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३० उजोयणसूरिविरइया
[९६५1सागयं तुह, आगच्छसु' त्ति । तओ णाम-गोत्त-कित्तण-संभाविय-णाणाइसएण रोमंच-कंचुव्वहण-रेहिरंगेण विणय-पणएण 1 पणमियं णेण सयल-संसार-सहाव-मुणिणो महामुणिणो चलण-जुयलयं ति। भगवया वि सयल-भव-भय-हारिणा सिद्धिसुह-कारिणा लंभिओधम्मलाह-महारयणं ति। तेण वि दिव्व-पुरिसेण पसारिओ ससंभमं सुर-पायव-किसलय-कोमलो माणिक- 3 कडयाभरण-रेहिरो दाहिणो करयलो। तओ राय-सुएणावि पसारिय-भुय-करयलेण गहियं से ससंभम करयल, ईसि विणउत्तमंगेण कओ से पणामो । मयवइणा वि दरिय-मत्त-महावण-करि-वियड-गडयल-गलिय-मय-जलोल्लणा-णिम्महंत-बहल6 केसर-जडा-कडप्पेण उब्वेल्लमाण-दीह-गंगूलेणं पसंत-कण्ण-जुयलेण ईसि-मउलियच्छिणा अणुमण्णिओ राय-तणओ। कुमारेण 8 वि हरिस-वियसमाणाए सूइज्जतंतर-सिगेहाए पुलइओ गिद्ध-धवलाए दिट्ठीए । उवविट्ठो य णाइदूरे मुणिणो चलण-जुवलयसंसिए चंदमणि-सिलायले त्ति । सुहासणत्यो य भणिओ भगवया 'कुमार, तए चिंतिय, पुच्छामि ण एयं मुणिं जहा केणार्ह 9 अवहरिओ, किं वा कारण, को वा एस तुरंगमो ति । एयं च तुह सव्वं चेय सवित्थर साहेमो, अवहिएण होयब्वं' ति। " भणियं च सविणयं कुमारेण । 'भयवं, अइगरुओ ञ्चय पसाओ जं गुरुणा मह हियइच्छिय साहिजइ' त्ति भणिऊण कर- .
यलंगुली-णह-रयण-किरण-जाला-संवलियंत-कयजली ठिओ रायउत्तो । भगवं पि 12 अविलंबिओ अचवलो वियार-रहिओ अणुब्भडाडोवो । अह साहिउँ पयत्तो भब्वाणं हियय-णिव्ववणं ॥
६६६) संसारम्मि अणते जीवा तं णत्थि जण पावेति । णारय-तिरिय-णरामर-भवेसु सिद्धिं अपार्वता ॥ जस्स विओए सुंदर जीयं ण धरेंति मोह-मूढ-मणा । तं चेय पुणो जीवा देसं दट्ट पि ण चयति ॥ कह-कह वि मूढ-हियएण वढिओ जो मणोरह-सएहिं । तं चिय जीवा पच्छा ते चिय खयर व्व छिंदति ॥ जो जीविएण णिचं णियएण वि रक्खिओ ससत्तीए । तं चिय ते चिय मूढा खग्ग-पहारेहि दारेति ॥
जेणं चिय कोमल-करयलेर्हि संवाहियाई अंगाई । सो च्चिय मूढो फालइ अव्वो करवत्त-जंतेहिं । 18 आसा-विणडिय-तण्हालुएहिँ पिय-पुत्तओ त्ति जो गणिओ। संसारासार-रह-भामिओ सो भवे सत्त ॥
पीय थणय-च्छीरं जाणं मूढेण बाल-भावम्मि । विसमे भव-कंतारे ताण चिय लोहियं पीयं ॥ जो चलण-पणामेहिं भत्तीऍ थुओ गुरु त्ति काऊणं । णिद्दय-पाय-प्पहरेहि चुण्णिओ सो चिय वराओ॥ जस्स य मरणे रुब्बइ बाह-भरंतोत्थएहि णयणेहि । कीरइ मय-करणिजं पुणो वि तस्सेय मंसेहिं । भत्ति-बहु-माण-जुत्तेण पूइया जा जण जणणि त्ति । संजाय-मयण-मोहेण रमिया एस महिल त्ति ॥
