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________________ -१९६] कुवलयमाला 1 अव परिचित चित्र कीस इमो दो आगच्छ जेण ण चिंतिऊब सग्गं समारुहद्द ॥ अह पावणो त्तिण इमो विसिद्ध-बुडीऍ होज परिगहिओ । तत्थ वि विसिद्ध-बुद्धी - परिगहियं होज कूव जलं ॥ भगसि हो पि दुतित्वे गम णिरत्यय होन वह ते ण होज विश्वं पुण होहिद्द एत्थ को हेऊ ॥ जुति-वियारण जोगं तदा एवं ण होइ विहाण सूद-जण पयण- वित्धर-परंपराए गये सिद्धी ॥ पुणमवस्स अंगट्टियाइँ दुर्मति जत्री-सलिले । से वस्त्र होइ धम्मं एत्थ तुम केण वेळविधो ॥ तात्थ वर णरवर एस बराओ अयाणुओ मुझे पाव-परिवेदिनो चिय भामि मंदबुद्धीहिं ॥" एवं च सोऊण सव्वं सच्चयं तं नियय- पुण्त्र-वुत्तंतं पुणो वि 6 3 12 गियरअंजलिउडो भक्ति भराकर मान-सम्भावो । संवेग-ल-बुद्धी देर से समलीणो ॥ 9 उद्वाइओ भगवओ चलण-जय-हुतं, घेत्तृण भगवओ चलण-जुयलं करयलेहिं, अवि य, संवेग-बाद-जोयल घोष-गुरु-बलगी गुणियो चलणालो अह एवं भणिउमटतो || । 'भय से कहिये मह दुच्चरिवं इमे भउण्णस्स अक्बर-मेण चितं ण य विड तुम्ह भणिया ॥ ता जह एवं जागसि तह णूण वियाणसे फुडं तं पि । जेण महं पावमिगं परिसुज्झइ अकय-पुण्णस्स ॥ तामह कुणसु पसायं गुरु-पाव-महा-समुद्र-पडियस्स । पणिवइय वच्छल च्चिय सप्पुरिसा होंति दीणमि ॥' चामा गुरुणा भणओ 'भहमुद, णिसुसु मञ्झ चयणं एवं किल भगवंतेहिं सम्यहि सव्व 15 तत्रेहिं पण खिलु भो कडा कम्मार्ग दुष्पटिकवणं यत्ता मोक्लो, णत्थि अवेयइसा, ससा 15 वा सोसत्ता' तेण तु कुणसु तवं गेण्ट्सु दिक् पचिल सम्म, दिसु चरिवं, विरमधु पाणि बदाम, उज्झसु परिग्ग, मा भणसु अलियं, णियत्तसु पर दब्बे, विरमसु कोवे, रजसु संजमे, परिहरसु मायं, मा चिंतेसु लोहं, अवमण्णसु 18 अहंकार होस् विनोति । अयि । 2 एवं चिय कुणमागोण हु णवर इमं ति जं कयं पावें । भव-सय-सहस्स-रइयं खगेण सव्र्व्व पणासेसि ॥' एवं च सोऊण भणिये चैडसोमेग 'भयवं जदिखा जोगो है, वा मर्द दे दिख' ति गुरुणा विगाणाइसपुर्ण उवसंत1 सवय कम्मो जाणिकण पत्रवण भणिय- समाधारेण दिति ॥ ७ ॥ 27 33 ४९ Jain Education International ९६) मणि च पुणो विगुरुणा धम्मणंदणं । 'माणो संतावयरो भागो जत्वस्व णासणो भगिनो मागो परिव-मूलं पिय-बंधवासो माग ॥ 1 24 माणत्यो पुरियो ण-पाणइ अपर्ण गाणप्यर्ण, ण पित्रं णापि ण बंधुं गावंडे, ण स णासनुं, ण मितं णामितं, ण 24 सणास व सामिवं णासामियं ण नियं णाभिर्थ, ण उपचारिणं णाणुवयारिणं, णपियंवयं णापिर्यवयं ण पणयं णापणयं, ति । अवि य लहुयत्तणस्स मूलं सोग्गइ-प-णासणं अणत्थरं । तेगं चिय साहूहिं माणं दूरेण परिहरियं ॥ माण-महा-गह-गहिओ मरमाणो पेच्छए ण वारेइ । अवि मायरं पिये भारियं पि एसो जहा पुरिसो ॥' भणिय च राइणा 'भयवं, बहु-पुरिस संकुले ण-याणियों को विएस पुरिसो' त्ति । भणियं च धम्मणंदणेण । 30 "जो एसर पामे दाहिनासम्म संडिज तुझ एकुष्णामिव भुमवित्वारि-पिपच्छ गव्य-भर-मलिच्छ पाउडाडोवो तातो घरले पुणे पुणो वामपाण ॥ उत्तत्त-कणय-बण्यो आविरदीहर रीटा पेसविषाए तुम पि दिट्ठीए विज्झाई ॥ इमिणा रूपेण इमो माणो व्व समागओ इहं होज । एएण माण- मूढेण जे कयं तं णिसामेह ॥ 1 1 3 For Private & Personal Use Only 12 18 21 2 ) बामणो for पावगो, बुद्धीय होज्ज होऊण for होज्ज, उतत्थ विसिडा बुद्धी होउ for होज (sometime 3 und ज्ञ look similar ) 3 ) गंगा for तित्थे णिरत्थओ P गंगं for तित्थं 4 ) P गय, P has here the verse किंतु पवित्तं तियसिंदसेवियं मणविवृद्धिकरयं च । एत्तियमेत्तेण कभी तरस भरो वो अवंतीए -compare the readings with the verse in J noted above, p. 48, foot-note, 29. 5 ) एस. 6 ) Pom. णवर, P अयाणओ सुद्धो, P परिवेडिओ, पाव for मंद. 7) सवयं सम्मयं P तिययं for शियय, om. वि. 8 ) रइयविगय अंजलीउडो, संब्वेयलद्ध 9 ) Pजुयलहुत्तो, Pommits अवि य- 10 J संत्रेय, Pom. घोय, P चलणजुयललग्गो. 11) P भगवं, P तेहिं for ते, 12 ) मि for f 14 > P भद्द मह गुणेसु मह वयणं, P फिर for किल. वा जोसरता. 17 P भणे, विरज्जतु. 18 अहंकारो om. वि, P नागारसए उब 21 ) P खइय 22 J for च 24 ) P माणथद्धो, P अध्वयं नाणप्ययं न बंधू नाबंधू, ण रात्तू णासत्तू. places 27 ) P पणनास अणत्थकरे. 28 ) Pमारियं for मायरं, for वामे, एकुन्नामियमभिभोवत्यारिय, P वत्थयलो. मत्तेण for मेते. 15)दुता, P वैश्चा- 16) Ja for 20 > P भगवं, P दिखाए जोगो अहं ता महं, P before पुगो. 23 ) P मूलो, P बंधुविणासगो. 25 )P नाउवारिणं, P पिय for पिय in both पिया for पियें. 29 ) P भगवं 30 ) P वामो 31 ) 3 खंध for गव्व, P उत्तठाडोवो, P -प्पारण. 32 ) P वेत्त for बत्त, 33 ) J इहं for इमो, P समागमो, P होज्जा, P निसामेहि. P निज्झायइ. 7 27 30 33 www.jainelibrary.org
SR No.002777
Book TitleKuvalayamala Part 1
Original Sutra AuthorUdyotansuri
AuthorA N Upadhye
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1959
Total Pages322
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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