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उज्जोयणसूरिविरइया
1 अहि धम्म - सीलं गुणेसु मा मच्छरं कुणह तुब्भे । बहु-सिक्खिए य सेवह जइ जाणह सुंदरं लोए ॥ माकडुवे भजते महुरं पडिभगद कटुव भणिया विज गेहिकण इच्छह लोए सुहयत्तण- पडावं ॥ हासेण विमा भण्ण्ड णवरं जे सम्म चे वय सर्व भणामि पुसो दोहगां णरिध लोयम्मि ॥ धम्मम्म कुह व रामो सत्सु णिउण भणिए । पुणरुतं च कला वा गणणिनो सुवण-मज्ये ॥ इय णरवइ इ लोए एवं विय शूज होइ कीरंतं धम्मत्थ-काम-मोक्वाण साहयं पुरिस कजार्ग ॥ ता कुणलु आयरं भो पढाइ भणियं । ततो सावय-धम्मं करेसु पच्छा समण-धम्मं ॥ ता कलि-मल-ल-क-जिओ विमल याण-ति । चिहि सिद्धि-बसी सयल-किलेसाण योच्छे ॥ जत्य ण जरा ण म ण वाहिणो व सच्च- दुखाई तिहुयण- सोक्खाण परं वरं पुण अणुवमं सोक्वं ॥ अयि । 9 संसारे दूर-पारे जलहि-जल-समे भीखणावदुक्ादिपीडा जर मरण-मयावद-दुक्साइ-चके । मजंताणं जियाणं दुह-सय-पउरे मोह-मूढाण ताणं, मोतुं तं केवलं भो जिणवर चयणं णत्थि हत्थावलंबी ॥'
६) तर कसर जाणिकण आबद्ध करयलेज ला पुच्छि भगवे धम्मणो वासव महामंतिणा, भणियं 12 च णेण । 'भगवें, जो एस तर अम्ह एवं तं दुक्ख-रूवो साहिओ चउ-गइ-लक्खगो संसारो, एयस्स पढमं किं णिमित्तं, जेण एए 18 जीवा एवं परिभमंति' त्ति । भणियं च गुरुणा धम्मणंदगेण । 'भो भो महामंति, पुरंदरदत्त महाराय णिसुणेसु, संसार-परिभ्रमणस्स जे कारण भयं जिणवरेहिं ति ।
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15 कोहो य माणो य अणिग्गहीया, माया य लोहा य पवढमाणा । चत्तारि एए कसिणा कसाया, सिंचंति मूलाइँ पुणब्भवस्स ॥ 15
अण्णाधो जीवो पडिवज्जइ जेण विसम-दोग्गई मग्गे । मूढो कजाकजे एयाणं पंचमो मोहो ॥
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तत्थ कोहो णाम जं केणइ अवरदे वा अणवरद्वे वा मिच्छा वियप्पेहिं वा भावयंतस्स परस्स उचरिं बंध-घाय-कस-च्छेय18 तजणा-मारणाइ-भावो उन तस्स कोहो ति णामं जो उण अहं एरिसो एरिलो ति तारसोत्ति य जाइ कुबल-विद्या- 18 चणाई एसो उन ममाहमो किं एवरस अहं बिसहामि ति जो पुरियो अज्झबसाओ अनि णाम सो माणो ति भण्णइ । जो उण इमेणं पओगेणं इमेण वयण विष्णाणेणं इमेणं वियपेणं एयं परं वंचेमि त्ति, तं च सकारणं णिक्कारणं वा, सव्वहा 21 पंचणा - परिणामो जो एसो सव्व-संसारे माया मायत्ति भण्णइ । जो उण इमं सुंदरं इमं सुंदरयरं एयं गेहामि इमं ठावेमि 21 एयं रक्खामि त्ति सव्वहा मुच्छा परिणामो जो सो लोहो ति भण्णइ । तत्थ जो सो कोवो सो चउप्पयारो सव्वष्णूहिं भगतेहिं परुविभो । तं जहा अर्णताणुबंधी, अप्पचखाणवरणो, पञ्चवाणावरण, संजळणो चेय तत्य य पचय राई सरसो पढमो वीज उ पुढच भेय-समो वालुव-रेहा तो हो त्यो य जल-रेहा ॥
