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________________ उज्जोयणरिविरइया यहु-कोहा बहु-लोहा माइला माण- मोह परिवदा निंदण-गरण-रहिया झालोयण- नियम परिहीणा || एए करेंति कर्म मह कुलगीत मिडिय मईया अवरे भगति वित्ती अहान कया पावणा ॥ अपरेविरहिया भवरे धम्मो सितं चिय पवण्णा अवरे अवरं दाति मूढयं श्रेय सूद-मणा ॥ जीवियदे एवं करेंति अम्हाण होहिह सुई ति ण य जाति वरावा दुक्लमसाहारण गिरए ॥ पित्र-पुत-भाइ भइणी माया भगाण जाकर कुणइ ते बिवडे चिय व्हाया भुंजइ एकमो दुक्खं ॥ गुरु-वेयण- दुक्खत्तो पुरओ चित्र सयल-बंधु-वग्गस्स । मरिऊण जाइ णरयं गरुणं पाव- कम्पेणं ॥ § ७५ ) फेरिसा ते पुण णरया । अवि व । णक्खत- सूर-रहिया घोरा घोरंधयार-दुप्पेच्छा । अइउण्हा अइसीया सत्तसु पुढवीसु बहु-रूवा ॥ 9 कहिंचि मेज-मज-वस-फेकसाउ कहिंचि रक्त पित्त-पूर-पसरंत मिण्णया कर्हिचि मास-खेल पूय पूरिया कर्हिचि वज्ज-तुंड - पक्खि-संकुला । कहिंचि कुंभीपाय-पञ्चंत जंतुया । कहिंचि संचरंत वायसाउला । कहिंचि घोर-सीह-सुणय- संकुला । कहिंचि चलमाण चैक-भीसणा कहिंचि निवडत सरथवाहसंकुला कहिंचि कट्टमाय-तंत्र राज्य-ताविया कर्हिचि 12 पञ्चमाण-पाणि- दुगंध-गंध-गमिणा । कहिंचि करवत्त-जेन फालिनमाण जंतुया कहिंचि पिन-पोर कसिण-पत्थरा । 12 कहिंचि णरयवालायड्डिय-छुब्भमाण- जलण-जालालुक्खिय- दुक्ख-सह-सय- संकुल त्ति । भवि य । जं जं जयम्मि दुक्खं दुक्ख-द्वाणं च किंचि पुरिसाणं । तं तं भणति णरयं जं णरयं तत्थ किं भणिमो ॥ अह तम्मि भणिय-गुण्ये पत्ता सत्ता वजेण दुफ्लत्ता पसंति क्लु संकट-कुढिले दुफ्लेण ॥ जह किर भव मितीय होइ घडियाल मदहन्दारं । णरयस्मि तह शिवणिक्खुडा वीरेण भणियाई ॥ मुस जल जलु सोहि पूर्व बसा वच्च खेळ-बीहच्छा। दुदंसण-वीणाया चिलीणया होति दुग्गंधा ॥ अह तेसु बिक्खुडे गेण्डर अंतमुत्तमेते काले कम्म यसओ देहं तुझ्याण भावासं ॥ अइभीम-कसिण- देहो अच्छी-कर-कण्ण-णासिया - रहिओ । होइ णपुंसग रूवो अलक्खियक्खो कह वि किंचि ॥ जह जह पूरई अंग वह वह से णिरखुदे ण माए कह कह 1 चल करेमाणो अण्जेहिं णरय पाहिं जह जह ण माइ अंगं तद वह विणाउरो होइ ॥ । अपि पत्तो कुकुछा तुच्छानो ॥ धाति ते वि तुट्टा कलल-सदं करेमाणा ॥ गेण्टद गेण्टह एवं पार्न पाहिं पाए ॥ वा दिडो परमाहुम्मि मादलेह जिंह कद फालेह मिंदर सरेहिं एवं भणमाण चिव एके कुंतेहिं तत् भिदेति । अवरे सरेहिं एतो जवरे छिंति सम्गेहिं ॥ एवं विलुप्पमाणो कङ्क्षितो वि काल-पासेहिं । णिवडतो वज्ज - सिलायलम्मि सय- सिक्करो जाइ ॥ निवडतो च्चिय अण्णे लोह - विणिम्मवियतिक्ख-सूलासु । भिज्जइ अवरो णिवडइ धस त्ति घोराणले पाओ ॥ विडिय मे एवं सहसा हिंदेति तिक्ख-खग्गेहिं भवरे सरेहिं वह पुण अवरे कोतेहिं भिति ॥ मुसुमूर्रेति य अण्णे वज्जेणं के वि तत्थ चूर्रेति । के वि णिसुंभंति दृढं गय- पत्थर-लउड-घाएहिं ॥ जंतेसु के वि पीलंति के वि पोति तिक्ख-सूलासु । कर-कर-कर त्ति छिंदंति के वि करवत्त- जंतेहिं ॥ छमछमछमस्स अण्णे कुंभीपागेसु णवर पच्चंति । चडचडचडस्स अण्णे उक्कत्तिज्जति बिलवंता ॥ 1 3 6 15 18 21 24 27 30 33 ३६ ९ ७६) एवं च कीरमाणा हा हा विलवंति गरुय दुक्खत्ता । कह कह वि बुडबुडेंता सणियं एवं पर्यपंति ॥ पसिवह] पसियह सामिय दुक्खत्तो विष्णवेनिजा किं चि किं व मए अवर साहह किं वा कर्य पार्व ॥ दाऊण सिरे पहरं अह ते जंपंति णिहुर-सरेण । रे रे ण-यणइ मुडो एस बराओ समुज्जूओ ॥ P 1 ) P नयण for नियम 2 ) कुलणीति त्ति, P मईय. 3 ) Pom. अवरे वि व्वयरहिया, रविवय, धम्मति, दाणं ति for दाएंति 4 ) P हेऊ, J एयं, P तम्हान for अम्हाण, P नरए. 5 ) P जं for जा 6 ) P गुरुएणं पुन 7 > ए उण ते for ते पुण. 8 ) Pउथ सीया for अइसीया 9 ) Pवसापुष्कसा, मंभ (१) खेल. 10 P कुंभ for कुंभी. 11) P कहि वि बलमाणचंचुकंक, विणिवडंत P निवडंत, तमय 12)परि for पाणि, P दुध, Pom. गंध. 13 > रयवालो थियछुम्भमाण, P छत्तमाण for छुब्भमाण, P सय for सद्द• 15) P निकडेसुं संकल- 16 ) P वारं नयरंमि तह चिय निकुटा पीरेहि 17) Pom. बच 18 ) निक्कुडेसुं. 19 ) Pom. कृष्ण, P नपुंसय 20 > P निकडे गाया. 21 ) P वेयणिलो चलचलवेलयं, ए अव for अह, P कुच्छाओ for तुच्छा. 22 > अह रोद्द for अणेहिं । विरय for णरथ, P पावंति ते य तुट्ठा. 23 ) P छिंद्रह for मिंदह, P तं for एयं, P पाडेसु for पाएसुं. 24 ) भगवाणे, P एकेकं तेहिं, Padds सरे before सरेदि, Pom. एतो. 25 ) Pय for वि, P जायइ. 26 > P अन्नो for अण्णे, पावो for पाओ. 27 ) P मेत्तो एक्को, Pom. तह पुग, P मिति 28 ) P अवरे for अण्णे, P पूरंति for चूरेंति. 29 ) पीलेंति अवरे, for पीलंति के वि, P पूयंति for पोपंति, P सृले करेंति for कर ति 30 Jछति for छपरस, P कुंभीपासु नवरि, P रिसंता for बिलवंता. 31) P विलर्वेति गुरुय. 33 ) P अवरे for अह ते, P सरेहिं, JP यागइ for यणइ ( emended ). समुजूओ. Jain Education International [8] ७४ For Private & Personal Use Only 3 15 18 21 24 27 30 33 www.jainelibrary.org
SR No.002777
Book TitleKuvalayamala Part 1
Original Sutra AuthorUdyotansuri
AuthorA N Upadhye
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1959
Total Pages322
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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