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________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६७६1 जावं असि-चक्क-तोमर-पूरे पूय-वसा-रुहिर-मुत्त-विच्छिड्डे । अग्गिंगाला-मुम्मुर-णिवहे अह वरिसए जलओ ॥ तह तेण ते परद्धा वेयालिय-पञ्चए गुहाहुत्ता । धावंति धावमाणा दीणा सेल्लेहिँ हम्मंता ॥ ३ पत्ता वि तत्थ केई गुरु-वज-सिलाभिघाय-दलियंगा । पविसंति गुहाएँ मुहं बितियं णरयं व घोर-तमं ॥ ७७) अह पलय-काल-जलहर-गजिय-गुरु-राव-दूसह सई । सोऊण परं भीया पडिवह-हुत्तं पलायति । तत्थ वि पलायमाणा भीम-गुहा-कडय-भित्ति-भाएहिं । सुसुमूरियंगमंगा पीसते सालि-पिटुं व ॥ कहकह वि तत्थ चुक्का णाऊगं एस पुव-वेरि त्ति । बेउब्बिय-सीह-सियाल-सुणय-सउहिँ घेति ॥ तेहि वि ते खजंता अंछ-वियछं खरं च विरसंता। कहकह वि किंचि-सेसा वज-कुडंग अह पविट्ठा ॥ अह ते वियण-परद्धा खण-मेतं ते वि तत्थ चिंतेति । हा हा अहो अकजं मूळेहि कयं तमंधेहिं ॥ 9 तइओ चिय मह कहियं णरए किर एरिसीओ वियणाओ। ण य सद्दहामि मूढो एहि अणुलोमि पञ्चक्खं ॥ हा हा भणिओ तइया मा मा मारेसु जीव-संघाए । ण य विरमामि अहण्णो विलयामिस-मोहिओ संतो ॥ मा मा जंपसु अलियं एवं साहूण उवइसंताणं । को व ण जंपइ अलियं भणामि एयं विमूढ-मणो ॥ 12 साहंति मज्झ गुरुणो पर-दबं णेय घेप्पए किंचि । एवमहं पडिभणिमो सहोयरो कत्थ मे दव्वं ॥ साहति साहुणो मे पर-लोय-विरुद्धयं पर-कलत्तं । हा हा तत्थ कहंतो पर-लोओ कैरिसो होइ ॥ जइ णे भणंति गुरुणो परिग्गहो णेय कीरए गुरुओ । ता कीस भणामि अहं ण सरइ अम्हं विणा इमिणा ॥ 15 जइ णे भणंति साधू मा हु करे एत्तियं महारंभं । ता कीस अहं भणिमो कह जियउ कुडंबयं मज्झ ॥ संपइ तं कत्थ गयं रे जीव कुडंवयं पियं तुज्झ । जस्स कए अणुदियहं एरिस-दुक्खं कयं पावं ॥ तइया भणति गुरुणो मा एए णिहण संबर-कुरंगे । पडिभणिमो मूढप्पा फल-साग-सरिच्छया एए॥ 18 इय चिंतेंति तहिं चिय खण-मेत्तं के वि पत्त-सम्मत्ता । गुरु-दुक्ख-समोच्छइया भवरे एवं ण चाएंति ॥ अह ताण तक्खणं चिय उद्धावइ वण-दवो धमधमेंतो। पवणाइड-कुडंगो दहि चिय तं समाढत्तो॥ अह तत्थ डज्झमाणा दूसह-जालोलि-संवलिय-गत्ता । सत्ता वि सउम्मत्ता भमंति णरयम्मि दुक्खत्ता ॥ अवि य। 2l सर-कोत-समागम-भीसणए दुसहाणल-जाल-समाउलए । रुहिरारुण-पूय-वसा-कलिए सययं परिहिंडइ सो णरए ॥ इय दुक्ख-परंपर-दूसहए खण-मेत्त ण पावइ सइ सुहए । कय-दुक्कय-कम्म-विमोहियया भम रे सुह-वज्जिययं जियया ॥ सव्व-त्थोवं कालं दस-वास-सहस्साई पढमए णरए । सव्व-बहुं तेत्तीसं सागर-णामाण सत्तमए ॥ 24 एयं च एरिसं भो दिटुं वर-णाण-दसण-धरेहिं । तं पि णरणाह अण्णे अलियं एयं पयंपंति ॥ ६७८) अण्णे भणति मूढा सग्गो गरओ व्व केण भे दिट्रो। अवरे भणति णरओ वियन-परिकपिओ एसो॥ जे च्चिय जाणंति इमं णरयं ते चेय तत्थ वच्चंति । अम्हे ण-याणिमो च्चिय ण वञ्चिमो के वि जंपंति ॥ 27 अण्णाणं अगणाणं ण-याणिमो को वि एस णरओ ति । अवरे भणंति अवरा जं होही तं सहीहामो ॥ संसार-णगर-कयवर-सूयर-सरिसाण णस्थि उब्वेओ । किं कोइ डोंब-डिंभो पडय-सद्दस्स उत्तसइ ॥ अणुदियहम्मि सुणता अवरे गेण्हति णो भयं धिट्टा । भेरी-कुलीय पारावय व्व भेरीऍ सदेणं ॥ 30 णरय-गइ-णाम-कम्म अवरे बंधंति णेय जाणति । ता ओदिसंति मूढा अवरे जस्सोवरि रोसो ॥ अवरे चिंति इमं कलं विरमामि अज विरमामि । ताव भरंति अउण्णा रहिया ववसाय-सारेणं ॥ दे विरम विरम विरमसु पावारंभाओ दोग्गइ-पहाओ । इय विलवंताणं चिय साहणं जंति णरयस्मि ॥ 33 ताणरणाह सयण्णो जो वा जाणाइ पुण्ण-पावाई । जो जाणइ सुंदर-मंगुलाई भावेइ सो एयं ॥ णरए णेरइयाण जं दुक्खं होइ पच्चमाणाणं । अरहा तं साहेज व कत्तो अम्हारिसा मुक्खा ॥ 1 24 1) J कुंत for तोमर, P पूर for पूय, Pom. मुत्त, P अञ्चिगाला, गियरे for णिवहे. 3) P गुहाभिमुई वायंतरयं च घोर-. 4) J भीता P भीया. 5) P'यंगवंगी, पिस्संते, P सालिपिंडं. 6) P गुयणेहिं for सउणेहि. 7) तह मिते खज्जता अच्छिविअच्छक्खरं, P वज्जकुडंगेसु पइसंति ॥ वज्ज कुटंगपविठ्ठा खणमेत्तं तत्थ किंचि पितेति ।. 8) P अहा for अहो, धम्मे हिं for मंधेहि.9) P तत्तो for तइओ. 10) P संघायं, न विसथाविस, P संते. 11) Pमूढ़ for एयं. 12) Pom. "ए किंचि, P सहोअरं. 13) Pom. पर, P भणागो for करतो. 14) नो for णे, परिग्गओ,J गरुओ," तरइ for सरइ. 15) Pणो for णे, P साहू साहुकारे, P जियइ. 17) P सायरससिच्छया एते. 18) P चितति, P गुरुदत्तसमो. एतेच्छ', P चायंति. 19) Pउवावा. 20) ""माणो, P संपलित्तंगा, P निरयंगि. 21) Jहीसणए भीसणाण, पूअसमा P पूइवसा. 22) Pपाविय, P भमिरे, P वज्जिय जं. 23) P त्थोयं, P सहस्साई मं. 24) Jएरिसो, P दिहि, नारनाह, P एयं ति जति. 25)J वियढपरियप्पिओ. 26) Pचुच्चंते. 27) Pहोहि त्ति तं. 28) Pनयर, Propeats वयवर, P उब्वेवो, P के वि for कोइ, Pपडियसद्दसउब्धियइ. 29) J दवा for चिट्ठा, P कुलाय पारावइ ब भीरीय सद्धेण. 30) I गई, P ता for ताओ, I अइसंति P उद्दिसंतु, Jउज रसोवरी P जस्सावरि.31) P नितंति इमो, P थिरमागि सकयसंकेया।, P ववसारेयसारेण. 32) Pom. विरम.33) जे वा जाणंति, P जो जीणइ, सो एवं. 34) Pj for जं, Pमुका. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002777
Book TitleKuvalayamala Part 1
Original Sutra AuthorUdyotansuri
AuthorA N Upadhye
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1959
Total Pages322
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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