट्ठिओ. 31) केण उण, P oin. मह. 32) J एते, I इमेण for इगो, तीय, J इमिणा for इमाणं. 33) उसहसामियस्स, P विज्जा बहु. Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२ उज्जोयणसूरिविरइया [६२१७ 1 ताणं च कप्पा साहगोवाया, काओ वि काल-मजागएहिं साहिति, काओ वि जलणे, अण्णा वंस-कुडंग, अण्णा जयर- 1 चच्चरेसु, अण्णा महाडईसु, अण्णा गिरिवरेसु, अण्णा कावालिय-बेस-धारीहिं, अण्णा मातंग-चेस-धारीहिं, अण्णा रक्खसरूचेणं, अवरा वाणर-बेसेणं, अण्णा पुलिंद-रूवेणं ति । ता कुमार, इमाणं साबरीओ विजाओ। तेण इमे इमिणा सेणं 3 विजा साहिउँ पयत्ता । ता एस विजाहरो सपत्तीओ। असिहारएण बंभ-चरिया-विहागेण एत्थ वियरइ' त्ति । भणिय च कुमारेण 'कई पुण तुमं जाणासि जहा एस विजाहरो' त्ति । ती भणियं 'जाणामि, णिसुयं मए कीरेण साहियं । 6 एकम्मि दियहे अहं भगवओ उसभ सामियस्स उवासणा-णिमित उवाल-पोसहिया ण गया फल-पत्त-कुसुमाण वणतरं । । कीरो उण गओ । आगो य दियहस्स बोलीणे मज्झण्ह-समए । तओ मए पुच्छिओ ‘कीस तुम अर्ज इमाए वेलाए आगओ सि'। तेग भणिय ‘ओ वंचिधासि तुम जीए ण दिष्टं तं लोयगाण अच्छेरब-भूयं अदिउव्वं' ति । तओ एस मए 9 सकोऊहलाए पुच्छिओ 'वयस्स,दे साहसु किं तं अच्छरिय' । तओ इमिणा मह साहियं जहा 'अहं अज्ज गओ वणंतरं। । तत्थ ग सहसा णिसुओ मए महंतो कलयलो संख तूर-भेरी-णिणाय-मिस्सिओ। तो भए सहसुब्भतेण दिग कण्ण कयरीए उण दिसाए एस कलयलो त्ति । जाव णिसुर्य जत्तो-हुत्त भगवओ तेलोक-गुरुगो उसह-सामिस्स पडिमा । तओ अहं कोऊहला12 उरमाण-माणलो उवगओ तं पएसं। ताव पेच्छामि दिव्वं णर-गारीयणं भगवो पुरमओ पणामं करेमागं । 12 २१८) तओ मए चिंतियं इमे ते देवा णीसंसर्थ ति । अहवा ण होंति देवा जेण ते दिहा मए भगवओ वलियो केवल-महिमागया। तागं च महियलम्मि ण लग्गति चलणया ण य णिमेस्संति णयणाई । एयाणं पुण महिवढे संठिया 15 चलणया, णिमिसेंति णयणाई। तेज जाणामो ण एए देवा । माणुसा वि ण होंति, जेण अइकंत-रूवादिसया गयणगण-15 चारिणो य इमे । ताण होति धरणीयरा । के उण इमे । अहवा जाणियं विजाहरा इमे त्ति । ता पेच्छामि किं पुण इमेहि एत्थ पारद ति चिंतयतो जिसपणो अहं चूय-पाययोयरम्मि । एत्थंतरम्मि णिसण्णा सव्वे जहारुहं विजाहर-णरवरा विजा18 हरीओ य । तओ गहियं च एकेण सब-लक्खणावयव-संपुण्ण विजाहर-जुवाणरण पउम-पिहाणो रयण विचित्तो कंधण-18 घडिओ दिव्य-विमल-सलिल-संपुण्णो मंगल-कलसो । तारिसो चेय दुईओ उक्खित्तो ताणं च मज्झे एकाए गुरु-णियंब-बिंबमंथर-गई-बिलास-चलण परिक्खलण-क्खलिय-मणि-गोउर-रणरणासद्द-मिलंत-ताल-वसंदोलमाण-बाहु-लइयाए विजाहरीए । 21 घेत्तण य ते जुवागया दो वि अल्लीणा भगवो उसम-सामिय-पडिग्नाए समीयं । तो 'जय जय'त्ति भणमागेहिं समकालं चिय भगवओ उत्तिगंगे वियसिय-सरोरुह-मयरंद-बिंदु-संदोह-पूर-पसरत-पवाह-पिंजरिजंत-धवल-जलोज्झरो पलोहिओ कणय कलस-समूहेहिं । तओ समकालं चिय पहयाई पडहाई । ताडियाओ झल्लरीओ । पवाइयाई संखाई । पग्गीयाई मंगलाई। 24 पढियाई थुइ-बयणाई। जवियाई मंताई। पणचिया विजाहर-कुमारया। तुहाओ विजाहरीओ। उच्च पदंति किंपुरिस त्ति ।। तओ के वि तत्थ विजाहरा णञ्चति, के वि अप्फोडेंति, के वि सीह-णायं पमुंचंति, के ति उक्कुटिं कुणंति, कवि हलहलयं, के वि जयजयाति, के वि उप्पयंति, अण्णे णिवयंति, अवरे जुझंति । एवं च परमं तोसं समुन्वहिउमाढत्ता । तओ 27 भगवं पि हाणिओ तेहिं जुवाणएहिं । पुणो विलित्तो केण वि सयल-वणंतर-महमहंत-सुरहि-परिमलेणं वण्णंगराय जोगेण । तो आरोवियाणि य सिय-रत्त-कसिण-पीय-णील-सुगंध-परिमलायड्डियालि-माला-वलय-मुहलाई जल-थलय-दिव्व-कुसुमाई। उप्पाडियं च कालायरु-कुंदुरुक-मयणाहि-कप्पूर-पूर-उज्झमाण-परिमल-करंबिजमाण-धूम-धूसर-गयणयलाबद्ध-मेह-पडल३॥ संकास-हरिस-उडुंड-तडविय-सिहंडि-कुल-फेयारवारद्ध-कलयलं धूव-भायणं ति । एवं च भगवंतं उसह णाई पूऊण णिवेइयाई) 1) 'om. काओ विकासमजागजाहिं सा दिजंति, Pोमो नि जाणो. 2)|om. गागरेसवारी दि. 3)।अन्ना (for अवरः) वा नरवेसेणं, Pइमाओ for इनार्ग, Pon. मे. 4)JP पत्तो, तिहारणोण, चियर ति कुमारेण ममिय कई. 5) Jतीय for तीए, Pom. जाणनि, कीरसयासाओ for कीरेण साहियं. 6)radds मि after एकम्ति , । उस:J-सामिस्स, J उवासोसहिया, Pom. पन्त. 7)P या for य, योली, Jom. तो सग पुन्द्रिओ, J तुगं गः एमाप. 8) P भगिय उर्वनियासि, P om. तं,J भूनं P-भूयं. 9) वएम for वयस्स, J सार किंपितं अलरी, Jinter. आज अहं. 10) Pom. गण, णिणाओ। तओ, P तए for तओ, . सदनुभतरेण सहते. 11) मणि for जिमय, J भगवो उसभरस पहिमा। तो अहं पि कोऊ इलहलहलाजरमाणगाणसो, कोहलाऊराणसो. 12) जाप for ताव 13) Pदेव निस्संसयं, P writes केवलियो four times. 14) Pकेवलिनहिगा माहित न, Jom. य, निमिति, पार्द पुण J महिवट्ठा, Pसंट्टिया. 15)J जाणिगो, Pमणुसा, P ख्यातिसया. 16) J यारिणो for चारिणो, । गणुया for थरणीयरा, I adds वा after धरणीयरा. 17) P पायव साहा. 18) Pou. बिज्जारजुवाणा ! रमणवितो. 19) om. चेय, J दुइओ, P अक्वित्तो for उपिवत्तो, P om. च, J गिरि for गुरु. 20) TR for गई, आलिय, विजारीओ. 21) जुधाणेया, उस हलामियपडियासमी, J जय जयं ति. 22) Jपयरंद मवरिंद, Jश्वरमप्पा, " जरोशरो. 23) कलसमुहेहिं, Pndds ताई after पडदाई, पगोवाई. 24) J जवाई गंगा, किंपुरिसा सति (सति?), " किंपुरिसा। केइ तत्थ. 25)। उकटुिं, P om. के वि हलहलयं । के वि जयजयावेति ।। 26) Pom. T after u,' तोसमुन्नहि. 27) हिम्मत forममात, " वर्णगराय, I जोपण. 28) J मअंध. 29) P -पखंदुरुक्क, भूमसमा, P पलह for पडल. 30P उइंड, कुले, केयापारद्ध. Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१२२१] . कुवलयमाला १३३ केहिं पि पुरओ णाणाविहाई खज-पेज-विसेसाई । तओ समकालं चिय दिव्याहिं थुईहिं थुणिऊण भगवंत कयं एक 1 काउसग्ग धरणिंदस्स णाग-राइणो आराहणावत्तियाए, दुइयं जीवियब्भहियाए अग्ग-महिसीए, तइयं साबरीए महाविजाए। एवं च काऊण णमोकार-पुव्वयं अवयारियाई अंगाओ रयणाहरणाई, परिहियाई पत्त-वक्कलाई, गहियं कोदंडं सरं चाबद्धो 3 वल्ली-लयाहिं उदो टमर-स-पब्भारो पडिवण्णो पत्त-सबर-वेसं । सा वि जुवाणिया गुंजा-फल-माला-विभूसणा पडिवण्णा सबरित्तणं । तओ एवं च ताण पडिवण्ण-सबर-वेसाणं साहिया महारायाहिराएण सबराहिवइणा महासाबरी विजा कपणे ताणं जुवाणयाणं । तेहिं पि रझ्य-कुसुमंजली-समाहेहिं पडिवगणा । साहियाणि य काई पि समयाई। पडिवणं मूणध्वयं ति। 8 तो पणमिओ भगवं, वेदिओ गुरुयणो, साहम्मिय-जणो य। २१९) तओ भणिय एकेणं ताणं मझाओ विजाहराणं आवद्ध-करयलंजलिणा। 'भो भो लोगपाला, भो भो विजाहिवइणो, णिसुणेसु आघोसणं । आसि विजाहराहिवई पुर्व सबरसीलो णाम सब्व-सिद्ध-साबर-विजा-कोसो महप्पा , महापभावो। सो य अगेय-विजाहर रिंद-सिर मउड-चूडामणि-णिहसिय-चलणवट्टो रजं पालिऊण उप्पण्ण-वेरग्ग-मणो पडिवण्ण-जिणवर क्यण-किरिया-मग्गो सव्व-संग-परिचायं काऊण एत्थं गिरि-कुहरे टिओ। तस्स पुत्तेण सबर-सेणावइ?णामधेएण महाराणा भत्तीए गुरुणो पीईए पिउणो एत्थ गिरि-कुहरम्सि एसा फडिग-सेलमई भगवओ उसभस्स पडिमा 12 णिवेसिया । तप्पभूई चेय जे साबर-विजाहिवइगो विज्जाहरा ताणं एयं सिद्धि-खेत्त, इमाए पडिमाए पुरओ दायव्वा, एत्थ वशे वियरियव्यं । ताणं च पुव-पुरिसाणं सव्वं-कालं सवाओ विजाओ सिझंतीओ । तओ इमस्स वि सबरणाह-पुत्तस्स 5 सबरिंदस्स सबर-वेसस्स भगवओ उसभ-सामिस्स पभावणं धरणिंदस्स णामेणं विजाए सिणिद्धेणं सिज्झाउ से विज त्ति । 15 भणह भो सव्वे विजाहरा, 'सव्व-मंगलेहिं पि सिजाउ से कुमारस्स विज' त्ति । तओ सव्वेहि वि समकालं भणिय । 'सिज्झउ से विजा, सिज्झउ से विज' त्ति भगिऊण उप्पझ्या तमाल-दल-सामलं गयणयलं विजाहरा । तओ ते दुवे वि पुरिसो महिला य इहेव टिया पडिवण्ण-सबर-रेप ति । २२.) तओ कुमार, इमं च सोऊग महं महंतो कोऊहलो आसि । भणियं च मए 'वयंस, कीस तए अहं ण पेच्छाविया तं तारिसं दंसणीय' । भगवओ पूया रइया, साहम्मिया विजाहरा विजा-पडिवण्णा य । अणाढियं तं तुह 1 एरिसं ति । तओ इमिणा भणियं 'तीए वेलाए लेण अपुव्व-कोउएण मे अत्ताणयं पि पम्हुई, अच्छसु ता तुमं ति । ता संपयं । तुह ते विज्जा-पडिवणे सबर-वेस-भारिणो जुवागे दंसेमि' त्ति । मए भणियं एवं होउ' ति । गया तं पएसं जाव ण दिहा ते सबरया। पुणो अण्णम्मि दियहे अम्हागं पडिभं णमोकारयंतागं आगया दिट्ठा ते अम्हेहिं । तेहिं पि साहम्मिय त्ति काऊण कओ काएण पणामो, ण उण वायाए । तप्पहुई च णं एए अम्हाणं उडएसु परिब्भममाणा दियहे दियहे पावति । तेण 28 कुमार, अहं जाणिमो इमे विजाहरा । इमेणं मह कीरेणं साहिंय इमं ति । तए पुण सरीर-लक्खण-विहाणेणं चेय जाणिया। अहो कुमारस्स विण्णाणाइसओ, अहो कुसलत्तणं, अहो बुद्धि-विसेसो, अहो सत्थ-णिम्मायत्तणं । सव्वहा 7 जिणवर-वयणं अमयं व जेण आसाइयं कयत्थेण । तं णस्थि जंण-याणइ सुयप्पईवेण भावाणं॥ ति भणमाणीए पसंसिओ कुमारो त्ति । २२१)तओ थोव-वेलाए य भणियं कुमारेण । 'एणिए, 10 एक भणामि वयणं कद्धयमणिटुं च मा महं कुप्प । दूसहणिज पि सहति णवर अभत्थिया सुयणा ॥' ससंभमं च चिंतिय एणियाए 'किं पुण कुमारो णि?रं कडुयं च भणिहिइ । अह्वा, 18 एसजावण । तेहिं उडएसु परिया 1) काणि for के िथुतीहि, कयमेकं. 2) धरणिनाग', जागरण्णो, P आराइणवत्ति', I om. जीवियम्भहियाए. 3) Pom. च, rom. परिदिया गरिदिलाई हिआई पत्त, कोडण्डसर, P च पद्धो वलिलयाहिं टमर. 4) I टामर for टमर, Pवंसं for वेसं,J सवरत्तणा. 5) डिवणं, सबराहिवश्णो, J महासावरा, P तत्तो for कण्णे. 6) पटिवण्णो।, P गुणवयं. 7) Jinter. गुरुणो and पंदिओ, सादम्मिभयो, Jom. य. 8) Pएकोगं, P लंजलिणो। लोअपाला. 9 अघोसगं, J सिद्धसबर, " -विजो-. 10) चूडामगिसियलणवढो, सियवलयबट्ठो रज्जं, J पाविऊण, P उप्पणवेरग्गमग्गो, 11 Jथ, " सेगावणा व नान । तेग बहाराणो. 12) पीतीय, इरिस for फडिग, P उसहरस. 13) P सबरविज्जा.' चईणो, [either गायचा or धूया दाना, for डायचा]. 14) J रणे for वणे, P विज्जाओ विज्झंतीओ. 15) Pom. सावरसरम, । सह for उसम, सामिद्धेश सिज्जो , 16) P सिज्जओ, 1 मि for वि, P सिज्जउ से विज्झा सिज्झउ, Padds वि after ते. 18) ट्ठिया. 19) I inter. मह and महंतो. 20 Jom. रश्या, या एरिसं तुइ अणाढिय ति।. 21) तीय, P om. शेण, आ for ता. 22) Pom. ते, P जुवाणए, P दिहो. 23) I णमोकारयंताणं, P om. ते. 24) P तप्पगए, उ दिसे दिसे. 25) Poin. पह, Pउल for पुण, I विहारण. 26) विण्णाणादिसयो.27) Pसमयं for अगयं, J ई योग. 28) सामाणीय. 29) Pथोयवेलाए. 30) Jच मा हु कुप्पज्जा । दुसभणिज्ज, वि for पि, 'गर for वर. 31 माणि हिइ. Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४ उज्जोयणसूरिविरइया [$२२१1 अवि णिचडइ आचिंगाल-मुम्मुरो चंद-मंडलाहिंतो । तह वि ण जंपइ सुयणो वयणं पर-दूसणं दुसह ॥' ति चिंतयंतीए भणियं 'दे कुमार, भणसु जं भणियवं, ण ए कुप्पामो' ति भणिए जंपियं कुमारेण ।। ३ 'संतोसिज्जइ जलणो पूरिजइ जलणिही वि जलएहिं । सजण-समागमे सजणाण ण य होइ संतोसो ॥ ता पुणो वि भणियन्वं । अच्छह तुब्भे, भए पुण अवस्सं दक्षिणावह गंतव्वं ति, ता वचामि'। एणियाए भणियं 'कुमार, अइणिढरं तए संलत' । कीरेण भणियं 'कुमार, महंत किं पि दक्षिणावहे कजं जेण एवं पत्थिो दक्षिणं दिसाहोय । 6 कुमारेण भणिय 'रायकीर, एम णिमं, महतं चेय कज'ति । कीरेण भणियं 'किं तं कज' ति । कुमारेण भणियं 'महंतो एस 6 वुत्तंतो, संखेवेण साहिमो त्ति । अधि य, पदम अब्भत्थणय दुइयं साहम्मियस्स कजं ति । तइयं सिव-सुह-मूलं तेण महतं इमं कंज ॥' ति भणमाणो समुट्टिओ कुमारो । तओ ससंभमं अणुगो एणियाए कीरेण य । तओ थोवंतरं गंतूण भणियं एणियाए 9 'कुमार, जाणिय चेय इमं महंत-कुल-पभवत्तणं अम्हेहिं तुज्झ । तह वि साह अम्हाणं कयरं सणाहीकयं कुलं एएण अत्तणो जम्मेण, के वा तुज्झं तुमंग-संग-संसग्गुल्लसंत-रोमंच-कंचुय-च्छवी-रेहिर-चलण-जुयला गुरुणो, काणि वा सयल12 तेलोक-सोहम्ग-सायर-महणुग्गयामय-णीसंद-बिंदु-संदोह-घडियाई तुह णामक्खराई, कत्थ वा गंतव्वं' ति भणिओ कुमारो 13 जंपिउं समाढत्तो। 'अवस्सं साहेयन्वं तुम्हाणं, ण वियप्पो एस्थ कायवो त्ति । ता सुसु । $ २२२) अस्थि भगवओ उसम-सामिस्स बालत्तण-समय-समागय-वासव-करयल-संगहिउच्छु-लट्ठि-दसणाहिलास15 पसारिय-ललिय-मुणाल-णाल-कोमल-बाहु-लयस्स भगवओ पुरंदरेण भणिय 'किं भगवं, इक्खु अदसि' ति भणिए 15 भगवया वि 'तह' ति पडिवजिय गहियाए उच्छु-लट्ठीए पुरंदरेण भणियं 'भो भो सुरासुर-णर-गधन्वा, अज्जपभिई भगवमो एस वंसो इक्खागो' त्ति । तप्पभिई च णं इक्खागा खत्तिया पसिद्धा ताव जा भरहो चक्कवट्टी, तस्स पुत्तो बाहुबली 18 य । तओ भरहस्स चक्कवटियो पुत्तो आइच्चजसो, बाहुबलियो उण सोमजसो ति । तओ तप्पभिइ च एणिए, एक्को 18 आइश्च-वंसो दुइओ ससि-वंसो। तओ तत्थ ससि-वसे बहुएसु राय-सहस्सेसु लक्खेसु कोडीसु कोडाकोडि-सएसु अइक्कतेसु दढवम्मो णाम महाराया अओज्झापुरीए जाओ । तस्स अहं पुत्तो त्ति । णामं च मे कयं कुवलयचंदो त्ति । विजयाए Aणयरीए मज्झ पओयणं, तत्थ मए गंतव्वं' ति । इमम्मि य भणिए भणिय एणियाए 'कुमार, महंतो संतावो तुह जणय-21 जपणीणं । ता जह तुज्झाहिमयं, ता इमो रायकीरो तुज्झ सरीर-पउत्तिं साहउ गुरूण' ति । तेण भणियं । 'एणिए, जइ तरह ता कुणड एयं । पूर्वणिजो गुरुयणो' त्ति भणमाणो पणामं काउं चलिओ पवणवेओ कुमारो। पडिणियत्ता हियय-मण्णुआणिभर-बाह-जल-लव-पडिवजमाण-णयणा पुणिया रायकीरो वि। कुमारो वि कमेण कमंतो अणेय-गिरि-सरिया-संकुलं 24 विंझाडई वोलिओ। दिट्रो य णेण सज्झ-गिरिवरो । सो य केरिसो । अवि य। बउलेला-वण-सुहओ चंदण-वण-गहण-लीण-फणि-णिवहो। फणि-णिवह-फणा-मंडव-रयण-विसमुत-बहल-तिमिरोहो । श तिमिरोह-सरिस-पसरिय-सामल-दल-विलसमाण-तरु-णिवहो । तरु-णिवहोदर-संठिय-कोइल-कुल-कलयलंत-सद्दालो ॥ 27 ___ कलयल-सद्दन्द्धाविय-कणयमउक्खुत्त-बाल-कप्पूरो । कप्पूर-पूर-पसरंत-गंध-लुद्धागयालि-हलबोलो ॥ हलबोल-संभमुब्भत-पवय-भुय-धूयसेस-जाइ-वणो । जाइ-वण-विहुय-णिवर्डत-पिक्क बहु-खुडिय-जाइ-फलो ॥ 30 जाई-फल-रय-रंजिय-सरहर-पज्झरिय-णिज्झर-णिहाओ। णिज्झर-णिहाय-परिसेय-वडियासेस-तरु-गहणो ॥ त्ति इय सज्झ-सेल-सिहरओ गंदण-वण-सरिसओ विभूइयाए दिट्ठो अदिउब्बओ उकंठुलओ जए कुमारेण । तं च पेच्छमाणो वञ्चए कुमार-कुवलयचंदो जाव थोवंतरेण दिवो अगेय-वणिय-पणिय-दंड-भंड-कुंडिया-संकुलो महंतो सत्थो । जो व कइसओ। 33 मरु-देसु जइसो उद्दाम-संचरंत-करह-संकुलो। हर-णिवासु जइसओ ठेकंत-दरिय-वसह-सोहिओ। रामण-रज-जइसओ 33 30 1) अचिन्दाल, परदुम्मणं. 2) Pom. जं, P भणियं ए जपियं. 3) J जलगिहिम्मि जलएदि. 4) J ताव for ता. 5)F दिसाभोग. 6) Pएवमिमं । महंतं चेव, r om. तं, I om. एस वुत्ततो. 10) कुलप्पभव", J ते for एण. 11) J तिमंगसंगसंसगुल्लसंत- तुमंगमंगसंभमुलसंतंगुलिरोमंच:, I repeats चलण, P जुयलो. 12) सर for सायर, 'महणीसंद. 13) Jom. एत्थ. 14) उसह, P समय, J करयलाओ संगहियच्छु. 15) Pom. णाल, ' दसि for असि. 16) तहित्ति, I गंधव्वा मज्जपभुदि भगवओ. 17) J तप्पमिति, P om. णं, P इक्वागत्तिया. 18) तप्पभूई. 1991 कोडाओडीसएम. 20) दढधम्मो, J अयोज्झा" आउज्ज्ञ, विजयाप य पुरवरीप मज्झं. 21) Pइमं भणिप, जणाय. 22) तुम्भेहि for तुज्झाहि, J तुम्भ for तुज्या, P adds न before तरइ. 24) J पडिभजमाण P पडिवज्झमाण. 25) " बोलिय for वोलिओ, P oin. य before tण. 26) P फल for फणि, P om. फगिगिवह. 27) गिाहोअर, P मंजु for कलयलत. 28) P सट्ठाविय, P 'मयुक्खुण्ण र 'मयूक्सुत्त. 29) J धुआसेस P धृयसेस, P om. जाइवण, I om. विहुय, F बहुफ़डियजाइवलो. 30) Pom. णिज्झर in 2nd line, P परिसेस., Pom, त्ति. 31)लेस for सेल, विभूतिआए दिटो बओ, J जाए कुमारएण, P च मेच्छमाणो. 32) Pथोरे दिट्रो, महंतो हत्थसत्यो. 33)P हरि for हर, Pढवंत, दरियवरवसह, P रजु for रज. Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -÷२२३ ] कुवलयमाला १३५ | उद्दाम प्रयत्त-लर-दूषणु रायंगणु जइसओ बहु-तुरंग संगभो । विमजि-मन्यु जइसनो संचरंत वणिय-पवर कुंभारावणु । असलो क्षणेयमंड-बिसेस मरिमो ति अविव । । खर-र-करह-सएहिं कलयल- वत-सज्झ-पडिरावं । सत्यं सत्थो पेच्छइ सव्वत्तो सत्थ- णिम्माओ ॥ 3 । ६२२३ ) तं च दट्ठण पुच्छिओ एको पुरिसो कुमारेण 'भो भो पुरिसा, एस सत्थो कओ आगओ कहिं वा वच्चीहइ ' ति । तभ भणिय पुरिसेग 'भट्ट, एस विंझपुराओ आगओ कंचीउरं वच्चीहिइ' । कुमारेण भणियं 'विजया उण पुरवरी 6 कव्य होइ, जाणसि तुमं । तेण भणिय 'भट्टा, दूरे विजया दाहिण-मपरहर तीर-संसिया होइ' । वो कुमारेण 8 चिति । इमे चेय सत्वे समं जुजद् मद गंतून थोवंतरं ति चिंतते दिडशे सत्यवाह वेसमणदत्तो भणिओ यण 'भो भो सत्यवाह, तुम्भेहिं समं अहं किंचि उद्देसं वच्चामि' ति । सत्थवाहेण वि महापुरिस-लक्खणाई पेच्हमाणेण पडिवष्णो | 'अणुग्गहो' त्ति भणमागेण तओ उच्चलियं । तं सत्यं गंतुं पयत्तं, तम्मि य सज्झ-गिरिवर-महाडईए संपत मज्झुसे । 9 तत्थ भावासिय एक्कम्मि पएसे महंते जलासए । तम्मि य पएसे आसण्णाओ भिल्ल-पल्लीओ । तेण महंतं भव-कारणं जाणमाण अवरीकबाई सार-भेदाई, बाहिरीयाई असार-मेडाई, विरइया मंडली, आता आपत्तिया, समीकवा 12 करवाला, विद्वानो असि घेणूभो, भारोजियाई कालवट्टाई, मिरुवियं सम सत्य - निवेति । 9 तर सूरो कमेण पद-मंद विलं । तिमिर महासुर भीलो पायाल-तलम्मि व पबिट्टो ॥ तरसामग्ग- लग्गो कत्थ य सूरो त्ति चिंतयंतो व्व । उद्धावइ तमणिव हो दणुइंद-समप्पभो भइरा ॥ तरुपर-तले सुयद्द व विसह व दरी बणम्मि पुंजइओ उद्भाव गयणबले मग्गइ सूरं व तम-विहो । उद्घाइ धाइ पसरइ वियरह संठाइ विसइ पायालं । आरोसिय-मत्त महागओ व्व अह तज्जए तिमिरो ॥ इय एरिसे पओसे तम- णिवदंतरिय सयल-दिसियके । आवासियम्मि सत्थे इमे जिओया य कीरंति ॥ 18 सामग्गिया जामइलपा, गुडिया तुरंगमा, णिरुविया पाणयः । एवं बहु-जग-संगम-फल-बोल-बहुला सा राई 18 खिजिरं पयता । अविव विपति तारया, संकुति सावया, उप्पयंति परिखया सूपडजति महासउणा, करवरैति चड-कुलेति । तम्मि य तारिसे पहाय - समए भणियं पच्छिम - जामइलएहिं । 'भो भो कम्मयरा, उद्देह, पलाणेसु करहे, 3 15 27 21 चलउ सत्थो, देह पयाणयं, विभाया स्यणि'त्ति । इमम्मि य समए पहयाई तूराई, पगीयाई मंगलाई, पत्राइयाई संखाई, 21 उओ कलयलो, विबुद्धो लोभो, पल्लाणिउं पयत्ता । किं च सुब्विउं पयत्तं । अवि य, भरे अरे उट्ठेसु, डोलेसु करहए, सामगे रयणीओ कंडारे कंठालाभो, णिक्खिवसु उबक्सर, संवेलेसु पहउडीभो, गेण्ट्सु दंडीयं, आरोहेसु मंडी, 26 अप्फोडेसु कुंडिये, गुरे तुरंग, पलाणे बेसरे, उद्वासु बले । भवि य तूरसु पयट्ट बासु चक्रम य णेय किंचि पहु । लह सत्यो उबलियो कल सई करेमाणो ॥ एरिसम्म य काले हलबोलिए वट्टमाणे, पयत्ते कलयले, वावडे आडियत्तिय-जणे किं जायं । भवि य, हम्प हण द्दण सिमारे-चूरे- फालेह लेह लुपेह । खर-सिंग-सह-हलबोल-गम्भिणो धाइओ सहो ॥ एत्थाणंतरं च । भवि य, for 1) पयरत्तखदूसणु, ए वियपि for विमणि, P पर for पदरु, J कुंमारावाड- 3 ) JP बड़ंत, P सग्ग for सज्झ, Printer. सत्यो सत्यं सत्यण्णू for सन्वत्तो. 4 ) । वचिरिति (5 J om. त्ति, P भद्दा for भट्ट, P किंविउरि वन्चीहिति P वचिदि. 6 ) P भद्दा, P मयण for मयर, P संठिया for संसिया, P ततु for तओ. मम तु धोअंतरं वितिकण दि. 9) P om. तओ, P उच्चलिओ सत्थो गतं adds before तं, P पयत्तो पत्तो य गिरिवर महाडई मज्झदेसं । तत्थ आवासिओ एक्कमि से आसानी 11 बहिर सारा रिया, आपत्तिया 13) पायालयलंमि, P परट्ठो 14 ) P व य, JP उट्ठावर" 15 ) तरुअरयले सुठाइ व P बिरयरइ for विसर, P om. व दरिसुं P दीरीसु विणंमि, P उट्ठावर. 16) P उट्ठाइ ट्ठाइ, P पावालो, उ आरोसि र मह for अह, P अह मंजर सूरो. 17 ) णिओआणु कीरंति. 18 ) P जामइलिया, [F] लाई for राई 19 वियरति उपति मुनि करवति. 20 P कुलं ति, पच्छिमंजामइलेहिं, उट्ठोह, P पट्ठाणे for पलाणेसु. 22 ) Jom. विबुद्धो लोओ, P किंचि, सुट्ठिडं, P पयत्ता, Jom. अवि य. 23 ) P स्यणिओ, P संबोले, 26 ) Pom. काले, OLD. 29 > P कोवि देसो, P बद्धो om. मेलिओ य, I om. भिलेहिं, उरिलियं for दंडीयं, P भंडीयं. 24 ) P गुठे, वेअसरे. 25 Jom. य. लबोलिए इल्बोआप for बाप 27 > P om. लेहं, P लुंपह निरासं । खर. for विद्धो, अदि भिल्लभलीहि. 30 P सत्यवाहो, ए आडियत्तियं 31 ) पवत्ता पवत्तं माढत्ता, एत्थंतरंमि for सव्वाई, सव्व for सार. 12 15 1 सो णत्थि को देखो भूमि-विभावम्मि गेव सो पुरिसो जो तत्थय विद्रो दिट्ट-मिहान भलीहिं ॥ 50 राओ से चारिसंयुतं जाणिऊण भाउलीओ सत्यादो, उड़िया आहियत्तिया, जुस पत्ता, पवतं च महाजु 30 तओ पभूओ मिल-विहो, जिलो सत्धो मेलिनो य, सिंह बिपिमा तो सवाई घेण्यंति सार-भंडाई | 24 27 Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसरिविरइया [ ६२२४ २४ ) एस्थंतरम्भि सत्थाहस्स दुहिया धणवई णामा । सा य दिसो दिवस पणा । परियणे वावाइय-सेसे 1 यसवाहे भिल्लेहिं घेपमाणी सा वेवमाण-पओहरा महिला सुलहेण कायरत्त गेण विणडिजमाणी थरहरंत - हियविया 3 'सरस' ति विमग्गमाथी कुवलयचंद कुमारं समलीणा अवि थ, गुरु-पण-नियंव-परभार-भारिया मिल-भेलिया सुयणू सरणं विमानाची कुचेदं समझीणा ॥ भणियं च सीए । 1 १३६ 6 'तं दीससि सूर - समो अहं पि भिलेहिँ भेसिया देव । तुज्झ सरणं पवण्णा रक्खसु जइ रक्खि तरसि ॥' कुमारेण वि 'मा भायसु, मा भायसु'ति भणमागेण एकस्स गहियं भिलस्स हदे वरं । तं च घेतॄण वरिसिउमाढतो सर-णियरं । तओ सर-नियर-पहर- पर वलियं तं भिल-बलं । तं च पलायमाणं पेच्छिऊण उडिओ सयं चेय भिल । साहु जु 9 सेणाहिवो । भणियं च णेण । 'अरे अरे, 1 । भवि य । आसासिय यिय-बलं विणिहय-सेसं पलाइयं सेण्ां । आरोसिय-मत्त महाराज व दुगो वीर ॥ ता एह मज्झ समुहं किं विणिवाएसि कायर-कुरंगे । वीर-सुवण्णय-वण्णी रण-कसवहम्मि मिव्वडइ ॥' 12 इमं च भणियं णिसामिऊण वलंत-णयण-जुवलेण नियच्छिऊण भणिय कुमारेण । 'चोरो त्ति दिणिजो भिल्लो त्तिण दंसणे वि मह जोग्गो । एएहिं पुण वयणेहिँ मज्झ उभयं पिपहुई || छल-बाइ सि य चोरो का तु कत्थ पुरिसं जय ता पतिय दोसि तुमं मणय म्ह रगंगणे जोगो ॥ 15 ति भगमाणस्स पेसिये कुमाररस एक सरवरं पि कुमारेण दूरओ चैष डिवी तभो कुमारेण पेसिया दोणि सर-वरा । ते हि भिल्लहित्रेण दोहिं चेय सरेहिं छिण्णा । तत्र तेण पेसिना चउरो सरवरा । ते विच्छिष्ण तो समंजसे जुड़े सरवर-धाराहिं पूरे पवत नवपाडस समय जला चित्र य 18 वि छलिउं तीरइ । तओ सरवरा कत्थ दीसिउं पयत्ता | अवि य, 30 33 3 गहियं च वसुद गयणमि कर्मतिसरा पुरओ ते चेय मग्गओ बाणा । धरणियलम्मि य खुत्ता उचरिं रुटति भमर व्व ॥ एवं च जुज्झमाणा पीण-भुषा समायणायासे दलियाई कालाई घर 21 मंडलग्गाई च, दोहि वि जगेहिं तत्र विरइयाई करणाई । बलिडं समादत्ता । अवि य, खण-वल-खम-पावण-वण-संवेणा-याहिं जिय-पहर परिवार संयुण्ण हिं च ॥ २२५) एवं पि पदरंवा एको विछणि वीर वोहराबाई सुमरियाई दोणि वि 24 वसुदवाई, तुट्टागि य मंडलगाई | वओ ताई बिउझिऊग मुक्खयाओ कुवलय-दल- सामलानो छुरियाओ । पुणो 24 पहरितं पयसा उपहार हत्या हत्य-हुलिप्पहारेहिं अपरोष्यरं ण य को विउ तीर व कुमारेण गुरुयामरिसरोस- फुरुकुरायमाणादरेण नाव- मिडडि-भीम-भंगुर भासुर-वय गेद से दष्य-साव णाम । तत्रो मिलायेण वि 27 दिष्णो परिबंधो। कई कई पण ते मोइनो मिठाहियेण । तनोति च ते 'अहो, को बि एस महासत्तो गियर 27 कला-कोसल-संपुणो ण मए छलिउं तीरद्द । मए पुणे एयरस हत्थाओ मच्छू पायेयध्वो । जिजो अहं इमिणा, ण तीरइ इमाओ समुब्वरिडं । ता ण सुंदरमिमं । अवि य, I पी पी अोले जातो जिणवराण धम्ममिण विसवासा-भूट-मगो रहिय-वितिं समठीणो ॥ चिच्छेति गुणी अतियणम्मि पर-जीविष-वण-दरणं स चिप जीवी अण्णस्स ॥ चोरो त्ति जिंदणिज्जो उब्वियणिजो य सव्व-लोयस्स । भूय-दया- दुम-रुगो विसेसओ साहु-सत्यस्स ॥ हिए जिगाण आणा चरियं च इमं महं अण्णव एवं आपालं वरं ॥ 1 ) P सत्यवास्स P घणवई नाग, पडे. 2 ) Po. 4, P विरहत हिय्या. 4 ) P भारिसारिल मेसिया सुयणु. 5) तीय 7 हत्थेग for हटेग, P om, तं, P वर सिउ J वरिसिउं आटतो. 8 ) P 9 ) P जुज्ि 10) fafore, पलाविअं, P वीरो ॥. 11 एहि, महं for मञ्छा, " कायरे पुरिसे, रणवसम 12 ) P जुयलेग, Pinter. कुमारेग ॐ भणियं. 13 ) भलो for मिलो, P दंसणो वि, P जोगो, मज्जा उभयं- 14 ) P छववायतfor गण, जोगो. 15) Pom. त्ति, Pom. कुमारस्स, P चेव. 16 Pom.दि, P चेव, P for विडिण्णा. 17 सरवराहं सवरधाराहिं, पयत्तं, Pom. जलया विव हयलं । ण थ 18 Jसरासत्य for सरवरा कत्थ 19 भगति for कर्मति, P मग्गए, om. य. 20 ) P एवं च जुज्झमाणेणं पीणभुयासत्ता । अवि य रायणंमि etc. to अमर व ॥ एवं न जुज्झमाणेणं पीणभुया विनिवाई कहासु 21 ) Jom अनिय 22 > " वणवा, उ संत्रेणापयारेहिं P धारण for वारण. 23 ) P एवं वि पि P पदरयाई, Jomm. मुसुरियाई 24 ) for समुन्नयाओ. 25 ) P उपहर, हत्यव" हुलिपदरेहिं P हुलिपहारिहिं गरुपागरिसकुरकुरा om भासुर, J दिणं विवसात, Prom वि. 27) कहक, उणेग for तेग, एसो महा मए उण P इमस्स for एयरस P अहमिमिणा, P तीरहमाङ समुब्धरियं. 29 ) उता सुंदरं मं । अनंत 2 सुनंदाई, "मुक्तयाओं 26 > गिउडी, P 28) J, J 30 P दी अहो 32 > P सबल for सन्च (* struck off in 3 ), P रहिओ for रुहणो 6 9 12 समयं चिय 10 वि कुमारेण ण म एको 18 21 30 33 Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२२६] । कुवलयमाला 1 चिंतेसु ताव तं चिय रे हियवय तुज्झ एरिसं जुत्तं । जे जाणतो चिय णं करेसि पावं विमूढो व्व। अजं चयामि कलं सावजमिणं जिणेहिँ पडिरुद्धं । इय चिंतेतो च्चिय से अकय-तवो पाविओ मधु ॥ ३ एवं गए वि जइ ता कह पि चुक्कामि एस पुरिसस्स । अवहत्थिऊण सव्वं पव्वज अब्भुवेहामि ॥' त्ति चिंतयंतो मच्छुव्वत्तेण ओसरिओ मग्गओ ऊणे हत्थ-सयं एकप्पएसे उज्झिऊण असिधेणु पलंबमाण-भुयप्फलिहो य णीसंगो काउस्सग्ग-पडिम संठिओ त्ति । अवि य 6 अच्छोडिऊण तो सो असिधेणु णिह्य धरणिवढे । ओलंबिय-बाहु-जुओ काउस्सगं समल्लीणो ॥ __ सायार-गहिय-णियमो पंच-णमोकार-वयण-गय-चित्तो । सम-मित्तो सम-सत्तू धम्मज्झाणं समल्लीणो ।। तं च तारिसं वुत्ततं दट्ठण, सोऊण य पंच-णमोक्कार-वयगं, सहसा संभंतो पहाविओ कुवलयचंदो । साहम्मिओ ति काऊण 9'मा साहसं मा साहसं ति भणमाणेण कुमारेण अवयासिओ । भणियं च तेण ।' अनि य, मा मा काहिसि सुपुरिस ववसायमिणं सुदुत्तरं किं पि । पञ्चक्खाणादीयं णीसंग-मुणीण जं जोगं ॥ एयं मह अवराहं पसियसु दे खमसु कंठ-लग्गस्स । साहम्मियस्स जं ते पहरिय-पुवं मए अंगे ॥ 12 पावाण वि पावो हं होमि अभवो त्ति णिच्छियं एयं । सम्मत्त-सणाहे वि हुजं एवं पहरियं जीवे ॥ जलणम्मि ण सुज्झामो जले ण कतो कया वि पडण । जइ वि तवं तप्पामो तहा वि सुद्धी महं कत्तो ॥ मिच्छामि दुक्कडं ति य तहा वि एयं रिसीहिं आइपण । पुध-कय-पाव-पव्वय-पणासणं वज-पहरं व ॥ 16 ता दे पसियसु मज्झं उपसंहर ताव काउसग्गमिणं । दीसइ बहुयं धम्म जंकायब्वं पुगो कासि ॥ त्ति २२६) एवं ससंभम-सविणय-भत्ति-जुत्तं च कुमारे विलवमागे चिंतिय भिल्लाहिवेण । 'अरे, एसो वि साहम्मिओ, ता मिच्छामि दुकडं जं पहरियं इमस्स सरीरे । अवि य, 18 जो किर पहरइ साहम्मियस्स कोवेण दंसण-मणम्मि । आसायगं पि सो कुणइ णिकियो लोय-बंधूर्ण ॥ ता अण्णाणं इमं किं करेमि त्ति । इमरस एवं चिलवमाणस्स करेमि से वयणं । मा विलक्खो होहिह । मए वि सायारं पञ्चक्खाग गहियं । ता ऊसारेमि काउसगं' ति चिंतयंतेण गहिओ कुमारो कंठम्मि । 'वंदामि साहम्मिय'ति भणमाणा दो 21 वि अवरोपरं हियय-णिहित्त-धम्माणुराया णेह-णिब्भरत्त गेण पयलंत-बाह-बिंदु-णयण-जुबला जाया। अवे य । परिहरिय-वेर-हियया जिण-वयणभंतर त्ति काऊण । चिर-मिलिय-बंधवा इव ससिहं रोत्तुमाढत्ता ॥ तो खणं एकं समासत्था भणियं च कुमारेण । 24 'जइ एवं कीस इमं अह एवं चेय ता किमण्गेण । जोण्हा-गिम्हाण व से संजोओ तुम्ह चरियस्स ॥' भणियं च भिल्लाहिवेण । 'जागामि सुटू एयं जह पडिसिद्धं जए जिगवरेहिं । कम्मं चोराईयं हिंसा य जियाण सव्वत्थ ॥ 27 किं वा करेमि अहयं चारित्तावरण-कम्मदोसेण । कारिजामि इमं भो अवसो पेसो ग्व गरवइणा ॥ अस्थि महं सम्मत्तं गाणं पि हु अस्थि किं पि तम्मेत्तं । कम्माणुभाव-मूढो ण उणो चाएमि चारित ॥ तुम्ह पहावेण पुणो संपइ तव-णियम-झाण-जोएहिं । अप्पाणं भावेंतो णिस्संगो पब्बईहामि ॥' त्ति 30 भणियं च कुमारेण 'असामगणं इमं तुह चरियं, ता साहसु को सि तुम' । भणियं भिल्लाहियेण च । 'कुमार, सबहा ण 30 होमि अहं भिल्लो, होमि णं पुण भिल्लाहिवो। इमं च वित्थरेण पुगो कड़ीहामि कुमारस्स । संपर्य पुण दारुणं भयं सत्यस्स। विलुप्पइ सत्यो चोर-पुरिसेहिं । ता णिवारणं ताव करेमो' त्ति भणिऊण पहाविओ। भणियं च ण 'भो भो भिल्लपुरिसा, 1) ' आ for चिय. 2) P adds चयामि after कलं, J मच्चू. 3) P या for ता, I अहं for कह. 4) P मळुवत्तण, । एकपासे. J “हुयाकलिहो । -युयफालिओ नीसंगो काउस्सगं पडिमं लिओ. 6)" om. सो, ' धरणिवढे. 7) IP adds पंचनमो belore iv. 8) 'om. य, 7 संकतो पहाइओ, P after कुवलय नंदो adds सा मित्तो समसत्त धमाझाणं etc. to पहाविजओ कुवलय दो. 9)Pom. 2nd मा, P अवयारिओ. 10) पच्चक्वाणाई यं निस्संग. IIJ पहरिसपव्वं. 12)J होंति अभव्यंति. 13)P नवावि for कयावि, P om. वि after जइ. 14) J तह वि इमं रिसीहि, P आइञ्चं for आण. 15) J उपसंघर, P वाव for ताव, P धम्मकायवं. 16) एवं च संभम, J सविणस, P om. च, P कुमारो विलवमाणो, ' om. vafter एसो. 18) ' साहं विमियस्स, P दसणमिणमि. 19) P अन्नाणमिम. 20) । उरसा रेभि, Jदि for दामि, ' भणमाणो. 21) Pधमागुरायनेह, बाहु for बाइ, P जुयला. 22) रोवुमादत्ता. 23) Pinter. एक्कं & खणं. 24)J एयं for एवं, P संजाओ. 26) P सट्ठ, J एवं, P चोराईहिं. 27) P करि मि, P चारित्तामरणकंमदोसे ।. 28) J मित्तं, P adds i before कम्माणु. 29) P पभावेण, Pinter. च & मिल्लाहिवेणं. 31) P adds न before होमि (second), Pom. णं, PPण for पुण, P सवित्थरं for वित्थरेण. 32) P विलुंपइ, Pom. ताव. 18 Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३८ उज्जोयणसूरिविरइया [ २२६ 1मा विलुपह मा विलुपह सत्थं, मह पायच्छित्तियाए साविया तुब्भे जह णो विरमह' त्ति । एवं च सोऊण भिल्लपुरिसा । कुड्डालिहिया इव पुत्तलया थंभिया महोरया इव मंतेहिं तहा संठिया । तओ भणियं 'अरे, अण्णिसह सथवाह, मं-भीसेह ३ वणिजए, आसासेह महिलायगं, पडियग्गह करहे, गेण्हह तुरंगमे, पडियग्गह पहरंते, सकारेसु मइल्ल'त्ति । इमं च आणं ३ घेत्तर्ण पहाइया भिल्ला दिसोदिसं । सत्यवाहो वि तारिसे सत्य-विब्भमे पलायमागो वणम्मि गिलुको परिब्भमतेहिं पाविओ भिलहिं । तओ आसासिओ तेहिं, भणिओ य 'मा बी हेह, पसण्णो तुम्हागं सेणावई' । आणिओ से पासं म-भीसिओ तेण। 6 भणियं च सेणावइणा 'भो भो सत्थवाह, पुण्णमंतो तुम, चुक्को महंतीओ आवईओ, जस्स एसो महाणुभागो समागओ 6 सत्यम्मि । ता धीरो होहि, पडियग्गसु अत्तगो भंडं । जं अस्थि तं अस्थि, जं णस्थि ते एक्कारस-गुण देमि त्ति । पेच्छसु पुरिसे, जो जियदतं पण्णवेमि त्ति । सब्बहा जं जंण संपइ तमहं जाणावेसु' ति भणमागो वेत्तुं कुमारस्स करं करेण समुट्रिओ 9 सेणावई पलिं गंतुं समाढत्तो। २२७) आढत्ता य पुरिसा । 'भो भो, एयं सत्थाहं सुस्थेण पराणेसु जत्थ भिरुड्यं सत्यवाहस्स'त्ति भणिऊण गओ सन्झ-गिरि-सिहर कुहर-विवर-लीग महापलिं। जा य कइसिय । कहिंचि चारु-चमरी-पिंछ-पब्भारोत्थइय-घर-कुडीरया, 12 कहिंचि बरहिण-बहल-पेहुण-पडाली-पच्छाइय-गिम्हयाल-भंडव-रेहिरा, कहिंचि करिवर-दंत-वलही-सणाहा, कहिंचि तार-12 मुत्ताहल-कय-कुसुमोवयार-रमणिज्जा, कहिंचि चंदण-पायव-साहा-णिबहंदोलय-ललमाण-विलासिणी-गीय-मगहर ति । अधि य, अलया पुरि ब्व रम्मा धणय-पुरी चेय धग-समिद्धीय । लंकाउरि व्व रेहइ सा पल्ली सूर-पुरिसेहिं ॥ 15 तीए तारिसाए पल्लीए मज्झेण अणेय-भिल्ल-भड-ससंभम-पणय-जयजया-सद्द-पूरिसो गर्नु पयत्तो। अगेय-भिल्ल-भड-सुंदरी-वंद्र-15 दसण-रहस-वस-बलमाण-धवल-विलोल-पम्हल-सामल-णीलुप्पल-कुमुय-माला-संबलंत-कुसुम-दामेहिं अचिजमामो भगवं अदिट्ट-पुब्यो कुसुमाउहो ब्व कुमारो वोलीणो त्ति । तओ तस्स सेणाव हणो दिलु मंदिरं उवरि पल्लीए तुंगयर-सज्झ-गिरिवर18 सिहरस्मि । तं च केरिसं । अवि य, 18 तुंगत्तगण मेरु व्व संठियं हिमगिरि व्व धवलं तं । पुहई विव विस्थिण धवल हरं तस्स गरवइणो ॥ वं च पुण कुमार-दसण-पसर-समुभिजमाण-पुलइयं विव लक्खिजइ घण-कीलय-मालाहिं, णिज्झायतं विव चुंपालय-गव21 क्लासण-सयगोयरेहि, अंजलिं वि कुणइ पवण-पय-धयवडा-करग्गएहिं, सागयं पिव कुणइ पणच्चमाण-सिहि-कुल-केया-21 रवेहिं ति। ६२२८) तो तं च तारिसं सथल-जयर-रमणिज पलिं दटुण भणियं कुमारेण । 'भो भो सेणावइ, किं पुण इमस्स 24 संणिवेसस्स णाम' ति । सेणावइणा चिंतियं । 'दूरमारुहियवं, उचाओ य कुमारो, ता विणोएपब्धो परिहासेणं'ति चिंतय- 24 तेण भणियं 'कुमार, कत्थ तुम जाओ'। कुमारेण भगियं 'अउज्झापुरवरीए' । तेण भणियं 'कत्थ सा अयोज्झापुरवरी'। कुमारेण भणियं 'भरहवासे' । तेग भणिय 'कत्थ सो भरहवासो' । कुमारेण भणियं 'जंबुद्दीवे' । तेण भणियं 'कत्थ तं 27 जंबुद्दीवं' । कुमारेण भणियं 'लोए'। तेण भणियं 'कुमार, सव्वं अलियं'। कुमारेण भणियं 'किं कर्ज' । तेण भणियं 'जेण 27 लोए जंबुद्दीवे भरहे अयोज्झाए जाओ तु कीस ण-याणसि इमीए पल्लीए णाम तेलोक-पयड-जसाए, तेण जाणिमो सव्वं अलियं'। तओ कुमारेण हसिऊण भणियं 'किं जं जं तेल्लोक-पयडं तं तं जणो जाणइ सब्यो' । तेण भणिवं 'सुट्ट जाणइ'। 30 कुमारेण भणियं 'जइ एवं ण एस सासो पक्खो'। तेण भणियं 'किं कर्ज' । कुमारेण भणियं । 'जेणं 30 सम्मत्त-णाण-वीरिय-चारित्त-पयत्त-सिद्धि-वर-मग्गो । सासय-सिव-सुह-सारो जिणधम्मो पायडो एत्थं ॥ तह वि बहुर्हि ण णजइण य ते तेल्लोक-बाहिरा पुरिसा । तो अस्थि किंचि पयर्ड पिण-यणियं देहि मि गरेहिं ।' 33 तेण भणियं 'जइ एवं जिओ तए अहं । संपयं साहिमो, इमं पुण एकं ताव जाणसु पण्होत्तरं । अवि य । 33 1) P मा लुंपx in both places, J पातच्छित्ति', P इत्ति for त्ति. 2) कुइलिहिया व पुत्तला, ' inter.व महोरया, महोरगा मंते हिं,J तओ भणिआ अण्णिसह, गंतीसह. 3) वणिया, P महिलायलं,सकारेह, पमिमं च for इमं च. 4) Jadds a before पाविओ. 6) J सत्थाह कयण्णो तुभं, नहाणुभावो. 7) अत्तणं, " om. जं before अस्थि, P om. सं after णत्थि, ' मुणं for गुणं, P पुरिमो. 8) पनवेगो, P संघटद, . ।' सेणावती, J समादत्ता. 10) Better [आणत्ता] for आदत्ता, P om. य,J सछासत्थेण, P om. सत्याह, परायणेस, P जहा मिरु, उ भिरुईयं, I om. सत्यवाहस्स त्ति. 11) J om. गिरि, P om. कुदर, Jहीणं, P जाव कति सिय, P पुच्छ for पिछ, उपकारोश्यधरकुट्टीरया. 12)P गिम्हयालगंडव, रेहिर, P वर for करि, रहीसणाह. 13) J रमणिज्ज, Pom. अवि य, 14) P अलयाउर ति रम्मा, Jadds रम्गा before रेढद. 15) J तीस." om. भट. Pufter ससंभमपणय, repeats धासमिद्धी य । etc. toभिल्लपसंभमपणय, P दरुद्द for सद्द, P inter. भडभिल्ल. 16) विलसमाण for बलसाण, 'कुसुमयमे हिं. 19) J पुदई पिप. 20) J सो य for तं च, P दंसणवसणहमुभिज्ज', J पुलरओ व लज्जिज्जइ धण', गिजायती वित्र चुबलेयरवचकलयाणवणोअरेहि. 21) कुण्णइ नबमाण. 23) Pसयलनयनरीरम". 21 Jदरं आ दि for लि, (partly on the margin) पितयंतेग भणि पलीवणा कुमाररस तुम्हाणं कत्थ जम्मो कसो वा आनया। कुमारण मणिया अयोज्झापुरवरीओ. 25) Pom. तेण भगियं before कत्थ etc., P अउज्झपुरवरी. 26"भरदारासे, Jom. तं. 27)J om. कुमारेग भगिध before किंकज, J om. तेग भभियं, Pom. जे लोए. 28) ज्झाए, adds जs before तुम कीस, P -पायड. 29)" सम्म for सम्वो. 31) J एत्थ for एत्थं. 32)J तहा कि, मज्जर जाते. J सा for तो, F विपि पयर्ड पि न यागियं केहि नि नरेहिं. 33) जद (for तेण) भणियं तेण जद, P om. पुण. Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२२९] . कुवलयमाला 12 1 का चिंतिजइ लोए णागाण फणाए होइ को पयडो। जह-चिंतिय-दिण्ण-फलो कुमार जाणासु को लोए । कुमारेण चिंतियं 'अरे, को चिंतिजइ । हूं चिंता । को वा णायाण मत्थए पयडो । हूं मणी । को वा जह-चिंतिय-दिण्ण-फलो। 3 अरे, जाणियं चिंतामणी । किमिमाए पल्लोए चिंतामणी णाम' ति चिंतयंतेण पुच्छियं जाणिय भणिय 'भो चिंतामणि'त्ति । 3 सेणावइणा भणियं 'कुमार, जहाणवेसि' त्ति । एवं च परिहास-कहासुं आरूढा तं अन्तणो मंदिरं, दिटुं च अगेय-ससंभमवियरमाण-विलासिणी-णियंब रसणारसंत रव-रावियं । तओ पविट्ठा अभितरं, उवगया देवहरयं । तत्थ य महंत कणय6 कवाड-संपुड-पडिच्छण्णं दिटुं देव-मंदिरं । तत्थ उग्घाडिऊण दिट्ठाओ कणय-रयणमइयाओ पडिमाओ । तओ हरिस-भरिजत- 8 वयण-कमलेहिं को तेलोक बंधूणं पणामो। णिग्गया य उवविट्टा महरिहेसु सीहासगेसु । वीसंता खणं । तओ समप्पियाओ ताण पोत्तीओ। पक्खितं च सय-सहस्स-पागं वियसमाण-मालई-सुगंध-गंध-सिणेहं उत्तिमंगे तेलं । संवाहिया य 9 अहिणव-वियसिय-कमल-कोमलेहिं करयलेहिं विलासिणीय गेणं ति । तओ उच्चट्टिया कसाएहिं, हाणिया सुगंध-सुसीयल- 9 जलेणं । तओ पहाय सुई-भूया सिय-धोय-दुकूल-धरा पविट्ठा देवहरए । तत्थ य पूहया भगवंतो जहारुहं । तो झाइओ एक खगंतरं समवसरणत्थो भगवं। जविया य जिण-णमोकार-चउव्वीसिया । तओ आगया भोयणत्थाण-मंडवं, परिभुतं च । जहिच्छिय भोयणं । तओ णिसण्णा जहासु, अच्छिउं पयत्ता वीसत्थ त्ति ।। २२९) तओ अच्छमाणाणं तागं समागओ धोय-धवलय-वत्थ-णियंसणो लोह-दंड-वावड-करो एक्को पुरिसो।। तेण य पुरो ठाऊण सेणावणो इम दुवलयं पढियं । अवि य । 15 'णारय-तिरिय-परामर-चउ-गइ-संसार-सायरं भीमं । जाणसि जिणवर-वयणं मोक्ख-सुहं चेय जाणासि ॥ 15 तह वि तुम रे जिद्दय अलज्ज चारित्त-मग्ग-पभट्टो । जाणतो वि ण विरमसि विरमसु अहवा इमो डंडो।' त्ति भणमाणेण तेण पुरिसेण ताडिओ उत्तिमंगे सेणावई। तो महागरुल-मंत-सिद्धत्थ-पहओ विव ओअंडिय-महाफणा-मंडवो महाभुयंगो विय अहोमुहो संठिओ वितिऊण य पयत्तो । अहो पेच्छ, कहं गिट्ठरं अहं इमिणा इमस्स पुरओ सुपुरिसस्स 18 पहओ डंडेण, फरुसं च भणिओ ति । अहवा णहि णहि सुंदरं चेय कयं । जेण, जर-मरण-रोग-रय-मल-किलेस-बहुलम्मि एत्थ संसारे । मूढा भमंति जीवा कालमणतं दुह-समिद्धा ॥ ताणं चिय जो भव्वो सो वि अउव्वेण कह वि करणं । भेत्तूण कम्म-गठिं सम्मत्तं पावए पढम ॥ तं च फलयं समुद्दे तं रयणं चेय णवर पुरिसस्स । ल दूण जो पमायइ सो पडिओ भव-सयावत्ते ।। लद्वण पुणो एयं किरिया-चारित्त-वज्जियं मोहं । काय-किरियाए रहिओ फलयारूढो जल-णिहिम्मि ॥ ता जम्म लक्ख-दुलहं एवं तं पावियं मए एहि । चारित्तं पुण तह वि हु ण ताव पडिजिमो मूढो । जिण-वयण-बाहिर-मणो ण-यणइ जो जीव-णिज्जरा-बंधे । सो कुणउ णाम एयं मूढो अण्णाण-दोसेण ॥ मह पुण तेलोकेकल-बंधु-वयणं वियाणमाणस्स । किं जुजइ जीव-वहो धिरत्थु मह जीव-लोगस्स ॥ संसारो अइ-भीमो एयं जाणामि दुल्लहा बोही । भट्ठा उयहिम्मि वराडिय व्व दुक्खेण पावेस्सं ॥ जाणतो तह वि अहं चारित्तावरण-कम्म-दोसेणं । ण य विरमामि अउण्णो सत्तेण विवजिओ अहमो ।। धिद्वी अहो अउण्णो करुणा-वियलो अलज्ज-गय-सत्तो । खर-णिट्टर-फरसाणं दूरं चिय भायणं मण्णे ॥ 30 इय चिंतंतो चिय सो पव्वालिय-बाह-सलिल-णयणिल्लो । आमुक्त-दीह-णीसास-दुम्मणो दीण-चयणिल्लो ॥ 30 भणियो य कुमारणं । 'भो भो, को एस वुत्तो, को वा एस पुरिसो, किं वा कजेण तुमं ताडिओ, किं वा अवराहो खमिओ, किं वा तुम दुम्मणो सि' त्ति भणिए दीह-णीसास-मंथरं भणियं सेणावइणा 'कुमार, महल्लो एस वुत्ततो, तहा वि तुज्झ 33 संखेवेणं साहिमो, सुणासु त्ति । 33 1) J फि for का, Jणायाण, P भगाहि for फणाए, J जितियदिअहफ.लो P दिनफलो अरे जाणियं चिंतामणी ।।, P om. कुमार जाणाल को लोण॥ कुमारेग चितिय 'अरे etc. to दिणफलो। 3) P किं इमाए, Jणाम चिंतयं', r om. पुच्छियं जाणिय, I om. भणियं, ' adds पितामणियं भो after मो. 4) जहाणवेहि त्ति. 5) P वियरमाणे वियासिणी, रस for रव, अब्भतरं. 6) परिच्छिन्नं, J•adds a after दिटुं, P adds य after तत्थ, P कणयणयरगतीआउ. 8)J सत for सय, J मुअंध, Jom. तेलं. 9) नय for अहिणव, विणाशिणीअणेग, ति पदागिया for ण्हाणिया, J सुअंध, P सुयसीयलेणं जलेणं. 10) सुईभूसिय, P दुगलारा, Jom. य, J भगवंता. 11)" चउवीसिया, P om. आगया, भोयत्याण, Jom. च. 13) J धोवः, P धवलनियंसणे. 15) सागरावरी। ' जिणवयणेणं. 16) Pइमो दंडो त्ति. 17) P-प्पहओ, J विव उअंटिअ-, P om. महा before फगा. 18) "अहो for अहोमुतो, Pom. अहो, Pon. अहं. 19) P दंडेण, Pom. हि गहि, I adds अवि य after जेग. 20) वर for tथ. 21) J॥ भोत्ता for भेत्तण (emended). 23) किरेआए. 247 याव for तान. 25) धो , " कुणार. 26) कबयणं बंधु वियाण', Pमहो for बहो. 27) Pउअहमि. 29) P दूचिय. 30) चिंतेतो, P दी गविगगिलो, 31) Pom. य, Pom. one भो, Jom. वा before अवराहो. 32) Pमदुरं for भथरं, तुगं for तुज्स. 33) P निमणेरा for सुगामु. Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४० उज्जोयणसूरिविरइया [$२३० 1 ६२३०) अस्थि पुहई-पयासा उववण-वण-संणिवेस-रमणिज्जा । रयणाउरि त्ति णाम जण-णिवहुद्दाम-गंभीरा ॥ जहिं च पक्कण-कुलई पि पवण-पहल्लमाण-कोडि-पडाया-णिहायई, असेस-सस्थत्थ-णिम्मायई पंजर-सुय-सारिया-णिहायई, विहडिय-विरूव-रूव-सोहा-समुदय चकिय-जुवाण, विरूव-लावण्ण-विणिज्जिय-मच्छर-कडच्छ-पहयउ णायर-बालियउ रईए, त्ति । अवि य। जं तत्थ किंचि अहम लोए लहुयं ति परिहवावडियं । इयर-णयरीण तं चिय पत्तिय पढमं गणिजेज्जा। 6 तीए णयरीए राया रयणमउडो णाम । जो होइ जमो धणओ कोव-पसाएहिं सत्तु-पगईणं । दीणाण गब्वियाण य पयर्ड धण-खग्ग-पहरेहिं । सव्वहा ण समत्थो वोउं तस्स गुणे। तओ तस्स य राइणो दुचे पुत्ता, तं जहा, दप्पफलिहो बाहुफलिहो य। एवं च 9 तस्स रज अणुपालयतस्स एक्कम्मि दियहे अमावसाए परिहरिय-सयल-संणिहिय-पाथ-पयत्थ-सत्थस्स पओस-समए वासहरयं 9 पविट्ठस्स णीसारिय-सयल-महिला-विलासिणीयणस्स लटिप्पईव-सिहाए दिट्ठी विलग्गा । तओ किं-किं पि चिंतयंतस्स आगओ तम्मि पईवे एक्को पयंगो । सो तं पईव-सिहं अल्लिऊण इच्छह । तओ राइणा पयइ-अणुयंपा-सहावेण चिंतियं । 'अरे, वराओ 12 अण्णाण-मोहिओ पडिहिइ इमम्मि पईवे, ता मा वराओ विवज्जउ' त्ति चिंतयंतेण गहिओ करयलेणं, घेत्तूण पक्खित्तो कवाड-12 विवरंतरेण । पक्खित्त-मेत्ते चेय पुणो समागओ। पुणो वि चिंतियं णरवइणा 'अहो, पेच्छह विहि-विहियत्तणं पयंगस्स' । पुणो आगओ, पुणो गहिओ, पक्खित्तो य । पुणो वि आगओ। तओ चिंतियं णरवइणा 'अहो एयं लोए सुणीयइ किर उवाय15 रक्खिओ पुरिसो वास-सर्थ जीवइति । ता पेच्छामि किं उवाएहिं माणो सयासाओ रक्खा का हवइ, किं वा ण वत्ति 15 चिंतयंतेण गहिओ पुणो पयंगो। 'दे इमं रक्खामि । जइ एस इमाओ मञ्च-मुहाओ रक्खिओ होजा, ता जाणिमो अत्थि वेजोसहेहिं वि मरण-परित्ता । अह एस ण जीविहिइ मए वि रक्खिजमाणो, ता णस्थि सरग मञ्चुणो ति, परलोग-हियं 18 चेव करणिज' ति चिंतयंतेण पलोइयाई पासाई । दिद्वं च एक उग्धाडियं समुग्ग। तओ राइणा झन्ति पक्खित्तो तम्मि 18 समुग्गयम्मि सो पयंगो, ठइओ य उवारें, पक्खित्तो य अत्तणो ऊसीसए। एवं च काऊण पसुत्तो राया, पडिबुदो णिद्दा-खए चिंतिउं पयत्तो । 'अहो, पेच्छामि किं तस्स पयंगस्त मह उवाएणं कयं' ति गहिउं समुग्गय णिरूवियं मणि-पदीवेण जाव पेच्छइ 21 कुडु-गिरोलियं ति । तं च द?ण पुलइयं णिउणं, ण य सो दीसइ। तओ चिंतिय राइणा 'अवस्सं सो इमीए खइओश होहिद त्ति । अहो धिरत्थु जीव-लोयस्स । जेण रक्खामि त्ति सयहं पक्खित्तो एस सो समुग्गम्मि । एत्थ वि इमीए खइओ ण य मोक्खो अस्थि विहियस्स ॥ जेत्तिय-मेत्तं कम्मं पुब्व-कयं राग-दोस-कलुसेण । तेत्तिय-मत्तं से देइ फलं णस्थि संदेहो ॥ वेजा करेंति किरियं ओसह-जोएहिँ मंत-बल-जुत्ता। णेय करेंति वराया ण कयं जं पुब्व-जम्मम्मि ॥ पञ्चक्खं जेण इमो मए पयंगो समुग्गए छूढो । गिलिओ गिरोलियाए को किर मच्चए रक्खेजा ॥ 27 ता त्थि एत्थ सरण सयले वि सुरासुरम्मि लोयम्मि । जं जं पुव्वं रइयं तं तं चिय भुज्जए एयं ॥ ता कीस एस लोओ ण मुणइ पर-लोय-कज्ज-वावारं । घण-राय-दोस-मूढो सिढिलो धम्मासु किरियासु ॥ इय गरवइणो एयं सहसा वेरग्ग-मग्ग-पडियस्स । तारूव-कम्म-खयउवसमेहि जम्मं पुणो भरियं ॥ तओ, 30 जाए जाई-सरणे संभरिओ राइणा भवो पुवो। जह पालिय-पच्वज्जो दिय-लोयं पाविओ तइया ॥ तम्हाओ वि चुओ है भोए भोत्तण एत्थ उववण्णो । जं पुत्व-जम्म-पढियं तं पि असेसेण संभरियं ॥ 1) Pएएसो for पयासा, J om. वण, J रयणपुरि, P लोए for णाम. 2) F कुणई, J वि for पि, " पि पवयण, मिहायाई J सत्थत्थु-, P सत्यनिम्मा पिंजर.. 3)P विउडियाविरूवसोहा, Jom. लावण्ण, P पहाय ओ, पालि उरइआए. 5)" inter किंचि and तत्थ, P परिहंति वावडियं । अन्न नयरीण, P गणेज्जासु ॥. 6) ती रयणाउरी राया. 7) Pहोज्ज for होद, कोवपएसाहिं सत्तुपणतीणं, J पहराहि. 8) J_om. तस्स गुणे, J बाहुप्फलिहो, " एवं तरस य रजं. 9) प्रमावासिए for अमावसाप, पाव tor पाय. 10) P om. महिला, P लद्धीपईओ सिहाय, विरगो,' om, one किं. 11)" अहिलसिऊर्ण इच्छा, पयई, P अणुकंपा. 12) Jom. अण्णाणमोहिओ, P पडीहिइ. 13)। 'मेत्तो, I om. वि, विविडिअत्तणं " विहि विहियं, J adds वि in both places after पुणो. 14)पखितो, ततो for तओ, 7 लोए मणीयति. 15)1 रक्खितो, P adds वा before उवएहिं. 16)P दे रइमं. 17) P परत्ता, 'जीविदिति, P वि खिज्जमाणो. 18) चेज for चेब, न पलोवियाई, P उग्धाडयं, P समुयं for समुग्गं, P मुको for पक्खित्तो. 19) Jom. य, J उसीसर, J विबुद्धो for पडिबुद्धो. 20) गहि, मणिपईवेण, P मणिपदीचे जाव पेच्छाइ, 21) कुण्ड कुटु. P गिरोलयं ति, "राइणो22) होहि सित्ति, P लोगस्स, P संपयं for जेण. 23)P सत्तण्हं, P मे for सो, r om. एत्थ वि इमीप etc. to पुयजम्मम्मि. 24) - जत्तिय. 25) Jणय for णेय. 26) J गरोलियाए. 27) P लोगंमि, P पुश्वरदयं, " मुंजए. 28) " लोग for लोओ, लोअ for कज्ज, " रागहोस. 29) P नरवणा, ' क्खयओव', P जंमो पुणो. 30) " पुठवभगो for भयो पुवो, "पाणिय for पालिय. 31) P भुओ for चुओ, P य तेण for असेसेण. Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ F-२३२] . कुवलयमाला ६२३१) अह चिंतिउं पयत्तो धिरत्थु संसार-वास-दुक्खस्स । गय-चारित्तावरणो दिक्खं अह गेण्हए मणसा॥ कय-पंच मुट्टि-लोओ सुमणो परिहरिय-सेस-सावजो । गय-पावो णिल्लेवो जाओ सलिलम्मि लउओ व्व ॥ एवं च तस्स इमम्मि अवसरे अहा-संणिहियाए देवयाए किं कयं । अवि य, धवलं विमलं सुहयं पसरिय-दसिया-मऊह-फुरमागं । बहु-पाव-रओहरणं रयहरणं अप्पिय तस्स ॥ मुह-पोत्तिया य बीया पत्ताईयाहूँ सत्त अण्णे वि । इय णव-उवहि-सणाहो जाओ पञ्चेय-बुद्धो सो॥ ताव य पभाया रयणी । पढियं मंगल-पाढएणं । अवि य, अरुण-कर-णियर-भरियं गयणयलं णासमाण तारालं । ओअग्गइ उजोओ वियलइ तिमिरं दस-दिसासु ॥ कूयंति सारसाइं सावय-सउणाण सुव्वए सहो । विरहोलुग्ग-सरीरं घडियं चक्काय-जुवलं पि ॥ पसरइ कुसुमामोओ वियरइ दिसासु पाडलागंधो । उद्धाइ कलयल-रवो वंति सब्वत्थ कुक्कुडया ॥ इय एरिसे पभाए णरवर दे बुज्झिऊण कुण एक । णिहा-मोहं अह वारिऊण परलोग-वावारं ।। तं च तारिसं बंदिणा पढियं णिसामिऊण भगवं रायरिसी विहाडिऊण कवाड-संपुढं वास-भवणस्स गिगओ सीह-किसोरओ विव गिरिवर-गुहाओ, दिट्टो य परियण । केरिसो । अवि य, ___ कय-केस लुचणो सो पत्तय-रय-हरग-रेहिर-करग्गो। चइडं तणं व रज राया सीहो ब्व णिखतो ॥ तं च तारिसं पेच्छिऊणं वासहर-पालीए धाहावियं । कई । अवि य । . हा हा माए धावह धावह एसो म्ह सामिओ राया। अज चिय वासहरे अह किं पि विडंबणं पत्तो ॥ एवं सोऊण धाहा-रवं णिसामिऊण पहाइओ अंतेउरिया-जयो । संभम-वस-खलमाण-चलण-णेउर-रणरणासह-मुहलो पहाइओ वर-विलासिणि-जणो । तओ ताहिं भणियं । । 'जिय दइय सुहय सामिय पसिय तुहं किं व अवकयं अम्हे । जेणम्हे तं मुंचसि तं अत्ताण विडंबणं काउं । जे वेल्लहल-विलासिणि-करयल-संसग्ग-वडिया णिच् । ते कत्थ तुज्झ केसा अइवजम लुचिया केण ॥ कापूर-पूर-चंदण-मयणाहि-समुग्गएक-कलियस्मि । वासहरम्मि करका कत्थ तए पाविया णाह ॥ दरियारि-दारण-सहं तुह खग्ग णाह रेहइ करग्गे । उण्णामय-दसियालं एयं पुण पिंछय कत्तो ॥' तओ एवं पलवमाणस्स अंतेउरिया-जणस्स अदिण्ण-पडिसलावो गंतुं पयत्तो। तओ मुक-कंठं धाहावियं ताहिं । 'अवि धाह धाह धावह एसो अम्हाण सामिओ सहसा । केण विहीरइ पुरओ अदिण्ण-संलाव-विमणाणं ॥ इमं च हा-हा-रवं णिसामिऊण संपत्ता मंतिणो । तेहि य दिवो से भगवं महामुणि-रूत्रो। वंदिऊण य भणियं तेहिं 'भगवं 24 को एस वुत्ततो' त्ति । एवं च भण्णमाणो विणिग्गओ चेय णयरीओ। तओ तह च्चिय मग्गालग्गो सेस-परियणो वि संपत्तो उज्जाण-वणं । तत्थ य तस-थावर-विरहिए पएसे णिसण्णो भगवं रायरिसी । तओ णिसण्णा मंतिणो अंतेउरिया-जणो य । 7 अम्हे वि दुवे वि जणा तस्स पुत्ता दप्पफलिह-भुयफलिहा भायरो णिग्गया पिउणो सयासं । तओ उवविट्ठाण य भगवं 27 रायरिसी साहिउँ पयत्तो । अवि य । ६२३२) णारय-तिरिय-णरामर-चउ-गइ-संसार-सायरं भीमं । भममाणएण बहुसो अणोरपारं सया-कालं ॥ 0 रजं बहुसो पत्तं बहुसो पुण सेवियं च दोग्गञ्च । णिय-धम्म कम्म-वसओ खय-हाणिं पावए जीवो ॥ जइ देह विसिट्ठाण इट्ठमणिटुं च जइ ण आयरइ । जइ अणुकंपा-परमो ता रजं को ण पावे ॥ अह बंध-घाय-वह-मार-परिणओ ण?-धम्म-वावारो। ता वञ्चतं णरए साहसु को रंभिडं तरइ ॥ 13 सो णस्थि कोइ जीवो जयम्मि सयलम्मि जो ण संसारे । पत्तो देवत्त-पयं किमी य असुइम्मि उववपणो ॥ 1) P अहा चितिउ पयत्ता, J दिक्खा अह. 2) P जाओ सरयंमि जलउ व्व. 3) अवसरे जहासण्णिदि. 5) य बितिआ पत्तातीआई, P पत्ताईया वि, पमाणो for सणाहो, P पत्तेयबुद्धो. 6) Jom. य. 7) P नयणयलं तासगाण for गयण etc., Pउज्जोवो. 8) P जुयलं. 10) P "गोहं अपयारिऊण, I परलो.. 11) Pरायसिरी, I विहरिण, Jom. णिग्गभो, किसोरो. 14) J वासहर यवाली, Jom. अवि य. 15om. on धावह, Jआ कहं for अह किं. 16) P ndds a after एवं, थाहरवं Pथाहावरवं, यणो for जागो, खणमाण. 17) P वारविलासिणीयणो. 18) P सुयय, J पसीअ, P अम्हे । जे जेणत्थेके मुंचसि अत्ताण. 19) Jom. जे, P विसासिणि, P संगि for संसग्ग. 21) P दरियाविदारण. 22) P अंतिउरिया, ' कंर हाविय ताहि । अवि धावह धाह पावह. 23) धावह माए एसोम्ह सामिओ. 24)" सो for से. 25) चेष नयराओ, ' तहे व for तह चिय. 26) J रहिए for विरहिए, P तओ निसन्नो. 27) P वि दुवे जणा दप्प, दप्पफलिहो भुयफलिहा, P सगासं, r om. य. 28) Jom. अवि य. 30) Pउण for पुण, P दोहगं for दोग्गचं, P inter. कम्म (कंम) धम्म, J रायहाणि for खयहागि. 31)P विसिटाणं, ग्यारह for आयरइ, अणुअंपा. 32) P अह बध, Pघाय for मार. Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 3 6 21 24 तर पुछि विणा 'भगनं, एस उनको वास्यम्मि जाओ जेण समुप्पण्ण-वेरा- " मग्ग- लग्गो इमं लिंग पडिवण्णो सि' त्ति । साहियं च भगवया सयलं पयंग-पईव समुग्गय-वृत्तंतं । तभ तं च दट्ठण मए चिंतियं 'अहो, धिरा संसार वासस्स जे एसो पर्वगो रखनमाणो विवण्यो । उवाओ सिग्गए परित्तो तर्हि चैव 12 अवाओ जाओ । तं जहा । , 12 पट्टिको मलो हव कर्यतस्य ॥ जह से तासिनो सो सरणाची मग्गए विले सो अवगरओसह जोपुर्ति समं णाणाविह-मंत जाहुइ-सएहिं ण य रक्सि तीर मरण व उबगजो पुरियो ॥ 15 15 जानो बई वि भगवं, को उण एस धम्मो, 8 एयं णाऊण इमं अणिच्च-भावेण भावियं लोयं । तम्हा करेमि धम्मं को साहारो त्थ रज्जेणं ॥ एवं चमरा-मण्णावडियस्स तदा कम्म क्लबसमे अण्ण- जम्म-सरणं समुप्यण्णं आसि अहं भवरवि साह, ततो य सोहम्मे देवो । तत्तो वि चइऊण अहं इह राया समुप्पण्णो । तओ कयं मए पंचमुट्टियं लोयं । अहासंणिहियाए देवयाए 18 समप्पियं रय-हरणं उपकरणं च तो निधो मुणिव ६ २३३ ) एवं च भगवया साहिए समाणे स से पुच्छि विमले मंतिणा कहं वा कायव्वो, किं वा इमिणा साहेयन्वं' ति एवं च पुच्छिए भणियं भगवया रायरिसिणा । 'देवाणुपिया णिसुणेसु जं तए पुच्छियं इमं धम्मं । पढमं चिय मूलाओ ण होइ जड़ संसओ तुज्झ ॥ धमाधम्मागासा जीवा अह पोग्गला य लोयम्मि । पंचेव पयत्थाई लोयाणुभवेण सिद्धाई ॥ धमाधम्मागासा गइ ठिइ- अवगास-लक्खणा भणिया जीवाण पगलाण य संजोए होंति णव अण्णे | जीवाजीवा आसव पुण्णं पावं च संवरो चेय । बंधो णिज्जर- मोक्खो णव एए होंति परमव्था ॥ जो चद वल बनाइ जानद नह मुबइ सुणइ उवडतो। सो पाण धारणानो जीवो अह भण्णह पययो ॥ जो उण ण चलइ ण वलड् ण य जंपइ णेय जाणए किंचि । सो होइ अजीवो सि य विवरीओ जीव-धम्माणं ॥ अद कोह-लोह-माया-सिद्धि-स्वस्स दुङ-भावस्य जम्मा पावव-पंको सिद्धि दे महि-रलो व ॥ सो आसवो ति भण्णइ ज व तलावस्त्र आगमदारो सो होइ दुबिह-मेल पुणे पाच लोयमि देवत्तं मणुयत्तं तत्थ विसिद्वाइँ काम भोगाई । गहिएण जेण जीवो भुंजइ से होइ पुण्णं ति ॥ 1 रएसु य तिरिए य तेसु य दुक्खाइँ णेय रुवाई | भुंजइ जस्स बलेगं तं पायें होइ णायव्वं ॥ अह पुण्ण-पाव खेलय- चउगह संसार-वाहियालीए गिरिओ व जाइ जीव कसाय परहिंहमंतो ॥ गाण सणावरण- वेवणिनं च हो वह मोई अवरंतराय कम्मे आयुक्स नाम गोतं च ॥ तं राग-दोस बसलो मूहो बहुए पावकम् अ-विधं कम्म भलं जीवो अह बंध सययं ॥ 27 30 १४२ जोयणसूरिविरहया सो गांव कोइ जीवो इमम्मि संसार- दुक्ख-वासम्मि माह-पियुत्त बंधू बहुसो सवणणं पत्तो ॥ सो गरि कोइ जीवो जयम्मि सवलम्मि जो ण कमेण वियासा मूढ-मणो अवरोप्पर-मारणं पत्तो ॥ सो णत्थि कोइ जीवो चउगइ-संसार चारयावासे । अवरोप्पर- कज्ज-मओ जो ण वि मित्तत्तणं पत्तो ॥ सो णत्थि कोइ जीवो भ्रममाणो जो ण कम्मजोएन ईसा मच्छर-कुविमो जो ण व पत्ती ॥ सो णत्थि कोइ जीवो चउगइ संसार सागरे भीमे । णह दंत- दलिय देहो जो य ण आहारिओ बहुसो ॥ सोचिय सत्तू सो चे बंधन होइ कम्म-जोए । सो चिय राया सो चेय भिच्छुभ होइ पावेण ॥ ता पत्तियासु एयं ण एत्थ बंधू ण चेय कोइ भरी । गिय चरिय- जाय- कम्मं पत्तिय सत्तुं च मित्तं च ॥ इस जाणि भणिचे संजोय-विभोर बंधुवणे वेग-मग लग्गो को या ण करेल परोये || 33 [ २३२ 6 18 21 24 27 1) P बंधू हुसो सगवणवत्तर्ण 3 ) P संसारसायरावासे, P कज्जनमत्रो 4 > P जं for जो, P inter य and or. 5) P जोइ for कोइ, सायरे, P inter. न and य. 6 ) P सोय भिचो अह होइ. 7 ) P सत् य गित्तं. 8 ) जाणियं, P लग्गमग्गो- 9 ) J वुण for उण, P inter. को & उण, संतो सहरम्मि य जाओ. 10 ) P मग्गो for मग्गदगो, Pom. सि, J -पईव, P समुयय- 11 एस पयंगो, adds वि before विषण्णो, चैत्र. 13 सयत्थी. 15P लोगं, P बंधं for धम्मं, Pinter. साहारो and को, P व for स्थ. 16) fat arst. 17 Jom देवो, Jom. अ, Pom., मे for मए, P सन्निहियए, देवताए. 18 ) स्यणहरणं. 19 ) Pom. समाणे, Jom सयले, "बुच्छियवियं विगलमंतिणा. 20 > पुच्छिषण भणियं. 21 ) P देवाणुपिया, P तुम्हं for 22 23 तुज्झ. ठिति, P अवगाह 24 ) P संवरं चेव, 3 inter. बंधों & गिज्जर, एते, P परमत्थो 25 ) repeats नलइ जागई इस हसइ उवयुक्त्तो. 26 ) P किंपि 1. 27 ) P inter. लोह & कोह, पायव for पावय, देवो 28 ) वर for व आगमंदारो, P लोगं मि. 29 ) भोआई. 30 P पेग for णेय, उ जस्स हलेणं. 31 पुन्ना, " गिडिओ व् लाजा, बोराण, P निज्जं तो for हम्मतो. 32 ) Pom. होड़, P आउकखं 33 ) अट्ठविहं सततं. 30 33 Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२३४] । कुवलयमाला १४२ 1 मिच्छ-अविरइ कसाया पमाय-जोगेहि बंधए कम्म । सत्तटु-विहं छविहमबंधओ णस्थि संसारी ॥ एगत-बह-चित्तो कुसमय-मोहिज-माण-सम्भावो । मिच्छा-दिली कम्मं बंधइ अह चिक्कण होइ॥ 3 गम्मागम्म-वियप्पो वच्चावच्चाइँ जो ण परिहरइ । सो अविरय-पाव-मगो अविरतओ बंधए पावं ॥ मजं वि महाणिद्दा एए उ हवेति ते पमायाओ। एएसु जो पमत्तो सो बंधइ पावयं कडुयं ॥ मय-कोह-माण-लोहा गए चत्तारि जस्स उ कसाया। संसार-मूल-भूएहिँ तेहिँ सो बंधए पावं ।। काय-मण-वाय-जोगा तेहि उ दु?हिँ दुट-बुद्धीए । बंधइ पावं कम्मं सुहेहिं पुण्णं ण संदेहो ॥ ता जाव एस जीवो एयइ वेयइ य फंदए चलए । सत्तठ-छच्चगविहं बंधइ णो णं अबंधो उ ॥ ता तेण कम्मएणं उच्चाणीएसु णवर ठाणेसु । जीवो इमो भमिजइ कराहओ कंदुउ व्व समं ॥ इंदत्तणं पि पावइ जीवो सो चेय णवर किमियत्तं । णरए दुक्ख-सहस्सा. पावए सो च्चिय वराओ॥ पुढवि-जल-जलण-मारुय-वणस्सई णेय-भेय-भि मेसु । एग-दु-ति-चउरिंदिय-विगलेसु अणेय-रूवेसु ॥ अंडय-पोत्तय-जरजा रसाउया चेय होति संसेया। सम्मुच्छिमा य बहुए उब्भिय-उववाइमा अण्णे ।। 2 सीउण्ह-मीस-जोणिसु जायंते के वि तत्थ दुक्खता । संकड-वियडासु पुणो मीसासु य होंति अवरे चि॥ पंचेंदियाण पुच्छसि चउरो भेदा उ होति देवागं । भवणवइ-वाणमंतर-जोइस-वासी विमाणत्था ॥ विजु-घण-थणिय-अग्गी-सुवण्ण-तह-दीव-दिसि-कुमारा य । वाऊदधी य णागा दस भेया होंति भवणत्था ।। अह जक्ख-रक्ख-भूया पिसाय तह किंणरा य किंपुरिसा । महउरया गंधवा अटु-विहा वंतरा एए । चंदा सूरा पढमं गहा य णक्खत्त-तारया अवरे । एए पंच-विह चिय जोइस-वासी सुरा होति ॥ माणिया य दुविहा कप्पाईया य कप्पसुववण्णा । कप्पोचवण्ण-भेया बारस एए णिसामेसु ॥ । सोहम्मीसाण-सणकुमार-माहिंद-बंभ-लोया य । लंतय-सुक्क-सहस्साराणय-पाणय य दिय-लोया ॥ आरण-अच्चय-भेएहि संठिया बारस-विहाओ। एए कप्पोवण्णा देवा अह होंति सव्वे वि ॥ कप्पाईया दुविहा गेवेजाणुत्तरा य पंच-विहा । एएसु कोइ वच्चइ बहु-कय-पुण्णो हु जो पुरिसो ॥ । २३४ ) मणुया वि अगेय-विहा कम्मय-भूमा [अकम्म-भूमा] य । अंतर-दीवा अण्गे सबरादी बब्बरा अण्णे ॥ 21 तिरिया असंख-या दुपया अपया चउप्पया चेव । पक्खी सप्पाईया पभूय-पय-संकुला अण्णे ॥ णरए वि सत्त णरया पत्थर-भेएण ते विभिजति । भीमा उब्वेवणया बहु-दुक्खा णिञ्च-कालं पि ॥ अमर-णर-तिरिय-णारय-भव-संसारम्मि सागर-सरिच्छे । अट्टविह-कम्म-बद्धा भमंति जीवा ण संदेहो । अह एल्थ मणुय-लोए जीवो चिय सुकय-पुण्ण-पदभारो। उप्पज्जइ तित्थयरो अंतयरो सयल-दुक्खाणं ॥ से साहइ सच्चमिणं दिव्वण्णाण जाणिउं भगवं । सोऊण य तं जीवा केई वञ्चति सम्मत्तं ॥ अपणो पाव-परद्धा संसारे वच्चहरय-सरिसम्मि । अच्छति दुक्ख-तविया ण तस्स वयणं अवि करेंति ॥ जे पुण करेंति एयं ते पुरिसा णवर पुत्थ गेण्हंति । सम्मईसण-णाणं चरण चिय तिण्णि परमत्था ॥ जे जह जीवाईया भावा परिसंठिया सभावेण । सहइ ते तह चिय अह एयं इसणं होई ॥ गम्मागम्मं जाणइ भक्खाभक्वं च वच्चमविवञ्च । जागइ य जेण भावे तं णाणं होइ पुरिसस्स ॥ परिहरह पाव-ठाणं संजम-ठागेसु वा जेण । तं चारित्तं भण्णइ महन्धए पंचय होति ॥ जीवाणं अइवायं तह य मुसावाय-विरमग दुइयं । अदिण्णदाणा-मेहुण-बिरई पडिचाओं सव्व-दव्वाणं ॥ 1) गिच्छाअविरती, J जो हिं, निबंधनो गत्य संसारी. 2) तु दुन्चित्तो, JP कुतुम', सुह P अहं, चिकणे भोप. 3) on , अविरो. 4)मजं विनवार्णिदा पते तुहमति ते पगत्तातु । एतेसु जो अमतो, P पावगं.5) Pमोहा For लोहा, ले, J भूतेहिं. 6) जोजा तक्षितुष्टेदि. 7) एतर बेलइ अं, JP सत्तट्ट, र छवेगविह, J बंधइ अ गोणं अहं होंतु ।।. 9) चेव, 'om. गवर. 10) Jणेय मिणमिण्णेमु, I विअलेमु. 11) अण्डपोत्तय, " पोयय, J जरसा, संसेता, J ओवातिभा. 12) जोगिय for जोणिसु. 13) ता तु होति, P य for 3, भवणव तिवाणवंतरजोतिसवासी, P भवणवणवाण, " जोविस. 14) थणितजग्गीपासणदीनद, 1 दिसकुमारा, उबाऊ उदधी णागा, P वाऊदही, Jom. य, J मेता. 15) J जह for अह, जवखारवखस, भूता, महोगा पगंधवा, एते. 16)P अन्ने for अबरे, JP एते, J -विध,J जोतिस. 17)तु for य, दुविधा कप्पातीताय, 1 कामउववण्णा, J -भेता, J एते. 18) Pom. लंतय, Jस्सार आणतपाणतो य दियलोओ, P स्सारायणपाणया य दिसियलोया. 19)J अनुतमेरोहि, भेए हिं,J -विधात ।, P कप्पोववण्णा. 20)J कप्पातीता. J पंचविधा। एतेस, Jउ for दु. 21) अणेग, J कम्मामा , the second pada may be read thus: कम्मय-भूमा अकम्म-भूमा य 1. Jहीवा, सवराई. 22) यसंगमेता दपता अपता चप्पता, पक्खा अप्पाईया, J सप्पातीआ, J पसूअपत-23 P पत्थडभेष.हिं ण ते, J भेतेण ते,' विभजति. 24)J सायर,J कम्मबंधा. 25) सुकयभीमसंसारे । 26) J सो for से, P से सोइ. 27)"वहरय. 29) । जो for जे, J जीवातीआ Pजीवाएया, J परिसंठिता, P परिसंहिया सयावेग, P होंति for होइ. 30)गंमागंमा नयागाइ, वच for वच्चपविच, P भावोतं. 31) P-हाणं, P-ठाणे, J बच्चए for वट्टए, पंचतं. 32) J अतिपातं, मुसाबात, J दुति दुईय, दाण,J विरती, " विरइयपरिचाउ पंचमय ।।. , Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसुरिविरइया [६२३४. सुहमें वा बायरं व जीवं मण-वयण-काय-जोगेहिं । ण वहइ ण वहावइ य वयंत जाणुजाणाद ॥ भय-हास-कसाएहि य अलिय मण-वयण-काय-जोगेहिं । ण भणइ ण भणावेइ भणमाणं णाणुजाणाइ ॥ गामे णयर अदिगणं मण-बय-काएहि तिविह-जोएहिं । ण य गेण्हे गिण्हावे गेण्हतं णाणुजाणाइ ॥ दिव्वं माणुस-तिरिय इस्थि मणो-वाय-काय-जोएहिं । ण य भुंजइ भुजावए भुंजतं णाणुजाणेज्जा ॥ थोव-बहुं सावज परिग्गहं काय-वाय-जोएहिं । ण कुणइ ममत्तं कारेइ णेय ण य भणइ तं कुणसु ॥ एया पंच पइण्णा घेतु गुरु-देव-साहु-सक्खीया । राई-भोयण-विरई अह सो छटुं वयं कुणइ ॥ एया परिवालेतो अच्छइ तब-संजमं करेमाणो । अह तस्स संवरो सो पावट्ठाणेसु जं विरओ ॥ एवं च संवरेणं संवरियप्पा वि णिजरं कुणइ । दुविहेण तवेणेयं अभितर-बाहिरेणं पि ॥ अणसणमूणोदरया वित्ती-संखेव-रस-परिचागो । काय-किलेलो संलीणया य वज्झं तवं भणियं ॥ पायच्छितं विणओ बेयावच्चं तओ समाधी य । सज्झाय-चरण-करणं एवं अभितरं होई ॥ एएण पओएणं पुव-भव-कोडि-विरइयं कर्म । खेवेण णिजरिजइ णिजरणा होइ सा जाण ॥ 12 ता संजम-णिज्जरणं काऊण इमं स जीव-सत्तीए । वच्चइ धम्मज्झाणं सुक्कझाणं तओ जाइ॥ आरुहइ खवग-सेदि खविउ कम्माई ताई चत्तारि । केवल-णाणमगंतं अह पावइ दसणं चेव ॥ तो संभिण्णं पासइ लोयमलोयं च सव्वओ सव्वं । तं णस्थि जण पासह भूयं भव्वं भविस्सं च ॥ 15 तत्तो वि आउगते संबोहेऊण भव्व-कमलाई । खविऊण णाम-गोत्ते सेलेसिं पावए भगवं॥ कायं वायं रंभइ मण-रहिओ केवली सुहम-जोगी। अह सयल-जोग-रहिओ सिद्धिपुर पावए जीवो ॥ जत्थ ण जरा ण म ण वाहिणो णेय सब्व-दुक्खाई । सासय-सुहं अणतं अह भुंजइ णिरुवम जीवो ।। 18 ता एस एस धम्मो इमेण सझं च सासयं ठाणं । तेणुज्झिऊण रज पञ्चजं अह पवण्णो हैं ॥' २३५) भणियं च भगवया रायरिसिणा । 'भो भो दप्पप्फलिह-भुयप्फलिहा मंतिणो राइणो य भणिमो। एस दुरुत्तरो संसारो, महंतं दुक्ख, अणंतं कालं, परिणइ-विरसा भोगा, कडुय-फलं कम्म, मूढो बहु-जगो, तुलग्गेण पावयव्वं 21 मणुयत्तगं, ण पाविजति खेत्त-जाई-कुल-रूवारोग्गाई, थोवं आउयं, विरला धम्मायरिया, दुलहो जिणवर-धम्मो । दुकरो किरिया कलावो, ण तीरद मण-णिरोहो, सव्वहा दुक्खं संसारत्तणं ति । तेण णियय-जीयं पिव रक्खह पाणियो, अव्वत्तम्वमिव मा भणह अलिय-वयण, तणं पिव मा गेण्हह पर-धगं, मायरं पिव मण्णह परदारं, सर्नु पिव कलेह परिग्गह, पडिवजह 24 इमं । अवि य। ___ जर-मरण-रोग-रय-मल-किलेस-बहुलम्मि णवर संसारे । णस्थि सरगं जयम्मि वि एक मोत्तण जिणवयणं ।' ति भणमाणो समुट्टिओ भगवं रायरिसी, णीसंगो विहरि पयत्तो। तओ कुमार, अम्हे तप्पभुई सम्मत्त-मेत्त-सावगा जाया । पइट्रियं च हियए जहा अम्हेहि वि एवं अवस्स कायव्वं ति । आगया भावासं । तत्थ मंतीहिं पेसिओ दूओ। अम्ह पिउणो: भाया दढवम्मो महाराया अयोज्झाए, तेण य आणतं जहा दप्पप्फलिहो पढमपुत्तो रजे अभिसिंचसु त्ति । 'तह' त्ति पडिवण्ण रायलोएणं । एको मंती वेज्जो य एको भुयप्फलिह-जणणीय य मंतियं । अगणिऊण पर-लोय, अवमण्णिऊण 50 जण-चयणिजं, अवस्थिऊण लोगायारं, अवलंबिऊण पावं, संजोइयं जोइयं, कालंतर-विडंबणा-मरण-फलं दिण्णं च मज्झ : पाणं । तओ कुमार, वियंभिउं पयत्तो मज्झ सो जोओ। किं च जायं । थोवं पेच्छामि अच्छिाहिं, ण फुढं सुमि सवणेहिं, ण-याणामि गंध णासियाए, ण संवेएमि फरिसं सरीरेण, ण विंदामि सायं जीहाए । णासए मई, पणस्सए बुद्धी, विणस्सए 33 पण्णा । वियलियं सील, णिग्गया लजा, अवगया दया, अवहरियं दक्खिण्णं, पलाणं पोरुसं, परिहरिओ रईए, णिग्गच्छिो विण्णागेणं, पम्हुट्टो संकाए, अवहत्थिओ विवेएणं ति । अवि य । 1) Jom. वा, J बातरं, JP वा for व, वयजोगेहिं, जोपहि, बहेड ण व होर, " बहावेयं, . om. य. 2)J जोए हिं. 3) J गामणगरे व दिगं मणवर, P गेण्हे न य गिन्दावेद गेतिं . 4) ' जोगेहिं, J_inter. णय मुंजाबए and ण भुजद, न भुंजए, न भुंजाई. 5)P न कुणइ ममत्तकारे, Jom. णेय, Pom. य. 6Jएता, ।' घेत, ।' राती-, विरति, P कुणति. 7) JP एना, J पिरतो. 8) संवरितप्पा, दविधेण, 'वि corrected on पि.. 9> ण मोगोयरिया, J परिच्चाओ, सलीणता, J भणितं. 10) ततो, P सगाही, Jएतं. 11) पतेण, J K for पुन्च, ' निज्जरज्जद,J होहिद इमा जाण 12) ओ जीइ ।। 14) पासह लोग च, J लोअगलोवं, सबतोपरस। P repeats the line तं नस्थि etc., J भूतं. 15) संबोहेतूण सव्वजीवाओ। 16) P सिद्धिपुरं. 17) "तुहंमतं. 18) Pपवज्जोहं. 19) P "रिसियो, । दप्पफलिहा, P om. भुयफलिहा. 20) J तलुग्गपावे. 21) "माणुसत्तणं, " जाती, " दुलतो. 22)P मणो for मग, P दुव संसारो । तेग, P अन्यत्तं पिव. 24) Jom. अवि य. 25) एके । जिगवयगमि ।।. 26) Pom. भगवं, तप्पभूमि तप्पभूद, P om. मेत्त, J सावया. 27) " अम्हे हि म्नि, पेसिआ दुआ, ।' पिउणा. 28)P दढधम्मो, " अउज्झाए, P दप्पहो, J पढमउत्तो, P om. ताद ति. 29) J पविणे, ' inter. एक्को and विज्जो, ।' om. य, । भुयफलिह. 30)" om. जण before वयणिज्ज, लोआयारं, जो for जोइयं, विडबिगा, J मरणप्फलं. 31) थो, गुणेमि समणए.हि. 32) Jण संतेलि फरिसं सरीरएणं, P फरुसं, J सातं for सायं, मती. 33) P वियलए सीलं. Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - २३६ ] कुवलयमाला विष्णाण - णाण- पोरुस - दाण- दया- बुद्धि-गुण-सयाई पि । दारिद्देण व जोएण तेण सहस त्ति णट्ठाई ॥ केवलं भारं पि अपि भणामि पणमंत पितामिति एरिसं च मं पेण राय-होलो हा हा कईति भगिण देवं बालयिडिओ अ गुण कहिंचि गातो कहिंचि गचमाणो कहिंचि रुयमाणो कहिंचि इसमाण कहिंचि निवडतो कहिंचि पहातो रच्छा-कब-वीर विरय-मालो धूल-धवल-सरीरो निम्मल-बद्ध-मुंडमालो गहियखप्पर करग्गो कया वि परिहिजो कइया विणिर्वणो, कट्या वि कहिं पि परिभ्रममायो इमे असंबद्धखारयं चचरिये णचमाणो । अवि य । यदि अपि न जातु सखे यदि सर्फरसर्करला न भवेत् । यदि चन्द्रमुनीन्द्रमनङ्ग चितः यदि सोऽस्ति नमोऽस्तु नमोऽस्तु ततः ॥ एवं च वच्चमाणो कय- बाल - परियारो गामागर-नगर-पट्टणाराम देवउल-सर-तलाय-तिय- चउक्क-चच्चर-महापह-पहेसु परिब्भम- 9 माणो इमं विसगिरि-सिहर-कुदरंगराले पत्तो तो तण्डा छुहा- किलतो, एवं गिरिणई-पवाह-पत्थर-विचरंतरालम्मि पाणि अगविल-सलाई तमाल- दरड बहेडामलय-पत-फल-पूर-विजास-कासार्ड्स तं च दणं पीयं जहिच्छाए । णिसण्णो छायाए । तओ थेव वेलाए वेलावस- समुच्छलिय-सलिल-सागर-तरंग-रंगत-सरिलो उदरब्भंतरो जाओ । विरिक्को 12 अहेण य । तओ णीहरिउं पयत्तो । पुणो पीयं, पुणो विरिकं । पुणो पीयं जाव सव्व-दोसक्खओ जाओ त्ति । 1 ६ २३६ ) तो पचागयं पिव जीवि, उयं पिव दिवारेणं, उग्बादियाई व दिसि-मुहाई भाग पत्र बुद्धीए संपत्तं पिव सुमरणाए, पावियं पिव विवेगेणं, उद्वाइयं पिव वेयणाए, सव्वहा पढमं पिव सत्थ-चित्तो जाओ अहं । तओ 15 चितिय भए । 'अहो, किमेवं मम बुतं जाये गओ विष महाकंताराम, नीहरिको विव पायालाओ, उतरिओ विप समुद्दाओ, णिव्वुओ संपयं जाओ म्हि । ण-याणामि किं पि अहं आसी, किं ता पसुत्तो हं, किं वा गब्भ-गओ हं, किं वा मत्तो हं, किं उम्मत्तगो, सव्वहा जं होइ तं होउ । भुक्खिओ हं, ता अण्णेसामि एत्थ पुष्कं वा फलं वा' चिंतेमागेण पलोइयाई 18 पासाई | जाव दिट्ठो अगेय- भिल्ल-परिवारो एक्को पसत्थ-रूव वंजणायार-संपुण्गो पुरिसो । तेण य ममं पेच्छिऊण पसरमाणंतरसिणेह-गभि भणि 'साग वह मह भागो, कत्तो लि आगो' मए भणिये 'हे पुण्य-सानो भागमो' | तेम भणियं । 'पयट्ट, वच्चामो गामं' ति भणमाणो गंतुं पयतो, आगओ य इमं महापलिं । आरूढा एत्थ मंदिरोयरे । तओ तेण 21 आणत्तो विलासिणियणो 'आगेसु पोत्तिए दोपहं पि' । तओ अब्भंगिय- उच्चट्टिय-मज्जियाणं पविट्टो देवहरयं । तत्थ ' णमो अरहंताणं' जिसुए अहं पि हरिस-वसंत-गुरु पविट्टो दिया य मए भगवंतो चिर-दिप बंधु मण्णमा मेण भणिय तेण पुरिसेण । 'पणमामि साहम्मियं, अहो कयत्थो हं, पसंसणिजो हं घण्णो हं कय-पुण्णो अहं' ति । तओ मए वि सहरिसं 24 सर्वच पणमित्रो। जो कमेण उपविट्ठा भोयण-मंडवे तत्थ जहा रुदयं भो भो तो मुहासणत्या य भणिवं तेण 'सासु तु वा देवरं पाविओो । कल्ब वा इमम्मि श्यामर तिरिय-मय-भव भीम- पायाल 'किलेसे महाकोवगत कराड-जालाउल वाटवाणले जर-मरण-रोग-संताब-करि-मयर-अलवर-वियरमाण-दुरुतारे बहु-विह 27 कम्म-परिणाम- खारणीसार-णीर-पढहत्थे हत्य परिषत्तमाण-संपत्ति विवमिच्छपुच्छ-च्छडा भिज्नमाण- पुंग-कुल- तरंग-भंगिले राय-रोसवेला जल-पसरमाण-पवादुम्मूति वेला वण पुष्ण- पायवे संसार-सायरम्मि सिद्ध-पुरि-पाय जाणवतं पिव भगवं | ताणं वयणं पावियं' ति । । १४५ - 10) 12 , 1 ) ति नहरणं ॥ 2 ) Pपियं भणिओ वियप्पियं, Pom. मं. 3 ) P उवालहिउं डिओ P repeats कहिंचि नच्चमाणो, P तो for निवडतो. 4) पभावेंतो, पहातो, P निम्मलबुद्धमुंडेमालो 5 ) P चचरं. 6 ) P अपि च for अवि य- 7> कश्चिद्विपश्चित् सर सर न भवेत्, " भवे 8 ) P चंद्र, चंद्रमतिंद्र" P "मनागतितयदि, सोस्तु P सोस्ति. 9) J चणच्चमाणो, Prom. सरतलाय, " महापहे !सिहरंतराळं पत्तो, P गिरिनद. 11 ) P बिल्लईतमाल, P हरडइव हेड ओमत्तय, P कसाइयं, J adds तओ before तं च. समुच्छलय, सायर सागरतरंतरमंतरी, उदब्भरो, P विरिक्के- 13 ) r adds सो जाओ पुगो पीयं between पयत्तो । and दिवा 15) संगचं [for मा त्ति for हि, मह for अहं, आसि, भगतो फलं. 19 ) - संपण्णो, " मं ते for य ममं, माणंतन्तर alter] साओ 21 ) 23 23) अरिहंताणं, ए सुर for गिसुए, P दि. 14) J 17) J पुणो, उ जा for जावउद्वाद देतणार, जाओ - 16 ) P उद्दरिओ इव. गब्भओ. 18 ) किं वोमत्तो, उ भुक्खितो, व for वा after 20 ) P गब्भिणंग भणियं, P भायत्तोणो for भाउणो, Pom. आगओ ला पोची दोहे " आमंगियो for तत्थ 24 ) Pom. पुरिसेण, P घणो for घण्णो, Pom. हं, J हूं for अहं. 25 ) । च, P उपविट्ठो, " जहारुययं भोत्तूण [ भोत्तं भोयणं । ]. 26 > पाविअं, P इमम्मि नरयामरयामर 27 ) कसे फिले सेवा मरणारोग, दुसरे for दुस्तारे 38 ) खाएर for द्वार तिगड रंगिलो for मंगिले. 29 ) P पसर गाणयवाहुलि', P रण्ण for वण, पात्रियं तेण । जाण े 30 ) Padds पिव before वयणं. 19 6 30 Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६२३७ 1 ६२३७ ) मए भणिवं । 'रवणपुरे रयणचूडो णाम राया तस्स पुतो हूं दष्पफलहो णामं ति । धम्मो उण तेगेय । भगवया पच्चेय-बुद्धेण होऊण साहिओ । उम्मत्त जोएण य परव्वसो एत्थ अरण्ये पाविओ' ति । एवं च साहिए समाणे भयं तेण किं तुमं सोमवंस संभवस्स श्यणमउडस पुत्तो दे सुंदरं जायं, एको अम्हा वंसो तुम यस् होसु संपर्व' ति भणमाणेण सदाविया सध्ये सेणायणो । वाण पुरओ सिंहासनस्थो अहिसितो अहं । तेण भणिया य ते सेणावणो । 'भो भो, एस तुम्हाणं समयहियाणं राया पालओ । अहं पुण जे रुइयं अत्तगो तं करीहामि' भणिए तेहिं 'वह'त्ति पडिवणं वो णिग्गल तस्व चेय सो गया। तस्व च सगालगा अम्हे चि णोहरिया । तभ धोतरं तूण भणिव णेण 'सेणा वणो वह नियतह तुम्भे । खमिव जं किंचि मज्झ दुव्विलसिवं परियालेन्यानो ताओ तुमेहिं पष्णाओ पुण्य-गहियाओति भणमाणो गंतुं पयतो ते वि भूमि विडिया उत्तिमंगेण गलमान-णयनया जियत्ता 9 सेणावणो । अहं पि थोयं पएसंतरं उवगओ तेण भणिओ 'वच्छ, दे नियत्तसु । केवलं एए भिच्छा जई समयाइं 9 पालयति पुच्च-गहियाई । तओ तर पालेयव्वा, अहवा परिचयग्वति । अण्णं च 1 " , 1 3 १४६ संसार सावरम्मि दुक्ख सयावत्त-भंगुर तरंगे जीवाण णत्थि सरणं मोन्तुं जिण देखिये धम्मं ॥ , 12 तम्सि अपमान का ति भणमाणो पवसिओ ण उण केणावि णामो कहिं गभत्ति एवं पुण भए विगपिय मंतु 18 अणगारिये पवनमभुववण्योति तप्पभुईच कुमार, पेच्छामि इमे मेच्छा ण मारेति वण-जीवानं, पण घाति अथायमार्ग, ण हति पलायमार्ग, ण भगति कूद सक्सेनं, ण लुपंति अप्प-धर्म पुरिसे, ण मुर्सति महिदियं ण छिति 15 अवत्थयं, मुसिऊण वि पणामेंति थोयं, ण गेहंति अणिच्छं जुवइयं तं पडिवज्जंति भगवंतं भव-विणासणं देवाहिदेवं ति । 15 तओ कुमार, कालेन य वच्चमाणेण अकायव्वं पि काउं समाढत्तं, जेण महंतो मोहो, गरुओ कोवो, महामहलो माणो, दुज्जओ लोहो, विसमा कुसील - संसग्गी, सव्व-कम्म-परायत्तणेणं जीवांगं । अहं पि तं चेय चोर-वित्तिं समरिसओ त्ति । दिहं चिय 18 तुमेहिं तनोति भए। 'अहो, मकानो एस मेच्छ पसंगो ता मज्झ एस मेच्छ-वावार विणदिवस एवं पि 19 । चिंतियं । अगेय-भव-परंपरा-पवाद-पूर-पसर-दीरमाणस्स कुसमयावत्त- गत्तावडियरस इमं पि पम्हुसीद भगवो क्यति । ते मए आणतो एस पुरियो जहा 'अ लोहेण इमं परिपावि, तेण लोह-पंडे वाडेयन्वो दिवडे दिषदे हमे भणमा21 'ति । ता एत्यंतरे पुच्छियं तए जहा 'को एस पुरिसो, किंवा तुमं पि इमिणा पहओ' त्ति । तुह पुण पुरओ ताडियस्स 21 महतो महं उब्वेओ जाओ'त्ति । $ २३८ ) तो भणियं कुमारेण 'अहो महंती दुरंतो, महासत्तो स्वणमडडो महाविपचेयो दुलो 24 जिणवर मग्गो, महंतो उबवारो, नीलंगा रिसिणो, म मेरे एग दन्यानिकासितं दुज्जओ को पिसानो विधिवेगा 24 पाणिणो, पयईए अणुवगय- वच्छला महापुरिसा, परिच्चयति चक्कवट्टियो वि रज्जं, होइ चिय साहम्प्रियाण सिगेहो । परिजिवि य , छवि किंपि कस्स व 30 27 णय अथि कोइ भावो ण य वृत्तंतो ण यावि पज्जाओ । जीवेण जो ण पत्तो इमम्मि संसार - कंतारे ॥ मा अणुमह चोर-विति, उज्जमसु तच संजमम्मि असु जिणवर-मगे, उज्दासु चंचलं ता संपयं परिहरसु किरणत्त लच्छि । अवि य । कुमारस्य रुव-विष्णाण रन-सिरीओ भोगाईत च णाम अणुभूयं जीवस्स बिड़ी तम्हा उज्झाहि किं तेण ॥ एवं च कुमार कुवलयदेण भगिए, पिये दष्पफलिणं एवं च एवं एत्थ संदेह णाण-कला-कलाव-विणय-णय-सत्त-सार-साहस- दक्खिण्णाईहिं गुणेहिं साहियं जहा महाकुल- णहयल-मियंको महापुरिसोति । इमं पुणणयाणामि कयरं तं कुलं किं वा कुमारस्स सव्व जण हियय- सुहयं णामं ति । ता करेउ अणुग्गहं कुमारो, जाणिउं 33 १. 27 1 ) भणियं । रयणाचूडो नाम रयणपुरे अस्थि राया ।. 2 ) P भगवया पुत्तेयवद्वेण, पारव्वसो, । एत्थारने 3 ) संभमो त्ति रयण 4 ) P सिंासत्य, अभिसित्तो. 5 ) P सेवावा, Padds एक्को before भो भो । तं कीरीहामि 6 ) 1 थोवंतर, 7 ) Jणेश P तेण for ग, Pom. भज्ज्ञ, P परिव्वाले 8 ) पण्णा पुत्रगहिहिं भण', निवडिओत्तिगंगा- 9) P थोतरं पसं उबगतो, Jom. भणिओ, JP एते for एए, समायाहं वालयंति 10 ) पाले अब्बों पालिया, परिव्वतन्त्र11) P सायरंमी. 12) P अप्पमाओ, P पवेसिओ, P हं किं वि for कहिं, P एवं पुण, विपिअं 13 ) पव्वज्जा अब्भु तपभू, पेच्छा for मेच्छा, ए मारंति, तणजीवणं, घायंति. 14 ) Jom हणंति पलायमाणं, सखेज्जं लुप्पंति, P अत्तघणं. 15 ) पणामंति, P थोवयं, अगेण्डति for ण गेण्हंति, " अणिच्छियजुवई, om. तं भगवंत रूव विनासदेवा" 16 ) Pom. कुमार काळेण य etc. to लोहो विसभा- 17 परत्तगं, नोरयवित्तं 19 ) कुसुमयावत्त-, पम्हुसी हिति, P भगवया. 20 ) P जहालोएग इमं, Padds त्ति | after पाविओ, भगमागणं ति. 21 ) एवं तए for एत्यंतरे, ति for तए, om. पि. 22 ) मह उव्वेगो, P उब्वेवो. 23 ) गई for महतो, महाइसओ पत्तेय. 24 Jसंगा for णीसंगा, दव्याहिलासित्तं. 25 ) संति for पयईए, P repeats महा, ' परिचयति, या मि. 27 ) P कोवइ for कोर, P जोग for जो प. 28) r adds पि after संपयं, om. मा, " उन्भुट्ठे for भोगा, P उज्जाहि 31 ) P भणियं for भणिए, Pom. च, हण for उण. 32 ) Jom. णय, Pom. सार, तीहिं, साहिउं, P इयं for इमं. 33) Pom. तं, P inter. कुमारो & अणुग्गहं, " जाणिउमिच्छामित्तिः om. वि, " साहांमे 39 > भोगे दक्खिणा 30 Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२४०] . कुवलयमाला १४७ इच्छामिति । तओ कुमारेण भणियं 'अच्छउ ता सयलं जंपियव्वं । पुच्छामि पुच्छियव्वं किंचि तुम्हे' । तेण भणिय 'पुच्छउ । कुमारो'। कुमारेण भणियं 'जो सो दढवम्मो णाम राया अयोज्झाए पुरवरीए तुज्झ पित्तिवो, तस्स किं कोइ पुत्तो अस्थि, किं वा णस्थिति । तओ तेण दीहंणीससिऊण भणियं 'कुमार, कसो एत्तियाई पुण्णाई। एकं पुण मए एक्कस्स देसियस्स 3 वयणाओ सुयं जहा दढवम्म-महाराया सिरिं आराहिय पुत्तवरं पाविओ। पुणो ण-याणामि किं तत्थ वत्तं । को वा एत्थ मज्झ-गिरि-सिहर-चिवरंतराल-महागहणेसु सायत्तो पइस३'ति । कुमारेण भणियं 'अहं सो जो सिरिष्पवायओ लद्धो दढवम्मराहणो पुत्तो, णामं च महं कुवलयपंदो'त्ति । एवं च उल्लविय-मेत्ते अभिधाविऊण भाउओ त्ति काउं कंठे गहिऊण रोइडं 6 पयत्तो, तओ परियगेण संठविया, गहिय च णयण-धोवणं जल, उवविट्ठा आसगेसु । तओ पुच्छियं दप्पफलिहेणं 'भणसु, केण उण वुत्ततेण तुम एगागी एत्थ य संपत्तो, किं कुसल राइणो दढवम्मस्स, कहं दढा देवी सामा, अवि थिरं रज'। एवं च पुच्छिए साहिय सयलं वुत्तंतं कुमारेण । संपयं पुण विजयणयरीए कुवलयमाला संबोहेयन्च त्ति । एवं च पिय-कहालाव- 9 जंपिएहिं अच्छिऊण दोण्णि तिणि दियहाई, भणियं च कुमारेण 'ताय, जइ तुम भणसि, तओ वच्चामि अहं विजयपुरवरिति । २३९):मं च सोऊण भणियं दप्पफलिहेण 'कुमार, कत्थ गम्मए एरिसेसु दिय हेसु, किं ण पेच्छसि, दव-दव-12 विंझ-पव्यय-सिहर-सरिच्छाई वढमाणाई णव-पाउसम्मि, पेच्छसु सुहय, णवब्भाई दीसंति । कोमल-तमाल-पल्लव-णीलुब्वेल्लंत-कोमलच्छाया । कत्थइ गय-कुल-सरिसा मिलंति मेहा गयण-मग्गे ॥ कत्थइ वण-सर-हिक्कास-कास-बहलद्ध-लग्ग-मइलंगा। वण-महिस व्व सरहसं वियरंति य मेह-संघाया ॥ अणुमग्ग-लग्ग-भंगुर-जरठ-महापत्त-पत्त-सच्छाया । करि-मयर व्व सरोसा कत्थइ जुझंति वारिहरा ॥ पल उव्वल्लिर-हल्लिर-समुद्द-वेला-तरंग-रंगता। पवण-वसुच्छलमाणा कत्थइ जलयावलि-णिहाया । डंडाहय-कुविय-भुयंग-भीम-भिंगंग-सामलच्छाया। वियरंति कत्थइ णहे असुर व्व सकामिणो जलया ॥ इय सामल-जलय-समाउलम्मि णव-पाउसस्स वयणम्मि । को मुंचइ दइय-जणं दक्खिणं जस्स हिययम्मि ॥' एवं च भणिओ समाणो ठिओ कुमारो । तम्मि य काले केरिसो पवणो वियरिउ पयसो । अवि य, णव-पच्चमाण-सहयार-गंध-पसरंत-परिमलुग्घाओ। वियरइ वणंतरेसुं कत्थइ पवणो धमधमेंतो॥ पढमोवुटु-महीयल-जल संगम-संगलंत-गंधड्ढो । वायइ सुरही पवणो मय-जणओ महिस-बंद्रागं । धूली-कर्यब-परिमल-परिणय-जरढायमाण-गंधिल्लो । सिसिरो वियरइ पवणो पूरंतो णासिया-विवरे ॥ इय पसरमाण-खर-फरुस-मारुया वेय-विहुर-धुय-पक्खा । रिट्ठा करेंति णटं कह-कह वि कलिंच-णिवहेहिं ॥ पढमोबुट्टे य पुहइ-मंडले किं जायं । अवि य उभिजति णव-कोमल कंदल-णिहायई । णचंति बरहिणो गिरिवर-विवर-सिह-24 रेसु । दीण-विमणओ पावासुय-घरिणीओ। उभिज्जमाण-णवंकुर-रेहिर पुहइ । आउलीहोंति जणवया । सजति पवा-मंडवा । हल-लंगल-बावड हलिय । णियत्तति पंथिय । जति गामेसु घरई। णिय-चंचु-विरइय-घरोयरे संठिय चडय। कीरंति मट्टिया-गहणइं भगवेहिं । बजाति वरणाबंधई कासएहिं । जलं जलं ति वाहरंति बप्पीय-कुला य । कलिंचय-वाबड-विसर- 27 मुह-धम्मलाभ-मेत्त-ल द्वावल द्ध-वित्ति-परवसइ संठिय तव-णियम-सोसिथ-सरीर-सज्झाय-ज्झाण-वावड साहु-भडरय त्ति । णव-पाउसम्मि पत्ते धाराहय-धोरगेहिँ तूरंतो । को य ण करेइ गेहं एक चिय कोइला मोतुं ॥ ६२४० ) तओ एरिसे णव-पाउसम्मि किं कुणंति पउत्थवइयाओ। अवि य।। सुरयावसाण-चुंबण-समय-विदिण्णम्मि ओहि-दियहम्मि । लेहा-विगणिय-पुण्णम्मि णवरि जीयं विणिक्खित्तं ॥ सहि-दंसगेहि दियहं राई उण सुविण-विप्पलभेहिं । दइया-दिण्ण-दिणं पिव गयं पि मुद्धा ण-याणाइ ॥ 33 1) आसपलं for ता सयलं, Jom. पुच्छामि पुच्छियवं, P तुम्भे for तुम्हे. 2) for जो, P दढधम्मो, P om. अयोज्झाए पुरवरीप. 3) ' कुओ for कत्तो, " देसिवयणाओ. 4) J णिनुयं for सुयं, JP दधम्मो, J महाराणा, - पुत्तवरो, । पत्तं for वत्तं, 'को पि एत्य मज्झसिरि. 5)J सिहरकुदरंतराल, Jadds को before सायत्तो, P साइत्तो, Poin. जो, सिरिपसायलद्धो, Jadds य before लद्धो, मादधम्म- 6) Jadds सो अहं before णाम, P मेत्त for मेत्ते, P भाउगो. 7)Jadds य before संठविया, J धावणं, दप्पफलिहेगा. 8) P om. य, JP दढधम्मस्स, Pमहादेवी for दढा देवी. ) पछिए सातं पि साहिय वृत्तंतं. 10) जपिरेहिं, दो for दोणि, विजयं परवरि. 12)"ददफलिहेण. 13) समाणाई for सरिच्छाई, P नवनाई. 14)J गयउलसरिसा P कुलगइसरिसा मिलते. 15) J बहलदलग, 'तण for वण, । सहरिस for सरहसं. 17) पलवुचे, रंग व्व P रंगं वा । 18) कुवियमहाभुअंगभिगिग. 19)पाउमायरस. 20)rom. च. 21)J गरु for गंध, P पलिमलग्बाओ. 22) व बुद्ध for बुद्र. 23) p जहारमाणगंधल्लो, . -डिलो. 24) "नि for टुं, Pom. वि. 25)P पढमो बुद्धो य, P वहिणगिरिवरदीग. 26) J उज्जति, P भजति for सजति( emended), P-गंडव.27)P-नंगल for लंगल, P ग्गामे for गामेनु, Pघरोयरसंठिय, P वियड for चढय. 28) बंधंति, वग्घेहिं for कासयहिं, जलजलं, कलिंचवातविहं मुइ-. 29J धम्मलाभ, Jom. लद्धाव,Jom. वित्ति, P सज्झाण, वावडसाधुणगटयर च त्ति, P-वडरय त्ति।, Jadds अवि य after त्ति. 30) धारासरधोरणीहि दूरंतो, Pनइ for य. 31, परिमम्मि for परिसे, J प उत्थवइयउ.32) भुवर्ण for चुंबण, विश्णाि , P लाभा for लेडा, Jणवर जीअं, P जीवा विशिक्वित्तो. 33) महिंदसणेहि, J राईजणमुहण, J दइअदयादिण्णादिणं गय. 30 Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ s १४८ उजोयणसूरिविरइया [ २४०। अणुर्दियहं पि गणेती तं दियह णेय जाणए मुद्धा । भीमेहि रक्खसेहि व हिय-हियया काल-मेहेहिं ॥ अणुसमय-रुयंतीए बाह-जलोयालि-मइल-वयणाए । पेच्छह जलओ जलओ गय-लज्जो गज्जए उवरि । मा जाण ण वज्झाईमा ए मलिणाई विंझ-सिहराई । सहियायण-बेलविया मुच्छा-विरमे समूससिया ॥ गजसि अलज विजुज्जलो सि दे गज जलय मा उवरि । झीण-सिरिएण तेणं उज्झिय-झीणाएँ बालाए । इय णव-जलहर-माला-मुहल-मिलंतेहिँ को ण जूरविओ । तव-संजमणाण-रयं साहु-जणं णवर मोत्तणं ।। 6 तओ तं च तारिसं लक्खिऊण अहिणव-मलिण-जलय-माला-संवलंतुम्बेल्लमाण-बलायावली-कय-कवाल-मालालंकारे झत्ति 6 तइय-णयणग्गि-विलसंत-विजुलए गजिय-भीमट्टहास-णचणाबद्ध-केली-वावड-हर-रूव-हरे मेघ-संघाए गजंत-मेह-सह-संका लुएसु पलायमा गेसु माणस-सरवर-माणसेसु मुद्ध-रायहंस-कुलेसु चिंतियं कुमारेण । अवि य । 9 कसिणाण विजु-पुंजुज्जलाण गजंत-भीम-णायाणं । मेहाण रक्खमाण व को चुक्कइ णवर पंथम्मि ॥ ता ण जुज्जइ मह पहं पडिवजिऊण । एवं च पडिवणे णव-पाउस-समए तेण भाउणा सह अणुदियहं वड्वमाण-सिणेह-भावो अच्छिउं पयत्तो। तओ कमेण य संपत्तेसु इंदमह-दियहेसु कीरमाणासु महाणवमीसु होंत-मणोरहेसु दीवाली-छण-महेसु 12 पयत्तासु देवउल-जत्तासु वोलिए बलदेवूसवे णिप्फजमाणेसु सब्व-सासेसु बद्ध-कणिसासु कलमासु हलहल-वडिरेसु 12 पुंडेच्छु-वणेसु वियसमागेसु तामरस-संडेसु कय-कंदो-कण्णपूरासु सालि-गोवियासु ढेकंतेसु दरिय-वसहेसु कोमल-बालमुणाल-वेल्लहल-बाहुलइयालंकार-धवल-वलयावली-ताल-वस-खलखलामुहलालाव-गीय-रास-मंडली-लीला-चावडेसु गामंगण15 गोट-जुवाण-जुवल-जणेसु चिंतियं कुमारेण । 'गंतव्वं मए तेण कजेणं । अवि य। तं णारहंति कजं जं ण समाणेति कह वि सप्पुरिसा । आढत्ते उण जीयं वयं व णियमा समाणेति ॥ ताण जुत्तं मज्झ असमाणिय-कजस्स इह अच्छिउं' ति चिंतयंतेण भणिओ दप्पफलिहो । अवि य । 18 'जायस्स केण कज अवस्स णरणाह सब्व-जीवस्स ।' णरवइणा भणियं । 'जइ सीसइ तुम्ह फुडं जायस्स तु मञ्चुणा कर्ज ॥' कुमारेण भणिय 'अहो जाणिय, अण्णं पि पण्हं पुच्छिमो' । अवि य । 'इस्स अणिटुस्स व संजोए केण कह व होयव्वं ।' भणियं च सेणावणा। 24 को व ण-याणइ एयं संजोए विप्पओएणं ॥' २४१) इमम्मि य णरवहणा उल्लविए समागे जपिय कुमारेणं सहासेण । 'जाणियं तए संजोए विप्पओएण होयवं, ता वच्चामि अहं तेण कारणेण'ति । णरवइणा भणियं 'किं अवस्सं गंतव्वं कुमारेण । जइ एवं, ता अहं पि सयलं 7परिचइऊण रज वञ्चामि के पि पएसं । तत्थ अणगारियं पन्चजमब्भुवेहामि त्ति भणमाणा णीहरिया ताओ पल्लीओ। भणियं चय णरवइणा 'अहं सव्व-बल-वाहणो चेव तुह सहाओ तं विजयपुरवरिं वच्चामि । कुमारेण भणियं 'ण एवं, केण किं कर्ज । जेण दुग्गमो देसो, दूरं विसयंतरं, बलवंता णरवइणो अणुबद्ध-वेरा, तुब्भे थोवं बलं ति, तेण एको चेय सत्त-सहाओ तं 30 कज साहेहामि' । तेण भणियं 'जइ एवं ता अभिप्पाय-सिद्वी होउ कुमारस्स'। कुमारेण वि भणियं । 'एवं होउ गुरूणं पसाए'ति 30 भणमाणेण समालिंगिओ। पडिओ पाएसु कुमारो, पणमिओ य साहम्मियस्स । 'वंदामि'त्ति भणमाणो चलिओ कुमारो दक्खिणं दिसाभोगं । तओ परवई वि ठिओ पलोएंतो कुमार-हुत्त ताव जा अंतरिओ तरुण-तरुवर-वण-लया-गुम्म-गहणेहिं 1) गणंती तं दिवहं, P महिला सा for व हियहियया. 2) Pअणवरय रुवंतीय वाहजलोरलिधोयनयणाए।. 3) वहाई for वज्झाई, P | मयसहियण. 4) P जलय मा एवं । उवरिम्ह वारिएणं विओयज्झीणीए बालाए ।.5) J साहुणं. 6) J -जलिय, P वेल्लमाणा, J -पलायावली. 7)J 'णाबंध-, J केवली for केली, P संकालएम. 8) J'पलाय', I repeats मुद्ध, I हंसउलेमु. 9) भीममायाण ।, Pमहाण for मेहाण. 10) Pom. च, P समं for सह, J अणुदिअहा, JP वट्टमाण , सिणेहोण्यारो वोलावि पयत्तो. 11) Pom. य, radds बोलिए. बलपवऊसदो after दियहेम, कीरगाणेम, P दीवालिया. 12) 'जुत्तासु for जत्ता, P om. वोलिए बलदेवूसवे, P निप्पज्जमाणेसु, J सबसरसेस. 13) पुण्णच्छरणेसु । पुनछुवणेसु, J बणेस for संडेन, J -जलासु for पूराम, J साल-, P सालिणावियासु हेंकतेमुं, चसभेस. 14) Pतालवसलामुहलाराव, रोसय for रास, Jला & P कीला for लीला. 15)P गोद for गोट्ट, P जुयल जलेसु, I adds त्ति before चिंतियं. 16) तण्णारहति । तं नारुहंति, P समाति, वर्ड for वयं, P ति for व, P समाणंति. 17) दप्पप्फलिहो. 18) J जीअस्स for जायरस. 20) तुज्झ for तुम्ह, J जातस्म, Pउ for तु. 21) J जाणिय अ अण्ण पि मज्झ पुच्छिमो. 22)कह वि for का व. 23) om. च. 24)P repeats एयं, Pविप्पओगेणं. 25) Pएयंमि for इमम्मि, P विप्पओगेण. 27)। किं nिfor कपि, ओ for ताओ. 28) विजयपुरि सस्स वच्चामि, J Om. केण. 29) P तुज्झे थोवं. 30)"साहेसामि, J nddy तुई before होउ, Pom. ति. 32) दक्खिणदिसिभाग, दिसाभो,J om. कुमारहुत्तं, P जाव for जा, P तरुयरवणालया. Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - २४३ ] कुवलयमाला १४९ 1 ति । तओ आगओ गेहं । दक्खिऊण दक्खिणिजे संमाणिऊण संमाणणिजे संठा विऊण पणइयणं काऊण करणिज्जं दाऊण 1 दाववं भोनू भोजं तक्खणं चेव णीहरिओ अमितर-पर-विवरमाण-विरह- जळण जालावली तपित्तमान-वण-पलाल3 माल- सकेजल - बाह-जल-पवाह-पूर-पसर- पन्चालित पोतो दीण-वेमगेणं विलासिणियत्रेण णीदरिभो सो महासतो । 3 ६ २४२ ) कुमारो वि कमेण कर्मतो आगेय- गिरि-सरिया - महाडईओ य वोलेमाणो णाणाविह देस-भासा- दुल्लक्ख-जंपियब्याई बोडेमाणो अब दिव्य-विजाहर-मय-ते पेच्खमाणो संपतो तं दाहिण-मवरह-वेळा विजयापुरवरी- बिसयं । 6 दिन से कुमारेण फेरि अवि य, बाग खेवमेत-संडिय महागामु गामोयर-पय-क्लेिव मेत-संडिय- निरंतर धवलहरु | धवलहर - पुरोहड-संठिय-वणुज्जाणु । वणुजाण मज्झ- फलिय- फणस - णालिएरी-वणु । णालिएरी-वण-वलग्ग-पूयफली-तरुयरु | तरुयरारूढ - णायवल्ली-लया-वणु । वणोत्थइयासेस-वण-गहणु । वण-गण-निरुद्ध दिणयर-कर-पन्भारो यत्ति । अवि य । I 9 चंदण-दण-पुलावरुयर-वण- गहण रुद्र-संचारो। साहा-गिमिय-करग्गो वियरइ सूरो पयंगो व ॥ जहिं च सुद्ध-सेवओ तरुवर च्छा सुपुरिस-पाय-च्छाहिलो व पति कीर-हिंडोलियड लोयय-उत्तमो व महिति सणसमागमई इg - देवयज्ञं व, उण्णयई तरुयर - सिहर सप्पुरिस - हिययई व । धावंति तण्णय पामर व गायंति जुवाणा 12 माहवी-मयरंद - मुइय-मत्त महुयरी व त्ति । जहिं च सीयलई सकजई ण परकज्जई, मण्णंति पहिय-चंद्र ण पुत्त-भंडई, 12 पसंसिजति सीलई ण विहवई, लंघियवइयई उच्छुवाई ण कलत्तई, जलाउलई वणिहूं ण जण-संघयई ति । जहिं च मयल - घुम्मिरायवुलोयण मंगल-वियावड य बलदेवु जइसय पामर, अविण पणि बाल-कालि णारायणु जइसय रंभिर-गो10 वग्ग-तष्णय- वावडा गोव-विलासिणी-वल-लमान-वण- कडक्स-विक्लेव विलुप्यमाण व अणि पणि संकर- जसव भूई- 15 परिभोग-दरिय-यसक विगवड व सि । अनि य । बहु- सुर- णिवर-भमंतर- दिव्य महा-तरुवरेदिँ उच्छदयं द्दवण-सङ्घस्स भरियं स पिय सहद्द तं देस ॥ 13 ते च तारिर्स देखे मज्मण अमेय-गाम- जुवइयण होवर्णेदीवर माला गंतुं पयतो तओ कमेण व दिडा सा 18 विजया णयरी | केरिसा । तो 1 ६ २४३) अवि य । उत्तुंग धयलहरोबरि-पण-पद्म-बिल समाण-धवल- विमलुजल-कोटि-पढाया णिवह संकुला, 21 णाणाविद-वण-यन- विष्णाण विष्णास विणिम्मवियदम्मिय- सिहरा- कंचन-मनि-घडिय - पायार-वलय- रेहिर- विदुम-मयगोडर-कवाड मणि-पुड तिजा व लेकाउरि-जइसिय धीर-पुरिसाहिडिय ण उण वियरंत रसाउल, धनव-पुरि-जइसिय घण- निरंतर ण उण गुज्झष णिमिषत्व-वावार, वारयाउरिजइसिय समुद्र-वलय परिगय ण संमिहिय गोविंद ज िच । ण 24 सुव्वंति ण दीसंति वयणई बहुयणहो खलयणहो व । जहिं च दीसंति रमिजंति य दोलई लायलई च धवलहरेसु कामिणी- 24 बघणेसु सि किं बहुणा, । - सिरि-सोहा-गुण-संघाय - विहव-दक्खिण्ण-णाण-भासाण । पुंजं व विणिम्मविया विहिणा पलयग्गि-भीएण ॥ ॐ तीए जयरी उत्तरे दिसि विभाणु णीसहो जिसण्णो राय-तण चिंति पयत्तो। 'अहो एसा सा गवरी विजया जब सा 27 साहु साहिया कुवलयमाला । तो केण उण उवाएण सा मए दट्ठव्वा । अहवा दे पुच्छामि के पि जणं ताव पतिं । को उण एवं वियाणइ | अहवा पर तत्ति-तग्गय-वावारो महिलायणो, उद्ध-रच्छा-जीवणो चट्ट-जणो य । ता जहा सललिय-सहिण30 मिदु- सुहुमंगुली -सणाह-चलण-पडिबिंब-लं हिओ मग्गो दीसह एसो, तहा लक्खेमि इमिणा उदय-हारिया मग्गेण होयन्त्रं । 30 2 ) अब्भंतर, तविज्जमानणयणथलाणणाल, 'व्वत्तमाणानयण - 3 ) P बाइलपवाह, उप्पवाह, P पब्वालिज्जतो अवलोइज्जतो, विलासिणीनीहरिओ 4 ) P गिरिया, दुलक्ख P दुलक्खं. 5 ) Padds जणन्वयाई after जंपियन्वयाई, Ptrans. poses तं after लगे. 6 ) Pom. तं, Jom. केरिस, P वाणकखेव, P महागाम, गामोअरपाणखेवमेत्त, P धवलहरा । धवलपुरो'. 7) रोट मंडिय for संटिय यणुब्लाणु Pom. फलिय, परिणालिएविण पूढफलीतश्पर 8) J लयाजणु, गहणरुद्ध पत्रमार, P व for य. 9 ) J चंद्रण for णंडण, P एया for एला, पवंगो. 10च्छाओ P सुवुरिस, पायच्छाहिअओ, Pom. वहति कीररिंछोलियउ लोअयउत्तओ व सज्जणएसमागम ई. 11 ) P तरु असिहरई, P हिययं व धावंत तणुयपामर व धायंति आवाणा माहवी. 12 ) P मउय for मुइय, महुअर व महिअ for पहिय. 13 ) P सीयलाई पामरसयणघुम्मुराणं यं च लोयणणंगर- 14 ) Jp तणुअवावड, P धवलदलमाण, Pom. विक्खेव, P तरुवर्दि for . 18 J om. तं च तारिसं J ण, उच्छुरई, I om. ण कलत्तई, P जिग for जण, P संधायई, P जहिं च 15 व for 4, P अन्ने पुणे बालकालनाराशु, J बालकलिनारा, P रंमिराP अण्णे पुणु, संकरJ 16) P 17 ) बहुसुरविणनिरंतर, देसं, P देसमज्श, जुबदजणेंदीवर P जुवईयणलोयणंदीवर, Pom. य. 20 J धवल होअर, P विमलुब्वज्जल, P संकुलं". 21) r विण्णास for विष्णाण, P विणम्मविय, पायाल for पायार, P रेहिरे-. 22) Jजन्च for जा य, P विरयरंत, परिपुरिन ज‍जसिय 23) P गुज्झयनमिअत्थ, P जइसिया, P सन्निहिया, P जहिं च दीसंति न सुवंति वययई बहुवयणहो. 24 > adds च after वयणई, न for व, P रमिज्जंति चंडायलई द्रायलई च. 26 Jए for णाण, विणिम्मविअं, P पलयग्गभीएण. 27 तीय, P दिसाविहाए निरसहो निसन्ना, P एत्थ for जत्थ. 28) repeats साडुणा, Pता for तो, P किं पि for कंपि, P repeats वट्टजणो for वट्टजणो, P ता नललिय. मिंट for मिदु, लंछितो, उअय, उदयाहारिया. 30 J P 21 Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५० उजोयणसूरिविरइया . [२४३1ता फुडा होहिइ पुत्थ मे पउत्ती, ता इमिणा चेव वञ्चामि' त्ति चिंतयतो समुट्टिओ कुमारो। जाव थोवंतरं गो ताव पेच्छइ । णायरिया-वंद्रं जल-भरियारोविय-कुडयं । तं च दट्टण तस्स य मग्गालग्गो णिहुय-पय-संचारो गंतुं पयत्तो। भणियं एकाए 3णायरियाए 'मा, एसा उण कुवलयमाला कुमारिया चेय खयं जाहिइ, ण य केणइ परिणावेहिइ' । अण्णाए भणिय 'किं ण रूवं 3 सुंदरं । किं तीय ण विहिणा विहिया वीवाह-रत्ती, जइ णाम रूव-जोव्वण-विकास-लास-सोहग्ग-मडप्फर-गब्विया कुल-रूव. विहव-संपुण्णो वि णेच्छ णरणाहउत्सो' । अण्णाए भणियं हरिसं तीए रूवं जेग एरिसो मडप्फरो' । अण्णाए भणियं 'किं 8 तीए ण रूवं सुंदरं सुंदरेण मोर-कलाव-सरिसेण केस-पब्भारेण, कमल-दल-णिलीण-भमर-जुवलेण व अच्छिवत्तएण,तेल्ल-धारा- 6 समुजायाए णासियाए, पुण्णिमायंद-सरिसेणं मुहेग, हत्यि-कुंभ- विभोग थणवढेणं, मुट्टिगेज्शेण मज्झ-देसेणं, कणय-कवाडसरिसेण णियंबयडेण, मुणाल-णाल-सरिसेणं बाहा-जुवलेग असोय-पल्लवारुगेगं चरण-करयलेग कित्तीए रूवं वण्णीयइ'। 9 अण्णाए भणियं 'हूं केरिसं तीए रूवं, जा काला काल-वण्णा णिकिट-भमर-वण्णा' । अण्णाए भणिय 'सच्चं, सञ्च' । ताए 9 भणिय 'लोओ भणइ, काला किंतु सोहिया' । अण्णाए भणियं 'अगेय-मुत्ताहल-सुवण्ण-रयणालंकार-चंचझ्या अहं तीए माणं खंडेमि' । अण्णाए भणियं 'ण एत्थ रूवेण ण वा अण्णेग, महादेव-देवी पसण्णा, तीसे सोहग्ग दिण्णं' । अण्णाए भणिय 12 'एरिसं किं पि उववुत्थं जेण से सोहग्ग जाय' । अण्णाए भणिय ज होउ त होउ अस्थि से सोहम्ग, कीस उण ण परिणि-12 जइ' । अण्णाए भणिय 'किर केण वि जाणएण किं पि इमीए साहियं तप्पभुईथ एस पादओ लंबिओ' । 'तं किर कोइ जइ भिंदिहिइ सो मं परिणेहिइ, अण्णहा ण परिणेहि त्ति घेणी-बंधं काऊण सा ठिय'त्ति भगतीओ ताओ अइकंताभो । 15 कुमारो वि सहास-कोऊहल-फुल्ल-णयण-जुयलो चिंति पयत्तो । 'अहो, लोगस्स बहु-वसव्वालावत्तणं। ता घडइ तं रिसिणो 15 वयणं जहा पादयं लंबेहिइ त्ति । तेण णयरिं पविसामि । सविसं से पउत्तिं उवलहामि' चिंतयंतो उवगओ के पि पएस, दिटुं च महंतं मढं । तत्थ पुच्छिओ एक्को पुरिसो 'भो भो पुरिसा, इमो कस्म मंदिरवरो' त्ति । तेग भगियं 'भट्टा भट्टा, 18 ण होइ इमं मंदिरं किंतु सव्व-चट्टागं मद' । कुमारेण चिंतियं 'अरे, एत्थ होहिइ फुडा कुवलयमाला-पउत्ती। दे मढे चेय 18 पविसामि । पविट्ठो य मदं । दिट्ठा य तेण तम्मि चट्टा । ते य केरिसा उण । अवि य । लाडा कपणाडा वि य मालविय-कणुज-गोलया केइ । मरहट्ट य सोरट्टा ढका सिरिअंठ-सेंधवया ॥ 21 किं पुण करेमाणा । अवि य। धणुवेओ फर-खेड़े असिघेणु-पबेस-कणय-चित्त डंडं च । कुंतेण लउडि-तुई बाहू-जुझं णिउद्वे च ॥ आलेक्ख-गीय-वाइय-भाणय-डोंबिल्लिय-सिग्गडाईयं । सिक्खंति के वि छत्ता छत्ताण य णचणाई च ॥ 24 ६ २४४) ते य तारिसे दरिउम्मत्त-महाविंझ-वारण-सरिसे पलोएंतो पविट्ठो कुमारो। दिट्ठाओ य तेण वक्खाण- 24 मंडलीओ। चिंतिय कुमारेण 'अए, पेच्छामि पुण किं सत्यं वक्खागीय । तओ अल्ली गो एक वक्वाण-मंडलिं जाव पयइ पञ्चय-लोवागम-वण्ण-वियारादेस-समासोवसम्ग-मगणा-णिउणं वागरगं वक्खाणिजइति । अण्णत्थ रूव-रस-गंध-फास-सद्द27 संजोय-मेत्त-कप्पणा-रूवत्थ-खण-भंग-भंगुरं बुद्ध-दरिसणं वक्खाणिज्जइ । कत्थइ उप्पत्ति-विणास-परिहारावत्थिय-णिञ्चेग-सहावा- 27 यरूव-पयइ-विसेसोवणीय-सुह-दुक्खाणुभवं संख-दरिसणं उग्गाहीयइ । कत्यइ दब-गुण-कम्म-सामण्ण-विसेस-समवाय-पयत्थ. रूव-णिरूवणावटिय-भिण्ण-गुणायवाय-परूवणपरा वइसेलिय-दरिसग परूवैति । कहिंचि पच्चक्खाणुमाण-पमाण-छक्क-णिरू30 विय-णिच्च-जीवादि-णस्थि-सवण्णु-बाय-पद-वकप्पमाणाइवाइणो मीमसया । अण्णत्थ पमाण-पोय-संसय-णिण्णय छल-जाइ- 30 1) P तप्फडा होइमे पउत्ती. 2) P नयरिया, " कुडई, Jच for एकाए, Pएकोष. 3) माए ए.सा Jom. किमरूवं सुंदर, P किं मरूवं. 4) Pom. तीय, P adds u befor: विहिगा, Jinter. विहिना विहिणा, P विहिया विहदिवासु वोलिए बलदेवूसवेसु etc. (the passage repeated here as on p. 148 line 12 to p. 149 line 1)to पणइयणं, वाद for वीवाह, J रती for रत्ती, Jadds किग विशिमा before जर, Pom. लास. 5) संपुन्ने, Jणरणाहपुत्तो, तीअ, J तीय ण रूवं सुंदरसुंदरेण. 6)P for ण, P जुवलेण धवलक्रीवत्तएण J जुवलेण व अच्छिवत्तणं 7) समुज्ज अप, J मज्झेण, P चक्कायारेण for कवाडसरिसेग. 8)P बाजुयलेयणं,J चलग,J कित्तीय किं तीप, बत्रीयति. (originally perhaps पुच्छीयति) Pपुच्छद for वण्णीयह.9)Pहुं,J तीव, Pकालयन. 10) Jतीय. 11) Pखंडीए for संडेमि, Pस वेग वा अनेण वासुदेवी पसत्ता तीसे, तीय से for तीसे. 12) Pउवात्थं, J उबवुत्थं किं अधुण्णाप जेग से सोहग्गों। अग्रणाए, फीस पुण. 13JP तप्पभूई, Pपाईओ लंबिउं।. 14)P जो for जइ, J भिदिहिति P निदिहिद [विदिहिइ?], J परिणिहिति P परिणेहित्ति, परिणेहिति परिणेति, PR tor सा, P भगतीओ अश्कनाओ. 15) P कोऊ लुप्फुल, P पयत्ता, लोभस्स,J एअं तस्स for तं. 16)P पायाय for पादयं, Jलंबेहिति, Pom. त्ति, Pom. से,P पउत्तिमुव", Pमुगाओ for उगवओ. 17) Pom. इमो. 19)Pinter. तंमि & तेग, P adds य after 'चट्टा, P ते या केउमा. 20)Pमालविया कजुज्ज, J कुडुक्क for कणुज्ज, P करय for केड,Jटका सिरिअंठसेंथ P ढका किरिअंगसेंध". 21) करेगाणो. 22)।' फरुखेंदुं असिधणु, P चित्तदं च । कुतेग, कुंतो ल उडीजुज्झं णिउद्धं च ।