Book Title: Yatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Author(s): Jinprabhvijay
Publisher: Saudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
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दिनांक : १४.०७.९७
डॉ. बच्छराम दुग्गड़ विभागाध्यक्ष अहिंसा एवं शांतिशोध विभाग जैन विश्व भारती संस्थान विश्वविद्यालय लाईन
संदेश
प्रतिष्ठा में, प्रधान सम्पादक आचार्य श्रीमदयतीन्द्रसूरि दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रन्थ
सादर जय जिनेन्द्र
किसी महान आचार्य की स्तुति एवं स्मरण निर्जरा का हेतु बनती हैं, ऐसा मेरा विश्वास हैं। शब्दों की सार्मथ्य नहीं कि वे उस महान आचार्य के व्यक्तित्व एवं कर्तव्य को व्यक्त कर सकें, लेकिन जब भावना प्रबल और श्रद्धा उत्कृष्ट होती हैं। तो स्वयमेव कुछ उद्गार व्यक्त हो ही जाते हैं। श्रीमद्विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के प्रति भी ऐसा ही श्रद्धा और भावना निश्रित होती हैं।
विश्व प्रसिद्ध अभिधान राजेन्द्र कोष का सम्पादन स्वतः आपकी विद्धता, गुरुभक्ति, सेवा एवं त्याग की कहानी कह देता हैं। अभिधान राजेन्द्र कोष के कर्ता श्रीमद् विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के हाथों आपकी दीक्षा गुरु-शिष्य परम्परा को धन्य करती हैं। धन्य हैं वे क्षण और जन जिन्होंने श्रीमदविजय राजेन्द्रसूरिजी महाराज की सानिध्य में यतीन्द्रविजयजी की दीक्षा पर उनके तेज और तप का साक्षात अनुभव किया था।
तपो-तेजः पुंज, अनवरत, ज्ञान - साधनारत, गुरुभक्त, तीर्थ- संस्थापक, तीर्थोद्धारक, अंजनशलाकाका प्रतिष्ठापक, तपाराधक,ज्ञान-भण्डार संवर्द्धक एवं साहित्य सजक श्रीमद यतीन्द्रसूरीश्वरजी महाराज की दीक्षा शताब्दी पर स्मारक ग्रन्थ का प्रकाशन समाज का दायित्व तो है ही पर ज्ञान पिपासुओं एवं राह-खोजियों के लिए पथप्रदर्शन भी हैं। दीक्षा शताब्दी पर समाज का यह दायित्व भी है कि ज्ञान भण्डारों की वृद्धि एवं संरक्षण के प्रयत्नों के साथ आधुनिक विद्याओं के संदर्भ में जैन विद्वानों के निर्माण का कार्य भी अपने हाथ में ले।
महान आचार्य के प्रति मेरी भावांजलि एवं दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रन्थ के लिये मेरी शुभकामनाएँ स्वीकार करें।
डॉ. बच्छराज दूग्गड़
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