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पव्वय - राइ- सरिच्छो कोवो जम्मे वि जस्स जो हवइ । सो तेण किण्ह-लेसो णरवर णरयं समल्लियइ ॥ खर- पुढवी- मेय-समो संवच्छर-मेरा कोह- परिणामो मरिण णी-सो पुरसो तिरियत जाइ ॥ वालय-रेहा- सरिखो मास-चडकेण कोह-परिणामो मरिण काउसो पुरसो मणुयत्राणमुवे ॥ जल - रेहा - सारिच्छा पुरिसा कोहेण तेउ-लेस्साए । मरिऊण पक्ख-मेत्ते अह ते देवत्तणमुर्वेति ॥ माणो विच विषयो जिगेहि समयस्मि णवर पण्णविओ णामेहि पुण्य-भणिओ जं गातं तयं सुमह ॥ ण णमइ सेलथंभो ईसिं पुण णमइ अस्थिओ थंभो । कह-कह वि दारु-घडिओ सक्सो श्चिय होइ वेत्तमओ ॥ सेलत्थंभ सरिच्छेण णवर मरिऊण वच्चए णरए । किंचि पणामेण पुणो अट्ठिय-थंभेण तिरिएसु ॥ दारुय-भ-सरिच्छेण होइ माणेण मणुय-जम्मम्मि । देवत्तणम्मि वच्चइ वेत्तलओ णाम सम-माणो ॥ माया विचउ - वियप्पा वंस कुडगी य मेंढग-विसाणा । धणुओरंप- सरिच्छा ईसि वंकाउ गप्पडिया ॥
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जं.
1 ) P अअज्झिहिय for अलियह, P ह for य before सेवह. 2 ) P जणं for जणे, P पढायं 3 ) P व for वि, नरवर 5 ) P नरवर for णरवर, उ चिय होइ णूण कीरंतं, P साहसं for सायं. 6 ) P तो for भो, जइ for जं. 7) P वसई for बसदी 8) P व रायोक्ला पर 9 दिसम्म हामी यतिस्थाई-10) से for तं. 11 > Pom. कतरं, उभयवं 12 ) P एसो for एस, J om. अम्ह, Pom. एयंतं, P लवखणं, एरण for एए. 13 > Jom. एयं, P. पुरंदरयत्त, P परिभवणस्स. 14 ) P बंधू for बंधूहिं, Pom. "हिं जिणवरेहिं etc. to अणवरद्धे वा. 15 अणिग्गिहीया. 17 ) P बधधाय तज्जणमा 18 ) P कोवो for कोहो, Pom. त्ति तारिसों ति. 19 ) कीस for किं, Pom. अहं विसहमि P विसहामो, एरिस अज्झबसाओ सो माणो. 20 ) जो पुण, P वयणभिन्नासेणं, P एयं परपंचमित्ति. 21) सा for जो एसो, JP संसारमाया, P इमं न सुंदरं इमं च न सुंदरं एयं, P ठावेमि इमं न देमि एयं. 22 ) P लोभो, Jom. भगवंतेहिं. 23 ) J अप्पचक्खाणो, Pom. तत्थ य. 24 ) P बिइओ, J adds उ later, पुढवीभेय, जलरेहो. 25) राई for राह, " जस्स नो घटइ ।. 26 ) P तिरियत्तणं, J जाई Pजायद. 27 ) सरिसा सास, P परिणामा, P कोउलेसा, मणुयत्तणे जंति - 28 ) जलहासरसो उण पुरेसा कोण त तेउ, P-सारिच्छा कीलंतपणटु कोवसब्भावो । मरिऊण तेउलेसा पुरिसा देवत्तणे जंति। 2-9 ) P नामेग for णामेहि, गाणं तं for णाणतं. 30 P उण for पुण. 31 ) P उणो for पुणो 32 ) P दारुत्थंभ, J सममाणे 33 मे परिच्छा इसि च काउ सप्पाटिया,
सरिच्छो ईसी
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