, P वाहुजुद्धं निजुद्धं च. 23) J गीतवाहत, । -नाणयाडोंबिलयासेंग्गढाईया। मिक्खंति के वि छत्ताण. 24) P om दरि, J सविसेसं for सरिसे, P दिटा ठ तेग. 25) अरे पुच्छागि,Jadds कम्भि before पुण,J वक्खाणीयति P वक्वालियर, Poin एकं, ३ पयति- 26) P-विगारा',' om. त्ति, P संजोयनिमित्तकम्मणा. 27) Jखल for खण, ३ वक्बाणीयति, सहाबातरूवपयहि- P सहावासरूम.. 28) P -सह दुक्खाणभवं,J M for भवं, J उगाहीयति P उग्गाहें ति. 29) Jom. रूप, निरूवणाठितिभिन्न, J गुणातवाला,om. पमाण. 30) P "जीवाइन, J सध्ययण्गवातपततवकपमाणातिवातिणो, P मिम्स णया,J -पमेय-, P समय for संसय,J-जाति Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३२४५] कुवलयमाला । णिग्गहत्थाण-वाइणो णइयाश्य-दरिसण-परा । कहिंचि जीवाजीवादि-पयत्थाणुगय-दव्वट्टिय-पज्जाय-णय-णिरूवणा-विभागो-1 वालद्ध-णिञ्चाणिञ्चाणेयंतवायं परूवेंति । कत्थइ पुहइ-जल-जलणागिलागास-संजोय-विसेसुप्पण्ण-चेयण्णं मजंग-मदं पिव अत्तणो णत्थि-वाय-परा लोगायतिग त्ति । ६ २४५) इमाई च दट्टण कुमारेण चिंतियं । 'अहो, विजया महापुरी जीए दरिसणाई सव्वाई पि वक्खाणीयंति । मह णिउणा उवज्झाय। । ता किं करेमि किंचि से चालणं, अहवा ण करेमि, कजं पुणो विहडइ । ता कारेयव्वं मए कज' 6ति चिंतिऊण अण्णत्थ चलिओ राय-तणओ। अवि य । तत्थ वि के वि णिमित्त अवरे मत जोगं च अंजणं अण्णे । कुहयं धाउध्वाय जक्खिणि-सिद्धिं तह य खत्तं च ॥ जाणंति जोग-माल तत्थं मिच्छं च जंत-मालं च । गारुल-जोइस-सुमिण रस-बंध-रसायणं चेय ॥ छंदवित्ति-णिरुतं पत्तच्छेज तहेंदयाल च । दंत-कय-लेप्प-कम्म चित्तं तह कणय-कम्मं च ॥ विसगर-गतं वालय तह भूय-तंत-कम च । एयाणि य अगाणि य सयाई सत्थाण सुब्बति ॥ तओ कुमारण चिंतियं । 'अहो साहु साहु, उवमाया गं बाहत्तरि-कला-कुसला चउसट्टि-विण्णाणभतरा य एए' त्ति 12 चिंतयंतो वलिओ अण्णं दिसं राय-तणओ । तत्थ य दिट्ठा अगेए दालि-बट्टा केवल-वेय-पाढ-मूल-बुद्धि-वित्थरा चट्टा । ते उण 12 केरिसा । अवि य। कर-धाय-कुडिल-केसा णिहय-चलण-प्पहार-पिहुलंगा। उण्णय-भुय-सिहराला पर-पिंड-परूढ-बहु-मंसा ॥ 15 धम्मथ-काम-रहिया बंधव-धण-मित्त-वजिया दूरं । केइत्थ जोवणत्था बाल चिय पवसिया के वि ॥ पर-जुवइ-दसण-मणा सुहयत्तण-रूव-गविया दूरं । उत्ताण-वयण-णयणा इट्टाणुग्घट्ट-मट्ठोरू ॥ ते य तारिसे दालि-बट्ट-छत्ते दट्टण चिंतियं । 'अहो, एत्थ इमे पर-तत्ति-तग्गय-मणा, ता इमाणं वयणाओ जाणीहामि 18 कुवलयमालाए लंबियस्स पाययस्स पउत्तिं । अल्लीणो कुमारो । जपिओ पयत्तो। 'रे रे आरोह, भण रे जाव ण पम्हुसइ ।18 जनार्दन, प्रच्छहुँ कत्थ तुब्भे कल जिमियल्लया' । तेण भणियं 'साहिडं जे ते तओ तस्स वलक्खएल्लयहं किराडहं तणए जिमियल्लया। तेण भणियं किं सा विसेस-महिला वलक्खइएल्लिय' । तेण भणियं 'अहहा, सा य भडारिय संपूर्णस्खलक्खण गायत्रि यासिय' । अण्ण भणियं 'वर्षिण कीदृशं तत्र भोजन' । अण्ण भणियं 'चाई भट्टो, मम भोजन 21 स्पृष्टं, तक्षको हं, न वासुकि' । अण्णण भणियं 'कत्तु घडति तउ, हद्धय उल्लाव, भोजन स्पृष्ट स्वनाम सिंघसि' । अण्णेण भणियं 'अरे रे बड्डो महामूर्ख, ये पाटलिपुत्र-महानगरावास्तव्ये ते कुत्था समासोक्ति बुझंति । अण्णेण भणियं 'अस्मादपि इयं 24 मूर्खतरी' । अण्ण भणिय 'काई कज्ज' । तेण भणियं 'अनिपुण-निपुणाथोक्ति-प्रचुर' । तेण भणिय 'मर काई मां मुक्त,24 अम्वोपि विदग्धः संति' । अण्ण भणिय 'भट्टो, सत्यं त्वं विदग्धः, किं पुणु भोजने स्पृष्ट माम कथित । तेण भणिय 'अरे, महामूर्खः वासुर्विदन-सहस्रं कथयति'। कुमारेण य चिंतियं । 'अहो, असंबद्धक्खरालावत्तण बाल-देसियाण । अहवा को 1) J वाणिो , ' नश्याइय, J_P जीवाइ, J पदत्थाणुगत, P °णुगतदव्वहिर- 2) P 'निच्चाणयं, Jणेअंतयात, ""चार्य रूवेति, J "जल गिला',J विसेसुप्पण्णुचेनj, P मयं for भदं. 3) J वात-, P परलोयगायगित्ति ।। 4) trans. दरिसगाई after पि, पखाणियंति. 5)Jinter. करेमि & किंचि. 7) 1 जोश्र, P जक्खणः, J तहेय, P खन्नं. 8) J जोमालं, Pमित्थं च जेत्तमालं, " गारुडमाइसमिणं, J जोतिस. 9) J छंदविति, J तहेय इंद' P तहेदयालं, Jom. the line दंतकय ctc. 10)J भूत-, J एताणि, सताई. 11)Pउवज्जाथा, P बाहुत्त रिकाला, J विण्णाणरु (भ?) त्तरा य एएंति. 12)" चलिओ for चलिओ, " दिसंतराय, Jom. य, अणेये दालिविट्टा, P अणेय, वेयपाय- P om. बुद्धि, ते पुण. 14) अनय for उणय, P बटु मासा. 15)J जण for धण. 16) Pमुक्त्तणरूव. 17) P तारिसं, J दालिविट्ट, Jinter एत्यमे, " जाणिवामि. 18)J पातअरस, । जंपिउं P जंपियां, P जाव न पहुसइ. 19) पुच्छर कत्थ, J भगिओ, P om. ते, वलकयरपल्लयट, Jom. किराडई. 20)JP विसे for विसेस. The passage अहदा to कथयति (lines 20-26) is found only in J; it isgiven in the text mostly as it is with the restoration of य-श्रुति. 21) भट्टो or रुद्रो. 22) हचय or हय. 23) ते is added below the line. 24) भरकाई or नरकाई. Instead of the passage 388 to far found in J and adopted in the the text above, p has the following passage which is reproduced here with minor corrections: 'अद्दद्द रुंड-मुंड-सूनिहलकल्लोल-माल भडारिया दुतडिय सरस्वतिजइसिया' । तेण भणियं 'अरे, दुचारिणी सा'। 'अह्ह इमं कुअक्षर-नवक्खपफ मात भडारिया गंगादेवि जासिया भरमीक रेज्जा' । तेण भणियं 'अरे त्वं मुंज्यमान्या सा सस्य हेहिं दीर्घ धयले हिंलोचनेहिं निरकृति' । तेण भणियं हुं हुं मसल्य-चालि-निरीकृति काई वररुद्दो सति ब्रह्मपुवर्णढिब मि । तहिं दीर्थ-धवल-लोचनेहिं यसतीव पिवतीव लुपतीव विलुपतीव अक्षिपहिं निरिक्ष्यति'। तेण भगियं 'अरे, तया भणियं सा दुश्वारिणी न होति । अथ च त्वं सरपृहं निरीक्ष्यति । परस्पर विरुद्ध एहु वचनु' । तेग भणियं 'अरे न-याणाहि कामशास्त्र मदीयगुरुपदिद। यदि भवति मात सीतसती व दमयंती अप्सर तदपि क्षमति' 1. In the following conversational passage the readings are exhaustively noted and the passage is faithfuly reproduced as in one or the other Ms. 26) Pom. य, चितिअं, J "क्खरालायत्तणं बालदेसिआणं ।, P लावत्तणं मुरुक्खवडुयाणं ।. Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५२ उज्जोयणसूरिविरइया 1 अण्णो वावारो इमाणं पर-पिंड-पुटु-देहाणं विजा-विपणाण-णाण-विणय-विरहियाणं चट्ट-रसायणं मोत्तूणं' चिंतयंतस्स भणियं अण्णेणं चट्टेणं 'भो भो भट्टउत्ता, तुम्हे ण-याणह यो राजकुले वृत्तांत' । तेहिं भणियं 'भण, हे व्याघ्रस्वामि, क वार्ता 3 राजकुले' । तेण भणियं 'कुवलयमालाए पुरिस-द्वेषिणीए पायओ लंबितः' । इमं च सोऊण अप्फोडिऊण उदिओ एक्को चट्टो । भणियं च णेणं 'यदि पांडित्येन ततो मइं परिगेतव्य कुवलयमाल' । अण्णेण भणियं 'अरे कवणु तउ पाण्डित्यु' । तेण भणियं 'पडंगु धेउ पढमि, त्रिगुण मन्त्र पढमि, किं न पाण्डित्यु' । अण्गेण भणियं 'अरे ण मंत्रेहिं तृगुगेहिं परिणिज्जइ। 6 जो सहियउ पाए भिंदद सो तं परिणेइ' । अण्णेण भणियं 'अहं सहियओ जो ग्वाथी पढमि' । तेहिं भणिय 'कइसी रे व्याघ्रस्वामि, गाथा पठसि त्वं । तेण भणियं 'इम ग्वाथ । सा ते भवतु सुप्रीता अवुधस्य कुतो बलं । यस्य यस्य यदा भूमि सर्वत्र मधुसूदन ॥ 8 तं च सोऊण अण्णेण सकोपं भणिय 'अरे अरे मूर्ख, स्कंधकोपि गाथ भणसि । अम्ह गाथ ण पुच्छह' । तेहिं भणियं 'त्वं पठ भहो यजुस्वामि गाथः' । तेण भणियं 'सुट्ट पढमि, आई काज मत्त गय गोदावरि ण मुयंति को तहु देसहु आवतइ को व पराणइ वत्त ॥ 12 अण्णेण भणियं 'अरे सिलोगो अम्हे ण पुच्छह, ग्वाथी पठहो'। तेण भणियं 'सुट्ट पढमि । तंबोल-रइय-राओ अहरो दृष्ट्वा कामिनि-जनस्स । अम्हं चिय खुभइ मणो दारिद्र-गुरू णिवारेइ ।' तओ सम्वेहि वि भणियं 'अहो भट्ट यजुस्वामि, विदग्ध-पंडितु विद्यावतो ग्वाथी पठति, एतेन सा परिणेतच्या' । अण्ण भणियं 15 अरे, केरिसो सो पायओ जो तीए लंबिओ'। तेण भणिय 'राजांगणे मई पढिउ आसि, सो से विस्मृतु, सव्वु लोकु ।। पढति' त्ति। $२४६) इमं च सोऊण चट्ट-रसायणं चिंतियं रायउत्तेण । 'अहो, अणाह-वटियागं असंबद्ध-पलावत्तणं चहाणं ति । 18 सव्वहा इमं एत्थ पहाणं ज रायंगणे पायो लंबिओ त्ति पउत्ती उवलद्धा । ता दे रायंगणे चेव वच्चामि' त्ति चिंतेंतो गिक्खतो 18 रायतणओ मढाओ, पविट्ठो णयरीए विजयाए । गोउर-दुवारे य पविसंतस्स सहसा पवाइयाइं तूराई, आयाई पडहाई. पवजियाई संखाई, पढियं मंगल-पाढएण, जयजयावियं जगेण । तं च सोऊग चिंतियं कुमारेण 'अरे कत्थ एसो जयजयासही तूर-रवो य' जाव दिटुं कस्स वि वणियस्स किं पिकज ति । तओ तं चेय सउण मगे घेत्ता गंतु पयत्तो जाव 21 थोयंतरे दिढे इमिणा अणेय-पणिय-पसारियाबद्ध-कय-विक्कय-पयत्त-पवढमाण-कलयल-रवं हट्ट-मग्गं ति । तत्थ य पविसमाणेणं दिट्टा अणेय-देस-भासा-लक्खिए देस-वणिए । तं जहा। कसिणे णिहर-वयणे बहुक-समर-मुंजए अलज्जे य । 'अडडे' त्ति उल्लवंते अह पेच्छइ गोल्लए तत्थ ॥ 24 णय-णीइ-संधि-विग्गह-पडुए बहु-जंपए य पयईए । 'तेरे मेरे आउ'त्ति जपिरे मज्झदेसे य॥ णीहरिय-पोह-दुव्वण्ण-मडहए सुरय-केलि-तल्लिच्छे । 'एगे ले'-पुल्ले अह पेच्छइ मागहे कुमरो । श कविले पिंगल-णयणे भोयण-कह-मेत्त-दिण्ण-चावारे । 'कित्तो किम्मो' पिय-जंपिरे य अह अंतवेए य ॥ उत्तुंग-थूल-घोणे कणयव्वण्णे य भार-वाहे य । 'सरि पारि' जपिरे रे कीरे कुमरो पलोएइ । 1) Pइमाण, J बुद्ध for पुट्ठ, P om. पुट्ट, देहबद्धाण for देहाणं, चिन्नाणनाण, J विरहिआण,J भणियमण्णेण. 2) P अनेण, P तुब्भे for तुम्हे, P नयाणह, P वृत्तांत : (१), " हो for हे, P का for p. 3)"राजकुलो, पुरुष, J पातओ. P लंबिओ, P अप्पोडिऊण, J_inter. एको उडिओ. 4) " भट्टो for चट्टो, ' om. च, " णेण, । ततो इस परिणेतज्ज कुवलयमाला । अन्नेण, P कमणु तओ, P पांडित्यु. 5) भणिअं, P सडंग, J om. वेउ, J विगुणमत्र घडमि किं न तिउणर्मत कमि किन्न, पांडित्यं । अनेण, P न, तृगुणेहि P त्रिगुण हिं. 6) J सहितौ र सहिअउ, J पाती for पाए, J परिणेति,J सहित उज्जोग्गाथी, J भणि. 7) J घ्याघ्रसामि गाथः, Jom. पठसि त्वं, भणि, इस गाय । इमा ग्वाथा. 8) Instead of the verse सा ते भवत् etc. P has the following: अनया जपनाभोगमंथरया तया । अन्यतोपि जत्येम हृदये विहितं पदं ।।. 9) P अन्नेण, भणिअं, P मुक्खा , P पि ग्वाथा, P गाथ न पुच्छह, J भणिअं, चव for त्वं पठ. 10) यज्ञस्वामि (?), P आथ for गाथ:- 11) आए कप्पे for आई कब्जि, P गया गोयवरि न, P को तह के देसह, J आवतति P आवइ, पराणति वात्त P पराइ वत्त नेण भणियं. 12) Jभणि, P adds एसो before अग्हे, Pन, पढ्टुं तेहिं भणियं पढहो । तेण भणियं सुह, भणिों in both places. 13) J अहरो कामिनि दृष्ट्वा अम्हं चिअ P अहरो दृष्ट्वा कामिनी [Better read दण for दृष्ट्वा], J क्खुभइ शुभइ, P दालिद्द, । निवारेद. 14) सव्वेहि मि भणिय, I भणि, यज्ञ स्वामि (?), P विदग्धपांडिल्यविज्जमंतो, P अन्नेण. 15) P om. अरे, J पातओ, Jतीय, J भगिओ, P राइंगणे, J पठितु P पढिरं, P आसि सा विस्तु सम्बो लोकु. 17) P वह for चट्ट, P अहो वेयपायमूढबुद्धीणं असंबद्धपलावित्तणं छत्तवाणं ति. 18) J पातओ, J पतित्ती for पउत्ती, ते for ता, P om. दे, P रायंगण, चेअ, P चिंतयंतो. 19) नयरीओ, P-दुकारे, P om. य, adds ओ before सहसा, J पढढयाई पवजिआई. 20)J वाढएणं, P एसो जयासहो, P om. य. 21)P विवाहो त्ति for किं पिकजं ति, Pom. तं, J सउणमणेण.22) थोवंतरे, P अणियवाणिय,J पणियासारया, J यह्माण-24) P कारणा निहर, P अरडे. 25) Jणीति,J पटुए, J -जंपिरे य पयतीए. 26) P दुवन्न, P एसे ले [एशे ले], J जंबुले, मागधे कुमारो. 27)P लोयणकह दिन्नमत्तपावारे, P किं ते किं मो, जिय for पिय, जंपिरो, Pom. अह, J अंतबेते P अत्तवेए. 28) J"वण्णे P'वन्ने, बारि, for पारि, P अवरे for रे, P कुमारो. Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२४८ । कुवलयमाला दक्खिण दाण-पोरस विणण-दया विवचिय-सरीरे 'युद्धं तेर्दै' पर्वते दके उपेच्छ कुमरो ॥ सल लिय- मिउ-मद्दवए गंधव्व-पिए सदेस-गय-चित्ते । 'चउडय में' भणिरे सुहए अह सेंधवे दिट्टे ॥ बँके जडे य जड्डे बहु-भोई कठिण पीण-सूणंगे । 'अप्पाँ तुप्पाँ' भणिरे अह पेच्छह मारुए तत्तो ॥ घय- लोगिय-गे धम्म-परे संधि-विमा-डिगे। 'गड रे भल' भणिरे अह पेच्छ गुज्जरे अवरे ॥ ओसिविल कय-सीमंते सुखोहि सुगते 'अहंकार्ड तुम्हें' भणिरे अच्छा ॥ तणु-साम-मड- देहे कोवणए माण- जीविष्णो रोदे । 'भाउथ भरणी तुम्हे' भगिरे अह मालवे दिडे || उक्कड - दप्पे पिय-मोहणे य रोद्दे पयंग-वित्ती य । 'अडि पौंडि मरे' भणिरे पेच्छइ कण्णाडए अण्जे ॥ कुप्पास पाउगे मास रुई पाण-मयण तलिन्छे । 'इसि किस मिसि' भणमागे अद पेच्छ साइ अवरे ॥ सम्य-कलाप माणी पियकोवणे कठिण देदे 'जल तल ले' भणमा कोसलए पुलइए अपरे ॥ दद-मह-सामलंगे सहिरे अहम सीखे य 'दिष्णले गद्दियले उहावरे तत्थ मरहठ्ठे ॥ पिय- महिला - संगामे सुंदर गत्ते य भोयणे रोहे । 'अटि पुटि रटिं' भणते अंधे कुमरो पलोएइ ॥ इ अट्ठारस देसी भासाउ पुलइऊण सिरिदत्तो । अण्णाइय पुलाई खस-पारस-बब्बरादीए ॥ २४७ ) तस्य तारिसस्स जण समृदस्य माझे के उण आलाया सुचि पबन्ता अधि य । दे देहि देहि रोषद सुंदरमिणो ण सुंदरं वच ए-एहि भगसुतं चिय अहव तुहं देमि जह की ॥ सन्त गया तिष्णि घिया सेसं अ पण पायेण वीसो व यवीसो वयं च गणिका कणिसवाया ॥ भार-सय अद कोटीच दो कोडियमेगं प-सय-पल पर्छ करिखं माझं च रती य ॥ होइ पुरं च पडो गोगच सुती य एयाण उपरि मासा एए भह देमि एएहिं ॥ S कह भेंट संवरियं गेण्ड्सु सुपरिक्खिऊण वच्च तुमं । जइ खज्जइ कह वि कचड्डिया वि एगारसं देमि ॥ एवं च कुमार कुवलयचंदो विवणि मग्गेणं वच्चमाणो अगेए वणियाणं उल्लावे णिसुतो गंतुं पयत्तो । कमेण संपत्तो क्षणेयणायर-विलाल विलोल को यण- मालाहि पलोजतो रागणे, जे च भगेय-धारणा-सह-उडतंय-सिनि-कहाविणिम्मचिय-छत्त-संकुल तत्व सन्चो चेत्र णरवइ-जयो करवल-निमिष मुह-कमलो किंपि किंपि चिंतंत कवियो विव दीसह । तं च दण पुच्छिओ णरणाह-पुत्तो कुमारेण 'भो भो रायउत्त, कीस णरवइ-लोओ एवं दीण-चिमणो दीसइ' ति । तेण भणियं 'भो भो महापुरिस, ण एस दीणो, किंतु एत्थ राइणो धूया कुवलयमाला णाम पुरिसदेसिणी, तीय किर 4 पायओ लंबिओ जहा 'जो एवं पायें पूरे हिइ सो मं परिगेहि' ति । ता तं पादयं एस सच्चो चेव णरवइ-लोओ चिंतेइ य' 24 त्ति । कुमारेण भणियं 'केरिसो सो पाओ' । तेण भणियं 'एरिसो सो' । अवि य । 'पंच वि परमे चिमाणम्मि ।' 1 २४८ ) कुमारेण भणियं 'ता एस पावओो केइ कम्मि भणिए पूरिओ ण पूरिओ या कहं जाणियम्पो' । तेष 7 भणियं 'सा चेत्र जाणइ कुवलयमाला, ण य अण्गो' । कुमारेण भणियं 'कहं पुण पञ्चओ होइ जहा सो चेय 27 इमो पायओ जो कुवलयमाला अभिमजो' । तेण भणियं । अपिचओ कहं । इमस्स पायस्स पुष्यमेव L 3 } 5 कुमारो 2 सरल मिदुदव, Pसयस, 1) ते ते, टके, of, g, fat. 3 > कि विग्गहे. 5 ) । सीते सोहिते, 6 ) P -जीवणे, " मारय, " तुम्भे for तुम्हे, 8 ) P से दो for च (व) उदय मे रूपा तुप्पा P अप्पां तुवां गारु कारुण 4 ) J लोटिय. आदम्ह काई तुम्हे मित्तु भगिरे for अं etc., J om. अ, P अच्छह् for अह दिट्टो 7 ) J एय for य ( before रोदे ), अद्रि पोण्डिमरे । अडिपांडिरमरे. for रुई, P असि for इसि, P मणि for मिसि, P भगमाणो. 9 ) सत्य for सव्व, पत्तट्ठो भट्ठे J देहो. 10 ) P सदिए अमाण, P दिनले रा ( ठा? ) हिल for गहियले ( written twice in P ). 11 ) P गोते for गत्ते, J भो, " भाषणे रोमित कुमारं कुमारो 12) सिरिअसो, सिरि अग्नेय पुलपती जवसपारस, अण्णाईय पुलपई, पञ्चरादीए P बब्बराती ए. 13 ) J जगस्समुहस्स सज्झे काऊण अलावा, P केण उण. 14 ) देहेहि स for r, P एएहिं कीतं. 15) तस्स गया for सत्त गया, थिरा सेसं, P पऊण पाएण श्रीसो अद्धववीसो कमिस्वाता मणिसवाया. 16) 1 सतं, Padds होइ after अह, Pच for चिय होइ, कोडिसतमेकं । पळसतपरीया से रक्तीसं. 17 ) on the verse होइ etc. we have a marginal note (in 3 ) like this (with nunerals below the words ): कणियउ / १ महेसरु / ३ तलु / ५ पविती / / उवणु९ | आंगुलु / १० | पूंखाल / २००१८ उ. text of J numbers धुरं as 2, बहेडो as 6, गोत्थण as 4 and सुन्तीय as 20. उवदिसंसा एते, एतेहिं. 18) भां संवरितं, एआरसं. 19 ) Pom. च, P उलावें. 20 ) P नाय for नायर, Pom. जं, Padds केरिसं before अणेय, P उद्दंड, Jaण्डवि तद्भुविय 21) निम्मिय, J om. one किंपि, P व for विव. 22 ) P नरनाहउत्तो, रायउत्ता, adds एस after कीस, P om. एवं 23 ) P inter. ण (न) & एस, P रायणो, ४ पुरिसवेसिणी, P यय for तीय. 24 ) पातओ, पातयं पूरेहिति, ति for त्ति, पाय, अविक्षि. 25 ) Pom. सो, पातओ for पाओ, 3 writes twice पंचवि उमे विमाणम्मि. 26 ) पात, भणिते भगिअर, पूरितो ण पूरितो. 27 ) Pom. य. 28 Jपाओ, पातयस्स for The पायरस. 20 १५३ 1 6 9 12 15 18 Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५४ उजोयणसूरिविरइया [ २४८ । तिष्णि पाद इमाए काऊण गोलए परिखविय मुदिऊण महाभंडारम्मि पक्खिते । तेण कारणेण पडिये ति जो पमा जे पुण ती रइयं तं तत्थ पादए घडिहि त्ति तओ तं परिगेहिइ' त्ति । इमं च सोऊण चिंतियं रायउत्तेर्ण 'अहो, सुंदरं जायं 3 जेण सुपरिक्खि पादओ पूरेयब्यो ति । ता दे चिंतेमि, हवा किमेत्थ चिंतिय पंच वि पउभे विमाणम्मि' | 3 'अस् तम पडमे विमाणम्मि उप्पण्णा काऊन किं पुण ताए मुख्य पाइए विपुखं चिंतिकण हूँ अधि को संबिधम्मगंदण-मूले दिक्खा तवं च काऊण । कय-संकेया जाया पंच वि पउमे विमाणमि ॥ 1 1 ● अहो विडिये मायाद्वचत्तर्ग मायाइचस्स जेण फेरियो पातो कुल-मग्गो को इमीए कुलमालाए ओलंबियो । ताव य उद्धाओ समुद-सह-गंभीरो कल्यलारावो जणस्स रायंगणस्मि । किं च जायं । पलायंति कुंजरा । पहावंति तुरंगमा ओसरंति गरवणो पलायति वामणया विउति खुजयाविति चीरा वर्तति वीर कंपनि कायरा । 9 सव्वा पलय- समए व्व खुभिओ सव्वो रागण जणवओं त्ति । चिंतियं च कुमारेण । 'को एसो अयंडे चेय संभमो' त्ति । 9 पुलोइयं कुमारेण जाव दिट्टो जयवारणो उम्मूलियालाण खंभो पाडियारोहणो जणं मारयंतो संमुहं पहाविओ ति । अवि य । तुंगरागेण मे टिओ हिमगिरि व जो घवलो। हत्य-परिहत्य बलिओ पवणं पि जिणेज वेगे ॥ तमो रणत-लोह- संखलं झरंत दाण- वेब्भलं खलंत-पाय- बंधणं ललंत रज्ज-चूलयं । चलत कण्णसंखये फुरंत दीचामरं रत-हार थंड गर्ल गंडवास ॥ दिहं तं जयकुंजरं । अवि य । 12 संवेलियग्ग-त्यो उण्णामिय-खंधरो धमधमेंतो । मारेंतो जण-विहं भजतो भवण-विहाई ॥ दाण-जल- सित्त-गत्तो गंधायड्डिय-रणत- भमरउलो । पत्तो कुमार मूलं अह सो जयकुंजरो सहसा ॥ । २४९) च वारिस कुविय तसच्छदं दण जगेण जैपिये 'बप्पो बच्यो, ओसरह भोसरद, कुषिलो एस 18 जयहथी। च तारिर्स कलवर्क आयण्णेऊण राया व सतेवरो आरूढो भवण-जिए बड़े पत्तो कुमारस्स य 18 पुरओ हूण राणा भणियं 'भो भो महापुरिस, अवेह अवेह इमाओ महग्गहाओ वावाइजसि तुमं वालओ'ति । ओ तहा- भगतस्स राइणो जणस्स य हा-हा-कारं करेमाणस्स संपत्तो कुंजरवरो कुमारासण्णं । कुमारेणावि संपेलिकण बचे भाइ तरस हरियो पुरको फोवेण धमधमेतो दंतच्छोदं तहिं देह ॥ 15 21 24 1 हत्थं परिहत्थेणं ताव हओ करयलेण जहणम्मि । रोसेण जाव वलिभो चलिओ तत्तो कुमारो वि ॥ पुण पओ मुट्टीए पुन पहिलो करिव सुपेण ताव कुमारो पहिलो पच्छिम भाग गयवरस्स ॥ या बलइ खलइ गज धाउदा परिणत होइ रोसेग धमधमेतो चकाइ पुणो मह ॥ जावयरमा निकुर-कर-परि-कृष्ण-लि-मुसले चलाऊनेता समाटो | तस्थ व समातेण भणियं कुमार कुवलयचदेण । 12 15 21 27 'कोसंविधम्मण-मूले दिखा तवं च काऊण कप-संया जावा पंच वि पडसे विमानस्मि ॥' तं च सोऊन 'अहो रिओ पायो' ति भगतीए पेसिया मरंदवा गपाहिल मुलिया सिय-कुसुम वरमाला आरुवा व कंधराभोए कुमाररस राहणा विभणियं पुरुइयंगेण 'साद साहू, कुवलयमाले, अहो सुवरिवं वरियं, अहो 30 पूरिओ पायओ । ताव य जयजयावियं रायलोएणं 'अहो दिव्वो एस कोइ, अहो ण होइ मणुओ' त्ति । ताच य 30 विडिया उवरि दिव्वा अदीसमाण- सुर-पेसिया सुरहि-कुसुम वुट्टी । जायं च तं पएसं जयजया-सह- मुहलं ति । एयंतरम्मि पहाइभो महिंदकुमारो जबकरिणो मूले । भणियं च मेण 'जय महारायाहिराव परमेसर सिरियम्म 24 1 ) P पाए, P लोगए for गोलए, मंदारे, पढितं णो for जो, P जो पुयमाणं. 2 ) J तीए रुइय, Pom. तं, P पाय हिति ततो तं परिणेहिति । P परिणेहियत्ति, 1 कुमारेण for राय उत्तेणं. 3 ) 1 सुपरिक्खिय पाईओ पूरओ त्ति, तन्वो विति, चिंतयति, adds पंच वि पउमे विमाणे before अम्हे etc. 4 ) Pom अम्हे तम्मि परमे विमाणम्मि, उता for ताए P पायए- 5 को मि J उच्छाइओ, Padds जरावो before जणस्स. संभमोति चिंतंतेण पुलोश्यं, पुलइयं 10 कुंग पनि जिणेजु वेण ॥ [ = पंखयं ? ], P भार for हार, घंटणं. Pom. one. भो, Pom. one अवेद, P बालो for बालओ. 20 ) Padds य before राइगो, P करेणरस संपत्तो, कुमारेण वि. 21 ) P आइट्ठे, ए दंतच्छोहिं. 22 ) P ताप for ताव. 23 ) P पुण पुत्र, P सुरेषेण i, Jalds वि after कुमारो. 24 ) P का 25 p repeats नलणं. 26) o तत्व समारूत्रेण भणियं. 28 ) Padds त्ति after पूरिओ, पातओ त्ति भगंतीय, P सेय for सिय. 29 J om. वि, adds त्ति after second साहु, P कुवलयगाला एयं ते सुचरियं । 6 )_P_पायय-, P काउं for कओ, om. ओलंबियो । ताव य 7) 8 ) P विकत्थति वीरा कंपंति. 9 ) P पंजणवओ, Pom. च, P अयंडो भो for खंभो, P समुहं, J संमुहं पाविओत्ति । 11) आगतणेण P adds after तभी 12) P संकुलं, " वेंभले, P रज्ज 14 ) Pom. दिट्टं तं जयकुंजरं. 17 ) P सच्छमं, P बप्पा for 13 ) JP संखयं बप्पो बप्पो. 19) अहो. 30 J पातओ, Pom. एस, P एसो for अहो, P माणुसो त्ति, 1 य निर्वाटियावरिं अदिस्समाणा 31 ) P adds विय before सद्द 32 > महिंदकरिणा मूले, om. सिरिदढवम्मणंदण etc. to साहसालंकार• 27 Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२५०] कुवलयमाला 1णंदण कुमार-कुवलयचंद इक्खागुवंस-बालंकुर सोम-साहा-णहयल-मियंक अओज्झापुरवरी-तिलय परवर-पुंडरीय साहसाल- 1 कार विजा-परिवार धरणीकंप पर-बल-खोह माण-धण कला-कुलहर दक्खिण्ण-महोयहि विणयावास दाण-वसण पणइ3 जण-वच्छल जय कुमार' त्ति । इमं च सोऊण लीला-वलंत-धवल-विलोल लोयणेणं णियच्छियं रायतणएणं । 'अहो को 8 एत्थ तायस्स पायाणं णामं गेण्हइ' त्ति जाव पेच्छइ अणेय-णरणाह-पुत्त-परियारं जेटुं सहोयरं पिव महिंदकुमारं ति । तओ तं च दट्टण पसरमाणतर-सिणेह-सब्भाव-भाव-पहरिस-वसुल्लसंत-रोमंच-कंचुयंगेण घट्टिो मम्म-पएसे जयकुंजरो, तओ 6 णिसण्णो, आरूढो य महिंदो, पसारिय-भुएण य समालिंगियं अवरोप्परं । पुच्छिओ य 'अवि कुसलं महाराइणो, दढ-सरीरा 6 देवि त्ति, सुंदरं तुम' ति । ताव य णरवइणा वि विजएण चिंतियं । 'अहो, अच्छरीयं इमं । एवं ताव इमं चेव इमस्स रूवाइसयं, दुइयं असामण्ण-जय-कुंजरालंघणग्घवियं महासत्तं, तइयं णरणाह-सहस्स-पुरओ पाद-पूरणं, च उत्थं पुण दिव्वेहिं कुसुम-वरिस-पूयणं, पंचम महाराइणो दृढवम्मस्स पुत्तो त्ति । अहो, पावियं जं पावियव्वं वच्छाए कुवलयमालाए। साहु 9 पुत्ति कुवलयमाले, णिवाहियं तए पुरिसद्देसित्तणं इमं एरिसं पुरिस-सीहं पावयंतीए । अहवा ण जम्मतरे वि मुणिणो अलियं मंतयति' । भणिओ य परवइणा कुमारो 'समप्पेह जयकुंजरं हत्थारोहाणं, आरुहसु मंदिरं' ति । एवं च भणिओ 12 कुमारो । 'जहाणवेसि' ति भणमाणो ओयरिओ जयकुंजराओ, आरूढो य पासायं महिंद-दुइओ, अवयासिओ राइण 12 ससिणेहं । दिण्णाइं आसणाई । णिसण्णा जहासुहं । पेसिया य राइणा कुवलयमाला, ससिह च पुलयंती णीहरिया य सा २५० ) राइणा भणियं 'को एस वुत्तो, कहं तुम एक्को, कहं वा कप्पडिय-वेसो, किं वा मलिण-कुचेलो पत्थ 15 दूर-देसंतरं पाविओ' त्ति । कुमारेण भणियं 'देव जाणसि चिय तुमं । अवि य । जण सुमिणे वि दीसइ चिंतिय-पुव्वं ण यावि सुय-पुव्वं । विहि-वाउलीए पहओ पुरिसो अह तं पि पावेद ॥ तेण देव, कह कह पि भममाणो देव-वसेणं अर्ज चिय संपयं एस पत्तो' ति । राइणा भणियं 'महिंद, किं एसो सो जो 18 तए पुच्छिओ दढवम्म-पुत्तो एत्थ पत्तो ण व त्ति । महिंदेण भणिय 'देव, जहाणवेसि' त्ति 'एस सो' त्ति । कुमारेण भणियं 18 'महिंदकुमार, तुम पुण कत्थ एत्थ दाहिण-मयरहर-वेलालगं विजयपुरवरिं पुथ्वदेसाओ संपत्तो सि' । तेण भणियं 'देव णिसुणेसु । अस्थि तइया वाहियालीए समुद्दकल्लोल-तुरएणावहरिओ तुम । अवि य ।। 4 धावइ उप्पइओ इव उप्पइओ चेय सच्चयं तुरओ । एसेस एस वच्चइ दीसह असणं पत्तो॥ तओ हाहा-रव-सह-णिभरस्स रायलोयरस अवहरिओ तुमं । तओ वाहिओ राहणा तुरओ तुज्झाणुमग्ग-लग्गो सेस-णरवइजणेण य । तो य दूरं देसंतरं ण य तुज्झ पउत्ती वि सुणीयइ । तओ गिरि-सरिया-संकुले पएसे णिवडिओ पवणावत्तA तुरंगमो। तओ राया वि तुज्झ पउत्ती असंभावेंतो णिवडिओ मुच्छा-वेब्भलो जाओ, आसासिओ य अम्हेहिं पडत-वाएहिं । 24 तओ 'हा पुत्त कुवलयचंद, कहिं में मोत्तुं वञ्चसि' त्ति भणमागो पुणो मुच्छिओ । तओ आसासिओ विलविउं पयत्तो। हा पुत्त कत्थ वचसि मोत्तण ममं सुदुक्खियमणाहं । हा देव कत्थ कुमरो णिसंस ते अवहिओ सहसा ॥ 7 किं च बहुणा परायत्तो विव, उम्मत्तगो विव, गह-गहिओ विव, णटु-सण्णो विव, पण?-चेयणो विव, सम्वहा गय-जीविओ 27 विव ण चलइ, ण वलइ, ण जंपइ, ण फंदइ, ण सुणेइ, ण वेयए, ण चेतइ त्ति । तं च तारिसं दट्टण मरणासंक-वेब्भलेण मंतियगेण साहिओ से जहा 'सगर-चक्कवहिणो सट्टि-सहस्स-पुत्ताणं धरणिंद-कोव-विस-हुयास-जालावली-होमिआणं णिहण30 वुत्तो तहा विण दिण्णो सोगस्स तेण अत्ताणो । ता महाराय, कुमारो उण केण वि दिव्वेणं अक्खित्तो किं पि कारणं 30 गणेमाणेणं, ता अवस्सं पावइ पउत्ती। पुच्छामो जाणए, गणेतु गणया, कीरंतु पसिणाओ, सुब्वंतु अवसुहओ, दीसंतु परियरियं जेहसहोयर: om. इम, A before वच्छा 2) P धरणीकंपापरबजलखोहमाणहणकयाकुलहर, I दाणवसाण, P पणदीयलवच्छल. 3) Padds लोल after विलोल, लोयणमेग. 4) परियरियं जेट्ठसहोयरं. 5 सम्भावत हरिस, J बसूच्छलंत. 6) P -भुए हिं, P कुलसं for कुसलं. 7) देवीए त्ति । मुंदरो, P अच्छरिय, P om. इमं, P एगं ताव, J चेअ. 8) J रूवातिसयं, P जयजंजयकुंजणग्धवियं, 'पुरहओ, P पायपूरणं. 9) JP दढधम्मरल, I adds ति before वच्छाए. 10) J णिवडिय उ for णिवाहिय, तप, " पुरिसवेसित्तणं, I adds च after इमं, P orm. पुरिस, J पावयंतीय. 11)P भणंति for मंतयंति, P 'कुंजहरं, हत्थरोहाणं । हत्यारोहणं, ति for त्ति. 12) P पसायं. 13) J जिसण्णो, P पुलइयं तीए नौहरिया. 14) P कप्पडीय, J कप्पडिवेसो तत्थ दूरदेसंतर पाविओ, P जेव for देव. 16) सुइणे, P मेत्तं for पुन्छ before ण, Jहओ and P पुहई for पहओ. 17) भमामाणो दिब, P adds वसेणं before संपयं, I पुत्तो for पत्तो, P om. सो जो. 18) JP दधम्म-, Pom. एत्थ पत्तो, " माहिदेण, J सो for एस. 19) Pom. तुमं पुण, P कत्थेत्थ. 20) Pतुरणावहरिओ. 21) Pएस for चेय, P पुत्तो for पत्तो. 22) ज्झा for तुज्झा, मग सेस. 23) Pom. य after तओ, P तुज्झा, J संकुलपएसे. 24) -विव्वलो (ब्ब looks like a), Jom. य. 25)P भणमागो पुच्छिओ पुणो आसासियो ततो विलविउं, P adds अवि य before हा पुत. 26) Jहा देव्य. 27) Pनह for णट्ठ, नविय for विव, I तहा for सम्बदा. 28) Pसुणइ न वेय त्ति । तं च. 29)जह for जहा, "सहरसा for सहरस, P कोववस. 30)Jinter. सोअ (for ग) स्स& तेण, P om. पि. 31) P पुच्छामि, J जाणउ, गणंतु, J गणयं, अवसुईओ. Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसूरिविरइया [६२५०। सुमिणयाई, णिरच्छंतु णेमित्तिया, पुच्छिजंतु जोइणीओ, सातु कण्ण-पिसाइयाओ, सव्वहा जहा तहा पाविज्जइ कुमारस्स 1 सरीर-पउत्ती, धीरो होहि ।' एवं मंतियण भणिओ समाणो समासत्थो मणयं राया । देवी उण खग आसासिया, खणं 3 पहसिया, खगं विहसिया, खग णीसहा, खणं रोइरी, खगं मुच्छिय ति। सब्वहा कई कहं पितुह पउत्ति-मत्त- 3 णिबद्ध-जीवियासा आसासिजइ अंतेउरेणं । 'हा कुमार, हा कुमार' त्ति विलाव-सहो केवलं णिसुगिजइ । ६२५१) णयरीए उण तिय-चउक्क-चचर-महापह-रच्छामुह-गोउरेसु 'हा कुमार, के.ण णीओ, कत्थ गओ, कत्थ 6 पाविओ, हा को उण सो तुरंगमो दारुगो त्ति । सव्वहा ते होहिइ ज देवयाओ इच्छति' त्ति । तरुणियणो 'हा सुहय, हा 6 सुंदर, हा सोहिय, हा मुद्दड, हा वियड्डू, हा कुवलयचंद-कुमार कत्थ गओ त्ति । सव्वहा कुमार, तुह विरहे कायरा इव पउत्थवइया ।' णयरी केरिसा जाया। 9 उवसंत-मुरय-सदा संगीय-विवजिया सुदीण-जणा । झीण-विलासासोहा पउत्थवइय व्व सा णयरी ॥ तो कुमार, एरिसेसु य दुक्ख-बोलावियम्वेसु दियहेसु सोय-विहले परियणे णिरेइयं पडिहारीए महाराइणो ‘देव, को वि। पूसराय-मणि-पुंज-सच्छमो पोमराय-मणि-बयणो । किं पि पियं व भगतो दहें कीरो महइ देवं ॥' 12 तं च सोऊण राइणा 'अहो, कीरो कयाइ कि पि जाणइ ति दे पेसेसु ण' उल्लथिए, पहाइया पडिहारी पविट्ठा य,18 मगगालग्गो रायकीरो । उवसप्पिऊण भणियं रायकीरेण । अवि य । 'भुंजसि पुणो वि भुंजसु उयहि-महामेहलं पुहइ-लञ्छि । वड्डसि तहा वि बड्दसु णरणाह जसेण धवलेणं ॥' 15 भणिए, णरवइणा अउव-ईसणायण्णण-विम्हय वस-रस-समूससंत-रोमंच-कंचुय-च्छविणा भणियं 'महाकीर, तुमं कओ, 15 केण वा कारण इहागओ सि' ति। भणियं च रायसुएणं । 'देव, वसि कुवलयचंद-कुमार-पउत्तीए' त्ति भणियमेत्ते राइणा पसरततर-सिगेह-णिब्भर-हियएण पसारिओभय-बाहु-डंडेण गहिओ करयलेण, ठाविओ उच्छंगे। भणियं च राइणा 18 'वच्छ, कुमार-पउत्ती-संपायगेण कुमार-णिव्विसेस-दसणो तुमं । ता दे साह से कुसारस्स सरीर-बट्टमाणी । कत्थ तए दिटो, 18 कहिं वा कालंतरम्भि, कत्थ वा पएसे, फेच्चिरं वा दिस्स' ति । एवं च भणिए भणिय कीरेण 'देव एत्तियं ण-याणामि, जं पुण जाणामि तं साहिमो त्ति ।। ६२५२) अस्थि इओ अइदूरे णम्मया णाम महाणई । तीय य दाहिणे कूले देयाडई णाम महाडई। तीए 1 देयाडईए मज्झे णम्मयाए णाइदूरे विंझ-गिरिवरस्स पायासो ओय सउण-सावय-संकिगणे पएसे एणिया णाम __ महातावसी । तीए आसम-पए अम्हे वि चिट्ठामो । एवं च परिवसंतस्स इओ थोएसुं चेय दियदेसुंएगागी सत्त-मेस-परिवारो 24 संपत्तो तम्मि आसम-पएसम्मि कुमारो । तओ अम्हेहिं दिटो। तत्थ य सब्भाव-गेह-णिभरालावो पयत्तो। पुणो गंतुं 24 समुट्रिओ पुच्छिओ अम्हेहिं जहा 'कुमार, किं तुज्झ कुलं, किं वा णाम, कत्थ वा गंतुं ववसियं' ति । तओ तेण भणियं । 'सोम-वंस-संभवो दढवम्म-महाराओ अओज्झाए परिवसइ । तस्स पुत्तो अहं, कुवलयचंदो मह णाम, गंतव्वं च मए भगवओ 7 मुणिणो समाएसेण विजयाए पुरवरीए कुवलयमालाए पलंबियस्स पादयस्स पूरणेण परिणेउं संबोहणेणं च' त्ति । एवं च 27 भणिऊण गओ तं दक्षिणं दिसं कुमारो। भणियं च तीय तावसीय 'कुमार, महंतो उव्वेवो तुह गुरूणं, ता जइ तुम भणसि ता साहेउ एस कीरो गंतूणं सरीर-पउत्ति' त्ति । भणियं च तेण 'को दोसो, पूणिजा गुरुगो, जइ तीरद गंतुं, ता वञ्चउ, 30 साहेउ गुरूणं पउत्तिं । साहेयव्वं च मज्झ वय गेणं पायवडणं गुरूणं' ति भणमाणो पत्थिओ मण-पवण-वेओ कुमारो' ति। 30 1) पूछियंत, P पिसाईआओ, कुमार तस्स. 2) होही, Jom. समाणो, Pओ for उण, ' मुछिया for आसासिया, Jom. खणं पहसिया. 3) J रोदणी for रोइरी, J सत्वहा आहे की, " पत्तिमेत्त गिससद्ध. 4) Jom. 2nd हा, J विलव-.5) तीयच उक, P महापहारच्छामुहा- 6) P होइ for होहिर, Pom. ति, Jरुणीणो उण हा सहयसुंदर. 7) J विय for दव. 8) Jadds अवि य before उवसंत. १) उअसंत, " सुदीणमणा, "मोहा for सोहा. 10) Pom. कुमार, P आ दुक्ख for य दुक्स, P वियले for विदले, देवि for देव. 11-मणि-मछमन्वयणो] 12) Padds अवि य before तं च, P कहीर for कयाइ, Pom. णं, Jom. य. 13) मग्गालगा रायकीरामो समपिऊण य भणिय. 14) P भुंजन पुणो, P लच्छी ।. 15) P सगिए for भगिए, J णरवइणो, P दंसणायत्तण, om. रस, कंचअच्छविणो भणियं च रायसुपण, Jom. भणियं महाकीर etc. to इहागओ सि ति, Padds राणा भगियो before महाकीर. 16)Pसुत्ति for सि त्ति, Pom. च, P om. कुमार. 17) पसारिओ भुअण्डेण. 18) Jom. उतीसंपायणेग कुमार, P साह कुमार सहरीरसइमाणी, P दिवो कई व कंनि व कालंतरंगि. 19) Jom. च, J देवि for देव, किं पुण fori पुण. 21) दाहिणकूले P दीहिणे कूल, तीय देआढईअ मज्झे. 22) Pon, णम्मयाए णादूरे 23) अम," om. वि. च परिसवंतरस, P-परिवासो. 24) P आसमपए कुमारो, JP "भरालावे, P पयत्ते. 25) Jadds A before अम्हे हिं. 26) JP संभमो, P दढवम्म, उवज्झाए for अओज्झाए, P for अई, P om. मह. 27) ' मुगिणा, P विजयपुर, P°मालालंबियरस पादरस पादस्स पूरणेग, पातयरस, P परिणेओ, P संबोणं ति ।. 28) Jadds त्ति afler कुगारो, Poin. तीय, " तावसीय, P adds गुरूणं before तुर्म. 29)P साउ, P-पउओ त्ति, J om. त्ति, । पूयणिज्जो गुरुयणो. 30" मयण for मज्झ, Jom. पायवडणं, P पुच्छि भो for पत्थिओ. Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18 -६२५४] कुवलयमाला १५७ 1 २ ५३ ) इमं च सोऊग राइणा तक्खणं चेय सदाविया दिसा-देस-समुद्द-वणिया, पुच्छिया य 'भो भी वणिया, 1 जाणह तुब्भे णिसुय-पुव्वा दिट्ठ-पुन्वा वा विजया णाम णयरी दाहिण-समुद-वेलाऊलम्मि' । तेहिं भणियं 'अस्थि देव सयल3 रयणाहारा णयरी विजया, को वा ण-याणह । तत्थ राया महाणुभावो तुज्झ चरियाणुवत्ती विजयसेणो सयं णिवसए, देवो वि 3 तं जाणइ चिय जइ णवरं पम्हुटो' ति । इमं च सोऊग राइणा भणियं । 'वच्छ महिंदकुमार, पयट्ट, वच्चामो तं चेय णयार' ति भगमाणो समुडिओ राया । तओ मया विगणविओ । 'देव, अहं चेव वञ्चामि, चिट्ठ तुम' ति भणिए राइणो 6 पोम्मरायप्पमुहा आणत्ता राय-तणया। 'तुम्भेहिं सिग्धं महिंदेण सम गंतव्वं विजयं पुरवीर' ति भणिए 'जहाणवेसि' त्ति 6 भणमाणा पयत्ता । अम्हेहि वि सब्जियाई जाण वाहणाई । तओ णीहरिया बाहिं गयरीए । संदिटुंच राइणा । 'मुच्छा-मोहिय-जीया तुज्झ पउत्तीहि आससिजती । ता पुत्त एहि तुरियं जा जणणी पेच्छसि जियंती ॥' 9 देवीय वि संदिहूँ। ___ 'जिण्णो जराए पुत्तय पुणो वि जिष्णो विओग-दुक्खेण । ता तह करेसु सुपुरिस जा पियरं पेच्छसि जियंत ॥' इमे य संदेसए णिसामिऊण आगया अणुदियह-पयागएहिं गिम्हयालस्स एक मासं तिण्णि वासा-रत्तस्स । तओ एत्थ संपत्ता। 12 एत्य य राइणो समप्पियाई कोसल्लियाई, साहिया पउत्ती महारायसंतिया, पुच्छिया य तुह पउत्ती जहा एत्थ महारायपुत्तो कुवलयचंदो पत्तो ण व त्ति, जाव णस्थि णोवलद्वा पउत्ती। तओ पम्हुट्ठ-विज्जो विव विज्जाहरो, विहडिय-किरिया-वाओ विव णरिन्दो, मिरुद्ध-मंतो विव मंतवाई, विसंवयंतो चिव तंतवाई, सव्वहा दीण-विमणो जाओ। पुणो राइणा भणियं 'मा 15 विसायं वञ्च, को जाणइ जइ वि एत्थ संपत्तो तहावि गोवलक्खिजई' । अण्णं च 'अज वि कह चि ण पावई' त्ति ता15 इह-डिओ चेय के पि कालं पडिवालेह । दिण्ण आवासं । कयाई पसायाई । दियहे य दियहे य तिय-चउक्क-चञ्चर-महापह देवउल-तलाय-चट्ट-मढ-विहारसु अग्णिसामि । तओ अज पुण उट्टेमाणस्स फुरियं दाहिणेण भुयाडंडेणं दाहिण-गयणेण य। 18 तओ भए चिंतियं 'अहो सोहगं णिमित्तं जेण एवं पढीयइ । जहा, सिर-फुरिए किर रज पिय-मेलो होइ बाहु-फुरिएण । अच्छि-फुरियम्मि वि पियं अहरे उण चुंबणं होइ ।। उम्मि भणसु कलहं कपणे उण होइ कण्ण-लंकरणं । पियदंसो वच्छयले पोट्टे मिटुं पुणो मुंजे ॥ 21 लिंगम्मि इस्थि-जोगो गमणं जंघासु आगमो चलणे । पुरिसस्स दाहिणणं इत्थीए होइ वामेणं ॥ अह होइ विवज्जालो जाण अणिटुं च कह वि फुरियम्मि । अह दियह चिय फुरण णिरत्थयं जाण वाएण ॥' ता कुमार, तेग बाहु-फुरिएग पसरमाण-हियय-हरिसो किर अज तुम मए पावियचो ति इमं रायंगणं संपत्तो जाव दिट्टो तुम इमिणा जयकुंजरेण समं जुज्झमाणो त्ति । 24 ६२५४) तओ इमं च णिसामिऊण राणा भणियं । 'सुंदरं जायं जं पत्तो इह कुमारो तुमं च त्ति । सव्वहा धण्णा अम्हे, जेण दढवम्म-महाराइणा सम संबंधो, कुवलयमालाए पुव्व-जम्म-जेहोवलंभो, अम्ह घरागमण कुमारस्स, 27 उद्दाम-जयकुंजर-लंघणं, दिव्व-कुसुम-बुट्टि-पडणं, पादय-पूरणं च । सव्वं चेय इमं अच्छरियं । सव्वहा परिणाम-सुह-फलं 7 किं पि इमं ति । तेण वञ्चह तुब्भे आवासं, वीसमह जहा-सुहं । अहं पि सद्दाविऊण गणयं वच्छाए कुवलयमालाए वीवाहमास-दियह-तिहि-रासि-णक्खत्त-वार-जोय-लग्ग-मुहुर्त गणाविऊण तुम्ह पेसेहामि त्ति भणमाणो राया समुट्टिओ आसणाओ। 30 कुमारा वि उवगया आवासं कय-संमाणा। तत्थ वि सरहसमइमग्ग-पयत्त-गइ-वस-खलंत-चलणग्ग-मणि-उर-रणरणा-सणाह-30 मेहला-सद्द-पूरमाण-दिसिवहाओ उद्धाइयाओ विलासिणीओ । ताहिं जहा-सुहं कमल-दल-कोमलेहिं करयलेहिं पक्खालियाई संख-चकं कुसाइ-लक्खण-जुयाई चलणयाई, समप्पियाओ य दोहं पि पोत्तीओ । अवि य । 33 होयग्गिय-देहा सुपुरिस-फरिसोगलंत-रुइरंगी । पोत्ती रत्ता महिल व्व पाविया णवर कुमरेण ॥ तओ सय सहस्स-पाएहिं बहु-गुण-सारेहिं सिगेह-परमेहिं सुमित्तेहि व तेल्ल-विसेसेहिं अब्भंगिया विलासिणीयणेण, उवटिया खर-फरुस-सहावेहि सिणेहावहरण-पटुएहिं खलेहिं व कसाय-जोएहिं, हाणिया य पयइ-सत्थ-सीय-सुह-सेव्व-सच्छेहिं 2) P वेलाउलंमि, देवा for देव. 3) Pom. णयरी, ' जत्थ for तत्थ, I चरियवत्ती. 4) Jणयाणइ for जागइ. 5) J मप भया, धन for चेन, P om. ति, J राइणा for राइणो. 6) J पोप्य चोप्परायपमुहा, P विजयपुरवार - भपिआ for भणि. 7) P अम्हे किंचि सज्जियाई । ताओ, P adds अवि य before मुच्छा. 8) आससिज्जति, P ता कुणा पुत्त पन्हि जा जणणी पेसच्छ जियंती. 10)J विओअ. 11)P संदेसे, एकमासं. 12)P य राइण, संहिआ for सापिया, पती महा", Pमहारायउत्तो. 13विडियकिरियावाडो. 14)J विरुद्ध for णिरुद्ध, J मंतवावी, I om. विसंघयंतो विव तंतवाई, तंतवई. 16) P कालं पडिवज्जेहं, P पासायाई, Pom. य दियहे य, J महापहं.. 17) " अन्नसामि, Pom. तओ, P दाहिणं, भुयादंडेणं, P om. दाहिणा-- 18) I पढीयति. 19) Pअच्छिफुरणंमि. 20) P कन्नलंकारं । फियफसो. 21) इथिजोओ. 23) P तओ for ता. 24) P ति for त्ति. 25) एअब for इमं च, J संपतो for जे पत्तो. 26) दधम्ममहाराणो, J संबद्धो. 27)Pपाययपूरणं, अच्छरीय 28) Pविवाह 29J दिअहं, गणामिऊण. 30J सरहसगरमग्ग, P वइस for वस, P रणरणो. 31) Pउठाइयाओ, P om. जहा, J om. दल. 32) Pom. लक्खणजुयाई, चलणाई, P om. य. 33)J देहो, Pमुवु रस, Jफरिसोअलंत, P adds त्तीरत्ता after रत्ता. 34 गणिया for परमेह, Pon. समित्तेहि व etc. to ण्हाणिया. 35) JP सच्छसीअ.. Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५८ उज्जोयणसरिविरड्या [६२५६ 15 1 कलंकावहारएहिं सजण-हियएहिं व जलुप्पीलेहिं, दिण्णाणि य सुरहि-परिमलायड्विय-गुमुगुमेंत-भमर-बलामोडिय-चरण- 1 चुंबियाई गंधामलयाई उत्तिमंगे। तओ एवं च कय-इट-देवया-णमोकारा, भोत्तण भोयण सुह-णिसण्णाणं आसगेसु किं-किं 3पिचिर-विओय-संभरंताण समागया एका राय-कुलाओ दारिया। तीय पणाम-पञ्चट्टियाए साहियं । 'कुमार, वच्छाए । कुवलयमालाए गणिए गह-गोयरे गणएण ण ठवियं सुज्झमाण लग्गं अज वि वीसत्य, ता मा तूरउ कुमारो हियएणं । णियय चिय कुमारस्स इमं गेहं ता जहा-सुहं अच्छसु' ति भणिऊण णिक्खता दारिया । तओ महिंदेण भणियं 'कुमार, 6 अज वि दीहं इम, संपयं महाराइणो लेहं पेसेम्ह तुह संगम-पउत्ति-मत्तेणं अत्थेणं' ति भणिऊण विणिक्खतो महिंदो । कुमारो । य चिंतिउं पयत्तो 'अहो, लंघिया मए असंखा गिरिवरा, पभूया देसा, बहुयाओ णिण्णयाओ, महंताओ महाणईओ, अणेयाओ महाडईओ, पावियाई अणेयाई दुक्खाई, ताई च सव्वाई कुवलयमाला-मुहयंद-चंदिमा-गलत्थियाई तम-वंदाइ व पणट्ठाई। संपर्य पुण इमिणा पडिहारि-चयणेण अण्णाणि वि जाइ लोए दुक्खाई ताई मज्झ यिए पक्खित्ताई ति । मणे हैं । सव्वहा कत्थ अहं कत्थ वा सा तेलोक्क-सुंदरी । अवि य । आइ8 जइ मुणिणा पूरिज्जइ णाम पायओ गूढो। तेलोक्क सुंदरीए तीए उण संगम कत्तो ॥ 12 अच्छउ ता तीऍ समं पेम्माबंधो स्यं च सुरयम्मि । हेलाए जो वि दिट्ठो ण होइ सो माणुसो मण्णे ॥' ६२५५) इमं चिंतयंतो मयण-सर-गोयरं संपत्तो । तओ किं चिंति पयत्तो । अवि य । अहो तीए रूवं । चलणंगुलि-णिम्मल-णह-मऊह-पसरंत-पडिहयप्पसरं । पंचमियंदं कह णेमि णवर-णक्खेहि उवमाण ॥ जह वि सिणिद्धं मउय कोमल-विमलं च होइ वर-पउमं । लज्जति तीऍ पाया उवमिजंता तह वि तेण ॥ सामच्छायं मउयं रंभा-थंभोवमं पि ऊरु-जुयं । ण य भणिमो तेण सम बीहेतो अलिय-दोसस्स ॥ सुरयामय-रस-भरियं महियं विबुहेहि रमण-परियरियं । सग्गस्स समुहस्स व तीय कलत्तं अणुहरेज ॥ चिंतेमि मुहि-गेज्झो मज्झो को णाम सद्दहे एयं । देवा वि काम-रुइणो तं मण्णे कत्थ पावति ।। मरगय-कलस-जुयं पिव थण-जुयलं तीऍ जइ भोजासु । असरिस-समसीसी-मच्छरेण मह णाम कुप्पेजा ॥ कोमल-मुणाल-ललियं बाहा-जुयलं ति णत्थि संदेहो । तं पुण जल-संसारिंग सिययं विहडए तेण ॥ 1 कंतीऍ सोम्म-दसित्तणेण लोओचरोह-वयणेहिं । चंद-समं तीऍ मुहं भगेज णो जुज्जए मज्झ ॥ किं धवलं कंदो सप्र्फ रत्तं च णीलयं कमलं । कंदोदृ-कुमुय-कमलाण जेण विट्ठी अणुहरेज ॥ घण-णिद्ध-मउय-कुंचिय-सुसुरहि-वर-धूव-वासियंगाण । कजल-तमाल-भमरावलीउ दूरेण केसाण ॥ 24 इय जं जं चिय अंग उवमिज्जइ कह वि मंद-बुद्वीए । तं तं ण घडइ लोए सुंदरयर-णिम्मियं तिस्सा ॥ ६२५६) एवं च चिंतयतो दुइयं मयणावस्थं संपत्तो कुमारो, तत्थ संगमोवायं चिंतिउं समाढत्तो। केण उण उवाएण तीए दंसणं होज । अहवा किमेत्थ वियारेण ।। 7 रइऊण इत्थि-वेसं कीय वि सहिओ सहि त्ति काऊण । अंतेउरम्मि गंतुं तं चंदमुहिं पलोएमि ॥ अहवा णहि णहि। सुपुरिस-सहाव-विमुहं राय-विरुद्ध च जिंदिय लोए । महिला-वेस को णाम कुणइ जा अस्थि भुय-डंडो॥ 30 किं पुण करियव्वं । हूं, माया-वंचिय-बुद्धी भिण्ण-सही-वयण-दिण्ण-संकेयं । तुरयारूढ़ हरिऊण णवर राईए वञ्चामि ॥ अहवा ण एरिसं मह जुत्तं । 3 सच्चय कहिं वच्चइ कत्थ व तुरएहिं हीरए बाला । चोरो त्ति जिंदणिजो काले अह लंछणं होई ॥ ता किं पुण कायव्वं । हूं, 1) J सज्झाण and P सज्जर हियए for सजग, P गुमुमुत. 2) P-नमोकारो. 3) P पन्भुद्वियार. 4)JP गणए (perhaps गणाएँ) for गणपण (emended), Pढवियं for ठवियं, 'माणलग्गं, तूरओ कुमार. 6) Pinter. इस दीई, पेसेसु for पेसेम्ह, P-पउत्तमेत्तेग अत्थेविगं, Poin. ति भाऊग. 7) Pविय for य, Pom. महंताओ भहाणई ओ. 8) P -गुहलंदिवागलवत्थियाई, J वंद्र इव P वंदा इव. 9)P पणटुं।, P पडिहार-, P जाणि for जाइ-. 10) कत्याहं. 11)" मुणिणो पूरिजउ. 12) आ तीय for ता ती', J पेम्माबद्धो P पेम्माबंधा. 13) मरण for मयण, P पत्तो for संपत्तो, P om. तओ किं चितिउं पयत्तो. 14) मयूह, उ परिहया 15) J तीय. 16) " ऊरुजयं, । इमं for समं, । बीहंतो. 17) J समुद्दप, J अणुहरेजा P अवहरेज. 19) J तीय, P कुष्पज्जो. 20) P पुण खलजगसंसग्गिदृसियं, J दूसि. 21) कंतीय, P सोम, I तीय मुहं मणेज्ज. 22) P किंदोर्ट, P om. सत्थं रत, Pकुमुया, J अणुहरेज्जा. 23) कुंचियपुर हि-. 24) से for अंगं, J सुंदरयरअम्मि तिस्साए 1.25) Pचिंतयते, Jadds u after तत्थ, Pउण वारण. 26) तीय, होज्जा, किमित्थ. 29) Pom. णाम, P adds नवर before जा, जो for जा. 31)' राईन for राईए. 32) P अदवा न जुत्त मह एरिसं ।, Pom. मह जुत्तं. 33) कहं for कहि, P कुले य for काले य. Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३५८ ] कुवलयमाला I अवहत्थिऊण लज्जं समुहं चिय विष्णवेमि रायाणं । उपिज्जउ अजं चिय कुवलयमाला पसाएणं ॥ तं पि णो जुज्जइ । कह । 3 अवय-मयण-महासर-पहार-विहलंगो ठादामि गुरुण पुरो पिवाए णामं च घेच्छामि ॥ ता को उप सुंदरी उवाओ। अविव । विवासि विसमो विडियासेस-पक-पाइको दारिय-कर-कुंभयडो गेहामि बला जयसिरिंव ॥ 6 ई २५७) एवं च चिंतयंतस्स समागमो महिंद कुमारो । तेण व लक्खओ से हिवय-गज विषयो । भणियं च सहासं गेण कुमार कुमार, किं गुण इमं सिंगार-वीर- बीम-कम-गाणा-रस-समाई जाइयं पिय अध्याय बीयति । तओ ससज्झस सेय -हास-मीसं भणियं कुमारेण 'णिसण्णसु आसणे, पेसिओ तायस्स लेहो' । महिंद्रेण भणियं 'पेसिओ' I • कुमारेण भणिये सुंदर कवं अयि मेसाई जोबणाई अोझा पुरवरी महिंद्रेण भणिये 'कुमार, किं इमिणा अपत्य पसंगेण अंतरेसि जे मए पुच्छिये तो सदास-मंथरच्छोहं भविषं कुमारेण किं वा अणं रथ परशु पुछे। महिंद्रेण भणियं 'शु मए तु पुछिन जहा किं पुण इसे अप्रायं तपु णवेश व गर्विय समासे । तभ कुमारेण 12 सविलक्ख हसिऊण भणियं 'किं तुहं पि अकहणीयं अस्थि । जं पुण मए ण साहियं तं तुह विष्णाणं परिक्खमाणेण । किं । 12 जह मह हिसाब गये क्सेसि तुमं किं वाण व ति महिंद्रेण भणिये किं कुमार, महाराय सिरिदड नम्म परियणे अस्थि कोइ जो जणस्स हियय-गये जयागइति । कुमारेण भणि 'अ परिहासेण सम्वहा पूर्व मए चिंतिये जहा भागया 1 एत्य अछे दूरं संतरं किर कुलमाला परिणयन् ति । गहिओ जब कुंजरो परिओ पाओ, दिट्ठा कुवलयमाला, किर संपये 10 णिन्वया जाय त्ति जाय इमाए पडिहारीए साहियं जहा अज्ज वि कुवलयमालाए गह लग्ग जोओ ण सुंदरो, तेण 'कुमार, णत जूरिय वीसाचो होहि एवं फिर राहणा संदि ति ते मए चिंतियं जहा 'एस एरिसो छो जेण गद्द लग 18 दियहो वा ण परिसुज्झइ ति । सव्वहा कुवलयमाला-थण-थली- परिमलण-पक्कलं ण होइ अम्ह वच्छयलं । अवि य । 1 6 अइबहुये अम्ह फलं लहुयं मण्णामि कामदेवं पि । जं तीऍ पेसिया मे धवल-विलोला तहा दिट्ठी ॥ ताण सामं वरेउ' त्ति इमं मए चिंतियं । 21 १५९ $ २५८ ) महिंद्रेण भणियं 'अहो, जं तं सुबह लोए पयडं आहाणयं णरवरिंद । पंडिय-पढिओ वि णरो मुज्झइ सव्वो सकजेसु ॥ जेण पुब्व जम्म सिह-पास बडा मुणवर गाणोवएस पाविया जय कुंजर - लंघण घडत- मुणि-वयणा लंबिय पादय-पूरण-संपुण्ण24 पइण्णा सयल रिंद चंद-पच्चक्ख-दिण्ण-वरमाला गुरुयण- लज्जाव णय-वयण-कमल-वण-माल-ललिय-धवल-विलोल - पसरंत- 21 दिट्टि -माला वि कुवलयमाला वियष्पंतरं पाविय त्ति । अहो मूढो सि, इंगियाई पि ण गेण्हसि । किं पुण एंतो ण पुलइओ सि किं पुलतीए लजिये तीए किं ण पनि सभाओ। किं जयकुंजर-संवादो 1 पुलो सं 127 जद्दिष्छे । किं किं पि गुरु-पुरओ चिज भने अन्यत्तखरं किं ओर्ययि वयमा ण जाया। किं पिठणा 'बच्छे, 27 वचसु ति भणिए ण अवसाद किं दूरेण तु दिष्णो अच्छोदो। किं ण मंडलियाई भासणे णवणाई किं ण अण्ण-बवएसेहिं हसियं तीए । किं कण्ण-कंड्यच्छलेण ण वूढो रोमंचो । किंण पीडिए नियय थण मुहे । किं ण गहियं अरं दियवरेहिं किं ण केस संजमण-मिषेण देखिये धर्मतरं किंण संजयिं भवि हसियमुत्तरिजये। किंतु 30 दहुं पुलइयं अत्ताणयं । किं अहं ण पुलइओ गुरुप्रणो विव सलजं । किं अलिय खेय-किलंत - जंभा-वस- वलिउ बेल्लमाण- बाहालयाए ण णिक्खित्तो अप्पा सहीए उच्छंगे त्ति, जेण भणसि जहा णाहं रुइओ कुवलयमालाए'ति । इमं च सोऊण भणियं J 18) " 1 ) " समुहे, " पसाएसणं. 2 ) अ for क (3) P दाहामि, P पुरओ for पुरो, P घेतून for बेच्छामि. 5 > P निव्वडियायेस, जयसिरिव्व, P व for व. 6 ) P हिओययगओ. 7 ) P inter. णेग (नेयण ) & सहासं, Pom. one कुमार, P बीभत्सकारुण, सणाहणाडयं. 8 ) समुज्झत्रहास P सज्झसणीसम्मयुनिसम्मसु P तायतरस, P भणिउं. 9 ) P अइ for इओ, अयोज्झा अउज्झा, अप्पत्थुअ- 10 ) P पुच्छिओ, संथर छिछोहं, अण्णं कत्थ एत्थ अपुव्वं. 11 चिउं 12 ) 1 अक्रहणीयमस्थि, Pom. किं. 13 ) P लक्खसि, P व 14 Pन for जणस्स, P जणस्स जाणइ for णयाण. 15) पाओ. 16 Jजायन्ति P विवाह for गह 17 ) P inter चितियं & गए. Pom. या before ण, Jom. त्ति, P घणस्थली for थणथली, Pom. पक्कलं. 19 ) P अपफलं, तीय. 20 ) ममं for मं, P वरउ, J adds ति after चितियं. 22 ) J एवं तं जं सुव्वइ पयडं आहाणयं जणे सयले । for the first line जं तं etc. P पंडिये, P व for वि, P inter. सन्वो मुज्झ (ज्झा) इ. 23 adds संबद्ध before सिणेह, P सिगद, ए पाययपूरण. 24 > Pom. दिण्ग, Pom. विलोल. 25 P इंगिपि, P किं पुलयंतो न. 26) Jow. ण लज्जियं तीए, उ पडिओ for पयडिओ P "कुंजरलंघण व om. तं. 27 ) P गुरू", J अब्यंतरक्खरं, P किं उअच्छिय-. 28) P adds fa after afgestel. 29) P किं अन्नावएसेहिं न हसियं, तीय, १ किं वा कन्नकंदय, कुट्टो for बूढो, J पंडिए for पीडिए, P निययमे-. 30 P दसणेहिं for दियवरेहिं, " संजममिसेग. 31 ) दट्टण न पुलक्ष्यमत्ताणयं, P जंतावस- 32> Pom. ], P सही for सहीए, Pom. जहा before णाहं, P एवं for इमं. 3 18 21 Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० उज्जोयणसूरिविरइया [$२५८ कुमारेण 'अहो, गुरु-पुरको पदम-विज़रेहा इव दिगड़ा एक एलिए भावे पसिएका वा त लखिए ति । तेण भणियं 'कुमार, अहो पंडिय-मुक्खो तुमं, जेण 3 हसियं पण हसि पि दिई पि ण दिहमेव जुबईण दियय-दयम्मि विद्वे को अवो रसो होइ ॥ कुमारेण भणिये 'एयं तु पुण जाणसि, मए उण ण किंचि एत्थ सखियंति महिंद्रेण भवियं 'तुम किं जणसि मय-लयसावली-कलावाडडित जय-कुंजर लंघण वाड-मणो पुती वम्मि समय तु दंसण - . 1 6 पहरिसुल्लसंत- रोमंच-पसाहल पसाहियायार-भावण्णेसण-तग्गओ, तेण जाणिमो' त्ति । जं च तए आसंकियं महाराय - विजयसेणो 6 बहु-दियह-ल-गण-च्छण दाहि वालिये ति से पि जो को पुण अण्णो तुड़ सरिखो कुल विरु-जोन्वणविष्णाण णाण सत्त-कला-कलावेहिं जस्स तं दाहिइ ता मिच्छा - वियप्पो तुह इमो'त्ति भगमाणस्स समागया एक्का दारिया । ७] लीए चलण-पणाम- पशुड़ियाए विष्णवं 'कुमार, भट्टिदारियाए सत्य-गंधिया इमा सिरिमाला पेसिया एसी व पारि- 9 या मंजरी -सिरीस कय- कारिम---मुद्रागा माला-दलबोल-चालनमाण-कारिम-सरो कण्णऊरओ पेसिओ' चि भणमाणी पणामित्र कुमारस्ख कुमारेणावि सुह-संदोह मोयदि-मंथणुमाओ विच सागरं गहिजो तिल I हिं 15 12 $ २५९ ) भणियं च महिंद्रेण 'कुमार, सुंदरं कण्णपूरथं, किंतु मणये इमस्स इमं णालं थूलं' । कुमारेण वि 12 भणियं 'एवमिमं किं पुणे कारण दे जिमि दिई भइतय-भुजवर्त्ततरियं पचच्छेन रायलिये उच्चेलिया य कुमारेण दिट्ठा असरिसा विय रायहंसिव ति । कुमारेण भणियं 'वर्षस, जाण ताप फेरिसाइमा हंसिय' त्ति महिंदेण 15 भवियं 'किमेत्य जानियध्वं भुज-विनिमिया' तो सहासं कुमारेण भणिये 'जणु अहं भावं पुच्छामि' महिंद्रेण भवियं 1 'केरिसो इमाए अचेतणाए भावो' । कुमारेण भणियं 'अलं परिहासेण । णणु किं एसा भीया, किं वा उच्विग्गा, किं वा दीणा, किंवा पमुद्द्या, भाड पिय विरह-विदुरा दोड साहीण-ष-सुरवासाय हाल ति महिंद्रेण भगिये 'ण इमान 18 एक्का वि, किंतु अहिणवदिट्टणट्ट दइया - सुह-संगम-लालसा एसा' । कुमारेण भणिय 'भण, कहं जाणीयइ' । महिंदेण 18 भणियं 'किं वा एत्थ जाणियव्वं । अवि य । वक्खण-विडू-पियम पसरिय-गुरु-विरद्ध दुक्ख-सिढिलंगी उपसोल-लोयणा दीस जेग ॥ 21 कुमारेण भणिय एवं गिंम णिउगे च गिरूविडं पयत्तो । पुलयंतेण य भणियं 'वयंस, दुवे इमीए पुडा' । विहाडिया य 21 जाव पेच्छइ अवरलिवी- लिहियाई सुहुमाई अक्खराई । भणियं च तेण 'अहो, अक्खराणि व दीसंति' । वाइउं पयत्ता । किं पुण लिहियं तत्थ । अवि य । अहिणव-दि-दइय-सुह-संगम-फरिस रसं महंतिया । दूसह विरह- दुक्ख संताविया कलुणं वंतिया ॥ तर लिय-य-ह-जल-पूर-जलजलयं नियंतिया दया- हंसएण मेलिन इह वर-रासिया ॥ तल कुमारेण भणिर्य 'अहो मिठण कलामाल, जेण पेच्छ कारिम-कणपूर, तस्य गुणाले रापहंसिया, 27 सा विणिय-भाव भाविया, तीय वि मनो हंसिया-भाव-विभावणं इमं दु-संल ति सव्वा ते तदा जहा तुमं भणसि' | 27 महिंद्रेण भणियं 'तुमं पुण असंबद्धं पलवसि, जेण हमें पि एरिसे रामसिं अण्णा संभावेसि' ति ताव य मा हीरह रायरसा धण धणिया-विव पुत्त-भंडेहिं । धम्मेण विणा सव्वं पुक्करियं जाम-संखेण ॥ 24 30 इमं च सोऊण सहसुब्भंत -विलोल चलंत - पम्हल-णयणो भणिउं पयतो । 'अहो अत्थंगओ दिणयरो, पूरिओ चउ-दिहय- 30 जाम संखो ता संपयं करणीयं किंचि करेमो ता बच्च तुमं साहस वलयमालाए 'सम्यं सुंदर अहो भिडणा तुमं'ति । तओ 'जहाणवेसि' त्ति भणिऊण पडिगया सा दारिया । " 1) बिज्जु पित्र, दिट्ठट्ठा एकतो, Pom. तप 2 ) गुद्धो for मुवखो, J om. जेण 3 ) Pom. पुग, इचि, Pom. एत्थ, P inter किं & तुमं, P मजलोअरंतगंडयल्लेइटसलापली किलप पसोहिआयार भावणेसण, P जो णिमो त्ति, Padds त after तर, Padds तं before महाराय. 7 ) P को उग, P विविश्व 8 ) J जस्स तं दाहिति । " दारियो. 9 ) तीय, पच्चुट्ठिताए पन्भुट्टियाए " भट्टदारियाए, P गुच्छा for गंथिया, Pom. तु. 10 ) P कन्नेऊरउ पेसिउ. 11 भणमणीय, P कुमारेण वि, om. त्ति. 12 ) Pom. च after भणिय, कन्नेऊरयं, J om. किंतु मणयं, इमण्णालं, Pom. वि 13 > J om. एवमिगं, अतितणुय, चुज्जवुत्तं". 14 ) Pom. जाण, Jom. इमा, P हंसिया ।. 15) P भिट for भुज, Pom. महिंद्रेण भणियं 'केरिसो ete. to कहं जाणीयइ. 18 जाणीवति 20 पट्ट for बिहू Pom. पसरियगुरु etc. to पुलयंतेश. 21 ) एवण्णिमं, P एतेन for य before भणियं, पुडे विहडिया 22 > P अक्बराई च. 23 > Pom. अपि य. 24 Jरसम्मति Pomm विरह, P संताविय, करुणं रुअंतिआ. 25 ) P वाहजलपूरजलपूर जलजलयं, नियंतिआ, देया for दइया, मेणिज्जउ. 26) J णिउत्तणं, उ जोग for जेग, कण्णऊओ, विआले P मुणाल for सुणाले. 27 > विणीय, I adds विभाव before विभावणं, दुइअखण्डलयं । दुयखंडयं. 28 पर for पुग, P adds or after पुण, अण्णा. 29) P मोहीरह-रायहसा, P सव्वं थुक्करियं. 30 P सहमुच्यत्त, महल, P - नयणा, पत्ता, अ for अहो, transposes जाम after चउ. 31 ) P सहाय for साहस, णिउणो. 32 ) P परिगया, P चेडिया for दारिया. 24 दिट्ठमे जुबई 4 ) 5 ) तीय 6) J दाहिति जालिअं ति, Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3 जयं ससुरासुर- किंगर-नर-नारी संघ-संधुया भगवं । जय सयल- चिमल- केवल-अलि जल-णाण-वर दीव ॥ मय-माण-लोह-मोहा एए चोरा मुसंति तु पर्ण वा कुणसु किंपि तं चि सुरखियं जह इमं होइ ॥ तए ति भणिऊण को मण-वियधिया भगवंताणं पणामो ति । तभी सुदासकथा संबुत्ता भणियं च महिंद्रेण 'कुमार, कीस त कुवलयमाला किंपि संदि पेम्म- राव संपणं ववणं' । कुमारेण भणियं पण तुमं जागसि परमत्यं । 6 पेच्छामो इमिणा संदेस-विरहेण किं सा करेद्र, किं ताव संगमसुया आयल पडिवज, किंवा विष्णा ति करिय अम्हाणं पेसिए कृण्णऊरए ण कर्म भी संदेखेणं' ति महिंद्रेण भणियं एवं दोउ, किंतु होहि कुवलयदो बंदो सकलेको' । कुमारेण भणियं ण कण महिंद्रेण भणिये 'थवा कलंक' ति तेण भगियं 'क भणलि महिंद्रेण भणियं 'किमेत्थ भणियव्यं ति । ण दिण्णो तर पडिसंदेसो । तओ सा तुह संदेसायण्णणुक्कंठिया दूइ-मग्गपोषण-परा चि पुच्छियाए दूईए ण य किंचि संदि ति सुए गिम्द-समय-मज्झण्ड- दिणवर-कर-नियर-सुसमाण2 विरय-जंबालोवर-कयालय-सहरुलियध्व तु विरह संताय सोसिती उष्यत परिययं करेऊन मरिही बराई कुवलयमाला | 12 पुणो पभायाए रयणीए जन्थ दीससि भमंतो तत्थ लोएण भणियब्यो, अहो एसो बाल-वहओ भूण-बहुओ इत्थि - वहओ त्ति, तेण भणामि कलेकिनसि' चि कुमारेण भणियं 'अहो, तुमं सव्वदा पद्दसण-सीलो, ण तुह पमाणं वयणं' ति । 15 18 21 - २६१ | कुवलयमाला १६१ $ २६० ) कुमारावि कय- पहाण-कम्मा उवगया अब्भंतरं । तत्थ वि कुमारेण जविया जिण- णमोक्कार- चउब्वीसिया, 1 झाणेण व झाइजो समवसरणाधो भयवं जब जीव-बंधवो उसभणाहो । पडियं च । 0 ९ २६१ ) एवं विहसमाणा के पि कालं अच्छिऊण णुवण्णा पलंकेसु, पसुत्ता सुइरं । ताव य पढियं पाहाउय- 15 पाढएण । अवि य । निम्मल- पुरं रुरण्यमेण रहिराणुरंजियंगेण । अरि तिमिरं नासिज खग्गेण व तुज्झ सूरेण ॥ लोयालोय-पयासेण विमल दीसंत देव परिएण श्रोयग्गिज भुषणं तुझ जसैव अरुमे ॥ सूरो अग्गण-मइलेण गलिय-देह पहा णिहाएण । अरि-विहेण व तुज्झं वियलिज्जइ उडु-णिहापुण ॥ वण-राइ- परिगएणं दूरुण्णय- दुक्ख लंघणिजेणं । पयडिजइ अप्पाणो वीरेण व सेल- णिवणं ॥ मंगल- भणिगुण इसे पिया-दूर पसरेण आसा विदेश तुमं विजि संपर्क वीर ॥ इय तुझचरिय-सरिसं सव्वं चिय बाद आगयं पेच्छ गुह-दंसणं च दिन गरणाह गरिंद-वंदन ॥ इमं च निसामिण 'णमो तेलोक्क-बंधूणं'ति भणमाणो जंभा-वस- बलिउ० चेल्लमाण - बाहा पक्खेवो समुट्ठिओ पलकाओ कुमारो 1) अहंता for अनंतर, जिणे for जिंग, P चडवीसिया 2 ) P उसदनाहो 3 ) P दीवा ॥. 4 ) P मयण for लोह, एते चोरा, कुमनु तं पि किं तं चियं. 6 ) इंचि for किंचि. 7) P करेत्ति for करे, संगमूसुआ पलयं, P संगमूसिया. 8 ) Pकनारूरण, तीय, होहिति । होहित्ति. 9 ) Pom. इत्थिवज्झा to महिंद्रेण भणियं, J इत्थिवज्जा 10) संदेसायणुकंठिया दूई. 11) निति दूई निमुए for गुए, " -दियर, PODI करणियर, सुसमाण- 12 ) जंबालोयरि, P सफरियलय व परतयं, adds वि before वराई, P वराती 13 ) I पभाया रयणीय, भणितब्वो, एस for एसो. 15) P निवण्णा लंकेसु, P सुरं for सुइरं. 17 ) P रुहिराणरंजियंगेण, Pom, Jय जुज्झ. 18 ) P अरुणाणं- 19 ) P सूरोअग्गेण, महिलेग, उउउ for उडु. 20) auf, e अप्पा. 21) तुई for तुमं. 23 ) Pom. च, P वलीयुब्वेलमाण, लयुक्खेको for पक्खेवो, P मुट्ठिओ for समुट्ठिओ. 24 ) " जुवती. 25 ) Pपलंपंत, Jजुअला, P हरि for हार गया P गती for गई. 26) P अवसप्पिऊण, घाती. 27 ) P द्वितयं द्विजयं जीअव्वं ति । 1 repeats व P ततो, Pom. one आसणं. 28 ) P तीए for त्तिणंतीय, अहिणं दिऊण, मणिअं तीय कुमारः 29 ) सहा भित्तो. 30 ) 31 ) अस्थत्थ for सत्थत्थ, अम्हारिसीओ जुवईसहावचंचल, " सहियय, P वासत्यं for वीसत्थं, " समाहरंति खमेज्जसु जं मणि दातव्वा. 32 ) 21 3 14 महिंदो वि । तात्रय समागया अप्प दुइया एक्का मज्झिम-वया जुबई । सा य केरिसा । अवि य । अणुसीमंत पठिया ईसि पयंत पीण-वण-जुला सिव-हार-लवा-सणा हलिय-गई रायसि ॥ तओ तीय व दारियाए पुरजो उवसप्पिकण भणिषे 'कुमार, एसा कुवलयमालाए जणणी भाई पिवसही किंकरी सरीरं 7 हिययं जीवियं व' त्ति । तभ कुमारेण ससंभ्रमं 'आसणं आसणं' ति भणमाणेण अब्भुट्टिया, भणियं च 'अजे, पणमामि' | 7 तीय व उत्तिमंगे कि 'चिरंजीवतु वच्छ' त्ति भगतीए अभिदियो कुमारो । णिसण्णा व आसणम्मि भणिये च 'कुमार अम्हाने तु देवो सामी जण सहा मितं बंधवो भाषा पुत्त भई अचागये हियर्थ वा सच्वदा बच्छाए कुवलयमालाए तुहं च को विसेसो त्ति, तेण जं भणामि तस्स तुमए अणुण्णा दायव्वा । अण्णा कत्थ तुम्हाणं पुरओ 30 अय-सत्य-विवर-परमथ-पंडिया अम्हारिसानो जुबइ चंचल-हियय-सहावाओ बीस पि समारति वा सम्बहा खमसु जे भणिस्सं । J 9 18 21 24 Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [ २६२ 1 1 $ २६२ ) अस्थि इमा चेव पुरवरी तुमए वि दिट्ठ-विहवा विजया णाम, इमाए चेय पुरवरीए विजयसेणो णाम राया । 1 इमा पेय तस्स भारिया वेग अपहसिय-पुरंदर-परिणी-सत्धा भानुमई नाम सा व महादेवी, ण व ती कहिं पि किंचि 3 पुत्त-भंडं उयरीहोइ । तओ सा कत्थ देवा, कत्थ दाणवा, कत्थ देवीओ, कत्थ मंताई, कत्थ वा मंडलाई, सव्वहा बज्यंति रक्खाओ, कीरंति बलीउ, लिहिजति मंडलाइ, पिज्जंति मूलियाओ, मेलिजंति तंताई, आरा हिज्जति देवीओ । एवं च कीरमाणेसु बहुए संत-तोवाइय-सए कई-कई पि उयरीभूयं किंपि सूर्य तनो तप्यभूई च पडिवालिये बहुमूर्हि मनोरह-सय● एहिं जान दिई सुमि किरपेच्छ विपसमा गाभिव-कंद्रोह-मयरंदबिंदु-णीसंद-मंद भमर-रिछोडिरेहिरा कुवलय माला उच्छंगे। तभा देवी भाणुयई तो जिवेइए राइणा भगवं देवि, लोक-सुंदरी या भविस्सद् ति । तओ 'जं होउ तं होउ' त्ति पडिवण्णे वचंतेसु दियहेसु पडिपुण्णे गब्भ-समए जाया मरगय-मणि- बाउलिया इव ? सामलच्छाया बाडिया तो तीए पुच जम्माओ विजहिये कमाई बाई एवं च बारह-दिलिए नाम से निरूवियं गुरु-जणेणं, कुवलयमाला सुमिणे दिट्ठा तेण से कुवलयमाल सि णामं पइट्टियं । सा य मए सव्व कज्जेसु परिवङ्किया । तओ धोएसुं चेय दियहेसु जोव्वणं पत्ता । तभ इच्छंता पिपिऊणं वरं वरेंताणं पि य इच्छइ, 12 पुरिसदेखिणी जाया । तभो मधु बहुष्पपारेहिं पुरिस-रूपवानपोल पहिं उनलोनिया जाव 12 थोथोपण से मर्ग पुरिसे उप्पन सि तत्र विसो वा माथा मंत्रियों व कई पुण एसो त होहिद सि। एरिसे अवसरे साहिये पडिहारेण 'देव, एरिसो को वि विजाहर-समगो दिव्य-गाणी उज्जाणे समागओ सो 15 भगर्व सर्व धमाधम्मं कलाकर्म वचावचं पेवापे सुंदरासुंदरं सा सा चि तीवा गागत-भूत-मध्य-भविस्य विवाणो 15 सो एरिसो महाणुभावो तभ पेच्छियन्त्रो अम्हेहिं । पयह, तो कुमालावतत्य, व सम अहं पि पयतो वारपाकरिगिं समारुदेकम संपता व मुजाणं 118 1 1 21 य सुन्वद्द, सोउं देवो पमाणं'ति । तओ राइणा भणियं 'जइ बचामी या ति भगमागो समुट्टियो जाणाओ 18 वचामि राजा भणियं पुत्त, वचसु ति भणमागो गंतुं दिट्टो यसो मुनिवरो, राणा कओ से पणामो, भासी सिओ य तेग, सिनो पुरनो से राया । 1 1 I $ २६३ ) तो सो भगवं साहि पयत्तो भणियं च णेण । लोम्मिणि होया इह-लोभो चेय होइ पर होनो परलोगो हु परोक्यो - कोनो होइ पचस्वो ॥ जो खाइ जाइ भुज व परिसक अहिच्छाए सो होइ इमो कोनो परलोगो होइ गरिऊण ॥ लोगम्मि हाँति अण्णे तिष्णि पन्था सुहासुहा मा हेलोयादेय वेखणीय-मामेहिं णाया ॥ ता इह - लोए हेया विस-कंटय सत्य सप्पमादीया । एयाइँ होंति लोए दुक्ख गिमित्तं मगुस्सा || कुमुमाएँ दर्ण अंगण व दावि होंति आदे। जेण इमे सुद-टेक पचसं चैव पुरिसानं ॥ अरं उपेक्खणीयं तपव्यय कुहिणि सकारादी ता जह एवं लिहिं इह लोए होइ पंडिय-जणस्स पाणिहालय व अदिण्ण-दागे च मेहुणं चेय 24 27 30 १६२ 33 ते सुहं ण व दुखं ण य चपणं तस्य ग्रहणं वा ॥ तह जाणसु पर लोए तिविद्धं चिय होइ सच्धं पि ॥ कोहो मानो माया लोहेच हवंति बाई या दुक्ख मूले इमाइँ जीवस्स सत्तु भूयाई । तम्हा कण्हाहिं पिव इमाइँ दूरं परिहरासु ॥ गेहसु सच्चमहिंसा -तत्र संजम बंभ- णाण-सम्प्रतं । अज्जव-मद्दव भावो खेती धम्मो य आदेया ॥ याइँ सुहं लोए सुहस्स मूलाइँ होंति एयाई । तम्हा गेण्हह सव्वायरेण अमयं व एयाई ॥ सुह- दुक्ल-जर-भगंदर सिरवेयण वाहि खास सोसाई कम्मवसोवसमाई तम्हा विक्खा एपाई ॥ तो एवं जाऊ आदेये कुण आदरं तु परिहर दूरे उक्खणीयं उक्सेहि ॥' हे 21 24 27 30 1 ) 3 चेअ, Padds पुर before पुरवरी, चेव. 2 ) P भज्जा for भारिया, भाणुमती, की for तीए, Pom. पि, चि for किंचि. 3 ) P उयारी होंति, P मंतीद, P मंगलाई for गंडलाई in both places. 4 > कलंति adds मूला before मूलिया 53 उमरी उदरीभूयं तपभूवं मनोस विनीसंद 6 ) ताब for जाव, मयरिंद7) P भाणुमती, ए धूया हविरसर. P 8 ) P ज दोउ for जं होउ तं होऊ, om. त्ति, Padds गन्भसमये before वचंतेनु, P om. पडिपुणे गब्भसमए, J पाउलिया P पुतलिया for बाउलिया. 9) तीय for तीए, Padds after कमाई, P व्वित्ति बारसमे दिवसे णानं. 10 J गुरुअणेणं, P कुवलयमाला णानं. P च for पि before पिऊगं, Pom. पि, P इच्छत्ति पुरेसहोसिणी. 11 ) PJ चेज चिय, जोवणं संपत्ता, 12 ) Padds रस before रूप, विलास विन्नणेहिं उवलोहिया जान थोवं पि. 13 )P मंतिणा for मंतियणो, P होहिति 14 > अवसर तीतीणागत, " मचियस्स. 15) P सोहति for साइ, " 16) r adds त्ति after सुब्बई, पेच्छ्रितन्वो 17 Pom., भाला विय वित्तं समं for समर्थ. 18 P बच्चाम्मो भणनाणा गंतुं पयत्ता १ तारअं for वारुया, 3 तं उज्जाणं. Pinter. से & पुरओ 20 सोहिउं for साहिउं. 21) P inter होइ & चेय, J परलोओ उपरोक्खो 22 ) खाति 19 Pon. सो, om. य भुंजति पचति, परलोओ. 23 ) लोअम्मि, P होति, हेओआदेय उन्वेक्ख" P हेऊ आदेय वेवखणे अगालोमेहि 24 > P कंटइ, P सप्पमाईय, P बुक्का for दुक्ख: 25 Jदन्वादि होर, P आएज्जं, J सुहहेउं P साहेऊ. 26 ) वच्चंय for पञ्चय, P धरणं for चयणं. 27 P होति सवं 28 ) एआई ताई. 29 ) सत्यभूताएं, दूरेण परिहारा for आदेया- 31 ) J एताई in all places, J सहस्स for गुहस्स. 32 ) Pom the verse सुहदुक्ल etc., सोसावी, 30 ) P एयाई एताई. 33 ) एते for एयं, उवक्खेहि, P उवेक्खाहि. 33 Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -९२६५] कुवलयमाला I २६४) एवं च भणिए भगवया तेण मुणिणा सम्वेहिं चेय णरणाहप्पमुहेहिं भणिय 'भगवं, एवं एये, ण एत्थ । संदेहो' ति । एत्थंतरम्मि परवाणा पुच्छियं 'भगवं, मम धूया इमा कुवलयमाला, एसा य पुरिसहेसिणी कुल-रूव-विहव। विण्णाण-सत्त-संपण्णे वि रायउत्ते वरिजते णेच्छह । ता कहं पुण एसा परिणेयव्वा, केण वा कम्मि वा कालंतरम्मि' ति ३ पुच्छिए णरवडणा, भणियं च भगवया मुणिवरेण । अस्थि कोसंबी णाम णयरी। तत्थ य तम्मि काले पुरंदरयदत्तो णाम राया, वासवो य मंती । तत्थ ताणं उजाणे समवसरिओ सीस-गण-परियारो धम्मगंदणो णाम आयरिओ । तस्स पुरओ सुणे6 ताणं ताणं धम्म कह कोह-माण-माया-लोह-मोहावराह-परद्ध-माणसा पंच जणा, तं जहा, चंडसोभो माणभडो मायाइचो लोह- 6 देवो मोहदत्तो त्ति । ते य पव्वज काऊण तव-संजम-सणाहा, पुणो कमेण कय-जिणधम्म-संबोहि-संकेया आराहिऊण मरिऊण कत्थ उववण्णा। अवि य । अस्थि सोहम्मं णाम कप्पं । तत्थ य पउमं णाम विमाणं । तत्थ वि पउम सणामा पंच विजणा उववण्णा 9 तहिं पिजिणिंद-वयण-पडिबुद्ध-सम्मत्त-लभभुदय-पावण-परा संकेयं काऊण एत्थ चेय भरहे मज्झिम-खंडे उप्पण्णा। एक्को वणिय। 9 उत्तो, अवरो रायउत्तो, अवरो सीहो ति । अवरा वि एसा कुवलयमाल त्ति । तत्थ ताणं मज्झाओ एक्केण एसा परिणेयव्वा । धम्मं च पावेयव्वं ति । भणियं च णरवाणा 'भगवं, कहं पुण सो इहं पायेहिइ, कहं वा एत्थ अम्हेहिं णायव्वो' त्ति । 12 भगवया भणियं 'सम्हारिय-पुव-जम्म-वुत्तो कायव्व-संकेय-दिण्ण-माणसो इमाए चेय पडिबोहण-हेउं इह वा पावीहइ 12 त्ति, तं च जाणसु । सो चेय इमं तुह उम्मत्तं तोडिय-चंधणं जयकुंजरं रायंगणे गेण्हिहिइ, पुणो कुवलयमाला-बियं पाययं भिंदिहिइ, सो चेय जाणसु इमं परिणेहिह, ण अण्णह' त्ति भणतो समुप्पइओ मुणी । तओ कुमार, उप्पइयम्मि 15 तम्मि मुणिवरे आगओ राया पुरवार। इमा कुवलयमाला तप्पभूई चेय किं-किं पि हियएण चिंतयंती अणुदिणं सूसिउं 15 पयत्ता । ता इमाए एस पुव-जम्म-सरण-पिसुगो एस पायओ लंबिओ । अवि य 'पंच वि पउमे विमाणम्मि' । इमो य ण केण वि भिंदिउं पारिओ ताव जाव एस जयकुंजर-संभम-कलयलो । तओ पुच्छिए राइणा भणियं 'पुत्ति कुवलयमाले, 18 पेच्छ तं अत्तणो वरं, [जो] एत्थ इमं जयकुंजरं गेण्हिहिह, सो त पादयं पूरेहिइ । इमं मुणिणा तेण आइट्ट' ति । ता 18 पेच्छामु णं को पुण इमं गेण्हई' त्ति भणमाणो णरवई समारूढो पासाद-सिहरं, कुवलयमाला य । अहं पि तीए चेय पास-परिवत्तिणी तम्मि समए । तओ कुमार, तए अप्फालण-खलण-चलणाहिं णिप्फुरीकए जयकुंजरे सीह-किसोरएण शव लंघिए पूरिओ सो पादओ । इओ य पूरिओ पायओ त्ति दिण्णा वरमाला । इमिणा ओघुट्टिए दढवम्म-पुत्तो त्ति तुह णामे । उन्बूढो पहरिसो राइणा । कुवलयमाला उण तुमए दिम्मि किं एस देवो, किं विजाहरो, अह सिद्धो, उओ कामदेवो, किंवा चक्कचट्टी, किं वा माणुसो ति । पुणो घेप्पंते य जयकुंजरे, रिसा जाया । अवि य । 24 वलइ वलंतेण सम खलइ खलंतम्मि गिवडइ पडते । उट्ठाइ उल्ललते वेवइ दंतेसु आरूढे ॥ ९ २६५) जइया पुण कुंजरारूढो संमुहं संठिओ तइया किं चिंतिउं पयत्ता । अवि य । आयंबिर-दीहर-पम्हलाई धवलार कुसुम-सरिसाइं । णयणा' इमस्स वणे णिवडेजंगेसु किं मज्झं ॥ विहुम-पवाल-सरिसं रुहरं लायण्ण-वत्ति-सच्छायं । अहरं इमस्स मण्णे पाविजइ अम्ह अहरेण ॥ पिहु-पीण-ललिय-सोहं सुर-करि-दंतग्ग-मूरण-समत्थं । वच्छयलं किं मण्णे पाविजइ मज्झ थणएहिं ॥ दीहे उण्णय-सिहरे दरिय-रिऊ-काल-दंड-सारिच्छे । एयस्स बाहु-डंडे पावेज व अम्ह अंगाई ॥ 30 मासल-पिटुलं रुहरं सुरय-रसासाय-कलस-सारिच्छ । एयस्स कडियलं णे पावेज व अम्ह सयणम्मि ॥ पूरेज एस पादं देज व अहयं इमस्स वरमालं । इच्छेज व एस जुवा होजम्ह मगोरहा एए॥ होज इमस्स पणइणी कुप्पेज व णाम अलिय-कोवेण । कुवियं च पसाएजा अहवा कत्तो इमं मज्झ ॥ 1) om. 'च, भगिया, ते मुणिणो, P नरनारिप्प", P एतं for एयं 2) P नरवइया, I om. इमा, P "देसिणी. 3) P संपत्त for संगणे, Pणेच्छत्ति ।, Pom. कहं, P adds कहिं after एसा. 4) Pतं for च, J सयले for काले, P पुरंदत्तो. 5) Pom. ताणं. 6)r transposes लोह after कोह, P मोहोवराह पाहद्ध, लोहभटो. 7) P मोहदत्ता, कया, जिणधंमं, "मरिऊण. 8) सोधम, Pom. य, P य for वि after तत्थ. 9) Padds धम्म before जिर्णिद, J सम्मतलब्भभूतयः Pलंभुदय,।' उववन्ना for उप्पण्णा, वणिपुत्तो. 10)Jom. अवरा वि एसा कुवलयमाल त्ति ।, P एगेण. 11) भगवं पुण को इदं पाहिति ।, यह पाविहित्ति । भगवया भणियं संभावियपुयजुम- 12) Pकायब्बो, P पटियोहणाहेउं इमं पाविहित्ति. 13) Pजो for सो, खुहिय for तोटिय, गेण्हिहिति । गेहिहित्ति, J पातयं. 14) भिदि हि ति मिंदादित्ति, चेव, J परिणेहि ति । परिणेहि ति, अपमाहि. 15) Pom तम्मि, P चेव, P सुसिउं. 16) Pइमा एस, J पातओ, Pom. वि पउमे. 17) केणइ भिदि भिदियो, J पारओ, पुन्छिओ, J पुटिए for पुत्ति, P कुवलयमालो पेच्छ. 18) P जयकुंजरो गेण्डर त्ति, J गेण्हिहिति, 'पाययं पूरेहित्ति, पूरेहिति, I om. तेण, P ता पुच्छामु. 19) Pणरवती, P पासायः, P वि for य. 203 पाद for पास, " om. तए, "णिप्फरिकए. 21) Pपुरओ सो पायओ, पातओ त्ति ।, JP ओघट्टिए दढधम्म-', 22)J adds तम्मि after दिवम्मि, J उतो, ।' तओ for उओ. 23) य कुंजरे, P य जकुंजरे, I om. जाया. 24) P खलति, I उद्धाइ, आरूढो. 25), ता . 26)P अयंचिर for आयंबिर, पंभला, न पुणो for वणे. 27) Pपलास for पवाल, Pलाइन्न.. 28)" पिडणल लिय.. 29) Jदीओ for दीहे, J-रिउ, P-सारिच्छो, P बाहुदंडे. 30) P गंसलं, करिअलण्णे, P कहिं अन्ने पायेजा अम्ह. 31)पाय for पादं, जुआ, P एस जवा हो जम्ह, P एते. 32)P कोवेण, P कत्ता. Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ उज्जोयणसूरिविरइया [$२६५1 इमं च चिंतयंतीए पूरिओ पायओ। तं च सोऊण हरिस-चस-समूससंत-रोमंच-कंचुय-रेहिरंगाए दिण्णा तुहं वरमाला, तों अवलंबिया तुह खंधराभोए । तं च दट्ठण कुमार, तए पेसिया धवल-विलोल-लोला चलमाणा पम्हला दिट्टी। तीय य दिट्ठीय पुलइया केरिसा जाया। अवि य, वियसिया इव कमलिणी, कुसुमिया इव कुंदलया, विहडिया इव मंजरी, मत्ता इव करिणिया, सित्ता इव वेल्लिया, पीयामय-रसा इव भुयंगिया, गय-घणा इव चंदलेहिया, सुरय-ऊसुया इव हंसिया, मिलिय इव चक्किय त्ति । सव्वहा 6 अमएण व सा सित्ता पक्खित्ता सुह-समुद्द-मज्झे व्व । अप्पाणं पुण मण्णइ सोहग्ग-मयं व णिम्मवियं ॥ एरिसे य अवसरे तुम राहणा भणिओ जहा 'समप्पिय कुंजरवरं आरुह इमं पासाय' ति । तओ तुह दसणासायणा सज्झससेउकंप-कुतूहलाऊरमाण-हिययाए समागओ तुमं । पिउणा य भणियं 'वच्छे, वञ्च अंतेउरं' ति ! तओ मंताहया इव भुयं9गिया अंकुसायड्दिया इव करिणिया उम्मूलिया इव वणलया उक्खुडिया इव मंजरी दीण-विमणा कह-कहं पि अलंघणीय-वयणो ताओ ति अलसायंती समुट्ठिया, गया आवासं सरीर-मेत्तेणं ण उण हियएणं । अवि य, दुल्लह-लंभं मोत्तूण पिययमं कत्थ वचसि अणजे । कुविएण व पम्मुक्का णियएण वि णाम हियाण ॥ 12 अवरोप्पर-लोयण-वाणिएहिँ कलियम्मि सुरय-भंडम्मि । हिययं रयण-सहग्धं संचकारं व से दिण्णं ॥ २६६) तओ एवं च कुमार, तम्मि संपत्ता णियय-मंदिरम्मि, तत्थ गुरु-सज्झस-णियंब-भरुव्वहण-खेय-णीसहा णिसण्णा पलं के संवाहिउँ पयत्ता। तओ समासत्था किं-किं पि चिंताभर-मंथरा इव लक्खिया मए । तओ भणिया 'पुत्ति 15 कुवलयमाले, किं पुण इमं हरिसट्ठाणे ठियप्पा चिंताए दिण्णो, किं तुह ण पूरिओ पायओ, किं वा ण पडिच्छिया वरमाला, आओ विहडियं मुणिवर-वयण, किं वा णाभिरुइओ हिययस्स, किं वा ण सत्तमंतो सो जुवाणो, किं वा ण पुलइया तेणं, किं वा तुह हियय-उब्वेयं ति । ता पुत्ति, फुडं साहिजउ जेण से उवाओ कीरद' ति संलत्ते भणियं तीए 'माए, ण इमाणं एक 18 पि । किं पुण __ वम्मह-पडिबिंब-समो सुर-जुवईणं पि पत्थणिज्जो सो। इच्छेज ममं दासिं ण व ति चिंता महं हियए ।' इमम्मि य भणिए, अम्हेहिं भणिय 'ओ माए, किं एवं अलियमलियं असंबद्धं उल्लवीयह । कीस तुम सो ण इच्छइ । 21 किं तेण ण लंधिो सो जयकुंजरो, किंवा ण पूरिओ पायओ, किं ण पेसिया तुह दिट्टी, किं ण पडिकिछया वरमाला, किंग ण जाओ से अंगम्मि पुलउग्गमो, किंण मण्णिओ तेण य गुरु त्ति महाराया, किं ण साहिओ मुणिणा । सव्वहा मा एवं वियप्पेसु, जेण तुमं दिहा अस्थि सो ण अण्णत्थ अभिरमइ त्ति । अवि य। 24 मा जूरसु पुत्ति चिरं दट्टण तुमं ण जाइ अण्णत्थ । तं चिय ठाणं एहिइ माणस-हंसो ब्व भमिऊगं ॥' तो एवं पि भणिए ण सद्दहयइ अइपियं ति काऊण । अवि य । जे होइ दुलहं वल्लहं च लोयस्स कह वि भुयणम्मि । तं कम्पिय-दोसुकेर-दुग्गमं केण सद्दहियं ॥ 27 तओ अम्हेहिं भणिया 'वच्छे कुवलयमाले, जइ तुम ण पत्तियसि ता कीरउ तस्स जुवाणस्स परिक्खा । तओ तीए भणियं 'अत्ता, किं च कीरउ तस्स' । मए भणियं 'पेसिजउ दुई सिरिमाल अण्णं वा किंचि घेत्तण तओ तस्स भावो जेण घेप्पइ' त्ति । तओ तीए कह-कहं पि लज्जा-भर-मंथराए सेउल-वेविर-करयलाए कप्पिया सा रायहसिया। पुणो तीय उरि लिहिय 30 कह-कहं पि दुवइ-खंडलयं । अवि य । 30 ___ अह तस्स इमो लेहो अणुराउच्छलिय-सेय-सलिलेणं । लिहिओ वि उप्पुसिजइ वेविर-कर-लेहणि-गएण ॥ एवं पेसिया तुह भाव-गहणत्थं दूई। 1) पूरिओ य पातओ, P कचहरेहि, J उ (or ओ) for तओ. 2) खंधराए ।, P-लोलबलमाण, P विट्ठीये for दिट्ठी, " om. तीय य दिट्ठीय. 3) P कुंदुलया, विहरिया, P करणिया. 4) Pइव वलिया, रा for रसा, J सुरपूसुआ. 6)'ओ for च,P सोहगवियं विणि'. 7) समपिऊग, P आरुहर, P तुज्झ for तुह, पदसणायामणा सम्झसदसणासामज्झस. 8) कुतूदरमाण, P वि for य, P repeats वच्छे. 9"J"यडिआ Pइडिया, P adds उम्मूलि before उम्मूलिया, "कई कहम्मि बयणा. 11)P दुलभ-, कुविएण विप्पमुका, Jणाह for णाम. 13) इमं for एवं, J एल्थ for तत्थ, सजस. 14)P संवाहिऊण, Jadds च before पयत्ता, P किंपिं किंचि. 15) P हरिसिद्धाणे विअप्पा, J पातओ, द किं पाण पटमिया. 16) सत्तवतो, P om. सो, P adds ति after तेणं. 17)P repeats तुह, उचेवं, "संलतं, - ती. 19) चमह, J परिनिब, P जुबतीणं, Pom. सो, पण वती. 20) Jए for एयं, मलिअअसं',J उल्लवीयति,J inter. सो. 21) पातओ, किण्णा पेसिआ. 22) Jए for य. 24)Pतुमं for चिरं, Juहिति Pएहित्ति समुदकाउन्य गणिऊणं. 25)P भणियए ण सहायह अपियंयंति, अपियं. 26) P भुवर्णमि, P किंपि for कप्पियः 27)। भगिय, पत्तिययीसि (?), पत्तिआसि, P कीरओ, तीय. 28)P पेसिज्जओ दूती. 29)P om. त्ति, P ततो, J नीय, करतलाए, J उवरे, 30)"on. one कहं, दुइय for दुवइ. 31) Pइमो लोहो अणुरायच्छलिय, J अणुरायुच्चलिअ , जि ओफसिज्जर, द रिवर for पेचिर, P करले हिणगएण. 32) Pदूती. Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२६८] कुवलयमाला २६७) ताव य समागओ महाराय-सगासाओ कंचुई । तेण य भणियं जहा कुवलयमालाए 'गणियं गणएणं अज्ज 1 वि वीसत्थं विवाह-लग्ग-जोगो' त्ति । तं च सोऊण विसण्ण-मणा संवुत्ता कुवलयमाला, हंसिय ब्व वजासणि-पहया कुलवहु । व्व गोत्त-खलणेण दूमिया जाया । तओ अम्हेहि चित्तं जाणिऊण भणिया 'वच्छे, मा एवं वियप्पेसु । णिसुगेसु ताव तस्स : जुवाणस्स अञ्चंताणुराय-सूययं के पि वयणं । तओ जं तुज्झाभिरुइयं तं करीहामि' त्ति भणमाणीहिं कहं-कहं पि संधारिया। एत्थंतरम्मि समागया सा दूई तुह सयासाओ दीण-विमणा किं-किं पि चिंतयंती । तओ ससंभमाहिं पुच्छिया अम्हेहिं 'किं कुसलं कुमारस्स' । तीए भणियं 'कुसलं, किं पुण कोइ ण दिण्णो पडिसंदेसो, केवलं भणियं, अहो कला-कुसलत्तणं 6 कुवलयमालाए' त्ति । इमं च सोऊण तओ हया इव महादुक्खेण, पहया इव महामोह-मोग्गरेणं, विलुट्ठा इव विरहग्गिजालावलीहिं, ओवग्गिया इव महावसण-सीहेणं, गिलिया इव महामयरद्वय-मगरेणं, अकंता इव महाचिंता-पवएण, गहिया इव महाकयंत-वग्घेणं, गसिया इव महाविग्ध-रक्खसेणं, उल्लूरिया इच महाकयंत-करिवर-करेहिं, सव्वहा किं वा 9 भण्णउ कुमार,पञ्चमाणं पिव महाणरए, डज्झमाणं पिव वडवाणलेण, हीरमाणं पिव पलयाणलेण, वुज्झमागं पिव जुयंताणिलेण, णिम्मजंतं पिव महामोह-पय लेणं, उक्कत्तिजंतं पिव महाजम-करवत्तेणं अत्ताणं अभिमण्णइ । तओ तं च तारिसं दहणं तं कुवलयमालं मालं पिव पवायमाणिं 'हा, किं णेयं जाय'ति भणमाणीहिं गहेया उच्छंगए, भणिया य । 'पुत्ति कुवलयमाले' 12 किं तुह बाहई' त्ति पुणो पुणो भण्णमाणाए 'हूं' पडिवयणं । तओ कुमार, एवं च पेच्छमाणाणं अक्खितं सुहं दुक्खेग, विणिजिया रई अरईए, भल्लिया मई अमईए, पडियं विण्णाणं अण्णागेणं, अवहरियं लायणं अलायण्ण, वसीकयं सुंदरत्तण असुंदरत्तणेणं, सव्वहा कलि काले ब्व तीय सरीरे सव्वं विवरीयं जाय । उम्हायइ चंदण-पंकओ, धूमायइ कुसुम-रउकेरओ, जलइ व 15 हारओ, डहइ व लिणी-पवणओ, दीवंति व काम-जलणय पुणो पुणो मुणाल-णाल-वलय-हारयाई, पुणो पुणो पजलतीव बउलेला-लयाहरयाई ति । केवलं कुमार, णीससइ व णीसासओ, उससइ व ऊसासओ, दुक्खाइजइ दुक्खयं, उकंपिजह उक्कंपओ, सेयाइज्जइ सेयओ, पुलइज्जइ रोमंचओ, मोहिजइ मोहओ वि । किं वा कुमार, बहुणा जंपिएणं । हिययभंतर-तुह-विरह-जलण-जालावली-तविजतं । णीहरइ य विरहुन्वत्त-तत्त-सलिलं व से बाहो ॥ विरहग्गि-हित्य-पत्थिय-पय-चंपियं व हिययाओ तीय तूरंतं । दीहर-णीसास-पयाणएहि जीयं वणिक्खमइ॥ मयलंछण-कर-गोरे उज्झइ वण-वडिए त्ति चिंतेंती । तुहिण-कण-फंस-सिसिरे चंदण-हारे मुणालं व ॥ णिय-दुक्ख-दुक्खियं सा सवम्महं सहियणं पि कुणमाणी । अणलक्खियक्खरं महुयरि व्व दियहं रुणुरुगेइ ॥ पुलइज्जइ हसइ खणं तसइ पुणो दीहरं च णीससइ । तुह-संगम-विमुहासा सा सामा सुहय सूसंती ।। झाऊण किं पि हूँ हूँ ति जंपिरी सहरिसं समुढेइ । लज्जावणामिय-मुही मुच्छा-विरमे पुणो रुयइ ॥ इय जीवियं पि वञ्चइ सीसइ तुह हो फुडं तह करेसु । जह सा वि जियइ पयडं च जणवए होइ दक्खिण्णं ॥' $२६८) भणियं च महिंदेण 'इमम्मि य एवं ववत्थिए, साहह किं कीरउ' त्ति । तीए भणियं 'इमं कजं, एवं संठियं, तीए उण दसमी कामावत्था संपयं पावइ । जेण विरह-भुयंगम-डक्का अइरा य विसोयलंत-विहलंगी । आसासिजइ मुद्धा सुहय तुहं गोत्त-मंतेण ॥ संपयं पुण तीय ण-याणामि किं वइ'त्ति । आसंकियं हियएण भणियं च कुमारेण 'तह वि तुमं आउच्छणीया, किं तत्थ करणीयं संपयं' ति। तीए भणियं । 'कुमार, जद ममं पुच्छसि ता अइक्कंतो सवोवायाणं अवसरो । एत्तिय पुण जद तुब्भे 30 राइणो भवणुजाणं वञ्चह, तओ अहं कुवलयमाल कह-कहं पि केणावि वा मोहेणं गुरुयणस्स महिल्लयाणं च तम्मि उजाणे णेमि। तत्थ जहा-जुत्तं दसण-विणोइय-मयण-महाजर-वियगा होहिइ बालिय' ति। तओ महिंदेण भणियं । 'को दोसो, 1om. महारायसगासाओ. 2) विवाहगहलग्गजोओ, J विमणमणा, विमण्यमण्या संजुत्ता, हंसि व्य. 3)Jखलणेण,P खलाणदृसिया. 4)" जुवाणयरम, तो तुज्झभिरुश्यं, P करिहिसि, संवारिआ Pसंधारया. 5) Pदूती, ततो सभमा ठिया पुच्छियं. 6) Jतीय P तभ, J तुद for पुण, Jom. ण, P adds न after दिण्णो, Jadds न दिण्णो (on the margin) before केवलं. 7) मं for इमं, P पिलुद्धा for विलुट्टा. 8) J ओअग्गिआ, Pमयरेण, P inter. चिंता and महा. 9) P इव हिं महावियपरक्वसेणं. 10) पलयाणले बुझभमाणं, Jom. बुज्झमाणं पिव etc. to महामोहपयालेणं. 11) Padds णिज्जतं पिव जुअंताणिलेणं before णिमजतं, " महाजमक्वत्तणं. 12) Pom. मालं पिव, कुवलयमालं दव्वायमाल पिव माये हा, " उच्छंगे, Pom. य. 13) पुणो भिण्णप्पमागाए, P हुँ. 14) P रती अरतीए, Pमती अमतीए, P पडिझं अन्नाणं विन्नाणेगं. 15)J अम्हायर उम्दाइ. 16) Pदारो,J य for a after दीवेंति, P कामजलाया, Pom. पुणो पुणो मुणालणालावलयहारयाई, om. पुणो पुगी पज्जलती to लयाहरयाई. 17) Pकमारी ससह, P दुखातिज्जद, न दुक्खयं चकंपिज्जति. 18) Pसेताहज्जद, Pom. सेयओ पुलइज्जन, Pom. वि, P बहुणो. 19) P विजंत for तस्जितं, Pom. तत्त, J सलिलणिवहो व्व से बाहो. 20) Pहत्थि for हित्थ, J पयवि for पयन पियं व, P चंपयं व हीयआउ, J दूरंतं for तूरंतं, P मिक्खमए. 21) Fव गिवट्टिए, J वडिअ, for वडिप, 'मुणाल य॥. 22) Pव for पि, P दियहं रुणेति ।।. 23) पुलआयर हसयखणं, नदीहरं समूससह, P om. सामr. 24) सोऊण for शाऊण, हुं हुं, P समुहेश, P रुतइ. 25) वमुञ्चद for वचइ, P जिणबुहो for च जणवए. 26) Pom. य,J on. एवं. 27)Pकामावस्थी, Jadds ण before संपयं. 28) rom. य, J वसोअलंत P विसोतलंत, अद्धा for मुद्धा, गोममतेहिं. 29) J वटुंनि ।. 30) तीय, P जती for जइ, Pती for ता. 31) Pom. अहं, Pकुवलयमाला, P गुरुजणरस महलयाणं. 32) विणोइP विणोइयं, P विणयणं for वियणा, J होहिति पालिअ त्ति, P बालिया य त्ति. 7 Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15 उज्जोयणसरिविरइया [$२६८1 एवं होउत्ति भणिए समुट्ठिया सा भोयवई, पडिगया आवासं । भणियं च महिं देण 'कुमार, मए विणतं आसि जहा 1 कुवलयचंदो सकलंको इत्थि-वज्झाए होहिइ, को अम्हाणं दरिहाणं पत्तियइति । कुमारेण भणियं 'अलं परिहासेणं, संपयं 3 किं कायव्वं अम्हेहिं'। महिंदेण भणियं 'जं चेय मयरद्धय-महारायाहिराय-कुलदेवयाए जुण्ण-कोणीए आणत्तं तं चेव 3 कीरउ, तम्मि चेय राइणो मंदिरुजागे गम्मउत्ति। कुमारेण भगियं किं कोइ ण होही सय-विरोहो, आसंका-ठाणं ण संभावइस्सइ, ण होहइ कुल-लंछगं अणभिजाय त्ति, ण होहइ गणणा-विरुद्धं लोए, ण कायरो ति आसंका जणस्स होहइ'त्ति । महिंदेण भगिय 'अहो एरिसेणावि धीरत्त गेण विहिणा पुरिसो त्ति विणिम्मिओ' । कुमारेण भणियं 'किं तए भीरु त्ति अहं 6 संभाविओ' । महिंदेण भणियं 'ण, ण कोइ तं भीरु त्ति भणइ' । कुमारेण भणियं 'अण्णं किं तए लवियं' । महिं देणं भणियं 'मए लवियं सत्त-ववसाय-रहिओ'त्ति । कुमारेण भगियं ‘मा एवं भणह । अवि य ।। 9 जइ पइसइ पायालं रक्खिजइ गय-घडाहिँ गुडियाहिं । किं कुणउ मज्झ हत्थो कयग्गहायडणं तीय ॥ अहवा सच्च सञ्च, भीरू । कहं । जेण पुत्तिय-मेत्ते भुयगे असुरासुर-णर-समूह-भरियम्मि । संते वि सत्त-सारे धणियं अयसस्स बीहेमि ॥' 12 महिंदेण भणियं 'अहो अइमुद्दो तुमं । को एत्य अयसो, किं ण कारगेण परिसक्का जणवओ, किं कोऊहलेण ण दीसइ 12 उजाणं, किं णिहोस-दसणाउ ण होंति कण्णाओ। किं ण होसि तीय सव्व-कार गेहिं अणुरूवो वरो, किं ण वरिओ तीए तुम, जेण एवं पि संठिए अयसो त्ति अलिय-वियप्पणाओ भावीयंति ति। ता दे गम्मउ ति' भणतेण पयत्तिओ कुमारो 15 महिंदेण । संपत्ता य तमुजाणं अणेय-पायव-वल्ली-लया-संताण-संकुलं । जं च चंदण-चंदण-मंदार-परिगयं देवदारु-रमणिज । एला-लवंग-लवली-कयली-हरएहि संछपणं ॥ चंपय-असोग-पुण्णाग-णाग-जवयाउलं च मज्झम्मि । सहयार-महुव-मंदार-परिगयं बउल-सोहिलं ॥ 18 मल्लिय-जूहिय-कोरंटयाउलं कुंद-सत्तलि-सणाहं । वियइल-सुयण्ण-जाई-कुजय-अंकोल्ल-परिगयं रम्मं ॥ पूयय-फलिणी-खजूरि-परिगयं णालिएरि-विंडीरं । णारंग-माउलिंगेहि संकुलं णायवलीहिं ॥ २६९)तं च तारिसं उजाणं दिटुं रायउत्तेण । तओ तम्मि महुमास-मालई-मयरंद-मत्ता महुयरा विय ते जुवाण स परिभमिउमाढत्ता। पेच्छंति य मरगय-मणि-कोट्टिमाई कुसुमिय-कुसुम-संकेत-पडिबिंब-रेहिराई पोमराय-मणि-णियरचणाई च। 1 कहिंचि सच्छ-सुद्ध-फलिह-मयाई संकेत-कपलीहरय-हरियाई महागील-रयण-सरिसाइं । तओ ताणि अण्णाणि य पेच्छमाणा उवगया एक अणेय-णाय-वल्ली-लया-संकणं गुम्म-वण-गहणं । ताणं च मज्झे एक अइकडिल्ल-लवली-लयाहरयं । तं च दट्ठण 24 'अहो, रमणीयं' ति भणमाणा तत्थेव परिब्भमिउं पयत्ता जाव सहस त्ति णिसुओ महुरो अन्वत्तो कल-कूविय-रचो । तओ महिंदेण 24 भणियं 'कुमार, कत्थेत्थ रायहंसा जाणं एसो महुरो कल-कूविय-सहो । कुमारेण भणियं 'किमेत्थ णस्थि दीहियाओ, ण संति वावीओ, ण संभमंति कमलायरा, ण दीसंति गुंजालियाओ, ण वियरंति घर-हंसा, जेण एत्थ रायहंसाणं संभावो पुच्छीयह 27 जाव य इमं एत्ति वियप्येति ताव आसण्णाहुओ कलरवो। भणियं च महिं देणं 'कुमार, ण होइ एसो हंस-कोलाहलो,' 27 णेउर-सहो खु एसो। कुमारेण भणियं 'एवं एय, जेण हंसाणं घग्घर-महुरो सरो जायइ । इमो उण तार-महुरो, ता णेउराणं इमो' त्ति भणमाणाणं संपत्ता णाइदूर-देसंतरम्मि । तओ महिंदेण भणियं 'जहा लक्खेमि तहा समागया सा तुह 30 मयण-महाजर-विरणा-हरी मूलिया कुवलयमाला' । कुमारेण भणियं 'किं संभावेसि मह एत्तिए भागधेए'त्ति । महिंदेण 30 भणियं । 'धीरो होहि, अण्णं पि ते संभावइस्सं' ति भणमाणेहिं णियच्छियं बहल-लयाहरोयरंतरेण जाव विट्ठा सा कुवलयमाला सहीणं मझगया कल-हंसीण व रायहंसिया, तारयाण पिव मियंक-रेहिया, कुमुइणीण व कमलिणी, वणलयाण 33 व कप्पलया, मंजरीण व परियाय-मंजरी, अच्छराण व तिलोत्तमा, जुवईण व मयरद्वय-हियय-दइया रइति । तं च तारिसं 33 18 1) P भोगवती, Pom. च. 2)Jइथिवज्झए होहिति ता को, P अम्ह for अम्हागं, J पत्तिआए. 4) कोवि ण, होर, P om. ण. 5) J संभावहरसति P संभायस्सत्ति. P होही for होहर, जागभिआअ त्ति, P होहिइ गणाणणे विरुद्धं, ' आसंका जं जस्स होहिय त्ति. 6)P एरिसेण धीर',P विणिम्मविओ. 7) Pणणु को तं,Jom. तं,J अलं for अण्णं. 8) P सत्तं, Jएयं. 9)P पयसद, उत्थो P हत्थि for हत्थो, P ती for तीय. 10) Pom. one सनं,J adds ति before भीरू, भीरु. 11) P त्तिय for पत्तिय, P मेत्ते सुयणे मणुयमुरासुर, P om. पर. 12) काणणेण कारणे, Pom. किं, P adds किं before ण. 13) Pom. तीय, P तीय. 14) संतिए for संठिए, P writes अयसो thrice,J भाविअति त्ति,' गमउ, भाणतेण,' पयडिओ for पयत्तिओ. 15) Pसंपती तमु, P अणिय for अणेय, P om. जं च. 16) P -नंदणमदारपरिगर्त, संछिन्नं. 17) Jअसोयपुण्णायणाय-, P -जंबुयाउलं, P उव for महुव (emended), J बउल, P परिययं, ' सोहलं. 18) F कोरटिया, P विदलसुवण्णजातीकुज्जय,J-अगोल, JP परिगरि (P "यं), P om. रम्मं. 19) J पुजफलिणी. 20) P रायउत्त ।, J मासलपहह for महुमास, मत्त, 1 तो for ते. 21 परिभमि. P पच्छंति, Join. य, rom. च. 22) कहचि. 23 Pएक,Join. णाय, P गुम, अदकुटिलयवली. 24)P तत्येय. P सहत्त for सहस त्ति, अदुरो for मदुरो, ' अवत्ती, P रसो for रवो. 25) किं एत्थ. 26Jदीसं ति कुंजालियाओ, J विअलंति,J संभवो,J पुच्छीयति P पुच्छीअत्ति. 27) J om. जाव य इर्म, P आसन्नीभूओ, P adds भो before कुमार. 28) Pणेरउर, Pघरेधरे for घग्घर, P जायति. 29)। णाइदूरे,J om. तओ 30 Pसम्मं भावसि, Pमहा for मह, भागधेये, P ति31)Ju for ते, Padd संभावर before संभावहरस, Pom. णियच्छियं P लयाहरोअंतरेण. 32) Jसहीण, P मज्जगया इंसीण, JR for पिव Pom. मियंकरहिया etc. to तं च तारिसं. 33) P सियं for तारिसं. Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ति भगती वाणी । जापच्छामो -६२७० । । कुवलयमाला १६७ 1 दट्ठण चिंतियं कुमारेण 'अहो, सञ्च जं लोए सुणी यइ किर थेरो पयावई । जइ थेरो ण होई, ता कहं एरिसं जुवई विणिम्म- 1 विऊण अण्णस्स उवणेइ त्ति । अहव। णहि णहि, ण होइ थेरो, जेण थेरस्स कसो एरिसं दिटि-कम्मं णिव्वडइ त्ति । तं सब्वहा उधणं तं पुहइ-मंडलं जत्थ इमं पाय-जल-कोमलंगुलीयं चलग-पडिबिंब इमाए संठिय'ति चिंतयंतस्स भणिय कुवलयमालाए। 3 अवि य । पेच्छेज व तं पुरिसं अत्ता सो वा ममं णियच्छेन्ज । एत्तिय-मेत्तं अब्भत्थिओ सि हय-देव दे कुणसु ॥ 6 कत्थेत्थ सो जुवाणो अत्ता कवडेण वंचियाओ म्ह । सभाव-दिग्ण-हिययाण तुम्ह किं जुजए एयं ॥ ६२७०) इमं च सोऊण महिंदेण भणियं 'एसो को विधयो इमाए पस्थिजइ जुवाणो' । कुमारेण भणियं 'अस्थि पुहईए बहुए रूव-जोव्वण-सोहग्ग-सालिणो पुरिसा' । महिंदेश भणियं 'अवस्सं सुहओ पत्थिजइ, जइ असुहओ वि पत्थिजइ 9 ता तुमं मम व किंण कोइ पत्थेइ'त्ति । तओ सहासं भणियं कुमारेण 'दे णिहुओ चिट्ठ, पेच्छामो किं एत्थ एयाओ कुणंति'। 9 भणियं च भोगवईए 'पुत्ति कुवलयमाले, मा जूरसु, आगओ सो एत्थ जुवाणो । जइ इमे संख-चकंकुस-सयवर्तकिए दीसंति चलण-पडिबंधए तहा, जाणिमो आगओ' । 'इई चेय मग्गामोत्ति भगतीओ पहाइयाओ सब्याओ चेय दिसादिसं चेडीओ। 2 ण य उवल द्वा ते, तओ साहिथ ताहिं 'सामिणी, ण कोइ एस्थ काणगे लक्खिओ अम्हेहिं भमंतीहिं पि' । तओ भणियं 12 भोगवईए 'वञ्च पुणो कयलीहरेसु चंपय-वीहियासु लवली-बगेसु अण्णिसह जाव पाविओ'त्ति भणिए पुणो वि पहावियाओ ताओ सवाओ बिलासिणीओ । भोगवईए भणिय 'पुत्ति कुवलयमाले, अहं सयं चेव इमाए पय-पद्धईए वच्चामि, सयं .5 चेव उवलहीहामि, तुमए पुण एयम्मि ठाणे अच्छियव्वं'ति भणमाणी सा विणीहरिया भोगवई । चिंतियं च कुवलयमालाए 15 'अहो सन्चो एस कवडो, किर दुटो सो जुवाणो, तेण इम इमं च भगिय, दिगो संकेओ इमम्मि उजागे । ता सव्वं अलियं । ण एत्थ सो जुवाणो, ण य पय-पंतीओ, णेय अण्णं किंचि । सब्यहा काय सो देवाण वि दुल्लहो जुवागो मए पाविभो, 8 कालेण जाव ताओ ममं परिणावेहिइ ताव को जीवह त्ति । ता संपयं चेय तहा करेमि जहा पुणो एरिसाग दोहम्गागं 18 पावेमि गोयरे त्ति । देव्वं उवालहिय, वणदेवयाओ विष्णविय, तायं पगमिय, अंबं अभिवाइय, तं पुरिसं संभरिय, भगवतं मयणं विण्णवेमि जहा पुगो वि मह सो चेय दइओ दायव्यो त्ति । पुगो लया-पास बंधिऊण अत्तागयं उब्बद्विय बावाइस्सं । ति । ता तं च इह महं ण संपजइ, संपयं सहीओ पार्वति । तेग इमम्मि धण-तरुवर-लवलि-लयाहरंतरम्मि पविसिय अत्तणो 21 अत्थ-सिद्धिं करेमि'त्ति चलिया तं चेय लयाहरंतरं जत्थच्छए कुमारो। दिट्ठा य कुमारेण संमुहं चलिया। तम्सि य समए कुमारो लजिओ इव, भीओ इव, विलक्खो विव, जीविओ इव, मओ विव आसि । सम्वहा अणाचिक्खगीय कंपिअवत्थंतरं पाविओ, 24 दिट्ठो य तीए सो। तओ एकिय त्ति भीया, सो त्ति हरिसिया, सयमागय त्ति लजिया, एस मे वरिओ ति वीसत्था, कत्थ 24 एसो ति संकिया, एसो सुरूवो त्ति ससससा, वियणे पाविय त्ति दिसा-पेसिय-तरल-तारया-दिट्ठी। सब्वहा तं के पि ससज्झस-सेउकंप-दीण-पहरिस-रस-संकरं पाविया जं दिव्व-णाणीहिं पि मुणिवरेहिं दुक्खमुवलक्खिजइ त्ति । तम्मि अवत्यंतरे 27 वट्टमाणी कुमारेण अवलंबिऊण साहसं, ववसिऊण ववसाय, धारिऊण धीरत्तण, संभरिऊण कामसत्योवएसं, ठविऊण पोढत्तणं, 27 अवहत्थिऊण लज, उज्झिऊण सज्झसं, सव्वहा सत्तमवलंबिऊणं भणियं । 'एहि सुंदरि, सागयं ते' भणमागेण पसारि ओभय-बाहु-डंडेण अंसत्थलेसु गहिया। तओ कुवलयमालाय वि ससज्झस-सेउकंप-भयाणुराय-पहरिस-णिन्भरं ईसि-धवलं 30 चलमाण-लोयण-कडच्छ-विच्छोह-रेहिरं भणियं 'मुंच मुंच, ण कजं सचहा इमिणा जणेणं लोगस्स' । कुमारेण भणियं । 30 'पसियसु मा कुप्प महं को वा तुह मंतुयं कुणइ मुझे।' तीए भणियं । 13 'पडिवयण पिण दिण्ण भण किं मह मंतुयं थोयं ॥ 1) णीयति, । पयावती, - जुबई, " जुबई णिम्मिऊग. 2)J तासन्धहा. 3) खंड for मंडलं, Jलोय for पाय. 5) पेच्छज्ज, ।' आ for अत्ता, P अह for हय देव. 6) Pinter. जुधागो & सो, P कवडेहिं वंचिओ अम्हे।. 7) Pएवं for इम, पत्थिज्जओ, पयडिज्जर जुवणो. 8)"बहुरूस, सालिएगो, P अवरस, पढिज, Jom. वि. 9) Pगम, पत्थेय, P adds दे hefore नि?. 10) भोगवई, Pom. पुत्ति कुवलयमाले etc. to भणियं भोगवईट. 13) Pउणो for पुणो, om. लवलीवणे, महाइओ. 14) सव्वा, चेअ, J पयबद्धईए P पयपद्धतीए. 15) P तुभए उण तंमि ढाणे, भोगमई " भोगवती. 16) J दिट्ठो for दुट्ठो, P inter. दुट्ठो & सो, P जुवा, P adds य before इम, J संकेयो, P उज्जाओणे, Jom. ता सचं अलियं. 17) P सो वाणो, Jom, ण य, J पयंपंतीओ, देवाणं, P om. नि. 18DJ परिणावेहिंति, P°हित्ति, P जीवति. 19)" देवं, Jउवालहीअं, वण्णविय for विण्णविय, P पणमिया, P अभिवाझ्या, J संभरिअं. 20) Pचेव, P तओ for पुणो, लतासं, " उपट्टिय for उब्बद्धिय. 21) Pण पजरता संपयं, सहीओ, Pइमं for इमम्मि, P तरुयर, लयली, P लयाहरमि. 23) Judds कंपिओ इव before विलक्खो, J मयो श्व. 24)J तीय, P एकिय, सह रिसा for हरिसिया, P वीसत्थी. 25) P adds संविाय beforc ससज्शसा, J पेसि पेसिया, Jom. दिदी, J तं कि पि. 26) Pसम्भस for ससज्झस, P जिं for जं. "on. पि, 'दुक्खमुक्यल". 27)" om. ववसिऊण ववसायं, Pठाविऊण. 28) उज्झिगससज्झसं, P परिसाउभयबाहुदंडेण. 29) कुवलयमाला वि, P सेओकंप, गिभरघरं सि-- 30 Jom. 'चलमाण, 3 लोअस्स. 31) मंतुवं. 332 1 भण किं ता मह मंतुअं भणिअं थोअं। किं नाम तुम थोअं. 33 Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८ | कुमारेण भणिये । 'एति मे भूमिं पत्तो हं सुवणु जाणसे किंपि । ३ तीए भणियं । उज्जोषणसूरिविरहया 'जाणामि पुइ-मंडल दंसण-कोलेणं ति' ॥ कुमारेण भणियं । 'मा एवं भणसु, 6 किं सुमरसि शेष तु मायाइयराणम्मि जं भणिये । इच्छकारेण तुझे सम्म अन् दाय ॥ तं वयणं भगमाणो मुणिणा संबोहिओ इहं पत्तो । ता मा जूरसु मुद्धे संबुज्झसु मज्झ वयणेण ॥' ६२७१ ) जाव एस एत्तिओ आलावो पयत्तो ताच संपत्ता भोगवई । 'वच्छे कुवलयमाले, राइणा वंजुलाभिहाणो 9 कण्णतेवर महल पेसिजो जदा भगवच्छा कुलपमाला राई यसरी जसि, ता कथ सा अज परिभ्रम त्ति सिग्नं गेण्डिय भागमुभिजमा इदं संपतो मंदमंद-इ-संचारी संपावे, ता तुरियं वक्रम माओ परसाओ, मा अविगीय त्ति संभावेहिइ' त्ति । तं च सोऊन सयल- दिसा मुह-दिष्ण- तरल-लोल-लोयण- कडक्ख- विक्खेव रेहिर 12 चलिया कुवलयमाला । तओ कुमारेण भणियं । 'सव्वहा 1 18 किं अपि बहुणा किं वा सबदि एत्य वहुएहिं सवं भणामि पत्तिय जीवाउ वि पदासि ॥ कुवलयमाला वि 'महापसाओ पडिवण्णो एवं अम्देहिं' ति भणमाणी सुरिय-पय-शिक्के णीहरिया लवली -जवाहरतराजो | दिट्ठो । 15 दिले व सो जुलेटर- पालो तेण य खर-रि-ककलेहिं वय गेहिं चादिकण 'वेच्छ पेच्छ, एका चेय कई पाविय' 10 त्ति भणमाणेण पुरओ कया 'वच्च, तुरियं अंतेउरं' ति । तओ कुवलयमालाए वि चिंतिये 'माए, पेच्छ पुरिसाण य अंतरं । एको महुर-पलावी सुंदर- भणिएहि हरर हिययाई अण्डो गिर-भजिरो पायो जीयं पिणासेइ ॥ । । विस-दल- णिम्मिय-देहो एसो उण दूहवो अण्णो ॥ ' दीसंतो अमय-मभ लोयण-मण-णंदणो इमो एक्को इमं चिंतयंती समागया कण्णंतेउरं । कुमारो वि पुरओ णिमिवं पिव पडियं पिव पासे वियं तं " 21 सविवार पेम्म कोच पिसुनाई संभरमागो ववणाई चेय पणय - कोच -कय-भंगुर - भुमयालकियं वयणं हियय-लग्गं पिव, पिच उवारं णिखितं पिव महियलम्म उक्त सीए व चेय ताई कयर्थ चित्र अप्पा मण्णमागतं महिंद अण्मेसि पयतो । दिट्ठो एक पायवोयरे कुसुमावचर्य करेमाणो त भणियं कुमारेण 'वर्षस, एहि वचामो आवास दिई ' ते भणियं 'कुमार, भण ताव किं तए तत्थ मयण- महासरवर-नियर-संकुले रणगणे किं चवसियं' | कुमारेण भणियं 'वयंस, 24 दिहं अदिउव्वं तीए लायण्ण-मंडणं वयणं । वयणोयर - मंडल- भूसणाइँ सामाऍ ण्यणाई ॥ 1 30 [ २७० و 12 महिंद्रेण भणियं 'कुमार, तं वय वाणिव होयणाएँ पढमं तए विदाई से किंपि साह मझं जं अमहिये तए रये ॥' श्री कुमारेण भणियं 'कुओ एत्तियाई भागधेयाई । तह ि हायण्ण-महागिरिवर- सिहरेसु व तीय अंस-देसेसु हत्या अमय वित्वा वीसत्यं सुधिया मते ॥ सभी महिंद्रेण सहासं भणियं परियो तुमं अण्णा बहु-दिव-मगोरह-पत-संगमाल-दुलह-परिका वण-करियरेण णलिणि पाविया सा कहं मुका ॥ कुमारेण भणियं 'वयंस, मा एवं भण । गुरु-देव-दियादीहिं करग्गहं जा ण पाविया पढमं । जालोलि-जलिय - भीमं मण्णामि चिईं व तं जुबई | ' 38 महिदेण भणि 'पूर्व एवं अण्णा को बिसेसो सुकुलकुला' 'ता पवह वचामो आवास' ति भगमाणा णीहरिया 33 18 24 27 7 संपतो, " संयुज् वय 8) भोगवती, राणे, राया 9) पलाविर, P 20 > P 2 ) P सुयुग, ए किं वि 4 ) Padds दंसणदंसण before मंडल, Pom. दंसण. 6 ) इच्छाकारेण, तुमं for तुमे. रावी J परिभमइ. 10 Jom सिग्धं गेण्हिय आगच्छति गई. 11) J om. संभावेहिद त्ति, संभावेहियति, P मुहतरमारेरेहिरा 12 ad after कुमारे. 14 ) P कुवलयमालाए वि, रा. एवं 15) P for ते adds ककस before गिट्ठर, P एक चिय. 16 ) । भणमाणे पुरओ, om. वि. 17 सुंदरिहियएण हरई, भणिओ. 18 Jविसमओ for दूहवो 19 ) इमं च चिंतेंती, Pom. पणय, P भुमयालंकयं. णिम्मियं ए ठिइअं for ठविअं P उक्खतो, तीय चेअ. 21 > कोइ for कोव, 1 महिंद अन्नसिङ, adds after दिट्ठो. 22 > पायत्रे कुसु । आवासं जं दिटुं तं दद्दवं । कुमार भणियं तेणं भण ताव किं. 23 > P संकुल, P adds व्व before किं, P 24 > P अदिहं उयं, P -मैटलं, P वयणायमंडण, मण्डलाहूसणार, P समाए 26 ) रुव for तं, P लोवणाई, र अभ 29 >हणियं for भणियं, एसो for एरिसो. 30 > P दियर. दुक्ख for दुलह, P वरेणे for 'वरेण, P कहिं for कई 33 ) 3 अण्णह को. वयस्स. 27 > Pom. कुओ. 28 ) Join व P तीययंस, हत्थ J for दियह, P adds अन्नहा before पन्त, (32) देवदियाहिं, P जालोलियभीम. 31) P मह for भण. J 30 Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला १६९ I - 1 । उज्जाणाओ, संपत्ता आवासं । तत्थ य महाराइणा पेसियाओ अगेयाओ सिगेह-कारा जल-कलस- सुगंध-ण्हाण-गंध-वण्णय- 1 बोल बावडा वारविासिणीओ मो वाहिं जहाविहि मक्खिय म्बपिण्डाविव जिमिष परिदिय-विहिता कया तो 3 सुदासत्या य संपत्ता एक्का विलासिणी । तीय उग्धादिकणं काय मय-पक्स-संजोइयं तंबोल-मच्छर्य पणामिवं कुमारस्य । भणियं च इमीए 'हम केण वि जगेण पेसिये तंबोल' । तओ कुमारेण गहिवं, गिरूविधं च जाव णिवय-गवजवख विणिम्मवियं तंबोल पत्ते पत्राच्छेनं तस्स य उ पत्तलराई, सिरिलय चंदस्य णामं लिदियं । तभोतंच 6 वाइकण कुमारेण भणियं 'अहो, णिउत्तणं कस्स वि जणस्स' गदिवं तंबोलं वज कुमारेणावि एकम्म पत्ते पद-मुि रइयं सहंस-सारस-चक्कवाय णलिणि-सयवत्त- भमर - रिछोलि - रेहिरं सरवरं । विरइया य इमा गाहुल्लिया । अवि य । हियय-दइयस्स कस्स वि णिययण- दुक्खत्त-भत्ति चित्तलियं । पेसिज्जह केण वि किं पि कारणं सरवरं एवं ॥ $ २७२ ) तओ एवं च अण्णम्मि दियहे तेगेय कमेण णाणा-भोयणादीयं, पुजो छे, कइया विवीणं, कइया वि आलेक्ख, कइया वि पागे, कइया वि गंध-जोओ, ठण्ण-सिणेह सम्भाव-पिसुणं पेसिलाइ कुमारस्स । एवं च ताणं कुमाराणं णिषय-रजे 12 वर्चति दिया । कमेण य को उण कालो वट्टिउं पयत्तो । अवि य । कइया वि तंबोलं, कइया विपत्त- 9 कइया वि किं पि तहाविहं णिययसुसुणं भुंजमाणाणं रज्ज-सिरिं तिमि काले कंवल-पय-तेल रहयग्मीनो अच्छ पाठय देहो मंदो मंदो व सम्ब-जगो ॥ किं च दीहरी होंति णिसाओ, झत्ति वोलेंति वासरा, दुहवीहोंति चंद-किरणाई, परिहरिजंति जलासयई, णिक्खियंति 18 मुताहार-लड़ीओ, सिडिलिजेति हम्मिय-तलाई, अणावरिति चंदण-पंकपई, चेति रखवई, संगहिति ईषणई, चिर- 15 अंतिणीनो, मक्ति मुद्दे, अंजिर्जति अच्छिवत्तई, निर्यसिति कुप्यासवई, चमदिर्जति सच्च-धण्णई, उग्भिमंति खकुर - सूईओ, जियत्तंति नियय- दवा नियंबड-बिंब-ओहरुम्हा सुहई संभरमाण पहियति । अविव । --पम्मुको तुला लग्गो व पत-धणु-यंसो उय सूरो सूरो इव अह जाओ मंडलिय-पयात्री ॥ गहिय-पलाला मय- धूलि - धूसरा खंध - णिमिय-कर-जुयला । दीसंति अलियंता पहिया गामम्मि हेमंते ॥ विरह- सुर्यगेण मोडको व सिसिरेण । पुलो पसु स्व पहिलो पयह अधिग्मिरणी ॥ दीसंति के वि पहिया कर जुवल-नियंसणा फुडिय पाया । गोसे मग्गालग्गा वाता दंत-वीणाओ ॥ बादोगलंत-णवणा रहत बाहुन केद्र चिर-द्वि-बंध पिव धम्मक समलीणा ॥ मल - खउरियंगमंगा तणुया णिकिंचणा मइल-वासा । दीसंति के वि रिसिणो व्व धम्म-रहिया परं पहिया ॥ अवि य । जम्मि य काले 24 9 18 - $२७२ | 21 . 17 मय, P संघणमिय, 23 ) Pणिकंत्रणा वयंगुल्या 12 18 । व्व हिम-सतुणिय-सीसं सयले दट्टण काणणं सहसा सिय-कुसुम-दसण-सोहं खलो छ बिहसिओ कुंदो ॥ किं च । मंजरिजति पिगु-लय, विवसंति रोड-बहरीजो विसति विलय मंजरीजो, उवगिर्जति महुर-मयरंद-बंदणीसंद 27 पाण-मय-मत्त-मय-मणहर गीयावद-मंडली विकास मडुवरी-ममर- जुवाणेहिं मघमत-महिषडति । सव्वदा > कालम्मि तम्मिको वा ण भरइ घणिभवऊहण-सुद्दाणं । णा गंकुस - रुद्र-मगे एके पर साहुणो मोतुं ॥ सम्मिय काले को कव्य समझीगो चिकालाह- कुंकुम सुगंध सपनोयरे ईसर- जुवाणया, धम्मग्गिन्धमन- पवावण30 सप्परा पंथ कप्पडिया, जर-मैथर-कथा मेत-देहया जुण्ण धम्मिया, वण-पठाल- खल-युद्ध-सरणा कासया, खल-तिल-कंधा 30 जीवणा दुग्गव-परिणीओ, मुम्मुर-करी सग्निसमाका दरि-डिंभरुवई, घोर-वणवट्ट-कच्छवल-संपुड सु-सु-मंडलई ति अण् च पंचग्ग-ताव-तबिंग महामुणि- जइसिय अर-डॉब-पेरथ, सिसिर-पवण-पय-विमल 1 3 ) णिययकरणिक्खनिम्मलवियतंबोलपटे. 14 15) 1) Pom. य्, P o10. अणेयाओ, P सणेह, Pom. कारा, Join जल, P सुगंध, Jom, गंध. 2 ) P वाडाओ, P मक्खियजवट्टिययि कणगमयमक्ख, उ तंपूल for तंबोल. 4 ) 5) Pom. य. 6 ) ? कस्सइ जणरस, P कंपि मि for एक्कम्मि, उस for गह. 7) सार for सारस- 8 ) P -दुइस, णिअयलहुक्कततरुत्ति, P चित्तेलियं, P व for वि. 9 ) P तेण य, P for जागा. 10) गंधजोए P बंधुजोओ, JP कंपि for किंपि. 13 ) " जंसि काले, P कंबल्यतेलरलयंगीओ, P पाउदे हो. स संति बोलेंति, बोलंति, किरणा, P जलासयाई, P णिक्सिति. डियो हविवदुरवा 16) वेगिओ, P कुप्पासयाई. गया संगरादरभवति- 18 P को पयपत्त, Pom. one सूरो. 19 ) P मल for 20 ) P व for व, P अगंमि. 21 ) Pणियंसणे, P गोसग्गिग्गलग्गा वायंता. 22), 1. 24 ) Pom. जम्मिय काले. 25 ) J om. सयलं, P व्च कुहविलसिओ कंदो- 26) मंजरिजंत, P 27 ) P मणहरं, मधुरीमा माओ 28 जा 29) P य का कथ, सुअंध, Jरमियर for ईसर, जुआणया, धम्मत्थियमण. 30) जरकंथर, तदेवया, " देहया अज्जाहम्मिया, कासवा, कत्थ for कथा- 31) करिसरिंग का समायणावर त्तविअयमहा, ४ सय for जइसिय• रुद्धमणो, "पुण for पर. डिंभभूआई P डिंभई, J वच्छयला P बच्छयर. 32 ) P मंडलयं, 22 21 24 27 Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७० उज्जोयणसूरिविरहया [२७२ [1] जल-पहलमान पीई तरंग-भंग-भंगुर विवरंत मच्छ-पुच्छच्छा-मुत्साहल हर किय दीसंति सरवर, भाविप एवासरण संसार-मदादुल गन बिसलाय यावद पशुक-वरिसा-कष्पत्याग-संठिया जायावैति 3 साहु-भडरय व न्ति । अवि य, सिसिरेण कोण खविनो सिसिर-पवार्यत मउय-पवणेण पर-मंस-पिंड-पुडे जंबुव-सुणए पमोचून ॥ ६ २०३ ) इमम्मि एरिसे काले सुसुहेण अच्छमाणागं कुवलयमाला कुवलयचंदा अम्मि दियहे सदाविनो 6 राइणा संवारो 'भो भो गणित कुवलयमाला विवाह-हग्गं ति । तेण भणिये 'देव तहिं गणेमाणेण इमं सोहि तं जहा । इमस्स जम्म-णक्खत्तस्स उवचयकरो सीयकिरणो, सुवण्णदो सहस्सरस्सी, पुत्त-लाभयरो वहस्सई, भोग-करो बुधरापुतो कुटुंब-विजय-करो धरणीसुओ, बुिदरो उसगयो, भूमि-लाभयरो समिच्छरो ति । अयं च निवर्त्त 9 उत्तरायणं, बलियं लग्गं, सयल-दिट्टिणो सोम्मा, पाय दिट्टिणों पावा, ण पीडियं गब्भादाणं, अणबहुथं जम्म-णक्खत्तं, अपीडियं 9 जम्, सुकम्म-चि-जोओ। सञ्चहा ण विरुवं मडुतरेणानि चक्रण णिरुवि चुकेच जमिमं लता वाल वासाणं मज्झे ण एरिसो लग्ग-जोओ सुज्झइ ति । जारिसो एस फग्गुण-सुद्ध पक्ख-पंचमीए बुधवारे साती- सुणक्खत्ते 12 राईए बोलीणे पढम-जामे दुइय-जामस्स भरियासु चउसु घडियासु पंचमाए णालीए दोसु पाणियवलेसु पाऊण करिसा - 12 हिए बोली सिंघे उयमागे कण्णे पुरीए मए संसे परिणीया दारिया जर तभी दीदा से भत्ता, विर अविवा, सुहवा बसीकय-भतारा, धर्म कोडी-गणनाहिं, एको से पुरइ-सारो पुत्तो, भोय-भाइणी, पच्छा धम्म-भाइणी, 16 पढमं भतारनो मरणं ण अण्णह' ति भणिए गणपुर्ण, णरवणा वि 'वह' त्ति पडिवलिय 'कला' ति भणमाणेण 15 णिवेइयं तं कुमारस्स । 'कुमार वच्छ, बहुयं कालंतरं तुह कुवलयमालाए णियय-विण्णाण सत्त-सहाव - पुण्व - जम्मज्जियाए वि विभोग-दुक्ख - वित्थरो कओ । ता संपयं इमीए पंचमीए गेण्हसु परम कल्लाण- मंगलेहिं गुरूणं आसीसाए देवाणं पहावेण से करं 18 करेणं बालियाए' त्ति । कुमारेण भणियं 'जहा महाराओ आणवेइ'त्ति । णिवेइयं कुवलयमालाय वि तओ हियय-दइय- 18 संगम- सुदलियणायण्णन पहरिस- वसूस रोगंच कंसलडिय मुणाल-बाल- लडिय कोमल बाहुल्या चिर-तियसंवत-मणोरदार माण-हियय दलदला भुषणे विमाइ ण पवत्ता किंचि तम्मि रायडले कीरिडं पय अधिव 2 मुसुमुरिति चण्याई, पुणिबंति सहिण-समियाओ, सकारिजति बंद-सजाई, उयविनेति भवखाई, माहरिजति 21 कुलालई, कीरति मंच-सालाओ, विरइति धवलहरई रद्दचए वर-वेई, कीरंति उल्लोष, परिक्खिजेति रचणाई. उपिज्जति तुरंगमा पणामिज्जति करिवरा, णिमंतिजए रायलोओ, पेसिजंति लेह वाहयए आमंतिजए बंधुयणो, 24 मंडलए भवगोयरं धवलिति मिशीओ, पडिलए कलधोवं वविजति जनेकुरा णमंसिजति देवयानो, सोहिनंति 24 णयर-रच्छानो, फालिजति पढो सीविजति कुप्यासया, कीरति भगवदा, रहजति चारुचामरी-पिच्छ-पन्भारई 27 30 " ति । सव्वहा सो णत्थि कोइ पुरिसो महिला वा तम्मि णयर-मज्झम्मि । जो ण विहलष्फलओ कुवलयमाला - विवाहेण ॥ सो को वि णत्थि पुरिसो कुवलयचंदो ण जस्स हिययम्मि । ण य सा पुरीए महिला कुवलयमाला ण जा भरइ ॥ $ २७४ ) एवं च होत- विवाह-महूसव वावडस्स जणस्स संपत्तो सो दियहो । केरिसो । 1) Pom. जल, P वीर, 9 ) P सोमा J कणय घडिओ व्व एसो अमय रसासाय- वड्ढिय सरीरो । सोहग्ग- णिम्मिओ इव विवाह - दियो समणुपत्तो ॥ तस्मिय दिन कुवलयमाला जणणी होत जामाओ व गुरु-सह-पसर-र-रोमंच से सलिल-राहार पमक्खियो कुमारो । तओ कयं से जहा- विहीए सिद्धत्थक्खय-सत्थिय-मंगलोयारणयं । कयाणि य से गियय- वंस-कुल- देस-वेस-समयट्ठाई च्छडाघायुलसंत Pच्छडादयुलसंत, ए -लवालंकित, P सरवरा अवि य भाविया. 2 ) " सज्झाय ज्झाणक, वावरपम्मुक्क, P पमुक्का, कप्पायावणासंठियायायेंति साहुण भडरय वत्ति. 4) P पयायत्तमउयवणेण । परमासवसापुढं एक्क चिय जंबुयं मोतुं ॥. 5) कंडावियो for सदाि 6 ) गणितं, Pom. तेग भगियं, देव अनि गणमाणेग. 7 ) P 9. तं सहस्रासी, बुहस्सती, भोगयरो बुहरायउत्तो कुटुंब. 8 रायपुर ि पातट्टिणो, P पीडित गब्भदाणं, अणवहुतं । अगुवद्दुतं, JP अपीडितं. 10 ) P सुकम्मा, P अत्तरे गावी, जइ संलग्गं, Jom.लग्गं ॥ 11 > P inter. एरिसो & ण (न), P फयुणद्धपक्ख, सातीतुं णक्खन्त P रेवतिणक्खत्ते. 12) दुतिअजामरस, P पंचमाराएणाली, P पाणियले पाउण 13) J उअमाण, P पूरिए संखे, P दीहाओ P भत्तारे. 14 ) P अवहिवावसीकय भत्तारो घणकोडीन गणाहिं, P सारो पत्तो पच्छा ? transposes भोगभाइणी before पढमं. 15) P मइरणं. 16 ) Pom. तं, J om. कुमारवच्छ, P सत्तसुहाव 17 विउअ for विओग. 18 ) P जर महाराय, P कुवलयमालाइ वि. 19 ) P वसुच्छलंत, सयल for सललिय 20 ) P सयवत्त for संवयंत, P हलाहला, P माइओ ण, किंच for किंचि. 21 ) P मुगति for पुगिज्जंति, P -समिओ करिज्जंति, खज्जई, P खंडकज्जादि उयकिज्जति, भक्खयं. 22 > P पियलिज्जंति धवलहर इज्जएवेती । रइजवरवई, P उल्लोवई, ग्रयणई. 23 ) P लेडवाहया. 24 >P सवणोयरं for भवगो, P मित्तीए, P कलहोयं, Pठविज्जंति, गज्जकुरा for जंवकुरा, देवया, P सोहरिज्जंति देवयाओ णयर-- 25 > P पयडीओ, चमरी पिंछे. inter. ण (न) त्थि and कोवि, पुरीय, P महिला, P कुवलयमाला ग. 27 ) P को वि पुरिसो, णयरि- 28 P 29 ) P मडुरसव- 30 ) । णिम्मि इव, विआह 31 ) P, after तम्मि य दियहो, repeats केरिसो । कणय etc. to दियहे as above, P सहए पमक्खित्तो. मंगला आरवर्ण, P वय for णियय, समय" "समयद्धिती Pom. णाल. 32 ) P जहा 1 3 27 30 Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२७५] . कुवलयमाला मंगल-कोउयाई,तओण्हाय-सुइ-धोय-धवल-जुवलय-णियंसणो सिय-चंदण-चच्चिय-सरीरो वंदिय-गोरोयण-सिद्धत्थ-रइय-तिलओ। खंधरावलंबिय-सिय कुसुम-सुरहि-दामो महिंदाणुगय-मग्गो अल्लीणो विवाह-मंडवं । कुवलयमाला वि कय-कायब्व-वावारा सिय-संण्ह-वसण-णियसणा मंगल-मोत्ताहरण-रेहिर-सरीरा अल्लीणा वेदि-मूलं । तओ संपत्ताए येलाए, पाविए लग्गे, अग्गि- 3 होत्त-सालाए जलणं आणियं छीरवच्छ-समिहा-घय-संधुक्खियं काऊण, समक्खीहूयाणं सव्व-कुल-जुण्ण-महत्तराणं, पञ्चक्खे राइणो, मज्झट्ठियस्स अणेय-वेय-समय-सत्थ-पारयस्स दुयाइणो, आमंतिय लोय-पाले, णामंगेण्हिय राइणो दढवम्मस्स, दिण्णाओ 6 लायंजलीओ । समप्पिया य तस्स करंजली कुवलयमालाए । गहिया य कुमारेण । उभय-विरइयंजलीउडेहिं करयलेहिं ताव य पगीयाओ अविहवाओ। पवाइयाई तूराई। पूरियाई संखाई। पहयाओ झल्लरीओ। पढंति बंभण-संघाई। जयजयावंति महासामंता । आसीसा-समुहा कुल-महल्लया, मंगल-पढण-वियावड गाणायरिय त्ति । एवं च तेण दुयाइणा होमिङ पयत्तं । g'इक्खागु-वंस-पभवस्स सोमवंस-कुलालंकारस्समहारायाहिराय-दढवम्म-पुत्तस्स कुमार-कुवलयचंदस्स विजयसेण-दुहिया कुव-9 लयमाला एसा दिण्णा दिण्ण त्ति जाव णिसुणेति सयल-तेलोक-सक्खिगो भगवंता लोयवाला । पडिच्छउ लायंजली भगवं एस सुरासुर-मणुय-तिरिय-लोयालोयणो जलगो' त्ति । इमिणा कमेण पढम मंडलं । दुइयं पि पक्खित्ता लायंजली । आइया लोय12 वाला । तइयं मंडलं । पुणो तेगेय कमेण दिण्णं दायच्वं । तहा चउत्थं मंडलं । तओ जय जय त्ति भणमाणा जरा-जुण्ण-देहा 12 वि पहरिस-वसुब्वेल्लमाण-बाहुल यावली-वलया णचिउं पयत्ता कुल-जुण्ण-महिलय त्ति । कुवलयमाला-जणणी वि सरहसुव्वेल्लमाण-बाहुलया-कंचण-मणि-वलय-वर-तरल-कल-ताल-वस-पय-णिक्खेव-रेहिरा मंथरं परिसक्किया। सेसो वि विलासिणियणो 15 मय-वस-घुम्ममाण-खलंत-चलण-चलिय-मणि-उर-रणरणाराव-रेहिरो पणच्चिओ जहिच्छं जयजयासद्द-पूरमाण-दिसिवहाओ। 15 णिवडति अदि-करयलंजलि-विमुक्काओ णाणाविह-वण्णाओ गंध-लुद्ध-मुद्ध-भमरोलि-माला-मुहलाओ दिच्च-कुसुम-वुट्टीओ त्ति । अवि य, 18 गिजंत-सुमंगल-मणहरए णञ्चत-विलासिणि-सोहणए । मल्हंत-सुहासण-वामणए वजंत-पयत्तय-तूर-रवे ॥ ___18 खोभताबल-वजिर-तूरं तूर-रसंत-पणच्चिर-खोरं । खोर-पणच्चिर-चच्चरि-सई चञ्चरि-सद्द-मिलंत-जणोहं॥ मिलिय-जणोह-सुकलयल-रावं कलयल-राव-वियंभिय-तोसं । तोस-वियंभिय-वग्गिर-मल्ल वग्गिर-मल्ल-पलंबिय-कच्छं ॥ 21 लंबिय-कच्छ-ललंत-सचूलं चूल-ललंत-सुमंथर-तालं । ताल-ललंतप्फोडण-सई सद्द-वियंभिय-पूरिय-लोयं ॥ ति । अवि य। 21 तूर-रव-गहिर-सह आऊरिय-संख-राव-गंभीरं । उव्वेलं व समुदं वियाह-बद्धावणं जायं ॥ तओ वत्ते य वद्धावणए किं जायं । संमाणिजति संमाणणिजे, पूइजति पूयणिजे, तोसिजति तोसणिज्जे, मंडिजति मंडणिजे, 24 दिजए पणईणं, पणामिजइ राईणं, उवणिजइ गुरूगं, पक्खिजए जणवयाणं, अप्पिजए अंतेउरियाण, पेसिजए णायरियाणं, 24 दिजइ य अगणणिज जहाभिलसियं धणं दीण-वणीमय-किमिण-पणईण ति । अवि य। दिजउ देसु पडिच्छसु गेण्हसु पक्खिवसु दे पडिच्छाहि । मग्गसु भणसु जहिच्छं इय हलबोलो वियाहम्मि ॥ 7 २७५) तओ णिवत्ते वद्धावणए महिए सुर-संघे सुपूइए गुरुयणे सव्वहा कए तक्काल-पाउग्गे करणीए विरड्या 7 कुमारस्स दासहरए महरिहा सेज्जा । भवि य । रयण-विणिम्मिय-सोहा मुत्ताहल-णियर-रेहिरा धवला । खीरोदहि-वेला इव रइया वर-विमा सेजा ॥ 1) कोउ, P हादसुयः, रई, सचिs for चच्चिय, P गोरोयणो. 2) सुरहिरदामो (?) महिंदाणुजायमग्गो आल्लीणो. Pवावार. 3)। वेईमूलं. 4) P आगिरच्छीर, J adds महु after घय, P संधुकिय, I समक्खीहूअणेसद्धकुल, P समक्खयाणं, P कुन्न for जुण, P पञ्चवरवं. 5)P मज्झिट्ठियरस, P अणेयअवेय, J यत्थ for सत्थ, P दियाइणो, राणा दढधम्मरस दिन्ना, दढधम्मदिण्णाओ. 6) Pom. य before तस्स, P विरदयंजली. 8) विआवडणआयरिय, Pणागायरिय for गाणायरिय (enended),r दियाइणा, Jहोउं होमियं. 9)P -प्पभवस्स, JP दधम्म-, Pom. कुमार, P विजसेणरस दुहिया. 10)J repeats दिण्णा, Jom. जाप before गिसुणेति, P-तेलोक, I भगवतो लोगवाला, पडिच्छिओ, भयवं, P एस ससुरामुर. 11) P लोयलोयणो, JP मंगलं for भंटलं, P लायंजलायाभूता, आहूता. 12) Jadds पि after तश्यं, P मंगलं in both places (for मंडलं),P तेण च, P दातवं. 13) बाहुललमाणवलीलया णचिउं, J -महलयं ति, J om. वि, सहरसूवेल P वि रसुवेल्ल. 14) बहुलयाकंठण, चलयनलतरकल तारवस,P विलासिणीयणो. 15) Prepeats चलण, J माण for मणि, Pom. जहिच्छं, P"सई 16) अविद्ध. करयंजली,चुद्धीओ. 18) गिजंति, हलंत P मण्हंत, P वज्जति. 19) P खोरुत्तावज्जिरत्तरत्तररसंते पणच्चियखोर, " पणचिय. 20) Pom. मिलियजमोह, P वग्गियमेहं वग्गिय, J पलंबिर. 21) J लंछिय for लंबिय. P सुचूल, J-मच्छ (त्थ?) रतालं. 23) om. तओ वत्ते य बद्धावणए. किं जायं, P पूइणि उजे, ' मन्निज्जति मन्नणिज्जे. 24) J दिज्जउ, P पणतीणं. P पणामिज्जपरादीणं उपणिज्जए, पक्विणिज्जए, Pउपिज्जए, Pणायराणं दिज्जए अगगिजं. 25) विज्जर for दिज्जए, P सहाराहेलासिय. 26) J देनु पयच्छमु. 27) P णिवत्ति बद्धावणिए, P -संघे पूरण, I गुरुअणो, P पाउग्गकरणीए. 28) P वासदरे, न महरिआ, Pinter. सेज्जा and महरिहा. 29) P खीरोयहि. . Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७२ उज्जोयणसूरिविरड्या [६२७५1 तम्मि य सेज्जा-महोदही-पुलिणोवरे व्व रायहंस-जुवलयं पिव णिविटुं कुमार-जुवलय ति कयाणि य भारत्तियादीणि मंगल- । कोउयाणि । अच्छि ऊण य के पि कालं परिहास-हसिर-लोयण-जुवलो सहियायणो अलिय-कय-वक्खेवो सइर-सइरं णीहरिउं उपयत्तो । अवि य । अलिय-कय-वावडत्तण-विक्खेवो दिण्ण-महुर-संलावो । अवरोप्पर-कय-सण्णो णीहरिओ से सही-सत्यो ॥ तओ कुवलयमालाय वि भणियं । 8 'मा मा मुंचसु एत्थं पियसहि एक्कल्लियं वण-मइ ब्व ।' ताहि भणियं । 'इय एक्कियाओं सुइरं पियसहि अम्हे वि होज्जासु ॥' तीय भणियं । _ 'रोमंच-कपियं सिण्णं जरियं मा मुंचह पियसहीओ।' ताहि भणियं । 12 'तुज्झ पइ चिय वेजो जरयं अवणेही एसो ॥' २७६)तओ एवं च भणिया समाणी लज्जा-ससज्झस-वेवमाण-पओहरा एसा 'अहं पि वञ्चामि' त्ति भणमाणी चलिया, गहिया य उवरि-वत्थदंते कुमारेण भणिया य 'कस्य वञ्चसि ।' तीय भणियं 'मुंच, सहियगेण सम वञ्चामि'। 15[कुमारेण भणियं] 'वच्चसु सुंदरि वच्चसु वञ्चती को व रुभए एहि । एकं पुण मह कीरउ जं गहियं तं समप्पेहि ॥' तीय ससंभम भणियं 'किं पुण मए गहिय' । कुमारेण भणियं । 8 'तुह-चिंता-रयण-करंडयं च विण्णाण-बुद्धि-पडहत्यं । हिययं मह चोरि हियं मा वच्चसु जाव णो दिण्णं ॥' तीय भणियं । 'हरियं व ण हरियं वा हिययं अण्णं च एत्य को सक्खी। ण हु वयग-मेत्त-सिद्वा होइ परोक्खा हु ए किरिया ॥' शकुमारेण भणियं । ___'एयाउ चिय तुझं सव्वाउ सहीउ मह पमाण ति।' तीय भणियं । 24 'आणेसु ता इमाओ सुहय तुहं उत्तरं देमि ॥' कुमारेण चिंतियं । 'अहो, सुंदरो उवण्णासो मए कओ इमीए चेय पुडओ एस ववहारो' चिंतयंतो। तीय भणियं 'किं इम चिंतियइ, आगेसु पिय-सहीओ जाम उत्तरं देमि, अहवा मुंचसु मए' ति । कुमारेण भणियं 'मा वञ्च सुंदरि, सहेमि ए शपिय-सहीओ' ति भणतेग कओ ताणं सहो । 'आइससु' ति भगंतीओ समागयाओ। भणियं च ताहिं 'कुमार, को अम्हाणं 7 णिउत्ति'। कुमारेण भणियं 'अम्हं ववहारो दट्टब्बो' । ताहिं भणियं 'केरिसो, हुपिणप्पर पुब्व-पक्खो' । तेण भणियं 'एसा तुम्ह पियसही चलिया गंतुं, हिययं समप्पेसु त्ति मए वारिया, इमीए मित्तत्तीकयं तत्थ तुम्भे पमागं' ति।। 30 ताहि भणियं 'पियसहि पियसहि' किं एरिसो पुवंतर-पञ्चवाओ'। तीय भाणेयं 'एत्तिओ एस ववहारो' त्ति । ताहि 30 भणियं 'अहो, महंतो एस ववहारो, जइ परं सिरिविजयसेण-णरवइणो णयर-महल्लयाणं च पुरओ गिब्वाइ' ति । कुवलयमालाए भणिय 'तुब्भे चिय महप्पमाण ति जइ किंचि इमम्स मे गहियं' ति । कुमारेण भणियं 'सुंदरं सुंदरं' दे। 33 भणह तुब्भ पमाणं ति । अवि य। मा कुणह पियं एयं मा वइएस्सं ति कुणह मा एसं । वम्मह-गुरु-पायच्छित्तियार धम्मक्खरं भणह ॥' ताहिं भणिय । 'जइ फुड भणामो ता सुणेह, 36 एएण तुज्झ हरियं तुज्झ वि एयाए वल्लहं हिययं । अवरोप्पर-जूवय-थेणयाण जं होइ त होइ ।' इमम्मि भणिय-मेत्ते गहियाओ वत्थद्वते । 'कुमार, तुम लंपिक्को' ति भगतीए तेग वि 'तुनं कुसुमालि' ति भणमाणेण संवाए गहिया । तओ किं जायं । अवि य । 39 एस गहिओ त्ति कलमो अरहइ ए बंधगं कुमारेणं । भणए मज्झ सितं चिय तेण वि सा तक्खणं भणिया । बलं, , , सरदर पो 10 1) Pom. तम्मि य से जा, " महोद हीपुलिणोअरे, P जुबल, P मंगलकोउ before मंगल. 2) कोउयार, ' om. य, Jहरिस for हसिर, जुअलोसहिगो , Jबअ for कय, कयविक्खेवो(१), J सरहर for सहर, J सदरपणी:रि सयरयणीहरि 4) J सल्लाबो. Prepeats सही. 5) Pom. तओ कुवलयमालाय वि etc. to ववहारो पडुओ उत्तरता त्ति on p. 173, 1.17 This passage is reproduced here with minor corrections like ya-sruti etc. 10) Better मुया for मुंह. 12) Better अवणे हेइ य एसो. 14) J चघिया for नलिया. 20) J वण for a. 22) Jपमाण ति (?). 34) Better एय for एसं. 37) भगमाणोण संपाए. (१). . Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - १२७८ ] . कुवलयमाला १७३ 1 एवं अवरोप्पर - विवयमाणा सहीहि भणिया ' मा मा करण - समक्खं असमंजसं भणह, जे अम्हे भणामो तं कीरेड 'ति । 1 < तेहिं भणिये सुट्टए भगह किंचि धम्मक्सरं 'ति सहीहि भणियं 'जइ अम्हे पमाणं ता भणिमो ण अण्णा' चि भणिए. 1 2 तेहि भणिये पमाणं पार्थ ति ताहि भणियं 'जइ पमार्ग वा सुगे । अनि य । मुद्दे पिजड़ से दिययं च कुमार मोसु । अनशेप्पर पाविध-विवाद भि ॥ भणिय- मेते कुमारेण भणियं । 'सुवणु इमे ते दिवं सुविति मा विवारे एवं पि म दिन जइ मत्या प्रमाणं ति ॥' भणमाणेणानवासिया एवं क गुरु-कोव फुरुकुरायमाणा हराए विलसमाण-कुटिल चाल भुमवा-याए भणियं चसीए 'अप्यो माए इमिणा अलिपक-डि-ड-पेय-सरिसेणं दुजनी सत्ये इमस्स बणाय- सील-सहावस्साहिस्सावयास दवावियसि भगमाणी परहुत्ता संटियति । तत्र तादि भणियं । ' मा सुयणु कुष्पसु तुमं किं कीरउ एरिसो च्चेय । णिक्करुगो होइ फुडं मयण-महाधम्म-ववहारो ॥ 1 या सुंदरी एस ववद्वारो जो संपर्क पत्तो' तीव भणियं ण सुंदरी' ताहि भणियं 'अण्णं सुंदरं विरएमो' तीय 12 भणियं ण कर्म मह इमिणा वि जो संपर्क रहओ ताहि भणिये । ' मा कुमर वंचसु इमं अम्हं कवडेण बालियं मुद्धं । उप्पन्नउ से संपइ जं तुह एयाए तं दिष्णं ॥ ' कुमारेण भणियं । 15 'जइ दाऊण सयं चित्र पच्छाया समुन्वहसि मुद्दे । मा होउ मज्झ दोस्रो गेण्हसु अवयासणं णिययं ॥ ति भणमाणेण समवलंभाहिणव-सिगेह-भरा णिद्दयमवयासिया । तओ पहसिओ सहि-सत्थो 'अहो, एरिसो अम्हसंतिओ धम्माहिगरणो के रिसाई पि गूढबहारई पड़ीहोंतित जो सुसिलेडो बहारो पटुलो उत्तरवाइ सि । , 6 18 33 कहिंचि परिहत्ध-मच्छ-पुच्छच्छडा- उडिउच्छलंत पाणियं कर्हिचि हिर-कम-पट्टि संठि उलंत विद्म-पलनं कर्हिचि कराल-मयर-करग्ग-वगंत सिप्पि-संपुढं, कहिंचि पक्क णक्क चक्क - करवत्तुकंत-माण- मीणयं, कहिंचि दुग्गाह-गाह-गहिय-विवस $ २७७ ) तरपट्टिमाण तेर्सि सुर्ह मुहे बोलिया रपणी वा य पहु-प-पदिय पढिरव संबुद्ध मुद्ध- 18 मंदिरुजाण - वावी - कलहंस-सारस-कंठ-कूइय- कलयलाराव-रविजेत-महुरो उद्घाइओ पाहाउभो य तूर रखो । पढियं च मंगलपाहि पाहाइय-मंगलं उग्मीयं मंगल-गावगीहिं मंगल-गेयं । समागया तो वारविलासिनीओ पण मियं मुद-घोवर्ण 21 दंत-धावणं च । तओ पयंसियं अद्दयं च भायणत्थं । पलोइयं तत्थ मुहं । उग्गीय-मंगल-गायणीहिं पणामियं विमल दप्पणं, 21 तह दहि सुत्रन्त-णंदावत्त-अक्खयाणि य । वंदिया गोरोयणा । सिय- सिद्धत्थ एहिं विरइभ भालवट्टे तिलओ कुमारस्त । तभो एवं च कय-देववाहिदेव-पणामी पच्छा विवहाकोसह विष्णाण णाण-साथत्य कहासु संपत्तो मन्द-समो भु 21 जहि मोयणं पुणो तेजेप कमेण संपत्ता स्वर्णी । तीव रमणीए केण वि वियहु-पओगणतरेण किंनि उप्पादये वीस- 24 अंतरं सहाविया अंगमंग-फरिस रसं दिण्णा मुद्दिया । पसारिओ कणयमय घडिय - णालो विव कोमल - बाहु-दंडो करतलो णीविदेवरम्मि । एवं च कयावस्य करणीजो समुद्रिको सपणाओ बाब दुइया विरची तओ सेणेव कमेण संपत्ता तया 27 राई अणुराय पवद्रुमाण- णिब्भर- द्दिषयाणं पिव तो तइय-रवणीय व विज्यतिष-वीसंमे तेथे गे पिज्जा सम्झस-स- 27 रिस - सुहमुप्पायएण पभोएण कयं किं पि कज्जं तं । अवि य । 1 । जुबईयण-मण-मोहं मोहं मृदाण सम्य-जीवाणं होइ पहिँ निरमियं परिहरिये दिव्य भावेहिं ॥ 30 णिव्यते यतम्मि जुनइयण-मण-मोहणे मोहणे कमाई वद्रावणबाई दिष्णाई महादाणाई । 1) J समेक्खं 3 > ताहे for तेहि, तेहि for साहि. 4 ) Better हिययं तं for च, and कुमर for कुमार, हिअंअ वाण 6 for पि, मज्झत्थ 7) मागाह, चंचलदुमया 8 ) सहवस्सोहि 9 ) J तेहि for ताहि 15 ) सउव्वहसि. 17) अहो ससिलिट्ठो. 18 om. तत्थट्ठियाण etc. to रयणी, P तेंसी, P वोलिओ, पडिरवर-- 19) P कलहंसरस ईससारसकंकूश्य कुविय for कूरवि पाहाओ for पाहाओ, adds यात्र य before पढि P य for न. 20 ) Jom. पाहाइयमंगलं, I पाहायअमंगलं उयीयं, Jom. मंगलगेयं समागया etc. to देसंतरम्मि 1. 26 below. 21) F अधयं न, P उदीयं for उग्गीयं. 22 ) P तदहिसुवन्नणंदा, भालखट्ठे. 25 ) P अंग मंग मंगफरिस P पसारियाओ, 26) J एयं for एवं om. कयावरस्य etc. to सयणाओ । ताव, P हुइया विराती for दुइया वि रत्ती, P तेणय. 27 ) P राती, P तइया, Pom. य, विसंभेग, P -सज्जा ससरिस- 28) सुपयाएण, Jom. पओएण, कयं कंपि जंतं. 29 ) P जुवतीयण, J पसूहिंमिरमियं विसरिसंपरिहरियं दिट्टिभावेहिं. 30 J जुवईयण, Jom. दिण्णाई महादागाई 31 ) Pom. कायव्व, हिमहिगिरि32) सेणीय. 33 ) P गयणंगयं व, P धवलकलहोय, दुत्तारदुरं. 34 ) छडि उच्छडंत, P छोडिओच्छलंतपालियं, P कमटपट्टिसंठि उलसंत चिड्डु संपलवं कलिहिंचि 35 ) P करग्गमगत, Pom. चक्क, P णीयं for मीगयं, J गह for गाह, P हित 3 + 6 30 $ २७८ ) एवं च कय कार्यान्व वावारा अण्णम्मि दियहे समारूढा हिमगिरि - सिहर- सरिसं पासाय- तलं । तत्थ य भारूढेहिं दिहं तेहिं विजयपुरवरीए दक्खिण-पायार सेणी-बंधं धुयमाणं महारयणायरं । तं च केरिसं । अवि य । गणगण व रुंद व कोय धोय व दुसार-दूर-वीरं खीर-समुदस्स वियं व ॥ 12 15 33 Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७४ उज्जोयणसूरिविरइया [६२७८हीरमाण-वणचरं, कहिंचि धवल-संखउल-लोलमाण-कमल-राय-रयण-दित्ति-चित्तलं, कहिंचि भिण्ण-सिप्पि-संपुडलसंत-कंत- 1 मुत्ताहलुज्जलं, कहिंचि जल-वडिय-जल-बिद्दुम-दुम-गहण-राय-रंजिय, कहिंचि तणुथ-तंतु-तुलिय-हीरमाण-वण-करिवरं, कहिंचि मरगय-मणि-सिलायल-णिसण्ण-भिण्ण-वण्ण-दीसंत-मच्छ-जुवलयं, कहिंचि जल-करि-दंत-जुघल-भिजमाण-जल-माणुसं, ३ कहिंचि उध्वत्तमाण-महाभुयंग-भीम-भोग-भंग-भासुरं, कहिंचि जल-मणुय-जुयाण-जुवलय-पयत्त-सुरय-केली-हेला-जल-धीइसंकुलं, कहिंचि मजणावइण्ण-दिसा-ईदावगाहमाण-गंडयल-गलिय-मय-जल-संदोह-बिंदु-णीसंद-पयड-पसरंत-वेलावली-वलं6 तुलसंत-चंदय-चित्तलं जलं ति । अवि य । २७९) पक्षण-पसर-वेअ-संखुद-बीई-तरंगग्गहिजंत-तंतूहि संदाणियालेस-मच्छच्छडा-घाय-वेउल्लसंतेण णीरेण संखावली-खोह-दीणाणुणायाणुसारागयाणप्पसप्पेहि पम्मोक-दाढा-विसुव्वेल्ल-दिप्पंत-जालाउलं । जल-करिवर-रोस-णिभिण्ण१ दंतग्ग-वेवंत-कुम्नेहि णक्खकुसा-घाय-विज्झंत-मम्माहउक्कत्तियासेस-कुंभत्थलुच्छल्ल-मुत्ताहलुग्घाय-मजंत-कंतप्पहा-भिण्ण- 8 दीसंत-वण्णण्ण-माणिक-संघाय-रस्सीहिं तं संकुलं । वर-मयर-करग्ग-संलग्ग-णक्खावली-घाय-वेउच्छलुच्छल-कीलाल-सेवाल संलग्ग-मुत्तावली-लोह-णिद्धाइयाणेय-णीरंगणा-जुद्ध-संखुद्ध-पायाल-भजंत-माणिक्क-भक्खुल्ल-संतुट्ठ-मुद्धागनल्लुरियाणेय-दीसंत12 सप्पल्लवं । पसरिय-जल-पूरमाणुल्लसंतग्गि-पूरंत-पायाल-संमेलियासेस-खुब्भंत-जंतू-जवावत्त-संवत्तणी-संभमुकंत-णायाणुसद्दुल्ल- 12 संतुटू-णचंत-देवंगणामुक हुंकार-वाउजलुव्वत्त-दिप्पंत-सव्वाडवं ति ॥ अवि य । णचंत-तरंग-सुभंगुरयं वियरंत-समीण-महामयरं । दिप्पंत-समुज्जल-मणि-रयणं दिटुं च समं रयणायरयं ॥ 15 तं च द?ण वेला-महिलालिंगियं महाजलहिं भणिय कुवलयमालाए। 'अज्जउत्त, पेच्छ पेच्छ, 15 ___गंभीर-धीर-गरुओ होइ महत्थो वि अमय-णीसंदो । सामण्ण-दिण्ण-विहवो तुह चरियं सिक्खइ समुदो ॥' कुमारेण भणियं । 'पिए तुम पि पेच्छ, 18 फुड-मुत्ताहल-दसणा फुरत-णव-विहुमाहरा सामा। वेविर-तरंग-मज्झा तुज्झ णु सरिसा उयहि-वेला ॥' ६२८०) तओ कुवलयमालाए भणियं । 'अजउत्त, अलं इमिणा बुहयग-परिणिदिएण इयर-बहुमएण अत्तणो पसंसा-वयण-वित्थरेण, ता अण्णेण केण वि वियङ्क-बुद्धि-परिकप्पिएण विणोएण अच्छामो'त्ति । कुमारेण भणियं 'पिए, सुंदरं 21 संलतं, तत्थ वियड-परिकपिपयाई इमाई विगोय-कारणाई । तं जहा । पहेलिया बूढाओ अंतिमक्खराओ बिंदुमईओ अट्ठा-१ विडय पण्हुत्तराई पढाई अक्खर-चुययाइं मत्ता-चुययाई बिंदु-चुत्ताइं गूढ-चउत्थ-पाययाई भाणियब्वियाओ हिययं पोम्हं संवि. हाणयं गाहह गाहा-रक्खसय पढमक्खर-विरइयं ति । अण्णाणि य महाकवियर-कप्पियाई कवि-दुकराई पओयाई' ति। कुवलय24 मालाए भणियं 'अजउत्त, जाई तए भणियाई इमाई लक्खणं किं किं पि वा सरूवं' ति । कुमारेण भणियं । 'मुद्धे, सुणेसु 4 पहेलिया अंतिमक्खर-बूढाओ गोवाल-बालेसु वि पसिद्धाओ जति । सेसाणं पुण णिसुणेसु लक्खणं । अवि य । जत्थक्खराइँ कीरति बिंदुणो आइमंतिम मोनुं । अत्यो उण साहिजइ सा बिंदुमद त्ति णायव्वा ॥ तं जहा । 27 तं कि दु ० . ० कि 6ि कि० कि० । ०० ही ० ० ०ा कि वी० कि ॥ 18 1) J हीरममाण, P जलकरिवरं for वणचरं, P लोलमाणकोमयराय, 1 सप्पुडुल', P संपडुलसंत, J कंतर for कंत. 2) J वट्टिम, J om. जल, P रहियं for रंजियं, J लिहिअ for तुलिय, वर for वण. 3) Pणियन्नभिन्न, Jom. भिण्ण, J जुअलय, करिदंतजुअल. 4) भो for भोग, 2 जलदुगाणुसजुयल, I जलवीई जलवीयि. 5) I मज्जणवइण्ण, P दिसामयंदायगाहण, J गिलिय for गलिय, J पयपसंतकदावलाविता for पयडपसरंतवेलावली. 7) J पसरंत for पसर, P वीचीतरंग, J 'गहिर्जत P गमिजत. 8) P -दीयागुणाया', J णायागुसारागयाण', J 'प्पेहि पमुक्कपमोकदाढा P पमोकदादा, J विवेल P विसवेल, J रोसविणि भिण्ण. 9) Jणक्वत्तसंधावित-, ' विज्झं तं च माहयुक त्ति असेस, मुत्ताफल, Pमुत्तालुघाय, P कंदपहा. 10) P संघायरासीहिं, Pणकावली, Pघायतेलुच्छलुल. 11) P संसग्ग, लोभ-, P इयाणेयाणीरंग गाकूटसंखुद्ध, P पायालभिज्जतमाणि करुक्कलसंतुट्ठ, संखुद्ध for संतुट्ठ, मल्लरियाणेय. 12) सपल्लवं ।' सपल्लय, सम्मेल्लिया, P संतमुकंतणायाणुसदूल्लसंतुद्ध. 13) संतुद्धवच्चत, P हुंकारवाकुऊपत्त, वाउज्जलव्वंत; सचावेत्ति. 14) पञ्चततरंतसुभेगुरयं,J समंगुरयं, P om. महा. 15) Padds च after भणियं. 16) Prepeats धीर, ।' तरुओ for गरुओ. 17) Pom. पिए, Jom. पि and repeats पेच्छ. 18) Jदंसगा, J मण (partly written between lines). for णव, P कुज्क्षण for तुज्झ णु. 19)P इयरमहुएण. 20) Jom. ता, बुद्धिपक्खिकपिएण, J repeats विणोएण 21) P पियट्टपरियपियाई, J adds करि (or परि) before कपि, J बुड़ाओ for बूढाओ, J अठ्ठापिअडं अट्ठाविडयं. 22) J पहुंढाइ P पधा, अवर अआई मत्ताचूअआई गूढ-, P अक्खरचुतयाई गसाचुत्ताई बिंदुवुत्ताई, J om. बिंदुचुत्तार, " गूढचतुपादाई, . भाणिपविआओ भागेय शियाओ द्विययं पोम्हं. 23) P पदमखरं, P om. अण्णागि य etc. सरूवं लि. 24)" मुद्धे निम्णेपु. 25) संतिमक्खब्बूढाओ, P चूलाओ for चूढाओ. 26J करेंति for कीर ति, आर अंतिपमोत्तू। 27). The Mss. J & p have irregularly presented the symbols of bindus and vowels, so they are not reproduced here. It may be noted that u does not give the Sirorekhä or serifa but p gives it. In the text the-e are duly represented in the light of the verse for which they stand. Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२८०] कुवलयमाला 1जइ उण लद्धा तई सा एसा पढिजइ । तमि महं बहु-जण वल्लहमि तं किं पि कुणसु सहि जेण । असईयण-कण्ण-परंपराएँ कित्ती समुच्छलइ ॥ s बत्तीसं-घरएसुं वत्थ-समत्थेसु छुब्भइ सिलोओ। अहवा खप्परियासु सो भगणइ अढविडओ ति ।। तं जहा । लेखितव्यमित्यनन्तरमेव । ल्या 12 जइ पुण बुद्धीए जाणियं तहमा पाढो पहिज्जए। सर्व-मंगल-मांगल्यं सर्व-कल्याण-कारणं । प्रधानं सर्व-धर्माणां जैन जयति शासनं ।। चत्तारि दोण्णि तिण्णि व चउयाओ जस्थ पुच्छिया पण्हा । एकेण उत्तरेण भणति पण्हुत्तरं तमिह ॥ किं जीवियं जियाणं को सहो वारणे वियढाणं । किं वा जलम्मि भमराण ताण मंदिरं भणसु आतततं ॥ जइ जाणइ तओ 'कमलं' । इमं पुण पण्हुत्तरं दइए, होइ बहु-वियप्पं । एक्कं समत्थय, अवरं वत्थयं, अण्ण समत्थवस्थयं, एक्कालावयं । पुणो लिंग- भिणं, विभत्ति-भिण्ण, काल-भिण्णं, कारय-भिण्णं, वयण-भिण्णं ति । पुणो सक्कयं, पाययं, 16 अवन्भंसो, पेसाइयं, मागहियं, रक्खसयं, मीसं च । पुणो आइउत्तरं बाहिरुत्तरं च त्ति । को णिरवलेसं भणिउ तरइ । गृदुत्तरं 15 साहेमो। पण्हं काऊण तओ गूढं जा उत्तरं पि तत्थेय । पर-मइ-चंचण-पडुयं तं चिय गूढुत्तरं भणियं ॥ तं जहा । कमलाण कत्थ जम्मं काणि व वियसंति पोंडरीयाई । के काम-सराणिं चंद-किरण-जोण्हा-समूहेणं ॥ जया पुण जाणियं तया कमलाण कत्थ जम्मं । के, जले । वियसंति पोंडरीयाई। काई, सराणि । तत्थ समत्थ-समत्थ-उत्तरं ।। के सराणि । 1 जं पुढें तं दिजइ अंधो विय णेय जाणए तह वि । तं पयड-गूढ-रइयं पढें भण्णए अण्णं ॥ तं जहा । केण कयं सव्वमिणं केण व देहो अहिडिओ वहइ । केण य जियंति जीया साहसु रे साहियं तुज्झ ॥ जइ जाणसि, केण कयं सव्वमिण । फ्यावइणा । कः प्रजापतिरुद्दिष्टः । क इत्यात्मा निगद्यते। सलिलं कमिति प्रोक्तम् ।। अत्तो तेण कयं सव्वं । ति । 24 1) paddsi before जइ, ३ पुण for उI, P पढिज्जए. 2) कुण साहि जेण, ' असतीयणकन्नंगरंपराणं किती, J समुच्छलई.3) बत्तीसुं, वित्यमवत्थेसु, Jछुभए, Jखप्परिआसुं P खप्पडिआमुं. 4) जहा।लेखितव्यमित्यनन्तरमेवामित्यानंतरमेव. 5) It is uncertain from the MSs. that at what place the diagram is to be put. In the diagram and also in the subsequent verse is often written as in both the mss. Some syllables are wrongly written in the diagram. 9) Padds तं जहा before जा पुण, P दाऊग for पुण, Jom. पढिज्जए. 10) सब for सर्व in both places, I सासनं शासनं. 11) has योजनीय: before चत्तारि; possibly the diagram according to I would come after योजनीयः, J om. व, P वुज्झिआ for पुच्च्यिा , P तंति for तमिह, J adds तं जहा after तमिह. 12) किं जीणं जीवाणं, J वारण, P किं च जलंमि भगताण मताण मंदिरं होइ भमराणं for the second line. 13) Iom. जड जाणइ तओ कमलं, Pom. दइए, बहुविहं अप्पं, om. अवरं वत्थयं. 14) Pom. एकालावयं, P वित्तिभिन्नं, Prepeats कालभिन्नं, P कारयतिनं, P adds सञ्चभिन्नं before ति, सक्कयं पुणो पायं. 15) Jअवभंसो अवब्भसं, आति उत्तरं, चेति for चत्ति, P गिरविसेसं, 'तरई । गूढत्तरं साहामो. 17) Pगूढत्तरं, Jom. तं जड़ा. 18) Jउ for व, पोंडरीयाणि, कामरसाणिचं तं किर जोन्हासमूहेण ॥. 19)P तदा for तया, P काइ, Jom. तत्थ etc. to केसराणि. 21) P ज पटुंदसिज्जइ, पटुंबं । पट्ठद्ध. 22) देहो अभट्रिओ, P जीयति जिया साहसुमे याहितं तुज्झ-23) Padds तओ before केग, P'पतिरुपदिष्टः । कः इत्यात्मा, प्रोक्तं । अतो, J केण for कयं, कः प्रजापतिः etc., obviously three padas of a sloka. Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७६ उजोयणसूरिविरड्या [$२८०1 जत्थ सिलेसो विहडइ चालिज्जतेण अक्खरेणेय । घडिए पुण घडिय चिय तं भण्णइ अक्खर ययं ॥ तं जहा । पञ्चग्ग-धूय-गंधा सेविजंती सुरेहि जूडे हिं। गिम्हे वि होइ सिसिरा सा वउलावली रम्मा ॥ 3जइ जाणसि, ता सा देवकुलावली रम्मा । जत्थ य लुप्पइ किरिया मत्ता-भावेण होइ तब्भावो । तं चिय मत्ता-चुययं बिंदुच्चयय पि एमेव ॥ पयइ-धवला. पहिओ पवास-पचागओ पिययमाण । तरलच्छाइँ सयण्हो सरए वयणाई व जलाई ॥ 6 जइ पुण जाणसि, पियइ वयणाई व जलाई ति । बिंदु-चुययं जहा। असुईण जं असुइर्श दुग्गंधाणं च होइ दुग्गंधं । बुहयण-सहस्स-परिणिदियं च को जगलं खाइ ॥ लइयम्मि जंगलं ति । ७ गूढ-चउत्थय-पायं णामेणं चेय लक्खणं सिटुं । आइम-पएसु तीसु गोविज्जइ जत्थ तुरिय-पयं ॥ गूढ चउत्थ-पायं जहा। सुण्णो भमामि एसो आसणं मच्च-लिंग-पत्तो है । कणं दे सुण धयणं 12 किंतु गूढो चउत्थो पाओ। जइ पुण णजइ एस्थेय चिट्ठइ । 'सुभए आलिंगणं देसु' । सेसाणं पुण लक्खगं णामेणं चेय । णायन्वं । भणिएविया जहा। जइ धम्मिएण भणियं दारे ठाऊण देसु भिक्खं ति । ता कीस हलिय-धूया तुरियं रच्छाए णिक्खंता॥ 1 मिक्खा-विणिग्गए धम्मिए मढे संकेओ ति । हियय-गाहा जहा । गोसे च्चिय हलिय-बहू पढम चिय णिग्गया घरहारं । दहें कलंब-कुसुमं दुहिया रोतुं समाढत्ता ॥ संकेय-भंगो दइएण साहिण्णाण कलंबं ठवियं ति हिययं । पोम्हं जहा । 18 ण कयाइ तेण रमिया सयणे सुयगे विणो अहं वसिया। णाम पि णेय गहियं कीस पउत्थं तयं भरिमो॥ पोम्ह पुण। सो चेय मए रमिओ वसिया वच्छत्थलक्ष्मि अह तस्स । दइयं ति जो भणतो सो चेय मह भरउ णाहो ॥ त्ति । गाहद्धं ति । जहा। अवहत्यिऊण लजं गेण्हसु कंठम्मि किं व ण सुयं ते । अब्भत्थिओ ण लब्भइ चंदो व्व पिओ कला-णिलओ ॥ एत्थं पुण अण्णं गाहई। 24 दिट्ठो णयणाणंदो णिव्वुइ-जणणो करेहिँ वि छिवंतो। अभत्थिओ ण लब्भइ चंदो व्व पिओ कला-णिलओ ॥ ति। " संविहाणयं जहा। अइ भणसु तं अलज परलोय-विरुद्वयं इमं काउं । घोरे तमम्मि णरए गंतवं संबलि-वणम्मि ॥ 27 एत्थं संविहाणयं । केण वि दुई पेसिया पत्थेउं । जाइया कुविया पडिवयगं देइ । किर परदार-गमणेण णरए कूड-सिंबली-बणेश छुब्भइ त्ति । इओ ताए पुण तस्स संकेयं दिणं । परलोओ एस दूई । इमिणा कजेण गंतव्वं तए एत्थ संबली-वणे । काए। पुण वेलाए । घोरे तमम्मि । अरे पुरिस ए तए त्ति, अहं तत्थ वच्चीहामि त्ति । एत्तिओ संविहाणो त्ति । गाहा-रक्खसं जहा।। 30 एत्तियमेत चिय से भणमाणो मुच्छिओ पहिओ ॥ इमं च पच्छिमई । जा काइ भुयणे गाहा, तीय रक्खसो इव सम्वत्थेसु लग्गइ ति । पढमक्खर-रइयं जहा । __ दाण-दया-दक्खिण्णा सोम्मा पयईए सव्व-सत्ताण । हंसि व्व सुन्बु-पक्खा तेण तुमं दंसणिज्जासि ॥ 1) I सिलोसो, J चालिज्जतोण, P पिउज्जतेगं अक्खरेगय, अक्सर जुययं. 2) J पच्छवखचूअ, P गंधो सेविजंता, P om. जडेहि which is added on the margin in J, P गिम्हेलि होति. 3) देववलावली. 4) P लुप्पति, P होंति, J तब्भावे, चिव, P बिंदुचुतयं पि येमेय ।।.S)P पियश्माण, सयपहा, J मऊलई for जलाई. 6) जे for जद, जाणासि, P वयणाइ जाणाई ति बिंदुचुतयं जहा. 8) P जंगल for जगलं, J om. लक्ष्यम्मि जंगलं ति. 9)J उत्थपादेणं चेअ. 11) P adds आ after एसो. 12) कित्ता (?) for किंतु, P पेतुत्थपादो। एत्थयं, P सुहए, P सेसाण उण13) भणिएचिया, P भणिएब्वे जहा, J om. जहा. 14) Pधम्मिऊण, Jठाऊ देस, तुरिय. 15) विगिएण. 16)" घरदारं, J दट्टण P दटुं, रोतुं रोतु. 17) Pinter. दइएण and साहिण्णा (ना) ण, Pहितयं, पम्हं for पोम्हं. 18) P गहितं कीस, P भणिमो. 19) J पुम्ह for पोम्हं, ५ पोम्हमुण. 20)Jचेव, दइस, "मण तो सो चेय, Pom. ति. 22) P कंटभि कि च ण सुअते, Pव्य कउकलाणिउणो. 24)Pणिवत्ति व जणगो, P मि for वि, व कलापिउउणो॥. 25) सविहाणयं. 26अ for अइ, P अलज्ज, I om. इमं. 27) J सविहाणयं, Jom. पत्थेउं । णाझ्या, P पडिवयण न देह, PR. दारा, P कूटसबलावणे छुभइ. 28) Jom. त्ति, Pom. इओ, Jom. ताए, P सकिय दियं दिन ।, Pom. परलोओ एस eto. to संवाहाणो ति. J संवाहाणो (3, for सविताणो). 30 P एत्तियमेत्ते, P पुच्छिओ for मुच्छिओ. 31) Jom. च, P पच्छर, 1 repeats जा, JP repeat तीय, P रदतं. 32सोमा पयतीय सव्वभत्ताणं ।। Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ § २८२ ] कुवलयमाला 1 तत्थ य पाय-पटमक्खराई 'दासो ' ति कामयतेण लिहिजण पेसिया गाहा । एवं इमाइँ एत्थं अण्णाइ मि होंति बहु-वियप्पाई । छप्पण्णय- बुद्धि-वियपियाइँ मइ - वित्थर-कयाई ॥ उता साहसु पिए, इमाणं मज्झे केण विणोएण चिट्ठामो'ति । कुवलयमालाए भणियं । 'भजउत्त, सब्वाई चेय इमाई सुंदराई, 3 तापिरंतु वा इमाई । अण्णं किंचि देवं विष्णवेमि, जय देवो पसायं करेछ' । कुमारेण भणियं 'पुच्छ वीसत्यं, गरिब ते अणाइक्खणी' । कुवलयमालाए भणियं 'अज्जउत्त, एत्तियं सासु कहं तए जाणिभो एस पायय-संतो, कई इमं देर्सतरं 6 पत्तो, कहं वा पायओ पूरिओ'त्ति । कुमारेण भणियं 'सुंदरि, णिसामेसु । 27 ६ २८१ ) अस्थि अउज्झाए दढवम्मो णाम राया । सामा देवी । तीय पुत्तो अहं । दिव्व-तुरयावहरिभो वणं पत्तो तपय दिट्टो महारिसी, सीहो, दिग्ब-पुरिसो व तेण रिसिणा साहिब पुग्ध-जम्मं पंचण्ड वि जाणं तं जहा चंडसोमो कोव 9 जणिय- वेरग्गो उवसंतो धम्मणंदणस्स पायमूले कोसंबीए पुरवरीए । माणभडो वि । एवं चिय मायाइच्चो, लोहदेवो, मोहदत्तो 9 तो एवं च तवं काऊण कय-जिणवर धम्म-संकेया कालं काऊण पडसे विमाणे समुप्पण्णा । तत्थ वि धम्म- तित्थयर-संबोहिया कप-सम्मता पुणो समाया हीनं तथ य जो सो लोहदेवो सो इदं चंपावरीए बणिउसो जाओ । तम्मि जाण12 बजे विणिग्गी पठमकेसरेण देवेण संबोहिल, पव्वइओ, ओहि जाणी जाओ। तेण वि णिरुवियं जाब चंडसोमो सीहो 12 जाओ, माणभडो भउज्झाए अहं जाओ । तओ अवद्दरिओ पउमकेसरेण मोहदत्तेण, रिसिणो य पासं संपाविभो । तेण य भगवया साहिओ एस सव्वो वृत्तंतो । गहियं च मए सम्मत्तं, जहा सत्तीए किंचि देस-विरइय-वयं च । तत्थ य सीहेण 15 कयं भणसणं । पुच्छिओ य मए भगवं 'सो उग मायाइच्च देवो कत्थ ववण्णो संपयं' । साहियं च भगवया । 'दाहिण समुह- 15 वेला पण लग्गा विजया णाम पुरवरी । तत्थ व विजय राणो धूया कुवलयमाल' ति मए भणिये 'भगर्व, तीय को होही उपाभो सम्मत-भे' चि भगवया भणियं 'तुमं चेन पडिबोहेसि' भए भणियं 'भगवं, किं मम सा वयर्ण 18 करेइ' | भगवया भणियं 'तए सा परिणेयव्वा' । मए भणियं 'क्रेण उवाएण' | भगवया साहियं 'तीय पुरिस- देसिणीए 18 अण्णो मुनिवरो सयलं पुव्व-भव वृत्तंतं साहेइ सुय- गाण- पभावेणं । ता ताणं पंचण्हं जणाणं एक्का एसा । अण्णे चत्तारि torte उववण्णा । ताणं च मज्झे एक्केण परिणेयव्वा ण अण्णेण । तओ सा तप्पभिदं पाययं लंबेहिइ पुब्व-भव-वृत्तंत21 सूचयं तं च तुमं एको जागिहिसि ण उण अण्णो, तेण तु तं परिणेहिसि । पुणो संजाय पी श्रीसंभ-परूट- पणवाए 21 संभरिऊण पुष्व जम्म-वुत्तंतं, काऊण धम्म- कई, जणिऊण वेरग्गं, जिंदिऊण संसार-वासं, पसंसिऊण सम्मत्तं सव्वहा तम्मि काले पनोय-पुण्यं सदा करणी जहा गाइवस सम्म ति । तभ मए पुच्छित्रं 'भगवं, एस पुण पडमकेसरो देवो 24 कत्थ उववज्जिहिइ' ति । भगवया भणियं 'एस तीए चेव कुवलयमालाए पुतो पुहइसारो णामं होहि ि 24 तओ तुम्हेहि पडियोहेयग्यो' तितं च सोऊण पिए, इमं देतरं संपत्तो किर तुमं पडिबोहेमि सि । एवं चभिष्णो पायभो । परिणीया एत्थ तुमं ति वा पिए, संपर्क इमं जाणिऊण पनि सम्मतं । ६ २८२ ) तं च केरिसं । अवि य । दुत्तर- दूर तीरे फुडिए जाणम्मि वुज्झमाणस्स । पुरिसस्स उयहि-मज्झे जह फलहासायणं सरणं ॥ तह संसार-महोयहि-दुत्तारुत्तार- विसम- दुह-सलिले । जीवस्स होइ सरणं सम्मत्तं फलहयं चैव ॥ बहुहु-जोयण-वित्थिपणे भडई - मज्झम्मि भीरु - पुरिसस्स । भीयस्स भयंडे चिय सत्यो पुरओ जहा होइ ॥ संसाराड-मज्झे बहु- दुक्ख सदस्य- साववाइण्णे जीवस्स णत्थि सरणं मोनुं सत्यं व सम्मतं ॥ जह कंटय रुक्स समाउसम्म गहणम्मि डु-मग्गास्स भवियाणिय- देस दिसी विभाग मूढस्स वर मग्गो ॥ सह जीवस्स वि सुइरे कुत्थमग्गे मूट हिययस्स । सिद्धि-महापुरि गमियं मार्ग पिव होइ सम्मतं ॥ 30 33 १७७ J 1 ) P ते for ति, कामयतो भावयंवेण 2 ) J adds विह after बहु, P मतिवित्थर, कराई ॥ 3 ) P सासु पिए Padds तिं before भणियं. 4 ) ता for ताव. 5 P अणाविक्खणीयं, Padds वा before इमं 7 > 3 adds अण्ण after अस्थि, दढधम्मो महाराया, तुरियावहरओ वणसंपत्तो 8 P तत्थ रिट्ठो, P रिसिणासीहियं, P को for कोव. 9 ) P वेरग्गो, कोसंबीपुर 10 ) Pom. च, Pom. काऊण after कालं, I om. वि P तित्थरय बोहिया क्यसमत्ताण. 11)P जंबुयदीवं, Jom. य, लोहदेसो सो इय, P वणियउला जाओ P तम्मि य जाणवत्त वि 12) P सवोहिओ, P सोहो for सीहो. 13 yr om. जाओ after अहं, P रिसिणो य, P संपाइओ, Pom. तेण य भगवया साहिओ. 14 ) J अब्बो for सो, Pom. च, किंच P किंपि देसविरईवयं. 15 J adds य before कयं सोऊण for सो उण, P उबवण्णो for ववण्णो, om. संपयं, ए भणियं for साहियं. 16 पुरी for पुरवरी, भयवं, Padds य before को. 17 J होहि होति, P उवाय, -लब्भो, " तुमं वियपडिबोहेतु, कयणं for सा वयणं. 18 ) Padds भगवं before केण, P -सिणीय. 19 ) साहिति P साहेति प्पभात्रेणं, J om. ता. 20) Padds एक्के before एक्केण, ए अन्नोण, तप्पभूई, लंबेहिति P बेहिति, P वृत्त. 21 ) P जाणहसि, Pom. तं, JP पीति 22 ) 3 om. पुव्वजम्मवृत्तंतं काऊण, र धम्मस्स कहूं, P वेरयं for वेरगं. 23 > लाइवंत सा सम्मत, P णातिवत्तं इ, भ्यवं । भगव, P एस for पुण. 24 > JP ज्ववज्जिहिति, Jom. त्ति, P चेय कवलय", repeats पुत्तो. 25 ) तत्थ for तओ, तुम्मेहि P तुम्हेवि, P चेय for च, पत्तो for संपत्तो, P पडिवोयन्न त्ति ।। 26 > Jom. एत्थ, पिर for पिए, पडिवज समातं. 27 ) P जं for लं, Padds से after व, Pom. अवि य. 28) P भज्जगाणरस, ए उहिमज्झे, P फल्यायणं. 29 ) P महोमहिदुत्तारो विम्मदुसयासलिले ।, सुहू for दुह, P चेय. 30 > P अमांगि, सत्यं for सत्यो 32 ) P अवियाणयसहिसाविहाय, मग्गे. 33 > कुमग्गलग्गे for कुसत्यमग्गे. J 23 6 27 30 33 Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७८ उज्जोयणसूरिविरइया [६२८२। जह होइ मरुत्थलीसैं तण्हा-वस-सूसमाण-कंठस्स । पहियस्स सीयल-जलं होइ सरं पंथ-देसम्मि ॥ तह संसार-मरुत्थलि-मझे तण्हाभिभूय-जीवस्स । संतोस-सीयल-जलं सम्मत्तं होइ सर-सरिसं ॥ जह दुक्काले काले असण-विहीणस्स कस्सइ णरस्स । छायस्स होइ सहसा परमण्णं किं पि पुण्णेहिं । तह दूसमाए काले सुहेण हीणस्स एस जीवस्स । दुहियस्स होइ सहसा जिण-वयणं अमय-णीसंदं ॥ जह णाम कोइ पुरिसो सिसिरे पवणेण सीय-वियणत्तो । संकोइयंगमंगो जलमाणं पेच्छए जलणं ॥ तह चेय एस जीवो कम्म-महासिसिर-पवण-वियणत्तो। दुक्ख-विमोक्खं सहसा पावइ जलणं व जिण-वयणं ॥ जह एत्थ कोइ पुरिसो दूसह-दारिद्द-सोय-भर-दुहिओ। हेलाए च्चिय पावइ पुरओ चिंतामणि रयणं ॥ तह णारयादि-दारिद-दूसिओ दुक्खिओ इमो जीवो। चिंतामणि व्व पावइ जिण-वयणं कोइ तत्थेय ॥ जह कोइ हीरमाणो तरल-तरंगेण गिरि-णइ-जलेण । कह कह वि जीय-सेसो पावह तड-विडव-पालंबं ॥ तह राग-दोस-गिरि-णइ-पवाह-हीरंत-दुक्खिओ जीयो । पावइ कोइ सउण्णो जिण-बयण तरुवरालंबं ॥ जह कोंत-सत्ति-सव्वल-सर-वर-खग्ग-प्पहार-विसमम्मि । पुरिसस्स होइ सवरे णिवारणं ताण संणाहो ॥ तह दुक्ख-सत्थ-पउरे संसार-रणंगणम्मि जीवस्स । जिण-वयणं संणाहो णिवारण सव्व-दुक्खाणं ॥ जह दूसह-तम-भरिए णट्ठालोयम्मि कोइ भुवणम्मि । अंधो ब्व अच्छइ णरो समुग्गओ जाव णो सूरो । अण्णाण-महातम-संकुलम्मि अंधस्स तह य जीवस्त । कत्तो दसण-सोक्खं मोत्तुं सूरं व जिण-वयणं ॥ 15 जह सयल-जलिय-हुयवह-जाला-मालाउलम्मि गुविलम्मि । विस्थिण्णं होइ सरं सहसा पुरिसस्स भीरुस्स ॥ तह चेव महामोहाणलेण संतावियस्स जीवस्स । सव्वंग-व्वुइ-करं जिण-वयणं अमय-सर-सरिसं ॥ जह दूर-टंक-छिपणे कह वि पमाएण णिवडमाणस्स। जीवस्स होइ सरणं तड-तरुवर-मूल-पालबो॥ 18 तह दूर-णरय-पडणे पमाय-दोसेहि णिवडमाणस्स । अवलंबो होइ जियस्स णवर मूलं व सम्मत्तं ॥ इय जह सयले भुवणे सव्व-भएसुं पि होइ पुरिसस्स । सरण-रहियस्स सरणं किंचि व णो दीण-विमणस्स ॥ तह णरय-तिरिय-णर-देव-जम्म-सय-संकुलम्मि संसारे । जीवस्स णत्थि सरणं मोत्तुं जिण-सासणं एक ॥ २८३) इमं च एरिसं जाणिऊण दइए, किं कायव्वं । अवि य । फलयं व गेण्हसु इभ लग्गसु अवलंबणे व्व णिवडती । सलिलं व पियसु एयं ओयर पंथम्मि व पणट्टा । चिंतामणि व गेण्हसु अहवा उवसप्प कप्परुक्खं वा । णिय-जीवियं व मण्णसु अह जीवाओ गरुययरं ॥ 24 तओ पिए, केरिसं च जिण-वयणं सव्व-धम्माणं मण्णसु । अवि य । जह लोहाण सुवण्णं तणाण धणं धणाण रयणाई । रयणाण काम-रयणं तहेय धम्माण जिणधम्मो ॥ जह गंदणं वणाणं दुमाण सिरिचंदणं मुणीण जिणो । पुरिसाण चक्कवट्टी तहेय धम्माण जिणधम्मो ॥ 27 णागाणं णाइंदो चंदो गक्खत्त-तारयाणं च । असुराण असुरिंदो तहेय धम्माण जिणधम्मो ॥ देवाणं देविंदो जह व परिंदाण णरवरो सारो । जह मयवई मयाण सारो धम्माण जिणधम्मो ।। एरावणो गयाणं सारो खीरोयही समुदाणं । होइ गिरीण व मेरू सारो धम्माण जिणधम्मो ॥ 30 जह वण्णाणं सेओ सुरही गंधाण होइ वरयरओ। फरिसाणं मिउ-फरिसो धम्माण वि एस जिणधम्मो ॥ अण्णं च दइए, एस स जिणवर-धम्मो केरिसो। अवि य । जह होइ जलं जलणस्स वेरियं हथिणो य जह सीहो । तह पावस्स वि एसो जिणधम्मो होइ पडिवक्खो॥ 33 जह जलणो कट्टाणं मयरो मच्छाण होइ णिण्णासो । जह मयवई पसूर्ण एवं पावाण जिणधम्मो ॥ 1J सूसमाणस्म, I writes कंठस्स on the margin and is just a fist zero. 2) मरुत्थली, Pसंतोसवसीय लयजलं. 3)P वि for कस्सइ. 4) Pसुण, P सहस्स for सहसा. 5)P को वि पुरिसो, P संकोतियंगमंगो. 6) Pजम for कम्म. 7) Pinter. कोइ एत्थ, हेलाय, P चिंतामणी. 8) Pगरयाइदारिभूमिओ दुक्खिओ जिओ दी।, Pकोति तत्थिय ।।. 9)J सरल for तरल, P जद्द for कह,J विअइ-पालंब, P पालव्वं ।।. 10)P तह कोहरायदोस, P-ति,P हीर दस्थिओ. P सउणो, P तरुयरालंब. 11) P नह for जह, कोंति, खग्गहारविसमंति। समरे for सवरे. 14) दसेण सोक्वं, Pव्व for व. 15)P विउलंमि for गुषिलम्मि, I विच्छिण्णं, P सहसा भीयस्स. 16) चेय, " -णेन्वुझ्यरं,J रस for सर. 17) Pदूरकंटकिन्नो, Pजह for तड, P सालंब for पालंबो, P has an additional verse here, and it runs thus : तह दृरणरयवडणे पसमाय दोसेहिं णिवडमाणस्स । जीवस्स होइ (?) सरण जद तरुवरमूलसालंब ॥. 18) चटणे, J -देसेहिं. 19) Pइह for इय, Pणे for णो. 22) Jadds मूलं व before गेण्ट्सु , J व्व for व, P पिबसु, JP उयर for ओयर-,J यणट्टा for पणा. 23) P चिंतामणि ब्व, उअसप्प, P कप्पं रुक्खं व।, J अहवा for अह, P जीवाउगुरुययरं. 25) Pसुअन्नं तेणाण, र तहहो for तहेय, P जिणवयणं ।।. 26) Pजह चंदणं, P तहेव, P जिणधमो ॥. 27) णायाणं, गोविंदो for जाइंदो, P तहेव. 28) Pणरिंदाणारागवायरओ।, P मयवती. 30) Pजह चिन्नाणं से तो सुरही,' वरवरगो, मिऊ, 31) J om. स, जिणधंगो, Pom. केरिसो.32) Jom. य, J जहा, P leaves a gap of two letters and has एस for होइ. 33) P मयवती, J धम्माण for पावाण. Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२८४] कुवलयमाला १७९ 1 जह गरुलो सप्पाणं मजारो मूसयाण जह वेरी । वग्घो इव वसहाणं तह ओ पावाण जिणधम्मो ॥ सूर-तमाण विरोहो छाया-धम्माण जह य लोगम्मि । एसो वि तह विरुद्धो कम्माण होइ जिणधम्मो ॥ तावेण पारय-रसो ण वि णजइ के दिसं समल्लीणो। जिण-वयण-ताव-तत्तं पावं पिपणस्सए तह य ॥ जह णिद्दय-वज-पहार-पडण-दलिओ गिरी वि भिज्जेज । तह जिणवरोवएसा पावं पि पणस्सए वस्सं ॥ जलण-पहओ वि रक्खो पुणो वि सो होज किसलय-सणाहो । जिण-वयण-जलण-दस्स कम्मुणो णस्थि संताणं ॥ मुक्को वि पुणो बज्झह णरवइ-वयणेहिँ कोइ णियलेहिं । जिण-वयणेण विमुक्को बंधाओं ण बज्झए जीवो ॥ पजलइ पुणो जलणो धूलि-कलिंबेहि पूरिओ संतो। जिण-वयण-जलण-सित्तो मोहग्गी सव्वहा णस्थि ॥ अण्णं च पिए, एरिसं हम मण्णसु जिण-धम्म । अवि य। 9 जह करि-सिरम्मि मुत्ताहलाई फणिणो य मत्थए रयणं । तह एयम्मि असारे संसारे जाण जिणवयणं । जह पत्थराओं कणयं घेप्पइ सारो दहीओं णवणीयं । संसारम्मि असारे गेण्हसु तह चेय जिणधम्मं ॥ पंकाउ जहा पउर्म,पउमाउ महू महूउ रस-भेउ । णिउणं गेण्हइ भमरो गेण्हसु लोयाओं सम्मत्तं ॥ 12 गजंकुराओ कणयं खार-समुदाओ रयण-संघाओ। जह होइ असाराउ वि सारो लोयाओ जिणधम्मो ॥ ६२८४) अण्णं च पिए, भवणम्मि जह पईवो सूरो भुवणे पयासओ भणिओ। मोहंधयार-तिमिरे जिणधम्म तह वियाणासु ॥ एरिसोय 15 अत्थाण होइ अस्थो कामो एयाण सव्व-कामाण । धम्माण होइ धम्मो मंगलाणं च मंगलं ॥ पुण्णाण होइ पुण्णं जाण पवित्ताण तं पवितं ति । होइ सुहाण सुहं तं सुंदरयाणं पि सुंदरयं ॥ अशब्भुयाण अञ्चब्भुयं ति अच्छेरयाण अच्छेरं । सेयाण परं सेयं फलं फलाणं च जागेज्जा ॥ 18 तओ पिए, धम्मं तित्थयराणं, जह आउराण वेजो दुक्ख-विमोक्खं करेइ किरियाए । तह जाण जियाय जिणो दुक्खं अवणेइ किरियाए॥ जह चोराइ-भयाणं रक्खइ राया इमं जणं भीयं । तह जिणराया रक्खइ सम्व-जणं कम्म-चोराण ॥ जह रुंभइ वञ्चतो जणओ अयडेसु तरलयं बालं । जिण-जणओ वि तह चिय भव्वं रंभे अकजेसु ॥ जह बंधुयणो पुरिसं रक्खइ सत्तूहि परिहविजतं । तह रक्खइ भगवं पि हु कम्म-महासत्तु-सेण्णस्स ॥ जह जणणी किर बालं थणयच्छीरेण णेइ परियटुिं। तह भगवं वयण-रसायगेण सव्वं पि पोसेइ ॥ 24 बालस्स जहा धाई णिउणं अंजेइ अच्छिवत्ताई। इय णाण-सलागाए भगवं भब्वाण अंजेइ ॥ दइए, तेण तं भगवंतं धम्म-देसयं कहं मण्णह । अवि य । मण्णसु पियं व भायं व मायरं सामियं गुरुयणं वा । णिय-जीवियं व मण्णह अहवा जीवाओ अहिययरं ॥ अवि य । हिययस्स मजा दइओ जारिसओ जिणवरो तिहुवणम्मि । को अण्णो तारिसओ हूँ णायं जिणवरो चेय ॥ सव्वहा। जइ म मण्णसि मुद्धे, कजाकजाण जाणसि विसेसं । जइ इच्छसि अप्प-हियं सुंदरि पडिवज जिण-वयणं ॥ जइ जाणसि संसारे दुक्खाइँ अणोर-पार-भीमाइं । जइ णिव्वेओ तुम्हं सुंदरि ता गेण्ह सम्मत्तं ॥ जइ सुमरसि दुक्खाई मायाइयत्तणम्मि पत्ताई। जइ सुमरसि णिब्वेओ सुंदर ता गेण्ह सम्मत्तं ॥ जइ सुमरसि कोसंबिं जइ जाणसि धम्मणंदणो भगवं । जइ सुमरसि पव्वजं सुंदरि पडिवज जिणधम्मं ॥ जइ सुमरसि संकेओ अवरोप्पर-विरइओ तहिं तइया । सम्मत दायव्वं ता सुंदरि गेण्ह तं एयं ॥ 33 जइ सुमरसि अप्पाणं पउम-विमाणम्मि देवि परिवारं । ता सव्व-सोक्ख-मूलं दइए पडिवज जिणधम्म । 27 म 2 कयोप्पम्माण for छायाधम्माण, लोअम्मि, P जहा for वि तह. 3) Pतोवेण परियः, P पावं मि विणासए. 4) दलिरो, " वि भज्जेज्ज, J जिणबरोबएस पहवं पावं, J वस्स ।।.5) P जलणेण कट्ठरुक्खो, P किलयसणाहो, न किं पुणो for कम्मुणो. 6) P inter. पुणो & वि, Pणरवय-, Pमुको for विमुक्को, P बंधए for बज्झए. 7) P जणवयणजलयसित्तो. 8) PR for नं. 9) P-सिरिमि, P repeats संसारे, P om. जिण, J धम्मो for वयणं. 10) तं for तह. 11) Pमहूअ, J रसहेऊ । रसमेओ. 12) Pअसारो तो वि. 14) P तह वियाणा ॥. 15) P अत्थीण, P धम्मा for धम्माण. 16)P सुहयं for सुहं तं. 19) P आउरा वेज्जो दुक्खं करेइ. 20) J चोराति- P चोराउभयं, P भव्वजणकंम- 21) Pजह ई रुभइ, चिय भय रुम्हे अयज्जेसु. 22) P पुरिसो, P सत्तूण. 23) Pणेय परियटिं ।, P रसायणेण भब्ब पि पासेइ. 24) Pधाई, P-सिलागाए भगव. 25) r om. धम्म, P om. कहं, P वण्णह for मण्णह. 27) P हिअस्स, P जारिसो, Pत्तिभुवणंमि, P हूं, चेव. ' 28 जइ इमं, P om. one कज्जा, P विसिस, P धम्म for वयणं. 29 -भीआई। 30) समरं सि तं दुक्खं मायाइच्चवणं पिजं पत्तं ।, Pom. second line जइ सुमरसि etc. 31) J धम्मनिंदणो भयवं. 32) सुंदर गण्ह तं. Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८० उज्जोयणसूरिविरइया [६२८४1 जइ तं जाणसि मुद्धे दिट्ठो चंपाए धम्म-तित्थयरो । णिसुओ धम्माधम्मो पडिवजसु ता जिणाणं ति ॥ सव्वहा । जइ जाणसि सुंदरमंगुलाण विट्ठाण दोण्ह वि विसेसं । ता सयल-लोय-कल्लाण-कारणं गेण्ह जिणवयण ॥ ति । 3 इमं च णिसामिऊण कुवलयमालाए संलत्तं । तं णाहो तं सरणं अजं चिय पावियं मए जम्मं । अजं चेय कयत्था सम्मत्तं जेण मे लड़े। ति भणिऊण णिवडिया कुमारस्स चलण-जुवले । कुमारेण भणियं । 6 उण्णमसु पाय-पडिया दइए मा जूर इयर-जीओ व्व । लद्धा तए जिणाणं आणा सोक्खाण संताणं ॥ ति भणमाणेण उण्णामियं वयणयं । भणियं च कुवलयमालाए। 'जयइ जय-जीव-जम्मण-मरण-महादुक्ख-जलहि-कतारे । सिव-सुह-सासय-सुहओ जिणधम्मो पायडो लोए॥ 9 जयइ जिणो जिय-मोहो जेण इमो देसिओ जए धम्मो । जं काऊण सउण्णा जम्मण-मरणाउ मुञ्चति ॥ जयइ य सो धम्म-धणो धम्म-रुई धम्मणंदणो भगवं । संसार-दुक्ख-तवियस्स जेण धम्मो महं दिण्णो ॥ मूढो महिला-भावे दियलोग-चुओ परोप्पर-विउत्तो । अम्ह जिओ पडिबुद्धो जिणधम्मे तुम्ह वयणेहिं ।' 12ति भणतीय पसंसिओ कुमारो त्ति । ६२८५) जाव य एस एत्तिओ उल्लावो ताव समागया पडिहारी । णिवेइयं च तीए 'देव, दुवारे लेह-वाहओ चिट्ठइ'। कुमारेण भणियं । 'लहुं पेसिहि'त्ति भणिए णीहरिया पडिहारी, पविट्ठा य सह तेणेय । पणमिओ लेह-वाहओ, 15 पुच्छिओ य कुमारेग 'कओ आगओ' । भणियं च तेण 'अओज्झा-पुरवरीए'। 'अवि कुसलं तायस्स, दढ-सरीरा अंबा'। तेण भणियं । 'सव्वं सव्वत्थ कुसलं' ति भणमाणेण पणामिओ लेहो, वंदिओ य उत्तिमंगेण, अवणीया मुद्दा, वाइडं पयत्तो । अवि य। 13 'सस्थि । अउज्झापुरवरीओ महारायाहिराय-परमेसर-दढवम्मे विजयपुरीए दीहाउयं कुमार-कुवलयचंद महिंदं च ससिणेहूं अवगूहिऊण लिहइ । जहा । तुह विरह-जलिय-जालावली-कलाव-करालिय-सरीरस्म णत्थि मे सुह, तेण सिग्घ-सिग्घयरं अवस्सं आगंतव्वं' ति । "णिसुयं कुवलयमाले', भणियं च कुवलयचंदेण, 'एस एरिसो अम्ह गुरुसंतिओ आदेसो, ता 21 किं कीरउ' त्ति । कुवलयमालाए भणिय 'अजउत्त, जं तुह रोयइ तं पमाणं अम्हाणं' ति। तओ सदाविओ महिंदो, दंसिओ लेहो । उवगया णरवइ-सयासं । साहिओ लेहत्थो । णरवइणा वि वाइओ लेहत्थो, साहियं जहा । 'लिहियं ममं पि राइणा । अवस्सं कुमारा पेसणीय ति । ता वच्च सिग्छ' ति भणमाणेण सद्दाविया णिोइया, भणिया य 'भो भो, सजीकरेह 24 पुव्व-देस-संपावयाई दढ-कढिणाई जाण-वाहणाई, सज्जीकरेह वर-करिवर-घडाओ, अणुयदृह वर-तुरय-वंदुराओ, दंसेह: रहवर-णियर-पत्थारीओ, सज्जेह पक-पाइक-संघे, गेण्हह महारयणाई, आणवेह ते महापरिंदे जहा तुम्हेहिं पुन्व-देसं गंतव्वं' ति । आणत्ते य सव्वं सज्जीकयं, गणियं संवच्छरेण लग्गं । ताव य हलहलीइओ परियणो, खुहिया णयरी, सोय-वियणा-विहुरा कुमारस्स सासू, हरिस-विसण्णा कुवलयमाला, उत्तावलो सहि-सत्थो, वावडो राया। एएण कमेण : कीरंतेसु पाधेएसु, पक्विजतेसु संभारेसु, रुविजंतासु कणिक्कासु, दलिजंतेसु उरुपुल्लेसु संपत्तो लग्ग-दियहो । संपत्ता कुवलयमाला, गुरुयणं परियणं सहियणं च आउच्छिउं ववसिया। ताव गया रुक्ख-वाडियं । दट्टण य बाल-रुक्ख-वाडिय 30 पसरततर-सिणेह-भर-पसरमाण-बाहुप्पील-लोल-लोयणाए भणियं । अवि य । अइ खमसु असोय तुमं वर-किसलय-गोच्छ-सत्थ-संछण्ण । चलण-पहारेहिँ समं दासो व्व तुम मए पहओ ॥ भो बउल तुम पि मए मइरा-गंदूस-सेय-पाणेहिं । सित्तो सि अलज चिय जइ रुसिओ खमसु ता मझं ॥ 1) णिसु धम्मा', P repeats सु before ता. 2) दिट्ठोण, P लोव for लोय. 4) J तण्णाहो. 5) I जुअले P जुवलेसु. 6) Pणयवडिया for पायवडिया. 8) Pजलहितारो, P सासयहओ जिणधम्मे. 9) जर for जयर, P जयमोहो उ सिओ for जए, सउण्णो, मुंचंति. 10)P धम्मरुती, P धन्नो for धम्मो. 11) J दिअलोअ-. 13) P तुलावो for उलावो,J तीय for तीए, Pलेहवाटओ चिट्टेइ. 14) J लहुँ पवेसेहि ( later correction), P तेण । पणामिओ लेहो पु" (the reading accepted is a marginal correction in J). 15) Pom. य, J अयोज्जा, P वि for अवि. 16)P लोहो for लेहो, P om. य, J अवणिआ य मुद्दा P अविणीया मुद्धा. 18)P अस्थि for सत्थि, P"परवरीए,J "हिरायायपर',JP ददधम्म विजय', P विजयपुरवरीए, J om. दीहाउयं, P om. कुमार. 19) अबऊहिऊण, I लिहियं for लिहइ, P जलण for जलिय, I सिग्धविग्धयर, P तेण विसिग्घाघविसिग्धतरं. 20) I अवस्स, P कुवलयमालाए, P कुवलयचंदउत्तण एस, P adds य before आदेसो, Jआएसो. 21) Pom, अम्हाण, Jom. ति. 22)Jom. वाइओलेहत्थो. 23) अवरस कुमारी पेसणीओ ति, J पेसणिय. J वच्चह, P सद्दाविया य णिश्या, नियोइआ. 24) संपावियाई, P करिघडाओ. 25) P अणवेह for आणवेह, J om. ते, तुब्मेहि for तुम्हे हिं. 26)J ताब for आणत्ते य, P adds ताव य before सव्वं. 27) विमणा, Pom. विहुरा, P सासुया for सासू, Pयाणो for सत्थो, P एतेण. 28) कीरतेणसु P कीरतिसु पाहेएसु उअकिज्जतेसु संसारेस, J सुंभारेम, I रुचिज्जतासु, । दलजंतेस, J ऊरुफुलेसु P उरसुल्लेसु. 29) Pसहिजणं च आउच्छिओ, P om. ववसिया, I om. ताव गया, P चाडीयं. 30)" om. भरपसरमाण. 31)P असोग, P adds कुसुम before गोच्छ, P om. सत्थ, Pसंच्छन्ना ।.32) P अलिज्ज. Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -$२८६ ] • कुवलयमाला 1 भो भो तुमं पि चंपय दोहल-कज्जेण चुंबिओ बहुसो । मा होज मज्झ दोसं खमसु य तं परिभवं एक्कं ॥ वियलंत - कुसुम - बाहोह- दुम्मणा मज्झ गमण-सोएण । आउच्छिया सि पियसहि कुंदलए दूर-गमणाए ॥ अणुयत्त नियय-दइयं एयं सहयार- पायव - जुयाणं । पइ-सरणा महिलाभो भणिया णोमालिए खमसु ॥ रोविया मए चिय पुणो वि परिणाविया तमाले धूए मावि एण-वाणिमो कत्थ दम्बा ॥ भो भो पियाल - पायव दिण्णा मे जूहिया सिणेहेण । एयाऍ तं कुणेज्जा जं किं पि कुलोइयं तुज्झ ॥ स चिय पुष्णागो पुंणाग तुमं ण एत्य संदेहो भालिंगिजख तं चिय सयंवरं माविलवाहिं ॥ रेणाय तुमं पि पुणो बहुसो विणिवारिओ मए आसि । मा छिवसु कुंदलइयं एहि तं खमसु दुब्वयणं ॥ हिंता खमसु एण्डि बहुसो जं विदुरं मए भणिये । किसलय करना शिषं पिरंगु इयं फरिमाणो ॥ भो भो कयं तं पहु अणुयत्तसु पाडलं इमं वरई । छेए वि हु सप्पुरिसा पडिवण्णं णेय मुंचति ॥ अजविण दीसह बिय रतं कुसुमं इमाणु बंधूपु मा तुरेजसु चैपय जणस्स कालो फलं देइ ॥ हे हे पिगु-लए वारिजंती वि मुंच मा दइयं । एसो असोय-रुक्खो पेम्मेण ण हीरद्द कयाई । जाइ-विसुद्धा सि तुमं चंपय-दइयं ण मुंचसे जेण कुलवालियानो लोए होंति चिय मुद्र-सीलाओ ॥ इय एवं भणमाणी चिर-परिइय-पायवे खमावेंती । उव्वाह-वाह णयणा रोत्तुं चिय सा समादत्ता ॥ ६ २८६ ) संठानिया य सा सहियगेणं समागया णिव भवणं तत्थ व दिडाई णाणाबिहाई घर-सउण- सावय 15 समूहाई, भणिउं च पयत्ता, अवि य । मुद्दे ण जीवसि थिय मित्र-रहिया व मई तुमं मया। ता पसरसु बच्चामो आउछ जो लिवो ॥ सारसि मरसि सरती मुचामि कई इमो व ते दइओ । दोणि वि यच यो भावडियो अंध-संतो ॥ क्षणं रुइर-कलावं मोरं तुह मोरि परिहिमो आम्हे धीरा मा रस-विरसं परिहासो मे कभी मुद्दे ॥ सिणि सरस-सिणेहे दिवस भगसु दास-ससि-सरिसं बच्चा सामिणीए समर्थ सम- दुक्ख सोक्खाए ॥ चक्काइ तुमं रयाणं दइय-वियोगम्मि णेसि मह पासे । ता वञ्च्चसु मा णिवडउ विओय वज्जासणी तुज्झ ॥ मा होंतु विसेण व ते चलोरि यणाएँ पिययम-निए गुंजाफल-सरिसाई वचसु समयं पि दद्दरण ॥ पढ कीरि किंचि भणिया दय-विभोयम्मि पडिडिसि अलक्खं पत्था बन अणुव-सरिसं विरह-वनं ॥ आयलय-त्ततो जग वितए साहिलो म्ह दद्दवस्त पिसुने कुविया सह मुंचामि ह सारिए करस ॥ इय कीरि- मोरि - सारंगि सारिया-चक्क-सारसि चओरिं । भणमाणी सा वियरइ स णेउरा चारु-तरलच्छी ॥ एवं च उच्छ कुनैतीए समागया लग्ग-वेला तरथ कथं धवलदरस्य बहु-मज्जा-देस-भाए सम्ब-घण्ण-विरुकुरा चाउरंतयं 1 तत्थ य दहि-भक्खय- सुवण्ण- सिद्धत्यय - दुब्बंकुर - रोयणा-सत्थिय-वद्रुमाणय-णंदावत्त- पत्त-छत्त- चमर- कुसुम27 भासणा-जर्वकुर-परमादिए सवे दिव्य-मंगले विवेसिए । ताणं च सम्झे हिणव- पलव-किसलयालंकि तिव्बोदय-भरिवं 27 कणय-परम-पिहाणं चंदण-चनिक-चचियं विद-मंगल-रक्खा-सुत्तयं कणय कसं ठाविधं । तो तत्थ व संठिया दोणि वि पुग्वाभिमुद्दा, वंदिया रोयणा, कयाई मंगलाई । एत्थंतरस्मि ताव य संपत्तं लग्गं । पूरिओ संखो । भणियं 30 संवच्छरेण 'सिद्धि'त्ति । ताव य उच्चालिओ दाहिणो पाओ कुमारेण । कुवलयमालाय वि वाम-चलणं चालियं । पयत्त- 30 गंतु, णिक्खता बाहिं । संख-भेरी- तूर- काहल - मुइंग-वंस- वीणा - सहस्स- जयजयासह - णिग्भरं गयणयलं आसी । समुहस्स गुरुयणस्स संपत्ता रायंगणं । ताव य सजिओ जय-कुंजरो । केरिसो । भवि य । 33 धवल धवल-विसाणो सिव-कुसुमाभरण-भूसिलो लुंगो। जस-कुंजर-जो इव पुरनो जय-कुंजरो दिट्टो ॥ 3 8 9 12 18 21 24 पसरणं, भरणिणोमालए. 6) पुणमणे, ब्याई 7) P छिदसु for छिवसुP adds भो भो कथं फरुसमाणो before भो भो, P पाडलं. 1) चंपयडोल, सहसा for बहुसो, दोसो for दोसं, परिहवं. 2) माणो. 3) 4) परिणामिणा 5 ) मे दूहिया, कुना नं. Pता for तं. 8 ) P लिहियं for णिहुयं, P फरुसमाणो 9 ) 11 ) देहे for हेहे, P व for वि, P माइमयं ।, P पेमेण ण हीरति 12 ) जाभि for जेण, P सुद्धशीलेण ॥. 13 > खमावेंति, P रोत्तं. 14 ) P समाए गया, J om. णिय, P दट्ठाई, P घरसवणसावश्य. 16 ) P बुद्धे for मुद्धे, J om. चिय, चियर, हिताय, मइए, P adds मए before तुमं, उता परसु. 17 J पदइणु for ते दइओ, P दोन्नि, विवश्चसु. 18 ) P तुह पुत्ति मोरि धरिद्दामो 1, P मुद्धो ॥. 19 ) P सर सिसिणेहे, P सुह for सम. 20 ) P चक्काय, विओअम्मि. 21 ) P मा होओ विमेण विते चउरिणयाणाई, विसणवरे चउरिणयसाई विअयम, गुंजाहल, मुंचसि तइयं for वच्चसु समयं 22 ) Printer. किंचि & कीरि P दय for दइय, 1 पथाण, मणुद्दव J for अणुव. 23) P for वि, P पिसुणि, Padds वि before अहयं, P अहियं. 24 ) J सारआ, P चक्कसारसचउरी, J om. सा, रसिर for स. 26) सायं कुरुरोवणा, P नयनतु दासादिया सदन for दिव्य 28 for घालियं. 31 ) बहु for बाहिं, विसालो for विसाणो, जय for जस. J P पमप्पंहाणं, Jom. चंदण, P चक्कियं. P-मुयंग, P गयणं आसी । सा समुहस्स, 25) P अनुसभामि धणे. 27 जायंकुर for जबंकुर, परमावी, 29 ) मंगलाई, P संपतं. 30 ) P चालिओ सुमुहस्स गुरुअस्स. 33) P धववलविसण्णो सिय, * 3 6 12 15 18 21 24 33 Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३ 12 १८२ उज्जोयणसूरिविरइया [२८६1 आरूढा य जय-कुंजरं दुवे वि जुवाणया। केरिसा य दीसि पयत्ता जगणं । अवि य। कुवलयचंदो रेहइ कुवलयमालाय कुंजरारूढो । इंदो इंदाणीय व समयं एरावणारूढो । २ ८७) एवं च णीहरिडं पयत्ता अहिणंदिजमाणा य जण-समूहेण, वियप्पिजता णायरिया-लोएण । अवि य । अइ, : कोउय-रहस-भरिजंत-हियय-पूरंत-गेह-बहुमाणो । अह जंपइ धीसत्थं जायर-कुलबालिया-सत्थो॥ एक्का जंपइ महिला भणह हला को व्व एत्थ अभिरूवो। किं कुवलयमाल चिय अहवा एसो सहि कुमारो॥ 6 तओ अपणाए भणियं । एयस्स सहइ सीसे कसणो अह कांतलाण पब्भारो । कजल-तमाल-णीलो इमाएँ अह सहइ धम्मेलो ॥ एयरस सहइ वयणं सरए अह वियसियं व सयवत्तं । संपुष्ण-चंद-मंडल-लायण्णं सोहद इमीए॥ एयस्स जयण-जुयलं कुवलयदल-सरिसयं सहइ मुद्धे । तक्खण-वियसिय-सिय-कमल-कंति-सरिसं इमीऍ पुणो ॥ रेहइ इमस्स पियसहि बच्छयलं धवल-पीवर पिहुलं । उभिजमाण-थणहर-विरावियं रेहइ इमीए ॥ सोहइ मइंद-रुंदं णियंब-बिंब इमस्स पेज्जालं । रइ-रहसामय-भरियं इमीए अहियं विराएजा ॥ .. 12 ऊरु-जुयलं पि सुंदरि इमस्स सरिसं करेण गयवइणो । रंभा-थंभेण सम इमाएँ अहियं विराएज ॥ ति। अण्णाए भणियं । 'हला हला, एत्थ दुवे वि तए अण्णोण्ण-रूवा साहिया, ण एत्थ एक्कस्स वि विसेसो साहिओ'। तीए भणियं 'हला, जइ एत्थ विसेसो अत्थि तो णाम दंसीयइ, जो उण णस्थि सो कत्तो दंसीयइ' ति । अण्णाए भणियं 15 'किं विसेसो णस्थि, अत्थि से बिसेसो । अवि य । 15 वच्छत्थलं विरायइ इमस्स असमं जयम्मि पुरिसेहि । एयाएँ णियंबयडं रेहइ महिलाण असमाण ॥ अण्णाए भणियं 'अलं किमण्णेण एत्थ पुरिसंतरेण महिलंतरेण वा । इमाणं चेय अवरोप्परं किं सुंदरयरं' ति । तीए भणियं 18 'अस्थि इमाणं पि अंतरं' । ताहिं भणियं किं अंतरं' । अवि य। ___'पुरिमाण एस सारो एसा उण होइ इत्थि-रयणाणं । एसो चेय विसेसो एसा महिला इमो पुरिसो ॥' ताहिं भणियं 'किं इमिणा इत्थि-पुरिसंतरेणं, अण्णं भण' । अण्णाए भणियं 'जइ परं फुडं साहेमो । अवि य। 1 एस कुमारो रेहइ एसा उण सहइ रेहइ कुमारी । छजइ सहइ य रेहइ दोण्ह वि सद्दा पयदृति ॥' तओ ताहिं भणियं 'अहो एक्काए विणायरियाए ण लक्खिओ विसेसो'। ताहिं भणियं 'पियसहि, साह को विसेसो तए लक्खिओ'। तीय भणियं णिसुणेसु, अवि य । 24 'मरगय-मणि-णिम्मविया इमस्स अह सहइ कंठिया कंठे । एयाए उण सोहइ एसा मुत्तावली कंठे ॥' तओ ताहिं हसमाणीहिं भगियं 'अहो, महंतो विसेसो उबलक्खिओ, जे रायउत्तस्स अवदाय-वण्णस्स मरगय-रयणावली सोहइ, एमाए पुण सामाए मुत्तावलि त्ति । अण्णं पुच्छियाए अण्णं साहियं' ति । अण्णाए भणियं । श धगयाण दोण्ह को वा रेहइ अच्छीण भणसु को कइया । इय एयाण वि अइसंगयाण को वा ण सोहेजा ॥ ताहिं भणियं 'ण एत्थ कोइ विसेसो उवलब्भइ, ता भणह को एत्थ धण्णाणं धण्णयरो' । तओ एक्काए भणियं । 'धण्णो एत्थ कुमारो जस्स इमा हियय-वल्लभा जाया। धण-परियण-संपण्णो विजओ राया गुरुयणं च ॥ 30 अण्णाए भणियं ‘णहि णहि, कुवलयमाला धण्णयरा। धण्णा कुवलयमाला जीए तेलोक-सुंदरो एसो। पुण्णापुण्ण-विसेसो णजइ महिलाण दइएहिं ।' अण्णाए भणियं 'सब्बहा कुमारो धण्णो कुवलयमाला वि पुण्णवइ त्ति को इमाणं विसेसं करेउं तरह'त्ति । अवराहिं भणियं । 33 'धण्णो जयम्मि पुरिसो जस्सेसो पुत्तओ जए जाओ । महिला वि सा कयत्था जीय इमो धारिओ गब्भे ॥' 18 श 1) Pom. य after आरूढा, Pय दंसिउं. 2) Pकुवलयमाला कुं, JP कुंजरारूढा, J इंदाणीअ Pइंदाणीइ. 3) P पयत्तो आणदिजमागा, P वियप्पियंता णायरलोएण. 4) Padds the verse कोउयरहस etc. to सत्थो and further adds एका जंता गायरलोएण अविय अइ before the verse कोउय etc., परत for पूरंत. 5) अभिरुइओ।, P कुवलयमाला चिय. 7) Pएतरस, कसिणो, P अहरेइ धम्मेलो, 8) Pएतरस, P सरिसं for णरए. 9) कुवलयदय10) P बच्छलयं for वच्छयलं. 11) Pजहंण for अहियं. 12) Pऊरुजुवलं पि सुरिसरिसं, रंधा for रंभा, विराएजंति. 13) P साहियं for साहिओ. 14) Jतीय, P अओ for हला, ' णो for तो, देसीयति P दंसियइ, J जो पुण, दंसीयति, Pom. अण्णाए भणियं किं etc. to असमाणं.. 17) P adds वा after पुरिसंतरेण, P सुंदररयरं, J तीय. 18) Pom. अंतरं, P ताहे for ताहिं. 19) Pएसो उण होइ इत्थियणाणं. 20) अह for ताहिं. 21) P सहइ रेह कुमारो । छजिद सहिइ, P दोन्नि सद्दा पयति, सद्दो पयत्तंति. 22) एक्काय. 24) P-णिम्मरया, P अहर कंठिया, P एताप, पुण, P adds gafter ए.सा. 25)P हसमागीए, J अवदात-. 27) P को वा वा ण सोहेज्जा. 28Pको विसेसो उवल द्धद. 29) धम्मो for धष्णो, P वलहा, Pसंपुन्नो. 30) F कुवलयमाली. 31) Pएसु ।.32) P विसेसो.33) Pजाय इमो जारिओ. Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२८९]. कुवलयमाला 1 अण्णाओ भणति। 'धण्णो विजय-णरिंदो जस्स य जामाइओ इमो सुहओ। अहवा स चिय धण्णा इमस्स सासू जए जा सा ॥ अहवा, ३ अम्हे चिय धण्णाओ जाण इमो जयण-गोयरं पत्तो । रइ-बम्महाण जुवलं केण व हो दिव-पुवं ति ॥' एवं च वियप्पिजमाणो णायरिया-कुलबालियाहिं, अहिणंदिजमाणो पुर-महल्लएहिं, पिजतो तरुणियण-णयण-मालाहिं, उद्दिसिजतो अंगुलि-सहस्सेहिं, दाविज्जतो विलया-बालियाहिं, पविसंतो जुवइयण-हिययावसहासु, जणयंतो मयण-मोहं 6 कामिणीण, करेंतो मुणीण वि मण-वियप्पंतरं सब्वहा णीहरिओ पुरवरीओ । आवासिया य तहाविहे एक्कम्मि पएसंतरे । २८८) ताव य एयम्मि समए केरिसो वियप्पो पुरिसाण महिलाण य । धण्णा कुवलयमाला जीएँ इमो वल्लहो ति महिलाण । पुरिसाण इमं हियए कुवलयचंदो सउण्णो ति ॥ 9 एवं च समावासिओ कुमारो णयरीए, थोवंतरे सेस-बलं पि गय-तुरय-रहवर-पाइक्क-पउरं समावासियं तत्थेय । तत्थ ५ समए णीहारिजंति कोसल्लियाई, उवदंसिजति दसणिजाइं, संचइजति णाणा-वत्थ-विसेसाई, ठाबिजति महग्घ-मुत्ता-णियराई, ओवाहिजंति महल्ल-कुलई, उवणिमंतिजति बंभण-संघई, कीरंति मंगलइं, अवणिजंति अवमंगलई, जंपिजंति पसत्थई । 12 कुमरो वि णमो जिणाणं, णमो सव्व-सिद्धाण' ति भणमाणो भगवनं समवसरणत्थं झाइऊण सयल-मंगल-माला-रयण-भरियं 12 चउव्वीस-तित्थयर-णमोकार-विज झाएंतो चिंतिउं पयत्तो । 'भगवइ पवयण-देवए, जइ जाणसि जियंतं तायं पेच्छामि, रजं पावेमि, परियङ्कए सम्मत, बिरई पालयामि, अंते पब्वजं अब्भुवेमि सह कुवलयमालाए, ता तह दिब्वेणं णाणेणं 18 आहोइऊण तारिसं उत्तिमं सउणं देसु जेण हियय-णेवुई होइ' त्ति चिंतिय-मेत्ते पेच्छइ पुरओ उडुंड-पोंडरीयं । तं च 15 केरिसं । मणि-रयण-कणग-चित्तं सुवण्ण-दंडुल्लसंत-कंतिल्लं । लंबिय-मुत्ताउलं सियायवतं तु सुमहग्धं ॥ 18 उवणीयं च समीवे, विण्णत्तं च पायवडिओट्टिएण एक्केण पुरिसेण । 'देव, इमस्प चेय राइणो जेठो जयंतो णाम 18 राया जयंतीए पुरवरीए, तेण तुह इमं देधया-परिम्गिहियं छत्त-रयणं पेसियं, संपयं देवो पमाणं' ति । कुमारेण चिंतियं 'अहो, पवयण-देवयाए मे संणिज्झं कयं, जेण पेच्छ चिंताणंतरमेव पहाणं सब्ब-सउणाण, मंगलं सव्व-दव्व-मंगलाणं, 21 इमं आयवत्त-रयणं उवणीयं ति ता सब्बहा भवियव्वं जहा-चिंतिय-मणोरहेहिं ति चिंतिऊण साहियं कुवलयमालाए । 'पिए, पेच्छसु पवयण-देवयाए केरिसो सउणो उवणीओ । इमिणा य महासउणेण जं पियं अम्हेहिं मणसा चिंतियं तं चेय सव्वं संपज्जइ' ति। 24६२८९) कुयलयमालाए भणियं 'अजउत्त, एवं एयं, ण एत्थ संदेहो । अह पत्थाणे काणि उण सउणाणि 24 अवसउणाणि वा भवंति' । कुमारेण भणियं 'संखेवेण साहिमो, उण वित्थरेणं । अवि य । दहि-कलस-संख-चामर-पउम-महावड्डमाण-छत्तादी । दिव्वाण सम्बओ चिय दसण-लाभाई धण्णाई ॥ 27 दंसण-सुहयं सव्वं विवरीयं होइ दसण-विरूयं । जं कण्ण-सुहं वयणं विवरीयं होइ विवरीयं ॥ एवं गंधो फरिसो रसं च जा इंदियाणुकूलाई । तं सव्वं सुह-सउणं अवसउणं होइ विवरीयं ।। बच्चसु सिद्धी रिद्धी लद्वी य सुहं च मंगलं अस्थि । सद्दा सउणं सिद्धा अवसउणा होति विवरीया । 30 पहाओ लित्त-विलित्तो णर-णारि-गणो सुवेस-संतुट्ठो। सो होइ णवर सउणो अवसउणो दीण-मलिणंगो॥ समणो साहू तह मच्छ-जुवलयं होइ मंस-पेसी य । पुहई फलाई सउणं रित्तो कुडओ य अणुगामी ॥ छीतं सव्वं पि ण सुंदरं ति एके भणंति आयरिया । अवरे समुहं मोतुं ण पिटुओ सुंदरं चेय ॥ 1) भणियं for भणंति. 2) जामाओओ, Pजा या for जा सा. 3) जुअलं, J दिद्वउवं. 4) विअप्पिजमाणणो, ' अभिणदिज्जमाणो पुरमहिलाए.हिं, 'लए.हिं पुइज्जतो आणिअणयण. 5) J अंगुली, विसंतो for पविसंतो, P हि ययसेहासु जइणतो मयणमोहं. 6) Pom. वि मण, J कम्मि for एकम्मि. 7) J तावया एअम्मि. 8) J जीअ, P हियाए, P सउ for सउण्णो. 9) P च समारोणरीए थोतरे, J थोअंतरे, J समत्थोसिअं तत्थेय समए णीहाविज्जति. 10) P जाई for दंसणिज्जाइं, " संवाइजति for संचइज्जति, विसेसई, णिभराई P गियरइं. 11) अवहिज्जंति, Pउवणमंतिमज्जति बम्हणयंघइ, Jom. अबणिज्जति अवमंगलई. 12) J सवजिणाणं ति, P रयणसरिसं चउवीस- 13) P विज्झं ज्झायंतो चिंतियं, P तातं. 14) Pपन्यज्जमब्भुमि, J तहा for. तह. 15) सउणं दिसु, Pणेव्वुई होय त्ति, P उदंड. 17) गणय for रयण, P कणय, J सुअण्ण, Jलंपिअगुण्णजलं. 19) Pजयंतीपुरवरीए, P देवतापरिग्गहियं, 20 Jसण्णज्झं P सन्नेज्झं. 21) P आयवत्तयणं, " तो for ता, P om. जहा चितिय cto. to चिंतियं तं, 23) Padds tण जं before चेय. 24) Pom. अजउत्त, पत्थपणे for पत्थाणे, p om. उण. 25Jom. अवसउणाणि. P om. वा. Jadds दइए after अवि य. 26J कमल for कलस, "वद्धमाण, छत्ताती।, दिव्याण " देवाण. 27) Jadds समुणं Padds सबउणं after सब्ध, विवरीय होंति, I विरूवं विपरीतं ।।. 28) J विवरी 1.29) J सिद्धि रिद्धी, P स उगसिद्धा. 30) Pणरणारयाणो, P परितुट्ठो for संतुट्ठो, Jom. होइ णवर, P सगो for सउणो. 31) J मच्छजुअलं, मुहई । पुहर, P फलाई साउणं, I उडओ for कुडओ, P आगामी for अगुगामी. 32) Jण मिट्ठओ. Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६२८९साणो दाहिण-पासे वाम जइ वलइओ भवे सिद्धी । अह वामो दाहिणओ वलहण कर्ज तणो सिद्धं ॥ जह सुणओ तह सव्वे णाहर-जीवा भणंति सउणण्णू । अण्णे भणंति केई विवरीयं जंबुओ होइ ॥ मउयं महरं वामो लवमाणो वायसो भवे सोम्मो । उत्ताल-णिट्ठर-सराण देंति सिद्धिं भयं देंति ॥ गोरूयस्स उ गीतं वजेजा सम्वहा वि जीय-हरं । मजारस्स वि छीय पत्तिय-जीयं विणासेइ ॥ सारस-रडियं सच्वत्थ सुंदरं जइ ण होइ एकस्स । वाम भणति फलय जइ सो य ण दीसए पुरओ ।। इंदग्गेईजम्मा य रई वारुणी य वायव्वा । सोम्मा ईसाणा वि य अट्ट दिसाओ समुट्टिा ॥ भट्ट य जामा कमसो होंति अहोरत्त-मज्झयारम्मि । जत्थ रवी तं दित्तं तं दिसि-दित्तं वियाणाहि ॥ जं मुकं तं अंगारियं ति आधूमियं च जं पुरओ । सेसाओ दिसाओ पुण संताओ होंति अण्णाओ॥ 9 दित्तेण तक्खणं चिय होइ फलं होहिइ त्ति धूमेणं । अंगारियम्मि वत्तं जइ सउणो रवइ तत्थेय ॥ सूराहिमुहो सउणो जइ विरसं रवइ दित्त-ठाणम्मि । ता जाण किं पि असुहं पत्थाणे कस्स वि णरस्स ॥ सर-दित्तं सुइ-विरसं सुइ-सुहयं होइ जं पुणो संतं । संतेण होइ संतं दित्ते पुण जाण दुक्खं ति ।। 12 पासाण-कट्ठ-भूती-सुकय-रुक्खेसु कंटइल्लेसु । एएसु ठाण-दित्तं विवरीयं होइ सुह-ठाणं ॥ दियह-चरा होंति दिया राइ-चरा होंति तह य राईए । सउणा सउणा सम्वे विवरीया होंति अवसउणा ॥ एस संखेवेणं सुंदरि, जं पुण सिवा-रुतं काय-रुतं साण-रुतं गिरोलिया-रुतं एवमाईणि अण्णाणि वि विसेसाई को साहिउं 15 तरह त्ति । सव्वहा, एयाणं सध्वाणं अवसउणाणं तहेय सउणाणं । पुवकयं जं कम्मं होइ णिमित्तं ण संदेहो ॥ तम्हा जिणवर-णामक्खराइँ भत्तीऍ हियय-णिहियाइं । संभरि भगवंतं पाव-हरं समवसरणम्मि ॥ 18 तस्स य पुरओ अत्ताणयं पि झाएज्ज पायवडियं ति । जइ जाइ तेण विहिणा अवस्स खेमेण सो एइ ॥ चमराई आयवत्तं होइ असोओ य कुसुम-बुट्टी य । भामंडलं धयं चिय महासणं दिव्व-णिम्मवियं ॥ एया मंगलाई उच्चारतो जिणं च झाएंतो। जो वच्चइ सो पावइ पुण्ण-फलं णस्थि संदेहो ॥ A एवं च साहिए पडिवणं कुवलयमालाए ‘अजउत्त, एवं चेय एयं ण एत्थ संदेहो' त्ति। २९.)भण्णम्मि य दियहे दिपणं पयाणयं महंतेण खंधावारेणं । तओ केत्तिय-मेत्तं पि भूमि गंतूण भणियं कुमारण ___ 'भो भो पउरा, णियत्तह तुम्हे कजाई विहडंति तुम्हाणं । एवं भणिओ णियत्तो पउरयणो पज्झरंत-लोयण-जलप्पवाहो । तओ कं 24पि पएसं गंतूण भणिओ कुमारेण राया 'ताय पडिणियत्तसु, जेण अम्हे सिग्घयरं वद्यामो तायं च पेच्छिमो' ति । एवं च 24 पुणो पुणो भणिओ णियत्तो कुवलयमालाए जणओ जणणी य । एवं च कमेण कुमारो संपत्तो तं सज्म-सेल-सिहरब्भासं, आवासिओ य एक्कम्मि पएसे । साहियं च पुरिसेहिं 'कुमार, इमम्मि सरवर-तीरे सुण्णाययणं, तरथ कामो व्व सरूवी, 27 इंदो व्व पञ्चक्खं, सूरो व्व कोई रूव-सोहाए अहियं पयासमाणो मुणिवरो चिट्ठई' । कुमारेण भणियं 'अरे, को एस 27 मुणिवरो, किं ताव तावसो, आउ तिदंडी, आउ अण्णो को वि' । तेहिं भणियं 'देव, ण-याणामो तावसं वा अण्णं वा । लोय-कय-उत्तिमंगो सिय-वसणो पिच्छएण हत्थम्मि । उवसंत-दसणीओ दीह-भुओ वम्महो चेय ॥' 30 कुमारेण चिंतियं । 'अहो कत्थ भगवं साहू, ता चिरस्स अत्ताणयं बहु-पाव-पंक-कलंकियं जिम्मलीकरेमि भगवओ 30 दसणेणं' ति भणमाणो अब्भुट्टिओ समं कुवलयमालाए । भणियं च ण 'आदेसह मह तं मुणिवरं' । संपत्तो तं पएसं। दिट्टो य मुणिवरो । चिंतियं च णेण । 'अहो मुणिणो रूवं, अहो लायण्णं, अहो सुंदरत्तणं, अहो दित्ती, अहो सोम्मया। ता 33 सव्वहाण होइ एस माणूसो। को वि दिव्यो केण विकारणेण मुणि-वेसं काऊण संठिओ' त्ति चिंतयंतेण णिरिक्खियं जाव णिमिसंति 33 1) P साहो for साणो, जति वलति, P चलण for वलइ. पदाहिणतो वलति, Pवणति. सिद्धी ।।. 2) J अह for जह. P inter. सब्बे and तह, P-जीवो, J सवणण्णू P सउणंणू।, J विवरीतं. 3) Pलवमाहो, सोमो । 4) गोऊअरस च्छीतं । गोरूवसओ लच्छी तं वज्जेज्जा, वज्जेज्जो, P जीवहरे, छीतं, छीतं for जीयं, P जीतं विणासेंति. 5) Pउण for य ण. 6) Pइंदग्गेतीजमायणेरुती वारुणी, P सोमा. 7) अट्ठा य, P ₹ for तं before दित्त, P दिसित्तं. 8) P आहूमियं, P पुणो सत्थाओ. 9) P दित्ते तक्खणं, JP होहिति त्ति, P रवति. 10) P सूराभिमुहो, P विरs for विरसं, रमइ for रवद, Pom. रवद, P दित्तट्टाणंमि. 11) P दिन्नं ति सुविरसं सुति, P दित्त पुण. 12) P रक्खेसु, JP एतेसु, Pढाणा, J विवरीतं, Pट्ठाणं ॥. 13) Pरायचरा, Pरातीए, P सउमो सउणो, P"सउणाओ ।।. 14) Pएते for एस, P on. जे पुण, Jएवमातीणि, अन्नाण विसेसाई. 16) Jणाणं च तद य. 17) सत्तीय for भत्तीए, P संभरियं, P समवसरंमि. 18) जति जाति तेण विहिण, P एति ॥. 19) Jआतवत्तं. 20) P ज्झायंतो, P पावति, J पुण्णहलं. 21) Padds भणियं after कुवलयमालाए, चेय एतं णत्थि संदेहो. 22) P खंधायारेण, Pom. पि. 23) Pणियत्तब्मे कज्जाई, न तुम्हा for तुम्हाणं, Pजुयल" for जल. 24) Pतय for ताय, P जिणम्हे for जेण अम्ह, Padds त्ति after वच्चामो. 25) कुवलयमालाजणी, संपतो वच सज्जसेल. 26) Jom. च, कुमार मंमि सरवतीरे, सुण्णायतणं, सरूई. 27) J अधिय, " पुणिवरो चिट्ठति ।. 28) P आउसन्नो को वि, Jadds वि after अण्गो, J तावसं व अण्णं च. 29) P -थुओ महोय॥ Pकुमारे चितियं. 30) adds yि after कत्थ, P adds गिम्मलीकयं after कलंकिय. 31) Pण दसेंमि मह तं. 32) Jदिfor चितिय, Pom. अहो दित्ती, " सोमया. 33) J माणुसो, P om. वि कारणेण, P समुट्टिओ for संठिओ, Pomm. त्ति, चिंतयंतो णिरिक्खर जाव. Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 9 तम्मिय पुरी पुराणा णामेण य बारयाउरी रम्मा । तत्थ य राया सीहो अस्थि महा-दरिय सीहो व्व ॥ तस्स ओहं पपडो भाणू णामेण परमओ चेय अइवलहो य पिठो विवरामि पुरिं विगय-संको || मर्म च नित्तयमे वसणे जायें। अवि य । 24 - २९२ ] कुवलयमाला १८५ 1 2 । जयाई फुर्सति पावा महिय । तत्र चिंतिये 'ण होइ देवो विदति दिव्य साई ता सुवचे विजाहरो होहिइ ति । एसो व जहा अहिणय-कय-सीसोलो अज वि नमिलाण देहो उपलक्खीय तह लक्खेमि ण एस आइसंजय, संपर्व एस पहओ, बेसो या विरइओ वा किं वंदामि महवा सुद्धवंदणीयं भगवंताणं साहू दि-मेनं चे लिंग व जो 3 होउ सो होउ ति साहु त्ति उवसप्पिऊण कुमारेण कुवलयमालाए य ति-पदाहिणं भत्ति-भर-विणमिउत्तिमंगेहिं दोहि वि वंदिभो साहू | भणियं च मुणिणा 'धम्मलाभो' त्ति । तओ उवबिट्टो कुमारो महिंदो य । पुच्छित्रं च कुमारेण 'भगवओ, तो तुम मुसे, कत्थ वा तुम्भे इहागया कि या कारणं इमाए स्व-संपनाए जिणो' ति । रेहा-ठाणय-भावेहिं संयं वण्ण-विरयणा सारं जाणामि चित्तयमे रिंद दई पि जाणामि ॥ एवं च परिभ्रममाणो अण्णग्मि दिव संपत्ती बाहिरुना । तत्थ य विवरमाणस्य भागभो एको उवज्झाओ । तेण भणियं । 'कुमार, मए चित्तवडो लिहिओ, तं ता पेच्छह किं सुंदरों किं वा ण व' त्ति भणिए, मए भणियं 'दंसेहि मे 1 चित्यम्मं जेण जाणामि सुंदर ण व' त्ति सिनो व तेण पयो दिई च मए से हुई रथ से तत्थ ण लिहिये। जं च 15 तं तस्य णत्थि तं णथि हई वि च दण दिग्व-लिहियये पिय असंकुलं तपचखीकरणं पुच्छ म विहिरण 'भो भो, किं एत्थ पडे तए लिहिये इमं । तेण भणियं 'कुमार, णणु संसार-चक्कं' । मए भणियं 'किं अणुहरइ 18 संसारो चहस्स' तेण भणियं 'कुमार, पेच्छ । 1 मयणा हेलं जीवाणं मरण- दुक्स णेहिं संसार पाय च भामिनइ कम्म पचणेण ॥ ६२.२) तो मए भणियं 'विसेस साहिल जं तत्थ लिहिये' तेग भणियं देवच्छ 21 एसो णार- लोगो एसो उण होइ मणुय-लोओ त्ति । एसो उ देव-लोओ एयं तं होइ तेलोक्कं ॥ दंडग्गेणं पदंसिउं पयत्तो । सुदाई ॥ 1 जो दोइ धिय-पावो सो इह णरगम्मि पावए दुक्खं जो वियहु-पुष्णको सो मी पाव जो किंचि-गुण-कलिभो बहु-यायो सो वि होइ तिरियंगो जो बहु-पुण्योपावं च थोषयं होइ मणुओ सो ॥ या च गई कुमार सम्बासु केवलं दुक्खं । जं पेच्छ सव्वलो थिय दीसंते दुखिया जीवा ॥ जं एस रथ राया यहु-कोय-परिग्ाहेहिं संपुष्णो । बहु बंध पायो पिण पाए पुष्णं ॥ जीवाण करेइ वह अलियं मंते हए सबै णि मवणासत्तो वच्चह मरिऊण णरवम्मि ॥ भाडयं उवगभो एसो सो णरवई इमं पेच्छ । जीव-वध-दिण्ण-चित्तो धावइ तुरयम्मि आरूढो ॥ तुरभो बि एस वरभो किस घाय-वेविर सरीरो धावइ परयतो बिय कह व सुई होड एयस्स ॥ पुरओ बि एस जीवो मारिनामिति वेविर सरीरो शिव-जीविव-दु-भो पाय सरणं मितो ॥ पुरओ वि एस वरओ हलबोलिज्जइ जणेण सव्वेण । ण य जाणंति वराया अप्पा पावेण वेढविओ | एसो वि को विपुरिसो गहिओ चोरेहिँ णिद्दय-मणेहिं । सरणं अविंदमाणो दीणं विक्कोसह वराओ ॥ एए करेंति एवं किर अम्ह होइ कह वि इमं अत्थं । तेण य पाणं अह भोयणं च अण्णं सुहं होही ॥ 27 $ २९१ ) तेण भणियं 'जह सर्व सायन्ता णिसुणेसु वीसत्यो होऊणं ति । अस्थि पुद्दई-पयासो देसो देसाण लाड-देसो ति । वत्थ-देसभासा मणोहरा जत्थ रेहति ॥ 30 83 1 ) P णयाणाई, Padds मि after महियलं, 3 adds अहो before ण होइ, P होति for होइ, adds ति before देवो, P विडियाइं for विहंति, P सव्वं for सुन्वन्तं ता सुव्वंति विज्जाहरे होइति ।, P होहित्ति सोय. 2 ) P अहिणवयसीस, विज्झानि for अज्जवि, अनिलाण, JP उवलक्खीयति, आदिसंजतो. 3 पिरईओ दिनेश 4) विपाणिनिर्मि P दोहिं वि. 5 ) J वविट्ठो for उवविट्ठो, P कुमारेणा, भगवं कओ तुमं. 6 > P एत्यनुद्देसं कत्थ, P णिब्विण्ण त्ति. 7) J साहिअब्वं " साहेत 8 ) r पुहती यासो, Jom. देसो, P repeats देसो, वेसभासा for देसभासा, ए मणाहार, P रेहं ॥ तम्मि पुरी पोसणा 9 Pom. य after णामेण, P रायायी अस्थि. 10 ) P विरामि . 11 ) च चिंतयंतस्स वसणं. 12) P रेहागणय पावेत्तिसंजु. 13 ) P अमि. 14 Jपेच्छ for पेच्छह, किम्वा for किंवा P भणिसांए for भणिए. 15) P repeats जेण, जं for तं, P ण for पत्थि, P m for ण. 16 दिई निहि अतिसं 9 वुत्तंतं, adds च before मए. 17 विभिण, P om. पडे, P पडिलेहियं for लिहियं, P ते for तेण, P कुमारे, Pom. किं. 18) संसारचकस्स 19 ) जीवारं, P वीस for पाय, P भाभिज्जई कंम- 20 ) P एत्थ for तत्थ. 21) P एसो रयोओ, Jg for उ उ देव-, JP एतं. 23 > P अहिय, P इह णयरंमि, P कयो सो मग्गे 24 > P वि होंति तिरियं वा । थोअअं. 25) P एयसु उगतीसुं, त्रिय. 26 > P संमत्तो for संपुष्णो, P बहुतं बंध 27 ) Padds कण before करे, P मंतेहिं, P सव्वं । गोययणासत्तो. 28 ) नरवती इम पेच्छं ।, P वह for वध, P धावति. 29 ) P धाइ परायत्तो, P होइ एयस्स. 30> 3 भयो. 31 ) P पुरओ for वरओ, " तुट्टेण for सव्येण 32 ) P दीणं वक्कोसर 33 ) P एते करेंति एवं किर अम्ह होहंति inter. इमं & कह वि, पण पट्टु for पाणं अह. इमं अस्थि, अहं होहिई ।, 24 9 12 18 21 24 27 30 33 Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरया [$२९२1 ॥ य चिंतयंति मूढा इह जम्मे चेय दुत्तरं दुक्खं । फालण-लंबण-भेयण-छेयण-करि-चमढणादीणं ॥ परलोए पुण दुक्खं णरय-गयाण महाफलं होइ । एयं अयाणमाणा कुमार चोरा इमे लिहिया ॥ 3 एसो वि जो मुसिज्जइ पेच्छह एवं पि एरिसं लिहियं । तण्हा-राय-सरत्तो परिग्गहारंभ-दुक्खत्तो ॥ पावइ परिग्गहाओ एयं अह परिभवं ण संदेहो । अह मुंचइ कह वि परिग्गहं पिता णिवुओ होइ ।। एसो पडिपहरंतो इमेहि घेत्तूण मारिओ वरओ। मा को वि इमं पेच्छे खित्तो अयडम्मि पावहिं॥ 8 ६२९३) एए वि हलियउत्ता लिहिया मे जंगलेण वाहेंता । अम्हाण होहिइ सुहं मूढा दुक्खं ण लक्खेति ॥ एए वि एत्थ जुत्ता परयत्ता कडिऊण जत्थासु । खंधारोविय-जूया गलय-णिबद्धा बलीवदा ॥ रुहिरोगलंत-देहा तोत्तय-पहरेहिं दुक्ख-संतत्ता । पुव्व-कय-कम्म-पायव-फलाइँ विरसाई भुंजंति ॥ 9 एसा वि एत्थ धरणी फालिजइ णंगलेण तिक्खेण । पुव्व-कयं चिय वेयइ बंधइ हलिओ वि णिय-दुक्खं ॥ पुहई जलं च वाउं वणस्सई बहु-विहे य तस-जीवे । दलयंतो मूढ-मणो बंधइ पावं अणतं पि ॥ एसो वि मए लिहिओ पर-कम्मयरो कुटुंबिओ मूढो । पुत्त-कलत्ताण कए पावेंतो गरुय-दुक्खाई॥ 12 छेत्तण ओसहीओ फुल्लिय-फलियाओ मुग्ग-सालीओ । चमढेइ बइल्लेहिं गलए मेढी-णिबद्धेहिं ॥ जइ होइ बहुं धणं जीवेज कुटुंबयं पियं मज्झ । ण य चिंतेइ अउपणो कत्थ कुटुंबं कहिं अहयं । एसो सो चिय लिहिओ जर-वियणा-दुक्ख-सोय-संतत्तो । डाहेण डज्झमाणो उव्वतंतो इमो सयणे॥ 16 एयं पितं कुटुंबं दीणं विमणं च पास-पडिवत्तिं । किं तुह बाहइ साहसु किं वा दुक्खं ति जं पत्तं ॥ जं किं पि तस्स दुक्खं का सत्ती तत्तियं च अवणेउं । एक्केणं चिय रइयं एक्को चिय भुंजए तइया । अह मंत-तंत-ओसह-जोए एसो वि को वि सो देइ । कत्तो से तस्स समं जाव ण भुत्तं तयं पावं ।। 1s६ २९४) एसो सो चेय मओ चल-चलुब्वेल्लयं करेऊण । मरणंत-वेयणाए किं च कयं हो कुटुंबेण ॥ अह तस्स एस जीवो पुण्णं पावं च णवर घेत्तूण । कम्माणुभाव-जणियं णरयं तिरियं च अल्लीणो ॥ एसा वि स्यइ दइया हा मह एएण आसि सोक्खं ति । तं किं पि सुरय-कज संपइ तं कत्थ पावेमो॥ अण्णं च एस दासो सम्वं चिय मज्झ किं पि जं कजं । खिप्पत करयं तो हा संपइ को व वुत्तंतो । को मह दाहिइ वरथं को वा असणं ति को व कजाई । एयं चिय चिंतेंती एसा लिहिया रुवंती मे ॥ एए वि हु मित्ताई रुयंति भरिऊण दाण-माणाई । संपइ तं णो होहिइ इय रुयमाणा लिहियाई॥ 24 एसो सो चिय घेत्तुं खंधे काऊण केहिँ मिणरेहिं । णिजंतो सव-सयणं अम्हे लिहिओ विगय-जीवो ॥ एसो अकंदतो बंधुयणो पिट्टओ य रुयमाणो । तण-कट्ठ-अगि-हत्यो धाहाधाहं करेमाणो ॥ हा बंधु णाह सामिय वल्लह जिय-णाह पवसिओ कीस । कत्थ गो तं णिय सरण-विहणे विमोचूण ॥ श एए ते चिय लिहिया विरएंता बंधवा चिति एत्थ । एसो पक्खित्तो च्चिय कुमार अग्गी वि से दिण्णा ॥ एयस्स पेच्छ णवरं चियाए मज्झम्मि किंचि जइ अस्थि । जं दुक्खेहिं विढत्तं तं सव्वं चिट्ठइ घरम्मि । खर-पवणुद्धय-दीविय-जलंत-जालोलि-संकुले एत्थ । एक चिय से वासं भण अण्णं कत्थ दीसेज ॥ अणुदियह-सुरय-सोक्खेहिँ लालिया बद्ध-गोह-सब्भावा । रोवइ दइया पासे डज्झइ एकल्लओ जलणे ॥ जेण य मणोरहेहिं जाओ संवडिओ य बहुएहिं । एसो सो से जणओ रुयमाणो चिट्टए पासे ॥ अइ पुत्त-वच्छला सा एसा माया वि एत्थ मे लिहिया। दट्टण डज्झमाणं पुत्तं अह उवगया मोहं ।। 33 जेहि समं अणुदियहं पीयं पीयं च णेह-जुत्तेहिं । मह एक्को चिय वञ्चइ एए ते जति घर-हत्तं ॥ 30 1) Pजम्मो, J दुकर दुक्ख., उ भेतण छेतण, P भोयण for भेयण, J चमढणादी. 2) देइ for होइ. 3) "मि for पि, P रायसरते, P दुक्खंतो. 4)P मुव्वद for मुंचइ, P व for वि, Pता णिम्भुओ. 5) Pi for मा, पेच्छ खित्तो. 6) Pएते, P मे लंगलेण, P मुहं for सुह, P लक्खंति. 7)P कहिऊण. 8) J रुहिरोअलंत, P तोतूयः, J पहरा हिं, P om. विरसा, P adds वसहाओ after मुंजंति. 9) J वेदइ, Pबंधइ हिलिओ. 10) पुहई, वणस्सई, P बहुविहे य तसजीवा ।, P मूढमणा, ' अर्णतंभि. 11) J य for वि, P कुटुंबिओ, P पावेतो गस्या-- 12) मुग्गसीओ । चमढेहि. 13) Pबहू, कुटुंबयं, न कुटुंबं, ५ सयण for अहयं. 14) P सो चेय, J इमे, P सयणो । एतम्मियं कुटुंब. 15) J पडिवत्ति P परिवति, P कंमा for किंवा, Pom. ति, P जयंता for जं पत्तं. 16) ताण तंति for तत्तियं च, भुजंग for भुंजए. 17) Jअहमन्नंतउसहजो उवएसो, J से for सो. 18) P सोचय, P चलं-, P किं पि हु न कयहो कुटुंबणे. 19) Pमाणभाव- 20) दया for दश्या, P एतेण, J अस्थि for आसि, P पावेनि 1. 21) Pदोसो for दासो, जं किं चि for किं पि, J को ब्व, J व पोत्तब्बो ॥. 22) P दाही for दाहिइ, P adds इय befor एयं, Pom. चिय, I रुअंती. 23) Pएते, P स्यंति सरिऊण. 24) Pom. सो, J काऊण रेहिं ।, J सवसणं, जीहोओ for जीवो. 26) जियणान. 27) एते, P विरयंतो बंधवा, P विती for चिति. 28)J पेच्छ णरवर चिताए.29) p पवाय. 30) Pसक्खे हिंलालियापडाणहसत्ताप । रोयइ. 32) Padds तं सब before माया. J से for मे. 33) P अणुदियहो, Jadds पिअं in between two पीयं, Jणेहसंजुत्तेण Pणेह जुत्ता हिं, Pi for ते. Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९६ ] कुवलयमाला बहु-असमंजस घडणा-सएहिँ जं अज्जियं कह वि अत्थं । तेण पयं पिण दिष्णं गेहे च्चिय संठियं सव्वं ॥ जानासि सुट्ट दइया पुता भूषा व हिवय वलडिया हा बायन्ति भगती पुसा मह वा घरम्मि ॥ एए वि पुणो लिहिया कई भामेड अत्तणो सीसं सुकं तु कई चिय अपन्छिमो होसु बम्हाणं ॥ एयं ते भगमाणा तलए गंतूण देंति से वारिं । एवं किर होहिइ से कत्थुट्टो कत्थ णेरयं णीए ॥ एए विदेति तृण वस्त्र पुण्जेहिं म्हण-कुछ किर तस्स होइ एवं एसो लोस्स उमरथो । 1 ६ २९५ ) एयं कुमार लिहियं अण्णं च मए इमं इहं रइयं । पेच्छसु कुणसु पसायं विद्धं किं सोहणं होइ ॥ एसो को विजुवानो एयाऐं समं वाण-विलया वियसंत-कव-मुझे किं-किंपि जंपतो ॥ लजोणमंत वयणा पायंगुट्टय-लित-महिवट्ठा। दइपुण किंपि भणिया हसमाणी विलिहिया एत्थ ॥ ● एसो को विवाणो फंसूसव-रस-वसेण हीरंतो आहिंगतो लिहिनो दयं अमर व णिम्मविवं ॥ णय जाणए वराओ एसा मल- रुहिर-मुत्त- बीभच्छा । असुई- कलिमल - णिलया को एवं छिवइ हत्थेहिं ॥ असुई इमे सरीरं विहिं य निंदियं महापात्रं तह विकुवि जुवाणा विलमो कम्माण परिणामो ॥ 18 एवं पि मए लिहिये सुरवं बहु-करण-भंग-रमणिनं जंच रमेति जुवाणा खारं सोक्स तिमण्णता ॥ एए कुमार गूदा अपरोप्पर ण चेय जागति एवं अल्जयम्मं अध्याण-विवण-खारं ॥ 15 ऊससह ससइ वेवर वणे मडलेह दीजये कणइ दीह- सिय-सह-विद्या कुणइ मरंति व सुरयम्मि ॥ जं जं से गुज्झयरं रक्खिज्जइ सयल-लोय - दिट्ठीओ । विणिगृहिज्जइ सुइरं दिट्ठम्मि ससज्झसो होइ ॥ मल-रि-गुणवादोसयझिया असुर-वाहिणी पावा जो तं पि रमइ मूढो णमो णमो तस्स पुरिसस्स ॥ सुरयं ण सुंदर चिय अंते कण लजए जेण असुई पिव अलि तेण ण कर्ज इमेणं पि ॥ 18 ए पि मए लिहिये की वि महिलाए मंगल समूहि कीरह से फल व वजिर-तूरोह संदेणं ॥ णय जाणंति वराया जं ता अम्हेहिं किं पि एयंते । कुच्छिय-कम्मं रइयं तं पयई होइ लोयमि ॥ ६२९६) एसो वि जो लिहिओ णचंतो रहस-तोय-भरिय-मणो ण य जाणए वराभी भत्ताण-विवर्ण एवं ॥ 81 एसो पुण गार्यतो लिहिओ णिब्बोलिएण वयणेणं । ण य जाणए चराओ एवं पलविज्जए सव्वं ॥ एसो वि सह पुरिसो हा हा पवडाए दंव पंतीए जं पि संतो बंध वं रोतो ण बेइ ॥ एसो वि रुयइ पुरिसो अंसु-पवाहेण मउलियच्छीओ । अण्णं बंधइ पावं अण्णं येएइ पुव्व-कयं ॥ 8 एसो विधाइ पुरियो तुरियं कर्ज ति किं पि चिंतंतो ण य जाणए वरानो मन्तृ तुरियंसमयि ॥ एमए सूर्यतो लिहिओ अह चिलेहिं अंगेहिं किं सुषसि रे अजिरमन्त ते जीवि हरइ ॥ एसो वि मए लिहिओ मल्लो अप्फोडणं करेमाणो । सारीर-बलुम्मत्तो इंदिय-विसएहिँ अह हिओ ॥ एसो वि रूवमंतो अच्छछ अत्ताणयं नियच्छंतो । ण य चिंतेइ अउण्णो खणेण रूवं विसंवयइ ॥ एसो वि धणुम्मत्तो कंठय- कडएहिँ भूसिय सरीरो । ण य विगणेइ अयाणो कत्थ धणं कत्थ वा अम्हे ॥ एसो कुल-मय-मत्तो अच्छइ माणेण थद्धओ पुरिसो । ण य चिंतेइ वराओ काओ वि इमो हवइ जीवो ॥ 30 एसो विमए लिहिली लोहुम्मत्तो अहं फिर लामिण व चिंतेइ अण्णो कम्म-सा होइ एवं पि ॥ एसो पंडियवाई लिहिलो वक्त्राण पोत्यय-करग्गो । जाणतो वि ण-याग किं णार्थ सील-परिहीणं ॥ एसो त मय-मतो अच्छा उद्वेग बाहु-डंडे काऊन हणह मूढो गब्वेण तवं ण संदेहो ॥ 88 एसो वि कोइ पुरिसो कड्डिय- कोडंड-भासुरो लिहिओ । मारेंतो जीवाई अगणेंतो णरथ - वियणाभो ॥ 1 8 97 १८७ 1 3 6 12 15 18 21 24 27 33 J J 1 ) P घट्टण for घडणा- 2 ) P जे for जा, पत्ता for पुत्ता, P जीव for हियय, P वा वाभत्ति भगता एए ते जंडंति ए डुतं for the 2nd line. 3 ) P एते, P कद्धे भोमेउ अपणो, भामेउं अत्तणीसेसो, P तह for तुह, तिय for चिय. 4 ) 3 एवं एयं चि भणमाणो, P वारि । एतं किर होहिति से छुट्टो, P णेरय. 5 ) P एते, J म्हेण for बम्हण, किरत्तस्स होईअं एसो P होति एतं एसो, उम्मच्छो for छउमत्थो. 6 ) J inter. इमं & मए, Jom. इहं, P रइया । 7 J जुआणो, एताए, जुआण, P सुहो for मुहो. 8 J लुअणमंतवयणो पायंगुट्टायलिहितमहि, P किम्मि for किं पि, विहिलिहिया 9 जुआणो. 10 P जाणाए, बिम्भच्छा, P असुई किलमल. 11 वि for य. 12 ) एतंमि for एवं पि, P करणिभंगरसणिज्जं ।, जुआणा, P सारसोक्खं 13 ) P एते, P अवरोप्परं. 14) मउलेउ दीणहं, P भाइ for कणइ. 15 ) असज्झसो for ससज्झ 16 ) सुइर for असुर, P तंमि for तं पि. 17 सुंदर च्चिय, I इमेणम्मि | 18 ) P एयंमि मए, ठमणं P दुवणं. 19 ) J ते for ता, Pजं त कम्हे कतं ति एयं ते. 201 रोस for रहस 21 णिग्वोलि रण, P जाणे, P एतं. 22 ) P वि सहइ, रोअंतो. 23 ) JP वेते. 24 > P किम्मि for किं पि, चितो, जाई. 25 ) P अह निब्बिल हिं, ए for ते, P वर for हरइ. 26 ) P इंदियवसएहिं अह निहिओ. 27 वि रुअइमन्तो, P. णिच्छंतो, P ण इ चिंतेइ, P खणेण्ण. 28 तु for वि, P कणय for कंठय, P चिंतेs for विगणे, व अयणओ for अयाणो, P वणं for धणं. 29 ) P घट्टउ for थद्धओ P इ चिंते. 30 ) P inter. मए & वि, P कम्मल होंति एयं मि ॥. 31 पंडिय यातं P पंडिय बाती, P करायो for करग्गो, विण जाणइ, P सीण्ण for सील. 32 ) P बाहुदंडेण, P इ for द्दणइ. P तव ण. 33 [JP को विfor फोर (emended ), P कोदंड, P मारतो, " अगणतो, वियणा ॥ 30 Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८८ उज्जोयणसूरिविरइया [२९ 1 एसो वि पहरइ चिय कड्डिय-करवाल-भीसणो पुरिसो। ण य चिंतेइ अउण्णो खणेण किं भे समाढत्तं ॥ जइ कह वि अहं णिहओ कज्जं तं कत्थ पावियं होइ । अह कह वि एस णिहओ संबद्धो मज्झ पावेण ॥ 3 एए वि कुमार मए लिहिया सुय-सारिया य पंजरए । पुत्र-कयं वेयंता अण्णं च णवं णिबंधंता ॥ एसा वि का वि महिला वियणा-वस-मउलमाण-णयणिल्ला । पसवइ के पि विआयं सारिच्छमिणं मए लिहियं ॥ जो पसवइ इह बालो सो संदेहम्मि वए वरओ। संकोडियंगसंगो जीवेज मरेज वा णूणं ॥ एसा वि एत्थ महिला दोहाइजत-गुज्झ-वियणाए । खर-विरसाइ रसंती पीलिजइ सरस-पोत्ति व्व ॥ एसा वि एत्थ लिहिया का वि विवण्णा ण चेय णीहरिय । अण्णाएँ मयं बालं मयाई अह दो वि अवराई॥ २९७) एतो परिणितो लिहिओ अह पेच्छ कुमर वेदीए । तूर-रव-मंगलेहिं णच्चिर-महिला-विलासेहिं ॥ 8 ण य जाणए वराओ संसारो एस दुक्ख-सय-पउरो। हत्थेहि मए गहिओ महाए महिल त्ति काऊण ॥ णचंति ते वि तुट्ठा किर परिणीयं ति मूढया पुरिसा । ण य रोयंति अधण्णा दुक्ख समुद्दे इमो छूढो॥ एसो विमए लिहिओ कुमार उत्ताण-सायओ बालो । आउं ति परं भणिरो अण्णं वरओ ण-याणाइ । 12 एसो सो धि अपुण्णो कीलइ अह कीलणेहि बालो त्ति । असुई पि असइ मूढो ण य जाणइ के पि अत्ताण ॥ एसा न एवं सो चिय कुमरो कुक्कुड-सुय-सारियाय-मेसेहिं । दुल्ललिओ अह वियरइ अहं ति गवं समुवहिरो ॥ एसो पुणो वि तरुणो रमइ जहिच्छाए कण्ण-जुवईहि । कामत्थेसु पयत्तइ मूढो धम्म ण-याणाइ ॥ 15 एसो सो चेय पुणो मज्झारो बाल-सत्थ-परियरिओ। अणुविद्ध-पलिय-सीसो लग्गइ ण तहा वि धम्मम्मि ॥ एसो सो ञ्चय थेरो लिहिओ अह वियलमाण-वलि-वलिओ। बालेहि वि परिभूओ उब्धियणिज्जो य तरुणीहिं ॥ एसो वि भमइ भिक्खं दीणो अह णियय-कम्म-दोसेण । एहिं ण कुणइ धम्म पुणो वि अह होहिइ दरिदो ॥ 18 एसो वि को वि लिहिओ रोरो थेरो य सत्थर-णिवगणो । चीवर-कंथोत्थइओ पुव-कयं चेय वेयंतो ॥ एसो वि को वि भोगी कय-पुण्णो अच्छए सुह-णिसण्णो । अण्णे करेंति आणं पुन्व-अउण्णाण दोसेहिं॥ ६२९८) एसोधि को वि लिहिओ राया जंपाण-पवहणारूढो । पुरिसेहिं चिय वुज्झइ जम्मंतर-पाव-वहएहिं । एए विमए लिहिया संगामे पहर हिँ जुझंता । ण य जाणंति वराया अवस्स णरय इमेणं ति ॥ एसो वि पुहइ-णाहो अच्छइ सीहासणे सुह-णिसण्णो । णीसेसिय-सामंतो मत्तो मागेण य पयत्तो॥ एयरस पंच कवला ते च्चिय वासाई दोणि काई चि । एक्क च्चिय से महिला असरालं वए पावं ॥ 24 एसो वि को वि पुरिसो लोह-महम्गह-परिग्गहायल्लो । पइसइ भीमं उयहिं जीयं चिय अत्तणो मोतं ॥ एसो वि को वि पुरिसो जीविय-हेऊण मरण-भय-रहिओ। कुणइ पर-दव्व-हरणं ण य जाणइ बहुयरं मरणं ॥ एसो वि एत्थ लिहिओ महदहे भीम-काल-बीभच्छो । पुरिसो चिय गेण्हंतो जालेणं मच्छ-संघाए॥ 7 ण य जाणए अउण्णो एयं काऊण कत्थ गंतव्वं । किं थोवं किं बहुयं किं वप्प-हियं पर-हियं वा ॥ एए वि एत्थ वणिया सच्चं अलिय व जंपिडं अत्थं । विढवेंति मूढ-मणसा परिणाम णेय चिंतेति ॥ एए वि के वि पुरिसा वेरगग-परा घराई मोत्तूण । साहेति मोक्ख-मग्गं कह वि विसुद्धेण जोएणं ॥ 30 एयं कुमार लिहिय मणुयाणं विद्व-ठाणयं रम्मं । संखेवेणं चिय से वित्थरओ को व साहेज्जा ॥ २९९) एयं पि पेच्छ पत्थिव तिरिय-समूहस्स जं मए लिहियं । सोहणमसोहणं वा दिजइ दिट्टी पसाएण ॥ तं चिय सुव्वसि णिउणो तं चित्त-कलासु सुट्ट णिम्माओ। तेणेत्थ देसु दिहिँ खणंतरं ताव वर-पुरिस ॥ 33 सीहेण हम्मइ गओ गएण सीहो त्ति पेच्छ णरणाह । एस य मओ मईदेण मारिओ रण्ण-मज्झम्मि । 