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________________ –$११४ ] कुवलयमाला ५७ 1 सरस-सरल-संलाबि पि सो को जरड-कुरंग-सिंग-भर-भंगुर-जैपिरो वण-मेनुववारि-दिष्ण जी विवाणं पि मझे 1 सो पेय कग्यो सम्बहा सण सब संकुले वितम्मि गाने सोचएको दुलो ति तरस व वारियरस असंवद्र 3 पलविंग कयस्स मिस्त्र निण्णस्स णिविवस्त्र गिरणुकंपस्थ बहु-जग- पुणरुत-विप्पल-जणस्स समाण- गाम अ जुवाणएहिं बहुसो उबलक्खिय- माया-सीलस्स गंगाइच्चो त्ति अवमण्णिऊण मायाइच्चो कथं णामं । तओ सव्वत्थ पट्टिय सदा च बहुसो जो उवह मायाइयो मायाइयो त्ति सो उण णरवर, इमो जो मए तुन्दा साहियो थि। मह तम्मि पेय ● गामे एको वाणियम पुण्य परियलिय विवो धाणू णाम तरस तेण सह मावाइचेण कवि सिनेहो संलग्गो । सो य सरको मिउ-मवो दयाल कयण्णू मुझे अचल कुलुमाओ दीण बच्छतो चि वहां निरीय-सी-वापि अवशेष्यरं देव-वसेण बहु-मण-सय-पडिसेहिनमाणेणावि अन्त्तनो चित्त-परिया कया मेती । भवि व सुयणो ण याणइ चिय खलाण हिययाइँ होंति विसमाई । अत्ताण-सुद्ध-हिययत्तगेण हिययं समप्पेइ ॥ जो खल- तरुयर - सिहरम्मि सुबइ सब्भाव णिडभरो सुयणो । सो पडिओ चिय बुज्झइ अहव पडतो ण संदेहो || १३) एवं च वर्ग सजण दुजणाने सम्भाव-कवण निरंतरा पीई व पत्ता अष्णम्मि दियहे बीसत्था12 लाव - जंपिराणं भणियं थाणुणा । 'वयस्स, .5 24 धम्मयो कामो वि व पुरिसत्या तिथि निमिया होए। वाणं जस्स ण एकं पि तस्स जीवं भजीय-समे ॥ अम्हाण ताव धम्मो णत्थि च्चिय दाण-सील-रहियाणं । कामो वि अत्थ-रहिओ अत्थो वि ण दीसए अहं ॥ ता मित्त फुडं भणिमो तुलग्ग-लगगं पि जीवियं काउं । तह वि करेमो अर्थ होहिइ अस्थाओ से पि ॥' भणियं च माबादचेण 'जइ एवं मित्त, ता पयट्ट वाणारसिं बच्चामो तत्थ जूयं खेलियो, खतं खणिक पं मूसिमो हि डिनो कुरो जग बंचिमो सम्वहा वहा वहा कुणिमो जहा जहा अय-संपत्ती होहिद' ति । 8 एवं च विसामिण महा-ईद-दंत-वल-जमलापुर्ण विय तस्यरेण पर्कपियाई कर-पलवाई थागुणा । भणिदं च गेण । अच्छा णीसंकं मद्द पुरओ परिसं भणितं ॥' तोडिमो, 18 'तुज्झण जुन एवं हियपूर्ण मित्त ताव चिंते एवं च भणिएण चिंतियं मायाइचेगं 'अरे अजोग्गो एसो, ण लक्खिओ मए इमस्स सब्भावो, ता एवं भणिस्सं' । हसिऊण भणिदं च णं णाहि यहि परिहासो भए फल मा एथ पत्तियायसुचि अत्योवार्थ पुण तुमं भणिहिसि 21 करेहामो' ति । भणियं च धाणुणा । , 17 'परिहासेण वि एवं मा मिस तुम कपाइ जपेजा। होइ महंतो दोसो रिसोर्ट एवं पुरा भणिर्य ॥ अत्थस्स पुण उवाया दिसि गम होइ मित्त करणं च । णरवर-सेवा कुसलत्तणं च माणष्पमाणेसुं ॥ धाउब्याओ मतं च देवयाराहणं च केसि च । सायर-तरणं तह रोहणम्मि खणणं वणिज्जं च ॥ विच कम्मं विजा-सिध्याएँ व रुवाई | अत्यस्स साहयाई अणिदियाई एवाई ॥ १४ ) ता वचिमो दक्खिणावहं । तत्व गया जं देख-काल-बेस-तं करिदामो' ति सम्मं मंतिऊण अण्णम्मि 27 दिय कय-मंगलवारा आउच्छिऊन सयण द्वि-ब गयि पच्छयणा णिग्या दुवे तिथ अय-गिरि-सरिया सबसंकुलाओ अडईओ उल्लंघिऊण कह कह वि पत्ता पइद्वाणं णाम णयरं । तहिं च णयरे अणेय घण घण्ण-रयण-संकुले महा10] सग्ग-गयर सरिसे णाणा-वाणिलाई कमाई, पेसणाई करेमा कह कह दिएकेक मेहिं बिताई पंच पंच सुवण-सह- 30 स्साइं । भणियं च णेहिं परोप्परं । 'अहो, वित्तं अम्हेहिं जं इच्छामो अत्यं । एवं च चोराइ उवद्दवेहिं ण य ोउं तीरह सस हुतं तातं इमेण अत्येण सुवण्ण-सहस्स-मोलाई रवणाई पंच पंच हिमो ताई सदे गयाणं सम-मोहाई 13 अदिय-मोलाई वा वचाहिं ति भणिऊण गहिये एकेर्क सुवण्य-सदस्य मोह एवं च एवाई के पंच पंच रयणाई | 33 " for कपडे, पीनी पडओ for वढि बिवनिरंतरा 1) सरलसरस र सो चेष, Po.. एको, Pom. भर, P मे तूवयरी, Pom. मज्झे सो चेय ete to तस्य य तारिसस्प 3) यदि मिक्सिस्स निरण्युपस्स, विप्पलुद्ध उ माया" सोक for सोउण, P चेव 6 ) P संपग्ग 72 कुलगाओ, सीलरयणाणं, P अवरोपहरं देववसेग. 7) सीमा अवरोसे 8 ) P अपणो चिय पडिसुद्धयाए. 1011) पीइं जंपि 13 P पुरिसत्थो 14 ) P तम्हा न for अम्हाण. 15 ) जर जिअ for जीवियं, P जीविउं for जीवियं, P अत्थो होही. 16 ) Pom. च, P खेलिमो, P कण्णं. 17 ) मुसिमो, P छिंदिनो for हिण्णिमो, Pom. one तद्दा, होहिति त्ति. 18) तरुवरेग, P तरुयरेगं एवं पियाई करयलपलवालई. 19 ) P हियएण वि ताव मित्त चिंते. 20 P मणिऊण, J लक्खितो. 21 ) Jom. त्ति, अत्थोपायं जंण पुण तुमं, P एत्थोपायं पुण जं तुमं भणसि तं. 23 ) P एयं सा मित्त. 24) P उण 25 ) " मंत देव, केसि चि for च केसिंच. 26 > P सवाई ग, P साहणाई. Jom. अर्गदियाई च. 27 ) P गयाणं जमं कालदेसवेसजुत्तं तं करीहामो त्ति समं. 28 ) P सयलनिद्धवग्गो गच्छिहिय, Jपच्छेया for पच्छयणा, P सिरि for गिरि29 > P विलंधिऊण, P नयणं for णयरं, Jom. णयरे, Pom. अणेय, Jom. घण्ण. 30 J वणिज्जाई, P वरणिज्जाई कम्मं च करेमाणेहिं पेसणेण कह. 31 ) Pom. अहो, P जहिच्छाए for जं इच्छामो, P एवं च चोराउद्दवेहिं, P तीरइ विसयाहुतं. 32 ) J ततो for ता तं, rom one पंच, सरसं गयाई, P सरिस for सम, सममोलाई चकित 33 ) P वचीहिंति आई for एयाई, ए पंचपं for second पंच. 8 Jain Education International 9 For Private & Personal Use Only 12 15 24 www.jainelibrary.org
SR No.002777
Book TitleKuvalayamala Part 1
Original Sutra AuthorUdyotansuri
AuthorA N Upadhye
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1959
Total Pages322
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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