पुत्तो वि य होइ पई पई वि सो पुत्तभो पुणो होइ । जाया वि होइ माया माया वि य होइ से जाया । 84 होइ पिया पुण दासो मरिउं दासो वि से पुणो जणओ। भाया वि होइ सत्तू सत्तू वि सहोयरो होइ ।
भिच्चो वि होइ सामी सामी मरिऊण हवइ से भिच्चो । संसारम्मि असारे एस गई होइ जीवाणं ॥ _इय कुमार, किं वा भण्णउ । 27 खर-पवणाइद्धं विसमं पत्तं परिभमइ गिरि-णिउंजम्मि । इय पाव-पवण-परिहडिओ वि जीवो परिब्भमइ ॥ तेण कुमार, इमं भावेयव्वं ।
ण य कस्स वि को वि पिया ण य माया णेय पुत्त-दाराई। ण य मित्तं ण य सत्तू ण बंधवो साभि-भिच्चो वा ॥ 30 णिययाणुभाव-सरिसं सुहमसुहं जे कयं पुरा कम्मं । तं वेदंति अहण्णा जीवा एएण मोहेण ॥
बद्धति तत्थ वि पुणो तेसिं चिय कारणेण मूढ-मणा । भव-सय-सहस्स-भोज पावं पावाए बुद्धीए॥ अहवा ।
जह वालुयाए बाला पुलिणे कीलंति अलिय-कय-घरया । अलिय-वियप्पिय-माया-पिय-पुत्त-परंपरा-मूढा ।। 33 कलह करेंति ते चिय भुंजंति पुणो घराधरि जंति । बाल ब्व जाण बाला जीवा संसार-पुलिणम्मि ॥
1)P कंचउव्वण, P विणयप्पण. 2) जुवलयं, सय for भय. 3) P धम्मलाभिओ for लंमिओ, P धम्मलाभ. 4) P कडयाहरण, P पसारिउभय. 5)P विणिमिउत्त, P मइवयणा, Pom. गंड. 6) Pजदाजटप्पेण, नदीहरलंगलेणं पसमंत, P अणुमओ, P कुमारणा. 7) Jहरी वियसमाण सूह,P पुलोइओ,Jom. धवलाए, Pदिद्राए । उयविदिदो, P मुणिणा, P जुयलसं. 8)Jhas a marginal note: समीवे-पा. on the word संसिए, P सिलायलए त्ति, P भयवया. 9) Pom. त्ति, Pएयं वा तुरंगमाहरणापेरंवलंत कयंजली for एयं च तुह सव्वं etc. to संवलियंतकयंजली. 10) चेए for चेय. 11)Pरायपुत्तो,' adds something like भगवं पि in later hand, 12) P अवलंबिओ, P साहियं, P निव्वर्ण. 13) Pपावंति, अपावंता. 14) P जायं for जीयं. 15) Pom. two lines: तं चिय जीवा to रक्खिओ ससत्तीए. 16)Pचिय जीवा मूढा. 17) Pom. three lines from य कोमल to गणिओ सं. 20) P चलयण-, P -पहारेहिं. 21) Pथएण वयणेण. 22) P जगणणिणि, P मिहल for महिल. 23) Pसो for विय, P होई, Pसे for सो, P विय से पुणो जाया. 24)" पुण दोसो. 25)P सो भवे for हवा से, I om. संसारम्मि to जीवाणं ।. 27)Pपवणाईई, वसमं, P परिहि हिओ. 28) Pइमं संभावे'. 29) सत्तं. 30) वेयंती अन्ने जीवा. 31)P बंधति. 320P बाले, J अणियकयघरए, J पिदि for पिय. 33) P भंजंति, Pघरि घरि जति, बालो व्व.
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