1) P अउणो खणेण किमे. 2) Pणिहिओ, Jom. कत्थ, P सब्बद्धा मज्झ सावेण 1. 3) Pएते, सउणया for सारिया, वेता for वेयंता, P अण्णं च यं निबद्धता. 4) P मउलमालण, P पसवर किं पि. 5) J बट्टण, J वराओ P घरओ, ? 'अंगसंगो. 6) J मुज्झ for गुज्झ, P पीहि लिज्जइ, I पोत्ती व्व. 7) IP inter. एस्थ & वि, को for का, एमएयं for मयं. 8) J कुमार बेईए P कुरवेदीए. 9) Pणइ जाणइए. वराओ, संसारवि for संसारो, " हत्थेग मए, Pom. महाप. 10) ? रोवति अउण्णा. 11) Pउत्ताणसोयओ, P आउत्ति, P भणिओरो, अण्णा P अणं. 12) सोद्धि for सी घि, Pएसो सोयब्वे पुणो कीलइ, P असुइम्मि असुइ ढोणय, P किं पि. 13)Pएसो for एवं. 14)P नजुवतीण ।. 15) सोय. 16)P repeats अह, P-बलओ, परिहूओ, P परिभूओ बियणिज्जो. 17) Pइयर for णियय, J दोसेहि, "अ for अह. 18) P om. चेव, J वेएं तो. 19 P पुन्वय अण्णाण. 20) P चिय, बुब्भइ for ज्शद,P पावपवाहेहिं. 21) Pएते, " जुझंता, Pण य ज्झाणंति, Pइमेहिं ति. 22) P सामन्नो मनो माणेण परयत्तो . 23) Pकाई वि, Pएक विय, P असडालं. 24) P पयसरद भीमओअहि जीयं. 25) हेतूय P हेऊण, P भीओ for रहिओ. 27) Pअउगो. J थोअं. 28 एते, P वणिया, J मणसो. 29) Pएते, J सार्वेति Pसाहंति, P जोगेणं. 30) P सो for से, कोख साहेज्ज 1.31) Pएतं च for एयं पि, P लिहि।, P om. सोहणमसोदणं वा etc. to ताव वरपुरिस- 33Pसोहण for सीहेण, गपत्ति सीहो, P repeats एस. Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८९ 12 -5६०१] . कुवलयमाला 1 वग्घेण एस वसहो मारिजइ विरसयं विरसमाणो । एसो उण भिण्णो चिय वग्धो सिंगेण वसभस्स ॥ एए विमए लिहिया महिसा अवरोप्परेण जुझंता । रागद्दोस-वसहा सारंगा जुज्झमाणा य ॥ ईसा-बसेण एए अवरोप्पर-पलर-वेर-बेलविआ । जुज्झंति पेच्छ पसवो अण्णाण-महातमे छूढा ॥ आहारट्ठा पेच्छसु इमिणा सप्पेण गिलियओ सप्पो । मच्छेण पेच्छ मच्छो गिलिओ मयरो य मयरेण ॥ विहएण हओ विहओ ईसा-आहार-कारणा कोइ । सिहिणा य असिज्जतो भुयंगमेसो मए लिहिओ॥ एयं च पेच्छ सुंदर चित्तं चित्तम्मि चिंतियं चित्तं । मच्च-परंपर-माली जीवाण कमेण णिम्मविया ॥ एसा मए वि लिहिया वणम्मि सर-भारएण भममाणी । लूया तंतु-णिबद्धा गहिया एयाएँ लूयाए॥ एसो वि य कोलियओ भममाणीए छुहा-किलंतीए । घरहारियाएँ गहिओ पावो पावाए पावेण ॥ घरहारिया वि एसा कह वि भमंतीए तुरिय-गमणाए । सामाए इमा गहिया चुकइ को पुब्ब-कम्मस्स ॥ एसा वि पेच्छ सामा सहसा पडिऊण गयण-मग्गाओ। ओवायएण गहिया पेच्छसु गरणाह कम्मरस ॥ ओवायओ वि एसो णिवडिय-मेत्तेण जाव उठे । ता रण-बिरालेणं गहिओ लिहिओ इमो पेच्छ॥ एसो वि पेच्छ पावो रण-बिरालो बला णिवडिएण । कोलेणं गहिओ ञ्चिय सुतिक्ख-दाढा-करालेणं ॥ कोलो वि तक्खणं चिय आहारट्ठा इमेण पावेण । हम्मद य चित्तएणं पेच्छसु चित्ते वि चित्तेणं ॥ अह एसो वि हु दीवी दाढा-वियराल-भीम-वयणेण । लिहिओ हि खलिजतो खर-णहरा-वज्ज-घाएहिं । 15 एसो वि तक्खणं चिय पेच्छसु वग्यो इमेण सीहेण । फालिज्जतो लिहिओ कर-करवत्तेण तिक्खेण ॥ एसो वि पेच्छ सीहो जाव ण मारेइ दारुणं वग्छ । ता गहिओ भीमेणं सरहेण पहाविणा पेच्छ॥ इय अवरोप्पर-सत्ता सत्ता पावम्मि णवर दुक्खत्ता। रायबोस-वसत्ता सत्तुम्मत्ता भमंति इहं ॥ 18 ३ ००)एयं पि पेच्छ णरयं कुमार लिहियं मए इह पडम्मि । बहु-पाव-पंक-गरुया झस त्ति णिवडंति जत्थ जिया ॥18 एए ते मे लिहिया उववजंता कुडिच्छ-मज्झम्मि । बहु-पूय-वसामिस-गभिणम्मि बीभच्छ-भीसणए ॥ एत्थ य जाय चिय से णिवडंता एस्थ मे पुणो लिहिया। णिवडता वज-सिलायलम्मि उय भग्ग-सव्वंगा ॥ 21 अह एए परमाहम्मिय त्ति पावंति पहरण-विहत्था । हण-लुंप-भिंद-छिंदह मारे-चूरेह जंपंता ॥ एए ते तेहिँ पुगो घेत्तूर्ण जलण-तत्त-तउयम्मि । छुब्भंति दीण-वियणा विरसा विरसं विरसमाणा ॥ एए भिजति पुणो दीहर-तिक्खासु वज-सूलासु । जेहिं पुरा जीयाणे बहुसो उप्पाइयं दुक्खं ॥ एए वि पुणो जीवा विरसं विरसंति गरुय-दुक्खत्ता । एयाण एत्थ तंबं मुहम्मि अह गालियं गलियं ॥ एए पुण वेयरणि धावंता कह वि पाविया तीरं । डझंति तत्थ वि पुणो तउ-ताविय-तंब-सीसेहिं ॥ एसा वि वहइ सरिया वेदरणी तत्त-जल-तरंगिल्ला । एत्थ य झंपावडिया अत्ति विलीणा गया णासं ॥ 27 अह पुण संगहिय चिय भीम-महाकसिण-देह-भंगिल्ला । एत्थ विभिजति पुणो वणम्मि असि-ताल-सरिसम्मि । एए विमए लिहिया फालिजंता बला य बलिएहिं । करवत्त-जंत-जुत्ता खुत्ता बहु-रुहिर-पंकम्मि ॥ एए वि पुणो पेच्छसु अवरोप्पर-सिंघ-वग्ध-रूवेण । जुज्झंति रोद्द-भावा संभरिओ पुन्व-वेरि त्ति ॥ 30 एए वि पेच्छ जीवा णरए वियणाऍ मोह-मूढ-मणा । विरसंति पुणो दीणं खर-विरसं भीसणं सहसा ॥ एत्थ य कुमार एए णरए बहु-दुक्ख-लक्ख-लक्खम्मि । तेत्तीस-सागराई भमंति णिचं ण संदेहो ॥ ३०१) एयं पि मए लिहियं कुमार सग्गं सुओवएसेण । जत्थ य जंति सउण्णा बहु-पुण्ण-फलं अणुहवंति ॥ 33 ता पेच्छ ते वि णरवर सयणिज्जे दिव्व-वत्थ-पत्थरिए । उववजंता जीवा मणि कुंडल-हार-सच्छाया ॥ 1) सिंहेण वसहरसं. 2) Pएते, ' महिआ, JP वसड़ा (?). 3) एणा P एते for एए, P पोस पसरं for पसरवेर, J पसओ. 4) J इमंमि for इमिणा, P लिहिओ for गिलिओ. 5) Pकारणे को वि।, P भुयंगमो एस मे लिहिओ. 6) Fसुचित्त for चित्तं after सुंदर, P परंपरमाणीए, P om. जीवाण कमेण etc. to भममाणीए. 7) Jलूता, लूताए. 8) J घरहारिअए, P repeats पावो. 9) P भमतीय तु तुरियगमणाए।, P गिलिया for गहिया. 10) Jओवातएण, P ओवाएणं. 11) JP ओवातओ, P मेत्ते ण. 13) Pम for य, Pचितेविचितेणं. 14)P विकराल, P om. लिहिओ हि ख,Jom. हि, P लिज्जतो खरणरहावज्जयापत्ति 1 as the 2nd line. 15) P पीलिज्जतो, काकरवंतेण. 16) P महावणे for पहाविणा. 17) P writes सत्ता thrice, I दुक्खंता, रागहोस, P सत्तुसत्ता, भवंति इहं. 18)P पहु for बहु, P ज्झट for झस. 19) P एते ते, उपविजंता Pउबढज्झंता,J बस for वसामिस. 20) Jउवदग्गसव्वद्धा. 21) P अह पत्त परमाहम्मिए त्ति, P धावति for पावंति, हणलुपछिंदह मारे तूरेह. 22) Pएतेहिं पुणो धकूण णारया जलण, P वयणा for विमणा. 23) Pएते for एए, P जीवाणं, उप्पादओ दुक्खं. 24) P अ for अह,J अह गलियं, Pom. गलियं. 25)J उण. 26) य for वि, p वेयरजी, P नाम for तत्त, ज्झडत्ति for झत्ति, P पास for णासं. 27) Pसंगलिय, महाकसण, P वि छिज्जति. 28) Pएते वि, र बहुमरुदिर. 29) Pएते नि गुणो, द वग्धवेण 1, J संभरि उं, वेर त्ति. 30) Pएते, P repeats वियणाए, J मूढवणसण्णा ।, Pणो for पुणो. 31) Pom. य,J एते, Pom. एए, P दुक्खा, P भमंति णचं. 32) P एयं मि मष, Jएत्थ for जत्थ, Pसंउणा, बह for बहु. 33P सिलायले for सपणिज्जे (which is a marginal correction of the former in Jalso), P om. वत्थ, P बत्थरिए । P उववज्जती. Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६३०१एए उण उववण्णा दिव्वालंकार-भूसिय-सरीरा । सोहंति ललिय-देहा दिव्वा दिव्वेहि रूवेहिं ॥ एसो देव-कुमारो रेहइ देवी-सएहिँ परियरिओ । आरण्ण-मत्त-मायंग-सच्छमो करिणि-जूहेहिं । एसो उण सुरणाहो अच्छइ अत्याण-मज्झयारम्मि । बहु-देवीयण-देवीहिँ परिगओ माण-पडिबहो । एसो पुण आरूढो उरि एरावणस्स 'दिव्वस्स । विजुजल-जालावलि-जाला-मालाहिँ दिप्पंतो॥ एसो वि को वि देवो लिहिओ सुर-पेक्खणं पलोएंतो । णहोवयार-सरहस-हाविर-भावाओ देवीओ॥ एयाओ पुण पेच्छसु मंथर-गमणाओ पिहुल-जहणाओ। तणु-मज्झेण य थणयल-रेहिरंगीओं ललियामो॥ एया पुण विलयाओ गायति सुह-सुहेण तुहाओ। अच्छइ थंभिय-मणसो गीएण इमो वण-गओ व्व ॥ एयाण वि एत्थ पुणो कुमार दे पेच्छ विलिहिया एए । किब्बिसिया णाम सुरा किंकर-सरिसा इमे अहमा ॥ 9 एए परिवेयंता दुक्खं वेदेति णत्थि संदेहो । एसो एत्थ महप्पा अम्हे उण किंकरा जाया । एसो वि को वि देवो चवणं णाऊण अत्तणो अइरा । परिहीयमाण-कंती मिलाण-मल्लो दुई पत्तो॥ अण्णो वि एस जीवो विलवइ कलुणं सुदीण-मण-जुत्तो । हा हा अहं अउण्णो संपइ पडिहामि असुइम्मि । " एसो वि को वि देवो विलवंतो चेय देवि-मज्झाओ । पवणेण पईवो इव झत्ति ण णाओ कहिं पि गओ। एयं कुमार सवं देवत्तणयं मए वि लिहिऊण । एसो पुणो वि लिहिओ मोक्खो अञ्चंत-सुभ-सोक्खो॥ एत्थ ण जरा ण जम्मं ण वाहिणो णेय मरण-संतावो । सासय-सिव-सुह-ठाणं तं चेय सुहं पि रमणिज ति॥ 15 एवं कुमार, तेण साहिए तम्मि तारिसे संसार-चक्क-पडम्मि पञ्चक्खीकए चिंतियं मए । 'अहो, कट्ठो संसार-वासो, दुग्गमो 15 मोक व-मग्गो, दुक्खिया जीवा, असरणा पाणिणो, विसमा कम्म-गई, भूढो जणो, गेह-णियलिओ लोओ, असुइयं सरीरं, दारुणो विसओवभोओ, चवलं चित्तं, वामाई अक्खाई, पञ्चक्ख-दीसंत-दुक्ख-महासागरोगाढ-हियओ जीव-सत्थो त्ति। 18 अवि य। 18 मणुयाण णथि सोक्खं तिरियाण ण वा ण यावि देवाण । णरए पुण दुक्ख चिय सिद्वीए सुहं णवरि एकं ।' चिंतयंतेण भणियं मए । 'अहो तए लिहियं चित्तवर्ड, सव्वहा ण तुमं मणुओ, इमेण दिग्व-चित्तयम्म-पडप्पयारेण श कारणंतरं किं पि चिंतयतो दिब्बो देवलोयाओ समागओ'ति । एवं भणतेण दिलु मए तस्स एक-पएसे अण्णं चित्तयमं । 21 भणियं च मए 'अहो उवज्झाय, एवं पुण इमाओ संसार-चक्काओ अइरित्तं, ता इमं पि साहिजउ मझ'ति । ६३०२)इमं च सोऊणं दंसि पयत्तो उवज्झाओ । कुमार, एयं पि मए लिहियं पेच्छसु सुविभत्त-रूव-सविभायं । काणं पि दोण्ह चरियं भवंतरे आसि जं वत्तं ॥ एसा चंपत्ति पुरी लिहिया धण-रयण-कणय-सुसमिद्वा । दीसंति जीय एए पासाया रयण-पोंगिला ॥ दीसइ जायर-लोओ रयणालंकार-भूसिओ रम्मो । दीसह य विवणि-मग्गो बहु-धण-संवाह-रमणिजो ॥ एसो वि तत्थ राया महारहो णाम पणइ-दाण-परो। अच्छइ तं पालेतो लिहिओ से मंदिरो एत्थ ।। एत्थ य महामहप्पा धणदत्तो णाम बहु-धणो वणिओ । देवी य तस्स भजा देवि व्व विलास-रूवेण ॥ ताणं च दोण्ह पुत्ता दुवे वि जाया मणोरह-सएहिं । ताणं चिय णामाई दोण्ह वि कुलमित्त-धणमित्ता॥ 30 ताणं जायाणं चिय णिहणं से पाविओ पिया सहा । अत्थं सव्वं चिय से परिगयमाणं गयं णिहणं ॥ णिज्झीण-विहव-सारा परिवियलिय-सयल-लोय-वावारा । परिहीण-परियणा ते दोग्गचं पाविया वणिया । एक्का ताणं माया अवरो से ताण णस्थि बंधुयणो । अकय-विवाहा दोणि वि कमेण अह जोब्वर्ण पत्ता ॥ 33 भणिया ते जणणीए पुत्त मए बाल-भाव-मुद्धयरा । तुम्हे जीवावियया दुक्खिय-कम्मा काऊण ॥ 1) IP एते, P "लंकारभूविलासरूण | and further adds ताणं च दोण्ह पुत्ता ete. to गिहणं । निशीसियसरीरा before सोहंति etc. as at ll. 29-31, p. 190, दिवे for दिवा. 2)Pदेविकुमारो, P सच्छिमो करणि. 3) Pउण सरणाहो, P देवी उण, P पडिगओ. 4) J एसो उण, Pom, दिव्वरस, वजुज्जलजलगावलि, P दिपंता. 5) Jट्टोवहारसहरिस, P णजेवयार-, P हाविरहावाउ. 6) JP पुणो, P पेहुलजघणाओ, J जहणाओ। थणगज्झेण, Jadds स before रेहिरं'. 7) Jएता Pएयाओ. P उठाओ ।, P वणमउ व्व. 8) Pएया पि, विलहिया एत्ते । 9) Pएते, J परिवेर्पता, P वेएंति णत्य, 'एऽसो, rather [अण्णे] उग. 11 P अण्णे, P अउणो. 12) I चेव. 13) Pinter. वि & पुणो, सुह, साक्खो. 14) Pom. f after जरा, P वाहिणा, P संततावो। सासंब सि ठाणं,J सुई परमणिचं ॥ इति ॥. 15) P adds च after एवं, P चके पडमि, J om. मए । अहो. 16) Pलोहो for लीओ. 17) विसयोवभोओ, P on. चवलं चित्तं, J अक्खई" पच्चक्वं, आढ for गाढ, स्थि for ति. 19)विताव for ण वाण यावि, देवेण | and further repeats गरम वामाई अक्वाई cte. to ण यावि देवेण ।. 20) चितियं तेण, P om. मए, P चित्तियमपडसारेण. 21) देवलोगाओ, J तकप्पएसे, P अन्नं चिंतयम. 22) Jएअं पुण, JP अतिरित्तं, P सादिज्जओ मज्झ त्ति. 23) उअज्झाओ. 24) ण्य मि माए, पेच्छअ for पेच्छम, J रूवयविभायं-, P ताणं for काणं, J हवंतरे for भवंतरे. 25) Pरयणवोंगिल्ला. 26) Jadds वर before रयणा', विमणि.. 27) Pएत्थ for तत्थ, P पालंतो, लिहिओ मे मंदिरे. 28) J धणमित्तो जाम बहुधणो धमिओ. 20 Jom. च. दोर्ड, Pinter. धणमित्त and कुलमित्त (त्ता). 30) "णिहणं स पिया सहसा,J परिगमाणं. 31) P निजीण, P दोगचं. 32) Pएक्काण ताण माया, P -वियाहा. 33) Pवियाय for वियया. 27 Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३०३ ] कुवलयमाला 1 एहि जोव्वण - पत्ता सत्ता दाऊण मज्झ आहारं । ता कुणह किं पि कम्मं इय भणिरिं पेच्छ मायं से ॥ एए विमए लिहिया लग्गा यियम्मि वणिय-कम्मम्मि । तस्य विय गरि किंचि वि जेण भवे मंड-मोठं ति ॥ 3 अह हो किंचितरथ वि जं चिय गेति भेद जायं ति जं ञं ये दो वितं तं एकेण विका ॥ जं एके गहिये मग्गिज से पुणो वि अद्वेण अद्वेण जे पि किमियं वच तं ताज पाए । इस जानि वणित्थि उणे किंचित वाहे हग्गा किसि करिणम्मि कह-कह विणा ॥ (३०३ ) एए ते मे लिहिया हल-मंगल-जोत्त-पग्गह-विहत्था । अत्ताणं दममाणा गहिया दारिद्द- दुक्खेण ॥ जं किंचि घरे धणं सव्वं खेत्तम्मि तं तु पक्खित्तं । मेहा ण मुयंति जलं सुक्कं तत्थेय तं धणं ॥ अह ते तं चणं लग्गा थोरेसु कह वि दुक्खत्ता । एए मए वि लिहिया आरोविय-गोणि-भरयाला ॥ एए वि ताण थोरा तिलयं होऊण वाहिया सव्वै । णीसेसं ते वि मया तत्थ विभग्गा अउण्णेण ॥ वित्तीय तुट्टा पर गेहे ईि समाता एत्थ वि एसो सामी ण देइ वित्ती अण्णाण ॥ एए पुणो वि से दिय पेरोणं इमं परिचर्ड अण्णत्थ पुरवरीसुं उवागया जाय-निव्वेया ॥ एत्थ वि एए भिक्खं भमंति घरथंगणेसु भममाणा । ण लहंति तत्थ वि इमे केण वि कम्मेण असुहेणं ॥ वंच ते कमेणं पत्ता शिब्वेय- दुक्ख संतत्ता । रयणावरस्य तीरं अर्थ परिमग्गिरा वणिया ॥ ताव को विइमो सो परतीरं परिथम इदं वणिभ घेतृण बहुं भंडं जाणं भरिकण विणं ॥ एसो सोते समं वणिओ भणिमो वयं पि वचामो देख अहं वित्ती जा तुह पडिहाइ हिषयस्व ॥ वणि विपचिणं एवं होट सि गच्च हुने वि दाहामि अहं विसिं अण्णाण वि जं ददामि ॥ एवं तं पोयवरं कुमार एवम्मि सलिल- मज्झम्मि पम्मोहियं जहिच्छं धवलुब्वरांत विजयाहिं ॥ एयं समुद्र - मज्झे वच्चइ जल-तरल-वीइ-हेलाहिं । सहसा अह फुडियं चिय लिहियं तं पेच्छ बोहित्थं ॥ एए वि वणियउत्ता दुवे वि सलिलम्मि दूर तीरम्मि । कह कह वि शिवुडुंता फलयारूढा गया दीवं ॥ तरऊण महाजहिं एए पुच्छंति एस को दीवो । एसो इमेहिँ कहिओ केहि मि जह रोहणो णाम || एवं सोऊण इमे लडं जायं ति हरिसिया दो वि । अवरोप्पर जंपता एए मे विलिहिया एत्थ ॥ एतं दीनवर जन्म भो वि पावए अथे संप ताव खणामो जा संपत्ता रचणा ॥ ३०४ ) एवं भणिऊण इमे खणिउं चिय णवर ते समादत्ता । दियहं पि अह खर्णता ण किं चि पार्वति ते वरया ॥ अह तत्थ विणिविष्णा अल्लीणा के पि एरिसं पुरिसं । धाउब्वायं धमिमो त्ति तेण ते किं पि सिक्खिविया ॥ तथ विखर्णति गिरि-कुहर- पत्थरे यल-पुरिसत्या ते चिय धर्मति सुइरं तर छारो परं इत्ये ॥ तत्थ वि तेणुव्विग्गा लग्गा अह खेलिउं इमे जूयं । एत्थ वि जिणिऊण इमे बढ़ा सहिएण ते वणिया ॥ कह-कह वितत्थ मुक्का लग्गा ओलग्गिउं इमे दो वि । तत्थ वि एसो जाओ संगामो पाडिया बद्धा ॥ एत्य वि चुका मुक्का अंजण जोपसु णेय-रूवेसु अंजंति य णयणाई उपधानो जाब से जाओ ॥ B 1 7 10 33 अह पुण ते च्चिय एए के पि इमं गहिय-पोत्थय-करग्गा । पुरओ काउं पुरिसं बिलम्मि पविसंतया लिहिया || किर होहि जक्खिणि त्ति अम्हे वि कामुया होहं । जाव विगराल-वयणो सहसा उद्धाओ वग्घो ॥ एए तेचि पुरया मंगहिजण गुरुयण-मुहाओ मुद्दा-मंडल-सहकाउमादत्ता ॥ एत्थ विसावा या उदा परम-भीतो । रोदो रक्खस-रूबी पुण्य कओ पाव संघानी ॥ सव्वहा, जं करेंति एए पुण्य-महा-पाव कम्म- दोसे से विहड सवाल-कवलं जहा रहयं ॥ १९१ 6 9 12 adds ता before 5 ) ता for ताहे. 9 ) P एते, P ताण घोरा, 12 ) Pएते, P घरपंगणेसु. 1) सदा for सत्ता. 2 ) P एते वि माझ्भणिया लग्गा, P किंची जेग. 3 ) inter तत्थ & किंचि जं चिय, मंडमुलं पि, Pom. वि, Jom one तं, विकाई for विकाए. 4 ) J तत्थाण for तं ताण. 6 ) P एते ते, P गहिता दारिद्द रक्खेग. 7 ) P धणं सवं. 8 ) 1 लग्गा घोरेसु, P व for वि, P एते. " सत्थो for सब्बे, P णीसंसे for णीसेसं. 10 ) P मी for सामी, P देति 11 ) P एते, P परिव्वदओ । 14) Jइमा सा परतीरं, P बहु. 15 ) Prepeats भणिओ. 16 ) P दाहामि तुहं वित्ती 17 एतं, पोतवरं P पायवर, P एतंमि, P धवलघुवंत- 18 ) P पतं, P वीतिहेलीहिं, P अह for तं. 19 ) P एतेवि, Pom. one कह, P पि णिउत्तंता फलरूडा. 20) ते, P इमोण for इमेहिं, P के म्हि जद. 21 ) P एतं P लडं, P एते, P बिलिया. 22 ) P एतं, तत्थ अतश्नो for जत्थ अउण्णो. 23 ) P पत्ता ५ for चिय णवर, "ता णं for ताण, ताण इंचि. 24 > P अल्लीणा किंपि, P पुरि for पुरिसं 25 चिर for विय, P हत्थो 26 ) P "व्विग्गा अढत्ता खेलिडं इमे. 27 ) P चुक्का for मुक्का, P इसो for एसो. 28) P तस्थ for एत्थ जोपसु णायरूत्रेसु । अंजोति, उवग्धतो. 29 एते किं पि अहं, P इमं महिय, P करगं, पुरिसं पिलंमि, P पसंतथा 30 ) एत्थ किर होहिति, रविअराल. P एते, P विसबं 31 J एते, P गुरुमुहाओ 32 > सावेंताणं P साहंताणं. 33 ) 15 18 21 24 27 30 33 Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९२ उजोयणसूरिविरइया 1 अह एए एयं जाणिऊण णिविण्ण-काम-रह-भोगा। देवीऍ पाय-वडिया चिटुंति इमे सुह-णिवण्णा ॥ एत्थ वि सा हो देवी कत्थ वि अण्णत्थ पवसिया दूरं । एए वि पेच्छ वरया सेलस्थंभोवमा पडिया ॥ 3 दियहेहिँ पुणो पेच्छसु सयलाहारेण वजिय-सरीरा । अट्टिमय-पंजरा इव णिविण्णा उट्टिया दो वि ॥ 8३०५ ) कह कह वि समासत्था एए भणिऊण इय समाढत्ता । अव्वो देव्वेण इमो रोसो अम्हाण णिव्वडिओ ॥ जं जं करेसु अम्हे आसा-तण्हालुएण हियएण । तं तं भंजद सव्वं विहिदालो पेच्छ कोषेण ॥ अम्हाण धिरत्थु इमं धिरस्थु जीवस्स णिप्फलं सव्वं । घडियम्हे देव्वेणं अहो ण जुत्तं इमं तस्स ॥ किं तेण जीविएणं किं वा जाएण किं व पुरिसेणं । जस्स पुरिसस्स देवो अम्हाण व होइ विवरीओ ॥ दीसंति केइ पुरिसा कम्मि वि कम्मम्मि सुत्थिया बहुसो । अम्हे उण गय-पुण्णा एक्कम्मि वि सुत्थिया णेय ॥ ता अम्ह हो ण कर्ज इमेण जीवेण दुक्ख-पउरेण । आरुहिउं अहवा गिरियडम्मि मुच्चामु अत्ताणं ॥ एयं चेय भयंता पत्ता य इमे चउर-सिहरम्मि । एयं च चउर-सिहरं लिहियं मे पेच्छ णरवसहा ॥ एत्थारुहंति एए पेच्छसु णरणाह दीण-विमण-मणा । आरूढा सिहरम्मि उ अत्ताणं मोत्तुमाढत्ता ॥ . 12 भो भो गिरिवर-सिहरा जइ तुह पडणो वि अस्थि माहप्पो। तो अम्हे होजामो मा एरिसया परभवम्मि ॥ इय भणिउं समकालं जं पत्ता घत्तिउं समाढत्ता । मा साहसं ति भणियं कत्थ वि दिव्वाए वायाए ॥ सोऊण इमं ते चिय दुवे वि पुरिसा ससज्झसा सहसा । आलोइडं पयत्ता दिसाओ पसरंत-णयणिल्ला ॥ केणेत्थ इमं भणियं मा हो एवं ति साहसं कुणह । सो अम्ह को वि देयो मणुओ वा दसणं देह ॥ एत्थंतरम्मि णरवर पेच्छसु एयं तवस्सिणं धीरं । परिसोसियंगमंगं तेएण य पजलंतं वा ॥ एएण इमं भणियं बलिया ते तस्स चेय मूलम्मि । अह वंदिऊण साहू भणिओ दोहिं पि एएहिं ॥ 18६३०६) भो भो मुणिवर सुव्वर कीस तुमे वारियम्ह पडणाओ। णणु अम्ह साहसमिणं जं जीवामो कह वि पावा ॥ भणियं च तेण मुणिणा वर-पुरिसा तुम्ह किं व वेरम्गं । भणिओ इमेहिँ साहू दारिदं अम्ह वेरग्गं । तेण वि ते पडिभणिया कुणह य अत्थस्स बहुविह-उवाए । वाणिज्ज किसि-कम्म ओलग्गादी बहु-वियप्पा ॥ तेहि वि सो पडिभणिओ भगवं सब्वे वि जाणिया एए । एक्कण वि णो किंचि वि तेण इमे अम्ह णिविण्णा ॥ मुणिणा पुणो वि भणियं एए तुम्हेहि णो कया विहिणा । जेण अहं तुह भणिमो करेह तेणं विहाणेणं ॥ भणियं च तेहि भगवं आइस दे केण हो उवाएण । अत्थो होहिइ अम्हं सुहं च परिभुंजिमो बहुयं ॥ 24 भणियं च तेण मुणिणा जइ कज्ज तुम्ह सब्व-सोक्खेहिं । किसि-कम्म-बणिज्जादी ता एए कुणह जत्तेण ॥ कुणसु मणं आमणयारयं ति देहामणेसु विस्थिपणे । पुण्णं गेण्हसु भंडं पडिभंडं होहिइ सुहं ते ॥ अह कह वि किर्सि करेसि, ता इमं कुणसु । 27 मण-णंगलेण पूए सुपत्त-खेत्तम्मि वात्रिए बीए । सयसाहं होइ फलं एस विही करिसणे होइ ॥ ___ अह कह वि गोवालणं कुणसि, ता इमं कुणसु । ३०७) गेण्हसु आगम-लउडं वारे पर-दार-दब्व-खेत्तेसु । इंदिय गोरुययाइं पर-लोए लहसि सुह-वित्तिं ॥ 30 अह कम्मं ता करेसि, ता इमं कुणसु । जं जं भणाइ सामी सवण्णू कुणह भो इमं कम्मं । तं तं करेह सव्वं अक्खय-वित्तीय जइ कजं ॥ अह वञ्चह जाणवत्तेण, ता इमं कुणसु । 33 कुण देह जाणवत्तं गुणरयणाणं भरेसु विमलाणं । भव-जलहिं तरिऊणं मोक्खद्दीवं च पावेह ॥ 1) Pएते एतं, J तं for एयं, Pणिवनकामरइअभोगा, P सुहनिसन्ना ।।. 2) Pom. हो, न विरया for वरया, J वडिया for पडिया. 3) P अट्ठिमयं. 4) Pएते, Pदेवेण, णिव्यरिओ. 6) Pom. इमं धिरत्थु, J घडिअम्हो । घडिओ म्हे, ' देवेणं. 7) Pदेवो, P वि for ब. 8) P केवि for केद, Pकंमं वि. 9)जीएण, आरुह्यं, अह for अहवा, मुम्बम्ह for मुच्चामु. 10) Pएतं, पउर for चउर, P वर for च चउर. 11) Pएते, P दीव for दीण, Jom. उ. 12) Pपटशा वि, परिभवंमि. 13)Jजाअंता for जंपत्ता, P पत्ता घेत्तिउ, Pom. भणियं, P adds भणिया after वि. 14) सशसा. P आलोश्यं, पयरंत.. 15) Pवि दोवो, Pदेओ for देह. 16)Pपेच्छह एतं तवसिणं, परिसेसि'. 17) Pएए इम, भणिया, P एयरस for ते तस्स, साहूं, दोई पि. 18)P पवओ for सुब्बउ, P वारिया अम्ह. 19) Pinter. किंव ( किम्ब)& तुम्ह, P तुह for तुम्ह, Pइमेण साहू. 20)P बहुविहओवाओ।, J वाणिज्जकिसी, P ओलाग्गादी. 21)J तेहि मिसो पडिमणिमो, " एते ।, Pणा for णो. 22) करेसु. 23)'आइस ढेकोण, P होही अम्हं, पडिभुजिमो. 24) Jom. तेण, अत्थे for सम्ब, P कम्मविणिज्जाती ता, एते कुणमु. 25) Pकुपेसु for कुणसु, अमणयारयं ति P आमणआयरंति, Pदेहामाणे, धुन्नं for पुण्णं, P भई हो हो पएण सोक्ख तो || for भई etc. 26) Pवि कहिं करेंसु, किसि करेसि. 27) पूते सुपयत्त, "पूसुपत्त, ठाविए for बाविष, "सयसोह, करिसमा. 28) "गोवालतर्ण, Pom. कुणसिता दम. 29)"गोरूपालहसु. 31) adds होइ before कुणह, Pमं for भो इमं. 33) J कुण जाणवत्त देह, Pतरेसु for भरेसु, मोक्सं दी पि पा". Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३०८) । कुवलयमाला | अह खणसि रोहणं, ता इमं कुणसु । __णाणं कुण कोद्दालं खण कम्मं रोहणं च वित्थिपणं । अइरा पाविहिसि तुमं केवल-रयणं अणग्घेज ॥ अह कुणह थोर-कम्म, ता इमं कुणसु । ___ मण-थोरं भरिऊणं आगम-भंडस्स गुरु-सयासाओ। एयं हि देसु लोए पुणं ता गेण्ह पडिभंडं ॥ अह भिक्खं भमलि, ता कुणसु । गेण्हसु दसण-भंडं संजम-कच्छं मई करकं च । गुरु-कुल-घरंगणेसुं भम भिक्खं णाण-भिक्खट्टा ॥ अण्णं च जूयं रमियं, तं एवं रमसु । संसारम्मि कडित्ते मणुयत्तण-कित्ति-जिय-बराडीए । पत्तं जइत्तणमिणं मा घेप्पसु पाव-सहिएण ॥ अह धाउवायं ते धमिय, तं पि तव-संजम-जोएहिं काउं अत्ताणयं महाधाउं । धम्मज्झाण-महग्गिए जइ सुज्झइ जीय-कणयं ते ॥ किं च राइणो पुरओ जुज्झियं तुम्हेहिं । तत्थ त्रि, । ओलग्गह सवण्णू इंदिय-रिउ-डामरेहिँ जुज्झसु य । तव-कट्टिय-करवाला जइ कजं सिद्धि-णयरीए । अह मल्लत्तणं कुणसु। संजम-कच्छं अह बंधिऊण किरिया-बलम्मि ठाऊण । हणिऊण मोह-मल्लं जय-णाण-पडाइयं गेण्ह ॥ किं च अंजणजुत्ती तुम्हेहिं कया, तं पि सुणेसु। संजम-दसण-जोयं-णाण-सलायाए अंजियच्छि-जुओ। पेच्छसि महाणिहाणे णरवर सुर-सिद्ध-सुह-सरिसे ॥ अण्णं च असुर-विवरे तुब्भे पविट्ठा आसि । तत्थ वि, । णाण-जलंत-पदीवं पुरओ काऊण किं पि आयरियं । विसिउं संजम-विवरे गेण्हह सिद्धिं असुर-कण्णं ॥ ३०८) किं च मंतं साहिउँ पयत्ता, तं च इमिणा विहाणेण साहेयव्वं । अवि य । समयम्मि समय-जुत्तो गुरु-दिक्खा-दिण्ण-सार-गुरु-मंतो । सिद्धतं जवमाणो उत्तम-सिद्धि लहसि लोए ॥ अण्णं च देवया आराहिया तुब्भेहिं सा एवं आराहेसु । सम्मत्त-णिच्छिय-मणो संजम-देवंगणम्मि पडिऊण । जइ ते वरेण कजं दिक्खा-देवि समाराहे ॥ एयाई वणिजाई किसि-कम्माइं च एवं कीरमाणाई उत्तिम-बहु-णिच्छय-फलाई होति ण अण्णह त्ति 'ता भो वणियउत्ता, मा णिब्वेयं काऊण पाण-परिचाय करेह । जइ सव्वं दुग्गच्च-णिव्वेएण इमं कुणह, ता किं तुम्ह इह पडियाणं दोहग्गं 24 अवसप्पह, णावसप्पड । कहं । पुव्व-कय-पाव-संचय-फल-जणियं तुम्ह होइ दोग्गच । ता तं ण णासइ चिय जाव ण णहूँ तयं पावं ॥ 7 एवं च तस्स णासो ण होइ जम्मे वि पडण-पडियस्स । अण्णम्मि वि एस भवंतरम्मि तह चेय तं रइयं ॥ 7 ता मा होहिह मुद्धा अयाणुया बाल-मूढ-सम-सरिसा । अत्ताण-वज्झयारा पावा सुगई ण पावेह ॥ तो तेहिं भणियं 'भगवं, कहं पुण जम्मंतरे वि दारिदं पुणो ण होइ' त्ति । भगवया भणियं । 'जइ कुणह तवं विउलं दिक्खं घेत्तूण गरुय-वेरग्गा । ता हो पुणो ण पेच्छह दारिदं अण्ण-जम्मे वि ॥' तओ एवं च णिसामिऊगं इमेहिं भणियं 'भगवं, जइ एवं ता दारिद्द-भय-विहलाण सरणं होहि, देसु दिक्खं' ति । तओ। कुमार, दिण्णा दिक्खा ताण तेण मुणिणा, इमे य ते पन्वइया, मए लिहिया तवं काऊण समाढत्ता । कालेण य इमे ते चेय मरिऊण देवलोग पाविया । पुणो तम्मि भोए भुंजिऊण एसो एको ताणं चविऊण देव-लोगाओ बारवई णाम णयरी तत्थ 33 2) 1 व for च, अणग्धेय. 4)P मणघोरं गणिऊण आमग-, एअम्मि P एतं हो for एयं हि. 6)P दंसणदंडं संड जमसमिई त करकं च ।. 7) जूयरमियं, Jएs for एवं. 8) P कडत्ते, P कत्ति for कित्ति. १) धाउवायं ते धमिळतं. 10) Pधम्महा for महा, महमगी जय सुज्झइ जीयक गयं. 11) P किं चिराइणो, P जुज्झिओ, तुब्मेहिं. 12) सन्वग्ध for सव्वण्णू, रिओटामपहिं जुज्झसि, I -डामरेहिं जुज्झसु आ. 13) J मल्लत्तणं कुणह, P मल्लणं. 14) P किरिय- 15) P किं चि अंजणजुत्तीउ, J तुन्भेहि, J मुणसु. 16) 'दंसणजोगं, J सिद्धिः, P-सरिसो. 17) Pसुह for असुर. 18) J पईवं. 19) Pकिं चि, P साहितवं. 20) Pom. समयम्मि, P -गुरमंतो।, P-सिद्धी लहसु. 21) Jom. च, P देवता, P तुब्मे सा. 22) Jए for ते, P-देवी समाराह ।। 23) P एताई,Jएआई अवणिजइ किसिकम्मादीगि एवं कीरमाणा अत्तमढहूणिच्छिअफलाइं, Padds जाइ लोयंमि । before एवं, P adds च after एवं, Pत्ति भो भो वणिउत्ता. 24) J माणवेअं, P दोहगं for दुग्गच, "तुम्हाण इह, दोग्ग for दोहगं. 26) J -जलियं तुब्भ, P दोगचं । तं दाण, P तवं for तयं. 27) P om. चि, " चेव. 28) " होहि मुद्धा, अत्तावज्झायारो पावा सुगयं ण पावेति ॥. 29) JP ततो, " हि for तेहिं, P inter. पुण&कहं, P adds दा वि after वि, P होहि त्ति. 30) Pकुणसि for कुणह, P दुक्ख for दिक्खं, P गुरुयः, तम्हा for ताहो, J अण्णजम्मम्मि ।।.31) om. च, P दारिद, P दोहि for होहि, P om. ति. 32) P दिक्खियाणं for दिण्णा दिक्खा ताणं, "मुणिणो दिण्णा इमे य, " repeats जई एवं ता etc. to मए लिहिया । तवं and adds च before काऊण. 33) 3 देवलोअं, तम्मि अ भोअ मुं", J देवलोआओ, P बारवती. 25 Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९४ उज्जोयणसूरिविरइया [ ९३०८ 1 सीह-रण्णो पुत्तो भाणू णाम जाओ । सो एत्थ उज्जाणे वहइ, तुमं जो पुण दुइओ से भाया सो अहं एवं पडं लिहिऊण 1 तुम्ह पडिबोहणस्थं इहागओ । ता भो भो भाणुकुमार, पडिवुज्झह पडिवुज्झह । भीमो एस संसार वासो, दुग्गमो मोक्ख3 मग्गो, तरलाओ संपयाभो, हत्थ पत्ताओ विवत्तीओ, दूसहं दारिद्द, सो से एस जीवो, असासयाई पयत्थाई । अयि । णाऊण इमं स संसार महणने महादुक्ख बुज्झषु भाणुकुमारा मा मुज्ासु विषय सोक्सेहिं ॥ ति । इमं च सोऊण ईहापोह - मग्गणं करेमाणो धस त्ति मुच्छिओ भाणुकुमारो । ताव य उद्घाइया पास-परिवत्तिणो वयंसया । 6 तेहि य आसासिनो सीप कथली-दल-पवणेणं समासत्वेण य भणिवं भाणुकुमारेण । हि महापुरिस जेण तए ६ मूढो एसो सुमराविमो ए देहिं कथं आसि तं एवं सर्व पिय चरिये अम्देहिं अणु 'जादो से सरणं सर्व सरिये जम्मे ॥ १३०९ ) एवं च भणमाणो अहं णिवडिओ चलणेसु । पणाम- पच्छुट्टिओ य पेच्छामि तं उवज्झायं । अवि य । वर- जयंति माला-परियरिए रयण-किरण- विखुरिए दिव्ये विमाण- रयणे मज्झायं रयण- पुंजं च ॥ वर-हार-मउड-राहं वणमाला-घोलमाण- सच्छायं । मणि-कुंडल-गंडय लुल्ल संत- दित्ती- पयातं ॥ 12 भणियं च ते ने दोणि वि रिद्धी पता 9 देवेणं 'भो भो भाणुकुमार दिझे तर एस संसार महाचक-विरधरो जायं तुह बेरमी, संभरिया जाई, अम्हे 15 सहोयरा वयदारया पावियाई इमाई दोग्गच- दुक्खाई। पुजो तेण रिक्षिणा संबोहिया, तो एसा तत्थ व तुर्म एको चविकण समागओ । ता दुलई मणुषन्त पत्थणीबाई सुहाई, परिहरणीबाई 15 णरय दुखाई, तुलग्ग पावणीयं जिणवर धम्मं, ता सव्वहा ण कलं माणुसेहिं भोगेहिं, दिक्ख पडिवज भगवंताणं साहूणं 15 संतियं जेण व पाबेसि तुमं । अधि च । जण जरा ण म ण वाहिणो गेय सम्ब- सुक्खाई सासय सुदं महत्यं तं सिद्धिं पावसे जेण ॥' 18 एवं च कुमार, तेण देवेण भणिए समाणे, मए उम्मुक्काई तक्खणं चेय आभरणाई, कथं सयं चैव पंच-मुट्टिय लोय उत्तिमंगे, 18 उवणीयं च तेण य दिव्वेणं स्यहरण-मुहपोत्तिया-पडिग्गहादीयं उवगरणं, णिक्खतो उज्जाणाओ । ताव य हाहा-रव-मुहलो वर्षस-भि-सत्यो उदाइजो सीह-रज्जो सयास अहं पि तेग देवेण तम्हाओ पदेखानो वरिय इस पदेसे मुको। संपयं पुण 21 कं पि आयरियं अणिस्सामि जस्स मूले पब्वजं करेमि त्ति । ता इमिणा वुत्तंतेण एत्थ वणे अहं इमिणा य पव्वइओ त्ति । श इमे च णिसामिकण भणिदं च कुमारेण 'अहो, महंतो तो सुंदरी एस संसार चकपोल गिय भाषा दिव्वो । कवं तुह भारयत ते पुण्णतो तुम जेणे इमे पावियं ति इमे च सोऊन महिंदकुमारेण वि गहिये सम्म 24 पचिण्णा अणुब्वयाई भणियं च महिंद्रेण 'अहो, एरिसो तुम अम्हाणं गणेो जेण भगवनो धम्मं णाचिक्खियं । 21 कुमारेण भणियं । 'महिंद, पुत्र-विहिये एवं विव-परिणामेण पाविजइत्ति भणिऊण बंदिक साई उबगया जावासं ति । भणियं च कुवलयचरेण 'अहो एरिसो एस जिणवर-मग्गो दुग्गमो जेण बहुए जीवा मिच्छा-वियय-वामूढा परिभमंति 127 संसारे, ण उण सल-तेलो-पव-रूवं पि इमं जिधम्मं पार्श्वति ताण याणामो किं कम्माणं बलवत्सप्प आ जीवस्स सूचणं किंवा जिन-मग्गस्स दुलभचणं किं वा विहाणं एरिसं चेय सयल- जग-जीव-पयत्थविव्थरस्सति । एवं भणमाणा केवलि-जिण बाहु- धम्म-सम्मत्त कहासुं महिंदकुमारस दर्द सम्मत परिणाम जाणेमाणा संपत्ता तं खंधावार30 णिचे तत् कय-काव्य-वावारा पडिग्गिय-सह-लेनिय जना पत्ता राईए वि पुणो विमले गगंगणे वरमाणे 30 तारा-णियरेसु संचरमाणेसु हरि-णउलेसु गुहा- मुहेसु, राई - खेय - णीसहेसु मयवईसु, चरमाणेसु महाकरि- जूहेसु, करयरेंसु वायस - सउणेसु, णिलुकमाणेसु को सिय-संघेसु, सम्वहा । कुंकुम-रायारत्ता सूरं दद्दयं व मग्गए ऐतं । पुव्व-दिसा महिला इव णहयल-सयणं समारूढा ॥ 33 ॥ 1 > adds य after सो and च after तुमं, J adds सो and adds सोऊन before जो पुरा, इमं for एयं. 2 ) भागकुमार, ति for second पडिबुज्जह, भो भो for भीमो, र दुग्गे for दुग्गमो. 3 ) 1 om. पत्ताओ विवत्तीओ etc. to महादुखं । बु. 5) J ईहापूह, P विमग्गणं for मग्गणं, J मुद्धाश्या P उद्धाश्य, परियत्तणो, वयंस तेहि 6 ) Jom. कयलीदल, adds ति after भाणुकुमारेण 7 ) 3 मह for अह, P एण्. 8 ) Pom. जम्मं पुण्यं अम्हे, Jom.com. चिय. 9 > P पणामि पभुट्टिओ. 10 ) P कणय for किरण. 11 P सोहं for राई- 12 > P जाती. 13 ) Jom.वि, P पवियाई, P दोगच, Pom. तेण. 14) r om. य, P चविओ समाउगओ, माणुसत्तणं. 15) Pom. णरय, P णु for ण16 ) Pom. अवि य. 17 ) Pय माणुसं दुक्खं सासयसुहपरमत्थं तं. 18 ) P कुमारेणं देवेणं, P समाणो, P सयं वे मुट्ठियं लोत्रे उत्तिमंगे, उत्तमंगे. 19 ) । दिव्यं परिग्गहादीअं उवकरणं क्खिताओ, P हा for हा हा. 20) om. fad, P परसाओ, १ पए से 21 ) पुण किं पि, Pom. अहं इमिणा य. 22 > P च सामिऊण, Pom. वृत्तंतो, Jom. चक्क, ओतो. P य साया दिव्वा. 23 पुणमंतो, P एवं for इमं कुमारेणावि. 24 ) धम्म, P णाविक्खियं. 25 गिय, साहू, 26 ) Jom भणियं च कुत्रलय चंदेण, P परिभमंति 27 ) Padds ताण धम्मं पावंति after पार्वति बलवत्तरणं, "आउ for आदु. 28 ) Pom. किंवा जिणमग्गस्स दुलभत्तगं, जय for जग, om. प्रयत्थ. 29 ) P भणगागो, P जाणेमाणो संत्ता पत्तो तं खण्णवार, खंधारणिसं. 30 ) adds after तत्थ, inter. पुणो & वि, J adds वि after पुणो 31 ) P राती for राईखेयणीसहेसु मयवईसु, P करयरंतेसु. 32 ) वायसउलेसु. 33) रायारश्यासूर, दश्य त्ति, 1 एवं 1, J स्यलं. - 33 Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३११] कुवलयमाला १९५ 1 ( ३१०) एरिसम्मि य समए दिष्णं पयाणयं ताव जा संपत्ता कमेण विंझ-सिहरासण्णं, तत्थ य समावासिया । तभ 1 कय-दियह-सेस परियारा कय-राई-वावारा य णिसण्णा सयणिजेसु । तओ कय-सयल-वावारो उवविट्ठो सयणयले कुमारो 3 कुवलयमाला य । तत्थ य अच्छिऊण के पि कालं बीसंभालाव- णिव्भरा, पुणो कय-अरहंत णमोक्कारा कय-जहा-विवक्खिय- 3 पञ्चक्खाणाय णित्रणा सयणयले, पुणो सयल - खेय - णीसहा पसुता । थोब बेल।ए य विबुद्धो कुमारो जाव तीए राईए दिय जामं ति पलोयंतेण गयणवलं दिहं एकम्मि विंझ-गिरिवर-कंदरातरमि जळणं जलमाणं तं च पेच्छिक वियपिठं समाहत्तो कुमारी 'अहो, किं पुण इमं किं ताच एस बणदेवो । सो पण होइ, तेण चित्धारेण होय, इमं पुण एक पप्ले e अह होज वसिमं तं पि ध णरिथ मह चिति होज, साविण संभावीयद् दीसंति य एत्थ पासेसु परिव्भममाणा के वि पुरिसा । किं वा ण होंति पुरिसा, रक्खसा पिसाया वा एए । ण मए दिट्ठा रक्खसा पच्चक्खं । ता किं ण पेच्छामि के एए। 9 किं वा एत्थ पज्जलइ' त्ति चिंतिऊण सुइरं णिहुयं समुट्ठिओ कुवलयमालं मोतुं पलंकाउ ति । शिबा छुरिया । गहियं 9 खम्मा-रणं वसुदयं च णिहुय-पय-संचारं चिऊण जामइले तुं पयतो से जल धोय-वेला व पवण-मण-देओ कुमारो संपतो यो संटियमुद्दे धोवंतरेण य निहुओ टिओ कुमारो, दे किंवा पृए मंतयंति के विरक्खा वा पुरिसा 12] ति । तत्र ते व जंपितं पयत्ता 'अरे लनखह जळण जालाओ। किं तात्र पीताओ, भादु लोहियाजो, किं या सुहिलाओ 12 किं वा कसिण' त्ति । तओ अण्गेण भणियं 'अरे, किमेत्थ लक्खियव्वं । इमं जालाए लक्खणं । तं जहा । संयमि होइ रसा पीता कणयम्मि सुहिला रयए लोहे कसिणा कंसम्मि विप्पभा होइ जालाभो ॥ , 15 जइ आवहं दव्वं ता एसा होइ अहिय-रेहिल्ला । अह कह वि अणावहो स चिय मउया य विच्छाया ॥ अण्णे उण भणति । लक्सेद्द अग्गियम्मं णिउणा होऊण सव्व बुद्धीए राहा-वेद-समार्ण एवं दुक्लयं होइ ॥ जइ मउयंता वंगं खर-जलणे होइ फुटणं कणयं । मउयं वंग-विहीणं अज्ज वि बहुए ण जाणंति ॥' अण्णेण भणियं । 'किमेत्थ जाणियच्वं, 18 जह दीसह अग्गि- समा मूसा अंतो कदंत धाउ-रसा जह य सिणिदा जाला तह कालो होइ वाचस्स ।' 21 एवं च जंयंता शिसुवा । 1) मए for समय, Pom. य. 2 ) आगया for कय ( before राई ), P रोती for राई, सिणो, Padds सन्ना before सयगिज्जेसु. 3) णमोकारा. 4 ) Jom. सयल, णीसहो पत्तो थोअवेलाए, P उपविट्ठो for विबुद्धो, Jom. वीए, P रातीए दिवढजायं. 5 ) J पलोपंतेण, P विअप्पिअं. 6 ) Jom. अहो, om. किं before ताव, P एकत्थ. 7 > P वो for होज्ज, J संभावीयति P संभावीअत्ति, " परिभगमाणा 8 ) JP एते, J adds ता and P adds ए before ण मए, P किं for के, JP एते. 9 ) J वा एतं एत्थ पज्जालइ (ओ ? ), सइरं for सुइरं, P मोत्तृणं for मोत्तुं. 10 ) P रयणी for रयणं, P व for च, P पयसंचारो, P जलमालं for जलणं, repeats तं जलणं, थोव-- 11 adds तं before थोवंतर, संठि उद्देसं P सद्धियमुद्दे ।, ग् थोअंतरे, P डिओ, Pom. दे, JP एते. 12) J वच्चंत for वत्ति, P जंपियं, P पयत्तो, P लक्खेद, P repeats अरे लक्खेह जलणजालाओ, P आउ for आदु, लोहिताओ. 13 ) P ततो, एक्केण for अण्णेण, r adds इमं जालाए लक्खियच्वं । before इमं जालाए ete. 14 ) P रयते ।, P कसिग त्ति कंसंमि णिपिहा होइ. 15 ) एस होइ, Pom. कह, P अणावट्टासि व्वय मउआ य. 16 Jon उण. 17 ) P शिऊण होऊग, P सव्व बुद्धाए, P वेहस्स मार्ग 18 ) तो for ता, P मउयवगविहीण. 20 P समिद्धा जा तह, J झाला for जाला. 21) P संपतो. 22 ) उ धाउन्वाइणो, P अडवीए. 23 ) P om मए इमाने, ए for एते. 24 J भयभीता, P दिसादिसं, P repeats पलाइस, विवज्जिअंति, P "डिओ . 25 ) P दिज्जर, णिसेगित्ति. 26 > P जोगो, अवसरिआ, पक्खित्तो, P तं for य. 27 तंब जायं, P वज्जेण व हथा, P मोग्गरेण व जमडंडे व जमदंणेव मंडिया, P साआउरा. 28 ) P जीवियस त्ति, P वयणावलोवलक्खा, भट्टो for भट्टा, P om. कहिं, J भग, P adds किं after भगह- 29 ) P तंबं for सुव्धं, जोओ, P सुपसिद्धक्खेसं. 31 ) P पुब्वपुन्नाइ अम्हाणं, P परिसस्स वि. (32) P पट्ट वचामो, उ अपरं, P णरिंद, P writes मा वच्चह thrice. 15 ३१) कुमारेण चिंतियं च 'अहो पाठवाणो इमे तदा वसविणडिया वराया पिसाय यदईए गिरि-गुहासु परिभ्रमति । ता किं देमि से दंसणं, अहवा ण दायन्त्रं दंसणं मए इमा कवाह कायर-हिवबा एए में दियो ति 24 संभाविऊण भय-भीया दिसोदिसं पलाइस्संति विवज्जिस्संति वा । ता इहडिओ चेय इमाणं वावारं पेच्छतो मच्छिस्सं' 24 ति ठिओ । भणियं च तेहिं 'अहो, एस अवसरो पडिवावस्स, दिज्जउ पडिवावो णिसिञ्चर धाऊ- णिसेगो' त्ति । भणमाणेहिं सध्येहिं पेय पक्लित्तो सो तुष्ण-जोगो मूसाए । अबसारिया मूसा पवित्रते जिसेगे धोय-बेला य विच्छिवं जाव 27 संचयं जाये। तभो वजेणेव पहया, मोग्गरेणेव ताडिया, जम-इंडेन इंडिया निमणा निरासा सोयावरा 'धिरयु 27 जीविवस्स'ति भणिऊण अयशेप्पर-वयणावलोवण-विलक्सा पिडं समाहता 'भो भो भट्टा, कहिं भणह सामग्गीए जोभो जाओ, जेण कणयं ति चिंतियं सुध्वं जाये' । तभ एक्केण भणियं । 'दिट्ठ-पच्चओ एस जोगो, सुपसिद्धं खेतं, कुसलो 30 उवज्झाओ णिडणा गरिंदा, सरसाओ जोसहीत्रो, सोहणं लग्गं दिण्णाओ बलीभोवद वि विडियं सम्यं स्थि 30 पुण्य- पुण्यो अम्हाणे को अष्णो संभयो एरिसस्स वि विडणे, ता एवं गए कि संपये करणि' ति । तत्र तेहिं भणियं 'पय बच्चामो गामं किं अवरं पुरष करियध्वं वि भणमाणा चलिया। भणिया य कुमारेण भो भो गरिंदा, मा 18 21 Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९६ उजोयणसूरिविरइया [६३११1 वञ्चह, मा वच्चह' त्ति । इमं च णिसामिऊण संभम-वस-पसरिय-दिसिवह-लोल-लोयणा भीया कंपंत-गत्ता पलाइड पयत्ता । तओ भणिय कुमारेण 'भो भो मा पलायह, अहं पि गरिंदो कुतूहलेण संपत्तो, ण होमि रक्खसो। 'मा 3 पलायह' त्ति भणिया संठिया । संपत्तो कुमारो । भणिया य कुमारेण 'सिद्धि सिद्धि' ति । पडिभणियं तेहिं 'सुसिद्धि सुसिद्धि सागयं महाणरिंदस्स, कत्तो सि आगओ' । कुमारेण भणियं 'अहं पि गरिंदो चेय, एयं चिय काउं इह समागओ अयोज्झाओ' त्ति । तेहिं भणियं 'सुंदरं एय, किं अत्थि किंचि सिद्धं णिव्वीयं अहवा होइ रस-बदो 6 अद्धकिरियावसिद्धो पाओ अहवा विउक्करिसो । कुमारेण भणियं । 'जइ होइ किंचि दव्वं होति सहाय व्व णिउणया केइ । ओसहि-जोयउ अक्खर ता सिद्धं, णस्थि संदेहो ॥' तओ सब्वेहि मि भणिय ‘एवं एयं, ण एत्थ संदेहो । किंतु तुह किंपि सिई अस्थि' । कुमारेण भणियं 'कहं जाणह जहा 9 मह सिद्ध ' । तेहिं भणियं 'अस्थि लक्खणाई सिद्ध-पुरिसस्स' । कुमारेण भणियं 'केरिसाई सिद्ध-पुरिस-लक्खणाई, ! भणह' । तेहिं भणियं 'सुणसु, जो सव्व-लक्खण-धरो गंभीरो सत्त-तेय-संपण्णो । भुंजइ देइ जहिच्छं सो सिद्धी-भायणं पुरिसो ॥ 12 इमाई च लक्खणाई सव्वाइं तुज्झ दीसंति । ता साहसु किं तुह सिद्धं, किं ता अंजण, आउ मंतो, आउ तंतो, किंव। जक्खिणी, किं वा काइ जोइणी, किं वा रक्खसी पिसाई वा। किं वा तुमं, को वि विजाहरो देवो वा अम्हे वेलवेसि दुक्खिए । ता साहिजउ, कीरउ पसाओ' त्ति । भणियं च कुमारेण 'अहं माणुसो परिंदो, ण य मम किंचि सिद्धं' ति । तेहिं 15 भणियं 'सव्वहा अवस्सं तुह किं पि सिद्धं, तेण एत्थ महा-विंझ-कुहरंतरे सरस-मयणाहि-दिव्व-विलेवण-पसरमाण-परिमलो । अहिणव-समाणिय-तंबोलो दिव्व-कुसुम-विसट्टमाण-कय-मुंड-मालो तक्खण-सूइजंत-बहल-दइया-दिव्व-परिमलो झत्ति इहं संपत्तो जिम्माणुसे अरण्ण-देसे' त्ति । 18 ३ १२) चिंतियं च कुमारेण । 'अहो, इमाणं गरुओ अणुबंधो, तं जं वा तं वा उत्तरं देमि' ति चिंतयतेण भणियं । । 'जइ एवं ता णिसुणेसु । अस्थि दक्षिण-समुद्द-बेला-लग्गं विजयं णाम दीवं । तत्थ य कुवलयमाला णाम जक्खिणी, सा महं कहं पि सिद्धा, तीय एसो पभावो परिमलो य' ति । तओ तेहिं भणियं 'अहो, एवं एयं ण एत्थ संदेहो, केण उण 21 एरिसं मंतं तुह 'दिषणं' ति । कुमारेण भणियं 'अण्णण महामुणिणा 'दिण्णो' त्ति । तेहिं भणियं 'अहो, महप्पभावो मंतो 21 जेण आगरिसिया तए जक्खिणि' ति । कुमारेण भणियं 'तुम्हे उण किमेत्थ काउमाढत्तं' । तेहिं भणिय 'अउण्ण-फलं' ति । कुमारेण भणियं 'तह वि साहह मे, केरिसो जोओ एसो समाढत्तो' । तेहि भणियं 'जइ फुडं सीसइ ता णिसुणेसु। 24 एस्थ विंझ-गिरिवरे एवं खेत्तं एयम्मि पएसे तं च अम्हेहि धमिउमाढत्तं । तं च ण सिद्वं सुलुव्वं णिवडिय, कणयं तु 24 पुत्थए लिहियं । कुमारेण चिंतियं । 'ता ण-याणीयइ केरिस-दव्वेहिं वावो पडिबद्धो णिसेओ वा कओ इमेहिं' ति चिंतयंतेण भणियं 'अहो, इमं ताव खेत्तं, ता इमस्स कहं पिंडी बद्धा, कहं वा पडिवाग-णिसेए कए' । तेहिं शसवं कहियं 'इमं इमं च दव्वं' ति । तमओ कुमारेण चिंतियं 'अहो विरेयणाई दवाई, तह वि ण जाय कणगंश ति। ता किं पुण इमाणं एरिसं जायं ति । हूं, अस्थि अवहरियं तं इमाणं' । चिंतयंतेण भणियं कुमारेण 'अहो, गेण्हह सजेह दव्वं, धमह तुब्भे अहं पडिवायं देमि । जइ अस्थि सत्ती रक्खसाणं वंतराणं वा अवहरंतु संपर्य' ति 30 भणमाणस्स सव्वं सज्जीकय , धमिडं समाढत्ता । थोव-वेलाए य जाणिऊण जाला-विसेसं कुमारेणं अवलंबिऊण सत्तं 0 णमोकारिया सव्व-जय-बंधवा जिणवरिंदा, पणमिया सिद्धा, गहियं तं पडिवाय-चुण्णं, अभिमंतियं च इमाए विजाए । अवि य णमो सिद्धाणं णमो जोणी-पाहुड-सिद्धाणं इमाणं' । इमं च विजं पढ़तेण पक्खित्तं मूसा-मुहम्मि, धग त्ति य 1) भीअकंपत. 2) Pमहा for मा. 3) Fभडिभडिणियं सुद्धित्तिरतेहिं य सागयं for पडिभणिय etc. 4) Jएयं चि काउं, P चेव पयंचियं. 5) Pom. अयोज्झाओ, I adds ति after णिवीयं, अहवा होराद रसांधो, ' अद्धकिरियावसिद्धा पाउ णहवा. 6) पातो for पाओ. 7) Jजं किंचि अस्थि दव्यं for जइ etc., P अखरसिद्भि. 8) Pवि for मि, P तु for तुह. 9) मम P महा for मह, P सिदि।, P पुरिसरस लक्ख. 11) Jहरो for धरो, P संपुन्नी। 12) तायंजणं, J आतु, om, आउ तंतो, तो for तंतो. 13) P किं रक्खसी पिसाती, P वेलवेमि. 14) दुक्खर, P अहो for अई, J सिद्ध ति ।. 15) P मज्झ विज्झकुरंतरं, P दिब्बेविलेव पसर. 16) P कयकुंडमालो. 18) Pइमाणं गुरुयाणुबंधो, अणुबद्धो ताजं, P वितियतेण. 19) I समुद्दे, Jom. य, P जा for सा. 20) Pएस भागो परिमलो व ति, Pom. ण. 21) J महापभावो. 22) J तुब्भे for तुम्हे. 23) J om. कुमारेण भणियं, Jom. मे, Jएसमाढत्तो. 24) J धमिउं समाढतं । धमिउमाढतं, P च णिसुद्धं सुब्वं णिव्यत्तियं. 25) P पढियं for लिहियं, Jom. ता, Jणयाणसि केरिस, पडिबंधो, गिसिओ वा कतो. 26) I तेण for चितयंतेग, P om. भणियं, P पडिबंधो for पिंडी बद्धा, Jom. पडिवाग, णिसेते कते तेहिं असच. 27) P repeats दवाई, J कणयन्ति. 28) Jom. चिंतयंतेण भणियं कुमारेग, P चिंतियंतेण, P om. अहो, Jom. गेण्डए. 29) सज्जोह । धंमह तुम्हे अहं, J पडिवाव देमि, P om. जइ, P om. वा. 30) P सज्जीवकयं धमिउमाढत्ता, J अविलंबिऊण. 31) J पणमिता, P अहमंतिथे. 32) J सिद्धादि for इमाण. Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३१३] कुवलयमाला १९७ 1 पजलिया मूसा ओसारिया य, णिसित्ता णिसेएण थोव-वेलाए णियच्छियं जाव विजु-पुंज-सच्छयं कणयं ति । ते च द?ण 1 सम्वे पहरिस-वसुलसंत-रोमंचा णिवडिया चलणेसु कुमारस्स, भणिउं च पयत्ता । ‘णमो णमो महाणारंदस्स । अहो अच्छरिय । तं चेयं खेतं, तं चेय चुण्णं, सो चेय णिसेओ । अम्हं तवं जायं, तुह पुण हेमं ति । अस्थि पुरिस-विसेसो ३ त्ति । ता साह, एस को विसेसो' त्ति भणिए संलतं कुमारेणं 'भो भो तुम्हे सद्धाभिसंकिणो सत्त-मंत-रहिया। मए पुण सत्तं अवलंबियं, पणमिओ इट्ट-देवो, मंतं पढिय, तेण मह सिद्ध एय, ण उण तुम्हाणं' ति । तेहिं भणियं 'देसु अम्हाणं 6 तं मंत, साहसु य तं सिद्ध-देव-सुयं ति' । कुमारेण भणियं । 'एत्थ अधिकय-देवओ भगवं सब्वण्णू जेण एयं सव्वं जोणीपाहडं 8 भणिय, ता तस्स णमोक्कारो जुजइ । मंतो 'णमो अरहताणं णमो सवसिद्धाणं' ति भणंतो समुढिओ कुमारो 'वच्चामि अहं' ति । तओ तेहिं ससंभमं पायवडिएहि भणिओ 'देव, पसीदसु करेसु पडिवजसु ओलग्गं ति । तुब्भे उवज्झाया, अम्हे चट्ट' त्ति । कुमारेण भणियं 'दिण्णा मए तुम्हाणं विजा। संपयं जं चेह कुणह तं चेय सिज्झइ त्ति । पडिवण्णा यह मए ओलग्गा । जइया कहिंचि कुवलयचंदं पुहईवई सुमेह तइया आगंतब्वं' त्ति भणमाणो पत्थिओ कुमारो मण-पवण-वेगो तं चेय दिसं जत्थागो, संपत्तो कडय-संणिवेसं उवगओ सयणीयं जाव कुवलयमाला विउद्धा ससंभम-पसारिय-लोल-लोयणा 1ण य तं पेच्छइ । कुमारं अपेच्छंती य चिंतिउं पयत्ता 'कत्थ मण्णे गओ मह दइओ, किं कत्थइ जुयइ-वियप्पेण, अहवा 12 मंत-साहणेणं, अह विजाहरीहिं अवहरिओ, किं णु एयं' ति चिंतयंतीए झत्ति संपत्तो पुरओ । तओ सहरिसाए गहिओ कंठे वीसत्थो य पुच्छिओ । 'देव, जइ अकहणीयं ण होइ, ता साहिजउ कत्थ देवो गओ' त्ति । कुमारेण भणियं । 'किं 15 तमत्थि जे देवीए ण साहिजइ' त्ति भणिऊण साहिओ सयलो धाउवाइय-वुत्तंतो ति।। 16 ३१३) भणियं च कुवलयमालाए 'देव, सव्व-कला-पत्तट्ठा किल अहं, एयं गुरुणो समाइसंता, इमं पुण णरिंद-कलं -याणिमो। ता कीस मम ण होसि तुम उवज्झाओ' त्ति । कुमारेण भणियं 'सुंदरि, कीस उण सयल-कला-कलाव-पत्तट्टाए 18वि होऊण एयं ण सिक्खियं' ति । तीए भणियं 'अजउत्त, किर एत्थ णत्थि फलं, वादो चेय केवलं'। कुमारेण भणियं ‘मा 18 एवं भणह । अवि य । अवि चलइ मेरु-चूला सुर-सरिया अवि वहेज विवरीया । ज य होज किंचि अलियं जं जोणी-पाहुडे रइयं ॥' तीए भणियं 'जइ णाह, एवं ता कीस एए धाउव्वाइणो णिरत्थयं परिब्भमंता दीसंति' । कुमारेण भणिय । 'अस्थि णिरत्थया णरिंदा जे सत्त-परिहीणा सोय-परिवजिया अबंभयारिणो तण्हाभिभूया लुद्धा मित्त-वंचणपरा कयग्घा अदेव-सरणा मंत-वज्जिय देहा असहाया अयाणुया अणुच्छाहिणो गुरु-णिंदया असदहमाणा अलसायंति । अवि य। 24 जे एरिसा परिंदा आगम-सत्तेहि वंचिया दूरं । रंक ब्व चीर-वसणा भमंति भिक्खं खल-णरिंदा ॥ जे उण विवेगिणो उच्छाहिणो बंभयारिणो जिइंदिया अलोलुया अगविया अलुद्धा महत्था दाण-वसणिणो मित्त-वच्छला गुरु__भत्ता देव-पूयया अभिउत्ता मंतवाएसु ताणं णीसंसय सिद्धि त्ति । अवि य । 7 जे गुरु-देवय-महिमाणुतप्परा सयल-सत्त-संपण्णा । ते तारिसा णरिंदा करेंति गिरिणो वि हेममए ॥' कुवलयमालाए भणियं 'जइ एवं, ता कीरउ पसाओ साहिजउ मज्म इमं ति। कुमारेण भणियं । _ 'किरियावाइ णरिंदा धाउवाई य तिपिण एयाई। लोए पुण सुपसिद्धं धाउव्वाई इमे सव्वे ॥ जो कुणइ जोय-जुत्तिं किरियावाई तु सो भवे पुरिसो। जो उण बंधइ णिउणो रसं पि सो भण्णइ णरिंदो ॥ जो गेण्हिऊण धाउं खेत्ताओ धमइ खार-जुत्तीए । सो किर भण्णइ पयर्ड धाउचाई जणे सयले ॥ किरिया बहू वियप्पा णिब्बीया होइ पाय-वीया य । अद्ध-किरिया य पयडा पाओ तह होइ उक्करिसो॥ 3 सा हेम-तार-भिण्णा दुविहा अह होइ सा वि दुवियप्पा । कट्ठ-किरिया य पढमा दुइया सरसा भवे किरिया ॥ 33 1) पज्जलियाओ मूसाओ, शिसेएत्योअ, P गिसेतेण, J adds य before णियच्छियं, P विज्जपुंज. 2) सवपहारिसवसूलसंतरोमंच, J वसूसलंत, P कुमणिय for भणि. 3) P हेमन्ति. 4) तुब्मे for तुम्हे, P om. सद्धाभिसंकिणो, Jom. सत्त. 6) Padds हुनु after साहस, J देवयं for देवयं, P om. कुमारे भणियं । 'एत्थ etc. to अम्हे चट्ट' ति।, J अधिकादेवतो. 9) I चद॒ति. 10) J वेओ for वेगो. 11) I सणियं for सयणीयं, P पसरिय. 12) Pom. य before चिंतिउं, P कण्ण for कत्थ, P कत्य वि जुबइ. 13) किण्ण P किण्णु एत त्ति, चिंतयंतीय, P तह for तओ, J सहरिसाय. 14) P जर कहणीयं ण होत्ति ता, P किमेत्थ for किं तमस्थि. 15) J सयलधा", JP धाउवातिय. 16) P दिव्व for देव, एतं, P om. एयं. 17) JP पत्तट्ठा य दि. 18) Pय for एयं, तीअ, P om. पत्थि फलं, वातो for वादो, P केवलो स्थि फलं । कुगारेण. 19) Jभण for भाद. 20) P मूरुचूला, P अवि हवेज्ज. 21) तीय, P धाउधारणा, Jणीरत्थयं, P परिभमंता. 22) Pजे स परिवज्जिया, J तण्हाभिभूता लद्धा मित्तवथेण परा, JP यदेव for अदेव, P सन्नि for मंत. 23) अलसत्ति । अवि य. 24) Pजे पुरिसा तरिदा, P रंकवच्चीर, P तिक्खं for भिक्ख. 25) Pom. उच्छाहिणो बंभयारिणो जितिदिया, Join. अलोलुया, J अणुद्धा, दाणवणवससिणो,J वच्छलो. 26) J मंतवातेसु. 27) P गुण for गुरु, P महिमाणतप्परा, P.om. सत्त, हेमगये. 29) JP किरियावाति, Pणरिंदो, धाउव्वाआ P धाउञ्चाती, IP एताई, धातुबाती, P धाउबाओ इमो सम्बो. 30) I किरियावाती, Pउ for तु, P रसं मि सो. 31) I खेत्तातो, धातुबाती P धाउब्वाती, P सयलो. 32) P होति, J पादवीआ य, J पातो तह. 33) P होति सा वियप्पा अद्धकिरिया पढमा, दुतिया. Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९८ उज्जोयणसूरिविरइया तह वाव- णिसेगेहिं दध्वेणेकेण दव्व-जोएहिं । तह धाउ-मूल-किरिया कीरइ जीवेहिं अण्णा वि ॥ एवं बहू वियच्या किरिया सत्ये सुंदरि पसिद्धा ते सारोदाहरणे वाहिष्यते जिसामेहि ॥ णारी गं पोसे वह वार हम विक्खाई। सीस-तड-व-कंसं रूप-सुवण्णा लोहं च ॥ आरं सदा पसि खूपच कुणडी तालयं चेय गाइ नि भमराये एसा भासा गरिंदा ॥ एसो धाउव्वाओ सुंदरि वोच्छामि संपये एयं । सयलं णरिंद वायं अहवा को भाणिउं तरइ ॥ 8 ३१४ ) ताव य पडु-पडह पडिरव-संखुद्ध - विउद्ध-वण-सावय- सहस्स- पडिरवुच्छलंत - बहल - हलबोल - हलहलाऊरमाणदस दिसं पर्य पाहाउय- मंगल तूरं । ताव य णिवर्डति तारया, गलियप्पभो णिसाणाहो, ऊसारिजंति दिसि-मुहाई, वडए गयणयलं, पणस्सए तिमिरं, अरुणारुणा पुष्व-दिसा, पलवंति वण- कुकुडा, पलायंति रिच्छा, पविसंति गुहासु मइंदा, गुविल9 महिति वग्पा, करवति सवा मुद्रांति पूया, करवरंति रिहा । दिणवर णरवर-कर- गियर-विदुप्पणा भीय व शीणचिमणा पईच कुटुंबिणो त्ति । एत्थंतरम्मि पढियं बंदिणा । अवि य । तो तिमिरयं पि विछायइ ससि-बिंबयं । विमलंतो दिसि-मुहाइँ अंधीकरेइ घूयऍ ॥ वितो संगमाई मेतो चकवा ओग्गद् भुषणम्मि दिणयर-कर-पन्भारो ॥ इव पुरिसे पभाए गिरं मोतृण शाह दइयं व कीरंतु अवश्यं गुरु देवय-पणइ कनाई ॥ इमं च पढियं णिसामिऊण कुमारेण भणियं । 'सुंदरि एस पभाषा स्वणी संपवें गुरुदेव-बंधु कलाई कीरंति हमाई बजे अच्छ पासत्य- उावो ॥ भमाणा निम्मल - जल-विमलिय- वयण-कमला पविट्ठा देवहरयं । ' णमो जिणाणं' ति भणमाणा पणमिया भगवंताणं कमलकोमलेस चलण-जुलेख । तनो पुण भणिउमादत्ता । सुप्रभातं जिनेन्द्राणां धर्मबोधिविधायिनाम् । सुप्रभातं च सिद्धानां कर्मोंघघनघातिनाम् ॥ सुप्रभातं गुरूणां तु धर्मव्याख्याविधायिनाम् । सुप्रभातं पुनस्तेषां जैनसूत्रप्रदर्शिनाम् ॥ सुप्रभातं तु सर्वेषां साधूनां साधुसंमतम् । सुप्रभातं पुनस्तेषां येषां हृदि जिनोत्तमाः ॥ 21 एवं भूणिण कथं कायव्यं ताव व सजल-जलय-गंभीर- पीर-पडिसद् संका- विदान सरोगर राईस कुमुदला अप्फालिया पयागय-दवा । तेण व संदेश जब जयासह मुद्दल व सव्व-बंधायार परियणो सामग्रिं पयतो सव्वभंडोवक्खराई । किं च कीरिडं पयतं । अधि य कच्छिजंति गईंदे, पलाणिजंति तुरंगमे, भारिजंति करहे, 24 भरिजंति बइल्ले, जुप्पंति रहवरे, जोइजंति सयडे, उट्ठाविज्जंति भारिए, संभाविनंति जंपाणिए, संभारिांति कम्मरए, संमिति भंडवरे, संवेदिति पटडीओ, परिदिजेति समायोगे, पेप्यंति व सर-सरायण इस चक्र कोतासि-विदे पल-पाइक-गिन हे वि 1 3 12 15 18 27 उसु पच त्रसु गेहसु परिसक्क वह पयट्टाहि । उच्छलिए बहल बोले गोसम्गे तं बलं चलिये ॥ कुवलयमाला विसमारूढा वा करिणि । कुमारो वि विवि-तुरय-सर-सुरग्गुदारिय महिलुच्छलंतर-नियर-पूरमाणदस- दिसामुह णिरुद्ध - दिणयर-कर-पसर-पसरियंधयार-दुद्दिण-संकास - हरिस-तंडविय- सिहंडि-कलाव- रेहिरं वणं खणंतो गंतुं पयतो अणवश्य-पयाण संपतो असो विसय-संधि । ताव य महिषेण पेसियो सिरि-दढवम्मराइणो बढावमो जहा कुमारो संपत्तोति च खोडं राया व सहरिस-बस-समुच्छलंत-शेमंच-कंचुभो पीरियो सपरियणो संतु पयत्तो । पहाइओ कुमारस्स बद्धावओ जहा महाराया संपत्तो ति । 30 I [ ९३१३ 1) P णिसागेहिं, धातु, अण्णे वि. 2 > P सव्वैसु सुंदरि, ते सांगेता हरणे साहित्यंते णिसामेह ॥. 3 ) P बंगं for गंध, तिक्खत्ती P तिक्खाती, P तंबा 4 ) सतय, तालसंचेया, भवणातीयं P भगरादीतं. 5 ) धातुव्वातो, पेच्छामि for वोच्छामि, P अहवा भणिउं. 6 ) 3 adds पंडिअ before पडु, संखुब्ध मुद्ध for विउद्ध, पडिबुलंद 7 > गलिअप्पमे, P ऊरिसारिज्जति, Pवट्टर. 8 ) ग्रच्छा P तिरिच्छा for रिच्छा, P गुहासु सिंघा गुव्विसंतिम लियंति. 9) P करयरंति, करयरेंति before रिट्ठा, दीस for भीय, भीय वज्झीणविमाणा पतीव कुटुंबिणो. 11 ) तिमिरचयं, P विच्छाइयससि., puts danda after विमलं, व अंधीअरे P अधीकरेइ. 12) Pवितो, चक्कायए, P ओलाई उअगर, भुअायम्मि, 13 ) P भाइए, जिंद for द्दि, P कीरओ सच्चक्खेवयं, P पणयकज्जाई. 14 ) Printer. भणियं & कुमारेण. 15 J एसा भाया, देवय for देव, P बंधकज्जाई, P जाव संलावो for पासत्थउलावो. 16 ) Pom. जल, P विमल for विमत्रिय, Jom. ति. 17 Jजुअले P जुवणे, उभाणिउमादत्ता P भणिउमाढतो. 18 > P धर्मे बोधवि. for गुरूणां 19 ) जिनेंद्राणां 20 सर्व्वेष, P साधुसंमताम्, P येषां हृदि शि जिनोत्तमः ॥ 21 ) Jवयं कय for कर्य, अवि य for तावय, Pom. one जल, adds सद्द after पडिसद्द, P निद्राण for विद्वाण, P हंसराय for रायहंस, कल for कलयल 22 > याणयपयढक्का, P सद्देण जयासद्दमुहलो, Pखधावार, सामग्गिड पयत्तो. 23 ) किं चि for किं पयत्ता ।, P पल्ला लज्जति. 24 ) Padds, after जोइज्जति, भरिडं पयत्तं । etc. to जोइज्जति । उक्ठपिज्जेति, संभारिज्जति जंपाणिए, P भंडागारे for भंडयरे. 25 ) p adds जंति after संबेलिजंति, P समायोगो, Pom. य, I om. सर, P सज्झस for शस. 27 ) P उद्धवच्चस तूर, गेण्हसु परसुन्व चक्कम पयट्ट ; उच्छलियनहलबोलो, P उउच्छलिए ह बोटो. 28 J वारुकरिगिं, P करिणी, तुरयं, ए र्णिय for गियर. 29 Pom दस, P दिसिसामुह, P दियर, Pom. पसर, दुद्दिगासंकास, POD. हरिस, P तडविय, कलकरेहि खणतो, ता जणूंतो for खणतो. 30 ) अत्तो अणन्नो for अत्तगो, धारणी राणो 31) P सोऊण for सोउं, वि हरिसव्वस, P वियस for वस- 32 > J य after कुमाररस. 5 Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ३१६ ] कुवलयमाला १९९ 1 (३१५) तओ कुमारो वि पहारेस-वस- वियस माण- कुवलय-दल- दीह-लोयण- जुवलो 'सागयं तायस्स' ति भणतो उत्तिष्णो तुरवाओ। सरय-समय- दिणयर-कर-परिमास वियसिबंरुद्ध सरिस-चलण जवलो चलहिं चैव गंतुं पयतो । 5 ताव व वेणं संपत्तो महाराया दिद्रो व णेण कुमारो देव कुमारो वणवण मणानंदणो कई अनिय कमले दिणयरो इव महवा कुमुएण चंदिमा-णाहो । सिहिणा घणो व्व अह कोइलेण चूओ व्व महुमासे ॥ तं च दण सरहस-पसारिय- दीह - बाहु-फलिहेण आलिंगिओ कुमारो राइणा । हिययब्भंतर घर-भरिउच्चरंत-परिस-वसपीहत- बाहुप्पील-होल-होयणा दोणि वि जाया पणामिओ व पारसु महारावा । माया वि चिर-विरह-दुम्बरंगी 6 दिट्ठा कुमारेण । लीए सिणेह-भिरं अवगूठो रोइडं च पयत्ता, संठाविया य परियणेण दिष्णं णायण-वयण-धोवणं गंधोदय उवविट्ठा तम्मि चेय ठाणे । कुमारो वि गहिओ उच्छंगे देवीए, चुंबिओ उत्तिमंगे, भणिओ य 'पुत्त, दढ कठिणहियओ सि तुमं । अम्हे उण पुत्त-भंड-गेह-जिन्भर पसरमाण-विरह - जालावली- दूमिया मयं पिच अत्ताणं मण्णामो | 9 ताजी चिरं, अइबहुयं अम्ह इमं जं जियंतो दिट्ठो सि' त्ति । भणियं च राइणा । पुत्त, तझ्या अम्हाण तुमं देव्येण हम तुरंग-रूपेण । कत्थ जो कठिन कह चुक्को से तुरंगा ॥ कह गमिओ ते कालो क व परिहिंडिओ अणाहो व कह व मणि-पूल-वण्णो कत्थ व सो पूओ दिट्ठो ॥ कह व तुमं संपत्तो वेलाउलम्मि कहं समुद्दस्स । वच्छेण वच्छ इमिणा कह व महिंद्रेण संपत्तो ॥ कहव तर परिणीयं कह णाओ विजयसेण णरवइणा । किं तत्थ ठिया तुब्भे केण व कज्जेण कालमिणं ॥ 15 कह आगो कह गओ कह वा दुक्खा पुरा पसाई साहिजउ मह एवं जगणं णिग्वुई होइ ॥ 12 किं अच्छह वीसत्था दुक्कइ कालो त्ति कुणह कायव्वं । उय जाम संख- सद्दो कुविय- कयं तस्स हुंकारो ॥ तं च सोऊन समुट्टिया सच्चे धम्म-कलाई कार्ड समादत्ता पाओसिथवयं अत्याणि-मंडलं दाऊण पसुत्तो कुमारो । णिसा24 विरामे य पटिये बंदिणा अवि य । 1 एवं च पुच्छि समाणो चलणे पणमिण साहिउं पयचो साहियं च सयलं कुतं संखेयेणं ति । ताय य । उज्जमह धम्म- कज्जे मा बज्झह णेह-णियल-पासेहिं । णेहो ति णाम डङ्कं भणियं मज्झरह ढंढाए ॥ 18 वो अहो माण्डो जानो ति कय-मजण भोषणा संयुता पुणो सुदासणाया जाया, विविध-देस कला-कला-कहा 18 चिरं ठिया गणियं च गणएहिं कुमार-गढ़-दिन- ला-वेला पवेसस्स समयं गुवरायाभिसेयस्य य तो हरिस-वोसभिरेहि य समादत्ता व बद्रावणयाई । धवल-धयवडाडोव मंडिया कीरए अशोज्झा पुरवरी 23 उवगरणं । वोलीणो य सो दियहो त्ति । ताव य । सजीकथं स्यलं 3 ) J 1) Pom. बस, जुअलो, Padds य after जुवलो. 2 ) P सत्यमउग्गंत P परिफंस for परिमासु, र जुअलो. चेय before संपत्तो. 4 > विव for इव, P घणाव, ए सूउ for चूओ. 5 ) J सहरिस पसरि घरि for घर. 6 ) P बाहुलोल, Pom. माया, बिरहिर for चिरविरह- 7 ) Pणिन्तरं अवऊद्धो ।, Jom. च, P संट्ठाविया, P वय 8 J गंधो, उत्रिो, Pच्छाणे for ठाणे, Pom. दढ़. 9 ) P डभ for भंड, दुमिया 10 P जीवसु, Pom. इमं. 11 ) J अम्हण, ए for हओ, राओ for गओ, P डिओ, कत्थ चुक्को, P तह for तं. 12 ) कह य गमिओ, om. ते, Jom. [व] and व्व] 1. 13) J वेलाजलम्मि किं समुद्दस्स, P वेलाउलं कहं, P मज्झं for वच्छ, ए कह वि महिं 14 ) P कह वि तए, Jom. णाओ, डिया. 15) Pom. कह गओ, मए एअं. 16 ) P चलणेसु पयत्तो, P संसंखेवेणं. 17 ) P णेहणेयल, P टंढ for डड्डूं. 18) J कयभोयणमज्जणा र कयम सहभोयगा. 19 ) Jom. च and adds गणियं on the margin, padds जुगराया जुराबादख्यस्स व om. व rather [ कुमाररस गदिम पसर जुरायाभिसेयरस य]. 20) Padds धवणयाई after वद्धावणयाई, अयोज्झा. 22 ) P दुक्कयकालो, P उ for त्ति, P च उ for उय. 23) P धम्मे for धम्म, पाउसिअवयं अत्थाणि P पाओसिअं च अत्थाणि 24 ) Pom. य before पढियं. 25 ) P वहह मगव्वं च मंगवं उसे पुरिसे. 26 ) समुट्ठिता सथले महारायपमुहा गरिंदवदा ।, J om. च. 28> P om. रच्छामुहाई etc. to भूसिजति 29 ) P वरमूले, JP चिंतिज्जति राय- 30 सिंगवड, P repeats सिंघवड वित्थारिज्जंति, उ वित्यरिज्जति, P चंदावे, विहडिज्जेति पढीए. 31 ) P पडिओब्भिजंति पट्टपडाओ, P कडसुतए 32 ) J दामोजले, P हलहलाइ, P दंसण्णूस, पसरम्माणुकंठ P पसरसाणुकंठो, P लोयत्ति. J 12 15 पडणम्मि मा विसूरह मा गर्न वहह उमामे पुरिसा । इय साहेतो व्य रवी अत्यमिओ उग्गओ एहि ॥ इमं च सोऊण समुट्टिया सबल महाराष्पमुहा गरिंद-वंदा । तभ कव-कायस्वाणं च वर्चति दिया। 27 (३१६) पुणो समागओ कुमारस्य णयर-पवेस- दियहो । अओज्झा-पुरवरीए घोसावियं च राहणा जहा कीर 27 यरी सारो ति । तत्र किं च कीरिडं समादत्तं । अवि व सोहिनंति रच्छा-मुहाई, अवणिजंति कयार-संकरे, सियंति गंधोद राय यांति जंदणमालाओ, बिरजेति कय-तोरणे, भूसिर्जति धवलहरे, मंडियांति बार-मूले, चितिअंति राव सभानो, पूजेति चचरे, समादप्यंति पेच्छण, पत्थरिति सिंघडए, विधारिति चंद्रशेयवे, विहाडिनंति 20 पडिओ, उभिजंति पट्ट पडायाओ, लंविज्जति कडि सुत्तए, पयडिजंति महारयणे, विक्खिप्पंति मुत्ताहले, कोरंति कुसुमदामोऊले, हलहलायइ कुमार- दंसणूसव-पसरमाणुकंठ- णिव्भरो णायर- लोओ ति । अवि य । 30 33 मणि - रयण-भूसियंगी पिययम- दट्ठब्ब-पसरिउक्कंठा । वासय सज्ज व्त्र पुरी अच्छइ कुमरं पडिच्छंती ॥ 21 24 33 Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थ २०० उजोयणसूरिविरइया • [$३१६1 एत्थंतरम्मि कुमारो वि सह राइणा समारूढो जयकुंजरं पविसिड समाढत्तो अयोज्झा-पुरवरीए । ताव य पूरिजति संखाई । जयजयावियं बंदिय-जणेणं । पविसंते य कुमारे सव्वो य णयर-णायरियायणो कोउय-रसाऊरमाण-हियओ पेच्छिउँ 3 समाढत्तो। कमेण य वोलीणो कुमारो रायमग्गं, संपत्तो रायदारं। वोलीणे य कुमारे किं भणिउं समाढत्तो णाय-जणो। 3 __ अवि य। धम्मं करेह तुरियं जइ कजं एरिसीए रिद्धीए । मा हीरह चिंताए ण होइ एयं अउष्णाण ॥ 6 कुमारो वि रायउले पेच्छइ परियणं । केरिसं । अवि य । रजाभिसेय-मंगल-समूह-करणेक-वावड-करग्गं । हियउग्गय-हलहलयं वियरत परियणं पुरओ ॥ ६३१७) पचिट्ठो य अत्थाण-मंडवं कुमारो, णिसण्णो य णाणा-मणि-किरणुल्लसंत-बद्ध-सुरचाव-विब्भमे कणयमहामइंदासणे । णिसण्णस्स य मंगल-पुब्वयं जयजया-सह-पूरमाण-महियलं उक्खित्ताई महाराय-पमुहेहिं महासामंतेहिं . णाणा-मणि-विचित्ताई कणय-पउम-प्पिहाणाई कोमल-किसलय-सणाहाई कंचण-मणि-रयण-कलस-संघायाई । तेहिं जय-जयासह-णिब्भरं अहिसित्तो कुमारो जोयरजाभिसेयम्मि, जोकारिओ य महाराय-दढवम्मप्पमुहेहिं । णिसण्णा सब्वे 12 सीहासणस्स पुरओ। भणियं च महाराणा । 'पुत्त कुमार, पुण्णमंतो अहयं जस्स तुमं पुत्तो। इमाई च चिर-चिंतियाई 12 मणोरहाई णवरं अज संपुण्णाई । ता अजप्पभुई धण-धण्ण-रयय-मोत्तिय-मणि-रयण-जाण-वाहण-पवहण-खेड-कब्बड-णयर महाणयर-गाम-गय-तुरय-णरवर-रह-सय-सहस्सुदामं तुज्झ दे रजभरं दिण्णं । अहं पुण धम्माधम्म-णिरूवणत्थं कं पि 15 कालंतरं अच्छिऊण पच्छा कायर्व काहामो' ति । कुमारो वि एवं भणिओ सविणयं उट्ठिऊण णिवडिओ राइणो15 चलण-जुयले 'महापसाओ' त्ति भणिय, 'जं च महाराओ आणवेइ तं अवस्सं मए कायव्वं' ति । दसिया कुवलयमाला गुरुयणस्स । कओ पणामो । अभिणंदिया तेहिं । एवं च अवरोप्पर-वयण-कमलावलोयणा-सिणेह-पहरिस-णिब्भराणं 18 वच्चइ कालो, वोलेंति दियहा । अण्णम्मि दिणे राइणा भणियं । 'पुत्त कुमार, णिसुणेसु । 18 जं किंचि एत्थ लोए सुहं व असुहं व कस्सइ परस्स । तं अप्पण च्चिय कयं सुहमसुहं वा पुराकम्मं ॥ मा हो जूरह पुरिसा असंपडतेसु विहव-सारेसु । जंण कयं पढम चिय कत्तो तं वास-लक्खेहिं ॥ 21 ता जइ सुहेण कजं इह जम्मे कुणह आयरं धम्मे । कारण-रहियं कर्ज ण होइ जम्मे वि लोगम्मि ॥ तओ कुमार, इमं णाऊण धम्मे आयरो कायब्वो । कालो य एस ममं धम्मस्म, ता तं चेय करिस्सं' ति । कुमारेण भणियं । 'ताय, जं तए समाणत्तं तं सव्वं तहा, सुंदरो य एस धम्म-कम्म-करण-णिच्छओ, एकं पुण विगणवेमि 'सो धम्मो जत्थ 24 सफल-किलेसो हवइ' ति । राइणा भणियं । 'कुमार, बहुए धम्मा, ताणं तो जो चेय एको समाढत्तो सो चेय सुंदरो' त्ति 124 ६३१८) कुमारेण भणियं 'ताय, मा एवं आणवेह, ण सव्वो धम्मो समो होइ' । तेण भणियं 'कुमार, णणु सव्वो धम्मो समो चेय' । तेण भणियं 'देव, विष्णवेमि । अवि य। 27 किं पुहईएँ गइंदा होंति समा गयवरेहिं अवरेहिं । अहव तुरया तुरंगेहँ पव्वया पब्वय-वरेहिं । किं पुरिसा पुरिसेहिं अहवा तियसा हवंति तियसेहिं । किं धम्मेहँ वि धम्मा सरिसा ह हवंति लोयम्मि । जह एयाण विसेसो अस्थि महंतो जगेण उवलद्धो। तह धम्माण विसेसो अह केण वि देव उवलद्धो ॥' 30 णरिंदेण भणियं । 'जइ अस्थि कोइ धम्मो वरयरओ एत्थ सब-धम्माणं । ता कीस सध्य-लोओ एक्कम्मि ण लग्गए एसो ॥' कुमारेण भणियं । 33 'जइ एक्को गरणाहो सव्व-जणेहिं पि सेविओ होज । धम्मो वि होज एक्को सव्वेहि मि सेविओ लोए ॥ पेच्छंता णरवसहं सेवंते गाम-सामियं के वि । संति परमत्थ-रहिया अण्णाण-भयाउरा पुरिसा ॥ एवं एए मूढा पुरओ संते वि धम्म-सारम्मि । तं काउं असमत्था अहव विवेगो ण ताण इमो ॥ 1) P एत्थंतरे कुमारो, P अउज्झा', P तराई for संखाई. 2) J बंदिअणेणं, J रहसाऊरमाण, P कम्मेण. 3) Pom. य, P रायमग्गो, Pom. संपत्तो रायदारं, P वोलिणो कुमारे, P भणिय, Pणयरजगी. 5) P जयकय्यं, J परिसीय. 7) I हिअयुग्गया, P हियउग्गमहल हयं विरयंतं. 8) Pom. य after पविट्टो. १) महामहिंदासणे,J -प्पमुहे हिं. 10) पउमपहाणाई कोमले किंसयल- 11) Pअतिसित्तो, J जोअरज्जा जयरज्जा"P जोकारिओ,Jom, य, P य भेदराय-, JP दढधम्म',Jadds य before सम्बे. 12) Pom. च. 13) अज्ज पुन्नाई,J अज्जप्पभु P अज्जपत्तई, रयतमुत्तिय, रयण for रयय, Pणयरा. 14) Pom. णरवर,J सहस्सहमं,Jom. दे. P रज्जहरं दिव्यं ।. 15) Pom. ति. 16) JP भणियं, P महाराणी आणवेद, अवस्स. 17) J गुरुअस्स,J अहिणंदिआ, P अवसेपरवरोप्परवयण- 18 दिअह lor दिणे. 19) Pहोइ for एत्थ. 20) Padds एवं च before मा हो जूरह, J असंपुढंतेस,Jजण्ण for जण,J पढम चिञ. 21) Pगुहेहि, J अह for इह, P adds कुण before कुणह, नरजं for कज्ज,J लोअम्मि. 22) Padds u before एस. 23) Jधम्मकारणणिच्छओ, J कत्थ for जत्थ. 24 P सफलं. P om. तागं. Jom. तो. 25) 'om, ण सचो. 27) पुहतीए, P समागयावरेहिं, Pकुरया for तुरया, Pom. पव्वया पव्वयवरेहिं. 28) Jadds किं after पुरिसा, J धम्मे हि मि धम्मा. 29) Pएयाविसेसो. 31) Pल for ण. 33) P-जणहिं, Pहोज for होज. P repeats सव्वे हिं. 34) Pणरवसहे,J णाम for गाम,P भयाउयाउरा. 35)P मूढारओ. Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15 -६३२०] कुवलयमाला २०१ 1 तेण भणियं 'कुमार, कहं पुण धम्मस्स वरावरत्तणं लक्खिजइ'त्ति । कुमारेण भणियं 'देव, फलेण' । णरवइणा भणियं । 'कुमार, 3 पचख-णुमाण-चउक्कयस्स को प्रस्थ वावडो होइ । किं उवमाणं अहवा वि आगमो फल-उवेक्खाए । पञ्चक्खं धम्म-फलं ण य दीसइ जेण होइ पर-लोए । पञ्चक्खं जत्थ ण वा तत्थ कहं होइ अणुमाणं ॥ उवमाणं दूरे चिय अहवा किं भणह आगम-पमाणं । धम्मागमा सम ञ्चिय सफला सब्वे वि लोगम्मि ॥ 6 ता कत्थ मणं कुणिमो कत्थ व सफलो त्ति होहिइ किलेसो । कत्थ व मोक्खं सोक्खं इय घोलइ मज्झ हिययं ति ॥ 6 कुमारेण भणियं 'ताव देव को उवाओ' । राइणा भणियं 'एक्को परं उवाओ। पुच्छिजउ को वि णरो पंडिय-पढिओ जयम्मि सवियड्ढो । को एत्थ धम्म-सारो जत्थम्हे आयरं करिमो ॥ 9 कुमारेण भणियं । 'देव, को एत्थ किं वियाणइ अह जाणइ राय-दोस-वस-मूढो । अण्णह परमत्थ-ई अण्णह पुरिसो वियप्पेइ ॥ ईसाएँ मच्छरेणं सपक्खराएण पंडियप्पागो। अलिय पि भणंति णरा धम्माधम्म ण पेच्छंति ॥ 12६३१९) णरवरेण भणिय ‘एवं ववस्थिए दुग्गमे तत्त-परिणामे को उण उवाओ भविस्सइ' त्ति । कुमारेण 12 भणियं 'देव, एक्को परं उवाओ मह हियए फुरद णिच-संणिहिओ। परमत्थो तेण इमो णज्जइ धम्मस्स पच्चक्खं ॥ 15 इक्खागु-वंस-पभवा णर-वसभा के वर्णत-संखिल्ला । णिव्वाणमणुप्पत्ता इह धम्म के पि काऊण ॥ आराहिऊण देविं मंगल-पुव्वं तवेण विणएण । पुच्छिजउ कुल-धम्मो को अम्ह परंपरायाओ॥ एवं कयम्मि जं चिय तीए कुलदेवयाएँ आइढे । सो चेय अम्ह धम्मो बहुणा किं एस्थ भणिएण ॥ 18 इमं पडिवण्णं राइणा भणियं च । 'साहु कुमार, सुंदरं तए संलतं, ता णिव्वियारं इमं चेय कायवं' ति भणमाणो 18 समुडिओ राया, कायव्वं काउमाढत्तो । तओ अण्णम्मि दियहे असेसाए गंध-कुसुम-बलि-पईव-सामग्गीए पचिट्टो देवहरयं राया। तत्थ य जहारुहं पूइऊण देवे देवीओ य पुणो थुणिऊण समाढत्तो। अवि य । 21 जय विजय जयंति जए जयाहि अवराइए जय कुमारि । जय अंबे अंबाले बाले जय तं पिए लच्छी॥ __ इक्खागु-णरवराणं को कुल-धम्मो पुराण-पुरिसाण । साहिज्जउ मज्झ इमं अहवा वज्झा तुम चेय ॥ __ इमं च भणिऊण णरवई णिसण्णो कुस-सत्थरे, ठिओ एकमहोरत्तं । दुइय-राईए य मज्झिम-जामे उहाइया 4 आगासयले वाया। 24 __ भो भो णरवर-वसभा जइ कजं तुम्ह धम्म-सारेण । ता गेण्हसु कुल-धम्म इक्खागूणं इमं पुव्वं ॥ इमं च भणतीए समप्पियं कणय-सिलायलं णरिंदस्स कुलसिरीए । तं च पाविऊण विउद्घो राया जाव पुरओ पेच्छा। 27 कणय-सिलायलं । तं च केरिसं । भवि य। ललिउब्वेल्लिर-मत्ता-वण्णय-पटुंत-पत्तिया-णिवहं । बंभी-लिवी' लिहियं मरगय-खय-पूरियं पुरओ ॥ तं च दहण हरिस-वस-समुच्छलंत-रोमंचेण सद्दाविओ कुमारो भणिओ य । 'पुत्त कुमार, एसो दिण्णो कुलदेवयाए अम्हाण 30 कुलधम्मो, ता णिरूवेउं वाएसु इम' ति । कुमारेण वि 'जहाणवेसि' त्ति भणमाणेण धूव-बलि-कुसुमच्चणं काऊण सविणयं 30 भत्तीए वाइउं पयत्। ६३२०) किं च तत्थ लिहियं । अवि य । 33 दसण-विसुद्धि-णाणस्स संपया चरण-धारणं चेय। मोक्खस्स साधयाई सयल-सुहाणं च मूलाई॥ जत्थ ण हम्मइ जीवो संतुट्ठो णियय-जोणि-वासेण । ण य अलियं मंतिजइ जियाण पीडायरं हियए॥ 1)कह पण धम्मवरावर वरत्तणं, Pom. त्ति. 3) I पत्रक्खाउमाण पमाणच उक्कयरस, J om. कि. 4) Pom, य. 5) Pवि भणंति for किं भणह, । सफलो, लोअम्मि. 6) होहिति, P हियएंति. 7) तह वि for ताब, J पर for परं. 8) पुन्छिज्जद, J कोइ णरो, P सविअढो. 10) J परमत्था, P गती. 11) पंडिअप्पाणा. 12) Pणरवाणा for णरवरेण, Pएवं वत्थिए, P परिणामो, J को उण. 14) Pएको महिहरपकओ यए फुरइ, ' सण्णिहिओ P सन्निहि ओ. 15) P -पभावा णरवसहा, J कवि अणंत- for केवणंत, संखेज्जा for संखिल्ला, ' धम्मं किं पि. 18) Pom. च, P om. चेव. 19) Jom. गंब, J .पईव P-पतीव. 20) P om. य after तत्थ, P om. पुणो थुणिऊण etc. to को कुलधम्मो. 21) Jजए जायाहि अवराईए. 22) P वज्झं for वज्झा, Pच for चेय. 23) P om. इमं च, Pom. णरवई, Pणिवण्णा for णिमण्णो, P adds परती before कुस, P ढिओ, दुइअ य राईए मज्झिमजामे उद्धाइया. 25) I वसहा, P कज्ज, J कुलधम्मो, Pइक्खागकुलाइयं पुन्वं. 26) J भणंतीय, P om. पुरओ. 27) P om. तं च केरिसं. 28) P°मत्तावण्णपयतिपत्तिया-, J बंभीलिवाए, P पूरिउ for पूरियं. 29) P हरिसबमुच्छलंत, १ कुलदेवता अम्हाण. 30) Pणिरूबेह, P वाएसुद्ध इमं ति। कुमारो वि, P भणमाणो, J कुसुममञ्चणं. 31) पयत्तो।. 32) Pलिहितं. 33) P-विसुद्ध-, P साहलाई सयणसुहाणं. 34) Pणं हमद, P पीडाकरं. 27 33 26 Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6 २०२ उज्जोयणसूरिविरइया . [$३२०1 ण य घेप्पई अदिण्णं सरिसं जीएण कस्सइ जणस्स । दूरेण जत्थ महिला वजिजइ जलिय-जलणं व ॥ अत्थो जत्थ चइजइ अणत्थ-मूलं जयम्मि सयलम्मि । ण य भुजइ राईए जियाण मा होज्ज विणिवाओ । तं णरवर गेण्ह तुमं धम्म अह होइ जत्थ वेरग्गो । परियाणसु पुहइ-जिए जलम्मि जीयं ति मण्णेसु ॥ अणिलाणले सजीए पडिवज्ज वणस्सई पि जीवं ति । लक्खिजइ जत्थ जिओ फरिसेंदिय-मेत्त-वावारो ।। अलस-किमिया दुइंदी पिवीलियाई य होंति तेइंदी । भमराई चउरिंदी मण्णसु सेसा य पंचेंदी ॥ णर-पसु-देव-दइच्चे सव्वे मण्णेसु बंधवे आसि । सव्वे विमए सरिसा सुहं च इच्छंति सव्वे वि॥ णासंति दुक्ख-भीरू दुक्खाविज्जति सत्थ-पउरेहिं । सव्वाण होइ दुक्ख दुब्बयण-विसेण हिययम्मि ॥ सव्वाण आसि मित्तं अहयं सव्वाण बंधवो आसि । सव्वे वि बंधवा मे सब्वे वि हवंति मित्ताई॥ 9 इय एवं परमत्थे कह पहरिजउ जियस्स देहम्मि । अत्ताण-णिव्विसेसे मूढा पहरंति जीयम्मि ॥ जं जं पेच्छसि जीयं संसारे दुक्ख-सोय-भय-कलियं । तं तं मण्णसु णरवर आसि अहं एरिसो चेय॥ जं जं जयम्मि जीवं पेच्छसि सिरि-विहव-मय-मउम्मत् । तं तं मण्णसु गरवर एरिसओ आसि अहयं पि॥ 12 जीएसु कुणसु मेत्तिं गुणवंते कुणसु आयरं धीर । कुणसु दयं दीण-मणे कुणसु उवेक्खं च गव्वियए । असमंजसेसु कायं वायमसब्भेसु रुंभ वयणेसु । रुंभसु मणं अयजे पसरतं सव्व-दव्वेसु ॥ काएण कुणह किरियं पढसु य वायाए धम्म-सस्थाई। भावेसु भावणाओ भावेण य भाव-संजुत्तो ॥ कुणसु तवं सुविसुद्धो इंदिय-सत्तुं णिरुंभ भय-रहिओ। कोबम्मि कुणह खंतिं असुई चिंतेसु कामम्मि ॥ माणम्मि होसु पणओ माया-ठाणम्मि अज्जवं कुणसु । लोहं च अलोहेणं जिण मोहं णाण-पहराहिं ॥ अच्छसु संजम-जमिओ सीलं अह सेव णिम्मलं लोए। मा वीरियं णिगूहसु कुण कायन्वं जयं भणियं ॥ 18 मा कुणसु पाग-किरियं भिक्ख भमिऊण भुंजसु विहीए । मा अच्छसु णिचिंतो सज्झाए होसु वक्खित्तो ॥ णिज्झीण-पाव-पंको अवगय-मोहो पण?-मिच्छत्तो । लोयालोय-पयासो समुग्गओ जस्स णाण-रवी ॥ संभिण्णं सो पेच्छइ लोयमलोयं च सव्वओ सव्वं । तं णस्थि ज ण पासइ भूतं भव्वं भविस्सं च ॥ सो य भगवं किं भण्णइ । तित्थयरो लोय-गुरू सव्वण्णू केवली जिणो अरहा । सुगओ सिद्धो बुद्धो पारगओ वीयरागो य॥ सो अप्पा परमप्पा सुहमो य णिरंजणो य सो चेव । अव्वत्तो अच्छेजो अब्भेजो अक्खओ परमो॥ जं जं सो परमप्पा किंचि समाइसइ अमय-गीसंदं । तं तं पत्तिय णरवर तेण व जे दिक्खिया पुरिसा ।। अलियं अयाणमाणो भणइ जरो अह व राग-दोसत्तो । कह सो भणेज अलियं भय-मय-रागेहिँ जो रहिओ ।। तम्हा णरवर सव्वायरेण पडिवज सामियं देवं । ज किंचि तेण भणियं तं तं भावेण पडिवज ॥ 27 सुहमो सरीर-मेत्तो अणादिम अक्खओ य भोत्तादी । णाण-किरियाहि मुच्चइ एरिस-रूवो जहिं अप्पा ॥ एसो गरवर धम्मो मोक्ख-फलो सव्व-सोक्ख-मूलं च । इक्खागू-पुरिसाणं एसोच्चिय होइ कुल-धम्मो ॥ जं जं एत्थ णिरुत्तं तं तं णरणाह जाण सारं ति । एएण विरहियं पुण जाण विहम्मं कुहम्मं च ॥ 30 एयं अवमण्णता णरवर णरयम्मि जंति घोरम्मि । एयं काऊण पुणो अक्खय-सोक्खाइँ पार्वति ॥ $३२१) एवं च पटिए इमम्मि धम्मे णरवइणा भणियं । 'अहो अणुग्गिहीया अम्हे भयवईए कुलदेवयाए । ता । सुंदरो एस धम्मो, ण एत्थ संदेहो । एयं पुण ण-याणिज्जइ केरिसा ते धम्म-पुरिसा जाण एरिसो धम्मो' ति । कुमारेण । 33 भणियं 'देव, जे केइ धम्मिय-पुरिसा दीसंति ताणं चेय दिक्खं घेत्तूण कीरए एस धम्मो' त्ति । राइणा भणियं 'कुमार, मा 1) Pघेप्प३, जियस्स for जणस्स, P जलण for जलिय. 2) P वर for चइज्जइ, P जलंमि for जयम्मि, ' भुजति रातीए. 3) P धर्म जह होइ, P repeats जद्द होइ, न हइ जए for पुहर जिए, J पीअं for जीयं. 4) " सुजीए for सजीर, P जीवं पि ।, P फरिसेहियमेकवावारो. 5) P अलसा, ' दिइंदी for दुइंदी, Jom. पिवीलियाय होंति तेइंदी ।, P पिवीलियाती, " भमराती चउरेंदी, " पंचिंदी. 6) P अब्धे वि for सव्वे वि, P सा for सरिसा. 7) " दुखाविजंति, " पहरेहि, विसेए for विसेण. 9) पहरिज्जइ. 10) Padds त after अहं. 11) P जीवे for जीवं, J -मपुमत्तं. 12) मित्तं for मेत्ति, गुणमंते, P कुणसु अवेक्खं. 13) P वायमसत्तेसु, I om. रुंभ, P सब्वेसु for सचदम्बेसु. 14) " भाण्सु भायणाओ. 15) " इंदियसेतु, णिसुंभ Pणेरंभ, P खंती असुति, P देहमि for कामम्मि. 16) P मायंमि for माणम्मि. 18) Pपाय for पाग, P णिविन्नो for णिचितो, P आउत्तो for वक्खित्तो. 19) Pणिज्झाण, P लोगालोग. 20) Pपेच्छ लोगमलोग, J सचतो, ? पेच्छं for सव्वं, J जण्ण पासति भोत्तुं सव्वं, P भूतसव्वं. 22) J सुगतो गिद्धो, I वीतरागो. 23) J अप्पा घरगप्पा, चेअ ।, सम्वत्तो for अश्वत्तो, P अमेजओ, 7 अक्खरो परमो. 25) रागरोसत्तो, उ भममय, P भयममरोगेहिं. 27) P अणाइमं, J अक्ययभोत्तादी।, J -किरियादी, P adds मुबा before अप्पा. 28) I om. च. 29) Jणिहितं for शिरुतं. '31) P भयवतीए. 32) P इमं for एयं, P एसो for एरिसो. 33) P दिक्खा , कीरउ, P om. मा. Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३२२] ' कुवलयमाला २०३ 12 1एवं भण । णाणाविह-लिंग-वेस-धारिणो धम्मपुरिसा परिवसंति पुहई-तले। ते य सव्वे भणंति 'अम्हं च उ धम्मो । सुंदरो, अण्णो वि भणइ 'अम्हं च उ धम्मो,' अण्णो वि 'अम्हं च उत्ति । एवं च ठिए कस्स सद्दहामो कस्स वा ३ण वति । कुमारेण भणियं ‘ताय, जइ एवं ता एक्को भत्थि उवाओ । जो कोइ पुहईए धम्म-पुरिसो सो सव्वो पडहएण 3 भाघोसिज्जह जहा, राया धम्म पडिवज्जइ जं चेय सुंदरं, ता सवे धम्म-पुरिसा पञ्चक्खीहवंतु, साहेंतु य अप्पणो धम्माई जेण जं सुंदरं तं गेण्हइ त्ति । पुणो देव, साहिए सयले धम्म-वित्थरे जो चेय एयस्स दिण्णस्स देवयाए वियारिजंतो 6 घडीहिइ, तम्मि चेय आयरं काऊण दिक्खं पडिवज्जीहामो त्ति । राइणा भणियं 'एवं जइ परं पाविज्जइ विसेसो ति । ता: भाणवेसु पडिहारं जहा पाडहियं सदावेसु । आएसाणंतरं च समाणत्तो पडिहारो, संपत्तो पाडहिओ, समाइट्ठो राइणा जहा इमिणा य अरथेण घोसेसु सच्च-णयर-चञ्चरेसु पडहयं' ति । तओ 'जहाणवेह' त्ति भणमाणो णिग्गओ पाडहिओ द्योसिडं १च पयत्तो। कत्थ । अवि य । सिंगाडय-गोउर-चच्चरेसु पंथेसु हट्ट-मग्गेसु । घर-मढ-देवउलेसुं आराम-पवा-तलाएK ॥ किं च घोसिउं पयत्तो। अवि य । 19 जो जं जाणइ धम्म सो त साहेउ अज णरवइणो। जो तत्थ सुंदरयरो तं चिय राया पवजिहि ॥ एवं च घोसेंतेण 'ढं ढं ढं ढं' ति अप्फालिया ढक्का । किं च भणि पयत्ता । अवि य । ___ अप्फालिया वि ढका छज्जीव-णिकाय-रक्खणं धम्मो । जीय-दया-दम-रहिओ ढं ढं ढं ढं ति वाहर ॥ इतओ इमं च घोसिजंतं तिय-चउक्क-चच्चर-महापहेसु सोऊण सब्वे धम्म-पुरिसा संभंता मिलिया णियएसु धम्म-विसेस- 15 संघेसु अवरोप्परं च भणिउं पयत्ता । अवि य। भो भो सहधम्मयरा वञ्चह साहेह राइणो धम्मं । धम्मम्मि पुहइणाहो पडिबुज्झइ किं ण पज्जत्तं ॥ 1 एवं च अवरोप्परं मंतिऊण जे जत्थ णिगाए ससिद्धंत-कुसला ते समुट्ठिया धम्मिय-पुरिसा, संपत्ता रायमंदिरं । राया 18 वि णिक्खतो बाहिरोवत्थाण-मंडवं दिट्ठो सव्वेहिं जहाभिरूव-दसणीयासीसा-पणाम-संभासणेहिं । णिविट्ठा य णियएसु आसणेसु । भणिया य राइणा 'भो भो धम्मिय-पुरिसा, गहियत्था तुम्हे अम्हाभिप्पायस्स । ता भणह कमेण अत्तणो 1हिययाभिरुइए धम्म-विसेसे।' ६३२२) एवं च भणिया समाणा परिवाडीए साहिडं पयत्ता । एक्केण भणियं । अवि य । जीवो खण-भंगिल्लो अचेयणा तरुवरा जगमणिचं । णिव्वाणं पि अभावो धम्मो अम्हाण णरणाह ॥ राइणा चिंतियं । जीवो अणाइ-णिहणो सचेयणा तरुवरा वि मह लिहिया । मोक्खो सासय-ठाणं अह दूरं विहडए एयं ॥ अण्णेण भणियं । । सव-गओ मह जीवो मुच्चइ पयईए झाण-जोएहिं । पुहइ-जल-सोय-सुद्धो एस तिदंडीण धम्मवरो॥ राइणा भणियं । सव्व-गओ जइ अप्पा को झाणं कुणइ तत्थ सोयं वा । पुहइ-जलाउ सजीवा ते मारेउं कहं सुद्धी । । अण्णेण भणियं । सब्व-गओ इह अप्पा ण कुणइ पयडीए बज्झए णवरं । जोगब्भासा मुक्को इह चेय णिरंजणो होइ । राइणा चिंतियं । 3 अप्पा सरीर-मेत्तो णिय-कम्मे कुणइ बज्झए तेणं । सव्व-गए कह जोओ विवरीयं वट्टए एयं ॥ अण्णेण भणियं । एक्को च्चिय परमप्पा मूए भूयम्मि वट्टए णिययं । णिच्चाणिञ्च-विरहिमओ अणाइ-णिहणो परो पुरिसो॥ राइणा चिंतियं । 1)P भणह for भण, विसेस for वेस, P पारिवसंति पुतीयले।.2) Jom. धम्मो before अण्णो, Padds भणइ before अम्हं, P सद्ददामि. 4) Pघोसिज्जद for आघो", P adds तं गेण्हह for ता,J होंतु for 'हवंतु, यप्पणो.5) Pom. जं, P तस्स धम्मरस for एयरस. 6) I घडीहिति Pण वाही ति, J दिक्खं पवज्जीहामो, P राइण भणियं, एयं, J पाविज्ज विसेसो. 7) P om. संपत्तो पाडहिओ. 8) Jइमम्मिणा for इमिणा, Jणरथ for णयर, P पडियं, P जहाणवेहि. 10) P सिंघाडगोउरचच्चरे पत्थेस हदमये । 11 J पयत्तं. 12) P धम्मे, P साहेद, P ता for जो.J किय for चिय, परिज्जिहिति P पडिवजिहि त्ति. 13) Pom. च, P om. ति, P माणिउं. 14) Pढका जिणधम्मो सुंदरो त्ति लोगंमि । अन्ने उण जे धम्मा ढं etc. 15) Pघोसिज्जति तिय., P चचरेसु महा", Pणिययधम्म-. 16) J सामेसु for संघेसु, P भणियं, P om. अपि य. 17) I°णाहो पडिवजह किण्ण पध्वज 1. 18) Pजत्थ णिकाएस सिद्धति कुसला. 19) P बाहिरअत्थाण-, J दंसणीया। सीसा",J पिविद्राय णिऑरसु, Pणियए आसणेसु. 20) J तुम्मे for तुम्हे, Pom. ता. 21) P यियाहिसइए. धम्म. 22) Pom. च, P साहिओ.. 23) Jणेचाणं. 25) P तवेयणा for सचेयणा, तरुअरा, P मोक्खसासय हाण. 26) Jom. अण्णेण भणियं । सब्वगओ अहजीवो etc. ending with कहं सुद्धी ।।. 27) Pपयइएज्झाण-. 29)P सोयब्वा. 30) Pom. अण्णेण भणियं (after कहं सुद्धी ।) सव्वगओह etc. ending with वट्टए एयं ।।.33) Jतं || for एयं ।।.35) Pपरो for परो. Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया 1 जइ एको थिय अच्या कह सुह-दुखाई भिण्ण- रुवाई एक्केण दुक्खिणं सच्चे ते दुक्लिया होतु ॥ अण्गेण भणियं । अन्वावारं दिज्जइ पसुओ मारिजए य मंतेहिं । माई - पिइस्स मेहं गो-मेहो वा फुडो धम्मो ॥ राइणा चिंतियं । जं दिज्जइ तं सारं जं पुण मारिजए पसू गो वा । तमधम्मं मह लिहियं देवीए पट्टए सव्वं ॥ G अण्णेण भणियं । काय-बलि-इस देवो कीरइ जलणम्मि सिप्पए भी सुप्पीया होंति सुरा ते तुट्टा देवि धम्मं तु ॥ राइणा चिंतियं । 9 को च्छ काय पुण जलणम्मि लिए भतं तस्स छोइ अण्णस्स वा वि एवं ण याणामो ॥ अपणेण भणियं । चऊण सम्य-संग वगम्मि गंतून व-विवो कंद-फल-कुसुम भक्तो जता धम्मो रिसी तेण ॥ 12 राइणा चिंतियं । 3 21 २०४ 15 दिज भण-समणे विहले दीणे य दुक्ख किंचि गुरु-पूवणं पि कीरह सारो धम्माण गिहि-धम्मो ॥ णरवइणा चिंतियं । जं दाणं तं दिनं अत-घाभो ण पेच्छइ घरम्मि । एसो विधइ बाल चुक्कइ हथिस्स कंडेण ॥ 18 अण्णेण भणियं । 1 भखाभवखाण धर्म गम्मागम्माण अंतरं णत्थि अद्वैत वाय-भणि धम्मो अम्हाण निम्बुदो ॥ राहण चितिर्थ । एवं लोग विरुद्ध परकोय विरुद्वयं पि पच धम्मो उण इंद्रिय निगाहेण मह पट्टए लिहिये ॥ अण्णेण भणियं । विष्णष्यसि देव कुई पंच-पवितेहि आण-विहीय सद्दत वाय-भगिनो धम्मो जम्हाण गिम्दो ॥ 24 राइणा चिंतियं । लोमसहारे जिभिदियस्स अणुकूलमासणं फंसे । धम्माओ इंदिय-णिग्गण एसो वि धम्मो त्ति ॥ अण्गेण भणियं । 1 धम्मट्टियरस दिजइ विव-कलपि अतणो देई तारे सो तरंतो अलाबु खरिसो भव-समुदं ॥ राइणा भणियं । 27 सारो जह णीसंगो जं पुण कंदष्फलाई भुंजंति । एसो जीव-णिकाओ जीव दया वह धम्मो ॥ अण्णेण भणियं । 33 जद्द भुंजइ कह व मुणी अह ण मुणी किं च तस्स दिण्णेण । आरोविया सिलोवरि किं तरइ सिला जले गहिरे ॥ 30 अण्गेण भणियं । जो कुणइ साहस-बलं सत्तं अवलंबिऊण णरणाह । तस्स किर होइ सुगई मह धम्मो एस पडिहाइ ॥ राइणा चिंतियं । य-सुसु विरुद्धो अप्यवहो मिंदिओ व विदुदेहिं जइ तस्स होइ सुगई जिसे पि अमर्थ भवेजासु ॥ अण्णेण भणियं । गंतूण गिरि-वरेसुं अत्ताणं मुंचए महाधीरो । सो होइ एत्थ धम्मो अहवा जो गुग्गुलं धरइ ॥ 36 राइणा चिंतियं । [$ ३२२ 5 ) 3 सुप्पीता P ॥ { 12 15 18 21 24 27 P 1 ) P तिणि for भिण्ण, होति ॥. 3 ) P मारिज्जएहिं मंतेहिं ।, P फुडो धमो ॥. 4 ) P विभणियं for चितियं. मारिज्जई, P एवं चिलायकंमं एस विहंमो जए जाओ || for the second line तमधम्मं etc. 7 > वैस for वइस, सुग्गीवातु 9 P repeats को पुन लोगंनि निकले मतं तं तरस तरसण देवयाण डारो परे 13 ) P एसो जीवाण वहो कह कीरओ कुच्छिओ धम्मो || for the second line. 15 ) P दिजओ, P समण, पूयणं पि, ‍ गिधम्मो 17 ) घातो नाघो, P after कंडेण ॥ omits अण्णेण भणियं । भक्खा etc. ending with पट्टए लिहियं ॥ 19 अद्वैतवात 21 ) J, after लिहियं ॥, omits अण्णेण भणियं । विण्णप्पसि etc. ending with धम्मो ति. 23 ) P विणप्पसि, P वातभणितो, P णिखुद्दो 27 ) P सरिसं 29 ) P कह व मुंणी, व मुणी बिंब तरस, 1 सिलोयरि, P सिलायले. 31) सामस for साहस, 1 सुणती 33 ) P जलणं जलं च जीए तस्स वहो अप्पघाइओ पुरिसो for the first line वेयसुईस etc. P सुगती, P अमयं हवेज्जासु 35 ) P भैरवगिरिं for गिरिवरेसुं, महावीरो, P गुग्गलं. 30 33 36 Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३२२] कुवलयमाला 1 भत्ताणं मारेंतो पावइ कुगई जिओ सराय-मणो । एवं तामस-मरणं गुग्गुल-धरणाइयं सव्वं ॥ भण्णेण भणियं । 3 खाणे कूव-तलाए बंधइ वावीओं देह य पवाओ । सो एत्थ धम्म-पुरिसो णरवर अम्हं ठिओ हियए ॥ राइणा चिंतियं । पुहई-जल-जलणानिल-वणस्सई तह य जंगमे जीवे । मारेंतस्स वि धम्मो हवेज जइ सीयलो जलणो॥ भण्णेण भणियं । गंगा-जलम्मि पहाओ सायर-सरियासु तह य तित्थेसु । धुयइ मलं किर पावं ता सुद्धो होइ धम्मेण ॥ णरवइणा चिंतियं । 9 भागीरहि-जल-विच्छालियस्स परिसडउ कह व कम्मं से । बाहिर-मलावणयणं तं पि हु णिउणं ण जाएज्जा । अण्णेण भणियं । राईण रायधम्मो बंभण-धम्मो य बंभणाणं तु । वेसाण वेस-धम्मो णियओ धम्मो य सुदाण ॥ राइणा चिंतियं । धम्मो णाम सहावो णियय-सहावेसु जेण वह॒ति । तेणं चिय सो भण्णइ धम्मो ण उणाइ पर-लोओ ॥ अण्णेण भणियं। 16 णाय-विढत्त-धणेणं जं काराविति देव-भवणाई। देवाण पूयणं अञ्चणं च सो च्चेय इह धम्मो ॥ राइणा चिंतियं । कोण वि इच्छह एवं जं चिय कीरंति देवहरयाई । एत्थं पुण को देवो कस्स व कीरंतु एयाई॥ 18 अण्णेण भणियं । काऊण पुढवि-पुरिसं डज्झइ मंतेहि जत्थ जे पावं । दीविजइ जेण सुहं सो धम्मो होइ दिक्खाए। राइणा चिंतियं । A पावं डज्झइ मंतेहिँ एत्थ हेऊ ण दीसए कोइ । पावो तवेण डझइ झाण-महग्गीए लिहियं मे ॥ अण्णेण भणियं। झाणेण होइ मोक्खो सो परमप्पा वि दीसए तेण । झाणेण होइ सग्गं तम्हा झाणं चिय सुधम्मो ॥ 24 राइणा चिंतिय। झाणेण होइ मोक्खो सञ्चं एयं ति ण उण एकेण । तव-सील-णियम-जुत्तेण तं च तुब्भेहि णो भणियं ॥ अण्णेण भणियं । 27 पिउ-माइ-गुरुयणम्मि य सुरवर-मणुपसु अहव सब्वेसु । णीयं करेइ विणयं एसो धम्मो णरवरिंद॥ णरवइणा चिंतियं । जुज्जद विणओ धम्मो कीरंतो गुरुयणेसु देवेसु । जं पुण पाव-जणस्ल वि अइयारो एस णो जुत्तो ॥ 30 अण्णेण भणियं । णवि अत्थि कोइ जीवो ण य परलोओ ण यावि परमत्थो । भुंजह खाह जहिच्छं एत्तिय-मेत्तं जए सारं ॥ राइणा चिंतियं । 39 जइ णथि कोइ जीवो को एसो जंपए इमं वयणं । मूढो थिय-वाई एसो दट्ट पि णवि जोग्गो॥ अण्णेण भणियं । गो-भूमि-धण्ण-दाणं हलप्पयाणं च बभण-जणस्स । जं कीरइ सो धम्मो परवर मह वल्लहो हियए ॥ 36 णरवइणा चिंतियं । 1P कुगई, र गई for जिओ, P जिओ राइमणो । एयं तामस. 3 Jखणेइ for खाणे, I तालाए, J बावीए, Pउ for य P अम्ह ट्ठिओ.5J दुविहोत्थ होइ धम्मो भोगफलो होइ मोक्खधम्मो य । दाणं ता मोक्खफलं ता भोगफलो जइ जिजाणं ण पीडयरो || for the verse पुहई जल etc., P repeats जल, P विमो . 7) P सारय for सायर, P तो for ता. 9) जइ होइ सुद्धभावो आराद् इट्टदेवयं परमं । गंगाजलतलयाणं को णु विसेसो भवे तस्स || for the verse भागीरहि जल etc., P -मलावणयलं तं 11)रायाण, सुद्धाण. 13)J धम्मे, Pणार्षितियंहावो, धम्मद for भण्णइ, उणाए. 15) P कारविज्जति, I चे अ. 17) Jएक for एत्थ, को इह for पुण को. 19)Pइह इ for पुढवि, P तेण for जेण. 21)P कोति for कोइ, P मुद्ध-जल लवणो पासंडो एस तो रइओ ॥ for the line पावो तवेण etc. 22) Jom. भगिय. 23) P विदीसते तेण, जाणं for झाणं, Jadds सुअ before सुधम्मो, सुधम्मा. 25)P जत्ते for जुत्तण. 27 माउ for माइ, P गुरुजणमि, Jom. य. 29) J धम्म, गुणवएसु देवेसु, Pज for जं,J अतियारो. 31) एस्थ for अस्थि- 32) P को दि जीवो. 33)P को एसं जपए, त्थियवाती, P दट्टम्मि विणिजोग्गो. 35) J धम्मदाणं P धणदाणं. Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०६ उजोयणसूरिविरइया [$३२२। देइ हलं जीयहरं पुहई जीयं च जीवियं धणं । अबुहो देइ हलाई अबुहो च्चिय गेण्हए ताई ॥ अण्णेण भणियं । 3 दुक्खिय-कीड-पयंगा मोएऊणं कुजाइ-जम्माई । अण्णत्थ होंति सुहिया एसो करणापरो धम्मो ॥ राइणा चिंतियं । जो जत्थ होइ जंतू संतुट्ठो तेण तत्थ सो सयो । इच्छइ ण कोइ मरिडं सोउं पि ण जुज्जए एयं ॥ G अण्णेण भणियं । सहल-सीह-रिच्छा सप्पा चोरा य दुट्टया एए । मारेंति जियाण सए तम्हा ताणं वहे धम्मो ॥ राइणा चिंतियं । 9 सव्वो जीवाहारो जीवो लोयम्मि दिट्ट-परिणामो । जइ दुटो मारिज्जइ तुम पि दुटो वह पावं ॥ अण्णेण भणियं । दहि-दुद्ध-गोरसो वा घय व अण्णं व किं पि गाईणं । मासं पिव मा भुंजउ इय पंडर-भिक्खओ धम्मो ॥ 12 राइणा चिंतियं । ___ गो-मासे पडिसेहो एसो वजेइ मंगलं दहियं । खमणय-सील रक्खसु मज्झ विहारेण वि ण कर्ज ॥ अण्णेण भणियं । 15 को जाणइ सो धम्मो णीलो पीओ व सुकिलो होज । णाएण तेण किं वा जं होहिइ तं सहीहामो॥ राइणा चिंतियं । णजइ अणुमाणेणं णाएण वि तेण मोक्ख-कजाई । अण्णाण-मूढयाणं कत्तो धम्मस्स णिप्फत्ती ॥ 18 अण्णेण भणियं । जेण सिही चित्तलिए धवले हंसे कए तह म्हे वि । धम्माहम्मे चिंता काहिइ सो अम्ह किं ताए ॥ राइणा चिंतियं । 21 कम्मेण सिही चित्तो धवलो हंसो तुम पि कम्मेण । कीरउ तं चिय कम्मं तस्स य दिव्वो विही णाम ॥ अण्णेण भणियं । जो होइ धम्म-पुरिसो सो चिय धम्मो पुणो वि धम्म-रओ। जो पुण पावम्मि रओ होइ पुणो पाव-णिरओ सो॥ 24 राइणा चिंतियं । ___ जइ एको च्चिय जीवो धम्म-रओ होइ सव्व-जम्मेसु । ता कीस णरय-गामी सो चिय सो चेय सग्गम्मि । अण्णेण भणियं । 7 जो ईसरेण केण वि धम्माहम्मेसु चोइओ लोगो । सो च्वेय धम्म-भागी पत्तिय अण्णो ण पावे ॥ णरवइणा चिंतिय । को ईसरो त्ति णाम केण व कजेण चोयणं देह । इटाणि?-विवेगो केण व कजेण भण तस्स ।। 30 अण्णेण भणियं । धम्माधम्म-विवेगो कस्सइ पुहवीए होज पुरिसस्स । मूढ-परंपर-माला अंधाण व विरइया एसा ॥ णरवइणा चिंतियं । 33 धम्माधम्म-विसेसो अवस्स पुरिसस्स कस्स वि जयम्मि । तेण इमे पव्वइया अण्णह को दुकरं कुणइ ॥ अण्णेण भणियं । णाऊण पंचवीसय-पुरिसं जइ कुणइ बम-हच्चाओ। तो वि ण लिप्पइ पुरिसो जलेण जह पंकयं सलिले ॥ 36 राइणा चिंतियं । 1) P देइ बलं जीयहरं पुहविजीवं च, P ताई for ताई. 3)P मो मो ए for भोएऊणं, P अन्नेत्थ, J करुणो परो, P धमो॥. 5) हो for सो, P सोउ पि ण जुए एयं. 6) Padds पुण before भणियं. 7) P-रिंछा, P चोरा या एए ।, J एते।, Pमारंति जिणणसए. 9) P लोगंमि, P मारिज्जर तुम, J तुमं पि दिट्ठो वधं, P पावा for पावं ।।. 11) Pकिं पि काईणं, P भुज्जउ श्य पिंडरवभिक्खवो धमो. 13) Pक्खमणय- 15) Pजो for को, पीहो व्व सु, होज्जा ।, P होहि तितं. 17) J -भज्जाए for -कज्जाई. 19) चित्तिलिते, P तहेवे for तहम्हे, P धम्मोधम्मे, P काही सो. 20) Poin. राणा चिंतिय bofore कम्मेण Jविण्णा for वित्तो, P देवे for दिवो. 23) P जो होधइ, P after धम्मपुरिसो repeats अम्ह किं ताए । कमेण etc. ending with जो होइ धम्मपुरिसो, P om. धम्मो, होज्ज रओ for धम्मरओ, Pसो उण पावरओ सो होइ for जो पुण etc. 25)" तो for ता, P चे for चिय. 27) Fधमाधमेसु, J गाहिओ लोगो for चोइओ लग्गो, चेअ, J पत्तिअण्णो P पत्तियणो. 29) Pईसर त्ति, J लोमं for णाम, I चेअणं for चोयणं, P विवेओ, P भगंतस्स. 31) " धम्माधम्मविवेओ करसव पुहवीप, J -माली for माला. 33)P-विसउवस्स पुरिसरस, J व for वि, P दुक्कर कुणइ. 35)P पंचवीसयं, P पंकयसलिले. Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०७ -३३२३] कुवलयमाला 1 जाणतो खाइ विसं कालउडं तेण सो णवि मरेज । ता जइ होज इमं पि हु ण य तं तम्हा हु धम्मोय ॥ अण्णेण भणियं । पाति-वहालिय-वयणं अदिग्णदाणं च मेहुणं अस्थो । बजेसु दूरओ चिय अरहा देवो इमो धम्मो॥ राहणा चिंतियं । पावट्ठाण-णियत्ती अरहा देवो विराग-भावो य । लिहियम्मि तम्मि धम्मे घडइ इमो णत्थि संदेहो ॥ ६३२३) इमं च जाव णरवई चिंतिउं समाढत्तो ताव य। सम्मत्त-जाणवत्तं अह एसो णरवई समारुहइ । आरुहइ जस्स कजं पुक्करियं जाम-संखेणं ॥ तं च मज्झण्ण-संख-सदं सोऊण णियय-धम्म-कम्म-करणिज्ज-वाबड-मणेहिं पुलइयाई दस वि दिसिवहाई धम्म-पुरिसेहिं । णरवइणा वि गहिय-सन्च-धम्म-परमत्थेण भणिया सव्व-धम्म-वाइणो 'वच्चह तुब्भे, करेह णियय-धम्म-कम्म-किरिया-कलावे' त्ति । एवं च भणिया समाणा सव्वे णिययासीसा-मुहला समुट्ठिया अत्थाणि-मंडवाओ। साहुणो उण भगवंते राइणा भणिए 'भगवं, तुन्भेहिं कत्थ एरिसो धम्मो पाविओ' त्ति । साहहिं भणियं 'अम्हेहिं सो महाराय, आगमाओ' त्ति । 12 तेण भणियं 'को सो भागमो' त्ति । गुरुणा भणियं 'अत्त-वयणं आगमो' त्ति । राइणा भणियं 'फेरिसो अत्तो जस्स वयणं 12 भागमो' त्ति । गुरुणा भणियं । ___ 'जो राय-दोस-रहिओ किलेस-मुक्को कलंक-परिहीणो। णाणुजोइय-भुयणो सो अत्तो होइ णायचो ॥' 16 राइणा भणियं । सो केण तुम्ह दिट्टो केण व णिसुओ कहं कहेमाणो । केण पमाणेण इमं घेप्पउ अम्हारिसेहिं पि॥ गुरुणा भणियं । 18 अम्हेहि सो ण दिवो ण य णिसुओ किंचि सो कहेमाणो । आगम-गमएहिँ पुणो णजइ इह अस्थि सव्वण्णू ॥ राइणा भणियं । जइ ण णिसुओ कहं तो कह भणसि महागमेण सवण्णू । जो ण सुओ ण य दिवो कह तं अम्हाण साहेसि ॥ 1 गुरुणा भणियं । जइ वि ण सुओ ण दिट्ठो तहा वि अण्णेहिँ दिव-पुब्वो त्ति । गुरव-परंपर-माली-कमेण एसो महं पत्तो ॥ जइ तुम्ह इमं रजं पावइ पारंपरेण पुरिसाण । तह अम्ह आगममिणं पावइ जोग्गत्तण-विसेसो ॥ राहणा भणियं 'कहं पुण एस सुदरो त्ति आगमो णजई' । गुरुणा भणियं । जीवाजीव-जहट्टिएँ य कम्म-फल-पुण्ण-पाव-परिकहणे । पुधावराविरुद्धो अणुहव-पच्चक्ख-गम्मो य ॥ अणुमाण-हेउ-जुत्तो जुत्ती-दिटुंत-भावणा-सारो। अणवज्ज-वित्ति-रइओ तेणेसो आगमो सारो ॥ भराइणा भणियं । 'सुंदरं सुंदरयरं इमं, जइ पुण इमस्स आगमस्स उवएसं जहा-भणियं करेइ पुरिसो, ता किं तस्स फलंश हवइ' त्ति । गुरुणा भणियं । सव्वष्णु-वयण-वित्थर-मणिए जो सद्दहइ सयल-भावे । विहि-पडिसेह-णिरूवण-परो य सो भण्णए साहू ॥ 30 सो तव-संजम-सीले काउं विरई च णाम संपत्तो । णिढविय-सच-कम्मो सिद्धिपुरि पावए अइरा॥ जत्थ ण जरा ण म ण वाहिणो णेय सव्व-दुक्खाई। सासय-सिव च सोक्खं तं सिद्धि पावए सहसा ।। साहिए भगवया गुरुणा तओ किं किं पि अंतोमुहं ससीसुक्कंपं पहरिस-वस-वियसमाण-वयण-कमलेण पलोइऊण कुवलय13 चंदं भणियं । 'कुमार, णिरुतं एस सो मोक्ख-धम्मो ति । अवि य । 33 एसो हि मोक्ख-धम्मो धम्माण वि एस सारओ धम्मो । एसो वि देवि-दिण्णो इक्खागूणं च कुल-धम्मो ॥' । 1) 'विसं तालउडं तिण सो, " होइ for होज्ज, J इमंमि हु, P तं तंमा कुधम्मो य॥. 3) P पाण for पाणि, P मेहुणे अस्थि ।. 5) " विरागधम्मो य, Pइमं णस्थि. 6) Pणवह चिंतिउमादत्तो. 7) सामन्न for सम्मत्त, Pणरवती, P कज्ज बुकरियं. 8) P संखद्द सोऊण, I om. करणिज, P om. वि.. 10) भगिया सत्रे, I on. णियया, P अत्थाणमंडवाउ. 11) P भणियं for भगिए., Jom. अम्हेहि सो. 12) Pom. को सो आगमो etc. ending with णायव्वो॥राइणा भाणियं । 16) तुम्हे दिट्ठो, J इहं घेप्पर, P अम्हारिसेहि म्मि।. 18) Jinter. सो & , P adds कहं before कहेमाणो. 20) कह रे for कहं तो, P भणासि, ' सुए for सुओ, P om. य. 22) Pom. सुओ ण, P adds अम्हे before तहा, P गुरुएस for गुरव, P एसा महं पत्ता. 23) J पुरिसेण ।, P आगमेणं for आगममिणं, P जोगत्तण. 24) Pinter. त्ति & आगमो. 25) J जहस्थिय, कम्मफलो, " परिकहणा । पुवापरा". 26) Pबित्तिरहिओ तेण य सो. 27) P सुंदरमसुंदर'. 29) P सयलरूत्रे, ' जो for सो. 30) P-सीलो काओ विरयं, Pण for णाम, J संपुण्णो for संपत्तो, Pणिट्ठवियसकमो सिद्धिपुरी. 31) Pणेय दुक्खसवाई।. 32) F ससीसकंपं. 33) J om. अवि य. 34) Pहु for हि, Padds ति before धम्माण, P एसो देवी दिण्णी. 30 Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया - ३२४) कुमारेण भणियं । विष्णप्पसि देव फुडं जइया हरिओ तुरंगमारूढो । देवेण बोहणत्थं इमम्मि धम्मम्मि णरणाह ॥ 3 दिट्ठो रणम्मि मुणी सीहो देवो य पुब्व-संगइया । पुत्रं पि एस धम्मो अम्हे काउं गया सगं ॥ तेहिं पुणो मह दिष्णो एस धम्मो जिंदिवर-विहिजो तेहिं चित्र सभिकुलाला बोहत्थं ॥ वचतेण य णरवर अद्ध-पहे देव-दाणव-समूहा। विज्जाहरा य जक्खा दिट्ठा मे तत्थ धम्मम्मि ॥ जेण य सुरण कहिया अम्ह पउत्ती गयाण तं देसं । तेण सयं चिय दिट्ठो सच्चण्णू एत्थ धम्मम्मि ॥ इंदो वितयं बंद हरिसुप्फुलंत लोयण- णिहाओ । रय-हरणं जस्स करे पेच्छइ बहु-पाव-रय-हरणं ॥ अण्णं च देव, देवत्तणमि दिलो अम्हे बिय जासि धम्म-तित्थयरो असुरिद गरिंदा आइसमाणो इमं धम्मं ॥ ते वि सुरा असुरिंदा वंतर-विजाहरा मणुस्सा य । कर-कमल-मउल-सोहा दिट्ठा धम्मं णिसामेति ॥ दिट्ठा य मए रिसिणो इमम्मि धम्मम्मि सोसिय- सरीरा । उप्पाडिऊण णाणं सासय सिद्धिं समणुपत्ता ॥ तासामिय विष्णष्यसि एसो धम्मो सुधम्म- धम्माण । चूडामणि व्य रेहइ चंदो वा सव्य-ताराण ॥ अष्णं च । बजिंदगील मरगय-मुशाहल-रण- रासि चैचइयं पाविज वर-भवणं णरवर ण उणो इमो धम्मी ॥ सब्वंग- लक्खण- सुहं सुहेण पाविज्जए महारयणं । सिद्धि-सुह-संपयगरो दुक्खेण इमो इहं धम्मो ॥ पीणु तुंग-पोहर-पिहुल-नियंयो रत- रसणिलो होइ महिलाण सत्यो सुहेण ण उणो इमो धम्मो ॥ सुह-संपव-सय-भरियं सुहेण पाविजए जए रजे । दुक्खेण एस धम्मो पाविज णरवर विसालो ॥ सग्गमिवि सुर-भवणे पाविजइ सपल भोष-संपत्ती तो णरणाद तुमे थिय अहो इमम्मि संसारे 18 त्ति भणिए पडिवण्णं णरवइणा । 'अहो सचं एवं जं एस उवलको एत्तियं कालंतरं' ति । एसो उण जो धम्मो पत्तो पुण्णेर्हि धोवेहिं ॥ दो णिउणेण इमो संपद्द इह आवरं कुण ॥' दुलहो मग्गो । जेण अम्हे पलिय-उत्तिमंगा जाया वहा विण $ २२५) भणिदं च णरवइणा सप्पणामं 'भो भो गुरुयो, कत्थ पसे तुम्हाणं आवास' चि गुरुणा भणियं 21 महाराय बाहिरुजाणे कुसुमहर-गामे बेइयहरे' ति णरवणा भणियं 'वच्चह सहाणं, कुण काय, पभायाए रमणीए चेयतरं चेय आगमिस्सामि' सि भणमाणो समुट्ठिलो णरवई कुमारो व साडुणो व धम्मलाभासीसाए अभिवद्धिऊण णिग्गया उज्जाणं णियय-किरिया-कलावेसु संपलग्गा । णरवई वि संमाणिऊण संमाणणिजे, पूइऊण पूयणिजे, 24 वंदिऊण बंदणिज्जे, पेच्छिऊण पेच्छणिजे, रमिऊण रमणिजे, आउच्छिऊण भाउच्छणिजे, काऊण कायव्वे, भक्खिऊण भक्खियन्ये सव्वहा जहा जुत्तं पुत्त- - मित्त-कलत्त-भिच्च भड-भोइय गरिंद-बंदस्स काऊण तओ णिरूविडं पयत्तो भंडायारे जाव अक्खयं पेच्छइ अत्थ-संघायं । तओ किमेएणं पुहइ परिणामेण कीरइ त्ति, इमेण त्रि को वि सुहं पावइ त्ति, आदिट्ठा 27 सव्वाहियारिया । 