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तर पुछि विणा 'भगनं, एस उनको वास्यम्मि जाओ जेण समुप्पण्ण-वेरा- " मग्ग- लग्गो इमं लिंग पडिवण्णो सि' त्ति । साहियं च भगवया सयलं पयंग-पईव समुग्गय-वृत्तंतं । तभ तं च दट्ठण मए चिंतियं 'अहो, धिरा संसार वासस्स जे एसो पर्वगो रखनमाणो विवण्यो । उवाओ सिग्गए परित्तो तर्हि चैव 12 अवाओ जाओ । तं जहा ।
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पट्टिको मलो हव कर्यतस्य ॥
जह से तासिनो सो सरणाची मग्गए विले सो अवगरओसह जोपुर्ति समं णाणाविह-मंत जाहुइ-सएहिं ण य रक्सि
तीर मरण व उबगजो पुरियो ॥
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जानो बई वि
भगवं, को उण एस धम्मो,
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एयं णाऊण इमं अणिच्च-भावेण भावियं लोयं । तम्हा करेमि धम्मं को साहारो त्थ रज्जेणं ॥ एवं चमरा-मण्णावडियस्स तदा कम्म क्लबसमे अण्ण- जम्म-सरणं समुप्यण्णं आसि अहं भवरवि साह, ततो य सोहम्मे देवो । तत्तो वि चइऊण अहं इह राया समुप्पण्णो । तओ कयं मए पंचमुट्टियं लोयं । अहासंणिहियाए देवयाए 18 समप्पियं रय-हरणं उपकरणं च तो निधो मुणिव ६ २३३ ) एवं च भगवया साहिए समाणे स से पुच्छि विमले मंतिणा कहं वा कायव्वो, किं वा इमिणा साहेयन्वं' ति एवं च पुच्छिए भणियं भगवया रायरिसिणा । 'देवाणुपिया णिसुणेसु जं तए पुच्छियं इमं धम्मं । पढमं चिय मूलाओ ण होइ जड़ संसओ तुज्झ ॥ धमाधम्मागासा जीवा अह पोग्गला य लोयम्मि । पंचेव पयत्थाई लोयाणुभवेण सिद्धाई ॥ धमाधम्मागासा गइ ठिइ- अवगास-लक्खणा भणिया जीवाण पगलाण य संजोए होंति णव अण्णे | जीवाजीवा आसव पुण्णं पावं च संवरो चेय । बंधो णिज्जर- मोक्खो णव एए होंति परमव्था ॥ जो चद वल बनाइ जानद नह मुबइ सुणइ उवडतो। सो पाण धारणानो जीवो अह भण्णह पययो ॥ जो उण ण चलइ ण वलड् ण य जंपइ णेय जाणए किंचि । सो होइ अजीवो सि य विवरीओ जीव-धम्माणं ॥ अद कोह-लोह-माया-सिद्धि-स्वस्स दुङ-भावस्य जम्मा पावव-पंको सिद्धि दे महि-रलो व ॥ सो आसवो ति भण्णइ ज व तलावस्त्र आगमदारो सो होइ दुबिह-मेल पुणे पाच लोयमि देवत्तं मणुयत्तं तत्थ विसिद्वाइँ काम भोगाई । गहिएण जेण जीवो भुंजइ से होइ पुण्णं ति ॥
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रएसु य तिरिए य तेसु य दुक्खाइँ णेय रुवाई | भुंजइ जस्स बलेगं तं पायें होइ णायव्वं ॥ अह पुण्ण-पाव खेलय- चउगह संसार-वाहियालीए गिरिओ व जाइ जीव कसाय परहिंहमंतो ॥ गाण सणावरण- वेवणिनं च हो वह मोई अवरंतराय कम्मे आयुक्स नाम गोतं च ॥ तं राग-दोस बसलो मूहो बहुए पावकम् अ-विधं कम्म भलं जीवो अह बंध सययं ॥
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जोयणसूरिविरहया
सो गांव कोइ जीवो इमम्मि संसार- दुक्ख-वासम्मि माह-पियुत्त बंधू बहुसो सवणणं पत्तो ॥ सो गरि कोइ जीवो जयम्मि सवलम्मि जो ण कमेण वियासा मूढ-मणो अवरोप्पर-मारणं पत्तो ॥ सो णत्थि कोइ जीवो चउगइ-संसार चारयावासे । अवरोप्पर- कज्ज-मओ जो ण वि मित्तत्तणं पत्तो ॥ सो णत्थि कोइ जीवो भ्रममाणो जो ण कम्मजोएन ईसा मच्छर-कुविमो जो ण व पत्ती ॥ सो णत्थि कोइ जीवो चउगइ संसार सागरे भीमे । णह दंत- दलिय देहो जो य ण आहारिओ बहुसो ॥ सोचिय सत्तू सो चे बंधन होइ कम्म-जोए । सो चिय राया सो चेय भिच्छुभ होइ पावेण ॥ ता पत्तियासु एयं ण एत्थ बंधू ण चेय कोइ भरी । गिय चरिय- जाय- कम्मं पत्तिय सत्तुं च मित्तं च ॥ इस जाणि भणिचे संजोय-विभोर बंधुवणे वेग-मग लग्गो को या ण करेल परोये ||
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1) P बंधू हुसो सगवणवत्तर्ण 3 ) P संसारसायरावासे, P कज्जनमत्रो 4 > P जं for जो, P inter य and or. 5) P जोइ for कोइ, सायरे, P inter. न and य. 6 ) P सोय भिचो अह होइ. 7 ) P सत् य गित्तं. 8 ) जाणियं, P लग्गमग्गो- 9 ) J वुण for उण, P inter. को & उण, संतो सहरम्मि य जाओ. 10 ) P मग्गो for मग्गदगो, Pom. सि, J -पईव, P समुयय- 11 एस पयंगो, adds वि before विषण्णो, चैत्र. 13 सयत्थी. 15P लोगं, P बंधं for धम्मं, Pinter. साहारो and को, P व for स्थ. 16) fat arst. 17 Jom देवो, Jom. अ, Pom., मे for मए, P सन्निहियए, देवताए. 18 ) स्यणहरणं. 19 ) Pom. समाणे, Jom सयले, "बुच्छियवियं विगलमंतिणा. 20 > पुच्छिषण भणियं. 21 ) P देवाणुपिया, P तुम्हं for 22 23 तुज्झ. ठिति, P अवगाह 24 ) P संवरं चेव, 3 inter. बंधों & गिज्जर, एते, P परमत्थो 25 ) repeats नलइ जागई इस हसइ उवयुक्त्तो. 26 ) P किंपि 1. 27 ) P inter. लोह & कोह, पायव for पावय, देवो 28 ) वर for व आगमंदारो, P लोगं मि. 29 ) भोआई. 30 P पेग for णेय, उ जस्स हलेणं. 31 पुन्ना, " गिडिओ व् लाजा, बोराण, P निज्जं तो for हम्मतो. 32 ) Pom. होड़, P आउकखं
33 ) अट्ठविहं सततं.
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