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________________ उज्जोयणसूरिविरइया 1 जइ एको थिय अच्या कह सुह-दुखाई भिण्ण- रुवाई एक्केण दुक्खिणं सच्चे ते दुक्लिया होतु ॥ अण्गेण भणियं । अन्वावारं दिज्जइ पसुओ मारिजए य मंतेहिं । माई - पिइस्स मेहं गो-मेहो वा फुडो धम्मो ॥ राइणा चिंतियं । जं दिज्जइ तं सारं जं पुण मारिजए पसू गो वा । तमधम्मं मह लिहियं देवीए पट्टए सव्वं ॥ G अण्णेण भणियं । काय-बलि-इस देवो कीरइ जलणम्मि सिप्पए भी सुप्पीया होंति सुरा ते तुट्टा देवि धम्मं तु ॥ राइणा चिंतियं । 9 को च्छ काय पुण जलणम्मि लिए भतं तस्स छोइ अण्णस्स वा वि एवं ण याणामो ॥ अपणेण भणियं । चऊण सम्य-संग वगम्मि गंतून व-विवो कंद-फल-कुसुम भक्तो जता धम्मो रिसी तेण ॥ 12 राइणा चिंतियं । 3 21 २०४ 15 दिज भण-समणे विहले दीणे य दुक्ख किंचि गुरु-पूवणं पि कीरह सारो धम्माण गिहि-धम्मो ॥ णरवइणा चिंतियं । जं दाणं तं दिनं अत-घाभो ण पेच्छइ घरम्मि । एसो विधइ बाल चुक्कइ हथिस्स कंडेण ॥ 18 अण्णेण भणियं । 1 भखाभवखाण धर्म गम्मागम्माण अंतरं णत्थि अद्वैत वाय-भणि धम्मो अम्हाण निम्बुदो ॥ राहण चितिर्थ । एवं लोग विरुद्ध परकोय विरुद्वयं पि पच धम्मो उण इंद्रिय निगाहेण मह पट्टए लिहिये ॥ अण्णेण भणियं । विष्णष्यसि देव कुई पंच-पवितेहि आण-विहीय सद्दत वाय-भगिनो धम्मो जम्हाण गिम्दो ॥ 24 राइणा चिंतियं । लोमसहारे जिभिदियस्स अणुकूलमासणं फंसे । धम्माओ इंदिय-णिग्गण एसो वि धम्मो त्ति ॥ अण्गेण भणियं । 1 धम्मट्टियरस दिजइ विव-कलपि अतणो देई तारे सो तरंतो अलाबु खरिसो भव-समुदं ॥ राइणा भणियं । 27 सारो जह णीसंगो जं पुण कंदष्फलाई भुंजंति । एसो जीव-णिकाओ जीव दया वह धम्मो ॥ अण्णेण भणियं । 33 जद्द भुंजइ कह व मुणी अह ण मुणी किं च तस्स दिण्णेण । आरोविया सिलोवरि किं तरइ सिला जले गहिरे ॥ 30 अण्गेण भणियं । जो कुणइ साहस-बलं सत्तं अवलंबिऊण णरणाह । तस्स किर होइ सुगई मह धम्मो एस पडिहाइ ॥ राइणा चिंतियं । य-सुसु विरुद्धो अप्यवहो मिंदिओ व विदुदेहिं जइ तस्स होइ सुगई जिसे पि अमर्थ भवेजासु ॥ अण्णेण भणियं । गंतूण गिरि-वरेसुं अत्ताणं मुंचए महाधीरो । सो होइ एत्थ धम्मो अहवा जो गुग्गुलं धरइ ॥ 36 राइणा चिंतियं । [$ ३२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only 5 ) 3 सुप्पीता P ॥ { 12 15 18 21 24 27 P 1 ) P तिणि for भिण्ण, होति ॥. 3 ) P मारिज्जएहिं मंतेहिं ।, P फुडो धमो ॥. 4 ) P विभणियं for चितियं. मारिज्जई, P एवं चिलायकंमं एस विहंमो जए जाओ || for the second line तमधम्मं etc. 7 > वैस for वइस, सुग्गीवातु 9 P repeats को पुन लोगंनि निकले मतं तं तरस तरसण देवयाण डारो परे 13 ) P एसो जीवाण वहो कह कीरओ कुच्छिओ धम्मो || for the second line. 15 ) P दिजओ, P समण, पूयणं पि, ‍ गिधम्मो 17 ) घातो नाघो, P after कंडेण ॥ omits अण्णेण भणियं । भक्खा etc. ending with पट्टए लिहियं ॥ 19 अद्वैतवात 21 ) J, after लिहियं ॥, omits अण्णेण भणियं । विण्णप्पसि etc. ending with धम्मो ति. 23 ) P विणप्पसि, P वातभणितो, P णिखुद्दो 27 ) P सरिसं 29 ) P कह व मुंणी, व मुणी बिंब तरस, 1 सिलोयरि, P सिलायले. 31) सामस for साहस, 1 सुणती 33 ) P जलणं जलं च जीए तस्स वहो अप्पघाइओ पुरिसो for the first line वेयसुईस etc. P सुगती, P अमयं हवेज्जासु 35 ) P भैरवगिरिं for गिरिवरेसुं, महावीरो, P गुग्गलं. 30 33 36 www.jainelibrary.org
SR No.002777
Book TitleKuvalayamala Part 1
Original Sutra AuthorUdyotansuri
AuthorA N Upadhye
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1959
Total Pages322
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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