'अहो महापुरिसा, घोसेसु तिय- चउक्क-चच्चर - महापहेसु सिंगाडय-णयर-रच्छामुहेसु उज्जाण देवउल-मढतलाय - वावी - बंधेसु । अवि य । तं जहा । जो जं मग्गद् भजे जीयं मोनूण संजम सद्दार्थ तं तं देश णरवई मम्मि णिव्भ पुरिया || 1 30 एवं च घोसाविण, दाऊण व जे जहामिरुदयं दाणं जणस्स पहाय सुद्द विलित्त सुबंध-विलेवण-विसेसो सव्यालंकार: रेहिर- सरीरो सुकुसुम-महादाम-मणहरो पूइय- देवया विद्वष्ण-धम्म- रयणो आरुढो सिबिया - रयणं णरवई, गंतूण य पयट्टो । अणेय - णायर - विलया- दाविजमाणंगुली - पसर-मणोहरो किं-को-त्थ इयासेस- णरिंद-लोभ संपत्तो कुसुमहरं उज्जाणं 33 तस्य य अवष्णो, पाए गंतुं पयतो दिट्टो व तेण सो मुणिवरो अव-मुणि-सय-परिवारो णक्वत्त-सहस्य-मज्जा-गो 3 ) P पुव्वसंग मिया । पुन्वंमि एस. 4 ) P दासो, लिहिओ for विहिओ, कुवलयमालाय, कुवलयमाए बोहेत्थं 5 ) P व चंते णरवर अपहे, अद्धवओ for अद्धपहे, P एत्थ for तत्थ. 7) तर हरितलवण हरित 8 ) P एस for आसि. 9 ) P मउलि for मंडल, P णिसामेत्ता. 10 P रिक्षिणा 11 ) P एसो मो सुमो धमधम्माण ।. 12) P मरगल, Pom. मुत्ताद्दल, वरभुवणं, P -भवण, ण उणा, उ इमं धम्मं. 13 ) J Piuter सुई & लक्खण, Jom, महा, P संपयकरो 14 ) पिहुलु तुंगपओहर, P णिउणो for ण उणो. 15 ) सुहभरियं P सतभरियं पाविज्जह णइ णरवर. उ णरवइ for णरवर. 16) P सलभोगसंपत्ती, P कत्तो for पत्तो. 17 ) ता for तो, अह for ह. 18 > Padds जं before सचं, जेणम्हे वलिअउत्तिमंगो जाओ. 19 J उअलद्धो. 21 ) Pणोम for णामे, चेतिअहरे, 3 inter. कुणह & कायन्वं, पभाए. 22 ) / चेतिभहरं चेअ गमिस्सं ति, P चेईहरं, Pom. चेय, Pom. त्ति 23 ) P अभिनिदिऊण, P णरवती. 24 Jom. वंदिऊण to पेच्छणिजे 25 ) Padds पायन्त्रे before सन्वहा, " तओ बिरूवयं, P भंडायारो. 26 ) Pom. त्ति, adds जइ before इमेण, कोइ for कोवि, आयट्ठा P 27) सव्वा वि आरिआ P सव्वाहि आयरिया, Pom. घोसेसु, P सिंघाडय 28 ) P बंधिसु, P om. तं. 29 ) P णरवती. 30 ) Pom. य, P ण्हाइगुर, P सुगंध. 31 J सरीरो दाम महामनोहरी, पूजयाविण, P वर Pom. 4. 32 पत्तो for पयट्टो, मणहरो, P कुसुमहरउज्जाण. 33) परिवारो. 12 15 २०८ [ ६३२४ Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१३२६] कुवलयमाला 21 । विव सरय-समय-सस्सिरीओ ससलंछणो अलंछणो त्ति वंदिओ भगवं राइणा कुमारेहिं महिंदप्पमुहेहि य सव-णरवई हिं।।. भणियं च णरवइणा बद्ध-करयलंजलिणा 'भगवं, णियय-दिक्खाए कीरउ अम्हाणं पसाओ' ति। गुरुणा भणियं 3 'भो भो णरणाह, किं तुह पडिहायइ हियए एसो धम्मो जेण दिक्खं गेण्हसि' त्ति । राइणा भणियं 'अवस्सं मह 3 हिययाभिमओ तेण दिक्खं पवजामो' ति । भगवया भणियं 'जइ एवं, ता अविग्धं देवाणुप्पिया, मा पडिबंधं करेसु।' णिरूवियं लग्गं जाव सुहयरा पावग्गहा, सम-दिहिणो सोम्मा, वट्टए जिणमती छाया, अणुकूला सउणा । इमं च 6 दट्टण गुरुणा पुलइयाई सयल-रिंद-मंति-महल्लय-बयणाई । तेहिं भणियं । 'भगवं, एसो अम्ह सामी, जं चेय इमस्स 6 पडिहायइ तं अम्ह पमाणं' ति भणिय-मेत्ते गुरुणा सज्जावियं चेइहरं, विरइया पूया, अलियाओ धयाओ, णिम्मजियं मणि-कोट्टिमं, पहाणिया तेलोक-बंधवा जिणवरा, विलित्ता विलेवणेणं, आरोवियाणि कुसुमाणि, पवजियाई तुराई, 9 जयजयावियं जगणं । 'अह णरवई पव्वजमब्भुववज्जइ' त्ति पयट्ट-हलबोल-बहिरियं दिसियकं ति । तओ परवइणा वि 9 भोयारियाई आहरणयाइं, णिविखत्तं पढेंसुअ-जुवलयं, विरइओ तकालिओ महाजइ-वेसो, परिसंटिओ जिणाणं पुरओ। पणमिए भगवंते अप्पियं बहु-पाव-रओ-हरणं रयहरणं, उपाडियाओ कुडिल-तरंग-भंगुराओ माया-रूवाओ तिपिण 12 केसाण अट्ठाओ, उच्चारिय तिण्णिवारं भव-सय-पावरय-पक्खालणं सामाइयं ति । आरोविओ य मंदर-गिरि-गल्ययरो 12 पव्वजा-भारो ति । पणमिओ मुणिवर-पमुहेहिं बंदिओ य कुवलयचंदप्पमुहेहिं सव-सामंत-मंति-पुरोहिय-जण-सय सहस्सेहिं, उवविठ्ठो गुरू रायरिसी सम्बो य जणवओ। 15६३२६) सुहासणत्थस्स य जणस्स भणियं गुरुणा । अवि य । चत्तारि परमंगाणि दुल्लभाणीह जंतुणो । माणुसत्तं सुई सद्धा संजमम्मि य वीरियं ॥ कहं पुण दुलहं मणुयत्तणं ताव । अवि य । 18 जह दोगिण के वि देवा अवरोप्पर मंतिऊण हासेणं । एको घेत्तुं जूयं भवरो समिलं समुप्पइओ ॥ जो सो जूय-करग्गो वेगेणुद्वाइमो दिसं पुन्वं । समिलं घेत्तण पुणो भावइ अवरो वि अवरेण ॥ जोयण-बहु-लक्खिल्ले महासमुद्दम्मि दूर-दुत्तारे । पुन्वम्मि तओ जूयं अवरे समिलं च पक्खिवह ॥ पविखविऊण देवा समिलं जूयं च सायरवरम्मि । वेगेण पुणो मिलिया इमं च भणिउं समाढत्ता ॥ पुव्वम्मि तडे जूयं अवरे समिला य अम्ह पक्खित्ता । जुग-छिड्डे सा समिला कइया पविसेज पेच्छामो ॥ अह पेच्छिउं पयत्ता सा समिला चंड-वाय-वीई हिं । उच्छालिज्जइ बहुसो पुण हीरइ जल-तरंगेहिं ॥ 24 उन्वेल्लिज्जइ बहुसो णिचोला जाइ सायर-जलम्मि । मच्छेण गिलिय-मुक्का कमढ-णहुक्कत्तिया भमइ ॥ गीलिज्जइ मयरेणं मयर-कराघाय-णोलिया तरइ । तरमाणी घेप्पइ तंतुएण तंतू पुणो मुयइ ॥ सिसुमार-गहिय-मुक्का पइसइ कुंभीरयस्स वयणम्मि । कुंभीर-दंत-करवत्त-कत्ति-उक्कत्तिया गलइ ।। 27 गलिया वि मच्छ-पुच्छच्छडाहया धाइ गयण-मग्गेण । गयणावडणुल्ललिया घेपइ भुयगेहि विसमेहिं ॥ विसम-भुयंगम-डक्का घोर-विसालुखणेण पजलिया। विज्झविया य जलेणं हीरद पवणेण दूरयरं ॥ हीरंत चिय वेवइ अणुमग्गं हीरए तरंगेहिं । मुज्झइ विद्म-गहणे घेप्पइ संखेहि विसम-कयं ॥ 30 धावइ पुवाभिमुहं उद्धावइ दक्खिणं तडं तत्तो। वच्चइ य उत्तरेणं उत्तरओ पच्छिमं जाइ । तिरियं वलइ सहेलं चेलं पुण वग्गिरा तरंगेसु । भमह य चकाइद्धं मजइ आवत्त-गत्तासु ॥ इय सा बहु-भंगिल्ला गह-गहिओम्मत्तिय व्व भममाणी । जलमइय-जीव-लोए सायर-सलिले य पारम्मि । 33 अच्छेज भमंत चिय किं पावइ णिय-जुवस्सत छिडूं। सा सयलं पिहु खुटुं देवाणं आउगं ताण ॥ 1) Pससिलंछणो. 2) करयंजलिणा, P-दिक्खए, J अम्ह for अम्हाणं. 3) P पडिहायप, J गेण्डादि त्ति, P अबरस. 4) पवज्जामी, P विदग्ध for अविग्ध, मा बंध. 5) Pपावगहा सम्मदिहिगो सोमा बट्टए जिगसमती. 6) दट्टण गुणा पलोइयाई. 7) पम्यिाद, J भणिय, मेते, P सिज्जावियं चेईहरयं. 9) Pणरवद पध्वजमब्भु', हलबोलं विहरियं. 10) ओयावियाई आदरणा, Pणिक्खंतं for णिक्खित्त,J जुअलयं, Padds णियत्थं हंससारसमं वत्थजवलयं before विरइओ.. 11) P पणामिए, P अधिय, बहुपावरयंसुअजुालयं । णियत्थं हंससारसम वत्थजुवलयं । विरइओ तकालिओ महाजइवेसो एरिसं ठिओ जिणाणं पुरओ पणामिए भगवंति अप्पियं बहुपावरयं ओहरणा for बदुपावरओहरणं, P उप्पाडिओ, P om. कुडिल, मायासबाओ. 12) P तिण्णिवाराओ भव, पावरयहरपक्खालणं, आराविओ, P गरुयरो. 13) J मुणिवरमुहे हिं, P om. कुवलय, परोहियजणसएहि, 14) Padds HिI before सम्बो. 15) P जणत्थरस for य, P भणितं. 16) P परंपरमंगणि, J दुलभाणि अजंतुणो. Pदुलहाणीह, J सत्था for सद्धा. 17) P माणुसत्तर्ण for मण्यत्तणं. 18) P दोहि. 19) P दिसि पवि. 20) Pच क्खिवद. 21) मणिउ. 22) P तओ for तडे, अच्छिद्दे, Pएसज्ज for पविसेज्ज. 23P पेच्छिओ. p बीतीति 24) P उत्योलिज्जद, गिव्योल. 25) जीलिज्जद, P मगरेणं, P मुणा for पुणो. 26) J पविसंह, P भमद for गलइ. 27) Pom. मच्छ, J गयणापरणुलज्जिया, J भुअएहिं विसमवयणेहिं ।।. 28) P विज्झावियजलेणं. 29) P हरत्ति for हीरंत, मिससंक for विसमकयं.30P पुव्याहिमुई, Poin. तड, Pउरओ for उत्तरओ, P जाओ for जाइ. 31) Pतिरिय, - वेलं, तरंगेत्तासु, P om.2nd line ममइ etc. 32) P repeats य. 33) जुअलस्स for णियजुवस्स, P has blank space for सा सयलं पि हु खुह. 27 Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१० उज्जोयणसूरिविरइया . एसो तुह दिटुंतो साहिज्जइ अबुह-बोहणट्ठाए । जो एस महाजलही एसो संसार-बासो त्ति ॥ जा समिला सो जीवो जं जूयं होइ तं खु मणुयत्तं । जे देवा दोणि इमे रागदोसा जियस्स भवे ॥ अह तेहिं चिय समिला उक्खित्ता णवर मणुय-छिड्डाओ। परिभवइ कम्म-पवणेरिया व वरं भव-समुद्दम्मि ॥ अह राग-दोस-वसओ चुक्को मणुयत्तणाओ सो जीवो । चउरासीति-सहस्से सयाण मूढो परिब्भमइ । मणुयत्तणाउ चुक्को तिरिक्ख-जोणीसु दुक्ख-लक्खासु । भमइ अणतं कालं णरएसु य घोर-रूवेसु ॥ अह राग-दोस-दालिद्द-दुक्ख संताव छिण्णासो । कम्म-पवणेण जीवो भामिजइ कहिय समिल व्य । कालेण अणतेण वि सा समिला जह ण पावए टिई। तह मणुयत्तण-चुक्को जीवो ण य जाइ मणुयत्तं ॥ ३२७) भणियं च गुरुणा। है जह समिला पब्भट्ठा सायर-सलिले अणोरपारम्मि । पविसेजा जुग-छिडु इय संसइओ मणुय-लंभो ॥ पुव्वंते होज जुयं अवरते तस्स होज समिला उ । जुय-छिडुम्मि पवेसो इय संसइओ मणुय-लंभो ॥ सा चंड-वाय-वीई-पणोलिया वि लभेज जुय छिटुं । ण य मणुसाओ चुक्को जीवो पुण माणुसं लहइ.॥ अह मणुयत्तं पत्तं आरिय-कुल-विहव-रूव-संपणं । कुसमय मोहिय-चित्तो ण सुणइ जिण-देसियं धम्मं ॥ कहं । जह काय-मणिय-मज्झे वेरुलिओ सरस-विहव-संठाणो । इयरेण णेय णजइ गुण-सय-संदोह-भरिओ वि ॥ एवं कुधम्म-मज्झे धम्मो धम्मो त्ति सरिस-उल्लावो । मोहंधेहिँ ण णजइ गुण-सय-संदोह-भरिओ वि ॥ जह णल-वेणु-वणेसु कह वि तुलग्गेण पाविओ उच्छू । ण-यगंति के वि बाला रस-सार-गुणं अलक्खेंता ॥ तह कुसमय-वेणु-महावणे वि जिणधम्म-उच्छु-वुच्छेओ । मूढेहि णेय णजइ सुह-रस-रस-रसिय-रसिओ वि ।। जह बहु-तरुवर-गहणे ठवियं केणावि कप्पतररयणं । पुरिसेहि णेय णजइ कप्पिय-फल-दाण-दुल्ललियं ॥ तह कुसमय-तरु-गहणे जिणधम्मो कप्प-पायव-समाणो । मूढेहिँ णेय णजइ अक्खय-फल-दाण-सुहओ वि॥ जह मज्झे मंताणं मंतो बहु-सिद्धि-सिद्ध-माहप्पो । असयण्णेहिँ ण णजइ सरिसो सामण्ण-मंतेहिं ॥ तह कुसमय-मंत-समूह-मज्झ-परिसंठिओ इमो धम्मो । असयण्णेहिँ ण णजइ सिद्धि-सयंगाह-रिद्धिल्लो ॥ जह सामण्णे धरणीयलम्मि अच्छइ गिहित्तयं अत्यं । अबुहो ण-याणइ च्चिय इह बहुयं अच्छइ णिहाणं ॥ तह धम्म-धरणि-णिहियं जिणधम्म-णिहाणयं इमं सारं । अबुहो ण-याणइ च्चिय मण्णइ सरिसं कुतित्थेहिं ॥ इय णरवर जिणधम्मो पयडो वि णिगूहिओ अउण्णाण । दिढ पिणेय पेच्छइ ण सुणइ साहि जमाणं पि ॥ अह णिसुयं होइ कह पि तह वि सद्धं ण सो कुणइ । मिच्छा-कम्म-विमूढो ण-यणइ जं सुंदरं लोए॥ जह पित्त-जरय-संजाय-डाह-डझंत-वेविर-सरीरो । खंड-घय-मीसियं पि हु खीरं अह मण्णए कडुयं । तह पाव-पसर-संताव-मूढ-हियओ य अयणओ कोइ । पायस-खंड-सम-रसं जिण वयणं मण्णए कडुयं ॥ जह तिमिर-रुद्ध-दिही गयणे असंते वि पेच्छए रूवे। संते वि सो ण पेच्छइ फुड-वियडे घडय-पड-रूवे ॥ तह पाव-तिमिर-मूढो पेच्छइ धम्म कुतित्थ-तित्थेसु । पयर्ड पिणेय पेच्छइ जिणधम्मं तत्थ किं कुणिमो॥ जह कोसिय-पक्खि-गणो पेच्छइ राईसु बहल-तिमिरासु । उइयम्मि कमलणाहे ण य पेच्छइ जं पि अत्ताणं ॥ तह मिच्छा-दिट्ठि-जणो कुसमय-तिमिरेसु पेच्छए किं पि । सयलुजोविय-भुयणे जिणधम्म-दिवायरे अंधो । जह अग्गिंधण-तत्ते जलम्मि सिझंति बहुयरा मुग्गा। कंकदुया के वि तहिं मगयं पि ण सिज्झिरे कढिणा ॥ तह धम्म-कहा-जलणेण तविय-कम्मस्स पाव-जीवस्स । कंकदुयस्त व चित्तं मणयं पि ण होइ मउययरं ॥ 33 जह मुद्धड-बालयओ टुक्का वग्घीऍ जणणि-संकाए । परिहरइ पुणो जणगी मूढो मोहेण केणावि ॥ 1) Pसंसारे वासो. 2) Pसा for सो, न तु for खु,J सढभावा for भवे. 3) J जीजीय for चिय, J उत्थाणिआ for उक्वित्ता णवर,J om. 2nd line परिभवइ ete., Rather चिरं for व वरं. 4) P परिभगइ. 5) लि.क्वेसु,' त for य. 6) P-दोसदालिद्द, J ndds ताव after संताच. 7) F वह वि for जह ण, J मणुअत्ते ।। 9) सागर, पविसेज्ज जुअच्छिद्धं, Pom, इय संसइओ मणुयलंभो etc. 10 लभेज्ज जुयछिद्रं ।।. 10) J पुञ्चतो, समिला तु . 11) Jचंडवात, J पणोलिया. 12) P संपुण्णं |, J कह for कई. 13) Pकह for जहJ वेरुलिआ सरिसवयणसंठाणा। 14) J कुद्धम्म, P सरिसोलाओ, J मोइंधेण. 15) P विओ for पाविओ, J उच्छ, J रसभार, P अलक्स वा. 16) 'जह for तह, Jadds हो after तह, Pकुसुमय, J विच्छेओ Pबुच्छोओ, Pou. रसिय. 17) P तरुयर, P कप्पतरुरयं । 18) 'कुसुमय 19) Pom. before णजद. 20) कुसुमय. 21) Jadds अ before णिहित्तयं, अ for दाह, J अच्छा अत्थं ।।. 22) Prepeats धम्म, r repeats the line अबुद्धो न याणइ चिय अइ बुयं अच्छद निहाणं | after सारं।. 24) P होती की,Jadds अ before सद्ध, सई, Pण for ण सो कुणइ, Pजह for जं. 25) जय for जरय,J -टोहडशत्ति, P मीसयं, Jहुधीरं. 26) संताप for संताब, Pom. य, P अयाणुउ को दि. 27) JP गयणे संते, " पेच्छ, ' om. रूवे। संते वि सो ण etc. to पिणेय पेच्छद. 28) P तुसिमो for कुशिमो. 29) P पक्खिगगो, P -तिमिरेसु. 30) कुसुमय, P-भुयशो. 31) P-तत्तो, किंकदुवा, J मणायं, J सिज्झिरे कढिणे, better सिजति, सिजिरे. 32) किंकदुयरस ।' कंकडवरस, वि for व, P मणुयं. 33) J मुद्धडयालसओ, उ बग्घीय, १ जणणी, मेहेण for मोहेण. Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5 -२३२८ ] कुवलयमाला वह सुद्धो कोई जिलो कुसमय वग्पीस कर सुहत्थी परिहरइ जिणागत्तिं जणणि पिव मोक्ख-मग्गस्स ॥ इस पारवर केंद्र जिया सोऊण वि जिणवरिंद्र-वयणाई ण य सदहंति सूडा कुणंति बुद्धिं कुतिरपे ॥ अह कह विकम्म विवरेण सद्दहाणं करेज एस जिओ । अच्छइ सदहमाणो ण य लग्गइ णाण - किरियासु ॥ अभयट-तटे पुरिसो पयलाय गुणइ जद पटीदामि ण य वच सम-भूमिं नमो जाणिवटिलो तत्थ || तह गरय-त्र-तड-पडण-संडिनो कुणइ पाव-पलाओ। तब नियम- समं भूमिं ण व वचद विडियो जाय ॥ जद सयल-जणिय काणण-वण-देव-दत-भीसणं जलणं दद्रूण जाणइ णरो झिज सो ण व पलाइ ॥ तह सत्तु-मित्त घर-वास-जलन- जालावली- विलुट्ठो वि । जाणइ उज्झामि अहं ण य णासइ संजमं तेण ॥ जह गिरि-इ-वेय-वियाणुओ वि मज्जेज गिरि-इ-जलम्मि । हरिऊण जाणमागो णिजइ दूरं समुदम्मि || तह पाव-पसर-गिरि-इ-जल-रथ-हीरंतयं मुणइ जीवं ण य लग्गह संजम-तस्वरम्मि जा विडिओ गरए जह कोइ परो जाणइ एसो चोरेहिं सूसए साधो ण व धावद गामंतो जा मुलिओ दुटु चोरेहिं ॥ तह इंदिय-चोरेहिं पेच्छइ पुरओ मुसिजए लोए । जाणइ अहं पि मुसिओ संजम-गामं अलियइ ॥ जह कोइ चोर-पुरिसो जाणइ कइया वि होइ मह मरणं । ण य खो परिहरइ वयं जाणतो पाव-दोसेण ॥ वह पात्र चोरियाए गिलो जीवो निषाण दुक्खं जाणतो वि ण चिरमइ जा पाच णरय-निगाह ॥ इस णरवर को पावर मणुबत्ते पालिए वि जिण वयणं । शिसुए चि कस्स सदा कत्तो वा संजमं लहइ ॥ तेण णरणाह एवं दुलहं भव- सायरे भमंतस्स । जीवस्थ संजमं संजमम्मि अह वीरियं दुलहं ॥ तुम पुण संपत्तं सम्मत्तं संजमं च विरियं च । पालेसु इमं णरवर आगम-सारेण गुरु-वयणं ॥ धम्मम्मि होसुरतो किरियाए तग्गओ रम्रो झाणे। जिन वयण-रलो णश्वर विरओ पावेसु सय्येसु ॥ होसु दढव्य-चित्तो णित्थारग - पारगो तुम होसु । वढ्ढसु गुणेहिँ मुणिवर तवम्मि अच्चुजओ होसु ॥ भावे भावणाओ पालेसु वयाइँ रयण-सरिसाईं । कुण पावकम्म खवणं पच्छा सिद्धिं पि पावेसु ॥ ति । ९ ३२८ ) एवं च णिसामिकणं भगवं दढवम्म-राय-रिसी हरिस-वसुल्लसंत-रोमंचो पणमिश्र चलणेसु गुरुणो, भणियं च 'भगवं अवि य TANTRIES २११ 3 6 12 15 अजेय अहं जाओ अजय संवडिओ टिनो र मण्णामि कथं अप्पयं पजा एस पवइओ ॥ जं जं मह करणिजं तं तं तुम्हेहिँ आइसेयच्वं । जं जं चाकरणिज्जं तं तं पडिसिज्झह मुणिंद ॥ ' त्ति । 24 | | गुरुणा भणियं । ' एवं हवउ' त्ति भणिए चलण-पणामे अब्भुट्टिको बंदिओ सयल-सामंत-चक्केण कुमारेण य । णायर-जणो वि कय-जय-जय-सदो अभितो आगओ णयरिं गरिंद-लोमो वि 'अहो महासतो महाराया ददवम्मो' चि भणतो नागंतु पयतो तभो गुरुणा वि महाराया काशविओ तकालियं करियध्वं ति एवं च करेंतो कायम्वाई परिहरंतो अकाबाई, 7 भतो भणियव्वाणि, अभणतो अभणियव्वाई, जंतो गम्माणि, वजेंतो अगम्माणि, भुंजतो भक्खाणि, अभुंजतो अभक्खाणि - 27 पियंतो पेयाणि, परिहरंतो अपेयाणि, इच्छंतो इट्ठाणि, वज्जेंतो अणिट्ठाणि, सुर्णेतो सोयव्वाणि, अवमण्णंतो असोयव्वाणि, पसंत पसंसािणि, उयेक्लंतो अपसंसािणि पंतो वंदनिखाणि वर्जितो भवेदणिजाणि, जिंतो संसार वासं, पलं, 10] संतो जिनिंद-पर-मति अयि । 1 कजाकज्ज-हियाहिय- गम्मागम्माइँ सव्व कज्जाई । जाणतो च्चिय विहरइ किंचिम्मेत्त-परिसेस-कम्मंसो ॥ त्ति । 3 ) J Pom. 2 ) P इय नर को वि, बुद्धी 5 ) Pनयर for णरय. 6 ) P तण for दव, P वियाणओ. 9 ) P सुइ for मुण, P -तरुयरंभि. 13 ) J जीओ, व विरइ for विरम, P -निगमणं. 11) P 14) J 1 ) J को वि, P कुसुमय, वग्घीय, P जिणाणत्ती जगणि, P मोक्खसारस्स. રાવળાં ગદ કર્યું . 4 ) J सुपर for मुणइ, एत्थ for तत्थ. three lines दट्ठण जागर णरो etc. to संजमं तेण ॥. 8 ) adds y before पुरो, P - गाम. 12) P पावदोसेहिं. पावि for पाविए, सिद्धा कत्ता. 15) P दुलहं भवसागरे, P वीरियदुलई. 16 ) P च विरईयं ।. 17 ) Pom. रजो, P ज्झाणे, inter. णरवर & विरो, P पावसु. 18 ) र गित्थरया, P अब्भुज्जओ 20 ) P भयवं, P - वसुच्छलंतरोमिंचो पणाभिओ, ए गुरुणा, Pom. भणियं च- 22 ) आउ for जाओ, P ट्ठिओ, P अप्पियं च जाए पाइओ. 23 ) तुभेहिं for तुम्हेहिं, " आयसेयव्वं, जे च न करणिज्जं, उ परिसिज्झह P पडिसिद्ध. 24 ) हवतु, हणिए for भणिए, पामभुडिओ, P पणाने पभुट्टिओ य बंदिओ य सयल, गायरजणेहि कय 25 ) P अभिनंदिऊग, P नरिंदलोर, J om. वि, P आहो for अहो, J दढवम्भदेवो, P दढधग्मो. 26 ) J पत्ता, adds तं before तओ, P कारिओ तकालिय किरियब्वं, P करंण्णो for करेंतो27 ) Pom. गर्गत भणियव्वाणि, J om भणियब्वाणि अभगतो, P वज्र्ज्जती, om. भुंजतो भाखाणि, P भुज्जंतो for भुजंतो (emended). 28 ) P पेयाणि for अपेयाणि, P असुर्णेतो for अवतो. P reports अतो for वर्जितो. 31) जागतो विहर के किंचिमेत्तपरिसेय- 29) for वंदतो, P वंदनियाणि, 18 21 30 Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 9 3 6 12 15 उज्जोषणसूरिविरहया ३२९) एवं च तस्स गुणिणो वा कालो कुवलयदस्य । पुण असेस गरिंद-मंद-मंडली-मउड-कोटि-विद म-सिमानमसि णिव चलन पट्टस्स वोलीणाई सतवास-लखाई रजे करेंतस्स । एवंतरम्मि पडम सरस देवस्स के तो वह पत्तो । अविव । २१३. जायइ आसण-कंपो छाया परियलइ गलइ माहप्पो । विमणा य वाहणा परियणो य आणं विलंघेह ॥ ततं च जाणि तख खणमेकं परिचिंतिऊण दीन-विमण-दुम्मण-हियएण वियारियं हियए । मा होह रे वसन्जो जीव तुमं निमण दुम्मनो दीणो ण हु चितिएण फिर से दुक्ख जे पुरा रइयं ॥ जह पहल पावा व दरि गुहा समुद्दे वा पुण्य कमाउ ण मुंचसिता वायसे जइ वि ॥ जइ यस वलसि वेवसि दीणं पुलए सि दिसि - विदिसिय के । हा हा पलवसि विलवसि चुक्कसि कत्तो कर्यताओ ॥ जइ गासि धासि दुम्मण मुज्झसि अह लोलसे धरणिवट्टे । जंपसि मूओ व्व ठिओ चुक्कसि ण वि तं कयंताओ ॥ जं चैव कर्य से पेय भुजसे गधि एत्थ संदेहो अक को पाविसि जह जि सयं देव-राओ ति ॥ मा हो जुरह पुरिसा विवो णत्थि ति अम्ह हियगुण जं पुण्यं चित्रण कयं तं कत्तो पावसे पुि मा हो मज्जह पुरिया विवो अम् ति उत्चुणा हियए । किंपि कयं सुकयं वा पुणो वितं चैव भे कुणा ॥ होऊण अभ्छ ण हुयं मा दीणा होह इय विचिंतेह | काऊण पुणो ण कथं किं पि पुरा सुंदरं कम्मं ॥ ता एत्तियं मए चिय सुयं सुकयं ति अण्ण-जन्मम्मि एसियमेतं कालं जं भुतं मति दिय लोए ॥ जेहिं कर्म सरिसेहिं पुचम्मदण-सम ते सच्चे मह सहया पुत्रयरं पालिया पढर्ण ॥ चिय विहये चिश्वश्यं आसि काल-परिणामं । एवं ठियम्मि किं जह अप्पार्ण देमि सोयस्स ॥ 1 वाम [ ३२९ । ३३० ) वा जं संपद संपत काल से चैव काहामि ति आगओ अयोज्झा-पुरवरिं दिट्टो राया कुवलयद 18 कुवलयमाला य साहियं च ताण जहा 'आहे अमुग-मासे अमुग- दियहे तुम्छ पुतो भवीदामिति । ता इमाई पउमकेसर णामकिवाई दिवाई कय- कोंडल-कंठाभरणादीबाई आभरणाई गेण्डद इमाई प मह पसरमाण-बुद्धि- बित्थरस्स परिषग्वाई । जेण इमाई बहु-काल-परिहियाई पेच्छमाणस्स मह जाईसरणं उपपज्जइति । पुणो जेण उप्पण्ण-पुव्व-जाई - सरणो 21 संजाय बेरग्गो ण रज्ज-सुहे खुडु विमगं करिति । किंतु भव-सय सदस्य दुछदे जिण मग्गे रहूं करेमि ति भणमाणेण 44 समपियाई आभरण्याई । उप्पइओ य णहयलवहं संपत्तो सगं । तत्थ य जहा-तव-विहवं पुणो वि भोए भुंजिउं पयत्तो एवं च वर्धते दिवस तम्म पेव पठमकेसर देव दिषणे ओहि दिय उमईए कुवलयमाला उपयोगभो 24 जहासु च मणोरह-सय-सप संवदियो । जिय-काल मासे व संपुष्ण-सयल दोलाए सुकुमाल-पाणि-पानो जानो मणिमय वाउलओ विय दारओ ति । सो य परिवाडीए वढमाणो गहियासेस-कला-कलावो पसर माण- बुद्धि- वित्थरो जाओ । तओ तस्स य से णामं पुष्व कयं चेय मुणिणा पुहइसारो ति । तओ तस्स समोपियाई ताई आभरणाई । ताणि 22 य पेच्छमाणस्स 'इमाई मए दि-पुन्वाई' ति दाह-मग्गण-गवेसणं कुर्णवस्त्र शन्ति जाईसर समुप्पण्णं वनो संभरिय पुव्व- दुक्खो मुच्छिभ पडिओ धरणिवट्टे । ससंभ्रमं पहाइएण य सित्तो चंदण-जलेण सहयर-सत्येणं ति । तभ आसासिभो चितिडं पयत्तो । 'अहो, तारिसाइं सग्गे सुहाई अणुभविऊण पुणो वि एरिसाई तुच्छासुद्द-गिदियाई भइ मणुय-सुहाई जीयो अभिल तिरिन्धु संसारवासस्स अहवा चिरत्थु जीवस्स अहवा धिरधु कम्मस्स अहवा पिर दोसाणं | अहवा धिरत्धु पुणो वि इमस्स बहु- दुक्ख सहस्साणुभव - णिन्विलक्खस्स णिय-जीव-कलिणो, जो जाणतो वि दुक्खाईं, वेतो वि सुहाई, बुज्झतो वि धम्मं, वेयंतो वि अहम्मं, पेच्छतो वि संसारं, अणुभवतो वि वाहि-वियारं, वेवंतो 1) मुदिर, निवसेस for पुन असेस, कोडी 2) गणाम सिणी अबोली- 3) प for वट्टिउं, Pom. अवि य. 4 ) P विमणो, P परियणा वि आणं विलंघेति 5 ) 3 एवं for तं, हियएणावि आवि अहिअए. 6 ) P होभि for होह, दिट्ठइ for फिट्टर, P इयं for रइयं. 7 पयससि, P गुहं, P मुंचणि for मुंचसि, खाइसे. 8 ) 3 दस- for दिति, विलवसि for पलवसि. 9 ) P वासि for घासि, Pom. अह, P लोलसि, 3 अउ for मूओ, कत्तो for वि तं. 10 ) P जं चिय कयं तं चिय भुंजसि, पावर for पाविसि. 11) विओ णत्थि, मज्झ for अम्ह, 3 inter. तं & कतो, P पावसे इन्ह ॥ 12) P म हो गव्वह पुरिसो, अअं for अम्हं, P अनुणो for उत्तणा, सुकयं हो पुणो वि. 13) वितेह 15 > P जे कहिं, सयरया for सहया 16 ) P विवो चिरयरं, आसि परिमाणं, " अत्ताणं. 17 ) P जं तं for ता जं, Padds कायव्वं before तं चेय, P चेय कहामि, P आउज्झापुरवरिं- 18 Pm च, 3 adds य before तुम्ह, Pom. त्ति, om. ता, J adds च after इमाई, P पउमसारणामं कियाई किं दिव्वाई. 19 ) कणय for कटय Pom. भरणा, आहरणाई. 20 ) Pom. जेण इमाई, J जातीसरणं, P जाइसरणं उज्जइत्ति, जातीसरणो य जातवेरग्गो ण रज्ज सहेसु ठाइ म करइस्सं किंतु सय सय सदस्स दुर्लभे, P जातिसरणो. 21 ) P जिणमग्गो, " भणमाणे समप्पियाइ आभणयाई. 22 ) Pom. उप्पइओ य हयलव etc. to समोपियाई ताई आभरणाई 23 ) J उमतीए 24 ) J कुसुमाल for सुकुमाल 27 ) दिट्ठा पुब्वाई ति, P करेंतस्स for कुणंतरस, Pom. झत्ति, जातीसरणं. 28) भरणिव समान सिची 29 ) 31 ) P रागदोसाणं, P ) P पुत्तणो for पुणो, J om. वि, तुच्छासुई Pवच्छासुति, Pom. अइ, P मणुसुहाई 30 ) P अहिलसर P सहसाणुभव, Pणियजीवस्स वलियो जोणती वि. 32 ) P तो वि, Jom. वेयंतो वि अहम्मं, वाधिवियारं. Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३३१] कुवलयमाला २१३ प, तह वि पसत्तो भोएसु, उम्मत्तो विसएसु, गविओ अत्थेसु, लुद्धो विहवेसु, थद्धो माणेसं, दीणो अवमाणेसु, । मुच्छिओ कुटुंबेसु, बद्धो सिह-पासेसु, गहिओ माया-रक्खसीए, संजमिओ राय-णियलेहिं, पलित्तो कोव-महाजलणेण, 3 हीरंतो आसा-महाणइप्पवाहेणं, हिंदोलिजंतो कुवियप्प-तरंग-भंगेहिं, दिण-पक्ख-णक्खत्त-करवत्त-दंतावली-मुसुमूरिभो ३ महाकाल-मञ्च-वेयालेणं ति। ता सव्वहा एवं ठिए इमं करणिज, पब्वज घेत्तूणं उप्पण्ण-वेरग्गो तव-संजमं करेहामि त्ति चिंतयंतो भणिओ वयंसएहिं । 'कुमार, किं णिमं सत्थ-सरीरस्स ते मुच्छा-वियारो' त्ति । तेण भणियं 'ममं आति उयरे 3 अजिण्ण-वियारो, तेण मे एसा भमली जाय' ति ण साहिओ सब्भावो वयंसयाणं ति । एवं च वञ्चतेसु दियहेसु अणिच्छंतो 6 वि अहिसित्तो जोयरज्जाभिसेए कुमारो, कुवलयचंद-राइणा भणिओ 'पुत्त, तुमं रजे, अहं पुण तुज्श महल्लओ त्ति ता करेसु रज' ति । कुमारेण भणियं 'महाराय, अच्छसु तुम, अहं चेव ताव पव्वयामि' त्ति । राइणा भणियं 'पुत्त, तुम अज वि 9 बालो, रज-सुहं अणुभव, अम्हे उण भुत्त-भोगा । इमो चेय कुलक्कमो इक्खागु-वंस-पुव्व-पुरिसाण जं जाए पुत्ते अभिसित्ते 9 परलोग-हियं कायवं ति । एवं भणियं सव्व-महल्लएहिं । ठिओ कुमारो। राया वि णिविण्ण-काम-भोगो पव्वजामिमुहो संजम-दिण्ण-माणसो मच्छिउं पयत्तो कस्स वि गुरुगो आगमणं पडिच्छंतो त्ति। 2 ६३३१) एवं च अण्णम्मि दिणे दिण्ण-महादाणो संमाणियासेस-परियणो राया कुवलयमालाए समं किं-किं पि 12 कम्म-धम्म-संबद्धं कहं मंतयंतो पसुत्तो। पच्छिम-जामे य कह-कह वि विबुद्धो चिंतिउं पयत्तो । अवि य। कइया खणं विबुद्धो विरत्त-समयम्मि काय-मण-गुत्तो। चरण-करणाणुयोग धम्मज्झयणे अणुगुणस्सं ॥ 1। कइया उवसंत-मणो कम्म-महासेल-कढिण-कुलिसत्थं । वजं पिव अणवज काहं गोसे पडिक्कमणं ॥ कड्या कय-कायव्वो सुमणो सुत्तत्थ-पोरिसिं काउं। वेरग्ग-मग्ग-लग्गो धम्मज्झाणम्मि वहिस्सं ॥ कइया णु असंभंतो छहम-तव-विसेस-सूसंतो। जुय-मत्त-णिमिय-दिट्टी गोयर-चरिय पवजिस्सं ॥ कइया वि इसिज्जतो जिंदिजतो य मूढ-बालेहिं । सम-मित्त-सत्तु-चित्तो भमेज भिक्खं विसोहेंतो ॥ कइया खण-वीसंतो धम्मज्झयणे समुट्रिओ गुणिडं । रागहोस-विमुक्को भुंजे सुत्तोवएसेण ॥ कइया कय-सुत्तत्थो संसारेगत्त-भावणं काउं । सुण्णहर-मसाणेसुं धम्मज्झाणम्मि ठाइस्सं॥ कइया णु कमेण पुणो फासु-पएसम्मि कंदरे गिरिणो । आराहिय-चउ-खंधो देहच्चायं करीहामि ॥ इय सत्त-सार-रहिओ चिंतेइ श्चिय मणोरहे णवरं । एस जिओ मह पावो पावारंभेसु उजमइ । घण्णा हु बाल-मुणिणो बालत्तणयम्मि गहिय-सामण्णा । अणरसिय-णिव्विसेसा जेहिं ण दिवो पिय-विक्षोओ ॥ धण्णा हु बाल-मुणिणो अकय-विवाहा अणाय-मयण-रसा । अद्दिटु-दइय-सोक्खा पवज जे समल्लीणा ॥ धण्णा हु बाल-मुणिणो अगणिय-पेम्मा अणाय-विसय-सुहा । अवहत्थिय-जिय-लोया पब्वजं जे समल्लीणा ॥ धण्णा हु बाल-मुणिणो उजुय-सीला अणाय-घर-सोक्खा । विणयम्मि वहमाणा जिण-वयणं जे समल्लीणा ॥ धण्णा हु बाल-मुणिणो कुटुंब-भारेण जे य णोत्थइया । जिण-सासणम्मि लग्गा दुक्ख-सयावत्त-संसारे ॥ धण्णा हु बाल-मुणिणो जाणं अंगम्मिणिबुडो कामो। ण वि णाओ पेम्म-रसो सज्झाए वावड-मणेहिं ।। धण्णा हु बाल-मुणिणो जाय च्चिय जे जिणे समल्लीणा । ण-यणंति कुमइ-मग्गे पडिकूले मोक्ख-मग्गस्स ॥ इय ते मुणिणो धण्णा पावारंभेसु जे ण वस॒ति । सूडेंति कम्म-गहणं तव-कडिय-तिक्ख-करवाला ॥ अम्हे उण णीसत्ता सत्ता विसएसु जोव्वणुम्मत्ता। परिवियलिय-सत्तीया तव-भारं कह वहीहामो ॥ पेम्म-मउम्मत्त-मणा पण?-लज्जा जुवाण-कालम्मि । संपइ वियलिय-सारा जिण-वयणं कह करीहामो॥ 33 सारीर-बलुम्मत्ता तइया अप्फोडणेक-दुल्ललिया । ण तवे लग्गा एहि तव-भारं कह वहीहामो ॥ 27 1) Pपमत्तो for पसत्तो, P विम्मत्तो for उम्मत्तो. 2) P कुटुंबेसु, P सिणिह, J रक्खसीमु, I रायणिअणेसु. 3) P महाणईपवाहेणं, P वियप्प for कुवियप्प, J णक्खरकरणत्त-. 4) P मधून, P एवं ट्ठिए. 5) P चिंतियतो, J किंणिमिश्र, P किण्णिमसत्य-, Jए for ते, P अउरे for उयरे. 6) J अजिण्णे, P वयंसाण त्ति ।, I om. च, I om. अणिच्छतो वि. 7) 1 अभिसित्तो, 8) Pom. अहं चेव ताव पव्वयामि ति राणा भणियं पुत्त तुमं, P _ for तुमं. 9) I भत्तमोआ, Pom. पुब्ध, Jadds य after अभिसित्ते. 10) परलोअहि, Jom. ति, मणिओ for भणियं, Padds त्ति after कुमारो. 13) P om. काम, Pom. य, P कहं विबुद्धो, P वितयंतो पयत्तो. 14) J पिबुद्धो for विबुद्धो, J धम्मज्झाणो. 16) P om. सुमणो. 17) यंभंतो for असंभंतो, P दिमिय for णिमिय. 20)P संसारे गंतु भावणा कउं, Pट्ठाइस्सं. 22) P सव्वसार. 23) P adds उज्जायसीला अणेय before बालत्तणयम्मि, P repeats बालत्तणयंमि गहिय साम(मि)ण्णा, P अणरि सिय P पिओ for पिय. 24) विआहा, P नयणरसा ।, P अदिट्टकदइय, P जेण for जे. 25)Jom. four lines from धण्णा हु बालमुणिणो अगणियपेम्मा etc. to जे समलीगा, P-जेयलोया, P अणेयधारसोक्खा. 27) कुटुंब, I णो छ।आ. 28) Jणिन्दुओ. 29) ३ कुमतमग्गे. 30) J पद्धृता. 31) P ववभार for तवभारं, 32) I -मयुम्मत्तमणा, P जुयाण, P करीकामो. ३3) अप्पोडणेक, P जरमरणवाहि विहुरा for ण तवे लग्गा एहि . Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया अगणिय- कज्जाकज्जा रागद्दोसेहिँ मोहिया तइया । जिणवयणम्मि ण लग्गा एहि पुण किं करीहामो ॥ जइबा थिए बलिया कलिया सत्तीए दप्पिया हियए । तझ्या तबे ण लग्गा भण एहि किं करीहामो ॥ 3 जइया विहर-देहा खत्ता तव संजमम्मि उज्जमिण व तया उजमियं हि पुण किं करीहामो ॥ जइया मेहा-जुत्ता सत्ता सयलं पि आगमं गहिउं । ण य तझ्या पव्वइया एहि जड्डा य बड्डा य ॥ इय विलिय-व-ज-ला संगमम्मि असमया। पच्छावाव-परदा पुरिया झिजेति चिंता ॥ जर तवा चिरमंतो सम्म महादुमस्स पारोहे अज दियहम्मि होतो सत्ये परमस्व-भंगिलो || 1 1 तया विरमंती सुय जाण महो वहिस्स तीरम्मि उतो अज-दिगं भरवाईं य सेस रयणाई ॥ जइ नया विरतो आहो जिण-परिस-पोयम्मि संसार-महाजाहिं लाए चैव तीरंतो ॥ जइ तइया विरमंतो तव-भंडायार- पूरियप्पाणो । अज्ज-दिणं राया हं मुणीण होंतो ण संदेहो || जइ तया विरमंतो वय-रयण-गुणेहिँ वढिय-पयावो । रयणाहियो त्ति पुज्जो होंतो सव्वाण वि मुगीणं ॥ जइ वया विरमंतो रज्ज महा-पाव संचय विहीणो झति खर्वेतो पावं वय-संमिओ अनंत पि ॥ जई वझ्या विरमंतो तब संजम गाण-सोसियावरणो णागाण के पि गाणं पायेंतो अइस एि इय जे बालत्तणए मूढा ण करेंति कह वि सामण्णं । सोयंति ते अणुदिणं जराऍ गहियाहमा पुरिसा ॥ या जइ कह पि पावर अम्हं पुण्गेण को वि आयरिभो । ता पव्वयामि तुरियं जलं म्ह रजेण पावेणं ॥ 1 12 15 २१४ ६ ३३२ ) इमं च चिंतयंतस्स पटिये पहाउय पाढगुणं । अनि य । हय- तिमिर- सेण्ण-पवडो विडिव-तारा भटो पण्डु-ससी विश्य-पयाय-पसरो सूरगरिंदो समुग्गमद ॥ इमं च सोऊण चिंतियं राइणा 'अहो, सुंदरी वाया-सउण-विसेसो । अवि य । गिजिय-गुरु- पाव तमो पणट्ट-गुरु-मोह-णरवइप्पसरो । पसरिय णाण-पयावो निण-सूरो उग्गओ एहि ॥ चिंतयंत जंभा-वस-वडिलमाण-भु-फलिहो, 'नमस्ते भोग निर्मुक नमस्ते द्वेष वर्जित नमस्ते जित मोहेन्द्र नमस्ते ज्ञान भास्कर ।' 1 2. इति भो समुह सपणाओ तो कुवलयमाला वि 'णमो जिणाणं, णमो निगाणे' ति भणमाणी संभम-वस- ललमान- 2 खलंतुत्तरिज्जय- वावडा समुट्टिया । भणिओ य णाए राया 'महाराय किं तए एत्तियं वेलं दीहुण्ह-मुक-णीसासेणं चिंतियं आसि' । राइणा भणियं किं तए लस्त्रियं तावतं चेय सासु पच्छा अहं साहीहामो' सि कुवलयमालाए भणियं । 24 "महाराव, मए जागिये जहा तया विजयपुरवरीए णीहरंतेग तए विण्णत्ता पत्रयण देवया जहा 'जइ भगवई, जियंत पेच्छामि गरणा, रजाभिसेयं च पावेमि, पच्छा पुर्त्त अभिविचामि पुणो पवनं अंते गेण्हामि । ता भगवद, देसु उतिमं सड'ति भणिय मेते सय-य-सणाणं उत्तिमं आयवन्त श्यर्ण समधियं पुरिसेणं तो तुम्हेहिं भणियं 'दए उत्तमो 27 एस सउणो, सब-संपत्ती दोहि मम्हाणे'ति । ता सम्बं संजाये संप पव्चना ज पेप्पड़' ति । इमं त चिंतियं' ति | 8: णरवइणा भणियं 'देवि, इमं चेय मए चिंतियं' ति । अवि य । I संपइ अहिसिंचामो संजम रजम्मि जइ लम्हे ॥ 18 पुहईसार- कुमारो अभिसितो सगल पुहइ रज्जम्मि 30 कुवलयमालाए भणियं । 'देव, [६ ३३१ जाव इमं चिंतन अणुदियां सूखमाण-हियएहिं ताव वरं रयमिणं तुरियो धम्मस्स गइ-मग्गो ॥' राइणा भणिवं । 'देवि, जइ एवं वा मग्गामो कवि भगवंते गुरुणो जेण जहा- चिंतिये काहामो' त्ति भतो राया ॐ समुट्ठिओ सयणाओ, कायव्वं काऊण समाढत्तो । 1) रायोसेहिं, P गोहिय तईया, P करीहार for करीहामो and then repeats four lines from बलुम्मत्ता तझ्या ctc. to एहि पुण किं करीहामो, J adds a line जइया मेहंजुत्ता सत्ता सयलं पि आगमं गहिउं which occurs at its place below ( line 4 ) 2 ) वितीय P वितीए for थिईए, बलिया for कलिया, दूणिया for दप्पिया 3 ) P उज्जमियं, P तझ्या उज्जमिया 4 ) P सयलंमि आगमं, P एहिं जड्डा. (5) परद्धा परिम्म हिज्जेति 6 ) P भंगिले. 7 ) Pom. य, P सीस for सेस- 8 ) P सइया for तश्या र पोतम्मि. 9 ) P पूरियप्पण्णो. 10 ) P रयणायरोति पुरिसो होतो. 11) संचिय, P ज्झत्ति, P अनंतंमि. 12) P सोहिया भरणो. 13 > P सामणं - 14 ) P कोइ for को वि, JP अलम्ह 16) Jom. राडी, निविविसि for सि. 17) रो 19 ) P चिंतयं भावसलिलि ओबेलमाणुभुय. 21 ) Jom. गमो जिगागं ति P संभव, P ललमागंतुत्तरिज्जग 22 ) तुत्तारे जंतय. 23 ) P रायणा, तं चिय, साहिगोत्ति 24 ) Jom. महाराय मए जाणियं, विजयपुरीए 25 ) P अभिसंचयामि, वत्तिमं for उत्तिमं 26 ) Pom. दब्ब, P उत्तमं P repeats उत्तमं आयवत्तरयणं, तुम्भेहिं for तुम्हेहिं P चइए for द. 27) होही for होहिंदू, P सव्वत्तं जायं संपयं पव्वज्जा, J adds च before तए. 28) J adds y before देवि . 29 ) [ असहिसितो सुयलपुर जंगि. (31) P (नितिज्जंति, P गतिमग्गो. 32 ) देव for देवि, कल्थ for कत्थवि. 1 30 33 Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६.३३४ ] कुवलयमाला 1 $ ३३३ ) एवं च अच्छमागेण तम्मि चेष दिवटे वोली मज्झण्ड-समए पडिणियम् सेस-समण-माहण-वणीमय- 1 किमि - सत्सु भुत-सेस-सीयल-विरसे आहारे जणवयस्स णिय-मदिरोवरि णिज्जूह-सुहास णत्थेण दिहं साहु-संघाडयं णयरि3 रच्छा - मुहम्मि । तं च केरिसं । अवि य । 9 उवसंत-संत - वेसं करयल - संग हिय- पत्तयं सोमं । जय मेत्तणिमिय- दिट्ठि वासाकप्पोढिय सरीरं " तं च साहु-संघाडयं तारिसं पेच्छिऊण रहस-वस-समूस संत- रोमंच-कंचुओ राया अवइण्णो मंदिराओ । पयट्टो य गयवर - गमणो 6 वं पेय दिसं जन्म से साहु-बल तस्मि व पडे पदाइओ सवल सामंत मंडल संगिदिनो राय लोबो सयलो व पकल- 6 पाइक विहो । तभो तुरिव तुरियं तूण रावा तम्मि चेप रच्छा-मझवारे तिडणं पयाहिणं काऊ विडिओ चलणेसु साहूणं । भणिडं च पयत्तो । 2 27 चारित्तणाण- दंसण-तव-विणय महाबलेण जिणिऊण । गहियं जेहिँ सिव-पुरं णमो णमो ताण साधूणं ॥ भणमात्रेण पुमो पुणो पणमिया गेण साधुगो उदो व चूडामणि- किरण पसरमाण- दस दिसुविपुण उतिमंगेण बहु-भवसय-सहस्व-निम्मो मुणि-पण-कमल-रज ति मुणिरेहिं पि सम-मित्त सत्तु - चित्तत्तगेण सम-रोस-राय-गण गेहिं । विम्हय-संभम-रहियं अह भणियं धम्मलाभो त्ति ॥ मणिया य भक्ति भरावणउत्तर्मगेण राइणा भगवंतो समणा । अवि य । २१५ पंच महत्रय जुति-गु-गु दिंड विश्व-मणं । सिवडरि-पेयुवएर्स को वा ते गवन जीवो ॥' तेण भणिये 'ण संपयं पुण्यं किं तए दिट्टो सि' ति । तख तेण भणियं तव -संजम - भार - सुणिन्भरस्स सुय-विरिय-वसभ-जुत्तस्स । देह-सयडस्स कुसलं सिद्धि-पुरी- मग्ग-गामिस्स ॥ 16 सामूहिं भणियं 'कुसलं गुरु-चलणप्यभावे' ति राइणा भणियं 'भगवंतो, भवि य गुरु-कम्म- सेल-वज्रं अण्णाण - महावणस्स दावगं । किं णामं तुह गुरुणो साहिज्जउ अह पलाएणं ॥ साहूहिं भणिये । 'महाराया, 18 इक्सागु-वंस जाओ पाविध-गुरु-वण-लय-सत्य कंप-दप्प-फलिडो दष्यम्फोनियरिनो ॥' राणा भणिये । भयवं, किं सो अम्द भाया रयणमउडस्स रिसिणो पुत्तो दृष्पफलिहो किंवा अण्णो ति साहूहिं भणियं । 'खो चेय इमो' ति भणिग-मेरो हरिस-बल-विययमाण लोयण भणियं 'भगवं, कम्मि ठाये आवासिया 21 गुरुणो' ति । तेहिं भणियं । 'अत्थि देवस्स मणोरमं णाम उज्जाणं, तत्थ गुरुणो' त्ति भणंता साहुणो गंतुं पयत्ता । णरवई 21 वि उवगओ मंदिरं | साहियं च कुवलयमालाए महिंदस्स जहा 'पत्तं जं पावियब्वं, सो चेय अम्ह भाया दप्पफलिहो संपत्तो आयरियत्तण-कल्लाणो इहं पत्तो । वा उच्छाहं कुणह तस्स चलण-मूले पब्वजं काऊणं' ति । तेहिं भणियं । 'जं महाराया 24 कुणइ तं अवस्सं अम्हेहिं कायन्वं'ति भणमाणा काऊण करणिजं, णिरूविऊण णिरुवणिजं, दाऊण देयं, उच्चलिया कोउय - 24 सिणेह - भत्ति-पहरिस-संवेग-1 -सद्धा - णिन्धेय- हलहलाऊर माग - हियवया संपत्ता मणोरमं उज्जाणं । तत्थ यदि भगवं दप्पफलिहो, वंदिओ व रस-परिस-माणसेहिं तेणावि धम्मलाभिया पुच्छिया व सरीर-सुह वट्टमाणी, णिविडा आखणेसु । ३३४) पुच्यं च राइणा 'भगवं तया तु चिंतामणि पलीओ क्खि मऊण कत्थ गओ काथ वा दिम्ला 27 गहिया, किं च णामं गुरु-जणस्स ए पुच्छिओ भगवं साहियं पयतो महाराय वइया अ णीहरिऊन संपतो भरुवच्छे पयतो । दिट्ठो व मए भगवं महागुणी, वंदिल मए जाव तेणादं भणिनो 'भो भो 30 दप्पफलिह रायउत्त, परियाणसि ममं । मए भणियं । 'भगवं वरं ति । तत्थ साडुणो असि 3 1) बोली, सणसणीमसि रासेसे 2 ) P निजू हिय for णिज्जूह. 3 > Pom. तं च केरिसं. 4) पत्तं य सोमं 1 दिट्ठी, वासाकप्पोटिय 5 समूसलंत, P अवइमो महिमंदिराओ. 6 ) Padds य after जत्थ, पयट्टो, " मंडव for मंडल. Pom. लोगो, ए लो for सयलो, उ पक्क for पक्क 9 ) P संमत्त for चारित, P नियम for विजय, साहूणं. 10 ) rणे for second पुणो, Pom. णेग, साडुगो, P उछूढो य चूडामणी, Pदसु for दस, सय for भव 11 ) om. मुणिवरेहिं पि. 12) चिंतणेण सगरोररावगणेणेहिं न for 13 ) O this page the writing in 3 is very much rubbed, भत्तिभारावणयुत्त मंगेण, P समाणा 14 ) Jत for सुय, P तिरिय for विरिय, P देव for देह. 15) r साहूहिं, J गुरूण चलणं भयवंतो. 16 ) J मोह for कम्म, P वयं for वज्जं, किण्णामं किनामं, अम्ह for अपसणं. 17 देव for महाराया: 18 ) P for इक्लागु, P विजय for वयण, P-सुत्तस्थो, JP दप्पफलिहो. 19) P रायणा, P किं एसो, P रिसिणो दप्यपुत्तो फलिहो. 20 ) P वियमाण, J जुअलग, Jom. भणिय before भगवं. 21 ) Pom. देवरस, मणोरमनामुज्जाणं, णरवत्ती वि गओ 22 ) adds य beforo जहा, अपह for अम्ह, P संपत्तायरियत्तणो इदं 24 ) Padds वि before काय 25 ) P हलहलाकरमाण, Pom. य. 26) P वंदिओ य रहरिसमाणसेहिं तेहिं वि धम्मलाहिया, P संरीस for सरीस, वट्टमाणि गिट्ठिा, णिविट्ठामासणेस 27 ) Pom. भगवं, चिंतामणी. 28 ) P किंचि णामं, गुरुअणस्स, P om. ए, P नीहारिकण 29 ) Pom. ति inter. भगवं & महामुनी, उadds 4 before मए. 31 ) तिडण्ड 32 ) हिअयसम्पत्ती, Pमती. 33 ) Pom. मए भणियं भगवं किं etc. to आमं ति । 9 12 15 18 कहिंचि दिट्टो ण व' ति । मए भणियं 'भगवं, ण मह हिययस्स मई अस्थि जहा मए ण उण चिंतामणी पली तुह दिव्य' सि मए भणि 'भगवे, किं तुम सो ति तेण 33 30 Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१६ उजोयणसूरिविरइया भणियं 'भामं' ति । मए भणियं 'भगवं, तए मह रजं दिण्णं' । तेण भणियं 'आसि' । मए भणियं 'जइ एवं ता भगवं रयणं रायरिसि-संपयं पि देसु मे संजम-रजं' ति । तेण भणियं । 'जइ एवं ता कीस विलंबणं करेसि' ति भणतस्प तस्स 3 कयं मए पंच-मुट्टिय लोयं । भगवया वि कयं मझ सव्वं कायव्वं । तओ जहारिहं अज्झावयं तेण सिक्खाविमो सयल पवयणसारं । णिक्खित्तो गच्छो, विहरि पयत्तो। भगवं ति-रयणयरणाहिवो विहरमाणो संपत्तो अयोज्झाए। तत्थ य णिक्खंतो तुज्झ जगओ महाराया दढवम्म-रिसी । सो य भगवं मासक्खवणेहिँ पारयंतो कम्मक्खयं काउमाढत्तो । तओ तं 6 च एरिसं जाणिऊण गुरुणा णिक्खित्तो अम्ह गच्छ-भारो । एवं च काऊण घेत्तण दढवम्म-रिसिं सम्मेय-सेल-सिहरे वंदण-वत्तियाए संपत्तो। तत्थ य जाणिऊण अप्पणो कालं, कयं संलेहणा-पुव्वयं कालमासे अउब्वयं करणं खवग-सेढीए _केवल-णाणं आउक्खयं च । तओ अंतगड-केवली जाया भगवंते दो वि मुणिंद-वसहे ति। ३३५) एवं च सोऊण कुवलयचंदप्पमुहा सम्बे वि हरिस-वस-संपत्ता गरिदा। तओ भगवया भणिय । 'सावग, सो चिय एको पुरिसो सो चिय राया जयम्मि सयलम्मि । हंतूण मोहणिज सिद्धिपुरी पाविया जेण ॥' भणियं च सब्वेहिं । 'भगवं, एवं एयं ण एल्थ संदेहो । ता कुणह पसायं, अम्हं पि उत्तारेसु इमाशे महाभव-समुद्दाओ' 12 त्ति । भगवया वि पडिवणं । ‘एवं होउ' ति भणमाणस्स भगवओ राइणा ओयारियाई आभरणाई महिंदप्पमुहेहिं कुवलय मालाए वि अणेय-णारीयणेण परियालियाए । पवयण-भणिय-विहाणेण य णिक्खंता सब्वे वि । समप्पिया य कुवलयमाला पवत्तिणीए । तत्थ जहा-सुहं आगमाणुसारेण संजम काऊण संपुषणे णिय-आउए संपत्ता सोहम्मं कप्पं दु-सागरोवमट्टिईओ 15 देवो जाओ त्ति । कुवलयचंद-साधू चि गुरूवएसे वट्टमाणो बहुयं पाव-कम्म खविऊण कालेण य णमोकारमाराहिऊण वेरुलिय-विमाणे दु-सागरोवम-ट्ठिईओ देवो उववण्णो त्ति । सीहो उण पढमं अणसणं काऊण विंझाडईए संपत्तो तं चेय विमाण-वर-रयणं ति । सो वि भगवं ओहिण्णाणी सागरदत्त-मुणी संबोहिऊण सव्वे पुव्व-संगए काले य कालं काउण 18 देवत्तण-बद्ध-णाम-गोत्तो तम्मि चेव विमाणम्मि समुप्पण्णो त्ति । अह पुहईसारो वि के पि कालंतरं रज काऊण पच्छा उप्पण्ण-पुत्त-रयणो संठाविय-मणोरहाइच्च-रज्जाभिसेओ संभंतो संसार-महारक्खसस्स गाऊण असारत्तणं भोगाणं सो वि गुरूगं पाय-मूले दिक्खं घेत्तण पुणो कय-सामण्णो तम्मि चेय विमाणे समुप्पण्णो त्ति । एवं च ते कय-पुण्णा तम्मि 21 वर-वेरुलिय-विमाणोयर-उववण्णा अवरोप्परं जाणिऊण कय-संकेया पुणो णेह-णिब्भर-हियया जंपिउं पयत्ता । 'भो सुरवरा, णिसुणेह सुभासियं । जर-मरण-रोग-रय-मल-किलेस-बहुलम्मि णवर संसारे । कत्तो अण्णं सरणं एक मोत्तण जिण-वयणं ॥ तिरिय-णर-दणुय-देवाण होति जे सामिणो कह वि जीवा। जिण-वयण-भवण-रूवाण के पि पुवं कयं तेहिं ॥ जं किं पि कह वि कस्स वि कत्थ वि सोक्खं जणस्स भुवणम्भि। तं जिण-वयण-जलामय-णिसित्त-रुक्खस्स कुसुमंतु ॥ सन्चहा, किं सोक्खं सम्मत्तं किं व दुई होइ मिच्छ-भावो ति । किं सुह-दुक्खं लोए सम्मामिच्छत्त-भावेण ॥ सम्मत्तं सग्ग-समं मिच्छत्तं होइ णरय-सारिच्छं । माणुस-लोय-सरिच्छो सम्ममिच्छत्त-भावो उ॥ सम्मत्तं उद्धृ-गई अहर-गई होइ मिच्छ-भावेण । तिरिय-गई उण लोए सम्मामिच्छत्त-भावेण ।। सम्मत्तं अमय-समं मिच्छत्तं कालउड-विस-सरिसं । अमय-विस-मीसियं पिव मगे उभयं तु लोगस्त । 30 सम्मत्तं जय-सारो मिच्छत्तं होइ तियण-असारो । सारासार-सरिच्छो सम्मामिच्छत्त-भावो उ ।। जं जं जयम्मि सारं तं तं जाणेसु सम्म-पुवं तु । जं जं जए असारं तं तं मिच्छत्त-पुव्वं तु ॥ एरिसं च तं जाणिऊण भो भो देवाणुप्पिया, अणुमण्णह जं अहं भणिस्सं ति । तओ सव्वेहि वि भणियं 'को वा 33 अम्ह ण-याणइ ज सव्वं सम्मत्त-युव्वयं ति। एवं ठिए किं भणियवं तं भगह तुन्भे' त्ति । तेण भणियं 'एत्तियं भणियच्वं : 1) P रिजं for रज्जं, I om. जद, P for ता. 2) J रयणंगयरिसी संपर्य, P करिसि. 3) मम for मज्झ, Jom. कायवं. 4) P पयत्तो। रयणंगणरयणादिवो, P अउज्झाए, 5) J तुम्भ or तुम्ह for तुज्झ, गहाय for महाराया, JP दढधम्मरिसी, मासखमणेहि, J तब for संच. 6) P निक्खिअम्ह गच्छभरो,JP दधम्मरिसिं, P संमेतसेलसिहरं वंदण-7) F om. कयं,J अउन्वं. 8) J-भगवंतो, JP वसहो त्ति. १)विसण्णा for वससंपत्ता. J देव for सावग. 10) Pसेको for एको, P जल मि for जयन्मि, P मोहरज्जं, P पावया. 11) कणह पिसायं, P ow. भव. 12) J om. वि, ओयारियाओं आहरणाइ. 13) Pवियणेणारीयणपूरियालिआए, J -णारित्तणेण, P यणिक्वित्ता, Pom. वि. 14 एत्थ for तत्थ, 'य tor णिय, ठितीओ P द्विती. 15)P साह, बहुपाव-, J काले य. 16)J वेरुलिया, दुरसागरोवमठितीओ उववण्णे P दुसागरदिईओ, Pउण सणं काऊण. 17) P ओहिणाणी. 18) P देवत्तबद्ध. चेय विमाणे. अहं for अह. 19) J रज्जाभिओ, जाणिऊण for जाऊण. 20) Jप्पणो for पुणो, J कयसंपुण्णा Pकयपत्रो. 21)P विमाणायर उवणायर उण्णा"पुणा या णेब्भर. 22) P सुहासियं, Jadds अवि य before जरमरण etc. 23) P किमल for मल, J om. एकं, जिणिवर for जिण. 24) P तिरिनरदणसुदेवाण, J होंति जो सामिणो, P adds रूव before रूवाण. 25) Pom. कत्थ पि, P सोक्खं तु जणस्स होइ भुवर्णमि, P मूलं for कुसमं. 26) Pहोति. 27) Pom. the verse सम्मत्त सम्गसमं etc. to भावो उ॥,तु for उ. 28) Pinter. verses सम्मत्तं उड़गई etc. सम्मत्तं अमयसमं etc.,' उड़गती, P तिरियगती. 29 विसमासय, पि for तु. 30) P adds जय before होइ, होर संसारो । सोरासार-J for उ. 31) P om. तु,Jण सारं for असार. 32) Padds इमं व before एरिसं. Pom. च तं, Poin. one भो.J देवाणपिआ, P भविस्सं ति, om. तओ सम्वाह वि भाणय. 33) Poun. भणियन्वंतं. Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३३६] . कुवलयमाला २१७ जं दुत्तारो संसार-सागरो, विसमा कम्म-गई, अणिचं जीवियं, भंगुरो विसय-संगो, चंचला इंदिय-तुरंगा, बंधण-सरिसं । पेम्म, उम्मायणो मयण-बाण-पसरो, मोहणं मोहणीय-कम्म-महापडलं ति । ता तुलग्ग-पावियं पि सम्मत्त-रयणं एस्थ महोयहि-समे संसारे अक्खिप्पइ महाराय-मच्छेहिं, उलूरिजइ महारोस-जल-माणुसेहिं, पल्हथिजइ महामाया-कम- 3 ढीए, गिलिजइ महामोह-मयरेणं ति । तओ इमं च जाणिऊण पुणो वि सयल-सुरासुर-णर-तिरिय-सिद्धि-सुह-लंभ-कारणे भगवंताणं वयणे आयरं कुणह पावियब्वे ।' तेहिं भणियं 'कहं पुण पावियन्वं' ति । तेण भणियं 'पुणो वि गेण्हह समायाणं जहा जत्थुप्पण्णा तत्थ तुम्हाण मज्झे केण वि अइसय-णाणिणा सव्वे संबोहणीया जिणधम्मे' त्ति । तेहि वि तह' त्ति 6 पडिवणं । तं च तारिसं समायाणं काऊण वीसत्था भोए भुंजिउं समाढत्ता । ३३६) एवं च भुंजंताणं भोए वच्चइ कालो जाव भुत्ताई दोषिण सागरोवमाइं किंचि-सेसाई। इमम्मि य जंबुद्दीवे दाहिण-भरहे वोलीणेसु तिसु कालेसु किंचि-सेसे चउत्थे काले सिद्धिं गएसु इहावसप्पिणी-वट्टमाणेसु उसभाइसु पास- 9 जिण-चरिमेसु तित्थंकरेसु समुप्पण्णे ति-लोय-सरोयर-महापंकए व्व महावीर-जिणिंदे त्ति । एरिसे य अवपरे सो कुवलयचंद-देवो णिय-आउयं.पालिऊग देव-लोगामो चुओ समाणो कत्थ उववण्णो । अवि य । अस्थि कायंदी णाम णयरी। सा य केरिसा । अवि य । तुंगहालय-तोरण-मंदिर-पुर-गोउरेहि परियरिया । तिय-चचर-सुविभत्ता जण-धण-मणि-कंचण-विचित्ता ।। तम्मि य महाणयरीए कंचणरहो णाम राया। , रिउ कुंजराण सीहो जो य रवी मित्त-पंकय-वणस्स । पणइ-कुमुयाण चंदो वासारत्तो व्व धरणियले ॥ 15 तस्स य महिलाए इंदीवर-णामाए सुपुत्तो मणिरहो णाम समुप्पण्णो । सो य संवड्डिओ बहुएहिं मणोरहसएहिं परिवड्वमाणस्स कहं कह पि तारूव-कामोदएणं पारद्धि-वसणं समुप्पण्णं । तओ दियहं राईए य अवीसंतो आहेडयं वच्चइ । पडिसेहिजतो वि गुरुयणेणं, णिदिर्जतो वि वयंसएहिं, णिरुज्झंतो वि मंतियणेणं, वारिजतो वि परियणेणं ति । अण्णया 18 य तस्प तम्मि अवसरे पारद्धिं अरणं पविठुस्स को वुत्तंतो जाओ। अवि य । णर-सुर-दइश्च-महिओ थुव्वंतो थुइ-सुहासिय-सएहिं । उप्पण्ण-णाण-सारो पत्तो वीरो तिलोय-गुरू ॥ 1 तस्स य भगवओ महइ-महावीर-वड्डमाण-जिणयंदस्स विवित्ते पएसे विरइयं देवेहिं मणि-सुवण्ण-रयय-पायार-तियं, ठावियं 21 दिवं वियड-दाढा-कराल-वयण-सीहाहिटियं आसण-रयणं, णिम्मविभो मउय-सिसिर-सुरहि-पवण-चलमाण-साहा-समूह-पेरंत णव-वियसिय-सुरहि-कुसुम-गोच्छ-रिंछोलि-णिलीण-महु-मत्त-भमर-रणरणाबद्ध-संगीय-मणहरो रत्तासोय-पायवो । तस्स य + अधे णिविट्ठो भगवं सुरासुर-णरिंद-वंदिय-चलण-जुयलो संसार-महोवहि-णिमजमाण-जंतु-सहस्स-हत्थावलंबण-दाण-दुललिओ 24 महावीरो । तत्थ य इंदभूइप्पमुहाणं एगारखण्डं महामईणं गणहर-देवाणं सोधम्म-गाहस्स महिंदस्स य अण्णाणं च भवणवइ-वाणमंतर-जोइस-विमाण-वासीणं सुराणं कंचणरहस्स य राइणो सपरियणस्स सम्मत्त-मूलं भव-भय-विणासणं दुविहं 7 धम्मं साहिउँ पयत्तो। अवि य । णारय-तिरिय-णरामर-भव-सय-संवाह-दुग्गम-दुरंते । संसार-महा-जलहिम्मि णत्थि सरणं सिवाहितो॥ सम्मत्त-णाण-दसण-तिएण एएण लब्भए मोक्खो । जीवस्स गुणा एए ण य दव्यं होइ सम्मत्तो । 0 सम्म भावो सम्मं जहुजयं णत्थि किंचि विवरीयं । धम्माधम्मागासा-पोग्गल-जीवेसु जो भणिओ ॥ अहवा। जीवाजीवा आसव-संवर तह बंध-णिज्जरा मोक्खो । एयाई भावेणं भावेंतो होइ सम्मत्ते ॥ अहवा । जं चिय जिणेहि भणियं पडिहय-मय-दोस-मोह-पसरेहिं । तं सवं सव्वं चिय इय-भायो होइ सम्मत्तं ॥ ३ अरहा जाणइ सव्वं अरहा सव्वं पि पासह समक्खं । अरहा भासइ सच्चं अरहा बंधू तिहुयणस्स ॥ 1)किंमगती. 2) Pमोहणिया, Pत्ति for पि, Padds त्ति before एत्थ. 3) P."समें संसारि, Pमहारायकमढिणा5) समायारं जहा जत्थु'. 6) Pज हो for जहा, Pय for पि, I अतिसय, Pom. जिणधम्मे त्ति, J तेहि मि तह. 7) Jom. तारिसं. 8) P वच्चएद, P किंव, इमं पि य जंबुदीवे. 9) किंवसेसे, P सिद्धि, P इहावओरसपिणीए-, P उसभाइपासजिणवदेस तित्थंकरेस. 10) Pइव for व्य, F कुवलयचंदो णिय- 11) देवलोआओ. 13) J गोअरेहिं, Pमविहत्ताजणधणिमणि. 14) . करणरहो for कंचणरहो. 15) रित्तो व धरपियले ॥. 16) Jणामाए पुत्तो रयणरहो णामो, P संवट्टिओ. 17) P रुणे for रूब, J adds से before समुप्पण्णं, P रातीए, वीसंतो P अविसंतो. 18) P गुरुतरेणं, P निरंभंण्णो for णिरुज्झतो, Pom. चारिजतो वि परियणे. 19) J अण्णता, J inter. तस्स & तम्मि, P पारद्धिए रणे. 21) P om. य after तरस, J चद्धमाण,J रयत P रइय, तिसं for तियं. 22) J-सिहाहिट्टियं, P णिमिओ for णिम्मविओ. 23) P -निलीणमररणरणाबत्तसगीय. 24) P अधि for अधे, Pom. णरिंद, Pमहो for महोवहि, P जंतुहत्थालंबण. 25) P तस्स for तत्थ य, I इंदभूति', Pमहामंतीणं गण", Pसोह्मनाइरस, Jou. च. 26) J जोतिस, P वासीसुराणं. 27) P adds जिणो before धम्म. 28) P दुग्गदुरंते, P जिणं मोतुं for सिवाहितो. 29) Pतिणएतेण, P एतेण दिव्वं होत्ति सम्मत्तं. 30 P जहुहुहुत्तं for जहुजुर्थ, Pinter. णत्थि & किंचि, 'धम्माभासा, J सो for जो. 31) J°जीवासब, P भा च तो अह होइ सम्मत्तं. 32) P भणियं ह्यरागदोस, P adds, after होइ सम्मत्तं ॥, अरहा जाणइ सय सवं चिय इय भावो होइ संमत्तं ।। 33) P जाणं for सव्वं before पि. 28 . Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१८ उज्जोयणसूरिविरया - [ ३३६। अरहा भासइ धम्मं अरहा धम्मस्स जाणए भेयं । अरहा जियाण सरणं अरहा बंधं पि मोएइ । अरहा तिलोय-पुज्जो अरहा तित्थंकरो सुधम्मस्स । अरहा सयं पबुद्धो अरिहा पुरिसोत्तमो लोए॥ 3 अरहा लोग-पदीवो अरहा चक्खू जयस सव्वस्स । अरहा तिण्णो लोए अरहा मोक्खं परूवेइ ॥ इय भत्ती अरहते कुणइ पसंसं च भाव-गुण-कलिओ। साहुण भत्तिमंतो इय सम्मतं मए भणियं ॥ तं जिण-वयण-रसायण-पाण-विबुद्धस्स होइ एकं तु । दुइयं पुण सहस चिय कम्मोवसमेण पुरिसस्स ॥ 6 एयं तिलोय-सारं एयं पढमं जयम्मि धम्मस्स । एएण होइ मोक्खो सम्मत्तं दुल्लहं एयं ॥ ६३३७) एवं च तिलोय-गुरुणा साहिए सम्मत्ते जाणमाणेणावि अबुह-बोहणत्थं भगवया इंदभूइणा गणहारिणा आबद्ध-करयलंजलिउडेण भणियं 'भगवं, इमं पुण सम्मत्त-रयणं समुप्पण्णं भावओ कस्सइ जीवस्स कहं णजइ जहा एस 9 सम्मद्दिट्टी जीवो' त्ति । भगवया भणियं । उपसम-संवेगो चिय णिव्वेओ तह य होइ अणुकंपा । अस्थित्त-भाव-सहियं सम्मत्ते लक्खणं होइ ॥ अहया, मेत्ती-पमोय-कारुणं मज्झत्थं च चउत्थयं । सत्त-गुणवंत-दीणे अविणए होंति सम्मं ॥ खामेमि सव्व-सत्ते सव्वे सत्ता खमंतु मे। मेत्ती मे सव्व-भूएसु वेर मज्झ ण केणइ ॥ सम्मत्त-णाण-दसण-जुत्ते साधुम्मि होइ जो पुरिसो। ठिइ-बंदण-विणयादी करेइ सो होहिद पमोओ ॥ संसार-नुक्ख-तविए दीणाणाहे किलिस्समाणम्मि । हा हा धम्म-विहीणा कह जीवा खिजिरे करुणा ॥ 15 दुट्ठाण मोह-पंकंकियाण गुरु-देव-णिंदण-रयाण । जीवाण उवेक्खा एरिसाण उवरिम्मि मज्झत्थं ॥ अहवा वि जय-सभावो काय-सभावो य भाविओ जेण । संवेगो जेण तवे बेरग्गं चेय संसारे ।। सव्वं जयं अणिचं णिस्सारं दुक्खहेड असुइं च । अह तम्हा णिब्वेओ धम्मम्मि य आयरो होइ॥ 18 वेरग्गं पुण णिययं सरीर-भोगेसु उवहि-विसएसु । जाणिय-परमत्थ-पओ णवि रज्जइ धम्मिओ होइ॥ एएहिँ लक्खणेहिं णज्जइ अह अत्थि जस्स सम्मत्तं । उवसम-विराग-रहियं णजइ तह तस्स सम्मत्तं ॥ ३३८) एवं च सुरासुरिंद-गुरुणा साहिए सम्मत्त-लक्खणे भणियं गोयम-सामिणा 'भगवं, इमं पुण सम्मत्त-महाचिंतामणि-रयणं केण दोसेण दूसियं होइ, जेण तं दोसं दूरेण परिहरामो' त्ति । भगवया भणियं । दीहाऊ गोयम इंदभूइ अह पुच्छियं तए साहु । सम्मत्तं रयण-समं दूसिजइ जेण तं सुणसु ॥ संका-कंखा-विइगिच्छा होइ चउत्यं च कुसमय-पसंसा । पासंडियाण संथव पंच इमे दूसण-कराई ॥ 24 जीवादी' पयत्थे जाणइ जिण-वयण-णयण-दिटिल्लो । किं होज इमं अहवा ण व त्ति जो संकए संका ॥ कंखइ भोए अहवा वि कुसुमए कह वि मोह-हय-चित्तो। आक्रंखइ मिच्छत्तं जो पुरिसो तस्स सा कंखा ॥ एत्थं पि अस्थि धम्मो एत्थ वि धम्मस्स साहिओ मग्गो । एवं जो कुणइ मणं सा विइकिच्छा इहं भणिया ।। 27 इह विजा-मंत-बलं पच्चक्खं जोग-भोग-फल-सारं । एयं चिय सुंदरयं पर-तिथिय-संथवो भणिओ ॥ एए णिउणा अह मंतिणो य धम्मप्परा तवस्सी य । पर-तित्थ-समणयाण पासंडाणं पसंसा तु ॥ जह खीर-खंड-भरिओ उडओ देणावि मोह-मूढेण । मेलिज्जह जिंब-रसेण असुइणा अह व केणावि ॥ 30 एवं सम्मत्तामय-भरिओ जीवाण चित्त-घडओ वि । मिच्छत्त-वियप्पेणं दूसिज्जइ असुइ-सरिसेणं ॥ तम्हा भणामि 'तुम्हे पडिवजह सम्मत्तं, अणुमण्णह सुय-रयणं, भावेह संसार-दुक्खं, पणमह जिणवरे, दक्खेह साहुणो, भावेह भावणं, खामेसु जीवे, बहु मण्णह तवस्सियो, अणुकंपह दुक्खिए, उवेक्खह दुढे, अणुगेण्हह विणीए, वियारेह 33 पोग्गल-परिणामे, पसंसह उवसमे, संजणेह संवेग, णिव्विजह संसारे, परूवेह अस्थिवायं, मा कुणह संके, अवमण्णह 3 1) P जागई भेयं, जिणाण for जियाण, " सञ्चरणं for सरण, P बद्धं विमोएइ. 2) P तिलोए, J सुबुद्धो for पबुद्धो, P adds पुरिहा before पुरिसो, P पुरिसोत्तिमो. 3) लोगपश्वो, तिसो for तिण्यो, ' पदीवेइ ।।. 4) J भत्तिवतो. 5) दुतियं. 6) परमं for पढम. 7) इंदभूतिगग. 8) Jadds च after भणियं, JP भावतो. 10) JP चिय, अत्थेत्तिभावा P समत्ति for सम्मत्ते. 11) J पमोत, P मज्झत्थयं च चत्ययं ।, Pसंतगुणवंतदीवणयं तह विणए होति, अविणाए, J समं सम्मं तु. 13) P साहुंमि, P जो हरिसो, J थिति P ठिति, I विणयाती, सो हेहि ति पगोतो, Padds त्ति after पमोओ. 14) P दीणाणाहि, J कीलेसभावंमि, P जीवो किज्जरे. 15) Pट्ठाण for दुट्ठाण, Pउन्वेक्खा. 16) J जए. सहावो । मणसम्भावो, P कायसहावो, संवेओ, J भवे for तवे, P चे for चेय. 17) J तण्हा for तम्हा, "होहित्ति for होइ. 18) J repeats वेरगं, P नियरं for णिययं. 19) P कट् for तह. 20) I गोतम, P सम्म for सम्मत्त. 21) Jom. चिंतामणि, " दुसेण. 22) Pदीहाओ, गोतम,JP इंदभूति, P पुच्छिउं, सुणेसु. 23) JPविति गिच्छा, Pथेवं for संथव. 24) जीवातीए अत्थे जाणति, P जीवादीण, P om. णयण, संकते. 25) Jखति कंखत्ति, J अधवा, Pकुसमये, J कहविलोमोहहियचित्तो। आकंस्खति, मीछत्तं, Pसो for सा. 26) JP वितिकिच्छा , P इमं for इहं. 27) J बल for फल, तित्थं for तित्थिय. 28) P एते, P अभि for अह, J अह् संतिणो पारम्पयरा, P ओ for तु. 29) Pinter. खंड &खीर, [कुडओ or घडओ for उडओ]. 30 J°मयसरिओ जीआण, P चित्तबडिओ, P वियप्पे जीवेणं दूसिज्जर. 31) Jतुम्मे for तुम्हे. 32) J om. उवेक्खह दुटे, P अणुगेण्ह. 33» P सवेग्गं, J अस्थिवातं. Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उण दुक्खं। तम्हा जीव पुच्छियं ग -६३४१] कुवलयमाला 1कख, विगिंचेह विइकिच्छं, पमाएह कुसमय-पसंसं। सम्मत्त-सार-रहिए मा सज्जह उत्तुणे पर-कुतित्थे। मिच्छत्त-वद्धणं भो होइ कयं अलिय-वयणं च त्ति ॥ तम्हा, 3 जई छुब्भह पायाले पल्हत्थिजह गिरिस्स टंकम्मि । जइ हिज्जइ कह वि सिरं मा मुंचह तह वि जिणवयणं । ति । ३३९) एयं दसण-रयणं णाणं पुण सुणसु ज मए भणियं । एक्कारसंग-चोद्दस-पुवं मत्थं च वित्थरियं ॥ एक्कम्मि वि जम्मि पदे संवेयं कुणइ वीयराग-मए । तं तस्स होइ णाणं जेण विरागत्तणमुवेइ ॥ 6 किं बहुणा वि सुएणं किं वा बहुणा वि एत्थ पढिएणं । एक्कम्मि वि वढ्ता पयम्मि बहुए गया सिद्धिं ॥ तम्हा करेसु जत्तं दसण-चरणेसु सव्व-भावेणं । दसण-चरणेहिँ विणा ण सिज्झिरे णाण-सहिया वि ॥ ३४०)णागेण होइ किरिया किरिया कीरइ परस्स उवएसो । चारित्ते कुणह मणं तं पंच-महव्वए होइ ॥ 9 पाणिवहालिय-वयणं अदिण्णदाणं च मेहुणं चेय । होइ परिग्गह-सहियं एएसु य संजमो चरणं ॥ एयाई पावयाइं परिवजेतो करेसु विरई तु । इह परलोए दुह-कारयाई वीरेण भणियाई॥ जो हिंसओ जियाणं णिचं उव्वेय-कारओ पावो । असुहो वेराबंधो वेरेण ण मुच्चइ कया वि ॥ 12 गिदिजइ सव्व-जणे वह-बंधं घाय-दुक्ख-मरणं वा । पावइ इ चिय णरो पर-लोए पावए णरयं ॥ सव्वं च इमं दुक्खं जं मारिजइ जिओ उ रसमाणो । जह अप्पा तह य परो इच्छइ सोक्खं ण उण दुक्खं ॥ जह मम ण पियं दुक्खं सोक्खत्थी जह अहं सजीयस्स । एमेव परो वि जिओ तम्हा जीवाण कुण अभयं ॥ 16 ३ ४१)एवं च साहिए भगवया तित्थयरेण पुच्छिय गणहर-देवेण 'भगवं, कहं पुण हिंसा भण्णइ' । 15 भगवया भणियं। जीवो अणादि-णिहणो सो कह मारिजए जणेण इहं । देहतर-संकमणं कीरइ जऍ णाम तस्सेय ॥ 18 एक्के भणंति एवं अण्णे उण वाइणो जहा सुहुमो । ण य सो केणइ जीवो मारिजइ णेय सो मरइ॥ अण्णे भणंति पुरिसा सव्व-गओ एस तस्स कह घाओ। अण्णे पुण पडिवण्णा अणुमेत्तो केण सो वहिओ ॥ अवरे भणंति एवं उड्व-गई किर जिओ सभावेण । अच्छइ देह-णिबद्धो जो मोयइ धम्मिओ सो ह॥ अवरे भणंति कुगइच्छूढो अह एस अच्छइ वराओ । अह जोणि-विप्पमुको वच्चउ सुगईसु आवेओ ॥ अण्णे भणंति मूढा पुराण-घरयाउ पइसइ णवम्मि । को तस्स होइ पीडा देहतर-संकमे भणसु॥ अण्णे भणंति पुरिसा एएणं मारिओ अहं पुचि । तेण मए मारिजइ दिनइ तस्सेय जो देइ ॥ अवरे विहियं ति इमं इमस्स जायस्स मरण-जम्मं वा । तं होज अवसयं चिय मिस-मेत्तो मज्झ अवराहो ॥ अवरे भणति विहिणा एसो अह पेसिओ महं वज्झो । तस्सेव होउ पुण्ण पावं वा मज्झ किं एत्थ ॥ अण्णे पुण पडिवण्णा कम्म-वसो कम्म-चोइओ जीवो । कम्मेणं मारिजइ मारेइ य कम्म-परयत्तो ॥ इय एवमाइ-अण्णाण-वाइणो ज भणंति समएसुं । तं सवं अलियं चिय जीव-वहे होंति दोसाई॥ जीवो अणाइ-णिहणो सच्चं देहतरम्मि संकमइ । देहाओ से ण सुहं विउज्जए होइ दुक्खं से ॥ ऊसास-इंदियाई अभितर-बाहिरा इमे पाणा । ताणं विओय-करणं पमत्त-जोएण सा हिंसा ॥ 30 अह तेहिँ विउजतस्स तस्स जीवस्स दुस्सहं दुक्खं । जं उप्पज्जइ देहे अह पावो तस्स सो भणिओ॥ तिल-तल्लाण परोप्परमणुगय-सरिसस्स जीव-देहस्स । दुक्खं ताण विओओ कीरइ जो कुणइ सो पावो ॥ ति । एवं च साहिए सुरासुर-गुरुणा पुच्छियं भगवया गोयम-सामिणा 'भगवं, इमं पुण पाणाइवाय-वेरमणं महावय-रयणं । 33 केरिसेण पुरिसेण रक्खिउं तीरइ' त्ति । भगवया भणियं । 33 27 1) विगिच्छेह, J विगिच्छं, P कुसुमय. 2) J सामत्थं व for मा सज्जह, J परकुडिच्छे।, P सो for भो, P कणं for कयं, P . om. तम्हा. 3)Pपायालो,J पण्हे छिज्जह, P कहं वि. 4) पुण भणसु, P पुच्छ for पुव्वं,J अण्णं for अत्यं. 5) Pएकमि जो पयंमी संवेगं, J वीतरागमते " वीयमण, I ता for तं, 1 जोण for जेण. 6) Jom. वि before एत्थ. 7)P करेसु जुत्तं, P चरणेगसु, I दसणवरणेसु विणा-8) I om. one किरिया, P कीरस्सइ, Pउवएसा. 10) IP एताई, P पडिवज्जतो, ति for तु, P दुह, काई वीरेण, J वीरेहि. 11) Jणहिमओ for हिंसओ, P उबियकारणो, J असुहो रोद्दाबंधो, I कयाइ ।।. 12)Jadds ण before वहबंधं, वहबंधधाय,Jणरओ for णरयं. 13 जयंमि for उ, विfor य,J सोक्खे. 14) अब्भयं, 15) तित्थंकरेण, J गणधर-, Pinter. कहं& पुण. 17) P अणाइ-, Pसो किर माणिज्जए जणिण इहं,J जाण माण for जऍणाम, P जय for जए. 18) J पुण for उण, P वाइणा, P क्खेण वि for केणइ, P adds त्ति after मरइ. 19)P को for कह, P अवरे उण for अण्णे पुण, I अणुमेत्ता. 20) Pएयं उगती, P सहावेण, P जो मायाइ, P साहू for सोहु. 21) J कुगई', विप्पवुत्तो, मुच्चद for वच्चउ, P सुगई सुयावेयो. 23) P पुवं, Pom. दिज्जइ, P वेइ for देइ. 24) जीवस्स for जायस्स, होद for होज. 25) I तरसेय P तरसव, Pजोओ for होउ. 26) Pउण for पुण, P पडिवन्नो, न परियत्तो. 27) Jएवमाति अण्णाणवातिणो, P अन्नाणवाणो भणंति, P होइ for होति. 28) J संभमइ for संकमइ, P सो ण य अहं सो ण सुहं for से ण सुहं ( emended). 29) Pइंदियाइं भवति अभितरा इमे, J भवे for इमे, P ताओ for ताणं, J अमत्तजोएण. 30) Pom. तस्स. 31) Pतिल्लतेल्लाण, सरिसं जिअस्स देहरस, P for जो.32) P पुच्छिउं, गोतम, P गोयमगणहारिणा, पाणातिवातविरमण महावयणरयणं, P पाणातिपात, P महावइरयणं. 33) Jom. पुरिसेग. Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२० उजोयणसूरिविरइया • [$३४१1 इरिया-मण-समिईओ एसण-पडिलेह तह य आलोयं । पढमस्स वयस्स इमा समिईओ पंच विष्णेया ।। जुगमेत्त-दिण्ण-दिट्ठी जंतू-परिहरण-दिण्ण-णयण-मणो । आवासयम्मि वच्चइ इरिया-समिओ हु सो पुरिसो ॥ तव-णियम-सील-रुक्खे भजतं उप्पहेण वच्चंतं । णाणकुसेण रंभइ मण-हत्थिं होइ मण-समिओ ॥ असणं पाणं वत्थं व पत्तयं संजमम्मि जं जोग्गं । एसंतो सुत्तेणं मग्गइ जो एसणा-समिओ ॥ सेज्जा-संथारं वा अण्णं वा किंचि दव्व-जायं तु । गेण्हइ जइ वा मुंचइ पडिलेहेउं पमजेउं ॥ 6 गहियं पिज पि भत्तं पाणं वा भोयणस्स कालम्मि । आलोइऊग भुंजइ गुरुणो वा तं णिवेएइ॥ एयाहिं पंच-समिईहि समियओ जो भवे कह वि साधू । सो सुहुम-जंतु-रक्खं कुणमाणो संजओ भणिओ ॥ पाणाइवाय-विरमणमह पढमं इह महव्वयं भणियं । संपइ भण्णइ एयं मुस-वयण-णियत्तगं विइयं ॥ ३४२) असवाय-कवलियं मि उ अलियं वयणं ति होइ मुसवाओ।तविरमणं णियत्ती होइ मुसावाय-विरह त्ति ॥ अलियं जो भणइ णरो जिंदिय-अहमो इहं दुसद्धेओ । अह चप्फलो त्ति एसो हीलिज्जइ सम्व-लोएण ॥ दुक्खेहिँ ठवेइ जिए अब्भक्खाणेहिँ अलिय-वयणेहिं । ताणं पि सो ण चुक्का पुत्वं अह बंध-बेराण ॥ 12 मारण-लुंपण-दुक्खे पावइ जीहाएँ छेयणं लोए । मरिऊण पुणो वच्चइ णरए अह दुक्ख-पउरम्मि ॥ जं मज्झ इमं दुक्खं अलियब्भक्खाण-पडिवयस्स भवे । तह एयस्स वि तम्हा कुणह णियत्तिं तु अलियस्स ॥ ___ एवं परुविए तिहुयण-गुरुणा पुच्छियं गोयम-गणहारिणा 'भगवं, केरिसं पुण अलिय-वयणं होइ' त्ति । भगवया भणियं । 15 सब्भाव-पडीसेहो अत्यंतर-भासणं तहा जिंदा। एयं ति-सेय-भिण्णं अलियं वयणं मुणेयव्वं ॥ सब्भाव-पडीसेहो आया णत्थि त्ति णत्थि पर-लोओ। अब्भुय-भणणं आया तंदुलयंगुटुमेत्तो था । जो हत्थिं भगइ खरं एसो अत्यंतरो उ अलियस्स । पेसुण्ण-भाव-जुत्तं अरहा तं भण्णए अलियं ॥ 18 फरसं जिंदियमहर्म अपच्छियं कोव-माण-संवलियं । सच्चं पि जइ वि भण्णइ अलियं तं जिणवर-मयम्मि ॥ सच पितं ण सच्चं जे होइ जियाण दुक्ख-संजणयं । अलियं पि होइ सच्चं जियाण रक्खं करेमाणं ॥ एवं अलियं वयणं अह कुणइ इमस्स विरमणं जो उ । दुइयं पि हु धरइ वयं दिण्ण-महा-सह-पुव्वं तु ॥ 1 एवं च परूविए भगवया तियसिंद-बंदिएणं पुच्छियं गोयमसामिणा 'भगवं, कहं पुण एवं मुसावाय-वरमण-महव्वय-रयणं रक्खणीयं' ति । भगवया भणियं । अणुवीइ-भासणं कोह-माय-लोहं च णिब्भर-पयारो। हासचाओ य तहा पंचेए भावणा होंति ॥ 24 एयम्मि मए भणिए वयहिँ होज ताव चिंतेमि । जंतूण सुहं दुक्खं होजा अणुवीइ-भासा तु ॥ कोवेण किंचि भण्णइ अलियं वयणं ति केण वि णरेण । तम्हा पच्चक्खाणं कोवस्स करेह हियएणं ॥ लोह-महा-गह-गहिओ को वि णरो किं पि जंपए अलियं । दूरेण तं अहिक्खिव मुणिवर संतोस रक्खाए ॥ 27 इह लोयाजीव-भएण कोइ पुरिसो भणेज अलियं पि । सत्तविहं तं पि भयं परिहर दूरेण मुणिवसभा॥ होइ परिहास-सीलो को वि गरो वेलवेइ हासेणं । तं पि ण जुज्जइ काऊण सञ्च-संधाण साधूणं ॥ एयाओं भावणाओ भावेतो रक्ख संजयं वयणं । एयाहिँ विणा मुणिवर सच्चं पि ण सच्चर्य होइ । 30 $३४३) तह तेणो वि हु पुरिसो पर-इव्वं जो हरे अदिपणं तु । सम्वत्थ होइ वेस्पो जण-संपयणं च पावेज ॥ बंध-वह-घाय-छेयण-लंबण-तडिवडण-सूल-भेयादी । पावइ अवस्स चोरो मओ वि णरयं पवजेज ॥ जइ इट-दव्व-विरहे होइ विओओ महं तह इमस्स । एयं चिंतेऊणं कुणह णियत्तिं पर-धणस्स ॥ 33 एवं च समाइटो भगवया संसार-महोयहि-जाणवत्तेण भणियं च गोयम-मुणिवरेणं 'भगवं, इमं पुण अदिण्णदाण-विरमण-3 बच 1) JP समितीओ, P अलोया ।, P om. वयस्स, JP समितीओ. 2) Jआवस्सयंमि, J समितो. 3) P रुक्खो , Pरंभइ मणहत्थी, J मणसमितो. 4) J-समितो. 5) P किं पि for किंचि, JP दवजातं, Pमुच्चइ, पडिलेहेतु वमज्जेतुं. 7) पताहिं पंचसमितीहिं समितओ, P समिइओ जद भवे, P साहू, संजतो भणितो. 8) J पाणातिवात, Poin. भण्णद, Pएवं, JP वितिय. 9) I मासवाकुअलिअम्मि तु अलियं, P असइवाय, J मुसवातो, J मुसापातविरति, P-विरए त्ति. 10) P adds हि before इहं, P अह तिफलो. 11) Pठवेवि, वंक for बंध. 12) लंछ for तुंपण. 13) Pजह for जं, P अलियउभक्खागगडिगयस्स, P निवत्ति. 14) I adds च after एवं, P पुच्छिओ, गोतम, Pinter. पुण & केरिसं. 15) P पडिरसेहो, P -भावणं. 16) Pपडिरसेहो, अब्भयभणमाया. 17) P हत्थी, J तु for उ, P गरहा for अरहा, 18) J सुपच्छिमं P अपच्छिा . 19) Pसंजगणं P करेमागो20) I तु for उ, J दियसं for दुश्यं, P सो for पि हु. 21) J गोतम, P गोयमगणहारिणा, पुण एअंगुसावात- 23) F कोवायलाभं च णिब्भयः, J पंचेते, Poin. पंचेए. 24) P होइ अणुवीति भासाओ।. 25) किअएण for हियएणं. 26) P के वि for कोवि, J अभिक्खिय. 27) Pलोगाजीव, P परिहरइ, J मुणिवसदा ।।. 28) P किं पि for वेलवेइ, P काउं सच्च-, J संधारण, P साहूणं. 29) Jएताओ, P सञ्चयं for संजय, P एताहिं. 30) Pपरेदव्वं, P हरेइ दिन्नं तु, वेसो जगजंपवणं. 31) I पंच for बंध, P पाय for पाय, I लंपण, J सूलभताई, P पविज्जेज्ज. 32) P नियत्ती. 33) J महोवहि, Jom. च, गोतम. Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३४५] . कुवलयमाला महब्वय-रयणं कहं पुण सुरक्खियं साहुणो हवइ' त्ति । भगवया भणियं । अणुवीइ य भक्षण एत्तियं ति साहम्मिउग्गहो चेय । अणुणाय-भत्त-पाणो मुंजणए ताओ समिईओ ॥ देविद-राय-सामंत-वग्गहो तह कुटुंबिय-जणस्त । अणुवीइ वियारेउं मग्गिजइ जस्प जो सामी॥ वक्खित्त-कोव-मागेहँ होज दिण्णो कया वि केणावि । मग्गिज्जए य भिक्खं अवग्गहो तेण कजेण ॥ इह सुत्तनांथ इह मंतया एयम्मि होज मे उयही। अवियत्तं मा होहिइ अवग्गहो एत्तिओ अम्हं॥ पासत्थोसण्ण-कुसील-संजया होज सङ्ख्या वा वि । तं जाइऊण जुजह साहम्मियवग्गहो एसो॥ उसस-णीसस-रहियं गुरुणो सेसं वसे हवइ दव्वं । तेणाणुण्णा भुंजइ अण्णह दोसो भये तस्स ।। एयाओं भावणाओ कुणमाणो तत्तियं वयं धरइ । एत्तो वोच्छामि अहं मेहुण-विरइ ति णामेण ॥ ३४४) काम-महागह-गहिओ अंधो बहिरो व्व अच्छए मूओ । उम्मत्तो मुच्छियओव्व होइ वक्खित्त-चित्तो य॥ विब्भम-कडच्छ-हसिरो अणिव्वुओ अणिहुओ य उभंतो। गलियंकुसो व्च मत्तो होइ मयंधो गयवरो व्व। अलियं पि हसइ लोए सवियारं अप्पयं पलोएइ । उग्गाइ हरिसिय-मणो खणेण दीणत्तणं जाइ ॥ विहसिजइ लोएणं एसो सो जिंदिओ जणवएण। कज्जाकजं ण-यणइ मोहेण य उत्तुणो भमइ ॥ परदार-गमण-दोसे बंधण-वहणं च लिंग-छेदं च । सव्वस्स-हरणमादी बहुए दोसे य पावेइ ॥ मरिऊण य पर-लोए वच्चइ संसार-सागरे घोरे । तम्हा परिहर दूरं इत्थीणं संगम साहू॥ अह कोइ भणइ मूढो धम्मो सुरएण होइ लोगम्मि । इत्थीणं सुह-हेऊ पुरिसाण य जेण तं भणियं ॥ आहारं पिव जुज्जइ रिसिणो दाउं च गेण्हिडं चेय । जं जं सुहस्स हेऊ तं तं धम्मप्फलं होइ॥ एयं पि मा गणेजसु दुक्खं तं दुक्ख-कारणं पढमं । तं काऊण अउण्णा उति कुगई गई जीवा ॥ 8 दुक्खं च इमं जाणसु वाहि-पडीयार-कारणं जेण । पामा-कंदुयणं पिव परिहर दूरेण कुरयं तं ॥ असुहं पि सुहं मण्णइ सुहं पि असुहं ति मोहिओ जीवो। दुक्ख-सुह-णिव्विसेसो दुक्खं चिय पावए वस्सं ॥ पामा-कच्छु-परिगओ जह पुरिसो कंडुय-रइ-संतत्तो । णह-कट्ठ-सक्कराहिं कंडयणं कुणइ सुह-बुद्धी ॥ तह मोह-कम्म-पामा-वियणाए चुलचुलेत-सवंगे। सुरय-सुहासत्त-मणो असुहं पि हु मण्णइ सुहं ति ॥ एवं च भगवया तियसिंद-णारद-वंद-सुंदरी-वंदिय-चलणारविंदेण साहिए समाणे भगवया पुच्छियं गोयम-गणहारिणा 'भगवं इमं पुण मेहुण-वेरमण-महव्वय-महारयणं कहं पुण सुरक्खियं होइ' ति। भणियं च भगवया। 14 वसहि-कहा-महिलिंदिय-पुव्वणुसरणं पणीय-रस-भुत्ती। एयाओं परिहरंतो रक्खइ मिहुणव्वयं पुरिसो॥ इत्थि-पसु-पंडय-वजियाएँ वसहीऍ अच्छइ णीसंगो। सज्झाय-झाण-गिरओ इय बंभे भावणा पढमा । इय छेयाओ ताओ णायरियाओ चलंत-णयणाओ। किलिकिंचिय-सुरयाइं इत्थीणं वजए साहू ॥ थण-जहण-मणहराओ पेच्छामि इमाओं चारु-जुवईओ । इय बंभवेर-विरओ मा मा आलोयणं कुणसु॥ इय हसिय इय रमियं तीय सम मा हु संभरेजासु । धम्मज्झाणोवगओ हवेज णिचं मुणी समए ॥ मा भुंजेज पणीयं घय-गुड-संजोग-जोइयं बहुयं । जइ इच्छसि पालेडं बभब्वयमुत्तमं धीर ॥ 10 एयाओं भावणाओ भावेतो भमसु भाव-पब्वइओ। संपइ वोच्छामि अहं परिग्गहे होंति जे दोसा ॥ ६३४५) कुणइ परिग्गह-सारं जो पुरिसो होइ सो जए लोभी। अग्गि व्व इंधणेणं दुप्पूरो सायरो चेव ॥ लोभाभिभूय-चित्तो कजाकज्जाइँ णेय चिंतेइ । अज्जेंतस्स य दुक्खं दुक्खं चिय रक्खमाणस्स ॥ 33 लुद्धो त्ति एस लोए णिदिजइ परिभवं च पावेइ । णटेसु होइ दुक्खं तम्हा वोसिरसु परिगहणं ॥ 1) मुक्खियं, 2) अणुवीर अभक्खण अभिक्खाण, P भत्तपाणे भुंजणाए, J समितीओ P समिता. 3) सामं for सामंत, Jom. वगहो. 4) विक्खित, Pमाले हिं for माणेहिं. 5) P मताई for मंतयाई, होहिति P होहित्ति. 6) I संजता, , अट्टया for सया, PM for तं. 7)P तेणाणुसोयं for तेगाणुण्णा, P वर for भवे. 8) तत्तियं वतं न तश्ययं वयं. 9) होई P होति. 10) विम्हम, P कडक्खः, P अणिच्छओ, अणिहिओ. 11) P लोएइ for सवियारं अप्पयं पलोएइ. 12) P निंदओ. 13) P छेयं, I हरणमाती, P सो for दोसे, I पावेति. 14) P पलोए बच्चइ संसायरे, P परिहरइ. 15) P सुरते कहन for सरएण होइ, Jलोअंमि. 16) Padds, after जुज्जइ, पुरिसा एएणं मारिओ अहं पुन्छ । तेण मए मारिज्जा तस्सेय जो देश ।। अवरे विहियंति, हे तं. 17) P कुगई गई. 18) Pवाहीपडियार, J पतीआर. 19) Pच for पि सुह, Pom. पि, P मुहं for असुई. 20) Pपामाकंडूपुरिंगओ, J कंडुअरति, P कंडूयणं. 21) P कंमपावाविणयाते चल चलेंतसव्वंगं, J विअणाय चुलुचलेत. 22) गोतम-, ' गणहारिणो. 23) मेहुणं वेरमण, P वेरमणं महव्वयं, P पुण रक्खियं भवइ ति ।. 24) P रसभोई।, J एताए for एया ओ. 25 J इत्थीपसुपंडिय, वसईए अच्छ णीसंको, P निस्संगो, Pएगंते for इय बंमे. 26) Padds य after ताओ, P किलकिंची सुरयादी. 27) P थणहरनमणथराओ, I आलोवणं. 28) P ओ for हु, P धम्मज्झाणावगओ. 29) J संजोअ, P इच्छह, P वीर for धीर. 30) एताओ, P भातो for भावेतो, P adds संपदओ before संपइ. 31) Jसे for सो, चेय. 32) JP "भूतचित्तो, J अजंतरस- 33) P परिवं. Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૨૨ उजोयणसूरिविरइया [$३४५. 1 मरिऊण जाइ णरयं भारंभ-परिग्गहेहिं जो जुत्तो। तस्स ममत्ते पावं ममं ति अप्प ब्व संकुणइ ॥ एवं च सयल-विमल-केवलालोइय-लोयालोएण परूविए भणियं गोयम-मुणिणाहेणं 'भगवं, इमं पुण परिग्गह-वेरमण-मह 3 व्वय-रयणं कह सुरक्खियं हवई' त्ति । भगवया भणियं । पंचण्ह इंदियाणं विसए मा कामसु ह सुरूवे य । असुहे य मा दुगुंछसु इय समिई पंच परिगहणे ॥ त्ति । इय पंच-महब्बय-जुत्तो ति गुत्ति-गुत्तो तिदंड-विरय-मणो । साहू खवेइ कम्म अणेय-भव-संचियं जंतु ॥ पुणो, जस्थ ण जरा ण मयू ण वाहिणो णेय सव्व-दुक्खाई। सासयमकारिमं चिय णवर सुहं जाइ तं सिद्धिं ॥ एयाण वयाण पुणो भेया दो होति जिणवर-मएण । अणुवय-महव्वयाई गिहिणो मुणिणो य सो भेदो ॥ एए मुणिणो कहिया जावज्जीवं हवंति सव्वे वि । गिहिणो उण परिमाणं अणुव्वए ते वि वुचंति ॥ अण्णं च । कुणइ दिसा-परिमाणं अणुदियहं कुणइ देस-परिमाणं । तेणुळं विरओ सो लब्भइ सव्वेसु अत्थेसु ॥ तइयं अणदंडं उवभोग अत्तणो परिहरेत्ता । सेसेसु होइ विरओ पावट्ठाणेसु सव्वेसु ॥ सामाइयं चउत्थं एयं कालंतरं महं जाव । समणो व्व होमि विरओ सावजाणं तु जोगाणं ॥ . पोसह-उववासो विय पव्वे भट्ठमि-चउद्दसीय अण्णयरे । उववासो होइ तहिं विरई सावज-जोगाणं ।। घर-भोग-जाण-वाहण-सावज-जियाण दुपयमादीण । परिमाण-परिच्छेदो विरई उवभोग-परिभोगे । णाएण जं विढत्तं खाणं पाणं च वत्थ पत्तं वा । साहूण जाण दिणं ताव ण भुंजामि विरओ हैं। तिण्णि य गुणव्वयाई चउरो सिक्खावयाइँ अण्णाई। पंच य अणुव्वयाई गिहि-धम्मो बारस-विहो उ॥ अण्णं च । मरणतम्मि पवजइ छटुट्ठम-तव-विसेस-सूसंतो । समणो व सावओ वा मरणं संलेहणा-पुव्वं ॥ ६३४६)एवं च तियसिंद-सुंदरी-वंद्र-रहस-पणमंत-पारियाय-मंजरी-कुसुम-रय-रंजिय-चलणारविंदेण साहिए जिणि18 देण भणियं गणहर-देवेणं 'भगवं, इमाणं पुण बारसण्हं वयाणं संवेग-सद्धा-गहियाणं गिहिणा के अइयारा रक्खणीय' ति। भगवया भणियं । एक्केके पंच जहा अइयारा होंति सम्व-वय-सीले। तह भणिमो सव्वे चिय संखेवत्थं णिसामेह ।। A बंध-वहच्छवि-छेदो अइभारारोवणं चउत्थं तु । पाणण्ण-णिरोधो वि य अइयारा होंति पढमस्स ॥ मिच्छोवदेस-करणं रहसब्भक्खाण कूड-लेहो य । णासावहार-करणं अलियं मंतस्स भेदं च ॥ तेण-पउंजण-आहिय-गहणं विरुद्ध-रजं वा । ऊणाहिय-माणं चिय पडिरूवं तेणिया होंति ॥ परउव्वाहो इत्तर-परिग्गहे गमण होइ पर-महिला । कीरइ अणंग-कीमा तिव्वो वा काम-अहिलासो॥ खेत्त-हिरपणे धपणे दासी-दासेसु कुप्प-भंडेसु । होइ पमाणाइक्कम अइयारो होइ सो वस्सं ॥ खेत्तादिक्कम-सीमा-वइक्कमो तह हिरण-अइचारो। खेत्तस्स वुटि-सइअंतरं च पंचेव य दिसाए॥ सद्दद्दव्वाणयणं पेस-पओगो य सद्द-पाडो य । रुवाणुवाय-पोग्गल-पक्खेवो होइ देसस्स ॥ कंदप्पे कुक्कइए मोहरिए चेव होइ असमिक्खा । उवभोगो वि य अधिओ अणदंडस्स अइयारो॥ मण-वयण-काय-जोगे दुप्पणिहाणे अणादरो चेय । ण य सुमरइ तिय-कालं सामाइए होंति अइयारा ॥ उच्छग्गो आयाण संथारो वा अजोइए कुणइ । ण य आदरो ण भरइ पोसध-धम्मस्स अइयारा॥ 15 1) Pजोर for जाइ, J adds य before ममत्ते, P पाव, J ममहि अपव्व संकुण 1. 2) P°लोइया लोयालोए J (लोआ) लोएण for लोयालोएण, गोतम, P गोममुणि'. 4) P कामसुहे सुरज्जेज्जा । अहेम य, JP समिती, परिग्गहेणे, Pom. इय, 6) मच्छू, Pण य for णेय, P चिय नवरं अह जीइमं तं, J सिद्धी. 7) P अणुचय. 8) J उण मरियागं, तु for वि, P विमुच्चति. 9) तेणत्थं for तेणुहू, विरतो सो परिओसो. 10) P अणस्थदंडं, P परिह रित्तो, J विरतो P विरत्तो. 11)P repeats एयं,J महो । मह for महं [=अहं ], P सव्वणो, विरतो. 12) पोसध-, J अट्ठमी चउद्दसीय P अट्टम्मि चउद्दसीउ, P होति, JP विरती. 13) दुपतमातीण, P परिच्छेओ, J विरती 14) I तत्थ for वत्थ, विन्नं for दिण्णं, P विरतो 15) P बारसविहाओ॥. 16) J संजतो for सावओ. 17) Jएतं for एवं, P om. वंद्र, P परिसायः, J कुमुमरयंजिअ. 18) Jadds च after भणियं, P भणियं for भगवं, P गहिताण, JP अतियारा. 20) P adds एकेके पंच पंच जहा अतियारा. होति रक्खणीय त्ति । भगवया भणियं before एकेके, Pचिय, निसामेहा. 21) P बंधं वहं च छेओ, P-निरोहा वि, J अतियारा. 22) Pमिच्छोवएस, P रहस्सभक्खाण कूडलोहो य ।, P मेयं. 23) पयुंजणयाहित, P -आहित, होइ for होति. 24) P परिविवाहोत्तर, उत्तर for इत्तर. 25) खेत्त हिरसे सुबन्ने धणधन्नदासिदासे कुप्प, J पमाणातिकम अतिआरो, P होइ सन्वरसं. 26) Jखेत्तातिकम्म, J वतिकमो P वरकमे, J अइयारो P अतिचारो, J -सतिअंतरं P रिसइअंतर. 27) J सहो दवाण परं पेसPसड़ा दवाणयणं, J सद्दपातो P सद्दपाढो, J रूवाणुपात Pरूवाणुपाय, होति. 28) Pकंदप्प, P असमिको, Pउवभोगा, P अहिओ अणत्थः, J अतिआरो. 29) J जोए, Jणणादरो चेअ P अणायरे चेव, J सुमरति. 30)Pउवसग्गो for उत्गो , अजोयणे for अजोदए, P आरो for आदरो, J भरई P भरेइ पोसह , ' अतिचारो. Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१३४७ ] 1 सचिते संबद्धो मीसो सवित्त-अभिसव दुपको आहारंतो पुरियो अइयारं कुणइ उपभोगे ॥ सच्चित् क्खेिवो अधवा पिडणं परस्स एयं ति । देइ व मच्छर-जुत्तं अधवा काले भइक्कते ॥ संलेहणाऍ जीविय-मरणे मित्ताणुराग सुह-हियभो । कुणइ नियाणं एए मरणंते होंति अइयारा ॥ इय सम्मत्त महन्वय-वय-सील-गुणेसु रक्ख अइयारे । णर-सुर-सिद्धि-सुहेहिं जइ कजं तुम्ह भव्वजिय ।। ति । ई ३४० ) एवं च संसार-महोयहि-कम्म- महापवण-पहल- दुक्ख सहस्स तरंग-भंग-भंगुरे णस्य- महामयर-करवत्त-कराल 6 दाढावली - मुसुमुरणा- चुक्कस्स जहिच्छिय-तीर-गामिए जियस्स जाणवत्ते व्व साहिए समण-सावय-महाधम्म-रयणे जिनिंदयंदेणं 6 ति भवसरं जाणिऊण बहु- जीव- वह पावासंकिएण पुच्छियं कंचणरहेण राइणा 'भगवं, मणिरह- कुमारो किं भव्वो, किं वा अभव्वो' त्ति | भगवया तिलोय-गुरुणा भणियं 'महाणुभाव, ण केवलं भव्वो चरम सरीरो वि' । कंचणरहेण भणियं 'भगवं, जइ चरम- सरीरो वा फीस णिरुतो वि पारद्धि-वसणी जाओ'। भगवया भणियं किं कीरड एग्ध परिसा तस्स कम्म-भवियन्वय'ति । राइणा भणियं 'भगवं, कहं पुण कइया तस्स बोही जिण मग्गे होहिइ' ति । भगवया भणियं 'देवाणुपिया, पोि वित्तियं वेलं उवसंत-चारितावरण जान जाय-गिब्वेनो पत्त-संवेगो इहेब पत्थिो' सि । राइणा " भणियं 'भगवं केण उण वृत्तंतेण से संवेगं जायें' ति । भगवया भणियं 'अस्थि इओ जोयणप्पमाण-भूमि-भाए कोसंबं णाम 12 वर्ग तत्थ बहुए मय-संबर वराह सस संघाया परिवसंति। तस्य पारहि णिमिचं संपत्तो न मणिरह-कुमारो। तत्थ भ्रममाणेण दिट्ठे एक्कम्मि पएसे मयउलं । तं च दट्ठण अवलयं अवलएण संकमंतो उवगओ समीवं । केरिसो य सो । अवि य । आयण्ण- पूरिय-सरो णिचल-दिट्ठी णिउंचियग्गीओ । णिम्मत्रिओ लेप्प-मओ व कामदेवो कुमारो सो ॥ 5 सो वि कह कहे पि नियय-मंस-विलुंपणा-भय-चकिय-होल-दस-दिसा-पेसिय-कसिण- तरल-तारहिं दो मुद्ध-मय- सिडिहिं 3 7 कुवलयमाला दहूण सहसा संभंता पण्डा दिसोदिसिं सव्व मया । वाणं च मझे एका मय-सिडिंबी तं कुमारं दद्रूण चिरं णिज्झाइ 8 अण दीहं णीससिका निष्फंदिर-लोयण-जुयला सिद-वस-पम्हुङ-णियय-जीय-विलुंपण-भया पफुल-लोषणा उप्पण्ण-हियय-18 संभा सम्यंगमुणी सहा तं चेय आयण्ण-पूरिय-सरं कुमारं अहिलसेट् ति तं च तारिसं दडूण कुमारेण वित्तिय । 'अहो, किमेयं ति । जेण सम्ये मया मईओ मव-सिडिंबा य दियोदिसं पणडा, इमा पुण मयसिडिंबी मर्म दडूण चिरयाल-दि। इयं पिय अवयासण- लालसा अभिमुद्दे उवेद' ति चिंतयंतस्थ संपत्ता तं पसं कुमारो वि संपत्ती । तो दिट्ठो व तीय 21 अणेय सावय-जीवंतयरो अद-सरवरो तह वि 0 २२३ दइयं पिव चिर- दिहं पुत्तं पिव पाविया पियं मित्तं । अवगय-मरण- वियप्पा कुमरं अह पाविया मइया ॥ तं च ता दद्रूण सिणेह निरंतरं पित्र दइयं वण-मय सिलिंविं कुमारेण 'आ अणजो आई' ति हियं भग्गं तं सरवरं, 28 चलणग्गेण य अक्कमिऊण मोडियं तं अत्तणो चावं । तओ मोडिय- कोडंडो अच्छोडिय-असि घेणुओ इमं भणिडं पयत्तो । अवि य । जो मह पहरह समुह कडिय करवाल-वायद करग्गो वं मोसूण रण-मुद्दे मज्झनिवत्ती पहरिजं जे ॥ जो पहरइ जीवाणं दीणाणं असरणाण विमणाणं । णासंताण दस दिसं कत्तो भण पोरिसं तस्स ॥ मारिजइ दु-मणो समुहं मारेइ पहरण-विहत्थो । जो उण पलाइ भीओ तस्स मयस्सावि किं मरइ ॥ मा छोह गव्यय-मणा हि किर विणिवा जिया रणे । एहिं चिय बहिया तुमे एवं विषये एए अम्हे हैं जिया एकं वारेति विणिहया रणे । अम्हे पुण एएहिं अनंतसो मारिहिज्जामो ॥ अहमो चिलीण-कम्मो पायो अह विलो मिहीयो य । जो अवराह-विहीणे पहरड़ जीवम्मि पाव-मणो ॥ ॥ 15 27 P अवा. J 1) सच्चित्ता अभिसवदुप्पक्को, अभिसवहुथक्को । आहारंतो, P अश्यारो, P उपभोगो. 2 ) P अहव पियाणं, P एतं ति, 3 ) जीवित, मित्ताणुराय, कुणइ मिताणं च एते, P मरणं तो, अतिआर. 4 ) P समत्त P रय for वय, P वसु for गुणे, अतिआरे अतियारे, कज्जा, JP भवजिय. 5 ) P महोयहिकंममहपवण, P om. भंग. 6 ) P जिस्स for जियस्स, P साहिते, 7) पावासाकएण, P रायणा. 8 ) P केवलो, Jom. वि, P कंचणरथेन भणितं. 9 ) P निरुतो वि, r after पारद्धिवसणीजाओ repeats the further portion, namely, भगवया मणियं देवाणुपिया etc. to संवेगं जायं ति, I adds अ before किं, 3 repeats एत्थ, एरिसो. 10 3 om. भगवं, Pom. कह. 11 देवागुपिया, एसिय Jom. जान, Pom. जाय, उपयत्त for पत्त- 12 ) Pom से, बेरगं for संवेगं प्यमाणे भूभाए. 13) तत्थ य बहुमय-, P मणोरहृकुमारो 14 ) संकतो, P उवगतो. 15 ) P णिउब्वियग्गीओ. 16 ) P - नियमास भूय for भय, JP चकित. 17) J सहा for सहसा, दिसादिसं, Jom. मय. 18) Jom. दीहं णीससिऊण, P सिणह, Pणियजीविया विलुप्पणभया वप्पफुल, वफफुल 19 ) r च for चेय, J अहिलेइ त्ति, Pom. अहो किमेयं ति. 20 J adds after मईओ, P दिसादिसि पट्टा, P उण for पुण, 3 adds एक्का after पुणो, P चिरकाल. 21 ) P अहिमुहं P चिंतियंतरस. 22 ) J जीअंतरो अड्ढयंद, P जीवंतपरो अद्धयंदस्स वरो तहे वि. 23 ) P कुमारं, Pinter. अह & कुमारं P मतिया. 24 ) Printer. तहा & तं च P वणमयासिलिंबी, P भयं for भग्गं. 25 ) P मोडितं अत्तगो, P कोदंडो, ससिवेणुओ. 27 ) J om. तं, P रणमुहो, जो for जे. 28 ) P भीयाणं for दीणाणं, P कत्तो पुण पारुसं. 30 ) P गव्वियगणो अम्हि किर विहिया, P repeats जिया, P विद्या for वहिया, P वियप्पेओ ।. (31) P एते, P उग for पुण. 32 ) विणिट्टो for विट्टलो, P विहीणो. 30 Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [ ६३४८ ९ ३४८ ) एवं च चिंतयंतेण उप्पण्ण-मित्त करुणा-भावेण छित्ता करयलेहिं सा मय- सिलिंबी । अवि य । जह जह से परिमासइ अंगे मइयाए णिहुययं कुमरो । पणय- कलहे थ्व तह तह दइयाए गलति अच्छीणि ॥ कुमारस्सदि वियसियलोयणेहिं उम्बूढो अंगेसु रोमंचों, पसरिओ हियए पहरिसो, णायं जहा 'का वि एसा मम पुत्र- जम्म संबद्धे ति अविव । 1 जाईभरा मण्जे इमाई जयगा होति लोयस्य विवति वियम्मिजणे अम्बो मलेति सम्म | 1 6 सा एवं पुण ण याणिमो कम्मि जम्मंतरस्मि का मम एसा आसि सि चिंतयतस्स टियं हियए 'अज किर तामो गोसे चेय चंपाउारें उवगभो किर तत्थ भगवं सव्वण्णू समवसरण - संठिओ, तस्स वंदना- णिमित्तं ता अहं पि तत्थ गमिस्सं जेण पुच्छामि एवं वृत्तंतं 'का एसा मय वहू आसि अम्ह जम्मंतरे' त्ति चिंतयंतो चलिओ । संपयं पढमए समोसरण-पायार9 गोउरंतरे वहद, मय-सिलिंत्री विति भगतस्स भगवओ पुरओ मणिरह- कुमरो ति पयाहिणं च काउं भगवंतं वंदिउं पयो । 1 २२४ 'जय जय जियाण बंधव जय धम्म-महा-समुद्र-सारिन्छ। जय कम्म सेल-दारण जय गानविय मुदि ॥ ति । 12 भणमाणो पणमित्रो चलणे पणाम-पथुट्टिएण भणियं 'भववं, तं णत्थि जं ण याणसि लोगा लोगम्मि सन्च-वुत्ततो । ता मह साहसु एयं का एसा आसि मह मइया ॥' एवं च पुच्छिभ भयत्रं णाय - कुल-तिलओ जय-जीव-बंधवो बहुयाण जिय-सहस्साण पडिबोहणस्थं नियय-जाय-पव्वत्तं 15 पुब्वक्खाणं साहिउं पयत्तो । 18 21 ९ ३४९ ) भो भो देवाणुप्पिया, अस्थि इओ एक्कम्मि मह जम्मंतरे सागेयं णाम नगरं । तत्थ मयणो णाम राया । तरस य पुत्तो अहं, अगकुमारो व मई णार्म तम्मि काले आसि । एवं च अच्छमागस्स तम्मि णवरे को तो आसि । अवि य । आसि वेसमणो णाम महाधणो सेट्ठी । तस्स य पुत्तो पियंकरो णाम । सो य सोम्मो सुहओ सुयणो सुमणोहरो वाई कुलो विणीयं दबा दो संविभागी पुष्वामिभासी यति तस्स व एरिसरस समाज जम्म काला सह-संवडिया सहज्झय घरे पिउ-मित्तस्स धूया णामेण सुंदरि त्ति । सा विरूवेण मणोहरा मुणीणं पि भावाणुरता य । | तस्स पियंकरस्य तं च तारिखं दण तेण पिडणा तस्सेय दिष्णा, परिणीया य धणियं च बद्-गेह-सम्भावा अवरोप्यरं सण-मेपि विरहे असुया होंति । एवं च तार्ण अदिवसि जय-जोध्वण-बस-पसरमाण- सिणेह - पेम-राय-रसार्ण वच कालो । अण्णया य तहा- भवियन्व-कम्म- दोसेण वेयणीउदएण अपडु सरीरो सो पियंकरो जाओ । अपडु-सरीरस्स सा सुंदरी 24 महायोगाभिहया ण भुजए ण सुबण जंप अपर्ण काय कुणइ केवलं संभाविय-दय-मरणा हियवमंतर-घरुवरंत संवाय वाविययण-भावणुण्यतमाण- वाह-ज-लवा दीण-चिमणा सोबती ठिया तो तहावि-कम्म- धम्म-भवियन्वयाए आय-कम्ममक्याए यमन सो बजिय-पुतो तओ तं च मयं पेच्छिकण दिसण्णो परियणो, सो य विमणो पल-विडं 27 पयत्तो । अवि य । : 1 1 ) चिंतयंत, P कलु for करुणा, P हिक्का for हित्ता, P गइसिलिबी 'हा पुत्तय हा बालय हा मुद्रड-गुण-गणाण आवास काथ गओ सि पियंकर पटवणं देसु मे तुरियं ॥" एवं च पाणिभरे घर-जण हलबोलीहूए परियणे कथं च करणिजं विणिम्भिवियं मय जाणवते ती तत्वो [30] माढता तो तं च तारिर्स दडण सुंदरी पहाइया 'भो भो पुरिसा, किं एवं तुमेहिं समाहतं' । तेहिं भणियं । 'बच्छे 3 एस सो तुह पई विवण्णो, मसाणं णेऊण अग्गि-सकारो कीरइ' ति णिसुए कोय- विरजमाण-लोयणाए बद्ध-तिवली-भंगुरनिढालवाए भणियं 'अवेह, किरुणा पावा तुठभे जं दद्दयं मये भगह, इमरस कारणे तु चैव मया पहिया ढड्डा व, 2 ) P परिगुसती अंगे मझ्या मिहुय दइआय. 3 ) P उच्छूढो भंगे क. 4 ) J om. पुत्र्वजन्म, Pom. अपि य. 5 ) P जाईसराई मने, P जमे for जणे, J वेस्सम्मि P जंजतरंमि, P ट्ठियं, P गोसो चेय चपाउरी आगवो. & अम्ह, P समवसरण. 9 ) P वति, Pom.ति. 13 ) P जं न जाणसि, लोआलोअम्मि. 14) देवापिया, सागतं. 17 ) P अहं for य महं. P सुयणा. 19 ) P कुसली, P "भागी पुभासी वत्ति, P जंमकालसमा संवडिया. 20 J सयज्झय P सयज्झिय, परिन्ना before परिणीया, P वद्धणे for बद्धणेह 22 Jom. पि, adds तओ before एवं, P सिणेह, पेम्मरायवसाण. 23 Jअण्णत्ता, adds य before वेयणी, P अपटु- in both places, r om. सा. 24 J सोगाहिया, J adds न हसe after सुयए, P adds त्ति after कुगर, J 'हिअब्भंतर P हिययम्भंनंतर 25 ) P for संताव, P ट्ठिया, J भविअवताए. 26 ) P कंमक्याए, P वर्णियउत्तो वि पुणो for विसण्णो. 28 ) P पुत्त महागुणमणाणभयणया ।. 29 > उ कर्यं च जं करणीयं विणिम्मियं मयजाणं ), P मयज्जाणवत्तं, तत्थ वोढुं पयत्तो P तत्थ छोढुमाढत्ता, Jom. ओ. 30 ) P कि मेथं, (31) P तुह पती, P णाऊण for णेऊग, P जयगाए for लोयणाए. 32 ) पट्ठाए for बट्टाए, P repeats बट्टाए, 6) 7) समवसरिओ तरस, P वंदण-, I o. पि. 8 ) एतं, Pinter. आसि 11 ) Pom. one जय, P दारुण 12 ) P पणामिओ, P पणामएवुडिएण भगवं, repeats जय, पहूण for बहुयाण, णिअअजातयवत्तं. 16 > 18 ) Padds वु before महावणो, उ om. य before पुत्तो, सोमो. च for य before त्ति, Pom. य एरिसरस, समाणकम्मकलासह, पिय for पिउ, Pom. पि. 21 तेण से पिउणा तस्स य, Padds om. पावा J रड्डाए P वट्टाइय for डड्डा य. . Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ३४९ ] कुवलयमाला २२५ 1 ण कयाई एस मह वल्लहो मरीहिइ उज्झिस्सइ' त्ति । तओ तेहिं चिंतियं 'अरे, एस णेह-गह गहिया उम्मत्तिया पलवइ । बराई' | 'बोहह एवं कलेवरं शिक्कासेह मंदिराओ' चि भणमाणेहिं पुणो वि उक्लिविडं पयतं । तो पुणो वि अभिधावि3 ऊणं लग्गा सुंदरी 'भो भो दिय पुरिसा काय ममं इमं दयं धेनुं चलिय'ति । अवि य 'पेच्छह पेच्छह लोया एसो मह वल्लहो जियंतो वि । हीरइ कहिं पि माए किं एस अराउलो देसो ॥' तिमीडिया उपरि सम्बंगियं आलिंगिऊण ठिया त य ते सपणा सव्ये किं-कायव्य विमुडा विमणा 6 दुम्मणा चिंति यत्ता भगिया व पिउणा 'सुंदर बच्छे, एस से भत्ता मभो मा एवं विसु, मुंचसु इज्झइ एसो ति सीए भणियं 'एयस्स कए तं चिव उज्झमु' ति । तओ जणणीए भणिये । , 'कीस तुमं गह गहिया एवं परिरक्खसे विगव-जीयं मा हो पुति मूढा एस मभी ज्झ एहि ॥' 18 9 तओ तीए भणियं । 'अत्ता, णा गहेण गहिया गहिया रक्खेण तं चिय अलजा जा मज्झ पिवं ददये दाह एवाहरसि ॥' एवं च ससुरेण अण्ण्ण य गुरुयणेण सही सत्येण भणिया वि 12 पेम्म-महा-गह गहिया मयं पिसा च्छ पिवं मोतुं । रागेण होंति अंधा मण्णे जीवा ण संदेहो ॥ तभी विसयो से जणमो गारुलिए भूय-लिए अण्णेय मंतिवादिणो मेलेइ णय एके पि से कोइ बिसेसो को त्ति । तभ णत्थि को वि उवाओ त्ति पम्मोकिया, तम्मि चेय अच्छिउं पयत्ता । तभो दुइय दियहे जीय-विमुक्तं तं कलेवरं 15 सुजितं पयसं पुणो अण्-दिय व उपगो पोग्गलाण वि गंथो तह वितं सा मड लिंग वादाहिं गुरु हरमेहिं सुबह मुहेण कीर्यत सुरय-ली तं चिय सा सुमरए मूढा ॥ तओ णिदिज्जमागी परियगेणं वारिजमाणी सहीहिं इमं भणिउं पयत्ता | अवि य । 'हेहि मज्झ सामिय बच्चामो बाहिर वर्णतम्सि जत्थण पेच्छामो थिय अप्पिय भणिरं इमं लोगं ॥ पेच्छ मोगह गहिओ लोगो इह भगइ किर मन तंसि इव गिर-यया कह मझे अछि तरति ॥ फिर से पिय मय-कुहिलो एसो अह जंप जणो घट्टो एयस्स किं व कीरड भदवा गढ़-गहियो एसो ॥ मज्झण जुलाइ एवं सामिय तु निंद सहे जे तदा वच्चामो थिय जत्य जणो गरिथ तं ठाणं ॥' 21 ति भणमागीए उक्खित्तं तं करंकं आरोविडं उत्तिमंगे ओइण्णा मंदिराओ पयत्ता गंतुं रच्छा-मुहम्मि विम्हय करुणा- हासबीमण्ड-भय-भावेण जग दीसमानी या परीओ केरिसं च येनुं कलेवरं कुहिये। सिमिसित अंत किमि संकु 24 मिणभित-मच्छिये सदसदेत चम्म फसफस-फेस कलकत-पोइयं उच्यमंत-गंध दीसंत-यं फुरंत पचणये 24 तुर्हत अंत फुर्डत सीसयं ववमुत्तयं पयट्ट-पुत्र सिरंत लोह वर्मत-पित्तवं किरंत-मजयंति । अंतो असुइ सयब्भं बाहिर दीसंत सुंदरावयवं । कंचण - कलस समाणं भरियं असुइस्स मज्झम्मि ॥ , भणइ य । 30 'पिययम एवं भिक्खं भमिण पावियं तुझ से पि मझ दिज जं तु गवि रोय ॥' एवं च जं किंचि भुंजिऊण दियहे दिय हे कयाहारा कावालिय-बालिय व्व रक्खसी वा पिसाई व तस्सेय रक्खण-बावडा अच्छिउं पयत्ता तम्मि महा-मसाण- मज्झम्मि । 1) महर, इशिरस त्ति इज्झिसर त्ति, P ओमत्तिया विलवर. 2 ) P गेण्ह एयं कडेवरं, P पुणो उवक्सिउं, J अओ for तओ. 3 ) भो भो बुद्धिपुरिसा 4 ) कहं पि. 5 ) Pom. त्ति, उ om य after तो मिणमा ताप अच्छिउं पयत्ता. 6 > P सुंदरी, ए for ते, मा एवं, Pom. मुंचसु. 7) तीय, इज्झासु P उज्झस, I माया पलविडं पयत्ता for जगणीए भणियं ( on the margin in 3 ) 8 ) P एतं, P जीवं 1, P एहिं for एहि 10 P om. one गहिया, अणजे for अलजा. 11) r om. fq. 12), जीआ. 13 ) P गारुलीए भूते, भूततंतिए, मंतवातिगो मेलेति ण य एको पि, P म for ण य, P सो for से. 14 ) P तं उ for तओ, J कोइ for कोवि, P पुणो for तओ before दुइय, J adds before जीय. 15 > P सुज्झिर्ड, अंबो for गंधो. 16 ) गोल for गुललइ, P हत्थेण, " जायंत for कीयंत. 17 ) P सहियणेण इमं भणियं पयत्ता. 18 ) Padds चिय after वच्चामो, P भणियं इमं लोअं. 19 ) J लोओ किर भणइ किर, P तर 1. 20 ) P for गय, घेट्टो | 21 ) P तुह निद्दणं पि सोउं जे ।, P जणे णत्थि 22 > भणमाणीय, उ उत्तमंगे P उत्तिमंगो. 23 ) P राय for भय, Pom. कलेवरं, र किमिकुलं. J तुईत for तुर्हत, P adds फुट्टंत अंतयं after अंतयं, फुरंत फुटंत for फुडंत, Pपूव्वयं, किरंतलोहियं, Padds रसंतबंधयं पयंतमेत्तयं after पित्तयं, P किरयंत. 26) सरिस for कलस. 27 ) P भीम, P रोवयं for मसाणं, P खंधाधारो वि य, P धूली- 28 ) J om तं before तरस, P तत्थ for तस्स. 30 ) P पाविया एयं ।, P तुज्झ for तुह, Pन for ण वि. 31)p om. जं किं चि, कावालिणि व्व रक्खसी, J वा 1 य for व after पिसाई, P बहु व्व for तरसेय रक्खणवावडा. 32 ) Pom. महा. 24 ) P फसफसेंते. 25 29 3 27 तंपि तारिसं भीमं दुदंसणं पेम्म गह गहिया चेतुं उबगया मसाणं तत्थ धारोविय-कंकाला जर पीर-नियंत्रणा धूलि- 27 पंडर- सरीरा उद्ध-केसा मलिन पेसा महा-भइरव वयं पिव चरंती भिक्लं भमिकण जं तत्थ सारं तं तरस निवेए । 12 15 18 21 30 Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [९३० - 1 8३५०) पुणो तेण तीए पिउणा विण्णत्तो अम्ह ताओ जहा 'देव एरिसो वुत्तंतो, अम्ह धूया गह-गहिया, ता तं __ जइ कोइ पडिबोहेइ तस्स जं चेय मग्गइ तं चेय अहं देमि त्ति दिजउ मज्झ वयण णपर-मज्झे पडहओ' ति । एवं 3 च तायस्स विण्णत्तं तं णिसुयं मए । तओ चिंतिय मए । 'अहो, मूढा वराई पेम्म-पिसाएण ण उण अण्णेणं ति । ता अहं बुद्धीए एयं पडिबोहेमि' त्ति चिंतयतेण विण्णत्तो ताओ । 'ताय, जइ तुम समादिससि ता इहं इमस्स वणियस्स संबोहेमि तं धूयं' ति । एवं च विण्णविएण ताएण भणियं । 'पुत्त, जह काऊण तरसि ता जुत्त इमं कीरइ वणियाण 6 उवयारो' त्ति भणिए चलिओ अहं मसाण-संमुहं । जाणिया मए कम्मि ठाणे सा संपर्य । जाणिऊण णिवारियासेस-परियणो एगागी गहिय-चीर-माला-णियंसणो धूली-धूसर-सरीरो होऊण खंधारोविय-दुइय-कंकालो उवगओ तीए समीवं । ण य मए किंचि सा भणिया, ण य अहं तीए । तओ जा ज सा तस्स अत्तणो कंकालस्स कुणइ तं अहं पि णियय-कंकालस्स 9 करेमि त्ति । तओ वश्तेसु दिय हेसु तीए भणिओ अहं 'भो भो पुरिसा, किं तए एवं कीरइ' त्ति । मए भणिय 'किं इमाए तुज्झ कहाए' । तीए भणियं 'तह वि साहिजउ को एस वुत्ततो' त्ति । मए भणियं 'एसा अम्ह पिया दइया सुरूवा सुभगा य । इमा य मणयं अपडु-सरीरा संजाया । ताव य जणो उल्लवइ 'एसा मया, मुंच एयं, डज्झइ' त्ति । 1 तओ अहं तेण जणेण गह गहिओ इव कओ । मए वि चिंतियं 'अहो, एस जणो अलिओ बलिओ य । ता इमिणा __ण किंचि मज्झ कज ति घेत्तण दइयं तत्थ वच्चामि जत्थ णस्थि जणो' त्ति । एयं च णिसामिऊण तीए भणियं 'सुंदरं कयं जं णीहरिओ पिय घेत्तृण, एस जगो अलिय-भणिरो, इमिणा ण कर्ज ति । मह पि एसो चिय वुत्तंतो' ति । ता 15 अम्ह सम-सहाव-वसणाणं दोण्हं पि मेत्ती जाया । मए वि भणियं 'तुम्हें मम भइणी, एस य भइणीवईओ, किं च इमस्स णाम' ति । तीए साहियं 'पियंकरो' त्ति । 'तुह महिलाए किं णाम' । मए भणियं 'मायादेवि' त्ति । एवं च कय-परोप्पर-सिणेहा अण्णमणं अच्छति । जदया उण आवस्सय-णिमित्तं जल-पाण-णिमित्तं वा वच्चइ तइया य ममं 15 भणिऊण वच्चइ । 'एस तए मह दइओ ताव दट्टयो' त्ति भणती तुरियं च गंतूण पुणो पडिणियत्तइ त्ति । अहं पि जइया वञ्चामि तइया तं मायादेवि समप्पिंऊण वच्चामि, झत्ति पुणो आगच्छामि'त्ति। एवं च उप्पण्ण-वीसंभा अण्णं पुण दियह मम समप्पिऊण गया आगया य। तओ मए भणियं 'भइणि सुंदरि, अज इमिणा तुह पइणा किं पि एसा मह महिला 21 भणिया तं च मए जाणिय' ति । तीए भणियं । 'भो भो दइय, तुह कारणे मए सव्वं कुलहरं सहियणो य परिच्चत्तो।। तुमं पुण एरिसो जेण अण्ण महिलं तरं अहिलससि' त्ति भणिऊण ईस-कोवा ठिया । पुणो अण्णम्मि दियहे मह समप्पिऊण गया काययणं । मए वि घेत्तणं दुधे वि करका कूये पक्खित्ता । पक्खिविऊण य तीय चेय मग्गालग्गो अहं पि उवगओ। 4 दिट्टो य तीए पुच्छिो । 'कस्स तए समप्पियाई ताई माणुसाई' ति। मए भणिय 'मायादेवी पियंकरस्प समोप्पिया, पियंकरो वि मायादेवीए ति । अम्हे वि वच्चामो चेय सिग्धं' ति भणमाणा काऊण आवस्सयं संपत्ता संभंता जाव ण पियंकरो णा मायादेवि त्ति । 7 ६३५१) तओ तं सुग्णं पएसं दहण मुच्छिओ अहं खणं च समासस्थो धाहाविउँ पयत्तो । अवि य, धावह धावह मुसिओ हा हा दुहेण सेण पुरिसेण । जीवाओ विचल्लहिया मायादेवी अवहिया मे ।। धावह धावह पुरिसा एस अणाहो अहं इहं मुसिओ। अधियाणय-सील-गुणेण मज्झ भइणीऍ दइएणं ॥ भइणी सुंदरि एहि साहसु अह कत्थ सो तुहं दइओ। घेत्तूण मज्झ जाया देसाओ विणिग्गओ होज ॥ किर तं सि महं भइणी सो उण भइणीवइ त्ति वीसत्यो। तं तस्स समप्पेउं पिय-दइयं णिग्गओ कजे ॥ जाव तुह तेण पइणा सील-विहूणेण ण?-धम्मेण । साल-महिलं हरतेण सुंदरं णो कयं होज्जा ॥ 1) Jतीय, Jom. ता.2) Pom. मज्झ वयणेण, Jom. णयरमज्झे, J इमं for एवं. 3) J तातरस, rच तस्स विन्नप्पंतं,J तओ for अहो, वराती पिम्म- 4) ताई for अहं, Pom. एयं, J om. ताओ, J जदि तुमं समादिससि ता इमरस अह वणिअस्स, "सगाइससि. 5) P जुत्तमिग कीरइ वयारो त्ति. 6) Pई for अहं, P -समुहं, P द्वाणे. 7) P चीरमला, P -सीरीरो, om. दुइय. 8) J तीय, PG for जा, P repeats तं, P om. पि. 9) Jतीय, Pom. मण भणियं. 10) P तुह for तुज्झ, J तीय, P तदा वि, J अम्हं. 11) सुया for सुभगा, Pom. य, P मणुयं for मणयं, P अपटुसरीरा, J जाया for संजाया, Jom. य, P एतं. 12) Pom. श्व कओ, Pom. वि, P अलिय for अलिओ, Join. बलिमो. 13) तत्थ for जत्थ, Pom. च, तीय. 15) Jom. तुम्हं, Pय रुविणीवइओ. 16) Pom. ति, I तीय. 17) P अण्णमण्णुं इच्छंति, पुण for उण, P om. य, Ji for ममं. 18) Pom. च. 19) समोविऊण, P-विसंभा. 20) "समपिऊ गया, J भइणो, r om. पि. 21) Jadds m after मए, P om. ति, तीय, P सबकुसलहरं, Jom. य, व्ब for य. 22) J अभिलससि, " मम for मह. 23) P गय, P पक्खविऊग तस्सेय मग्गा, P पिव for पि. 24) Jतीय, I adds य after पुच्छिओ, P ताई for तए, P समप्पिया. 25) Pमायादेवी ति, Poin. चेय, P भणमाणो, Jण सहकरो णा. 26) Pom. णा. 27) Jinter. अहं रूणं, Jom. च, सहाविउं for धादाविउं, Pom. अवि य. 28) Pमो for मे. 29) अविय ।। णिया, भइणीय, Pudds, after दइएणं ।।, भइणि सुंदरि एस अणाहो अहं दई मुसिओ। and repeats the line अवियाणय etc. 30) : भइणो P भइणि, P साहह अह, P सोद तुह दइओ, P जाये, P अज for होज्ज. 31) J ममं for महं, तीय for तस्स, पिअ दुइयं. 32) P सालमहलं. Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .२२७ 15 -३५२] कुवलयमाला । तइय चिय मे णायं जइया अवरोप्परेण जंपंता। किं-किं पि विहसमाणा जह एस ण सुंदरो पुरिसो॥ ता संपइ कत्थ गओ कत्थ व मग्गामि कत्थ वञ्चामि । जो चोरिऊण वच्चइ सो किर ओवलब्भए केणं ।। 3 ति भणमाणो पुणो पुणो वि अलियमलिय-दुक्ख-भर-मउलमाण-णयण-जुवलो विमुक्क-णीसह-वेवमाण-सब्बंगो णिवडिओ 3 धरणिवढे । पुणो वि सो विलविङ पयत्तो। हा दइए हा मह वल्लहिए हा पिययमे अणाहो हैं। कत्थ गया वर-सुंदरि साहसु तं ता महं तुरियं ॥ ति । अवि य। 6 तुज्झ कएणं सुंदरि धण-जण-कुल-मित्त-बंधवे सव्वे । परिहरिए जीयते तुमए पुण एरिसं रइयं ॥ इमं च अलिय-पलवियं सोऊण मुद्ध-सहावाए चिंतियं वणिय-दारियाए जहा 'किर तेण मह पइणा इमस्स महिला उच्चालिऊण अण्णथ णीया होजा । ता एरिसो सो अणजो णिकिवो णिग्घिणो णिद्दओ अणप्पणो कयग्यो पावो 9 चंडो चवलो चोरो चप्फलो पारदारिओ आलप्पालिओ अकज-णिरओ त्ति जेण मह भाउणो महिलं बलविऊण !) कहिं पि घेत्तण पलाणो त्ति । अवि य । तुज्झ कए परिचत्तो घर-परियण-बंधु-वग्ग-परिवारो। कह कीरउ एत्ताहे अणज्ज भण विप्पियं एक ॥ 12 दइओ त्ति इमीऍ अहं मरइ विमुक्का मए त्ति णो गणियं । अह कुणइ मज्झ भत्तिं भत्तो अवहथिओ कह णु ॥ 