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________________ 1 3 6 9 12 15 18 21 ९० उज्जोयणसूरिविरइया दारिद्द-वाहि-दुह-सय-सउणाणं स्थखए उ तं मूढो । ताणं चिय सो दासो ण-यणइ जं अत्तणो कज्जं ॥ जे णिज्जामय पुरिसा धम्मायरिया भवंति लोगस्मि । जा दोणी सा दिक्खा जं तीरं होइ तं मोक्खं ॥ संसार- दुक्ख-तविए जीवे तारेति ते महासत्ता जंगम-तित्थ-सरिच्छा चिंतामणि- कप्परुख- समा ॥ तुच्छा एए भोया माणुस जम्मम्मि निंदिया बहुसो ता पावसु सिद्धि-सु इय ते मुणिणो परुति ॥ तत्येको भणइ इमं एवं चिय एध माणुसे दीवे जं सोक्सोक्खं मोक्ख सुद्देणावि किं तेण ॥ पुत्त- पिइ-दार बंधू- माया -पासेहिँ मोहिओ पुरिसो । तं चिय मण्णइ सोक्खं घर-वास-परेण धम्मेण ॥ साताण विधम्मं तीर-सुहं जह य ताण पुरिसाण । ण य तं मोतुं वच्चइ केण वि मोहेण मूढप्पा ॥ सो जर मरण-महाभय-परे संसार-यर-मज्झमि । गड्डा सूयर सरिसो रमइ चिन जो अभाव- जिओ ॥ बिओवि काल-भविभो परिवजइ गुणिबरेहिं जे कहिये तीरं तितुमिच्छ किंतु इमं तत्थ सो भइ ॥ भगवं घरम्मि महिला सा वि विणीया य धम्मसीला य मुचामि कस्स एवं वराइणिं नाह-परिदीगं ॥ पुत्तो वि तीय-जोग्गो तस्स विवाहं करेमि जा तुरियं । दुहिया दिण्ण चिय मे अण्णो पुण बालओ चेय ॥ ता जाव होइ जोग्गो ता भगवं पव्वयामि नियमेण । अण्णो वि ताव जाओ ते वि पलासा य ते दिग्घा ॥ णाऊणं जिण-वयणं जं वा तं वा वलंबणं काउं । अच्छंति घरावासे भविया कालेण जे पुरिसा ॥ तइओ उण जो पुरिसो सोडणं धम्म- देखणं सहसा संसार- दुक्ख भीरू चिंते वाहि भव-पाव कलिमल कंटय-फरसम्मि मणुयोगम्मि अच्छेया को खगं पि विमोक्ख-सुडं जाणमाणो वि ॥ घर-वास-पास बद्धा अलिय कयासावलंबण-मणा य । गेण्हंति णेय दिक्खं अहो णरा साहस- विहूणा ॥ सा पुण्णेहिं म चित्र संपता पुष्य सागो एए दिखा दोणि-वलग्गा वीर सुदं पाविमो अम्हे ॥ समाउ || 1 कणयं पि होइ सुलहं रयणाणि वि णवर होंति सुलहाई । संसारम्मि वि सयले धम्मायरिया ण लब्भेति ॥ ता होउ मह इमे जम्म-जरा-मरण- दुक्ख लिएणं पायेमि सिद्धि-वसई तक्खण भय्यो इमं भइ ॥ तामाचं इमं चिय एत्थ सुंदरं सोक्स उंवार कुडंग-सरिसं वीर सुहाओ विमोक्खाओ ॥ ति । I 1 ६८) एवंतरम्मि भयं सोमप्यमुदेहिं पंचहि वि जहिं । 'जह आणवेसि भगवं पडिवज्जामो तय तं सव्वं । जं पुण तं दुच्चरियं हियए सलं व पडिहाइ ॥' भणियं च भगवया धम्मगंदणेणं । 24 33 [S] १६७ जं कणयं कणयं चि ण होइ कालेण तं पुणो लोहं । इय णाण-विसुद्ध मणा जे साहू ते पुणो साहू || सम्बहा जं जं भणति गुरुणो अज पभायमि तं चिय करेमि को वा होज रायण्णो इमस्स भागं ण जो कुणइ ॥ ति । Jain Education International 'एयं पि मा गगेज्जसु जं किर अम्हेहिँ पाव-कम्मं ति । सो होइ पाव-कम्मो पच्छायावं ण जो कुणइ ॥ सो गाधि कोइ जीवो चढ-ग-संसार चारयावासे । माइ-पिइ भाइ भइणीओ तसो जेण णो दहिया ॥ ता मारिजण एको निंदण-गुरु-गरहणाहि सम्बाहि हुये करेह पायें अवशे तं देय गरुप ॥ 27 तुभे उण सप्पुरिसा कह वि पमाएण जे करेउं जे । पावं पुणो नियत्ता जेण विरत्ता घरासाओ ॥ तुभेहिं पायच्छिते करणीये' ति साहिये किंपि सविं धम्मणंदणं तं च राइणा ण सुर्य ति । एत्थंतरम्मि इंदिय-चोरेहिँ इमो पडिवजह इय मुसिजए लोए । जायम्मि अङ्क-रत्ते बुक्करियं जाम-संखेण ॥ इमे च 30 30 ताव य चिंतियं राइणा । 'डुडु में चिंतियं जहा इमम्मि मयण-मसवे किं करेंति साहुगो ता को जो माणं वावारो त्ति । अवि य । For Private & Personal Use Only 1 18 15 18 21 24 दोसो for दासो, 1 ) उसो for तं, नयणं for णयगर. 2 ) । हवंति, J अम्मि, P जा for जं, ए होंति तं. 3 ) P तारंति, P मे for ते, P कप्प for तित्थ, Printer. रुक्ख & कप्प. 5 ) 6) यदा मावार for पासेहिं, P मग्गइ for मण्णइ. 7) P तीरसुजं जह. 8 ) P गत्ता for P रइमइ गड्डा, for रमइ, अहव्य. 9) J4 for वि, Pom. ति. 10 P सुच्चामि for मुंत्रामि, P वराइणी 11 ) P उण for पुण. 12 ) ता होइ जो व जोग्गो, ग्य त दिया. 15 मणुअलोअमि, जो for को- 16) कसायावलंबणगणा या ।. 17) P साहुगा, बिलग्गो. 18) गाई वर 19 ) r वसहिं. 20 > मुक्ख for सोक्ख, कुडुंग. 21) नि for वि. 22 ) तहेव, Pom. तं after पुण, P दुच्चरियाई, P सलि. 25 ) P को वि जीवो, माइपियि P माय पिय, P अनंतसो for तसो for एक्को, P गुरुएइ एत्यंतर मि. 29 ) P लोओ. 32 ) Pom.] सव्वहा. 26 ) एक्क सुतं ति । Pom 27 ) P तुम्हे for तुब्भे, P नियत्ता for विरता. 28 ) P भणियं for सर्णिय, 33) पदार्थमि 27 33 www.jainelibrary.org
SR No.002777
Book TitleKuvalayamala Part 1
Original Sutra AuthorUdyotansuri
AuthorA N Upadhye
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1959
Total Pages322
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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