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वर्तमान समाज के संदर्भ में वर्द्धमान महावीर और उनका दर्शन
अध्यक्ष महोदय, विद्वजन, सम्मानित देवियो और मज्जनों,
आज की इस वार्ता में मेने आधनिक जीवन की कुछ बेमिक समस्याए चनी है जिनमे प्रत्येक मनष्य परेशान है और यह बताने की चेष्ठा की है कि उनका हल महावीर के विचारो में है । किसी जन्मजात विश्वास को में व्यवत नही करना चाहता । उन समस्याओं का हल ढहने की चेष्ठा सभी देशों में मनीषी कर रहे है । उनकी चेष्ठाओं की ओर भी में आपका ध्यान स्वीचगा और गहराइयो के इम मंथन में आप पहचान लेंगे कि उनके हल निदान नही है ।
आज के मानव की सबसे बडी समस्या हे व्यक्तित्व का विघटन (Loss of individuality ) | काफका टालस्टाय, दोस्तोवस्की मे लेकर हे मिग्वे, मात्र, पास्टरनेक सभी ने इस पीड़ा का अनुभव किया । कितना दामण है जीना जब भीतर जीवन एक मगठित धारा के रूप में महसूस न होकर, बिम्ब पारे जैसा लगे । ऐसा क्यों है? इसका निदान क्या है ? दुमरी समस्या जो मैंने चुनी है वह आधी मानवता की सबसे ज्वलन्त समस्या है | वह है नारी विक्षोभ । शायद पहली बार इतिहास में नारी एक सामूहिक विद्रोह की तैयारी कर रही है। लिब मुवमेण्ट, नारी शक्ति जागरण आदि लक्षण हे एक घिरकर आते भयानक तूफान के । आज हम इसकी भीषणता को नही महसूम कर रहे हैं । परन्तु शायद कोई भी वनग मनथ्य जाति पर इतना भयानक ही है जितना यह । आज नागे रुष्ट हो गई है। आज प्रश्न कर रही
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