12 अह एस मह विणीया तुमए गणियं ण मूढ एवं पि। मोत्तण ममं णिद्दय का होहिइ एरिसा महिला ॥ एस महं किर भाया एसा उण साल-महिलिया मज्झ । गम्मागम्म-विवेगो कह तुह हिययम्मि णो फुरिओ ॥ 15 ता जो एरिस-रूवो माइलो कवड-कूड-णिण्णेहो । किं तस्स कएण अहं झिजामि असंभला मूढा ॥ ३५२) जाव य इमं चिंतिउं पयत्ता ताव मए भणियं । 'सुंदरि, एरिसे ठिए किं कायव्वं' ति । तीए भणियं ___णाहं जाणामि, तुम जाणासि किमेत्थ करणीय' ति । भणियं च मए । 'सुंदरि, 18 को णाम एत्थ दहओ कस्स व किर वल्लहो हवइ को वा। णिय-कम्म-धम्म-जणिओ जीवो अह भमइ संसारे । अवि य। 18 सव्वं इमं अणिञ्चं धण-धणिया-विहव-परियणं सयलं । मा कुणसु एत्थ संगो होउ विभोगो जणेण समं ॥ सुंदरि भावेसु इमं जेण विओगे वि ताण णो दुक्खं । होइ विवेग-विसुद्धो सम्वमणिचं च चिंतेसु ॥ जह कोइ मय-सिलिंबो गहिओ रोद्देण सीह-पोएण । को तस्स होइ सरणं वण-मज्झे हम्ममाणस्स ॥ तह एस जीव-हरिणो दूसह-जर-मरण-वाहि-सिंघेहिं । घेप्पइ विरसंतो चिय कत्तो सरणं भवे तस्स ॥ एवं च चिंतयंतस्स तस्स णो होइ सासया बुद्धी । संसार-भउब्धिग्गो धम्म चिय मग्गए सरणं ॥ एस अणादी जीवो संसारो कम्म-संतति-करो य । अणुसमयं च स बज्झइ कम्म-महाकसिण-पंकेण ॥ णर-तिरिय-देव-णारय-भव-सय-संबाह-भीसण-दुरंते । चक्काइन्छो एसो भमइ जिओ णत्थि से थामं ॥ ण य कोइ तस्स सरणं ण य बंधू णेय मित्त-पुत्तो वा । सव्वो चिय बंधुयणो अव्वो मित्तं च पुत्तं च ॥ सो णस्थि कोइ जीवो जयम्मि सयलम्मि जो ण जीयाण । सव्वाण आसि मित्तं पुत्तो वा बंधवो वा वि ॥ होऊण को वि माया पुत्तो पुण होइ दास-रूवो सो । दासो वि होइ सामी जणओ दासो य महिला य ॥ होऊण इत्थि-भावो पुरिसो महिला य होइ य णपुंसो। होऊण कोइ पुरिसो णदुंसय होइ महिला वा ॥ 30 एवं चउरासीई-जोणी-लक्खेसु हिंडए जीवो। रागद्दोस-विमूढो अण्णोपणं भक्खणं कुणइ ॥ अण्णोणं वह-बंधण-घाउव्वेवेहि पावए दुक्खं । दुत्तार-दूर-तीर एयं चिंतेसु संसारं ॥ एवं चिंतेतस्स य संसार-महा-भएण गहियस्स । णिन्वेओ होइ फुड णिविष्णो कुणइ धम्म सो ॥ 21 1) तइउ, P पि वहसमाणी. 2) गओ जत्थ व, P ओवलंभए णं के त्ति. 3) om. one पुणो, जुअलो. 4) J om. वि सो. 5) दयए, P om. हा मह, J adds हा before अणाहो, कत्थ गयासि तुमं । अवि य. 6) " जाण for जण, P रतियं. 7) Jवलवियं (विलवियं ?), J जह किर. 8) P उद्दालिऊण अणत्थ, P om. कयग्धो. 9) P inter. चंडो & चवलो, P परदारिओ आलपालिओ, J अयज्जणिरओ, P भाइणो. 11) rom. परिचत्तो धर, J परिआरो, I एयाए for एत्ताहे. 12) P दइ त्ति इमीप हं, P अम्गो for भत्तो. 14) Pसा for साल. 15) J तउ for ता, P माइण्यो, r inter. कूड कवड, महं for अहं, P असंगलाढा. 16) Pमए भणिओ।, P ट्ठिए, तीय. 18) I inter. णाम & एत्थ. 19) Pघणवणिया, होइ विजओगो. 20) विआए for विओगे, विवो for विवेग, J णिचं ति चिंतेइ. 21) P को वि. 22) P सिंवेण । 23) JP om. तरस, J सासता, I भवुम्बिग्गो, " धमो चिय. 24) P अणाई, I संततिकरो P संततिरो. 25) I माणुस for णारय, P सो for से. 26) को वि तस्स, J तत्थ for तरस, Pणेय पुत्त मित्तो वा, सियो for अब्यो. 27) " को वि for कोइ. 29) J पुरुसो, P होइ अणुपुरिसो।, Pणपुंसय. 30) J चउरासीती ' चउरासीतिजोणि. 31) Jघायुवेहि न पाउखेवेहिं, उ एवं for एय. 32) निद्धेओ होइ पुर्ड, से for सो. Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२८ . उज्जोयणसूरिविरइया [६३५ एक्को चिय एस जिओ जायइ एको य मरइ संसारे । ण य ह कस्सइ सरणं मह अण्णो णेय हो अत्थि ॥ ण य मज्झ कोइ सरणं सयलो सयणो ब्व परजणो वा वि । दुक्खम्मि णस्थि विदिओ एक्को अह पञ्चए णरए । एवं चिंतेंतीए भाविय-एगत्तणाए तुह एहि । सयणेसु अवेइ फुडं पडिबंधो सुट्ट वि पिएसु ॥ ण य परजणेसु रोसो णीसंगो भमइ जेण चित्तेण । पारंपरेण मोक्खो एगत्तं चिंतए तेण ॥ अण्ण इमं सरीरं अण्णो है सव्वहा विचिंतेसु । इंदिय-रहिओ अप्पा सरीरयं सेंदियं भणियं ॥ अण्णं इमं सरीरं जाणइ जीवो वि सव्व-भावाइं । खण-भंगुरं सरीरं जीवो उण सासओ एत्थ ।। संसारम्मि अणते अणंत-रूवाई मज्झ देहाई । तीयाणि भविस्संति य अहमणो ताणि अण्णाणि ॥ एवं चिंतेतीए इमम्मि लोगम्मि असुइ-सरिसम्मि । ण य होइ पडीबंधो अण्णत्तं भावए तेण ॥ अह भणसि कहं असुई सरीरमेयं ति तं णिसामेहि । पढम असुइय जोणी बिइयं असुइत्तणं च तं अंते ॥ असुइय-भायणमेयं असुई-संभूइमसुइ-परिणामं । ण य तं तीरइ काउं जेण सुइत्तं इमं होइ॥ पढम चिय आहारो पक्खित्तो क्यण-कुहर-मज्झस्मि । उल्लेजइ सेंभेण सेंभट्ठाणम्मि सो असुई॥ तो पावइ पित्तेण अंबिल-रस-भाव-भाविओ पच्छा । पावइ वायुहाणं रस-खल-भेदे य कीरए तेण ॥ होइ खलाओ मुत्तं वचं पित्तं च तिविह-मल-मेओ । रस-भेओ पुण भणिओ सो णियमा तीय सन-विहो ॥ जो तत्थ रस-विसेसो रत्तं तं होइ लोहियं मासं । मासाओं होइ मेओ मेयाओ अट्रिओ होति ॥ 15 अट्टीओ पुणो मज्जा मज्जाओ होइ सुक्क-भावेण । सव्वं च तं असुइयं संभादी सुक्क-पजतं ॥ णह-दंत-कण्ण-णासिय अच्छी-मल-सेय-सेंभ-वच्चाणं । असुई-घरं व सुंदरि भरियं राओ कहं होउ ॥ असुईओ उप्पण्णं असुई उप्पजइ त्ति देहाओ । गब्भे व्व असुइ-वासे असुई मा वहसु सुइ-वायं ।। उदु-काल-रुहिर-बिंदू-णर-सुक्क-समागमेण पारद्धं । कललम्वुद-दवादी-पेसी संबद्धए एवं ॥ बाल-कुमारय-जोवण-मज्झिम-थेरत्त-सव्व-भावेसु । मल-सेय-दुरहि-गंधं तम्हा असुई सरीरं तु ॥ _ उच्चट्टण-पहाण-विलेवणेहिँ तह सुरहि-गंध-वासेहिं । सव्वेहि वि मिलिएहिं सुइत्तणं कत्थ तीरेज ॥ सव्वाई पि इमाई कुंकुम-कप्पूर-गंध-मलाई । ताव च्चिय सुइआईं जा देहं णेय पावेंति ॥ देहम्मि पुणो पत्ता खणेण मल-सेय-गंध-परिमिलिया। ओमालयं ति भण्णइ असुइत्तं जति सब्वे वि ॥ तम्हा असुइ सरीरं सुंदरि भावेसु जेण णिब्बेओ । उप्पजइ तुह देहे लग्गसि धम्मम्मि णिण्गेहा ॥ 24 चिंतेसु आसवाई पावारंभाइँ इंदियस्साई। फरिसिंदिय-रस-विवसा बहुए पुरिसा गया णिहणं ॥ फरिस-सुहामय-लुद्धा वेगसरी गेण्हए उ जा गभं । पसवण-समए सच्चिय अह दुक्ख पावए घोरं ॥ बहु-करिणी-कर-कोमल-फरिस-रसासाय-दिण्ण-रस-लोलो । बज्झइ वारीबंधे मत्त-गओ फरिस-दोसेण ॥ इह लोए चिय दोसा परलोए होइ दुग्गई ताण । फार्सिदिय-लुद्वाणं एत्तो जिभिदिय सुणसु ॥ मय-हत्थि-देह-पविसण-रुभण-वासोह-पत्त-उयहि-जले । जह मरइ वायसो सो धावंतो दस-दिसं मूढो । हेमंत-धीण-घय-कुंभ-भक्खणे मूसओ जहोइण्णो । गिम्हम्मि विलीयंते मरइ बराओ रसण-मूढो॥ 30 गोटासण्ण-महदह-वासी कुम्मो जहा सुवीसत्थो । रसणेंदिय-लोल-मणो पच्छा मारिजइ वराओ॥ जह मास-पेसि-लुछो घेप्पइ सेणो झसो व्व बडिसस्स । तह मारिजइ पुरिसो मओ य अह दोग्गई जाइ॥ घाणिदिए वि लुद्धो ओसहि-गंधम्मि बज्झए सप्पो । पललेण मूसओ वा तम्हा मा रज्ज घाणम्मि ॥ 33 रूवेण पुणो पुरिसा बहुए णिहणं तु पाविया वरया । दीवेण पयंगो इव तम्हा रूवं पि वजेसु ॥ 1) जायति, Pण for य, P अह for मह. 2) Pinter. मज्झ & कोइ, P om. सयलो, ' सुयणो for सयणो, P सुवणो for व्व परजणो, P बीओ for बिदिओ. 3) Pएग for एगत्तणार, P सुयणेनु, पडिबद्धो र पडिबुद्धो, J सुहुँ वि, P पएसु. 4) P परजणेय रोसो, P भगइ जेण, Pएगंतं. 5JसेंदअंP संदियं. 6) अयणं for अण्णं, J repeats after सासओ एत्थ ।।, a verse fron above ण य परजणेस रोसो etc. toचिंतए तेण and some other portion. 7) Pom. अणते. J तीताणि, J अह अण्णो ताणं अणाईणि, P अहमन्ने. 8) J लोअंमि, J पडीबद्धो पडिबंधो. 9) Pअसती सरीरमेत, सरीरमेतं,J बितियं, P चितिद for बिइयं, P om. च तं. 10) Pअसुई भोयणमेत्तं असुती,J-संभूतअसह-, जोण for जेण. 1i) Pसंमेणं संभट्टाणमि, J जो असुई P सो असुती. 12) F अंबरसंभाव-, I भावितो, P पावई असुइट्ठाण, J रसविलभेतेण कीरए. 13) Pमुत्तुं कोमलमाति for तिविहमलमेओ. Jom. a line रसभेओ पुण etc. 14)Jलोहिआ. J मेज्जो मेताओ, P अदिए. 15) P पुणो मिज्जा मिज्जाओ, J सुक्कसंवेण P मुकभावे. 16) I-मासिअ-, Poin. अच्छी, उसेतसेंभवचार, P सेंत for सेंभ, P -घरयं संदरि, P राउं, 'होद. 17) P असुतीओ, J उप्पज्जति, P गब्भो, P-वासो असुती, J सुइवातं. 18) Pउवकाल, J कललब्बुदवूहादी P करललंबुदव्वदादी. 19)J कुमार-, J पेरंत for थेरत्त,J -गंधे. 20) Pसम्वेहि मि मिलिएहिं मि, मल्लेहिं for मिलिएहिं. P कुंकुर-,J चिय असुअई, P जावेहं. 22) परिमलिआ. 23) Pom. जेण णिवेओ etc. to णिपणेहा ॥ चिंतेसु, चिरया for विवसा. 24) Pइंदियस्सीई. 25) P सुरहामय, J वेगसरीरगेण्हए, तु for उ. 26) P बहुकरिसरसायदिन्नरस, P बज्झति, P महागओ. 27) Pदुग्गती. 28)P -वासोयपत्त, P दसदि सि. 29)जहोइण्णा. 30) लोलुमणो. 31)P घेप्पद मयणो, J पडिसरस P बडियरस, P वि for य. 32) P तम्हा मारेज-33) P पुरिसो, P पावया, J पतंगो. Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३५४] कुवलयमाला । सवर्णिदियम्मि लोला तित्तिरय-कवोय-हरिणमादीया। पार्वति अप्प-णिहणं तम्हा परिहरसु दूरेण ॥ एवं आसव-भावं सुंदरि भावेसु सव्व-भावेण । पडिरुद्ध-आसवो सो जेण जिओ मुच्चए तुरियं ॥ . 3 चिंतेसु संवरं चिय महन्वए गुत्ति-समिइ-गुण-भावे । एएहिँ संवुतप्पा जीवो ण य बंधए पावं ॥ चिंतेसु णिज्जरं चिय णरए घोरम्मि तिरिय-मणुएसु । अवसस्स होइ दुक्ख पावं पुण बंधए णिययं ॥ जइ पुण सहामि एम्हि परीसहे भीसणे य उवसग्गे । ता मज्झ होइ धम्मो णिजरणं चेय कम्मस्स ॥ एहि च रम्मए चिय थोयं दुक्ख ति विसहियं एयं । मा णरय-तिरिय-मज्झे डहणंकण-बंधण-सएहिं ॥ एवं चिंतेंतीए परीसहोवद्दवेहिँ णो चलसि । धम्मम्मि घडसि तुरियं णिजरणं भावए एवं ॥ पंचस्थिकाय-मइयं पोग्गल-परिणाम-जीव-धम्मादी-। उप्पत्ति-णास-ठाणे इय लोग चिंतए मतिमं॥ एवं चिंतेतस्स य लोए तत्तं च पेहमाणस्स । संजम-जोए बुद्धी होइ थिरा णाय-भावस्स ॥ एसो अणादि-जीवो संसारो सागरो व्व दुत्तारो । णर-तिरिय-देव-णारय-सएसु अह हिंडए जीवो ॥ मिच्छत्त-कम्म-मूढो कइया विण पावए जिणाणत्ति । चिंतेसु दुल्लहत्तं जिणवर-धम्मस्स एयस्स ॥ 12 ३ ५३) एवं च भो सुरासुर-णरवरिंदा, मणिरह-कुमार तुम च णिसुणेसु । एवं च साहिए सयल-संसार-सहावे 12 तओ आगय-पुव्व-बुद्धीए जाया अवगय-पेम्म-राय-महग्गहा जंपिउं पयत्ता । तं णाहो तं सरणं तं चिय जणओ गुरू तुम देवो । पेम्म-महा-गह-गहिया जेण तए मोइया एहि ॥ 15 भणमाणी णिवडिया चलणेसु। मए वि भणिया 'सुंदरि, एरिसो संसार-सहावो किं कीरउ त्ति ता संपयं पितं कुणसु 15 जेण एरिसाणं संसार-दुक्खाणं भायणं ण होसि' त्ति भणिए सुंदरीए भणियं । ता पसिय देव मज्झं आएसो को वि दिजउ असंकं । किं संपइ करणिज किं वा सुकय कयं होइ॥ 18 त्ति भणिए मए भणियं । सुंदरि गंतूण घरं दिट्ठीए ठविऊण गुरुयणं सयलं । जिणवर-कहियं धम्म पडिवजसु सव्व-भावेण ॥ पडिवजसु सम्मत्त गेण्हसु य महव्वए तुम पंच । गुत्तीहि होसु गुत्ता चारित्ते होसु संजुत्ता ॥ A णाणेण कुणसु कजं सीलं पालेसु कुणसु तव-जोग । भावेसु भावणाओ इय कहिओ भगवया धम्मो ॥ एयं काऊण तुम सुंदरि कम्मेण विरहिया तुरियं । जत्थ ण जरा ण मञ्च तं सिद्धिं पावसे अहर ॥ त्ति । ___एवं च भो मणिरह-कुमार, संबोहिया सा मए सुंदरी घरं गया। कओ वणिएण महूसवो । पयट्टो य णयरे वाओ 24 'अहो कुमारेण पडिबोहिया एस' त्ति । ता भो भो मणिरह-कुमार, जो सुंदरि-जीवो सो तम्मि काले लद्ध-सम्मत्त-बीओ 24 मरिऊण माणभडो जाओ, पुणो य पउमसारो, पुगो कुवलयचंदो, पुणो वेरुलियप्पभो, पुणो एस मणिरह-कुमारो त्ति । जो उण सो वणियउत्त-जीवो सो इमं संसार भमिऊण एस वणे वणमई जाओ त्ति । तुर्म च दट्ठण कहं कई पि 27 जहा-णाणेण तुह उवरि पुन्व-जाई-णेहो जाओ' ति । 27 ३५४) एवं च भगवया सयल-जय-जंतु-जम्म-मरणासेस-वुत्तंत-सक्खिणा साहिए विण्णत्तं मणिरह-कुमारेण । 'भगवं, एवं णिमं, ता ण कजं मह इमिणा भव-सय-रहट्ट-घडी-सरिसेणं जम्म-जरा-मरण-णिरंतरेण संसार-वासेणं ति । 30 देसु मे सिव-सुह-सुहयं पव्वजा-महारयणं' ति भणमाणेण कयं पंच-मुट्टियं लोयं । दिक्खिओ भगवया मणिरह-कुमारो त्ति । 30 एयम्मि अवसरे पुच्छियं भगवया गोयम-गणहरेणं 'भगवं, संसारि-जीव-मज्झे को जीवो दुक्खिओ' त्ति । भगवया भणियं 'गोयम, सम्मादिट्ठी जीवो अविरओ य णिचं दुक्खिओ भणिओ' । गोयमेण भणियं 'भगवं, केण उण कजेण' ति । 83 भगवया भणियं । 33 ण 7) P एवं च पित लोअं.. 10) P अ _12) Pia 1) सवर्णिदिअंपि लोला सवर्णिदि लोला, तित्तिरय कवोतहरिणयादीया, P तित्तरकाओयहरिण, P अप्पह णिह्ण प तम्हा परिहरसू. 2) J सम्वहावेण. 3) JP तिय for चिय, P adds तुरियं before गुत्ति, J समिति, P समित्ति, J एतेहिं. 5) P होउ for होइ. 6) अण्णे ब्व रंभई विय for एहि etc., P दहणं'. 7) P एवं च चिंतेंती परी', J एs for एवं. 8) P परिमाणजीव, J धम्माती, P-हाणं, J लोअं. 10) P अणाइ, Pणायर for णारय, P आ for अह. 11) P हो for मूढो, P जिणाणं ति ।. 12) P नरिंवारेंदा, I adds य after णरवरिंदा, मणिरकुमारं, I om. तुमं, I om. च after एवं, P सयले, P -सहावो. 13) Poin. तओ आगय-पुध etc. to एरिसो संसारसहावो before किं कीरउ. 15) Pom. तं before कुणूसु. 16) Pएरिसारं, Jinter. भायणं &ण, होमि. 17) Pसंकं for असंक, कहं for कयं. 19) Pधितीए for दिट्टीए. 20) Pगुत्ती, P गुत्तो. 21) J तवजोअं. 22) P दूरं for तुरियं, P तत्थ for जत्थ, P पावर, अइरा ॥ इति ।. 23) P om. च भो, Poin. य, J ततो for वाओ. 24) 'कुमारा जो सुंदरीजीओ, Padds सो before सुंदरि'. 25) पउमपभो for पउमसारो, P कुवलचंदो, २ मणिरकुमारो. 26) I वणियउत्तो P वणिउत्तः, Pom. इमं, P मयी for वणमई. 27) P जहाणेण, P-जाती-- 28 P यंम for जम्म, P सक्खिणो. 29) P मिमं for णिमं, J भवसयरहघडो- P भवसायरअरहवडी, P मरणे. 30) Pमि for मे, P सिवसुयं. 31) I adds पुणो before पुच्छियं, Jom. गोयम-, P -गणहरिणा, P संसारे जीवाण मज्झे जीवो. 32) P गोयम संगमद्धिही अविरओ निचं, J अविरतो, उ for उण. Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३० उजोयणसूरिविरइया [$३५ 1 'जो होइ सम्मदिट्ठी जाणइ णर-तिरिय-मणुय-वियणाओ। पेच्छइ पुरो भीमं संसार-भयं च भावेइ ॥ कुणइ विरइ-भावं संसार-विमोक्खणं खणं पि णरो । अणुहवइ णरय-दुक्खं अणुदिण-वटुंत-संतावो । 3 एएण कारणेणं अविरयओ सम्मदिट्टि-जीवो उ । सो दुक्खियाण दुहिओ गोयम अह भण्णइ जयम्मि ॥ गणहारिणा भणियं 'भगवं, सुहियाण को जए सुहिओ' त्ति । भगवया भणियं । सुहियाणं सो सुहिओ सम्मट्टिी जयम्मि बिरओ य । सेसा उण जे जीवा ते सव्ये दुविखया तस्स ॥ 6 गणहरेण भणियं 'भगवं, केण कजेण' । भगवया भणियं । 'जो होइ सम्मदिट्टी विरओ सब्वेसु पाव-जोगेसु । चित्तेण होइ सुद्धो ण य दुक्ख तस्त देहम्मि ॥ जिणवयणे वटुंतो वह जह-भणिय-सुत्त-मग्गेण । अवणेइ पाव-कम्मं णवयं च ण बंधए सो हु॥ ७ संसार-महाजलहिं तरियं पिव मण्णए सुचित्तेणं । अत्ताणं पुण पत्तं सिद्धि-पुरि मण्णए सहसा ।। सारीरे विहु दुक्खे पुब्व-कए णत्यि एत्थ अण्णं तु । ण य भाविजइ तेहिं ण य दुक्खे माणसे तस्स ।। इय गोयम जो विरओ सम्मादिट्ठी य संजयप्पाणो । सो सुहिओ जीवाणं मज्झे जीवो ण संदेहो ॥ भणियं च । 12 देव-लोगोवम सोक्खं दुक्खं च रओवमं । रयाणं अरयाणं च महाणिरय-सारिसं ॥ ति । एवं बहुयाई पण्हावागरण-सहस्साई कुणता भविय-सय-संबोह-कारए अदूर-बवहिय-अंतरिय-सुहुम-तीयाणागय-वट्टमाण वुत्तताई साहिऊणं समुडिओ भगवं सव्व-जय-जीव-बंधवो महति-महावीर-वढमाण-जिणिंदयंदो त्ति । 15६३५५) ताव य उवगया णियय-ठाणेसु देव-दाणव-णरवरिंदा, अण्णे उण उप्पण्ण-धम्माणुराय-परमत्था अणुगया सुरासुर-गुरुणो जिणवरिंदस्त । भगवं पिणिटुविय-अट्टकम्मद्ध-समुप्पण्ण-णाण-धरो विहरमाणो सावत्थिं पुरवार संपत्तो । अण्णम्मि य दियहे समोसरिओ भगवं, तेगेय समवसरण-विरयणा-कमेणं समागया सुरासुर-मुणि-गणिंदा। णिग्गओ 18 सावत्थी-वत्थम्वओ राया रयणंगओ साहिउं च समाढत्तो संसार-महासागर-तीर-पारयं धम्म । एवं च साहिए सयले धम्मे जाणमाणेणावि अबुह-जण-बोहणत्थं पुच्छिओ भगवया गोयम-रिसिणा तित्थयरो त्ति । भणियं च तेण । सो चिय वच्चइ णरयं सो च्चिय जीवो पयाइ पुण सग्गं । किं सो च्चिय तिरिएसं सो चिय किं माणुसो होइ॥ 21 सो चेय होइ बहिरो अंधो सो च्चेय केण कम्मेणं । होइ जडो मूओ वि हु पंगू अह ईसर-दरिदो ॥ सो चिय जीवो पुरिसो सो चिय इत्थी णपुंसओ सो य । अप्पाऊ दीहाऊ होई अह दुम्मणो रूवी ॥ केण व सुहओ जायइ केण व कम्मेण दूहवो होइ । केण व मेहा-जुत्तो दुम्मेहो कह णरो होइ॥ 24 कह पंडियो पुरियो केण व कम्मेण होइ मुक्खत्तं । कह धीरो कह भीरू कह विजा गिप्फला तस्स ।। केण व णासइ अत्थो कह वा संगलइ कह थिरो होइ । पुत्तो केण ण जीवइ केण व बहु-पुत्तओ होइ॥ जच्चंधो केण णरो केण व भुतं ण जिजइ णरस्स । केण व कुट्ठी खुजो कम्मेण केण व असत्तो । केण दरिदो पुरिसो केण व सुकएण ईसरो होइ । केण व रोगी जायइ रोग-विहूणो हवइ केण ॥ संसारो कह व थिरो केण व कम्मेण होइ संखित्तो । कह णिवडइ संसारे कह बद्धो मुच्चए जीवो॥ सन्च-जय-जीव-बंधव सचण्णू सव्व-दसण-मुणिंद । सव्वं साहसु एयं कस्स व कम्मस्स कज्जमिणं ॥ ६३५६) इमं च पुच्छिओ भगवं तियसिंद-सुंदरी-वंदिजमाण-चलणारविंद-जुयलो साहिउं पयत्तो । अवि य। गोयम जं मे पुच्छसि एको जीवो इमाई सव्वाई। पावेइ कम्म-वसओ जह तं कम्मं णिसामेसु ॥ जो मारओ जियाणं अलिय मंतेइ पर-धणं हरइ । परदारं चिय वच्चइ बहु-पाव-परिग्गहासत्तो । 33 चंडो माणत्थद्वो मायावी गिट्ठरो खरो पावो । पिसुणो संगह-सीलो साहणं जिंदओ अधमो॥ 1) Pसम्मट्ठिी , P-वियणातो, J भावेति. 2) J कुणति विरति-, सहतावो for संतावो. 3) एतेण, I अविरतओ। अविरओ, Pसंमदिट्ठी जो जीयो।, I तु for उ, J गोतम, P जगंमि ।।. 6) Pom. केण कज्जेण, P या for भगवया. 7) P संमद्दिट्टी, -जोएसु. 8) P वडूंतो, भणित-, P मग्गेणे, बंधते साहू 1. 9) सचित्तेण, P सित्तिपुरि. 10) P कप एत्थ नत्थिन्नं तु, r माणसो. 11) गोतम सो विरतो संजमदिट्ठीय संजतप्पाणो।, समट्टिी . 12) J देवलोगोयमं । देवलोउवमं, णरयोवर्म ।, रताण अरताणं च महाणरय सरिसं ।, P-सरिंसं. 13) सहरसाहि,J बवहित P ववह रिय for.ववाहिय, सुहमतीताणागत, P-तीताणागय. 14) Pमहती, P वद्धमाण. 15) P -हाणेसु. 16) जिर्णिदरस ।, निट्ठबिप, Pom. अट्ट, F कम्मसमुप्पन्न, J -णाणवरो. 17) Pom. य, P तेणेव, P समोसरयणाकमेण, J विरयाणा- 18) P-वत्थतुन्यओ, Pराया हरणंगओ साहिउं समाहा सागरतीर-, J सरले for सयले. 19) P जीणमाणेणावि, J यबुह for अबुह, Pom. जण, P भगवं for भगवया, J गोतम, P om. गोयमरिसिणा तित्थयरो त्ति । भणिथं च तेण. 20) Jadds भयवं before सो चिय, I om. सो चिय before जीवो, P पयाति. 21) Pसो चिय, सो चेअ कज्जेण।, P चेय केम्मेणं, Pमुओ, P पंगू दोसो य सो जीवो. 22) P होइ. 23) J दूहओ, P होति. 24) Pपंडिओ य पुरिसो, P होइ दुक्खत्तं. 25) J संमिलइ, Pच for ण. 26) J जिजए, कुज्जो for खुज्जो, J केण अवसत्तो. 27) F केण व कंमेण दुब्बलो ईसरो होति ।. 28) संक्खित्तो, P.बुद्धो for बद्धो. 30) Jadds वंदिअ after वंदिज्जमाण. 31) गोदम, Jom. पावेद, P निमामेह. 32) मारेओ. 33) P माणी धट्टो मायाबी, मिट्ठरक्खरो, P निदिओ अहम्मो. Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ६३५१ ] कुवलयमाला । 1 1 आप्पाल- पसंगी कुट्टो बुद्धी जो कग्यो य बहु-दुक्स-प्रोय-पउरे मरि णरपम्मि सो जाइ ॥ कज्जत्थी जो सेवइ मित्तं कय-कजो उज्झए सढो कूरो। पिसुगो मइ दुम्मइओ तिरिओ सो होइ मरिऊण ॥ अक्षे-महत्तो अकोणो दोस-जिलो सझो ण य साधु-गुजेसु डिओ मरिडं सो माणुसो होइ ॥ तब-संजम दाण र पवईए मवो किंवा य गुरु-विषय-रओ निबं मनो वि देवेषु सो जाइ ॥ जो चलो सढ-भावो माया- कवडेहिँ वंचए सुचणं । ण य कस्सइ वीसत्थो सो पुरिसो महिलिया होइ ॥ संतुट्टा सुविणीयाय अजवा जा धिरा व णिर्थ सर्व जंपर महिला पुरिलो सा होह मरिऊण ॥ आसं वसह पसुं या जो छपि हु करे सो सन्वाण विहीणो णपुंसो होइ लोगम्मि ॥ मारेइ नियमो जीवे परलो व मण्णए किंपि भइ-किलि-कम्मो प्याऊ सो भवे पुरियो । 9 मारेइ जो ण जीवे दयावरो अभय-दाण-परितुट्ठो । दीहाऊ सो पुरिसो गोयम भणिओ ण संदेहो ॥ देइ णयियं संतं दिष्णं हारेइ वारए देंतं । एएहिँ कम्मएहिं भोगेहिँ विवज्जओ होइ ॥ सयणासण-वत्थं वा पत्तं भक्खं च पाणयं वा वि । हियएण देइ तुट्टो गोदम भोगी णरो होइ ॥ अगुणो य गव्वओ चिय जिंदइ रागी तवसिणो धीरे । माणी विडंबओ जो सो जायइ दूहवो पुरिसो ॥ गुरु-देवय साधूर्ण विषय-परो संत-सणीओ व ण य के पि भणद कहुये सो पुरसो जाए सुभगो ॥ तच-गाण-गुण-समिदं अवमण्ण किरण वाण एसो मरिण सो उष्णो दुम्मेदो जायए पुरियो । जो पढइ सुणइ चिंतइ अण्णं पाढेइ देइ उवएसं । सुद-गुरु-भत्ती जुत्तो मरिडं सो होइ मेहावी ॥ जो जंत-दंड-कस- रज्ज-खग्ग- कोंतेहि कुणइ वियणाओ । सो पात्रो णिक्करुणो जायइ बहु-वेयणो पुरिसो ॥ जो बने विणते मोयावह बंधणालो मरणानो कारुण्य-दिष्ण-हियो योवा अह वेवणा तस्स ॥ 8 मारेह खाह पियह य किं वा पढिएण किं व धम्मेण । एयं चिय चिंतेतो मरिऊणं काहलो होइ ॥ 2 5 4 7 3 3 जो उण गुरुयण-सेवी धम्माधम्माइँ जाणिउं महइ । सुय-देवय-गुरु-भत्तो मरिडं सो पंडिओ होइ ॥ बिजा विष्णार्थ वा मिच्छा विणण गेव्हिड पुरियो । अवमाइ आयरियं सा विना निष्फला तस्स ॥ बहु मण्णइ आयरियं विषय- समग्गो गुणेहिं संजुत्तो । इय जा गहिया विजा सा सहला होइ लोगमि ॥ देमि त्तिण देइ पुणो आसं काऊण कुणइ विमुहं जो । तस्स कथं पि हु णासइ गोयम पुरिसस्स अहमस्स ॥ जे जे इटुं लोए तं तं साहूण देइ सव्वं तु । थोवं पि मुणइ सुकयं तस्स कयं णो पणस्सेज्ज ॥ 1 ॥ जो हरइ तस्स हिजइ ण हरइ जो तस्स संचओ होइ । जो जं करेइ पात्रं विवरीयं तस्स तं होइ ॥ पशु-पक्खि-मसाणं वाले जो विप्पज सकामे सो अणवचो जायद अह जाओ तो जो होइ दया- परमो बहु-पुतो गोदमा भने पुरियो । अमुषं जो भणइ सुर्य सो बहिरो जावए पुरियो ॥ अहि चिय दिहूं जो किर भासेज कह वि मूढप्पा । जबंधो सो जायइ गोदम एएण कम्मेणं ॥ जाइ-मरम्मत-मयो जीवे विकिण जो पग्यो य सो इंदभूइ मरिडं दास वच पुरिसो ॥ जो उण चाई विणओणओ य चारित-गुण-सयाइण्णो । सो जण-सय-सम्माओ महिडिओ होइ लोगम्मि | जो वाहेद णिसंसो छाउब्वायं च दुक्खियं जीयं । सीयंत गत्त-संधिं गोदम सो पंगुलो होइ ॥ महु-वाय अग्गि- दाहोदद्दणं जो कुणइ कस्सइ जियस्स | बालाराम विणासो कुट्टी सो जायए पुरिसो ॥ गो-महिस-प कर अभारारोवणेण पीडेइ । एएण णवरि पावेण गोदमा सो भवे खुज्जो ॥ उच्छिमसुंदरयं पूई जो देह अण्ण-पाणं तु । साहूण जाणमाणो भुत्तं पि ण जीरए तस्स ॥ MawUNION 3 ) 3 उज्जय for अज्जब, P दीस for दोस, 5 ) P सुयणो । वुद्धि for वद्धिय, भतं च पाणियं, 1 ) Jबुद्धीय, बहुसोगदुक्खपउरे, । जायइ ॥ 2 ) P उब्भए, मयगुम्मइओ साधुगणेगु, P मुट्ठ for साधु, P डिओ. 4 ) P भद्दओ for मद्दवो, P जाय for जाइ. 6 ) सुविणीता, P om य, अज विजा, अत्थिरा for जा थिरा, P सो for सा. 7) आसवस, सव्वाण णिहीणो, लोअम्मि 8 ) Pom. जीवे 9 गोदम 10 ) एतेहिं, P कंमेहिं- 11 ) देश दुट्ठो, Pom. गोदम, P सोगी for भोगी. 12) P अगुणेविगव्विओ P धीरो ।, P मोणी for माणी, दूहगो. 13 ) P साहूणं, P सुहओ. 15) P सुयगुरु. 16) Jदण for दंड. 17 ) J थोआ 18 ) P मारेयह, P खाह पीयह किं, Pom. चिय. सफला, लोम 22 ) तिन देमि, गोतम. 23 ) P देइ दवं तु, P पणासेज्जा. 25 ) P माणुसाणं, नगर विजा. 26) गोवमा सुतं 27 फिर for चिव, गोयम, 29 ) उण मादी बिगओ व तो मयुत्तमणो नोनारदभूती सयसमओ, लोयंमि. 303 सीतंत, P संधी गोयम 31 ) Jघात, P को for जो, P कस्स वि. गोवम एसो. 33 ) उचिम पूर्ति पुर्व for पूर्व P भन्त for अनि जिम , 21) P विप्पयुंजइ P 28 ) २३१ एते उ for जण P 32 ) P पसूकरमं, P 9 1 3 6 12 15 18 21 24 27 30 33 Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6 २३२ उजोयणसूरिविरइया [$३५ लहु-हत्थदाएँ धुत्तो कूड-तुला-कूड-माण-भंडेणं । ववहरइ णियडि-बहुलो तस्सेगं हीरए अंग ॥ कुक्कड-तित्तिर-लावे सूयर-हरिणे य अहव सव्व-जिए । धारेइ णिच्च-कालं णिविग्गो हवइ भीरु॥ ण य धम्मो ण य जीवो ण य पर-लोगो त्ति णेय कोइ रिसी। इय जो जपइ मूढो तस्स थिरो होइ संसारो।। धम्मो वि अस्थि लोए अत्थि अधम्मो वि अस्थि सवण्णू । रिसिणो वि अस्थि एवं जो मण्णइ सो ण संसारी ॥ सम्मत्त-णाण-दसण-ति-गुणेहिँ इमेहिं भूसिय-सरीरो । तरिऊण भव-समुई सिद्धि-पुरि पावए अइरा ॥ 8३५७) एवं च साहिए भगवया तियसिंद-सुरिंद-परिवंदिय-चलणारविंद-जुयलेण तओ सव्वेहि मि कर-किसलयंजली-घडिय-भालवटेहिं भणियं तियसिंद-णरिंद-पमुहेहिं । 'अहो, भगवया साहिओ सयल-जय-जंतु-जम्म-जरा-मरण अरह-घडी-परिवाडी-कारण-वित्थरो' त्ति । एत्थंतरम्मि समागओ पलंब-दीह-भुयप्फलिह-मणोहरो पिहुल-वच्छत्थलं9 दोलमाण-मुत्ताहल-हार-रेहिरो बबुद्ध-कसिण-कंत-कोंतल-कलावो गंडयल-विलसमाण-मणि-कुंडल-किरण-पडिप्फलंत-दिणयर__ कर-संधाओ, किं च बहुणा, वेल्लहल-ललिय-बाहू वच्छत्थल-रेहमाण-हारिलो । समवसरणे पविट्ठो देवकुमारो ब्व कोइ णरो ॥ . 12 तेण य 'जय जय' त्ति भणमाणेण ति-पयाहिणी-कओ भगवं छज्जीव-णिकाय-पिय-बंधवो जिणिंदो। पायवडणुट्रिएणं भणियं तेणं । 'भगवं, दिट्ट सुयमणुभूयं रयणी-मज्झम्मि जे मए अजं । तं साहसु किं सुमिण महिंदजालं व सञ्च वा ॥' 15 भगवया भणिय। 'देवाणुपिया सव्वं सञ्चं ति जे तए दिटुं । जोगिंदयाल-कुहयं णरवर सुविण पि हु ण होइ ॥' एवं च भणिय-मेत्ते गुरुणा तक्खणं चेय तुरिय-पय-णिक्खेवं णिग्गओ समवसरणाओ दिट्रो य तिय-वलिय-वलंत-कुवलय18 दल-दीहराहिं दिट्टि-मालाहिं तियसिंदप्पमुहेहिं जण-समूहेहिं । एत्थंतरम्मि जाणमाणेणावि भगवया गणहारिणा पुच्छिओ भगवं महावीरो । 'भगवं, __ को एस होज पुरिसो किं वा दिटुं सुयं व राईए । जं पुच्छइ मह साहसु किं सुमिणं होज सञ्चं वा ।' 21 इमम्मि य पुच्छिए सव्वेहिं सुरिंदप्पमुहेहिं भणियं 'भगवं, अम्हाणं पि अस्थि कोऊहलं, ता साहउ भगवं, करेउ अणुग्गह' ति भणिय-मेत्ते गुरुणा भणियं । ६३५८) 'अत्थि इओ णाइदूरे अरुणाभं णाम पुरवर, जं च विस्थिणं पि बहु-जण-संकुलं, अणंत पि रम्मोववण24 पेरंत, महंतं पि फरिहा-वलय-मज्झ-संठियं, थिरं पि पवण-चंचल-धयवर्ड ति। तम्मि य णयरे रणगइंदो णाम राया । सो य सूरो धीरो महुरो पञ्चलो दक्खो दक्खिण्णो दया-दाण-परायणो ति । तस्स य पुत्तो कामगइंदो णाम । सो य कामी काम-गय-मणो कामत्तो काम-राय-रइ-रत्तो । कामेण कामिजइ कामनाइंदो सहावेण ॥ 27 तस्स य बहुणं पि मज्से महिलाणं वल्लहा एका राय-दारिया पियंगुमदी गाम । अह अण्णम्मि दियहे रायपुत्तो मज्जिय-जिमिय-विलित्तो महादेवीए सह मत्त-वारणए णिसण्णो आलोएंतो णयर-जण-विहव-विलासे अच्छिउँ पयत्तो। तेण य तहा अच्छमागेण एकम्मि वणिय-घरोवरि-कोट्टिमे एक्का वणिय-दारिया कुमारी कंदुव-कीला-वावडा दिवा । तं च 30 दट्टण चिंतियं कामगइंदेण । 'अहो, पेच्छ पेच्छ वणिय-धूयाए परिहत्थत्तणं । जेण ता वलइ खलइ वेवह सेय-जलं फुसद बंधए लखें । सुरय-पडुय व्व बाला कंदुय-कीलाएँ बटुंती ॥ ___ एवं पेच्छमाणस्स काम-महाराय-वसयस्स गुरुओ से अणुराओ समुप्पणो। अवि य ।। 33 होइ सुरुवे पेम्मं होइ विरूवे वि कम्मि वि जणम्मि । मा होह रूव-मत्ता पेम्मस्स ण कारणं रूवं ॥ तओ पासट्ठिय-महादेवीए बीहमाणेण कयं आयार-संवरणं । तीय य त सयं लक्खियं तस्स पेम्म-चित्तं । तओ तस्स रायउत्तस्स तं झायंतस्स हियए उब्वेवो जाओ, ण य पुच्छिओ वि साहइ । पुणो तीए चिंतियं । 'किं पुण इमस्स 1) P हत्थयाइ धत्तो. 2) तित्तिलावे, P अहर for अह, P णिचं, P भवइ for हवइ, 3) " जीवो नयरलोगो. 4) अहम्मो. 5) सिद्धिपुरी. 6) P जुलेण, P om. मि, P करयंजली. 7) IP भालवटेहिं, I -प्पमुहेहिं, " मययल, P om. जम्म. 8) अरिहट्टघटी, P दीहरतभुयफलिह, J मणोहर. 9) Jom. हार, J कुंतला, P गंडल-, Pom. मणिकुंडलकिरण, P -परिफलंत. 11) P बाहुवच्छलरेहिमाणहारिरिल्लो, J को वि णरो. 14) सुतमणुभूतं, Pतं कह्यसु किंसु किं सुमिणं अदिदियालं व, 16) Pमुविणं मिहु. 17) P तक्खणं चिय, Jom. य, P तिवलिय-. 18) Pपमुहि हिं जणेहि. 20) Pinter. एस & होज्ज, P रातीए. 21) Pइमं पुच्छिए, J अस्थि कुतूहलं, P साहहं, न करेह. 22) P भयणियमेत्ते. 23) J इतो, J अरणाहं, P पुरवं for पुरवरं, Pरम्मोववणा-. 24) P रयणगइंदो, Jom. धीरो. 25) Jom. दया. 26) P कामगयणो कामतो कामराया, P कामगयंदो. 27) Pom. य, P पियंगुमती णामा, Pरायउत्तो. 28)P जिमियवलित्तो, P आलोयंतो गरजश. 29) तह for तहा, J वणिदारिया. 30) P कामगयंदेण, J वणिअधताप, Pपरिहत्थणं. 31) P पट्टय. 33> P सरुवपेम्म.P अकारणं for ण कारणं. 34) Jसयलं for सयं, P adds तं before पेम्म. 35) P ज्झायंतस्स, P उन्बोओ,, P साहहिद, तीय. Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३५९] कुवलयमाला .२३३ । उब्वेय-कारणं होज । अहवा जाणियं मए सा चेय कंदुय-रमिरी वणिय-दुहिय त्ति । ता दे अवणेमि से उब्वेवं'ति । चिंतिऊण पियंगुमईए सदाविया तीय दारियाए माया । सा तीए भणिया 'रायउत्तस्स देसु धूदं' ति । तीय 3 वि दिण्णा, उबूढा य । तओ तुटेण कामगइंदेण भणिया महादेवी 'अहो, लक्खिओ तए भावो मम, ता भण 3 भण किं ते वरं देमि' । तीए भणियं 'जइ सच्चं देसि, ता भणामि । तेण भणियं । 'भण णीसंके, अवस्स देमि' त्ति भणिए, तीए भणियं । 3 'जं किंचि तुम पेच्छसि सुणेसि अणुहवसि एत्थ लोगम्मि । तं मज्झ तए सव्वं साहेयव्वं वरो एसो ॥ तेण भणियं 'एवं होउ' त्ति । तओ एवं च ताण अच्छमाणाणं अण्णम्मि दियहे समागओ एको चित्तयर-दारओ। तेण य पडे लिहिया समप्पिया चित्त-पुत्तलिया । सा य केरिसी । सयल-कला-कलाव-कुसल-जण-वण्णणिज्ज त्ति । 9 तं च दट्टण भणियं कामगइंदेण 'अहो, सचं केणावि भणियं । त्रीण्येते नरकं यान्ति राजा चित्रकरः कविः ।' 9 तेण भणियं 'देव, किं कारण' । राइणा भणियं । पुहईएँ जण दीरु ण य होहिइ णेय तस्स सम्भावो । तं चेय कुणइ राया चित्तयरो कवियणो तइओ॥ ४ अलियस्स फलं णरयं अलियं च कुणंति तिणि ते पुरिसा । वञ्चति तेण णरय तिणि वि एए ण संदेहो ॥ तओ चित्तयर-दारएण भणियं । 'देव, विण्णवेमि । राया होइ सतंतो वञ्चउ णरयम्मि को णिवारेइ । जं चित्त-कला-कुसलो कई य अलियं पुणो एयं ॥ 5 सत्तीए कुणइ कव्वं दिह्र व सुयं व अहव अणुभूयं । चित्त-कुसलो वि एवं दिलृ चिय कुणइ चित्तम्मि ॥' ३५९) भणियं कामगइंदेण । 'जइ दिटुं चित्तयरो अह रूवं कुणइ ता विरुद्धमिण । कत्थ तए दिमिणं जरूवं चित्तियं पडए॥' 8 तेण भणियं 'णणु देव, दिटुं मए लिहियमिणं' । राइणा भणियं 'कहिं ते दिटुं'। तेण भणियं । उजेणीए राया अस्थि अवंति सि तस्स धूयाए । दट्टण इमं रूवं तइउ चिय विलिहियं एत्थ ।' तं च सोऊण राया पुणरुत्तं पलोइउं पयत्तो जाव पेच्छइ णि पिव मण-णयण-हारिणी, तिलोत्तमं पिव अणिमिस। दसणं, सत्तिं पिव हियय-दारण-पचलं, सग्गपुरि पिव बहु-पुण्ण-पावणिज, सुद्ध-पक्ख-पढम-चंदं पिव रेहा-विसुद्ध, । महाराय-रज्ज-वित्तिं पिव सुविभत्त-वण्ण-सोहियं, धरणिं पिव ललिय-दीसंत-वत्तिणी-विरयणं, विवणि-मग पिव माण-जुत्त, जिणाणं पिव सुपइट्ठिय-अंगोवंग सुंदरि ति । अवि य । * भंतूण मयण-देहं मसिणं मुसुमूरिऊण अमएण । चित्त-कला-कुसलेणं लिहिया णूणं पयावइणा ॥ 24 तं च दट्टण राया खणं भिओ इव झाण-गओ इव सेलमओ इव भासि । पुणो पुच्छियं 'अहो एसा किं कुमारी'। तेण भणियं 'देव, कुमरी' । राइणा भणिय ।। 17 'भुमय-धणु-कालवट्ठा सिय-पम्हल-दीहरच्छि-बाणेहिं । मारती भमइ जणं अहो कुमारी ण सा मारी ॥' 27 भणमाणो राया समुट्टिओ। कय कायव्वं पुणो । दसिया महादेवीए, भणियं च तेण 'सुंदरं होइ, जइ एसा कुमारी पाविजई' त्ति । पुणो मंतीहिं भणियं । 'देव, णियय-रूवं चित्तवडए लिहावेसु, तेणेय चित्तयरएण पुणो तं चेय पेसेसु तत्थ जेण ० राय-धूया तं दट्टण सयं चेय तं वरेहिद' त्ति भणिए मंतीहिं तं चेय णिरूवियं । लिहिओ कामगइंदो। णिग्गओ 30 चित्तयर-दारओ, संपत्तो उज्जयणीए, दंसिओ राय-दुहियाए, अभिरुइओ हिययस्स । साहियं रणो अवंतिस्स जहा 'अभिरुइओ इमीए पुरिसदेसिणीए रायधूयाए कामगइंदो णाम रायउत्तो'। इमं च सोऊण अवंतिणा 'अहो, सुंदरं 3 जायं जं कत्थ वि चित्तस्स अभिरुई जाया' । दिण्णा तस्स । जायं वद्धावणयं । 'एहि परिणेसु' त्ति संदिवो पयहो ३३ 1)P कंडुय, रमिणी. 2) P पियगुमतीप, J माता, J ती for तीए, P भणिया उत्तरस, Pधूय सि. 3) Pom. one भण. 4) तीय, P om. भणियं, निरसंकं. 5) Jतीय. 6) P om. 'सुणेसि, Jलोअम्भि, J साहेतब्वं P सायव्वं. 7) r एकओ for एको. 8) Pपडिले हिया, Pom. कला, Pकुसला, P वणणिज्जत्ति. १) तृण्येते, यांति. 10) Pom. देव. 11) पुहईअ, Pinter. पुहईप & G, J होहिति, Pom. णेय, P adds होइ after तस्स, संभवो ( followed by जस्स written on the margin), Pचेव, कदयणो. 12) P कुणंति नि त्ति पुरिसा ।, J एते. 14) P होति, P वच्चर, P adds वि after को. 15) भित्तीए for सत्तीए, J सुतं, अणुभूतं. 17) Pइह for अह, P विरुद्धमण ।. 18) Pकहं ति दिटुं. 19) Pinter. राया & अत्थि, धूताए, P धूणइ म for धूयाए, P om. दहण इम, तत्थ for एत्थ. 20) Pया for राया, I पलोतुं, मणिरयणहारिणी, P अणमिस. 21) P सत्तं for सत्ति, P दारुण, J om. पक्ख. 22) सुविहत्त, P पि for पिव, J वत्तणी. 23) अंगोवंग - अंगोवंगु. 24) Pईतूण for भंतूण, P पयाविहिणा. 25) P ज्झाणगओ. 27) P भुमइ, पत्तल for पम्हल, P वाणेणि । मारती, P कुमीरी. 29) Pणियरूवं, P चित्तपडए, P लेहाविय तेणय चित्तयरेण पुणो, P adds & after जेण. 30 वरेहित्ति, P वरेहिति, चेय नियरूवं गहिओ कामगइंदो. 313चिरायरओ, P उज्जेणीप, Pसाहिउं. 32) J अहिरुइओ P अभिरूविओं, रायधूताए. 33) P कत्थइ चित्तत्तस्स अभिरुती. 30 Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३४ उज्जोयणसूरिविरइया [ ६३५९ 1 कामगईदो तं परिगेउं समं महादेवीए बद्ध-खंधावारेण य । इभो णाइदूरे समावासिओ । तावय अथंग बहुजन-समूहेक दोषर्ण सूरो तो राईए कब काव्य-वावारो धावार जणो बहुओ पत्तो को जि जामइलो, को बिपि गाव अण्णो अणं किं पि कुणइ ति । एवं च राईए दुइए जाने पसुतो राया पके समं महादेवीए जान बिउको केण वि अम्ब-कोमल करवल-फरिणं चिंति च पयतो 'अहो, एरिसो भए फरिलो ण अणुहूबपुव्वोति । सव्वा ण य कोइ इमं सामणं माणूस-फरिसं' ति चिंतयंतेण विहडियाई नियय- लोयणेंदीवराहूं जाव पेच्छह 6 दुवे कुमारीओ पुरओ ठियाओ । ९३६०) फेरिसा पुण तालो । अविव । 9 12 15 18 ९ ३६१ ) चिंतियं च णरवइणा । 'अहो किं होज रइ-दिदीओ किं सिरि-हिरि-रंभ उव्वसीओ व्य । किं वा सावित्ति-सरस्सईओ अब्वो ण-याणामो ॥' इमं च चिंतिऊण भणियं राइणा । अवि य । 'किं माणुसीनो तुम्मे किंवा देवीओ किंगरी व किं वा विज्ञादर बालियानों साद मह कोड पृथ्थ ॥' ताहिं भणियं । 'विवाह हेतु पास आगयाओ कलेणं ता पपि कुसु कर्ज आसा-भंगो ण काययो ॥ 21 राणा भणिये । 'आसंधिऊण परमागयाण पणग कम दिययाण सुंदरि आसा-भंगो ण क ह कुलम्मि केणावि ॥' ताहिं भणियं । 21 एक्षर-र-णचिर-चढणारेहिर-पवारा भण्णा णिहित्त- जावय-रस-राय-मिले के तिला ॥ एका कोमल वली-भो-पुण जिय तेलोकं । अण्णा करि-कर-मास हायण्णप्पीण-अंधिला ॥ एका नियंव-गराई रत-रवणा मण बियारे । अण्णा पिहुल-कडिया घोलिर-कंची कला विला ॥ एका मद-मज्झतिवखि तरंगेण रेहरा सुवणू अण्णा मुद्विग् अहमज्यं वहइ रहसेण ॥ एक्का णाभी- वेढं महाणिद्दणस्स वहइ वयणं व अण्णा लायण्णामय वावि-सरिच्छं समुन्वहइ ॥ एक्का मारणी किंचि-समुभिज - रोम-राइछा अण्णा कवि-सरिसा पहर-वलेग रेडिला ॥ एक्का मुणाल-कोमल - बाहु-लया सहइ पल्लव-करिल्ला । अण्णा णव-लय-बाहा पउम दलारत्त-पाणिला ॥ एक्का मियंक पणा रुराहर-रेहमाण वयजिल्ला अण्णा सववत्त-मुही कुवलय-दल- विषसमागच्छी ॥ एक्का पिगु-वण्णा रेहइ रयणेहिं भासरच्छाया । अण्णा वर चामीयर - णिम्मविया णजए बाला ॥ इय पेच्छइ णरणाहो संभम - कोऊहलेक-तलिच्छो । दोण्हं पि ताण रूवं कामगईदो रह- दिहीणं ॥ 27 'जण कभी तुम्ह कुले आसा भंगो कई पि पणई ता भणसु तिष्णि वयने कर्ज तुम्हाण काय ॥' राणा चिंतिये 'ण याणीव किं ममाओ इमे पत्येहिंति अहवा जेण पणईण दिन भुज मित्तेहि बंधु-गोण आा सत्तमम्मि वि कुठे मा हो लम्हाण वं होउ ॥ सत्तेण होइ रज्जं लब्भंति वि रोहणम्मि रयणाई । णवर ण कहिं पि कत्थ वि पाविजइ सज्जणो पणई ॥ विजाहर बालाओ महुरा मुद्दाओ गुण-समिद्धाओ । कं पत्थेति इमाओ मं चिय मोत्तूण कय-पुण्णं ॥ ता जइ मग्गति इमा धण-रजं विव-परियणं बंधुं । सीसं व जीवियं वा तं चिय मे अज्ज दायव्वं ॥ ' ॐ ति चिंततेण भणियं णरिंदेश 'सुदरि इसे तुम्हेहिं भणिये जहा भणसु तिष्णि वयसि । अनि य जइ पढमं चिय ववणं होइ पमाणं णिरत्यया दोष्णि ज ण पढमं प्रमाणं णिरत्ययं सेस लक्सं पि ॥ सव्वहा भगह तं कज्जं ति 30 1 ) P कामगमंदी, P बधकंधावारो णीहरिओ णाश्दूरे, इतो, 2 ) P रातीए, J वउउ for बहुओ. 3 ) P अन्नं पि, 1 एवं रातीए, सुत्तो for पसुतो. 4) विबुद्धो, प्फरिसेणं, ए फरसो अणुभूय- 5 ) Jom. य, Padds किं पि before इमं माणुस - हरिसं, P लोवर्णिदीवराई. 6 ) P पुरहियाओ. 7 > Jom. केरिसाओ पुण ताओ. 8 ) 1 कुंतिला. 9 ) P जुयेग, जिणेह for जिया मंत्रापीन पी 10 J गरुर, P मयं for मणं, P कलत्ता for कडियला. 11 मज्जा, P तरंगेण रेहिरे अण्गा | अन्नाए मुट्ठिगिज्झं, अप्पज्जं for अहमज्यं, P inter. अह & मज्झं. 12) P णाहीवेढं. P सुभिन्न for समुब्भिण्ण, उ पयर for पयहर, P पओहरजुत्रेण 14 ) P अण्णाण्णव, P वाहो पउदलारतकुवलयदलनियमाच्छी ॥ 16 ) P भासुरच्छाया. 17 ) P कामइंदो. सीउब्व P रंभव्व उव्वसीउ, १ सावत्ति, J adds सवत्ति after सावित्ति. 24 > P रायणा. 25 ) P के अवि ॥. 27 ) तुम्ह for अम्ह· 28) P जण पणदीण दिज्जर, P मित्तेण. for इमा, P बंधू, P जीविसं वा. 13 ) समुत्तिष्ण 15) P रेहिमाण, 19 ) Pom. किं before सिरि, रंभ 21 ) किं विज्जाहरवालिआ सोहह मह, P साहं मद्द. 30 ) P विराहणंमि, ता भण for णवर ण, 33 ) P चिंतितेण, तुब्मेहिं, P तिणि वयणे. ताणियइ किं गगाओ मगच्छेहि त्ति ।. 29 ) P P ममं च for मं चिय. 32 श्मे (or इमं ) 34 ) Pom. ण पढमं. 1 I 1 2 2 2 31 33 Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ 21 -३६३] कुवलयमाला २३५ . 1 ३६२) ताहिं भणियं । 'जइ एव ता सुणसु । अत्थि इओ उत्तर-दिसा-भाए सव्व-रयण-णिम्मिओ पज्झरत- 1 कंचण-धाऊ-रसा पिंजर-कडएक-देसो दरि-मुह-रममाण-विजाहर-मिहुण-सुंदरो वाजिंदणील-मरगय-भूसिय-कडओ सिद्ध३ भवणारे-विइण्ण-धवल-धयवड-रेहिरो णाणा-विह-पज्जलंत-दित्तोसही-सय-मंडिओ वेयलो णाम पव्वय-वरो । तत्थ 3 यदोणि सेठीभो, उत्तर-सेढी दाहिण-सेही य । तत्थ विज्जाहराणं णिवासो। तत्थ रायउत्त, उत्तर-सेठीए सुंदराणंदमंदिरं णाम णयरं । तं च कुमार, बहु-मंदिर-सुंदरं बहु-पुरिस-सेवियं बहु-महिलायण-मणहरं बहु-रयण-रेहिरं बहु-जलासय-परिगयं 6 बहु-कुसुमिओववणं, किं बहुणा, बहु-बयण-वण्णणिज-सरूवं । तत्थ य राया पुहइसुंदरो णाम, सो य बहु-वण्णणिजो। 6 तस्स य महिला महादेवी मेहला णाम । तीय धूया समुप्पण्णा, तीए णामं बिंदुमती। सा उण चउरा महुरा दक्खा दक्खिण्णा दयालू रूविणी सोहगंत-विण्णाण-णाणा-कला-कोसलेणं सधहा असरिसा पुहईए महिलायणेण बहु-वासकोडि-जीवणेहिं पि पंडिय-पढिय-पुरिसेहिं अलद्ध-गुण-समुद्द-पार त्ति । ता कुमार, किं बहुणा जंपिएणं, सा य 9 पुरिसद्देसिणी जाया, रूव-विहव-विलास-पोरस-माहप्प-जुत्ते चि णेच्छइ विजाहर-बालए । पुणो जोव्वण-वसं च वट्टमाणी गुरु-जणेण भणिया। 'अहो गेण्हसु सयंवरं भत्तारं के पिजं पावसि' त्ति भणिया भमिउं समाढत्ता । तत्थेक्कम्मि 12 दियहे तीए भणिय 'हला वयंसीओ, एहि, दाहिण-सेढी-दाहिण-संसिए उबवणाभोए परिभमामो' ति । अम्हे चि 12 'एवं होउ' त्ति भणंतीओ समुप्पइयाओ धोय-खग्ग-णिम्मल गयणयलं, अवइण्णाओ य एक्कम्मि गिरि-वर-कुहर-काणणं तरम्मि । तत्थ रममाणीहिं णिसुयं एवं किण्णर-मिहुणयं गायतं । तं च णिसामिऊण दिण्ण सविसेसं कणं जाव । 15 तेहिं गीया इमा गीदिया । अवि य। रूवेण जो अणंगउ संगय-वेसो जसेण लोयम्मि । कत्तो कामगइंदउ लगभइ द8 पि पुण्ण-रहिएहिं ॥ ३ ६३) इमं च सोऊण पियसहीए भणियं 'हला हला पवणवेगे, पुच्छसु इमं किण्णर-जुवलं को एस, कत्थ 18 वा कामगइंदओ, जो तुम्हेहिं गीओ' त्ति । अहं पि 'जहाणवेसि' त्ति भणिऊण उवगया पुच्छियं च तं किण्णर-जुवलयं 18 'को एस कत्थ वा कामगइंदओ जो तुम्हेहिं गीओ' त्ति । तओ तीए किण्णरीए भणियं । किं विजाहर-बाले सुसि कण्णेहि पेच्छसे किंचि । जइ सव्वमिण सच्चं कामगइंदो कई ण सुओ ॥ मए भणियं । 'तण्णाया सि वियड्वा इमिणा परिहास-वित्थरेणेय । ता सहि साहसु मज्झं कामगइंदो कहिं होइ॥ तीए भणिय 'जइ तुह कामगईदेणं कजं, ता पुच्छसु इम' ति। पुच्छिओ किण्णरो। तेण भणियं । 'अस्थि रयणाहं 24 पुरं । तत्थ रणगइंदस्स पुत्तो कामगइंदो णाम । सो एरिलो जेण तस्स चरिय-णिबंधाई दुवई-खंड-थढ-जंभेट्टिया-चित्त- 24 गाहा-हवयाई संपयं सयल-किण्णर-गगेण गिजंति । इमं च सोऊण रायउत्त, णिवेइयं मए बिंदुमईए । तप्पभूइं च सा केरिसा जाया। अवि य सरवरुत्तारिय ब्व कमलिणी, थल-गय व सफरुल्लिया, मोडिया इव वण-लया, उक्खुडिया 47 इव कुसुम-मंजरी, विउत्ता विव हंसिया, गह-गहिया इव चंदलेहिया, मंताहया इव भुयंगिया, ण कुणइ आलेक्खयं, 27 ण गुणइ णट्टय, ण मुणइ गीययं, ण पढइ वागरण, ण लिहइ अक्खराई, ण पेच्छइ पोत्थय, ण वायइ वीण, ण जवइ विज । केवलं मत्ता इव परायत्ता इव सुत्ता इव गह-गहिया इव मया विव भणिया विण भणइ, दिद्या विण 30 पेच्छइ, चलिया वि ण चलइ, णवरं पुण अकारणं वच्चइ, आलेक्खं णियच्छइ, अकनं कुणइ, णिद्दयं उट्ठइ, विभणं 30 उद्धाइ, अमणं झायइ, दुम्मणं गायइ, दीई णीससइ, सहियणं जिंदइ, परियणं जूरइ, गुरुयणं हसइ । किं च कइया वि हसइ, कइया वि रुवइ, कइया वि धावइ, कइया वि गाइ, कइया वि चलइ, कइया वि वलइ, कइया वि सुणह। 33 कइया वि कणइ ति । किं च बहुणा। 33 1) सन्वरयदमणिचित्तो. 2) J धातूरसा P धाओ रसो, P हरि for दरि, P वज्जंदनील, भूसियकडगु. 3) पिइण्ण for विइण्ण, Pदित्तोसहि, सम for सय. 4) P राय for रायउत्त. 5) P महियणमणहरं. 6) कुसुमिउववयणं, repeats बडु, P वन्नणिज्जं, पुहईसुंदरो, J बहुदिअवण्गणिज्जो. 7) Pमहिला for मेहला, J धूता. 8) Pom. दक्खिण्णा, सोहग्गरणविण्णाण, Pom. णाणा, P om. सचहा, असरिस, P पुतीए. ) Pपढिय, P समुई. 10)P माप for माहप्प, P बालाए, Pom. च. •11) P गुरुयणेण, I भणि P भणिय for भणिया, P भत्ताई । किं पि, भणि for भमित्रं, P तत्थेकंमि. 12) Pom. एहि दाहिणसेढी, P adds च before उवव गा. 13) P गयणयत्त. 14) P रममाणाहिं. 15) तेहिं गीईया इमा गीया ।. 16) P अणंगओ संसयवेसो, P कामगइंदो. 17) Pपवणवेए, P किन्नरजलयं । सो एस. 18) Pतुमे हिं, P भमिऊग गया, P जुवलयं । को एस कामगइंदो त्ति । तओ. 20) J-बाला, Pणेसु, P पेच्छसि, सुणभु for ण सुओ।।. 22) वियड्रो, P वित्थरेणय. 23) P कामगंदेण. 24) P रणगरं इंदस्स, P जेणस्स चरिय निबद्धाई, P दुबइखंडवढजतेहि य वित्तगाहा. 25) सयलकिण्णरयणे गिज्जा त्ति । २ सयलं किन्नरगणगणेण, बिंदुमतीप, तप्पभूई च. 26) Padds य before केरिसा, P सरुवरत्तारिय, P वया for वणलया, उक्कडिया P उखुडिया. 27) Pom. विउत्ता, P मंतड्या, P कुणइयालक्खयं ण कुणइ. .28) P वायरणं. 29) Pमत्ता विव, परयत्ता, P पराइत्ता विव, न मया इव. 30) Pom. पुण, P वच्चाइ, om.णियं उट्टर, P om. विभणं उद्धाइ. 31) P ज्झायइ दुमणं, P किं च कइया. 32) J रुअ for रुवइ, Pद्धाइ for धावइ, P om. कश्या वि वलइ, J मुणे for सुगइ. 33) P का वि भणश त्ति, Pom. च. Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३६ उज्जोयणसूरिविरइया [९३६ . 1 सा वलइ खलइ वेवइ जूरइ सोएण परिगया होइ । भीय ध्व सुहय-मुद्धा कामगइंदस्स णामेणं ॥ तो मए जाणिय इमाए कामगइंदो वाही, कामगइंदो च्चिय ओसहं । अवि य।। 3 जो किर भुयंग-डको डंके अह तस्स दिजए महुरं। एसा जगे पउत्ती विसस्स विसमोसहं होइ ॥ त्ति चिंतयंतीए मए भणिया माणसवेगा इमा 'हला, इमीए कामगइंदो परं वेजो पियसहीए' । तत्तो कामगइंदो त्ति सहायण्णणेण केरिसा जाया। अवि य ।। 3 उकंठ-दिण्ण-हियया कामगइंदस्स सुहय-सद्देण । तंडविय-कण्ण-वण-हत्थिणि व्व तत्तो-मुही जाया । तओ मउय-मंजु-महुरक्खरालावं तीए पलतं । अवि य । पियसहि अस्थि विसेसो इमिणा मंतेण मम य वाहिस्स । पीयक्खराई जं मे कामगइंदो त्ति ता भणसु ॥ 9 तओ रायउत्त, अम्हेहिं मंतियं हिययाणुकूलत्तणं कीरंतीहिं । विरइओ इमो अलियक्खरालावो मंतो। अवि य । ओं। सरलो सुहओ दाया दक्खो दयालु दक्खिण्णो । अवणेउ तुज्झ वाहिं कामगइंदो त्ति हुं साहा ॥ तओ कुमार इमिणा य मंत-गोत्त-कित्तगेण केरिसा जाया पियसही । अवि य । 12 सुक्कोदय-तणु-खंजण-कडुयालय-बलिय व्व सा सुहय । तुह सूर-गोत्त-किरणहिँ ताविया मरइ व फुडती ॥ तं च तारिसं दहण चिंतियं अम्हेहिं । सव्वहा, काम-भुयंगम-डका अइकाय-विसोयलंत-विहलंगी। धीरिजइ कामगइंद गरुल-मंतेहि जइ णवरं ॥ 15 इमं च चिंतयंतीहिं सा भणिया 'पियसहि, तुम अच्छसु । अम्हे गंतूण तत्थ जो सो कामगइंदो तं अब्भस्थिऊण इहाणेमो, जेण पियसहीए वाही अवणेइ' त्ति । तीए सणिय-सणियं भणियं । अवि य। ___ 'वच्चह दुवे वि वच्चह एको दूओ ण जाइ वेज-घरे । दाऊण वि णिय-जीयं करेह तह तं जहा एइ ॥' 18 तओ इमं च वयणं सोऊग अम्हेहि तह' त्ति पडिवणं । तओ एकम्मि वियड-गिरिवर-कुहर-सिलायलम्मि विविह-चंदण कप्पतरुवर-साहा-लयाहरए विरइओ सत्थरो सरस-सरोरुह-दलेहिं । तत्थ णिक्खिविऊण समुप्पइयाओ कुवलयभंतर-दलंत णीलं गयणयलं । तओ कुमार, पेच्छंतीओ विविह-णगरागर-णइ-गाम-तरु-गहण-गोउल-जलासयं पुहईयल ति संपत्ता य 21 इमं पएसं । तओ ण-याणिमो कत्थ सा णयरी जत्थ तुमं होहिसि, कत्थ वा तुम पावेयब्बो ति । इमस्स य अत्थस्स जाणणत्थं आहूया भगवई पण्णत्ती णाम विज्जा, विण्णविया य 'साहसु कत्थ उण कामगइंदो अम्हेहिं दटुव्वो' त्ति । भगवईय वि आणत्तं जहा 'एस अहो, खंधावार-णिवेसे संपर्य' ति । इमं च णिसामिऊण अम्हे अवइण्णाभो 24 संपयं 'देव, तुहायत्तं पियसहीए जीवियं' ति । तओ कामगइंदेण चिंतियं 'अहो, अइगरुया कामावस्था वराईए'। भणियं च मए जहा 'अवस्सं कज तुम्हाणं कायवं' ति। चिंतयतेण भणिय 'ता संपयं भणह को एस्थ उवाओ, जेण ए पिय-सही जीएज' । ताहिं भणियं । अवि य। 27 'एक्को परं उवाओ काम-करेणूए सुदरं होज । कामगइंद-करालिहण-फरिस-सुह-संगमोवाओ॥ तामा विलंबसु, उढेसु संपर्य जइ कह वि जीयति पेच्छसि पियसहिं । अवि य । तुज्झाणुराय हुयवह-जाला-हेलाहि सा विलुटुंगी। एत्तिय-मत्तं वेल मुद्धा जइ दुक्करं जियइ ।' 30६३६४) कामगइंदेण भणिय 'जइ अवस्सं गंतव्वं ता साहेमि इमीए महादेवीए'। तओ ताहिं भणियं 'एरिसो तुम राया सव्व-णीइ-कुसलो लोयं पालेसि जेण महिलाण रहस्सं साहसि । किं ण सुओ ते जणम्मि एसो तंतक्खणे य सिलोओ। अवि य । 1) P वलइ for खलइ, जूवs for जूर, P सेएण for सोएण. 2) Pमे for मए, J मए for इमाए, ' वही for वाही. 3) J दंसे for डंके, उपयुत्ती. 4) P चितयंतं, J om. मए, J इमाए for इमा, P वर for परं, P पियसहिए, तओ कामगइंद त्ति सदायण्णेण. 6) P अह्व for सुहाय, P तडुट्ठियकन्न. 7) P मंजुर for मंजु. 8) Jइमय Pइमरस for मग य (emended), P बीइक्खराइ जे मिक्खामगइंदो, जीम्म for जं मे. 9) Jom. कीरंतीहिं, I अलिअक्खालावो, Pक्खरलावो, उ& P ओ for ओं. 10) JP दाता, JP दयालू, उवण्णेओ for अवणेउ, Pवाही कामइंदो हुँ स्वाहा ।।. 12) J सुखेदयतणु, P सा मुहया।, फुरंती॥. 16) P बाहिं, J तीय, P om. सणिय सणियं. 17) J दूतो, " वेजहरे, करेस. 19)P साहलयाहरए, P trans. सत्थरो after -दले हिं, दलं for दलंतणीलं. 20) Jणगगरा for णगरागरा, P पुहतीयलं, P संपत्ता इमं. 21) Padds कत्थ व तुम होहसि after तुमं होहिसि, P व for वा, J पावेयव्य त्ति, P om. य. 22) Jआहूता, P भगवती, P om. कामगइंदो अम्हेहिं दढयो etc. to जीवियं ति । तओ. 24)P वरातीए. 25) J जहावरसं, P तेण for पितयंतेण26) P पियसहीए, J जीएज्जा. 27) P कामगईदक्खफलिहणफरिस. 28) P जीयंती, P पेच्छसि पेयसही. 29) P विलुटुंती. 31) Jणीति- P निती, J किण्ण तेन for किंण. 32) Jतक्खाण य preceded on the margin by पंचतं (in a later hand). Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३६५] कुवलयमाला 1 नीयमानः सुपर्णेन नागः पुण्डरिको ऽब्रवीत् । यः स्त्रीणां गुह्यमाख्याति तदन्तं तस्य जीवितम् ॥ 1. ता मा साहसु णारीणं रहस्सं' ति । तेण भणिय 'सबमिणं, किंतु अत्थेत्थ कारण, कहिं पि कारणंतरे तहा-तुडेण मए ३ वरो इमीए दिण्णो जहा 'जं किंचि सुविणं पितं मम साहेयवं । मए 'तह' त्ति पडिवणं । ता एस महंतो वुत्तंतो। 3 विजाहर-लोय-गमणं अवस्सं एस साहेयम्बो' ति । ताहिं भणियं 'जइ एवं ता साहसु, किंतु अवस्सं गंतव्वं' ति । पडिबोहिया महादेवी । तीए साहियं सयलं वुतं । 'ता दइए, संपयं वच्चामि अहं तत्थ' । तीए भणियं 'जारिसं 6 चेय महाराइणो रोयइ तारिसं चेय कुणउ, को पडिबंधं कुणइ देवस्स । केवलं इमाओ दिवाओ विण्णवेमि'। 6 बद्ध-करयलंजलीए भणियं देवीए । अवि य। ___ 'विजाहरीओ तुब्भे देवीय व विण्णवेमि ता एक्कं । एसो तुझं णासो अप्पेजसु मज्झ दीणाए ॥' 9 त्ति पडिया पाएसु । 'एवं होउ' त्ति भणमाणीहिं आरोविओ विमाणम्मि । उप्पझ्या तमाल-दल-सामलं गयणयलं। 9 देवी वि उप्पाडिय-फणि-मणि-रयणा इव फणा, उखुडिय-कुसुमा इव कुसुम-मंजरी, उडीण-हंसा इव णलिणिया, अचंदा इव रयणिया, दिणयर-कर-विरह-विओय-विमणा इव चक्काय-बालिय त्ति सुविणं पिव, इंदयालं पिव, कुहयं 12 पिव, चक्खु मोहणं पिव, परलोग पिव, दिटुं पिव णिसुयं पिव अणुहूयं पिव मण्णमाणी चिंतिउं पयत्ता । 'कस्स 12 साहामि, किं भणामि, किं मा भणामि, किं करेमि, किं वा ण करेमि, कत्थ वच्चामि, को एस वुत्तो, कहं गओ, किं गओ, काओ ताओ, एरिसा मणुस्सा, विसमा विसयासा, भीसणो णेह-रक्खसो, रोदो विरह-भुयंगमो, एरिसाओ 15 कवड-बहल-पत्तल-दल-समिद्धाओ होंति महिलाओ महाविस-वल्लीओ त्ति । अवि य । किं होज इमं सुमिण दिट्री-मोहं व किं व अण्णं वा । कइया पुण पेच्छामो अवहरिओ माएँ देवीहिं ॥' ६३६५) जाव य इमाइं अण्णाणि महादेवी विइंतेइ ताव य थोवावसेसिया रयणी जाया। अवि य । 18 जह जह झिजइ रयणी दइय-विउत्ता वि मुद्धड-कवोला । तह तह झिजइ देवी गयणे-मुह-दिग्ण-दिट्ठीया ॥ 18 तओ एवं च गयणंगण-दिण्ण-णीलुप्पल-दल-सरिस-दीहर-दिट्टीए दिटुं देवीए विमाण । तओ णलिणी-वण-दसणेण व रायहंसिया, अहिणव-जलय-वंद-हरिसेण व बरहिण-वालिया, अवर-सरवर-तीरागमेण व रहंगस्स रहंगिय त्ति । तं पेच्छ। माणीए ओवइयंतम्मि पएसंतरम्मि दिवाओ ताओ सुंदरीओ कामगइंदो य, ओइण्णो विमाणाओ, णिसण्णो सयणवढे । । भणियं ताहिं विज्जाहरीहिं । अवि य । 'देवि इमो ते दइओ णिक्खेवो अम्ह जो तए णिहिओ । एस सहत्थेणं चिय पणामिओ मा हु कुप्पेज ॥' । ति भणंतीओ समुप्पइयाओ धोय-खग्ग-सामलं गयण-मग्गं । राया वि दिट्टो देवीए अणहय-सरीरो। तओ किं सो किं 24 वा अण्णो त्ति चिंतयंतीए पुलइयाई असाहारणाई लक्खण-वंजणाई जाव जाणियं सो च्चेय इमो त्ति । चिंतियं च देवीए । 'संपर्य एस दीण-विमणो विव लक्खीयइ' त्ति । 'ता किं पुच्छामि । अहवा दे पुच्छामि' त्ति चिंतयंतीए पायवडणुट्टियाए 7 सविणयं पुच्छिओ कामगइंदो। 'देव, भणह कहं तत्थ तुमं गओ, कहं वा पत्तो, किं वा दिटुं, किं वा अणुहूयं, कहं वा सा 27 विजाहरी पाविया । बहु-कोऊहल-संकुलो य विजाहर-लोओ, ता पसीय सव्वं साह मझं' ति भणिए राया साहिडं समाढत्तो । अत्थि इओ समुप्पइया अम्हे मुसुमूरियं जण-पुंज-सच्छमं गयणयलं । तओ देवि, अउव्व-णहयल-गमण-रहस10 पसरमाण-गमणुच्छाहो विमाणारूढो गंतुं पयत्तो । तओ इमम्मि सरय-काले राईए गयणयल-गमण-वेएणं किंचि 30 दीसि पयत्तं । अवि य । 1) Pनीयमानो सुवर्णन राजा नागाधिपो अवीत्, J सुपणेन, J तदंतं जीवित मिति. 2) Padds मि after कारणं, Jom. कहिं पि, कारणे for कारणंतरे, Jom. तहा-- 3) Pदिण्णो तहा जं किं पि सुविणं मि तं. 5तीय, I inter. साहियं सयल, P तावइए, J तीय, 6) P च for चेय, P को वि पडिबंध, J करेइ tor कुणइ, P om. दिवाओ. 7)P करयंजलीए. 8) P देवीसु व, P मित्थं for एकं, P उप्पेज. 9) Jआरोवितो, P आरोविओ माणमि. 10) Jहणा for फणा, P उक्खडिया इव, I om. कुसुम- 11) रयणीय, Pom. विओय, J om. कुहयं पित्र, P repeats कुड्यं पिव. 12) J चक्खुम्मोहणं, हतियं पयत्ता. 13) J कं भजामि कण्ण भणामि, P adds वा before करेमि, Jom. किं वा ण करेमि, P किच्छ वा न करि मि. 14) P जओ for काओ. 15) वह for बदल, P-वेलीओ. 16) मोहं व किण्णमण्णं वा ।, P कइया उण, I माय, P देवेहिं. 17) Pइमाणि, P महादेवी ति चिंतेइ. 18) Pom. one जह, P विमुत्ता, P om. one तह, P गय से मुह. 19) P om. दल, I दिट्ठिआ. 20) P रायहंसीया, P हरिसेणेव, P तीरागमेणे, P om. रहंगस्स, Pom. तं, I पेच्छमाणीय. 21) P ओवयंत मि, ' adds य after दिट्ठाओ, J om. सुंदरीभो, निसण्णा सयणे निविट्ठो । भणियं. 23) Jए for ते, P लिहिओ।. 24) P अणहसरीरो. 25) पुलोइयाई, P om. जाव, P जाणिउ, J चेय P विय. 26) Jom, पायवडणुट्टियाए. 27) Pom. सविणयं, भण आव for भणह, P कत्थ for कहं तत्थ, अणुहूतं, P कहिं for कहं. 28) P बहू, र य ज्जाहरलोओ ता पसिय. 29) Jइतो for इओ, Pमुसुमूरियं जसच्छमं. 30) किंच दीसिउं. Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३८ उज्जोयणसूरिविरइया [६३६५ गयण-सेरे तारा-कुमुय-मंडिए दोसिणा-जलुप्पीले। सेवाल पिव तिमिरं ससिहं सो सहइ भमिऊण ॥ गिरि-रुक्ख-सणाहाणं गामाण मंदिराइँ दीसंति । जोण्हा-जलहर-पडिपेल्लिया. कीडोयराई च ॥ कास-कुसुमेहँ पुहई गयणं ताराहिँ हसइ अण्णोण्णं । दटूण सराइँ पुणो कुमुएहि समं पहसियाई ॥ जायम्मि अडरत्ते णलिणी-महिलायणे पसुत्तम्मि । फुल्ल-तरूहि हसिज्जइ जलेण सह संगया जोण्हा ॥ तेल्लोक-मंथणीए जोण्हा-तक्केण अद्ध-भरियाए। दीसंति महिहरिंदा देवि किलाड व्व तरमाणा ॥ 6 ३६६) तओ सरय-समय-ससि-दोसिणा केरिसा मए वियप्पिया हियएणं । अवि य । वड्डद व धरणिहर-सिहरेसु, । विस्थारिजइ व जल-तरंगेसु, हसइ व कास-कुसुमेसु, अंदोलइ व धयवडेसु, णिसम्मइ व धवल-घरेसु, पसरइ व जालगवक्खएसु, धावह व वेलायडेसु, वग्गइ व समुद्द-कल्लोलेसु, णिवडइ व ससिमणि-मय-घडिय-पणाल-णाल-मुहेणामय-जलं 9 वत्ति । अवि य। इय बहु-तरुवर-जोण्हा-गिरि-चंद-सराई पेच्छमाणो है। वञ्चामि देवि देवो व्व सरहसं गयण-मग्गेण ॥ पुणो ताओ कुमारियाओ भणिउं पयत्ताओ । अवि य । 12 कामगइंद गइंदो एसो रणम्मि पेच्छसु पसुत्तो । कामि व्व करिणि-कुंभत्थलम्मि हत्थं णिमेऊण ॥ पेच्छ कुमुएहि समय दटुं हसमाणित व्व ताराओ । सस-लंछणेण मइलं करेइ मुह-मण्डलं चंदो ॥ धवल-सुरहीण वंद्र गोटुंगणयम्मि पेच्छ पासुतं । रे अणिया-छिण्णं पिव सेरीसि-सिरं पिहु-पिडम्मि ॥ एयं पि पेच्छ जयरं जामय-पूरंत-संख-घोराहिं । लक्खिजइ सुतं पिव पसंत-जण-कलकलारावं ॥ एयं च पेच्छ गोठं अज वि आबद्ध-मंडली-बंधं । रासय-सरहस-ताला-वलयावलि-कलयलारावं ॥ जोण्हा-चंदण-परिधूसराओं चक्काय-सद्द-हुंकारा । किं विरहे किं सुरए पेच्छसु एयाओं सरियाओ। 18 एसो वच्चइ चंदो तारा-महिलायणं इमं घेत्तुं । अत्थाहो व्व सरहसं अवर-समुदस्स तित्थेसु ॥ __एवं च जाव ताओ वञ्चतीओ पहम्मि सोहंति । ता पत्ता वेएणं दइए तं ताण आवासं ॥ तओ तं च मियंक-कर-सच्छमं दट्टण महावयव-गिरिवरं भणियं ताहिं विजाहर-बालियाहिं । अवि य । 21 'एसो वेयड्ड-गिरी एस णियंबो इमो वणाभोओ। एसो सो धवलहरो संपत्ता तक्खणं अम्हे ॥' त्ति भणतीओ पविट्ठाओ तम्मि वियड-गिरि-गुहा-भवण-दारम्मि । दिटुं च मणि-पईव-पजलंतुज्जोविय-दिसियक भवणो वरं। तत्थ य णलिणी-दल-सिसिर-सत्थरे णिवण्णा दिट्ठा सा विजाहर-राय-कुमारिया । केरिसा उण दइए । अवि य। 24 कोमल-मुणाल-वलया चंदण-कप्पूर-रेणु-धवलंगी। कयली-पत्तोच्छइया कावालिणिय व्व सा बाला ॥ ३६७) तओ तं च तारिसं दट्टण सहरिसं उवगयाओ ताओ बालाओ। भणियं च ताहिं । अवि य । 'पिय-सहि उद्देसु लहुं लग्गसु कंठम्मि एस तुह दइओ। संपत्तो अह भवणं जं कायव्वं तयं कुणसु ॥' 27 एवं च भणमाणीहिं अवणीयाई ताई णलिणी-दलाई। पेच्छति जाव ण चलंति अंगाई । तओ झत्ति ससंकाहिं पुलइयाई म णयणाई जाव दिट्ठाई मउलायमाण-कंदोट्ट-सच्छमाई । ताई च दट्टण संभंताहिं दिण्णं हियए कर-पल्लवं जाव ण फुरइ तं । तओ हा हा हत्ति भणतीहि णिहित्तं वयण-पंकए करयलं जाव ण लक्खिओ ऊसासो । परामुसियाई सयलाई मम्मट्ठाणाई। 30 सव्वाइँ मि णिप्फुराई सीयलीहूयाई ति । तओ दइए, तं च पेच्छिऊण ताहिं धाहावियं विजाहर-बालियाहिं । अवि य । 30 __ हा देव्व तए हा हा हा पिय-सहि हा हयं महाकट्टे । हा कामगइंद इमा पेच्छ सही केरिसा जाया ॥ तओ दइए, अहं पितं तारिसं पेच्छतो गरुय-मण्णु-थंभिजमाण-बाहुप्पीलो 'हा किमेय' ति ससंभम जपतो पलोइडं 1) P मंडिदोसिणी, J सो अहइ असिऊण II, P हसति for सहइ. 2) J-जलयर, I कीटोअराई P खीरोअराई. 3) P कासवकुसमेहिं, P पुणो कुमरेण समं पहसिइं. 5) Pमहहरिंदा लोणियपिंड व्व तरमाणा- 6) I -होसिणा. 7) Pom. कासकुसुमेसु, अंदोलइ व, P धवलहरेसु, P वेलायलेसु. 10) Jणहतरुवर P बहुतरयर, Pom. व. 12) कामगइंदो, करणि-, P हत्थं मिमिऊणा. 13) P पेच्छसु for पेच्छ, P सम for समय, P ससि-. 14) गोटुंगयणमि, Pरे यणआ, P सिरीसि for सेरीसि, पिडति. 15) Pणरयं for णयर, I पलंत for पसंत, P जलकलारावं. 16) रोसवः, P रासव सारहस. 17) Jहुंकाओ, P य इमाओ for एयाओ. 18) P सत्थाउ for अत्थाहो. 19) Pom. च, P सहिति ।. 20) Jinter. वेयड & महा. 21) Jवणाहोउ. 22) Jom. त्ति, P-हरण- for भवण, P दिसायकं भवणोयरं. 23) Pom. य, P विवण्णो for णिवण्णा, Pदए for दइए. 24) P करली. 25) Jom. तारिसं, Jom. ताओ. 26) Pउटेह लहूं. 27) Pण वलंति तओ अंगयाई, Pinter. झत्ति & तओ, सासं काहि. 28) P दिट्ठायं, P कंदोद्द, P संभंताई, J om. ण, P om. तं. 29) P हा हा हित्ति, P तं for णिहितं. 30) J सम्वइ मिणिष्फरा सीअलिहूआई, Pom. मि, Pणपुराई, P repeats सीअलीहूआई, Pथाहा for धाहावियं, P बालियाई. 31Pदब्ब for देब्च, हा हयम्ह हा कद,P कामईद इहं पेच्छ इमा केरिसा. 32) J त्यभिज्जमाण. Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३६६] कुवलयमाला २३९ 1 पयत्तो जाव पेच्छामि चंदग-पंक-समलं पिचलंगी विणिमीलिय-लोयण णिच्चलगोवंगं दंत-विणिम्मियं पिव वाउल्लियं ति। 1 ता दइए, तं च तारिसं द?ण मए वि भणियं । अवि य। 3 हा मह दइए हा हा बाले हा अयाणुए मुद्धे । हा मह विरह-विवण्णे हा देव्व ण एरिसं जुत्तं ॥ ति भणमाणो मोहमुवगओ खणं च विबुद्धो णिसुणेमि ताण विलावे । अवि य । हा पियसहि कीस तुमं पडिवयणं णेय देसि अम्हाणं । कि कुधियासि किसोवरि अइ-चिर-वेला कया जेण ॥ 6 किं वा पियसहि कुविया जंतं अम्हाहि णिद्दय-मणाहिं । हा एक्किय त्ति मुक्का तुमए च्चिय पेसिया अम्हे ॥ हा देव " ए जुत्तं तं सि मणूसो जयम्मि पयडयरो । एसा महिला बाला एका कह परिहयं कुणसि ॥ हा हा तिहुयण-कामिण-जण-मण-वासम्मि दूर-दुल्ललिया । काम ण जुज्जइ तुम्हें अबलं एयाइणी हेतुं ॥ वहसि मुह चिय चावं हा णिजिय-तिहुयणेक-खंभं व । हा ते सव्व-जसं चिय धिरत्थु तुह अवगयं एहि ॥ पिय-सहि कामगइंदो एसो सो पाविओ घरं एहि । एयस्स कुणसु सयलं जे कायव्वं तयं सुयणु ॥ जो किंणरेहि गीभो पिय-सहि एस म्ह अच्छइ सहीणो । तुमए च्चिय पेसविया जस्स कए एस सो पत्तो ॥ 12 भणंतीओ मोहमुवगयाओ। तओ खणं च मए णव-कयली-दल-मारुएण आसासियाओ पुणो भणि समाढत्ताओ। अवि य ।।४ हा देव्व कत्थ संपइ किं काहं कत्थ वच्चिमो कहय । को वा सरणं होहिइ किमुत्तरं राइणो साहं ॥ ६३६८) एवं च भणमाणाओ पुणो पुणो से परामुसंति तं कोमल-मुणाल-सीयलं अंगं । भणियं च ताहिं। 15 कामगइंद इमा सा जा तुह अम्हेहिँ साहिया बाला। एसा तुह विरहाणल-करालिया जीविय-विमुक्का ॥ 15 ता संपइ साह तुम का अम्ह गई कहं व किं काहं । किंचुत्तरं व दाहं जणणी-जणयाण से एहि ॥ इमं दइए, सोऊण महं पि महंत उब्वेय-कारणं जायं । ण-याणामि किं करेमि, किं वा ण करेमि, किमुत्तरं देमि, किंवा 18 भणामि, विलक्खो विव थंभिओ इव मोहिओ विव परायत्तो इव, सव्वहा इंदयाल पिव मोहण पिव कुहयं पिव दिव्वं पिव 18 माया-रमणं पिव पडिहायह त्ति । तह वि मए भणियं 'अब्यो -याणिमो चिय किं करणिजं ति एत्थ अम्हेहिं । तुब्भे श्चिय तं जाणहु इमस्स कालस्स जं जोग्गं ।' 21 जाव य एस एत्तिओ उल्लावो ताव य, अरुण-कर-भासुरंगो दस-दिसणासंत-तम-महामहिसो। णहयल-वणम्मि दइए सूर-मइंदो किलोइण्णो ॥ तं च दहण पणट्ट-तम-वंदं दिणयरं भणियं ताहिं बालियाहिं 'रायउत्त, पभाया रयणी, उग्गओ कमलिणी-रहंगणा-पिय24 पणदणी-पसंग-संसग्ग-पत्तट्टो सूरो, ता जे करेयव्वं तं करेमो' त्ति । मए भणियं 'किमेत्थ करणीयं ।' ताहिं भणिय 'अग्गि-24 सक्कारो' त्ति । मए भणिय । 'एवं होउ' त्ति भणिए आहरियाई चंदण-लवंग-सुरदारु-कप्पूर-रुक्खागुरु-सुक्खाई दारुयाई। रइया य महाचिती। पक्खित्ता य सा महागइंद-दंत-घडिय व्व वाउल्लिया विज्जाहर-बालिया। दिण्णो य अभिणवुग्गय7 दिणयर-कर-पुंज पिंजरो जलणो। डज्झिउं च समाढत्ता जलण-जालावली-करालिजंतावयवा सा बालिय त्ति । तओ तं च 27 दहण 'हा पियसहि' ति भणतीओ मोहमुवगयाओ बालियाओ। अहं पि ताओ समासासि पयत्तो । समासस्थाओ य विलविउं पयत्ताओ | अवि य।। 30 हा पियसहि हा बाले हा मुद्धे हा वयंसि हा सोम्मे । हा बिंदुमई सुहए हा पिउणो वल्लहे तं सि ॥ तुज्झ ण जुज्जइ एयं अम्हे मोत्तूग जं गया एक्का । अम्हेहि विणा एक्का कत्थ व तं पवसिया भहे ॥ वच्चामो करस घरं अहव गया णाम किं व पेच्छामो । किं उत्तरं च दाहं बिंदुमई कत्थ पुच्छाए ॥ 33 ता पियसहि अम्हाणं किमेत्थ जीएण दुक्ख-तविएण । तुमए च्चिय सह-गमण जुजइ मुद्धे यासाण ॥ 1) P-कफलसंगी विणिमी',J समलं or ससलं, J णिचलंगि वणिमीलियलोअणं णिचलं अंगोवंगं दंतविणि मिअं, P वाउलिय त्ति. 3) हा हा मइए हा हा. 4) Joim. ति, P मोहमवगओ. 5) P नय for णेय, P किसोयरि, P-वेला कयं तेण 1. 7) P तुह् for ए, P एस महिला, P एक्को, P परिवं. 8) कामिणि, J एआए णिहणं तु ॥. 9) Pगिज्जय, P खंब्मे व्य. 10) Padds पियसहि कामगइंदो before एयस्स, P तए for तयं. 11) JP किण्णरेहिं, न ज for जस्स. 12) कयलि, P आसासिओ J समाढत्त. 13) पश्चिमे, JP होहिति, " om. से. 14) P पुरामुसंति. 15) F विरहानल. 16) Pगती, किं उत्तरं, J एहिं for एण्हि. 17) P महंतं पि महं उव्वेय, I om. महंतं, Jणयरेमि, I om. वा. 18) Pइव for विव, परयत्तो, P इंदजालं, पिव देव्यं. 19) Join. मायारमणं पित्र, P पि for पित्र, पडिहायदि त्ति. 20) Pom. अव्वो ण याणिमो etc. ताहि बालियाहिं, कालस्त जो जंगं. 24) P तो for ता, P किमत्थ. 25) I झाहविझाई, P आहारयाई for आहरियाई (emended),J कप्परक्खागुरु, P रुक्खागभासुक्काइ दारुयाई. 26) Pमहा चिंता ।, I बाहुलिआ,J om. विजाहर बालिया, P अहिणवुग्गय. 27) Pom. च, P जलगजावली, Pom. तं च. 28) Jom. बालियाओ, सभासत्थिओ. 29) P विलंबिउं. 30) Pहा सोमे।, P बिदुमती.31) Jआसि for भद्दे 32) Jadds a before घरं, Pणामं च पेच्छामो, किमुत्तरं किं वुत्तरं, P बिंदुमई. 33) अम्हाहिं, ५ किमत्थ, J जुजद मद्धए गयासाणं. Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४० . उज्जोयणसूरिविरइया [६] ३६ । इमं च पलवंतीओ झत्ति तम्मि चेत्र चिताणलम्मि पविट्ठाओ । तं च दट्टूण ससंभमो हं ' मा साहसं, मा साहसं 'ति भगतो पहाइजो जावखर-पवन-जन- जालावली- विलुहाम भट्ट-सानो तं च दट्टण अहं पि पहल इव महामोह-मोगरे, 3 भिण्नो इव महातोय-कोते, परदो इव महापाव-पव्यगुण विति समाढतो 'अहो, पेच्छिहिसि मह विहि-विद्दियत्तस्य, जेण पेच्छ ममं चेय अणुराय-जलण जालावली विलुडा विषण्णा बिंदुमई, तीए चेय मरण- दुक्ख संतत मणाओ हमाओ वि बालाओ जल पविडाओ ता मए विकिमेरिले इस्थी बसा से जीविएण इमम्मि चैव चिया पि पविसामिति चितवस्त्र तेण गयणगण-पण विजाहर ये बोलि पयतं तमो भगवं तीए विजाहरीए 'पिययम, पेच्छ पेच्छ, 9 अह एरिया मणुस्सा निकरुणा निहुरा गिराया। जेणं उस दइया एसो उण एस पासो ॥ १३६९ ) विज्जाहरेण भणियं । 'दइए, मा एवं भण । अवि य । महिलाण एस धम्मो मयम्मि दद्दए मरंति ता वस्सं । जेण पढिज्जइ सत्थे भत्तारो ताण देवो ति एस पुरिसाण पुरिसो दोइ वियो व सत्त-संपण्णो जो ण विमुचर जीवं कायर-महिला परिपुर्ण ॥ I 12 जुज्जइ महिलाण इमं मयम्मि दइयम्मि मारिओ अप्पा । महिलत्थे पुरिसाणं अप्प - वहो मंदिओ सत्ये ॥' त्ति भणतं वोलीणं तं विजाहर जुवलयं । मए वि चिंतियं 'अहो, संपयं चेय भणियं इमिणा विज्जाहरेण जहा ण जुज्जह पुरियस महिलये अत्तार्ण परिचर्ड ता जिंदिवं इमं ण मए काय ति दे इमाए सच्छ वीर-वारि-परिपुष्णाए 15 विसट्टम (दीवर णयणाए धवल मुणाल-वलमाण - वलय- रेहिराए वियसिय- सरस-सयवत्त वयणाए तरल-जल-तरंग-रंगतभंग-भंगुर -मज्साए वियड-कय-तड-नियंव-वेढा यावी कामिजीए अवयरिकण इमाणं जलंजली देखि सि चिंतिकण दइए, जाणामि अवइण्णो तं वात्रिं णिबुड्डो अहं, खणेण उण्वुड्डो हं उम्मिल्लिय-जयण- जवलो पेच्छामि गयणंगण-वलग्गे तरुयरे 18 महापमाणाभो भोसहीओ गिरिवर-सरिसे बस महलाई गोदणाई असिव-देहे तुरंगमे पंच-धणु-सय- पमाणे पुरिसे महादेहे पक्खिणो णाणाविह समि सफल बहि-साई धरणि-मण्डले ति । अपि य । इय तं पेच्छामि अहं अदिउब्वं अन्य दटुव्वं । गाम-पुर-नगर- खेडय- मडंब - गोहंगणा इष्णं ॥ 21 तं च तारिखं सन्यं पि महयमाणं दण जाओ मह मणे संकप्पो । 'अहो, किं पुण एवं अयि । किं होज इमो सग्गो किं व विदेहो णणुत्तरा-कुरवो । कीं विजाहर-लोओ किं वा जम्मंतरं होज ॥ सव्वदा जं होड होउ ति अम्दी ताव ण होइ, जेण तत्थ सत इत्यण्यमाणा पुरिया एवं पुण पंच-धणु24 सयप्यमाणा गणंगण-पत्त व्व लक्खिजंति । ण य इमे रक्खसा देवा वा संभावियंति, जेण सव्वं चिय महल- पमाणं इमं । अण्णं च विविह-कुसुमामोओ रुणरुर्णेत- महु-मत्त मुइय-महप्पमाण - भमर - गणा य तरुयरा । ता सव्वहा अण्णं किं पि इमं होहिइ'त्ति चिंतिऊण उत्तिष्णो वावि-जलाभो जाब दइए, पेच्छामि तं वाविं । अवि य । 27 पि विमाणत पतं। ता पुस्थ जल - जाय - फलिह-भित्ति विराट्ट-कंदोह दिण्ण-चच्चिकं । विमलं वावि-जलं तं जलकंत-विमाण सच्छायं ॥ सेच दण मए चिंतिये 'अहो, असे किं पितु, जेण पेतं वाजि कंचि पुच्छामि माणुसं जहा को एस दीवो, किंवा इमस्स णार्म, कत्थ वा अम्द दीवो को व अम्हाण बुतो' ति । इमं 30 चतितो समुचिणो बानि जल निमाणाओ परिभमिङमारतो जाव पेच्छामि सम्मा-सरिसाई जयराई णयर-सरिस 1) विनंतीओ, Jom तम्मि चेय, P चित्तानलमि, Pom. one मा साहसं om. ति. 2 ) Pom. पण, Jom. जलग, P पिलुद्धाओ, Jom. 'मोह. 3 ) J भिण्णोविन, महामोहकोंते, कुंतेग, P पारद्धो, पेच्छमद "पेच्छिसिहि, Pour. मह. 4 ) P मज्झ for ममं P - पिलुद्धा, P बिंदुमइ, Pom. वि. 5 ) P जलग, P कि for वि, वज्झ, जीवमाणेणं for जीविएण, चिताणले, Pom. अहं पि. 6 ) P बोलिउं 8 ) P repeats मणूसा for मणुस्सा, एसो for एस. 9 ) व for मा एवं. 11) एसो पुण सप्पुरिसो होइ, P विमुच्चर. 12 ) J मारिउ, P अत्थव हो. 13 ) Pom. त्ति, J010. तं, Pom. वि. 14 ) P महिणाजत्थे, उ अत्ताण, P जिंदिउं, P कायव्वो त्ति । दो इमाए, खीरो अवारि, P वारिपुन्नाए. 15 ) Pom. विसदृमाणेंदीवरणयणाe, Pom. वलमाण, P सरससयवणार, adds भं before तरंग, Jom. रंगत भंग. 16 ) भंगुरंगुर मज्झाए, P भंगु for भंगुर, P तवियंव, P अवतरिऊण, J जलंजलिं P जलंतजली. 17 ) P अवइण्णा तं वावीओ णिउडोहं खणेण उवेड्डोहं, णिउड्डो, J om. हैं, J उब्बुडो अहं, P जुयलो, J adds य before पेच्छामि, तरुवरे. 18 P महयमाणाओ, अउ for गिरिवर, P P सरिसे, महलाई मोहणारं, देहतुरंगमे, सतप्यमाणे, पमाणपुरखे 19 परिणो विसमिद्धं सफलनेसहि सफला 20 Jगामणगरखेडकञ्च डगो गणणयर सोहिलं ॥ 22 ) मो for इमो, " किं व देहाण, 3 om. ण after विदेहो. 23 ) J om. पंचधणुसयप्पमाणा 24) पाय विविध 26 ) होहित चिति 28 ) Pom. वाविजलं तं ( before पि ), P एत्थ किंचि बुच्छामि. वाविपासायहोओ विमाणाओ परिभमिं समादत्तो. । 25 ) कुतुमामोजो रुतम 29 ) दीव को व. 30 ) Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला २४१ 9 1 विहवाई गाम-ठाणाई, गाम-ठाण-समाइं गोहाई, गोटुंगणाउलाई सयल-सीमताई, सीमंत-वसिमाई वर्णतराई, पुरंदर- 1 समप्पभावा राइणो, बेसमण-समा सेहिणो, कामदेव-सरिसो जुवाण-जणो, कप्पतरु-सरिसा तरुयरा, गिरिवर-संठाणाई 3 मंदिराई, विरूव-धरिणी-रूव-लायण्ण-वण्ण-विण्णाण-कला-कोसल्ला ववण-सरिसाओ महिलियाओ त्ति । अवि य । जं जं एत्थ महग्धं सुंदर-रूवं च अम्ह दीवस्स । तं तं तत्थ गणिजइ पक्कण-कुल-कयवर-सरिच्छं ॥ ३७०)ता संपयं किंचि पुच्छामि । 'को एस दीवो' त्ति चिंतयंतेण दिट्ठा दुवे दारया । केरिसा । अवि य । 6 बाला वि तुंग-देहा रुइरा कंदप्प-दप्प-सच्छाया । रयण-विभूसिय-देहा णजइ दइए सुर-कुमारा ॥ दहण मए चिंतियं । 'दे इमे णयण-मणहरे सोम्म-सहावे पुच्छामि।' चिंतयंतेण भणिया मए 'भो भो दारया, किंचि पुच्छिमो अम्हे, जइ णोवरोह सोम्म-सहावाणं' ति । इमं च सदं सोऊण धवल-विलोल-पम्हला पेसिया ट्ठिी । कहं 9 च तेहिं दिट्ठो। कीडो व्य संचरंतो किमि व्य कुंथू-पिवीलिया-सरिसो । मुत्ताहल-छिई पिव दइए कह कह वि दिवो हं॥ तओ जाणामि पिए, तेहिं अहं कोउय-रहस- णिभरेहिं पुलइओ। भणियं च अवरोप्परं । 'वयंस, पेच्छ पेच्छ, केरितं 12 किंपि माणुस-पलावं माणुसायारं च कीडयं ।' दुइएण भणियं । 'सच्चं सच्चं केरिसं जीव-विसेसं । अहो अच्छरीय सयलं 2 माणुसायारं माणुस-पलावणं च । ता किं पुण इमं होज।' पढमेण भणिय 'अहो मए णायं इमं । दुइएण 'वयंस, किं'। तेण भणियं । अवि य। 10 'वण-सावयस्स लीवं छाउब्वायं सुदुक्खियं दीणं । माऊए विप्पणटुं उभंत-मणेरयं भमइ ॥' 15 दुइएण भणिय 'वयंस, कत्तो एरिसाई एत्थ वणाई जत्थ एरिसाइं वण-सावयाई उप्पजंति ।' 'सर-खेव-मेत्त-गाम गामंगण-संचरंत-जण-णिवहं । जण-णिवह-पूरमाणं अवर-विदेहं वयंस इमं ॥' 18 इमं च सोऊण दइए मए चिंतियं । 'अहो, अवरविदेहो एस, सुंदरं इमं पि दिटुं होहि' त्ति चिंतयंतस्स भणियं पुणो 18 एक्केण दारएण 'वयंस, जइ एस वण-सावओ ता केण एसो कडय-कंठयादीहिं मंडिओ होज्ज'त्ति । तेण भणियं 'वयंस, __ एसो माणुसाणं हेलिओ दीविय-मइ व्व मणुएहि मंडिओ' ति। अण्णेण भणियं 'सव्वहा किं वियारेण । इमं च गेण्हिऊण ॥ सयल-सुरासुर बंदिजमाण-चलणारविंदस्स सयल-संसार-सहाव-जीवादि-पदत्थ-परिणाम-वियाणयस्त भगवंत-सीमंधर-सामि-21 तित्थयरस्स समवसरणं बच्चामो । तत्थ इमं दट्टण सयं चेय उप्पण्ण-कोउओ को वि भगवंतं पुच्छिहिइ जहा 'को एस माणुसागिई सावय-विसेसो' ति भणतेहिं दइए, चडओ विव गहिओ हं करयलेणं, पस्थिया गंतुं । अहं पि चिंतेमि । 24 'सुंदर इमं जं भगवओ सवण्णुस्स समवसरणं ममं पावेहिंति । तं चेय भगवंतं पुच्छिहामि जहा को एस वुत्तंतो' त्ति 24 चिंतेंतो चिय पाविओ तेहिं जाव पेच्छामि पुहइ-मंडल-णिविढे पिव सुरगिरि भगवंत धम्म-देसयं सीहासणत्थं अणेय णर-णारी-संजुया सुरासुरिंद-प्पमुहा बहुए दिव्वा य रिद्धी जा सव्व-संसारीहिं सव्व-कालेणं पि सव्वहा णो घण्णे तीरइ त्ति । भते य वंदिऊण भगवंतं करयल-संगहियं काउं मम णिसण्णा एक्कम्मि पएसे । भणिय च तेहिं । 'वयंस, ण एस अवसरो 27 इमस्स कीडयस्स दंसियब्वे । भगवं गणहारी किं पि पुच्छं पुच्छइ, ता इमे णिसुणेमो' त्ति चिंतयंता णिसण्णा एक्कम्मि पएसंतरम्मि सोउं पयत्ता। 30 ३ ७१) भणियं च भगवया गणहारिणा । 'भगवं, जं तए णाणावरणीयाइ-पयडी-सलाया-घडियं कम्म-महापंजरं 30 साहियं इमस्स किं णिमित्तं अंगीकाउं उदओ खयं वा खओवसमो उवसमो जायइ' ति । इमम्मि पुच्छिए भणियं तेण बहु-मुणि-सय-वंद-बंदिजमाण-चलण-कमलेण सीमंधर-सामि-धम्म-तित्थयरेण । 'देवाणुप्पिया, णिसामेसु । 1) Pगामढाणाई गाभंगणसमाई, I om. गोळंगणाउलाई, सयलसीमंताई सीमंतवसिमाई वर्णतराई. 2) J सप्पभावा P समयप्पभावा, Pसे for सेट्ठियो, P संहाणाई. 3) रूबलावण्गुवण्णुकलाकोमला, P रूयलोयण्ण, P वण्ण for ववण. 4) P मणग्धं, P अम्हदीवमि, P एक्केण, करिवर for कयवर. 5) दुवे दो राया. 6) J विउंगदेहा. 7) P सोमसहावे, 7 तेण for चिंतयंतेण. 8) Pअम् पुछामि अहं for पुच्छिमो अम्हे जर णोवरोहं सोम्मसहावाणं ति, P adds मद before दिट्ठी. 10) P ब कंथ, पुरिलो for सरिसो, Pom, one कह. 11) P जाणामि पए, Jom. अहं, P रहसपूरेहि पुलश्य ।, P om. one पेच्छ. P om. किं after केरसं. 12) Pom. कीडयं, P om. one सच्च, P अच्छरियं. 13) Pom. (after सयलं माणुसा) यारं माणुसपलावणं etc. to भणियं । अवि य, | पलाविणं. 15) P विप्पणयं. 16) Pदइएण for दुइएण, J repeats एरिसाई before एत्थ. 17) Pom. जणणिवह. 18) P दईए, P om. अहो, P विदेहे, P होहिति त्ति, Pinter. पुणो & एकेण. 19) कंठयाहीहि, एस for एसो. 20) Pहेलिओ घाडेरव होहिति त्ति ।, Pom. च. 21) P बंदणिज्जमाण, P जीवाइपयत्थ, विआणायरस, P भगवयातो सीमंधरसार्मि वित्थयरस्स. 22) P चेव, P om. उप्पण्णकोउओ, Jom. को वि, J पुच्छीही P पुच्छिहि त्ति. 23) J माणसगिती सावतविसेसो, P माणुसागिति. Pom. चडओ, P विय, करेणं P कारयलेणं. 24) J भगवतो, P पावेंति ।, पुच्छीहामि. 25) Pचिंततो, P om. तेहिं. 26) Jom. संजुया, P बहुवे दिव्वाए रिद्धीए संपण्णा जो सो सव्वः, सम्वहा ण विण्णे. 27) तेण for हिं, P adds ण before वयंस. 28) P कीडरस, Pom. पुच्छ, P पुच्छति, J इमं णिसुणेमि- 30) JP "वरणीयाति, P पयतीसलाय. 31) Jउदयो, खयोवसमो, P वसमो for उवसमो, जायति त्ति । इम च पुच्छिए. 32) P चल for चलण,J om. देवाणुप्पिया णिसामेसु. 31 Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४२. 1 3 6 121 15 18 उज्जोयणसूरिविरइया उदय-सय-पत्रोवसमोवसमा जं च कम्मुणो भणिया दव्वं खेतं कालं भवं च भावं च संपप्य ॥ कम्मस्स होइ उदओ कस्स वि केणावि दव्व-जोएण । पहयस्स जह व वियणा वज्रेण व मोहणीयस्स ॥ णाणावरणीयस्स व उदभो जह होइ दिसि विमूढस्स । पत्तस्स किं पि खेत्तं खेत्त- णिमित्तं तयं कम्मं ॥ पित्तरसुदओ गिम्हे जह वा छुद्द वेयणीय-कम्मस्स | कालम्मि होइ उदओ सुसमादीसुं सुहादीणं ॥ विहय- गहू- णाम-कम्मं होइ भवं पप्य जहा पक्खीणं तत्थ भयो थिय हेऊ णरय भयो वा वि वियणाए ॥ पढमे कसाय भावे दंसण- मोहस्स होइ जह उदओ । जिण-गुण-वण्णण-भाचे दंसण-कम्मस्स जह उदओ ॥ पुपि पो तित्तय-दव्येण जह व सेंभास होइ खलो सग्गेण व भाव-कम्मरस सुपसिद्धं ॥ खेत्ताधिकम् एरिस हो किंपि जीवस्स । जं पाविण खेतं एकं चिय होइ मरणं ॥ सुसमा काम जो जीवाण होइ कम्म- जास्स दुसमाएँ ग होइ थिय कालो चिय कारणं तत्थ ॥ णाणावरण कम्मं मणुव-भवे चैव तं खयं जाइ सेस भवेषु न पचइ कारणमित्यं भवो चेय ॥ भावम्मि तम्मिणियमा भउब्धकरणम्मि वट्टमाणस्स । होइ खओ कम्माणं भावं चिय कारणं एत्थ ॥ जह ओसह दबेणं विषणा कम्मस्स कव्थइ कहिं पि होइ खओवसमो वि हु अण्णो जवि होइ दब्येण ॥ आरिय खेतम्मि जहा अविरइ-कम्मस्स छोइ मणुए या सय-उवसमा एत्थं खेतं चिय कारणं भणिये ॥ सुस्सम-दुसमा-काले चारितावरण - कम्म- जालस्स । होंति खओवसमाईं काले विहु कारणं तत्थ ॥ देवाण णारया य अवही आवाण-कम्म- पंकस्स । होंति खओवसमाई होइ भवो चेय से हेऊ ॥ उदति होंति मणुए मनुस्व-भावम्मि वट्टमागस्स । खय-उनसमेहिं वह इंदिया अथवा मई-णाये ॥ जं दव्वं अवलंबइ खेत्तं कालं च भाव-भव हेऊ । उवसम-सेणी जीवो आरोहइ होइ से हेऊ ॥ इय दब्ब-खेत्त-काला भव-भावो चेय होंति कम्मस्स । उदय-खय उवसमाणं उदयस्स व होंति सच्चे वि ॥ ६ ३०२ ) एवं च भगवया सम्य-तेलोफेल-बंधवेण सयल-गम्मागम्म सीमंधरेण सीमंधर - सामिणा समाइडे कम्मपरिणाम - विसेसे पडिवण्णं सव्वेहिं भि तियसिंद रिंद मुणि-गदिप्पमुहेहिं भणियं च । 'अहो भगवया सिट्ठाओ कम्म21 पयडीओ, साहियं कम्मस्स उदयादीयं सयल वृत्तंतं' ति । एत्थंतरम्मि अवसरो त्ति काऊण तेहिं कुमारेहिं मुको अहं कर रंगुली-पंजर-विवराओ ठिलो भगवमो तिब्धवरस्स पुरनो । एवंतरस्मि मर्म पेय अइ-कोउव- रहस भरमाणयण- मालाहिं दिट्ठो हं देव-देवि-र-णारीयणेणं, अहं च पयाहिणीकाउं भगवंतं थुणिउं पयत्तो । भवि य । 30 24 'जय सव्य-जीव-बंधव संसार- जलोह-जान-सारिच्छ । जय जम्म-जरा-वजय मरण-विमुक्ता जयाहि तु ॥ जय पुरिस-सीह जय जय तेलोक्वेक्कल-पत्थिय-पयाव । जय मोह-महामूरण रण- णिजिय-कम्म-सत्तु सय ॥ जय सिद्धिपुरी - गामिय जय-जिय-सत्थाह जयहि सव्वण्णू । जय सब्वदंसि जिणवर सरणं मह होसु सन्वत्थ ॥' थति भी विडियो चलगेसु णिवण्णो व णाइदूरे मर्म च सिन्यं दण दइए, एकेण वद-करयजलिणा पुच्छिभ णरणाहेण भगवं सव्वण्णू । 'भगवं किमेस माणुसो किंवा ण माणुसो, कहं वा एत्थं संपत्तो, किं वा कारणं, केण वा पावलो कथा सति महंतं मर्द को जहलं, ता पसीय सामु'ति भणिण निवडिओ चलणेसु । १ ३७३ ) एवं च पुच्छिओ भगवं मुणि-गण-बंदिय-चलण- जुवलो भणिउं समादत्तो । अवि य । 'अत्थि इमम्मि 8 चेय जंबुद्दीये भारहं णाम वासं । तत्थ य मज्झिम-खंडे अरुणाभं णाम णयरं । रणगइंदो णाम राया । तस्सेस पुत्तो कामगइंदो णाम । इमो य इमेहिं देवेहिं महिला-लोलुओ त्ति काऊण महिला-वेस-धारीहिं अवहरिऊण वेयङ्क-कुहरं पाविभो । [ ९३७१ 1) P उदओ क्खयोक्समो, P खओवसमो जं च कम्मुणा भणियं । भणिता 1. 2 ) J उदयो, P कस्स व, मज्जेण for वज्रेण 3 ) P नाणावरणीयकंमरसवरणीयस्स व उदओ, कम्मि for किं पि. 4 ) J जह वण्णुहवेदणीअस्स कम्मस्स, ससमादिसु जहे सुहादीण, सुहादीणि 5 ) गति, होश, P होइ तवं जह पप्प पक्खीगं, J जह, P भवे चिय, J हेतू, P om. वि. 6 ) J उदयो ॥ 7 > चिंतय for तित्तय, P जह वसंतस्स ।. 8 ) P होइ कंपि, J जीअस्स, P होति. 9) कालखयो यो जीवाण हीउ कम्म-, P दसमाए, P कालो चिय. 10 ) भवं चेअ P भवो चेय, P जायइ ।, कारणमत्थं. 11 ) P अउव्वकरणं निवह, P कम्माणं तावचिय, P तत्थ for एत्थ. 12 Jखयोवसमो, P अन्ना वि होइ. 13 ) P आयारिय, P वहो for जहा, व अविरति, P खडवसमाई. 14 ) P दुस्समा, कालो, होति खयोवसमाई, P खओवसमाई होइ भवो चेय से होओ ॥. 15) Pom. the gatha देवाण णारवाण ete खोसमाई हो भने चि देसि हेतु ॥ 16 ) P उदउत्ति होंइ, Pom. four lines खयउबसमेहिं etc. to होंति कम्मस्स ॥ मती गाणं. 17 ) J हेतू, हेतू ॥ 19 ) Jसयल for सव्व, P तेलोक्केक, गंमागंमा, J समाइट्ठो P इट्ठे 20 ) P - मुदिप्पमुहेहि महेहि भणियं. 21 ) Pom. ति, P अत्यंतरंमि, 22 ) P करयंजलीपंजर, P विओव for ठिओ, P चेव, J भरमाणे. 25 ) Pom देवि, P पयाहिणीउं, Jom. थुणिउं. 26 ) P जलोहजारिच्छा, P विमुक्क जयाह तुमं. 25 ) Pom. one जय, P पयावा, सया ॥1. 26 ) P जय जसत्थाह, जिण सरणमहं, P सणं for सरणं. 28 ) किं एस. 29 पावितो,‍ त्थि for त्ति, Pom. महं, P पसिय. 30 ) भणिउमादत्तो. 31 भरहं for भारहं, P om. य aftor तत्थ, अरणामं, P रणइदो, P तस्सेय 32 ) Pom. य, Pom. त्ति, Padds य after धारिहिं. J Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३७४] कुवलयमाला २४३ 1 तत्थ अलिय-विउब्विय-भवणे किर विज्जाहर-बालिया, सा उण मया, किर तुह विओय-दुक्खेण एसा मय त्ति विलवमाणीहिं 1. दवा, ते वि तत्थेय आरूढा । इमेणावि कवड-महिला-अवहरिय-माणसेण चिंतियं 'अहं पि जलणं पविसामि'त्ति । एवं3 मणसस्से विजाहर-जुवलय-रूवं दंसियं अवरोप्पर-मंतण-बयण-विण्णाण-वयण-विण्णासेण णियत्तिओ इमाओ साहसाओ। 3 पुणो दे एत्थ वावीए ण्हामि त्ति जाव णिउड्डो जाव जल-कंत-विमाणेणं इहं पाविओ। पुणो कुमार-रूवं काऊण इमेहिं अरण्ण-सावओ त्ति काऊण अलिय-परिहास-हसिरेहिं इहाणीओ जेण किर सव्वण्णु-दसण एत्थ सम्मत्तं पाविहिइ त्ति 6 अवसरेण विमुक्को'त्ति । णरवइणा भणियं 'भगवं, किं पुण कारणं एस अवहरिओ इमेहिं देवेहिं ।' भगवया आइ8 'पुव्वं 6 पंचहिं जणेहिं अवरोप्परं आयाणं गहियं ता 'जत्थ ठिया तत्थ तए सम्मत्तं अम्ह दायव्वं'ति । एसो सो मोहदत्तो देवलोगाओ चविऊण पुहइसारो आसि । पुणो देवो, पुणो एस संपयं चरिम-सरीरो कामगइंदो त्ति समुप्पण्णो । ता भो भो 9 कामगइंदा, पडिबुज्झसु एत्थ मग्गे, जाणसु विसमा कम्म-गई, दुग्गमो मोक्खो, दुरंतो संसार-समुद्दो, चंचला इंदिय- 9 तुरंगमा, कलि-कलंकिओ जीवो, दुजया कसाया, विरसा भोगा, दुल्लहं भव-सएहिं पि जिणयंद-वयणं ति। इमं च जाणिऊण पडिवजसु सम्मत्तं, गेण्हसु जहा-सत्तीए विरई' ति । इमम्मि भणिए मए भणियं 'जहा संदिससि भगवं, तह' 12 त्ति । एत्थंतरम्मि पुच्छियं णरवइणा 'भगवं, जह एस माणुसो, ता कीस अम्हे पंच-धणु-सयप्पमाणा, इमो पुण सत्त- 12 रयणिप्पमाणो।' भगवया भणियं । 'देवाणुप्पिया, णिसुणेसु । एस अवरविदेहो, सो उण भरहो। एत्थ सुह-कालो, तत्थ आसण्ण-दूसमा। एत्थ सासओ, तत्थ असासओ। एत्थ धम्मपरो जणो, तत्थ पावपरो। एत्थ दीहाउया, तत्थ 15 अप्पाउया। एत्थ बहु-पुण्णा, तत्थ थोव-पुण्णा । एत्थ सत्तवंता, तत्थ णीसत्ता । पुत्थ थोव-दुजण-बहु-सज्जण-जणो, तत्थ 15 बहु-दुज्जणो थोव-सज्जणो। एत्थ एग-तिथिया, तत्थ बहु-कुतित्थिया । एत्थ उज्जय-पण्णा, तत्थ वंक-जडा। एत्थ सासओ मोक्ख-मग्गो, तत्थ असासओ। एत्थ सुह-रसाओ ओसहीओ, तत्थ दुह-रसाओ । सव्वहा एत्थ सासय-बहु-सुह-परिणाम18 पत्तट्ठा, तत्थ परिहीयमाण-सुह-परिणाम त्ति । तेणेत्थ महंता पुरिसा तत्थ पुण थोयप्पमाणा।' एवं च भगवया साहिए 18 किर मए चिंतियं देवि जहा 'अहो, एरिसो अम्हाण दीवो बहु-गुण-हीणो । एसो पुण सासय-सुह-परिणामो। एरिसो एस भगवं सव्वण्णू सव्व-दंसी सव्व-जग-जीव-बंधवो सव्व-सुरिंद-वंदिओ सव्व-मुणि-गण-णायगो सव्व-भासा-वियाणओ सव्व। जीव-पडिबोहओ सव्व-लोग-चूडामणी सव्वुत्तिमो सब्व-रूवी सब्व-सत्त-संपण्णो सब्ब-महुरो सव्व-पिय-दसणो सव्व-सुंदरो । सब्व-वीरो सव्व-धीरो सव्वहा सन्ध-तिहुयण-सव्वाइसय-सब्व-संदेहो त्ति । अवि य । ____ जइ सवण्णु महायस जय णाण-दिवायरेक्क जय-णाह । जय मोक्ख-मग्ग-णायग जय भव-तीरेक-बोहित्थ ॥ 24 त्ति भणंतो णिवडिओ है चलणेसु । पायवडिओ चेय भत्ति-भरेक-चित्तत्तणेण विणिमीलमाण-लोल-लोयणो इमं चिंतिउ-24 माढत्तो। अवि य। दसण-मेत्तण चिय भगवं बुद्धाण एत्थ लोगम्मि । मण्णे हं ते पुरिसा किं पुरिसा वण-मया वरइ॥ 27 त्ति भणिऊण जान उण्णामिय मए सीसं ता पेच्छामि इमो अम्हं चिय कडय-संणिवेसो, एयं तं सयणं, एसा तुम देवि' ति। 27 ३७४) एवं च साहिए सयले णियय-वुत्तंते कामगइंदेण देवीए भणियं । देव, जहाणवेसि, एकं पुण विष्णवेमि 'देव, जो एस तए वुत्तंतो साहिओ एत्थ उग्गओ दिवायरो, तओ दिट्ठा विभाया रयणी, महंतोवक्खेवो, बहुयं परिकहियं, 30 बहुयं णिसामियं, सव्वहा महंतो एस वुत्तो । ता ममं पुण जत्तो च्चिय तुम ताहिं समं गओ, तप्पभूई चेव जागरमाणीए 30 जाम-मे चेय वोलियं । तो विरुद्ध पिव लक्खिजए इमं । ताण-याणीयइ किं एयं इंदयालं, उदाहु कुहगं, किंवा सुमिण, होउ मइ-मोहो, किं णिमित्तं, किं अलियं, आदु सञ्च' ति वियप्पयंतीए किं जायं । अवि य । IPत for तत्थ, J om. विउब्धिय, 1 किल, J सोऊण for सा उण, P विलवमाणेहिं. 2) Pom. आरूढा, Pइमिणा वि, P -वहरिय-, P एवं माणस्स. 3)P विज्जाहजुवलयं, J जुबलरूवं, P देसियं for दंसियं, उ अवरोप्परा-, J मंतणा-, P मंतणवेयणविन्नासेण. 4)Pनिउत्तो for णिउडो, Pजाव जाललकतं विमाणे इह. 5) I पावेहि पावेहिति. 6) दिन्वेहिं for देवेहि. 7)P जत्थ गया तत्थ गया संमत्त. 8) P चरम- 9) पडिवज्ज for पडिबुज्झसु, P कंमगती, P मोखो. 10) तुरंगा, P कल for कलि, भोआ for भोगा, P दुलह, om. च. 11) J जहा दिससि. 12) सतप्पमाणा ईसो पुण. 13) Pरयणिप्पमाणो, देवाणुपिया. 14) J तत्थासण्ण-. 15) Pउप्पाइया for अप्पाउया, J थोअपुण्णा, सत्तमंता, Pणीसंता, J थोअदुजण. 16) P-दुज्जणा, I थोअसज्जणो, बहुतित्थिया, P एत्थ उज्जपुष्णो तस्थ, Jएस सासओ. 17) Pदुरसाओ, एस सासत-- 18) J पत्तत्था P पब्भट्टा, P परिहीयमाणासुपरिणाम, तत्थ उण, थोअपमाणा, Pथोयप्पमाणो त्ति. 19)P एसो उण. 20) Pगय for गण. 21) लोअ for लोग, P सव्वत्तमो. 22) J-सव्वातिसय--23)P सव्वण्णू, Padds दिवाण after णाण, P भगवं एक-बोहित्थ, J बोहित्थे. 24)Pom. हं, P भरेणक, F विणिवीलमाण, Join. लोल, चिंतिउं समाढत्तो. 26) J भगवं जे तुह बुद्धणा एल्थ लोअम्मि, P वणमयावय ।।. 27)Pउण्णामयं, ताव for ता, P अहं for अम्हं, करय for कडय, Pदेवि ति ।. 29) J दिट्टो विभाता, P महतो विक्खेवो. 30) J बहूयं णिसामियं, Jom. ता, समयं गओ, J तप्पभूति चेअ. 31) Jता for तो, P लक्खिज्जइ, Jण याणीयति किं एतं, P कुदाहु, र कुहयं. 32) JP मतिमोहो, P om. किं णिमित, P आउ स पि, वियप्पयंतीय P वियप्पतीए. Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४४ उज्जोयणसुरिविरइया [६३७ . 1 कीरइ सक्खित्तणयं दिटू-वली-पलिय-पंडुरंगेण । सव्वं सच्चं ति अहो भणियं गोसग्ग-संखेणं ॥ ताव य पवजिय पाहाउय-मंगल-तूरं, पढियं बंदि-वंदेहि, उग्गीय वारविलासिणीयणेण । इमं च णाऊण एरिसं पभाय३ समयं भणिय कामगइंदेण । 'सञ्चं इमं मए दि णिसुयं अणुभूयं च, णत्थि वियप्पो । जं पितए भणियं महंतो वुत्तो एस थोवं कालंतरं । एत्थ वि देव-माया य । देवा ते भगवंतो अचिंत-सत्ति-जुत्ता जं हियएण किर चिंतिज्जइ तं सव्वं तक्खणं संपजइ त्ति । जेण भणियं 'मनसा देवानां वाचा पार्थिवानाम्' इति । जो सो भगवं सीमंधरसामि-तित्थयरो दिवो सो णजइ 6 अहं पेच्छंतो चेय अज वि हियएण चिट्ठामि, मंतयंतं पिव उपेक्खामि । अहवा किमेत्थ वियारेणं । एस भगवं सब्वण्णू सव्व-दरिसी वीर-वठ्ठमाण-जिणयंदो विहरइ एयम्मि पएसंतरम्मि । संपयं पभाया रयणी । तेण तं चेय गंतूण भगवंत पुच्छिमो 'भगवं, किं सच्चमिणं किंवा अलिय'ति । ता जइ भगवया समाइटै 'सच्चं', ता सञ्चं, अण्णहा इंदयालं ति भण9 माणो पत्थिओ कामगइंदो ममंतिए। पत्थिओ य भणिओ महादेवीए । 'देव, जइ पुण भगवया सव्वण्णुणा आइ8 होज जहा सञ्चं ता किं पुण कायव्वं देवेण' । कामगइंदेण भणियं 'देवि, णणु सयल-संसार-दुक्ख-महासायर-तरणं ति किमण्णं कीरउ' । तीए भणियं 'देव, जइ एवं ता अवस्सं पसाओ कायव्वो, एकं वारं दसणं देज, जेण जे चेय देवो पडिवज्जइ तं 12 चेव अम्हारिसीओ वि कह पि पडिवजिहिंति' त्ति भणमाणी णिवडिया चलणेसु। तओ पडिवण्णं च कामगइंदेण । 'एवं होउ' त्ति भणंतो एस संपत्तो मम समवसरणं । वदिओ अयं पुच्छिओ इमिणा 'किं इंदजालं आउ सञ्च' ति । मए वि भणिय 'सञ्च' ति। 15६३७५) इम च मिसामिऊण कय-पब्वजा-परिणामो उप्पण्ण-वेरग्ग-मग्गो 'विसमा इमा कम्म-गई, असासया भोगा, दुरंतो संसारो, दुलंघं सिणेह-बंधणं, विरसाई पिय-विओयाई, कडुय-फलो कामो, पयडो मोक्ख-मग्गो, सासयं मोक्ख-सुह, पडिबुद्धो अहं' ति चिंतयंतो कडय-णिवेसं गओ त्ति । एवं च भगवया वीर-मुणिणाहेण साहिए पुच्छियं गणहर18 सामिणा 'भगवं, इओ गएण किं तेण तत्थ कयं, किं वा संपइ कुणइ, कत्थ वा वई' त्ति । भगवया आइटै 'इओ गंतूण साहियं महादेवीए जहा सव्वं सञ्चं ति । तओ दिसागइंदं पढम-पुत्तं रज्जे अभिसिंचिऊण आउच्छिय-सयल-णरवइ-लोओ संमाणिय-बंधुयणो पूरमाण-मणोरहो पडिणियत्त-पणइयणो एस संपयं समवसरण-पढम-पागार-गोउर-दारे वइ' त्ति भणA माणस्स चेय समागओ त्ति । पयाहिणं च काउं भणियं तेण 'भगवं, अवि य, मा अच्छसु वीसत्थं कुणसु पसायं करेसु मज्झ दयं । संसारोयहि-तरणे पवजा-जाणवत्तेण ॥ एवं च भणिए पब्वाविओ सपरियणो राया कामगइंदो, पुच्छिओ य 'भगवं, कत्थ ते पंच जणा वटुंति'। भगवया 24 भणियं ‘एको परं देवो, सो वि अप्पाऊ, सेसा उण मणुय-लोए। दाविओ य भगवया मणिरह-कुमारो महरिसी । अवि य । एसो सो माणभडो तम्मि भवे तं च मोहदत्तो त्ति । एसो उ पउमसारो बिइय-भवे पउमकेसरो तं सि॥ एसो कुवलयचंदो पुहईसारो इमस्स तं पुत्तो। वेरुलियाभो एसो वेरुलियंगो तुमं देवो ॥ 27 मणिरहकुमार एसो कामगइंदो पुणो तुम एत्थ । भव-परिवाडी-हेडं एएण भवेण सिज्झिहि ॥ त्ति आदिसंतो समुट्टिओ भब्ब-कुमुद-मियंको भगवं ति । एवं च भगवं तिहुयण-घरोदरेक्क-पदीव-सरिसो विहरमाणो अण्णम्मि दियहे संपत्तो कायंदीए महाणयरीए बाहिरुजाणे। तत्थ वि तक्खणं चेय विरइओ देवेहिं समवसरण-विहि30 वित्थरो। णिसण्णो भगवं सीहासणे। साहिओ जीव-पयस्थ-वित्थरो, संधिओ य जीव-सहावो, उप्फालिओ कम्मासव-विसेसो, वजरिओ जीवस्स बंध-भावो, सिट्टो पुण्ण-पाव-विहाओ, सूइओ सव्व-संवरप्पओगो, णिदरिसिओ णिज्जरा-पयारो, पयंसिओ सयल-कम्म-महापंजर-मुसुमूरणेण मोक्खो त्ति । 1)P सक्खिणयं पिव दिट्ट, वलिअ for पलिय, सचं सर्च. 2) Pताव पडिवज्जियं. 3) Pom. णिमयं.4Jथोअं, JP ए for य, p देवया ए for देवा ते, J सत्ति-जुत्तो जो. 5) Pom. त्ति, P पढियं for भणिय, वाचया पत्थिवानामिति, P पार्थिवानामिति ।, P"सामी, P दिट्ठा. 6) Jउवेक्खामि, P अहावा, P om. सव्वण्णू after भगवं. 7P वद्धमाण, P विहरइ त्ति इमंमि, Pई for तं. 8) P om. सच before ता. 9) P पुच्छिओ for पत्थिओ, Pपट्टिओ भणिओ देवीए, Pudds after भणिो देवीए । देव जइ, some fourteen lines beginning with पि य साहर लेसाभेषण बंधप कम्मं etc. to एकमि तरुवरंमि तं भत्तं द्रावियं तेहिं ॥ which come again below, p. 245, lines 7-13. 10) देवेप्र, । दुवखसायर, J adds किमण्णं ति before किमण्णं. 11) I तीअतए, Pinter. देव & जद, J तावरसं, J देज्जा, P पडिवज्जए. 12) चेअ, कहिं पि, P कह ति पडिवज्जहांते. 13) P पंदिउं, J उच्छयं for पुच्छिओ, ' इंदयालं, rom. मप वि भणियं सचं ति. 15) Jom. च, P कमगती. 16) P दुलंघ, पिव-, P कंडुयफलो. 17) P कडुय for कडय, गुणिणा साहिए, P गहर for गणहर. 18) कत्थ for तत्थ, J संपर्य कुणइ, वट्ठर,J इतो, इयं for इओ. 19)Pमहादेवि, radds देवि after जहा, Jणरयइणाओ. 20) P पूरमाणारहो, J पणईअणो, J पायारगोउरद्दारे. 21) P काऊण for काउं. 24) P परे for परं,J उ for उण, P om. य after दाविओ, J कुमारमहारिसी. 25) माणहढो, JP बितियभवे, P adds त before पउम. 26) P वेरुलियभो तुगं. 27) P•कुमारो, P orm. पुणो, P adds पुण before एत्थ, P परिवाडीए हंतुं, हेतु एतेण, सिज्झिहहि त्ति P सिज्झिहि ति. 28) J अइटुंतो, Jadds भगवं after आदिसंतो, P-कुमुय-, घरोअरेक, P विरमाणो. 31)P सूइया, उपयोगो णिद्दरिसिओ, Pणिज्जारापायारो पसांसिओ. 32) Jसयलमहापावपंजर. Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३७६] कुवलयमाला २४५ । ३७६) एत्थंतरम्मि पुच्छिय भगवया गोदम-महामुणि-णायगेणं । अवि य। भगवं पुरिसा बहुए वढेता एक्कयम्मि वावारे । थोय-बहु-भेय-भिण्णं किं कम्मं केइ बंधति ॥ 3 भगवया वि सयल-कम्म-पयडी-पञ्चक्ख-सव्व-दव्व-सहावेण समाणत्तं । अवि य । गोदम बहुए पुरिसा जोगे एक्कम्मि ते पुणो लग्गा । थोय-बहु-भेय-भिण्णं णियमा बंधति अवि पावं ॥ भणियं च गणहरेणं । अवि य । 6 केणटेणं भंते आइटुंतियसिंद-बद्ध-पुज्जेहिं । बहुए जीवा एकं कुणमाणा बंधिरे भिण्णं॥ अह भगवं पि य साहइ लेस्सा-भेएण बंधिरे कम्मं । बंधइ विसुद्ध-लेस्लो थोवं बहुयं असुद्धाए ॥ किण्हा णीला काऊ तेऊ पउमा य होइ सुक्का य । छञ्चेय इमा भणिया संसारे जीव-लेस्साओ ॥ 9 जह फलिह-पत्थरम्मि य कसिणे णीले व्व पीय-रत्ते च । उवहाणे तं फडियं कसिणं णीलं व जाएजा ॥ अप्पा वि तह विसुद्धो फालिह-मइओ व्व गोयमा जाण । कसिणाइ-कम्म-पोग्गल-जोए कसिणत्तण जाइ ॥ जारिसयं तं कम्म कसिणं णीलं व पीय पउमं वा । तारिसओ से भावो जंबू-फल-भक्ख-दिहतो ॥ 12 गामाओ छप्पुरिसा भत्तं घेत्तण णिग्गया रणं । सव्वे वि परसु-हत्था किर दारु छिदिमो अम्हे ॥ गहणं च ते पविट्ठा पेच्छंति य तरुवरे महाकाए । एक्कम्मि तरुवरम्मि तं भत्तं ठावियं तेहिं ॥ अह छिंदिउं पयत्ता भमिङ रणम्मि ते महारुक्खे । ता तम्मि भत्त-रुक्खे वाणर-जूहं समारूढं ॥ अह तेण ताण भत्तं सव्वं खाऊण भायणे भग्गे । अह लुंपिऊण सव्वं पडिवह-हुत्तं गया पवया ॥ वण-छिंदया वि पुरिसा मज्झण्हे तिसिय-भुक्खिया सव्वे । किर भुजिमो त्ति एहि तं भत्त-तरुं समल्लीणा । पेच्छंति ण तं भत्तं ण य भायण-कप्पडे य फालियए । अह णायं तेहि समं वाणर-जूहं समल्लीणं ॥ 18 ता संपइ छायाणं का अम्हाणं गइ त्ति चिंतेमो। वण-पुप्फ-फले असिमो वणम्मि अण्णेसिमो सव्वे ।। एत्थंतरम्मि कालो दर-पञ्चिर-जंबु-पिक्क-सहयारो । पढमोवुठ्ठ-मही-रय-पसरिय-वर-गंध-गंधड्डो॥ अह एरिसम्मि काले तम्मि वणे तेहिँ अण्णिसंतेहिं । दिवो जंबुय-रुक्खो णिरूविओ फलिय-दर-पिक्को । दद्रण छावि पुरिसा तुट्टा ते मंतिउ समाढत्ता । संपइ पत्ता जंबू भण पुरिसा कह वि खायामो ॥ एकेण तत्थ भणियं फरसू सब्वाण अस्थि अम्हाणं । मा कुणह आलसं तो मूलाओ छिदिमो सव्वं ॥ छिण्णो पडिहिइ एसो कडयड-रावं वणम्मि कुणमाणो । पडिएणं रुक्खेण भक्खस्सं राय-जंबूणि ॥ एवं च णिसामेडं भणियं दुइएण तत्थ पुरिसेण । छिण्णेण इमेण तुहं को व गुणो भणसु मूलाओ॥ छिजंतु इमाओं परं एयाओ चेय जाओँ साहाओ । पडियाओ भक्खेस्सं मा अलसा होह हो पुरिसा ॥ तइय-पुरिसेण भणियं मा मूलं मा य छिंद साहाओ। छिंदह पडिसाहं से जा जा फलिया इहं होजा ॥ पुरिसो भणइ चउत्थो मा बहुयं भणह कुणह मह बुद्धी । थवए छिंदह सब्वे जे जे सफले य पेच्छेजा ॥ अह पंचमेण भणियं मा पलवह किंचि कुणह मह भणिय । लउडेण हणह एयं पकं आमं च पाडेह ॥ सोऊण इमे वयणे ईसी हेलाएँ हसिय-वयण । छठ्ठ-पुरिसेण भणिया सव्वे वि णरा समं चेय ॥ किं कर्ट अण्णाणं अहो महारंभया अयाणत्तं । थोवा तुम्हें बुद्धी एरिसयं जेण मंतेह ॥ किं एत्थ समाढत्तं जंबू-फल-भक्खणं तु तुब्भेहिं । जइ ता किं एएहिं मूलाइच्छेय-पावहिं॥ एए सहाव-पिक्का पडिया सुय-सारियाहि अण्णे वि । पिक-फल-जंबु-णिवहा धरणियले रयण-णिवह व्व ॥ 33 वीसमिऊण णिवण्णा अहव णिसण्ण ट्ठिया व इच्छाए । घेत्तण साह तुम्भे वच्चह अहवा वि अण्णत्थ ॥ 1) om. भगवया, P गोयम. 2) P बहुए भगवंता एकंमि. 3) Pinter. सयल & कम्म, P om. सहावेण. 4) P गोयम. 6) Pति असंबद्ध, J Om. बद्ध. 7) Jआह for अह, P लेसा, P बंधए कम्मं, P बंधइ य सुद्धलेसो, लेस्से थोअं. 8) J तेजा for तेऊ, P मा for eगा, P लेसाओ. 9) Pom. य, P पीवरत्ते वा I, P तं पडियं, लीलं for णीलं. 10) P कह for तह, P फालिहयमइउ व्व, 1 गोतमा, P जायइ ॥ 12) P वि फरुसह्त्था , P दारं. 13) Pom. ते, J तरुअरे, Pट्ठाविथं. 14) P भमिउं सन्नंमि. 16) P वणच्छिदिया, मजणह for मज्झण्हे. 17) P कप्पडेण फा', J य फलियए, J अहणाओ. 18) च्छायाणं, P गय त्ति, P -पुष्प-. 19) P काले दरपिच्चरजंबु, वट्ट for वुट्ठ, P -महीएरयपसरियपवरसुगंधड्डो. 20) दिक्खो for दिट्ठो, P-रुक्खा. 21) J मंतितुं. 22) J परसू, P मूलाउं. 23) छिण्णा पडिहिति एसा, J कुणमाणा, J पडिआप पखरणं, P पक्केगं for रुक्खेणं, J राजजंबूणि. 24) Pएवं निसामेतं, J छिण्णाए इमाए. तुहं कोब्ब, J मूलातो. 25) छिज्जति इमाए इहं एआओ, दो for हो. 26)P साहा ।, P होज. 27) Pमा यहुयं, P कुहण for कुणह, बुद्धिं । चेवर छिंदह, P जो जस्स फले. 28 एयं for भणियं, Pण एयं. 29) Jईस Pइसी. 30) अयाणंतं । थोआ.31) J तत्थ for एत्थ, J एतेहिं, P मूलाई छेय.32) P -पका पाडिया, P पक्क- 33)P वीसविऊग निवण्णो, I om. अहव निसण्ण,J ठिआ, J adds.हि after तुन्भे. Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४६ उज्जोयणसूरिविरइया [$३७ . 1 इय ते भणिया सब्वे एयं होउ त्ति णवर भणमाणा । असिऊण समाढत्ता फलाई धरणीऍ पडियाई॥ तित्ता तेहिं चिय ते धरणी-वडिएहिं णवर जंबूहिं । सरिसो से फल-भोओ पावं पुण बहु-विहं ताणं ॥ जो सो मूलं छिंदइ थोवे कजम्मि बहु-विहारंभो। मरिऊण कण्ह-लेस्सो अवस्स सो जाइ णरयम्मि ॥ बिदिओ सालं छिंदइ वरयरओ सो वि णील-लेसिल्लो । मरिऊण पाव-चित्तो णस्यं तिरियं व अल्लियइ ॥ तइओ वि पाव-पुरिसो भणइ पसाहाउ छिदिमो अम्हे। कावोय-लेस्स-भावो सो मरि जाइ तिरिएसु ॥ जो उण चउत्थ-पुरिसो थवए सव्वे वि एत्थ अवणेह । सो तेयस-लेस्साए पुरिसो वा होइ देवो वा ॥ जो उण पंचम-पुरिसो पके आमे व्व गेण्हिमो सब्वे । सो पउम-लेस्स-भावो अवस्स देवत्तणं लहइ ॥ जो उण छट्टो पुरिसो भूमिगए गेण्हिमो त्ति सदय-मणो । सो होइ सुद्ध-भावो मोक्खस्स वि भायणं पुरिसो ॥ ता गोदम पेच्छ तुम कजे एक्कम्मि जंबु-भक्खणए । छह पि भिण्ण-भावो लेसा-भेओ य सव्वाणं ॥ भिण्णो य कम्म-बंधो भिण्णा य गई मई वि से भिण्णा । एक्कम्मि वि वावारे वटुता ते जहा भिण्णा ॥ एवं जं जं कजं केण वि पुरिसेण काउमाढत्तं । कजम्मि तम्मि एया छल्लेसा होति णायव्वा ॥ 12 हण छिंद भिंद मारे-चूरे-चमढेह लुपह जहिच्छं । जस्स ण दया ण धम्मो तं जाणह किण्ह-लेस्स त्ति ॥ जो कुणइ पंच-कजे अधम्म-जुत्ते व्व भणइ जो वयणे । थोवं पुण करुणयरं तं जाणह णील-लेस्सं तु ॥ चत्तारि वियण-कजे कुणइ अकजे व्व पाव-संजुत्तो । जो धम्म-दया-जुत्तो कवोय-लेस्सं पि तं जाण ॥ जो कुणइ तिण्णि पावे तिण्णि व वयणे स ककसे भणइ । धम्मम्मि कुणइ तिण्णि य तेउल्लेस्सो हु सो पुरिसो॥ काऊण दोणि पावे चत्तारि पुणो करेइ पुण्णाई। जिंदइ पावारंभं तं जाणसु पउम-लेस्सं तु ॥ एकं पावारंभं पंच य धम्मस्स कुणइ जो पुरिसो। सो होइ सुक-लेस्सो लेसातीओ जिणो होइ॥ 18 ६ ३७७) एवं च साहिए भगवया भब्वारविंद-संड-पडिबोहण-पडु-वयण-किरण-जालेण जिणवर-दिवायरेणं 18 आबद्ध-करयलंजलिउडेहिं सव्वेहि मि भणियं तियसिंदप्पमुहेहिं । 'भगवं, एवं एयं, सद्दहामो पत्तियामो, ण अण्णहा। जिणिंद-वयणं' ति भणंतेहिं पसंसियं ति । एत्थंतरम्मि पविट्ठो समवसरणं एक्को रायउत्तो। सो य, 1 दीहर-भुओ सुणासो वच्छत्थल-घोलमाण-वणमालो । णिमिसंतो जाणिज्जइ अब्बो किर माणुसो एसो॥ तेण पयाहिणीकओ जय-जंतु-जम्मण-मरण-विणासणो वीरणाहो । भणियं च । जय मोह-मल्ल-मूरण णिस्सुंभण राय-रोस-चोराणं । जय विसय-संग-वजिय जयाहि पुजो तिहुयणम्मि ॥ 24 पाय-पणाम-पच्चुट्टिएण य भणियं । अवि य । भगवं किं तं सञ्चं जं तं दिव्वेण तत्थ मह पढियं । मंगलममंगलं पिव को वा सो किं व तं पढइ ॥ भगवया वि आइहूं। 27 देवाणुपिया सवं सर्च तं तारिसं चिय मुणेसु । सो दिव्वो तुज्झ हियं परलोए पढइ सव्वं पि॥ इमं च सोऊण 'जइ एवं ता तं चेय कीरउ' ति भणंतो णिक्खंतो समवसरणाओ। णिग्गए य तम्मि आबद्ध-करयल जलिउडेण पुच्छिओ भगवं गोयम-गणहारिणा । अवि य । 'भगवं, 30 को एस दिव्व-पुरिसो किं वा एएण पुच्छिओ तं सि । किं पढियं मंगलवाढएण अह णिग्गओ कत्थ ॥' ___ एवं च पुच्छिओ अणेय-भव्य-सत्त-पडिबोहणत्थं साहिउँ पयत्तो। $३७८) अस्थि इमम्मि जंबुद्दीवे भरहद्ध-मज्झिम-खंडे उसभपुरं णाम णयरं । तं च 33 बहु-जण-कय-हलबोर्क हलबोल-विसट्टमाण-पडिसई । पडिसह-मिलिय-वजं वजिर-तूरोघ-रमणिजं ॥ 1) P भणमाणो, P समारूढो फलाई. 2) तेत्तिहिं चिअ तित्ता धरणी, P धरणिपडिगएहिं, Pon. से, P बहुविहत्ता॥. 3)P किण्ड for कण्ह, र लेसो, P जाय for जाइ. 4) P बीउ for विदिओ, Pणीय for णील, P च for व. 5) Pततिओ, J कावोत, P लेसभावो, P मरिओ जाय तिरियं सो. 6) चेवए for थवए, तेअसत्तलेस्सोए, P-लेसाए. 7)P पउमो लेसभवो. 8) P हायणं for भायणं. 9) Pतायम, P कजं, P जंबुतक्खण |, J छण्णं पि, Pलेसा तेउ य. 10) Pगती मती. 11) कम्मं केण, P एते for एया. 12) Pलपह जरिच्छे, P-लेस ति. 13) Jछद्रं पुण धम्मिटुंतं जाणसु णीललेरसं ति for थोवं पुण etc., P नीललेसं. 14) P वयण for वियण, अयज्जे, Pव for eब, J -जुत्ते, P कावोतलेसं. 15) Pवि for a, J तेऊलेस्सो P तेउल्लेसो. 16) J कोउण for काऊण, J पावा for पुण्णाई,P-लेसं. 17) Pपारंभ पंच, P सा for सो, P-लेसो लेसातीते, Jलेस्सातीतो. 18)J -संद,J पडुअ-. 19) P-करकमलंजलेउडेहि, Jom. सन्वेलिं, यदहामो for सद्दहामो. 20) Pसमवसरणंमि एको. 21) अणासो P सुवेसो for सुणासो, P वलमालो । णिमिसेतो, J जाणिज्जति. 22) J पयाहिणीकओ, -जंममरण-, -विणासणारी (१) वीरणाहो. 23) J णिसुंभणारायः, J पुज्जा. 24) Pपचुहिएण भणियं. 27. P देवाणु प्पिया, P सुणेसु for मुणेसु. 28) Pom. य. 29) J गोतम. 30) P पुच्छिउं, अग्ग for अह. 31) Jadds य after पुच्छिओ, P सव्व for भव्य.32)P मज्झिमे. 33) P विसट्टमाणहमाणपटिस, P वज्जियतूरोह. Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15 -६३७९] कुवलयमाला . २४७ 1 तत्थ य राया सूरो धीरो परिमलिय-सत्तु-संगामो । णामेण चंदगुत्तो गुत्तो मंते ण उण णामे ॥ 1 . तस्स य पुत्तो एसो णामेण इमस्स वदरगुत्तो त्ति । संपइ इमस्स चरियं साहिप्पंतं णिसामेह ॥ स्स अण्णम्मि दियहे पायवडण-पञ्चुट्टियाए विण्णत्तं पडिहारीए 'देव, दुवारे सव्व-पुर-महल्लया देवस्स 3 चलण-दसण-सुहं पत्थेति, सोउं देवो पमाणं' । भणियं च ससंभमं णरवइणा 'तुरियं पवेसेसु णयर-महल्लए' ति। णिग्गया पडिहारी, पविट्ठा महल्लया, उप्पियाणि दसणीयाणि । भणियं च परवडणा 'भणह, किं कजं तुम्हागमणं' ति । तेहिं भणियं 8 'देव, उभय-वेलं चेय इटू-देवयं पिव देसणीओ देवो, किंतु णथि प्रत्तिए पुण्ण-विसेसे, अजं पुण सविसेस दसणीओ' 6 त्ति । राइणा भणियं 'किं तं कज'। तेहिं भणियं 'देव, दुर्बलानां बलं राजा।' इति । ता अणिसावेउ देवो दिव्वाए दिट्टीए उसमपुरं, जो को वि ण मुसिओ। देव, जं जं किंचि सोहणं तं तं राईए सव्वं हीरइ । ज पि माणुसं किंचि 9 सुंदरं तं पि देव णस्थि । एवं ठिए देवो पमाणं' ति । राइणा भणियं । 'वच्चह, अकाल-हीणं पावेमि' त्ति भणंतेण तेण 9 पेसिया णयर-महल्लया । आइटो पडिहारो 'तुरियं दंडवासियं सदावेह' । आएसाणतरं च संपत्तो दंडवासिओ । भणिय च तेण 'भाइसउ देवो' त्ति । राइणा भणियं 'अहो, णयरे कीस एरिसो चोर-उवद्दवो' ति । तेण भणियं । 'देव, 12 जय दीसह हीरंतं चोरो वि ण दीसए भमंतेहिं । एक-पए चिय सुव्वद गोसे सयलं पुरं मुसियं ॥ 12 ता देव बहु-वियप्पं अम्हे अणुरक्खिओ ण उवलद्धो । अण्णस्स देउ देवो आएसं जो तयं लहइ ॥' इमम्मि य भणिए राइणा पलोइयं सयलं अस्थाणि-मंडलं। तओ वइरगुत्तो समुट्टिओ, भणिओ य तेण चलण-पणाम15 पञ्चट्ठिएण राया। 'देव, जइ सत्त-रत्त-मज्झे चोरं ण लहामि एस्थ णयरम्मि । ता जलितिधण-जालाउलम्मि जलणम्मि पविसामि ॥ ता देव कुणसु एवं मझ पसायं ति देसु आदेसं । पढमो च्चिय मज्झ इमो मा भंगो होउ पणयस्स ॥' 18 विण्णत्ते वहरगुत्तेण राणा चंदउत्तेण भणियं । 'एवं होउ' त्ति भणिय-मेत्ते 'महापसाओ' त्ति पडिवणं कुमारेण | वोलीणो 18 सो दियहो, संपत्तो पओस-समओ । तत्थ य णिम्मज्जिय परियरं जारिसं राईए परिभमणोइयं । तं च काउं गिग्गओ रायतणओ मंदिराओ। पूरियं च पउटे वसुणंदयं । करयल-संगहियं च कयं खग्ग-रयणं । तओ णिहुय-पय-संचारो परिभभिउं A समाढत्तो । केसु पुण पएसेसु । अवि य ।। 21 रच्छामुह-गोउर-चञ्चरेसु आराम-तह-तलाएसु । देवउलेसु पवासु य वावीसु मढेसु णीसंकं ॥ एवं च वियरमाणस्स वोलीणा छट्ठा राई तह वि ण कोइ उवलद्धो दुट्ठ-पुरिसो। तओ सत्तमए य दियसे चिंतियं 24 वइरगुत्तेण 'अहो, भमाणुसं किं पि दिव्वं कम्म, जेण पेच्छ एवं पि अणुरक्खिज्जतो तह विण पाविज चोरो। ता 24 को एत्थ उवाओ होहि त्ति । पञ्चसे य मज्झ पइण्णा पूरह । अवि य। जइ सत्त-रत्त-मज्झे चोरं ण लहामि एत्थ णगरम्मि । ता जलिणिधण-जालाउलम्मि जलणम्मि पविसामि ॥ 27 ता भागओ मज्झ मनू अपूर-पइण्णो हं । ता सम्वहा भज राईए मसाणं गंतूण महामंसं विक्केऊण के पि वेयाल आराहिऊण 7 पुच्छामि जहा 'साहसु को एल्थ चोरो' ति, अण्णहा णीसंसयं मज्झ मरणं' ति। वोलीणो सो दियहो। संपत्ता राई। णिग्गओ रायतणओ राईए णगरीए संपत्तो महामसाणं । 30६३७९) तत्थ य काऊण कायव्वं उक्वत्तिय असिधेणूए ऊरूसु, णिययं महामंसं गहियं हत्थेण, भणियं च तेणं। 30 'भो भो रक्ख-पिसाया भूया तह वंतरा य अण्णे य । विक्केमि महामंसं घेप्पउ जइ अस्थि ते मोल्लं ।' एवं च एक-वारं दुइयं तइयं पि जाव वेलाए । उद्धाइओ य सद्दो भो भो अह गेण्हिमो मंसं ॥ 1)P वीरो for धीरो, P परिमिलियसत्तुसंगामे, P om. गुत्तो, P मंतेण न उण. 2) P वयरगुत्तो. 3)-पब्भुट्टियाए. 4) नयरे महल्लए. 5) J उपिआणि P उप्पयाई, P दंसणीयाई, om. च, P om. तेहिं भणियं. 6) Pउभयवेयं, P इत्तिओ पुन्नविसेसो. 7) Pom. तं before कज्ज, J दुबलानां, P दुर्वलानामनाथानां बालवृद्धतपस्विनां । अनायें [:] परिभूतानां सर्वेषां पार्थिवो गतिः ।।, Pom. इति.81 कोइ ण, किंपि for किं चि, P किंपि सुंदरं. 9)P ट्ठिए, I om. तेण. 10)P आइतो. 11) Jआइससु त्ति, Pom. अहो, P om. देव. 12) P हीरंतो, ह भमतं मि, P गोस सयलं. 13) P अम्हे आरक्खिओ, J adds उण after ण, आएसो. 14) Pom. राइणा, P सयलमत्थाणमंडवं, Jadds अत्थं after सयलं,J वेरगुत्तो, P समडिओ अ भणिओ, P पणाममब्भुट्टिएण. 15) adds अवि य after देव. 16) Pom. रत्त, Pता जालिंधण, P जलणे पविस्सामि. 17) एवं for एयं, ति देव आएसं. 18) Pom, राइणा चंदउत्तेण. 19)P निम्मिजयपरियर, राई परि' J काऊण for काउं. 20) P खयरयणं, Pनिहुयपयं. 22) P तह लापसु. 23) Pवोलीण, राती, P कोवि उवलद्धो, P om. दुपुरिसो, P सत्तमे य दिवसे. 24)Pअमाणुसो. 25) Jहोहिति, P अपूरमाणस्स for पूरइ. 26) P चोरो न, Jणयरंमि, P जालंधण, P जलणे पविस्सामि. 27) J अपूरइ-, P अ for अज्ज, J महामासं, P किंपि, J वेअरं for वेयालं, P साहिऊण for आराहिऊ. 28) Jसे for सो, न संपत्त. 29) P रायतओ नगरीए, Jणयरीए, P जहामसाणं. 30) Frepeats काऊण, Pउक्कित्तियं, णिअयमहामासं. 31)P रक्खस, भूता, तध वंतरा व अण्णे वा ।, J अस्थि सेम्मोलं. 32) एकं-, महामंसं for मंसं. Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४८ उज्जोयणसूरिविरइया [१३७ .. 1 पहाइओ रोयतणओ तं दिसं 'को इहं गेण्हइ मसं' । वेयालेण भणियं 'पेच्छामि केरिसं मंसं'। कुमारेण भणियं । ____ 'एयं मंसं गेण्हसु जिग्घसु चक्खसु सुरहिं मिटुं च । ता मह देजसु तुट्ठो जे दायव्वं इहं मोल्लं ॥' ति भणिए पसारिओ हत्थो वेयालेणं । णिक्खितं तस्स करयले मंसं कुमारेण । तओ तेण आसाइजण भणियं । _ 'भो भो एवं आम णिस्सत्तं विस्सगंधियं एयं । णाहं गेण्हामि इमं जइ पकं देसि अग्गीए ॥' रायउत्तेण भणिय। 6- 'पकं देमि जहिच्छं पयट्ट वच्चामु इह चितिं जाव । उक्कत्तिय पक्क-रसं देमि अहं भुंज तं तत्थ ॥' वेयालेण भणियं 'एवं होउ' त्ति भणता उवगया दोणि वि तक्खण-पलीविय-चिय-समीवं । तत्थ य 'णिसम्मसु भुंजसु' त्ति भणतेणं रायतणएणं उत्तिय अण्णं महामंसं, पोइय-संठए पकं, पणामियं तस्स वेयालस्स । गहियं तेण भुत्तं च। g ६३८.) एत्थंतरम्मि पुच्छिओ भगवं महावीर-जिगिंदो गोदम-सामि-गणहारिणा 'भगवं, किं पिसाया रक्खसा वा देव-जोणिया इमे महामंसं अण्णं वा कावलिय आहारं आहारेति'। भगवया समाणत्तं 'गोदमा ण समाहारेंति' । भणियं गोयमेण 'भगवं, जइ ण आहारेंति, ता कीस एयं महामंसं तेण असियं ति भण्णइ' । भगवया समाइ8 'पयईए 12 इमे वंतरा केलीगिल-सहावा बाल ब्व होति । तेण पुरिसेहि सह खेलंति, सत्तवंतं च दट्टण परितोसं वयंति, बलियं पिव मलं रायउत्तं, तस्स सत्तं णाणा-खेलावणाहिं परिक्खंति । तेण मंसं किर मए भुत्तं ति दंसेंति, तं पुण पक्खिवति । तेण पक्खित्तं तं मासं । पुणो भणियं वेयालेण । अवि य । 15 भो भो एयं मासं णिरट्टियं णेय सुंदरं होइ । जइ देसि अट्ठि-सरिसं भुजं तं कडयडारावं ॥ कुमारेण भणियं । भुंजसु देमि जहिच्छं मंसं वा अढिएहिं समयं ति । एयं चेय भणतेण कप्पिया दाहिणा जंघा ॥ 18 छूढा चिताणले, पक्का उप्पिया चेयालस्स । पविखत्ता तेण । भणियं पुणो । भो भो अलं इमेणं संपइ तिसिओ पियामि तुह रुहिरं । पियसु त्ति भाणिऊण कुमरेण वियारियं वच्छं ॥ तं च रुहिरं पाऊण पुणो वि भणिय । अवि य । 21 'एयं जं तुज्झ सिर छिणं करवत्त-कत्तिय-विरिक्कं । माणुस-वस-रुहिरासव-चसयं मह सुंदरं होइ॥' कुमारेण भणियं । छेत्तण देमि तुझं जं पुण करवत्त-कत्तरण-कम्मं । तं भो सयं करेजसु एत्तिय-सेत्तं महायत्तं ॥ 24 ति भणमाणेण कवलिओ कंत-कसिण-कॉतला-कलावो वाम-हत्थेण दाहिण-हत्थेण य छेत्तण पयत्तो असिधेणूए । ताव य' हा-हा-रव-सह-मुहलो उद्घाइओ अदृट-हासो गयणंगणे । भणियं च तेण चेयालेण । अविय। 'एएण तुज्झ तुट्ठो अणण्ण-सरिसेण वीर-सत्तेण । ता भणसु वरं तुरियं जं मग्गसि अज तं देमि ॥' 27 कुमारेण भणियं ।। 'जइ त सि मज्झ तुट्ठो देसि वर णिच्छियं च ता साह । केण मुसिज्जइ णयर चोरो भण कत्थ सो तुरियं ।' तेण भणिय। 30 'एसा महइ-महल्ला वीर तए पुच्छिया कहा प्रम्हि । तुह सत्त-णिजिएणं साहेयवं मए वस्सं ॥ लद्वो वि णाम चोरो कुमार भण तस्स होज को मल्लो । दिटो वि सो ण दीसह अह दिटो केण गहियब्यो ।' तओ कीस ण घेप्पइ' त्ति चिंतयतेण पुलइयं अत्तणो देहं जाव सव्वंग-संपुण्णं अक्खयं सुंदरयरं ति । भणियं च कुमारेण। 33 'भो भो, पेच्छामि परं चोरं एत्तिय-मत्तं सि पुच्छिओ तं मे । घेप्पइ ण घेप्पइ व्वा एत्थ तुहं को व वावारो॥' तेण भणियं । 1) Pom. रायतणओ, J केरिसं मासं. 2) Jमासं, Pर्जिवसु भक्खसुरभि मिट्टच,Jadds जइ तुमं पटिहार before सुरहिं, P ता मेह. 3) मासं. 4) Jथोअं P एवं for एयं, Pणिरसायं विरसगंधेयं. 6) F जदिच्छं, P पक्करिसं. 7) Pदो for दोण्णि, Pom. य, I पलीविअं. 8) Pउकित्तियं, J महामासं, P पोइयं सोउए पक्के, Pom. तस्स, Jom. भुत्तं च. 9) P om. भगव, P गोतम-, P पिसाता रक्खरा वा. 10) Pइम,J महामासं, Pवा कालियं, P om. आहारं, Jआहरेंति, P गोयमा णो आहारेंति.. 11) J गोद मेण, P जाणा, J महामासं, Pom. ति. 12) P केलीकिल, P पुरिसेण सह. 13) मलरायउत्तं । मछं रायउत्ता, Pतंच for तस्स, P परिक्खवंति, P परिक्खवे for पक्खिवंति, Pom. तेण पक्खितं तं मासं etc. to तं' कडयडारावं ।।. 14 तम्मासं. 17) Jमझ P तुज्झं for मंसं, न मि for ति. 18) J बढा for छदा, J inter. पुणो and भणियं and adds अवि य. 19) Jइमिणा संपद, I भणिएण,J कुमारण. 20) Pom. वि. 21) किरिक, P सुह for मह. 23) देइ, J तुम्हं for तुज्श, J कत्तणं कम्म, को for भो, महापत्तं ।।. 24) Prepeats दाहिण, Pघेत्तण for छेत्तूण, Pom. अवि य. 26) P एतेण, P अणण्णसरिसेत्तेण. 28) Pनिच्छयं ति ता, P मुणिजद. 30) महति-, Pतु for तुह, साहेयवो. 31 गहिन्यो ।. 32) Pom. तओ, Pचिंतिअंतेण पलोडउ. P सवंग. P अक्खरसंदरयं ति. 34) पुच्छिउँ,P घेप्पई वा. Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३८२] कुवलयमाला । 'बप्पो तस्सम्हे पुरओ ठाउं पिणेय चाएमो। जो पुण तस्सावासो तं दूरत्था पयंसेमो ॥' कुमारेण भणियं । 3 'जई त मज्झ ण साहसि आवासं मज्झ तं चिय कहेसु । रक्खामि ताव तं चियजा दिटो सो वि तत्थेय ॥' तेण भणियं 'जइ एवं ता णिसुणेसु ।। ___ जो एस मसाण-वडो आरुहिउं एत्थ कोत्थरो अस्थि । तं चेय तस्स दारं चोरावासस्स हो वीर ॥' 6 8३८१) इमं च सोऊण पविरल-पयच्छोहो पहाइओ तं चेय दिसं रायतणओ, संपत्तो तं च वड-पादव । अवि य। 6 इय बहल-पत्तलं तं साह-पसाहा-लुलंत-घर-जालं । बहु-पसरिय-पारोहं मसाण-वड-पायवं पत्तो॥ तं च दद्ण आरूढो कुमारो, अण्णेसि पयत्तो तं च कुडिच्छं । कत्थ। 9 साहासु पसाहासु य मूल-पलंबेसु पत्त-णियरेसु । णिकटिय-करवालो बिलस्स वारं पलोएइ ।। कहं पुण पलोइडं पयत्तो। अवि य। परिमुसइ करयलेहिं पायं पक्खिवइ जिंघए गंधं । खण-णिहुयंगो सह इच्छइ सोडं कुडिच्छेसु ॥ 12 एवं च पुलोएंतेण एक्कम्मि कुडिच्छ-समीवे उवगीयं वयणं, जाव जिम्महइ धूव-गंधो कुंकुम-कप्पूर-मासलुग्गारो । उच्छलइ तंति-सदो वर-कामिणि-गीय-संवलिओ ॥ तं च सोऊण अग्धाइऊण य चिंतियं राय-तणएण । अव्यो, 15 लद्धं जं लहियवं दिटुं चोरस्स मंदिरं तस्स । तस्स य महं च एम्हि जो बलिओ तस्स रजमिणं ॥ इमं च चिंतिऊण पविसिउं समाढत्तो । थोवंतरं च जाव गओ ताव बहु-णिज्जय-सुहयं आलय-धुपाल-वेइया-कलियं । धुव्वंत-धयवडायं वर-भवणं पेच्छए कुमरो॥ 18 तं च ददण रहस-वस-विसेस-पसरिय-गइ-पसरो पविट्ठो तभवणं । केरिसं च तं पेच्छइ । अवि य । __फालिह-रयण-मयं पिव णाणा-मणि-चुण्ण-विरइयालेक्खं । कंचण-तोरण-तुंगं वर-जुवई-रेहिर-पयारं ॥ चिंतियं च तेण 'अहो महंत इमं भवणं'। 'कत्थ दुरायार-कम्मो होहिइ चोरो' त्ति चिंतयंतेण दिट्ठा एक्का जुवई । 1 केरिसा। अवि य । _णीलुप्पल-दीहच्छी पिहुल-णियंबा रणंत-रसणिल्ला । अहिणव-तुंग-थणहरा देवाण वि मणहरा बाला ॥ तं च दट्टण चिंतियं रायतणएण । 'अहो एसा तुरिय-पय-णिक्खेवं तस्सेव आएसेण पत्थिया, ण ममं पेच्छइ, ता किंचि 24 सई करेमि जेण ममं पेच्छइ' त्ति । भणियं तेणं । अवि य । 24 'गरुओ सिहिणाण भरो तणुयं मज्झं ति सुयणु चिंतेसु । मा गमण-वेय-पहया भरेण कणइ व्व भजिहिसि ॥' ___ तं चिय सहसा सोऊण कह तीए पुलइयं । सुण । 27 संभम-विलास-मीसं वलिउं अइ-दीह-लोयण-तिभाय । तह तीऍ पुलइओ सो जह भिण्णो मयण-बाणेहिं ॥ ३८२) तं च तहा दटूण संभम-भयाणुराय-कोउय-रस-थंभिया इव ठिया । तं च तारिसं दहण चिंतियं रायतणगुण । 'अहो, 30 जत्तो विलोल-पम्हल धवलाई वलंति णवर णयणाई। आयण्ण-पूरिय-सरो तत्तो च्चिय धावइ अणंगो ॥' 30 किं च इमाए पुच्छामि किंचि पुच्छियन्वं' ति भणिया। को य इमो आवासो का सि तुम सुयणु को इहं णाहो । कत्थ व सो किं व इमो गायइ महिलायणो एत्थ ॥' 27 1) Pण for j, P पुरउ दाउं पि णोय वाएमो, P जं for जो. 3) P दिहा, ' तत्थेवा. 6) P -पवित्थोहो, P om. च. 7) " अइ for इय, P पत्तलंबं तं, I -ललंतघरयालं. 8) Pom. च before कुडिच्छं. 9) P बिलस्स दारं पलोएत्ति ॥, 12) P पलोइएतेण, "कुठिच्छय. 13) Pणिस्सइ for णिम्महइ. 14) J अघाइऊण, P om. य, अधो for अन्धो. 15) P तस्स रज्जं तु ॥. 16) Padds अवि य before थोवंतरं, JP add पेच्छइ after ताव. 17) Padds तु before आलय, P पालयगरुयवेइताक लियं ।. 18) J वससविसेस, J_inter. तं & च after केरिसं. 19) हालिय P फलिह for फालिह, रयणामयं, न रेहिर for तोरण. 21) Jom. च, होहिति P होहि त्ति, P चिंतियं तेण, P adds आए before दिट्ठा, P om. एका. 22) P नीलुप्पील, P वि महणरा. 23) P पयनिक्खेवो, J तस्सेभ. 24) P भणिया. 25) P सुयण, P trans. भरेण after कणइ व्ब, P कणय व्व- 26) P च for चिय, कय तीय पुल', P सुय' for सुण. 27) P वलियं, तीय for तीए. 28) Pथंभिय इव वहिया. 30) P आइन्न, 31) P किं वा इमा. 32) को व इमो, Jadds हो before कत्थ, P कत्थ वि सो.. 32 Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५०. उज्जोयणसूरिविरइया 1 तीए भणियं । 'सुंदर, जो जं जाणइ थाणं अह सो पावेइ तं सकज्जेणं । कह तं अयणंतो चिय एत्तिय मेत्तं भइगओ सि ॥' 3 तेण भणियं । 'अयतो थिय मूढो कह वि लोण पाविओो रथ ता साहसु परमत्थो को एत्थ पहू कहिं खो वा ॥ तीए भणिवं । 6 'जइ तं पंथ - विमूढो कत्तो गयराओ आगओ एत्थ ।' भणियं च तेण 'सुंदरि उसभपुरा आगओ अहह्यं ॥ तीए भणियं । 'जह से उसपुरे चिय किं जाणसि दत्त-णरणाई पुतं च बहरगुने हयम व रूपेणं ॥ 9 तेण भणिये । 12 18 'सुंदरि साहेसु फुडं ताणं किं होसि किंचि पुरिसाणं । कह व वियाणसि ते तं केण व हो पाविया एत्थं ॥ ’ 15 तीय भणियं । 21 'सुंदर कहं घियाणसि रूवं णामं च ताण दोन्हं पि ।' तीए भणिये । 'किंग बोलियेतं आसि गुलो खाइओ एदि ॥ तेथ भणिवं । 24 'सावत्थी - णरवइणो धूया हं वल्लहा सुरिंदस्स । बाल च्चिय तेणाहं दिण्णा हो वइरगुत्तस्स ॥ एस्यंतरम्मि इमिणा विज्जासिद्देण सुहय केणावि । हरिऊण एत्थ कत्थ वि पायालयलम्मि पक्खित्ता ॥ जाणामि तेण ते ६ णामं रूपं च ताण निसुर्य मे णाई एका हरिया महिलाओ एत्थ बहुयाओ ।' तेण चिंतियं । 'अहो, एसा सा चंपयमाला ममं दिण्णा आसि, पच्छा किर विजाहरेणावहरिया णिसुया अम्हेहिं, ता सुंदरं जायें, दे साहिमो इमाए सभायें चिंतिऊण भणियं तेणं । 1 'सो बहरगुप्त-णामो पुत्ती सुवणु चंदगुप्तस्य । एवं विज्ञासिद्धं अणिसमानो इहे पत्तो ॥ ता साह कत्थ संपइ विज्जासिद्धो कहं व तव्वो । मह किंचि साह मम्मं जइ णेहो अत्थि अम्हेसु ॥' तीए भणियं । १ ३८३) जइ तं सि बहरगुत्तो ता पिययर सुंदरं तए रइथं । साहामि तुज्झ सब्धं जह सो मारिजए पावो ॥ जं जं परम-रहस्सं सिद्धं वसुणदयं च खग्गं च । एत्थं चिय देवहरे अच्छइ तं ताव तं गेह ॥ गहिए िते सुपुरिस अल-छिण्णो विचुओ य सो होही । अह से पावइ हत्थे उप्पइमो केण दीसेज ॥ 27 रायडतेण भणियं 'ता सुंदरि साहस कई पुण सो संपर वह विजासिदो सीए भणिये 'कुमार, राई सो भमद, अस्थमिए मदिल वा अण्णं वाजं किंचि सुंदर से अक्सि दियो उण एत्थ चिल-भवणे महिला बंद-म-गो तुमं अहं च एवं अवरोप्परं वीसत्या आला करैता । तेष 30 भणियं 'जइ सो णत्थि ता कीस एयाओ महिलाओ गायंति' । तीय भणियं । अच्छइ । ता संपइ णत्थि सो एत्थ । अह सो होइ ता अस्थि | 'सुंदर तेणेय विणा इमानो हरिसम्मि बट्टमाणीओ गायेति पति पुणो स्यंति अण्णाओं णर्चति ॥' तेण भणियं । 33 [ ६३८ 'सुंदरि साह फुई चित्र विचासिद्धस्स मज्झ दो पि को होदिह एवा देखो व पिनो हिययस्स ॥' हसिकण तीए भणियं । 'अइ मुद्ध किं ण-वाणसि महिला-परियं वियाणियं वेण गामेहनो व पुच्छसि महिल चिय महिडिया दिययं ॥ 15) Pom. तीय 2 > J तं तं for अह, पावर अ कज्जेण 1, P अह तं अयाणतो. 4) P अयातो, P कह व कब हिं for कहिं. 6 ) P आहह्यं ॥ 8 ) P चि for चिय, च वेरगुत्तं संगमगंग व, P वइरगुत्तं सुहयगंगं. 11 ) तेरा for तीप. 12 ) खइदओ for खाइओ. 13) Pom. तेण भणियं 14 ) P वि for व, Printer तं and ते, P केण वि हो . भणियं. 17 ) P विज्जो, P पायालवलंमि. 19 ) P विज्जाहरेग अवहरिया, णिसुअ, P सुरं for सुंदरं. 21) P गुत्तनामा P सुयण चंद 22 ) P किंचि साहस तुमं. 24 ) P जं for जइ, उ सुंदर for पिययर, P पियय सुंदरं, P रद्द for रद्दयं, Pom. साहामि तुज्झ सव्वं जह etc. to चंचल हिययपेम्माओ इमाओ. This passage is reproduced in the text with ya-śruti and minor corrections etc. from J alone, 26) J अलच्छिण्णो. Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३८३] कुवलयमाला । घेप्पइ जलम्मि मच्छो पक्खी गयणम्मि भिजए राहा । गहियं पि विह्डइ चिय दुग्गेज्झं महिलिया-हिययं ॥ वेस्सं पिसिणेहेण वि रमंति अइवल्लहं पिणिण्णेहा । कारण-वसेण णेहं करेंति णिकारणेणं पि॥ रामेति विरूवं पि हु रूविं पुण परिहरंति दूरेण । रूव-विख्व-वियप्पो हियए किं होइ एयाण ॥ बीहंति पंडियाणं कुमार लज्जति रूवमंतस्स । वकं वंचेति पुणो उज्जय-सीलं उवयरंति ॥ रज्जति अथवंते रत्तं पुण परिहरंति रोर व्व । जाणंति गुणा पेम्म करेंति ते णिग्गुणे तह वि ॥ 6 सूरं जाणइ पुरिसं तहा वि तं कायरं समल्लियइ । जाणंति जे विरतं घडेति पेम्म तहिं चेय ॥ गुण-रहिए वि हु पेम्म पेम्म-पराओ वि तं णिसुंभंति । हंतूण तं सयं चिय जलणे पविसंति तेणेय । सम्वे जाणति गई अत्तत्तणयाण सुहिह-हिययाण । महिला णिययस्स पुणो हिययस्स गई ण-याणति ॥ 9 इय विजु-विलसियं पिव खर-पवणुय-धयवडाचलणं । महिलाण हियय-पेम्म कुमार को जाणिलं तरइ ॥ तह वि एत्तियं लक्खेमि जद तुम पेच्छंति ता अवस्स तुमम्मि हो जायइ । अण्णं च सव्वा इमाओ उसभपुर वत्थव्वाओ तुमं च दटूण अवस्सं पञ्चभिजाणंति, तेण इमाणं दिजउ दसणं' ति । कुमारेण भणियं 'सुंदरि, तं ताव 12 सिद्ध-वसुणंदयं खग्गं च समप्पेसु, ता पच्छा दंसणं दाहामि' । तीए भणियं 'एवं होउ' त्ति । 'केवलं कुमारेण एयम्मि 12 चेय पएसे अच्छियब्वं जावाहं तं खग्ग-खेडय घेत्तण इहागच्छामि त्ति भणिउं गया । कुमारो वि तम्मि ठाणे अच्छिउं पयत्तो । चिंतियं च तेण । 'अहो, संपर्य चिय इमीय चेय साहियं खर-पवणुद्धय-धयवड-चंचल-हियय-पेम्माओ इमाओ 16 महिलियाओ होंति, ता कयाइ इमा गंतूण अण्णं किं पि मंतं मंतिऊण ममं चेय णिसुंभणोवाय कुणइ । ता ण जुत्तं मम 15 इहं अच्छिऊण' ति चिंतयतो अण्णत्थ संकतो, आयारिय-खग्ग-रयणो पूरिय-वसुगंदओ य अच्छिउँ पयत्तो । थोव-वेलाए य आगया गहिय-वसुणंदया गहिय-खग्ग-रयणा य । पलोइए तम्मि पएसे, कुमारी ण दिट्ठो । तओ तरल-तार-पम्हल-वलंत18 लोयणा पलोइडं पयत्ता । भणिया य कुमारेण । 'एहि एहि सुंदरि, एस अहं अच्छामि' भणिया संपत्ता । तीए भणियं 18 'रायउत्त, कीस इमाओ ठाणाओ तुम एल्थ संपत्तो'। तेण भणियं । सुंदरि, णणु तुमए चेय साहियं जहा 'चंचल पेम्म-बंधाओ होति जुवईओ' । तेण मए चिंतियं 'कयाइ कहं पिण भिरुइओ होमि, ता णिहुयं होऊण पेच्छामि को 21 वुत्तंतो त्ति तेण चलिओ हं'। तीए सहरिसुप्फुल्ल-लोयणाए भणियं । 'कुमार, जोग्गो पुहइ-रजस्स तुम जो महिलाणं ण वीसंभसि' त्ति । सव्वहा, भुयगस्स व मुह-कुहरे पक्खिव ता अंगुली सुवीसत्थो। महिला-चंचल-भुयईण सुहय मा वश्च वीसंभं॥ 24 ता सुंदरं कयं, जं चलिओ सि । गेण्हसु एवं वसुणंदर्य खग्ग-रयणं च ।' णिक्खित्तं वसुमईए । रायउत्तेणावि णिययं 24 विसजिऊण ति-पयाहिणं वंदिऊण गहियं तं वसुणंदयं दिव्वं खग्ग-रयणं च । तओ गहिय-खग्ग-रयणो केरिसो सो दीसिउं पयत्तो । अवि य। श विजाहरो व्व रेहद तक्खण-पडिवण्ण-खग्ग-विजाए । संपइ उप्पइओ इव विजाहर-बालियाएँ समं ॥ 27 तो तीए भणियं 'विजयाय होउ कुमारस्स एवं खग्ग-रयणं' ति। कुमारेण भणियं 'सुंदरि, साहसु संपर्य कत्थ सो दट्टयो विजासिद्धो' ति। तीए भणियं 'कुमार, तुम केण मग्गेणेत्थ पविट्ठो' । तेण भणिण 'वड-पायव-बिलेण'। तीए 30 भणियं ‘णाहं किंचि जाणामि, परं एत्तियं पुण जेण दारेण तुमं आगओ तेणेय सो वि आगमिस्सइत्ति । ता जाव इमिण्य 30 मग्गेण पढम उत्तिमंग पेसेइ, ता तं चेय छेत्तव्वं । अण्णहा दुस्सझो पुण होहिई' त्ति । कुमारेण भणियं । 'एवं होउ' त्ति भणिऊण आयरिय-खग्ग-पहारो ठिओ बिल-दुवारे । 2) सिणेहेणं. 3) हिअयंमि for हियए. 15) J कयाइ मा ? कयावि मा, I कंपि for किंपि, P णिसुंभणावायं. 16) P om. ति, " पायट्ठिय for आयारिम, I य पुच्छिउं. 17) Pom. य before आगया, P om. गहिय before खग्ग, P रयणे य । पलोइओ, P तओ तारतरलपंतलवलंत. 18) Pसंपत्ती. 19) Pट्ठाणाओ, Pएस for एत्थ, I om. णणु, एमए for तुमए. 20) J पेम्माबंधाओ, P जुक्तीउ, P कया वि कहिं पि, P om. ण भिरुदओ होमि, तेण for णिहुयं होऊण. 21) Pom. त्ति, P ण for तेण, P सह रिसफुल, P भणिउं, rom. पुहारजस्स, P om. जो. 23) P पक्खिवि, P य for ता, P भुयंगीण सुह मा. 24) जं बलिओ, ' वसुणदणयं, P वसुमतीए. 25) I om. ति-, P om. दिवं, P रयणा before केरिसो, P om. सो before दीसिउं. 26) तखण, P सम्भं ।।. 28) Jतीय for तीए, P विजाओ for विजयाय, P om. एवं, P om. साहसु, Jom. सो. 29) तीय, P केणे मग्गण पविट्ठो, J तीय. 30) P वारं for परं, J तेणय, P om. वि. 31) P पेसइ, P दुसज्जो, Pom. पुण, होइ त्ति होहिति त्ति. 32) J विओ. Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरश्या [ ६३८४ १३८४ ) एत्थंतरम्मि किंचि-सेसाए राईए वियलमाणेसु तारा- णियरेसु पलायंतेसुं तम - वंदेसु दूरीहूयासु सयल- 1 दिसासु पहाये ति कलिऊण परिन्भमिण धवलहरोवर-अंडर-चचर रच्छासु उसमपुरवरस्स समागमो तस्सेव 3 राय-तणवस्त्र एकल पसुतं भारि घेतॄण पविट्ठो य से बिलं तं च पवितं दण धाहावियं राय-धूयाए । 'हा वइरगुत्त-सामिय एसा सा तुज्झ महिलिया अहह्यं । गहिया केण वि धावसु रक्खस-रूपेण रोहेणं ॥ चंपावइ- णामा हं महिला हा वइरगुत्त-णामस्स । एसा हीरामि अहं सरण-विहीणा वराइ व्व ॥ ' वंचवी चिलवंतीय भणिया विज्जासिदेणं । २५२ 'को फस्स होइसर कत्थ व सो किं व तेण करणिजे जइ तं पावेम अहं तु वयंनिय असामि ॥' ति भोगिसुम कुमारेण 'अहो, एस दुरावारो जागो सो मह महादेवी पेचूण ता दे सुंदर जाये खलोसो एस • चोरो' त्ति चिंतयंतस्स णीहरियं उत्तिमंगं बिलाओ सिद्धस्स । चिंतियं कुमारेण 'एयं उत्तिमंगं छिंदामि । अहवा णहि नहि । 8 कि जुन पुरसा उठ पानो सम्पदा ण उत्तम पेच्छामि तान सत्ती इमस्स वा वर सिद्धस्स ॥' चिंततो गतो विलाओ, भणिनो य कुमारेण रे रे पुरिसाहम, अवि य, 1 12 जइ तं विज्जासिद्धो वट्टसु णाएण एत्थ लोगम्मि । जं पुण राय विरुद्धं करेसि किं सुंदरं होइ ॥ ताजं चोरेसि तुमं राय विरुद्धाई कुणसि कम्माई । तेणेस णिग्गहिजसि यह सज्झो होसु सत्तीए ॥' एवं च रावण पेच्छिऊण चिंतियं विजासिदे 'अहो, एस सो बइरगुतो कई एस सर्व पत्तो दिई कर्म 27 16 ता किं इमिणा बलेणं ।' चिंतियं सेण, भणियं च । ि 18 केतु छूटो कतवणे व रोड-लि-मज्झे । भच्वो सुंदर रूवो कह हिणं गच्छ व 'अरे अरे, खगं खगं ति भणतो चलिलो तं देवहरवं । तेण गहियं च तं खयं वसुदवं च जे रायउत्त- संतियं । 18 गहियं जाणियं च ण होइ तं सिद्ध-खग्गं । ता किं व इमिणा समत्थस्स' चिंतयंतो कुमार मूल पत्तो । भणियं च तेण । 'सुण्णम्मि मज्झ अंतेरम्मितं मूड पेलिनो केण अहवा कुविओो देवो लडदेणं दण्ड किं पुरिसं ॥ ता तुज्झ जमो कुविओो संपइ तुह णत्थि एत्थ णीहरणं । सूवार - सालवडिओ ससभ व्व विणस्ससे एहि ॥' 21 कुमारेण भणियं । 2 12 'आप्पालिय रे रे अच्छसि महिलावर्ण म्ह हरिकण जारो होऊण तु संपद पर सामिभो जाओ । चोरो त मज्झ बज्यो अरहसितं चैव पडम दुच्चयर्ण । इय विवरीयं जायें समूहिं विलउडया गहिया ॥' 24 भणमाणो पहाविओ कुमारो तस्स संमुहं, पेसिओ खग्ग-पहारो । तेण वि बहु-कला-कोसल-परिहत्थेणं वंचिऊण पडिपहारो 24 पेसिओ । सो वि कुमारेण वंचिभो । तभो पहर-पडिपहर-विसमं संपल महाजु कहे। 15 दोष्णि व ते सुसमरथा दोष्णि वि जिउणा कलासु सच्चासु दोणि जि अनंग-सरिसा दोणि वि सत्ताहिया पुरिसा दोणि वि रोसाइट्ठा दोणि वि अवरोप्परेण मच्छरिणो । दोण्णि वि णिहुर-पहरा दोण्हें वि खग्गाई हत्थमि ॥ दोण्णि वि फरम्मि गिउणा दोण्णि वि उक्कोट्ठ- भिउडि-भंगिला । दो वि वलति सहेलं दोण्णि वि पहरे पडिच्छंति ॥ ६ ३८५) एवं एकेकमस्स पहरंता फेरिसा दिद्रा जुवइ-देणं । अविव । 30 30 विजाहर व एए अव समस्यत्तणेणं वण-महिसा अह व दिसा करि सरिसा दोणि वि चार्लेति महिढं ॥ एवं च जाव ताणं एको वि ण छलिउं तीरइ ता चिंतियंतीए चंपावईए ताव 'एएण एस छलिडं ण तीरइ विज्जासिद्धो । ता दे कवडं किंचि चिंतेमि' त्ति भणियं तीए 'कुमार, सुमरसु इमं खग्गा रयणं' ति । कुमारेण वि चिंतिथं 'सुंदरं पलत्तं' 33 ति । भणियं तेण । अवि य । 21 27 J 1) P रातीए, P दूतीहूयासु. 2) P परिभमिऊण, धवलहरोअरंतेउरे चच्चर, P चच्चरवच्छा. 3 ) P एकलयमुत्तं भारि पेतून रायचूता 45) पाणो पूया महिला हो व बेरगुप्त, सरणविहून 6 तीए पलोविडं सोऊण भणिया 7 ) P किं कस्स. 9 ) Pनीहरिउं, P चिंतयं. 11) P चिंतयंतस्स for चिंतयंतो, P पुरेसाहम. 12) Jलोअंमि. 13 ) P चोरोसि, P कुणसु, P तेणेय, सत्तीय ॥ 14 ) J तं for एवं, Pom. सो, P एस संपतो. 15 om. किं, इमिणा बालेण 16 ) P सुंदर for रूवो, गच्छिहिति वराओ 17 ) Jom. अरे अरे, Pom. तं, खग्गयं, P रायउत्तरस संतियं. 18 ) inter. जाणियं & च, Pom. व, P मूलं संपत्तो. 19 ) P अन्नंमि for सुण्णम्मि, P देवो, P हणइ किं पुरिसो. 20 ) P एत्थ नीसरणं, P सुतारसाल, विगस्सए 22 ) आलवालिअरे रे रे, P आलिप्पालिय, P महिणम्भ हरिऊण P होइ पुण for होऊण. 23) J वज्झे, जीयं for जायं, P मि for वि. 24 दिऊण परिया पण्णि वि सत्ताहिआ पुरिसा । दोण्णि वि रोसाइट्ठा ; thus has omitted some portion here. 26 ) P दोणि मि in two places. 27) P मच्छरिणो, P दोणि मि निहुरहुर, उदोण्णि वि । दोण्णि मि for दोण्हें वि ( emended). 28 ) P दोणि मि फरंमि, P उक्केहभमरमंगिला, भटिल्ला, दो वि णिलंति, P दोणि मि पहरे. 29 ) Pom. न. 30 ) P एते, P - महिसे, P - सरिसे, P मि for वि, चालंति. 31) Pom. जाब, P ण विच्छलिडं, Pom. चंपावई J for एएन, Jom.. (32) Jतीय for तीर, Pom. वि, J om. चिंतियं, संवलत्तं for पलत्तं. 33 Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३८७] कुवलयमाला २५३ 1 'जह सिज्झसि चकीणं विज्जा-सिहाण सत्त-सिद्धाण । ता खग्ग-रयण एवं पहरसु मह करयलत्थो वि ॥' जाव इमं भणइ ताव विज्जासिद्धेण चिंतियं 'अरे इमीए विलयाए इमं खग्ग-रयणं इमस्स समप्पियं' । 'आ पावे कत्थ 3 वच्चसि"त्ति पहाइओ तं चेय दिसं विजासिद्धो । अवि य । जा पावइ महिलाणं करणं मोत्तूण जुज्झ-समयम्मि । ताव गड त्ति लुइयं सीसं अह रायउत्तेण ॥ दिट्ठो य धरणिवडिओ करिसो। अवि य। 6 कसिणं रुक्ख-विवणं लहुयं सिरि-विरहियं व दीणं व । दिटुं पडिय-कबंध सीसं पुण अहिय-तेहल्लं॥ इमं च चिंतयंतस्स भणियं चंपयमालाए। 'कुमार, वयगे इमस्स गुलिया अच्छइ, ते पि गेण्हड कुमारो' ति भणिएण वियारियं मुह-पुढं असिधेणूए । दिट्ठा य कणगप्पभा गुलिया। पक्खालिऊण पक्खित्ता वयणे कुपारेण । अवि य । 9 दिप्पंत-अहिय-सोहो णिव्वडिय-विसेस-रूव-सच्छाओ। पड्डिय-दप्पुच्छाहो सो कुमरो तीए गुलियाए॥ तओ जय जय त्ति अभिवाइय-ललिय-विलासिणी-चलण-खलण-मणि-उर-रणरणाराव-मुहलं पमक्खिओव्वत्तिय-हाणिशो कओ णिसण्णो सीहासणे, अहिसितो तम्मि महिला-रजम्मि । महिलाहिं समं च विविह च भोए भुंजिउं पयत्तो। 12 अवि य। जुवईयण-मज्झ-गमो बिल-भवणे खग्ग-खेडय-सणाहो । गुलिया-सिदो सो वि हुणिस्संको भुंजए भोए । ३८६) एवं च तस्स अगेय-महिला-णियंब-बिंबुत्तुंग-पओहर-सहरिस-समालिंगण-परिरहणा-फरिमामय-सुहेल्लि15 णिभरस्स पम्हु-सयल-गुरु-धण-विहव-रजस्स गिय-सत्ति-विणिजिय-सिद्ध-लहाणेय-पणइगी-सणाहं पायाल-भवणम्मि ) रज-सुहमणुहयंतस्स अइकंताई बारस संवच्छराई, बारसमे य संवच्छरे संपुणे पसुत्तस्स राईए पच्छिम-जामे सहसा उद्धाइओ अदिस्समाणस्स कस्स वि बंदिगो सदो 'जय, महारायाहिराय बहरउत्त-परमेसर दरिय-रिउ-णिदलण-लद्ध18 माहप्प । अवि य। __उज्जोविय-भुवणयलो एसो णरणाह झिजए चंदो । अहवा उदयत्थमणं भण कस्स ण होइ भुवणम्मि ।। णासइ तारायकं अरुण-करालिद्धयम्मि गयणस्मि । माणं मा वहउ जगो बलिययरा अस्थि लोगम्मि । । एयं पि गलइ तिमिरं राई-विरमम्मि पेच्छ णरणाह । अहवा णियय-समाओ अहियं भण को व पावेद ॥ उदय-गिरि-मत्थयस्थो अह सूरो उग्गओ सुतेइल्लो । मा वहह किंचि गवं पुण्णेहि जणस्स उग्गम ॥ इय एरिसम्मि काले पहाय-समयम्मि बुज्झ णरणाह । उज्झसु णिहा-मोहं परलोग-हियं पवजासु ॥ 24 इमं च सोऊण चिंतियं रायतणएण 'अहो, कत्थ एसो बंदि-सद्दा, अपुव्वं च इमं पढियं'। पुच्छिओ य परियणो कण ५ इमं पढिय' । तेण भणियं 'देव, ण-याणामो केणावि, ण दीसह एत्थ एरिसो कोइ केवलं सदो चेय सहो सुव्वइ' त्ति । ३८७) एवं दुइय-दियहे तम्मि पभाय-समयम्मि पुणो पडिउमाढतं । अवि य । 27 रमसु जहिच्छं णरवर को णेच्छइ तुज्झ भोग-संपत्ती । किंतु विवत्ती विधुवा चिंत्तिजउ सा पयत्तेण ॥ को णेच्छइ संजोगं गरुय-णियंबाहिँ देव विलयाहिं । किंतु विओगो वस्सं होहिइ एयाहि चिंतेसु॥ सञ्चं हीरइ हिययं जुवईयण णयण-बाण-पहरेहि । किंतु दुरंतो कामो पावारंभेसु उजमह ॥ 30 सव्वं भो हरइ मण लीलावस-मंथरं गयं ताण । किंतु ण णज्जइ एसो अप्पा अह कत्थ वञ्चिहिइ॥ सञ्चं हरंति हिययं लज्जा-भर-मंथराइँ हसियाई। किंतु इमो चिंतिजउ णरवर एयस्स परिणामो ॥ सच्चं हरंति हिययं महिलाणं पेम्म-राय-वयणाई। किंतु दुरंतं पेम्म किंपाग-फलं व कडुयं तं ॥ 33 इय जाणिऊण णरवर मा मुज्झसु एत्थ भोग-गहणम्मि । संबुज्झसु वीर तुम विरई ता कुणसु हिययम्मि ॥ टा 1) r repcats सत्तसिद्धाणं, महं. 2) रे for अरे, न ता for आ. 3) P om. अवि य. 4) ज्झग for ज्झट, न ति पलुइयं, चिय for सीसं अह रायउत्तेण. 5) P धरणिवढे केरिसो. 6) J सु for a before दीणं, J अवि for अहिय. 7) P भणिए for भणिषण. 8) Pमुहयंदा असिधेणू किं दिट्ठा, r oin. य, P वयमो. 9) P सोम. 10) P रणरणारोवमुलं पगक्विो उन्नत्तिम, सुण्डाणिओ for "यण्टाणिओ. 11) J सीहासणेनुअभिसित्तो, P रजिमि ।, I om. समं च, P repeats विविहं च. 12) Poin. अवि य. 14) P नियंबउत्तुंग, P परिमरिमलफरिसा, - हरिसायनुहल्लि. 15) P-निज्झररस, J सत्त for सत्ति. J भवणस्स P भवर्णमि. 16) Jom. रजसुहमगुहवंतस्स, P "मगुहतो, बारस वच्छराई, ' om. य, P संपन्नो for संपुण्णे, P रातीए. 17) J अइरस', P om. "मागरस, I om, जय महारायाहिराय etc. to लद्धमाप्प, बयरउत्त, P निद्दल गलद्धमाप्पा. 19) उदयत्थवणं. 20) P करालिययंमि गणमि ।, J लोगम्मि. 21) राई for राई, J अहवालियसमयाओ, Jको व्व. 22) तज्झ for बज्म. P परलोअ-. P पब जयं11. 24) Jadds आई before इम, बदी-, Pom. अपुष च इमं पढिय, पच्छिमो परिमणो. 25) P पढिमं for पढियंताहिं for तेण, दन याणिमो, तत्थ for एत्थ, P को विकेालो चिय. 26) Pom. तम्मि, P पहाय- 27) J भो for को, P भोयः, P पयते।।. 28) J संजोगो, देववामाहिं । होहिति एताहि. 29) P रह for हीरह. P जबईणं नयण,J पहरा हिं. 30) Jहो for भो, P कह for,अह, वचिहिति. 32) किंपाक- 33) Padds एमु before एस्थ, P संबज्झ , P विरयं कुगम. Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५४ 3 12 15 18 21 24 27 30 उज्जोषणसूरिविरइया ३८८) एवं च तय दियहे पहाय-वेलाए पुणो वि भणिउं समादत्तो । अविव । कीरड भोग-पसंगो जड़ फिर देहम्मि जीविर्य अचलं अह उणि काजो पडिदिइ गडवेट अणं ॥ पाव काऊण पुणो लग्गइ धम्मम्मि सुंदरो सो वि । सा वि सइ च्चिय णरवर जा एइ पहाय - समयमि ॥ मा अच्छसु संसारे णिचिंतो वीर बीह मच्चुस्स । मयरेण सह विरोहो वासं च जलम्मि णो होइ ॥ भोग-तिसिनो वि जीवो पुण्णेहिं विणा ण श्रेय पाने उट्टो जड़ परिओ बिय पंगुरिलो भागसु सो के धम्मं ण कुणइ जीवो इच्छइ धम्मप्फलाइँ लोगम्मि । ण य तेल्लं ण य कलणी वुड्ढे तं पयसु वडयाई ॥ जो कुइ त इई सो पर होए सुदाइँ पावेइ जो सिंह सहबारे सो साउ फलाएँ चसेह ॥ णवर ण परं दो ँतरस य णरवर अवस्स फिर णास एवं ॥ एरियो पुरिलो बडबड-मुम्म पडिया भाटय-मज्झमि से भगसु ॥ इय वीर पाव- भोए भोत्तुं णरयम्मि भुंजए दुक्खं । खासि करंब णरवर विडंबणं कीस णो सहसि ॥ जह इच्छसि परलोगो इह णत्थि अह जो अलसो थिय धम्मं अहिलस ३०९) एवं पुणो चउरथ-दिव-राईए पभाय- समए णिवं पतिजमार्ग जय महारावाहिराव- सेचिय, जाणामि कमल-मउर चलने एयाण तुझ जुयईण सरणं ण होति णरए कुप्पेजमा वीर ॥ कोमल-कदली- सरिसं ति जाणिमो वीर णरए ण होइ सरणं मां कुष्पसु तेण तं भणिमो ॥ एयाण नियंबडं पिहुलं कल-कणिर-कंचि दामिलं । णरए ण होइ सरणं वीरम्हे जूरिमो तेण ॥ पीणं पल-मुंहारावल सोहि च थणव गरए ण होइ सरणं भणामि धम्मक्रं तेण ॥ वियसिय सयपराणिभं मुहवंदं जइ वि वीर जवईण दीहर-पहल- धवलं णयण हुये जह वि बीर जुवईण इय जाणिण णरवर ताणं सरणं च णत्थि णरयम्मि गरए ण होइ सरणं शेण हियं तुझ तं भणिमो ॥ गरए ण होइ सरणं चिंता मद तेण हिययम्मि ॥ तम्हा करेसु धम्मं जर चिय जेण णो जासि ॥ जय महारावाहिराय, जय, $ ३९० ) एवं च पुणो पंचम- दियह राईए पहाय-समय- वेलाए पुणो पटियं सर्ग गएण णरवर तियसिंद-विलासिणीहिं सह रमिये कंसार-भणस्त्र व पत्ती गरिथ भोएस ॥ मणुयत्तणे वि र बहुसो भुतं चलंत चमरालं जीवस्य णत्थि वोसो रोरस्स व वण-निहाएण ॥ असुरसणे व बहुसो तो देवि-परिगो रमिलो तह वि ण जाय तोसो जलणस्स व वीर कहिं ॥ जक्सत्तणम्मि बहुसो रमिवं बहुयाहिँ जक्स-जुई वह वि तुह थि तोयो दि जलस् व जहिं ॥ बहुसो जोइस वासे देवीयण-परिगएण ते रमियं वह विण भरियं चित्तं गरिंद गर्ग व जीनेहिं ॥ इय णरवर संसारे पत्ताइँ सुहाइँ एत्थ बहुयाई । जीवस्स ण होइ दिही वढ्इ राओ तह वि एहि ॥ ६ ३९१ ) एवं च छ-दिवह राईए पाय समए पुणो पटियं जय महारावाहिराय, जय अवि य । सुलारोपण-डंभण-वेयरणी-लोह-पाण- दुक्खाईमा पम्हुस चित्तेर्ण मा होसु असंभवो वीर ॥ पटिहिति3) एति प्रभाव P 3 यह हाथ-गुरु-भारारोवणाई तिरियते । पम्हुट्टाइँ खणेणं किं कर्ज तुम्ह शरणाह ॥ जर - खास-सोस - वाही - दूसह - दारिद्द - दुम्मणस्साई । पत्ताइं मणुयत्ते मा पम्हुस वीर सव्वाईं ॥ अभियोग पराणती चयण-पलाबाई वीर देवसे । दुखाइँ पस्तुसंतो किं णं कुणास हिवयम्मि ॥ असुइ-मल- रुहिर-कदम-मालिओ गभवास मज्झमि वसिओ सि संपर्क थिय वीर तुमे कीस पम्हुई ॥ कोमिंगो किमि व्व जणणीए जोणि-दारेणं संप णीहरिको थिय पहुई पेग कमेणं ॥ 1) परिउमादतो. 2) भोष फीर for फिर, कालंगि for समयम्मि 4 ) विग्भ for बीह, वासो, Jom च किं for णो. 5 ) P उद्धो वत्थविहिओ केण सो भणसु for the second line उट्ठो जइ etc. 6 ) Jलोअम्मि, P वयटाई. 7 ) जो किर धावर णरवर सो खायइ मोरमंसाई for the second line जो सिंचाइ etc., P से for सो, P नरवेई for चवखेद. 8 ) J परलागो णत्थि अह इहं ण परं । दोलंतरस, P इह इई नवरं न य तेलं । 9 ) P अहिसर, पंडया, मज्झं पि तं भणया ॥. 10 मोच्छिसी for भुंजए, विलंबयं कीसु णो सहसि. 11) जय महाराजा हिराजसेविय. 12 ) P जुवईण, उ होइ for होंति, कयली, P - जुवलं, P जाणि नो वीर, धीर for वीर. 14 ) P किंचि for कंचि, P वीरम्हे झूरिभो. 16 ) Pinter. जर वि & वीर, P जुवतीण, Pom. . 17 >दीहरवम्ल, पंभल, P जुवतीण. 18 ) P नरयंति ।. 19 ) P रातीए, Pom. समय, P भणियं for पढियं. 20 ) P रमिउं, J धज्जती for पुज्जती 21 ) P adds before वि, P चत्तं for भुत्तं, Pधणनिहाणेण 22 > P परगओ, P सार for वीर. 23 ) P रमिओ, Padds टुं before जक्ख, r जुवतीहिं, P जलगरस व जलणेहिं. 24 ) जोतिस, परिगए ते, P रमिउं ।, गयणं जादेहिं . The letters on this folio ( No. 227 ) in J are rubbed and not clearly readable. Padds, after जीवेहिं । three lines : इय नरवर संसारे पत्ताई सहाई एत्थ बहुसो । जोइसवासे देवीयणपरिगएण ते रमिडं ॥ तह विन भरियं वित्तं नरिंद गयणं च जीवेहिं । 25 ) P संसा for संसारे, होइ दीही वट्टर, Padds इ before राओ. 26 ) P -राती पहाय -, P पुवि for पुणो 27 ) P सूलारोयणेणं किं कज्जं तुम्ह, i. c., it omits a portion of about three lines ending with पम्हुट्ठाई खणे. 29 ) Pखासे, P दुमणरसाई- 30 J अहियोग, P अभिगओ परागत्ती कंकणलवाईं वीर, P कुणसे 31 ) कद्दमपमालिओ, Jom. वसिओसि 32 ) जणणीय जोणिभारेणं. तंसि मा धीर. 13 ) [ ३८८ 5 2 2 3 Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३९३] कुवलयमाला 1 संपइ बालत्तणए कजाकजेसु मूढ-चित्तेसु । अवि असियं ते वचं पम्हुढं तुज्झ ता कीस ॥ इय णरवर संसारो घोरो अह सयल-दुक्ख-दुत्तारो । बुज्झसु मा मुज्झ तुमं विरमसु मा रमसु जुवईहिं ॥ ३९२) एवं च पुणो सत्तम-राईए पच्छिम-जामे णिसुयं । जय महारायाहिराय, जय । अवि य । फरिसिंदियम्मि लुद्वो णरवर बहुसो वि पाविओ णिहणं । विरमसु एहि बज्झसि वारी-बंधम्मि व गइंदो॥ रसणिदियम्मि लुद्धो णरवर बहुलो विडंबणं पत्तो । विरमसु एहि णाससि गलेण मच्छो व्व जल-मज्झे । घाणिदिय-गय-चित्तो मत्तो णरणाह पाविओ दुक्खं । विरमसु एहि घेप्पसि ओसहि-गंधेण भुयगो व्च ॥ णयणिदिएण बहुसो रूवे गय-चेयणो विणट्ठो सि । विरमसु एपिंह डज्झसि णरवर दीवे पयंगो व्व ॥ सोइंदियम्मि लुद्धो मुद्धो बहुसो विणासिओ वीर । विरमसु एम्हि घेप्पसि वाहेण मओ व्व गीएहिं। 9 इय णरवर पंचेए एकेकेएहि घायणं पत्ता । तुह पुण पंच वि एए महारिणो एत्थ देहम्मि ॥ ता वीर फुडं भणिमो पंचहिँ समिईहिं समियओ होउं । काय-मण-वाय-गुत्तो णीहरि कुण तवं घोरं ॥ ३९३) एवं च अणुदिणं भणिज्जमाणस्स रायउत्तस्स तम्मि पायाल-भवणे अच्छमाणस्स चित्ते वियप्पो जाओ। 12 'अहो, को पुण एस दियहे दियहे जयकार-पुवं इमाई वेरग्गुप्पादयाई कुलयाई पढइ । ता जद अज एइ अवस्सं ता 12 पुच्छामि' त्ति चिंतयंतस्स, जय महारायाहिराय वइरगुत्त जय, अवि य, जाव पढिउं समाढत्तो ताव भणियं रायउत्तेण । 'भो भो दिब्बो सि तुमं केण व कजेण एसि मह पासं । किं च इमं वेरग्गं अणुदियहं पढसि मह पुरओ ॥' । दिव्वेण भणियं । 'तुज्झ हिययम्मि णरवर जइ किंचि कुऊहलं पिता अस्थि । णीहरिऊणं पुच्छसु पायाल-घराओ सम्वण्णू ॥' कुमारेण भणियं । 18 "किं पायाल-घरमिणं केत्तिय-कालं च मज्झ वोलीणं । कत्तो वञ्चामि अहं सवण्णू कत्थ दट्टयो ।' तेण भणियं । 'एयं पायाल-घरं बारस-वासाई तुज्झ एयम्मि । एएण णीहि दारेण पेच्छसे जेण सव्वण्णू ॥' 21 भणिए समुट्टिओ पास-परिवत्तमाण-विलासिणी-गुरु-णियंब-बिंबयड-मणि-मेहला-णिबद्ध-किंकिणी-जाल-माला-रवारद्ध-संगीय- 21 पूरिजमाण-पायाल-भवणोयरो वइरगुत्त-कुमारो पायवडणुट्ठियाहिं विण्णत्तो सवाहिं । 'देव, जं सुपुरिसाण हियए कह वि तुलग्गेण संठियं किंचि । तं तेहि अवस्सं चिय वीर तह चेय कायब्वं ॥ 24 ता को तीरइ काउं आणा-भंग णरिंद देवस्स । होउ तुह कज-सिद्धी एकं अब्भत्थणं सुणसु ॥ जह पढम पडिवण्णो सुपुरिस पुरिसेहिँ जो जणो कह वि । सो तेहिँ तह चिय आयरेण अंते वि दट्ठव्यो । अण्णं च देव, किं ण णिसुयं तुम्हेहि णीदि-सत्थेसु । भ सत्संगतमार्येषु अनार्ये नास्ति संगतम् । अनया सह राजेन्द्र एकरात्र्युषिता वयम् ॥ इति । ता देव, एत्तिय-मेत्तं कालं तुमए समयं जहिच्छियं रमियं । एक-पए चिय णरवर कीस विरत्तो अउण्णाण ॥' 30 एवं च भणिओ कुमारो भणिउमादत्तो। 'जं तुब्भेहि पलत्तं सच्चं सव्वं पि णथि संदेहो । पडिवणं सप्पुरिसा छेए वि ण मुंचिरे पच्छा ॥ किं मुंचह एक्कपए जं तुब्भे भणह चंदवयणाओ । तं तुठभेहि मि णिसुओ सत्त-दिणे धम्मवयणोहो ।' 33 ताहि भणियं । 'देव, 1) यहियं (?) for असियं, J तं for ता. 2) Pसंसारे घोरमहासयल, दुत्तारे, P मा बुज्झ, P जुवतीहिं. 3) Jएवं पुण सत्तमः, P रावीए. 4) P बज्श वारी, ' वि for व. 5) Jom. परवर, Jadds वि after बहुसो, P adds वि after पत्तो, P विरमहसु, " णासुरु गलेण. 6) Pom. मत्तो, J भुअओ व्व. 8) J सोतिदियम्भि. 9) पिचों पककयरेहि, J पत्तो, P तुज्झ पुणं च एए, I एते. 10) JI समितीहि, J समितओ होउ. 11) P adds रायस्स before रायउत्तरस, I adds वि before वियप्पो. 12) P को उण, P वेरग्गपाययाई. 13) Pom. त्ति, P जा for जाव, P ता for ताव. 16) J कुतूहलं P कुऊहलं. 20) Pएतेण, P सबन्नू. 21) णियंबयड, P रवावद्ध. 22) P -पाणयाल, P -पायवडणोणयाहि. 23) p सुबुरिसाण, I तव for तह. 24) -भंगो, P तुम्हाण for देवरस, P कुणनु for सुणसु. 25) P पुरिसेण जो, P आयरेहिं. 26) तुम्मेहिं नीइसत्येसु. 27) " एकरात्रोषिता वयमिति ।. 28) Jom. ता देव. 29) P समियं, P adds वर before कीस, P अउत्ता for विरत्तो. 31) J सपुरिस छेए, P मुंचए for मुंचिरे. 32) P मुंचवह, P & for तं, P निसुयं, उ धम्म वियणोहो.. Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५६ 6 उजोयणसूरिचिरद्दया जेणं चियो सो देवं जह विष्णवे तेणेव संसार-सायरं तो लम्हे हि वितरितमिच्छामो ॥ तओ हरिस- पुलइज़माण- सरीरेण कुमारेण भणियं । अवि य । महुर- मिउ-मम्भणुखाविरीहिं णाणा-विलास-हासाई बारस-वासाईं अहं तुम्हार्हि वासियो रथ ॥ इह-परलोष विसु सपना-परपास-रामयं वयणं । अम्देहिं असु-पुष्यं भणिय-पुष्यं च तुम्हार्द ॥ ता सुंदरी सुंदरमिणमो संपविधितियं कर्ज जर मरण-सोग-विसमो संसारो जुन तरि ॥ किंतु पुच्छामि ताव गंतुं सव्वं सव्वण्णु हियमणहियं च । को एस किं च जंपइ किं काउं जुज्जए एवं ॥ ' ति भणिए ताहिं भणियं । एस 21 ९ ३९४ ) ता भो गोयम, जं तए पुच्छियं जहा को एस पुरिसो । एस चंद्रगुत्त पुत्तो वइरगुत्तो, इमिणा दिव्व12 पओगेण पडिबुद्धो ति । भणियं च भगवया गणहारिणा 'भगवं, संपयं कत्थ सो उवगओ' त्ति । भगवया भणियं तं सव्वं महिलायणं तम्हाओ पायाल घराओ णिक्कासिऊण आणेहि । एसो य संपयं समवसरण -तय- तोरणासण्णे संपत्तो' त्ति, जाव एचियं साहइ भगवे सो संपतो, पवाहिणीकाऊण समं महिला-सत्येण भगवं कुमारेण पणामिमो उवविहो । 10 सुहासणायेण व पुच्छि भगवं देण कोण को या एस दिममं परियो, कहिं या सो संपर्क' ति । भगवया साहिल पंच विजाणं भव-परंपरा-बिधरो ता जा मणिरह-कुमारो कामगइंदो, तइओ सो चेय बहरगुतो । तत्थ देवलोग चुओ तुमं लोहदेव-जिओ एत्थ उबवण्णो पमत्तो य । तओ मायाइच्च- चंडसोम जीएहिं इमिणा पाहाउय18 मंगल-पढणच्छलेण पडिवोहिओ त्ति । इमं च सोऊण भणियं । 'भगवं, किं संपयं विलंबसि, देसु मे दिक्ख' ति भणिए दिक्खिओ समं चेय विलासिणीहिं बड्रगुत्तोति । मगहर विलासिणीपण करेणु-परियारिनो वणगय दिखावारी-धंधे सुहकले वर सो बढ़ो ॥ ति । $ ३९५) एवं च सथल-तेलोक्केकल-सरोयर- सरस- पुंडरीय - सिरि-सोहिओ भगवं महावीरणाहो विहरमाणो पुणो संपतो हलणारं णाम जयरं तत्थ व बाहिरमाणे विरइयं देवेहिं से समवसरणं चिहि वित्धरा-येण तत्थ व भगवया साहि जियागं अय-भव-ख-परंपरा-कारणं । पुणो भवद-करयलंजलिया पुच्छिलो भगर्व गोदम-गणहारिणा 21 धम्म-तित्ययरो थि। 'भगवं 30 तुह अंजली विरइओ अम्हं सव्वाहि सुणसु वेण्णप्पं । जं पडिब्रजसि णरवर अम्हाहि वितं करेयव्यं ॥' ति भणिऊनिया चलने एवं पडिव' विभागमायो णिग्गओ वरगुत-कुमारो व वडपायच कुच्छ म समागओ य इह समवसरणे । पुच्छिण संदेहं णीहरिनो समवसरणाति । लोगfम्म केइ पुरिसा णरणाहं सेविरे सुसंतुट्टा । दाहिइ एसो अत्थं तेणम्हे भुंजिमो भोए ॥ अह ताण सो वि तुट्ठो देइ धणं हरइ सो च्चिय अतुट्टो । अह ताण तस्स सेवा जुज्जइ सफला भवे जेण ॥ 27 जो पुण एसो लोगो देवं चेइ भत्ति-विणपुण । तस्य ण दीसह किंचिवइ लोए ज फलं होइ ॥ एवं च पुच्छिएणं भगवया भणियं वीरणाहेण । 'गोदम जं मे पुच्छसि देवच्चणयम्मि कह फलं होइ । इह-लोए पर लोए जे फलया ते य तं सुणसु ॥ देवापिया दुविहा देवा एयम्मि होंति लोगस्मि । एक्के होंति सराना बिरागिणो होंति भण्णे वि ॥ गोविंद खंद- रुदा वंतर देवा गणाहिवो दुग्गा । जक्खा रक्खस-भूया होंति पिसाया तहा मण्णे ॥ किंगरा व किंरिसा गंधन्वा महोरगा व बंद-तारया उडु महादथा । [ ६३९ 5 ) P सुंदरि मिणिमो, 10) J ता 1) विनवेगि, हो for सो. 3) P विलासलाई 4 ) P परलोयविरुद्धं, P अम्हाहिं for तुम्हाहिं. सोन for सोग, P दुज्जए for जुज्जए. 6 ) JP om. सुन्यं सव्वण्णू P सम्पन्न, हिअं जणहिअं च, कातुं, एअं ॥ 8) J विरजोम्ह, Pom. अहं, Padds अम्हाहिं before सुण, P करेयव्यमिति भणि' 9 ) Jom भणिऊण, Pom. पायव. adds ति before समागओ, Pom. य, Pom. त्ति. 11 गोतमा, जधा, Padds ता after पुरिसो, चंदउत्त, P चंडगुत्तो गुत्तो. 12 ओएण, Jom. भगवया, सोबग. 13 ) P महिलाणयं पयालधराओ, P repeats पायालघराओ, णिक्कोसिऊण, आणेहित्ति P अणेहाति ।, एस संपयं. 14) P om. त्ति, P ताओ for सो, उ कओ for काऊ, पणमिओ, P adds य after पणामिओ 15 ) P सुहासत्थेष. 16) r om. वि before साहिओ P तब for भव, P ताव जाव for 17 चुतो देवेहिं for जीएहिं, P पभाओ य for पाहाउय 19 ) P दयरगुत्तो, Pom. त्ति. 20 ) P करिकरेणुपरिवारिओ वणगदो व्व ।, बद्धे, P सुहफलेण. 21 ) P तेलोक्केकल, P सरोज, adds सरय before सरस, P विहारमाणो पत्तो. 22 ) P विरइमो, Pom. से, P समवसरण, बद्वेण, P बंधो for बंघेण. 23 > ‍ साहिया, Jom. कारणं, P करयंजलिणा, P गोयम-- 24) P भणियं च भगवया for भगवं 25 ) J लोअंमि, JP दाहिति. 26 ) विअ for श्चिय, P सफला प्रभवे तेण. 27 ) अंबे, दीसति 29 ) P गोयम, P होति. 30 ) P देवाणुप्पिया, P एवंम होति, लोयंमि, Pom. वि. 31 ) P चुग्गा for दुग्गा, रक्खसभूता पिसाय तह किण्णरा etc. 32 गंधव्वमहोरयचंद, Porn. . जा J Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३९६] कुवलयमाला नागा उदहि-सुवण्णा अग्गी विज्जू य जाव इंदंता । एए सव्वे देवा सराइणो दोस- मोहिल्ला ॥ एयाण पूर्ण अच्चणं च जो कुणइ परम-भत्तीए । राय व्व तस्स तुट्ठा देंति धणादी य कल्लाणे ॥ भक्तीऍ जे उ तुट्टा नियमा रूसति ते अभत्तीए । सह भाविणो व मोहे रागद्दोसा इमे दोणि ॥ जह णरवणो कुविया रज्जादी- दिण्णयं पुण हरंति । इय तह देवा एए सुहमसुहं वा फलं देति ॥ अह पुच्छसि पुण्णेहिं सा रिद्धी ताण किं व देवेहिं । अह देवेहि मि कीरइ ता कम्मं णिष्फलं तत्थ ॥ जइ तस्स तारिसं चिय कम्मं ता किं व तत्थ देवेहिं । अह तस्स देवय च्चिय करेंति ता णिष्फलं कम्मं ॥ एसो तुज्झ वियप्यो गोदम चित्तम्मि वहए एत्थ तं अनु-बोणत्यं साहिष्यंतं णिसामेदि ॥ भणियं उदयाई खय उवसम मिस्स परिणए कम्मे । दव्वं खेत्तं कालं भवं च भावं च संपप्य ॥ तत्थेरिस कम्मं किं पि भवे णमसिएण देवाण । वञ्चइ उदयं खय उवसमं च खेत्तम्मि वा काले ॥ या तारिस-कम्मुदो देवाणं णमखियं च सहभावी तं खलि बिल सरिसं कागागम-तालवणं च ॥ जंणरवदी वि गोम सेवा कम्मेण तोसिओ देह कम्माण सो विवागो वह वि हु दिष्णं ति णरवणा ॥ देवा य मंगलाई सउणा सुमिणा गहा य णक्खत्ता । तह तह करेंति पुरिसं जह दिट्ठं पुष्व - कम्मेहिं ॥ इय एए राग-मणा संपइ णीरागिणो वि वोच्छामि । जाण पणामो वि कओ मोक्खस्स गई णिरुवेइ ॥ तिरा भगवंतो सिद्धा णि-कम्म-गण-गणा भव- वलियो एए रय-मय मोहेहिं परिहरिया | ताणं वयणाभिर आयरिउज्झाय सम्यसाहू य भावेण णमंसंतो गरूपं पुष्णफलं लहसि ॥ पुणेण होइ सग्गो सग्गाओं सुमाणसेसु पुण जम्मं । सुकुलाओं धम्म- बुद्धी सम्मत्तं जिणमए होइ ॥ तत्तो णाणं णाणाओं होइ चरणं पितेण जिरणं णिजरणाओ मोक्खं मोक्खे खोक्खं अणाबाई ॥ जो ताण कुण थवणं भयणं विवं च पूयणं अहवा पारंपरेण सो विहु मोक्ख-सुहं चेय पावे ॥ अह भणसि तुमं गोदम काय-मणो वाय विरहिया कह णु कोव पसाय विमुका कुमति कह मोक्ख सोक्खाई ॥ जिय-राग-दोस- मोहा कह ते तुट्टा कुणंति वर - सावे । सावाणुग्गह रहियं को किर सेवेज थाणुं वा ॥ ९ ३९६ ) एत्थ णिसुणेसु गोदम रागहोसेहिँ वज्जिया जइ वि । सावाणुग्गह हेऊ भवंति ते भावण-वसेण ॥ जह वण्णंतो वण्णे सुवण्ण-वरणे पुरम्मि चउरंसे । माहिंद-वज-चिंधे विचितिओ कुणइ विस-थंभं ॥ जवणी सोचिय अनुमि-वंदम्म अमिष भरियम्मि पउमचण-जलदेवे हर विलं खत्तिय फणिम्मि ॥ जह मज्झिमाए सो थिय रते से सेव-सोत्धिव सत्थे । वइस फणिंदे छूढो विसस्स अह पोहणं कुण ॥ जह य अणामाऍ पुणो कसणो वट्टो य विहुम-विचित्तो । सुद्ध-फणि-वाउ-देवे छूढो संकामणं कुणइ ॥ सोच्चि हंसो ह-मंडलम्मि रव-मेत्त-संठिओ सुहुमो । चिंतिय- मेत्तो एसो विसस्स णिव्वाहणं कुणइ ॥ एवं गोदम पुई आऊ तेऊ य पचण-गयता पंच वि भूषा पंचगुली पयरंति कम्माई ॥ एको चिय विष्णत्तो मंडल-भेदेण कुणइ कम्माई ण य तस्स राग-दोसा हिय-अणहिय-चिंतणं णेय ॥ एएण चिंतिओ हं पीओ थंभं करेमि एयस्स । एएण अमय वण्णो एयस्स विसं व णासेमि ॥ एवं थोदो संकम- णिव्वाहा रत्त-कसिण-सामेहिं । ण य सो करेइ चिंतं अणुग्गदं णिग्गदं कुणइ ॥ एसो तुदितो तो गोदमा मए दिगो जह एसो तह भगवं जाणेजसु वीयरागो वि ॥ ण व सो चिंते इमं अणेण जसंधुलो अहं एसो । पायेमि सिद्धि-वसई ण कमाइ चिर्चित एवं ॥ अहवा 1 3 6 9 12 15 18 21 24 27 30 1 ) उवहि, एते, P होति for दोस- 2 padds पडिया before पूयणं, Pom. अघणं, उ घणाई. 3 ) Jom. उ, P रुमति ते य तुट्ठीए I, P मोहो रागं दोसा इमे होंति ॥ 4 ) P जह नवरं नरवरणा कुविया, P रज्जादि दिन्नय हरंति । एते. 5 ) P अहं किंचि for किंव, ए अहवा देवेहिं मि, P तस्स for तत्थ. 6 ) P तस्स दिवय, J adds ताणि before ता. 7 ) P गोयम चित्तं पिट्टए, P जं for तं. 8) उदयाती, Pom. उदयाई, मिस्सदि परिगदि कम्मे, P मिस्सादी - 9 ) P भवे नमसिएण, देवेग, p repeats उदयं, Pom. वा, P कालो. 10 J कम्मुदयो, P कंमुवओ देवाणमंसियं च सुदभावी । तं खिल्लि विल्लि, P कागागमलवडणं. 11 ) P गवई, P गोयम सेवाधमे, तोसितो, P विवासो तह. 12 Jसउणा for सुमिणा, P तं for second तह. 13 Jएदे. 14) भयवंतो, P सिद्ध निद्दद्ध, णिड्डड्ड, एते. 15 ) P वयणा तिरए, P गरु for गरुयं. 17 > P सोखं. 18 ) P भवणं for थवणं. (19) P गोयम, कोय-, P तह for कह, सोक्खाती P सोक्खाइ 20 ) J जित, P जे वीतरागमोहा, P व्व for वा. 21 गोयम, हेतू, P भांति ते. 22 ) वृण्णा वंनो for qण्णे, P चउरंसि, P चिण्हे for चिंधे, विष्णतिओ for विचितिओ P विसं. 23 ) P जे for जह, तज्जणीय, अद्धमि, अमय, P जलदेवा: 24 > 3 से for सो, सो चिरते तं चिप सोचिय पस्थे सट्टाछुटो अहवा कुणं ॥ 25) कसणवट्टो, P पुणो वसणे वट्टे य बिंदुय विचित्ते । अद्दफणि, वायु, J 26 > J सामो for हंसो, P वर for रख, ए चिंतिमेत्तो, चिय सो for एसो. 27 ) P गोयम, P पवणमयणे य। भूता पंचगुलिआ पयरेंति, P कंमाइ. 28) Jवण्णंतो for विण्णत्तो, Pएण वि for अणहिय, अणहियं. 29 ) पीतो P पीउं, adds देत्ता before थंभ, एतस्स, एतेण एद्स्स विसं व णामि 30 ) Padds च ॥ after एवं उ रंत, P से करे, अणुग्गओ णिग्गहे. 31 ) Jom. वण्णंतो, गोयमा, दिट्ठाण्णो for दिण्णो, उ वीतरागो. 32 ) P जह अण्णेण जह संथुतो, P कयावि, P om. एवं. 3 for ण य सो, 33 २५७ 1. 3 6 9 12 15 18 21 24 27 30 Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५८ उज्जोयणसूरिविरइया . 1 एएण णिदिओ हं इमस्स पावं करेमि ता बहुयं । ण कयाइ वीयरागो भगवं चिंतेहिइ वियप्पं ॥ जेण ण मणो ण रागो ण य रोसो तस्स णेय सा इच्छा । णिकारणं णिरत्थं अमणं को चिंतिडं तरह ॥ तह वि थुणंतो गोदम थुइ-फलमउलं तु पावए पुरिसो। गिदंतो जिंदा-फलमहवा अह णरयवडणाई ॥ तम्हा एको भगवं पुण्ण-फलो होइ पाव-हेऊ य । विस-थंभण-णिव्वाहे जह वण्णंतो मए भणिओ ॥ मा चिंतेसु वियप्पं गोदम दवाई होति लोगम्मि । अवरोप्पर विरोहो जाणसु अह दीसए पयडो॥ जह अग्गी पज्जलिओ तावण-उज्जोवणं च सो कुणइ । अरहा तह य पयासं पावस्स य तावणं कुणह ॥ गोदम जह य रसिंदो अर्थभिओ अग्गि-मज्झ-पक्खित्तो। फुडिऊण तक्खणं चिय दिसो-दिसं वञ्चइ अदिवो ॥ तह जिण-दसण-जलगेण ताविओ पाव-पारय-रसोहो । एत्तिय झत्ति विलिज्जइ असहतो संगम तस्स ॥ . जह रविणा तिमिरोहो तिमिरेण वि चक्खु-दसणं सहसा । दसण-मोहेण जहा णासिज्जइ कह वि सम्मतं ॥ तह गोदम जिण-दसण-जिण-चिंतण जिणवराण वयणेहिं । णासह पाव-कलंक जिण-वंदण-जिण-गुणेहिं च ॥ एवं च साहिए सयल-पुरिसिंद-पुंडरीएण भगवया णाय-कुलंबर-पुण्णयंदेण जिण-चंदेण पडिवण्णं सब्वेहि मि आबद्ध-कर 12 कमल-मउल-सोहेहिं तियसिंदप्पमुहेहिं सयल-सत्तेहिं। ६३९७) एत्थंतरम्मि पविठ्ठो एक्को बंभण-दारओ समवसरणम्मि । केरिसो । अवि य । सामल-वच्छत्थल-घोलमाण-सिय-बम्ह-सुत्त-सोहिल्लो। पवणंदोलिर-सोहिय-कंठद्ध-णिबद्ध-वसणिल्लो ॥ 15 तिगुणं पयाहिणीकओ णेण भगवं । पायवडण-पञ्चुट्टिएण य भणियं तेण । भगवं, को सो वणम्मि पक्खी माणुस-भासाएं जंपए किं वा । जं तेण तत्थ भणियं तं वा किं सञ्चयं सव्वं ॥ भगवया भणियं । 18 देवाणुपिया सुब्बड जो सो पक्खी वणम्मि सो दिव्यो । जं किंचि तेण भणियं सच्चं तं सोम्म सव्वं पि ॥ तेण भणियं । भगवं जइ तं सच्चं वणम्मि जं पक्खिणा तहिं भणियं । ता रयणाणि इमाई ताण सामीण उप्पेमि ॥ 21 भगवया आइहूं। देवाणुपिया जुजइ पच्छायावो बुहाण काउं जे । दिट्ठो च्चिय तम्मि वडे तुमए पक्खीण ववहारो॥ एवं च भणिय-मेत्ते णिक्खंतो समवसरणाओ सो बंभण-दारओ। तओ पुच्छिओ भगवं जाणमाणेणावि गोयम-गणहारिणा 24 'भगवं, ___ को एस दियाइ-सुओ किं वा एएण पुच्छिओ भगवं । को सो वणम्मि पक्खी किं वा सो तत्थ मंतेइ ॥' एवं च पुच्छिओ भगवं महावीरो साहिउँ पयत्तो। 'अस्थि णाइदूरे सरलपुरं णाम बंभणाण अग्गाहारं । तत्थ जण्णदेव 27 णाम महाधणो एक्को चउब्वेओ परिवसइ । तस्स य जे?उत्तो सयंभुदेवो णाम । सो य इमो । एवं च तस बहु-सयण-जण-वेय-विजा-धण-परिवारियस्स वच्चंति दियहा । एवं च वच्चंतेसु दियहेसु, अवस्सं-भावी सव्व-जंतूण एस मधु तेण य सो जण्णदेवो इमस्स जणओ संपुण्ण-णिय-आउयप्पमाणो परलोग पाविओ । इओ य सव्वं अत्थं परियलमा 30 णिहणं पावियं । सव्वहा तारिसेणं कम्म-परिणामेणं तं ताण णथि जं एग-दियह-असणं । तओ एवं च परिवियलि। विहवे ण कीरति लोगयत्ताओ, विसंवयंति अतिहि-सकाराई, सिढिलियाओ बंभण-किरियाओ, अवहत्थियाई णिद्ध-बंधु दाणाई ति । सव्वहा, 33 गुरु-णिद्ध-भिव-बंधव-परियण-जण-सामिणो य पुरयम्मि । ता मण्णिजइ पुरिसो जा विहवो अस्थि से तस्स ॥ 1) P कयावि, JP चिंतेहिति. 2) P तम्हा for अमणं. 3) P गोयम, JP थुति, J पावई, P निर्दितो, I फल अहवा. 4) हेतू, P थंभणे निबाहो जइ, P भणियं ।।. 5) P गोयम, लोअम्मि. 7)P गोयम, P फडिऊण, P -दिसिं वच्चए. 8) ' असंर संगम.9) Pom. वि. 10) P गोयम, P om. दंसण, Poin. वंदणजिण, P adds सि after च. 11) भगवता. 14) बंभ for बम्ह. 15) Jणिउणं पयाहिणिकओ, P तिगुणी, पायवडणणुः, Pom. पायवडण etc. to भगवं. 16) P after तर repeats भणिलो । तिगुणीपयाहिणीकओ णेण भगवं । पावपडणुट्टिएणं भणियं तेण भगवं को for भणियं तं वा कि etc. to सुन्वउ जं 18) Pom. पक्खी, P सोम सवं. 20) P रयणाई, J तं पि for ताण, P सामाण उप्पेमि. 21) भणियं for आइ8. 22) दुहाण for बुहाण. 23) P भणियमेत्तो, I om. तओ पुच्छिओ, गोदम. 25) Pएतेण, P om. किं. 26) P अग्गहारं जत्थ. 27) Pजेट्ठो उत्तो. 28) P-वर- for धण, असव्वं भावी ? अवस्सभावी. 29) 3णिअयाउ ? नियाओय, परलोअं, इतो, Pom. य, P परिसयलमाणं. 30) P तारिसाणं, J ता for तं, ता for ताण, ' असणं, P परियलिए. 31) कीरयंति, - लोअयत्ताओ, I सकारई, P बंधु for बंभण, अवहत्थिई, ' बंधुदाणई । णिठ्ठदाणाई. 33) नि६ for गिद्ध Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३९९] कुवलयमाला . २५९ 6 1 णिज्झीण-पुन्व-विहवा पुरिसा पुरओ ठिया ण दीसंति । दारिइंजण-जुत्ता पत्तिय-सिद्ध व्व दीसंति ॥ इमं च एरिसं णाऊणं सयंभुदेवस्स जणणीए भणिओ सयंभुदेवो । अवि य । 3 पुत्त धण-सार-रहिओ उवहसणिज्जो जणम्मि सबम्मि । मय-किरियाएँ विहूणो जीवंत-मयल्लओ पुरिसो॥ अम्हाण तुम पुरिसो णिक्खित्तं तुह कुटुंब-भारं ति । ता तह करेसु पुत्तय जह पिउ-सरिसं कुणसि अत्थं ॥ णिउणो तुम पि पुत्तय पंडिय-पढिभो य सूर-चित्तो य । ता तह करेसु संपइ जह जियह कुटुंबयं मझं ॥ ६३९८) एवं च दीण-करुणं भणिओ जणणीए इमो सयंभुदेवो अहिय-संजाय-मण्णु-गग्गर-वयणो भणिउमाढत्तो। 6 अवि य । पुण्णेहिं होइ अस्थो अम्ह पुण्णा माएँ णट्ठाई। घेत्तण विहव-किरणे रवि व्व सो चेय अत्थमिओ ॥ 9 एकस्स होइ पुण्णं ण पोरुसं दोणि होति अण्णस्स । अण्णो दोहिं पि विणा सपोरुसो पुण्ण-रहिओ य ॥ पुण्णेहिँ होइ लच्छी अलसा महिल व णाम-मेत्तेण । पुण्ण-णियलेहि बद्धा अण्णमणा चेय बंदि व्व ।। जो पुण्ण-पोरुसेहिं लच्छी पुरिसस्स होइ दोहिं पि । सुरय-वियड्डा पोढ व्व सहइ सा वंचियं साहुं । 12 जा पुण पुण्णेहि विणा एकेणं पोरुसेण णिव्वडिया । अथिरा सा होइ पुणो णव-पाउस-विजु-रेह व्व ॥ पोरुस-पुण्ण-विहूणा लच्छी घेत्तुं ण तीरइ जणेण । चवलत्तण-दुललिया माए जल-चंद-रेह व्व ॥ पुण्ण-रहियाण अम्हं अम्मो सत्तेण किं पि जइ होइ । तं तं करेमि एम्हि जे भणियं तं खमिज्जासु ॥ 15 त्ति भणंतो णिवडिओ चलणेसु, समुट्टिओ य । भणियं च तेण । अवि य । भमिऊण सयल-पुहई छाउव्वाओ खुड त्ति पडिऊण । अवि णाम मरेज अहं अकयत्थो णो घरं एमि ॥ त्ति भणतो णिक्खंतो मंदिराओ सो बंभण-दारओ। तप्पभूई च णयर-पुर-सोहियं वसुंधरं भमि उमाढत्तो । कत्थ । अवि य । 18 जयर-पुर-खेड-कब्बड-गामागर-दीव-तह-मडंबेसु । दोणमुहाडइ-पट्टण-आराम-पवा-विहारेसु ॥ एवं च, अत्थ-परिमग्गिरो सो सम्वोवाया िणवरि काऊण । भमिऊण सयल-पुहई चंपा-णयरिं समणुपत्तो ॥ ६३९९) तत्थ य अत्थंगए दिणयरे ठइय-दुवारे सबम्मि णयरि-जणवए चिंतिय तेण । 'दे एत्थ जुण्णुज्जाणे पविसिय एकम्मि पायवे समारुहिऊण राइ-सेसं णेमि' त्ति चिंतयंतो पविट्ठो आरूढो य एकम्मि तमाल-पायवम्मि । 21 तत्थ य अच्छमाणो चिंति पयत्तो । अवि य । 'भग्वो भवणुब्वाभो उदर-दरी-भरण-वावडो दियहं । तरु-साहासु पसुत्तो पक्खा-रहिमओ अहं काओ ॥ 24 ता धिरत्थु इमस्स अम्ह जम्मस्स, ण संपत्तं किंचि मए अत्थं, जेण घरं पविसामि' त्ति चिंतयंतेण णिसुओ कस्स 24 वि सहो । तओ 'भहो, को एत्थ जुण्णुज्जाणे मंतेइ' त्ति जायासंको आयण्णयतो अच्छिउँ पयत्तो जाव एकेण भणियं । 'एस तमाल-पायवो, इमस्स अधे कीरउ इमं कज' ति भणंता संपत्ता तमाल-पायवं दुवे वि वणियउत्ता। णिरूवियाओ 27 तेहिं दस वि दिसाओ। तओ भणियं । 'अहो, सुंदरं इमं ठाणं, ता दे णिहणसु इमम्मि पदेसे' त्ति भणंतेण तेण 27 खणिउमाढतं तं पएसंतरं । णिक्खित्तं च तत्थ तेहिं तंबमय-करंडयं, पूरियं धूलीए, वेल्लि-लयाहिं कयं साहिण्णाणं । तत्तो तेहिं भणियं । अवि य । 0 'जो एत्थ को वि रक्खो भूय-पिसाओ व्व होज अण्णो वा । णासो तस्स णिहित्तो पालेजसु अह पसाएणं ॥' 30 ति भणिउं जधागयं पडिगया। चिंतियं च इमेण । अहो, ___ जं जेण जहिं जइया जत्तिय-मेत्तं च जस्स पासाओ । तं तेण तहिं तइया पाविजइ तत्तियं चेय ॥ 33 जेण पेच्छ । 1) Pणिज्जीण, J ट्ठिआ P ट्रिया, जगसिद्धा पत्तिय. 2) Pएरिसं नाऊणं भुदेवस्स. 3) P सव्व for मय, P जीय व्ध मयलओ. 4) Pअम्हा तुमं, P तह कुटुंब-, P पिओ सारिसं. 5)P पंडियओ सूर-. 6) Padds स before दीण, P इमं for इमो, अहिअंजाय, I adds माए after अवि य. 80P करणे, Pचेव. 9)P होई अत्थं पुन्नेहिं पोस्सेण दिन्नं पिI, P दो for दोहिं, विणा अपुरुसो. 10) P अण्णमण्णो. 11)P होति, सुरयावियड, P सव्वंगियं for सा वंचियं, P साहू for साहुं. 12) Pजो पुण, P एक्केग पुरिसेण, उणिवरिआ, विजरेह. 13) विहीणा, Pघेतं, P रेहि. 14)P होइ । ता तं, भणिया तं खमेज्जासि. 16) पुहइ, JP खुद्द त्ति, Pति for त्ति, Pमरेज्जाह. 17) J तप्पभूई. 19) P अस्थि for अस्थ, Pom. भमिऊण, P पुहती, पं. 20) अत्थंगदे, दिणयरट्टविय, Pघर for यरि, P जिगुज्जाणे परिवसिय. 21) Jom. य. 22) तत्थ माणो नितिउं. 23) Jउअर for उदर, P तव for तरु. 24) Pतो for ता, P adds & before अम्ह, P संसत्तं किं पिगए. 25) जिगुज्जाणे, P अण्णेण for एक्केण. 26) P अहो for अधे, Pom. ति, Jadds तं before तमाल, J दुवे विणियपुत्ता P दुवे वणियउत्ता. 27)P दसा दिसाओ, JP ततो for तओ, Pइमं थाणं ता देहिं मि हणतु, P पएसे, I om. तेण. 28) खणिउमादत्तो, J om. संबमय, Jom. धूलीए, P वल्लि for वेल्लि. 29) J ततो. 30 P वि रुक्खे भूय-, P अण्णा वा, J अम्ह पसरणं. 31) Jजधागतं, जहागया तहा पडिगया, Pom. च, Pom. अहो.32) P जत्तिमेतं, चेव for चेय. . अर for अपरहविय, PM. 17) Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६०. उजोयणसूरिविरइया [$३९ 1 सयलं भमिऊण इमं पुहई व-सेल-काणण-सणाहं । अज इहं संपत्तो देब्वेण पणामियं अत्थं ॥ अवइण्णो पायवाओ। अवणीयं सयलं कयारुक्केरं । उपाडिया करंडिया । उग्घाडिऊण पुलइया जाव पेच्छइ पंच ३ अणग्घेयाई रयणाई। ते य दट्टण हरिस-वसूसलंत-रोमंच-कंचुओ अंगे वि ण माइउं पयत्तो। 'दे, संपयं घरं वञ्चामि' त्ति पयत्तो सयल-पुरग्गहाराभिमुह । अद्वपहे य तस्स महाडई, तीए वञ्चमाणस्स का उण वेला वहिउँ पयत्ता । अवि य। संकोडिय-रत्त-करो मायंबो अत्थ-सेल-सिहरम्मि । दीवंतर-कय-सज्जो रेहइ पवओ विय पयंगो॥ 6 इमम्मि य वेला-समए चिंतियं सयंभुदेवेण । ___ अव्वो वण-मज्झगओ पत्तो रहसेण णत्थि इह वसिम । ता किं करेमि संपइ कत्थ व रयणीऍ वच्चामि ॥ चिंतयंतस्स बुद्धी समुप्पण्णा । 'दे, इमम्मि अणेय-पादव-साहा-समाउले बड-पारोहे आरुहिऊण णिसं अइवाहयामि । 9 बहु-पच्चवाओ एस वणाभोगो' ति । आरूढो तम्मि वड-पायवम्मि । एक्क-पएसे य बहु-विडव-संकुले अणेय-साहा-पत्त-णियरे अच्छिउं पयत्तो। चिंतियं च ण 'अहो, विहिणा दिण्णं जं मह दायव्वं । संपर्य गंतूण घरं एकं विक्केऊण रयणं पुणो सयल-कुटुंब-बंधवाणं जं करणीयं सव्वं काहामि' त्ति । इमं चिंतयंतस्स बहलो अंधयारो उत्थरिहं पयत्तो दस-दिसं। 12 आवासीहया सव्वे सउण-सावय-णिवहा । बहुए य पक्खि-कुले तत्थ णिवसंति वडोयरे । ते य गाणाविह-पलावे णाणाविह-वण्णे बहुप्पमाणा पेच्छंतो तत्काल-सुलह-वियप्पंतर-संभरंत-चित्त-महापवंगो अच्छिउँ पयत्तो सयंभुदेवो त्ति । ६४००) एत्थंतरम्मि समागओ झत्ति एक्को महापक्खी । सो य आगंतूण एकस्स महापक्खि-संघ-मज्झट्ठियस्स 15 महाकायस्स चिर-जरा-जुण्ण-पक्ख-जुवल-परिसडिय-पत्त-पेहुणस्स पुरओ ठाऊण पायवडणुट्टिओ विण्णविडं पयत्तो। अवि य । 'ताय तुमे हं जाओ तुमए संवडिओ य तरुणो हैं। कुणसु य मज्झ पसायं ता विषणति णिसामेसु ॥ णयणे अज कयत्थे मण्णे कण्णे वि अज मह जाए । एयं पि पक्ख-जुवलं अज्ज कयत्थं ति मण्णामि ॥ 18 अज्ज तुमे हं जाओ अज्ज य मण्णामि सफलयं जीयं । गरुडा अवि अज अहं अप्पाणं गरुयमं मण्णे ॥' भणियं च तेण जुण्ण-पक्खिणा । 'किं अज जोग-रजं णिक्खित्तं अज तुज्म खगवइणा । किं पुत्त पुत्त-लाहो पत्तं वा अक्खय-णिहाणं ॥' 21 तेण भणिणं । को ताय रज-लाभे तोसो को वा धण-पुत्त-विहव-लाभेहिं । तं अज्ज मए लद्धं कत्तो खग-राइणो होज ॥ जुण्ण-पक्खिणा भणियं । 24 'दे पुत्त साह सवं दिट्ट व सुयं व अज्ज अणुभूयं । किं व तए संपत्तं कीस व हो हरिसिओ तं सि ॥' तेण भणियं । 'णिसुणेसु, अज्ज अहं तुम्हाण सयासाओ उप्पइओ गयणयलं किंचि आहारं अण्णेसि बद्ध-लक्खो धरणियले-परिभमामि जाव दिट्ट मए एक्कम्मि पएसे पायार-परिययं महाजण-समूहं । तत्थ य उप्पयंति देवा, पिवयंति 7 विजाहरा, परिसकंति मणुया, गायंति किंणरा, णचंति अच्छरा, वगंति वंतरा, थुणंति सुरवरा, जुझंति असुर-मल्ल त्ति । तं च दळूण जाओ मम हियए वियप्पो 'अहो, किं पुण इमं ति। 'दे पेच्छामि' ति चिंतयतो उवइओ गयणयलाओ जाव पेच्छामि अण्णे वि बहुए पक्खिणो एक्कम्मि पायारंतरम्मि । तओ हं ताणं मज्झ-गओ पेच्छामि कोमल-किसलय30 सिलिसिलेंत-वियसमाण णव-कुसुम-गोच्छस्स रत्तालोय-पायवस्स हेटुओ महरिहे सीहासणे णिसण्णो भगवं को वि: दिब्व-णाणी तेलोक-सुंदरावयव-सवंग-दसणीओ मणहरो सयल-जय-जंतु-जण-णिवहाणं सदेवासुराए परिसाए मज्झ-गओ धम्माधर्म सातो। तं च दट्टण चिंतियं मए 'अहो, मए दिटुं मए जं दब्वं एरिसं तिहुयणच्छेरयं पेच्छमाणेण' । 1) पुहई, Jom. सेल, P सेण for सेल, P इमं for इहं. 2) अवणिअं, P कयवरुकेर, P पेच्छओ पंच, J पंचऽणग्धेयाई Pपंच अग्घेयाई. 3) Pinter. माइजु & ण. 4) P om. त्ति, P पयत्ता, J पुरग्गाहा, Pपुरग्गहादिमुह, महादईए, तम्मिय वट्टमाणस्स for तीए etc. 5) कतसज्जो P कयसिज्जो, P पहविओ विय, J इव for विय, J पतंगो. 6) Poin, य, । वेलासए. 7) Pव for वसिमं, P after इह व repeats सिहमि । दीवंतरकयसिज्जो etc. to रहसेण नत्थि इहत्य and again सेलसिहरमि। दीवंतर etc. to इह वसिमंतो, P om. ता, I adds कत्थ before वच्चामि. 8) पातय । पाठव for पादव, J अतिवाहयामि. 9) पतेसे, P विडवि-, P अण्णेय. 10) P adds जह before जं, P om. मह. 11) Pकुटुंब. 12) 'आवासीभूआ, P णिहाया for शिवहा, P बहले for बहुए, Pकुले स्थ विवपति, J वडे य एतो for वडोयरे, P ते अन्न विहपलाये, -पलाव. 13) P बहुप्पमाणो, P सुलभ, J संचरंतमहा', 'अच्छिओ, P पवत्तो. 14) Pएयरस for एकस्स, Prep. महापक्खिसंध. 15) om. महाकायस्स, P -जुयल-, Pट्ठाऊण. 16) Pसंडिओ य, वा for ता. 17) Jom. मण्णे, I अज्जमेव सह, अज्जे, P एतं जुअलं, P adds अ before कयत्थं. 18) J सफलं, P जायं ।, P गरुडा य वि [गरुडाण वि. 20 J पुत्तलाभो P पुत्तणाहो. 22)P -लाभो, P विहवलोमेहिं । जज्ज मए, P कत्ता. 23) Pom. जुण्णपक्खिणा भणियं. 24) साह न्वं, Jom. अज, अणुभूतं, हरिसिउं. 25) J अण्णेसितु. 26) धरणियलं, P पपसो, P देवा नियति. 27) किण्णरा P किन्नरा, P जुजति. 28) J हिअय. 29) Pताव for जाव, P पायारंतंमि, J ततो, Pom. है, "पेच्छाओ.30) सिलिसिणेत, P को for को वि.31 P पसत्य for सवंग, Pसलसयजंतु. 32) J धम्माहम्म, 'साहेंता, Jom. अहो मए दि१ जं दट्ठव्वं, P एरिसं तुहणयअच्छेरयं. Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६४०१] कुवलयमाला . २६१ 1 तओ ताय, तेण भगवया सवण्णुणा साहिओ सयलो संसार-सहावो, पदसिओ जीव-संसरणा-वित्थारो, वित्थारिओ 1. कम्म-पयइ-विसेसो, विसेसिओ बंध-णिजरा-भावो, भाविओ संवरासव-वियप्पो, वियप्पिओ उप्पाय-ट्टिइ-भंग-वित्थरो, 3 परूविओ जहडिओ मोक्ख-मग्गो त्ति । तओ इमं च सोऊण सव्वं उप्पण्ण-संवेय-सद्धा-सुद्ध-हियएण पुच्छिओ मए भगवं 3 सवण्णू जहा 'भगवं, अम्हारिसा उप्पण्ण-वेरग्गा वि किं कुणंतु तिरिय-जोणिया परायत्त-करणा'। तो इमं च लक्खिऊण मह हिययत्थं भणियं भगवया । 6 देवाणुपिया सण्णी तिरिओ पंचिंदिओ सि पजत्तो । सम्मत्तं तुह जायं होहिइ विरई वि देसेण ॥ ४०१) एत्थंतरम्मि पुच्छिओ भगवं गणहर-देवेण । अवि य । 'भगवं के पुण सत्ता परयं वच्चति एत्थ दुक्खत्ता । किं वा कम्म काउं बंधइ णरयाउयं जीवो॥' 9 भगवया भणिय। 'णरयाउयस्स गोदम चत्तारि इहं हवंति ठाणाई । जे जीवा तेसु ठिया णरयं वच्चंति ते चेय ॥ पंचेंदियाण वहया पुणो पुणो जे हणंति जीव-गणं । केवट्टाई गोदम ते मरि जंति णरयम्मि ॥ 12 कुणिमाहार-पयत्ता कुणिमं मंसं ति तं च आहारो । सावय-पक्खीण वहो मरिऊणं ते वि णरयम्मि ॥ सर-दह-तलाय-सोसण-हल-णंगल-जंत-वावडा पुरिसा । मरिऊण महारंभा गोदम वच्चंति णरयम्मि ॥ गामःणगर-खेड-कब्बड-आराम-तलाय-विसय-पुहईसु । परिमाण-विरइ-रहिया मुच्छिय-चित्ता गया णरयं ॥' 15 तओ इमं च सोऊण ताय, मए चिंतियं । 'अहो भगवया मंसाहारिणो पंचेंड़िय-वह-कारिणो य णरय-गामिणो आइट्ठा। 15 ता अम्हे पंचिंदिय-वहया मंसाहारिणो य गया णरयं, ण एत्थ संदेहो । ण-याणिमो अत्थि कोइ संपर्य उवाओ ण व'त्ति चिंतयंतस्स पुणो पुच्छिओ भगवं गणहारिणा 'भगवं, जइ पढम इमेसु ठाणेसु होऊण पच्छा उप्पण्ण-विवेगत्तणेण य 18 णरय-दुक्ख-भीरू कोइ विरमइ सव्व-पाव-ठाणाणं ता किं तस्स णरय-णियत्तणं हवइ किं वा ण हवइ' त्ति । भगवया 18 भणियं । 'गोयम, होइ जइण बद्धाउओ पढमं । बद्धाउओ पुणो सव्वोवाएहिं पि ण तीरइ णरय-गमणाओ वारेउ' ति । तओ ताय, इमं च सोऊण मए चिंतियं 'अहो, महादुक्ख-पउरो णरयावासो, पमाय-बहुला जीव-कला, विसमा कम्म-गई, 21 दुरंतो संसार-वासो, कढिणो पेम्म-णियला-बंधो, दारुण-विवागो एस पंचदिय-वहो, णरयग्ग-दूओ एस कुणिमाहारो, जिंदिओ एस तिरियत्त-संभवो, पाव-परमं अम्हाणं जीवियं ति । एवं च ववत्थिए कि मए काय'ति । तओ एत्थंतरम्मि । भणियं भगवया । अवि य । 4 जो छिदिऊण णेहं इंदिय-तुरए य संजमेऊण । विहिणा मुंचा देहं जहिच्छियं पावए सिद्धिं ॥ ति भणतो समुट्टिओ भगवं सव्वण्णु त्ति । विहरिङ समाढत्तो। जहागय पडिगया देव-दाणवा। अहं पि ताय, अहो भगवया अण्णोवएसेण दिण्णो महं उवएसो। इमं चेय काहामि । अवि य। 7 छत्तण णेह-णियले इंदिय-तुरए य संजमेऊण । कय-भत्त-णियत्तमणो मरि सुगई पुण लहामि ॥ त्ति । ता दे करेमि, अहवा णहि णहि गुरुयणं आउच्छामि । अवि य । ___ आउच्छिऊण गुरुणो सयणं बंधुं पियं च मित्तं च । जं करियव्वं पच्छा तं चेय पुणो अहं काहं ॥ 30 ति चिंतयंतो अज अकयाहारो एत्थ संपत्तो त्ति । ता विष्णवेमि संपइ ताय तुमे एस पायवडणेण । देसु अणुजं खमसु य मह अजं सब्ब-अवराहे ॥ त्ति भणिऊण णिवडिओ चलण-जुवलेसु। 1) सहाओ, P संसिओ for पदंसिओ, P संसरणापयत्थारो वियत्थारिओ. 2) विसेसओ बद्धनिज्जरा, Jom. वियप्पिओ, P ट्ठिति-- 3) J पन्नविओ for पवित्रओ, P भोक्समग त्ति, P om. सवं, P उप्पणसंवेसद्धा. 4) Prepeats किं, P कुणंति, P जोणीयपरायत्तकरुणा, J परयत्त, J ततो for तो. 5) Pom. भणिय. 6)P देवाणुप्पिया, P adds पज्जत्तियाहिं before पज्जतो, JP होहिति, ति for वि. 7)। एत्थंतरंति. 10 गोयम, Pट्ठाणाई, P हिया for ठिया. 11) P जीवाणं केवट्टाती गोयम. 12) 'आअहारो. 13)P सोसेण, J जत्त for जंत, P मरिऊ महारंभा, गोयम, P नरयंति. 14) Pगामागरखेडमडंबआराम- P पुहतीसु. 15) J ततो, P भाय for ताय,Jom. य. 16) Pकाई for कोइ. 17) किं तायवस्स for चिंतयंतस्स, J गगहारिणो, P om. पढभ, Pऊण for होऊण, P विवेयत्तणेण नरय-. 18) P भएण for भीरू, J विमरईसञ्चा, P पाणट्ठाणाई ता, P तस्स रयणत्तणं वइ. 19) J गोतम, P होइ जणइ बद्धाउयं, Jom. पढमं । बद्धाउओ, Pom. पुणो, सब्वं वाए.हिं, P धारिउ for वारेउ. 20) Pom. व, य for मए, Pणरयवासो, बहुलो जीवफली, " कंमगती. 21) Pकङ्किणो, Pएसं चिंदियवहो णरयग्गिदूओ. 22) संभववो, P पोव for पाव, P om. च, किम्मए P किं मयं. 23) Jom. अवि य. 24) P जहच्छियं पावसिद्धि, J सिद्धि ति. 25) Pसबचू, P जहा पडिगया, Pताह for ताय. 26) Pअण्णावएसेण. 27) Pछेऊण, P-णियलो, P भत्तू for भत्त, Pom. पूग, Pलहीहामि. 28) Pom. one णहि, P अउच्छामि. P अहवा for अवि य. 29) Jणिद्धं for मित्तं, P का हिंति. 30 P अज कयाहारो. 31) Jविण्णवेसि (?), P अणज्ज. 32) Pति for त्ति, चलणेसु । तओ, P वलय for चलण. Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६२ . उज्जोयणसूरिविरइया [$४० • 1 ४ .२) तओ पसरततर-सिणेह-पगलमाण-णयण-जुयलेण असु-किलिण्ण-थयणेण भणियं जुण्ण-पक्खिणा। अवि य। 'पुत्त ण कीरइ एसो ववसाओ दुत्तरो सुरेहिं पि। अण्णं च अहं थेरो बच्छ ममं मुंचसे कहयं ॥' 3 तेण भणियं 'ताय जंतए भणियं तं णिसामेसु । किं दुत्तरं तिलोए णरयावासाउ होज बहुयं पि । णियओ जो तुह जणओ ताय तुमे कस्स सो मुक्को ॥' वुड्डेण भणियं। 6 'जह पायवस्स पुत्तय पारोहो होइ लग्गणक्खंभो। तह किर पुत्त तुम पि हु होहिसि मह पुत्तओ सरणं ।' तेण भणियं । 'ताय, ___ को कस्स होइ सरण को वा किर कस्स लग्गणक्खंभो । णिय-कम्म-धम्म-वसओ जीवो अह भमइ संसारे ॥' 9 वुड्वेण भणियं । ___'अज्ज वि तरुणो पुत्तय मा मर इह ताव भुंजसु सुहाई। पच्छा काहिसि धम्म वच्छय जा वुडओ जाओ ॥ तेण भणियं । 12 'किं मरइ णेय तरुणो वुड्डत्तं ताय को ण पावेइ । तं अच्छसि वुट्टयरो ण-यणसि धम्मस्स णाम पि ॥' बुड्डेण भणियं । ___'अत्यो कामो धम्मो तरुणत्तण-मज्झ-धु-भावेसु । कीरंति कमेणेवं पुत्तय मा तिकम कुणसु ॥ 15 तेण भणिय । को व ण इच्छइ एसा परिवाडी ताय जा तुमे रइया । जइ अंतरेण पडिङ मच्च-गइंदो ण विहणेइ ॥' __ वुड-पक्खिणा भणियं । 18 'जणिओ सि पुत्त दुक्खं दुक्खं संवडिओ य जगणीए । किर होहिसि आलंबो वुत्तणयम्मि अम्हाण ॥' तेण भणिय । __'सुरयासत्त-मगेणं जाओ संवडिओ य आसाए । इंधण-कजेण गओ ससयं जह पावए को वि॥' 21 वुड-सउणेण भणिय । 'एत्थ वि तुज्झ अधम्मो होइ चिय पुत्त ताव चिंतेसु । वुझं मोत्तूण ममं कायर-पुरिसो व्व तं जासि ॥' तेण भणियं । 24 'जइ तं वचसि णरयं मए वि किं ताय तत्थ गंतव्वं । अयडे णिवडइ अंधो ता णिवडउ किं सचक्खू वि॥' वुट्ठ-पक्खिणा भणियं । ___'तह वि पिओ मे पुत्तय तुह विरहे णेय धारिमो जीयं । पिइ-वज्झाए घेप्पसि एस अधम्मो तुहं गरुओ॥' 7 तेण भणियं । 'ताय ण तुझं दइओ जेणं णरयम्मि खिवसि घोरम्मि । को कस्स मरइ विरहे जाव ण खुट्ट णियं कम्मं ॥' वुड्डेण भणिय। 30 'तुझ पिओ हं पुज्जो पुत्तय ता कुणसु मज्झ वयणं ति । मुच्चउ मरणासंसा पढमं पिव अच्छ णीसंको ॥' तेण भणियं । को कस्स होइ जणओ को व जणिजइ जणेण हो एत्थ। जणओ सो चिय एक्को धम्मुवदेसं तु जो देइ ॥' 33 वुड-पक्खिणा भणियं । __ 'जइ पुत्त तुमे एयं अवस्स करणिजयं तु ता विसह । जा ते पेच्छामि सुहं दीह-पवासम्मि चलियस्स ॥' तेण भणियं । 1) पसरंत सिणेहेण पगल", I-जुअले आलिकिलण्ग, P जुगलो for जुयलेण. 2) Pएसो ओ दुत्तारो, P अन्नं वाहं घोरा वच्छ, J मए for ममं, J कस्स for कहयं, P adds थेरं after कयं. 3) P निसामेहि. 4) रयावासो हु. 6) पुत्तरस, P लग्गणक्खतो।. 8) Pinter. कस्स & होर, P परि for अह. 11) Jadds य after तेण. 12) Pताव को, J को व for को ण, P न य जाणसि धम्मनामं पि. 13) P वुढेण. 14) Jom. मज्झ, वुढभावेण्णु, P काम णेयं for कमेणेवं, J उज्जम for तिक्कम. 16) Pपडियं, 'गइंदे, I हारेड for विणेइ. 17) J वुड्डेण for वुद्धपक्विणा. 18) संठिओसि जणणीए. 20) J गओ संसयं. ३ कोइ ॥. 22) P तुज्झ न धम्मो, P तुम for व तं. 24) P जद सिं तं, P अंधो जइ निवडिओ किं. 26) P पियः, P एस अहंमो. 27) Jadds तओ before तेण. 28) P adds ति after खु. 30) Pकुज्झ पियाहं. 32) Jहोइ सरणं को. 34) Pतए for तुमे, P ति for तु, I ए for ते. Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3 6 -९४०४] कुवलयमाला 1 'जं कायव्वं कीरउ को जाणइ दियह-पक्ख-मासाणं । किं होहिइ अहिययरं वयण जेणम्ह दीसेज्ज ॥' ___ता खमसु अहं वचामि' त्ति भणतो उवगओ माऊए समीवे । ४०३) तत्थ य पायवडणुहिएण विण्णविया माया। अवि य। तं धरगी सावित्ती सरस्सई तं भगीरही पुहई । धारणि-अम्मा देवी माया जणणी य जीयं च ॥ ता खमसु माए एम्हि कय-पुन्वं जं म्ह अविणयं किंचि । संपइ मरियम्वमिण उवट्टियं अम्ह संसारे ॥ 6 इमं च सोऊण जरा-जुग्ण-खुडिय-पक्खावली-वियलणा-पयड-पंडर-सरंडय-डंडावली-मेत्त-पक्ख-पडली-सणाहाए भणियं जुण्ण-पक्खिणीए । अवि य । 'हा हा पुत्त किमेयं वयणं अइ णिरं तए भणियं । थक्किय-पडिहयमेयं ण सुयं म्ह ण यावि ते भणियं ॥' 9 तेण भणियं । चिरजीविणीए अम्मो दिट्रो ब्व सुओ व्व कोइ लोगम्मि । मरणाओ जो चुको मंगल-सय-लक्ख-वयणेहिं ॥' थेरीए भणिय । 12 'पुत्त तहा वि ण जुज्जइ भणिऊणममंगल इमं वयणं । सोऊण इमं दुल्लह मह दुक्खं होइ हिययम्मि ॥' तेण भणियं । _ 'अम्मो वयणेण इमं दुक्ख जायं ति तुज्झ दुत्तारं । जइ सञ्चं चिय मरणं हवेज ता किं तुमं आसि ॥' 15 थेरीए भणियं । 'पुत्त ण वह एयं भणि जे जइ पुणो कह वि होजा। ता पुत्त तुम्ह णेहेण तं चितिं चेय पविसेज्जा ॥' तेण भणियं। 18 'अम्मो मा भण अलियं एक्ककं अणुमरेज जइ तं सि । ता कह थेरी होती बाल च्चिय तं मुआ होती ॥' थेरीए भणियं । ___ 'मा पुत्त भणसु एवं जीयाओ वि वल्लहो तुम मज्झ । मा म मुंचसु एहि थेरत्तण-दुक्ख-संतत्तं ॥' । तेण भणियं । 'अम्मो को कस्स पिओ को वा जीवेज कस्स व वसेण । को वा मुञ्चइ केणं को थेरो किं व से दुक्खं ।' थेरीए भणियं । 24 'पुत्त इमो ते धम्मो अम्मा-तायाण कुणसि जं विणय । बंधुयणस्स य पोसं पम्मुक्को होहिद अहम्मो ॥' तेण भणियं । _ 'अम्मो सञ्चं एयं भणियं घर-वास-संठिय-जियस्स । जो पुण मुंचइ सव्वं तस्स ण कर्ज इमेहिं पि ॥' 27 थेरीए इमं भणियं । कुच्छीऍ मए धरिमो णव-मासे पुत्त-भार-सुढियाए । उवयारस्स फलं ते पचुवयारो कओ को वा ॥' तेण भणियं । 30 'अम्मो कीस तए हं धरिओ गब्भम्मि केण कजेण । णियय-जणणीऍ तुमए उवयारो को कओ होज ॥ माए हं ते जणिओ तुम पि जणिया मए भव-सएसु । अरह-घडि-समाणा अवरोप्परयं पिया-पुत्ता ॥' भणतो उवगओ जेट्ट-भाउणो समीवं । 33 ४ ०४) तत्थ वि पायवडणुट्टिओ विण्णविउं पयत्तो। अवि य। 'भाउय तं सि खमेजसु अम्हे उच्छंग-वड्डिया तुम्ह । डिभत्तण-दुललिएहिं तुज्झ जो अविणओ रइओ ॥' भाउणा भणियं । . . __1) P जाणो for जाणद, JP होहिति, दीसेज्जा. 2) P समी. 3) P विणणविय, Pom. माया, P adds after अवि य like the following which is partly repeated subsequently तं धरणी सतवती सरस्सीती तं भगीरही पुहती। धारअंगादेवी माय जण अहं वच्चामि त्ति भणतो उवगओ माऊए समीवं । तत्थ य पायवडणुट्रिएण विष्णविय. 4) P धरणी सत्तवती सररसीती, P पुहती । धारणिअंगी, धरणीअम्मा, जणणी अजीयं च. 5)J जम्ह P जम्हं for जं म्ह, P अम्हि for अम्ह. 6) P खुडिया से सडिय पक्खावली वियडणापयडा-, पम्हावली,J -सडंडय-,J -पडाली. 8) Jथुक्किय, Jण सुअम्ह Pणयं अम्हे for ण मुयं म्ह, Jए Pतं for ते. 10) चिरजीविणीय चिरजीवणीए, P repeats मुओ व्व, J लोअम्मि, P सलक्ख-. 12) P भणिऊण अमंगलं, Pom. दुलह मह. 14) P दुक्खं जीवं ति पइसेज्जा I, Pom. जद सचं चिय मरणं etc. toचितिं चेय पविसेज्जा।. 18) Pहोंति in both places. 20) पित्त धणनएस जीयाउ वि. 22)J वा मुंच, Pकेग व को. 23) J थेरीय र थोरीए. 24)J ए for ते P बंधुयणरस पसायं पमुके, JP होहिति. 26) P भणियं परवाससंठियरस जीवस्स, P उण for पुण, Pति for पि. 27) ' has additional lines here beginning with थेरीए भणियं । कुच्छीए etc. धरिओ गर्भ ति which are repeated helow, P om. इमं. 28) P भणिओ for धरिओ, P सुट्ठियाए. 32) Pजेट भायणो समीव तस्स. 33)P पीयवडणुट्रिओ विउं पयत्तो. 34) P खमज्जसु, P तुम्हे for तुज्झ. Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६४ उजोयणसूरिविरइया [६४०४1 'हा कीस वच्छ मुंचसि केण व तं किंचि होज भणिओ सि । को णाम एत्थ धम्मो किं वा पावं भवे लोए॥ तेण भणियं । 3 'मा भाउय भण एवं धम्माधम्मेहिँ संठिओ लोओ। अह अस्थि को वि धम्मो विणयाए सुओ जहा राया ॥' - भाउणा भणियं । 'मुद्धो सि वच्छ बालो केण वि वेयारिओ वियड्डेण । सो को वि इंदयाली वेयारेतो भमइ लोयं ॥' 6 तेण भणियं। 'भाउय विवेग-रहिओ तं मुद्धो ज भणासि कावडिओ। मा हो तं भण एवं तियसिंद-णमंसियं वीरं ॥' भाउणा भणियं । 9 अच्छसु भुंज जहिच्छं परलोओ वच्छ केग सो दिवो। एकं हुयं अगणं होहिइ का तम्मि ते सद्धा॥' तेण भणियं । ___ 'धम्मेण एत्थ भोगा भाउय धम्मेण होइ सगं पि । ता तं चेय करिस्सं णस्थि सुहं धम्म-रहियस्स ॥' 12 भणमाणो उवगओ कणियसं भाउयं, तं पि उत्तिमंगे चुंबिऊण भणिउं समाढत्तो। अवि य । ___ 'उच्छंग-लालिओ मे वच्छ तुमं पुत्तओ व मह दइओ । खर-फरुसं सिक्खविओ अवराह खमसु ता मझं ॥' कणीयसेण भणिय। 15 'हा भाउय कत्थ तुमं चलिओ होजा णु अम्ह मोत्तण । अम्हाण तं सि सामी तुज्झायत्तं इमं सव्वं ॥' तेण भणियं । वच्छ चलिओ मि मरिउं तुम्हे मोत्तुं पुणो वि गंतव्वं । को कस्स वच्छ सामी जम्मण-मरणेहिँ गहियम्मि ॥ 18 ४०५) इमं भणतो उवगओ जेटुं भइणिं, तीय पायवडणुट्टिएण भणियं । __ भइणी तं महदेवी सरस्सई तं सि पूणिजा सि । ता खमसु अविणयं मे डिंभ-सहावेण जं रइयं ॥ तीए वि वियलमाण-णयण-जल-पवाहाए भणियं । अवि य । 21 'वच्छम्हाग तुम चिय कुलम्मि किर भो कुमारओ आसि । पोमाय म्ह तुमे चिय तुमए चिय जीविमो अम्हे ॥' तेण भणियं । ___ जीयइ कम्मेण जिओ पोमायइ सुंदरेण तेणेय । जइ है कुले कुमारो माए ण य लजणं काहं ॥' 24 तीए भणियं । _ 'थेरं मुंचसि पियरं कस्स इमं मायरं च गइ-वियलं । सत्थेसु किर पढिजइ अयण्ण-परिपालणं काउं॥' तेण भणिय । 27 'किर वाहेण तओ हं बद्धो पासेण अहव ण य जाओ । मोत्तण ममं पुत्ता अण्णे वि हु अत्थि तायस्स ॥' ४०६) इमं भणतो उवगओ कणीयसं भइणि । तं पिसागुणय उवसप्पिऊण भणिउमाढत्तो। अवि य । 'खर-णिट्टर-फरुलाई वच्छे भणिया सि बाल-भावम्मि । ता ताई खमसु एहि होसु विणीया गुरूणं ति ॥' 30 तं च सोऊण मंतु-गग्गरं तीए भणियं । अवि य । 'हा भाउय मं मोत्तुं दीणमणाहं च कत्थ तं चलिओ। ताओ व थेरो तुज्झम्हे चिंतणीयाओ॥' तेण भणिय । 33 'अलिओ एस वियप्पो जं चिंतिजइ जणो जणेणं ति । वच्छे पुव्व-कएणं दुक्ख-सुहे पाविरे जीवा ॥' ६४०७) एवं च भणमाणो उवगओ भारियाए समीवं सो पक्खी । भणियं च तेण । अवि य । सुंदरि सुहय-विलासिणि तणुयंगे पम्हलच्छि घर-लच्छि। धणिए मह हियय-पिए वल्लह-दइए य सुण वयणं ॥ •rwarramm arwa 3) Pएवं धंमेहि, धम्माहम्मेहि, P लोए।. 5) J सि बद्धबाला, P वेयारंतो. 7) विवेय-, P भणामि for भणासि. 9) P जहच्छि, P om. वच्छ, P adds कत्थ before सो, IP होहिति, " ते सिद्धा. 11) J भोपा. 12). कण्णसं भाउअंतेण तं पि, P भणिओ. 13) P से for भे, P तुह for मह. 14) J कण्णसेण भणिअं. 17) P मरिओ तुम्हे म्हेतुं पुणो, P मरणिहिं, J गहिअस्स ।।. 18) P भणिउं for भणतो, जेट्टभगिणीं, Jadds तेण before तीय. 19) J तमहं देवी, P तं महादेवी, भो for मे. 20) J तीय वि, Pom. णयण, P जलह-. 21) "तुच्छ म्हाण, P पिय for चिय, P हो for भो, ' कुमासओ, J पोमाय P पामाय. 23) P सुंदरे य तेणेय, JP कुमासो. 24) J तीअ for तीए. 25) P अइल्ल for अयण्ण. 27) P कर for किर, P को हं [हओ हं? 1, P बद्धो पोसेण अह वि न य, P अत्थे for अण्णे. 28) कण्णस्स for कणीयर्स, भइणी. 29) P फरिसाई, P ता माई खमसु. 30) J मणु for मंतु, P मंतुयग्गरं. 31) Pघोरो (थोरो?). 33) P जीयो ।।.34) गओ for उबगओ. 35) भलच्छि, धरलच्छी।, Pom. य, P सुवयणं. Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६४०७] कुवलयमाला । खद्धाणि य पीयाणि य तुमए समयं बहूणि तणुयगि । गयणंगणम्मि भमियं रुक्खग्गे णिवसियं समयं ॥ सुरसरि-पुलिणेसु तए समय तणुयंगि विलसियं बहुसो। माणस-सरस-सरोरुह-दलेसु सुइरं पसुत्ता मो॥ 3 किलिकिंचियं च बहुसो कय-कलयल-राव-मुइय-मणसेहिं । तं णत्थि ज ण रइयं दइए ता खमसु तं सव्वं ॥ । इमं च सोऊण गुरु-दुक्ख-भर-भार-सुठिया इव णिवडिया से मुच्छा-णीसहा दइया । तं च णिवडियं दहण तेण भणियं । 'आसस मुद्धे आसस सरल-सहावा ण-याणसे किंचि । किं ण सुयं ते सुंदरि संजोया विप्पओयंता ॥ आसस मुद्धे आसस विहडइ अंते सराय-घडियं पि । संपुण्ण-णियय-कालं पेम्म चक्काय-जुवलं व ॥ आसस मुद्धे आप्रस चदुलं संकमइ अण्णमण्णेसु । विंझगिरि-सेल-सिहरे वाणर-लीलं वहइ पेम्मं ॥ आसस मुद्दे आसस चवलं परिसकए सराइलं । णव-पाउस-जलहर-विजु-विलसियं चेय हय-पेमं ॥ आसस मुद्धे आसस एयं चिंतेसु ताव लोगम्मि । खर-पवणुद्धय-धयवड-चवलं छउयंगि हय-पेम्मं ॥ इय बुज्झिऊण सुंदरि मा मोहं वश्च आससु मुहुत्तं । गय-कलह-कण्ण-चंचल-चलाओं पेम्माण पयईओ ॥' त्ति । इमं च भणमाणेण आसासिना सा तेण पक्खिणी । तओ होंत- विओयाणल-जणिय-जालावली-पिलुट-हिययुत्तत्त-णयण12 भायणोयर-कढंतुव्वत्त-बाह-जल-पवाहाए भणिय सगग्गय तीए पक्खि-विलासिणीए । अवि य । 'हा दइय णाह सामिय गुण-णिहि जियणाम णाह णाह त्ति । एक्क-पए च्चिय मुंचसि केण वि वेयारिओ अम्हं ।। हा णाह विणा तुमए सरण को होहिई अउण्णाण । कस्स पलोएमि मुहं सुण्णाओ दस दिसाओ वि।' 15 तेण भणियं । 'मा विलव किंचि सुंदरि एस पलावो णिरत्थओ एहि । जंतोय मरंतो विय किं केणइ वारिओ को वि।। जं जस्स किं पि विहियं सुई व दुक्खं व पुब्व-जम्मम्मि । तं सो पावइ जीवो सरण को कस्स लोगम्मि ।। 18 तीए भणियं । _ 'जइ एवं णिण्गेहो वजमओ तं सि मुच्चसे अम्हं । ता किं जाणसि डिंभे अह जणिए किं परिचयसि ॥' तेण भणियं । 1 'मोहंधेणं सुंदर किंचि-सुहासाय-जणिय-राएण । एयं कयं अकजं दुक्खमणतं ण तं दिटुं॥ जइ काम-मोह-मूढो बद्धो वारीए कह वि वण-हत्थी । मुद्धे किं मरउ तहिं किं वा बंधं विमोएउ ॥ जं कह वि मोह-मूढेण सेविओ किं मरेज तत्थेव । जो जाओ गोत्तीए किं जाउ खयं तहिं चेय ॥ 26 जइ सेवियम्हि कामो कह वि पमाणुण तं च ईहामि । किं कह वि जो णिउड्डो सो पायालं समल्लियउ॥ तीए भणियं । _ 'जइ तं वचसि सामिय अहं पि तत्थेय णवरि वच्चामि । भत्तार-देवयाओ णारीओ होंति लोगम्मि ॥' 97 तेण भणियं । 'सुंदरि पयट्ट वञ्चसु पारत्त-हियं ण रोयए कस्स । पेच्छसु भव-जल-रासिं जम्म-जरा-दुक्ख-भंगिलं ॥' तीए भणियं । 30 'एयं बालारामं णिसंस-मुक तए अह मरेज । किं मुच्चामि तुमे चिय जह अहयं मुंचिमो एयं ॥' तेण भणियं । 'णिय-कम्म-धम्म-जाया जियति णिपएण चेय कम्मेण । बालाण किं मए किं तए व्व मा कुगसु मिसमेयं ॥' 33 इमं च णिसामिऊण तीए भणिया ते डिंभरूवा । एसो य तुम्ह जणओ पुत्तय मरणम्मि दिण्ण-ववसाओ । ता लग्गह पायाहिं कम्मम्मि इमस्स गाढयरा ॥ 9) PORN P यंते for a Pom. ता. 4» . 1) वीआणि for खद्धाणि, बहुणि तणुयंगी, P भमिउं. 2) P पुलिले मु. 3) Pom. च, P om. ता. 4) Jom. भर, P सुटिया, Pणिवडिय, Jadds आवे य after भणियं. 5) Pणयासे. 6) P यंते for अंते, P repeats पेम्मं. 7) विंझदरि, वाणरणीअं वहय. 8) J नलं च for चवलं. 9) Pएवं, चिंतेसु आव लोअंमि, P लोगं ।, P धयधयडचंचलं. 10) Jआसस. 11) Jon. तेग, I -विओआलि-जलिअजालावलीविलुङ, P -पिलुद्धहियपुत्तत्तगयभायाणढराकडंतुंबत्त. 12) P -पवाहाप, P सगगरं, तीय पविखविलासिणीय. 13) PQ for हा, P जियनाहराह त्ति ।, P मुद्धय for मुंसि , केणावि, P वियारिओ. 14) JP होहिती, I अउगाए. 16) P किंच सुंदरि, णिरत्थयो, P केण व धारिओ, J कहि मि for कोवि. 17) लोअम्मि. 18) तीय. 19) P जर व णिणेहो, Pतं च से अम्ह !, P जणेहि for जाणसि, I adds पि after किं. 21) J सुहासाए. 22) 'कोव for मोह, वारीय कह व, I बद्धं, P बंधं मिमाएउ. 23) P जीवो for जाओ after जो, P किं for खयं, तहिं चिय. 24) सेविअम्हि P सेविओसि, J जो णिउद्धो, P समल्लियर. 25) I तीय. 26) P देवताओ, लोअंमि. 29) Jतीय. 30) निस्संसं, Pमरेज्जा, Padds अह before अयं, P मुंचगा. 33) Jतीय भणियं तेण ते, P डिनुरूवा. 34) Jom. य, तुम्हं, ता लयह पायाहिं, J मा दाहिह for पायाहिं, J कण्णम्मि, गाढयरं. 34 : 24 MIR P वारीय कह व, बार, Pजणेहि for जाणार Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६६. उज्जोयणसूरिविरइया .[६४०८।। ६४०८) एवं च भणिया समाणा किं काउमाढत्ता । अवि य । उद्धाइया सरहसं सब्वे च्चिय मुद्ध-मम्मणुलावा । खंधम्मि केइ कंठे अण्णे पट्टि समारूढा ॥ 3 'मोत्तण ताय अम्हे कत्थ तुमं पवससि त्ति णिण्णेहो । अब पेच्छ रुवंति अम्हे वि मरामु तुह विरहे ॥' तेण भणियं । 'पुत्त मर तुम्हाणं ण किंचि कर्ज ति जियउ ए अंबा । स चिय दाही भत्तं होह समस्था सयं चेव ॥' 6 तेहिं भणियं । अबाए ताय कहियं ताएण विणा मरामि हं पुत्त । तुम्हे वि मए मुक्का मरिहिह मा देसु गंतु जे ॥' तेण भणियं । 9 'मा पत्तियाह पुत्तय एसा अह कुणइ तुम्ह परिहासं । को केणं जीविजह को हेणं मरइ लोगम्मि ॥ भव-हक्ख-पाव-कुसुमप्फलाई एयाइँ डिंभ-रूवाई। महिला णियलमलोहं बंधण-पासं च बंधुयणो ॥ त्ति चिंतयंतेण धुणिऊगं देहं तस्यरं पिव पिक-फलाई व पाडिऊग डिंभ-रूवाई चलिओ ससुरंतेणं । भणियं च तेण । 12 'तुह ताय पायवडणं करेमि एसो म्ह खमसु जं भणियं । जारिसओ मह जगओ तारिसओ चेय तं पुज्जो ॥' तेण भणियं । ___'कल्लाणं ते पुत्तय जइ मरियव्वं अवस्स ता सुणसु । अज वि बालो सि तुम को कालो वच्छ मरणस्स ॥' 15 तेण भणियं । बालो तरुणो वुड्डो ताय कयंतस्स णत्थि संकप्पो । जलगो व्व सब-भक्खो करेउ बालो वि तो धम्मं ॥' ति भणतो उवगओ अत्ततेण । भणियं च । 18 'अत्ता तुह पावडणं अम्हं जणणी तुम ण संदेहो । ता खमसु किंचि भणियं डिंभत्तण-विलसियं अम्ह ॥' तीए भणियं । ___'अज वि पुत्तय बालो कुग्गाहो केण एरिसो रइओ। भुंजसु भोए पच्छा वुड्डो पुण काहिसी धम्मं ॥' 21 तेण भणियं । 'धम्मत्थ-काम-मोक्खा अत्ता चत्तारि तरुण-जण-जोग्गा । जोवण-गलियस्स पुणो होति समुदो व्व दुत्तारो॥' तीए भणियं । 24 'धूयं मोत्तूण इमं फुल्ल-फल-भरिययं सुरूवं च । मा मरसु पुत्त मुद्धो ण-याणसि अत्तणो सारं ॥' तेण भणियं । 'अत्ता फुल्ल-फलेहिं किं वा रूवेण किं व तरुणीए । घोरं णरए दुक्ख इह जम्माणंतर होइ॥' 27 तीए भणियं । ‘जं तुह कुलस्स सरिसं भणियं तं पुत्त आसि पढमम्मि । भिंदसि कुल-मज्जायं संपइ तुह हो ण जुत्तमिणं ॥ तेण भणियं । 30 भतार-देवयाणं अत्ता जुत्तं ण एव णारीणं । अहयं मरामि सा उण ण मरइ जुत्तं कुलं तीय ॥' त्ति भणतो चलिओ पिय-मित्तंतेणं । भणियं च तेण । मित्तं ति णाम लोए वयंस अह केण णिम्मिय होज्ज । बीसंभ-गब्भ-हरओ पणय-दुमो दिण्ण-फल-णिवहो ॥ 33 परिहास-मूल-पसरं रह-खंध पेम्म-राय-साहिलं । घिइ-कुसुम-चिंतिय-फलं मित्त-तरुं को ण संभरइ ।। ता मित्त तुमे समयं जयम्मि तं णत्थि जं तुहं गुज्झं । जइ किंचि अम्ह खलियं खम सन्वं पसिय तं सुयणु ॥' मित्तण भणियं । 'साहसु मह सब्भावं किं कर्ज मित्त पवससे तं सि । को णाम एस णरओ मुद्धो सि वियारिओ केण ॥' 2) Pउद्धाइय सहरिसं, P को वि for केइ. 3) पाव P ताव for ताय, P पवसस, P पेच्छे, ' रुति रुवंती, P त्तह for तुह. 5) P तु for ति, Pinter. अंबा & ए, उ दाहिति for दाही, चेअ. 7) तुब्भे, " मरहिह, Pदेसु गंतव्वं ।।. 9) ? पत्तियाहि, Pकुणहर, P I जा वाविज्जइ केगं को केगं, लोअंमि. 10) Iरूआई, णिअलुमलोहं बंध व पासं. 11) Jom. पिव, P पिव पक, P ससुत्तेणं. 12) चेव. 14) जइ करिअव्वं. 16) P तया for ताय, करेसु, Pउ for वि. 17) P अणेण for अत्तंतेण, Pom. च. 19) I तीय. 20) P एरिसो वइओ. 22) P मोक्खो अत्य चत्तारि. 23) J तीय. 24) J धूतं, P रइयं for भरिययं, याणसी. 26) J repeats किं वा. 27) I तीय. 28) Jinter. पुत्त and तासि for आसि, भिंदिसि. 30) Pएय for एव. 31) Pom. भणियं च तेण. 32) Jadds पिय before मित्तं, P पित्तं त्ति णाम, J पोए for लोए, होज्जा, P फणयदुमो दिण्णल. 33) P पेम्मराइ, I घितिः, P चिंतसफलं. 34) J तुमं समयं, J तुटुं गुज्झं, P खमियब्वं पसियं त सुयणु. 36) मुद्धो वेआरिओ Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६४०९]. कुवलयमाला 1 तेण भणियं । 'एल्थ ण जुज्जइ भणिउं णवरे तुहं मित्त-वयण-मेत्तं पि । गहियं जं तुह चित्तं तं सि अभब्वो अकल्लाणो ॥' तेण भणियं । ___'जइ अत्थि कोइ णरओ पायो य हवेज जीव-णिहणेणं । किं एस सव्व-लोओ ण मरइ जह तं मरिउ-कामो ।' तेण भणिय । 8 किं सवो चिय पेच्छह तं वीरं सुणइ किं व वयणाई। णिसुए वि कस्स सत्ती जो मुंच सव्व-पावाइं॥' मित्तेण भणियं । ___ 'तं एक्को पंडियो मज्झे किं पक्खि-लक्ख-कोडीण । गो-सय-मज्झे कुल्लो खजइ मसएईिं जह एक्को ।' 9 तेण भणियं । 'किं सव्वस्स विवेओ धम्मे बुद्धी व होइ पक्खीण । रुक्ख-सयाण वि मज्झे विरलं को चंदणं होइ॥' सि भणतो चलिओ सामण्ण-सच्च-पक्खि-लोगंतेण । भणियं च तेण। 12 'भो भो हो पक्खिगणा वसिया एक्कम्मि रुक्ख-सिहरम्मि । गयणम्मि समं भमिया सरिया-पुलिणेसु कीलियया ॥ ता खमह किंचि भणियं अव्वो बालत्तणेण दुस्वयणं । सहवास-परिहयो हो होइ चिय सव्व-लोगम्मि ॥' इमं च भणिया सब्वे सहरिस-दीण-कलुणा हास-रस-भरिज्जमाण-माणसा भणिउं पयत्ता । 15 ‘एवं होउ खमेजसु जं तुद्द रुड्यं करेसु तं धीर । सुट्ट वि जइ विण्णप्पसि ण कुणसि अम्हं तुमं वयणं ।' तेण भणिय। ___कीस ण कीरइ वयणं ओसारिय-मच्छरस्स पुरिसस्स । किं तु ण दीसइ कत्थ वि एक मोत्तण तं वीरं ॥' 18 भणतो समुप्पइओ तमाल-दल-सामलं गयणयलं सो विहंगमो। ___ एस्थंतरम्मि सूरो कय-मेरु-पयाहिणो णियमियंगो। वियसाविय-कमल-वणो जिणचणं कुणइ भत्तीए॥ ताव य करयरेंति सउणया, णिलुकति घूया, णिसियंति वग्घा, वियरंति सिंघा, वियसंति कमलायरा, संकुयति कुमुयायरा, 1 कुसुमिय-सिय-कुसुम-दास-इसिरा वणसिरि त्ति । अधि य । सिय-कुसुम-लोयणोदर-णिविटु-मूयल्लिएक-भमरेहिं । गोसग्गम्मि वण-सिरी पुलएइ दिसीओ व विउद्धा ॥ ६४०९) तो तं च तारिसं पंडरं पहायं दट्टण उप्पहना सम्वे ते पक्खिणो तम्हाओ वड-पायवाओ त्ति । ते य 24 उप्पाइए दट्टण विम्हिय-खित्त-हियो चिंतिउं पयत्तो सयंभु-देवो । 'अहो, महंतं अच्छरीय जं पेच्छ वणे पक्खिणो ते वि 24 माणुस-पलाविणो फुडक्षरं मंतयंति, ते वि धम्मपरे। ता कहं आहार-भय-मेहुण-सण्णा-मेत्त-हियय-विष्फुरंत-विण्णाणा, कहं वा एरिसी धम्म-बुद्धि त्ति । ता ण होइ एयं पयइत्थं, विन्ध-पक्खिणो त्थ एए। अहो तस्स पक्खिणो फुडक्खरालावत्तणं, 27 अहो सत्तसारो, भहो ववसाओ, अहो पियं वत्तणं, अहो णिट्ठरत्तणं, अहो णिण्णेहया, अहो-गुरु-गउरवो, अहो दढ-धम्मया, 27 महो वेरग्गं, अहो णरय-मीरुत्तणं अहो मरणाणुबंधो ति । सव्वहा ण सुट्ट जाणीयइ किं पि इमं जं सो पक्खी कुटुंबं सच्वं परिश्चऊण अत्तणो हियं धम्म पडिवजइ त्ति । अहवा पेच्छ, पक्खिणो वि धम्मपरा कुडुंब-णिण्णेहा धम्म-गय30 चित्ता । अहं पुण कीस पर-संतियाई रयणाई चोरिऊण इमं एरिसं दिट्ठ-सब्भावं विड-कवड-कुटुंबं जीवावेमि। ता संपयं 30 इमं एस्थ करणीय । जस्स सयासे इमिणा धम्मो णिसुमो तं गंतूण पेच्छामि । पुच्छामि य जहा 'भगवं, के ते वणम्मि पक्षिणो, किं वा तेहिं मंतियं, किं कारणं' ति । इमं च सोऊण पच्छा जं करियव्वं तं काहामि ज इमिणा पक्खिणा कयंति 33 चिंतिऊण अवइण्णो वड-पायवाभो, गतुं पयत्तो हस्थिणपुराभिमुहं जाव 'भो भो गोदम, पुस ममं समवसरणे पविट्ठो, 33 2) Pअभब्वा. 4) J ब्व for य, P मरिउकामो. 6) Pसब्बो चिय, P व for वि. 8) P-कोडी। P खुज्जइ. 10) Pसम्वविविओ, Pom. को. 11) Jलोअंतेण Pणोगंतेण, Pom. च तेण. 12) I om. हो, P समा for समं. 13) P खमसु, J सव्वलोएसु. 14) P-करुणा, J-हरिजमाण-, P om. माण. 15) Jएs for एवं, P रुइउं, P repeats वि जइ, J जइ भण्णिप्पसि. 16) I om. तेण भणियं. 17) Pom. कीस ण, P उस्सरिय, " om. पुरिसस्स, P किं तुहण. 18) P भणंतो उप्पइओ, गणयलं. 19) Pपयाहिणा, I णियसंगो, I करकमलो for कमलवणो, J भत्तीय. 20) P करयरंति, P घुअया, विरंति सिंघा, संघडंति for संकुयंति. 21) कुसुमप्पहास, P वणसिर त्ति. 22) P सेव for सिय, J लोअणोअर, मूएल्लिक, I इव for व. 23) P om. पंडर, J सहायं for पहायं. 24) चित्त for खित्त, P अच्छरियं, P पक्खिवणो, Porn. ते वि. 25) P धम्मं परा ते वि कई, J सण्ण-, विफुडत, P विण्णाण्णो. 26) Jएवं for एयं, P खु एवं ते for त्य एप, लावित्तणं. 27) I पिअं वयत्तणं, P om. अहो णिट्टरत्तण, P गुरुगुरवो। अह दढ-- 28) Jभीरुत्तणं । मरणाणुबंधि त्ति, जाणीयति P जाणीयं. 29) Pकुटुंब, P inter. कुडुंब & सव्वं, P अहवा पच्छ, P कुटुंब-. 30) Pकुटुंब. 31) F om. इम, I om. य. 32) " om. ज करियव्वं, हथिणाउराभिमुह, P गोयमा, P om. ममं. Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६८ उजोयणसूरिविरइया [६४०९ • 1 पुग्छिओ य अहं इमिणा 'को सो वणम्मि पक्खी'। साहिमो मए जहा 'दिवो' त्ति ।' इमं च सोऊण उप्पण्ण-घेरग्गो णिबिण्ण-काम-भोगो उप्पण्ण-कुटुंब-णीसार-बुद्धी संजाय-विवेगो उइण्ण-चारित्तावरणीय-खओवसमत्तणेण चारित्त-वेदणीय3 सुह-कम्मो त्ति ताणं समप्पिऊण रयणाई आउच्छिऊण पक्खिणोवएस-सरिसुत्तर-पडिउत्तरालावेहिं ममं चेय सयासं एहिइ त्ति । $ ४१०) इमं च एत्तियं जाव भगवं वीरणाहो साहइ गोयमाईणं ताव संपत्तो सयंभुदेवो त्ति, पयाहिणं च काऊण पायवडणुट्टिओ भणिउं समाढत्तो। अवि य। 6 'जय संसार-महोयहि-जर-मरणावत्त-भंगुर-तरंगे । जय जीव-जाणवत्तो सिद्धि-पुरी-सामिओ तं सि ॥ भगवं पडिबुद्धो हं वणम्मि सोऊण पक्खिणो वयणं । ता देसु णियय-दिक्खं कुणसु पसायं सुवीणस्स ॥' इमं च वयणं सोऊण दिक्खिओ जहा-विहिणा भगवया गोदम-गणहारिणा चंडसोम-जीवो सयंभुदेवो ति ॥ 9 ४११) एवं च भगवं भव्व-कुमुयागर-सहस्स-संबोहओ विहरमाणो मगहा णाम देसो, तत्थ य रायगिह णाम _णयरं, तत्थ संपत्तो, देव दाणव-नाणेहिं विरइयं समवसरणं । तत्थ य सिरिसेणिो णाम राया। सो य तं भगवंतं सोऊण समागयं जिणचंदं हरिस-वस-वियसमाण-मुह-पंको सयल-जण-हलबोल-बट्टमाण कलयलो गंतुं पयतो । भगवंत 12 वंदिऊण संपत्तो, समवसरणं पविट्ठो । ति-पयाहिणीकओ भगवं जिणयंदो, पायवडणुट्ठिएण य भणियं तेण । अवि य । 'जय दुजय-मोह-महा-गहंद-णिदारणम्मि पंचमुहा । जय विसम-कम्म-काणण-दहणेक-पयाव-जलण-समा । जय कोवाणल-पसरिय-विवेय-जल-जलहरिंद सारिच्छा । जय माणुधर-पव्वय-मुसुमूरण-पञ्चला कुलिसा ॥ जय माया-रुसिय-महाभुयगि तं णाग-मणि-सारिच्छा । जय लोह-महारक्खस-णिण्णासण-सिद्ध-मंत-समा ॥ जय अरई-रइ-णासण जय-णिज्जिय हास-वज्जिय जयाहि । जयहि जुगुच्छा-मुक्का भसोय जय जयसु तं देव ॥ जयहि ण-पुरिस ण-महिला णोभय जय वेय-बजिय जयाहि । सम्मत्त-मिच्छ-रहिया पंच-विहण्णाण-भय-मुक्का ॥ 18 अजेव अहं जाओ अज्ज य पेच्छामि अज णिसुमि । मगहा-रजम्मि ठिओ दटुं तुह वीर मुहयंदं ॥ तं णाहो तं सरणं तं माया बंधवो सुमं ताओ । सासय-सुहस्स मुणिवर जेण तए देसिओ मग्गो ॥' त्ति भणतो णिवडिओ चल गेसु, णिसण्णो य णिययास गट्ठागेसु । साहियं च भगवया अगोवंग-पविढे सुत्त-णाणं मइ-णाणं 21 च, परूवियं भव-पच्चयं कम्मक्खओवसमयं च णाणा-संठाणं ओहि-णाणं, सिटुं तु उज्जय-विउल-मइ-मेयं मणुय-लोयब्भंतरं मणपज्जव-णाणं, बजरियं च सयल-लोयभंतर-पयत्थ-सत्थ-जहावट्ठिय-सहाव-पयासयं केवल-दसणं केवल-णाणं च ति । ४१२) एत्थंतरम्मि आबद्ध-करयलंजलिउडेण पुच्छियं महारायाहिराहणा सिरिसेणिएण 'भगवं, केण उण 24 णाणेण एए मित्तिणो सुहासुहं तीयाणागय-पचप्पणं वियाणंता दीसंति, केण वा पयारेणं' ति। भगवया भणियं । अवि य । 'देवाणुपिया एयं सुय-णाणं जेण जाणए लोभो । केवलि-सुत्त-णिबद्धं केवलिणा केवली-सुत्तं ॥ जइ जाणिऊण इच्छसि सुणेसु णरणाह थोव-विस्थरियं । अप्पक्खरं महत्थं जह भणियं केवलि-रिसीहिं॥ 27 होंति इमे अ-इ-क-च-र-त-प-य-सक्खरा वि य सोहणा वण्णा । आ-ई-ख-छ-उ-थ-फ-र-सा असोहणा ते पुणो भणिया ॥ ! ए-ऊ-ग-ज-ड-द-ब-ल-सा सुहया अह होंति सव्व-कजेसु । ए-ओ-ध-स-ढ-ध-भ-व-हा ण सोहणा सन्व-कजेसु ॥ हो होंति ऑ-ओ-ण-न-मा मीस-सहावा हवंति कजेसु । संपइ फलं पि वोच्छं एयाणं सब-वण्णाणं ।। 30 सोहणमसोहणं वा सुह-दुक्खं संधि-विग्गहं चेय । एइ ण एह व लाभो ण लाभ-जय-अजय-कज्जे य॥ होइ ण होइ व कजं खेममखेमं च अस्थि णत्थी वा । संपत्ती व विवत्ती जीविद-मरणं व रिसमरिसं ॥ पढम-वयणम्मि पढमा सुह-वण्णा होति अहव बहुया वा । ता जाण कज-सिद्धी असुहेहिँ ण सिज्झए कजं ॥ 33 अहवा पुच्छय-वयणं पढम घेत्तूण तं णिरूवेसु । विहि-वयणे होइ सुहं असुहं पडिसेह-वयणम्मि ॥ अहवा । 1) P अहो for अहं, Pच सोऊप्पन्न- 2) P निच्छिन्नकामभोगा, P कुटुंवनीरसा बुद्धी, J विवेओ, P उदिओय for उदण्ण, P वेयणीय. 3) Pसरिसमुत्तर, P चेय सयासं पहिय त्ति. 7) P दिख. 8) J भगवओ, P गोयम. 9) J om. य.. 10) P समवसवरणं, J om. तं, P भगवं. 11) J जिणयंद, P सयलसजलहरबोलबमाण. 12) P पविठ्ठा, P जिप्रयंदो, P om. य. 13) P विद्धारण मि, P विसय for विसम. 14) Pविवियजलहरिद, सारिच्छ, P जह माणुमहपव्यय, गुनुमूरणलिसा ॥3 कुलिस. 15) P मोह for लोह, P विण्णासण. 16) अरतिरतीगासण, P -रयणासण जयनिक्खिय, "जहाहि ।, जुगुंछा, P देवा. 17) J वेत, P तित्थय for मिच्छ, J विवण्याण. 18) J अजेय, दि8 for दहूं. 19) पविट्ठो मुयनाणं. 21) P भव्य for भव, खयोवसमयं, P सिद्धं उज्जय, JP मतिः, J -भेदं. 22) Pon. च, जहावठिय, Pदसण. 23) P 'रायाहिराएण, J om. सिरिसेणिएण. 24) Pएते निमित्तिण्णो, J तीताणागत-- 25) P देवाणुप्पिया, J पद. 26) P वोघ for थोव, P केवल-, -इसीहि. 27) P om. इमे, J अ-ए-, Pom. इ, P शक्खरा, चेअ for विय, I ए for ई, Pढतप for व्य, P फरया. 28) Jओ for ऊ, JP अ for ओ-. 29) P ओअडअणनमाः अंज: मीस-, J adds जदा before ओण, P ति for पि, P वणाणं ।।. 30) सोहण असोहणं, Jएउ for second एइ, I जय अजयं चेअ॥. 31) Pक्खेममक्वेमं. Pव for वा, P विपत्ती जीविय, P मरणं वरिसं ॥. 32) J वयणं पि, P पटमो सुहवणो होति, Jadds जा before ता, J सिज्झदी, P सिज्जए. . Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६४१३]. कुवलयमाला । फल-कुसुमक्खय-पत्ते रूवय अण्णं च पुरिस-रूवं च । अट्ठ-विभत्ते लद्धं तेण फलं सुणसु तं एयं ॥ होइ झए सब्व-फलं धूमे फल-णिप्फलं च संतावो । सीहे विक्कम-लाभो साणे तुच्छाह-वदिवित्ती॥ वसह गउरव-लाभो खरम्मि कलहो य सोय-संतावो । होइ गए पुण पूया टंके णिचं परिब्भमणं ॥ अहवा । पुच्छाणंतर-पुलइय-दिटे णिसुए ब सोहणे अत्थे । कजस्प अत्थि सिद्धी विवरीए णत्थि सा भणसु ॥' त्ति साहिय-मेत्ते भगवया जिणयदेणं प्रत्यंतरम्मि सिरिसेणिय-रण्णो पुत्तो महारह-कुमारो णाम अट्ट-वरिस-मेत्तो तेण 6 चलण-पणाम-पञ्चुट्टिएण भणियं । अवि य । 'जाणमि अज सुमिणे भगवं पेच्छामि कसिण-घण-वणं । कालायस-कंचण-मिसियं व एकं महापुजं ॥ जाणामि मए धमियं जलियं जालोलि-तावियं गलियं । कालास-मीस-गलियं जच्च-सुवण्णं ठियं तत्थ । 9 एत्यंतरे विउदो भगवं पडु-पडह-संख-सद्देहिं । साहसु सुमिणस्स फलं संपइ किं एत्थ भवियव्वं ॥' भगवया भणिय । 'भद्दमुह एस सुमिणो साहइ सम्मत्त-चरण-दिक्खाए । केवल-णाणं सिद्वी सासय-सुह-संगम अंते । 12 कालायसयं कम्मं जीयं कणयं च मीसियं तत्थ । झाणाणलेण धमिर्ड सुद्धो जीवो तए ठविओ ॥ अण्णं च तुमं ऍरिसो चरिम-सरीरो य एत्थ उप्पणो । कुवलयमाला-जीवो देवो देवत्तणाओ तुमं ।। सव्वं च तस्स कहिय मायाइञ्चादि-देव-पज्जतं । सव्वे ते पञ्चइया तुम्ह सहाया इमे पेच्छ ।' 15 इमं च वुत्तंतं णिसामिऊण भणियं महारह-कुमारेण 'भगवं, जइ एवं तो विलमो एस चित्त-तुरंगमो' । 'किं विलंबेसि' त्ति 15 भणिए भगवया गणहारिणा दिक्खिओ जहा-विहिणा महारह-कुमारो त्ति । मिलिया य ते पंच वि जणा अवरोप्परं जाणंति जहा 'कय-पुब्व-संकेया सम्मत्त-लंभे अम्हे' त्ति । एवं च ताण भगवया जिणय देण समं विहरमाणाणं वोलीणाई बहुयाई 18 वासाई। 18 ६४१३) साहियं च भगवया सवण्णुणा मणिरह-कुमार-साहुणो जहा 'तुज्झ थोवं आउयं ति जाणिऊण जहासुहं संलेहणा-कम्म पडिवजिऊण उत्तिम-ठाणाराहण'ति । तओ मणिरहकुमारो वि 'इच्छं' ति अणुमण्णमागेण समाढत्ता चउ-खंधा 2 आराहणा काउं । कय-संलेहणा-कम्मो दिण्णालोयग-वित्थरो णिसण्णो तक्कालप्पाओग्गे फासुय-संथारए, तत्थ भणिउं 21 समाढत्तो। अवि य। 'पणमामि तित्थणाहं तित्थे तित्थाहिवं च उसम-जिणं । अवसेसे तित्थयरे वीर-जिणिदं च णमिऊणं ॥ 24 णमिऊण गणहरिंदे आयरिए धम्मदायए सिरसा । णमिऊण सव्व-साधू चउव्विधाराहणं वोच्छं । णाणे दसण-चरणे विरिया आराहणा चउत्थी उ । णाणे अट्ट वियप्पा तं चिय वोच्छामि ता णिउणं ॥ पढमं काले विणए बहुमाणुवहाण तह य णिण्हवणे । वंजण-अत्थ-तदुभए णाणस्साराहओ तेसु ॥ जो काले सज्झाओ सो ण कओ जो कओ अकालम्मि । जं जह-कालं ण कयं तं णिंदे तं च गरिहामि ॥ अब्भुट्टाणं अंजलि आसण-णीयं च विणय-पडिवत्ती। जा ण कयं म्ह गुरूणं तमहं जिंदामि भावेणं ॥ भावेण अणुदिणं चिय एस गुरू पंडिओ महप्पा य । ण को जो बहु-माणो मिच्छा हो दुक्कडं तस्स ॥ 30 जं जत्थ तवचरणं अंगोवंगेसु तह पदण्णेसु । ण कयं उवहाणं मे एम्हि जिंदामि तं सव्वं ॥ असुयं पि सुयं भणियं सुयं पिण सुयं ति कह बि मूढेण । अण्णाए णिण्हवियं तमहं जिंदामि भावेण ॥ मत्ता-बिंदु-वियप्पं काउं अण्णत्थ जोडियं अत्थं । वंजण-विर्वजणेण य एम्हि जिंदामि तं पावं ॥ 1) J पत्तो, P adds रूवयपत्ते before रूवय. 2) J अए for झए, P धूमफल, P सिंघे for सीहे, P-वनिवित्ती. 3) " गयवरलाभो, P ढंके for टंके, J पडिक्कम . 4) Pपुच्छलइय, J -दिट्ठो, P णिसुणे, अत्थ for अत्थि. 6) P -प्पणाम. 7) पेच्छमि, P वर्ण ।, P मीसयं व पक्कपुंजं. 8) P धमियजलियजलिय जालालि, J कालायसमीसयं गलियं, P om. कालासमीसगलियं (emended ), P सुबगहियं तत्थ. 9) P सुविणस्स. 11) Pसुविगो, P दिक्खाया, P नाणसिद्धी. 12) P कालाययं, मेलि for मीसियं, न मुद्धिय for धमिउं, Pट्रविओ. 13) P चरिमो for एरिसो, P देवा देवत्तणाउ तुम. 14) Pon. ते, पबहता, P पेच्छा. 15) Pत for च, J वुत्तं for वुतंतं, P adds च after भणियं, ता for तो, P क विलंबसि. 16) I जहाविहाणं, Jom. य, जगो, P जागति. 17) Jणेग for ताण. 19) थोअं, P जाणिऊग अम्हासुहं. 20) I पबज्जिऊण, I उत्तम, P -ट्ठारोहण, P तब for तुओ, P मणिरह साहुणोवि, P अण्णुमण्ण, P समाढत्तो. 21) Jआराधणा P आराहणं, P कयसंमोहणाकंमो. 'लोयणाविलोयणा वित्थारो, P तकालपओगे, I तत्थ य भणि उमाढतो. 23) P तित्थाहवं. 24) P -साहू चन्धिहे रोहणं, J धाराहणा. 25) P विरिय. 26) JP बहुमाणं, J °वधाग, J तदुभये. 27) Jom जो, J कतो, Pom. कओ after जो, काले, कओतं. 28) Jणिअय P विण for विणय, P नाणकयं मि for जा etc., J कयं म्ह. 29) Pजा बदु हो दुकडं for जो etc. 30) Pतपतञ्चकर. 31) P अन्नाओ. 32) P| मित्ता, च for य. . Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया 1 अमय पवाह- सरिसे जिण-वयणे जं कहा-विमूढेण । अस्थस्य विवज्जासो रहओ शिंदे तयं पावं ॥ सुत्या दोह वि मोहेण व अधय होन हासेण जो कह वि विवज्जासो एहि जिंदामि तं पावे ॥ उस्तो उम्मग्गो उकरणिजो जो जोग्गो । मोहंयेण ण दिट्टो संपइ आराधिमो णाणं ॥ एसो णाणायारो भगवं जइ खंडिओ मए कह चि मिच्छामि दुई तं संप असणं वोच्छं ॥ निस्संकिय किंखि निम्वितिमिच्छा अमूह-दिट्टी व उबूह थिरीकरणे वच्छल प्रभावणे अट्ट ॥ सचं जिणाण वयणं रथ विवप्यो येष कायचो एवं होल ण होज व ज मह संका त शिंदे ॥ हामि इमं दिक्खं एयं लिंग इमो य परमत्थो । मूढेण कंखिओ मे मिच्छा हो दुक्कडं तत्थ ॥ अह होज ण वा मोक्ख भायरियादीण जा य वितिमिच्छा । जइ मे कह विकया सा शिंदामि ह पावयं एहि ॥ 9 दहून रिद्धि-पूर्व परवाईणं कुतिस्थ-मग्गेसु । जइ मह बिट्टी मूठा हि जिंदामि तं पात्रं ॥ खमंगे वेवावचं सम्झाए व पावसा उबूहणा य ण कया एस पाओ त शिंदे ॥ साधु-किरियासु कासु वि दहुं सीयंतयं मुणिं ण कया । बहु-दोसे माणुस्से थिरिकरणा मिंदिरे तमहं ॥ गुरु- बाल - तवस्सीगं समाण-धम्माण वा वि सव्वाणं । वच्छलं ण कथं मे आहारादीहिं तं शिंदे || मेरु थ्व णिप्पये जिणाण वयणं तदा वि सत्तीए ण कर्म पभावणं मे एस पाओ त शिंदे ॥ पावयणी धम्मकही वाई मिति तयस्सी व बिज्जा-सिदो व कवी अद्वे व पभावया भगिया ॥ सव्वाणं पि पसंसा कायव्वा सव्वहा विसुद्वेण । सा ण कया तं शिंदे सम्मत्ताराहणा साहु ॥ पंच समिईनो सम्म गुतीनो तिथि जालो भणियाओ। पचयण-मादीयाओ चारिताराणा एसा ॥ इरियाई पयतो जुगगेस- णिहित्त-गवण-णिक्खेवो जंण गओ है वहया मिच्छामि ह दुकई तस्स ॥ अंपते य तइया भासा समिएण जंण आलतं तस्स पमायस्साई पायच्छितं पवजामि ॥ वथे पाणे भत्ते सण-गहण घासमादीया । एसण-समिई ण कया तं भाणा-खंडणं शिंदे ॥ आयाण- भंड-मेते जिस्सेववाण-डावणे दुपमजिय पडिलेहा एव माओ तवं शिंदे ॥ दुप्पडिलेह-मजिय उम्मी जिंदल सो 1 च 1 उच्चारे पालवणे लेले विधान-जल समिती हु ॥ भजतो सीलवर्ण मतो मग कुंजरो विवरमाणो । जिण ययण-वारि-बंधे जेण ण गुप्तो वयं शिंदे ॥ जो वयण-वण- दवग्गी पज्जलिओ डहइ संजमारामं । मोण-जलेण णिसित्तो एस माओ तयं शिंदे ॥ अय-गोल व काओ जोग-फुलिंगेहिं दइ सव्व-जिए। बुंदे सो न तो संजम मइएण तं शिंदे ॥ इय एत्थ अईयारो पंचसु समिईसु तिसु व गुत्तीसु जो जो य महं जाओ तं शिंदे संच गरिहामि ॥ बारस - विधम्मि वि तवे सभितर बाहिरे जिणक्खाए । संते विरियम्मि मए णिगृहियं जं तयं शिंदे ॥' 27 एवं च चउक्खंवं आराहणं आराहिऊण मणिरहकुमारो साधू अउव्वकरणेणं खवग-सेटीए अनंत वर णाण-दंसणं उप्पाडिऊण तकाले कासवगताए अंवगड-केवली जाओ सि ॥ १४ ) एवं च वथमाणे दिवसु कामगहंद साधू विनय आउश्वयं जाणिऊण कय-संलेहाइ-कप्पो सियो 30 संथारए | तस्थ भणिउमादत्तो । अवि य । २७० 1 3 6 127 15 18 21 24 - ך मिऊण तिलोय-गुरुं उस लोक-मंगल पद जयसेसे व जिणवरे करेमि सामाइयं एहि ॥ एस करेमि य भंते सामाइय तिविध जोग-करणेण । राय दोस-विमुक्तो दोह चि मज्झम्मि वट्टामि ॥ P 1 ) P सरिसो जिगं वयणं, P विवज्जो for विवज्जासो, Pom. रओ शिंदे etc. to उक्करणिजो 3 ) P जोगो !, P आराहणो नाणं. 5 ) P णीसंकिय, P णिव्वित्तिगिच्छा, दिट्ठीया, P पभावणो 6 ) एवं उडव for व, P जय मह. 7> Joq for यमो for मे. 8 ) P मोह for अह, आयरियातीण, ए जा भत्रे कुच्छा. 9) " परवारणं. 10 गमगं for खमगं, Jताव P चेय, P उव्ववूहा णेव कयाइस, कता एस पमातो. 11 साधु दढुं सीतंतयं, थिरिश्रवणा P थिरकरणे. 13 ) Pव्व निष्पक्रमं वितत्तीए, Jom. मे. 14) धम्मक वाती, P वानीणोगित्तिओ व वभावया 15) सत्राण वि यासंसा, ए या for कया. 16 ) JP समितीओ, मातीयाओ. 17) एरिसाव हे for इरियावहं नय for णयण, J जण्णच उहं, 3 जण्ण for जंण, P तस्सा. 19 पाणे भावेणेसणगण, गहणे, JP समिती, Jकता. 20 > आताण, P मेरा णिखेवगण, ग्यहणङ्काणसे व उपमपविलेहा, पातो 21 P सिंह, बुटके उम्ममा साहू . 22) P बंधो. 23 ) P | नाणजण्णेण निसित्ति. 24 ) P अतमोठउच्चकाओ, P कूडेग for तुंडे. 25 ) JP अहीयारों, समिती, ती गुत्तीसु, P जो कोइ महं. 26 ) P -विमि, Jय for वि, जिण खाते, निग्गहियं. 27 ) P कुमार साहू, P खवसेढी, सेणीए अनंतं, P उप्पडिऊण तक्कालो. 28 ) P खयंताए, P केवडी जाओ. 29) J वच्चनाणदियहेसु, साहू वि, P संहगो को संलेहणाउकम्मो 31 ) Pom. य, सामाइअं सामाश्यं. 32 ) Pतिविहकंमजोएणं ।. P [S] ४१ Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 - ४१४] कुवलयमाला । जं सुहम बायरं वा पाण-वहं लोह-मोह-जुत्तस्स । तिविधेण कयं तिविधं तिविधेग वि वोसिरे सब्बं ॥ जं कह वि मुसं भणियं हास-भय-कोध-लोभ-मोहेहिं । तं तिविध-काल-जुत्तं तिविधेण य वोसिरे तिविधं ॥ ३ थो बहुं व कत्थइ दव्वं पारक्कय अदिण्णं तु । तं तिविधम्मि वि काले वोसिर तिविधं पि तिविधेणं ॥ जे णर-तिरिक्ख-दिब्वे मेहुण-संजोग-भावियं चित्तं । तिविधे वि काल-जोगे वोसिर तिविध पितिविधेण ॥ चित्ताचित्तो मीसो परिग्गहो कह वि भाव-संजुत्तो। तिविधम्मि वितं काले तिविधं तिविधेण वोसिरसु ॥ राईए जं भुतं असणं पाणं व खाइमं अण्णं । तिविधम्मि वितं काले वोसिर तिविधेण तिविधं पि॥ जो मह धणे ममत्तो महिलासु य सुंदरासु तरुणीसु । रयणेसु रूवएसु व तिविधं तिविधेण वोसिरियं ॥ वत्थेसु जो ममत्तो पत्तेसु य डंडओवयरणेसु । सीसेसु जो ममत्तो सब्यो तिविधेण वोलिरिओ ॥ पुत्तेसु जो ममत्तो धूयासु य सुंदरेसु भिच्चेसु । अह्वा सहोदरेसु व सब्बो तिविहेण वोसिरिओ ॥ भइणीसु जो ममत्तो माया-वित्तेसु अहव मित्तेसु । सो सब्यो वि दुरंतो तिविध तिविधेण बोसिरिओ॥ सामिम्मि जो ममत्तो सयणे सुयणे व्व परिजणे जे वि । भवणे व्व जो ममत्तो सव्वो तिविधेण बोसिरिओ ॥ बंधुम्मि जो लिणेहो सेजा-संथार-फलहए वा वि । उवयरणम्मि ममत्तो सन्वे तिविधेण वोसिरिओ॥ देहम्मि जो ममत्तो मा मे सीदादि होज देहस्स । सो सव्वो वि दुरंतो तिविहं तिविधेण बोसिरिओ॥ णियय-सहाव-ममत्तो अम्ह सहावो त्ति सुंदरो एसो। सो सव्वो वि दुरंतो वोसिरिओ मज्झ तिविधेण ॥ देसेसु जो ममत्तो अम्हं णगरो त्ति अम्ह देसो त्ति । सद्देसु जो ममत्तो तिविहेणं वोसिरे सव्वं ॥ जो कोइ कओ कोवो कम्मि वि जीवम्मि मूढ-भावेण । वोसिरिओ सो सम्वो एण्हि सो खमउ मह सव्वं । जो कोइ कओ माणो कम्मि वि जीवम्मि मूढ-चित्तेण । सो खमउ ममं सव्वं वोसिरिओ सो मए माणो ॥ जा काइ कया माया कम्मि वि जीवम्मि मूढ-भावेण । सो खमउ ममं सव्वं वोसिरिया सा मए एहि ॥ जो कोइ कओ लोहो परस्स दवम्मि मूढ-भावेण । सो खमउ मह सव्वं वोसिरिओ सो मए लोभो ॥ जो कोइ मए विहिओ कम्मि वि कालम्मि राय-रत्तेण । सो मज्झ खमउ एम्हि मिच्छामि ह दुक्कडं तस्स ॥ जो मे दुक्खावियओ ठाणाठाणं व संकमणीओ। सो खमउ मज्झ हि मिच्छामि ह दुकडं तस्स ॥ पेसुणं जस्स कयं अलिए सच्चे व भाणिए दोसे । रागेण व दोसेण व एहि सो खमउ मह सव्वं ।। णिटर-खर-फरुसं वा दुव्वयणं जस्स किंचि मे भणियं । विद्धं च मम्म-चेहं सो सव्वं खमउ मह एम्हि ।। दाऊण ण दिण्णं चिय आसा-मंगो व्व जस्स मे रइयो । दिज्जतं व णिरुद्धं सो एहि खमउ मह सव्वं ॥ जो दीणो परिभूओ गह-गहिओ रोर-वाहि-परिभूओ। हसिओ विडंबणाहिं एहि सो खमउ मह सव्वं ॥ अण्णेसुं पि भवेसुं जो जं भणिओ अणिट-कडुयं वा । सो खमउ मज्झ एहि एसो मे खामणा-कालो ॥ मित्तं पि खमउ मज्झं खमउ अमित्तो वि मज्झत्थो । मित्तामित्त-विमुक्को मज्झत्थो एस मे जीवो ॥ खामेमि अहं मित्ते एस अमित्ते विहं खमावेमि । खामेमि दोणि मग्गे मज्झत्था होतु मे सब्वे ॥ मित्तो होइ अमित्तो होति अमित्ता खणेण ते मित्ता। मित्तामित्त-विवेओ काऊण ण जुजए एम्हि । सयणा खमंतु मज्झं खामंतु तह परियणा वि खमेमि । सयणो परो व्व संपद दोण्णि वि सरिसा महं होंति ॥ देवत्तणम्मि देवा तिरियत्तणे व्व होति जे केइ । दुक्खेण भए ठविया खमंतु सव्वे वि ते मज्झं ।। णरयत्तणम्मि णरया मणुया मणुयत्तणम्मि जे केइ । दुक्खेण मधु ठविया खमंतु ते मज्झ सव्वे वि ॥ 33 छह वि जीव-णिकायाण जं भए किंचि मंगुलं रइयं । ते मे खमंतु सच्चे एस खमावेमि भावेण ॥ सव्वहा, तिविहं तिविहेण र पारकाहि अयं अणि लातविहं तिविहेण.. 1) बातरं, P-मोहोतेणं । तिविहेण, Pतिविहं तिविहेण. 2) P भयकोहलोह, P तिविह, r repeats काल, P तिविहेणं बोसिरे तिविहं. 3) P कत्थ विदटुं पारकयं च जगहियं । जं तिविमि, J पारवाहि अयं अदिण्णं तु, Pतिविहं मि तिविहेगं. 4) संजोग, Pतिविहे, कालजोए, Pतिविई पि तिमिहेण. 5) Pom. तिविधम्मि वितं काले, Pतिविहं तिविहेण. 6) खातिमं, Pतिविमि, P कालं वोसिर तिविई पि तिविहे. 7) Pजा for जो, P सुंदरातरुणीमु, J तरुणा, Pom. व, P तिविहं तिविहेण. 8) ममत्तो वत्तेसु व, P"वमरणेसु, J सिस्सेसु, 'तिविहेग. 9) Jधूता, P सुंदरेपु निश्चेसु, J सहोअरेसु सव्वो. 10) Pतिविहं तिविहेण. 11) P सोमिम्मि जो, P परजणो जो वि, P तिविहेण. 12) P पत्तो for ममत्तो, J सव्वो, P तिविहेण. 13) P सीतादि, सन्यो for तिविई, Pतिविहेग. 14) P एसा ।, Pतिविहेण. 15) P सड्रेस, P वोसिरं सव्वं. 16) P मूढमाहें माणेण. 17) P जो को वि कया, J काय for कया. 19) Pकए for कओ, P मर्म for महं. 20) P कोवि मए, P inter. मज्झ &खमउ. 21) Pदुक्खवियओ. 22) J य for ब, P सयो for सय 23) P भणिउयं । बद्धं, J विद्धन्तमम्म-, P सन्चो खमउ. 24) Pजो मए for जस्स मे. 25) P रोरवा for रोर, Pom. मह सव्वं ।। अण्णेसु पि etc. toमित्तं पिखमउ मज्झ, P adds खमउ before मज्झत्थो. 27) Join. मज्झं, P मित्तोमित्त. 28) Pएस आमित्ते, P मित्तवग्गे for दोण्णिमग्गे. 29) P होतु ममित्ता, J मभित्तो for अमित्तो, Prepeats होति for होंति, P भित्तविवेओ काऊग ण जुज्जए इहि ।। सुयणा. 30) J परिजणा. 31) radds तिरिया after देवा, तिरिअत्तणए व्ध, P द्वविया, J inter. सब्वेवि & ते (मे) मज्झं. 32) Pक्खमंतु मे मज्झ. 33) Jछण्हं पि जीवमणुआकायायां जं. Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरया 1 से जामजा वा रामदोसेहिं अहव मोहेणं दुक्खविया जीवा समंतु ते मज्झ सच्चे वि ॥ खामि सव-जीवे सच्चे जीवा खमेतु मे मेत्ती मे सव्य-भूएस बेरं म 3 एवं च कप-सावज जोग-वोसिरणो कप-पुण्य कप तूमय जंतु-खामगा-परो करण- पडिवण्ण-सन-सेटि परिणामो उप्पण्ण- केवल णाण-सण घरी अंग कामद-मुविति । ण केण ॥' माणसायकंडो २७२ । ९ ४१५ ) एवं च वच्चमाणेसु दियहेसु वइरगुत्त साधू वि णाऊण आउय-कम्मक्खयं दिष्णालोयणो उद्धरिय भाव6 सल्लो कय कायन्वो पिसण्णो संथारए, तत्थ भणिउमाढत्तो । भवि य । 9 12 15 18 21 24 27 30 33 1 'एस करेमि पणामं जिणवर- तित्थस्स बारसंगस्स । तित्थयराणं च णमो णमो णमो सव्व-साधूणं ॥ काउण णमोकार चम्मावरिवस्य धम्म-जणयस्स । भावेण पडिक एसो काहामि समयस्मि ॥ क-सामाइ कम्पो सोहिय-इरियाव होसमण- चितो इच्छिय-गोवर चरित्र पगाम लेखाए णिविणो ॥ मह मंगलमरहंता सिद्धा साहू व णाण-विणय धणा केवलिणा पण्णत्तो जो धम्मो मंगलं सो मे ॥ सरण मह अरहंता सिद्धा साधू य बंभ-तव-जुत्ता । केवलिणा पण्णत्तो धम्मो सरणं च ताणं च ॥ जिणधम्भो मह माया जणओ य गुरू सहोयरो साहू । अह धम्म-परा मह बंधवा य अण्णं पुणो जालं ॥ किं सारं जिस्मोकिं सरणं साहुणो जसले किं खो सम्मतं को बंधो णाम मिच्छतं ॥ अस्संजमम्मि विरओ रागद्दोसे य बंधणं शिंदे । मण वयण काय-डंडे विरओ तिन्हं पि डंडाणं ॥ गुप्तीहि तीहि गुतो वह व ती सडेहिं माया-निदान सहे पकिमेत यमिच्छते । इट्टी-गारव रहिलो सातरसा गारवे पडतो णाण-विराहण-रहिजो संपुष्णो दंसणे चरणे ॥ वह कोड-माण- माया लोभ कसायरस मे पटित आहार-भय-परिमाह मेहुण इ-कह-भत-देखे राय-कहा चैव मे पडिता अहं रो धम्मं सुकन्शाने पडिक सह-रस-रूव-गंधे फासे य पडिक्कमामि काम-गुणे । काय अहिगरणादी-पंचहिँ किरियाहिँ संकप्पे ॥ पंच-मयय-गुतो पंचहि समिई समियओ अह उनीवनिकायाणं संरक्खण माणसे जुतो ॥ पडित लेखात भयद्वाण-जो अह पहुइ-द-वेट्टो अ-मयद्वाण-पभट्टो | व-भ-गुति-गुत्तो दस-वि-धम्मम्मि सु आउतो समणोवासग पडिमा एगारसमं पठितो ॥ बारस- भिक्खू पडिमा रसादि किरिवाहिं चोदस-भूयग्मामे पदिकमे खंडि मे ॥ परमम्मिय-डा पण्णर से वि मे पडिते । गाहा-सोलसएहिं पडिकमे सोलसेहिं पि ॥ जस्संजमम्मि उत्तारसम्म अहारसे य अध्यं एगुणवीस से पटिकमे णाम असते || असमाही-ठाणाणं वीसपद्दं एक्कवीस-सबलेहिं । बावीस परीसह वेयणम्मि एस्थं पडिकंतो ॥ तेवीसं सूयगडे अज्झयणा ताण हं पडितो । चउवीसं अरिहंते अस्सद्दहणे पडितो ॥ वी पंच व सिद्धा समए जा भाषणाओ वाणं पिछब्बीसं दस कप्पे बवहारा सदडे ते वि ॥ अणयारय- कप्पाणं सत्तावीसा य सहहे अहह्यं । अट्ठावीस विधम्मि आयय-पगप्प- गहणम्मि ॥ पाव- सुय-पसंगाणं अउणत्तीसाग हं पडिकंतो । तीसं च मोहणिजे ठाणा जिंदामि ते सन्ये ॥ एक्कत्तीस च गुणे सिद्धादीणं च सद्दहे ते वि । बत्तीस जोग-संगह पडिक्कमे सव्व-ठाणेसु ॥ तेत्तीस आसायणाहिँ अरहंत-आइगा एगा। अरहंताणं पढमं शिंदे आसायणा जाओ ॥ सिद्धाणायरियागं तह य उवज्झाय सव्व साहूणं । समणीग सावयाण य साविय वग्गस्स जा विकया ॥ I J असणे. 28 ) P छवीदस, P ववहारो P अगतीसाण, मोहणिज्जो P मोणिजे द्वागा. P पढमा, आसातणा, P साओ for जाओ. खमंति. 2) भूते. 3 ) J वोसिरणा विरतो, 1 ) P रागद्दोसेण, पोसिरिगो, पुवयदुक्वय, दुमिन, जंत क्खामणापरे वट्टमाण, कंटज 4 सेढी- 5 ) P एवं वट्टमाणदियहे, Pसाहू वि, दिण्णो. 6) संसारए तत्थ- 7 ) P साहूणं 8 ) P जणियस्स. 10 P मंगलमरिहंता, P जं for जो 11 ) P साहू, Pinter सरणं व & ताणं च 12 > सहोयरा P सह for अह, धम्मयरा, Pम for मह. 13 ) P जले for जए, P धंमो for बंधो. 14 ) दंडे, P दंडा 15) Pom. तह 4, Pudds हियय before सलेहि, णियाण, P मिच्छत्तो. 16) Pagit. 17) J पति 18 ) P पडिक्कमणे ॥ 19 ) P फासे य, P काइ, अधिगरणाती, P संतप्पो ॥. 20 समितीहि समितओ भूतग्गामे 24 > P पर माह मियट्ठाणे, 26 ) असमाहिं, वीसम्हें एकवीस, P एत्थं च्छटिकतो. 29 ) गप्पा, आयरपगप्प, P विहिंमि आयारयकप्पगणं ॥ 31 ) P -ट्ठाणे. 32 ) आसातणाहिं अरहंत आतिता एता, 33 ) P सिद्धाणायरिताण, P सव्व साबू य, ए for य before मा विय संरक्खमाणुसे जत्तो- 21 ) JP पडतो. 23) पिडिमा P पडिकंतो, P च for पि. 25 ) P सत्तरसंमि. पण्णारस ते 27) सूतयडे 30 ) सुतः अरिहंत आइग ६ ४१ परिहरामि ॥ ॥ " Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६४१६] कुवलयमाला 1 देवाणं देवीणं इह-लोग-परे य साधु-वग्गस्स । लोगस्स य कालस्स य सुयस्स आसायणा जाओ ॥ सुय-देवयाएं जा वि य वायण-आयरिय-सव्व-जीवाणं । आसायणाउ रइया जा मे सा जिंदिया एहि ॥ 3 हीर्णक्खर अच्चक्खर विचा-मेलिय तहा य वाइद्ध । पय-हीण-घोस-हीणं अकाल-सज्झाइयं जं च ॥ सव्वहा, छउमस्थो मोह-मणो केत्तिय-मेत्तं च संभरे जीवो। जं पिण सरामि तम्हा मिच्छामि ह दुक्कडं तस्स ॥ सम्मत्त-संजमाई किरिया-कप्पं च बंभचेरं च । आराहेमि सणाणं विवरीए वोसिरामि त्ति ॥ अहवा । जं जिणवरेहिँ भणियं मोक्ख-पहे किंचि-साहयं वयणं । आराहेमि तयं चिय मिच्छा-वयणं परिहरामि ।। णिग्गंथं पावयणं सच्चं तचं च सासयं कसिणं । सारं गुरु-सुंदरयं कल्लाणं मंगलं सेयं ।। पावारि-सल्लगत्तण-संसुद्धं सिद्ध-सुद्ध-सद्धम्मं । दुक्खारि-सिद्धि-मग्गं अवितह-णिव्वाण-मग्गं च ॥ एत्थं च ठिया जीवा सिझंति वि कम्मुणा विमुचंति । पालेमि इमं तम्हा फासेमि य सुद्ध-भावेण ॥ सम्मत्त-गुत्ति-जुत्तो विलुत्त-मिच्छत्त-अप्पमत्तो य । पंच-समिईहि समिओ समणो हं संजओ एहि ॥ कायब्वाइं जाई भणियाइँ जिणेहिं मोक्ख-मग्गम्मि । जइ तह ता. ण तइया कयाइँ ताई पडिक्कमे तेण ॥ 12 पडिसिद्धाइ जाइं जिणेहिँ एयम्मि मोक्ख-मम्गम्मि । जइ मे ताई कयाई पडिक्कमे ता इहं सव्वे ॥ दिटुंत-हेउ-जुत्तं तेहिं विउत्तं च सद्दहेयव्वं । जइ किंचि ण सहहियं ता मिच्छा दुक्कडं तत्थ ॥ जे जह भणिए अत्थे जिणिदयदेहिँ समिय-पावेहिं । विवरीए जइ भणिए मिच्छामि ह दुक्कडं तस्स ॥ उस्सुत्तो उम्मग्गो ओकप्पो जो कओ य अइयारो । तं जिंदण-ारहाहिं सुज्झउ आलोयणेणं च ।। आलोयणाए अरिहा जे दोसा ते इहं समालोए । सुझंति पडिक्कमणे दोसाओं पडिक्कमे ताई ॥ उभएण वि भइयारा के विसुझंति ताई सोहेमि । पारिठ्ठावणिएणं मह सुद्धी त चिय करेमि ॥ 18 काउस्सग्गेण अहो अइयारा केइ जे विसुझंति । अहवा तवेण अण्णे करेमि अब्भुटिओ तं पि॥ छेदेण वि सुज्झंती मूलेण वि के वि ते पवण्णो हं । अणवट्ठावण-जोग्गे पडिवण्णो जे वि पारंची ॥ दस-विह-पायच्छित्ते जे जह-जोग्गा कमेण ते सव्वे । सुज्झंतु मज्झ संपइ भावेण पडिकमंतस्स ॥' 21 एवं च आलोइय-पडिकंतो विसुज्झमाग-लेसो अउव्वकरणावण्णो खवग-सेढीए समुप्पण्ण-णाण-दसणो वीरिय-अंतराय- 21 भाउक्खीणो अंतगडो वइरगुत्त-मुणिवरो ति।। ४१६)एवं च सयंभुदेव-महारिसी वि जाणिऊण णिय-आउय-परिमाणं कय-दब्ब-भावोभय-संलेहणो कय-कायन्व24 वावारो य णिसण्णो संथारए, भणिउं च समाढत्तो । अवि य । णमिऊण सव्व-सिद्वे णिद्भय-रए पसंत-सव्व-भए । वोच्छ मरण-विभात पंडिय-बालं समासेणं ॥ णाऊण बाल-मरणं पंडिय-मरणेण णवरि मरियव्वं । बालं संसार-फलं पंडिय-मरणं च णेब्वाणं ॥ को बालो किं मरणं बालो णामेण राग-दोसत्तो । दोहिं चिय आगलिओ जं बद्धो तेण बालो त्ति ॥ मरणं पाणचाओ पाणा ऊसासमाइया भणिया । ताणं चाओ मरणं सुण एम्हि तं कहिजतं ॥ कललावस्थासु मओ अवत्त-भावे वि कत्थइ विलीगो । गलिभो पेसी-समए गब्भे बयाण णारीणं ॥ पिंडी-मेत्तो कत्थइ गलिओ खारेण गब्भ-वासाओ । अट्ठिय-बंधे वि मओ अणटि-बंधे वि गलिओ हं॥ खर-खार-मूल-डड्डो पंसुलि-समणी-कुमारि-रंडाणं । गलिओ लोहिय-वाहो बहुसो हं णवर संसारे ॥ कत्थइ भएण गलिओ कत्थइ आयास-खेय-वियणत्तो। कत्थइ जगणीऍ कई फालिय-पोट्टाए गय-चित्तो ॥ 27 1) Jलोअ for लोग, P परेसु साहु धम्मस्स । लोयरस, J सुतस्स आसातणा जातु ॥. 2) J सुतदेवताय जा वि वायण, Pण for वायण, आसातणाउ. 3) अच्चक्खरा, P तहाय आइटुं, पतहीण, P चेय for जं च. 4) छत्तमत्थो, P संभाइ जीयो, 'जं न सुमरामि तम्हा. 5) "संजमादी, P समागं for सगाणं. 6) P साहियं, P तहिं चिय. 7) सास सावियं for सासयं. 8) P सलंग पूण, J सुंसुद्धं, P दुक्खाहिसुद्धिमगं, Jणेवाण-. 9) J थिना for ठिया, Jom. वि, P विमुंचति । पालोमि. 10)J-जुत्तिगुत्तो, JP समितीहिं, मित्तो for समिओ. 11) जिगेह, P inter. तइया & न ( for ण), ताहिं for ताई (emended), Poin. ताई. 12) पडिरुद्धाई, र पडिमे ता, J अहं for इहं. 13) P तरस for तत्थ. 14) J समित, P ते तहा भगतु for समियपावेहि. 15) Pउम्मग्गो अकप्पो, गरिहाहिं. 16) Jता for ते. 17) अतिआरा के वि. 18) J वहो for अहो, उ केवि जे, P गे for जे, I अब्भुट्टिते, P भि ॥. 19) J छेतेण, वि को वि तं, P जोगे, " व for वि. 20) J जो for जे. 21) J-लेस्सो, " कर गवणो खयगसेडीए उत्पन्ननाण, बीरिअंतराय. 23) Pom. च, P महरिसी, P आउयप्पमाण, P सलेहणा. 25) मरगविहितं. 26) Jणवर for णवरि. 27) परोसत्तो ? दोसत्ते, I आगणिओ. 28) J ऊसासमातिा । ओसासमाईया, P ताण चाओ. 29) P कललावत्तासु, J अब्भुत भावे. 30) पिंडो मित्तो, P अणिबंध वि. 31) P खीरमूलदडो पंसुणि-- 32) P आयस, -मेअवियणत्तो ।. 35 Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरहया -[६४९ कत्थइ दर-णीहरिओ जगणी-जोणीऍ हैं मुओ बहुसो । कत्थइ णीहरिओ चिय गुरु-वियणा-भलो गलिओ ॥ कत्थइ जणणीऍ अहं ठइय-मुहो थण-मुहेण वहिओ हं । कत्थइ पक्खित्तो चिय सव-सयणे जीवमाणो वि ॥ जायावहारिणीए कर हरिभो मिउ-दिवम्मि कथ बलि दिय कभ जोइणि-समयम्मि जणणीए ॥ कत्थइ पूयण- गहिओ कत्थद सउणी-गहेण गहिओ हैं । कत्थइ बिडाल - गहिओ हओ मि बालग्गह-गहेण ॥ कत्थइ खासेण मभो कत्थइ सोसेण सोसिय-सरीरो । कत्थइ जरेण वहिओ कव्थइ उयरेण भग्गो हं ॥ 6 कत्थइ कुट्टेण अहं सडिओ सव्वेसु चेय अंगेसु । कत्थइ भगंदरेणं दारिय-देहो गओ हिणं ॥ २७४. 1 3 9 12 15 18 21 24 27 30 दंत- जिणाएँ कथ कथइ हिलो मि कण्ण-सूलेग अच्छी-दुक्खेण पुणो सिर-विषणायें गजो णासं ॥ कत्थइ रुहिर-पवाहेण गवर णिव्यामये गये जी कयइ पुरीस वाहो ण संटिनो जाव बोलीणो ॥ कत्थइ ल्याए हो कत्थइ फोडीए कह वि हिओ हं । कत्थइ मारीऍ पुणो कत्थइ पडिभाय-उक्कामे ॥ कत्थइ विष्फोडेहिं कत्थ वि सूलेण णवर पोहस्स । कत्थ वि वजेण हओ कत्थ वि पडिओ मि टंकस्स ॥ कत्थइ सूलारूढो कव्यइ उच्चदिकग बहिओ है। कत्थइ कारिसि सेवा कत्थ मे गुग्गुलं धरियं ॥ कर जल पट्टि कराइ सलिलम्मि आगया सच् । कत्थइ गण मलिभो करथह सीहेण गिलिओ हं ॥ कत्थइ तहाए मभो कत्थइ सुको बुभुक्ख-वियणाए । कत्थइ सावय-खइओ कत्थइ सप्पेण डक्को हं ॥ कत्थइ चोर- विलुत्तो कत्थइ भुत्तो म्हि संणिवाएण । कत्थइ सेंभेण पुणो कत्थइ हो वाय- पित्तेहिं ॥ करपइ इ-विलोए संपत्ती आणि लोगस्स कव्बइ सञ्झस भरिनो उन्बाओ कत्थ जि मनो हं ॥ काय विच हल भिगो कोंतेण लउड-पहराहिं छिण्णो खगेण मओ कर सेलेन भिष्णो हं ॥ कत्थ असिघेणू कत्थ वि मंतेहि णवरि हिओ हं । कत्थइ वच्च-गिरोहे कत्थइ य अजिण्ण- दोसेण ॥ कर सीमो का उन्हे सोसिनो अहयं । अरईय कत्थइ ममो करम रोहेण सोत्ताणं ॥ काथइ कुंभी-पाए काथ करवच-फालिलो हिलो । कत्थइ कडाइ-टोक की समुकतो ॥ कव्थइ जलयर-गिलिओ कत्थइ पक्खी- विलुत्त-सव्वंगो । कत्थइ अवरोप्परयं कत्थ वि जंतम्मि छूढो है ॥ कविहिनो कत्थ विकत घाय-जजरो पडिओ साहस चले काथ वि मधू विस भक्लणं च ॥ मणुयत्तणमि एवं बहुसो एक्केकयं मए पत्तं । तिरियन्त्तणम्मि एहि साहिज्जतं णिसामेसु ॥ रे जीव तुमं भणिमो कायर मा जूर मरण-कालम्मि । चिंतेसु इमाइँ खणं हियएणानंत मरणाहं ॥ जया रे पुढवि-जिओ आसि तुमं खणण-खारमादीहिं अवरोधर- सत्येहि यो कद मारणं पत्तो ॥ किर जिणवरे भणियं दपिय-पुरिसेण आहओ थेरो । जा तस्स होइ विग्रणा पुढवि-जियाणं तहकंते ॥ मेरे जीय जल-जियत्ते बहुसो पीओ सि खोहिओ सुक्को । अवरोप्पर-सत्थेहिं सीउण्हेहिं च सोसविओ ॥ अगणि-जियत्ते बहुसो जल-धूलि - कलिंच - वरिस - णिवणं । रे रे दुक्खं पत्तं तं भरमाणो सहसु एहि ॥ सीउण्ड खलग दुक्ले अवरोधर- संगने व जे तुले वाडकाय-जियचे तं भरमाणो सह एहि ॥ छेयण- फालण- डाहण-मुसुमूरण-भंज गेण जं मरणं । वण-कायमुवगएणं तं बहुसो विलहियं जीव ॥ तस कायते बहुसो खइभ जीवेण जीवमाणो । अकंतो पाएहिं मभो उ सीउण्ड- दुक्खेण ॥ सेलेर्हि हलो बहुसो सूयर-भावम्मितं मओ रण्गे हरिणतणे वि जिहलो खुरप्प सर- भिण्ण-पोहिलो ॥ सिंघेण पुण्यो खइओ मुसुमुरिव संधि-बंधणावयवो एया चिंतयंतो विसदसु वियणाओ पडराओ ॥ 2) सयणो. 4 ) P सउणिग्गहेण, P विरालि for बिडाल, Pom, हओ 8 ) P मयं for गयं, कत्थ पुरिसवाहो ण ट्ठिओ ता जाव, P वाहेण. 9 1) जगणीए गुरुवेण, P-बिम्भलो. 5 ) P कत्थर रोसेग गओ 7 > P सिरिवियणओ P कत्थ वि, कत्थर होडीए, P वि नीओ हं ।, Pom. seven lines कत्थर मारीए पुणो etc. to गिलिओहं ॥ 13 ) P गओ for मओ after तण्हाए. 14 ) P कत्थ वि in both places, J भुत्तो भि, P संमेण, हो वाउ-. 15 Jलोअरस, J तत्थइ fo कत्थर, Padds त्ववि before मत्र. 16 ) P सेलेण, P मंतेहि नवर, P वच्चनिरोहो. 18 ) P कत्थइ उहेण, J अरतीय, 1 अरइय अत्थइ मओ. 19 ) P कत्थर कीडेहिं डक्को कत्थइ सत्थी सत्ती समूकतो . 20 ) P कत्थी पक्खी, पक्खीहिं लुत्त, P कत्थ अवरोमि कूडो ई. 21) सामसत्रलेग P सामबलेणं. 22 ) P मम् मत्तं ।, P साहिप्पतं 23 ) P ई for इमाई P हियइ एमाणंत. 24 ) J पुढइ-, P खणेण खारमादीसु, खारमातीहिं, P सत्येहिं अन्वो. 25 ) P जिणवरेण, P -पुरिसेहिं, थोरो for बेरो, होति विणा 4 for पुनिता तो. 26) जलजियंतो साहियो, सहेदि 27 अगणिज्जियते, P निवहेहिं, P पत्तो संभर- 28) सहखग, P खखरुण, Padds प्पर before संगमे, P वाजयकाय, 28 सीतुण्ड जिअंते, P सं for सं. 29 ) J डाहे, P दाहण, विसाहिअं जिअ. 31) P अण्णेहिं for सेलेहिं, हरिणतणे, P सिर for सर, 30 J तस्स काय थे, P कायत्तो, खइओ जीएण, P णु for पोक्किलो. 32 ) Pom. विसहसु, P घोरालो for पउराम. उ. Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६४१७] कुवलयमाला 1 तित्तिर-कवोय-सउणत्तणम्मि तह ससय-मोर-पसु-भावे । पासत्थं चिय मरणं बहुसो पत्तं तए जीय ॥ पारदिएण पहओ णटो सर-सल्ल-वेयणायल्लो । ण य तं मओ ण जीओ मुच्छा-मोहं उवगओ सि ॥ दत पदीव-सिहं किर एयं णिम्मलं महारयणं । गेण्हामि त्ति सयण्हं पयंग-भावम्मि डड्डो सि ॥ बडिसेण मच्छ-भावे गीएण मयत्तणे विवण्णो सि । गंधेण महुयरत्ते बहुसो रे पावियं मरणं ॥ ४१७) किं वा बहुएण भणिएण। जाई जाइं जाओ अणंतसो एक्कमेक-भेयाए । तत्थ य तत्थ मओ हं अव्वो बालेण मरणेण ॥ णरयम्मि जीव तुमए णाणा-दुक्खाई जाइँ सहियाई । एहि ताई सरंतो विसहेजसु चेयणं एयं ॥ करवत्त-कुंभि-रुक्खा-संबलि-चेयरणि-वालुया-पुलिणं । जइ सुमरसि एयाई विसहेज्जसु वेयणं एयं ॥ तेत्तीस-सागराई णरए जा वेयणा सहिति । ता कीस खणं एक विसहामि ण वेयणं एय॥ देवत्तणम्मि बहुसो रणंत-रसणाओ गुरु-णियबाओ । मुक्काओ जुवईओ मा रजसु असुइ-णारीस॥ वर्जिद-णील-मरगय-समप्पभं सासयं वरं भवणं । मुक्कं सग्गम्मि तए वोसिर जर-कडणि-कयमेयं ॥ णाणा-मणि-मोत्तिय-संकुलाओँ आबद्ध-इंद-धणुयाओ । रयणाणं रासीओ मोत्तुं मा रज विहवेसु ॥ ते के वि देवदूसे देवंगे दिव-भोग-फरिसिल्ले । मोत्तण तुमं तइया संपइ मा सुमर कथडए ॥ वर-रयण-णिम्मियं पिव कगय-मयं कुसुम-रेणु-सोमालं । चइऊण तत्थ देहं कुण जर-देहम्मि मा मुच्छं ।। मा तेसु कुण णियाणं सग्गे किर एरिसीओ रिद्धीओ। मा चिंतेहिसि सुवुरिस होइ सयं चेव ज जोग्गं ॥ देहं असुह-सगभं भरियं पुण मुत्त-पित्त-रुहिरेण । रे जीव इमस्स तुम मा उवरिं कुणसु अणुबंधं ॥ पुण्णं पावं च दुवे वचंति जिएण णवर सह एए। जं पुण इमं सरीरं कत्तो तं चलइ ठाणाओ॥ मा मह सीयं होहिइ ठइओ विविहेहि वत्थ-पोत्तेहिं । वञ्चते उण जीए खलस्स कण्णं पिणो सिणं ।। मा मह उहं होहिइ इमस्स देहस्स छत्तयं धरियं । तं जीव-गमण-समए खलस्स सव्वं पि पम्हट। मा मह छुहा भवीहिइ इमस्त देवस्स संबलं बूढं । तं जीव-गमण-काले कह व कयग्येण णो भरियं ॥ मा मे तण्हा होहिइ मरुत्थलीसुपि पाणिय वूढं । तेण चिय देह तुम खल-गहिओ किं ण सुकएण ॥ तह लालियस्स तह पालियस्स तह गंध-मल्ल-सुरहिस्स । खल देह तुज्झ जुत्तं पयं पिणो देसि गंतवे ।। अव्वो जणस्स मोहो धम्म मोत्तूण गमण-सुसहायं । देहस्स कुणइ पेच्छसु तहियह सव्व-कज्जाई॥ णत्थि पुहईए अण्णो अविसेसो जारिसो इमो जीवो। देहस्स कुणइ एक धम्मस्स ण गेहए णाम ॥ धम्मेण होइ सुगई देहो वि विलोहए मरण-काले । तह वि कयग्घो जीवो देहस्स सुहई चिंतेइ ॥ छारस्स होइ पुंजो अहवा किमियाण सिलिसिलेंताण । सुक्खइ रवि-किरणेहि वि होहिइ पूयस्स व पवाहो ॥ भत्तं व सउणयाणं भक्खं वासाण कोल्हुयाईणं । होहिइ पत्थर-सरिसं अव्वो सुकं व कर्ट वा ॥ ता एरिसेण संपइ असार-देहेण जइ तवो होइ । लद्धं जं लहियवं मा मुच्छे कुणसु देहम्मि ॥ अवि य, देहेण कुणह धम्म अंतम्मि विलोट्टए पुणो एयं । फग्गुण-मासं खेल्लह परसंते णेय पिटे य॥ ताविजउ कुणह तवं भिण्णं देहाओं पुग्गलं देहं । कट्ठ-जलंर्तिगाले परहत्थेणेय तं जीव ।। देहेण कुणह धम्म अंतम्मि विलोहए पुणो एयं । उदृस्स पामियंगस्स वाहियं जं तय लद्धं ॥ पोग्गल-मइयं कम्म हम्मउ देहेण पोग्गल-मएण । रे जीव कुणसु एयं विलं विल्लेण फोडेसु ॥ 1) J कपोत, P कवोतसउणवरंमि तह, P मासत्थं for पासत्थं, J जा P जीव. 3) J पईवसिहं, Pत्ति यण्हं, दट्टो सि. 4) Pपडिसेग for बडिसेण, P मयत्तेण, P महुरयत्ते, P महुरयत्ते, ए for रे, P पाविओ मरणे. 5) I बहुभणिएण. 6) P जाओ for the first जाई, Pom. जाओ, P एकमेकदाए. 7) P नरणमि भरतो, वेसहेज्ज सु. 8) Pom. the verse करवत्त etc. to वेयर्ण एयं ॥. 9) J तेत्तीस सगराई. 10) J रसणा गुरु', P मारेजसु. 11) P मरमयसमप्पयं, Pom. जर, P कडकयनिकयमेयं. 12) P धनुया । णाणं रासीओ, P मारेज. 13) Pदिव्वंगे, P फरिसिलो, P कंथरए, 14) सोमारं । 15) Pसपुरिस, चेय. 16) F सगम्भंतरियं, P हिराण, P कुमणसु. 16) P वञ्चति, P एते, Pट्राणाओ. 18) P महं सीई होही, P कणं पि ना मिलं ॥. 19) Pदेह छत्तयं. 20 P भवीहइ, P संबलं मूढ़. 21) तेगं चिय, P खण for खल. 22) " एयं for पयं. 24) P पुहतीए अण्णो, P देह कुणद कज्जं धम्मस्स. 25) P सुगती. 26) P सुका, Pवा for वि, होहिति पुत्तिस्स व, P पूयस्स बाहो ॥. 27) कोल्हुआतीग । होहिति. 28) P तओ होइ, P यवं मु मा मुग्छति कुण. 29) Jखेलह, ' परसत्ते, P परिसंतेगाय पिठूगं. 30) J कत्थसुजलर्तिगालो पर पर P कट्टजलंतंगारे परहत्थेणाय. 31) Pवाहितं. 32) हम्मं उ, P जीय कुण एय, P फोलेडेसु. Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७६ उजोयणसूरिविरइया [६४१ 1 अवस-वेसएहि देहो मोत्तव्यो ता वर सवसएहिं । जो हसिर-रोइरीए वि पाहुणो ता वरं हसिरी ॥ इय जीव तुम भण्णसि णिसुणेंतो मा करे गय-णिमीलं । देहस्स उवरि मुच्छं णिब्बुद्विय मा करेज्जासु॥ ४१८) किं च रे जीव तए चिंतणीयं । अवि य। सो त्थि कोइ जीवो जयम्मि सयलम्मि एत्थ रे जीव । जो जो तए ण खइओ सो विहु तुमए भमंतेण ॥ सो णस्थि कोइ जीवो जयम्मि सयलम्मि तुह भमंतस्स । ण य आसि कोइ बंधू तुह जीव ण जस्त तं बहुसो॥ सो णस्थि कोइ जीवो जयम्मि सयलम्मि सुणसु ता जीव । जो णासि तुजय मित्त सत्त वा तुज्झ जो णासि ॥ जे पेच्छसि धरणिहरे धरणि ब्व वणं णई-तलाए वा । ते जाण भए सव्वे सय-हुत्तं भक्खिया आसि ॥ जं जं पेच्छसि एवं पोग्गल-रूवं जयम्मि हो जीव । तं तं तुमए भुत्तं अर्णतसो तं च एएण ॥ तं णस्थि किं पिठाणं चोद्दस-रज्जुम्मि एत्थ लोयस्मि । जत्थ ण जाओ ण मओ अणंतसो सुणसु रे जीव ।। गोसे मज्झण्हे वा पोस-कालम्मि अह व राईए । सो णस्थि कोइ कालो जाओ य मओ य णो जम्मि ॥ जाओ जलम्मिणिहओ थलम्मि थल-वड्डिओ जले णिहओ। ते णस्थि जल-थले वा जाओ य मओ य णो जत्थ ॥ 12 जाओ धरणाएँ तुम णिहओ गयगम्मि णिवडिओ धरणिं । गयण-धरणीण मज्झे जाओ य मओ य त जीय ॥ जीवम्मि तुम जाओ णिहओ जीवेण पाडिओ जीवे । जीवेण य जीवंतो जीयत्थे लुप्पसे जीय ॥ जीवेण य तं जाओ जीवावियओ य जीव जीवेणं । संवडिओ जिएणं जीवेहि य मारिओ बहसो॥ 15 ता जत्थ जत्थ जाओ सञ्चित्ताचित्त-मीस-जोणीसु । ता तत्थ तत्थ मरणं तुमए रे पावियं जीव ।। मरणा. अणंताई तुमए पत्ताई जाई रे जीव । सव्वाइँ ताई जाणसु अयणु अहो बाल-मरणाई॥ किं तं पंडिय-मरणं पंडिय-बुद्धि त्ति तीय जो जुत्तो। सो पंडिओ त्ति भण्णइ तस्स हु मरणं इमं होइ । 18 पायव-मरणं एक इंगिणि-मरणं लगंड-मरणं च । संथारयम्मि मरणं सव्वाइ मि गियम-जुत्ताई ॥ छज्जीव-णिकायाणं रक्खा-परमं तु होइ जं मरणं । तं चिय पंडिय-मरणं विवरीयं बाल-मरणं तु॥ आलोइयम्मि मरणं जं होहिइ पंडियं तय भणियं । होइ पडिक्कमगेण य विवरीयं जाण बालं ति ॥ 21 दसण-णाण-चरिते आराहेउ हवेज जं मरणं । तं हो पंडिय-मरणं विवरीय बाल-मरण ति ॥ तिस्थयराइ-पणामे जिण-वयोणावि वमाणस्स । तं हो पंडिय-मरणं विवरीय होइ बालस्स ॥ किं वा बहुणा एत्थं पंडिय-मरणेण सग्ग-मोक्खाई । बाल-मरण एसो संसारो सासओ होइ ॥ 24 ६ ४१९) एयं णाऊण तुमं रे जीव सुहाइँ णवर पत्थेतो । चइऊण बाल-मरणं पंडिय-मरणं मरसु एहि ॥ इठ्ठ-विओओ गरुओ अणि?-संपत्ति-वयण-दुक्खाई। एमाई संभरंतो पंडिय-मरण मरसु एहि ॥ छेयण-भेयण-ताडण-अवरोप्पर-घायणा िणरएसु । एया. संभरंतो पंडिय-मरणं मरसु एहि ॥ णत्थि ण वाहण-बंधण-अवरोप्पर-भक्खणाई तिरिएसु । एयाइँ संभरंतो पंडिय-मरणं मरसु एहि ॥ जाइ-जरा-मरणाई रोगायंकेण णवर मणुएसु । जइ सुमरसि एयाई पंडिय-मरणं मरसु एहि ॥ रे जीव तुमे दिवो अणुभूओ जो सुओ य संसारे । बाल-मरणेहिं एसो पंडिय-मरणं मरसु तम्हा ॥ 30 भणियं च । एकं पंडिय-मरणं छिंदइ जाई-सयाई बहुयाई । तं मरणं मरियन्वं जेण मुओ सुम्मओ होइ॥ सो सुम्मओ त्ति भण्णइ जो ण मरीहिइ पुणो वि संसारे। णि-सव्व-कम्मो सो सिद्धो जइ परं मोक्खो ॥ 27 1) Jअवसवसेहं, P मोत्तव्वं, P हुणो for पाहुगो, P हसिए त्ति ॥. 2) P नितुणतो, J उअरि. 3) Jजीअ तए, चिंतिणीयं. 4) Jएत्थ ए जीअ, P जो सो तेण न, P भवंतेण. 5) Prepeats सो, Pण आसि, J जीअ. 6) Jजीअ, P जा for जो. 7) J जो for जे, P ब वरणं नती तलाए, P सय उत्तं. 8) जी I, P भुत्तुं, न च तेषण. 9) Pतं किं चि नत्थि हाणं, " रज्जमि, J सुणसु ए जी. 10) रातीए, P कोलो for कोइ कालो. 11) Pजोओ for जाओ, P repeats थलंमि, P व्व for य in both places. 12) P निहओ मयणमि, P तंजीवं. 13) P जीवेण तुम, P जीयो.।, P जीयत्थो लुपसे जीव. 14) जीवाविओ, Pतं वढिओ, P मारिसो. 15) सवित्ता, सचित्ताविमीस, जीअं॥. 16) J मित्तमम for तुमए, P पुत्ताई जीई, P अयाणु ता बाल . 17) J पंडा बुद्धि, P भणइ, P मुह for इगं. 18) " पायवमरणे, P वि for मि 19) P रखा. 20) तिs for तयं, P वि for य, P बाल त्ति ।।. 21) F चरित्ताण हेउ, Ji for 5, Pom. three lines तं हो पंडिय eto. to होर बालस्स. 22) तित्थयराति-23) Pतं चिय for किंवा बहुणा पत्थं, मोक्खाती। मोक्खाई. 24) Pनाउण, P पत्थेतो. 25) Pअट्ट for इट्ट, P संभरेतो, P मर for मरम, P om. ए.हि. 26) J तावण, P संभरेतो पडिय ।।.27) नत्थ ण, भक्खाई, P संभरेंतोपं . 28) P जाई-,J रोआतंकेण, समरपसु एयाई पं॥ 29) Jजीअ, J अणुहूओ, संसारो. 31 जाई जाती, P जेण मओ, J सुमुओ, P repeats सुम्मओ. 32) सुम्मतो P सम्मओ, जेणं मरणेगं for जो ण, J मरीहिति मरिहीति, P निद्दड, P मोक्खे. Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 -४२१] कुवलयमाला । त्थि मरणस्स णासो तित्थयराण पि अहव इंदाणं । तम्हा अवस्स मरणे पंडिय-मरणं मरसु एकं ॥ जइ मरणेहिँ ण कजं खिण्णो मरणेण चयसि मरणाई। ता मरण-दुक्ख-भीरुय पंडिय-मरणं मरसु एकं ॥ ३ भह इच्छसि मरणाई मरणेहि य णत्थि तुज्झ णिव्वेओ । ता अच्छसु वीसत्थो जम्मण-मरणारहट्टम्मि ॥ इय बाल-पंडियाणं मरणं णाऊण भावओ एहि । एसो पंडिय-मरणं पडिवण्णो भव-सउत्तारं ।' ति भणमाणस्स सयंभुदेवस्स महारिसिणो अउव्वकरण खवग-सेढीए अणंतरं केवल-वर-णाण-दसणं समुप्पण्णं, समयं च ६ आउय-कम्मक्खओ, तेण अंतगडो सयंभुदेव-महारिसि ति ।। ४२०) एवं च वच्चंतेसु दियहेसु महारह-साधू वि णाऊण थोव-सेसं आउयं दिण्ण-गुरुयणालोयणो पडिकंतसन्च-पावट्ठाणो संलेहणा-संलिहियंगो सव्वहा कय-सव्व-कायवो उवविठ्ठो संथारए । तत्थ य णमोक्कार-परमो अच्छिउं 9 पयत्तो । अवि य। एस करेमि पणामं अरहंताणं विसुद्ध-कम्माणं । सव्वातिसय-समग्गा अरहंता मंगलं मज्झ ॥ उसभाईए सव्वे चउवीसं जिणवरे णमंसामि । होहिंति जे वि संपइ ताण पि कओ णमोकारो ॥ ओसप्पिणि तह अवसपिणीसु सव्वासु जे समुप्पण्णा। तीताणागय-भूया सव्वे वंदाभि अरहते ॥ भरहे अवर-विदेहे पुच-विदेहे य तह य एरवए । पणमामि पुक्खरद्धे धायइ-संडे य अरहते ॥ अच्छंति जे वि अज्ज वि णर-तिरिए देव-णरय-जोणीसु । एगाय-भवेसु य भविए वंदामि तित्थयरे ॥ तित्थयर-णाम-गोत्तं वेएंते वद्वमाण-बद्धे य । बंधिसु जे वि जीवा अजं चिय ते वि वंदामि ॥ विहरंति जे मुणिंदा छउमत्था अहव जे गिहत्था वा । उप्पण्ण-णाण-रयणा सव्वे तिविहेण वंदामि ॥ जे संपइ परिसत्था अहवा जे समवसरण-मज्झत्था । देवच्छंद-गया वा जे वा विहरति धरणियले ॥ साहेति जे वि धम्म जेवण साहेति छिण्ण-मय-मोहा । वंदामि ते वि सव्वे तित्थयरे मोक्ख-मग्गस्स ॥ तित्थयरीओ तित्थंकरे य सामे य कसिण-गोरे य । मुत्ताहल-पउमामे सव्वे तिविहेण वंदामि ॥ उज्झिय-रजे अहवा कुमारए दार-संगह-सणाहे । सावच्चे णिरवञ्चे सव्वे तिविहेण वंदामि ॥ शा भव्वाण भव-समुदे णिबुडमाणाण तरण-कजम्मि । तित्थं जेहि कयमिणं तित्थयराणं णमो ताणं॥ तित्थयराण पणामो जीवं तारेइ दुक्ख-जलहीओ । तम्हा पणमह सव्वायरेण ते चेय तित्थयरे ॥ लोय-गुरूण ताणं तित्थयराणं च सव्व-दरिसीणं । सवण्णूणं एयं णमो णमो सव-भावेणं ॥ अरहंत-णमोकारो जइ कीरइ भावओ इह जगणं । ता होइ सिद्धि-मग्गो भवे भये बोहि-लाभाए॥ अरहंत-णमोकारो तम्हा चिंतेमि सन्च-भावेण । दुक्ख-सहस्स-विमोक्खं अह मोक्खं जेण पावेमि ॥ ६४२१) सिद्धाण णमोक्कारो करेमु भावेण कम्म-सुद्धाण । भव-सय-सहस्स-बद्धं धंतं कम्भिधणं जेहिं ॥ सिझंति जे वि संपद सिद्धा सिझिंसु कम्म-खइयाए । ताणं सब्वाण णमो तिविहेणं करण-जोएण ॥ जे केइ तित्थ-सिद्धा अतित्थ-सिद्धा व एक-सिद्धा वा । अहवा अणेग-सिद्धा ते सवे भावओ वंदे ॥ जे वि सलिंगे सिद्धा गिहि-लिंगे कह वि जे कुलिंगे वा । तित्थयर-सिद्ध-सिद्धा सामण्णा जे वि ते वंदे॥ इत्थी-लिंगे सिद्धा पुरिसेण णपुंसएण जे सिद्धा । पञ्चेय-बुद्ध-सिद्धा बुद्ध-सयंबुद्ध-सिद्धा य॥ जे वि णिसण्णा सिद्धा अहव णिवण्णा ठिया व उस्सग्गे । उत्ताणय-पासेल्ला सव्वे वंदामि तिविहेण ॥ णिसि-दियस-पदोसे वा सिद्धा मज्झण्ह-गोस-काले वा । काल-विवक्खा सिद्धा सब्वे वंदामि भावेण ॥ 18 1) Pएके. 2) J भीरू, P adds य after भीरुय. 3) P तो for ता. 4) J भावतो, सयुत्तार. 5) Jom. ति, P अणतकेवल. 6) कम्मखयो । कंगखओ. 7) Jom. च, P साहुणा नाऊण, थोअ-, J गुरुअणालोअणो P गुरुआलोअणो. 8) J om. सध. 10) P अरिहंतःणं. 11) JP उसभातीए, सबो 12) P ओसयिणी तह, P समुप्पण्णो, Jणागतभूता. 13) Poin. पुषविदेहे, P पुधरद्धे, J धातइसण्डे. 14) Pएयाणेयमवंतरभविए. 15) J वेतेंते P वेयंतो, बद्धिंसु. 16) P adds वि before मुर्णिदा, I छतुमत्था, P जो for जे. 17) P जो for जे गता, Pom. धरणि. 18) P सोहेति, I वि for व, Pon. वि. 19) P मुत्ताफल, P दिमि. 20) P om. सव्वे, P वंदि।मे. 21) I णिउदुमाणाण, P मरण for तरण. 23) P तागं for एयं, Pom. one णमो. 24) J भावतो, P तो for ता. 25) P चिंतेण for चिंतेमि. 26) P करे P कंमसुव्वाण, P दद्धं for धंतं. 27) Pom. संपइ, P सिद्धिसु, J खयताए. 28) 1 भावृतो.. 29) Pom. कह वि जे कुलिंगे. 30) J पुंसए for णपुंसएण, J om. जे, P जि, P पत्तय बुद्धसयंबुद्ध, बुद्धिसिद्धा उ सयंबुद्धि. 31) अहवि णिविण्ण, Pठिया, ऊसग्गे. 32) दिवस, पतोसे, P गोसकालंमि । Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [.४२ २७८ उज्जोयणसूरिविरइया 1 जोब्वण-सिद्धा बाला थेरा तह मज्झिमा य जे सिद्धा। दीवण्ण-दीव-सिद्धा सचे तिविहेण वदामि ॥ दिव्यावहार-सिद्धा समुद्द-सिद्धा गिरीसु जे सिद्धा । जे केइ भाव-सिद्धा सव्वे तिविहेण वंदामि ॥ 3 जे जत्थ केइ सिद्धा काले खेत्ते य दव्य-भावे वा । ते सव्वे वंदे हैं सिद्धे तिविहेण करगेण ॥ सिद्धाण णमोकारो जइ लभइ आगए मरण-काले। ता होइ सुगइ-मग्गो अण्णो सिद्धि पि पावे ॥ सिद्धाण णमोकारो जइ कीरइ भावओ असंगेहिं । रंभइ कुगाई-मग सग्गं सिद्धिं च पावे ॥ सिद्धाण णमोकारं तम्हा सब्बायरेण काहामि । छेत्तण मोह-जालं सिद्धि-पुरि जेण पावेमि ॥ ४२२) पणमामि गणहराणं जिण-वयणं जेहिं सुत्त-बंधेणं । बंधेऊण तह का पत्तं अम्हारिसा जाव ॥ चोद्दस-पुवीण णमो आयरियाणं तहूण-पुवीण । वायग-चसहाण णमो णमो य एगारसंगीण ॥ आयार-धराण णमो धारिजइ जेहिं पवयणं सयलं । णाण-धराणं ताणं आयरियाण पणिवयामि ॥ णाणायार-धराणं दसण-चरणे विसुद्ध-भावाणं । तव-विरिय-धराण णमो आयरियाणं सुधीराणं ॥ जिण-वयणं दिप्पंतं दीवंति पुणो पुणो ससत्तीए। पवयण-पभासयाणं आयरियाणं पणिवयामि ॥ गूढं पवयण-सारं अंगोवंगे समुद्द-सरिसम्मि । अम्हारिसेहि कत्तो तं णज्जइ थोय-बुद्धीहिं॥ तं पुण भायरिएहिं पारंपरएण दीवियं एत्थ । जइ होंति ण आयरिया को तं जाणेज सारमिणं ॥ सूयण-मेत्तं सुत्तं सूइज्जइ केवलं तहिं अत्थो । जं पुण से वक्खाणं तं आयरिया पयाति ॥ 15 बुद्धी-सिणेह-जुत्ता आगम-जलणेण सुटु दिप्पंता । कह पेच्छउ एस जणो सूरि-पईवा जहिं णत्थि ॥ चारित्त-सील-किरणो अण्णाण-तमोह-णासणो विमलो। चंद-समो आयरिओ भविए कुमए व बोहेइ ॥ दसण-विमल-पयावो दस-दिस-पसरंत-णाण-किरणिल्लो । जत्थ ण रवि व्व सूरी मिच्छत्त-तमंधओ देसो ॥ उज्जोयओ व्व सूरो फलओ कप्पडुमो ब्व आयरिओ। चिंतामणि व्व सुहओ जंगम-तित्थं च पणओ हं॥ जे जत्थ केइ खेत्ते काले भावे व सव्वहा अत्थि । तीताणागय भूया ते आयरिए पणिवयामि ॥ आयरिय-णमोकारो जइ लभइ मरण-काल-वेलाए । भावेण कीरमाणो सो होहिइ बोहि-लाभाए ॥ आयरिय-णमोकारो जह कीरइ तिविह-जोग-जुत्तेहिं । ता जम्म-जरा-मरणे छिंदइ बहुए ण संदेहो ॥ आयरिय-णमोकारो कीरंतो सल्लगत्तणं होइ । होइ णरामर-सुहओ अक्खय-फल-दाण-दुललिओ ॥ तम्हा करेमि सब्बायरेण सूरीण हो णमोक्कारं । कम्म-कलंक-विमुक्को अइरा मोक्खं पि पावेस्सं ॥ ६२३) उवझायाणं च णमो संगोवंग सुयं धरेंताणं । सिस्स-गण-हियट्टाए झरमाणाणं तयं चेय ॥ सुत्तस्स होइ अस्थो सुत्तं पाडेति ते उवज्झाया। अज्झावयाण तम्हा पणमह परमेण भावेण ॥ सज्झाय-सलिल-णिवहं झरति जे गिरियड ब्व तद्दियहं । अज्झावयाण ताणं भत्ती' अहं पणिवयामि ॥ जे कम्म-खयट्ठाए सुत्तं पाढेंति सुद्ध-लेसिल्ला । ण गणेति णियय-दुक्खं पणओ अज्झावए ते हैं । अज्झावयाण तेसिं भई जे णाण-दसण-समिद्धा । बहु-भविय-बोह-जणयं झरंति सुत्तं सया-कालं ॥ अज्झावयस्स पणमह जस्स पसाएण सव्व-सुत्ताणि । जति पढिजंति य पढम चिय सव्व-साधूहिं ॥ 30 उवझाय-णमोक्कारो कीरंतो मरण-देस-कालस्मि । कुगई रंभइ सहसा सोग्गइ-मग्गम्मि उवणेइ ॥ उवझाय-णमोकारो कीरंतो कुणइ बोहि-लाभं तु । तम्हा पणमह सव्वायरेण अज्झावयं मुणिणो ॥ उवझाय-णमोकारो सुहाण सव्वाण होइ तं मूलं । दुक्खक्खयं च काउं जीयं ठावेइ मोक्खम्मि ॥ 1) दीवण्ण. 2) P केवि for केर. 3) P कह वि for केइ, P कालखेत्ते, 'व्य for य. 4) " अण्णे, पावेमि. 5) J भावतो, । संभइ कुगर, पार्वति. 6) F सिर्द्धि-- 7) गहराणं, P जावा ॥. 8) Pणवण्ह for तहूण, । वायय- 9) पण तामि ॥. 10) P चरणेहि सुद्धभावे । तपकिरिय. 11) P दिब्यति, P ससतीप, P पहासयाणं, पणिवतामि. 12) तण्णजउ, P थोव-. 13) P होति. 14) P अत्थे, P repeats से. 15) पेच्छइ, P पतीवा. 16) P कुमुयवियोहेर. 17) P विमलपलपयावोदयदिस-- 18) J उज्जोतउ. 19) Jer for ब, J तीताणागतभूता, पणिवतामि. 20) होहि ति । सो हित्ति. 21) Pom. कीरइ, P जोय. 23) P मोकं पि. 24) उवझयाणं P उवज्झायाणं, अंगोवंग सुतं, J सुतं, हितढाए, P भरमाणाणं. 25) पाढं ति, P म्हा for तम्हा. 26) J om. a. P गिरि ब्व, I भत्तीय, पणिवतामि. 27) P कंमक्खय", P वज्झावए. 28) P बोहयाणं सरति सुत्त. 29) Pom. पढिजति, P साहूहिं. 30) JP उबज्झाय, P देसयालमि, P रंभभइ. 31) JP उवज्झाय. 32) JP उवज्झाय, P om. सव्वाण, जी, पावेइ for ठावे. Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७९ 1 12 -६४२६] कुवलयमाला ४ २४) साहूण णमोक्कार करेमि तिविहेण करण-जोएण । जेण भव-लक्ख-बद्धं खणेण पावं विणासेमि ॥ पणमह ति-गुत्ति-गुत्ते विलुत्त-मिच्छत्त-पत्त-सम्मत्ते । कम्म-करवत्त-पत्ते उत्तम-सत्ते पणिवयामि ॥ पंचसु समिईसु जए ति-सल्ल-पडिपेलणम्मि गुरु-मले। चउ-विकहा-पम्मुके मय-मोह-विवज्जए धीरे ॥ पणमामि सुद्ध-लेसे कसाय-परिवजिए जियाण हिए । छज्जीव-काय-रक्खण-परे य पारंपरं पत्ते ॥ चउ-सण्णा-विष्पजढे दढब्वए वय-गुणेहि संजुत्ते । उत्तम-सत्ते पणओ अपमत्ते सब्ब-कालं पि॥ परिसह-बल-पडिमल्ले उयसग्ग-सहे पहम्मि मोक्खस्स । विकहा-पमाय-रहिए सहिए वंदामि समणे हं॥ समणे सुयगे सुमणे समणे य-पाच-पंकस्स सेवए । सवए सुहए समए य सच्चए साहु अह वंदे॥ साहूण णमोकारो जइ लब्भइ मरण-देस-कालम्मि । चिंतामणि पिलद्वं किं मग्गसि काय-मणियाई॥ साहूण णमोकारो कीरंतो अवहरेज जे पावं । पावाग कत्थ हियए णिवसइ एसो अउण्णाण ॥ साहूण णमोकाररे कीरंतो भाव-मेत्त-संसुद्धो । सयल-सुहाणं मूलं मोक्खस्स य कारणं होइ ॥ तम्हा करेमि सव्वायरेण साहूण तं णमोकारं । तरिऊण भव-समुहं मोक्खय-दीवं च पावेमि ।। 12 ४ २५) एए जयम्मि सारा पुरिसा पंचेव ताण जोक्कारो । एयाण उवरि अण्णो को वा अरिहो पणामस्स ॥ सेयाण परं सेयं मंगलाणं च परम-मंगलं । पुण्णाण परं पुणं फलं फलाणं च जाणेजा ।। एयं होइ पवित्तं वरयरयं सासयं तहा परमं । सारं जीयं पारं पुब्वाणं चोद्दसण्हं पि॥ 15 एवं आराहेडं किं वा अण्णेहिँ एत्थ कज्जेहिं । पंच-णमोकार-मणो अवस्स देवत्तणं लहइ ॥ चारित्तं पि ण वइ णाणं णो जस्स परिणयं किंचि । पंच-णमोकार-फल अवस्स देवत्तणं तस्स ॥ एवं दुह-सय-जलयर-तरंग-रंगत-भासुरावत्ते । संसार-समुद्दम्मि कयाइ रयणं व णो पत्तं ॥ 18 एवं अन्भुरुहुलं एवं अप्पत्त-पत्तयं मज्झ । एयं परम-भयहरं चोजं कोडं परं सारं ॥ विज्झइ राहा वि फुडं उम्मूलिज्जइ गिरी वि मूलाओ। गम्मइ गयणप्रलेणं दुलहो एसो णमोकारो ॥ जलणो व्व होज सीओ पडिवह-हुत्तं वहेज सुर-सरिया। ण य णाम ण देज इमो मोक्ख-फलं जिण-णमोकारो॥ 21 णूणं अल द्वउव्वो संसार-महोयहिं भमंतेहिं । जिण-साहु-णमोकारो तेगज वि जम्म-मरणाई ॥ जइ पुण पुवं लछो ता कीस ण होइ मज्झ कम्म-खओ । दावाणलम्मि जलिए तण-रासी केचिरं ठाउ ॥ महवा भावेण विणा दब्वेणं पाविओ मए आसि । जाव ण गहिओ चिंतामणि त्ति ता किं फलं देइ ॥ 24 ता संपइ पत्तो मे आराहेब्बउ मए पयत्तेणं । जइ जम्मण-मरणाणं दुक्खाण अंतमिच्छामि ।। त्ति भणमाणो महारह-साहू अउब्ब-करणेण खत्रग-सेणिं समारूढो। कह। $ ४२६) झोसेइ महासत्तो सुकन्झाणाणलेग कम्मतरुं । पढौ अणंत-णामे चत्तारि वि चुण्णिए तेण ॥ 27 अण्ण-समएण पच्छा मिच्छत्तं सो खवेइ सम्वं पि । मीसं च पुणो सम्म खवेइ जे पुग्गलं आसि ॥ 1) नमोकारा, Jom. करण, लख, P पावं पणासेमि. 2) Pom. गुत्ते, P-विच्छत्तपत्त , J पणिवतामि. 3) JP समितीनु, J जते । जहे, J परिसोलगंमि, " परिमुके. 4) P पारंपरे पत्तो. 5) सण्णी, P विप्पजढो, P संजुत्तो, P मि for पि. 6) P परिसबल, J पडिवण्णे, न उपसगसग्गे सहे पम्भि . 7) Poin. समणे सुयणे, P adds दुक्खदायस्स after पंकस्स, J स एव for य सच्चए साहु, P साहू. 8) P लदि. 9) Pom. अहरेज जं पावं etc. to साहूण णमोकारो कीरतो. 10) P मेत्तसमिद्धो।. 11) सोखं दी च मोक्खपदीवं. 12) P पुरिसाण पंचे, J ता णमोकारो. 13) P सेयण, होइ for परम, P परमं, ' adds पर before पुणं. 14) एवं, " वरवरयं, J अमयं for परमं, P सोयं for सारं, J सारं for पारं. 15) P परो for मणो. 16) F मि for पि, P adds नोगं before नो. 17) P समुहम्मी अपत्तदन्यं च माणिकं ॥, I कयाई रयणाई व. 18) P अब्भरुहुलं, मज। 19) 'दुलहो सो. 20) जलगा व, सीलो पडिवहजुत्तं, जिणे. 21) Pमहोयहं नमंतेहिं । 22) P पुण्ण for पुण, P दावानलंमि, P जाओ for ठाउ. 23) Pदव्वेगं भाविओ, P जाव न हियओ. 24) F आराहेयव्वो, Jom. 'मए, १ पयत्तोग, P दुक्खाणं इच्छसे अंतं . 25) Pom. त्ति, Pखवगसेढी-, Jadds अवि य after कह. 26) P सोसेइ, P सुक्कजालानलेण, P अणतनामो. 27) for जं. , Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . २८० 1 0 3 विजय वीरपुर्ण सग्गेण व कलि-भ-सम-सारं पच्छा निय-वे सूडे विशुद्ध-लेखानो ।। कोचाई जल एकेके सोखने लोभ पच्छा करेइ खंडे असंख-मेरो उ लोहस्व ॥ एकैकं खवयंतो पावइ जा अंतिमं तयं खंडं । तं भेत्तृण करेई अणंत-खंडेहिँ किट्टीओ ॥ 1 । सेतो भण्णइ महामुनी सुदुम संपराओ ति अहवा पुण पाय चारितं तं पि लंघेउं ॥ पंचवर उगरण काल जा वीसमित्तु सो भीरो दोहिं समर्हि पावर केवला महासत्तो ॥ पयले पिद पंच-विदंसणं च वियपं । पंच-बितराय च खवेत्ता केवली जाभी आय-कम्मे च पुनो खनेइ गोरेण सह य णामेण सेसं पि नेयणीये सेलेसीए विमुको सो ॥ अह पुत्र पओए बंधण-खुडियत्तणेण उल-गई । लाउय- एरंड-फले अग्गी-धूमे यदिता ॥ ईसीप भारा पुहईए उवरि होइ लोयतो । गंतूण तत्थ पंच वि तणु-रहिया सासया जाया ॥ णागमनं ताण चारित्त वीरिव सणादं सुदुमा निरंजणा ते अक्सय पोक्खा परम-सुद्धा ॥ अच्छेजा अब्भेजा अव्वत्ता अक्खरा निरालंबा । परमप्पाणो सिद्धा भणाय-सिद्धा य ते सव्वे ॥ सा सिवपुरिति भणिया अयला स चेय स चियापावा । से तं दीवं तच्चिय तं चिय हो बंभ-लोयं ति ॥ खेमंकरी य सुहया होइ अणाउ ति सिद्धि-ठाणं च । अववग्गो व्याणं मोक्खो सोक्खो यसो होइ ॥ वत् ण जरा ण म ण वाहिणो शेष सय्यदुक्खाई। अयंत सास चिय भुंजंति अगोवमं सोक्खं ॥ एत्थ य कहा समप्पइ कुवलयमाल त्ति जा पुरा भणिया । दक्खिण्ण-इंध-बुद्धी-विद्यारिय-गंध-रयणिल्ला ॥ $ ४२७ ) पणय - तियसिंद-सुंदरि-मंदर-मंदार - गलिय-मयरंदं । जिण चलण-कमल-जुयलं पणमह मुहलालि-संगीयं ॥ पड चिय णपरी-वण्णणम्मि रिद्धीओ जा मए भणिवा धम्मस्स फर्क अक्वणितमा तथा ॥ 12 15 18 21 21 27 उज्जोयणसूरिविरइया सूर्य णिडाणं खाइय-सम्मत काम दुखलियं लेणं अवि कसाव रिनु डामरे हम ॥ झोसेइ णसत्तं इत्थी वेयं च अण्ण-समपुण । हास रइ छक्कमण्णं समपुर्ण गिद्दहे वीरो ॥ 30 पंडसोम-आई-ता पंच ते वि कोधाई संसारे दुक्ख फला सम्हा] परिहरसु दूरेण ॥ 1 जाओ पच्छायात्रो जह ताणं संजमं च पडिवण्णा । तह अण्णो वि हु पावी पच्छा विरमेज उवएसो ॥ जिण-द-फलमे जो जिनसेहरी तिनं कहिओ सादम्मियाण हो जीवाण बरं वदीणं तं ॥ वर-परंपर-भाव संवेगो तिरिय-धम्म- पविची बिनाहरण सिद्धी लहरिवं पुणियखाणे | सरणागयाण रक्खा धीरं साहम्मि वच्छलत्तं च । अपमत्त सुलभ-बोही संवेगो भिल-वुत्तंतो ॥ कुवलयमाला हवं धम्म-फलं तस्य जो य लिंगारो तं कव्य धम्म- अक्वणीय सम्म- कोण ॥ सम्मत्तस्स पसंसा घेप्पर वयणं जिणाण लोगम्मि । चित्तवडेण विचित्तो संसारो दंसिओ होइ ॥ विष्णाण सत्त-द्वारो छोइ कुमारस्स दंसिजो तेण । जिणणाम-मेव-सत्ती वर्त्तते परिंदाण ॥ पर-तिविषाणमेती सहव जागा-मगेण जिण ववणं होइ विशुद्ध-वरा जुन्या तं सारं ॥ जय समिला- दिहंतो दुलहं माणुस्सयं च चिंतेसु । दिय लोए धम्म-फलं तम्हा तं चेय कायव्यं ॥ कम्मर गईं हस्स परिणई बुज्झणा य थोएण । धम्म-पडिबोह-कुसलत्तणं च वीरेण णियय-भवे ॥ [ ४२ 4 > कोधाती संजलगा 6 ) असावं. 7) 1 ) नियडिट्ठाणं खाइसम्मत्तलाह. 2 ) झोसह णर्मसत्तं इत्थीवेतं " सोसेइ नपुंसतं इत्थीनेयं, P हासाइछक्कम J-रति-, P निज्जिरे वीरो, उ धीरो for वीरो. (3) P कस्सयल, पुंवेतं, J लेस्साओ. P कोदाई J लोहंतं, करेति, मेते तु P मेत्तो उ. 5 ) P णवइ for पाव, करेती. पंचखर, सो for जा, P वीसमीउ सो वीरो, P केवलिना. 8 J पढमे, Pom.च. 9 ) P आउएखमं, खवेति, P for य, वेतणीयं. 10 एरंडलं. 11 ) has संजया twice for सासया 13 ) P अच्छञ अकया निरालंबा, P अगाय मुद्धा. 14 ) Pस चिय अणाहा, तद्दीवं, Pom. तचिय. 15 J होउ for होइ, P अपवर्ग 16 ) P ने दुक्खसव्वाई, उ सासतं, Padds य after चिय 17 ) दिक्खिण्ण', P बुधी-. 18 ) P पणयसुरसिद्ध सुंदरि मंदारलिय जिवन 19 ) चिप नगरी बानि 20 आवी] for आई कोपाती कोहा संसार. 22 )J बलं च दीगंत, P वदीणत्तं. 23 ) P विभहरणाण सिद्धि अच्छबरं, P एणियाखाणे. 24 ) P रक्खी, सुलह J 287 25 J कम्म for कव्व 26 ) J लोअंमि तित्ययाण मेली, P मित्ती, Pom. तं सारं. P चित्तपडे वि विचितो. 27 ) P कुमार, जिणे णाणं सम्मत्तसत्ती. 30 P गई नेयस्स, P थेवण . Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -$ ४३९ ] 1 कुही देव-माया चण-वेला सु धम्म-पडिवती। नवर-विदेहे दंसण कामगाईवस्स वुते ॥ उच्छाद सत-सारो सिद्धी बिजाए भोग-संपती सम्मत दाण-कुसलत्तणं च वह वइरगुत्तम्मि ॥ 3 दिवाण लावो मोहत्थं सो सयंभुदेवस्स । मा कुण कुटुंब-कज्जे पावं एसा गई तस्स ॥ सुह-संबोधी-सुमिणं महारहे जम्मि ताइँ भणियाई । भव्वाणं एस ठिई थोवेण वि जेण बुज्झति ॥ आराहणा व अंते आलोयण-गिंदणा व वोसिरणा। पंच- णमोकारो विय मोक्सस्स व साहगो भणिजो ॥ केवल - णाणुप्पत्ती भणिया सेटीए खवग-णामाए । मोक्खे परमं सोक्खं संपत्ता तत्थ सव्वे वि ॥ ( ४२८ ) जं खल- पिसुणो अहं व मच्छरी रत्त-मूढ वुग्गहिओ । भणिदिइ अभाणियव्वं पि एत्थ भणिमो सयं चेय ॥ रागोए विदो कि कीरह राग-बंधणा एसा परिववर्ण तत्थ इमं देजसु अद्द राग-चित्तस्स ॥ रामं निदंसिऊण य पढमं वह तरप होइ वेरगं रागेण विणा साहस वेरगां कस्स किं दोड ॥ धम्मस्स फलं एवं अक्खेवणि-कारणं च सव्वं च । रागाओं विरागो वि हु पढमं रागो कओ तेण ॥ वसुदेव धमिला हिंदी कीस णत्थि रागोति । तत्थ ण किंचि नि उपसि भन्छे मज्झे पण तुद्द हो । रागेण तुम जाओ पच्छा धम्मं करेति वेरग्गी । रागो एत्थ पसत्यो विराग हेऊ भवे जम्हा ॥ कीस पइण्णं राया दढवम्मो कुणइ गुग्गुलाईयं । भज विमिच्छादिट्ठी जुज्जइ सव्वं पि भणिउं जे ॥ किं सो राया णम्मं लच्छीऍ समं करेह देवीए । जणु होजा रज-सिरी अरहइ सिंगार-वयणाई ॥ पुरिसाइ लक्खणेहिं किं कीरह एथ धम्म-उहावे णशु धम्मो कच्चाणं क्वणि कारण जम्दा || हरि-खंद - रुद्द कुसुमाउहेसु उवमाण णागरी-त्रपणे । कालम्मि तम्मि कत्तो उवमाणं किं असंतेहिं ॥ भण्णए समए भणिया जय-दुबला चहि कामपाला व रूद्दा खंदा व पुणो अइबहुए विज-सिद्धति ॥ दाणं रुदाणं गोविंदाणं च जेण अंगेसु णामाईं सुणिनंति वि सासद रुवेसु सध्येसु ॥ चो ण दोइ एवं धम्मो कव्वस्व जेण उपमार्ग उपसुजान इई बोलीणो अवसरो चि णो भणिये 5 ४२९) जो पढ भाव-तो बहवा विमुने कपि चिरं दोहि हो वियो कई व पट्टो । कीरइ नणसंते विहुलच्छ ता लोय-सिदेसु ॥ सम्य शिव धम्म-कहा सम्मनुष्यायणी जेण ॥ महव वाए। जइ सो भन्यो वस्सं सम्मतं जायए वस्त्र ॥ तदा कुवलयमाल वापुजसु हो पयचेण ॥ । जो जगह देसीनो भासामो लक्खणा धाऊ य वय-जय-गाहा-वं कुवलयमा पि सो पढड ॥ एयाइँ जो ण-याणइ सो वि हु वाएउ पोत्थयं घेत्तुं । एत्थं चिय अह णाहिइ कइणो णिउणत्तण-गुणेण ॥ जो सज्जनो वियो एसा रामेह तं महालक्खं जो पिसुण-दुब्बियो रस-भावं तस्य णो देव ॥ जी मद्द देवयाए नवार्ण साहिये इमं सवं तीए चिय निम्म विया ऐसा अम्हे मिर्स ए ॥ दियदस्स पदर मे गंध-सर्व कुणइ भणसु को पुरिसो हियय गया हिरि-देवी जड़ में डितस्स णो दोह ॥ पउमासणम्मि पउमप्पभाए पउमेण हत्थ- पउमम्मि । हियय-परमम्मि सा मे हिरि देवी होउ संणिहिया ॥ जह किंचि लिंग- भिण्णं विभति-निष्णं च कारय-विहीणं । रहस्रेण मए डिदिये को दोसो एष देवीए ॥ 0 9 12 15 18 21 24 27 कुवलयमाला कुटुंब. 4) संगोही 5 for adds ते after तत्थ. 15 1) देवनयावण, कामदरस तो 2 विज्ञान सम्मत्त. 3) P मोहिथं य after जिंदणा, एय हसाहणं भणिओ. 6 ) Padds नाग before णामाए, P मोक्खं, 7 ) J वुग्गहियं. 9 > P रागं निद्द सिऊण पढमं रागो अहं तस्स वेरग्गं, P किह for किं, P होइउ. 10) Padds वि after फलं, P कन्वं for सव्वं, राओ कओ. 12 J करोसि, P एस for एत्थ, विरागहेतू. 13 ) JP दढधम्मो, मुग्गुलातीयं, P। नणु मिच्छादिट्ठीणं, adds इय before जुज्जइ. 14 ) J लच्छीय, P नणु भोजा रज्जसिरी. 15) पुरिसाति, P बचाणं for कव्वाणं. 16) P सुमाउहेसु, P वण्णो 1. 17 ) P भण्ग, J adds ए before समए, J-जवला चक्किकामवालाणं ।. 18 ) P रुंदाणं. 20 ) P सव्वं चिय, सम्मत्तपायणी जम्हा ॥ 21 ) P पढन for पढाइ, Pom. जइ, P भर्ल्स for वस्सं. 22 > होहिति P जोहिइ. 23) P कनाई for घाऊ य. 24 ) Jom. हु, P पोत्य, णाहिति, नाई हइ, करणो हिउ णिउणत्तण. 25 ) P नो होइ for जइ मि लिङ्, P जइ संलिहियं तस्स, देइ for होर. 28 ) पउमंमि आए नो देश. 26 ) P जाए for जीए. 27 > कुण्ड, for परमप्पभाए. 29 ) P विहत्ति. 36 २८१ 3 9 12 15 18 21 24 27 Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૮૨ .1 9 उजोयणसूरिविरड्या [६४२६ उज्जुय-पय-गमणिल्ला सरलुलावा य भूसण-विहूणा । दुग्गय-बाल व्व मए दिण्णा तुह सुयण-णेहेण ॥ णेहं देज इमीए खलियं छाएज वयणयं पुलए । अहवा कुलस्स सरिसं करेज हो तुज्य जे सुयणा ॥ दसिय-कला-कलावा धम्म-कहा णेय-दिक्खिय-णरिंदा । इह लोए होइ थिरा एसा उसभस्स कित्ति व्व ॥ $ ४३०) अत्थि पुहई-पसिद्धा दोणि पहा दोषिण चेय देस त्ति । तत्थरिथ पहं णामेण उत्तरा बुह-जणाइण्णं ॥ सुइ-दिय-चारू-सोहा वियसिय-कमलाणणा विमल-देहा । तत्थरिथ जलहि-दइया सरिया अह चंदभाय त्ति ॥ तीरम्मि तीय पयडा पब्वइया णाम रयण-सोहिल्ला । जत्थ ट्ठिएण भुत्ता पुहई सिरि-तोरराएण ।। तस्स गुरू हरिउत्तो आयरिओ आसि गुत्त-वंसाओ। तीऍ गयरीऍ दिण्णो जेण णिवेसो तहिं काले॥ तस्स वि सिस्सो पयडो महाकई देवउत्त-णामो त्ति । .........सिवचंद-गणी अह महयरो ति ॥ सो जिण-वंदण-हे कह वि भमंतो कमेण संपत्तो। सिरि-भिल्लमाल-णयरम्म संठिओ कप्परुक्खो ब्व ॥ तस्स खमासमण-गुणो णामेण य जक्खदत्त-गणि-णामो । सीसो महइ-महप्पा आसि तिलोए वि पयड-जसो ॥ तस्स य बहुया सीसा तब-वीरिय-वयण-लद्धि-संपण्णा । रम्मो गुज्जर-देसो जेहि को देवहरएहिं ।। णागो विंदो मम्मड दुग्गो आयरिय-अग्गिसम्मो य । छट्टो वडेसरो छम्मुहस्स वयण व ते आसि ॥ आगासवप्प-णयरे जिणालयं तेण णिम्मवियँ रम्म । तस्स मुह-दसणे चिय अवि पसमइ जो भहब्वो वि ।। तस्स वि सीलो अण्णो तत्तायरिओ त्ति णाम पयड-गुणो । आसि तव-तेय-णिज्जिय-पाव-तमोहो दिणयरो व्व ॥ जो दूसम-सलिल-पवाह-वेग-हीरंत-गुण-सहस्साण । सीलंग-विउल-सालो लक्खण-रुक्खो व्व णिकंपो॥ सीसेण तस्स एसा हिरिदेवी-दिण्ण-दसण-मणेण । रइया कुवलयमाला विलसिय-दक्खिण्ण-इंधेण ॥ दिण्ण-जहिच्छिय-फलओ बहु-कित्ती-कुसुम-रेहिराभोओ । आयरिय-वीरभदो अथावरो कप्परुक्खो व्व ॥ सो सिद्धंतेण गुरू जुत्ती-सत्थेहि जस्स हरिभद्दो । बहु-सत्थ-गंथ-वित्थर-पत्यारिय-पयड-सम्वत्थो ॥ आसि तिकम्माभिरओ महादुवारम्मि खत्तिओ पयडो । उज्जोयणो ति णामं तच्चिय परिभुंजिरे तइया ॥ तस्स वि पुत्तो संपइ णामेण वडेसरो त्ति पयड-गुणो । तस्सुज्जोयण-णामो तणओ अह विरइया तेण ॥ तुंगमलंचं जिण-भवण-मणहरं सावयाउलं विसमं । जाबालिउरं अट्ठावयं व अह अस्थि पुहईए॥ तुंगं धवलं मणहारि-रयण-पसरत-धयवडाडोयं । उसभ-जिणिदाययणं करावियं वीरभद्देण ॥ तत्थ ठिएणं अह चोदसीए चेत्तस्स कण्ह-पक्खस्मि । णिम्मविया बोहिकरी भव्वाणं होउ सव्वाणं॥ 15 18 1) P adds निरलंकारा य after गमणिला, P सरल उल्लावा, P om. भूसण विहूणा, P om. बाल व्ध, P तुह सयण2) P करेज जं तुज्झ हो सुयणु. 3) P -कलावो धमक्खाणेय, P लोय,P om. होइ. 4) Pom. two verses अत्थि पुहई etc. to चंदभाय ति, J_adds वह after उत्तरा. 6) P अस्थि for तीरम्मि तीय, P adds पुरीणं after पयडा, J जत्थथि ठिए भुत्ता, P तत्थ for जत्य, P सिरितोरसाणेण (°साणेण can be read as "माणेण). 7) हरियत्तो. I तीय णयरीय, P दिनो जिगनिवोसा तहिं कालो. 8) P बहुकलाकुसलो सिद्धतवियाणओ कई दक्खो। आयरियदेवगुत्तो जज्ज वि विज्जरप कित्ती || for the line तस्स वि सिस्सो etc. to देवउत्तगामो ति. The line is defective : perhaps some syllables like [तस्स वि सीसो सो] are missing at the beginning, JP मयहरो. 9) P सो एत्थ आगओ देसा for the line सो जिगवंदण हेउं etc. to संपत्तो. 10) गुणा , P om. य, J जक्खयत्त P जक्खदखत्त, P सिस्सो for सीसो. 11) Pinter बहुया & सीसा, Pom. वयग, लद्धचरणसंपण्णा. 12) Pom. a verse णागो विंदो ete. to ते आसि, वडेंसरो, I स्स for व्व 13) -णरो for णयरे, P नयरे बडेसरो आसि जो खमासमणो।, जिणाणयं, I अ०भत्थो for अहवो. 14) Pघ आयारधरो for dि सीसो अण्णो, अन्तो for अण्णो, P सार for पयड, णिज्जिय-पविगयमोहो, Jom. दिणयरो ब्व॥ etc. to हीरंतगुणसहस्साण । 15)P लग्गणखंभो व्व. 16) P कुवयमाला विलसिर. 17) J अत्थावरो P अवावरो. 18)P सो सिद्धतगुरू पमाणनाए जस्स, P भ for बहु, r inter. गंथ & सत्थ, पत्थरिय. 19) Pसया खत्तियाणं वंसे जाओ वडेसरो नाम for the three lines आसि तिकम्मा मिरओ etc. to त्ति पयगुणो।, आसी. 20 वडेंसरो. 21) J सारयाऊलं, ' विउरं for विसमं, Pom. जावालिउर, P inter अह अस्थि & पुहईए.. 22) P धयवट्टाडोयंJ वडाडोवं, P उसह, J जिर्णिदायतणं, P कारवियं. 23) : तंमि for तत्थ, I P ट्ठिएणं, P किण्ह-, P बोहकरी. Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18 -६४३१] कुवलयसाला .. पर-भड-भिउडी-भंगो पणईयण-रोहिणी-कला-चंदो । सिरि-बच्छराय-णामो रण-हत्थी पत्थिवो जदया ॥ को किर वञ्चइ तीरं जिण-वयण-महोयहिस्स दुत्तारं । थोय-मइणा वि बद्धा एसा हिरिदेवि-वयणेण ॥ ३ जिए:-वयणाओ ऊणं अहियं व विरुद्वयं व जं बद्धं । तं खमसु संठवेजसु मिच्छा मह दुक्कडं तस्स ।। चंदकुलावयवेणं आयारे उज्जोयगेण रइया मे । सिव-संति-बोहि-मोक्खाण साहिया होउ भवियाण ॥ एयं कह करेउं जं पुण्ण पावियं मए विउलं । साहु-किरियासु चित्तं भवे भवे होउ मे तेण ॥ 6 सग-काले वोलीगे वरिसाण सएहिँ सत्तहिँ गएहिं । एग-दिणेणूगेहिं रइया अवरणह-वेलाए । ण कइत्तणाहिमाणो ण कव्व-बुद्धीऍ विरइया एसा । धम्मकह त्ति णिबद्धा मा दोसे काहिह इमीए ॥ .. ४३१) अरहते णमिऊणं सिद्धे आयरिय-सव्व-साहू य । पवयण-मंगल-सारं वोच्छामि अहं समासेण ॥ 9 पढम णमह जिगाणं ओहि-जिणाणं च णमह सव्वाणं । परमोहि-जिणे पणमह अणंत-ओही जिणे णमह ॥ वंदे सम्बोहि-जिणे पणमह भावेण केवलि-जिगे य । णमह य भवत्थ-केवलि-जिण-णाहे तिविह-जोएण ॥ णमह य उज्जुमईण विउलमईणं च णमह भत्तीए । पण्णा-समणे पणमह णमह य तह बीय-बुद्धीणं ॥ पणमह य कोढ-बुद्धी पयाणुसारीण णमह सव्वाण । पणमह य सुय-धराणं णमह य संभिण्णसोयाण ॥ वंदे चोद्दस-पुची तह दस-पुन्वी य वायए वंदे। एयारसंग-सुत्तत्थ-धारए णमह आयरिए ॥ चारण-समणे पणमह तह जंघा-चारणे य पणमामि । वंदे विजासिद्धे आगास-गमे य जिणकप्पे ॥ 15 आमोसहिणो वंदे खेलोसहि-जल्लोसहिणो णमह । सब्बोसहिणो वंदे पणमह आसीविसे तह य ॥ पगमह दिट्ठी-विसिणो वयण-विसे णमह तेय-लेसिल्ले । वदामि सीय-लेसे विप्पोसहिणो य पणमामि ॥ खीरासविणो णमिमो महुस्सवाणं च बंदिमो चलणे । अमयस्सवाण पणमह अक्खीण-महाणसे वंदे ॥ पणमामि विउव्वीणं जलही-गमणाण भूमि-सजीणं । पणमामि अणुय-रूए महल्ल-रूवे य पणमामि ॥ मण-वेगिणो य पणमह गिरिराय-पडिच्छिरे य पणमामि । दिस्सादिस्से णमिमो णमह य सव्वाड्डि-संपण्णे ।। पणमह पडिमावण्णे तवो-विहाणेसु चेय सव्वेसु । पणमामि गणहराणं जिण-जणणीणं च पणमामि ।। केवल-णाणं पणमामि दसणं तह य सव्व-णाणाई। चारित्तं पंच-विहं तेसु य जे साहुणो सब्वे ॥ चकं छत्तं रयणं झओ य चमराई दुंदुहीओ य । सीहासण-कंकेल्ली पणमह वाणी जिणिदस्स ॥ 1) P om. four verses परभडभिउडी etc. to होउ भवियाण ॥, J रोहणो for रोहिणी. 3) J om. व before जं. 4) आयरियउज्जो अणेण, I साहियाण होउ. 5) P कडं for करेउ, P विमलं for विउलं, P किरिया चित्तं. 6) एगदिणेणणेहिं एस समतावरण्डंमि . 7) P on. the verses ण कहत्ताहिमाणो ete. to काहिह इमीए ॥. For the Sectious431 consisting of verses beginning with अरहते णमिऊणं etc. to होइ तं तं च ।। of J, the Ms. P has the following verses which are reproduced with very minor corrections, some of its orthographical traits like the initial a eto. being retained : बुशंति जत्थ जीवा सिझंति वि के वि कम्म-मल-मुक्का । जंच नमियं जिणेहिं तं तित्थं नमह भावेण॥ पणमामि उसह नाहं सेसे विजेणेज उत्तर (जिणे य उत्तरे) नमिमोजणणि-जगए य ताणं गणहर-देवे य पणमामि ।। केवल-नाणं पणमामि दंसणं तह य सव-नाणाइ । चारित्तं पंच-विहं भावेण नमामि संपन्नं ।। पणमामि धम्म-चकं जिणाण छत्तत्तियं रयण-चित्तं । धम्मज्झयं ति वंदे चेइय-रुक्खं पहा-जालं ।। पउमासणं च वंदे चामर-जुवलं च चंद-किरणाभं । सुमरामि दुंदुभिरवं जिणस्स वाणिं च वंदामि।। वंदामि सम्व-सिद्धे पंचागुत्तर-निवासिणो जे य । लोयंतिए य देवे वंदे सव्वे सुरिंदे य॥ आहारय देव(द)हरे बंदह परिहार-संठिए मुणिणो। उवसामग-सेणित्थे वंदह तह खवग-सेढित्थे। वंदे चउदस-पुची ऊणे तह रायगे (वायगे) य पणमामि । एगारसम्मि आयार-धारए पंच-समिए य ॥ अक्खीण-महाणसिए वंदे तह सीय-तेय लेसिले । चारण-समणे बंदे तह जंघाचारणे नमिमो।। आसीविसे ये वंदे जलोसहि-खेल-ओसहि-धरे या आमोसही व विप्पोसही य सन्चोसहिं वंदे ।। वंदामि बीय-बुद्धि वंदे विउलं च कोद्र-बुद्धिं च । सब्वायरिए पणओ अज्झावय-सव्व-साहू य ।। ओहिण्णाणी पणओ मणपज्जव-नाणिणो य जे समणे । पणमामि अणंतेहिं सव्वेहिं वंदिमो अयं ।। बल केसवाण जुवणे (जुवले) सुमरामि ह चक्कट्टिणो स [व्वे] । अण्णे वि वंदणिज्जे पवयण-सारि(रे) (पणि) वयामि जिण-जम्मण-भूमीओ वंदे निव्वाण-नाण-मेरुं च । सम्मेय-सेल-सिहरे सिद्धाययणे पणिवयामि ।। एवं जो पढइ नरो गोसग्गे अयल-भत्ति-संजुत्तो। सव्वं सिज्झइ कजं तद्दियह तस्स विउलं पि ॥ छ । ... 9) अणंत ओहि जिणे. 10) सम्वोहिजिगो. 12) J बुद्धीगं पयाणु, J om. य before सुय. 157 जल्लोसदि णमह. - 16) दिट्ठी विसयो, तब for तेय. 17) J महुस्सराणं. Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૧૮૪ 1 3 6 उज्जोयणसूरिविरइया वंदामि सैन्य-सिद्धे पंचाणुत्तर - शिवासियों से व लोपंतिए व देवे वैदह सब्बे सुरिंदे व ॥ आहारय-देह-धरे उवसामग-सेढि संठिए वंदे । सम्मद्दिट्टिप्पभुई सच्चे गुणठाणए वंदे ॥ संती कुंथू य अरो एयाणं जासि णव महाणिहियो । चोइस-रवणाई पुणो छण्णठई गाम-कोटीभो ॥ बल-केसवाण जुयले पणमद्द अण्णे य भब्व-ठाणेसु । सब्वे वि वंदणिज्जे पवयण-सारे पणिवयामि ॥ ओ मे भवा-वग्गू सुमणे सोमणस होंतु महु-महुरा । किलिकिलिय- घडी चक्का हिलिहिलि देवीओ सव्वाओ ॥ इय पत्रयणस्स सारं मंगलमेयं च पूयं एत्थ । एवं जो पढइ णरो सम्मद्दिट्टी य गोसग्गे ॥ विसं तस्य भवे कलाण-परंपरा सुविहियस्स । जं ञं सुई पसत्यं मंगलं होतं तं च ॥ 1 § ४३२ ) इय एस गणिवंती तेरस कलणाइँ जइ सहस्साइ । अण्णो वि को वि गणेही सो णाही णिच्छिया संखा ॥ य एस समय बिय हिरिदेवीए वरप्पसापुण कणो होड पसण्णा इच्छय-फलवा व संघस्य ॥ 卐 ॥ इति कुवलयमाला नाम संकीर्ण-कथा परिसमाप्ता ॥ ॥ मङ्गलं महाश्रीः ॥ [६] ४३१ 3 ) महाणिवहो, छण्णउइ. 8 ) घडि चक्का. 9 ) Jom two verses एय एस गणिज्जंती etc ए for एस. The colophon of P stands thus: समाप्तेयं कुवलयमाला नाम कथा ॥ छ ॥ ग्रंथ संख्या सहस्र || १००००१ कृति श्रीश्पटनाथमुनेदक्षिण्यतांनस्य उद्योतनमूरे ॥ छ ॥ ॥ छ The Ms. 3 adds something more after महाश्री, ॥ छ ॥ संवत् ११३९ फाल्गु वदि १ रवि दिने लिखितमिदं पुस्तकमिति ॥ Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1. 3. 2. Puratana-Prabandha-Samgraha: This is a noteworthy collection of many old Prabandhas similar and analogous to the matter in the Prabandhacintamani. Authentically edited with Indices of Verses and Proper Names, a short Introduction in Hindi describing the Mss. and materials used in preparing this part and with plates by Acharya JINA VIJAYA MUNI. Demy quarto pp. 15+32 +156 +8. Price Rupees 8.50. Prabandhacintamani (Complete Hindi Translation): A complete and correct Hindi translation is given in this volume, so as to enable the purely Hindi-knowing public to grasp fully the contents of the original. The translator is Pandit Hajariprasad Dwivedi, Acarya, Hindi Dept. Viśvabhāratī, Śantiniketan. Along with the translation has been given an exhaustive Introduction in Hindi by the General Editor, Acharya JINA VIJAYA MUNI, which contains useful material for the proper understanding of the text. Demy quarto pp. 12+12+156. Price Rupees 6.00. OF THE SINGHI JAIN SERIES Prabandhacintamani of Merutungācārya (A. D. 1306): Part I, Text in Sanskrit with Variants, Appendix and Indices of Stanzas. This is an important collection of stories, legends and anecdotes connected with kings like Vikramarka, Bhoja, Kumarapala etc. and author-poets like Siddhasena, Magha, Dhanapala etc. Critically edited with various research accessories by Acharya JINA VIJAYA MUNI. Demy quarto pp. 12 + 136. Price Rupees 6.50. 5. LIST OF THE PUBLICATIONS 4. Dharmabhyudaya-Mahākāvya of Udayaprabha : This is a stylistic kavya in Sanskrit celebrating the religious activities of Vastupala, the great minister of the Gurjara King Viradhavala, and the patron and lover of fine arts & literature. The author is not only a contemporary but also the religious preceptor of Vastupala. Critically edited with various Indices etc, by Muniraja Sri CATURAVIJAYAJI and Sri PUNYAVIJAYAJI, Super Royal 8vo pp. 16+48+ 190+18, Bombay 1949, Price Rs. 8.50. 2 Sukṛtakirti-kallolini-adi-Vastupala-prasasti-Samgraha: A collec tion of numerous Prasastis relating to the Minister Vastupala. Edited by Muni Rajasri PUNYAVIJAYAJI. (in the press). Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ · PUBLICATIONS OF THE SINGHI JAIN SERIES 6. Prabandhakosa of Rajasekharasüri (A. 1). 1349): Part I, Text in Sanskrit with Variants, Appendices and Alphabetical Indices of stanzas and all Proper Names. This gives twentyfour biographical Prabandhas dealing with celebrities of ancient India such as Bhadrabāhu, Mallavädi, Haribhadra, Sätavāhana, Vastupāla etc. Critically edited in the original Sanskrit from good old Mss, with Variants, Hindi Translation, Notes and elaborate Introduction etc. by Acharya Jina VIJAYA MUNI, Demy quarto pp. 8 + 8 + 136 +14. Price Rupees 6.50. 7. Devūnanda-Mahākāvya of Meghavijayopadhyāya (A, D. 1671 ): This is a Sanskrit poem in ornate style composed as a Samasyā-pürti incorporating some line or the other, in each verse, from the Siśupālavadha of Māgha. In its seven cantos, it presents a biography of Vijayadevasūri who was honoured by both Akbar and Jehangir. Critically edited from an old Ms. with Notes, Index and Hindi Introduction, summary etc. by Pt. BECHARDAS J. Doshi. Demy quarto pp. 8+16+ 80. Price Rupees 4.50. 8. Jaina Tarkabhāşi of Yasovijaya (A.D. 1624-1688): It is a manual of Nyaya dealing with Pramāņa, Naya and Niksepa. Edited by Pt. SUKHLALJI SANGHAVI with his Tātparyasamgraha Vịtti and an Introduction in Hindi. Super Royal 8vo pp. 8 + 8 +14+78. Price Rupees 3.50. 9. Pramūnamīmarsā of Hemacandrācārya : This is a treatise on Nyāya left incomplete perhaps by the author himself. It propounds the Jaina point of view after reviewing the tenets of other systems. Edited with a valuable Introduction and still more valuable Notes in IIindi by Pt. SUKULALJI SANGHAVI and Pts. MAHENDRAKUMARA and MALAVANIA. Super Royal Svo pp. 8+16+ 56+76+144 + 36. Price Rupees 8.50. 10. Vividhatirthakalpa of Jinaprabhasüri (A. 1). 1332): Part I, Text in Sanskrit and Prakrit with Variants, and an Alphabetical Index of all Proper Names. This work gives a description of nearly 60 holy places together with the names of their founders etc.; and thus forms a sort of guide-book or gazetteer of Jaina sacred places of India of the 11th Century. It contains valuable information of historical and topographical interest. Critically edited with Variants, Notes and elaborate Introduction etc. by Acharya JINA VIJAYA MUNI. Demy quarto pp. 8+16+114+14. Price Rupees 6.50. Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TUBLICATIONS OF THE SINGHI JAIN SERIES 11. kathākos aprakaranam of Jineśvarašūri : The Prākrit Text with Sanskrit commentary. The commentary contains many Prākrit stories, which illustrate various religious virtues and is interesting from the sociological point of view. The tales are a fine specimen of Prakrit narrative literature. Critically edited by Acharya JINA VIJAYA MUNI. Super Royal 8vo PP. 8+16 +124 +184, Bombay 1949, Price Rs. 12.50. 12. Akalanka-Granthatrayam comprising Laghĩyastrayam with Svopajña-vrtti, Nyāya-viniscaya and Pramāṇasamgraha : These are three noteworthy Nyāya works of Akalakadeva (C. A. D. 720-780), the last two being brought to light for the first time. Edited with Critical Notes, Variant Readings, Introduction in Hindi and Indices etc. by Pt. MAHENDRAKUMARA. Super Royal 8vo pp. 8+14+118 +184 + 60. Price Rupees 8.50. 13. Prabhackaccorvita of Prabhācandrācārya (A. D. 1277): Part I, Text in Sanskrit, with Variants and Indices of stanzas and all Proper Names. It presents in ornate style the tradi. tional biographies of twenty eminent personalities including religious teachers like Vajrasvāni, authors like Haribhadra and Hemacandra and poets like Mānatunga who have contributed to the glory of Jainism and the Jaina church. Critically edited from many old Mss. with Notes, Index and Hindi Introduction by Āchārya JINA VIJAYA MUNI. Demy quarto pp. 10+6 +226. Price Rupees 8.00. 14. Digvijaya-mahükāvya of Meghavijaya : This is an ornate poem in Sanskrit presenting the biography of Vijayaprabhasūri in thirteen cantos. The Sanskrit Text with the svopajña glosses critically edited with an Introduction in Hindi, an Index of Proper Names and the text of the Sri-Tapagaccha patļāvalisūtra vrttyanusamdhanam in an Appendix by Pt. A. P. SHAH. Demny quarto pp. 8-10-16-144. Bombay 1945. Price Rs. 8.00. 15. Bhūnucandra-caritra of Siddhicandra U pādhyāya : This is a remarkable composition of Sanskrit litarature in which an able pupil, namely, Siddhicandra has chronicled, without the least exaggeration, acts of social and religious service rendered by his great Guru Bhānucandra. It is not only a biography of the Guru but also an autobiography of the pupil, both of whom had connections with and were honoured at the Moghul court by Akbar and Jehangir, The English Introduc Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PUBLICATIONS OF THE SINCHI JAIN SERIES tion by the Editor is a rich mine of historical information. Critically edited from a single rare Ms. with elaborate Introduction, Summary, Appendices, Indices etc. by M. D. Desat. Demy quarto pp. 8+12+104 +68. Price Rupees 8.00. 16. Jñanabindu-prakarana of Yasovijaya Upadhyāya : This is a systematic manual of Jaina epistemology. The Hindi Introduction of the editor is a brilliant exposition of Jaina theory of knowledge in the back-ground of Indian metaphysics. The Sanskrit Text edited with Introduction, Notes and Index etc. by Pt. SUKHLALJI SANGHAVI, Pt. Dalsuki MALVANIA and Ptā. Hira Kumari Devi. Super Royal 8vo pp. 12+8+84 + 136. Price Rupees 5.00. 17. Brhatkathākosa of Harişeņācārya : The work contains a number of narrative tales—as many as 157-on all sorts of subjects including folk-tales and parables which inculcate religio. moral principles of Jainism and glorify men of religion and ascetic heroes. They have been selected from different strata of Jaina literature. The Introduction which is exhaustive and illuminating, evinces mature erudition of the editor. It is the first of its kind in so far as it presents an outlinear survey of Jaina Kathānaka literature in the back-ground of Indian literature. The Sanskrit text is critically edited with Introduction, Notes and Indices by Dr. A. N. UPADHYE, M. A., D. Litt. Super Royal 8vo pp. 20+128 + 402. Price Rupees 16.00. 18. Jainapustakaprasastisaṁgraha : Vol. I. The work contains 111 Praśastis and 544 colophons, attached at the end of the ancient palm-leaf manuscripts of the Jaina and other works. They throw enormous light on the historical facts, social conditions, the Kulas, Gaņas and Gacchas of the Jainas. Their historical importance is on a par with that of the inscriptions and the copperplates. Critically edited with an informative Introduction and ten Appendices by Acharya JINA VIJAYA MUNI. Demy quarto pp. 20+180.* Price Rupees 10.00. 19. Dhūrtākhyāna : The Original Prākrit Text of Haribhadrasūri: Sanskrit metrical Version of Sanghatilaka, an Old-Gujarati Prose Rendering; also an elaborate Critical Essay on the Dhūrtākhyāna by Dr. A. N. UPADHYE; Critically edited by Achārya Jina VIJAYA MUNI. This is a unique satire in Indian Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PUBLICATIONS OF THE SINGHI JAIN SERIES literature, remarkable for its originality of thought and plot. De luxe edition, Ledger Paper, Super Royal 8vo pp. 8+24+56 +70. Bombay 1944, Price Rs. 8.00. 20. Nyāyāvatāravārtikavrtti of Santisüri : The Vārtika and Vrtti of Säntisūri (some time between A, D, 993 and 1118) on the Nyāyāvatāra of Siddhasena (c. 5th century A. D.). Critically and authentically edited in the original Sanskrit with an elaborate Introduction, Notes, Indices etc. in Hindi by Pt. DALASUKAA MALVANIA. Royal 8vo pp. 32 +152 +332. Bombay 1949. Price Rs. 16.50. 21. Rişgasamuccaya of Durgadeva (A, D, 1033): A Prakrit Text dealing with omens and portents. Critically edited with exhaustive Introduction, English Translation, Sanskrit chāyā, Notes, Appendix, Indices etc. by Dr. A. S. GOPANI. Royal Svo pp. 12+16+8+72+172. Bombay 1945. Price Rs. 10.00. 22. Samdesa-Rāsaka of Abdul Rahaman : A Unique work of a Muslim Poet in Apabhraísa Language. Critically edited with Sanskrit Tippaņaka and Avacūrika, English Translation, Exhaustive Introduction, Notes, Appendix, Indices etc. by Acharya JINA VIJAYA MUni and Prof. H. C. BHAYANI. Royal 8vo. pp. 8+14+18+106 +124. Bombay 1945. Price Rs. 10.00. 23. Satakatrayādi-subhāşita-sargraha of Bhartrhari. This is an exhaustive compilation of the Epigrams attributed to Bhartrhari including the Three Centuries. Collated and critically edited for the first time with principal variants and an introduction by Prof. D. D. KOSAMBI. Royal 8vo pp. 8 + 8 +84 +240. Bombay 1948. Price Rs. 12.50. 24. Paümasiricariu of Dhāhila : An Apabhramsa Poem in four can tos. Critically edited by Profs. M. C. Modi and H. C. BHAYANI with an Introduction, Summary, Notes etc. in Gujarati. Royal 8vo pp. 16+40 +48. Bombay 1948. Price Rs. 4.75. 25. Nānapamcamikahão of Maheśvarasūri : A Prākrit Text giving Tales on the Jñānapañcanī. Edited by Dr. A. S. GOPANI with various readings, a Gujarati Introduction, Appendices etc. Super Royal pp. 8+16+44 +88. Bombay 1949. Price Rs. 7.25. 26. : Bhadrabāhu-samhită of Bhadrabāhu: A Sanskrit Text dealing with astrology, omens, portents etc. Edited with various Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PUBLICATIONS OF THE SINGHI JAIN SERIES Readings, a Gujarati Introduction, Appendices etc. by Dr. A. S. Gopani. Super Royal pp. 8+8+12+ 32 +84. Bombay 1949. Price Rs. 5.75. 27. Jinadattākhyāna-dvaya : Two Prākrit Texts dealing with the life-story of Jinadatta, one by Sumatisūri and another of an anonymous author. Edited for the first time by Pt. A. M. BHOJAK. Royal 8vo pp. 8+16+92. Bombay 1953. Price Rs. 3.50. 28. Dharmopadesamală-vivarana: Here is the Vivarana of Jaya simha sūri who gives a number of Prakrit Tales while explaining the gāthās of the Dhammopadesamālā. Edited with Various Readings by Pt. L. B. GANDHI. Super Royal 8vo pp. 8+16+ 240. Bombay 1949. Price Rs. 9.75. 29. Bhartrhariya Satakarraya with the Vyākhyā of Dhanasāra; This is a companion volume of No. 23. comprising the oldest available commentary on the Satakas of Bhartrhari. Dhanasira wrote it at Jodhpur in Rajasthan in Samvat 1535. it is also interesting because of its Colloquial Jain Sanskrit. Edited with various Readings, Appendices, etc. by Prof. D. D. KOSAMBI. Royal 8vo. Pp. 325. Bombay 1959. Price Rs. 10.50. 30. Srngāramañjarikathā of Bhojadeva: It contains a courtesan's professional advice to her daughter in the form of eleven entertaining and edifying tales in the rich kavya style. Composed by the famous Paramāra king Bhojadeva of Dhārā. Edited with Introduction, Translation, Notes etc. from the only available A fragmentary Palm-leaf Ms. belonging to the Jesalmere Bhandāra by Kumāri KALIALATA K. MUNSHI, M. A., Ph.D. Royal 8vo. pp. 10 +90 +96 + 104. Bombay 1959. Price Rs. 12,50. 31. Lilāvai of Kouhala: A Romantic Kävya in Māhāriștri Prākrit with the Sanskrit Vrtti of a Jaina Author. Critically edited for the first time with an Introduction, Variant Readings, Glossary, Notes etc. by Prof. A. N. UPADHYE. Royal 8vo. pp. 28+88 +384. Bombay 1949. Price Rs. 15.00. 32. Kirtikaumudi-Mahakāvya of Someśvara and Sukrtasamkirtana of Arisimha: They treat the life-story and explores of the famous minister Vastupāla in the Mahakāvya form. Edited by: Muni' Rājasri PUNYA VIJAYAJI ( in the press ). Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 7 PUBLICATIONS OF THE SINGHI JAIN SERIES 33. Literary Circle of Mahamatya Vastupala and Its Contribution to Sunskrit Literature, a learned dissertation by Dr. B. J. SANDESARA,M. A., Ph.D.. Royal 8vo pp. 8+6+28+218. Bombay 1953. Price Rs. 9.50. 34-35. Paumacariu of Svayambhudeva, Vols. 1-2: A great Epic in Apabliramsa dealing with the Rama Tale. Critically edited for the first time with an elaborate Introduction, Index Verborum and Appendices by Dr. H. C. BHAYANI. Royal 8vo First Part pp. 8+4+16+132+40 +168+76, Second Part pp. 8+4+24+328. Bombay 1953. Price Rs. 12.50 and 10.50 respectively. 36, 39. 40. Paimacariu of Svayambhudeva, Vol. 3. Edited by Dr. H. C. BILAYANI (in the press) Studies in Indian Literary History, Vols. I and II, containing 132 Papers and Indices, proper Names and Subjects, by Prof. P. K. GODE. Royal 8vo Vol. I, pp. 6+4+3+ 16 +546, Vol. II pp. 6+4+4+4+4+544. Bombay 1953-54. Price Rs. 20.00 each. Uktivyakti-prakarana of Damodara: An elementary handbook of Sanskrit Composition with parallel illustrations in Old Kosali of the 12th century. Edited for the first time from the single available Ms. by Acharya JINA VIJAYA MUNI with an exhaustive Study of the Old-Kosali of the text by Dr. S. K. CHATTELI, M. A., D. Litt.and with an Essay on material of social and historical interest in the text by Dr. MOTI CHAND. Royal 8vo pp. 8+4+10+84 +68. Bombay 1953. Price Rs. 8.00. Kavyaprakasa khandana of Siddhicandra-Gani: An adverse critique of some of the topics of Mammata's Kavyaprakasa. Edited for the first time from the single available Ms. with an Introduction, Indices etc. by Prof. R. C. PARIKH. Royal 8 vo. pp. 8+4+20+108. Bombay 1953. Price Rs. 4,50. 41. Kumarapalacaritra-sahgraha: A collection of works of various authors relating to life of king Kumarapala of Gujarat. Collected and edited from various old Mss. by Acharya JINA VIJAYA MUNI Double Demy pp. 8+18+36 +12+158. Price Rs. 10.00. 41A. The Life of Hemacandrācārya: The eminent German orientalist, Dr. G. Bühler, wrote in 1889, an epoch-making essay in German on Hemacandra (A. D. 1088-1173) who occupies a place of honour in Indian literature. This essay is a fine model of historical research; and, as such, for the benefit of English knowing readers, it has been translated here into English by Dr. MANILAL PATEL. Demy quarto pp. 16+104, Price Rupees 5.00. Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PUBLICATIONS OF THE SINCHI JAIN SERIES Kharataragacoha-brhadgurvāvali: A Collection of Works of JINAPALA UPADHYAYA and others relating to the spiritual lineage of the eminent Acāryas of the Kharatara Gaccha. Collec ted and edited from various old Mss. by Acharya Jina VIJAYA MUNI. Double Demy pp. 8+12+120. Price Rs. 7.00. 43. Jayapāyada-nimitlasāstra : An ancient work pertaining to the Science of Prognostics making prophesies on the basis of the letters of speech. Edited by Achārya JINA VIJAYA MUNI. Price Rs. 8.50. 44. Jambucariyam of Guņapāla : It is a Prakrit narrative of the life of Jambūsvāmin, the first patriarch of Jain church after the last Tirthaṁkara Mahāvīra. Edited by Achārya JINA VIJAYA MUNI. Price Rs. 12.50. 45-46. Kuvalayamālā of Uddyotanasūri (Part I & II). A unique campū in Prakrit critically edited from rare Mss. material for the first time with an Introduction, Various readings, Notes etc. by Prof. A. N. UADHYE, M. A., D. litt. Part I contains the Prākrit text and various readings. Price Rs. 15.00. Part II with an elaborate Introduction, and RatnaprabhaSūri's Samskrit Version of Kuvalayamālā-kathā etc. (in the Press). To be had from BHARATIYA VIDYA BHAVAN Chowpati, BOMBAY. 7 Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धाभ भारतीय बंबई -